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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

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आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

Rony 1

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UPDATE 222

राज के घर

इधर दोनो भाई रिक्शा कर घर के लिए निकल गए और दोनो के मन उखड़े हुए थे , मगर राज को अनुज के सिक्रेटस पता होने पर हंसी आ रही थी ।
अनुज ने नोटिस किया तो पूछ भी लिया - क्या हुआ भैया हस क्यूं रहे हो
राज - कुछ नही भाई तू उदास होना छोड़ दे । फिर कोई नई मिल जाएगी हाआआह्ह

अनुज - मैं समझा नही , क्या नई मिल जाएगी
राज हसता हुआ - रिंकी जैसी कोई , और तेरी तो किस्मत भी बुलंद है एक को छोड़ा तो दूसरी उठा ले गई तुझे हाहहा
राज की उलझी हुई बातें अनुज समझा गया कि उसके भैया को रिंकी और दुलारी भाभी दोनो की बात पता है
अनुज पहले शरमाया फिर उदास होकर - हा लेकिन क्या फायदा , पता नही कब मिलना होगा उनसे और फिर कल बुआ भी चली जाएगी

राज - अरे तो टेंशन क्यूं ले रहा है , आज घर में मम्मी पापा है नही तो काम बन जाना ही चाहिए

अनुज - सच में भैया , लेकिन मौसी है ना
राज - उसकी फिकर ना कर तू, पहले घर चलते है
इधर दोनो भाई घर की ओर बढ़ रहे थे तो वही चौराहे वाले घर रज्जो और शीला ने अपनी अपनी पैकिंग आज ही पूरी कर ली

रज्जो - उह्ह्ह्ह लोह्ह भाई ये भी बैग भर गया , अब थोड़ा आराम चाहिए मेरी तो सास ही फूलने लगी

शिला मुस्कुराई और उसको अपनी ओर खींचती हुई - फिर तो योगा वोगा शुरू कर दो मेरी जान , मेरे यहां तो मुंह खोले बिना ही सास लेनी पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त कामिनी तु भी ना ,
शिला मुस्कुराई और उसकी बिस्तर पर धकेलती हुई - क्या बोली साली उम्म्म
और देखते ही देखते शिला उसके ऊपर चढ़ गई और उसके हाथ ऊपर कर उसके लिप्स चूसने शुरू कर दिए
रज्जो भी जोश में आकर शिला के लिप्स को चूबलाने लगी ,

शिला उसके ऊपर माथे जा रही थी और दोनो आपस में एक दूसरे को चूसे जा रहे थे
शिला ने अपनी कुर्ती ऊपर की और मोती मोटी दुधारू चूचियां रज्जो के मुंह पर रखती हुई ठूंसने लगी - अअह्ह्ह्ह्ह साली छीनार लेह बहुत बोलती है तेरा मुंह तो कई ऐसे ही बंद करूंगी अह्ह्ह्ह आउच उह्ह्ह्ह हरामजादी काट क्यू रही है

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रज्जो उसकी मोटी चूचियां दोनो हाथो से पकड़ कर बारी बारी से निप्प्स को चूसने लगी और मिजती हुई - तेरी रसीली चूची को खा जाऊं ऐसी है ये उह्ह्ह्ह मेरी रांड शिला तेरे जोबन देख कर तो मेरा दिल बावरा हो जाता है तो तेरे घर के मर्दो का क्या हाल होता होगा उम्मम्म सीईईईईईआईआई

शिला उसके मुंह में अपनी चूचियां ठूंसती हुई - वही हाल होता है जैसा तेरा है मेरी सेक्सी रांड अअह्ह्ह्ह्ह कामिनी मुझे पटक दिया

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रज्जो उसको घुमा कर नीचे कर देती है और अपनी मैक्सी उतार कर फेकती हुई वापस उसके ऊपर चढ़ कर उसकी रसीली मोटी थन सी चुचियों पर टूट पड़ती है - बहिनचोद तुझे तो पटक के पेलने में जो मजा है वो कही और कहा अअह्ह सच सच बता , तू अपने मुहल्ले भर के बच्चो को दूध पिलाती है क्या जो निप्पल तेरे इतने मोटे हो गए है अअह्ह्ह्ह्ह

रज्जो उसकी चूचियां बदल बदल कर चूस रही थी - सच सच बता कौन कौन दूहता है तुझे मेरी जान आह्ह्ह्ह्ह्

रज्जो जिस तरह से शिला को मसल रगड़ रही थी शिला की चूत बजबजाने लगी थी - चल रही है , रोज सुबह भोर में दुहवा दूंगी तुझे भी अअह्ह्ह्हह् बहिनचोद उह्ह्ह्ह हिहिहिही आराम से फट जाएगा

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रज्जो उसकी लेगी खींचती हुई - भोसड़ा बना चुकी है अब बचा ही क्या है उसमे , हाथी जैसा लंड घोंट घोंट कर पूरा हाईवे बना लिया है

शिला कसमसाती हुई अपने कूल्हे उछालने लगी - आह्ह्ह्ह्ह फिर क्यों चाट रही है उसे कुतिया के जैसे अअह्ह्ह्हह ममीइइई उह्ह्ह्ह

रज्जो उसकी चूत में मुंह लगाए हुए - क्योंकि तेरी भोसड़ी का रस बहुत टेस्टी है अअह्ह्ह्हह कितना गर्म गर्म माल छिपा रखा है उम्मम्म्मम

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रज्जो उसकी बुर में अपनी थूथ रगड़ती हुई भीतर जीभ नचाने लगी - अअह्ह्हह साली रण्डी कुतिया और चाट अअह्ह्ह्ह मेरा भोसडेदार चूत अअह्ह्ह्हह उह्ह्ह और और उह्ह्ह्ह


इधर दोनो चुदासी सेक्सी औरते आपस में एकदूसरे को मीज मसल रही थी तो वही बाहर राज और अनुज रिक्से से उतर चुके थे और गेट खोल कर मेन दरवाजा खोलते हुए हाल में घुसते है

अनुज - अरे बुआ और मौसी कहा है ? बुआआआ !!
तभी राज उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकता हुआ अपनी मां के कमरे की ओर इशारा करते हुए चुप रहने को कहा
दोनो भाई दबे पाव कमरे की ओर बढ़े , कमरे से तेज कूलर की हनहनाहट में रज्जो और शीला की सिसकियां घुल चुकी थी
जैसे ही कमरे के दरवाजे से दोनो ने भीतर झांका राज और अनुज दोनो चौक गए

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सामने बिस्तर पर शिला की जांघें खोले हुए रज्जो उसके ऊपर चढ़ कर कैंची बनाते हुए उसकी चूत से अपनी चूत आपस में रगड़ रही थी

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दोनो भाई भौचक्के एक दूसरे को निहारते हुए खुश हो गए और अपना अपना लंड बाहर निकाल कर उसको सहलाते हुए कमरे में दाखिल हुए
जैसे ही शिला को भनक हुए वो रज्जो को धकेलते हुए उठ गई इस डर से की घर में बाकी लोग भी आ गए होगे

शिला - तु तुम दोनो , इतना जल्दी कैसे
अनुज हस्त हुआ - बस देखने आए थे आपको हिहिहिही
रज्जो - अनुज मस्ती नही , बता बाकी लोग कहा है ?

अनुज दांत दिखाता हुआ - खुद अकेले अकेले मस्ती कर रही हो और हमें कह रही हो मस्ती नही , देखा भैया इतनी नाइंसाफि

राज हस्त हुआ - ओहो बुआ मौसी कोई नही है , बस हम लोग है ,पापा मम्मी कल आयेंगे

रज्जो ने चैन की सास ली - लेकिन तुम दोनो अंदर कैसे आए , दीदी तुम दरवाजा लगाई थी न

शिला कुछ देर सोचा कर अपनी जीभ दांत में दबा कर मुस्कुराते हुए रज्जो को देखा और हसने लगी .
रज्जो - हम्म तभी तो मैं सोचू ये दोनो बैल घर में कैसे घुसे

अनुज - हम दोनो बैल अपनी अपनी गईया खोजते आए है मौसी हिहिहिही
शिला - ये कितना बिगड़ गया है इधर आ बताती हुं

अनुज अपना लंड सहलाता हुआ - आपके पास ही आ रहा हु बुआ
अनुज अपना लंड शिला के आगे परोसता हुआ उसके सर को सहलाने लगा ,शिला भी बिस्तर पर घोड़ी बनकर अनुज का लंड मुंह में भर कर चूसने लगी - अह्ह्ह् बुआ कितना ठंडा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई

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वही बगल से राज की भी सिसकी आने लगी - उम्म्म मौसी आह्ह्ह्ह्ह आपका तरीका बहुत अच्छा लगता है अह्ह्ह्ह कल से बहुत याद आओगे आप उह्ह्ह्ह

अनुज - हा बुआ आपकी भी बहुत याद आयेगी उह्ह्ह्ह आराम से उम्मम्म आप तो पूरा घोट जा रही हो अअह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ उह्ह्ह्ह और चूसो उम्म्म्मम

शिला - मुझे भी तुम सब की बहुत याद आयेगी मेरे लाडलो उह्ह्ह्ह और ये भी कि मेरे बेटे अब जवान हो गए है आआआआअह्ह्ह औरते संभालने लायक
राज - क्यू बुआ पहले शक था क्या हिहिहिही आआआह्हह्ह्ह मौसी उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड जी कर रहा है आपके मुंह में भर दू अह्ह्ह्ह्ह् ये लोह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह कितना मजा आता है आपके हर छेद में पेलने का उह्ह्ह्ह्ह्

राज गला फाड़ता हुआ रज्जो के गले में अपना लंड घुसेडने लगा और फिर उसको धक्का देकर बिस्तर पर चढ़ कर चूत में लंड घुसा दिया

रज्जो - आआआह्ह लल्ला उह्ह्ह्ह कबसे तेरे लंड को प्यासी थी मेरी चूत उह्ह्ह्ह और पेल आह्ह्ह्ह हा ऐसे ही अअह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बेटा ओह माआआ

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राज उसकी चूत ने हचक के लंड उतार रहा था - अब ठीक न मौसी उह्ह्ह्ह लोह और लोह आज पूरी बच्चेदानी भर दूंगा तुम्हारी उह्ह्ह
रज्जजो : उह्ह्ह्ह लल्ला तेरे लंड से मेरी चूत बहने लगी है अअह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह हा खा जा उह्ह्ह्ह मम्ममिई उह्ह्ह्ह

राज लपक कर रज्जो की चूत में मुंह दे दिया और वही बगल शिला की जांघो के बीच अनुज भी उसकी बुर की फाकों से लेकर गाड़ की भूरी सुराख तक जीभ फिरा रहा था - उह्ह्ह्ह बेटा उम्म्म कितना मस्त चाटता है तू उम्मम्म्म आआह्ह्ह्ह्ह् भाभीए इन दोनो की जोड़ी कमाल की है अअह्ह्ह्हह
रज्जो बगल में लेटी हुई शिला के लिप्स से अपने लिप्स जोड़ कर मुस्कुराई हुई - जोड़ी तो हम दोनो की भी कमाल की है मेरी जान

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अनुज - उम्म्म बुआ ना कबसे मुझे आपके बुर को चाटने का सपना आता था , है रोज आपकी गाड़ चाटने का सोच कर हिलाता था मैं उह्ह्ह्ह कितनी रसीली बुर है आपकी सीईईईईईआईआई

शिला - अअह्ह्ह्हह खा जा बेटा , चाट ले अपनी बुआ की बुर उम्म्मम तेरी छोटी सी जीभ मुझे पागल कर दे रही है

" मैं भी इसे खा लूं क्या मेरी जान अह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह राज आराम से उह्ह्ह्ह बेटा उह्ह्ह्ह्ह" , रज्जो घोड़ी बनी हुई शिला की मोटी हिलती चूची को पकड़ कर सहलाती हुई अपने मुंह में भर लिया और उसके निप्पल चूसने लगी ।

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शिला मानो पागल सी हो गई - अहह्ह्ह्ह भाभी उह्ह्ह्ह पी जाओ मेरे थन से टपकते रस को अअह्ह्ह्हह अओह्ह आराम से लाला उह्ह्ह्ह बहुत कसा है अच्छे से घुसा

रज्जो पीछे से राज के करारे झटके अपनी चूत में लेती हुई - अह्ह्ह्ह्ह लल्ला कस के घुसा एक ही बार में फाड़ दे उह्ह्ह्ह्ह

अनुज मारे जोश में शिला की टांग को अपने कंधे पर रखता हुआ एक करारे झटके के साथ शिला की रसाती बुर में हचाक से लंड पेल दिया - अअह्ह्ह्ह मम्मिई फाड़ दिया रे उह्ह्ह्ह अब रुका क्यू है चोद ना हरामी मौसी का चमचा कुत्ता कही का अअह्ह्ह्ह जल रहा है

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अनुज बत्तीसी दिखा कर रजजो के साथ हस रहा और फिर अपनी बुआ की चूत में लंड चलाने लगा - ओह गॉड बुआ आपकी चूत बहुत गरम है अअह्ह्ह्ह

रज्जो - जा बेटा तेरी बुआ एक नंबर की रंडी है हमेशा आग लगी रहती है इसकी चूत में पेल आज रहम मत दिखाना
अनुज अपनी मौसी की बातें सुन कर जोश में कस कस के शिला की बुर फाड़ने लगा , शिला गला फाड़ कर चीखने लगी
वही राज ने एक बार फिर पोजिशन बदल दिया और नीचे लेट कर अपनी मौसी को चोदने लगा

राज अपनी मौसी की खरबूजे सी मुंह पर लटकती छातियां पिता हुआ उसकी बड़ी सी गाड़ थामे सटासट रज्जो की बुर में लंड पेले जा रहा था और रज्जो भी शिला की तरह बेफिकर सिसकियां ले रही थी - उह्ह्ह्ह लल्ला ना जाने तुझे इतना जोश कैसे आ जाता है जब तू अनुज के साथ होता है अअह्ह्ह्ह्ह फाड़ और पेल अपनी मौसी की चूत को अओहह्ह उम्मम्म्म रुकना मत बेटा अअह्ह्ह्ह सीईईईई

राज - वो तो पता नही मौसी लेकिन आज तो पूरी रात आपको ऐसे ही पेलने वाला हु , क्यू अनुज

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अनुज जो अब तक शिला को घोड़ी बना कर उसकी चूत में लंड घुसाये हुए शिला की गाड़ मसल मसल कर पेल रहा था - अह्ह्ह्ह्ह हा भैया फिर ना जाने ये मौका कब मिले , और जब फिर से मुझे बुआ की गाड़ सहलाने को मिले आआआह्हह्ह् मेरी सेक्सी चुदक्कड़ बुआ अअह्ह्ह्हह

शिला - हा लल्ला पेल ना अपनी चुदक्कड़ बुआ को और पेल और उह्ह्ह्ह और कैसी लगती हूं मैं तुझे मेरे लाल अअह्ह्ह्ह्

अनुज मारे जोश ने शिला की चूत की जड़ो में लंड घूसाता हुआ - अअह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ तुम तो मुझे किसी रंडी जैसी लगती हो , अह्ह्ह्ह लगता है तुम्हारी गाड़ 50 लोग मिल कर मारते है थी इतनी बड़ी हो गई है , जी कर रहा है इसी गाड़ में झाड़ जाऊं उह्ह्ह्ह आपकी गाड़ हुआ मुझे पागल कर रही है आपकी गाड़ चाटना मुझे बहुत पसंद है बुआ अअह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ उह्ह्ह्ह मेरी रंडी बुआ मेरा आने वाला है अअह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह

शिला - भर दे बेटा भर अपनी बुआ की बुर उह्ह्ह्ह
वही बगल मे राज भी रज्जो को एक बार फिर घोड़ी बनाए हुए करारे झटके दे रहा था और अनुज शिला की बातें उसे भी चरम पर ले आई थी और दोनो भाई एक साथ रज्जो और शीला की चूत में अपने अपने फब्बवारे छोड़ दिए
शिला और रज्जो देर तक उनके झटको से निकलती गर्म पिचकारी की धार चूत की दीवारों में महसूस करती रही और दोनो थक कर उनके ऊपर ही रह गए

मगर जोश कहा किसी का ठंडा होने वाला था और अनुज ने शिला की गाड़ चाटते हुए एक बार फिर से नए राउंड की पहल कर दी थी
तो वही रज्जो अपनी चूत से निकले राज के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी ।


अमन के घर

फोन की घंटी मुरारी को बेचैन कर चुकी थी और रंगी से इजाजत लेकर गेस्ट रूम से बाहर आ कर हाल में आया तो जीने के पास अमन बेचैन खड़ा हुआ था
मुरारी - क्या हुआ बेटा
अमन - पापा !! वो ....
मुरारी - हा बोल ना बेटा ,क्या बात है ?
अमन थोड़ा झिझक कर मुस्कुराता शर्माता - वो में ऊपर बोर हो रहा था तो सोचा आपसे बात करू , आप बिजी तो नही ।

मुरारी को समझते देर नहीं लगी कि अमन की बेचैनी का कारन क्या हो सकता है और वो मुस्कुराते हुए - अच्छा ठीक है चल गोदाम में चलते है
अमन - आपके कमरे में चलते है ना
मुरारी - अरे वहा तेरी मां और वो तेरी सास होगी

अमन - नही पापा वो बाहर मौसम सुहाना हुआ है बारिश वाला तो मम्मी , उनको लेकर ऊपर ही गई है

मुरारी - अच्छा ,फिर ठीक है चल
दोनो बाप बेटे कमरे में दाखिल होते है और हल्का सा दरवाजे भिडका देते है ताकि अगर गलियारे से कोई बाथरूम की ओर कोई जाए तो भी दरवाजे की आड़ में सोफे पर बैठे हुए वो दोनो किसी को ना दिखे ।

मुरारी - हा बोल बेटा
अमन थोड़ा शर्माता हुआ - पापा क्या हुआ कल , मम्मी ने पहना था वो कपड़ा

मुरारी अमन के जज्बात बखूबी समझ रहा था और मुस्कुरा कर - हा बेटा और सच कहूं तो पिछली बार वो मजा नही आया था जो इस बार आया ।

अमन - क्यू ? ऐसा क्या हुआ इस बार ?
मुरारी अपने पजामे में अंगड़ाई लेते लंड को मिजता हुआ - अरे तब के समय में और अब के समय में तेरी मां का बदन दुगना से ज्यादा गदराया हुआ है , उसके चूतड को 3 गुना ज्यादा बड़े दिखते है अब और कल रात वो कच्छी में उसकी बड़ी सी गाड़ ने मुझे पागल कर दिया , अगर तू देखा होता तो तू भी अपनी मां पर लट्टू हो जाता

अमन का लंड एकदम से अपनी मां को उस रूप में देखने के लिए फड़फड़ा उठा - और फिर

मुरारी - बेटा तूने जो वो ब्रा ऑर्डर की थी वो तो आगे से एकदम आरपार दिखने वाली थी , उसमे से झांकती तेरी मां की मोटी मोटी चूचियां उम्मम्म कितनी रसीली लग रही थी अअह्ह्ह्हह तू देखता तो तुझे फिर से मन करता कि उसकी गोदी में लेट कर उसका दूध पी जाऊं

अमन अपना लंड अपने बाप के सामने मिजते हुए उसकी और निहार कर - पापा दिखाओ ना मम्मी को प्लीज
मुरारी अमन की आंखों में अपनी के लिए दीवानगी साफ साफ देख रहे था , उसका हाथ कैसे अपनी मां के गदराए जिस्म के बारे में सोच कर अपना लंड मसल रहा है और वो मुस्कुराता हुआ अपने जेब से मोबाइल निकाल कर गैलरी ओपन कर अमन के हाथ में मोबाइल दे देता है

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अमन कई सारे सेक्सी तस्वीरों मे से अपना एक तस्वीर ओपन करता है जिसमे उसकी मां सर पर चुन्नी लिए हाथ फैला कर आईने के आगे खड़ी थी और उस जालीदार चुन्नी के नीचे उसके फैले हुए चूतड की दरारों को उसके बालो के परांदे ने धक रखा था , सामने आईने में ब्रा से बिलकुल वैसी ही उसकी रसीली छातियां झलक रही थी जैसा उसके पापा अभी बता रहे थे , अपनी मां का कौमार्य रूप देख कर अमन का दिल जोरो से धड़क रहा था उसका दूसरा हाथ अपने सुपाड़े को मसल रहा था

तभी अमन ने एक वीडियो पले कर दी जिसमे उसकी मां ने घूम और अदाये दिखा कर बड़े ही सेक्सी सेक्सी पोज दिए थे और उसके पूरे बदन की नुमाइश थी उसमे - उह्ह्ह्ह गॉड कितनी सेक्सी लग रही है मम्मी

मुरारी अपने बेटे से उसके मां के लिए सेक्सी शब्द सुनकर भीतर से सिहर उठा और अपना मूसल मसलने लगा ।
अमन - पापा ये सब मैं अपने मोबाइल में लेलू प्लीज
मुरारी अमन के जजबात समझ रहा था और मुस्कुरा कर हा में सर हिला दिया और अमन ने फटाफट अपने व्हाट्सएप पर सारी तस्वीर लेली और मुरारी को मोबाइल दे दी

मुरारी मोबाइल बंद कर जेब में रखता है कि फिर से उसका mobile वाइब्रेट होता है और मोबाइल स्क्रीन पर अमन कुछ फोटो भेजे थे उसके नोटिफिकेशन देख कर - तूने क्या भेजा है बेटा

अमन इसपे मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ - खोल के देखो ना , वो कल रात मुझे आपकी बातें याद आ रही थी तो मैंने

इधर अमन की बातें पूरी नहीं हुई थी मुरारी चौक कर बोल पड़ा - अरे ये तो बहु है
अमन मुस्कुरा कर - जी पापा , मैने सोचा क्यों न उसको शादी में दिए हुए आपके गहने पहना कर तैयार करू जैसा आप मम्मी को करवाते हो । कैसी लग रही है आपकी बहू पापा ?

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सामने मोबाइल में अपनी नई नवेली बहु की नंगी सिर्फ सोने के गहनों में सजी हुई उसपे से माथे पर एक लाल चुन्नी लिए खड़ी हुई देख कर मुरारी का लंड बेकाबू हो गया , उसकी नजर अपनी बहु के जिस्म से हट ही नहीं रही थी , रानी हार जो उसने खास तौर पर अपनी बहु के लिए पसंद किया था वो आज उसके दोनो मोटे मोटे चुचियों के बीच लटकता पा रहा था उसके गुलाबी निप्पल और फिर हल्के फुल्के बालों वाली गुलाबी चूत को ढकती सोने की करधन ने तो कयामत ही कर रखा था , मुरारी को उम्मीद नहीं थी कि अमन उसके लिए ऐसा तोहफा लाएगा ।

अमन अपने पापा को चोरी छिपे अपने कुर्ते के नीचे से सोनल को एक तक निहार कर अपना लंड मुठिया रहा था - बोलो ना पापा कैसी लग रही है आपकी बहू ?

