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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

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आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
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Auntylover69

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UPDATE 206

राहुल के घर

सुबह के सारे काम निपटा कर शालिनी नहा रही थी , वही कमरे मे अरुण अपने बैग से कपडे निकाल रहा था कि राहुल से पहले वो बाथरूम मे जाये इस आश मे कि नहा कर तरो ताजा हुई मामी का कुछ सेक्सी सा देखने को मिल जाये

इससे पहले अरुण अपनी तैयारी करता राहुल अपना कपडा निकाल कर बिना तौलिया लिये ही भाग कर बाथरूम मे चला गया

अरुण अपने कपडे लेकर मुह लटकाया हाल मे सोफे पर बैठ गया और मोबाइल चलाने लगा ।
तभी उसके कानो मे कहकहाने और हसी ठिठौली की आवाजें सुनाई दी ।
वो बार बार गलियारे मे झाक तो रहा था मगर उसकी हिम्मत नही हो रही थी कि एक बार बाथरूम की ओर किसी बहाने से चला जाये

इधर बाथरूम मे

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" हेईई बदमाश कही का, क्या कर र्हा है हिहिहिही रुक बताती हु " शालिनी अपने जिस्म पर पड़ रही पानी के पाइप की बौछार रोकने की कोसिस करती है ।
मगर राहुल खिलखिलाता हुआ पानी की बौछार से अपनी मा के जिस्म को भिगो रहा था ।
शालिनी के जिस्म पर लिपटी हुई साड़ी पानी से तर बतर हो गयी थी, उसके गोरे मोटे चुचे साडी के बाहर साफ साफ झलक रहे थे

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अपने निप्प्ल पर पड़ रही पानी की चोट से बचने के लिए शालिनी घूम जाती है तो राहुल पानी की धार उसके कुल्हे चुतड और जांघो पर देने लगता है और खिलखिलाता है ।
शालिनी - अब बस बेटा देख पूरी भीग गयी है
राहुल उसके करीब आके - सच मम्मी ऐसे आप बहुत सेक्सी लग रहे हो , चलो ना करते है प्लीज

शालिनी हड़बडाइ- क्या ! पागल है तु । अरुण बाहर होगा
और शालिनी बिना एक पल गवाये तेजी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर जाती है ।
गीली चप्पल की चप्प चप्प भरी आहट से हाल मे बैठे अरुण का ध्यान वापस गलियारे की ओर जाता है और वो घूम कर देखता है तो उसका लन्ड फड़फडा उठता है ।

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सामने उसकी मामी भीगी हुई साडी मे तेजी से कमरे की ओर जा रही थी और उस भीगी हुई साडी मे भी उनकी गुलाबी पैंटी साफ साफ झलक रही थी । जिसे देख कर अरुण खुद को रोक नही सका और दबे पाव बड़ी सावधानी से बाथरूम पार कर शालिनि के कमरे की ओर बढ गया ।
धीरे से उसने कमरे मे झाका तो उसकी सासे उफनाने लगी ।
थुक गटक कर भीतर का नजारा देखते हुए वो अपना मुसल मसलता है - अह्ह्ह मामीईई कीतनी सेक्सी हो आप उम्म्ंम , क्या गाड़ है यार ऊहह

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सामने शालिनी फर्श पर अपनी साडी उतार चुकी थी और उसके जिस्म पर अब पैंटी ही बची थी ।
पूरा जिस्म पोछ कर वो एक तौलिया लपेट कर आलमारी की ओर बढ गयि और वही बाथरूम से राहुल की आवाज आई ।

अरुण लपक कर बाथरूम की ओर गया - क्या हुआ
राहुल नहा चुका था - अबे भाई तौलिया रह गया , जरा देना तो

अरुण - हा हा लाता हु रुको
अरुण कमरे मे देखता है तो उसे कही कोई तौलिया नजर नही आता है तो वाप्स राहुल को बतता है

राहुल - अरे यार मम्मी से पुछना तो ,

शालिनी के पास जाने का सोचते ही अरुण का लन्ड एक बार फिर से फड़क उठा - ह हा जा रहा हु भाई ।
अरुण लपक कर अपनी मामी के कमरे की ओर गया और कमरे मे झाका तो देखा कि शालिनी बिस्तर के बगल मे आईने के सामने खडी होकर बाल सवार रही है अभी भी वो तौलिये मे ही थी ।

अरुण के लिए ये मौका सही था और उसके पास जायज मौका भी था वो कमरे मे दाखिल हुआ - मामी वो मै ..

शालिनी अचानक से कमरे मे अरुण की आवाज सुनकर चौकी और पलट कर उसको देखा कि अरुण बेधड़क उसकी ओर आ रहा है , वही अरुण ने जरा भी ध्यान नही दिया कि फर्श पर गीली साड़ी भी फैली हुई
अनजाने मे उसका पैर साडी पर पड़ा और वो पीछे की ओर फीसलने को हुआ
शालिनी ने फुर्ती दिखाई और हाथ बढ़ा कर उसका टीशर्ट पक्ड कर उसे अपनी ओर खिंचा

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दोनो का सन्तुलन बिगड़ा और पहले शालिनी बिस्तर पर गिरी और उसके उपर अरुण
हच्च से अरुण का सीना अपनी मामी के नरम नरम छातियों से जा लगा ।

शालिनी - अह्ह्ह
अरुण शालिनी के उपर था और वो बस खो सा ही गया इतने करीब से अपनी खुबसूरत मामी का चेहरा देख कर , उसपे से उसके मुलायम तरोताजा बदन पर पड़े रहने से वो और भी मस्त हो गया ।

शालिनी - अरे उठो , अरुण बेटा उठो ना अब
अरुण हड़बड़ा कर - सॉरी मामी , मेरा मतलब थैंकयू आपने मुझे बचाया नही तो मेरा सर ही फट जाता अभी

शालिनी खडी होती हुई - क्या तुम भी , शुभ शुभ बोलो और तुम यहा मेरे कमरे मे क्या करने आये थे ।

अरुण - वो मै आपसे आपका तौलिया लेने आया था

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शालिनी चौकी और अपने छातियों पर कसे हुए तौलियों के बीच से दिख रही घाटियो को हाथ से छिपाती हुई - क्क क्या , क्या बोल रहे हो तुम

अरुण - अरे मामी वो राहुल कबसे तौलिया माग रहा है , इसीलिए आया

शालिनी - ओह्ह ऐसे , अच्छा रुको देती हु , जरा तुम उधर ...

अरुण पीछे घूम गया मगर उसकी तीरछी नजर आईने पर जमी हुई थी जिसमे से शालिनी की झलक आ रही थी ।

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जब वो तौलिये के उपर से ब्रा पहनने की कोसिस कर रही थी और फिर उसने तौलिया निकाल दिया ।
मामी को ब्रा पैंटी मे देख कर अरुण का लन्ड और भी कसने लगा ।

शालिनी - हम्म्म ये लो
अरुण फुर्ती से घूमा और शालिनी को देखता कि वो वैसे ही ब्रा पैंटी मे बिना किसी झिझक कर उसके आगे खड़ी थी और वो उसके दुधिया संगमरमरी बदन को निहार रहा था , उसका लन्ड तम्बू बनाये हुआ था ।
शालिनी उसकी नजर भाप कर थोड़ा असहज हुई - क्या हुआ , अब जाओ जल्दी और आराम से गिरना मत

अरुण भौचक्का हालात मे कमरे से बाहर आ गया और वही शालिनी खुद पर इतराते हुए आईने मे देख कर बड़बड़ाई- ये आजकल के जवाँ बच्चो को हो क्या गया है हिहिही वैसे शालिनी देवी तुम भी कम सेक्सी थोड़ी ना हो तुम्हारा ये अवतार देख कर तो बूढ़े भी बेहाल हो जाये अरुण बेचारा तो अभी बच्चा है हिहिही

खुद ही मुह मियाँ मिठ्ठू होकर शालिनी अपने कपडे पहन कर तैयार होने लगी और वही राहुल के जाने के बाद अरुण शालिनी के नाम की मूठ लगा कर नहाकर कमरे मे चला गया ।



राज के घर

रात की दोहरी चुदाई की थकान ने सभी लोग को देर उठाया मगर अनुज की सुबह अभी भी लेट थी ।

हाल मे सब सुबह के नास्ते के लिए बैठे थे । जल्द ही रन्गी और राज नासता खतम कर अपने अपने दुकान के लिए निकल लिये ।
इधर रज्जो की बीती रात वाली खलबली फिर से बढ़ने लगी जब उसने किचन मे निशा को देखा ।
अब वो निशा को अकेले मे बात करने का सोचने लगी , इधर रागिनी नहाने के लिए निकलते हुए रज्जो से बोलते हुए गयि कि अनुज को उठा कर नास्ता करने को कह दे ।

रज्जो के लिए यही सही मौका था निशा से अकेले मे बात करने का और उसने शिला जो कि मोबाईल मे कुछ कर रही थी उसको जाकर बोली - अह दीदी जरा तुम अनुज को जगा दोगी , नासता लेट हो जायेगा ।
शिला मोबाईल चलाते हुए उठी- अह हा क्यू नही
फिर शिला मोबाइल चलाते हुए ही सीढियों से उपर जाने लगी ।

मौका पाते ही रज्जो लपक कर किचन मे गयि , वही निशा को रज्जो की पूरी गतिविधि पर नजर थी और उसे ये भी भान था कि रज्जो उस्से कल रात की बात जानने के लिए कितनी आतुर हुई जा रही होगी ।

निशा मुस्कुरा कर सब्जी काटती हुई - क्या हुआ मौसी परेशान लग रहे हो ।

रज्जो उसके पास जाकर धीमी आवाज मे - मौसी की बच्ची , कल क्या बोल कर गयि तु ।
निशा हस कर - किस बारे मे ?
रज्जो - अच्छा तो तुझे नही पता किस बारें मे ।
निशा - नही ?
रज्जो खीझ कर - अरे वो मैने पूछा था तो तूने बताया था वो


निशा - क्या मौसी , साफ साफ बोलो ना
रज्जो भीतर की भुन्नाहट को घोंटती हुई - अरे मैने पूछा था तुने किसका लिया है तो तुने बोला मौसा जी का , वो

निशा हस कर - हा सही तो कहा था मैने हिहिही

रज्जो चौकी - मतलब रमन के पापा का ? सच मे ?
निशा ने हा मे सर हिलाते हुए- और एक बात बताऊ मौसी इधर आओ

रज्जो उसके करीब गयी ।
निशा उसके कान- सच कहू तो उनका इतना मोटा था मै डर गयि थी , कही मेरी फाड़ ना डालें लेकिन उफ्फ्फ वो रग्डाई सीईई सच मे मौसी कितनी किसमत वाली हो आप

रज्जो को यकीन हो गया कि निशा की बातों मे सच्चाई तो है मगर उसके लिए हैरानी की बात थी कि आखिर एक 20 साल की लड़की कैसे 48 साल के आदमी से , ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था ।

रज्जो - लेकिन तु और रमन के पापा , कब कैसे ?

निशा - अरे वो तो मेरे पीछे ही पड़ गये थे , कोई जवाँ लड़का क्या पड़ेगा मौसी , हमेशा उनकी आंखे मेरी चोली मे जोबनो को ताड़तो रहती । पजामे मे उनका खुन्टा ये बांस जैसा तम्बू बनाये हुए
रज्जो आन्खे फाडे उसे सुने जा रही थी ।
निशा - फिर वो हल्दी वाली रात जब बगल वाले कमरे मे मै बिस्तर लगाने गयि तब मौसा जी मेरे साथ , हमने बहुत मेहनत की और बाहर आते समय मेरी चुन्नी वही रह गयि । मौसा जी खुद उसे लेने कमरे मे गये लेकिन जब कुछ देर तक नही लौटे तो मै भी कमरे मे गयि तो पता है क्या देखा

रज्जो हैरत से - क्या ?
निशा ने अब फेकना शुरु किया - मौसा जी मेरी चुन्नी सूंघ रहे थे उसे अपने मुसल पर रगड़ रहे थे , मैने देखा मौसी उसको ... ये बेलन भर मोटा और लम्बा इस्स्स । वो मेरी चुन्नी अपने मोटे काले हथियार पर लपेट पर मुठ्ठि मार रहे थे ।

रज्जो उस पल के बारे मे कल्पना कर कामरस मे रसने लगी थी - फिर
निशा - मै देखी उनकी दिवानगी मेरे लिये , क्या कोई आशिक़ मुझसे प्यार करता ,मुझपे मरता , उफ्फ़ मौसी सच कहू उस पल से ना जाने मुझपे क्या मदहोशि छाने लगी और मै उनके लिए पागल होने लगी और फिर

रज्जो तेज धडकते सीने के साथ - फिर क्या , बोल ना
निशा - मै उनके आगे आ गयि , वो शर्मिन्दा थे मेरे अचानक आ जाने से , उनके रस से लिभ्डाया मेरा दुपट्टा अभी भी उनके हाथ मे था ।
मै झट से दरवाजा बन्द किया और बोली - ये क्या कर रहे थे कोई देख लेता तो । उन्हे यकीन ही नही हुआ कि मै ऐसा कुछ बोल सकती हु । वो बोले सॉरी मै बोली कोई बात नही ,वो मेरा चेहरा निहार रहे थे और मै उनका वो , वो मेरे सीने की घाटी देख रहे थे और मै उनका लाल टमाटर जैसा मोटा सुपाडा देख कर ललचा रही थी । डर भी था और एक तलब भी फिर उन्होने ने ही मेरा हाथ वहा रखा हिहीही मै गिनगिनाई और उसको कस के हाथ मे भर लिया एकदम कडक और गर्म ।

रज्जो थुक गटक कर - फिर
निशा - फिर उन्होने मुझसे चुसवाया और फिर हिहिहिही

रज्जो - क्या सच मे उसी दिन ही पहली बार मे ही
निशा - मै कहा कोई मौका छोड़ने वाली थी और इतना तंदुरुस्त हथियार इस्स्स

रज्जो कुछ देर चुप रही तो निशा मुस्कुरा कर बोली - एक बात पूछू मौसी सच सच ब्ताओगी

रज्जो - क्या बोल ना
निशा - क्या मौसा जी ने कभी आपको पीछे से किया है ?
रज्जो खिलखिलाई - कभी ! हिहिही ये पूछ कब नही अरे एक बार तो इतने जोश मे थे कि दो दिन तक मुझे बहू से मालिश करवानी पड़ी थी सूज गयि थी पीछे

निशा - क्या सच मे ? और रिना भाभी को क्या बोली फिर आप ?

