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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

Ggco-M1o-Ww-AAevx-P

आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

DREAMBOY40

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बहुत बहुत बधाई हो मित्र, तीन साल तक लगातार टिके रहने और बैटिंग करते रहने के लिए, दोहरा शतक आप पहले ही पूरा कर चुके हैं, 1000 से ऊपर रन भी हैं, और स्ट्राइक रेट का तो क्या ही कहना, इसी तरह पिच सूखी हो या गीली, अपडेट के छक्के चौके लगाते रहें, बहुत बहुत बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
परफारमेंस तो मास्टर ब्लास्टर वाली देने की कोसिस करता रहुन्गा बस आपकी यादगार कमेन्ट्री की याद सताती रहेगी ।
साथ बनाये रखने के लिए आभार
 

DREAMBOY40

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UPDATE 208


रिन्की और दुलारी

दोपहर मे काम निपटा कर दुलारी रिन्की को लेकर समान लेने के बहाने चमनपुरा बाजार निकल गयी ।

रिन्की - क्या भाभी , वो सब जरुरी है क्या लेना ?
दुलारि अपने सर पर पल्लू आगे करती हुई धीरे से बोली - अच्छा ये बता , ये दुकाने बाजारे इतनी सजी और जगमग कयू रहती है ।

रिन्की - अरे भाभी ताकी ग्राहक ज्यादा आये उन्के यहा
दुलारी- हा तो जब तेरी दुकान सजी रहेगी तभी तो तेरा माल आयेगा लेने

रिन्की लजाई - भक्क भाभी आप बस सपने दिखा रहे हो , भैया तो मुझे ताकते भी नही । नयी वाली भाभी को देखी कितनी सेक्सी है और मै दूबली पतली ऊहह

दुलारी- अरे मेरी लाडो, फिकर ना कर तेरे ये चुजे की चोंच देख कर ही तेरा माल बावरा हो जायेगा , आ इस गली मे चलते है ।

रिन्की - भाभी यहा कितनी दुकाने है और सब पर जेन्स लोग है कैसे लेंगे यहा ?

दुलारी- तु चुपचाप चल , आगे देखते है

थोड़ी दूर बढ़ने पर रिन्की ठिठक कर खड़ी हो गयी , उसकी आंखे फैल गयी और गला सूखने लगा ।
दुलारी उसका हाथ पकड़ कर खिन्चती हुई - क्या हुआ चल ना

रिन्की ने आंखो से सामने एक दुकान पर इशारा किया , जिसपे अनुज बैठा हुआ था ।

दुलारी की आंखे चमक उठी - अरे ये तो वही है ना ? शादी वाला आशिक़

रिन्की खुश हुई और लजाती हुई धीमी अवाज मे - हा भाभी और वो नई भाभी का सगा भाई है ।

दुलारी - हा हा पता है, चल चलते है
रिन्की अपनी कलाई छुड़ाती हुई - क्या ! नही नही प्लीज भाभी

दुलारी- अरे समान मै लूंगी ना , तु बस बातें करना उससे चल

रिन्की असहज होकर दुलारी के साथ अनुज के दुकान पर चली गयी ।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और जैसे ही दुकान पर उसकी नजरे अनुज से टकराई वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर ली
अनुज और रिन्की दो शर्म से गाढ़ हुए जा रहे थे और दुलारी उन्हे देख कर मुस्कुरा रही थी ।

अनुज ने दुलारी को नमस्ते किया ।
दुलारी- ओहो पहचान रहे हो क्या आप हमे
अनुज मुस्कुरा कर एक नजर रिन्की को देखा और हा मे सर हिलाता हुआ - जी आप दीदी की शादी मे आई थी ना
दुलारी - फिर इनको भी पहचानते होगे

दुलारी ने रिन्की की ओर इशारा किया तो अनुज ने हा मे सर हिलाते हुए - जी इनको भी साथ मे देखा था ।

दुलारी- बस देखा था !
अनुज - हा वो मै , अच्छा आप लोग बैठिये मै कुछ मगाता हूँ , क्या लेंगी आप लोग

रिन्की - नही कुछ नही
दुलारी दुकान का स्टूल पकडती हुई - भई मेरी देवरानी का पीहर है तो मै तो खा पी कर ही जाउंगी हिहिहिही

अनुज रिन्की से - अरे बताईये ना

दुलारी ने रिन्की को छेड़ते हुए - अरे इसको लम्बी डंडे वाली मलाई कुल्फ़ी पसंद है , मिलती है क्या इधर

अनुज - हा यही मोड पर है वो घूमता रहता है और आप
दुलारी- अह , मुझे तो कुछ भी चलेगा जूस चाय कुछ भी

अनुज - बस दो मिंट आया
और अनुज दुकान से बाहर निकल गया ।

रिन्की हस्ती हुई - धत्त क्या भाभी वो क्या सोचेगा कि हम लोग खब्बू है और अपने लिये जूस तो मुझे मलाई कुल्फ़ी क्यूँ

दुलारी हसती हुई - बेटा खोज तो आज कल तु मलाई कुल्फी ही रही है हिहुहि क्यू

रिन्की - धत्त भाभी आप भी ना
कुछ ही देर मे अनुज जूस और कुल्फी लेके हाजिर हुआ और दोनो को दे दिया
दुलारी ने जूस का गिलास होठ से लगाया तो रिन्की ने रबड़ी लिभ्डी कुल्फ़ी के टिप को होठो से लगा कर सुरकने लगी ।

वो अनुज के सामने ऐसे पेश आने से लजा रही थी और अनुज से कनअंखियो से कुल्फी चुसते चाटते देख रहा था ।

अनुज - अच्छा अब बताओ क्या सेवा करू आपकी

दुलारी बुदबुदाइ - अरे इसको पटक के चोद दे बस
अनुज - जी
रिन्की ने मुस्कुरा कर दुलारि को देखते हुए कुल्फी का बाइट लिया ।
दुलारी जूस का गिलास रखती हुई - वो रिन्की के लिए जरा ब्रा पैंटी के सेट देखना था

दुलारी ने डायरेक्ट बोल दिया और रिन्की के गले कुल्फ़ी का टुकड़ा अटकते अटकते रह गया , वो खासने लगी ।

दुलारी और अनुज दोनो का ध्यान रिन्की की ओर गया ।
अनुज ने फिकर लपक कर पानी का बोतल उठाया और उसकी ओर बढाता हुआ - लिजिए पानी पी लिजिए

हाथ मे पानी का बोतल पकड़ते ही रिन्की और अनुज दोनो को शादी के रात वाली वो दासता याद आ गयि जब रिन्की ने बड़ी बेबाकी से अनुज के हाथ जूठा पानी पी लिया था ।

रिन्की ने कुल्फ़ी जूस के ग्लास मे रख कर पानी के बोतल से पानी पिया और बैठ गयी ।

दुलारी ने देखा अनुज की नजर अब भी रिन्की को देख रही है ।
दुलारी- दिखाईये ना

अनुज हड़बड़ाया - जी साइज क्या होगा

दुलारी- रिन्की क्या साइज़ है तेरा
रिन्की गले से थुक गटकती हुई धीरे से दुलारी के कान मे बोली - 30B
दुलारी- हा बाबू 30B देना और निचे का
रिन्की लजाती हस्ती हुई दुलारि का बाजू पकड़ कर उसपे लोटने सी लगी ।

दुलारी- अरे बोल ना
रिन्की - 32
दुलारी हस कर - निकाल दो बाबू 32 , और सुनो
अनुज - हा
दुलारी- जरा फैंसी मे दिखाना वो चला है ना डोरी वाला

रिन्की - क्या भाभी , नही जी वो सब मत दिखाना ।
दुलारी थोड़ा खुलती हुई - अरे अभी तो तेरे उमर है , अभी पहन ले नही तो शादी होने के बाद कहा ये सब नशिब होगा ।
रिन्की मुह बनाती हुई - जैसे आप बडा पहनते थे शादी से पहले

दुलारी- अरे मै पहन लेती , मगर मेरा साइज़ देखा है ना , वो थोडी ना थाम पायेगा

रिन्की अब तो लाज से हस्ती हुई दुलारी पर झोल ही गयी और अनुज भी दुलारी की फुहरपने पर शर्माता हुआ मुस्कुराने लगा ।

दुलारी- अच्छा ठिक है बढिया लेस वाली दिखाना
अनुज ने फटाफट दो तीन डब्बे निकाले और आगे परोस दिया ।

दुलारी खुले मन से पूरे काउंटर पर ब्रा पैंटी फैला कर उसकी क़्वालीटी और साइज़ देखने लगी ।
रिन्की और अनुज बस चोर नजरों से एक दुसरे को निहारते लजाते रहे ।
रिन्की - भाभी बस करो लेलो कोई एक और चलो

दुलारी - अरे ऐसे कैसे , पहले नाप तो ले , यहा कोई चंजीग रूम है क्या ?