मुरारी को अमन के सवाल से जोश भी आ रहा था तो भीतर डर भी था वो यूं खुल कर अमन के सामने अपने जज्बात नही रख सकता - अअह्ह्ह्ह बेटा क्या कहूं, ऐसा लग रहा है कि सालों पहले तेरी मां को निहार रहा हु

मुरारी फिर से व्हाट्सएप खोलता हुआ - रुक तुझे भी कुछ भेजता हु वो भी देख
अमन कामुकता भरी जिज्ञासा से - क्या पापा ?
मुरारी ने धड़ाधड़ एक के बार एक कुछ दूसरी तस्वीर भेजी और अमन ने जैसे ही मोबाइल में ओपन किया

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तो अमन उसकी मां पूरी नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी उसकी मोटी मोटी चूचियां और मोटे जामुन जीतने बड़े बड़े भूरे निप्पल देख कर अमन के मन में मन पानी आ गया - उह्ह्ह्ह गॉड पापा , मम्मी के दूध कितने बड़े बड़े है

मुरारी का ध्यान तो सिर्फ सोनल के गुलाबी चुचियों पर था - है ना , बहुत मजा आता है बेटा तेरी मां के ऊपर चढ़ कर उसके दूध पीने का
अमन - हा पापा मेरा भी मन कर रहा है कि मां के ऊपर लेट कर उनके दूध पियू, मां के निप्पल कितने मोटे है और सेक्सी भी

मुरारी अपने बेटे से उसकी मां के चुचियों की तारीफ सुनकर अब पूरे जोश में उसके आगे अपना लंड मसल रहा था और अमन भी बिना डरे अपने पापा के आगे अपना लंड मिज रहा था - अह्ह्ह्ह्ह पापा , आपको सोनल के निप्पल कैसे लग रहे है
मुरारी मोबाइल में सोनल की रसदार गुलाबी निप्पल को देखकर जोश ने - अअह्ह्ह्हह बेटा बहु के निप्पल तो बिलकुल तेरी के जैसे है , जब वो व्याह के आई थी , ऐसी ही कोरी कोरी मगर हल्की भूरी, मैं उन्हें खूब मिजता और चूसता था । तेरी मां को वो खूब भाता था और तूने बचपन में अपनी मां का दूध 5 साल तक पिया है इसीलिए उसके निप्पल इतने मोटे है

अमन भरे जोश में अपनी की नंगी चूचियां और मोती मोटी काली घुंडीया निहार कर आहे भरता हुआ अगली तस्वीरे देखता है - पापा मुझे फिर से मम्मी का दूध पीना है अह्ह्ह्ह कितना सेक्सी है ओह्ह्हज गॉड पापा ये भी है उफ्फफ्फ कितनी बड़ी गाड़ है मम्मी की

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मुरारी - हा बेटा रोज उसी गाड़ पर झड़ता हूं मैं और तेरी मां को भी अपनी गाड़ पर मेरा पानी लेना बहुत पसंद है

मुरारि भी अगली तस्विरे देखता है जिस्मे सोनल के लम्बी बालो की चोटी उसके गाड़ के दरारो तक जा रही थी

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मुरारि - ओझ्ह्ह बहु के चूतड भी कम बड़े नही है बेटा अह्ह्ह्ह इतनी लंबी चोटी पहले तेरी मां की भी थी जो ऐसे ही उसके गाड़ के दरारों को ढक लेती थी

अमन - सीईईईईईआई पापा एक बात पूछूं
मुरारी अपना लंड हिलाते हुए अपनी बहु के एक वीडियो में हिलते चूतड निहार रहा था - हा बोल ना बेटा अअह्ह्ह्ह्ह क्या पूछना है
अमन - पापा आपने कभी मम्मी की गाड़ मारी है , कभी उसके बड़े बड़े चूतड के दरारों में अपना लंड डाल कर घिसा है , मैं सोनल को लिटा कर उसके मोटे मोटे गाड़ के दरारों में लंड घिसता हु और कल रात को

मुरारी अपनी बहु के बारे में सोच कर - क्याह्ह बेटा क्या हुआ कल रात को ?
अमन आंखे बंद कर जोरो से लंड को लोअर के ऊपर से से हिलाता हुआ - कल रात को उसके गाड़ के दरारों में ही झड़ गया था , पूरा रस उसके चूत के फाकों में भर गया था

मुरारी अमन की बातें आंखे बंद कर अपनी कल्पना में बहु के गाड़ की दरारों में झड़ता हुआ अमन को महसूस कर रहा था देख रहा था कैसे उसके गाड़ से उसकी चूत तक अमन का गाढ़ा मलाईदार रस बहु के गुलाबी फाकों को और गुलाबी किए जा रहा था ।

अमन - पापा मैं बाथरूम जा रहा हु
मुरारी उसको पकड़ कर बिठाते हुए - अब मुझसे क्या शर्मा रहा है , मैं नही जानता क्या करेगा वहा जाकर

अमन मुस्कुराने लगा - तो क्या आपके सामने
मुरारी झटके से अपना तनमनाया लंड बाहर निकाल जिसका सुपाड़ा खूब लाल हुआ पडा था मसलने से - अरे तू भी निकाल भाई

और अमन ने भी अपना हथियार निकाला , जो सीधे मुरारी का स्वा गुना दिख रहा था था जिसे देख कर मुरारी का हलक सूखने लगा और अगले ही पल अभिमान से भरता हुआ - बाप शेर तो बेटा स्वा शेर हा हां

अमन अपना लंड सहलाता हुआ - पापा एक बात और पुछु
मुरारी सोफे पर फैलता हुआ अपना मूसल मसलने लगा- हा बेटा पूछ ना
अमन भी उसकी देखा देखी वैसे ही पोजिशन में आ गया - पापा आपको मम्मी की गाड़ चाटने का मन नाही करता ,उसकी चूत के फांके चुबलाने का मन नाही करता

मुरारी - क्यू तू बहु की चूत और गाड़ चाटता है क्या
अमन आंखे बंद कर अपना लंड हिलाता हुआ - पापा , उसकी गाड़ का गुलाबी छेद देखोगे तो आप भी खुद को रोक नहीं पाओगे जैसे मैं नहीं रोक पाता खुद को

मुरारी आंखे बन्द कर अपनी बहु के गाड़ के गहरे दरारों में उसके गुलाबी सुराख की कल्पना कर - क्या सच में बेटा , बहु की गाड़ का सुराख गुलाबी है
अमन - हा पापा और उसके बुर के फांके भी एकदम सुर्ख गुलाबी , जीभ चलाओ तो पूरी लाल होने लगती है

मुरारी अपना लंड मसलता हुआ - अह्ह्ह्ह्ह सच में ऐसी चूत को कौन नहीं चाटेगा बेटा , मुझे मिले तो मैं खा जाऊं , तू क्या करेगा बेटा अगर तुझे तेरी मां की नंगी गाड़ मिल जाए

अमन सिसकियां लेटा हुआ - अअह्ह्ह्ह पापा मुझे मां की गाड़ मिल जाए तो मैं उन्हें अपने मुंह पर घंटो बैठने को कहूंगा और खूब जीभ लगा लगा कर उनकी गाड़ और चूत चाटूंगा , ताकि वो जब झड़े तो सारा रस मेरे मुंह में आए

मुरारी अपने बेटे की बातें सुनकर वो पल सोचने लगा जब ममता अमन के मुंह पर अपनी गाड़ रख देगी और अमन उसकी गाड़ चाटेगा , मुरारी अब तक एकदम चरम पर आ गया था
अमन - पापा आप क्या करोगे अगर सोनल की नंगी चूत मिल जाए आपको तो आप क्या करोगे

मुरारी अपनी कल्पना में अपने आगे अपनी बहु को नंगी अपनी चूत खोले देखता है जो अपनी जांघें फैलाये उसे अपनी ओर बुला रही होती है और मुरारी उस कल्पना में उसकी गुलाबी बहती चूत में अपना टोपा फसा रहा था - अह्ह्ह्ह्ह बेटा मुझ बहु की चूत मिल जाए तो मैं उसे चोद दूंगा , उसकी गुलाब सी पंखुड़ियों को रौदता हुआ अपना लंड उसके बुर के जड़ो में उतार दूंगा

सोनल की चूत में अपने पापा का मोटा लंड घुसाने का सोच कर ही अमन पूरे जोश में आ गया - हा पापा चोद लेना भर देना अपनी बहु की गुलाबी चूत को उह्ह्ह्ह आपकी बहु बहुत चुदक्कड़ है खूब लंड लेती है मेरा

मुरारी - क्या सच में बेटा
अमन - हा पापा आपकी बहू को चुदाई करना बहुत पसंद है , वो तो मेरे लंड की दीवानी है , इसे खूब चूसती है खुद बुर में घुसती है

मुरारी - अअह्ह्ह्हह बेटा तेरा फौलादी लंड अगर तेरी मां देख ले तो वो भी दीवानी हो जाएगी , उसकी लंबी फाकों वाली बड़ी चूत के लिए तेरा लंड तो एकदम फिट है , पूरा घुस जायेगा उसके भोसड़े में

अमन तेजी से अपना लंड हिलाने लगा - हा पापा , मुझे भी मम्मी की गर्म चूत में घुसना है और उसके ऊपर चढ़ कर उसको चोदते हुए उसके मोटे मोटे दूध पीना है

मुरारी - हा बेटा पेल लेना तू भी अपनी मां को और पेल पेल एक उसकी गाड़ पर झड़ना , बोल झड़ेगा न अपनी मां की बड़ी सी गाड़ पर उम्मम्म

अमन - हा पापा झडूंगा अअह्ह्ह्हह ममीइइई की गाड़ को भर दूंगा मैं अअह्ह्ह्ह्ह आप कहा झड़ोगे सोनल को चोद कर

मुरारी तेजी से अपना लंड मुठियाता हुआ - बेटा मैं तो मेरी लाडली बहु के गुलाबी चुचियों पर अपना रस गिराऊंगा जिससे वो और भी गुलाबी हो जाएंगी अह्ह्ह्ह्ह

अमन - ओह पापा अअह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अअह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह आपकी गाड़ मुझे बहुत पसंद है देखो ना पापा मैं मम्मी की गाड़ पर झड़ रहा हु अअह्ह्ह्हह ममीई उह्ह्ह्ह
और अमन की पिचकारी छुट गई , वही मुरारी भी तेज सिसकियां लेता हुआ झड़ने लगा - अअह्ह्ह्ह बेटा मैं भी बहु के चुचियों पर झड़ रहा हु अअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा भी अह्ह्ह्ह्ह बहु तेरे चूचे उम्मम्म अअह्ह्ह्ह

जल्द ही दोनो बाप बेटे ने आखिरी बूंद तक बहु और मां के नाम पर निचोड़ दी और सुस्त होकर सोफे पर फेल गए

वही उपर पीछे की बालकिनी में ममता रागिनी को लेकर पहुंची थी ।

रागिनी - हम्म् तो ये है आपकी वो खास जगह

ममता रेलिंग पर आगे झुकती हुई - जी , मुझे मेरे घर का ये हिस्सा बहुत पसंद है और खास कर जब रात का समय या फिर ऐसा सुहाना मौसम हो , यह मुझे बहुत अच्छा लगता है

रागिनी ने ममता के उभरे हुए कूल्हे सहलाती हुई उसके करीब खड़ी होकर - तो क्या कभी इस खास जगह पर खास माहौल बनाया है

ममता - मतलब
रागिनी हस्ती हुई - अब इतनी भी भोली न बनो बहना , इतनी स्पेशल जगह पर समधी जी ने यह चादर न बिछाई हो , ऐसे कैसे हो सकता है हिहिहिही

ममता लजाती हुई - धत्त आपके दिमाग में वही सब चलता है क्या हिहिहिही
रागिनी - अरे शरमाओ मत , बताओ ना मैं सब कुछ सिक्रेट रखूंगी पक्का

ममता - नही अभी तक तो नही ,क्योंकि उनका खूंटा बंद कमरे में ही खड़ा होता है हिहिहिही

रागिनी हस्ती हुई - अरे जब खूंटा खड़ा हो और धीरे से नंगे ही कमरे से बाहर निकल जाओ और सीढ़िया चढ़ कर यहां, देखो कैसे लार टपकाते हुए आते है हिहिही

ममता - हा जैसे घर में कोई रहेगा नही , किसी ने देख लिया तो

रागिनी - अरे मेरी बहना इतना डरोगी तो लाइफ के मजे कैसे लोगी हिहिहिही, थोड़ा हिम्मत दिखाओ
एक बात बताऊं

ममता जिज्ञासु होकर उसकी ओर देखा

रागिनी - कभी कभी जब आपके समधी जी नही होते है तो मैं अपने कमरे में ही सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर ऊपर चली जाती हु और खुली छत पर अंधेरी रात में पीछे की ओर खेतो में देखना मुझे अच्छा लगता है

ममता - क्या सच में और बच्चे ?
रागिनी - वो सब अपने अपने कमरे में सो रहे होते है , लेकिन मजा बहुत आता है हल्की सर्द हवाएं जब जिस्म को छूती है और तब तो आपके समधी जी याद और भी आती है । मन करता है ऐसे मौसम में उनकी बांहों की गरमाहट मिल जाए तो मजा दुगना हो जाएं

ममता मानो रागिनी के उस ख्वाब में खो सी गई और इधर तेज हवा चलने लगी
वही नीचे से मदन वापस आ चुका था तेज आंधियों के कारण सब कुछ उड़ रहा था , धूल कचरा भूसा पन्नी सब
वो अपनी गाड़ी लगा कर जल्दी जल्दी मेन गेट का दरवाजा लगा रहा था , और उसकी नजर अनाज के गोदाम के खुले दरवाजे पर गई वो भागता हुआ गोदाम का दरवाजा खींच कर बाहर से बंद करके चटकनी लगाना चाहता था मगर हवा के तेज झोंखे उसे ऐसा करने से रोक हुए था , तभी ऊपर टेरिस की चारदीवारी से पैरासूट की तरह खुल कर एक ब्रा हवाओं में उड़ती हुई जमीन पर गई और धूल में घिसटती हुई मदन के पाव के पास रूक गई
पैर के पास नई ब्रा देख कर मदन ने आधी खुली आंखों से फौरन ऊपर देखा कि कही ऊपर से तो नही गिरा ना और उसका अंदाजा सही निकला , जब उसने चारदीवारी से झांकती सोनल को देखा ।
सोनल मारे लिहाज के झट से पीछे हो गई और मदन समझ गया कि उसकी बहु कपड़े उतारने गई होगी और आंधी में उड़ कर बेचारी की ब्रा यहां उसके पास चली आई , तभी तेज तड़तडाहट के साथ बारिश होने लगी । मदन ने जैसे तैसे करके गोदाम बंद किया आगे अपने बहु की ब्रा को मोड़ कर कुर्ते के जेब में रखता हुआ जल्दी से घर आ गया
हाल में देखा कि वहा कोई नही है ,मदन को एक पल को लगा कि शायद सब चले गए । उसे जोरो की पेशाब लगी थी और बारिश में हल्का हल्का भीगने से प्रेसर भी जोर था मगर जेब रखी बहु की ब्रा लेकर बाथरूम में जाना उसे अनुचित लग रहा था मगर बहु को उसकी ब्रा लौटाना भी कम बोझ का काम नही था । ना ही वो अमन को इसमे शामिल करना चाहता था और अपनी भाभी या संगीता से कह कर भेजवाता तो पक्का उसका मजाक बनाती
इसीलिए वो बड़े झिझक में खुद ही ऊपर पहुंचा और सोनल के कमरे का दरवाजा खटखटाया
सामने सोनल आई और मदन ने बिना उसकी ओर देखे ही ब्रा उसकी ओर बढ़ा दी - बहु ये तुम्हारा कपड़ा नीचे गिर गया था , लो।
अगले ही पल मदन उसको देकर जैसे ही घूम कर अपना पल्ला झाड़ कर निकलने का सोचा ही था कि पीछे से सोनल ने टोका - चाचा जी ये मेरा नही है ,इतना बड़ा मैं नही पहनती । ये जरूर मम्मी जी का होगा

मदन भीतर से फिर से उलझ सा गया उसको पहले से ही अपनी बहु के आगे आने में हिचक हो रही थी , जबसे उसने शादी के बाद की अगली सुबह सोनल का खुला जोबन देखा था और अब ये ब्रा का ड्रामा

मदन का दिमाग नही चल रहा था और वो घूम कर सोनल के हाथ से ब्रा लेकर वापस जाते हुए बोला - ठीक है मैं भाभी को दे देता हु फिर

इधर सोनल ने झट से दरवाजा लगा दिया और वही मदन एक फिर अपने फैसले के लिए भीतर से खुद को गालियां देने लगा कि क्यू उसने बहु से ये लफ्ज़ कहे । बहु क्या सोचेगी कि मैं बहुत आसानी से उसकी सास को ब्रा देने जाऊंगा ।

मदन पैर पटकता हुआ नीचे आया और उसने हाल में से ही अटकलें लगाने शुरू कर दिए कि कमरे में कोई है तो नही । उसपे से पेशाब का प्रेसर और भी था ।
आखिर उसने तय किया कि एक बार वो गलियारे से भीतर ममता के कमरे में झांकता हुआ निकलेगा अगर कोई नही हुआ तो वापस लौटते समय वो ममता के कमरे में ब्रा फेंक कर आ जाएगा

मदन के लिए सब कुछ उसकी योजना के मुताबिक था , वो गलियारे से होकर बाथरूम की ओर बढ़ रहा था वो ठीक वही समय था जब दोनो बाप बेटे एक साथ मुठ्ठी मार कर झड़ कर सुस्ता रहे थे और कमरे का दरवाजा ऐसे भीडका हुआ था कि गलियारे से गुजरने वाले को यही दिखेगा कि कमरे में कोई नही है ।
मदन को भी वही भ्रम हुआ उसे जाते वक्त यही लगा कि कमरे में कोई नही है और सब कुछ एकदम शांत था , मदन जल्दी से बाथरूम में फ्रेश हुआ और हाथ धूल कर वापस आ रहा था तो उसको उसका रूमाल नही मिल रहा था , उसे यकीनन अंदाजा हुआ जरूर ऊपर बहु के कमरे पास ब्रा निकालते हुए गिरा होगा ।
उसने गीले हाथो से ही ममता की ब्रा को जेब से निकाला और आधे खुले दरवाजे से भीतर बिस्तर की ओर उसे झटक दिया और तेज कदमों से आगे बढ़ा
दरवाजे से उड़ती हुई ब्रा बिस्तर के पावे से टकरा कर जमीन पर गिरी और दोनो बाप बेटे हडबडा कर अपना कपड़ा सही करते हुए उठ खड़े हुए मुरारी ने लपक कर वो ब्रा उठाई और तेजी से दरवाजा खोल कर गलियारे से हाल में झांका तो देखा मदन हाल के सोफे पर बैठ कर सुस्ताते हुए स्टैंड फैन की हवा खा रहा है ।
मुरारी को समझते देर नहीं लगी कि ये हरकत किसकी है और वो गुस्से से लाल हो गया ।

अमन - क्या हुआ पापा कौन था ।
मुरारी - और कौन होगा , तेरा चाचा था ।

अमन को अपने पापा के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था उसने अपने बाप को बोतल से पानी दिया और शांत होकर - क्या बात है पापा आप नाराज क्यों हो गए

मुरारी - तुझे एक राज की बात बताता हु सुन
फिर मुरारी ने अमन को संगीता और मुरारी के बीच की बातें बताई - क्या सच में बुआ और चाचा आपस में ।

मुरारी - और उसका ठरक रुकने वाला नही है , अब देख तेरी मां की ब्रा लेकर न जाने बाथरूम में क्या क्या नाश किया होगा कमीने ने हुह्ह

अमन हंसता हुआ - अब जब उनकी शादी नही करवाई आपने तो ये सब होना ही था ना , कबतक कोई खुद को रोक पाएगा पापा और फिर मां की मटकती गाड़ और बड़े बड़े चूचे किसी को भी आकर्षित कर देंगे ।

मुरारी - अरे जिससे वो शादी करना चाहता था उसके बाप ने उस लड़की की शादी कही और कर दी , तो इसने जीवन भर कुंवारा रहने का फैसला कर लिया

अमन - और वो लड़की ,मतलब चाचा की गर्लफ्रेएंड उसने खुशी खुशी कर ली शादी ?

मुरारी - नही बेटा , बाप की मजबूरी बेटियां ही समझती है उसने मजबूरी में शादी कर तो ली मगर कुछ साल पहले उसका पति एक बस दुर्घटना में चल बसा ।

अमन - आपको कैसे पता
मुरारी - कुछ महीने पहले बड़े शहर में एक बार उससे मिलना हुआ था और उसने सारी कहानी बताई , दुख की बात है कि उसकी कोई औलाद भी नही है और वंश आगे न बढ़ाने उसपे से पति के मरने का दोष देकर बेचारी के ससुराल वालो ने ही उसे घर से बेघर कर दिया है

अमन - और चाचा को इस बारे में पता है
मुरारी - नही , उसने मना किया था कि वो इनसब का जिक्र मदन से ना करे ।
अमन - पापा आपको नही लगता कि अब चाचा को उनका प्यार लौटा देना चाहिए, इन दोनो की शादी करा देना चाहिए और उससे उनकी प्रेमिका का भी दुख दूर हो जाएगा । शायद इससे चाचा की हरकते भी सुधर जाए ।

अमन की बातें सुनकर कर मुरारी - हा बेटा मैं भी उसकी शादी के लिए सोच रहा था और तेरी मां ने संगीता की छोटी ननद का प्रस्ताव भी रखा था मगर तेरी शादी के उलझन में मैने इसपे ध्यान नहीं दिया ।

अमन - तो पापा आंटी जी को खोज निकालो और हमसब चाचू को शादी के लिए मना लेंगे

मुरारी हंसता हुआ - तूने तो मेरी सारी उलझन ही सुलझा दी, अब जबतक तू हनीमून से वापस आएगा मैं तेरी चाची खोज निकालूंगा ।

अमन - ठीक है पापा , वैसे आपको अजीब नही लग रहा है हनीमून पर साली को ले जाना हिहिहिही

मुरारी - अरे तेरी किस्मत बुलंद है कि निशा जैसी मस्त खूबसूरत साली मिली है , मौका मिले तो उसके साथ भी हिहिहिही

अमन हंसता हुआ - पापा आप भी कम नहीं हो , वैसे एक बात पूछूं, क्या आपने कभी मां के अलावा किसी के साथ ?

मुरारी उसके गाल खींचता हुआ - सारी बातें आज ही उगलवा लेगा उम्मम्म, जा अब अपने हनीमून की तैयारी कर और वापस आकर सारे किस्से सुनूंगा तुझे

अमन - क्यों नहीं पापा हिहिहिही थैंक यू
मुरारी - थैंक यू किसलिए भाई ?
अमन - मेरी दोस्ती एक्सेप्ट करने के लिए
मुरारी हंसता हुआ उसके कंधे पर हाथ रख कर अपनी ओर खींच लेता है ।

जल्द ही शाम ढलती है और फिर रात के खाने के बाद ममता रागिनी को लेकर अपने कमरे में सोने चली जाती है देर रात तक उनकी मस्तियां हसीं ठिठौली चलती है
वही मुरारी रंगी के साथ गेस्ट रूम में सो जाता , घर में रोज के जैसे ही मौहौल होता है । अमन आज दुगने जोश से सोनल की चुदाई करता है और वो भी सो जाता है ।
एक ओर जहां अनुज राज मिल कर पूरी रात शिला और रज्जो की छेद बदल बदल कर ठुकाई करते है तो दूसरी ओर राहुल एक घर में राहुल और अरुण ने दिन में चुदाई का कोटा पूरा कर सो चुके थे मगर जांगीलाल के कमरे की बत्ती देर रात तक जलती रही ।
आज की रात बदलाव की रात थी एक दूसरे से राज साझा करने की रात थी । अपने पति के प्यार के आगे शालिनी ने बड़े लाज ने निशा के सामने ही कमलनाथ से चुदने वाली बात स्वीकार कर ली तो बदले में जांगीलाल ने भी ईमानदारी दिखा कर रज्जो को चोदने का मामला साझा कर दिया ।निशा ने भी उसकी और राहुल की मिस्ट्री की सारी हिस्ट्री खोल कर अपने मम्मी पापा के आगे रख दी ।
फिर दो राउंड धमाकेदार चुदाई हुई और तीनो बाप बेटी मां एक फैमिली गैंगबेंग वाली चुदाई का सपना देखते हुए सो गए ।



अगली सुबह ......

