If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
Incestसंस्कारी पारुल का पुनविवाह (मां बेटा और सोत्तेला बाप)
मुखी और पारुल खेत में एक दूसरे के सामने खड़े हुए अपने अपने ख्यालों में खो चुके थे की अचानक ही कही एका एक जंगली सुवर खेत से भागता हुआ उनकी और आने लगा... पारुल डर के मारे चिल्ला उठी... दूर खड़ा सूरज ये देख भागता हुआ खेत की और आने लगा... जब तक सूरज वहा पहुंचा सूरज ने जो नजारा उसकी आखों से देखा वो देख वो गुस्सा भी हुआ उस अपने सौतेले बाप से उस जलन होने लगी...सामने उसकी प्यारी मां डरी हुई मुखी की बाहों में किसी छोटी बच्ची जैसे समा गई थी...पारुल ने मुखी को कस के पकड़ रखा था और मुखी कहा पीछे रहता वो तो पारुल के खुले बदन को सहलाने लगा था...और पारुल के डर का पूरा फ़ायदा उठा रहा था...
सूरज – मां आप ठीक होना...
पारुल अचानक होस में आते हुए मुखी से अलग हुए उसके गोरे गाल शर्म से लाल होने लगे...और खुद पे गुस्सा करने लगी की केसे वो मुखी की बाहर में आ गई....
मुखी – (कठोर आवाज में) बेटा में हुना मेरी पत्नी के लिए आप हमे अकेला छोड़ दे...हर बात हमारे बीच आना जरूरी है क्या... (पारुल के मखमले बदन को अपने से दूर होता गया देख मुखी अपना आपा खो चुका था..)
मुखी का ऐसा गुस्सा देख दोनो मा बेटे डर जाते हे पारुल की तो हालत खराब हो गई... अब उसे समझ आ रहा था की अब उसके खुद के जिस्म पे भी उसका नही उसके नई पति का ज्यादा अधिकार है और उसका पति ये अधिकार लिए बिना नही रहेगा...मन ही मन पारुल ये सोच के अपनी सुखिर योनि को गीला कर दी...
मुखी अपने खेतो में चला गया और पारुल और सूरज घर की और चल दिए...सूरज अपनी मां की उभरी हुई नितभ और पतली कमर देख फिर से उत्तेजित होने लगा...उसका दिल हुआ की अभी मां को पकड़ के उनके सुनहरे बदन का आलिंगन लू उन्हे सहला के उन्हे अपनी और आकर्षित करू...की दूसरे ही पल वो अपने इसे विचार को गलत बोल के खुद को शांत करता है...
सारा दिन सूरज के दिमाग में दोस्ती की कही बाते चल ताहिर थी "सूरज तेरी मां को क्या वो बुड्ढा चोदेगा नही तेरी मां तो मरे हुए में भी जान फूंक दे यार... उफ्फ उसकी चूचियां"
"भाई तेरी मां को तो सारा गांव अपनी पत्नी बनाना चाहता है"
"भाई कभी पारुल चाची को नंगा नही देखा क्या तू यार में तो देख के ही निकल दू"
"भाई अब तेरी मां की सुहागरात देखने जा रहा है क्या नई बाप के घर"
ये सब उसके हमारी दोस्त बोलते थे उसे...पर तब सूरज अपनी मां पे इतना गुस्सा था की वो सब सुन लेता था...और मन ही मन उसके दिल में भी अपनी मां के लिए शारीरिक आकर्षण उत्पन हो चुका था...लेकिन वो मना कर देता खुद को....
सूरज अपने बिस्तर में पड़ा था कब अपनी मां के ख्यालों में खो गया और कब उसने अपना विशाल काला मोटा लिंग अपने हाथो मे ले कर अपनी ही मां को सोचता हुआ लिंग को सहलाने लगा उसे भी पता न चला....
और अचानक ही उसे वो रात याद आ गई जब उसके पापा उसकी प्यारी मां को नंगे हो कर अपना प्यार दे रहे थे उसे उसकी मां की नंगी टांगें हवा में दिखने लगी...कैसे उसके पापा ने उसकी मां को अपने नीचे दबोच रखा था और उसकी मां कामुकता से भरी शिकसारिया निकल रही थी जो पूरे घर में गूंज रही थी...इतना सोच के ही वो अपना मां निकल देता है....
सूरज – आह आह आह मां..... मां......
जैसे ही लिंग की गर्मी शांत हुए...सूरज खुद पे गुस्सा होने लगा की केसे वो ऐसा बन गया...उसने क्या कर दिया.. अपने दोस्तो की गलत संगत ने उसके साथ क्या कर दिया...लेकिन गलती तो मेरी है... मैं कैसे अपनी मां का साथ...छी... वे केसा पाप हो गया...और सूरज अंदर ही छोड़ घुटन महसूस करते हुए लेता रहा.....
दूसरी ओर खेत में....
एक महिला मजदूर – मुखिया जी कैसी रही पहली रात... लगता है अब तो आप हमे भूल जाएंगे...
मुखी कविता को अपनी बाहों में भर लिया और उसके स्तनों को ब्लाउज के उपर से सहलाते हुए बोला...
मुखी – थोड़ी सरमिली हिरण है... उसे तो एक बार में खाने में कोई मजा नही...देखना उसे इतना प्यार दूंगा की खुद आके बैठ जाएगी... और कितने दिन रह पाएगी बिना मर्द के प्यार के...
मुखी कविता का ब्लाउज खोल दिया और उसके ब्लाउज को उतारते हुए मुखी कविता की पसीने से भीगी गरदन को चूमता उसे अपनी और कर... कविता के काले अंगूर जैसे लंबे स्तनों को अपने मुंह में भर किसी बच्चे के जैसे चूसने लगा...
एक हाथ से कविता का स्तन दबाने से एक पतली सी दूध की धार गिरने लगी...और कविता की सिसक निकल गए...
कविता – मालिक ऐसे नीचे न गिराओ.. बच्चा भी भूखा है आप के पीने के बाद जो बचाता वही उस मिलता है मालिक...
मुखी – चुप कर रण्डी... पता नही क्या तेरा मर्द ने क्या बोला है अब तू बस नाम की उसकी पत्नी है... तेरे हर एक अंग पे बस मेरा हक हे...
कविता का पति नीचे मुंह कर – मालिक इसे माफ कर दो आप बुरा मत लगाना...
कविता का मुंह के हाव भाव एक दम से बदल गई थे उसकी ममता जाग गई हो जैसे वो बिना मन के मुखी को स्तनपान करने लगी...
मुखी भी कविता के स्तन को बीच बीच में काट रहा था जिस से उसकी आह निकल जाती और बिचारे उसके पति मनीलाल की आखों से आसू निकल रहे थे अपनी खुद की पत्नी को इसे देख....
Suraj aesa plan kre ke Mukhi Parul se smbndh hi na bna pay Suraj Mukhi ki asliyay Parul Ko dikhay
Or suraj phle khud Ko strong kre job etc
Phir Parul ke sth love life strt kre