अनुज थोडा असहज होकर एक नजर रिन्की को देखता है - वैसा तो कुछ नही है पर पीछे कमरा है चले जाओ ।

दुलारी ने दो जोड़ी ब्रा पैंटी दिये और उसको लेके कमरे मे चली गयी ।
बारि बारी से उसने चेक करवाया और कुछ देर बाद अकेले बाहर आ गयी ।

दुलारी दूकान मे आई और बोली - अच्छा और भी कोई रहता है क्या ?
अनुज - हा भैया भी , क्यूँ
दुलारी- वो कहा है ?
अनुज - वो अभी खाना खाने उपर गये है ।
दुलारी ने आस पास नजर घुमाई और फिर सड़क की आते जाते लोगो को देखा और फिर अनुज को देख कर आंखो से इशारे कर बोली - जाओ मै हु बाहर

अनुज चौका - क्या ?
दुलारी फुसफुसा कर - अरे धिरे बोलो और कमरे मे जाओ , मै हु इधर

अनुज सकपकाया उसकी धडकने तेज होने लगी , गला सुखने लगा - म मै समझा नही ,

दुलारी उसको पकड़ कर कमरे की ओर धकेलती हुई - ओहो सम्झाने का समय बाद में भी मिलेगा , अभी जाओ

अनुज दरवाजे से टकराता हुआ कमरे मे आया तो सामने रिन्की अपने समान्य कपड़ो मे खड़ी थी

अनुज अटकता हुआ - वो भाभी ने भेजा मुझे , क्या हुआ साइज़ सही है ना

रिन्की भी नजरे चुरा रही थी उसकी सासे धधक रही थी चेहरे पर फीकी मुस्कान थी और कलेजा काप रहा था - अह हा सब सही है और कलर भी ठिक है , एक सेट तो मैने पहन ही लिया हिहिही

अनुज उसके अजीब बरताव को मुह बना कर देख रहा था , देख रहा था कि उसकी उंगलियाँ बेचैनी मे एक दुसरे को कैसे तोड मरोड रही थी । देख रहा था हनहनाते पंखे की हवा मे उसके चेहरे नथुनो और सीने पर उभरा हुआ पसीना ।
उसके फड़कते होठ जो बेताब कुछ कहने को या कुछ करने को , हिलते पाव और चंचल निगाहो को , जो एक जगह ठहर नही रही थी ।

अनुज - अच्छा ठिक है मै जा रहा हु
रिन्की ने हिम्मत दिखाई और बोली - रुको
अनुज - हा कहो
रिन्की झिझक भरे लहजे मे - वो मै ये कह रही थी
अनुज उसके फूलते सीने को निहार रहा था और रिन्की उसकी नजर निहार रही थी ।
अनुज की नजरे एकाएक उससे टकराई और वो सहमा और थुक गटकता हुआ वो रिन्की की आंखो देख रहा था ।
रिन्की इधर उधर फिर से आंखे नचाने लगी और फिर अचानक से लपक कर अनुज पर झपटी और उसके होठ अपने होठ से दबोच लिये ।

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अनुज की आंखे फैल गयी , वो छुड़ाने को छ्टपटाया मगर रिन्की उसके गले मे अपने हाथ का पट्टा बना कर जकड रखा था और उसके होठ जबरजस्ती चुसे जा रही थी ।
अनुज पूरी ताकत से उससे अलग होकर हाफता हुआ - ये क्या था ?

रिन्की अनुज के माथे पर उभरी हुई नाराजगी से थोड़ा डरने लगी और थोड़ा शर्मिंदा थी - सॉरी , बट तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो

अनुज अपने लिप्स पर उन जगहो पर उन्गलियो से टैप कर रहा था जहा उसे रिन्की के दाँत मह्सूस हो रहे थे - तो तुम ये कह सकती थी, ये क्या तरीका हुआ बताने का ?


रिन्की तुनक कर मुह बनाती हुई - सुना था तुमने क्या उस रात और कितना डरते हो तुम

अनुज अपनी कमजोरी से बखूबी वाकिफ था मगर फिर उसके पास सवाल कई थे - हा लेकिन समय तो चाहिये होता है ना ऐसे किसी से दिल की बात कह दूँगा ।

रिन्की उदास होकर - तुम समय निहारते रहना और मै परसो अपने घर चली जाउन्गी ।

अनुज - क्या , लेकिन क्यू । मतलब जल्दी क्या है ?
रिन्की अनुज को बेचैन देख कर - तुम्हे भला उससे क्या ? मेहमान हु यहा घर थोड़ी है मेरा ।

रिन्की - और मै कौन सा तुमसे जनम जनम का साथ निभाने को कह रही थी , वो तो बस कुछ पल

अनुज अचरज भरी मुस्कुराहट- मतल्ब
रिन्की मुस्कुराई लजाई - मतलब तुम सब जानते हो ,हटो अब जाने दो तुम किसी काम के नही हुह

रिन्की आगे बढ़ने को हुई कि अनुज ने उसकी बाजू पकड़ अपनी ओर खीचा और उसके होठ के पास अपने होठ ले गया और उसको करीब से निहारते हुए उसकी आँखो की नाचती पुतलियों को देखता हुआ - अच्छा तो मै किसी काम का नही हूँ, रुको

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अनुज ने उसके होठ अपने होठ मे जोड़ लिये और दोनो एक दुसरे को चुसने लगे , रिन्की अनुज को अपनी बाहों ने भरने लगी और अनुज उसके चुतड़ मसलने लगा ।

तभी बाहर से आवाज आई - रिन्की घर से फोन आ रहा है चलो
दोनो अलग हुए अनुज संशय भरि नजरों से उसे देखता हुआ - रुक जाओ ना कुछ दिन

रिन्की उसकी आंखो मे निहारती हुई - परसो आओगे तब देखती हूँ

ये बोलकर वो उसके गाल चूम कर बाहर जाने को हुई कि अनुज की नजर फर्श पर बिखरी हुई रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी और वो लपक कर उठाता हुआ - अरे ये रह गया तुम्हारा ।

रिन्की शरारती मूड मे मुस्कुरा कर - रखो अपने पास मेरी याद दिलायेगा तुम्हे

अनुज शौक्ड भी हुआ और खुश भी और उसने चुपके से वो दोनो ब्रा पैंटी जेब मे डाल दी और बाहर आ गया ।

दुलारी के आगे अब भी दोनो मुस्कुरा शर्मा रहे थे
दुलारी ने कुछ नही कहा और फिर वो निकल गये घर के लिए

राहुल के घर

दुकान मे
शालिनी - अरे तेरे पापा कहा गये
राहुल - पता नही मम्मी , बोले अभी आता हूँ
शालिनी - अरे इनको रोज कुछ ना कुछ घटा रहता है बाजार घूमने निकल जाते है ।

इनसब के बीच अरुण की निगाहे अपनी मामी के गुदाज पेट की गहरि और कामुक नाभि पर जमी थी जो सीलिंग फैन की हवा से पल्लू के नीचे से झाक रही थी ।

