Mast super sandar fantastic updateUpdated 07
घर पे सूरज अपने कमरे में... अपने किए पे अभी तक पचता रहा है... अपनी मां के बारे ने इतना गलत सोचना अब उसे अंदर ही अंदर जैसे घुटन दे रहा था...वो अपनी दिल दिमाग की उलझने किसी से बोल भी कैसे पता...उसका दिमाग उसके साथ हुए घटना का जवाब मांग रहा था की केसे वो अपनी ही मां को देख इतना उत्तेजित हो उठा की अपनी ही मां के बारे में सोच ये सब कर बैठा.... बहोत सोच के वो अपने फोन ने सर्च करता है "How to Handle Sexual thought about mother" "How to not think about women body" "how to overcome bad habits"
सूरज घंटो तक पड़ता रहा और अपने मन की सुलझने दूर करने की कोशिश में उसके सामने कुछ ऐसा आने लगा की इसके पेरो तले से जमीन खिसक गई...वो और उत्तेजित हो उठा...
एक लड़के ने लिखा था " मेने अपनी मां को कपड़े बदलते हुए देख लिया तब से में उनके बारे में सोचने से खुद को रोक नहीं पा रहा... ओर जब भी उनके साथ सोता हूं रात में मां के स्तनों को सहलाता हूं... वे अनुभव किसी लड़की के साथ यौन संबंध बनाने से भी अधिक आनंद देता है...आगे ने अपनी मां को एक बार पापा के साथ करते हुए देखना चाहता हू..."
सूरज का दिमाग हिल गया की ऐसे लोग भी होते है...वो आगे आगे पड़ता गया...धीरे धीरे उसे इंसेस्ट का ज्ञान मिला... उसे पता चला कि बाहर के देश में ये अब बहोत ज्यादा होने लगा था कुछ मां बेटे, बाप बेटी, भाई बहन अपने रिश्तों को खुल के जाहिर करते हे और अधिकतर चुप चाप अपने घर में अपने रिश्तों को खुल के जीते थे...
सूरज का दिल अब अपनी मां की और अधिक ढलने लगा था...उसे अब उत्सुकता जगाने लगी की मां न जाने कितने सालों से योन सुख से वंचित रही हैं... और में यहां उनके बारे में कितना गलत सोच रहा था...आखिर वो भी एक औरत हैं...
सूरज सर्च करता है "how long womens have sexual urges" "how widow women setisfy her sexual need"
बाद में सूरज के दिमाग में एक अजीब सा ख्याल आया और वो अपना सर्च करते हुए पूरा काप सा रहा था उसकी दिल की धड़कने तेज तेज चल उठी...उसके लिंग ने फिर से खून की गति तेज होते हुए लिंग फिर से उतेजत हो उठा....
"Can 40 years old women still get pregnant"
जवाब पड़ सूरज उत्तेजना में इतना पागल हो उठा की उसने एक और सर्च किया...जो वो करना नही चाहता था पर अपनी जिज्ञासा को रोक नहीं पाया...
"Can 60 years old man able to sex and make women pregnant"
जवाब इतने कामुक हो रहे थे की सूरज ने एक बार फिर पानी निकल दिया....
वो जैसे ही होस में आया खुद को फिर से गाली देने लगा लेकिन अब उसके दिमाग में अपनी मां को अपने नई पिता के साथ आगे होने वाले यौन संबंधों के बारे में सोच गुस्सा आ रहा था...वो अपनी मां को इसे उसके नई बाप के साथ नही देख सकता था...वो परेशान हो उठा की कही वो मां के साथ....
लेकिन सूरज का दिमाग जब होश में होता वो पारुल और मुखी को साथ सोच गुस्सा हो जाता और जब उत्तेजित होता उसका पानी निकल जा रहा था अपनी ही मां को इसे किसी के साथ सोच... और कभी कभी उसे लगता की उसकी मां भी एक औरत है उन्हे भी एक पति का प्यार मिलना चाइए...और अब जब उनको इतने सालो ke बाद फिर से पति का प्यार मिल रहा है उसे इस से कोई दिक्कत नही होनी चाइए...
...........
गांव के पास की एक पुलिस चौकी में....
गुलगुले (हेड ऑफ चौकी इंस्पेक्टर) – सब ध्यान से सुने संध्या मैडम यहां कुछ महीने होगी...उन्हें यहां ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है पर ये तो बस एक बहाना है लेकिन उन्हें एक खास केस के लिए बुलाया भेजा है... जब तक वो यहां हो कोई घुस की सोचना भी मत नहीं तो घर जाने को तैयार रहे...
कोई धीरे से बोला – वो तो आप याद रखना....
और सब हस देते ही इस बात से गुलगुले अपने मोटे पेट पे अपनी नीचे उतर रही पेंट को चढ़ात हुए सब पे चीला उठा...
कुछ ही समय में एक स्कॉर्पियो थाने पे आ खड़ी हुई...सब भागते हड़बड़ी में बाहर निकल आई...सब के सब मैडम के स्वागत के लिए बड़े उत्सुक हुए दो लाइन में खड़े हो गई...
