AnitaDelhiUttamnagar
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Ohhhhhhh you are good writerupdate 3
सुबह होते ही राकेश उठकर किचन में चाय बना रहा था क्युकी जैसा पहले बताया की नौकर अनवर छुट्टियों पर था । राकेश ने अपनी पत्नी को उठाना उचित नहीं समझा क्युकी देर रात तक उसको टिका कर पेला था राकेश ने । तो उपासना वैसे ही कम्बल के अंदर नंगी पड़ी थी । राकेश चाय बना ही रहा था कि इतने में ही शालिनी की entry होती है किचन में । उसने एक टाईट शर्ट और जींस पहन रखी थी । शर्ट के दो बटन खुले हुए थे और जीन्स इतनी टाइट थी कि चूत का शेप बिल्कुल साफ नजर आ रहा था । यह देखकर राकेश ने मन ही मन में बोला (कितनी शरीफ बनती है मेरी बहन लेकिन देखकर लगता है साली के ऊपर एकसाथ दो अफ्रीकन को चढ़ा दूं )।
शालिनी - राकेश भईया आप चाय क्यों बना रहे हो मै बना देती ।
राकेश - अरे मैंने सोचा अपनी बहन को सोने दूं , इसलिए परेशान नहीं किया और चाय भी बन गई है ।
शालिनी - अच्छा भईया तो आप नाश्ता लगाइए तब तक म सबको जगाकर hall में आने के लिए बोलती हूं ।
Rakesh ne shalini ko rokna chaha lekin tab tak shalini Rakesh ke kamre ki taraf jaa chuki thi .
राकेश मन ही मन सोचने लगा है भगवान ये साला अनवर को भी अभी जाना था छुट्टियों पर अब शालिनी ने अगर जाकर उपासना का कंबल उठा दिया तो उपासना तो नंगी सो रही होगी । हे भगवान ।
और दोस्तों हुआ भी ऐसा ही शालिनी ने जाकर उपासना से कहा भाभी जी उठिए आपकी ननद ready भी हो चुकी है जाने को चलिए सब नाश्ता कर लेते है सुबह हो गई ।
ऐसा कहकर शालिनी ने उपासना का कम्बल खींचकर बैड से अलग कर दिया , जैसे ही कम्बल खींचा शालिनी के आंखे फटी की फटी रह गई उसके मुंह से बस इतना ही निकाल पाया - भ_भाभी ये क्या है ?
उपासना बैड पर बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी उसका पिछ्वाड़ा गद्दों में धंसा हुआ था। आंखो का काजल चेहरे पर फैला हुआ था , बूब्स से लेकर नीचे जांघो तक सूखा हुआ सफेद सफेद वीर्य का लेप जैसा हो रखा था उपासना के बदन पर और चूत बिल्कुल छत की तरफ मुंह खोले पड़ी थी । उसकी ये हालत बयान कर रही थी कि रात को बैड पर सोने से पहले कैसा चुदाई समारोह किया गया है ।
ये देखकर आरती ने मुंह फेर लिया और उपासना भी शर्मिंदगी महसूस करते हुए खड़ी होकर बॉडी पर तौलिया लपेट लिया । उपासना बस इतना ही कह पाई नन्द जी आप चलिए मै नहाकर आती हूं । इतना सुनकर शालिनी सीधा अपने पापा के फ्लोर पर जाने के लिए लिफ्ट की तरफ चल दी । चलते चलते शालिनी मन ही मन सोच रही थी कि ऐसा तो नहीं हो सकता कि कोई एक इंसान एक औरत की ऐसी हालत कर सके , तो फिर कहीं ऐसा तो नहीं रात में कोई और भी आया हो भाभी के पास । लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है भाभी के पास तो भईया सोए हुए थे । और अगर कोई नहीं आया तो इसका मतलब भाभी की ये हालत भईया ने की है । नहीं भईया ऐसे नहीं है वो इतना ज्यादा कामुक नहीं है उन्हें तो अपने बिजनेस से ही फुर्सत नहीं रहती है ।
इतना सोचते सोचते ही पापा के कमरे में entry कर चुकी थी शालिनी और वो दोबारा किसी का कम्बल खींचने की गलती नहीं करना चाहती थी । इसलिए उसने धर्मवीर के माथे पर हाथ फेरा और बोली -
शालिनी - पापाजी पापाजी उठिये सुबह हो गई है ।
इतना सुनकर धर्मवीर जी अंगड़ाई लेते हुए उठे जैसे ही उनकी नजर शालिनी के टाईट जीन्स में से दिखते चूत के उभार पर पड़ी उनके मुंह से आह निकल गई ।