अगली सुबह विदाई दुखद समाचार के साथ कुछ नए सफर का आगाज भी लिए खड़ी थी ।
मुरारी के यहां से रंगी और ममता ने विदाई ली और घर चले गए । उनके जाने के बाद संगीता और दुलारी भी उसी रोज अपने अपने घर के लिए निकल गए ।
इधर राज के घर से रज्जो शिला और अरुण की विदाई थी , रागिनी ने भी आंसू बहा कर सबको विदा किया ।
रज्जो शिला के साथ एक नए रोमांचक सफर के लिए निकल चुकी थी ।
राहुल के घर आज से चुदाई का एक नया अध्याय शुरू होने वाला था ।
तो वही शादी की जिम्मेदारियों मुफ्त होकर रंगी ने भी कुछ रोज की छुट्टी की इच्छा जाहिर की और कुछ रोज बाद इधर जब अमन सोनल और निशा के साथ हनीमून के निकला तो रंगी भी उसके बाद ही अपने ससुर से किया वादा पूरा करने के लिए दुकान की सारी जिम्मेदारी राज को सौप दी और खुद ससुराल निकल गया घुमने के लिए।

अनुज के बोर्ड होने वाले थे तो उस की पढ़ाई जरूरी थी ,मगर अब वो पहले वाला अनुज नही था । सोनल की शादी में अनुज बदल सा गया था अगले रोज से अनुज का कॉलेज का सफर भी शुरू हो गया था ।
वही मुरारी भी अपने बेटे से किया वादा निभाते हुए अपने भाई की प्रेमिका की तलाश में जुट गया ।


अब आगे ना जाने किसको कैसे अनुभव होने वाले थे मगर ये तय है कि आने वाला हर सफर हर एक रास्ता सबको नए सुहाने कामुक सपने जरुर दिखाएगा , कुछ हकीकत भी होंगी तो कुछ फसाने भी होंगे ।
मगर आपके लिए एंटरटेनमेंट ही एंटरटेनमेंट रहेगा इस कहानी में ।



सपना या हकीकत
अध्याय : 01

समाप्त

Best of luck for season/ chapter 2 asha karta hu 2 mein Maine jaisa chaha hai waisa hi ho ab anuj bhi ladkiyo k mamle mein samajdar ban gaya aur Nisha bhi Apne parents k samne Apne aur Rahul ki BAAT kehdi ab unka family foursome toh banta hai aur raj anuj in do bhaiyo ki jodi bhi ab chodampur wale bhayo jaisi ban Rahi hai par abhi bhi unme Kuch Raaj Baki hai hope jaldi sare Raaj khul Jai aur ab ragini aur anuj ka bhi Kuch ho Bhai aur Sonal jab honeymoon se wapis ayegi toh uska bhi Apne baap Bhai se ho . Aur aman murari ki yeh baap bete ki dosti ka dhamaal bhi hai waise toh bohut sare characters hai tumre story pe Chaho toh aur 500 update Kiya ja Sakta hai par Bhai ab Thoda zyada dyaan anuj ragini rangi aur family par do yeh agrah hai
 

Sanju@

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UPDATE 218

अमन के घर

दोपहर के खाने के बाद ममता, दुलारी और संगीता को लेकर कुछ खरीदारी के लिए बाजार निकल गयी ।
मदन अपने कमरे मे आराम फरमा रहा था तो रिन्की दुलारि के कमरे मे दो घन्टे से सो रही थी जबसे अमन ने उसकी चुत फाडी थी ।
इधर अमन भी सोनल के साथ कुछ प्रेम भरे पल बाट रहा था । सोनल भी कल के लिए अपने घर वालो से मिलने के लिए उत्साहित थी

दोनो प्रेमी आपस मे एकदूसरे से लिपटे हुए थे और अमन की दिलीइच्छा थी कि इस बार निशा भी आये ।
सोनल उसे छेड़ते हुए तुनक कर - आपको तो उसके काले अंगूर का ही रस पीना है , यहा मेरी गुलाबी मीठी किस्मिस की कली सूख रही है उसका नही ध्यान

अमन सोनल के प्यार भरे ताने से भितर से सिहर उठा और उसका खुन्टा लोवर मे हरकत करने लगा । उसने सोनल को अपनी ओर कसा और अपने तम्बू का बम्बू उसकी साडी के उपर से उसकी चुत पर चुभोता हुआ - ओह्ह्ह मेरी जान तेरे इस गुलाबी किस्मिस के दाने को अभी गीला कर देता हु

ये बोलकर अमन ने सोनल की मोटी उभरी हुई ब्लाउज से झाकती छातियो पर हाथ फेरा और सोनल सिहर उठी - अह्ह्ह मेरे राजाह्ह्ह्ह उम्म्ंम सीईई ना जाने आपमे क्या जादू है बाबू छूते हो और ये खड़ी हो जाती है

अमन उसकी मुलायम दूध से भरी मोटी पपीते सी छातियो को हाथ मे भर कर मिजता हुआ ब्लाउज के उपर से निप्प्ल वाली जगह को मुह मे भर काटता है - उम्म्ंमममं सीईई ओह्ह मेरी जान तुम्हारी इन्ही रसदार boobs का ही तो दीवाना हु मै उम्म्ंम

सोनल- अह्ह्ह माय बेबी उम्म्ंम सक इट उह्ह्ह मेरा बाबू उम्म्ंम ओह्ह आराम से ईईइस्स्स्स

तभी दरवाजे पर दसतक हुई और दोनो अलग हुए , इस अचरज और शंका भरे भाव से घर की औरते तो बाजार गयि है फिर कौन उपर आकर उन्हे परेशान करेगा
तभी अमन का दिमाग ठनका और उसे अपने बाप की याद आई । वो जल्दी से उठ कर खड़ा हुआ और हड़बड़ाहट भरे लहजे मे - उठो उठो , पापा है !

ससुर के आने की बात पर सोनल की भी हालत खराब हुई जल्दी जल्दी वो भी खड़ि होकर अपने जोबनो पर आन्चल डाला और साडी सही करने लगी ।

अमन ने अपना लन्ड सेट करने को कोसिस की मगर कोसिस नाकाम ही रही , उसका लन्ड मोटे रॉड की तरह अभी भी उसके लोवर मे उभरा हुआ साफ नजर आ रहा था ।

बड़ी मुश्किल से दरवाजे के ओट मे खुद को छिपाते हुए उसने दरवाजा खोला और सामने मुरारी था ।
सारी हकीकत से परिचित होने के बाद भी अमन ने उस्से सवाल किया - अरे पापा आप यहा ? फ़ोन कर देते !

मुरारी झिझक भरे लहजे मे अमन के पीछे खड़ी सोनल को एक नजर देखा जो सन्सकार बस मुस्कराती हुई अपने सर पल्लू कर रही थी

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और अनायास मुरारि की नजर अपनी नयी नवेली बहु के चिकने पेट के किनारो पर चली गयि , जिसकी कोमलता और मलाई सी गोरी चमडी देख कर मुरारी एक पल के लिए सम्मोहीत सा हो गया , मगर अगले ही पल उसने खुद को उस नजारे से अलग किया - अह फ़ोन किया था मैने , तुने उठाया नही ।तुझ्से थोडा काम है जरा निचे आना

ये बोलकर मुरारी घूम कर वापस जाने लगा और फिर घूम कर - और वो समान कल मगाया था वो लेते आना ।

जाते जाते एक बार फिर मुरारी ने सोनल की चिकनी कमर पर नजर मारनी चाही मगर इस बार देखा तो सोनल मे सब कुछ अच्छे से ढक रखा था । उस पल भर मे ही मुरारी समझ गया कि सोनल ने उसकी चोरी पकड ली और वो बिना अपनी बहू की ओर देखे चुपचाप निकल गया ।
सोनल ने पार्सल के बारे पूछा तो अमन के बात बदल दी और वो पैकेट लेकर निकल गया नीचे

वही मुरारी अपने कमरे मे बेचैन टहल रहा था जैसे ही अमन कमरे मे दाखिल हुआ उसकी चेहरे पर मुस्कान छा गयी - आ गया बेटा आ आ बैठ
अमन मुस्कुरा कर सोफे पर बैठ गया और मुरारी हसता हुआ - माफ करना बेटे मैने तेरे और बहू के एकांत के पल में डिस्टर्ब कर दिया ।

अमन लजाता हुआ मुस्कुरा कर - क्या पापा ऐसा कुछ नही कर रहे थे हम लोग , सची मे
मुरारि - वो जब तु दरवाजे के पीछे छिपा था तभी मै समझ गया है हाहाहा अरे मुझसे क्या शर्माना , ऐसा तो मेरे साथ भी हुआ है कई बार हिहिहिही

अमन - हैं सच मे ? कब ?
मुरारी- अरे वो तब जवानी के दिनो की बात थी , गाव वाले घर मे मुश्किल से तो तेरी मा के साथ समय मिलता था और ज्यादातर तो हाहहहा
अमन - क्या ज्यादातर ?
मुरारी हस्ता हुआ - अरे वो तुम जवान लोग आपस मे आजकल क्या बोलते हो ? एलकेपीडी ...

अमन हसता हुआ - वो केएलपीडी होता है पापा हाहाहा
मुरारी हस्ता हुआ - हा वही खड़े लन्ड पर धोखा हाहाहा यही मतलब है ना उसका
मुरारि के यूँ खुल कर मजाक करने से अमन थोडा सा लाज से झेप जाता है और मुस्कुरा कर - जी

मुरारी अपनी बात आगे बढ़ाता हुआ - और उसपे से तेरी मा , खूब नखरिली हाहाहा मुझे सताने मे ना जाने क्या मजा आता है उसे ।

" वो तो सबकी बिवियाँ करती है ", अमन बहुत महिन सा बुदबुदाया मगर मुरारि के तेज कानो ने उसकी आवाज को पकड़ लिया ।

मुरारि हस्ता हुआ - अच्छा तो बहू भी कुछ नही है हाहाहा , वैसे रात मे क्या हुआ ?

अमन के कान खड़े हो गये कि ये क्या पूछ रहा है उसका बाप ।
अमन - मतलब ?
मुरारी धीमी आवाज मे उसके पास होकर - अरे वो रात मे दिया था ना , वो यूज किया कि नही ?

अमन लाज भरि मुस्कुराहट के साथ - हम्म्म किया ।

मुरारी का खुन्टा एकदम कड़क होने लगा उसे जानने की उत्सुकता भी थी और झिझक भी हो रही थी

हिम्मत कर मुरारी ने पूछ ही लिया - कितनी बार
अमन मुस्कुरा कर - आपने जितनी बार कहा था

मुरारी का लण्ड एकदम से फड़फडा उठा - और बहू , उसने ऐतराज नही किया ?

अमन - उहू ... मेरे ख्याल से उतना नानुकुर सब बिवियां करती होगी बस उतना ही उसने भी किया ।

मुरारी हसता हुआ - वैसे पूछना तो नही चाहिये लेकिन कैसा लगा तुझे उस समय

अमन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी मगर शर्म से लाल होते उसके गाल भी साफ नजर आ रहे थे - अह अब कैसे बताऊ , आपको तो पता है कैसा लगता है । इसमे बताने जैसा क्या है पापा ?
मुरारी पैर फैला कर अंगड़ाई लेता है और पजामे मे बना हुआ उस्का तम्बू साफ साफ अमन को दिखता है - अह्ह्ह अब क्या बताऊ अमन तुझे और बहू को देखता हु तो अपने जवानी के दिन की यादे ताज़ा हो जाती है । शुरुआती दिनो की वो मीठी शरारतें , घर मे चोरी छिपकर तेरी मा के देह से छिपकना खेलना उम्म्ं वो यादे उफ्फ़फ्फ

अमन खिलखिलाता है तो मुरारी मुस्कुरा कर - हा भाई सच कह रहा हु , तुझे तो तेरा अपना कमरा मिला है , गाव मे होता तो पता चलता कैसे रात के सन्नाटे मे सासे थाम कर सिसकिया घोट कर चुदाई करते हैं ।
अमन हस रहा था
मुरारी- लेकिन उस तकलिफ मे भी मजा होता था जब हम अपनी मस्तियाँ पूरी करने मे कामयाब हो जाते थे । जब मै तेरी मा के भीतर झड़ जाता था सारी खुन्नस सारी शिकायते सब बह जाती थी ।

अमन गला साफ करता हुआ चोर नजरो से अपने बाप को उसकी यादो मे खोया हुआ अपना मोटा मुसल पजामे के उपर से मसलता देखता है और खुद भी अंगड़ाई लेकर अपना लन्ड मसल कर सीधा करता हुआ - आह्ह पापा लो ये आपका पार्सल

मुरारी- अरे हा खोल खोल देखता हु जरा
अमन फटाफ़ट से पैकेज खोलता है और फिर उसमे से ब्रा पैंटी को निकाल कर अपने पापा को देता है ।

मुरारी उस नरम मुलायम महिन सूत वाले कपड़ों के बने ब्रा और पैंटी का मखमलीपन अपनी उंगलियो मे मह्सूस करता हुआ उन्हे अपने नथुनो तक ले जाता है - उम्म्ंम्ममम्ंम्ं वाह एकदम फ्रेश है

अमन अपने पापा की कामुकता को अजीब नजरो से निहारता है - क्या सुँघ रहे हो पापा
मुरारी हस कर - ओह मुझे ये नये ताजे कपड़ो की खुशबू अच्छी लगती है और जब इसमे तेरी के देह की खुस्बू भीन जायेगी उह्ह्ह्ह तब तो येहहह ओह्ह्ह्ह्ह

अमन अपनी मा के जिस्म की खुस्बू के नाम से ही गनगना गया और उसका मुसल हथौड़ा सा हो गया । गुपचुप से उसने अपना मुसल खुजाया ।

मुरारी- और इसका कलर बहुत खिलेगा तेरी मा पर और इस रंग की चुन्नी भी तो है उसके पास

अमन - चुन्नी ? इसपे चुन्नी का क्या काम ?
मुरारी खिलखिला कर हसता हुआ अमन के कंधे पर हाथ घुमाता है - हाहाहाहा तु भले ही इस जमाने का है मगर शादीशुदा जीवन के मजे लेने मे पीछे ही रहेगा अपने बाप से

अमन - मै समझा नही पापा , आखिर ब्रा पैंटी के साथ उसकी मैचींग चुन्नी का क्या काम?

मुरारी- क्या काम!! बेटा तुझे एक बार की बात बताता हु
हुआ यूँ था कि शादी के कुछ महीने बाद एक रिस्तेदार के यहा शादी मे घर के बाकी जन गये हुए थे और चूकि तेरी मा अभी नयी ब्याही आई थी तो उसको साल भर तक किसी के यहा जाने पर मनाही थी और उसकी देख रेख का ख्याल रखने के लिए मुझे रुकना पड़ा था
अमन - अरे वाह फिर
मुरारी अमन की चहकपने पर हसकर - बताता हु भाई सुन

पूरे 3 रोज के लिए घर के सारे लोग गये थे और मैने तेरी मा को इस बात के लिए मनाने लगा कि वो फिर से शादी वाला लाल जोडा पहने , बहुत नानुकुर और प्यार जताने पर वो मान ही गयी
अमन - मतलब फिर से सुहागरात हिहिही

मुरारी- हा ऐसा ही कुछ फिर मुझे ख्याल आया क्यूँ ना उसके लाल जोड़े को पुरा करने के लिए लाल रंग की ब्रा पैंटी भी ला दूँ और उसी रोज मै बाजार जाकर ले आया ।
उस रोज तेरी मा बहुत खुश थी लेकीन जब मैने कहा कि मुझे इसे पहन कर दिखा तो वो शर्मा कर मना करने लगी।

अपने पापा की बातें और अपनी मा को लाल रंग की ब्रा पैंटी मे सोच कर ही अमन का लन्ड बौरा गया , वो अपना मुसल रगड़ते हुए सिसका - फिर पापा क्या हुआ , क्या मा पहन कर आई ?

मुरारी- हा बेटा और वो नजारा आजतक नही भुला उफ्फ्फ जैसे ही मै कमरे मे दाखिल हुआ मेरा मन मचल उठा , दिल खुशी से उछलने लगा , सामने तेरी मा बिस्तर के पास खड़ी थी उसने अपने सर पर शादी की विदाई वाली लाल चुनरी ओढ़ कर घूँघट कर रखी थी और गले से निचे उसका गोरा संगमरमरी बदन मेरे दिये तोहफो से सजा हुआ था ।

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वो छींट वाली प्रिंट की ब्रा उसके तंदुरुस्त दूध पर कसे हुए थे और वो पतले पट्टी वाली लाल कच्छी उसकी जांघो के बीच से जैसे कमल सी खिल उठी थी ।


अमन का दिल अपने पापा की बाते सुन कर जोरो से धड़कने लगा उसका लन्ड अपनी मा को लाल ब्रा पैंती मे सोच कर पुरा फडकने लगा , चेहरे पर कामुकता साफ साफ हावि दिख रही थी । वही मुरारी बड़ी बेबाकी और बेहिचक होकर अमन को सारी बाते बता रहा था

मुरारी- सच कह रहा हु बेटा अगर तु उस समय अपनी मा को देख लेता तो तु भी उसका दिवाना हो जाता हाय्य्य

और उसने अमन की ओर देखा जो आंखे बन्द किये तेज तेज सासे ले रहा था और उसका हाथ उसके लन्ड को भींच रहा था । मुरारि समझ गया कि अमन अपनी मा को अपनी कल्पना मे देख रहा है ।

मुरारी- बस आज रात वो यादे ताज़ा होने वाली है ,आज की रात मै उसे फिर तैयार होने को कहुगा
अमन - हा पापा मै भी

मुरारी चौककर - क्या मतलव
अमन हस कर - अरे मतलब आज मै भी सोनल को ऐसे ही तैयार होने को कहूँगा , वैसे क्या मा ने सारे साज सृंगार किये थे या बस चुन्नी ली थी ।

मुरारी हस कर - अरे सबर कर ले , कल मै तुझे उसकी फोटो दिखाऊँगा फिर तु समझ जायेगा

अमन की आंखे चमक उठी - क्या सच पापा ?
मुरारी मन मे उभरते लालच को दबाता हुआ - हा उसमे क्या है , तु उसका ही बेटा है गैर थोड़ी ।

मुरारी ने इस बात के साथ अपना दाव खेल दिया था इस उम्मीद मे कि शायद ममता के बदले अमन सोनल की भी तसविरे उसे दिखाये और अपनी हीरोईन सी सेक्सी गोरी चिट्टी बहू को ऐसे तैयार होकर देखने के बारे मे सोच कर मुरारि का जजबात उबाल मारने लगे
मगर उसने अपने जजबात को काबू मे रखा और संयम से इंतजार करना सही समझा ।



राज के घर

रागिनी अनुज को लेकर दोपहर का टिफ़िन लेके बाजर के लिए निकल गयी थी , निशा भी किचन के काम निपटाने के बाद नहाने के लिए उपर जा चुकी थी

वही रागिनी के रूम मे शिला और रज्जो आपस मे मिलाप कर रही थी , शिला अपनी बड़ी सी तरबूज सी गाड़ फैलाये कुर्ती उठाए आगे झुकी हुई थी

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रज्जो उसकी नंगी गोरी गाड़ को सहलाती हुई उसके नरम मुलायम चुतड पर पन्जा जड़ती है जिससे शिला सिस्क पड़ती है - अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह मान जाओ ना प्लीज एक बार

रज्जो उसकी गाड़ की दरारो मे उंगलिया घुसाती हुई सुराख मे उंगली पेल दी - अह्ह्ह तुम समझ नही रही हो दीदी उम्म्ंम रमन के पापा नाराज हो जायेन्गे

शिला - अह्ह्ह भाभीईई उह्ह्ह्ह उफ्फफ़फ़ उम्म्ंम खा जाओ उम्म्ंम्ं और चाटो उम्म्ं ये अनुज मुये ने मेरी चुत की खुजली बढा दी अह्ह्ह्ह सीईई

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रज्जो शिला की टाँगे खोले उसकी चुत पर जीभ चला रहा थी और चाट रही थी ।
शिला - आह्ह भाभीईई बस तुम हा करो । वहा तुम्हे वो मजा मिलेगा वैसा तुमने कभी नही लिया होगा


रज्जो उसकी चुत से अलग हुई और अपनी नंगी छातिया मिजने लगी

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शिला ने अपने पैर उसके गुदाज चुचो पर रख कर निप्प्ल पर सहलाने लगी जिस्से रज्जो की सासे उखड़ने लगी - ऊहह छोडो ना दिदी , चलो ना नहाते है आओ

ये बोल कर रज्जो उठ खड़ि हुई और अपनी कमर मे अटकी पेतिकोट को सरका कर सिर्फ पैंटी मे आ गयी और कुल्हे हिलाती मुस्कुराती हुई बाथरूम मे चली गयी ।

शिला भी अपनी कुरती उतार कर फेक दिया और तौलिया लेकर बाथरूम मे दाखिल हुई और उसकी नजर रज्जो के पर गयि
अपने जिस्म से ब्रा उतार कर पूरी नंगी हो रज्जो के करीब गयी और उसको पीछे से जकड़ लिया - अह्ह्ह भाभीई मेरी जान मान भी जाओ ना बस कुछ रोज की ही बात है

रज्जो के चुचो पर शिला के रेंगते हाथ उसने कस कर पकड़ लिये तो शिला ने उसकी चुचिया मिजनी शुरु कर दी - अह्ह्ह्ह दिदीईई उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

शिला - थोडा सा भरोसा रखो मेरी जान उम्म्ंम वहा तुम्हारा बदन और निखर जाएगा

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"और तुम्हारे ये गोल मटोल तरबूज के चुतड उम्म्ंम्म्ं" , शिला निचे बैठ कर रज्जो की पैंती के गाड़ से सरकाती हुई उसे चूमती हुई निचे करने लगी ।


शिला - ओह्ह भाभी तम्हारी ये गाड़ उम्म्ं इसको ऐसे ना तरसाओ इसमे तो जमाने भर के लन्ड घुसाने की जगह है उम्म्ंंम्ंम्ं सीईई

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शिला रज्जो की गाड़ मसलती हुई उसके चुसने चाटने लगती है - अह्ह्ह्ह दीदी उउम्ंंंं ओह्ह्ह पर मुझे डर लगता है अह्ह्ह रमन के पापा को क्या कहुगी मै उम्म्ं

शिला उठ खड़ी हुई और घुमाती हुई उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिये , रज्जो ने भी उसके होठ चुसने शुरु कर दिये
दोनो रसभर अधर एकदुसरे मे घुले जा रहे थे और उनकी नगन छातियां आपस मे चुभ रही थी ,
रज्जो के हाथ शिला की मक्खन सी जांघो को उठा हुए उसके चर्बीदार चुतडो को सहला रही थी ।
रज्जो - अह्ह्ह मेरी जान मेरे सैयया मतल्ब रमन के पापा तो अभी से मेरे बिना पागल है , वो और मुझसे दूरी नही सह पायेंगे अह्ह्ह्ज समझ ना

शिला उसके गाड़ को पक्ड कर अपनी ओर उसको खिंचती हुई - तेरे उस गाड़ चतोरे साजन की फिकर ना कर उसको कैसे मनाना मै जानती हु मेरी चुदक्क्ड घोडी तू हा कर बस

रज्जो ने मुस्कुरा कर शिला को देखा - मतल्ब दीदी तुम कैसे ? शिला शर्माई और बोली - तेरे साजन बहुत कुछ तुझसे छिपाते है मेरी सजनी

रज्जो ने आगे बढा कर शिला के बुर टटोलती हुई - मतलब इस भोस्ड़े मे भी उन्होने खुन्टा गाड़ दिया उम्म्ंम

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शिला मुस्कुराती हुई सिसकी तो रज्जो ने उसकी दोनो निप्प्ल पक्ड कर नोचती हुई उसे अपने अपनी बाहो के भर के उसके होठ चुसने लगी - अह्ह्ह साली रंडी तु तो मेरा ही माल खा गयी उम्म्ंम अब देख कैसे तेरा माल मै खाती हुई वो भी तेरे घर मे घुस कर

शिला खिल उठी - तो क्या सच मे भाभी तुम चलोगी
रज्जो - हा चलूँगी ना , अगर तु मेरी चुत चाट कर खुश कर दे

शिला मुस्कुरा कर उसकी बुर सहलाने लगी - उम्म्ं मेरि सेक्सी रान्ड़ इसमे मेरा ही फाय्दा है आजा

शिला सरकर निचे हो गयी और रज्जो ने उस्के मुह पर अपनी बुर रख दी

वही उपर नहाने के बाद निशा निचे आने लगी ये खोज खबर लेने कि अगर घर की बाकी औरते बिजी हो तो वो अरून के लैपटॉप मे पोर्न्ं देख पाये

चुपचाप दबे पाव वो निचे हाल मे आई और निचे पुरा सन्नाटा पसरा हुआ था और गेस्ट रूम का दरवाजा खुला
कही कोई नजर नही आया तो निशा रागिनी के कमरे की ओर बढ़ी
दरवाजा खुला हुआ था और बाथरूम से तेज सिस्किया और अवाजे गूंज रही ।

निशा ने भागकर सबसे पहले मेन गेट चेक किया और वापस आई उसकी सासे तेज चल रही थी तेज कामुक सिसकियाँ सूनकर उस्के जहन मे समझ आ रही था किसी की तगडी पेलाई चल रही थी मगर किसकी ?

उसके निप्प्ल कडक हो गये और सासे दुगनी गति से चल रही थी , कलेजा थाम कर जैसे जैसे वो दरवाजे की ओर बढ़ रही थी उसको रज्जो की साफ और स्पष्ट गाली भरी चीख सुनाई दे रही - अह्ह्ह बहिनचोद चाट ओह्ह्ह ऐसे उम्म्ं खा मेरी बुर उह्ह्ह ओह्ह आज तुझे नहला दूँगी अपनी रस से ओह्ह्ह्ह एल्ह्ह्ह उम्म्ंम

निशा के कान खड़े हो गये कि रज्जो किसकी मुह पर अपना भोस्डा रग्ड रही है और जैसे ही उसने बाथरूम मे झाका तो देखा ,

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बाथरूम की फर्श पर शिला बुआ फैली हुई गरदन उठा हुए थी और रज्जो मौसी अपनी चुत उनके मुह पर दर रही थी - लेह्ह्ह साली कुतिया चाट उम्म्ंम पी जाह्ह्ब उह्ह्ह मादरचोद उह्ह्ह लेह्ह्ह ओह्ह्ह ओझ्ह शिलाअह्ह्ह मेरी जान उम्म्ंम आ रहा है ओह

निशा की आंखे फटी की फटी रह गयी कि रज्जो मौसी और शिला बुआ एक साथ ऐसे , अन्जाने मे उसके मुह यही निकला - ओह्ह गॉड बुआ मौसी आप लोग ?