सब मर्द पोलिस वाले अपने कपड़े और बाल सही करते हुए धीमे आवाज में बाते कर रहे थे..."पता है मैडम किसी बॉलीवुड की हीरोइन जैसी है" "अरे भाई मेने सुना है मैडम के दो बड़े बड़े..." "चुप कर पागल सर ने सुन लिया तो घर जाएगा" "अरे तो गलत कया बोल रहा है वो मैडम किसी अप्सरा से कम नहीं... बूढ़े तू एक बार देख अपनी कच्छी गीली कर देगा साले"
संध्या गाड़ी से बाहर निकलते ही जल्दी से चौकी की और चल दी...गुलगुले उसके पीछे पीछे अपना मोटा मटके जैसा पेट लिए भागा...पीछे दूसरे लोग उसकी मोटी चाल पे हस रहे थे तो कुछ संध्या मैडम की मोटे सुडोल सुगठित नितभ को देख अपने उत्तेजित हुए लौड़े को मसल दिए...."यार ऐसी होती है बड़े सहर की औरते क्या मेंटेन किया है...और यहां मेरी लुगाई... मैडम के पति के तो मजे ही मजे हे.."
अंदर जाते ही...
गुलगुले – स....र...(सैल्यूट करते हुए) जय हिंद मैडम...आप का स्वागत है....
थोड़ा सब का इंट्रो लेके संध्या ने अपने सर को कॉल लगाया...
संध्या – जी सर...में यहां पहोंच गई..
सामने से उसे कूच इंस्ट्रक्शन मिलते है उसके बाद वो... गुलगुले की और देख बोली....
संध्या – अच्छा आप ही है मिस्टर गुलगुले... चलिए आप से जरूरी बात करनी है...
गुलगुले – (संध्या की बला की खूबसूरती देख पगला सा गया था) जी जी मैडम आप ने कुछ कहा...
संध्या – क्या आप को कम सुनाई देता है... आप की केबिन कहा है....
गुलगुले की इज्जत का संध्या कोई लिहाज़ न करते हुए उसे गुस्से में डाट दी और फिर दोनो अंदर चले गई...
संध्या गुलगुले की छेर पर बैठ उसे अपने सामने बिठाने को इशारा की....
संध्या जैसे ही अंदर आई वो बिलकुल साधरण हो गई...उसके मुंह से गुस्सा उतर गया... और वो बहोत सहज रूप से अपनी अदा दिखाते हुए...बड़े प्यार से मुस्कुराते चहरे के साथ बोली...
संध्या – सॉरी गुलगुले जी... सब के सामने आप को... ऐसा करना जरूरी था अब सब के सब कंट्रोल में रहेंगे...
गुलगुले कुच समझ नही पा रहा था एक तो उसके इतने करीब एक 34 साल की खूबसूरत औरत जिस्म जैसे रस मलाई...लाल गाल गुलाबी होंठ...और हमारा गुलगले तो खाने का है ही सोकिन....
संध्या ने गुलगुले की नजरे कहा थी देख थोड़ा जोर से बोली..."गुलगुले जी...." संध्या के दो बड़े बड़े स्तनों को उभरता हुए देख रहा गुलगुले होस में आते हुए हड़बड़ा उठा....
गुलगुले – जी जी मैडम....
संध्या – वैसे आप की बड़ी तारीफ सुनी मेने चौटाला मैडम से....
गुलगुले – (गुलगुले अपने भूतकाल में दो पल के लिए खो सा गया...) जी मैडम... (मन में कास हम दोनो का प्रमोशन न होता तो आज हम साथ होते)
संध्या – (एक फाइल हाथ में लेके) अच्छा तो ये मुखि कोन है... सर ने इस केस को खास सुलझाने के लिए मुझे यहां भेजा है...
गुलगुले – मैडम है एक पास के गांव का जमींदार..सब उसे मुखी बुलाते है...गांव में उसकी ही चलती है और उसका बेटा यहां का बड़ा नेता है... न गांव वालो में उसके आगे बोलने की हिम्मत है और अगर कोई आगे आता भी है तो उसका बेटा बात को बाहर आने नहीं देता... वैसे तो उसका बेटा उसके बाप की हरकतों से परेशान होकर घर छोड़ सहर में रहने चला आया पर अगर उसके बाप की काली करतूतें सामने आती है तो उसका पॉलिटिकल कैरियर खतम हो सकता है तो वो कुछ खुल के कर नहीं पाता....
संध्या – वो सब तो ठीक है लेकिन वो किस तरह के क्राइम करता है...
गुलगुले – मैडम वो वही सब.. गांव के भोले भाले मासूम लोगो को कर्ज में डूबा के फिर... कर्ज के बदले में उनके घर की बहू बेटी के साथ....और कही बार तो जबरजस्ती...
संध्या – छी...कितना नीच आदमी है... और वो आज तक खुला घूम रहा है...(संध्या गुस्सा हो उठी)
गुलगुले – मैडम कोई उसके खिलाफ गवाई ही नही देता...न उसकी कोई आगे आके FIR किया....
संध्या – क्या उम्र होगी उसकी....
गुलगुले – 60+ होगा...