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शालिनी की नजरे एकाएक अरुण की ओर गयी तो उसने उसकी नजर का पीछा कर पल्लू से पेट धकती हुई - आजाओ बाबू तुम खाना खा लो

अरुण ने एक नजर राहुल की ओर देखा तो राहुल ने जाने का इशारा किया ।
इधर अरुण उठने को हुआ तो शालिनी घूम कर गलियारे से हाल की जाने लगी ।
गलियारे से हाल मे दाखिल होते ही रोशनी उसका मोटा पीछवाडा और लचकदार कमर की थिरकन देख कर गलियारे के अन्धेरे मे अरुण ने अपना लन्ड भिन्चा और फिर किचन मे चला गया

शालिनी खाना परोस रही थी और अरुण सिंक मे हाथ धूल रहा था और उसकी नजर अपनी मामी के कुल्हे पर कसी हुई साड़ी पर थी जिसमे उसके चुतडो की गोलाई साफ साफ उभरी हुई थी ।

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मोटा पिछवाडा देख कर अरुण के ध्यान वो सीन याद आया जब उसने पल भर के लिए शालिनी को मूतते देखा था ।


शालिनी - हम्म लो बाबू खा लो
अरुण ने शालिनी के हाथ से थाली ली और हाल मे बैठ कर खाने लगा , उसकी नजर किचन मे ही जमी हुई थी ।

शालिनी को भी आभास था कि उसके चुतडो पर अरुण की नजर है उसने उसे सताने का सोचा
वो भी एक प्लेट मे खाना लेके आई और उसके पास मे बैठ कर खाने लगी ,

मामी के एकदम से करीब बैठने से अरुण को बेचैनी होने लगी , इधर शालिनी ने रेमोट से टीवी चालू कर दिया उसकी नजरें सिरियल पर थी और वो ये भी जान रही थी कि उसके भांजे की निगाहे रोटियाँ चबाते हुए उसके दूध के टैंकर भी निहार रहे है ।

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पल्लू पहले से ढीला रखा था , उसपे से ब्लाउज का लो कट गला जिसमे से झाकते हुए खरबूजे के जोड़े

इधर शालिनी खाना खतम करने को हुई थी और उठने जा रही थी कि उसकी साड़ी सोफे के एक बटन मे कही उलझी और उसका पल्लू पुरा का पुरा सीने से उतर गया ।

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भांजे के आगे अपना जोबन अपने जुठे हाथों से कैसे छिपाती साड़ी का पल्लू खिंचने मे हाथ से प्लेट सरक कर गिर गयी और दाल और बची हुई सब्जी फर्श पर दाग छोड़ती हुई पसर गयि अलग सो ।

शालिनी ने किसी तरह से अपनी साडी छुड़ाया और अपने भांजे से बिना को बात चीत किये सीने को ढकती मुस्कुराती हुई प्लेट उठा कर किचन मे चली गयी ।
हाथ मुह धूल कर वो झटपट बाथरूम की ओर गयी और वहा से एक बालटी लेके हाल मे दाखिल हुई

अबकी अपनी मामी को देख कर अरुण की आंखे बड़ी हो गयी ,
शालिनी अपनी साडी घुटनो तक उठा रखी थी , पल्लू घूम कर कमर मे फसा हुआ था । हाथ मे पोछे वाली बालटी लेके आ पहुची थी ।
अरुन मुह मे निवाला चबाता हुआ अपनी मामी की गोरी गोरी चिकनी पिंडलियों को निहारने लगा ।

शालिनी मुस्कुराते हुए बैठ गयी और बालटी से पोछा निकाल कर अरुण मे पास ही पोछा लगाने लगी ।

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घुटनो के बल आगे की ओर झुकी हुई शालिनी की चुचियों बलाऊज मे लतके हुए खुब हिल रही थी , मानो अब बाहर आ जाये मगर ब्रा मे उन्हे काफी हद तक अपने गिरफत मे ले रखा था ।

शालिनी ने अरुण की आंखो मे देखा और उसकी चोरी पकड कर मुस्कुरा दी - और कुछ चाहिये क्या बाबू

अरुण निवाला गटक कर ना मे सर हिलाया और

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शालिनी पोछा लगा कर उठी और बालटी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगी , अरुण ने शालिनी की घुटने तक उठी साडी मे थिरकते उसके मोटे मोटे चुतड़ देखे तो उसको रहा नही गया ।
वो लपक कर किचन मे थाली रख कर सिंक मे हाथ धुला और अपने लोवर मे पीछे की तरह हाथ रगड़ता साफ करता हुआ तेजी से बाथरूम की बढ़ गया ।बाथरूम से बालटी मे पानी भरने की आवाजें आ रही थी और कपड़े कचारने की भी ।
अरुन ने हल्का सा भीडके हुए दरवाजे से झाक कर देखा तो उसकी आंखे फैल गयि ।

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बाथरूम के उसकी मामी सिर्फ पेतिकोट मे बैठी हुई अपने जिस्म से उतारे हुए कपड़े धूल रही थी ।
दरवाजे का हैंडल पक्ड कर अरुण बाथरूम मे झाक रहा था और लोवर मे उसका लन्ड तना हुआ था ।
तभी दरवाजे के कब्जे मे हलचल हुई या फिर अरुण के हाथों का दबाव हैंडल पर ज्यादा हुआ और चोईईई की आवाज करता हुआ बाथरूम का दरवाजा भीतर की ओर खुल गया

सामने शालिनी चौक कर सरफ की गाज वाले हाथ से अपने खुले हुए चुचे छिपाती हुई - अरे बाबू तुम यहा

अरुन नजरे चुराने लगा - वो मामी मुझे बाथरूम यूज़ करना था तो सॉरी वो मै

शालिनी - अरे तो बेटा पाखाना बगल मे है ना
अरुण की नजरे शालिनी की मोटी मोटी पपीते जैसे चुचियों पर थी वो अटकता हुआ - नही वो मुझे पैर धूलना था और दाल मेरे पैर पर भी गिरी थी

अरुण ने पाव आगे कर कर जुठ के दाग दिखाया और शालिनी को असहज मह्सुस हुआ कि उसकी जुठन गिरने के बाद भी अरुण ने कोई शिकायत नही की ।

शालिनी ने सामने से कपड़े हटाये और उसको पैर आगे करने को बोला ।

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अरुण ने पैर आगे किये और शालिनी पानी डालती हुई उसके पैर धूलती हुई - वही देखो ना मेरी साडी भी खराब हो गयी और फिर यहा उपर ब्लाउज मे भी दाग लग गया था ।

शालिनी बड़बड़ा रही थी और अरुण की निगाहे उसकी मोटी मोटी झूलती थन जैसी छातियों पर थी ।

शालिनी - लो हो गया
अरुण - हा लेकिन मुझे अब लोवर भी बदलना पड़ेगा

शालिनी - क्यू क्या हुआ
अरुण - अरे देखो ना मामी यहा वहा छीटें गये हुए है

शालिनी - अरे हा , ला बेटा निकाल धूल देती हु इसे ,

अरुण मुस्कुरा कर लजा कर - अह नही नही बाद मे
शालिनी - अरे निकाल ना , क्यू जिद कर रहा है

अरुण हस कर - मामी वो मैने निचे कुछ पहना नही है

अरुन का जवाब सुनते ही शालिनी की नजर सीधा उसके लोवर मे बने तम्बू पर गयी और वो हसती हुई - क्यु

अरुण - मामी वो कच्छी मेरी बड़ी मामी के यहा छूट गयी है

शालिनी - अच्छा
अरुण - आप कहो तो निकाल दूँ
शालिनी ने उसका शरारती चेहरा देखा और हस्ती हुई खडी हुई और उसको बाथरूम से बाहर करती हुई - चलो हटो बदमाश कही के , जाओ कमरे से बदल कर लाओ ।