दोनो चौके और निशा को देख कर खड़े हो गये शिला की हालत खराब थी वो रज्जो से फुसफुसाई - अब क्या करे
रज्जो- अरे शिकार खुद चल कर आया तो हलाल होगा

रज्जो - तु यहा कया कर रही है ये , इधर आ पहले

निशा - हा लेकिन आप लोग ऐसे ? दरवाजा बन्द कर लेते
रज्जो- तु बड़ी समझदार है उम्म्ं इधर अभी तुझे ठिक करती ह
ये बोल कर रज्जो ने उसे पकड़ कर खिंच और लोवर के उपर से उसकी चुतड़ पर थपेड लगाती हुई - किसी के कमरे मे जाने से पहले दरवाजा खटखटाना चाहिये ना

निशा - अह्ह्ह सॉरी ना मौसी , लेकिन आप लोग ये सब क्या कर रहे थे अह्ह्ज्ज

रज्जो - दीदी इसको भी अनुज की तरह सजा दो , कपडे उतारो
अनुज की तरह सजा का मतलब कुछ कुछ समझ आ रहा था निशा को - क्या मतलब अनुज की तरह सजा, उसने भी देखा क्या आप दोनो

शिला उसका लोवर खिंच कर - देखो तो कैसे सवाल जवाब कर रही है हा ,बहुत बिगड़ गयी है तु भी
ये बोल कर शिला के चुतड़ पर चट्ट से पन्जे जड़ देती है जिस्से निशा का जिस्म झनझना जाता है -अह्ह्ह बुआ मार क्यू रहे हो ओह्ह्ज उम्म्ं

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इधर रज्जो ने उसकी पैंती पकड़ कर खिंचती हुई - उसके गाड़ पर थपेड़ लगाती हुई - देखो तो इस्क्प एक तो चोरी उसपे से सिना जोरि

निशा - अह्ज्ज मैने किया क्या है लेकिन
रज्जो - अरे दिदी यही तुम्हारा बड़ा वाला समान लेके गयी थी
शिला - क्या सच मे ? ये लडकी बोल कहा रखा है उसे ,

रज्जो ये ऐसे नही बोलेगी इसको कमरे मे के चलो और

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फिर रज्जो उसे टांग लिया और कमरे मे घोडी बना कर उसकी पैटी खिंच कर उसकी गाड़ पर थपेड लगा कर - बोल कहा रखा है तुने उसे

निशा - आह्ह क्या बोल रही हो मौसी मै कहा लाई थी
रज्जो - मैने साफ साफ देखा था दिदी इसको कमरे से निकलते हुए ,

शिला - तभी तो मै सोचू इसकी जवानी कैसे निखर रही है आह्ह अभी से इसने घोट रखा है इतना सारा
रज्जो - बोल देगी की नही वापस

निशा - मै नही लेके गयी थी बुआ बोलो ना मौसी को
रज्जो - ये ऐसे नही मानेगी रुक

रज्जो ने उसे लिटाया और उसके मुह पर बैठ गयी - उम्म्ंम बोल ऐसे ही तेरे ये जोबन मोटे हुए है उम्म्ंम

शिला - हा रुको मै भी निचे से चेक करती हु सारी सच्चाई खुल जायेगी ये बोल कर शिला ने उस्की टांगो से पैंती खिंच कर अलग कर दी , उसकी बजबजाती बुर पर हाथ फेर कर उसके फाके अलग करती हुई - हम्म्म्म साफ साफ लग रहा है इसने घुसाया उम्म्ंम

निशा - आह्ह सीईई ओह्ह्ह बुआ क्याअह्ह्ह कर रही हो उम्मममंम्ं ओह्ह्ह
रज्जो - साली रंडी ले चाट अह्ह्ह्ह बोल मत , तेरा भेद खुल गया है अह्ह्ह उम्म्ंम

निशा मुस्कुराई और आंख मारते हुए रज्जो से हल्के से बोली - लेकीन ड्रामा करने मे माजा आ रहा है

निशा हसती हुईई - ओह्ह्ह बुआ ये क्या कर रही हो अपनी बेटी के साथ उह्ह्ह्ह मत चाटो उसकी कुवारि चुत को अह्ह्ज सीईयियो
रज्जो निशा की शरारत पर हस पड़ि और अपनी बुर को उसके मुह पर रख दी जिसे निशा चाटने लगी

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वहि शिला भुखी शेरनी की तरह निशा की बुर पर टुट पड़ि थी , उसके सपने आज हकिकत हो रहे थे , दिल मे जो अरमानो का बाग लेके आई थी वो खिल रहे थे

निशा की नमकीन चुत का स्वाद पाकर वो पागल हो गयी थी - आह्ह निशा तेरी बुर सच मे बहुत गर्म है उम्म्ं ऐसी ही कुवारि चुत का रस पसम्द है उम्मममं सीईई

निशा - अह्ह्ह बुआ अह्ह्ह इतनी अच्छी है क्या उम्म्ंम खा जाओ उह्ह्ह येस्स्स उम्म्ंम फ्क्क्क्क ओह्ह्ह जीभ से भी आह्ह हा ऐसे ही उम्म्ंम फक्क्क ओह्ह्ह बुआअह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बुआ ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह्ह

रज्जो - रुक जा रुका जा ऐसे नही मुझे भी तो अपनी भतीजी के चुत का रस लेने दे आजा

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ये बोल कर रज्जो उठी और निशा की टांगो मे कैची बना कर उसकी चुत पर अपनी चुत रगड़ने लगी - अह्ह्ह मौसी उह्ह्ह ये तो अलग ही मजा आ है अह्ह्ह्ज उम्म्ंम्ं कितना तप रहा है आप्का भोस्डा अह्ह्ह उह्ह्ज्ज फक्क्क्क उम्म्ंम्ं

शिला - अह झड जा बेटी झड जा अपनी मौसी के बुर पर ओह्ह्ह
निशा - हा बुआ फिर आप चाटना अपनी बेटी की वुर बोलो चातोगे ना उम्म्ंम अह्ह्ज्ज्ज सीयिओई और तेज मौसी अह्ह्ज बहुत मुलायम है अह्ह्ह रहा नही जा रहा है अह्ह्ह्ज फक्क्क्क ऐसे ही उह्ह्ह्ह आओ जा बुआ तुम भी अओझ्ह अह्ह्ज

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शिला उठ कर उनके पास आ गयी और दोनौ उसकी चुचिया मुह के भर कर चुसने लगे - आह्ह बेटा उम्म्ंम पी ले ऊहह और चुस उह्झ भाभीईई अह्ह्ह काट डालोगी क्या आह्ह सीईईईई अह्ह्ह

रज्जो - ओह्ह्ह निशा अह्ह्ह सीईई आ रहा है मेरा अओह्ह्ह्ह।
निशा -हा मौसी मेरा भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह हहह फ्क्क्क अह्ह्ह मम्मीईई अह्ह्ह आह्ह आ रहा उह्ह्ह बुआआ हहहहह आ गया आ गया ओह्ह्ह शिट उह्ह्ह फक्क्क ऊहह फक्क्क


रज्जो और निशा हाफने लगे और फैल लार लेट गये वही शिला बारी बारी से दोनो के बुर के मिले हुए रस को चाटने लगी ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है
 

Sanju@

Well-Known Member
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UPDATE 218

अमन के घर

दोपहर के खाने के बाद ममता, दुलारी और संगीता को लेकर कुछ खरीदारी के लिए बाजार निकल गयी ।
मदन अपने कमरे मे आराम फरमा रहा था तो रिन्की दुलारि के कमरे मे दो घन्टे से सो रही थी जबसे अमन ने उसकी चुत फाडी थी ।
इधर अमन भी सोनल के साथ कुछ प्रेम भरे पल बाट रहा था । सोनल भी कल के लिए अपने घर वालो से मिलने के लिए उत्साहित थी

दोनो प्रेमी आपस मे एकदूसरे से लिपटे हुए थे और अमन की दिलीइच्छा थी कि इस बार निशा भी आये ।
सोनल उसे छेड़ते हुए तुनक कर - आपको तो उसके काले अंगूर का ही रस पीना है , यहा मेरी गुलाबी मीठी किस्मिस की कली सूख रही है उसका नही ध्यान

अमन सोनल के प्यार भरे ताने से भितर से सिहर उठा और उसका खुन्टा लोवर मे हरकत करने लगा । उसने सोनल को अपनी ओर कसा और अपने तम्बू का बम्बू उसकी साडी के उपर से उसकी चुत पर चुभोता हुआ - ओह्ह्ह मेरी जान तेरे इस गुलाबी किस्मिस के दाने को अभी गीला कर देता हु

ये बोलकर अमन ने सोनल की मोटी उभरी हुई ब्लाउज से झाकती छातियो पर हाथ फेरा और सोनल सिहर उठी - अह्ह्ह मेरे राजाह्ह्ह्ह उम्म्ंम सीईई ना जाने आपमे क्या जादू है बाबू छूते हो और ये खड़ी हो जाती है

अमन उसकी मुलायम दूध से भरी मोटी पपीते सी छातियो को हाथ मे भर कर मिजता हुआ ब्लाउज के उपर से निप्प्ल वाली जगह को मुह मे भर काटता है - उम्म्ंमममं सीईई ओह्ह मेरी जान तुम्हारी इन्ही रसदार boobs का ही तो दीवाना हु मै उम्म्ंम

सोनल- अह्ह्ह माय बेबी उम्म्ंम सक इट उह्ह्ह मेरा बाबू उम्म्ंम ओह्ह आराम से ईईइस्स्स्स

तभी दरवाजे पर दसतक हुई और दोनो अलग हुए , इस अचरज और शंका भरे भाव से घर की औरते तो बाजार गयि है फिर कौन उपर आकर उन्हे परेशान करेगा
तभी अमन का दिमाग ठनका और उसे अपने बाप की याद आई । वो जल्दी से उठ कर खड़ा हुआ और हड़बड़ाहट भरे लहजे मे - उठो उठो , पापा है !

ससुर के आने की बात पर सोनल की भी हालत खराब हुई जल्दी जल्दी वो भी खड़ि होकर अपने जोबनो पर आन्चल डाला और साडी सही करने लगी ।

अमन ने अपना लन्ड सेट करने को कोसिस की मगर कोसिस नाकाम ही रही , उसका लन्ड मोटे रॉड की तरह अभी भी उसके लोवर मे उभरा हुआ साफ नजर आ रहा था ।

बड़ी मुश्किल से दरवाजे के ओट मे खुद को छिपाते हुए उसने दरवाजा खोला और सामने मुरारी था ।
सारी हकीकत से परिचित होने के बाद भी अमन ने उस्से सवाल किया - अरे पापा आप यहा ? फ़ोन कर देते !

मुरारी झिझक भरे लहजे मे अमन के पीछे खड़ी सोनल को एक नजर देखा जो सन्सकार बस मुस्कराती हुई अपने सर पल्लू कर रही थी

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और अनायास मुरारि की नजर अपनी नयी नवेली बहु के चिकने पेट के किनारो पर चली गयि , जिसकी कोमलता और मलाई सी गोरी चमडी देख कर मुरारी एक पल के लिए सम्मोहीत सा हो गया , मगर अगले ही पल उसने खुद को उस नजारे से अलग किया - अह फ़ोन किया था मैने , तुने उठाया नही ।तुझ्से थोडा काम है जरा निचे आना

ये बोलकर मुरारी घूम कर वापस जाने लगा और फिर घूम कर - और वो समान कल मगाया था वो लेते आना ।

जाते जाते एक बार फिर मुरारी ने सोनल की चिकनी कमर पर नजर मारनी चाही मगर इस बार देखा तो सोनल मे सब कुछ अच्छे से ढक रखा था । उस पल भर मे ही मुरारी समझ गया कि सोनल ने उसकी चोरी पकड ली और वो बिना अपनी बहू की ओर देखे चुपचाप निकल गया ।
सोनल ने पार्सल के बारे पूछा तो अमन के बात बदल दी और वो पैकेट लेकर निकल गया नीचे

वही मुरारी अपने कमरे मे बेचैन टहल रहा था जैसे ही अमन कमरे मे दाखिल हुआ उसकी चेहरे पर मुस्कान छा गयी - आ गया बेटा आ आ बैठ
अमन मुस्कुरा कर सोफे पर बैठ गया और मुरारी हसता हुआ - माफ करना बेटे मैने तेरे और बहू के एकांत के पल में डिस्टर्ब कर दिया ।

अमन लजाता हुआ मुस्कुरा कर - क्या पापा ऐसा कुछ नही कर रहे थे हम लोग , सची मे
मुरारि - वो जब तु दरवाजे के पीछे छिपा था तभी मै समझ गया है हाहाहा अरे मुझसे क्या शर्माना , ऐसा तो मेरे साथ भी हुआ है कई बार हिहिहिही

अमन - हैं सच मे ? कब ?
मुरारी- अरे वो तब जवानी के दिनो की बात थी , गाव वाले घर मे मुश्किल से तो तेरी मा के साथ समय मिलता था और ज्यादातर तो हाहहहा
अमन - क्या ज्यादातर ?
मुरारी हस्ता हुआ - अरे वो तुम जवान लोग आपस मे आजकल क्या बोलते हो ? एलकेपीडी ...

अमन हसता हुआ - वो केएलपीडी होता है पापा हाहाहा
मुरारी हस्ता हुआ - हा वही खड़े लन्ड पर धोखा हाहाहा यही मतलब है ना उसका
मुरारि के यूँ खुल कर मजाक करने से अमन थोडा सा लाज से झेप जाता है और मुस्कुरा कर - जी

मुरारी अपनी बात आगे बढ़ाता हुआ - और उसपे से तेरी मा , खूब नखरिली हाहाहा मुझे सताने मे ना जाने क्या मजा आता है उसे ।

" वो तो सबकी बिवियाँ करती है ", अमन बहुत महिन सा बुदबुदाया मगर मुरारि के तेज कानो ने उसकी आवाज को पकड़ लिया ।

मुरारि हस्ता हुआ - अच्छा तो बहू भी कुछ नही है हाहाहा , वैसे रात मे क्या हुआ ?

अमन के कान खड़े हो गये कि ये क्या पूछ रहा है उसका बाप ।
अमन - मतलब ?
मुरारी धीमी आवाज मे उसके पास होकर - अरे वो रात मे दिया था ना , वो यूज किया कि नही ?

अमन लाज भरि मुस्कुराहट के साथ - हम्म्म किया ।

मुरारी का खुन्टा एकदम कड़क होने लगा उसे जानने की उत्सुकता भी थी और झिझक भी हो रही थी

हिम्मत कर मुरारी ने पूछ ही लिया - कितनी बार
अमन मुस्कुरा कर - आपने जितनी बार कहा था

मुरारी का लण्ड एकदम से फड़फडा उठा - और बहू , उसने ऐतराज नही किया ?

अमन - उहू ... मेरे ख्याल से उतना नानुकुर सब बिवियां करती होगी बस उतना ही उसने भी किया ।

मुरारी हसता हुआ - वैसे पूछना तो नही चाहिये लेकिन कैसा लगा तुझे उस समय

अमन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी मगर शर्म से लाल होते उसके गाल भी साफ नजर आ रहे थे - अह अब कैसे बताऊ , आपको तो पता है कैसा लगता है । इसमे बताने जैसा क्या है पापा ?
मुरारी पैर फैला कर अंगड़ाई लेता है और पजामे मे बना हुआ उस्का तम्बू साफ साफ अमन को दिखता है - अह्ह्ह अब क्या बताऊ अमन तुझे और बहू को देखता हु तो अपने जवानी के दिन की यादे ताज़ा हो जाती है । शुरुआती दिनो की वो मीठी शरारतें , घर मे चोरी छिपकर तेरी मा के देह से छिपकना खेलना उम्म्ं वो यादे उफ्फ़फ्फ

अमन खिलखिलाता है तो मुरारी मुस्कुरा कर - हा भाई सच कह रहा हु , तुझे तो तेरा अपना कमरा मिला है , गाव मे होता तो पता चलता कैसे रात के सन्नाटे मे सासे थाम कर सिसकिया घोट कर चुदाई करते हैं ।
अमन हस रहा था
मुरारी- लेकिन उस तकलिफ मे भी मजा होता था जब हम अपनी मस्तियाँ पूरी करने मे कामयाब हो जाते थे । जब मै तेरी मा के भीतर झड़ जाता था सारी खुन्नस सारी शिकायते सब बह जाती थी ।

अमन गला साफ करता हुआ चोर नजरो से अपने बाप को उसकी यादो मे खोया हुआ अपना मोटा मुसल पजामे के उपर से मसलता देखता है और खुद भी अंगड़ाई लेकर अपना लन्ड मसल कर सीधा करता हुआ - आह्ह पापा लो ये आपका पार्सल

मुरारी- अरे हा खोल खोल देखता हु जरा
अमन फटाफ़ट से पैकेज खोलता है और फिर उसमे से ब्रा पैंटी को निकाल कर अपने पापा को देता है ।

मुरारी उस नरम मुलायम महिन सूत वाले कपड़ों के बने ब्रा और पैंटी का मखमलीपन अपनी उंगलियो मे मह्सूस करता हुआ उन्हे अपने नथुनो तक ले जाता है - उम्म्ंम्ममम्ंम्ं वाह एकदम फ्रेश है

अमन अपने पापा की कामुकता को अजीब नजरो से निहारता है - क्या सुँघ रहे हो पापा
मुरारी हस कर - ओह मुझे ये नये ताजे कपड़ो की खुशबू अच्छी लगती है और जब इसमे तेरी के देह की खुस्बू भीन जायेगी उह्ह्ह्ह तब तो येहहह ओह्ह्ह्ह्ह

अमन अपनी मा के जिस्म की खुस्बू के नाम से ही गनगना गया और उसका मुसल हथौड़ा सा हो गया । गुपचुप से उसने अपना मुसल खुजाया ।

मुरारी- और इसका कलर बहुत खिलेगा तेरी मा पर और इस रंग की चुन्नी भी तो है उसके पास

अमन - चुन्नी ? इसपे चुन्नी का क्या काम ?
मुरारी खिलखिला कर हसता हुआ अमन के कंधे पर हाथ घुमाता है - हाहाहाहा तु भले ही इस जमाने का है मगर शादीशुदा जीवन के मजे लेने मे पीछे ही रहेगा अपने बाप से

अमन - मै समझा नही पापा , आखिर ब्रा पैंटी के साथ उसकी मैचींग चुन्नी का क्या काम?

मुरारी- क्या काम!! बेटा तुझे एक बार की बात बताता हु
हुआ यूँ था कि शादी के कुछ महीने बाद एक रिस्तेदार के यहा शादी मे घर के बाकी जन गये हुए थे और चूकि तेरी मा अभी नयी ब्याही आई थी तो उसको साल भर तक किसी के यहा जाने पर मनाही थी और उसकी देख रेख का ख्याल रखने के लिए मुझे रुकना पड़ा था
अमन - अरे वाह फिर
मुरारी अमन की चहकपने पर हसकर - बताता हु भाई सुन

पूरे 3 रोज के लिए घर के सारे लोग गये थे और मैने तेरी मा को इस बात के लिए मनाने लगा कि वो फिर से शादी वाला लाल जोडा पहने , बहुत नानुकुर और प्यार जताने पर वो मान ही गयी
अमन - मतलब फिर से सुहागरात हिहिही

मुरारी- हा ऐसा ही कुछ फिर मुझे ख्याल आया क्यूँ ना उसके लाल जोड़े को पुरा करने के लिए लाल रंग की ब्रा पैंटी भी ला दूँ और उसी रोज मै बाजार जाकर ले आया ।
उस रोज तेरी मा बहुत खुश थी लेकीन जब मैने कहा कि मुझे इसे पहन कर दिखा तो वो शर्मा कर मना करने लगी।

अपने पापा की बातें और अपनी मा को लाल रंग की ब्रा पैंटी मे सोच कर ही अमन का लन्ड बौरा गया , वो अपना मुसल रगड़ते हुए सिसका - फिर पापा क्या हुआ , क्या मा पहन कर आई ?

मुरारी- हा बेटा और वो नजारा आजतक नही भुला उफ्फ्फ जैसे ही मै कमरे मे दाखिल हुआ मेरा मन मचल उठा , दिल खुशी से उछलने लगा , सामने तेरी मा बिस्तर के पास खड़ी थी उसने अपने सर पर शादी की विदाई वाली लाल चुनरी ओढ़ कर घूँघट कर रखी थी और गले से निचे उसका गोरा संगमरमरी बदन मेरे दिये तोहफो से सजा हुआ था ।

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वो छींट वाली प्रिंट की ब्रा उसके तंदुरुस्त दूध पर कसे हुए थे और वो पतले पट्टी वाली लाल कच्छी उसकी जांघो के बीच से जैसे कमल सी खिल उठी थी ।


अमन का दिल अपने पापा की बाते सुन कर जोरो से धड़कने लगा उसका लन्ड अपनी मा को लाल ब्रा पैंती मे सोच कर पुरा फडकने लगा , चेहरे पर कामुकता साफ साफ हावि दिख रही थी । वही मुरारी बड़ी बेबाकी और बेहिचक होकर अमन को सारी बाते बता रहा था

मुरारी- सच कह रहा हु बेटा अगर तु उस समय अपनी मा को देख लेता तो तु भी उसका दिवाना हो जाता हाय्य्य

और उसने अमन की ओर देखा जो आंखे बन्द किये तेज तेज सासे ले रहा था और उसका हाथ उसके लन्ड को भींच रहा था । मुरारि समझ गया कि अमन अपनी मा को अपनी कल्पना मे देख रहा है ।

मुरारी- बस आज रात वो यादे ताज़ा होने वाली है ,आज की रात मै उसे फिर तैयार होने को कहुगा
अमन - हा पापा मै भी

मुरारी चौककर - क्या मतलव
अमन हस कर - अरे मतलब आज मै भी सोनल को ऐसे ही तैयार होने को कहूँगा , वैसे क्या मा ने सारे साज सृंगार किये थे या बस चुन्नी ली थी ।

मुरारी हस कर - अरे सबर कर ले , कल मै तुझे उसकी फोटो दिखाऊँगा फिर तु समझ जायेगा

अमन की आंखे चमक उठी - क्या सच पापा ?
मुरारी मन मे उभरते लालच को दबाता हुआ - हा उसमे क्या है , तु उसका ही बेटा है गैर थोड़ी ।

मुरारी ने इस बात के साथ अपना दाव खेल दिया था इस उम्मीद मे कि शायद ममता के बदले अमन सोनल की भी तसविरे उसे दिखाये और अपनी हीरोईन सी सेक्सी गोरी चिट्टी बहू को ऐसे तैयार होकर देखने के बारे मे सोच कर मुरारि का जजबात उबाल मारने लगे
मगर उसने अपने जजबात को काबू मे रखा और संयम से इंतजार करना सही समझा ।



राज के घर

रागिनी अनुज को लेकर दोपहर का टिफ़िन लेके बाजर के लिए निकल गयी थी , निशा भी किचन के काम निपटाने के बाद नहाने के लिए उपर जा चुकी थी

वही रागिनी के रूम मे शिला और रज्जो आपस मे मिलाप कर रही थी , शिला अपनी बड़ी सी तरबूज सी गाड़ फैलाये कुर्ती उठाए आगे झुकी हुई थी

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रज्जो उसकी नंगी गोरी गाड़ को सहलाती हुई उसके नरम मुलायम चुतड पर पन्जा जड़ती है जिससे शिला सिस्क पड़ती है - अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह मान जाओ ना प्लीज एक बार

रज्जो उसकी गाड़ की दरारो मे उंगलिया घुसाती हुई सुराख मे उंगली पेल दी - अह्ह्ह तुम समझ नही रही हो दीदी उम्म्ंम रमन के पापा नाराज हो जायेन्गे

शिला - अह्ह्ह भाभीईई उह्ह्ह्ह उफ्फफ़फ़ उम्म्ंम खा जाओ उम्म्ंम्ं और चाटो उम्म्ं ये अनुज मुये ने मेरी चुत की खुजली बढा दी अह्ह्ह्ह सीईई

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रज्जो शिला की टाँगे खोले उसकी चुत पर जीभ चला रहा थी और चाट रही थी ।
शिला - आह्ह भाभीईई बस तुम हा करो । वहा तुम्हे वो मजा मिलेगा वैसा तुमने कभी नही लिया होगा


रज्जो उसकी चुत से अलग हुई और अपनी नंगी छातिया मिजने लगी

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शिला ने अपने पैर उसके गुदाज चुचो पर रख कर निप्प्ल पर सहलाने लगी जिस्से रज्जो की सासे उखड़ने लगी - ऊहह छोडो ना दिदी , चलो ना नहाते है आओ

ये बोल कर रज्जो उठ खड़ि हुई और अपनी कमर मे अटकी पेतिकोट को सरका कर सिर्फ पैंटी मे आ गयी और कुल्हे हिलाती मुस्कुराती हुई बाथरूम मे चली गयी ।

शिला भी अपनी कुरती उतार कर फेक दिया और तौलिया लेकर बाथरूम मे दाखिल हुई और उसकी नजर रज्जो के पर गयि
अपने जिस्म से ब्रा उतार कर पूरी नंगी हो रज्जो के करीब गयी और उसको पीछे से जकड़ लिया - अह्ह्ह भाभीई मेरी जान मान भी जाओ ना बस कुछ रोज की ही बात है