संध्या जोकि पढ़ाई लिखाई में सब से आगे थी..और दिमाग से और ताकत में भी...पर उसे यौन संबंधों और सेक्स के बारे में इतना ज्ञान नहीं था...वो एक घरेलू महिला से भी कम इन सब के बारे में ज्ञान रखती थी...संध्या का न कोई कभी बॉयफ्रेंड रहा था न उसके साथ ऐसी बात कोई करता...वो बस अपने पति सूरज के साथ हमबिस्तर हुए थी...वो भी तब जब उसकी नौकरी लग गई...और बहोत कम ही बार वो यौन संबंध बना पाई थी...उसे तो लगता था कि इतना बुड्ढा आदमी कैसे एक औरत के साथ कुछ कर भी पाएगा...
संध्या – (थोड़ा शर्म के साथ लेकिन छुपा के पूछ लेती है) अच्छा इतना बुड्ढा होके भी...ची...अपनी उम्र का तो लिहाज करता...
गुलगुले – (जॉस में आके) मैडम मुखी बस उम्र में बड़ा है लोग बोलते है बिस्तर में तो वो आज भी औरतों को रुला दे....
संध्या ये सुन एक दम चोक गई और उसकी योनि में एक हलचल हो उठी और साथ में ही उसके दिमाग में साथ में गुस्सा भर उठा और वो गुलगुले को एक थप्पड़ जड़ा दी....
गुलगुले – सॉरी मैडम...
संध्या – अपनी जवाब पे लगाम लगाना सीखो... कुछ तमीज ही नही है आप में.. बाहर जाओ...
संध्या का गोरा रंग गुस्सा होकर लाल मिर्च जैसा हो उठा...वो मन ही मन ठान ली की इस मुखी को जेल भेज के ही यहां से जाएगी....
संध्या गहरी सोच में थी की उसके पति सूरज का कॉल आया...और वो सब भूल बाते करने लगे...
नोट – यहां संध्या का पति सूरज और पारुल का बेटा सूरज दो अलग अलग लोग हे...
Superb start, interesting updateUpdate 02
पारुल जल्दी से अपने बेटे के कमरे में चली गई.. उधर मुखी बस पारुल के खयालों में कब सो गया उसे भी पता न चला...
पारुल ने देखा सूरज सो रहा था.. वो उसके बेटे के पास बैठ कुछ देर गहरी सोच में डूब गई...फिर अचानक वो उठ खड़ी हुए और बाथरूम में घुस गई..लाल शादी वाला पी पेटीकोट उठा के पारुल की मूत एक सीटी की आवाज के साथ निकली... पारुल ने गहरी सास लि और सकून से बाहर आई...और एक बड़े से आयने के आगे खड़ी हो के एक एक कर अपने सीने के पहने रेशमी ब्लाउज के बटन खोलने लगी... देखते ही देखते पारुल के सीने से दो सुडोल सुगठित स्तन बाहर निकल आई... हा इसे बैकलेस ब्लाउज में पारुल ने कोई ब्रा नही पहनी थी... वो कुछ देर अपने स्तनों के आकार को देखने लगी...एक साल से अधिक हो गया था की किसी मर्द ने उन्हे अपनी मजबूत हथेली में भर प्यार से सहलाया था...
पारुल पता नही क्यों वही पड़ी एक टेबल पर बैठ खुदी की ही कामुक जिस्म को निहारने लगी... वो वो ये अपने आप को देख सोच रही थी क्या वो अभी तक पहले जितनी खूबसूरत रही है की नही...अभी तक बस ब्लाउज को खोल दिया था लेकिन उतारा नही था...वो एक एक कर अपने सारे गहने उतार देती है और अब वो बस पेटिकोट में थी और ऊपर बस नाम का ब्लाउज लगा हुआ था...
तभी अचानक ही सूरज ने अपनी आखें खोली जो अब तक बस सोने का नाटक कर रहा था अपनी मां से बात करने की उसकी अब हिमत नही हो रही थी..उसे इस घर में अजीब सी घुटन हो रही थी... ऊपर से दोस्तो ने उसका दिमाग गंदे विचार से भर दिया था... उसकी आंखों में सामने उसे उसकी मां की नंगी गोरी गोरी पीठ थी...
अपनी मां को इसी कामुक हालत में देख उसके होस उड़ गई... अपनी मां के बारे में कभी गलत तरीके से सपने में नहीं सोचने वाला सूरज इतने दिनो की कामुक बाते अपनी मां (दूसरी शादी को लेकर) के बारे में अपने ही दोस्तो से सुन सुन आज वो अपनी मां को एक अलग नजर से देखते रहा...उसका गधे के लोड़े जैसा मूसल अपनी ही मां को देख कब अपनी औकात में आ गया उसे भी न पता चला.. उसके मन में चल रहा था की कया हुआ होगा आज रात उसके सौतेले बाप और मां के बीच...
जैसे ही पारुल ने पूरा ब्लाउज निकल सूरज की और हुए सूरज को अपनी मां के अनमोल दो रत्न दिखने लगे लेकिन बस कुछ पल के लिए सूरज ने शर्म से अपनी आंखे बंद कर दी...