रज्जो हस कर - अरे बोलना क्या था , वो समझ गयि और वैसे तु सही कह रही थी ये तेरे मौसा है ही एक नम्बर के ठरकी हिहिही

निशा - मौसी एक बात कहूं मानोगे
रज्जो - क्या बोल ना
निशा - जरा अपनी गाड़ दिखाओ ना , देखू चुदने के बाद कैसा दिखता है ।

रज्जो लजाई - क्या तु भी धत्त
निशा - प्लीज प्लीज ना मौसी
रज्जो को निशा का साथ पसंद आ रहा था और वो निशा के साथ कुछ सपने सजो चुकी थी ।

रज्जो बाहर झाकते हुए - अरे यहा कैसे कोई आ जायेगा
निशा - अरे कोई नही आयेगा , बुआ उपर गयि है और बडी मम्मी नहा रही है बस हम दोनो ही है , प्लीज ना मौसी प्लीज
[रज्जो थोडा हिचकते हुए अपनी नाइटी उठाई और निशा के आगे घूम गयि
रज्जो की फैली हुई गोरी नंगी बड़ी सी गद्देदार चुतड़ देख कर निशा की आंखे फैल गयि , मोटे मोटे तरबूज जैसे बड़े बड़े चुतड और गहरी लम्बी दरारें ।
निशा उसके चुतड़ छूने लगी उसे अपने हथेलियों मे गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी - अह मौसी कितनी बड़ी है उफ्फ़ सो सॉफ़्ट यार हिहिही

रज्जो के जिस्म मे सनसनी सी फैल गयि जब निशा ने उसके चुतड सहलाए - हो गया देख ली ना , अब हट

निशा उसके तरबूज जैसे चुतड़ के फाके अलग करती हुई गाड़ की सुराख देखती हुई - अभी असली खजाना देखना बाकी है मौसी , ओहो बड़ा अन्दर है ये तो हिहिही
जैसे जैसे निशा उसके चुतड फैला रही थी रज्जो अपने गाड़ सख्त कर रही थी - उम्म्ंम छोड ना अब , देख ली ना

निशा रज्जो की खुली हुई गाड़ की भूरी सुराख देख कर उसके मुह मे मिस्री घुलने लगी मानो और उसने जीभ निकालकर उसकी गीली टिप को गाड़ के सुराख पर टच किया ।
रज्जो पूरी तरह से गिनगिना गयि ,उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निशा ऐसा कुछ कर जायेगी

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रज्जो कसमसाइ और हाथ पीछे कर निशा का सर हटाने लगी तो निशा ने जोर देकर अपना मुह उसकी गाड़ मे दिया ।
रज्जो सामने डायनिंग टेबल के सहारे झुक गयि और सिस्कने लगी , उसकी बुर बजबजाने लगी , निशा की नरम लपल्पाती जीभ उसके गाड़ को ऐसे चाट रही थी मानो कोई रबड़ी लगी हो ।
रज्जो को डर था कि कही कोई आ ना जाये और वो घूमकर उसको हटाना चाहती थी मगर निशा ने उसकी मोटी जांघ उठा कर सीधा उसकी रसाती बुर पर टूट पड़ी , पतले पतले होठों से उसके मोटे फाको वाली भोसडी मे मुह दे दिया था

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उसने बजबजाई मलाई और बुर की गंध ने निशा को और भी उत्तेजना दिये जा रही थी ।
रज्जो से अब खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था , वो भी अब नशे मे आ चुकी थी ,
रज्जो - अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम मैह्ह ओह्ह्ह बेटा मै गिर जाउंगी ऐसे अह्ह्ह आराम से ओह्ह

निशा ने अपना सर हटाया और पैर सीधा कर खड़ी हुई
निशा ने रज्जो की ओर देख कर अपने होठो के पास लगे हुए मलाई को उंगलियों मे लेके होठ से चुबलाने लगी
रज्जो ने उस पल निशा की आंखो मे एक आग सी देखी , सेक्स के लिए निशा की दिवानगी देखी उसकी भूरी आंखे बहुत ही आकर्षक थे और रज्जो जो आज तक खुद को हर मामले मे किसी से कम नही समझती थी उसने निशा के भीतर खुद की झलक देखी ।
निशा रज्जो को निश्ब्द देख कर उसका हाथ पक्ड पर उसे टेबल की ओर घुमाया और लिटा दिया ।
रज्जो के भीतर अभी भी डर लेकिन निशा निडर थी , उसने वापस ने रज्जो की नाईटी उठाई और एक बार फिर उसकी गाड़ मे अपना मुह दे दिया
रज्जो - आह्ह निशाअह्ह तु सच मे उह्ह्ह माह्ह उफ्फ़

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निशा उसके गाड़ के छेद पर अपनी जीभ फिराती हुई उसके रस छोड़ती बुर के फाके सहला रही थी
रज्जो उसका सर पक्ड कर अपनी चुतड़ मे रगडे हुए थी ।

अचानक से निशा की नजर टेबल पर रखी हुई सब्ज़ियों की डलिया पर गयि और उसे हरे हरे मोटे हाथ भर के खीरे को देख कर निशा के होठ खिल गये ।
निशा उठी और उसने वो खिरा ले लिया
रज्जो - ये किस लिये
निशा मुस्कुराई और उसे धूलने लगी , फिर उस गीले खीरे को चाटने लगी ।

रज्जो - आह्ह क्या कर रही है कोई आ जायेगा
निशा उसकी गाड़ पकड़ कर खिन्चती हुई अपने करीब कर - श्श्श्स चुप रहो
निशा ने एक बार फिर से जीभ से उसकी गाड़ को चाटा और फिर खीरे का मोटा सिरा उसके मोटे सुराख पर लगा दिया ।
रज्जो कसमसाइ मगर निशा हिचकी नही उसने एक हाथ रज्जो के गाड़ को थामा और दुसरे हाथ से खीरे को पेंचकस के जैसे घुमाते हुए आधे से ज्यादा खिरा भीतर गाड़ मे घुसा दिया

रज्जो अपनी गाड़ की मांसपेसियों मे ट्विस्ट मह्सूस कर मचल उठी - आह्ह कामिनी बहिनचोद अपनी अम्मा का भोसडा समझ रखा है क्या

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निशा हसी और उसके फैले हुए गाड़ के छेद पर थुकती हुई हौले हौले खीरे को अन्दर बाहर करने लगी - क्यू मौसी ऐसे ही लेते है ना मौसा उम्म्ं

रज्जो - अह्ह्ह बहिनचोद फाड़ दिया रे ऊहह साली रन्डी मोटा वाला डाल दिया ऊहह माह्ह्ह
निशा उसकी बुर को सहलती हुई - क्यू मौसी मजा नही आ रहा है

रज्जो ने निशा की शरारत भरी आंखे देखी और उसका गुस्सा अब मुस्कुराहत मे बदलने लगा थ - दर्द हो रहा है, ताला खोल रही थी क्या घुमा कर
निशा हस कर - चेक कर रही थी मौसा जी ने सील सही से तोड़ा था ना

निशा के अगले ही पल खिरे को और गहराई मे ले गयि जिस्से रज्जो की आंखे उलटने लगी

रज्जो - आह्ह ऊहह अब रोक मत फाड़ दे ह्ह चोद ना ऊहह माह्ह्ह बहुत मोटा है
निशा - मोटी तो तुम्हारी गाड़ है मौसी ऊहह कितनी कसी हुई है और ये बुर उम्मममं

निशा ने खीरे को उसके चुतड मे गाड़े हुए उसकी बुर पर अपनी थूथ दरने लगी
रज्जो पागल हो गयि और झडने लगी
निशा बिना रुके जूस वाले मसिन के तरह खीरे को गाड़ मे दबा रही थी और निचे से रज्जो की बुर जूस निकाल रही थी ।

तभी रागिनी के कमरे का दरवाजा खुला
हड़बड़ा मची
रज्जो झटपट निचे उतरी और मैकसी निचे कर दिया ।
खीरा उसकी गाड़ मे फसा हुआ था ।
दोनो काम करने का बहाना करने लगे ।
रागिनी - क्या क्या तैयार हो गया है

निशा - सब हो गया है बड़ी मा , बस रोटी बनानी है ।

रागिनी - अच्छा ठिक है और जीजी तुम आओ बात करनी है कुछ

रज्जो - क्या हुआ छोटी
रागिनी - अरे परसो जाना है ना सोनल के ससुराल तो उसकी लिस्ट तैयार करनी है आओ बैठो ना

बैठने का नाम सुनकर रज्जो ने निशा की ओर देखा जो होठ दबा कर हस रही थी , रज्जो ने मन ही मन गाली दी और बड़ी सावधानी से सोफे पर बैठी मगर खीरे 2 इंच और भीतर सरक गया जिससे रज्जो उछल पड़ी ।

रागिनी - क्या हुआ जीजी कुछ चुबा क्या
रज्जो निशा को किचन मे मुस्कुराता देखा दर्द उठते अपने कुल्हे को सहला कर - आह्ह हा शायद , तु बोल ना

फिर रागिनी रज्जो को परसो के लिए क्या क्या तैयारी करनी है इसपे बात करने लगी ।
वही उपर के हाल मे सोफे पर शिला मोबाइल पर ही बिजी होकर अपने ऑनलाईन आशिक़ auntylover69 से प्राइवेट चैट्स कर रही थी । उसे ध्यान ही नही रहा कि वो किस लिये ऊपर आई थी
जैसे ही बाते खतम हुई और उसने देखा कि वो कहा तो अपना माथा पीट लिया ।

शिला - हे भगवान , भाभी ने मुझे किस लिये भेजा और मै हिहिही
शिला बडबडाती हुई अनुज के कमरे का दरवाजा खटखटाया मगर वो कोई आवाज नही दिया , फिर उसने दरवाजा धकेला तो खुल गया ।
मगर सामने का नजारा देख कर वो ठिठक कर रह गयि , उसकी सासे अटक गयि और फिर एक हसी सी उसके चेहरे पर आ गयि ।

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सामने अनुज पुरा नंगा होकर सोया हुआ था और उसका लन्ड भी खुला पड़ा था जो सासें ले रहा था ।
शिला - उफ्फ़ ये इस उम्र के लड़के सब के सब एक जैसे , इसमे और अरुण मे कोई अन्तर नही । बदमाश कही का देखो कैसे सोया है और दरवाजा भी नही लगाया था हिहिही

शिला उसके करीब गयि और उसने अनुज के मासूम चेहरे को देखा और फिर उसकी नजर बीते भर के सोये हुए लन्ड पर गयि और घूंघट से झाक रही उसके लाल सुपाडे की झलक देख कर शिला का जिस्म सिहर उठा ।

तभी उसकी नजर लन्ड की चमड़ी पर लगे हुए सफेद पानी के दाग पर गयि जो सूखी हुई थी हल्की पपड़ीदार ।शिला पास गयि आगे झुक कर उसने अपने नाक ने सुँघा तो समझ गयि कि क्या है ।

शिला ने हैरत से अनुज को देखा और थुक गटक कर वापस से झुक कर उसके सुपाडे के करीब अपने नथुनो को ले गयि, सुबह सुबह नवजवाँ लन्ड की मादक गन्ध ने शिला के निप्प्ल कड़े कर दिये ।
उसने अनुज को हल्के से हिलाया और हल्की आवाज दी मगर उसने कोई जवाब नही दिया ।
तभी उसकी नजर खुले दरवाजे पर गयि उसने लपक कर दरवाजा बन्द किया और वापस आ गयि ।
उसकी सांसे तेज हो गयि थी उसने धीरे से हाथ आगे कर अपनी उंगलियों से अनुज का लन्ड छुआ और उसकी नजरे बराबर अनुज के चेहरे पर जमी थी ।