रज्जो के चुचो पर शिला के रेंगते हाथ उसने कस कर पकड़ लिये तो शिला ने उसकी चुचिया मिजनी शुरु कर दी - अह्ह्ह्ह दिदीईई उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

शिला - थोडा सा भरोसा रखो मेरी जान उम्म्ंम वहा तुम्हारा बदन और निखर जाएगा

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"और तुम्हारे ये गोल मटोल तरबूज के चुतड उम्म्ंम्म्ं" , शिला निचे बैठ कर रज्जो की पैंती के गाड़ से सरकाती हुई उसे चूमती हुई निचे करने लगी ।


शिला - ओह्ह भाभी तम्हारी ये गाड़ उम्म्ं इसको ऐसे ना तरसाओ इसमे तो जमाने भर के लन्ड घुसाने की जगह है उम्म्ंंम्ंम्ं सीईई

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शिला रज्जो की गाड़ मसलती हुई उसके चुसने चाटने लगती है - अह्ह्ह्ह दीदी उउम्ंंंं ओह्ह्ह पर मुझे डर लगता है अह्ह्ह रमन के पापा को क्या कहुगी मै उम्म्ं

शिला उठ खड़ी हुई और घुमाती हुई उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिये , रज्जो ने भी उसके होठ चुसने शुरु कर दिये
दोनो रसभर अधर एकदुसरे मे घुले जा रहे थे और उनकी नगन छातियां आपस मे चुभ रही थी ,
रज्जो के हाथ शिला की मक्खन सी जांघो को उठा हुए उसके चर्बीदार चुतडो को सहला रही थी ।
रज्जो - अह्ह्ह मेरी जान मेरे सैयया मतल्ब रमन के पापा तो अभी से मेरे बिना पागल है , वो और मुझसे दूरी नही सह पायेंगे अह्ह्ह्ज समझ ना

शिला उसके गाड़ को पक्ड कर अपनी ओर उसको खिंचती हुई - तेरे उस गाड़ चतोरे साजन की फिकर ना कर उसको कैसे मनाना मै जानती हु मेरी चुदक्क्ड घोडी तू हा कर बस

रज्जो ने मुस्कुरा कर शिला को देखा - मतल्ब दीदी तुम कैसे ? शिला शर्माई और बोली - तेरे साजन बहुत कुछ तुझसे छिपाते है मेरी सजनी

रज्जो ने आगे बढा कर शिला के बुर टटोलती हुई - मतलब इस भोस्ड़े मे भी उन्होने खुन्टा गाड़ दिया उम्म्ंम

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शिला मुस्कुराती हुई सिसकी तो रज्जो ने उसकी दोनो निप्प्ल पक्ड कर नोचती हुई उसे अपने अपनी बाहो के भर के उसके होठ चुसने लगी - अह्ह्ह साली रंडी तु तो मेरा ही माल खा गयी उम्म्ंम अब देख कैसे तेरा माल मै खाती हुई वो भी तेरे घर मे घुस कर

शिला खिल उठी - तो क्या सच मे भाभी तुम चलोगी
रज्जो - हा चलूँगी ना , अगर तु मेरी चुत चाट कर खुश कर दे

शिला मुस्कुरा कर उसकी बुर सहलाने लगी - उम्म्ं मेरि सेक्सी रान्ड़ इसमे मेरा ही फाय्दा है आजा

शिला सरकर निचे हो गयी और रज्जो ने उस्के मुह पर अपनी बुर रख दी

वही उपर नहाने के बाद निशा निचे आने लगी ये खोज खबर लेने कि अगर घर की बाकी औरते बिजी हो तो वो अरून के लैपटॉप मे पोर्न्ं देख पाये

चुपचाप दबे पाव वो निचे हाल मे आई और निचे पुरा सन्नाटा पसरा हुआ था और गेस्ट रूम का दरवाजा खुला
कही कोई नजर नही आया तो निशा रागिनी के कमरे की ओर बढ़ी
दरवाजा खुला हुआ था और बाथरूम से तेज सिस्किया और अवाजे गूंज रही ।

निशा ने भागकर सबसे पहले मेन गेट चेक किया और वापस आई उसकी सासे तेज चल रही थी तेज कामुक सिसकियाँ सूनकर उस्के जहन मे समझ आ रही था किसी की तगडी पेलाई चल रही थी मगर किसकी ?

उसके निप्प्ल कडक हो गये और सासे दुगनी गति से चल रही थी , कलेजा थाम कर जैसे जैसे वो दरवाजे की ओर बढ़ रही थी उसको रज्जो की साफ और स्पष्ट गाली भरी चीख सुनाई दे रही - अह्ह्ह बहिनचोद चाट ओह्ह्ह ऐसे उम्म्ं खा मेरी बुर उह्ह्ह ओह्ह आज तुझे नहला दूँगी अपनी रस से ओह्ह्ह्ह एल्ह्ह्ह उम्म्ंम

निशा के कान खड़े हो गये कि रज्जो किसकी मुह पर अपना भोस्डा रग्ड रही है और जैसे ही उसने बाथरूम मे झाका तो देखा ,

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बाथरूम की फर्श पर शिला बुआ फैली हुई गरदन उठा हुए थी और रज्जो मौसी अपनी चुत उनके मुह पर दर रही थी - लेह्ह्ह साली कुतिया चाट उम्म्ंम पी जाह्ह्ब उह्ह्ह मादरचोद उह्ह्ह लेह्ह्ह ओह्ह्ह ओझ्ह शिलाअह्ह्ह मेरी जान उम्म्ंम आ रहा है ओह

निशा की आंखे फटी की फटी रह गयी कि रज्जो मौसी और शिला बुआ एक साथ ऐसे , अन्जाने मे उसके मुह यही निकला - ओह्ह गॉड बुआ मौसी आप लोग ?


दोनो चौके और निशा को देख कर खड़े हो गये शिला की हालत खराब थी वो रज्जो से फुसफुसाई - अब क्या करे
रज्जो- अरे शिकार खुद चल कर आया तो हलाल होगा

रज्जो - तु यहा कया कर रही है ये , इधर आ पहले

निशा - हा लेकिन आप लोग ऐसे ? दरवाजा बन्द कर लेते
रज्जो- तु बड़ी समझदार है उम्म्ं इधर अभी तुझे ठिक करती ह
ये बोल कर रज्जो ने उसे पकड़ कर खिंच और लोवर के उपर से उसकी चुतड़ पर थपेड लगाती हुई - किसी के कमरे मे जाने से पहले दरवाजा खटखटाना चाहिये ना

निशा - अह्ह्ह सॉरी ना मौसी , लेकिन आप लोग ये सब क्या कर रहे थे अह्ह्ज्ज

रज्जो - दीदी इसको भी अनुज की तरह सजा दो , कपडे उतारो
अनुज की तरह सजा का मतलब कुछ कुछ समझ आ रहा था निशा को - क्या मतलब अनुज की तरह सजा, उसने भी देखा क्या आप दोनो

शिला उसका लोवर खिंच कर - देखो तो कैसे सवाल जवाब कर रही है हा ,बहुत बिगड़ गयी है तु भी
ये बोल कर शिला के चुतड़ पर चट्ट से पन्जे जड़ देती है जिस्से निशा का जिस्म झनझना जाता है -अह्ह्ह बुआ मार क्यू रहे हो ओह्ह्ज उम्म्ं

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इधर रज्जो ने उसकी पैंती पकड़ कर खिंचती हुई - उसके गाड़ पर थपेड़ लगाती हुई - देखो तो इस्क्प एक तो चोरी उसपे से सिना जोरि

निशा - अह्ज्ज मैने किया क्या है लेकिन
रज्जो - अरे दिदी यही तुम्हारा बड़ा वाला समान लेके गयी थी
शिला - क्या सच मे ? ये लडकी बोल कहा रखा है उसे ,

रज्जो ये ऐसे नही बोलेगी इसको कमरे मे के चलो और

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फिर रज्जो उसे टांग लिया और कमरे मे घोडी बना कर उसकी पैटी खिंच कर उसकी गाड़ पर थपेड लगा कर - बोल कहा रखा है तुने उसे

निशा - आह्ह क्या बोल रही हो मौसी मै कहा लाई थी
रज्जो - मैने साफ साफ देखा था दिदी इसको कमरे से निकलते हुए ,

शिला - तभी तो मै सोचू इसकी जवानी कैसे निखर रही है आह्ह अभी से इसने घोट रखा है इतना सारा
रज्जो - बोल देगी की नही वापस

निशा - मै नही लेके गयी थी बुआ बोलो ना मौसी को
रज्जो - ये ऐसे नही मानेगी रुक

रज्जो ने उसे लिटाया और उसके मुह पर बैठ गयी - उम्म्ंम बोल ऐसे ही तेरे ये जोबन मोटे हुए है उम्म्ंम

शिला - हा रुको मै भी निचे से चेक करती हु सारी सच्चाई खुल जायेगी ये बोल कर शिला ने उस्की टांगो से पैंती खिंच कर अलग कर दी , उसकी बजबजाती बुर पर हाथ फेर कर उसके फाके अलग करती हुई - हम्म्म्म साफ साफ लग रहा है इसने घुसाया उम्म्ंम

निशा - आह्ह सीईई ओह्ह्ह बुआ क्याअह्ह्ह कर रही हो उम्मममंम्ं ओह्ह्ह
रज्जो - साली रंडी ले चाट अह्ह्ह्ह बोल मत , तेरा भेद खुल गया है अह्ह्ह उम्म्ंम

निशा मुस्कुराई और आंख मारते हुए रज्जो से हल्के से बोली - लेकीन ड्रामा करने मे माजा आ रहा है

निशा हसती हुईई - ओह्ह्ह बुआ ये क्या कर रही हो अपनी बेटी के साथ उह्ह्ह्ह मत चाटो उसकी कुवारि चुत को अह्ह्ज सीईयियो
रज्जो निशा की शरारत पर हस पड़ि और अपनी बुर को उसके मुह पर रख दी जिसे निशा चाटने लगी

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वहि शिला भुखी शेरनी की तरह निशा की बुर पर टुट पड़ि थी , उसके सपने आज हकिकत हो रहे थे , दिल मे जो अरमानो का बाग लेके आई थी वो खिल रहे थे

निशा की नमकीन चुत का स्वाद पाकर वो पागल हो गयी थी - आह्ह निशा तेरी बुर सच मे बहुत गर्म है उम्म्ं ऐसी ही कुवारि चुत का रस पसम्द है उम्मममं सीईई

निशा - अह्ह्ह बुआ अह्ह्ह इतनी अच्छी है क्या उम्म्ंम खा जाओ उह्ह्ह येस्स्स उम्म्ंम फ्क्क्क्क ओह्ह्ह जीभ से भी आह्ह हा ऐसे ही उम्म्ंम फक्क्क ओह्ह्ह बुआअह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बुआ ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह्ह

रज्जो - रुक जा रुका जा ऐसे नही मुझे भी तो अपनी भतीजी के चुत का रस लेने दे आजा

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ये बोल कर रज्जो उठी और निशा की टांगो मे कैची बना कर उसकी चुत पर अपनी चुत रगड़ने लगी - अह्ह्ह मौसी उह्ह्ह ये तो अलग ही मजा आ है अह्ह्ह्ज उम्म्ंम्ं कितना तप रहा है आप्का भोस्डा अह्ह्ह उह्ह्ज्ज फक्क्क्क उम्म्ंम्ं

शिला - अह झड जा बेटी झड जा अपनी मौसी के बुर पर ओह्ह्ह
निशा - हा बुआ फिर आप चाटना अपनी बेटी की वुर बोलो चातोगे ना उम्म्ंम अह्ह्ज्ज्ज सीयिओई और तेज मौसी अह्ह्ज बहुत मुलायम है अह्ह्ह रहा नही जा रहा है अह्ह्ह्ज फक्क्क्क ऐसे ही उह्ह्ह्ह आओ जा बुआ तुम भी अओझ्ह अह्ह्ज

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शिला उठ कर उनके पास आ गयी और दोनौ उसकी चुचिया मुह के भर कर चुसने लगे - आह्ह बेटा उम्म्ंम पी ले ऊहह और चुस उह्झ भाभीईई अह्ह्ह काट डालोगी क्या आह्ह सीईईईई अह्ह्ह

रज्जो - ओह्ह्ह निशा अह्ह्ह सीईई आ रहा है मेरा अओह्ह्ह्ह।
निशा -हा मौसी मेरा भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह हहह फ्क्क्क अह्ह्ह मम्मीईई अह्ह्ह आह्ह आ रहा उह्ह्ह बुआआ हहहहह आ गया आ गया ओह्ह्ह शिट उह्ह्ह फक्क्क ऊहह फक्क्क


रज्जो और निशा हाफने लगे और फैल लार लेट गये वही शिला बारी बारी से दोनो के बुर के मिले हुए रस को चाटने लगी ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम उपडा
 
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UPDATE 222

राज के घर

इधर दोनो भाई रिक्शा कर घर के लिए निकल गए और दोनो के मन उखड़े हुए थे , मगर राज को अनुज के सिक्रेटस पता होने पर हंसी आ रही थी ।
अनुज ने नोटिस किया तो पूछ भी लिया - क्या हुआ भैया हस क्यूं रहे हो
राज - कुछ नही भाई तू उदास होना छोड़ दे । फिर कोई नई मिल जाएगी हाआआह्ह

अनुज - मैं समझा नही , क्या नई मिल जाएगी
राज हसता हुआ - रिंकी जैसी कोई , और तेरी तो किस्मत भी बुलंद है एक को छोड़ा तो दूसरी उठा ले गई तुझे हाहहा
राज की उलझी हुई बातें अनुज समझा गया कि उसके भैया को रिंकी और दुलारी भाभी दोनो की बात पता है
अनुज पहले शरमाया फिर उदास होकर - हा लेकिन क्या फायदा , पता नही कब मिलना होगा उनसे और फिर कल बुआ भी चली जाएगी

राज - अरे तो टेंशन क्यूं ले रहा है , आज घर में मम्मी पापा है नही तो काम बन जाना ही चाहिए

अनुज - सच में भैया , लेकिन मौसी है ना
राज - उसकी फिकर ना कर तू, पहले घर चलते है
इधर दोनो भाई घर की ओर बढ़ रहे थे तो वही चौराहे वाले घर रज्जो और शीला ने अपनी अपनी पैकिंग आज ही पूरी कर ली

रज्जो - उह्ह्ह्ह लोह्ह भाई ये भी बैग भर गया , अब थोड़ा आराम चाहिए मेरी तो सास ही फूलने लगी

शिला मुस्कुराई और उसको अपनी ओर खींचती हुई - फिर तो योगा वोगा शुरू कर दो मेरी जान , मेरे यहां तो मुंह खोले बिना ही सास लेनी पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त कामिनी तु भी ना ,
शिला मुस्कुराई और उसकी बिस्तर पर धकेलती हुई - क्या बोली साली उम्म्म
और देखते ही देखते शिला उसके ऊपर चढ़ गई और उसके हाथ ऊपर कर उसके लिप्स चूसने शुरू कर दिए
रज्जो भी जोश में आकर शिला के लिप्स को चूबलाने लगी ,

शिला उसके ऊपर माथे जा रही थी और दोनो आपस में एक दूसरे को चूसे जा रहे थे
शिला ने अपनी कुर्ती ऊपर की और मोती मोटी दुधारू चूचियां रज्जो के मुंह पर रखती हुई ठूंसने लगी - अअह्ह्ह्ह्ह साली छीनार लेह बहुत बोलती है तेरा मुंह तो कई ऐसे ही बंद करूंगी अह्ह्ह्ह आउच उह्ह्ह्ह हरामजादी काट क्यू रही है

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रज्जो उसकी मोटी चूचियां दोनो हाथो से पकड़ कर बारी बारी से निप्प्स को चूसने लगी और मिजती हुई - तेरी रसीली चूची को खा जाऊं ऐसी है ये उह्ह्ह्ह मेरी रांड शिला तेरे जोबन देख कर तो मेरा दिल बावरा हो जाता है तो तेरे घर के मर्दो का क्या हाल होता होगा उम्मम्म सीईईईईईआईआई

शिला उसके मुंह में अपनी चूचियां ठूंसती हुई - वही हाल होता है जैसा तेरा है मेरी सेक्सी रांड अअह्ह्ह्ह्ह कामिनी मुझे पटक दिया

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रज्जो उसको घुमा कर नीचे कर देती है और अपनी मैक्सी उतार कर फेकती हुई वापस उसके ऊपर चढ़ कर उसकी रसीली मोटी थन सी चुचियों पर टूट पड़ती है - बहिनचोद तुझे तो पटक के पेलने में जो मजा है वो कही और कहा अअह्ह सच सच बता , तू अपने मुहल्ले भर के बच्चो को दूध पिलाती है क्या जो निप्पल तेरे इतने मोटे हो गए है अअह्ह्ह्ह्ह

रज्जो उसकी चूचियां बदल बदल कर चूस रही थी - सच सच बता कौन कौन दूहता है तुझे मेरी जान आह्ह्ह्ह्ह्

रज्जो जिस तरह से शिला को मसल रगड़ रही थी शिला की चूत बजबजाने लगी थी - चल रही है , रोज सुबह भोर में दुहवा दूंगी तुझे भी अअह्ह्ह्हह् बहिनचोद उह्ह्ह्ह हिहिहिही आराम से फट जाएगा

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रज्जो उसकी लेगी खींचती हुई - भोसड़ा बना चुकी है अब बचा ही क्या है उसमे , हाथी जैसा लंड घोंट घोंट कर पूरा हाईवे बना लिया है

शिला कसमसाती हुई अपने कूल्हे उछालने लगी - आह्ह्ह्ह्ह फिर क्यों चाट रही है उसे कुतिया के जैसे अअह्ह्ह्हह ममीइइई उह्ह्ह्ह

रज्जो उसकी चूत में मुंह लगाए हुए - क्योंकि तेरी भोसड़ी का रस बहुत टेस्टी है अअह्ह्ह्हह कितना गर्म गर्म माल छिपा रखा है उम्मम्म्मम

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रज्जो उसकी बुर में अपनी थूथ रगड़ती हुई भीतर जीभ नचाने लगी - अअह्ह्हह साली रण्डी कुतिया और चाट अअह्ह्ह्ह मेरा भोसडेदार चूत अअह्ह्ह्हह उह्ह्ह और और उह्ह्ह्ह


इधर दोनो चुदासी सेक्सी औरते आपस में एकदूसरे को मीज मसल रही थी तो वही बाहर राज और अनुज रिक्से से उतर चुके थे और गेट खोल कर मेन दरवाजा खोलते हुए हाल में घुसते है

अनुज - अरे बुआ और मौसी कहा है ? बुआआआ !!
तभी राज उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकता हुआ अपनी मां के कमरे की ओर इशारा करते हुए चुप रहने को कहा
दोनो भाई दबे पाव कमरे की ओर बढ़े , कमरे से तेज कूलर की हनहनाहट में रज्जो और शीला की सिसकियां घुल चुकी थी
जैसे ही कमरे के दरवाजे से दोनो ने भीतर झांका राज और अनुज दोनो चौक गए

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सामने बिस्तर पर शिला की जांघें खोले हुए रज्जो उसके ऊपर चढ़ कर कैंची बनाते हुए उसकी चूत से अपनी चूत आपस में रगड़ रही थी

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दोनो भाई भौचक्के एक दूसरे को निहारते हुए खुश हो गए और अपना अपना लंड बाहर निकाल कर उसको सहलाते हुए कमरे में दाखिल हुए
जैसे ही शिला को भनक हुए वो रज्जो को धकेलते हुए उठ गई इस डर से की घर में बाकी लोग भी आ गए होगे

शिला - तु तुम दोनो , इतना जल्दी कैसे
अनुज हस्त हुआ - बस देखने आए थे आपको हिहिहिही
रज्जो - अनुज मस्ती नही , बता बाकी लोग कहा है ?

अनुज दांत दिखाता हुआ - खुद अकेले अकेले मस्ती कर रही हो और हमें कह रही हो मस्ती नही , देखा भैया इतनी नाइंसाफि

राज हस्त हुआ - ओहो बुआ मौसी कोई नही है , बस हम लोग है ,पापा मम्मी कल आयेंगे

रज्जो ने चैन की सास ली - लेकिन तुम दोनो अंदर कैसे आए , दीदी तुम दरवाजा लगाई थी न

शिला कुछ देर सोचा कर अपनी जीभ दांत में दबा कर मुस्कुराते हुए रज्जो को देखा और हसने लगी .
रज्जो - हम्म तभी तो मैं सोचू ये दोनो बैल घर में कैसे घुसे

अनुज - हम दोनो बैल अपनी अपनी गईया खोजते आए है मौसी हिहिहिही
शिला - ये कितना बिगड़ गया है इधर आ बताती हुं

अनुज अपना लंड सहलाता हुआ - आपके पास ही आ रहा हु बुआ
अनुज अपना लंड शिला के आगे परोसता हुआ उसके सर को सहलाने लगा ,शिला भी बिस्तर पर घोड़ी बनकर अनुज का लंड मुंह में भर कर चूसने लगी - अह्ह्ह् बुआ कितना ठंडा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई

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वही बगल से राज की भी सिसकी आने लगी - उम्म्म मौसी आह्ह्ह्ह्ह आपका तरीका बहुत अच्छा लगता है अह्ह्ह्ह कल से बहुत याद आओगे आप उह्ह्ह्ह

अनुज - हा बुआ आपकी भी बहुत याद आयेगी उह्ह्ह्ह आराम से उम्मम्म आप तो पूरा घोट जा रही हो अअह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ उह्ह्ह्ह और चूसो उम्म्म्मम

शिला - मुझे भी तुम सब की बहुत याद आयेगी मेरे लाडलो उह्ह्ह्ह और ये भी कि मेरे बेटे अब जवान हो गए है आआआआअह्ह्ह औरते संभालने लायक
राज - क्यू बुआ पहले शक था क्या हिहिहिही आआआह्हह्ह्ह मौसी उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड जी कर रहा है आपके मुंह में भर दू अह्ह्ह्ह्ह् ये लोह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह कितना मजा आता है आपके हर छेद में पेलने का उह्ह्ह्ह्ह्

राज गला फाड़ता हुआ रज्जो के गले में अपना लंड घुसेडने लगा और फिर उसको धक्का देकर बिस्तर पर चढ़ कर चूत में लंड घुसा दिया

रज्जो - आआआह्ह लल्ला उह्ह्ह्ह कबसे तेरे लंड को प्यासी थी मेरी चूत उह्ह्ह्ह और पेल आह्ह्ह्ह हा ऐसे ही अअह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बेटा ओह माआआ

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राज उसकी चूत ने हचक के लंड उतार रहा था - अब ठीक न मौसी उह्ह्ह्ह लोह और लोह आज पूरी बच्चेदानी भर दूंगा तुम्हारी उह्ह्ह
रज्जजो : उह्ह्ह्ह लल्ला तेरे लंड से मेरी चूत बहने लगी है अअह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह हा खा जा उह्ह्ह्ह मम्ममिई उह्ह्ह्ह

राज लपक कर रज्जो की चूत में मुंह दे दिया और वही बगल शिला की जांघो के बीच अनुज भी उसकी बुर की फाकों से लेकर गाड़ की भूरी सुराख तक जीभ फिरा रहा था - उह्ह्ह्ह बेटा उम्म्म कितना मस्त चाटता है तू उम्मम्म्म आआह्ह्ह्ह्ह् भाभीए इन दोनो की जोड़ी कमाल की है अअह्ह्ह्हह
रज्जो बगल में लेटी हुई शिला के लिप्स से अपने लिप्स जोड़ कर मुस्कुराई हुई - जोड़ी तो हम दोनो की भी कमाल की है मेरी जान

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अनुज - उम्म्म बुआ ना कबसे मुझे आपके बुर को चाटने का सपना आता था , है रोज आपकी गाड़ चाटने का सोच कर हिलाता था मैं उह्ह्ह्ह कितनी रसीली बुर है आपकी सीईईईईईआईआई

शिला - अअह्ह्ह्हह खा जा बेटा , चाट ले अपनी बुआ की बुर उम्म्मम तेरी छोटी सी जीभ मुझे पागल कर दे रही है

" मैं भी इसे खा लूं क्या मेरी जान अह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह राज आराम से उह्ह्ह्ह बेटा उह्ह्ह्ह्ह" , रज्जो घोड़ी बनी हुई शिला की मोटी हिलती चूची को पकड़ कर सहलाती हुई अपने मुंह में भर लिया और उसके निप्पल चूसने लगी ।

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शिला मानो पागल सी हो गई - अहह्ह्ह्ह भाभी उह्ह्ह्ह पी जाओ मेरे थन से टपकते रस को अअह्ह्ह्हह अओह्ह आराम से लाला उह्ह्ह्ह बहुत कसा है अच्छे से घुसा

रज्जो पीछे से राज के करारे झटके अपनी चूत में लेती हुई - अह्ह्ह्ह्ह लल्ला कस के घुसा एक ही बार में फाड़ दे उह्ह्ह्ह्ह