भले सूरज ने आंखे बंद कर दी लेकिन अपनी मां के सुडोल स्तन उसके दिल में जैसे बस गई..उसे बस मां के गोरे गोरे स्तन और उसपे दो काले अंगूर के दाने जैसे निप्पल ही दिख रहे थे...वो पसीने से भीग गया... पर अभी खड़ा भी न हो पा रहा था न रजाई हटा पा रहा था नही तो अपनी मां का सामना करना पड़ता...
उसी दौरान पारुल ने दूसरे कपड़े पहन लिए और अपने बेटे को पीछे से पकड़ के प्यार करने लगी...ये इतना अचानक हुआ की सूरज ने तने हुए लौड़े ने सारा वीर्य अपनी कच्ची में छोड़ दिया... सूरज जोर जोर से सारे लेने लगा और पानी निकलते ही खुद को कोसने लगा...और उसके दिमाग में बुरे बुरे ख्याल आने लगे...
रात में सपने में अपनी मां को किसी मर्द के साथ प्यार करता देख वो चिल्ला के उठ खड़ा हुआ...और मां को कस के पकड़ के रोने लगा...पारुल भी बेटे के साथ अपने सारे दुख निकल दी और रोने लगी... पारुल को इस बात की खुशी हो रही थी की उसका बेटा उसके साथ है और आज इतना करीब है... क्यों की कही दोनो से दोनों ने बात तक नहीं की थी ठीक से...
सुबह के 5 बजे....
सूरज रोता हुआ – मां मुझे यहां नही रहना आप चलिए न..अब में आप की हर बात मानूंगा...
पारुल सूरज के बालो को सहलाते हुए – बेटा अब यही हमर घर है.. देखो पापा भी कितने अच्छे है (दिल में पत्थर रख बोली)
सूरज – नही मां वो आदमी मरे पापा नहीं..और आप उसके साथ...(रुक गया)
पारुल – बेटा इसे नही बोलते ना... देख बेटा वो तेरे पापा ही है अब से तुझे मेरी कसम उनके साथ कोई ऐसी हरकत मत कर देना की उन्हे अच्छा न लगे...
सूरज अपने दोस्तो की बाते याद करता हुआ बोला डरते हुए.. "मां क्या आप और वो...पापा (सिर्फ मां के डर से) बच्चे..." (बोलने को मुंह से निकल गया पर सूरज अब पछता रहा था और आगे बोल नही पाया)
पारुल मुखी के साथ बच्चे का सुन ही काप गई.. उसे अपनी पहली सम्भोग की झलक आ गए..वो डर गई की क्या उसे ये सब करना पड़ेगा...क्या वो ये सब कर अपने पहले पति की आत्मा को दुखी कर रही है..क्या ये उसके पहले पति के साथ dhikar नही होगा भले वो नही रहे....
पारुल कुछ भी बोले बिना बस उसके बेटे को लेकर लेटी रही...जैसे ही बाते बंद हुए सूरज को पारुल के मुखीले निप्पल उसके सीने पे महसूस हुए..और वो भी फिर से रात वाले मां के नग्न अवस्था में दिख रहे स्तन को सोचने लगा....
दोनो मां बेटे अपनी अपनी काम आग में जल रहे थे और एक दुसरे को और कस के लिपट रहे थे पर एक दूसरे को रोक भी रहे थे की ये नजदीकी और न बड़े...पर वो इतना भी नही सोच रहे थे... वैसे भी वो दोनो मां बेटा थे...
सुबह के 9 बज गई पहली बार पारुल इतना देर तक सो रही थी... उधर मुखी पारुल को अपने पास नही पा के बैचेन हो रहा था...
Funtastic updateUpdated 04
मुखिया जी " हा बेटा में ठीक हु.. अब तो तेरी मां आ गई है मेरा खयाल रख लेगी तू यहां की कोई चिंता न कर..."
विक्रम – पिताजी आप दवाई टाइम ले लेना और अपना खयाल रखना के आता रहूंगा..
मुखिया जी फोन रख अपनी नई नवेली दुल्हन के कमरे की और जाने लगे...
मुखिया जी बिना आवाज किए कमरे में दाखिल हुए.. दोनो का बेटे एक दूसरे की बाहों में सुकून से सो रहे थे.. 60 साल के रूढ़िवादी वादी आदमी के एक मां को अपने 18 साल के लड़के को अपनी गोद में सुलाना.. पारुल की सारी तो रात में ही उसके उभरे हुए सीने से हट गई थी और वही उसके एक लोते बेटे का सर था.. गोरी गोरी चूचियां साफ़ साफ़ बाहर आने को तैयार थी...लाल हरा हरा पेटीकोट पारुल के चिकने घुटनो के भी उपर हुआ था और दो भरे भरे जांघो के बीच अपने बेटे के पैर को फसा रखा था... सूरज के हाथ अपनीर मां की कमर को पे और एक पीठ पे थे...