अरुण हसता हुआ बाहर आ गया और शालिनी ने दरवाजा भिड़का दिया ।
अरुण झट से कमरे मे गया और उसने अपनी लोवर निकाली और अपना लन्ड भींचता हुआ सिस्का - अह्ह्ह मामीईई क्या मस्त पपिते है आपके ऊहह हिहिही सच मे मामी हो तो ऐसी हो ।
अरुण का दिमाग नही चल पा रहा था कि वो क्या करे क्या नही , कैसे भी करके वो इस मोमोंट का फायदा लेना चाहता था ।

उसने लोवर निकाला और टीशर्ट मे बाहर आया और बाथरूम के बाहर जीने की अरगन से तौलिया खिंच कर लपेट कर वापस से बाथरूम के आगे पहुच गया
बिना किसी दस्तक के उसने फिर से दरवाजा खोल दिया और सामने शिला पूरी नंगी खड़ी जिस्म पर साबुन मल रही थी


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पुरा का पुरा नंगा जिस्म देख कर अरुण का मुह खुला रह गया आखे बड़ी हो गयी , लन्ड फौलादी हो गया
हाथ से लोवर निचे गिर पड़ा ।

शालिनी एक बार फिर चौकी और अपने चुत को ढ़कती हुई दोनो हाथ क्रॉस किये जिससे साबुन मे मिजी हुई चुचिया सेंटर मे आ गयि , सीधी और तनी हुई ।
गोरी मोटी गोल गोल चुचियों पर भूरे निप्प्ल उसकी खुबसूरती मे दो सितारे के जैसे थे ।

शालिनी - अरे देखा क्या रहा है पागल , जा ना
अरुन हड़ब्डा कर - अह हा हा जी मामी

अरुण नजरे फेरे वापस जा रहा था कि शालिनी ने उसे आवाज दी - अच्छा सुन , अब आ गया तो मेरी पीठ मल दे जरा

अरुण - जी ठिक है
ये बोलकर वो बाथरूम मे दाखिल हुआ
शालिनी उसकी ओर घूम गयी और 40 साइज़ की उसकी बड़ी सी गाड़ अरुण के आगे पूरी नंगी , साबुन के झाग मे झलकती हुई और कामुक लग रही थी ।
शालिनी ने साबुन की टिक्की थमाई और अरुन ने फीसलते हाथ से उसे पकडा और पीठ पर घुमाने लगा ,

मामी को ऐसे छूने की कल्पना तक नही की थी उसने और
शालिनी - हम्म्म जरा और निचे हा और थोड़ा

शालिनी ने अरुण के रेंगते हाथ को दिशा देते हुए कुल्हे तक ले आई थी , मगर अरुण की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो इसपे दाव खेलने का रिस्क उठाये ।

शालिनी उसके इरादे भरपुर जान रही थी , मगर वो भी खुद को रन्डी के जैसे पेश नही करना चाहती थी , तलब तो उसे भी और ये यकीन भी कि इसका लन्ड भी अनुज के जैसे ही कड़ा और मजबूत होगा ।
जवानी के दहलिज पर कदम रखने वाले किशोर छोरे के लन्ड की नसो कसावट आखिर तक ढीली नही पड़ती और अगले राउंड के लिए जल्दी तैयार भी हो जाता है ।

हाल ही उसने 3 जवाँ लन्ड का स्वाद ले चुकी थी उसमे अनुज के लन्ड ने उसकी दिलचसपी इंटर-हाईस्कूल के जवाँ लड़को मे बढा दी थी ।

लोवर मे बने तम्बू को याद कर शालिनी को यकीन था कि अरुण जरुर अनुज के टक्कर का ही होगा , मगर पहल हो कैसे ।
इधर अरुण के हाथ साबुन की तिकीया लिये उसके निचली कमर पर और नंगी चुतड की शुरुवात सीमा तक आ गये थे ,

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शालिनी के जिस्म मे कपकपाहट बढ रही थी उसके हाथ बड़ी कामुकता से अपनी छातीया कलाइयों से मिज रहे थे और एक मदहोशि सी चढ रही थी ।
बेसिन के आईने मे अरुण ने अपनी मामी की खुमारी देखी और शालिनी ने उसकी नजरे टकराई ।
शालिनी की आंखो मे उतरी बदहवासी को देख कर अरुण का कलेजा फडका , हिम्मत पर उसने हाथ आगे बढा का अपनी मामी की नंगे फुटबाल जैसे बडे बडे चुतड़ पर साबुन फिराया

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शालिनी सिस्क कर उसके सामने आंख बन्द कर ली और अरुण साबुन की तिकीया फर्श पर सरका दी और अपने चिकने पंजे को अपनी मामी की गाड़ पर घुमाने लगा , भांजे से स्पर्श से शालिनी सिहर उठी , उसने अपनी चुतड की दरार को कस लिया , जिस्म मे कपकपी सी होने लगी ।
अरुण बस अपनी मामी के चेहरे पर उभतरे हुए कामातुर भावों को पढते हुए अपने फिरात हुआ बीच वाली उंगली को गाड़ के सकरे दरारो के ढलानो पर ले गया ।

शालिनी का पुरा जिस्म गिनगिना गया और वही निचे उसके बुर के छोर के कुछ इंच की दुरी के पहले ही अरुण ने अपनी उंगली फ़ोल्ड कर शालिनी के गाड़ के फाकों मे घुसा दी , जिससे शालिनी उछल पड़ी- अह्ह्ह सुउउऊ

अरुण मुस्कुराया कि तभी हाल से एक तेज आवाज आई - निशा की मा कहा हो ?

ये आवाज अरुण के मामा जन्गी की थी ।
दोनो मामी भांजे की सासे अटक गयी अब क्या हो ,
मगर जवाब तो देना ही थी ।
आवाज की आवृति और तीव्रता से साफ मालूम हो रही थी कि जन्गी बाथरूम की ओर बढ़ रहा था ।

शालिनी ने मुह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया और बोली - अजी मै नहा रही हूँ

जन्गी - अच्छा अच्छा , जल्दी आओ और खाना लगा दो मै कपडे बदल रहा हूं

शालिनी ने हा मे जवाब दिया और जन्गी के कमरे मे जाने की आहट का इन्तजार किया
शालिनी हौले से दरवाजा खोल कर बाहर झाका और अरुण को फुसफुसा कर बाहर जाने का इशारा किया - जाओ जल्दी

फटी तो अरुण की भी थी इसीलिए वो फीके पडे चेहरे के साथ बाथरूम से निकलने लगा ।

शालिनी - अरे तौलिया तो देते जाओ
अरुण - नीचे कुछ नही है
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या तुम भी झट से भाग जाना कमरे मे , जल्दी लाओ नही तो तुम्हारे मामा आ जायेंगे

अरुण का गल सुखने लगा और हड़बडी मे उसने तौलिया निकाला और टीशर्ट खिन्च कर कभी पिछे चुतड़ छिपाता तो कभी आगे तना हुआ मुसल उसको ढ़कता हुआ , सरपट राहुल के कमरे मे भाग गया ।

जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Nice update bhai


Wow..Bhai aag laga di.....
Wonderful update.....


Waiting more valuable updates Bhai

Dhmakedar update Diya bhai ji maja aa gya

Jha ek trf murarai apni Bibi ko tong me dekhne k liye bekrar h

Wahi dusri trf janggi apni Bibi salini ne usko kamalnath wali bat nhi btai usse paresan tha but shella ne apne Bhaiyo ko apni gand or chut chatwa kr or marwa kr mast kar Diya h

Kaire abhi to sirf kamalnath ki wajah se jangi paresan h but ab to Arun bhi salini ko chodne k liye yojna bna rha h ki kab mami usko nangi mile or or Arun salini ki chut or gand chat kr uski thukai kr de dekhte h aage kya kya hota h janggi k sath kya salini ye sab bat batati h jangi se ki nhi yahi dekhna h

Super Update Bhai ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ Awesome Threesome ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🔥🙏❤️❤️❤️❤️❤️💯 Keep It Up Waiting For Next Update

Ab lgta h dhire se poori family ek hogi mazza aayega next update

Sirf ek gif run kar raha hai...baki sab photo ka tarah....
Waiting

Bahut hi behtarin update … update bhi himalaya jaise bade bade baki story mein toh aapke ek updates se 4 ya 5 updates ban jaye …. 👏🏻👏🏻👏🏻😂

bahut hi jabardast..keep posting

Mast mazedaar updates. Threesome ke GIF badhiya hai. Pratiksha agle rasprad update ki

Sb

Shi hai bhai..