अनुज मारे जोश में शिला की टांग को अपने कंधे पर रखता हुआ एक करारे झटके के साथ शिला की रसाती बुर में हचाक से लंड पेल दिया - अअह्ह्ह्ह मम्मिई फाड़ दिया रे उह्ह्ह्ह अब रुका क्यू है चोद ना हरामी मौसी का चमचा कुत्ता कही का अअह्ह्ह्ह जल रहा है

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अनुज बत्तीसी दिखा कर रजजो के साथ हस रहा और फिर अपनी बुआ की चूत में लंड चलाने लगा - ओह गॉड बुआ आपकी चूत बहुत गरम है अअह्ह्ह्ह

रज्जो - जा बेटा तेरी बुआ एक नंबर की रंडी है हमेशा आग लगी रहती है इसकी चूत में पेल आज रहम मत दिखाना
अनुज अपनी मौसी की बातें सुन कर जोश में कस कस के शिला की बुर फाड़ने लगा , शिला गला फाड़ कर चीखने लगी
वही राज ने एक बार फिर पोजिशन बदल दिया और नीचे लेट कर अपनी मौसी को चोदने लगा

राज अपनी मौसी की खरबूजे सी मुंह पर लटकती छातियां पिता हुआ उसकी बड़ी सी गाड़ थामे सटासट रज्जो की बुर में लंड पेले जा रहा था और रज्जो भी शिला की तरह बेफिकर सिसकियां ले रही थी - उह्ह्ह्ह लल्ला ना जाने तुझे इतना जोश कैसे आ जाता है जब तू अनुज के साथ होता है अअह्ह्ह्ह्ह फाड़ और पेल अपनी मौसी की चूत को अओहह्ह उम्मम्म्म रुकना मत बेटा अअह्ह्ह्ह सीईईईई

राज - वो तो पता नही मौसी लेकिन आज तो पूरी रात आपको ऐसे ही पेलने वाला हु , क्यू अनुज

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अनुज जो अब तक शिला को घोड़ी बना कर उसकी चूत में लंड घुसाये हुए शिला की गाड़ मसल मसल कर पेल रहा था - अह्ह्ह्ह्ह हा भैया फिर ना जाने ये मौका कब मिले , और जब फिर से मुझे बुआ की गाड़ सहलाने को मिले आआआह्हह्ह् मेरी सेक्सी चुदक्कड़ बुआ अअह्ह्ह्हह

शिला - हा लल्ला पेल ना अपनी चुदक्कड़ बुआ को और पेल और उह्ह्ह्ह और कैसी लगती हूं मैं तुझे मेरे लाल अअह्ह्ह्ह्

अनुज मारे जोश ने शिला की चूत की जड़ो में लंड घूसाता हुआ - अअह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ तुम तो मुझे किसी रंडी जैसी लगती हो , अह्ह्ह्ह लगता है तुम्हारी गाड़ 50 लोग मिल कर मारते है थी इतनी बड़ी हो गई है , जी कर रहा है इसी गाड़ में झाड़ जाऊं उह्ह्ह्ह आपकी गाड़ हुआ मुझे पागल कर रही है आपकी गाड़ चाटना मुझे बहुत पसंद है बुआ अअह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ उह्ह्ह्ह मेरी रंडी बुआ मेरा आने वाला है अअह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह

शिला - भर दे बेटा भर अपनी बुआ की बुर उह्ह्ह्ह
वही बगल मे राज भी रज्जो को एक बार फिर घोड़ी बनाए हुए करारे झटके दे रहा था और अनुज शिला की बातें उसे भी चरम पर ले आई थी और दोनो भाई एक साथ रज्जो और शीला की चूत में अपने अपने फब्बवारे छोड़ दिए
शिला और रज्जो देर तक उनके झटको से निकलती गर्म पिचकारी की धार चूत की दीवारों में महसूस करती रही और दोनो थक कर उनके ऊपर ही रह गए

मगर जोश कहा किसी का ठंडा होने वाला था और अनुज ने शिला की गाड़ चाटते हुए एक बार फिर से नए राउंड की पहल कर दी थी
तो वही रज्जो अपनी चूत से निकले राज के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी ।


अमन के घर

फोन की घंटी मुरारी को बेचैन कर चुकी थी और रंगी से इजाजत लेकर गेस्ट रूम से बाहर आ कर हाल में आया तो जीने के पास अमन बेचैन खड़ा हुआ था
मुरारी - क्या हुआ बेटा
अमन - पापा !! वो ....
मुरारी - हा बोल ना बेटा ,क्या बात है ?
अमन थोड़ा झिझक कर मुस्कुराता शर्माता - वो में ऊपर बोर हो रहा था तो सोचा आपसे बात करू , आप बिजी तो नही ।

मुरारी को समझते देर नहीं लगी कि अमन की बेचैनी का कारन क्या हो सकता है और वो मुस्कुराते हुए - अच्छा ठीक है चल गोदाम में चलते है
अमन - आपके कमरे में चलते है ना
मुरारी - अरे वहा तेरी मां और वो तेरी सास होगी

अमन - नही पापा वो बाहर मौसम सुहाना हुआ है बारिश वाला तो मम्मी , उनको लेकर ऊपर ही गई है

मुरारी - अच्छा ,फिर ठीक है चल
दोनो बाप बेटे कमरे में दाखिल होते है और हल्का सा दरवाजे भिडका देते है ताकि अगर गलियारे से कोई बाथरूम की ओर कोई जाए तो भी दरवाजे की आड़ में सोफे पर बैठे हुए वो दोनो किसी को ना दिखे ।

मुरारी - हा बोल बेटा
अमन थोड़ा शर्माता हुआ - पापा क्या हुआ कल , मम्मी ने पहना था वो कपड़ा

मुरारी अमन के जज्बात बखूबी समझ रहा था और मुस्कुरा कर - हा बेटा और सच कहूं तो पिछली बार वो मजा नही आया था जो इस बार आया ।

अमन - क्यू ? ऐसा क्या हुआ इस बार ?
मुरारी अपने पजामे में अंगड़ाई लेते लंड को मिजता हुआ - अरे तब के समय में और अब के समय में तेरी मां का बदन दुगना से ज्यादा गदराया हुआ है , उसके चूतड को 3 गुना ज्यादा बड़े दिखते है अब और कल रात वो कच्छी में उसकी बड़ी सी गाड़ ने मुझे पागल कर दिया , अगर तू देखा होता तो तू भी अपनी मां पर लट्टू हो जाता

अमन का लंड एकदम से अपनी मां को उस रूप में देखने के लिए फड़फड़ा उठा - और फिर

मुरारी - बेटा तूने जो वो ब्रा ऑर्डर की थी वो तो आगे से एकदम आरपार दिखने वाली थी , उसमे से झांकती तेरी मां की मोटी मोटी चूचियां उम्मम्म कितनी रसीली लग रही थी अअह्ह्ह्हह तू देखता तो तुझे फिर से मन करता कि उसकी गोदी में लेट कर उसका दूध पी जाऊं

अमन अपना लंड अपने बाप के सामने मिजते हुए उसकी और निहार कर - पापा दिखाओ ना मम्मी को प्लीज
मुरारी अमन की आंखों में अपनी के लिए दीवानगी साफ साफ देख रहे था , उसका हाथ कैसे अपनी मां के गदराए जिस्म के बारे में सोच कर अपना लंड मसल रहा है और वो मुस्कुराता हुआ अपने जेब से मोबाइल निकाल कर गैलरी ओपन कर अमन के हाथ में मोबाइल दे देता है

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अमन कई सारे सेक्सी तस्वीरों मे से अपना एक तस्वीर ओपन करता है जिसमे उसकी मां सर पर चुन्नी लिए हाथ फैला कर आईने के आगे खड़ी थी और उस जालीदार चुन्नी के नीचे उसके फैले हुए चूतड की दरारों को उसके बालो के परांदे ने धक रखा था , सामने आईने में ब्रा से बिलकुल वैसी ही उसकी रसीली छातियां झलक रही थी जैसा उसके पापा अभी बता रहे थे , अपनी मां का कौमार्य रूप देख कर अमन का दिल जोरो से धड़क रहा था उसका दूसरा हाथ अपने सुपाड़े को मसल रहा था

तभी अमन ने एक वीडियो पले कर दी जिसमे उसकी मां ने घूम और अदाये दिखा कर बड़े ही सेक्सी सेक्सी पोज दिए थे और उसके पूरे बदन की नुमाइश थी उसमे - उह्ह्ह्ह गॉड कितनी सेक्सी लग रही है मम्मी

मुरारी अपने बेटे से उसके मां के लिए सेक्सी शब्द सुनकर भीतर से सिहर उठा और अपना मूसल मसलने लगा ।
अमन - पापा ये सब मैं अपने मोबाइल में लेलू प्लीज
मुरारी अमन के जजबात समझ रहा था और मुस्कुरा कर हा में सर हिला दिया और अमन ने फटाफट अपने व्हाट्सएप पर सारी तस्वीर लेली और मुरारी को मोबाइल दे दी

मुरारी मोबाइल बंद कर जेब में रखता है कि फिर से उसका mobile वाइब्रेट होता है और मोबाइल स्क्रीन पर अमन कुछ फोटो भेजे थे उसके नोटिफिकेशन देख कर - तूने क्या भेजा है बेटा

अमन इसपे मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ - खोल के देखो ना , वो कल रात मुझे आपकी बातें याद आ रही थी तो मैंने

इधर अमन की बातें पूरी नहीं हुई थी मुरारी चौक कर बोल पड़ा - अरे ये तो बहु है
अमन मुस्कुरा कर - जी पापा , मैने सोचा क्यों न उसको शादी में दिए हुए आपके गहने पहना कर तैयार करू जैसा आप मम्मी को करवाते हो । कैसी लग रही है आपकी बहू पापा ?

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सामने मोबाइल में अपनी नई नवेली बहु की नंगी सिर्फ सोने के गहनों में सजी हुई उसपे से माथे पर एक लाल चुन्नी लिए खड़ी हुई देख कर मुरारी का लंड बेकाबू हो गया , उसकी नजर अपनी बहु के जिस्म से हट ही नहीं रही थी , रानी हार जो उसने खास तौर पर अपनी बहु के लिए पसंद किया था वो आज उसके दोनो मोटे मोटे चुचियों के बीच लटकता पा रहा था उसके गुलाबी निप्पल और फिर हल्के फुल्के बालों वाली गुलाबी चूत को ढकती सोने की करधन ने तो कयामत ही कर रखा था , मुरारी को उम्मीद नहीं थी कि अमन उसके लिए ऐसा तोहफा लाएगा ।

अमन अपने पापा को चोरी छिपे अपने कुर्ते के नीचे से सोनल को एक तक निहार कर अपना लंड मुठिया रहा था - बोलो ना पापा कैसी लग रही है आपकी बहू ?

मुरारी को अमन के सवाल से जोश भी आ रहा था तो भीतर डर भी था वो यूं खुल कर अमन के सामने अपने जज्बात नही रख सकता - अअह्ह्ह्ह बेटा क्या कहूं, ऐसा लग रहा है कि सालों पहले तेरी मां को निहार रहा हु

मुरारी फिर से व्हाट्सएप खोलता हुआ - रुक तुझे भी कुछ भेजता हु वो भी देख
अमन कामुकता भरी जिज्ञासा से - क्या पापा ?
मुरारी ने धड़ाधड़ एक के बार एक कुछ दूसरी तस्वीर भेजी और अमन ने जैसे ही मोबाइल में ओपन किया

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तो अमन उसकी मां पूरी नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी उसकी मोटी मोटी चूचियां और मोटे जामुन जीतने बड़े बड़े भूरे निप्पल देख कर अमन के मन में मन पानी आ गया - उह्ह्ह्ह गॉड पापा , मम्मी के दूध कितने बड़े बड़े है

मुरारी का ध्यान तो सिर्फ सोनल के गुलाबी चुचियों पर था - है ना , बहुत मजा आता है बेटा तेरी मां के ऊपर चढ़ कर उसके दूध पीने का
अमन - हा पापा मेरा भी मन कर रहा है कि मां के ऊपर लेट कर उनके दूध पियू, मां के निप्पल कितने मोटे है और सेक्सी भी

मुरारी अपने बेटे से उसकी मां के चुचियों की तारीफ सुनकर अब पूरे जोश में उसके आगे अपना लंड मसल रहा था और अमन भी बिना डरे अपने पापा के आगे अपना लंड मिज रहा था - अह्ह्ह्ह्ह पापा , आपको सोनल के निप्पल कैसे लग रहे है
मुरारी मोबाइल में सोनल की रसदार गुलाबी निप्पल को देखकर जोश ने - अअह्ह्ह्हह बेटा बहु के निप्पल तो बिलकुल तेरी के जैसे है , जब वो व्याह के आई थी , ऐसी ही कोरी कोरी मगर हल्की भूरी, मैं उन्हें खूब मिजता और चूसता था । तेरी मां को वो खूब भाता था और तूने बचपन में अपनी मां का दूध 5 साल तक पिया है इसीलिए उसके निप्पल इतने मोटे है

अमन भरे जोश में अपनी की नंगी चूचियां और मोती मोटी काली घुंडीया निहार कर आहे भरता हुआ अगली तस्वीरे देखता है - पापा मुझे फिर से मम्मी का दूध पीना है अह्ह्ह्ह कितना सेक्सी है ओह्ह्हज गॉड पापा ये भी है उफ्फफ्फ कितनी बड़ी गाड़ है मम्मी की

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मुरारी - हा बेटा रोज उसी गाड़ पर झड़ता हूं मैं और तेरी मां को भी अपनी गाड़ पर मेरा पानी लेना बहुत पसंद है

मुरारि भी अगली तस्विरे देखता है जिस्मे सोनल के लम्बी बालो की चोटी उसके गाड़ के दरारो तक जा रही थी

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मुरारि - ओझ्ह्ह बहु के चूतड भी कम बड़े नही है बेटा अह्ह्ह्ह इतनी लंबी चोटी पहले तेरी मां की भी थी जो ऐसे ही उसके गाड़ के दरारों को ढक लेती थी

अमन - सीईईईईईआई पापा एक बात पूछूं
मुरारी अपना लंड हिलाते हुए अपनी बहु के एक वीडियो में हिलते चूतड निहार रहा था - हा बोल ना बेटा अअह्ह्ह्ह्ह क्या पूछना है
अमन - पापा आपने कभी मम्मी की गाड़ मारी है , कभी उसके बड़े बड़े चूतड के दरारों में अपना लंड डाल कर घिसा है , मैं सोनल को लिटा कर उसके मोटे मोटे गाड़ के दरारों में लंड घिसता हु और कल रात को

मुरारी अपनी बहु के बारे में सोच कर - क्याह्ह बेटा क्या हुआ कल रात को ?
अमन आंखे बंद कर जोरो से लंड को लोअर के ऊपर से से हिलाता हुआ - कल रात को उसके गाड़ के दरारों में ही झड़ गया था , पूरा रस उसके चूत के फाकों में भर गया था

मुरारी अमन की बातें आंखे बंद कर अपनी कल्पना में बहु के गाड़ की दरारों में झड़ता हुआ अमन को महसूस कर रहा था देख रहा था कैसे उसके गाड़ से उसकी चूत तक अमन का गाढ़ा मलाईदार रस बहु के गुलाबी फाकों को और गुलाबी किए जा रहा था ।

अमन - पापा मैं बाथरूम जा रहा हु
मुरारी उसको पकड़ कर बिठाते हुए - अब मुझसे क्या शर्मा रहा है , मैं नही जानता क्या करेगा वहा जाकर

अमन मुस्कुराने लगा - तो क्या आपके सामने
मुरारी झटके से अपना तनमनाया लंड बाहर निकाल जिसका सुपाड़ा खूब लाल हुआ पडा था मसलने से - अरे तू भी निकाल भाई

और अमन ने भी अपना हथियार निकाला , जो सीधे मुरारी का स्वा गुना दिख रहा था था जिसे देख कर मुरारी का हलक सूखने लगा और अगले ही पल अभिमान से भरता हुआ - बाप शेर तो बेटा स्वा शेर हा हां

अमन अपना लंड सहलाता हुआ - पापा एक बात और पुछु
मुरारी सोफे पर फैलता हुआ अपना मूसल मसलने लगा- हा बेटा पूछ ना
अमन भी उसकी देखा देखी वैसे ही पोजिशन में आ गया - पापा आपको मम्मी की गाड़ चाटने का मन नाही करता ,उसकी चूत के फांके चुबलाने का मन नाही करता

मुरारी - क्यू तू बहु की चूत और गाड़ चाटता है क्या
अमन आंखे बंद कर अपना लंड हिलाता हुआ - पापा , उसकी गाड़ का गुलाबी छेद देखोगे तो आप भी खुद को रोक नहीं पाओगे जैसे मैं नहीं रोक पाता खुद को

मुरारी आंखे बन्द कर अपनी बहु के गाड़ के गहरे दरारों में उसके गुलाबी सुराख की कल्पना कर - क्या सच में बेटा , बहु की गाड़ का सुराख गुलाबी है
अमन - हा पापा और उसके बुर के फांके भी एकदम सुर्ख गुलाबी , जीभ चलाओ तो पूरी लाल होने लगती है

मुरारी अपना लंड मसलता हुआ - अह्ह्ह्ह्ह सच में ऐसी चूत को कौन नहीं चाटेगा बेटा , मुझे मिले तो मैं खा जाऊं , तू क्या करेगा बेटा अगर तुझे तेरी मां की नंगी गाड़ मिल जाए

अमन सिसकियां लेटा हुआ - अअह्ह्ह्ह पापा मुझे मां की गाड़ मिल जाए तो मैं उन्हें अपने मुंह पर घंटो बैठने को कहूंगा और खूब जीभ लगा लगा कर उनकी गाड़ और चूत चाटूंगा , ताकि वो जब झड़े तो सारा रस मेरे मुंह में आए

मुरारी अपने बेटे की बातें सुनकर वो पल सोचने लगा जब ममता अमन के मुंह पर अपनी गाड़ रख देगी और अमन उसकी गाड़ चाटेगा , मुरारी अब तक एकदम चरम पर आ गया था
अमन - पापा आप क्या करोगे अगर सोनल की नंगी चूत मिल जाए आपको तो आप क्या करोगे

मुरारी अपनी कल्पना में अपने आगे अपनी बहु को नंगी अपनी चूत खोले देखता है जो अपनी जांघें फैलाये उसे अपनी ओर बुला रही होती है और मुरारी उस कल्पना में उसकी गुलाबी बहती चूत में अपना टोपा फसा रहा था - अह्ह्ह्ह्ह बेटा मुझ बहु की चूत मिल जाए तो मैं उसे चोद दूंगा , उसकी गुलाब सी पंखुड़ियों को रौदता हुआ अपना लंड उसके बुर के जड़ो में उतार दूंगा

सोनल की चूत में अपने पापा का मोटा लंड घुसाने का सोच कर ही अमन पूरे जोश में आ गया - हा पापा चोद लेना भर देना अपनी बहु की गुलाबी चूत को उह्ह्ह्ह आपकी बहु बहुत चुदक्कड़ है खूब लंड लेती है मेरा

मुरारी - क्या सच में बेटा
अमन - हा पापा आपकी बहू को चुदाई करना बहुत पसंद है , वो तो मेरे लंड की दीवानी है , इसे खूब चूसती है खुद बुर में घुसती है

मुरारी - अअह्ह्ह्हह बेटा तेरा फौलादी लंड अगर तेरी मां देख ले तो वो भी दीवानी हो जाएगी , उसकी लंबी फाकों वाली बड़ी चूत के लिए तेरा लंड तो एकदम फिट है , पूरा घुस जायेगा उसके भोसड़े में

अमन तेजी से अपना लंड हिलाने लगा - हा पापा , मुझे भी मम्मी की गर्म चूत में घुसना है और उसके ऊपर चढ़ कर उसको चोदते हुए उसके मोटे मोटे दूध पीना है

मुरारी - हा बेटा पेल लेना तू भी अपनी मां को और पेल पेल एक उसकी गाड़ पर झड़ना , बोल झड़ेगा न अपनी मां की बड़ी सी गाड़ पर उम्मम्म

अमन - हा पापा झडूंगा अअह्ह्ह्हह ममीइइई की गाड़ को भर दूंगा मैं अअह्ह्ह्ह्ह आप कहा झड़ोगे सोनल को चोद कर

मुरारी तेजी से अपना लंड मुठियाता हुआ - बेटा मैं तो मेरी लाडली बहु के गुलाबी चुचियों पर अपना रस गिराऊंगा जिससे वो और भी गुलाबी हो जाएंगी अह्ह्ह्ह्ह

अमन - ओह पापा अअह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अअह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह आपकी गाड़ मुझे बहुत पसंद है देखो ना पापा मैं मम्मी की गाड़ पर झड़ रहा हु अअह्ह्ह्हह ममीई उह्ह्ह्ह
और अमन की पिचकारी छुट गई , वही मुरारी भी तेज सिसकियां लेता हुआ झड़ने लगा - अअह्ह्ह्ह बेटा मैं भी बहु के चुचियों पर झड़ रहा हु अअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा भी अह्ह्ह्ह्ह बहु तेरे चूचे उम्मम्म अअह्ह्ह्ह

जल्द ही दोनो बाप बेटे ने आखिरी बूंद तक बहु और मां के नाम पर निचोड़ दी और सुस्त होकर सोफे पर फेल गए

वही उपर पीछे की बालकिनी में ममता रागिनी को लेकर पहुंची थी ।

रागिनी - हम्म् तो ये है आपकी वो खास जगह

ममता रेलिंग पर आगे झुकती हुई - जी , मुझे मेरे घर का ये हिस्सा बहुत पसंद है और खास कर जब रात का समय या फिर ऐसा सुहाना मौसम हो , यह मुझे बहुत अच्छा लगता है

रागिनी ने ममता के उभरे हुए कूल्हे सहलाती हुई उसके करीब खड़ी होकर - तो क्या कभी इस खास जगह पर खास माहौल बनाया है

ममता - मतलब
रागिनी हस्ती हुई - अब इतनी भी भोली न बनो बहना , इतनी स्पेशल जगह पर समधी जी ने यह चादर न बिछाई हो , ऐसे कैसे हो सकता है हिहिहिही

ममता लजाती हुई - धत्त आपके दिमाग में वही सब चलता है क्या हिहिहिही
रागिनी - अरे शरमाओ मत , बताओ ना मैं सब कुछ सिक्रेट रखूंगी पक्का

ममता - नही अभी तक तो नही ,क्योंकि उनका खूंटा बंद कमरे में ही खड़ा होता है हिहिहिही

रागिनी हस्ती हुई - अरे जब खूंटा खड़ा हो और धीरे से नंगे ही कमरे से बाहर निकल जाओ और सीढ़िया चढ़ कर यहां, देखो कैसे लार टपकाते हुए आते है हिहिही

ममता - हा जैसे घर में कोई रहेगा नही , किसी ने देख लिया तो

रागिनी - अरे मेरी बहना इतना डरोगी तो लाइफ के मजे कैसे लोगी हिहिहिही, थोड़ा हिम्मत दिखाओ
एक बात बताऊं

ममता जिज्ञासु होकर उसकी ओर देखा

रागिनी - कभी कभी जब आपके समधी जी नही होते है तो मैं अपने कमरे में ही सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर ऊपर चली जाती हु और खुली छत पर अंधेरी रात में पीछे की ओर खेतो में देखना मुझे अच्छा लगता है

ममता - क्या सच में और बच्चे ?
रागिनी - वो सब अपने अपने कमरे में सो रहे होते है , लेकिन मजा बहुत आता है हल्की सर्द हवाएं जब जिस्म को छूती है और तब तो आपके समधी जी याद और भी आती है । मन करता है ऐसे मौसम में उनकी बांहों की गरमाहट मिल जाए तो मजा दुगना हो जाएं