मुखिया ने कभी अपनी पत्नी के साथ भी इसे सोया नहि था जैसे एक बेटा उसकी मां के साथ सो रहा था.. मुखी को तो बस छूत में लोड़ा डाल के हिलाना आता था... उसे कहा रोमेंस और प्यार करने के तरीकों का कोई ज्ञान था... इसी हालत में उसकी पत्नी को देख मुखी बेहत गुस्सा हो उठा... पर एक 40 की जवान खूसबूरत औरत को ऐसे देख वो उत्तेजित भी हो चुका था...ऊपर से वो पारुल बस उसकी बेटी की उमर की थी... वो अपने गुस्से को शांत करते हुए बाहर निकल गया....और धीरे से दरवजा बंद कर के... फिर जो से आवाज लगाई... पारुल.....पारुल......अरे उठ जाइए अब आप कितना सोना है आप को...
पारुल उठ गई..अपने बेटे की पकड़ से बाहर निकल... पहले अपनी हालत ठीक कर दरवाजा खोला...
पारुल – जी आप उठ गई...में अभी चाय नाश्ता बना के लाई...(पारुल हड़बड़ी में बोली)
मुखी – पारुल...जरा खिड़की खोल बाहर भी देख ले...खेर आप नहा के निचे आइए नाश्ता बन गया है...और हा जल्दी कीजिएगा आप...और आप के लाड साब को भी उठा देना... (मुखी बड़े आराम से बात करते हुए पारुल के हर एक अंग को निहार रहा था)
थोड़ी देर में दोनों मां बेटे नीचे आ गए...अब माहोल ऐसा था कि दोनो सौतेले बाप बेटे एक दूसरे से नफरत करते थे..दोनो बस पारुल की खुशी के लिए एक दूसरे के मुंह पे कुछ बोल नहीं पा रहे थे... एक को था की मेरी वजह से मां को तफलिक होगी..और एक को था की बेटे को को कुछ बोला तो ऐसी औरत एक रात नही रहने वाली यहां...
सब एक साथ खाने के टेबल पर बेठे... बिचारी पारुल उसके नई पति के साथ यौन संबंधों को बनाने के डर से बिकुल डरी सहमी सी बैठी थी और उसके बेटे के सामने अपने नई पति के साथ बैठी हुई और शर्म से मर रही थी... सूरज भी अपने दोस्तो की कहानियां याद कर परेशान था और उपर से कल रात मां के नंग स्तनों को देख उसके दिमाग में क्या चल रहा था वो खुद भी समझ नही पा रह था...
मुखी – तो सूरज बेटा आप कॉलेज जाते है...
सूरज अपने सौतेले बाप को अनसुना कर देता हे...की तभी पारुल अपनी मीठी आवाज में धीरे से बोली...
पारुल – जी सूरज के पापा... ( ये सुन दोनो बाप बेटे हैरान थे) ( में हर बार सौतेला नहीं बोलने वाला आप खुद समझ जाना अब से)... सूरज का दाखला हो गया है...
सूरज – मां में तुझे यहां छोड़ के कही नई जा रहा....
पारुल – ये क्या बेटा तुझे पड़ना तो होगा ही... ऐसे कैसे चलेगा....
मुखी – बेटा अपनी मां की बात सुनो... एसी मां हर किसी के नसीब में नहीं होती... आज कल कोई मां इतना नही करती जो तुम्हारी मां कर रही है... 40 की हे तेरी मां और मुझ बुड्ढे से शादी की... क्यू ताकि तुजे पड़ा लिखा के इस काबिल बना पाई की तुझे किसी के आग हाथ न फेलाना पड़े... नही तो इनके लिए तो.....(आगे बोलने से रूक जाते है)
पारुल के आखों से आसू निकल गई और पारुल की नजर में मुखी के लिए इज्जत बड़ गई... सुरज भी अपनी गलती को कुछ समझ रहा था...लेकिन अपने बाप पे वो अभी तक गुस्सा था...
मुखी – चलिए में खेतो में काम देख के आया... पारुल तुम मेरे साथ आओ कुछ बात करनी है...
दोनों बाहर निकल गई.. कुच दूर जाके मुखी रुका और पारुल के सामने खड़ा हुआ बोला...
दूर से सूरज अपनी मां को देख रहा था...
मुखी – पारूल तुम एक बात याद रखना सूरज भी अब मेरे बेटा है... अगर आप को उसे सही रास्ते पे लाना हो तो अपने पल्लू से दूर करना ही होगा...आप मुझे गलत मत समझना लेकिन मुझे ठीक नही लगता की एक जवान लड़का अभी तक उसकी मां का पल्लू पकड़ के चले...बाकी आप समझदार हे..
पारुल हैरानी से मुखी के कठोर बोल सुन रही थी उसे वो अनसुना न कर पाई.. उसे जैसे मुखी की आवाज में उसके लिए अधिकार का भाव आ रहा था... मुखी के काले शरीर पतले शरीर में पारुल को आज जैसे तेज दिख रहा था...उसे मुखी की मर्दाना ताकत का अंदाजा हो रहा था की मुखी की आवाज में कैसा बदलाव आ रहा था...