When is next update coming bro ?

कुछ तो run हो रहे हैं, पर ज्यादातर टच कर के open करने पर run कर रहे हैं...

Waiting for the next update eagerly

Nice update

Congratulations.

Nice and beautiful

बहुत बहुत बधाई हो मित्र, तीन साल तक लगातार टिके रहने और बैटिंग करते रहने के लिए, दोहरा शतक आप पहले ही पूरा कर चुके हैं, 1000 से ऊपर रन भी हैं, और स्ट्राइक रेट का तो क्या ही कहना, इसी तरह पिच सूखी हो या गीली, अपडेट के छक्के चौके लगाते रहें, बहुत बहुत बधाई

Congratulations guruji 3rd anniversary of this story
NEW UPDATE IS POSTED
 
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I'M BACK
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UPDATE 208


रिन्की और दुलारी

दोपहर मे काम निपटा कर दुलारी रिन्की को लेकर समान लेने के बहाने चमनपुरा बाजार निकल गयी ।

रिन्की - क्या भाभी , वो सब जरुरी है क्या लेना ?
दुलारि अपने सर पर पल्लू आगे करती हुई धीरे से बोली - अच्छा ये बता , ये दुकाने बाजारे इतनी सजी और जगमग कयू रहती है ।

रिन्की - अरे भाभी ताकी ग्राहक ज्यादा आये उन्के यहा
दुलारी- हा तो जब तेरी दुकान सजी रहेगी तभी तो तेरा माल आयेगा लेने

रिन्की लजाई - भक्क भाभी आप बस सपने दिखा रहे हो , भैया तो मुझे ताकते भी नही । नयी वाली भाभी को देखी कितनी सेक्सी है और मै दूबली पतली ऊहह

दुलारी- अरे मेरी लाडो, फिकर ना कर तेरे ये चुजे की चोंच देख कर ही तेरा माल बावरा हो जायेगा , आ इस गली मे चलते है ।

रिन्की - भाभी यहा कितनी दुकाने है और सब पर जेन्स लोग है कैसे लेंगे यहा ?

दुलारी- तु चुपचाप चल , आगे देखते है

थोड़ी दूर बढ़ने पर रिन्की ठिठक कर खड़ी हो गयी , उसकी आंखे फैल गयी और गला सूखने लगा ।
दुलारी उसका हाथ पकड़ कर खिन्चती हुई - क्या हुआ चल ना

रिन्की ने आंखो से सामने एक दुकान पर इशारा किया , जिसपे अनुज बैठा हुआ था ।

दुलारी की आंखे चमक उठी - अरे ये तो वही है ना ? शादी वाला आशिक़

रिन्की खुश हुई और लजाती हुई धीमी अवाज मे - हा भाभी और वो नई भाभी का सगा भाई है ।

दुलारी - हा हा पता है, चल चलते है
रिन्की अपनी कलाई छुड़ाती हुई - क्या ! नही नही प्लीज भाभी

दुलारी- अरे समान मै लूंगी ना , तु बस बातें करना उससे चल

रिन्की असहज होकर दुलारी के साथ अनुज के दुकान पर चली गयी ।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और जैसे ही दुकान पर उसकी नजरे अनुज से टकराई वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर ली
अनुज और रिन्की दो शर्म से गाढ़ हुए जा रहे थे और दुलारी उन्हे देख कर मुस्कुरा रही थी ।

अनुज ने दुलारी को नमस्ते किया ।
दुलारी- ओहो पहचान रहे हो क्या आप हमे
अनुज मुस्कुरा कर एक नजर रिन्की को देखा और हा मे सर हिलाता हुआ - जी आप दीदी की शादी मे आई थी ना
दुलारी - फिर इनको भी पहचानते होगे

दुलारी ने रिन्की की ओर इशारा किया तो अनुज ने हा मे सर हिलाते हुए - जी इनको भी साथ मे देखा था ।

दुलारी- बस देखा था !
अनुज - हा वो मै , अच्छा आप लोग बैठिये मै कुछ मगाता हूँ , क्या लेंगी आप लोग

रिन्की - नही कुछ नही
दुलारी दुकान का स्टूल पकडती हुई - भई मेरी देवरानी का पीहर है तो मै तो खा पी कर ही जाउंगी हिहिहिही

अनुज रिन्की से - अरे बताईये ना

दुलारी ने रिन्की को छेड़ते हुए - अरे इसको लम्बी डंडे वाली मलाई कुल्फ़ी पसंद है , मिलती है क्या इधर

अनुज - हा यही मोड पर है वो घूमता रहता है और आप
दुलारी- अह , मुझे तो कुछ भी चलेगा जूस चाय कुछ भी

अनुज - बस दो मिंट आया
और अनुज दुकान से बाहर निकल गया ।

रिन्की हस्ती हुई - धत्त क्या भाभी वो क्या सोचेगा कि हम लोग खब्बू है और अपने लिये जूस तो मुझे मलाई कुल्फ़ी क्यूँ

दुलारी हसती हुई - बेटा खोज तो आज कल तु मलाई कुल्फी ही रही है हिहुहि क्यू

रिन्की - धत्त भाभी आप भी ना
कुछ ही देर मे अनुज जूस और कुल्फी लेके हाजिर हुआ और दोनो को दे दिया
दुलारी ने जूस का गिलास होठ से लगाया तो रिन्की ने रबड़ी लिभ्डी कुल्फ़ी के टिप को होठो से लगा कर सुरकने लगी ।

वो अनुज के सामने ऐसे पेश आने से लजा रही थी और अनुज से कनअंखियो से कुल्फी चुसते चाटते देख रहा था ।

अनुज - अच्छा अब बताओ क्या सेवा करू आपकी

दुलारी बुदबुदाइ - अरे इसको पटक के चोद दे बस
अनुज - जी
रिन्की ने मुस्कुरा कर दुलारि को देखते हुए कुल्फी का बाइट लिया ।
दुलारी जूस का गिलास रखती हुई - वो रिन्की के लिए जरा ब्रा पैंटी के सेट देखना था

दुलारी ने डायरेक्ट बोल दिया और रिन्की के गले कुल्फ़ी का टुकड़ा अटकते अटकते रह गया , वो खासने लगी ।

दुलारी और अनुज दोनो का ध्यान रिन्की की ओर गया ।
अनुज ने फिकर लपक कर पानी का बोतल उठाया और उसकी ओर बढाता हुआ - लिजिए पानी पी लिजिए

हाथ मे पानी का बोतल पकड़ते ही रिन्की और अनुज दोनो को शादी के रात वाली वो दासता याद आ गयि जब रिन्की ने बड़ी बेबाकी से अनुज के हाथ जूठा पानी पी लिया था ।

रिन्की ने कुल्फ़ी जूस के ग्लास मे रख कर पानी के बोतल से पानी पिया और बैठ गयी ।

दुलारी ने देखा अनुज की नजर अब भी रिन्की को देख रही है ।
दुलारी- दिखाईये ना

अनुज हड़बड़ाया - जी साइज क्या होगा

दुलारी- रिन्की क्या साइज़ है तेरा
रिन्की गले से थुक गटकती हुई धीरे से दुलारी के कान मे बोली - 30B
दुलारी- हा बाबू 30B देना और निचे का
रिन्की लजाती हस्ती हुई दुलारि का बाजू पकड़ कर उसपे लोटने सी लगी ।