ममता मानो रागिनी के उस ख्वाब में खो सी गई और इधर तेज हवा चलने लगी
वही नीचे से मदन वापस आ चुका था तेज आंधियों के कारण सब कुछ उड़ रहा था , धूल कचरा भूसा पन्नी सब
वो अपनी गाड़ी लगा कर जल्दी जल्दी मेन गेट का दरवाजा लगा रहा था , और उसकी नजर अनाज के गोदाम के खुले दरवाजे पर गई वो भागता हुआ गोदाम का दरवाजा खींच कर बाहर से बंद करके चटकनी लगाना चाहता था मगर हवा के तेज झोंखे उसे ऐसा करने से रोक हुए था , तभी ऊपर टेरिस की चारदीवारी से पैरासूट की तरह खुल कर एक ब्रा हवाओं में उड़ती हुई जमीन पर गई और धूल में घिसटती हुई मदन के पाव के पास रूक गई
पैर के पास नई ब्रा देख कर मदन ने आधी खुली आंखों से फौरन ऊपर देखा कि कही ऊपर से तो नही गिरा ना और उसका अंदाजा सही निकला , जब उसने चारदीवारी से झांकती सोनल को देखा ।
सोनल मारे लिहाज के झट से पीछे हो गई और मदन समझ गया कि उसकी बहु कपड़े उतारने गई होगी और आंधी में उड़ कर बेचारी की ब्रा यहां उसके पास चली आई , तभी तेज तड़तडाहट के साथ बारिश होने लगी । मदन ने जैसे तैसे करके गोदाम बंद किया आगे अपने बहु की ब्रा को मोड़ कर कुर्ते के जेब में रखता हुआ जल्दी से घर आ गया
हाल में देखा कि वहा कोई नही है ,मदन को एक पल को लगा कि शायद सब चले गए । उसे जोरो की पेशाब लगी थी और बारिश में हल्का हल्का भीगने से प्रेसर भी जोर था मगर जेब रखी बहु की ब्रा लेकर बाथरूम में जाना उसे अनुचित लग रहा था मगर बहु को उसकी ब्रा लौटाना भी कम बोझ का काम नही था । ना ही वो अमन को इसमे शामिल करना चाहता था और अपनी भाभी या संगीता से कह कर भेजवाता तो पक्का उसका मजाक बनाती
इसीलिए वो बड़े झिझक में खुद ही ऊपर पहुंचा और सोनल के कमरे का दरवाजा खटखटाया
सामने सोनल आई और मदन ने बिना उसकी ओर देखे ही ब्रा उसकी ओर बढ़ा दी - बहु ये तुम्हारा कपड़ा नीचे गिर गया था , लो।
अगले ही पल मदन उसको देकर जैसे ही घूम कर अपना पल्ला झाड़ कर निकलने का सोचा ही था कि पीछे से सोनल ने टोका - चाचा जी ये मेरा नही है ,इतना बड़ा मैं नही पहनती । ये जरूर मम्मी जी का होगा

मदन भीतर से फिर से उलझ सा गया उसको पहले से ही अपनी बहु के आगे आने में हिचक हो रही थी , जबसे उसने शादी के बाद की अगली सुबह सोनल का खुला जोबन देखा था और अब ये ब्रा का ड्रामा

मदन का दिमाग नही चल रहा था और वो घूम कर सोनल के हाथ से ब्रा लेकर वापस जाते हुए बोला - ठीक है मैं भाभी को दे देता हु फिर

इधर सोनल ने झट से दरवाजा लगा दिया और वही मदन एक फिर अपने फैसले के लिए भीतर से खुद को गालियां देने लगा कि क्यू उसने बहु से ये लफ्ज़ कहे । बहु क्या सोचेगी कि मैं बहुत आसानी से उसकी सास को ब्रा देने जाऊंगा ।

मदन पैर पटकता हुआ नीचे आया और उसने हाल में से ही अटकलें लगाने शुरू कर दिए कि कमरे में कोई है तो नही । उसपे से पेशाब का प्रेसर और भी था ।
आखिर उसने तय किया कि एक बार वो गलियारे से भीतर ममता के कमरे में झांकता हुआ निकलेगा अगर कोई नही हुआ तो वापस लौटते समय वो ममता के कमरे में ब्रा फेंक कर आ जाएगा

मदन के लिए सब कुछ उसकी योजना के मुताबिक था , वो गलियारे से होकर बाथरूम की ओर बढ़ रहा था वो ठीक वही समय था जब दोनो बाप बेटे एक साथ मुठ्ठी मार कर झड़ कर सुस्ता रहे थे और कमरे का दरवाजा ऐसे भीडका हुआ था कि गलियारे से गुजरने वाले को यही दिखेगा कि कमरे में कोई नही है ।
मदन को भी वही भ्रम हुआ उसे जाते वक्त यही लगा कि कमरे में कोई नही है और सब कुछ एकदम शांत था , मदन जल्दी से बाथरूम में फ्रेश हुआ और हाथ धूल कर वापस आ रहा था तो उसको उसका रूमाल नही मिल रहा था , उसे यकीनन अंदाजा हुआ जरूर ऊपर बहु के कमरे पास ब्रा निकालते हुए गिरा होगा ।
उसने गीले हाथो से ही ममता की ब्रा को जेब से निकाला और आधे खुले दरवाजे से भीतर बिस्तर की ओर उसे झटक दिया और तेज कदमों से आगे बढ़ा
दरवाजे से उड़ती हुई ब्रा बिस्तर के पावे से टकरा कर जमीन पर गिरी और दोनो बाप बेटे हडबडा कर अपना कपड़ा सही करते हुए उठ खड़े हुए मुरारी ने लपक कर वो ब्रा उठाई और तेजी से दरवाजा खोल कर गलियारे से हाल में झांका तो देखा मदन हाल के सोफे पर बैठ कर सुस्ताते हुए स्टैंड फैन की हवा खा रहा है ।
मुरारी को समझते देर नहीं लगी कि ये हरकत किसकी है और वो गुस्से से लाल हो गया ।

अमन - क्या हुआ पापा कौन था ।
मुरारी - और कौन होगा , तेरा चाचा था ।

अमन को अपने पापा के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था उसने अपने बाप को बोतल से पानी दिया और शांत होकर - क्या बात है पापा आप नाराज क्यों हो गए

मुरारी - तुझे एक राज की बात बताता हु सुन
फिर मुरारी ने अमन को संगीता और मुरारी के बीच की बातें बताई - क्या सच में बुआ और चाचा आपस में ।

मुरारी - और उसका ठरक रुकने वाला नही है , अब देख तेरी मां की ब्रा लेकर न जाने बाथरूम में क्या क्या नाश किया होगा कमीने ने हुह्ह

अमन हंसता हुआ - अब जब उनकी शादी नही करवाई आपने तो ये सब होना ही था ना , कबतक कोई खुद को रोक पाएगा पापा और फिर मां की मटकती गाड़ और बड़े बड़े चूचे किसी को भी आकर्षित कर देंगे ।

मुरारी - अरे जिससे वो शादी करना चाहता था उसके बाप ने उस लड़की की शादी कही और कर दी , तो इसने जीवन भर कुंवारा रहने का फैसला कर लिया

अमन - और वो लड़की ,मतलब चाचा की गर्लफ्रेएंड उसने खुशी खुशी कर ली शादी ?

मुरारी - नही बेटा , बाप की मजबूरी बेटियां ही समझती है उसने मजबूरी में शादी कर तो ली मगर कुछ साल पहले उसका पति एक बस दुर्घटना में चल बसा ।

अमन - आपको कैसे पता
मुरारी - कुछ महीने पहले बड़े शहर में एक बार उससे मिलना हुआ था और उसने सारी कहानी बताई , दुख की बात है कि उसकी कोई औलाद भी नही है और वंश आगे न बढ़ाने उसपे से पति के मरने का दोष देकर बेचारी के ससुराल वालो ने ही उसे घर से बेघर कर दिया है

अमन - और चाचा को इस बारे में पता है
मुरारी - नही , उसने मना किया था कि वो इनसब का जिक्र मदन से ना करे ।
अमन - पापा आपको नही लगता कि अब चाचा को उनका प्यार लौटा देना चाहिए, इन दोनो की शादी करा देना चाहिए और उससे उनकी प्रेमिका का भी दुख दूर हो जाएगा । शायद इससे चाचा की हरकते भी सुधर जाए ।

अमन की बातें सुनकर कर मुरारी - हा बेटा मैं भी उसकी शादी के लिए सोच रहा था और तेरी मां ने संगीता की छोटी ननद का प्रस्ताव भी रखा था मगर तेरी शादी के उलझन में मैने इसपे ध्यान नहीं दिया ।

अमन - तो पापा आंटी जी को खोज निकालो और हमसब चाचू को शादी के लिए मना लेंगे

मुरारी हंसता हुआ - तूने तो मेरी सारी उलझन ही सुलझा दी, अब जबतक तू हनीमून से वापस आएगा मैं तेरी चाची खोज निकालूंगा ।

अमन - ठीक है पापा , वैसे आपको अजीब नही लग रहा है हनीमून पर साली को ले जाना हिहिहिही

मुरारी - अरे तेरी किस्मत बुलंद है कि निशा जैसी मस्त खूबसूरत साली मिली है , मौका मिले तो उसके साथ भी हिहिहिही

अमन हंसता हुआ - पापा आप भी कम नहीं हो , वैसे एक बात पूछूं, क्या आपने कभी मां के अलावा किसी के साथ ?

मुरारी उसके गाल खींचता हुआ - सारी बातें आज ही उगलवा लेगा उम्मम्म, जा अब अपने हनीमून की तैयारी कर और वापस आकर सारे किस्से सुनूंगा तुझे

अमन - क्यों नहीं पापा हिहिहिही थैंक यू
मुरारी - थैंक यू किसलिए भाई ?
अमन - मेरी दोस्ती एक्सेप्ट करने के लिए
मुरारी हंसता हुआ उसके कंधे पर हाथ रख कर अपनी ओर खींच लेता है ।

जल्द ही शाम ढलती है और फिर रात के खाने के बाद ममता रागिनी को लेकर अपने कमरे में सोने चली जाती है देर रात तक उनकी मस्तियां हसीं ठिठौली चलती है
वही मुरारी रंगी के साथ गेस्ट रूम में सो जाता , घर में रोज के जैसे ही मौहौल होता है । अमन आज दुगने जोश से सोनल की चुदाई करता है और वो भी सो जाता है ।
एक ओर जहां अनुज राज मिल कर पूरी रात शिला और रज्जो की छेद बदल बदल कर ठुकाई करते है तो दूसरी ओर राहुल एक घर में राहुल और अरुण ने दिन में चुदाई का कोटा पूरा कर सो चुके थे मगर जांगीलाल के कमरे की बत्ती देर रात तक जलती रही ।
आज की रात बदलाव की रात थी एक दूसरे से राज साझा करने की रात थी । अपने पति के प्यार के आगे शालिनी ने बड़े लाज ने निशा के सामने ही कमलनाथ से चुदने वाली बात स्वीकार कर ली तो बदले में जांगीलाल ने भी ईमानदारी दिखा कर रज्जो को चोदने का मामला साझा कर दिया ।निशा ने भी उसकी और राहुल की मिस्ट्री की सारी हिस्ट्री खोल कर अपने मम्मी पापा के आगे रख दी ।
फिर दो राउंड धमाकेदार चुदाई हुई और तीनो बाप बेटी मां एक फैमिली गैंगबेंग वाली चुदाई का सपना देखते हुए सो गए ।



अगली सुबह ......

अगली सुबह विदाई दुखद समाचार के साथ कुछ नए सफर का आगाज भी लिए खड़ी थी ।
मुरारी के यहां से रंगी और ममता ने विदाई ली और घर चले गए । उनके जाने के बाद संगीता और दुलारी भी उसी रोज अपने अपने घर के लिए निकल गए ।
इधर राज के घर से रज्जो शिला और अरुण की विदाई थी , रागिनी ने भी आंसू बहा कर सबको विदा किया ।
रज्जो शिला के साथ एक नए रोमांचक सफर के लिए निकल चुकी थी ।
राहुल के घर आज से चुदाई का एक नया अध्याय शुरू होने वाला था ।
तो वही शादी की जिम्मेदारियों मुफ्त होकर रंगी ने भी कुछ रोज की छुट्टी की इच्छा जाहिर की और कुछ रोज बाद इधर जब अमन सोनल और निशा के साथ हनीमून के निकला तो रंगी भी उसके बाद ही अपने ससुर से किया वादा पूरा करने के लिए दुकान की सारी जिम्मेदारी राज को सौप दी और खुद ससुराल निकल गया घुमने के लिए।

अनुज के बोर्ड होने वाले थे तो उस की पढ़ाई जरूरी थी ,मगर अब वो पहले वाला अनुज नही था । सोनल की शादी में अनुज बदल सा गया था अगले रोज से अनुज का कॉलेज का सफर भी शुरू हो गया था ।
वही मुरारी भी अपने बेटे से किया वादा निभाते हुए अपने भाई की प्रेमिका की तलाश में जुट गया ।


अब आगे ना जाने किसको कैसे अनुभव होने वाले थे मगर ये तय है कि आने वाला हर सफर हर एक रास्ता सबको नए सुहाने कामुक सपने जरुर दिखाएगा , कुछ हकीकत भी होंगी तो कुछ फसाने भी होंगे ।
मगर आपके लिए एंटरटेनमेंट ही एंटरटेनमेंट रहेगा इस कहानी में ।



सपना या हकीकत
अध्याय : 01

समाप्त
I don't know what to feel right.. happiness or sadness but jo bhi hai ye kahani meri life ki padhi gai sabse best hai.. but har achhi cheej ki tarah isko bhi ant hona hi tha umid hai agla adhyay bhi jald shru hoga..
I love it❤️❤️
 

Akaash04

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UPDATE 222

राज के घर

इधर दोनो भाई रिक्शा कर घर के लिए निकल गए और दोनो के मन उखड़े हुए थे , मगर राज को अनुज के सिक्रेटस पता होने पर हंसी आ रही थी ।
अनुज ने नोटिस किया तो पूछ भी लिया - क्या हुआ भैया हस क्यूं रहे हो
राज - कुछ नही भाई तू उदास होना छोड़ दे । फिर कोई नई मिल जाएगी हाआआह्ह

अनुज - मैं समझा नही , क्या नई मिल जाएगी
राज हसता हुआ - रिंकी जैसी कोई , और तेरी तो किस्मत भी बुलंद है एक को छोड़ा तो दूसरी उठा ले गई तुझे हाहहा
राज की उलझी हुई बातें अनुज समझा गया कि उसके भैया को रिंकी और दुलारी भाभी दोनो की बात पता है
अनुज पहले शरमाया फिर उदास होकर - हा लेकिन क्या फायदा , पता नही कब मिलना होगा उनसे और फिर कल बुआ भी चली जाएगी

राज - अरे तो टेंशन क्यूं ले रहा है , आज घर में मम्मी पापा है नही तो काम बन जाना ही चाहिए

अनुज - सच में भैया , लेकिन मौसी है ना
राज - उसकी फिकर ना कर तू, पहले घर चलते है
इधर दोनो भाई घर की ओर बढ़ रहे थे तो वही चौराहे वाले घर रज्जो और शीला ने अपनी अपनी पैकिंग आज ही पूरी कर ली

रज्जो - उह्ह्ह्ह लोह्ह भाई ये भी बैग भर गया , अब थोड़ा आराम चाहिए मेरी तो सास ही फूलने लगी

शिला मुस्कुराई और उसको अपनी ओर खींचती हुई - फिर तो योगा वोगा शुरू कर दो मेरी जान , मेरे यहां तो मुंह खोले बिना ही सास लेनी पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त कामिनी तु भी ना ,
शिला मुस्कुराई और उसकी बिस्तर पर धकेलती हुई - क्या बोली साली उम्म्म
और देखते ही देखते शिला उसके ऊपर चढ़ गई और उसके हाथ ऊपर कर उसके लिप्स चूसने शुरू कर दिए
रज्जो भी जोश में आकर शिला के लिप्स को चूबलाने लगी ,

शिला उसके ऊपर माथे जा रही थी और दोनो आपस में एक दूसरे को चूसे जा रहे थे
शिला ने अपनी कुर्ती ऊपर की और मोती मोटी दुधारू चूचियां रज्जो के मुंह पर रखती हुई ठूंसने लगी - अअह्ह्ह्ह्ह साली छीनार लेह बहुत बोलती है तेरा मुंह तो कई ऐसे ही बंद करूंगी अह्ह्ह्ह आउच उह्ह्ह्ह हरामजादी काट क्यू रही है

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रज्जो उसकी मोटी चूचियां दोनो हाथो से पकड़ कर बारी बारी से निप्प्स को चूसने लगी और मिजती हुई - तेरी रसीली चूची को खा जाऊं ऐसी है ये उह्ह्ह्ह मेरी रांड शिला तेरे जोबन देख कर तो मेरा दिल बावरा हो जाता है तो तेरे घर के मर्दो का क्या हाल होता होगा उम्मम्म सीईईईईईआईआई

शिला उसके मुंह में अपनी चूचियां ठूंसती हुई - वही हाल होता है जैसा तेरा है मेरी सेक्सी रांड अअह्ह्ह्ह्ह कामिनी मुझे पटक दिया

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रज्जो उसको घुमा कर नीचे कर देती है और अपनी मैक्सी उतार कर फेकती हुई वापस उसके ऊपर चढ़ कर उसकी रसीली मोटी थन सी चुचियों पर टूट पड़ती है - बहिनचोद तुझे तो पटक के पेलने में जो मजा है वो कही और कहा अअह्ह सच सच बता , तू अपने मुहल्ले भर के बच्चो को दूध पिलाती है क्या जो निप्पल तेरे इतने मोटे हो गए है अअह्ह्ह्ह्ह

रज्जो उसकी चूचियां बदल बदल कर चूस रही थी - सच सच बता कौन कौन दूहता है तुझे मेरी जान आह्ह्ह्ह्ह्

रज्जो जिस तरह से शिला को मसल रगड़ रही थी शिला की चूत बजबजाने लगी थी - चल रही है , रोज सुबह भोर में दुहवा दूंगी तुझे भी अअह्ह्ह्हह् बहिनचोद उह्ह्ह्ह हिहिहिही आराम से फट जाएगा

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रज्जो उसकी लेगी खींचती हुई - भोसड़ा बना चुकी है अब बचा ही क्या है उसमे , हाथी जैसा लंड घोंट घोंट कर पूरा हाईवे बना लिया है

शिला कसमसाती हुई अपने कूल्हे उछालने लगी - आह्ह्ह्ह्ह फिर क्यों चाट रही है उसे कुतिया के जैसे अअह्ह्ह्हह ममीइइई उह्ह्ह्ह

रज्जो उसकी चूत में मुंह लगाए हुए - क्योंकि तेरी भोसड़ी का रस बहुत टेस्टी है अअह्ह्ह्हह कितना गर्म गर्म माल छिपा रखा है उम्मम्म्मम

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रज्जो उसकी बुर में अपनी थूथ रगड़ती हुई भीतर जीभ नचाने लगी - अअह्ह्हह साली रण्डी कुतिया और चाट अअह्ह्ह्ह मेरा भोसडेदार चूत अअह्ह्ह्हह उह्ह्ह और और उह्ह्ह्ह


इधर दोनो चुदासी सेक्सी औरते आपस में एकदूसरे को मीज मसल रही थी तो वही बाहर राज और अनुज रिक्से से उतर चुके थे और गेट खोल कर मेन दरवाजा खोलते हुए हाल में घुसते है

अनुज - अरे बुआ और मौसी कहा है ? बुआआआ !!
तभी राज उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकता हुआ अपनी मां के कमरे की ओर इशारा करते हुए चुप रहने को कहा
दोनो भाई दबे पाव कमरे की ओर बढ़े , कमरे से तेज कूलर की हनहनाहट में रज्जो और शीला की सिसकियां घुल चुकी थी
जैसे ही कमरे के दरवाजे से दोनो ने भीतर झांका राज और अनुज दोनो चौक गए

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सामने बिस्तर पर शिला की जांघें खोले हुए रज्जो उसके ऊपर चढ़ कर कैंची बनाते हुए उसकी चूत से अपनी चूत आपस में रगड़ रही थी

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दोनो भाई भौचक्के एक दूसरे को निहारते हुए खुश हो गए और अपना अपना लंड बाहर निकाल कर उसको सहलाते हुए कमरे में दाखिल हुए
जैसे ही शिला को भनक हुए वो रज्जो को धकेलते हुए उठ गई इस डर से की घर में बाकी लोग भी आ गए होगे

शिला - तु तुम दोनो , इतना जल्दी कैसे
अनुज हस्त हुआ - बस देखने आए थे आपको हिहिहिही
रज्जो - अनुज मस्ती नही , बता बाकी लोग कहा है ?

अनुज दांत दिखाता हुआ - खुद अकेले अकेले मस्ती कर रही हो और हमें कह रही हो मस्ती नही , देखा भैया इतनी नाइंसाफि

राज हस्त हुआ - ओहो बुआ मौसी कोई नही है , बस हम लोग है ,पापा मम्मी कल आयेंगे

रज्जो ने चैन की सास ली - लेकिन तुम दोनो अंदर कैसे आए , दीदी तुम दरवाजा लगाई थी न

शिला कुछ देर सोचा कर अपनी जीभ दांत में दबा कर मुस्कुराते हुए रज्जो को देखा और हसने लगी .
रज्जो - हम्म तभी तो मैं सोचू ये दोनो बैल घर में कैसे घुसे

अनुज - हम दोनो बैल अपनी अपनी गईया खोजते आए है मौसी हिहिहिही
शिला - ये कितना बिगड़ गया है इधर आ बताती हुं

अनुज अपना लंड सहलाता हुआ - आपके पास ही आ रहा हु बुआ
अनुज अपना लंड शिला के आगे परोसता हुआ उसके सर को सहलाने लगा ,शिला भी बिस्तर पर घोड़ी बनकर अनुज का लंड मुंह में भर कर चूसने लगी - अह्ह्ह् बुआ कितना ठंडा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई

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वही बगल से राज की भी सिसकी आने लगी - उम्म्म मौसी आह्ह्ह्ह्ह आपका तरीका बहुत अच्छा लगता है अह्ह्ह्ह कल से बहुत याद आओगे आप उह्ह्ह्ह

अनुज - हा बुआ आपकी भी बहुत याद आयेगी उह्ह्ह्ह आराम से उम्मम्म आप तो पूरा घोट जा रही हो अअह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ उह्ह्ह्ह और चूसो उम्म्म्मम

शिला - मुझे भी तुम सब की बहुत याद आयेगी मेरे लाडलो उह्ह्ह्ह और ये भी कि मेरे बेटे अब जवान हो गए है आआआआअह्ह्ह औरते संभालने लायक
राज - क्यू बुआ पहले शक था क्या हिहिहिही आआआह्हह्ह्ह मौसी उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड जी कर रहा है आपके मुंह में भर दू अह्ह्ह्ह्ह् ये लोह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह कितना मजा आता है आपके हर छेद में पेलने का उह्ह्ह्ह्ह्

राज गला फाड़ता हुआ रज्जो के गले में अपना लंड घुसेडने लगा और फिर उसको धक्का देकर बिस्तर पर चढ़ कर चूत में लंड घुसा दिया

रज्जो - आआआह्ह लल्ला उह्ह्ह्ह कबसे तेरे लंड को प्यासी थी मेरी चूत उह्ह्ह्ह और पेल आह्ह्ह्ह हा ऐसे ही अअह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बेटा ओह माआआ

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राज उसकी चूत ने हचक के लंड उतार रहा था - अब ठीक न मौसी उह्ह्ह्ह लोह और लोह आज पूरी बच्चेदानी भर दूंगा तुम्हारी उह्ह्ह
रज्जजो : उह्ह्ह्ह लल्ला तेरे लंड से मेरी चूत बहने लगी है अअह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह हा खा जा उह्ह्ह्ह मम्ममिई उह्ह्ह्ह

राज लपक कर रज्जो की चूत में मुंह दे दिया और वही बगल शिला की जांघो के बीच अनुज भी उसकी बुर की फाकों से लेकर गाड़ की भूरी सुराख तक जीभ फिरा रहा था - उह्ह्ह्ह बेटा उम्म्म कितना मस्त चाटता है तू उम्मम्म्म आआह्ह्ह्ह्ह् भाभीए इन दोनो की जोड़ी कमाल की है अअह्ह्ह्हह
रज्जो बगल में लेटी हुई शिला के लिप्स से अपने लिप्स जोड़ कर मुस्कुराई हुई - जोड़ी तो हम दोनो की भी कमाल की है मेरी जान

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अनुज - उम्म्म बुआ ना कबसे मुझे आपके बुर को चाटने का सपना आता था , है रोज आपकी गाड़ चाटने का सोच कर हिलाता था मैं उह्ह्ह्ह कितनी रसीली बुर है आपकी सीईईईईईआईआई

शिला - अअह्ह्ह्हह खा जा बेटा , चाट ले अपनी बुआ की बुर उम्म्मम तेरी छोटी सी जीभ मुझे पागल कर दे रही है

" मैं भी इसे खा लूं क्या मेरी जान अह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह राज आराम से उह्ह्ह्ह बेटा उह्ह्ह्ह्ह" , रज्जो घोड़ी बनी हुई शिला की मोटी हिलती चूची को पकड़ कर सहलाती हुई अपने मुंह में भर लिया और उसके निप्पल चूसने लगी ।

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शिला मानो पागल सी हो गई - अहह्ह्ह्ह भाभी उह्ह्ह्ह पी जाओ मेरे थन से टपकते रस को अअह्ह्ह्हह अओह्ह आराम से लाला उह्ह्ह्ह बहुत कसा है अच्छे से घुसा

रज्जो पीछे से राज के करारे झटके अपनी चूत में लेती हुई - अह्ह्ह्ह्ह लल्ला कस के घुसा एक ही बार में फाड़ दे उह्ह्ह्ह्ह