Ye mukiya toh bada harami niklaUpdated 06
भोला अपनी 30 वर्ष की पत्नी को अपने मालिक की बाहों में देख बड़ा बेबस महसूस करते हुए अपने काम में व्यस्त हो गया ताकि अपनी जवान पत्नी को इसे देखना न पड़े... बिचारी कविता जब नई नवेली दुल्हन बन आई उसे क्या पता था कि उसकी योनि की सील तोडने वाला उसका पति नही लेकिन उसका मालिक होगा... पहली रात तो बिचारी बस रोते हुए निकल पाई...और इसे उसके जिस्म के साथ खिलवाड़ कभी रुका नही... यहां तक कि कविता का 5 साल बच्चा भी मुखी की देन था... और न जाने इस गांव की कितनी लाचार शादी सुदा औरतों और कुंवारी लड़कियों को मुखी अपना शिकार बना चुका था...
मणिलाल अपनी पत्नी कविता की शिकारिया सुन पागल हुआ जा रहा था मजबूरन वो अपने मालिक को बोला..
मणिलाल – मालिक बस करिए और नही... यहां इस खुले में कोई भी देख सकता है मालिक...आप कमरे में चलिए में बिस्तर लगा देता हु...
मुखी – मादरचोद... अपनी औकाद मत भूल... अभी रुक... ऐ रण्डी चल कपड़े निकल...तेरे पति को लगता है तुझे कपड़ो में देख अच्छा नही लगता....
कविता – मालिक यहां नही मालिक अंदर चलिए कोई आ गया तो...
मुखी – अरे भाई मणि तेरी जोरू को समझा अभी क्या नंगी नही है वो ब्लाउज तो बड़ी जल्दी उतार दिया अब ये भी निकल चल.....
कविता रोने जेसी हो गई पर कपड़े निकाल दी...मुखी इतना गुस्सा होता नही लेकिन आज पारुल को न पाने का गुस्सा कही और निकल रहा था....
कविता नंगी हो के " मालिक अब चले बिस्तर पे?"
मुखी कविता के कसे हुए बदन को सहलाने लगा और उसके स्तन दबा के दूध गिराते हुए कविता को तड़पा रहा था... काम आग में पागल हुए जा रही थी पा उसे मुखी चोद नही रह था...
कविता – मालिक अब जल्दी कीजिए अब और नही... अह्ह्ह्ह
मुखी – बड़ी तड़प रही है न तू बस ऐसी ही एक दिन मेरी पारुल तड़प कर बोलेगी....चल कुवे से पानी निकाल के ला और फिर चली जाना....
कविता कपड़े पहने लगती है तो मुखी कविता की फूली हुई गांड़ पे जोर से थप्पड़ जड़ दिया और बोला "मेरी जान नंगी जा तेरे पति का मुंह आज कल ज्यादा चल रहा है"
कविता मुखी के पैरो में गिर के माफी मांगी पर मुखी नही माना... आखिर कार कविता नंगी कुवे पर गई...कुछ दूर से बच्चे कविता के नंगे जिस्म का नजारा देख उत्तेजित हो रहे थे वही कविता का पति अपनी फूटी किस्मत पे रो रहा था...
Behtareen story line hai bhai, zabardast updates maaza agaya padkarUpdated 07
घर पे सूरज अपने कमरे में... अपने किए पे अभी तक पचता रहा है... अपनी मां के बारे ने इतना गलत सोचना अब उसे अंदर ही अंदर जैसे घुटन दे रहा था...वो अपनी दिल दिमाग की उलझने किसी से बोल भी कैसे पता...उसका दिमाग उसके साथ हुए घटना का जवाब मांग रहा था की केसे वो अपनी ही मां को देख इतना उत्तेजित हो उठा की अपनी ही मां के बारे में सोच ये सब कर बैठा.... बहोत सोच के वो अपने फोन ने सर्च करता है "How to Handle Sexual thought about mother" "How to not think about women body" "how to overcome bad habits"
सूरज घंटो तक पड़ता रहा और अपने मन की सुलझने दूर करने की कोशिश में उसके सामने कुछ ऐसा आने लगा की इसके पेरो तले से जमीन खिसक गई...वो और उत्तेजित हो उठा...
एक लड़के ने लिखा था " मेने अपनी मां को कपड़े बदलते हुए देख लिया तब से में उनके बारे में सोचने से खुद को रोक नहीं पा रहा... ओर जब भी उनके साथ सोता हूं रात में मां के स्तनों को सहलाता हूं... वे अनुभव किसी लड़की के साथ यौन संबंध बनाने से भी अधिक आनंद देता है...आगे ने अपनी मां को एक बार पापा के साथ करते हुए देखना चाहता हू..."
सूरज का दिमाग हिल गया की ऐसे लोग भी होते है...वो आगे आगे पड़ता गया...धीरे धीरे उसे इंसेस्ट का ज्ञान मिला... उसे पता चला कि बाहर के देश में ये अब बहोत ज्यादा होने लगा था कुछ मां बेटे, बाप बेटी, भाई बहन अपने रिश्तों को खुल के जाहिर करते हे और अधिकतर चुप चाप अपने घर में अपने रिश्तों को खुल के जीते थे...