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गर्म नरम और कसा हुआ हल्की उभरी हुई नसो को अपनी उंगलियों के पोर से मह्सूस करती थी उसने उसके लटके हुए आड़ो को हाथ मे लिया , हल्का सा ही वजन था ऊनमे और चमडी बहुत लचीली थी ,
उसने हथेली मे अनुज का गर्म तपता लन्ड भर लिया और अनुज के जिस्म मे हल्की सी हरकत हुई ।
शिला ने फौरन छोड़ दिया और उसे हिला कर जागाने लगी ।

अनुज ने आंखे मिज कर अंगड़ाई ली और साथ ही उसके लन्ड ने ही देखते ही देखते वो टावर के जैसे उपर सर उठाए, पुरा बाहर लाल एकदम ।

अनुज को ना अपने देह का ध्यान ना परवाह , कमरे की रोशनी मे पलके झपका कर उसने घड़ी की ओर देखा तो साढ़े 9 बजने जा रहे थे ।

शिला - घड़ी क्या देख रहा है , साढ़े 9 बज रहे है । कितना सोता है तु
अनुज - आह्ह बुआ वो मै
तभी उसकी नजर अपने नंगे जिस्म पर गयि और उसने लपककर चादर खिंच ली ।

शिला खिलखिला कर - अब क्या छिपा रहा है , सब देख चुकी मै

अनुज - बुआ यार बक्क कितनी गंदी हो आप , ऐसे कैसे आ गये मेरे कमरे मे

शिला - शुक्र कर मै आ गयि , नही तो तेरी मा आ रही जगाने फिर ये तेरे गोरे चुतड लाल करती पहले फिर जगाती तुझे ।

अनुज उखड़ कर - क्यू मारती मुझे भला , रात मे गर्मी लग रही थी तो सो गया ऐसे ही कौन सा मेरे कमरे मे कुलर है हुह

शिला - हा हा देखा मैने आजकल कैसे गर्मी निकाल रहा है तु
अनुज सकपकाया - मतलब
शिला उसकी चादर खिंचती हुई - मतलब इधर आ बताती हु

अनुज खुद को बचाता हुआ - बुआ आप ये क्या कर रहे हो , प्लीज ना प्लीज
शिला ने जोर लगा कर उसे वाप्स नन्गा कर दिया और उसके खड़े हुए लन्ड की ओर दिखा कर - खुद देख , सब गन्दा पानी लगा हुआ है वहा

अनुज झेप जाता है और अपना लन्ड छिपाने लगता है ।
अनुज उखड़ कर - वो मै थोड़ी ना करता हु बुआ , रात मे हो जाता है तो मै क्या करू

शिला चौक कर - तो क्या तुझे स्वपनदोष होता है
अनुज अजीब सा मुह बना कर - अब ये क्या होता है ?
शिला - अरे वो तुम लोग क्या कहते हो नाइटफाल, वो होता है क्या

अनुज ने सोचा ये तो उसे एक बना बनाया बहाना मिल ही गया है तो इसी पर आगे बढ़ कर छुटकारा ले लेते है - ह्म्म्ं लेकिन प्लिज मम्मी से मत कहना आप प्लीज

शिला थोडा चिंतित होकर - लेकिन तुझे ये कबसे हो रहा है ,

अनुज - यही कोई 3 महीने हुए होंगे
शिला - कोई लड़की पसन्द है क्या , सपना देखता है उसका , सोचता है उसके बारे मे

अनुज - मै समझा नही ?
शिला उसके पास आकर - अरे बेटा ऐसे समझ , मान ले तुने किसी सुन्दर सी लड़की पसंद कर ली और तुझे उसके देह से लगाव हो गया ।

शिला की बात सुनते ही अनुज का लन्ड फनफनाने लगा - बुआ मुझे अब भी समझ नही आ रहा है, मै क्यू किसी अंजान लड़की को पसन्द करुँगा ।
शिला ने एक नजर उसके लन्ड की ओर देख कर - अच्छा तु सोच मै हु वो लड़की, ठिक है मुझे तो जानता है ना

अनुज हसता हुआ - आप कहा से लड़की हो हिहिही
शिला - अरे औरत तो हूँ ना , मान ले तुने मुझे और मै तुझे पसंद आ गयि

अनुज ने हा सर हिलाया शिला -अब बता तुझे मुझसे क्या अच्छा लगता है ।

अनुज - आप तो बहुत प्यारे हो बुआ
शिला - अरे बुआ-ऊआ नही , मै एक खुबसूरत जवाँ लडकी हु अब बता तुझे मुझमे क्या सुन्दर दिखता है ।

अनुज - आपकी वो
शिला - क्या ?
अनुज शर्माने लगता है ।
शिला - अरे बोल ना शर्मा मत
अनुज - आपकी गाड़
शिला हस कर -धत्त बदमाश कही का , अच्छा अब मान तुझे मेरा पिछवाडा भा गया और मान ले तुने कही से मुझे नंगी देख लिया और वो तस्विरे तेरे दिमाग बैठ गयि और तुझे बार बार मेरा ही ख्याल आ रहा है और जब यही ख्याल सपने मे आयेन्गे तो तेरा वो निकल जाता है ।

अनुज - अच्छा ऐसा कुछ होता है क्या ?
शिला - हा और भी बहुत सारे रिजन है,लेकिन ये मुख्य होता है । अब बता तुने हाल ही मे किसी को ऐसे देखा या पसन्द किया हो जिसके सपने आते हो ।

अनुज - पता नही बुआ , मै तो सबके सपने देखता हु , आप मम्मी भैया पापा दीदी मेरे दोस्त सबके

शिला - अरे मेरा मतलब वो वाले सपने , गन्दे वाले

अनुज - वो जिसमे रिश्तेदार भूत बन कर आते है कभी कभी , एक बार मैने दीदी को देखा था चुड़ैल बनके नाच रही थी हिहिही

शिला ने अपना माथा पीट लिया और अनुज हस दिया ।
शिला - अरे मेरे लाल गंदे सपने जिसमे कोई औरत बिना कपडे के आयेगी और तेरे साथ मजे करेगी वैसा

अनुज - अच्छा ऐसा होता है क्या ? तो क्या अगर मै आपके बारे मे सोचूं तो आप भी मेरे सपने मे बिना कपड़ो के आओगे

शिला हस दी और लजा कर - चुप कर बदमाश कही का । फाल्तू का मै तेरे च्क्कर मे उलझ गयि , एक नम्बर का ड्रामेबाज है

अनुज - अरे बताओ ना बुआ
शिला - मुझे क्या पता , लेकिन तु क्यू मेरे बारे सोचेगा

अनुज - अभी आपने ही तो कहा सोचने को
शिला - वो तो मै तुझे ...उफ्फ़ ये लड़का भी ना ।

शिला ने एक गहरि सास ली और बोली - अच्छा सुन और समझने की कोसिस कर

अनुज ने हा मे सर हिलाया
शिला - जब हम नींद मे होते है तो हमारा दिमाग हमे ऐसे भ्रमित करता है कि हमे असली नकली का फर्क नही समझ आ आता । सपने मे जो हम देखते है वो ह्मारे दिमाग की कल्पना होती है और जब सपने हम ऐसे कोई गंदी चीजे देखते है तो शरिर को लगाया है वो असल मे हो रहा है और उसी समय तेरा वो पानी निकाल देता है । समझा इसीलिए पुछ रही थी कि कोई पसंद है क्या बुद्धु कही का हिहिहिही

अनुज - ओह्ह ऐसे , अच्छा मान लो आपने किसी का सपना देखा तो क्या आपका भी पानी निकल जाता होगा

शिला अनुज के सवाल के चौकी और झेप कर अपनी हसी होठो मे दबाने लगि
अनुज - अरे बोलो ना , आप हस क्यू रहे हो
शिला - पहले तु ये कपडे पहन हम बाद मे इस पर बातें करेंगे ठिक

अनुज बिस्तर से अपनी बनियान लोवर लेकर खड़ा हुआ और लोवर पहनने के बाद भी उसमे बडा सा तम्बू बना हुआ था

शिला की नजरे उसपे पड़ती है और वो मुस्कुराने लगती है ।

अनुज - आप मुस्कुरा क्यू रहे हो ,
शिला हसती हुई - अरे ये ऐसे ही टेन्ट बना कर बाहर जायेगा , किसी ने देख लिया तो

अनुज - हा तो ये सब नेचुरल होता है ना
शिला उसका कान मरोड कर - नेचुरल के बच्चे छोटा कर इसे फिर बाहर जा ,

अनुज - अरे ये अपने आप छोटा बडा होता है , मै नही करता इसे
शिला - अरे इसको हाथ मे पक्ड कर दबा कर रख छोटा हो जायेगा , ऐसे

शिला ने लपक कर हाथ बढा कर सीधा लोवर के उपर से उसका लन्ड पक्ड लिया और हाथ मे जोर से भींचने लगी ।
अनुज सिस्का - आह्ह बुआआ ऊहह दर्द हो रहा है छोड़ो
शिला ने देखा अनुज का लन्ड और भी कडक और टाइट हो गया - ये तो और बड़ा लग रहा है
अनुज मुह बनाता हुआ - तो , आपने ही किया इसे ऐसा ?

शिला चौक कर - क्या मैने ?
अनुज अपने हाथ बान्ध कर मुह फेर कर तूनकते हुए - हा आप ही छोटा करो इसे अब हुह

शिला हसती हुई - ऐसा कर उपर बाथरूम मे भाग कर जा और सुसु कर ले सही हो जायेगा

अनुज - फिर हस रहे हो आप
शिला - अभी जा नही तो मार पड़ेगी , जा अब बदमाश कही , छोटा कर दो हिहिही

शिला हस कर कमरे से बाहर निकलती हुई - जल्दी जा यहा कोई नही है अभी ।

अनुज शिला के जाने के बाद मुस्कुराने लगा कि मस्त लपेटा उसने बुआ को और हसता हुआ नहाने चला गया ।

जारी रहेगी
Thanks for awesome update ☺️ as it once again has my username 😁
 

Rony 1

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UPDATE 208


रिन्की और दुलारी

दोपहर मे काम निपटा कर दुलारी रिन्की को लेकर समान लेने के बहाने चमनपुरा बाजार निकल गयी ।

रिन्की - क्या भाभी , वो सब जरुरी है क्या लेना ?
दुलारि अपने सर पर पल्लू आगे करती हुई धीरे से बोली - अच्छा ये बता , ये दुकाने बाजारे इतनी सजी और जगमग कयू रहती है ।

रिन्की - अरे भाभी ताकी ग्राहक ज्यादा आये उन्के यहा
दुलारी- हा तो जब तेरी दुकान सजी रहेगी तभी तो तेरा माल आयेगा लेने

रिन्की लजाई - भक्क भाभी आप बस सपने दिखा रहे हो , भैया तो मुझे ताकते भी नही । नयी वाली भाभी को देखी कितनी सेक्सी है और मै दूबली पतली ऊहह

दुलारी- अरे मेरी लाडो, फिकर ना कर तेरे ये चुजे की चोंच देख कर ही तेरा माल बावरा हो जायेगा , आ इस गली मे चलते है ।

रिन्की - भाभी यहा कितनी दुकाने है और सब पर जेन्स लोग है कैसे लेंगे यहा ?