दुलारी- अरे बोल ना
रिन्की - 32
दुलारी हस कर - निकाल दो बाबू 32 , और सुनो
अनुज - हा
दुलारी- जरा फैंसी मे दिखाना वो चला है ना डोरी वाला

रिन्की - क्या भाभी , नही जी वो सब मत दिखाना ।
दुलारी थोड़ा खुलती हुई - अरे अभी तो तेरे उमर है , अभी पहन ले नही तो शादी होने के बाद कहा ये सब नशिब होगा ।
रिन्की मुह बनाती हुई - जैसे आप बडा पहनते थे शादी से पहले

दुलारी- अरे मै पहन लेती , मगर मेरा साइज़ देखा है ना , वो थोडी ना थाम पायेगा

रिन्की अब तो लाज से हस्ती हुई दुलारी पर झोल ही गयी और अनुज भी दुलारी की फुहरपने पर शर्माता हुआ मुस्कुराने लगा ।

दुलारी- अच्छा ठिक है बढिया लेस वाली दिखाना
अनुज ने फटाफट दो तीन डब्बे निकाले और आगे परोस दिया ।

दुलारी खुले मन से पूरे काउंटर पर ब्रा पैंटी फैला कर उसकी क़्वालीटी और साइज़ देखने लगी ।
रिन्की और अनुज बस चोर नजरों से एक दुसरे को निहारते लजाते रहे ।
रिन्की - भाभी बस करो लेलो कोई एक और चलो

दुलारी - अरे ऐसे कैसे , पहले नाप तो ले , यहा कोई चंजीग रूम है क्या ?

अनुज थोडा असहज होकर एक नजर रिन्की को देखता है - वैसा तो कुछ नही है पर पीछे कमरा है चले जाओ ।

दुलारी ने दो जोड़ी ब्रा पैंटी दिये और उसको लेके कमरे मे चली गयी ।
बारि बारी से उसने चेक करवाया और कुछ देर बाद अकेले बाहर आ गयी ।

दुलारी दूकान मे आई और बोली - अच्छा और भी कोई रहता है क्या ?
अनुज - हा भैया भी , क्यूँ
दुलारी- वो कहा है ?
अनुज - वो अभी खाना खाने उपर गये है ।
दुलारी ने आस पास नजर घुमाई और फिर सड़क की आते जाते लोगो को देखा और फिर अनुज को देख कर आंखो से इशारे कर बोली - जाओ मै हु बाहर

अनुज चौका - क्या ?
दुलारी फुसफुसा कर - अरे धिरे बोलो और कमरे मे जाओ , मै हु इधर

अनुज सकपकाया उसकी धडकने तेज होने लगी , गला सुखने लगा - म मै समझा नही ,

दुलारी उसको पकड़ कर कमरे की ओर धकेलती हुई - ओहो सम्झाने का समय बाद में भी मिलेगा , अभी जाओ

अनुज दरवाजे से टकराता हुआ कमरे मे आया तो सामने रिन्की अपने समान्य कपड़ो मे खड़ी थी

अनुज अटकता हुआ - वो भाभी ने भेजा मुझे , क्या हुआ साइज़ सही है ना

रिन्की भी नजरे चुरा रही थी उसकी सासे धधक रही थी चेहरे पर फीकी मुस्कान थी और कलेजा काप रहा था - अह हा सब सही है और कलर भी ठिक है , एक सेट तो मैने पहन ही लिया हिहिही

अनुज उसके अजीब बरताव को मुह बना कर देख रहा था , देख रहा था कि उसकी उंगलियाँ बेचैनी मे एक दुसरे को कैसे तोड मरोड रही थी । देख रहा था हनहनाते पंखे की हवा मे उसके चेहरे नथुनो और सीने पर उभरा हुआ पसीना ।
उसके फड़कते होठ जो बेताब कुछ कहने को या कुछ करने को , हिलते पाव और चंचल निगाहो को , जो एक जगह ठहर नही रही थी ।

अनुज - अच्छा ठिक है मै जा रहा हु
रिन्की ने हिम्मत दिखाई और बोली - रुको
अनुज - हा कहो
रिन्की झिझक भरे लहजे मे - वो मै ये कह रही थी
अनुज उसके फूलते सीने को निहार रहा था और रिन्की उसकी नजर निहार रही थी ।
अनुज की नजरे एकाएक उससे टकराई और वो सहमा और थुक गटकता हुआ वो रिन्की की आंखो देख रहा था ।
रिन्की इधर उधर फिर से आंखे नचाने लगी और फिर अचानक से लपक कर अनुज पर झपटी और उसके होठ अपने होठ से दबोच लिये ।

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अनुज की आंखे फैल गयी , वो छुड़ाने को छ्टपटाया मगर रिन्की उसके गले मे अपने हाथ का पट्टा बना कर जकड रखा था और उसके होठ जबरजस्ती चुसे जा रही थी ।
अनुज पूरी ताकत से उससे अलग होकर हाफता हुआ - ये क्या था ?

रिन्की अनुज के माथे पर उभरी हुई नाराजगी से थोड़ा डरने लगी और थोड़ा शर्मिंदा थी - सॉरी , बट तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो

अनुज अपने लिप्स पर उन जगहो पर उन्गलियो से टैप कर रहा था जहा उसे रिन्की के दाँत मह्सूस हो रहे थे - तो तुम ये कह सकती थी, ये क्या तरीका हुआ बताने का ?


रिन्की तुनक कर मुह बनाती हुई - सुना था तुमने क्या उस रात और कितना डरते हो तुम

अनुज अपनी कमजोरी से बखूबी वाकिफ था मगर फिर उसके पास सवाल कई थे - हा लेकिन समय तो चाहिये होता है ना ऐसे किसी से दिल की बात कह दूँगा ।

रिन्की उदास होकर - तुम समय निहारते रहना और मै परसो अपने घर चली जाउन्गी ।

अनुज - क्या , लेकिन क्यू । मतलब जल्दी क्या है ?
रिन्की अनुज को बेचैन देख कर - तुम्हे भला उससे क्या ? मेहमान हु यहा घर थोड़ी है मेरा ।

रिन्की - और मै कौन सा तुमसे जनम जनम का साथ निभाने को कह रही थी , वो तो बस कुछ पल

अनुज अचरज भरी मुस्कुराहट- मतल्ब
रिन्की मुस्कुराई लजाई - मतलब तुम सब जानते हो ,हटो अब जाने दो तुम किसी काम के नही हुह

रिन्की आगे बढ़ने को हुई कि अनुज ने उसकी बाजू पकड़ अपनी ओर खीचा और उसके होठ के पास अपने होठ ले गया और उसको करीब से निहारते हुए उसकी आँखो की नाचती पुतलियों को देखता हुआ - अच्छा तो मै किसी काम का नही हूँ, रुको

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अनुज ने उसके होठ अपने होठ मे जोड़ लिये और दोनो एक दुसरे को चुसने लगे , रिन्की अनुज को अपनी बाहों ने भरने लगी और अनुज उसके चुतड़ मसलने लगा ।

तभी बाहर से आवाज आई - रिन्की घर से फोन आ रहा है चलो
दोनो अलग हुए अनुज संशय भरि नजरों से उसे देखता हुआ - रुक जाओ ना कुछ दिन

रिन्की उसकी आंखो मे निहारती हुई - परसो आओगे तब देखती हूँ

ये बोलकर वो उसके गाल चूम कर बाहर जाने को हुई कि अनुज की नजर फर्श पर बिखरी हुई रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी और वो लपक कर उठाता हुआ - अरे ये रह गया तुम्हारा ।

रिन्की शरारती मूड मे मुस्कुरा कर - रखो अपने पास मेरी याद दिलायेगा तुम्हे

अनुज शौक्ड भी हुआ और खुश भी और उसने चुपके से वो दोनो ब्रा पैंटी जेब मे डाल दी और बाहर आ गया ।

दुलारी के आगे अब भी दोनो मुस्कुरा शर्मा रहे थे
दुलारी ने कुछ नही कहा और फिर वो निकल गये घर के लिए