सूरज का दिल अब अपनी मां की और अधिक ढलने लगा था...उसे अब उत्सुकता जगाने लगी की मां न जाने कितने सालों से योन सुख से वंचित रही हैं... और में यहां उनके बारे में कितना गलत सोच रहा था...आखिर वो भी एक औरत हैं...
सूरज सर्च करता है "how long womens have sexual urges" "how widow women setisfy her sexual need"
बाद में सूरज के दिमाग में एक अजीब सा ख्याल आया और वो अपना सर्च करते हुए पूरा काप सा रहा था उसकी दिल की धड़कने तेज तेज चल उठी...उसके लिंग ने फिर से खून की गति तेज होते हुए लिंग फिर से उतेजत हो उठा....
"Can 40 years old women still get pregnant"
जवाब पड़ सूरज उत्तेजना में इतना पागल हो उठा की उसने एक और सर्च किया...जो वो करना नही चाहता था पर अपनी जिज्ञासा को रोक नहीं पाया...
"Can 60 years old man able to sex and make women pregnant"
जवाब इतने कामुक हो रहे थे की सूरज ने एक बार फिर पानी निकल दिया....
वो जैसे ही होस में आया खुद को फिर से गाली देने लगा लेकिन अब उसके दिमाग में अपनी मां को अपने नई पिता के साथ आगे होने वाले यौन संबंधों के बारे में सोच गुस्सा आ रहा था...वो अपनी मां को इसे उसके नई बाप के साथ नही देख सकता था...वो परेशान हो उठा की कही वो मां के साथ....
लेकिन सूरज का दिमाग जब होश में होता वो पारुल और मुखी को साथ सोच गुस्सा हो जाता और जब उत्तेजित होता उसका पानी निकल जा रहा था अपनी ही मां को इसे किसी के साथ सोच... और कभी कभी उसे लगता की उसकी मां भी एक औरत है उन्हे भी एक पति का प्यार मिलना चाइए...और अब जब उनको इतने सालो ke बाद फिर से पति का प्यार मिल रहा है उसे इस से कोई दिक्कत नही होनी चाइए...
...........
गांव के पास की एक पुलिस चौकी में....
गुलगुले (हेड ऑफ चौकी इंस्पेक्टर) – सब ध्यान से सुने संध्या मैडम यहां कुछ महीने होगी...उन्हें यहां ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है पर ये तो बस एक बहाना है लेकिन उन्हें एक खास केस के लिए बुलाया भेजा है... जब तक वो यहां हो कोई घुस की सोचना भी मत नहीं तो घर जाने को तैयार रहे...
कोई धीरे से बोला – वो तो आप याद रखना....
और सब हस देते ही इस बात से गुलगुले अपने मोटे पेट पे अपनी नीचे उतर रही पेंट को चढ़ात हुए सब पे चीला उठा...
कुछ ही समय में एक स्कॉर्पियो थाने पे आ खड़ी हुई...सब भागते हड़बड़ी में बाहर निकल आई...सब के सब मैडम के स्वागत के लिए बड़े उत्सुक हुए दो लाइन में खड़े हो गई...
सब मर्द पोलिस वाले अपने कपड़े और बाल सही करते हुए धीमे आवाज में बाते कर रहे थे..."पता है मैडम किसी बॉलीवुड की हीरोइन जैसी है" "अरे भाई मेने सुना है मैडम के दो बड़े बड़े..." "चुप कर पागल सर ने सुन लिया तो घर जाएगा" "अरे तो गलत कया बोल रहा है वो मैडम किसी अप्सरा से कम नहीं... बूढ़े तू एक बार देख अपनी कच्छी गीली कर देगा साले"
संध्या गाड़ी से बाहर निकलते ही जल्दी से चौकी की और चल दी...गुलगुले उसके पीछे पीछे अपना मोटा मटके जैसा पेट लिए भागा...पीछे दूसरे लोग उसकी मोटी चाल पे हस रहे थे तो कुछ संध्या मैडम की मोटे सुडोल सुगठित नितभ को देख अपने उत्तेजित हुए लौड़े को मसल दिए...."यार ऐसी होती है बड़े सहर की औरते क्या मेंटेन किया है...और यहां मेरी लुगाई... मैडम के पति के तो मजे ही मजे हे.."
अंदर जाते ही...
गुलगुले – स....र...(सैल्यूट करते हुए) जय हिंद मैडम...आप का स्वागत है....
थोड़ा सब का इंट्रो लेके संध्या ने अपने सर को कॉल लगाया...
संध्या – जी सर...में यहां पहोंच गई..
सामने से उसे कूच इंस्ट्रक्शन मिलते है उसके बाद वो... गुलगुले की और देख बोली....
संध्या – अच्छा आप ही है मिस्टर गुलगुले... चलिए आप से जरूरी बात करनी है...
गुलगुले – (संध्या की बला की खूबसूरती देख पगला सा गया था) जी जी मैडम आप ने कुछ कहा...
संध्या – क्या आप को कम सुनाई देता है... आप की केबिन कहा है....
गुलगुले की इज्जत का संध्या कोई लिहाज़ न करते हुए उसे गुस्से में डाट दी और फिर दोनो अंदर चले गई...