लेकिन शालिनी इसे नोट नहीं कर पाई क्युकी धर्मवीर अंगड़ाई भी ले रहे थे उठते समय ।
धर्मवीर मन ही मन में - आजकल दिन और रात दोनों की शुरआत बड़े ग़ज़ब तरीके से हो रही है , दोनों समय ये गदराई रंडियां ऐसे सामने आती है जैसे कह रही हो कि हमें सिर्फ लौड़े चाहिए ।
धर्मवीर - शालिनी बेटा कहां के लिए ready हो रही है आज ।
शालिनी - जी पापाजी वो आज मुझे एक इंटरव्यू के लिए जाना है तो सुबह ही निकालना पड़ेगा ।
धरमवीर अपनी बैड की रैक में से पर्स निकालकर अपना ATM कार्ड शालिनी को देते हुए - लो बेटा अगर पैसों की और जरूरत हो तो इसमें से निकाल लेना ।
शालिनी - नहीं डैडी मेरे पास already मेरा ATM कार्ड रख लिया है और sunday को ही तो अपने उसमे एक लाख बीस हजार रूपए ट्रांसफर किए थे मुझे । अभी है और जब जरूरत होगी तब ले लूंगी ।
शालिनी - वो हां पापा आज के लिए आप please मैनेज कीजिए क्युकी मुझे आज आपकी गाड़ी चाहिए क्युकी मेरी गाड़ी सर्विसिंग के लिए दी है मैंने शोरूम में।
धर्मवीर ने अपनी Audi की चाबी शालिनी को देते हुए कहा लो बेटा मै आज उपासना या आरती की गाड़ी ले जाऊंगा office ।
शालिनी - ok डैडी नाश्ता तैयार है नीचे अजाओ hall में । भईया नाश्ते के लिए आर्डर कर चुके है बस आने वाला होगा क्युकी आज खाना बनानेवाली ज्योति भाभी भी छुट्टियों पर गई है । घर के दोनों नौकर बहुत छुट्टी करते है देखो ना डैडी अनवर भी छुट्टियों पर है ।
धर्मवीर - कोई बात नहीं बेटा नौकरों की भी अपनी जिंदगी होती है उन्हें भी जिंदगी जीने का मौका देना चाहिए ।
शालिनी - लेकिन आप ज्यादा ढील देते है डैडी देखिए इतने छुट्टियां करने के बाद भी आप उन्हें सैलरी हमेशा पूरी ही देते है और उनके लिए हर महीने कपड़े देते है वो अलग ।
धर्मवीर - बेटा शालिनी जब भगवान का दिया हुआ समंदर है हमारे पास तो उसमे से एक बूंद किसी गरीब प्यासे को देदो तो आपका कुछ नहीं घटता बल्कि उस बेचारे का मन खुश हो जाता है और वो आपको दिल से दुआए देता है ।
शालिनी - हम्म डैडी ये बात तो है चलिए मैं नीचे wait कर रही हूं आपका । ये कहकर शालिनी कमरे से बाहर चली गई ।
धरमवीर शालिनी को जाते देखकर अपनी पलक झपकना भूल गया क्युकी जैसे ही शालिनी मुड़ी जाने के लिए उसकी गान्ड का फैलाव और चौड़ाई जानलेवा थी । और चलते हुए जीन्स में फसे उसकी चूतड़ों का ऊपर नीचे होना धर्मवीर के दिल पर असर कर गया ।
धरमवीर सोचने लगा कि मै कितना गिरा हुआ इंसान हूं आजकल सबको देखकर मै गंदा सोचने लगा हूं ऐसा सोचते ही धरमवीर के अंदर का शैतान बोला कि धर्मवीर आजकल सबको देखकर ऐसा इसलिए हो रहा है क्युकी तेरे घर के नौकर छुट्टियों पर है इसलिए तेरे घर की बहन और बेटी तेरे सामने आजाती हैं और उनकी गदराई हुई गान्ड और उभरी हुई छातियां इस बात का सबूत है कि उन्हें कोई कसकर चोदने वाला चाहिए जो उन्हें दौड़ा दौड़ा कर चोदे । अब शालिनी की ही गान्ड देखले अभी तो तेरी बेटी की शादी भी नहीं हुई है और इसका बदन ऐसा हो रहा है जैसे अगर जमकर चोद दी जाए तो एक साथ दो बच्चे पैदा कर देगी । धर्मवीर सोचने लगा इसमें गलती शालिनी की भी नहीं है क्युकी उसकी उमर भी 31 साल हो गई है और शादी हुई नहीं है अभी तो उसकी जवानी भी लौड़े खाने लायक है आखिर उसको भी होती है जरूरत महसूस ।
इतना सोचते सोचते धर्मवीर कपड़े पहन चुका था और कमरे से निकल गया ।