राहुल के घर

दुकान मे
शालिनी - अरे तेरे पापा कहा गये
राहुल - पता नही मम्मी , बोले अभी आता हूँ
शालिनी - अरे इनको रोज कुछ ना कुछ घटा रहता है बाजार घूमने निकल जाते है ।

इनसब के बीच अरुण की निगाहे अपनी मामी के गुदाज पेट की गहरि और कामुक नाभि पर जमी थी जो सीलिंग फैन की हवा से पल्लू के नीचे से झाक रही थी ।

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शालिनी की नजरे एकाएक अरुण की ओर गयी तो उसने उसकी नजर का पीछा कर पल्लू से पेट धकती हुई - आजाओ बाबू तुम खाना खा लो

अरुण ने एक नजर राहुल की ओर देखा तो राहुल ने जाने का इशारा किया ।
इधर अरुण उठने को हुआ तो शालिनी घूम कर गलियारे से हाल की जाने लगी ।
गलियारे से हाल मे दाखिल होते ही रोशनी उसका मोटा पीछवाडा और लचकदार कमर की थिरकन देख कर गलियारे के अन्धेरे मे अरुण ने अपना लन्ड भिन्चा और फिर किचन मे चला गया

शालिनी खाना परोस रही थी और अरुण सिंक मे हाथ धूल रहा था और उसकी नजर अपनी मामी के कुल्हे पर कसी हुई साड़ी पर थी जिसमे उसके चुतडो की गोलाई साफ साफ उभरी हुई थी ।

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मोटा पिछवाडा देख कर अरुण के ध्यान वो सीन याद आया जब उसने पल भर के लिए शालिनी को मूतते देखा था ।


शालिनी - हम्म लो बाबू खा लो
अरुण ने शालिनी के हाथ से थाली ली और हाल मे बैठ कर खाने लगा , उसकी नजर किचन मे ही जमी हुई थी ।

शालिनी को भी आभास था कि उसके चुतडो पर अरुण की नजर है उसने उसे सताने का सोचा
वो भी एक प्लेट मे खाना लेके आई और उसके पास मे बैठ कर खाने लगी ,

मामी के एकदम से करीब बैठने से अरुण को बेचैनी होने लगी , इधर शालिनी ने रेमोट से टीवी चालू कर दिया उसकी नजरें सिरियल पर थी और वो ये भी जान रही थी कि उसके भांजे की निगाहे रोटियाँ चबाते हुए उसके दूध के टैंकर भी निहार रहे है ।

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पल्लू पहले से ढीला रखा था , उसपे से ब्लाउज का लो कट गला जिसमे से झाकते हुए खरबूजे के जोड़े

इधर शालिनी खाना खतम करने को हुई थी और उठने जा रही थी कि उसकी साड़ी सोफे के एक बटन मे कही उलझी और उसका पल्लू पुरा का पुरा सीने से उतर गया ।

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भांजे के आगे अपना जोबन अपने जुठे हाथों से कैसे छिपाती साड़ी का पल्लू खिंचने मे हाथ से प्लेट सरक कर गिर गयी और दाल और बची हुई सब्जी फर्श पर दाग छोड़ती हुई पसर गयि अलग सो ।

शालिनी ने किसी तरह से अपनी साडी छुड़ाया और अपने भांजे से बिना को बात चीत किये सीने को ढकती मुस्कुराती हुई प्लेट उठा कर किचन मे चली गयी ।

हाथ मुह धूल कर वो झटपट बाथरूम की ओर गयी और वहा से एक बालटी लेके हाल मे दाखिल हुई

अबकी अपनी मामी को देख कर अरुण की आंखे बड़ी हो गयी ,
शालिनी अपनी साडी घुटनो तक उठा रखी थी , पल्लू घूम कर कमर मे फसा हुआ था । हाथ मे पोछे वाली बालटी लेके आ पहुची थी ।
अरुन मुह मे निवाला चबाता हुआ अपनी मामी की गोरी गोरी चिकनी पिंडलियों को निहारने लगा ।

शालिनी मुस्कुराते हुए बैठ गयी और बालटी से पोछा निकाल कर अरुण मे पास ही पोछा लगाने लगी ।

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घुटनो के बल आगे की ओर झुकी हुई शालिनी की चुचियों बलाऊज मे लतके हुए खुब हिल रही थी , मानो अब बाहर आ जाये मगर ब्रा मे उन्हे काफी हद तक अपने गिरफत मे ले रखा था ।

शालिनी ने अरुण की आंखो मे देखा और उसकी चोरी पकड कर मुस्कुरा दी - और कुछ चाहिये क्या बाबू

अरुण निवाला गटक कर ना मे सर हिलाया और

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शालिनी पोछा लगा कर उठी और बालटी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगी , अरुण ने शालिनी की घुटने तक उठी साडी मे थिरकते उसके मोटे मोटे चुतड़ देखे तो उसको रहा नही गया ।
वो लपक कर किचन मे थाली रख कर सिंक मे हाथ धुला और अपने लोवर मे पीछे की तरह हाथ रगड़ता साफ करता हुआ तेजी से बाथरूम की बढ़ गया ।बाथरूम से बालटी मे पानी भरने की आवाजें आ रही थी और कपड़े कचारने की भी ।
अरुन ने हल्का सा भीडके हुए दरवाजे से झाक कर देखा तो उसकी आंखे फैल गयि ।

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बाथरूम के उसकी मामी सिर्फ पेतिकोट मे बैठी हुई अपने जिस्म से उतारे हुए कपड़े धूल रही थी ।
दरवाजे का हैंडल पक्ड कर अरुण बाथरूम मे झाक रहा था और लोवर मे उसका लन्ड तना हुआ था ।
तभी दरवाजे के कब्जे मे हलचल हुई या फिर अरुण के हाथों का दबाव हैंडल पर ज्यादा हुआ और चोईईई की आवाज करता हुआ बाथरूम का दरवाजा भीतर की ओर खुल गया

सामने शालिनी चौक कर सरफ की गाज वाले हाथ से अपने खुले हुए चुचे छिपाती हुई - अरे बाबू तुम यहा

अरुन नजरे चुराने लगा - वो मामी मुझे बाथरूम यूज़ करना था तो सॉरी वो मै

शालिनी - अरे तो बेटा पाखाना बगल मे है ना
अरुण की नजरे शालिनी की मोटी मोटी पपीते जैसे चुचियों पर थी वो अटकता हुआ - नही वो मुझे पैर धूलना था और दाल मेरे पैर पर भी गिरी थी

अरुण ने पाव आगे कर कर जुठ के दाग दिखाया और शालिनी को असहज मह्सुस हुआ कि उसकी जुठन गिरने के बाद भी अरुण ने कोई शिकायत नही की ।

शालिनी ने सामने से कपड़े हटाये और उसको पैर आगे करने को बोला ।

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अरुण ने पैर आगे किये और शालिनी पानी डालती हुई उसके पैर धूलती हुई - वही देखो ना मेरी साडी भी खराब हो गयी और फिर यहा उपर ब्लाउज मे भी दाग लग गया था ।

शालिनी बड़बड़ा रही थी और अरुण की निगाहे उसकी मोटी मोटी झूलती थन जैसी छातियों पर थी ।

शालिनी - लो हो गया
अरुण - हा लेकिन मुझे अब लोवर भी बदलना पड़ेगा

शालिनी - क्यू क्या हुआ
अरुण - अरे देखो ना मामी यहा वहा छीटें गये हुए है

शालिनी - अरे हा , ला बेटा निकाल धूल देती हु इसे ,

अरुण मुस्कुरा कर लजा कर - अह नही नही बाद मे
शालिनी - अरे निकाल ना , क्यू जिद कर रहा है

अरुण हस कर - मामी वो मैने निचे कुछ पहना नही है

अरुन का जवाब सुनते ही शालिनी की नजर सीधा उसके लोवर मे बने तम्बू पर गयी और वो हसती हुई - क्यु