दुलारी- तु चुपचाप चल , आगे देखते है

थोड़ी दूर बढ़ने पर रिन्की ठिठक कर खड़ी हो गयी , उसकी आंखे फैल गयी और गला सूखने लगा ।
दुलारी उसका हाथ पकड़ कर खिन्चती हुई - क्या हुआ चल ना

रिन्की ने आंखो से सामने एक दुकान पर इशारा किया , जिसपे अनुज बैठा हुआ था ।

दुलारी की आंखे चमक उठी - अरे ये तो वही है ना ? शादी वाला आशिक़

रिन्की खुश हुई और लजाती हुई धीमी अवाज मे - हा भाभी और वो नई भाभी का सगा भाई है ।

दुलारी - हा हा पता है, चल चलते है
रिन्की अपनी कलाई छुड़ाती हुई - क्या ! नही नही प्लीज भाभी

दुलारी- अरे समान मै लूंगी ना , तु बस बातें करना उससे चल

रिन्की असहज होकर दुलारी के साथ अनुज के दुकान पर चली गयी ।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और जैसे ही दुकान पर उसकी नजरे अनुज से टकराई वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर ली
अनुज और रिन्की दो शर्म से गाढ़ हुए जा रहे थे और दुलारी उन्हे देख कर मुस्कुरा रही थी ।

अनुज ने दुलारी को नमस्ते किया ।
दुलारी- ओहो पहचान रहे हो क्या आप हमे
अनुज मुस्कुरा कर एक नजर रिन्की को देखा और हा मे सर हिलाता हुआ - जी आप दीदी की शादी मे आई थी ना
दुलारी - फिर इनको भी पहचानते होगे

दुलारी ने रिन्की की ओर इशारा किया तो अनुज ने हा मे सर हिलाते हुए - जी इनको भी साथ मे देखा था ।

दुलारी- बस देखा था !
अनुज - हा वो मै , अच्छा आप लोग बैठिये मै कुछ मगाता हूँ , क्या लेंगी आप लोग

रिन्की - नही कुछ नही
दुलारी दुकान का स्टूल पकडती हुई - भई मेरी देवरानी का पीहर है तो मै तो खा पी कर ही जाउंगी हिहिहिही

अनुज रिन्की से - अरे बताईये ना

दुलारी ने रिन्की को छेड़ते हुए - अरे इसको लम्बी डंडे वाली मलाई कुल्फ़ी पसंद है , मिलती है क्या इधर

अनुज - हा यही मोड पर है वो घूमता रहता है और आप
दुलारी- अह , मुझे तो कुछ भी चलेगा जूस चाय कुछ भी

अनुज - बस दो मिंट आया
और अनुज दुकान से बाहर निकल गया ।

रिन्की हस्ती हुई - धत्त क्या भाभी वो क्या सोचेगा कि हम लोग खब्बू है और अपने लिये जूस तो मुझे मलाई कुल्फ़ी क्यूँ

दुलारी हसती हुई - बेटा खोज तो आज कल तु मलाई कुल्फी ही रही है हिहुहि क्यू

रिन्की - धत्त भाभी आप भी ना
कुछ ही देर मे अनुज जूस और कुल्फी लेके हाजिर हुआ और दोनो को दे दिया
दुलारी ने जूस का गिलास होठ से लगाया तो रिन्की ने रबड़ी लिभ्डी कुल्फ़ी के टिप को होठो से लगा कर सुरकने लगी ।

वो अनुज के सामने ऐसे पेश आने से लजा रही थी और अनुज से कनअंखियो से कुल्फी चुसते चाटते देख रहा था ।

अनुज - अच्छा अब बताओ क्या सेवा करू आपकी

दुलारी बुदबुदाइ - अरे इसको पटक के चोद दे बस
अनुज - जी
रिन्की ने मुस्कुरा कर दुलारि को देखते हुए कुल्फी का बाइट लिया ।
दुलारी जूस का गिलास रखती हुई - वो रिन्की के लिए जरा ब्रा पैंटी के सेट देखना था

दुलारी ने डायरेक्ट बोल दिया और रिन्की के गले कुल्फ़ी का टुकड़ा अटकते अटकते रह गया , वो खासने लगी ।

दुलारी और अनुज दोनो का ध्यान रिन्की की ओर गया ।
अनुज ने फिकर लपक कर पानी का बोतल उठाया और उसकी ओर बढाता हुआ - लिजिए पानी पी लिजिए

हाथ मे पानी का बोतल पकड़ते ही रिन्की और अनुज दोनो को शादी के रात वाली वो दासता याद आ गयि जब रिन्की ने बड़ी बेबाकी से अनुज के हाथ जूठा पानी पी लिया था ।

रिन्की ने कुल्फ़ी जूस के ग्लास मे रख कर पानी के बोतल से पानी पिया और बैठ गयी ।

दुलारी ने देखा अनुज की नजर अब भी रिन्की को देख रही है ।
दुलारी- दिखाईये ना

अनुज हड़बड़ाया - जी साइज क्या होगा

दुलारी- रिन्की क्या साइज़ है तेरा
रिन्की गले से थुक गटकती हुई धीरे से दुलारी के कान मे बोली - 30B
दुलारी- हा बाबू 30B देना और निचे का
रिन्की लजाती हस्ती हुई दुलारि का बाजू पकड़ कर उसपे लोटने सी लगी ।

दुलारी- अरे बोल ना
रिन्की - 32
दुलारी हस कर - निकाल दो बाबू 32 , और सुनो
अनुज - हा
दुलारी- जरा फैंसी मे दिखाना वो चला है ना डोरी वाला

रिन्की - क्या भाभी , नही जी वो सब मत दिखाना ।
दुलारी थोड़ा खुलती हुई - अरे अभी तो तेरे उमर है , अभी पहन ले नही तो शादी होने के बाद कहा ये सब नशिब होगा ।
रिन्की मुह बनाती हुई - जैसे आप बडा पहनते थे शादी से पहले

दुलारी- अरे मै पहन लेती , मगर मेरा साइज़ देखा है ना , वो थोडी ना थाम पायेगा

रिन्की अब तो लाज से हस्ती हुई दुलारी पर झोल ही गयी और अनुज भी दुलारी की फुहरपने पर शर्माता हुआ मुस्कुराने लगा ।

दुलारी- अच्छा ठिक है बढिया लेस वाली दिखाना
अनुज ने फटाफट दो तीन डब्बे निकाले और आगे परोस दिया ।

दुलारी खुले मन से पूरे काउंटर पर ब्रा पैंटी फैला कर उसकी क़्वालीटी और साइज़ देखने लगी ।
रिन्की और अनुज बस चोर नजरों से एक दुसरे को निहारते लजाते रहे ।
रिन्की - भाभी बस करो लेलो कोई एक और चलो

दुलारी - अरे ऐसे कैसे , पहले नाप तो ले , यहा कोई चंजीग रूम है क्या ?

अनुज थोडा असहज होकर एक नजर रिन्की को देखता है - वैसा तो कुछ नही है पर पीछे कमरा है चले जाओ ।

दुलारी ने दो जोड़ी ब्रा पैंटी दिये और उसको लेके कमरे मे चली गयी ।
बारि बारी से उसने चेक करवाया और कुछ देर बाद अकेले बाहर आ गयी ।

दुलारी दूकान मे आई और बोली - अच्छा और भी कोई रहता है क्या ?
अनुज - हा भैया भी , क्यूँ
दुलारी- वो कहा है ?
अनुज - वो अभी खाना खाने उपर गये है ।
दुलारी ने आस पास नजर घुमाई और फिर सड़क की आते जाते लोगो को देखा और फिर अनुज को देख कर आंखो से इशारे कर बोली - जाओ मै हु बाहर

अनुज चौका - क्या ?
दुलारी फुसफुसा कर - अरे धिरे बोलो और कमरे मे जाओ , मै हु इधर

अनुज सकपकाया उसकी धडकने तेज होने लगी , गला सुखने लगा - म मै समझा नही ,

दुलारी उसको पकड़ कर कमरे की ओर धकेलती हुई - ओहो सम्झाने का समय बाद में भी मिलेगा , अभी जाओ

अनुज दरवाजे से टकराता हुआ कमरे मे आया तो सामने रिन्की अपने समान्य कपड़ो मे खड़ी थी

अनुज अटकता हुआ - वो भाभी ने भेजा मुझे , क्या हुआ साइज़ सही है ना

रिन्की भी नजरे चुरा रही थी उसकी सासे धधक रही थी चेहरे पर फीकी मुस्कान थी और कलेजा काप रहा था - अह हा सब सही है और कलर भी ठिक है , एक सेट तो मैने पहन ही लिया हिहिही

अनुज उसके अजीब बरताव को मुह बना कर देख रहा था , देख रहा था कि उसकी उंगलियाँ बेचैनी मे एक दुसरे को कैसे तोड मरोड रही थी । देख रहा था हनहनाते पंखे की हवा मे उसके चेहरे नथुनो और सीने पर उभरा हुआ पसीना ।
उसके फड़कते होठ जो बेताब कुछ कहने को या कुछ करने को , हिलते पाव और चंचल निगाहो को , जो एक जगह ठहर नही रही थी ।

अनुज - अच्छा ठिक है मै जा रहा हु
रिन्की ने हिम्मत दिखाई और बोली - रुको
अनुज - हा कहो
रिन्की झिझक भरे लहजे मे - वो मै ये कह रही थी
अनुज उसके फूलते सीने को निहार रहा था और रिन्की उसकी नजर निहार रही थी ।
अनुज की नजरे एकाएक उससे टकराई और वो सहमा और थुक गटकता हुआ वो रिन्की की आंखो देख रहा था ।
रिन्की इधर उधर फिर से आंखे नचाने लगी और फिर अचानक से लपक कर अनुज पर झपटी और उसके होठ अपने होठ से दबोच लिये ।

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अनुज की आंखे फैल गयी , वो छुड़ाने को छ्टपटाया मगर रिन्की उसके गले मे अपने हाथ का पट्टा बना कर जकड रखा था और उसके होठ जबरजस्ती चुसे जा रही थी ।
अनुज पूरी ताकत से उससे अलग होकर हाफता हुआ - ये क्या था ?

रिन्की अनुज के माथे पर उभरी हुई नाराजगी से थोड़ा डरने लगी और थोड़ा शर्मिंदा थी - सॉरी , बट तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो

अनुज अपने लिप्स पर उन जगहो पर उन्गलियो से टैप कर रहा था जहा उसे रिन्की के दाँत मह्सूस हो रहे थे - तो तुम ये कह सकती थी, ये क्या तरीका हुआ बताने का ?


रिन्की तुनक कर मुह बनाती हुई - सुना था तुमने क्या उस रात और कितना डरते हो तुम

अनुज अपनी कमजोरी से बखूबी वाकिफ था मगर फिर उसके पास सवाल कई थे - हा लेकिन समय तो चाहिये होता है ना ऐसे किसी से दिल की बात कह दूँगा ।

रिन्की उदास होकर - तुम समय निहारते रहना और मै परसो अपने घर चली जाउन्गी ।

अनुज - क्या , लेकिन क्यू । मतलब जल्दी क्या है ?
रिन्की अनुज को बेचैन देख कर - तुम्हे भला उससे क्या ? मेहमान हु यहा घर थोड़ी है मेरा ।

रिन्की - और मै कौन सा तुमसे जनम जनम का साथ निभाने को कह रही थी , वो तो बस कुछ पल

अनुज अचरज भरी मुस्कुराहट- मतल्ब
रिन्की मुस्कुराई लजाई - मतलब तुम सब जानते हो ,हटो अब जाने दो तुम किसी काम के नही हुह

रिन्की आगे बढ़ने को हुई कि अनुज ने उसकी बाजू पकड़ अपनी ओर खीचा और उसके होठ के पास अपने होठ ले गया और उसको करीब से निहारते हुए उसकी आँखो की नाचती पुतलियों को देखता हुआ - अच्छा तो मै किसी काम का नही हूँ, रुको

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अनुज ने उसके होठ अपने होठ मे जोड़ लिये और दोनो एक दुसरे को चुसने लगे , रिन्की अनुज को अपनी बाहों ने भरने लगी और अनुज उसके चुतड़ मसलने लगा ।

तभी बाहर से आवाज आई - रिन्की घर से फोन आ रहा है चलो
दोनो अलग हुए अनुज संशय भरि नजरों से उसे देखता हुआ - रुक जाओ ना कुछ दिन

रिन्की उसकी आंखो मे निहारती हुई - परसो आओगे तब देखती हूँ

ये बोलकर वो उसके गाल चूम कर बाहर जाने को हुई कि अनुज की नजर फर्श पर बिखरी हुई रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी और वो लपक कर उठाता हुआ - अरे ये रह गया तुम्हारा ।

रिन्की शरारती मूड मे मुस्कुरा कर - रखो अपने पास मेरी याद दिलायेगा तुम्हे

अनुज शौक्ड भी हुआ और खुश भी और उसने चुपके से वो दोनो ब्रा पैंटी जेब मे डाल दी और बाहर आ गया ।

दुलारी के आगे अब भी दोनो मुस्कुरा शर्मा रहे थे
दुलारी ने कुछ नही कहा और फिर वो निकल गये घर के लिए


राहुल के घर

दुकान मे
शालिनी - अरे तेरे पापा कहा गये
राहुल - पता नही मम्मी , बोले अभी आता हूँ
शालिनी - अरे इनको रोज कुछ ना कुछ घटा रहता है बाजार घूमने निकल जाते है ।

इनसब के बीच अरुण की निगाहे अपनी मामी के गुदाज पेट की गहरि और कामुक नाभि पर जमी थी जो सीलिंग फैन की हवा से पल्लू के नीचे से झाक रही थी ।

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शालिनी की नजरे एकाएक अरुण की ओर गयी तो उसने उसकी नजर का पीछा कर पल्लू से पेट धकती हुई - आजाओ बाबू तुम खाना खा लो

अरुण ने एक नजर राहुल की ओर देखा तो राहुल ने जाने का इशारा किया ।
इधर अरुण उठने को हुआ तो शालिनी घूम कर गलियारे से हाल की जाने लगी ।
गलियारे से हाल मे दाखिल होते ही रोशनी उसका मोटा पीछवाडा और लचकदार कमर की थिरकन देख कर गलियारे के अन्धेरे मे अरुण ने अपना लन्ड भिन्चा और फिर किचन मे चला गया

शालिनी खाना परोस रही थी और अरुण सिंक मे हाथ धूल रहा था और उसकी नजर अपनी मामी के कुल्हे पर कसी हुई साड़ी पर थी जिसमे उसके चुतडो की गोलाई साफ साफ उभरी हुई थी ।