संध्या गुलगुले की छेर पर बैठ उसे अपने सामने बिठाने को इशारा की....
संध्या जैसे ही अंदर आई वो बिलकुल साधरण हो गई...उसके मुंह से गुस्सा उतर गया... और वो बहोत सहज रूप से अपनी अदा दिखाते हुए...बड़े प्यार से मुस्कुराते चहरे के साथ बोली...
संध्या – सॉरी गुलगुले जी... सब के सामने आप को... ऐसा करना जरूरी था अब सब के सब कंट्रोल में रहेंगे...
गुलगुले कुच समझ नही पा रहा था एक तो उसके इतने करीब एक 34 साल की खूबसूरत औरत जिस्म जैसे रस मलाई...लाल गाल गुलाबी होंठ...और हमारा गुलगले तो खाने का है ही सोकिन....
संध्या ने गुलगुले की नजरे कहा थी देख थोड़ा जोर से बोली..."गुलगुले जी...." संध्या के दो बड़े बड़े स्तनों को उभरता हुए देख रहा गुलगुले होस में आते हुए हड़बड़ा उठा....
गुलगुले – जी जी मैडम....
संध्या – वैसे आप की बड़ी तारीफ सुनी मेने चौटाला मैडम से....
गुलगुले – (गुलगुले अपने भूतकाल में दो पल के लिए खो सा गया...) जी मैडम... (मन में कास हम दोनो का प्रमोशन न होता तो आज हम साथ होते)
संध्या – (एक फाइल हाथ में लेके) अच्छा तो ये मुखि कोन है... सर ने इस केस को खास सुलझाने के लिए मुझे यहां भेजा है...
गुलगुले – मैडम है एक पास के गांव का जमींदार..सब उसे मुखी बुलाते है...गांव में उसकी ही चलती है और उसका बेटा यहां का बड़ा नेता है... न गांव वालो में उसके आगे बोलने की हिम्मत है और अगर कोई आगे आता भी है तो उसका बेटा बात को बाहर आने नहीं देता... वैसे तो उसका बेटा उसके बाप की हरकतों से परेशान होकर घर छोड़ सहर में रहने चला आया पर अगर उसके बाप की काली करतूतें सामने आती है तो उसका पॉलिटिकल कैरियर खतम हो सकता है तो वो कुछ खुल के कर नहीं पाता....
संध्या – वो सब तो ठीक है लेकिन वो किस तरह के क्राइम करता है...
गुलगुले – मैडम वो वही सब.. गांव के भोले भाले मासूम लोगो को कर्ज में डूबा के फिर... कर्ज के बदले में उनके घर की बहू बेटी के साथ....और कही बार तो जबरजस्ती...
संध्या – छी...कितना नीच आदमी है... और वो आज तक खुला घूम रहा है...(संध्या गुस्सा हो उठी)
गुलगुले – मैडम कोई उसके खिलाफ गवाई ही नही देता...न उसकी कोई आगे आके FIR किया....
संध्या – क्या उम्र होगी उसकी....
गुलगुले – 60+ होगा...
संध्या जोकि पढ़ाई लिखाई में सब से आगे थी..और दिमाग से और ताकत में भी...पर उसे यौन संबंधों और सेक्स के बारे में इतना ज्ञान नहीं था...वो एक घरेलू महिला से भी कम इन सब के बारे में ज्ञान रखती थी...संध्या का न कोई कभी बॉयफ्रेंड रहा था न उसके साथ ऐसी बात कोई करता...वो बस अपने पति सूरज के साथ हमबिस्तर हुए थी...वो भी तब जब उसकी नौकरी लग गई...और बहोत कम ही बार वो यौन संबंध बना पाई थी...उसे तो लगता था कि इतना बुड्ढा आदमी कैसे एक औरत के साथ कुछ कर भी पाएगा...
संध्या – (थोड़ा शर्म के साथ लेकिन छुपा के पूछ लेती है) अच्छा इतना बुड्ढा होके भी...ची...अपनी उम्र का तो लिहाज करता...
गुलगुले – (जॉस में आके) मैडम मुखी बस उम्र में बड़ा है लोग बोलते है बिस्तर में तो वो आज भी औरतों को रुला दे....
संध्या ये सुन एक दम चोक गई और उसकी योनि में एक हलचल हो उठी और साथ में ही उसके दिमाग में साथ में गुस्सा भर उठा और वो गुलगुले को एक थप्पड़ जड़ा दी....
गुलगुले – सॉरी मैडम...
संध्या – अपनी जवाब पे लगाम लगाना सीखो... कुछ तमीज ही नही है आप में.. बाहर जाओ...
संध्या का गोरा रंग गुस्सा होकर लाल मिर्च जैसा हो उठा...वो मन ही मन ठान ली की इस मुखी को जेल भेज के ही यहां से जाएगी....
संध्या गहरी सोच में थी की उसके पति सूरज का कॉल आया...और वो सब भूल बाते करने लगे...
नोट – यहां संध्या का पति सूरज और पारुल का बेटा सूरज दो अलग अलग लोग हे...
Thnks bhai bas comments karate raheBehtareen story line hai bhai, zabardast updates maaza agaya padkar