अरुण - मामी वो कच्छी मेरी बड़ी मामी के यहा छूट गयी है

शालिनी - अच्छा
अरुण - आप कहो तो निकाल दूँ
शालिनी ने उसका शरारती चेहरा देखा और हस्ती हुई खडी हुई और उसको बाथरूम से बाहर करती हुई - चलो हटो बदमाश कही के , जाओ कमरे से बदल कर लाओ ।

अरुण हसता हुआ बाहर आ गया और शालिनी ने दरवाजा भिड़का दिया ।
अरुण झट से कमरे मे गया और उसने अपनी लोवर निकाली और अपना लन्ड भींचता हुआ सिस्का - अह्ह्ह मामीईई क्या मस्त पपिते है आपके ऊहह हिहिही सच मे मामी हो तो ऐसी हो ।
अरुण का दिमाग नही चल पा रहा था कि वो क्या करे क्या नही , कैसे भी करके वो इस मोमोंट का फायदा लेना चाहता था ।

उसने लोवर निकाला और टीशर्ट मे बाहर आया और बाथरूम के बाहर जीने की अरगन से तौलिया खिंच कर लपेट कर वापस से बाथरूम के आगे पहुच गया
बिना किसी दस्तक के उसने फिर से दरवाजा खोल दिया और सामने शिला पूरी नंगी खड़ी जिस्म पर साबुन मल रही थी


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पुरा का पुरा नंगा जिस्म देख कर अरुण का मुह खुला रह गया आखे बड़ी हो गयी , लन्ड फौलादी हो गया
हाथ से लोवर निचे गिर पड़ा ।

शालिनी एक बार फिर चौकी और अपने चुत को ढ़कती हुई दोनो हाथ क्रॉस किये जिससे साबुन मे मिजी हुई चुचिया सेंटर मे आ गयि , सीधी और तनी हुई ।
गोरी मोटी गोल गोल चुचियों पर भूरे निप्प्ल उसकी खुबसूरती मे दो सितारे के जैसे थे ।

शालिनी - अरे देखा क्या रहा है पागल , जा ना
अरुन हड़ब्डा कर - अह हा हा जी मामी

अरुण नजरे फेरे वापस जा रहा था कि शालिनी ने उसे आवाज दी - अच्छा सुन , अब आ गया तो मेरी पीठ मल दे जरा

अरुण - जी ठिक है
ये बोलकर वो बाथरूम मे दाखिल हुआ
शालिनी उसकी ओर घूम गयी और 40 साइज़ की उसकी बड़ी सी गाड़ अरुण के आगे पूरी नंगी , साबुन के झाग मे झलकती हुई और कामुक लग रही थी ।
शालिनी ने साबुन की टिक्की थमाई और अरुन ने फीसलते हाथ से उसे पकडा और पीठ पर घुमाने लगा ,

मामी को ऐसे छूने की कल्पना तक नही की थी उसने और
शालिनी - हम्म्म जरा और निचे हा और थोड़ा

शालिनी ने अरुण के रेंगते हाथ को दिशा देते हुए कुल्हे तक ले आई थी , मगर अरुण की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो इसपे दाव खेलने का रिस्क उठाये ।

शालिनी उसके इरादे भरपुर जान रही थी , मगर वो भी खुद को रन्डी के जैसे पेश नही करना चाहती थी , तलब तो उसे भी और ये यकीन भी कि इसका लन्ड भी अनुज के जैसे ही कड़ा और मजबूत होगा ।
जवानी के दहलिज पर कदम रखने वाले किशोर छोरे के लन्ड की नसो कसावट आखिर तक ढीली नही पड़ती और अगले राउंड के लिए जल्दी तैयार भी हो जाता है ।

हाल ही उसने 3 जवाँ लन्ड का स्वाद ले चुकी थी उसमे अनुज के लन्ड ने उसकी दिलचसपी इंटर-हाईस्कूल के जवाँ लड़को मे बढा दी थी ।

लोवर मे बने तम्बू को याद कर शालिनी को यकीन था कि अरुण जरुर अनुज के टक्कर का ही होगा , मगर पहल हो कैसे ।
इधर अरुण के हाथ साबुन की तिकीया लिये उसके निचली कमर पर और नंगी चुतड की शुरुवात सीमा तक आ गये थे ,

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शालिनी के जिस्म मे कपकपाहट बढ रही थी उसके हाथ बड़ी कामुकता से अपनी छातीया कलाइयों से मिज रहे थे और एक मदहोशि सी चढ रही थी ।
बेसिन के आईने मे अरुण ने अपनी मामी की खुमारी देखी और शालिनी ने उसकी नजरे टकराई ।
शालिनी की आंखो मे उतरी बदहवासी को देख कर अरुण का कलेजा फडका , हिम्मत पर उसने हाथ आगे बढा का अपनी मामी की नंगे फुटबाल जैसे बडे बडे चुतड़ पर साबुन फिराया

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शालिनी सिस्क कर उसके सामने आंख बन्द कर ली और अरुण साबुन की तिकीया फर्श पर सरका दी और अपने चिकने पंजे को अपनी मामी की गाड़ पर घुमाने लगा , भांजे से स्पर्श से शालिनी सिहर उठी , उसने अपनी चुतड की दरार को कस लिया , जिस्म मे कपकपी सी होने लगी ।
अरुण बस अपनी मामी के चेहरे पर उभतरे हुए कामातुर भावों को पढते हुए अपने फिरात हुआ बीच वाली उंगली को गाड़ के सकरे दरारो के ढलानो पर ले गया ।

शालिनी का पुरा जिस्म गिनगिना गया और वही निचे उसके बुर के छोर के कुछ इंच की दुरी के पहले ही अरुण ने अपनी उंगली फ़ोल्ड कर शालिनी के गाड़ के फाकों मे घुसा दी , जिससे शालिनी उछल पड़ी- अह्ह्ह सुउउऊ

अरुण मुस्कुराया कि तभी हाल से एक तेज आवाज आई - निशा की मा कहा हो ?

ये आवाज अरुण के मामा जन्गी की थी ।
दोनो मामी भांजे की सासे अटक गयी अब क्या हो ,
मगर जवाब तो देना ही थी ।
आवाज की आवृति और तीव्रता से साफ मालूम हो रही थी कि जन्गी बाथरूम की ओर बढ़ रहा था ।

शालिनी ने मुह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया और बोली - अजी मै नहा रही हूँ

जन्गी - अच्छा अच्छा , जल्दी आओ और खाना लगा दो मै कपडे बदल रहा हूं

शालिनी ने हा मे जवाब दिया और जन्गी के कमरे मे जाने की आहट का इन्तजार किया

शालिनी हौले से दरवाजा खोल कर बाहर झाका और अरुण को फुसफुसा कर बाहर जाने का इशारा किया - जाओ जल्दी

फटी तो अरुण की भी थी इसीलिए वो फीके पडे चेहरे के साथ बाथरूम से निकलने लगा ।

शालिनी - अरे तौलिया तो देते जाओ
अरुण - नीचे कुछ नही है
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या तुम भी झट से भाग जाना कमरे मे , जल्दी लाओ नही तो तुम्हारे मामा आ जायेंगे

अरुण का गल सुखने लगा और हड़बडी मे उसने तौलिया निकाला और टीशर्ट खिन्च कर कभी पिछे चुतड़ छिपाता तो कभी आगे तना हुआ मुसल उसको ढ़कता हुआ , सरपट राहुल के कमरे मे भाग गया ।

जारी रहेगी
Behatareen update dost, ab Anuj ko to Rinki khol rahi hai, bechara kuch zyada hi seedha hai, Ise to Palli ne bhi khol diya tha phir bhi nahi samjha, khair ab line par aane laga hau, wohin adventure queen Shalinii ke liye din pratidin naye naye adventure aate ja rahe hain, Kabhi Anuj Kabhi kamalnath aur abhi Arun, dekhtr hain in sab adventures ke baad agala kya likha hai kismat mein
 
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