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मोटा पिछवाडा देख कर अरुण के ध्यान वो सीन याद आया जब उसने पल भर के लिए शालिनी को मूतते देखा था ।


शालिनी - हम्म लो बाबू खा लो
अरुण ने शालिनी के हाथ से थाली ली और हाल मे बैठ कर खाने लगा , उसकी नजर किचन मे ही जमी हुई थी ।

शालिनी को भी आभास था कि उसके चुतडो पर अरुण की नजर है उसने उसे सताने का सोचा
वो भी एक प्लेट मे खाना लेके आई और उसके पास मे बैठ कर खाने लगी ,

मामी के एकदम से करीब बैठने से अरुण को बेचैनी होने लगी , इधर शालिनी ने रेमोट से टीवी चालू कर दिया उसकी नजरें सिरियल पर थी और वो ये भी जान रही थी कि उसके भांजे की निगाहे रोटियाँ चबाते हुए उसके दूध के टैंकर भी निहार रहे है ।

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पल्लू पहले से ढीला रखा था , उसपे से ब्लाउज का लो कट गला जिसमे से झाकते हुए खरबूजे के जोड़े

इधर शालिनी खाना खतम करने को हुई थी और उठने जा रही थी कि उसकी साड़ी सोफे के एक बटन मे कही उलझी और उसका पल्लू पुरा का पुरा सीने से उतर गया ।

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भांजे के आगे अपना जोबन अपने जुठे हाथों से कैसे छिपाती साड़ी का पल्लू खिंचने मे हाथ से प्लेट सरक कर गिर गयी और दाल और बची हुई सब्जी फर्श पर दाग छोड़ती हुई पसर गयि अलग सो ।

शालिनी ने किसी तरह से अपनी साडी छुड़ाया और अपने भांजे से बिना को बात चीत किये सीने को ढकती मुस्कुराती हुई प्लेट उठा कर किचन मे चली गयी ।

हाथ मुह धूल कर वो झटपट बाथरूम की ओर गयी और वहा से एक बालटी लेके हाल मे दाखिल हुई

अबकी अपनी मामी को देख कर अरुण की आंखे बड़ी हो गयी ,
शालिनी अपनी साडी घुटनो तक उठा रखी थी , पल्लू घूम कर कमर मे फसा हुआ था । हाथ मे पोछे वाली बालटी लेके आ पहुची थी ।
अरुन मुह मे निवाला चबाता हुआ अपनी मामी की गोरी गोरी चिकनी पिंडलियों को निहारने लगा ।

शालिनी मुस्कुराते हुए बैठ गयी और बालटी से पोछा निकाल कर अरुण मे पास ही पोछा लगाने लगी ।

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घुटनो के बल आगे की ओर झुकी हुई शालिनी की चुचियों बलाऊज मे लतके हुए खुब हिल रही थी , मानो अब बाहर आ जाये मगर ब्रा मे उन्हे काफी हद तक अपने गिरफत मे ले रखा था ।

शालिनी ने अरुण की आंखो मे देखा और उसकी चोरी पकड कर मुस्कुरा दी - और कुछ चाहिये क्या बाबू

अरुण निवाला गटक कर ना मे सर हिलाया और

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शालिनी पोछा लगा कर उठी और बालटी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगी , अरुण ने शालिनी की घुटने तक उठी साडी मे थिरकते उसके मोटे मोटे चुतड़ देखे तो उसको रहा नही गया ।
वो लपक कर किचन मे थाली रख कर सिंक मे हाथ धुला और अपने लोवर मे पीछे की तरह हाथ रगड़ता साफ करता हुआ तेजी से बाथरूम की बढ़ गया ।बाथरूम से बालटी मे पानी भरने की आवाजें आ रही थी और कपड़े कचारने की भी ।
अरुन ने हल्का सा भीडके हुए दरवाजे से झाक कर देखा तो उसकी आंखे फैल गयि ।

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बाथरूम के उसकी मामी सिर्फ पेतिकोट मे बैठी हुई अपने जिस्म से उतारे हुए कपड़े धूल रही थी ।
दरवाजे का हैंडल पक्ड कर अरुण बाथरूम मे झाक रहा था और लोवर मे उसका लन्ड तना हुआ था ।
तभी दरवाजे के कब्जे मे हलचल हुई या फिर अरुण के हाथों का दबाव हैंडल पर ज्यादा हुआ और चोईईई की आवाज करता हुआ बाथरूम का दरवाजा भीतर की ओर खुल गया

सामने शालिनी चौक कर सरफ की गाज वाले हाथ से अपने खुले हुए चुचे छिपाती हुई - अरे बाबू तुम यहा

अरुन नजरे चुराने लगा - वो मामी मुझे बाथरूम यूज़ करना था तो सॉरी वो मै

शालिनी - अरे तो बेटा पाखाना बगल मे है ना
अरुण की नजरे शालिनी की मोटी मोटी पपीते जैसे चुचियों पर थी वो अटकता हुआ - नही वो मुझे पैर धूलना था और दाल मेरे पैर पर भी गिरी थी

अरुण ने पाव आगे कर कर जुठ के दाग दिखाया और शालिनी को असहज मह्सुस हुआ कि उसकी जुठन गिरने के बाद भी अरुण ने कोई शिकायत नही की ।

शालिनी ने सामने से कपड़े हटाये और उसको पैर आगे करने को बोला ।

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अरुण ने पैर आगे किये और शालिनी पानी डालती हुई उसके पैर धूलती हुई - वही देखो ना मेरी साडी भी खराब हो गयी और फिर यहा उपर ब्लाउज मे भी दाग लग गया था ।

शालिनी बड़बड़ा रही थी और अरुण की निगाहे उसकी मोटी मोटी झूलती थन जैसी छातियों पर थी ।

शालिनी - लो हो गया
अरुण - हा लेकिन मुझे अब लोवर भी बदलना पड़ेगा

शालिनी - क्यू क्या हुआ
अरुण - अरे देखो ना मामी यहा वहा छीटें गये हुए है

शालिनी - अरे हा , ला बेटा निकाल धूल देती हु इसे ,

अरुण मुस्कुरा कर लजा कर - अह नही नही बाद मे
शालिनी - अरे निकाल ना , क्यू जिद कर रहा है

अरुण हस कर - मामी वो मैने निचे कुछ पहना नही है

अरुन का जवाब सुनते ही शालिनी की नजर सीधा उसके लोवर मे बने तम्बू पर गयी और वो हसती हुई - क्यु

अरुण - मामी वो कच्छी मेरी बड़ी मामी के यहा छूट गयी है

शालिनी - अच्छा
अरुण - आप कहो तो निकाल दूँ
शालिनी ने उसका शरारती चेहरा देखा और हस्ती हुई खडी हुई और उसको बाथरूम से बाहर करती हुई - चलो हटो बदमाश कही के , जाओ कमरे से बदल कर लाओ ।

अरुण हसता हुआ बाहर आ गया और शालिनी ने दरवाजा भिड़का दिया ।
अरुण झट से कमरे मे गया और उसने अपनी लोवर निकाली और अपना लन्ड भींचता हुआ सिस्का - अह्ह्ह मामीईई क्या मस्त पपिते है आपके ऊहह हिहिही सच मे मामी हो तो ऐसी हो ।
अरुण का दिमाग नही चल पा रहा था कि वो क्या करे क्या नही , कैसे भी करके वो इस मोमोंट का फायदा लेना चाहता था ।

उसने लोवर निकाला और टीशर्ट मे बाहर आया और बाथरूम के बाहर जीने की अरगन से तौलिया खिंच कर लपेट कर वापस से बाथरूम के आगे पहुच गया
बिना किसी दस्तक के उसने फिर से दरवाजा खोल दिया और सामने शिला पूरी नंगी खड़ी जिस्म पर साबुन मल रही थी


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पुरा का पुरा नंगा जिस्म देख कर अरुण का मुह खुला रह गया आखे बड़ी हो गयी , लन्ड फौलादी हो गया
हाथ से लोवर निचे गिर पड़ा ।

शालिनी एक बार फिर चौकी और अपने चुत को ढ़कती हुई दोनो हाथ क्रॉस किये जिससे साबुन मे मिजी हुई चुचिया सेंटर मे आ गयि , सीधी और तनी हुई ।
गोरी मोटी गोल गोल चुचियों पर भूरे निप्प्ल उसकी खुबसूरती मे दो सितारे के जैसे थे ।

शालिनी - अरे देखा क्या रहा है पागल , जा ना
अरुन हड़ब्डा कर - अह हा हा जी मामी

अरुण नजरे फेरे वापस जा रहा था कि शालिनी ने उसे आवाज दी - अच्छा सुन , अब आ गया तो मेरी पीठ मल दे जरा

अरुण - जी ठिक है
ये बोलकर वो बाथरूम मे दाखिल हुआ
शालिनी उसकी ओर घूम गयी और 40 साइज़ की उसकी बड़ी सी गाड़ अरुण के आगे पूरी नंगी , साबुन के झाग मे झलकती हुई और कामुक लग रही थी ।
शालिनी ने साबुन की टिक्की थमाई और अरुन ने फीसलते हाथ से उसे पकडा और पीठ पर घुमाने लगा ,

मामी को ऐसे छूने की कल्पना तक नही की थी उसने और
शालिनी - हम्म्म जरा और निचे हा और थोड़ा

शालिनी ने अरुण के रेंगते हाथ को दिशा देते हुए कुल्हे तक ले आई थी , मगर अरुण की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो इसपे दाव खेलने का रिस्क उठाये ।

शालिनी उसके इरादे भरपुर जान रही थी , मगर वो भी खुद को रन्डी के जैसे पेश नही करना चाहती थी , तलब तो उसे भी और ये यकीन भी कि इसका लन्ड भी अनुज के जैसे ही कड़ा और मजबूत होगा ।
जवानी के दहलिज पर कदम रखने वाले किशोर छोरे के लन्ड की नसो कसावट आखिर तक ढीली नही पड़ती और अगले राउंड के लिए जल्दी तैयार भी हो जाता है ।

हाल ही उसने 3 जवाँ लन्ड का स्वाद ले चुकी थी उसमे अनुज के लन्ड ने उसकी दिलचसपी इंटर-हाईस्कूल के जवाँ लड़को मे बढा दी थी ।

लोवर मे बने तम्बू को याद कर शालिनी को यकीन था कि अरुण जरुर अनुज के टक्कर का ही होगा , मगर पहल हो कैसे ।
इधर अरुण के हाथ साबुन की तिकीया लिये उसके निचली कमर पर और नंगी चुतड की शुरुवात सीमा तक आ गये थे ,

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शालिनी के जिस्म मे कपकपाहट बढ रही थी उसके हाथ बड़ी कामुकता से अपनी छातीया कलाइयों से मिज रहे थे और एक मदहोशि सी चढ रही थी ।
बेसिन के आईने मे अरुण ने अपनी मामी की खुमारी देखी और शालिनी ने उसकी नजरे टकराई ।
शालिनी की आंखो मे उतरी बदहवासी को देख कर अरुण का कलेजा फडका , हिम्मत पर उसने हाथ आगे बढा का अपनी मामी की नंगे फुटबाल जैसे बडे बडे चुतड़ पर साबुन फिराया

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शालिनी सिस्क कर उसके सामने आंख बन्द कर ली और अरुण साबुन की तिकीया फर्श पर सरका दी और अपने चिकने पंजे को अपनी मामी की गाड़ पर घुमाने लगा , भांजे से स्पर्श से शालिनी सिहर उठी , उसने अपनी चुतड की दरार को कस लिया , जिस्म मे कपकपी सी होने लगी ।
अरुण बस अपनी मामी के चेहरे पर उभतरे हुए कामातुर भावों को पढते हुए अपने फिरात हुआ बीच वाली उंगली को गाड़ के सकरे दरारो के ढलानो पर ले गया ।

शालिनी का पुरा जिस्म गिनगिना गया और वही निचे उसके बुर के छोर के कुछ इंच की दुरी के पहले ही अरुण ने अपनी उंगली फ़ोल्ड कर शालिनी के गाड़ के फाकों मे घुसा दी , जिससे शालिनी उछल पड़ी- अह्ह्ह सुउउऊ

अरुण मुस्कुराया कि तभी हाल से एक तेज आवाज आई - निशा की मा कहा हो ?

ये आवाज अरुण के मामा जन्गी की थी ।
दोनो मामी भांजे की सासे अटक गयी अब क्या हो ,
मगर जवाब तो देना ही थी ।
आवाज की आवृति और तीव्रता से साफ मालूम हो रही थी कि जन्गी बाथरूम की ओर बढ़ रहा था ।

शालिनी ने मुह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया और बोली - अजी मै नहा रही हूँ

जन्गी - अच्छा अच्छा , जल्दी आओ और खाना लगा दो मै कपडे बदल रहा हूं

शालिनी ने हा मे जवाब दिया और जन्गी के कमरे मे जाने की आहट का इन्तजार किया

शालिनी हौले से दरवाजा खोल कर बाहर झाका और अरुण को फुसफुसा कर बाहर जाने का इशारा किया - जाओ जल्दी

फटी तो अरुण की भी थी इसीलिए वो फीके पडे चेहरे के साथ बाथरूम से निकलने लगा ।

शालिनी - अरे तौलिया तो देते जाओ
अरुण - नीचे कुछ नही है
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या तुम भी झट से भाग जाना कमरे मे , जल्दी लाओ नही तो तुम्हारे मामा आ जायेंगे

अरुण का गल सुखने लगा और हड़बडी मे उसने तौलिया निकाला और टीशर्ट खिन्च कर कभी पिछे चुतड़ छिपाता तो कभी आगे तना हुआ मुसल उसको ढ़कता हुआ , सरपट राहुल के कमरे मे भाग गया ।

जारी रहेगी
Ab dhire dhire anuj bhi ladkiyo k mamle mein expert ban Raha hai ab toh bas uske aur ragini k bich mein Kuch ho wo intezar hai fir raj rangi k sath milkar
Aur shadi k Baad Sonal jab mayke mein ayenge tab Apne chote Bhai aur baap se kab Kuch karegi uska bhi intezar hai
 

Deepaksoni

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UPDATE 208


रिन्की और दुलारी

दोपहर मे काम निपटा कर दुलारी रिन्की को लेकर समान लेने के बहाने चमनपुरा बाजार निकल गयी ।

रिन्की - क्या भाभी , वो सब जरुरी है क्या लेना ?
दुलारि अपने सर पर पल्लू आगे करती हुई धीरे से बोली - अच्छा ये बता , ये दुकाने बाजारे इतनी सजी और जगमग कयू रहती है ।

रिन्की - अरे भाभी ताकी ग्राहक ज्यादा आये उन्के यहा
दुलारी- हा तो जब तेरी दुकान सजी रहेगी तभी तो तेरा माल आयेगा लेने

रिन्की लजाई - भक्क भाभी आप बस सपने दिखा रहे हो , भैया तो मुझे ताकते भी नही । नयी वाली भाभी को देखी कितनी सेक्सी है और मै दूबली पतली ऊहह

दुलारी- अरे मेरी लाडो, फिकर ना कर तेरे ये चुजे की चोंच देख कर ही तेरा माल बावरा हो जायेगा , आ इस गली मे चलते है ।

रिन्की - भाभी यहा कितनी दुकाने है और सब पर जेन्स लोग है कैसे लेंगे यहा ?

दुलारी- तु चुपचाप चल , आगे देखते है

थोड़ी दूर बढ़ने पर रिन्की ठिठक कर खड़ी हो गयी , उसकी आंखे फैल गयी और गला सूखने लगा ।
दुलारी उसका हाथ पकड़ कर खिन्चती हुई - क्या हुआ चल ना

रिन्की ने आंखो से सामने एक दुकान पर इशारा किया , जिसपे अनुज बैठा हुआ था ।

दुलारी की आंखे चमक उठी - अरे ये तो वही है ना ? शादी वाला आशिक़

रिन्की खुश हुई और लजाती हुई धीमी अवाज मे - हा भाभी और वो नई भाभी का सगा भाई है ।

दुलारी - हा हा पता है, चल चलते है
रिन्की अपनी कलाई छुड़ाती हुई - क्या ! नही नही प्लीज भाभी

दुलारी- अरे समान मै लूंगी ना , तु बस बातें करना उससे चल

रिन्की असहज होकर दुलारी के साथ अनुज के दुकान पर चली गयी ।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और जैसे ही दुकान पर उसकी नजरे अनुज से टकराई वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर ली
अनुज और रिन्की दो शर्म से गाढ़ हुए जा रहे थे और दुलारी उन्हे देख कर मुस्कुरा रही थी ।

अनुज ने दुलारी को नमस्ते किया ।
दुलारी- ओहो पहचान रहे हो क्या आप हमे
अनुज मुस्कुरा कर एक नजर रिन्की को देखा और हा मे सर हिलाता हुआ - जी आप दीदी की शादी मे आई थी ना
दुलारी - फिर इनको भी पहचानते होगे

दुलारी ने रिन्की की ओर इशारा किया तो अनुज ने हा मे सर हिलाते हुए - जी इनको भी साथ मे देखा था ।

दुलारी- बस देखा था !
अनुज - हा वो मै , अच्छा आप लोग बैठिये मै कुछ मगाता हूँ , क्या लेंगी आप लोग

रिन्की - नही कुछ नही
दुलारी दुकान का स्टूल पकडती हुई - भई मेरी देवरानी का पीहर है तो मै तो खा पी कर ही जाउंगी हिहिहिही

अनुज रिन्की से - अरे बताईये ना

दुलारी ने रिन्की को छेड़ते हुए - अरे इसको लम्बी डंडे वाली मलाई कुल्फ़ी पसंद है , मिलती है क्या इधर

अनुज - हा यही मोड पर है वो घूमता रहता है और आप
दुलारी- अह , मुझे तो कुछ भी चलेगा जूस चाय कुछ भी

अनुज - बस दो मिंट आया
और अनुज दुकान से बाहर निकल गया ।

रिन्की हस्ती हुई - धत्त क्या भाभी वो क्या सोचेगा कि हम लोग खब्बू है और अपने लिये जूस तो मुझे मलाई कुल्फ़ी क्यूँ

दुलारी हसती हुई - बेटा खोज तो आज कल तु मलाई कुल्फी ही रही है हिहुहि क्यू

रिन्की - धत्त भाभी आप भी ना
कुछ ही देर मे अनुज जूस और कुल्फी लेके हाजिर हुआ और दोनो को दे दिया
दुलारी ने जूस का गिलास होठ से लगाया तो रिन्की ने रबड़ी लिभ्डी कुल्फ़ी के टिप को होठो से लगा कर सुरकने लगी ।

वो अनुज के सामने ऐसे पेश आने से लजा रही थी और अनुज से कनअंखियो से कुल्फी चुसते चाटते देख रहा था ।

अनुज - अच्छा अब बताओ क्या सेवा करू आपकी

दुलारी बुदबुदाइ - अरे इसको पटक के चोद दे बस
अनुज - जी
रिन्की ने मुस्कुरा कर दुलारि को देखते हुए कुल्फी का बाइट लिया ।
दुलारी जूस का गिलास रखती हुई - वो रिन्की के लिए जरा ब्रा पैंटी के सेट देखना था

दुलारी ने डायरेक्ट बोल दिया और रिन्की के गले कुल्फ़ी का टुकड़ा अटकते अटकते रह गया , वो खासने लगी ।

दुलारी और अनुज दोनो का ध्यान रिन्की की ओर गया ।
अनुज ने फिकर लपक कर पानी का बोतल उठाया और उसकी ओर बढाता हुआ - लिजिए पानी पी लिजिए

हाथ मे पानी का बोतल पकड़ते ही रिन्की और अनुज दोनो को शादी के रात वाली वो दासता याद आ गयि जब रिन्की ने बड़ी बेबाकी से अनुज के हाथ जूठा पानी पी लिया था ।

रिन्की ने कुल्फ़ी जूस के ग्लास मे रख कर पानी के बोतल से पानी पिया और बैठ गयी ।

दुलारी ने देखा अनुज की नजर अब भी रिन्की को देख रही है ।
दुलारी- दिखाईये ना

अनुज हड़बड़ाया - जी साइज क्या होगा

दुलारी- रिन्की क्या साइज़ है तेरा
रिन्की गले से थुक गटकती हुई धीरे से दुलारी के कान मे बोली - 30B
दुलारी- हा बाबू 30B देना और निचे का
रिन्की लजाती हस्ती हुई दुलारि का बाजू पकड़ कर उसपे लोटने सी लगी ।

दुलारी- अरे बोल ना
रिन्की - 32
दुलारी हस कर - निकाल दो बाबू 32 , और सुनो
अनुज - हा
दुलारी- जरा फैंसी मे दिखाना वो चला है ना डोरी वाला

रिन्की - क्या भाभी , नही जी वो सब मत दिखाना ।
दुलारी थोड़ा खुलती हुई - अरे अभी तो तेरे उमर है , अभी पहन ले नही तो शादी होने के बाद कहा ये सब नशिब होगा ।
रिन्की मुह बनाती हुई - जैसे आप बडा पहनते थे शादी से पहले

दुलारी- अरे मै पहन लेती , मगर मेरा साइज़ देखा है ना , वो थोडी ना थाम पायेगा

रिन्की अब तो लाज से हस्ती हुई दुलारी पर झोल ही गयी और अनुज भी दुलारी की फुहरपने पर शर्माता हुआ मुस्कुराने लगा ।

दुलारी- अच्छा ठिक है बढिया लेस वाली दिखाना
अनुज ने फटाफट दो तीन डब्बे निकाले और आगे परोस दिया ।

दुलारी खुले मन से पूरे काउंटर पर ब्रा पैंटी फैला कर उसकी क़्वालीटी और साइज़ देखने लगी ।
रिन्की और अनुज बस चोर नजरों से एक दुसरे को निहारते लजाते रहे ।
रिन्की - भाभी बस करो लेलो कोई एक और चलो

दुलारी - अरे ऐसे कैसे , पहले नाप तो ले , यहा कोई चंजीग रूम है क्या ?

अनुज थोडा असहज होकर एक नजर रिन्की को देखता है - वैसा तो कुछ नही है पर पीछे कमरा है चले जाओ ।

दुलारी ने दो जोड़ी ब्रा पैंटी दिये और उसको लेके कमरे मे चली गयी ।
बारि बारी से उसने चेक करवाया और कुछ देर बाद अकेले बाहर आ गयी ।

दुलारी दूकान मे आई और बोली - अच्छा और भी कोई रहता है क्या ?
अनुज - हा भैया भी , क्यूँ
दुलारी- वो कहा है ?
अनुज - वो अभी खाना खाने उपर गये है ।
दुलारी ने आस पास नजर घुमाई और फिर सड़क की आते जाते लोगो को देखा और फिर अनुज को देख कर आंखो से इशारे कर बोली - जाओ मै हु बाहर

अनुज चौका - क्या ?
दुलारी फुसफुसा कर - अरे धिरे बोलो और कमरे मे जाओ , मै हु इधर

अनुज सकपकाया उसकी धडकने तेज होने लगी , गला सुखने लगा - म मै समझा नही ,

दुलारी उसको पकड़ कर कमरे की ओर धकेलती हुई - ओहो सम्झाने का समय बाद में भी मिलेगा , अभी जाओ

अनुज दरवाजे से टकराता हुआ कमरे मे आया तो सामने रिन्की अपने समान्य कपड़ो मे खड़ी थी

अनुज अटकता हुआ - वो भाभी ने भेजा मुझे , क्या हुआ साइज़ सही है ना

रिन्की भी नजरे चुरा रही थी उसकी सासे धधक रही थी चेहरे पर फीकी मुस्कान थी और कलेजा काप रहा था - अह हा सब सही है और कलर भी ठिक है , एक सेट तो मैने पहन ही लिया हिहिही

अनुज उसके अजीब बरताव को मुह बना कर देख रहा था , देख रहा था कि उसकी उंगलियाँ बेचैनी मे एक दुसरे को कैसे तोड मरोड रही थी । देख रहा था हनहनाते पंखे की हवा मे उसके चेहरे नथुनो और सीने पर उभरा हुआ पसीना ।
उसके फड़कते होठ जो बेताब कुछ कहने को या कुछ करने को , हिलते पाव और चंचल निगाहो को , जो एक जगह ठहर नही रही थी ।

अनुज - अच्छा ठिक है मै जा रहा हु
रिन्की ने हिम्मत दिखाई और बोली - रुको
अनुज - हा कहो
रिन्की झिझक भरे लहजे मे - वो मै ये कह रही थी
अनुज उसके फूलते सीने को निहार रहा था और रिन्की उसकी नजर निहार रही थी ।
अनुज की नजरे एकाएक उससे टकराई और वो सहमा और थुक गटकता हुआ वो रिन्की की आंखो देख रहा था ।
रिन्की इधर उधर फिर से आंखे नचाने लगी और फिर अचानक से लपक कर अनुज पर झपटी और उसके होठ अपने होठ से दबोच लिये ।

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अनुज की आंखे फैल गयी , वो छुड़ाने को छ्टपटाया मगर रिन्की उसके गले मे अपने हाथ का पट्टा बना कर जकड रखा था और उसके होठ जबरजस्ती चुसे जा रही थी ।
अनुज पूरी ताकत से उससे अलग होकर हाफता हुआ - ये क्या था ?

रिन्की अनुज के माथे पर उभरी हुई नाराजगी से थोड़ा डरने लगी और थोड़ा शर्मिंदा थी - सॉरी , बट तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो

अनुज अपने लिप्स पर उन जगहो पर उन्गलियो से टैप कर रहा था जहा उसे रिन्की के दाँत मह्सूस हो रहे थे - तो तुम ये कह सकती थी, ये क्या तरीका हुआ बताने का ?


रिन्की तुनक कर मुह बनाती हुई - सुना था तुमने क्या उस रात और कितना डरते हो तुम

अनुज अपनी कमजोरी से बखूबी वाकिफ था मगर फिर उसके पास सवाल कई थे - हा लेकिन समय तो चाहिये होता है ना ऐसे किसी से दिल की बात कह दूँगा ।

रिन्की उदास होकर - तुम समय निहारते रहना और मै परसो अपने घर चली जाउन्गी ।

अनुज - क्या , लेकिन क्यू । मतलब जल्दी क्या है ?
रिन्की अनुज को बेचैन देख कर - तुम्हे भला उससे क्या ? मेहमान हु यहा घर थोड़ी है मेरा ।

रिन्की - और मै कौन सा तुमसे जनम जनम का साथ निभाने को कह रही थी , वो तो बस कुछ पल

अनुज अचरज भरी मुस्कुराहट- मतल्ब
रिन्की मुस्कुराई लजाई - मतलब तुम सब जानते हो ,हटो अब जाने दो तुम किसी काम के नही हुह

रिन्की आगे बढ़ने को हुई कि अनुज ने उसकी बाजू पकड़ अपनी ओर खीचा और उसके होठ के पास अपने होठ ले गया और उसको करीब से निहारते हुए उसकी आँखो की नाचती पुतलियों को देखता हुआ - अच्छा तो मै किसी काम का नही हूँ, रुको

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अनुज ने उसके होठ अपने होठ मे जोड़ लिये और दोनो एक दुसरे को चुसने लगे , रिन्की अनुज को अपनी बाहों ने भरने लगी और अनुज उसके चुतड़ मसलने लगा ।

तभी बाहर से आवाज आई - रिन्की घर से फोन आ रहा है चलो
दोनो अलग हुए अनुज संशय भरि नजरों से उसे देखता हुआ - रुक जाओ ना कुछ दिन

रिन्की उसकी आंखो मे निहारती हुई - परसो आओगे तब देखती हूँ

ये बोलकर वो उसके गाल चूम कर बाहर जाने को हुई कि अनुज की नजर फर्श पर बिखरी हुई रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी और वो लपक कर उठाता हुआ - अरे ये रह गया तुम्हारा ।

रिन्की शरारती मूड मे मुस्कुरा कर - रखो अपने पास मेरी याद दिलायेगा तुम्हे

अनुज शौक्ड भी हुआ और खुश भी और उसने चुपके से वो दोनो ब्रा पैंटी जेब मे डाल दी और बाहर आ गया ।

दुलारी के आगे अब भी दोनो मुस्कुरा शर्मा रहे थे
दुलारी ने कुछ नही कहा और फिर वो निकल गये घर के लिए


राहुल के घर

दुकान मे
शालिनी - अरे तेरे पापा कहा गये
राहुल - पता नही मम्मी , बोले अभी आता हूँ
शालिनी - अरे इनको रोज कुछ ना कुछ घटा रहता है बाजार घूमने निकल जाते है ।

इनसब के बीच अरुण की निगाहे अपनी मामी के गुदाज पेट की गहरि और कामुक नाभि पर जमी थी जो सीलिंग फैन की हवा से पल्लू के नीचे से झाक रही थी ।

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शालिनी की नजरे एकाएक अरुण की ओर गयी तो उसने उसकी नजर का पीछा कर पल्लू से पेट धकती हुई - आजाओ बाबू तुम खाना खा लो

अरुण ने एक नजर राहुल की ओर देखा तो राहुल ने जाने का इशारा किया ।
इधर अरुण उठने को हुआ तो शालिनी घूम कर गलियारे से हाल की जाने लगी ।
गलियारे से हाल मे दाखिल होते ही रोशनी उसका मोटा पीछवाडा और लचकदार कमर की थिरकन देख कर गलियारे के अन्धेरे मे अरुण ने अपना लन्ड भिन्चा और फिर किचन मे चला गया

शालिनी खाना परोस रही थी और अरुण सिंक मे हाथ धूल रहा था और उसकी नजर अपनी मामी के कुल्हे पर कसी हुई साड़ी पर थी जिसमे उसके चुतडो की गोलाई साफ साफ उभरी हुई थी ।

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मोटा पिछवाडा देख कर अरुण के ध्यान वो सीन याद आया जब उसने पल भर के लिए शालिनी को मूतते देखा था ।


शालिनी - हम्म लो बाबू खा लो
अरुण ने शालिनी के हाथ से थाली ली और हाल मे बैठ कर खाने लगा , उसकी नजर किचन मे ही जमी हुई थी ।

शालिनी को भी आभास था कि उसके चुतडो पर अरुण की नजर है उसने उसे सताने का सोचा
वो भी एक प्लेट मे खाना लेके आई और उसके पास मे बैठ कर खाने लगी ,

मामी के एकदम से करीब बैठने से अरुण को बेचैनी होने लगी , इधर शालिनी ने रेमोट से टीवी चालू कर दिया उसकी नजरें सिरियल पर थी और वो ये भी जान रही थी कि उसके भांजे की निगाहे रोटियाँ चबाते हुए उसके दूध के टैंकर भी निहार रहे है ।

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पल्लू पहले से ढीला रखा था , उसपे से ब्लाउज का लो कट गला जिसमे से झाकते हुए खरबूजे के जोड़े

इधर शालिनी खाना खतम करने को हुई थी और उठने जा रही थी कि उसकी साड़ी सोफे के एक बटन मे कही उलझी और उसका पल्लू पुरा का पुरा सीने से उतर गया ।

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भांजे के आगे अपना जोबन अपने जुठे हाथों से कैसे छिपाती साड़ी का पल्लू खिंचने मे हाथ से प्लेट सरक कर गिर गयी और दाल और बची हुई सब्जी फर्श पर दाग छोड़ती हुई पसर गयि अलग सो ।

शालिनी ने किसी तरह से अपनी साडी छुड़ाया और अपने भांजे से बिना को बात चीत किये सीने को ढकती मुस्कुराती हुई प्लेट उठा कर किचन मे चली गयी ।

हाथ मुह धूल कर वो झटपट बाथरूम की ओर गयी और वहा से एक बालटी लेके हाल मे दाखिल हुई

अबकी अपनी मामी को देख कर अरुण की आंखे बड़ी हो गयी ,
शालिनी अपनी साडी घुटनो तक उठा रखी थी , पल्लू घूम कर कमर मे फसा हुआ था । हाथ मे पोछे वाली बालटी लेके आ पहुची थी ।
अरुन मुह मे निवाला चबाता हुआ अपनी मामी की गोरी गोरी चिकनी पिंडलियों को निहारने लगा ।

शालिनी मुस्कुराते हुए बैठ गयी और बालटी से पोछा निकाल कर अरुण मे पास ही पोछा लगाने लगी ।

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घुटनो के बल आगे की ओर झुकी हुई शालिनी की चुचियों बलाऊज मे लतके हुए खुब हिल रही थी , मानो अब बाहर आ जाये मगर ब्रा मे उन्हे काफी हद तक अपने गिरफत मे ले रखा था ।

शालिनी ने अरुण की आंखो मे देखा और उसकी चोरी पकड कर मुस्कुरा दी - और कुछ चाहिये क्या बाबू

अरुण निवाला गटक कर ना मे सर हिलाया और

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शालिनी पोछा लगा कर उठी और बालटी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगी , अरुण ने शालिनी की घुटने तक उठी साडी मे थिरकते उसके मोटे मोटे चुतड़ देखे तो उसको रहा नही गया ।
वो लपक कर किचन मे थाली रख कर सिंक मे हाथ धुला और अपने लोवर मे पीछे की तरह हाथ रगड़ता साफ करता हुआ तेजी से बाथरूम की बढ़ गया ।बाथरूम से बालटी मे पानी भरने की आवाजें आ रही थी और कपड़े कचारने की भी ।
अरुन ने हल्का सा भीडके हुए दरवाजे से झाक कर देखा तो उसकी आंखे फैल गयि ।

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बाथरूम के उसकी मामी सिर्फ पेतिकोट मे बैठी हुई अपने जिस्म से उतारे हुए कपड़े धूल रही थी ।
दरवाजे का हैंडल पक्ड कर अरुण बाथरूम मे झाक रहा था और लोवर मे उसका लन्ड तना हुआ था ।
तभी दरवाजे के कब्जे मे हलचल हुई या फिर अरुण के हाथों का दबाव हैंडल पर ज्यादा हुआ और चोईईई की आवाज करता हुआ बाथरूम का दरवाजा भीतर की ओर खुल गया

सामने शालिनी चौक कर सरफ की गाज वाले हाथ से अपने खुले हुए चुचे छिपाती हुई - अरे बाबू तुम यहा

अरुन नजरे चुराने लगा - वो मामी मुझे बाथरूम यूज़ करना था तो सॉरी वो मै

शालिनी - अरे तो बेटा पाखाना बगल मे है ना
अरुण की नजरे शालिनी की मोटी मोटी पपीते जैसे चुचियों पर थी वो अटकता हुआ - नही वो मुझे पैर धूलना था और दाल मेरे पैर पर भी गिरी थी

अरुण ने पाव आगे कर कर जुठ के दाग दिखाया और शालिनी को असहज मह्सुस हुआ कि उसकी जुठन गिरने के बाद भी अरुण ने कोई शिकायत नही की ।

शालिनी ने सामने से कपड़े हटाये और उसको पैर आगे करने को बोला ।

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अरुण ने पैर आगे किये और शालिनी पानी डालती हुई उसके पैर धूलती हुई - वही देखो ना मेरी साडी भी खराब हो गयी और फिर यहा उपर ब्लाउज मे भी दाग लग गया था ।

शालिनी बड़बड़ा रही थी और अरुण की निगाहे उसकी मोटी मोटी झूलती थन जैसी छातियों पर थी ।

शालिनी - लो हो गया
अरुण - हा लेकिन मुझे अब लोवर भी बदलना पड़ेगा

शालिनी - क्यू क्या हुआ
अरुण - अरे देखो ना मामी यहा वहा छीटें गये हुए है

शालिनी - अरे हा , ला बेटा निकाल धूल देती हु इसे ,

अरुण मुस्कुरा कर लजा कर - अह नही नही बाद मे
शालिनी - अरे निकाल ना , क्यू जिद कर रहा है

अरुण हस कर - मामी वो मैने निचे कुछ पहना नही है

अरुन का जवाब सुनते ही शालिनी की नजर सीधा उसके लोवर मे बने तम्बू पर गयी और वो हसती हुई - क्यु

अरुण - मामी वो कच्छी मेरी बड़ी मामी के यहा छूट गयी है

शालिनी - अच्छा
अरुण - आप कहो तो निकाल दूँ
शालिनी ने उसका शरारती चेहरा देखा और हस्ती हुई खडी हुई और उसको बाथरूम से बाहर करती हुई - चलो हटो बदमाश कही के , जाओ कमरे से बदल कर लाओ ।

अरुण हसता हुआ बाहर आ गया और शालिनी ने दरवाजा भिड़का दिया ।
अरुण झट से कमरे मे गया और उसने अपनी लोवर निकाली और अपना लन्ड भींचता हुआ सिस्का - अह्ह्ह मामीईई क्या मस्त पपिते है आपके ऊहह हिहिही सच मे मामी हो तो ऐसी हो ।
अरुण का दिमाग नही चल पा रहा था कि वो क्या करे क्या नही , कैसे भी करके वो इस मोमोंट का फायदा लेना चाहता था ।

उसने लोवर निकाला और टीशर्ट मे बाहर आया और बाथरूम के बाहर जीने की अरगन से तौलिया खिंच कर लपेट कर वापस से बाथरूम के आगे पहुच गया
बिना किसी दस्तक के उसने फिर से दरवाजा खोल दिया और सामने शिला पूरी नंगी खड़ी जिस्म पर साबुन मल रही थी


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पुरा का पुरा नंगा जिस्म देख कर अरुण का मुह खुला रह गया आखे बड़ी हो गयी , लन्ड फौलादी हो गया
हाथ से लोवर निचे गिर पड़ा ।

शालिनी एक बार फिर चौकी और अपने चुत को ढ़कती हुई दोनो हाथ क्रॉस किये जिससे साबुन मे मिजी हुई चुचिया सेंटर मे आ गयि , सीधी और तनी हुई ।
गोरी मोटी गोल गोल चुचियों पर भूरे निप्प्ल उसकी खुबसूरती मे दो सितारे के जैसे थे ।

शालिनी - अरे देखा क्या रहा है पागल , जा ना
अरुन हड़ब्डा कर - अह हा हा जी मामी

अरुण नजरे फेरे वापस जा रहा था कि शालिनी ने उसे आवाज दी - अच्छा सुन , अब आ गया तो मेरी पीठ मल दे जरा

अरुण - जी ठिक है
ये बोलकर वो बाथरूम मे दाखिल हुआ
शालिनी उसकी ओर घूम गयी और 40 साइज़ की उसकी बड़ी सी गाड़ अरुण के आगे पूरी नंगी , साबुन के झाग मे झलकती हुई और कामुक लग रही थी ।
शालिनी ने साबुन की टिक्की थमाई और अरुन ने फीसलते हाथ से उसे पकडा और पीठ पर घुमाने लगा ,

मामी को ऐसे छूने की कल्पना तक नही की थी उसने और
शालिनी - हम्म्म जरा और निचे हा और थोड़ा

शालिनी ने अरुण के रेंगते हाथ को दिशा देते हुए कुल्हे तक ले आई थी , मगर अरुण की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो इसपे दाव खेलने का रिस्क उठाये ।

शालिनी उसके इरादे भरपुर जान रही थी , मगर वो भी खुद को रन्डी के जैसे पेश नही करना चाहती थी , तलब तो उसे भी और ये यकीन भी कि इसका लन्ड भी अनुज के जैसे ही कड़ा और मजबूत होगा ।
जवानी के दहलिज पर कदम रखने वाले किशोर छोरे के लन्ड की नसो कसावट आखिर तक ढीली नही पड़ती और अगले राउंड के लिए जल्दी तैयार भी हो जाता है ।

हाल ही उसने 3 जवाँ लन्ड का स्वाद ले चुकी थी उसमे अनुज के लन्ड ने उसकी दिलचसपी इंटर-हाईस्कूल के जवाँ लड़को मे बढा दी थी ।

लोवर मे बने तम्बू को याद कर शालिनी को यकीन था कि अरुण जरुर अनुज के टक्कर का ही होगा , मगर पहल हो कैसे ।
इधर अरुण के हाथ साबुन की तिकीया लिये उसके निचली कमर पर और नंगी चुतड की शुरुवात सीमा तक आ गये थे ,

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शालिनी के जिस्म मे कपकपाहट बढ रही थी उसके हाथ बड़ी कामुकता से अपनी छातीया कलाइयों से मिज रहे थे और एक मदहोशि सी चढ रही थी ।
बेसिन के आईने मे अरुण ने अपनी मामी की खुमारी देखी और शालिनी ने उसकी नजरे टकराई ।
शालिनी की आंखो मे उतरी बदहवासी को देख कर अरुण का कलेजा फडका , हिम्मत पर उसने हाथ आगे बढा का अपनी मामी की नंगे फुटबाल जैसे बडे बडे चुतड़ पर साबुन फिराया

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शालिनी सिस्क कर उसके सामने आंख बन्द कर ली और अरुण साबुन की तिकीया फर्श पर सरका दी और अपने चिकने पंजे को अपनी मामी की गाड़ पर घुमाने लगा , भांजे से स्पर्श से शालिनी सिहर उठी , उसने अपनी चुतड की दरार को कस लिया , जिस्म मे कपकपी सी होने लगी ।
अरुण बस अपनी मामी के चेहरे पर उभतरे हुए कामातुर भावों को पढते हुए अपने फिरात हुआ बीच वाली उंगली को गाड़ के सकरे दरारो के ढलानो पर ले गया ।

शालिनी का पुरा जिस्म गिनगिना गया और वही निचे उसके बुर के छोर के कुछ इंच की दुरी के पहले ही अरुण ने अपनी उंगली फ़ोल्ड कर शालिनी के गाड़ के फाकों मे घुसा दी , जिससे शालिनी उछल पड़ी- अह्ह्ह सुउउऊ

अरुण मुस्कुराया कि तभी हाल से एक तेज आवाज आई - निशा की मा कहा हो ?

ये आवाज अरुण के मामा जन्गी की थी ।
दोनो मामी भांजे की सासे अटक गयी अब क्या हो ,
मगर जवाब तो देना ही थी ।
आवाज की आवृति और तीव्रता से साफ मालूम हो रही थी कि जन्गी बाथरूम की ओर बढ़ रहा था ।

शालिनी ने मुह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया और बोली - अजी मै नहा रही हूँ

जन्गी - अच्छा अच्छा , जल्दी आओ और खाना लगा दो मै कपडे बदल रहा हूं

शालिनी ने हा मे जवाब दिया और जन्गी के कमरे मे जाने की आहट का इन्तजार किया

शालिनी हौले से दरवाजा खोल कर बाहर झाका और अरुण को फुसफुसा कर बाहर जाने का इशारा किया - जाओ जल्दी

फटी तो अरुण की भी थी इसीलिए वो फीके पडे चेहरे के साथ बाथरूम से निकलने लगा ।

शालिनी - अरे तौलिया तो देते जाओ
अरुण - नीचे कुछ नही है
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या तुम भी झट से भाग जाना कमरे मे , जल्दी लाओ नही तो तुम्हारे मामा आ जायेंगे

अरुण का गल सुखने लगा और हड़बडी मे उसने तौलिया निकाला और टीशर्ट खिन्च कर कभी पिछे चुतड़ छिपाता तो कभी आगे तना हुआ मुसल उसको ढ़कता हुआ , सरपट राहुल के कमरे मे भाग गया ।

जारी रहेगी
Dhakad or itna kakum or garm krne wala update diya bhai bta nhi sakta awesome bhai ji

Rinki ke kiss ne to anuj ko ek dam shock kar diya but jab rinki ruth kar jane lagi tab anuj ne uske utre hue cehre ko dekh kr rinki ke hontho par apni karigari dikha hi di

Salini apne banje ke irade jaan gayi thi ise liye use tadpane k liye usko apne jism ka adbhut darsan karwa karwa kr usko garm kar rahi thi but jab arun ne apni mami ko nangi dekha to uske to hosh hi udgaye the to salini ne apne nauthy pan se arun ko apne jism ke chedo ko ragadne ke liye arun ko bathroom me bula hi liya but janggi k aa jane se arun or salini ki gand fat gayi but arun apni mami k gand me ungli dalne me safal ho gya agr janggi nhi ata to aaj hi apni nangi mami chut me uska land pani chod rha hota waise bhai ji maja aa gya

Agla update jaldi dena salini or arun ka
 

maakaLover

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Ohhh
वो एक्म्द चुप हो गये फिर बोले - क्या बात है बताओ ना
मै - जी शादी के पहले से ही देवर जी मुझे पसंद करते थे और ...
फिर मैने तेरे फुफा को बताया कि कैसे सुहागरात पर देवर जी मुझे अपने दिल की बात बताई थी ।

वो - क्या ? तुमने पहले क्यू नही बताया और शायद यही वजह है कि वो क्म्मो के करीब होने से कतरा रहा है
मै - हम्म्म शायद
वो अफसोस करते हुए - हे भगवान ये मुझ्से क्या पाप पर पाप हो रहा है , पहले उसकी बीवी अब उसका प्यार भी छीन लिया मैने
मै - क्या बोल रहे है आप ?

वो - तुम उसका प्यार हो शिला , मै उस्का स्वभाव जानता हु वो कभी क्म्मो को नही अपनायेगा

मै चौक कर - क्या ?
वो - हा सच कह रहा हु , अगर ये बात तुम उस दिन बता देती तो शायद ये सब ना हुआ होता

मै - अब
वो - कल सुबह बात करते है

फिर अगली सुबह मिटिंग हुई और इस बार तेरे फूफा ने देवर जी डांट लगाई कि क्यू उसने ये बात पहले नही बताई और अब कम्मो का जीवन खराब कर रहा है ।
बहुत बात बहस हुई और तेरे फुफा ने बड़े भाई होने का हवाला देकर देवर जी को कसम दी कि वो वापस से मेरे साथ रहे और उन्होने क्म्मो की रजामंदी लेके उसके साथ रहने का फैसला किया । साथ मे ये भी तय हुआ कि समाज की नजर मे मै तेरे फुफा की बीवी रहूँगी और क्म्मो देवर जी की । संजोग कि बात थी उन दिनो मेरे सास ससुर मेरी ननद के यहा गये हुए थे तो कौन किसके कमरे मे है कोई देखने वाला नही था ।

फिर रात ढली और हफते भर बाद फिर से देवर जी मेरे साथ थे ।
फिर वही चुप्पी , मै बिस्तर पर बैठी रही और देवर जी निचे अलग बिस्तर लगाने लगे ।

मै - ये क्या कर रहे है आप उपर आईये
देवर - भाभी जी प्लीज मुझसे नही हो पायेगा , मुझे समय चाहिये

मै यही उचित सम्झा और उन्हे अलग सोने दिया , सारी रात मेरी चुत कुलबुलाती रही और ना मुझे नीद आई ना देवर जी को ।
अगली सुबह कम्मो से बात की तो पता चला तेरे फुफा ने रात मे दो बार हचक के पेलाई की उसकी ।
एक पल के लिए मुझे तेरे फुफा के चरित्र के लिए सवाल आते मगर ये सोच कर टाल देती कि मेरी बहन का जीवन सवर रहा है तो अच्छा ही है ।
दो रात बीती और देवर जी अलग ही सोये , मुह से सिर्फ भाभी ही निकलता ।

अगले दिन सोमवार था और हम चारो को मन्दिर जाना था । ऐसे मे हमे समाजिक रूप से शादी वाले जोड़े मे ही दिखना था , मतलब मै और तेरे फूफा एक साथ और क्म्मो देवर जी एक साथ ।

मंदिर की सीढियां उतरते समय हम दोनो जोड़े थोड़ी थोड़ी दुरी पर थे और मेरी तेरे फुफा से बात हो रही थी देवर जी को लेके ।

वो - क्या हुआ तुम उदास हो ,
मै - मुझे उनका कुछ समझ नही आ रहा है , वो बस यही कहते है कि उन्हे समय चाहिये ।
वो - तो क्या तुम दो दिन से ऐसे ही
मै लजाई और मुस्कराई - मेरा छोडिए , अपना बताईये याद तो आती नही होगी मेरी उम्म्ं

वो थोडा हस कर - कैसी बात कर रही हो जान
मैने उन्हे घूरा और वो हसते हुए - हा और क्या तुम मेरी हमेशा से जान ही रहोगी , तुम्हारी चुत का स्वाद मै कैसे भूल सकता हु

उनकी बाते सुन कर मै भितर से मचल उठी और बोली - क्यू मेरी बहन के स्वाद मे कही है क्या
वो - उसका अपना ही नशा है , वो तुम्हारी तरह चुसने से घबराती नही खड़ा खड़ा ही घोंट जाती है

मै तुन्की - हुह तो मेरे पीछे क्यू पडे है जाईये चुसवाईए उसी से
वो - आह्ह जान नाराज ना हो , तुम्हारी चुत के रस का उस्से कोई मुकाबला तुम दोनो बहने अपनी अपनी जगह पर लाजवाब हो

मै मुस्कराई और पास आते हुए क्म्मो-देवर जी की ओर इशारा करके बोली - अपना छोडिए ये बताईये इनका क्या होगा , कुछ सोचा आपने

वो - आज दुपहर मे रामू (रामसिंह) बाजार जा रहा है कुछ काम से गौशाला मे मिलो मुझे बताता हु

मै समझ गयी कि मेरी रग्दाई पक्की थी और हुआ भी ऐसा ही
मेरे ब्लाउज खुले थे और चुचे हवा के झूल रहे थे और मेरी साडी पेतिकोट उठा कर वो मेरे चुत पर टूट पड़े थे मै सिस्कती कसम्साती अकड़ती उनका सर पकड कर अपनी चुत पर मले जा रही थी

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" अह्ह्ह मेरे राजा कब तक हम ऐसे तड़पेन्गे ऊहह , आपको तो हर रोज नई नई मिल जा रही है कभी हम बहनो का दर्द नही सोचते " मै मदहोश होकर उनका सर अपनी बुर पर दरती हुई सिस्कती हुई बोली ।

वो उठे और मेरे रस से लिभडाए होठो से मेरे लाल रसिले होठों को चुसते हुए बोले - तुम्हारे लिये हम भी कम नही तड़पते मेरी जान, तुम्हारी रसिली जवानी का स्वाद हर पल मुझे सताता है ।

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मै तुनकी और उन्होने मुझे पीछे से धर लिया , उन्के पन्जे मेरे फुल सी नाजुक अमियों मे मिसलने लगी और वो उनका रस गारते हुए कसकर मरोडने लगे , उनका मोटा खुन्टा पीछे मेरे चुतडो पर ठोकर मार रहा था ।
लपक कर मैने भी उसको पजामे के उपर से धर लिया और मुठियाते हुए - देखीये अब ये मुझसे ये बेचैनी और सही नही जायेगी , या तो आप मेरे पास आ जाईये या फिर कहिये अपने भाई को मेरी जरूरते पूरी करे अह्ह्ह सीईई

वो मेरे जोबन मसलते हुए - आह्ह जान तुम खुद को कम क्यू आंकती हो , अरे वो तुम्हारे इन्ही रसभरे जोबनो और इन मोटे चुतडो का दिवाना है , दिखाओ ना उसे अपने जलवे आह्ह ।

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Mujhe ye pdhkr sbse jyda sad feel hua yrr ki Chhota Bhai Jo achha usko pehle na biwi mili na pyar aur bde ne khub maje lute.
Baki Puri story padhi pichhle 4-5 din me,, bahut shi story h
 
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