अनुज मारे जोश में शिला की टांग को अपने कंधे पर रखता हुआ एक करारे झटके के साथ शिला की रसाती बुर में हचाक से लंड पेल दिया - अअह्ह्ह्ह मम्मिई फाड़ दिया रे उह्ह्ह्ह अब रुका क्यू है चोद ना हरामी मौसी का चमचा कुत्ता कही का अअह्ह्ह्ह जल रहा है

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अनुज बत्तीसी दिखा कर रजजो के साथ हस रहा और फिर अपनी बुआ की चूत में लंड चलाने लगा - ओह गॉड बुआ आपकी चूत बहुत गरम है अअह्ह्ह्ह

रज्जो - जा बेटा तेरी बुआ एक नंबर की रंडी है हमेशा आग लगी रहती है इसकी चूत में पेल आज रहम मत दिखाना
अनुज अपनी मौसी की बातें सुन कर जोश में कस कस के शिला की बुर फाड़ने लगा , शिला गला फाड़ कर चीखने लगी
वही राज ने एक बार फिर पोजिशन बदल दिया और नीचे लेट कर अपनी मौसी को चोदने लगा

राज अपनी मौसी की खरबूजे सी मुंह पर लटकती छातियां पिता हुआ उसकी बड़ी सी गाड़ थामे सटासट रज्जो की बुर में लंड पेले जा रहा था और रज्जो भी शिला की तरह बेफिकर सिसकियां ले रही थी - उह्ह्ह्ह लल्ला ना जाने तुझे इतना जोश कैसे आ जाता है जब तू अनुज के साथ होता है अअह्ह्ह्ह्ह फाड़ और पेल अपनी मौसी की चूत को अओहह्ह उम्मम्म्म रुकना मत बेटा अअह्ह्ह्ह सीईईईई

राज - वो तो पता नही मौसी लेकिन आज तो पूरी रात आपको ऐसे ही पेलने वाला हु , क्यू अनुज

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अनुज जो अब तक शिला को घोड़ी बना कर उसकी चूत में लंड घुसाये हुए शिला की गाड़ मसल मसल कर पेल रहा था - अह्ह्ह्ह्ह हा भैया फिर ना जाने ये मौका कब मिले , और जब फिर से मुझे बुआ की गाड़ सहलाने को मिले आआआह्हह्ह् मेरी सेक्सी चुदक्कड़ बुआ अअह्ह्ह्हह

शिला - हा लल्ला पेल ना अपनी चुदक्कड़ बुआ को और पेल और उह्ह्ह्ह और कैसी लगती हूं मैं तुझे मेरे लाल अअह्ह्ह्ह्

अनुज मारे जोश ने शिला की चूत की जड़ो में लंड घूसाता हुआ - अअह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ तुम तो मुझे किसी रंडी जैसी लगती हो , अह्ह्ह्ह लगता है तुम्हारी गाड़ 50 लोग मिल कर मारते है थी इतनी बड़ी हो गई है , जी कर रहा है इसी गाड़ में झाड़ जाऊं उह्ह्ह्ह आपकी गाड़ हुआ मुझे पागल कर रही है आपकी गाड़ चाटना मुझे बहुत पसंद है बुआ अअह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ उह्ह्ह्ह मेरी रंडी बुआ मेरा आने वाला है अअह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह

शिला - भर दे बेटा भर अपनी बुआ की बुर उह्ह्ह्ह
वही बगल मे राज भी रज्जो को एक बार फिर घोड़ी बनाए हुए करारे झटके दे रहा था और अनुज शिला की बातें उसे भी चरम पर ले आई थी और दोनो भाई एक साथ रज्जो और शीला की चूत में अपने अपने फब्बवारे छोड़ दिए
शिला और रज्जो देर तक उनके झटको से निकलती गर्म पिचकारी की धार चूत की दीवारों में महसूस करती रही और दोनो थक कर उनके ऊपर ही रह गए

मगर जोश कहा किसी का ठंडा होने वाला था और अनुज ने शिला की गाड़ चाटते हुए एक बार फिर से नए राउंड की पहल कर दी थी
तो वही रज्जो अपनी चूत से निकले राज के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी ।


अमन के घर

फोन की घंटी मुरारी को बेचैन कर चुकी थी और रंगी से इजाजत लेकर गेस्ट रूम से बाहर आ कर हाल में आया तो जीने के पास अमन बेचैन खड़ा हुआ था
मुरारी - क्या हुआ बेटा
अमन - पापा !! वो ....
मुरारी - हा बोल ना बेटा ,क्या बात है ?
अमन थोड़ा झिझक कर मुस्कुराता शर्माता - वो में ऊपर बोर हो रहा था तो सोचा आपसे बात करू , आप बिजी तो नही ।

मुरारी को समझते देर नहीं लगी कि अमन की बेचैनी का कारन क्या हो सकता है और वो मुस्कुराते हुए - अच्छा ठीक है चल गोदाम में चलते है
अमन - आपके कमरे में चलते है ना
मुरारी - अरे वहा तेरी मां और वो तेरी सास होगी

अमन - नही पापा वो बाहर मौसम सुहाना हुआ है बारिश वाला तो मम्मी , उनको लेकर ऊपर ही गई है

मुरारी - अच्छा ,फिर ठीक है चल
दोनो बाप बेटे कमरे में दाखिल होते है और हल्का सा दरवाजे भिडका देते है ताकि अगर गलियारे से कोई बाथरूम की ओर कोई जाए तो भी दरवाजे की आड़ में सोफे पर बैठे हुए वो दोनो किसी को ना दिखे ।

मुरारी - हा बोल बेटा
अमन थोड़ा शर्माता हुआ - पापा क्या हुआ कल , मम्मी ने पहना था वो कपड़ा

मुरारी अमन के जज्बात बखूबी समझ रहा था और मुस्कुरा कर - हा बेटा और सच कहूं तो पिछली बार वो मजा नही आया था जो इस बार आया ।

अमन - क्यू ? ऐसा क्या हुआ इस बार ?
मुरारी अपने पजामे में अंगड़ाई लेते लंड को मिजता हुआ - अरे तब के समय में और अब के समय में तेरी मां का बदन दुगना से ज्यादा गदराया हुआ है , उसके चूतड को 3 गुना ज्यादा बड़े दिखते है अब और कल रात वो कच्छी में उसकी बड़ी सी गाड़ ने मुझे पागल कर दिया , अगर तू देखा होता तो तू भी अपनी मां पर लट्टू हो जाता

अमन का लंड एकदम से अपनी मां को उस रूप में देखने के लिए फड़फड़ा उठा - और फिर

मुरारी - बेटा तूने जो वो ब्रा ऑर्डर की थी वो तो आगे से एकदम आरपार दिखने वाली थी , उसमे से झांकती तेरी मां की मोटी मोटी चूचियां उम्मम्म कितनी रसीली लग रही थी अअह्ह्ह्हह तू देखता तो तुझे फिर से मन करता कि उसकी गोदी में लेट कर उसका दूध पी जाऊं

अमन अपना लंड अपने बाप के सामने मिजते हुए उसकी और निहार कर - पापा दिखाओ ना मम्मी को प्लीज
मुरारी अमन की आंखों में अपनी के लिए दीवानगी साफ साफ देख रहे था , उसका हाथ कैसे अपनी मां के गदराए जिस्म के बारे में सोच कर अपना लंड मसल रहा है और वो मुस्कुराता हुआ अपने जेब से मोबाइल निकाल कर गैलरी ओपन कर अमन के हाथ में मोबाइल दे देता है

20240922-150326

अमन कई सारे सेक्सी तस्वीरों मे से अपना एक तस्वीर ओपन करता है जिसमे उसकी मां सर पर चुन्नी लिए हाथ फैला कर आईने के आगे खड़ी थी और उस जालीदार चुन्नी के नीचे उसके फैले हुए चूतड की दरारों को उसके बालो के परांदे ने धक रखा था , सामने आईने में ब्रा से बिलकुल वैसी ही उसकी रसीली छातियां झलक रही थी जैसा उसके पापा अभी बता रहे थे , अपनी मां का कौमार्य रूप देख कर अमन का दिल जोरो से धड़क रहा था उसका दूसरा हाथ अपने सुपाड़े को मसल रहा था

तभी अमन ने एक वीडियो पले कर दी जिसमे उसकी मां ने घूम और अदाये दिखा कर बड़े ही सेक्सी सेक्सी पोज दिए थे और उसके पूरे बदन की नुमाइश थी उसमे - उह्ह्ह्ह गॉड कितनी सेक्सी लग रही है मम्मी

मुरारी अपने बेटे से उसके मां के लिए सेक्सी शब्द सुनकर भीतर से सिहर उठा और अपना मूसल मसलने लगा ।
अमन - पापा ये सब मैं अपने मोबाइल में लेलू प्लीज
मुरारी अमन के जजबात समझ रहा था और मुस्कुरा कर हा में सर हिला दिया और अमन ने फटाफट अपने व्हाट्सएप पर सारी तस्वीर लेली और मुरारी को मोबाइल दे दी

मुरारी मोबाइल बंद कर जेब में रखता है कि फिर से उसका mobile वाइब्रेट होता है और मोबाइल स्क्रीन पर अमन कुछ फोटो भेजे थे उसके नोटिफिकेशन देख कर - तूने क्या भेजा है बेटा

अमन इसपे मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ - खोल के देखो ना , वो कल रात मुझे आपकी बातें याद आ रही थी तो मैंने

इधर अमन की बातें पूरी नहीं हुई थी मुरारी चौक कर बोल पड़ा - अरे ये तो बहु है
अमन मुस्कुरा कर - जी पापा , मैने सोचा क्यों न उसको शादी में दिए हुए आपके गहने पहना कर तैयार करू जैसा आप मम्मी को करवाते हो । कैसी लग रही है आपकी बहू पापा ?

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सामने मोबाइल में अपनी नई नवेली बहु की नंगी सिर्फ सोने के गहनों में सजी हुई उसपे से माथे पर एक लाल चुन्नी लिए खड़ी हुई देख कर मुरारी का लंड बेकाबू हो गया , उसकी नजर अपनी बहु के जिस्म से हट ही नहीं रही थी , रानी हार जो उसने खास तौर पर अपनी बहु के लिए पसंद किया था वो आज उसके दोनो मोटे मोटे चुचियों के बीच लटकता पा रहा था उसके गुलाबी निप्पल और फिर हल्के फुल्के बालों वाली गुलाबी चूत को ढकती सोने की करधन ने तो कयामत ही कर रखा था , मुरारी को उम्मीद नहीं थी कि अमन उसके लिए ऐसा तोहफा लाएगा ।

अमन अपने पापा को चोरी छिपे अपने कुर्ते के नीचे से सोनल को एक तक निहार कर अपना लंड मुठिया रहा था - बोलो ना पापा कैसी लग रही है आपकी बहू ?

मुरारी को अमन के सवाल से जोश भी आ रहा था तो भीतर डर भी था वो यूं खुल कर अमन के सामने अपने जज्बात नही रख सकता - अअह्ह्ह्ह बेटा क्या कहूं, ऐसा लग रहा है कि सालों पहले तेरी मां को निहार रहा हु

मुरारी फिर से व्हाट्सएप खोलता हुआ - रुक तुझे भी कुछ भेजता हु वो भी देख
अमन कामुकता भरी जिज्ञासा से - क्या पापा ?
मुरारी ने धड़ाधड़ एक के बार एक कुछ दूसरी तस्वीर भेजी और अमन ने जैसे ही मोबाइल में ओपन किया

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तो अमन उसकी मां पूरी नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी उसकी मोटी मोटी चूचियां और मोटे जामुन जीतने बड़े बड़े भूरे निप्पल देख कर अमन के मन में मन पानी आ गया - उह्ह्ह्ह गॉड पापा , मम्मी के दूध कितने बड़े बड़े है

मुरारी का ध्यान तो सिर्फ सोनल के गुलाबी चुचियों पर था - है ना , बहुत मजा आता है बेटा तेरी मां के ऊपर चढ़ कर उसके दूध पीने का
अमन - हा पापा मेरा भी मन कर रहा है कि मां के ऊपर लेट कर उनके दूध पियू, मां के निप्पल कितने मोटे है और सेक्सी भी

मुरारी अपने बेटे से उसकी मां के चुचियों की तारीफ सुनकर अब पूरे जोश में उसके आगे अपना लंड मसल रहा था और अमन भी बिना डरे अपने पापा के आगे अपना लंड मिज रहा था - अह्ह्ह्ह्ह पापा , आपको सोनल के निप्पल कैसे लग रहे है
मुरारी मोबाइल में सोनल की रसदार गुलाबी निप्पल को देखकर जोश ने - अअह्ह्ह्हह बेटा बहु के निप्पल तो बिलकुल तेरी के जैसे है , जब वो व्याह के आई थी , ऐसी ही कोरी कोरी मगर हल्की भूरी, मैं उन्हें खूब मिजता और चूसता था । तेरी मां को वो खूब भाता था और तूने बचपन में अपनी मां का दूध 5 साल तक पिया है इसीलिए उसके निप्पल इतने मोटे है

अमन भरे जोश में अपनी की नंगी चूचियां और मोती मोटी काली घुंडीया निहार कर आहे भरता हुआ अगली तस्वीरे देखता है - पापा मुझे फिर से मम्मी का दूध पीना है अह्ह्ह्ह कितना सेक्सी है ओह्ह्हज गॉड पापा ये भी है उफ्फफ्फ कितनी बड़ी गाड़ है मम्मी की

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मुरारी - हा बेटा रोज उसी गाड़ पर झड़ता हूं मैं और तेरी मां को भी अपनी गाड़ पर मेरा पानी लेना बहुत पसंद है

मुरारि भी अगली तस्विरे देखता है जिस्मे सोनल के लम्बी बालो की चोटी उसके गाड़ के दरारो तक जा रही थी

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मुरारि - ओझ्ह्ह बहु के चूतड भी कम बड़े नही है बेटा अह्ह्ह्ह इतनी लंबी चोटी पहले तेरी मां की भी थी जो ऐसे ही उसके गाड़ के दरारों को ढक लेती थी

अमन - सीईईईईईआई पापा एक बात पूछूं
मुरारी अपना लंड हिलाते हुए अपनी बहु के एक वीडियो में हिलते चूतड निहार रहा था - हा बोल ना बेटा अअह्ह्ह्ह्ह क्या पूछना है
अमन - पापा आपने कभी मम्मी की गाड़ मारी है , कभी उसके बड़े बड़े चूतड के दरारों में अपना लंड डाल कर घिसा है , मैं सोनल को लिटा कर उसके मोटे मोटे गाड़ के दरारों में लंड घिसता हु और कल रात को

मुरारी अपनी बहु के बारे में सोच कर - क्याह्ह बेटा क्या हुआ कल रात को ?
अमन आंखे बंद कर जोरो से लंड को लोअर के ऊपर से से हिलाता हुआ - कल रात को उसके गाड़ के दरारों में ही झड़ गया था , पूरा रस उसके चूत के फाकों में भर गया था

मुरारी अमन की बातें आंखे बंद कर अपनी कल्पना में बहु के गाड़ की दरारों में झड़ता हुआ अमन को महसूस कर रहा था देख रहा था कैसे उसके गाड़ से उसकी चूत तक अमन का गाढ़ा मलाईदार रस बहु के गुलाबी फाकों को और गुलाबी किए जा रहा था ।

अमन - पापा मैं बाथरूम जा रहा हु
मुरारी उसको पकड़ कर बिठाते हुए - अब मुझसे क्या शर्मा रहा है , मैं नही जानता क्या करेगा वहा जाकर

अमन मुस्कुराने लगा - तो क्या आपके सामने
मुरारी झटके से अपना तनमनाया लंड बाहर निकाल जिसका सुपाड़ा खूब लाल हुआ पडा था मसलने से - अरे तू भी निकाल भाई

और अमन ने भी अपना हथियार निकाला , जो सीधे मुरारी का स्वा गुना दिख रहा था था जिसे देख कर मुरारी का हलक सूखने लगा और अगले ही पल अभिमान से भरता हुआ - बाप शेर तो बेटा स्वा शेर हा हां

अमन अपना लंड सहलाता हुआ - पापा एक बात और पुछु
मुरारी सोफे पर फैलता हुआ अपना मूसल मसलने लगा- हा बेटा पूछ ना
अमन भी उसकी देखा देखी वैसे ही पोजिशन में आ गया - पापा आपको मम्मी की गाड़ चाटने का मन नाही करता ,उसकी चूत के फांके चुबलाने का मन नाही करता

मुरारी - क्यू तू बहु की चूत और गाड़ चाटता है क्या
अमन आंखे बंद कर अपना लंड हिलाता हुआ - पापा , उसकी गाड़ का गुलाबी छेद देखोगे तो आप भी खुद को रोक नहीं पाओगे जैसे मैं नहीं रोक पाता खुद को

मुरारी आंखे बन्द कर अपनी बहु के गाड़ के गहरे दरारों में उसके गुलाबी सुराख की कल्पना कर - क्या सच में बेटा , बहु की गाड़ का सुराख गुलाबी है
अमन - हा पापा और उसके बुर के फांके भी एकदम सुर्ख गुलाबी , जीभ चलाओ तो पूरी लाल होने लगती है

मुरारी अपना लंड मसलता हुआ - अह्ह्ह्ह्ह सच में ऐसी चूत को कौन नहीं चाटेगा बेटा , मुझे मिले तो मैं खा जाऊं , तू क्या करेगा बेटा अगर तुझे तेरी मां की नंगी गाड़ मिल जाए

अमन सिसकियां लेटा हुआ - अअह्ह्ह्ह पापा मुझे मां की गाड़ मिल जाए तो मैं उन्हें अपने मुंह पर घंटो बैठने को कहूंगा और खूब जीभ लगा लगा कर उनकी गाड़ और चूत चाटूंगा , ताकि वो जब झड़े तो सारा रस मेरे मुंह में आए

मुरारी अपने बेटे की बातें सुनकर वो पल सोचने लगा जब ममता अमन के मुंह पर अपनी गाड़ रख देगी और अमन उसकी गाड़ चाटेगा , मुरारी अब तक एकदम चरम पर आ गया था
अमन - पापा आप क्या करोगे अगर सोनल की नंगी चूत मिल जाए आपको तो आप क्या करोगे

मुरारी अपनी कल्पना में अपने आगे अपनी बहु को नंगी अपनी चूत खोले देखता है जो अपनी जांघें फैलाये उसे अपनी ओर बुला रही होती है और मुरारी उस कल्पना में उसकी गुलाबी बहती चूत में अपना टोपा फसा रहा था - अह्ह्ह्ह्ह बेटा मुझ बहु की चूत मिल जाए तो मैं उसे चोद दूंगा , उसकी गुलाब सी पंखुड़ियों को रौदता हुआ अपना लंड उसके बुर के जड़ो में उतार दूंगा

सोनल की चूत में अपने पापा का मोटा लंड घुसाने का सोच कर ही अमन पूरे जोश में आ गया - हा पापा चोद लेना भर देना अपनी बहु की गुलाबी चूत को उह्ह्ह्ह आपकी बहु बहुत चुदक्कड़ है खूब लंड लेती है मेरा

मुरारी - क्या सच में बेटा
अमन - हा पापा आपकी बहू को चुदाई करना बहुत पसंद है , वो तो मेरे लंड की दीवानी है , इसे खूब चूसती है खुद बुर में घुसती है

मुरारी - अअह्ह्ह्हह बेटा तेरा फौलादी लंड अगर तेरी मां देख ले तो वो भी दीवानी हो जाएगी , उसकी लंबी फाकों वाली बड़ी चूत के लिए तेरा लंड तो एकदम फिट है , पूरा घुस जायेगा उसके भोसड़े में

अमन तेजी से अपना लंड हिलाने लगा - हा पापा , मुझे भी मम्मी की गर्म चूत में घुसना है और उसके ऊपर चढ़ कर उसको चोदते हुए उसके मोटे मोटे दूध पीना है

मुरारी - हा बेटा पेल लेना तू भी अपनी मां को और पेल पेल एक उसकी गाड़ पर झड़ना , बोल झड़ेगा न अपनी मां की बड़ी सी गाड़ पर उम्मम्म

अमन - हा पापा झडूंगा अअह्ह्ह्हह ममीइइई की गाड़ को भर दूंगा मैं अअह्ह्ह्ह्ह आप कहा झड़ोगे सोनल को चोद कर

मुरारी तेजी से अपना लंड मुठियाता हुआ - बेटा मैं तो मेरी लाडली बहु के गुलाबी चुचियों पर अपना रस गिराऊंगा जिससे वो और भी गुलाबी हो जाएंगी अह्ह्ह्ह्ह

अमन - ओह पापा अअह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अअह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह आपकी गाड़ मुझे बहुत पसंद है देखो ना पापा मैं मम्मी की गाड़ पर झड़ रहा हु अअह्ह्ह्हह ममीई उह्ह्ह्ह
और अमन की पिचकारी छुट गई , वही मुरारी भी तेज सिसकियां लेता हुआ झड़ने लगा - अअह्ह्ह्ह बेटा मैं भी बहु के चुचियों पर झड़ रहा हु अअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा भी अह्ह्ह्ह्ह बहु तेरे चूचे उम्मम्म अअह्ह्ह्ह

जल्द ही दोनो बाप बेटे ने आखिरी बूंद तक बहु और मां के नाम पर निचोड़ दी और सुस्त होकर सोफे पर फेल गए

वही उपर पीछे की बालकिनी में ममता रागिनी को लेकर पहुंची थी ।

रागिनी - हम्म् तो ये है आपकी वो खास जगह

ममता रेलिंग पर आगे झुकती हुई - जी , मुझे मेरे घर का ये हिस्सा बहुत पसंद है और खास कर जब रात का समय या फिर ऐसा सुहाना मौसम हो , यह मुझे बहुत अच्छा लगता है

रागिनी ने ममता के उभरे हुए कूल्हे सहलाती हुई उसके करीब खड़ी होकर - तो क्या कभी इस खास जगह पर खास माहौल बनाया है

ममता - मतलब
रागिनी हस्ती हुई - अब इतनी भी भोली न बनो बहना , इतनी स्पेशल जगह पर समधी जी ने यह चादर न बिछाई हो , ऐसे कैसे हो सकता है हिहिहिही

ममता लजाती हुई - धत्त आपके दिमाग में वही सब चलता है क्या हिहिहिही
रागिनी - अरे शरमाओ मत , बताओ ना मैं सब कुछ सिक्रेट रखूंगी पक्का

ममता - नही अभी तक तो नही ,क्योंकि उनका खूंटा बंद कमरे में ही खड़ा होता है हिहिहिही

रागिनी हस्ती हुई - अरे जब खूंटा खड़ा हो और धीरे से नंगे ही कमरे से बाहर निकल जाओ और सीढ़िया चढ़ कर यहां, देखो कैसे लार टपकाते हुए आते है हिहिही

ममता - हा जैसे घर में कोई रहेगा नही , किसी ने देख लिया तो

रागिनी - अरे मेरी बहना इतना डरोगी तो लाइफ के मजे कैसे लोगी हिहिहिही, थोड़ा हिम्मत दिखाओ
एक बात बताऊं

ममता जिज्ञासु होकर उसकी ओर देखा

रागिनी - कभी कभी जब आपके समधी जी नही होते है तो मैं अपने कमरे में ही सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर ऊपर चली जाती हु और खुली छत पर अंधेरी रात में पीछे की ओर खेतो में देखना मुझे अच्छा लगता है

ममता - क्या सच में और बच्चे ?
रागिनी - वो सब अपने अपने कमरे में सो रहे होते है , लेकिन मजा बहुत आता है हल्की सर्द हवाएं जब जिस्म को छूती है और तब तो आपके समधी जी याद और भी आती है । मन करता है ऐसे मौसम में उनकी बांहों की गरमाहट मिल जाए तो मजा दुगना हो जाएं

ममता मानो रागिनी के उस ख्वाब में खो सी गई और इधर तेज हवा चलने लगी
वही नीचे से मदन वापस आ चुका था तेज आंधियों के कारण सब कुछ उड़ रहा था , धूल कचरा भूसा पन्नी सब
वो अपनी गाड़ी लगा कर जल्दी जल्दी मेन गेट का दरवाजा लगा रहा था , और उसकी नजर अनाज के गोदाम के खुले दरवाजे पर गई वो भागता हुआ गोदाम का दरवाजा खींच कर बाहर से बंद करके चटकनी लगाना चाहता था मगर हवा के तेज झोंखे उसे ऐसा करने से रोक हुए था , तभी ऊपर टेरिस की चारदीवारी से पैरासूट की तरह खुल कर एक ब्रा हवाओं में उड़ती हुई जमीन पर गई और धूल में घिसटती हुई मदन के पाव के पास रूक गई
पैर के पास नई ब्रा देख कर मदन ने आधी खुली आंखों से फौरन ऊपर देखा कि कही ऊपर से तो नही गिरा ना और उसका अंदाजा सही निकला , जब उसने चारदीवारी से झांकती सोनल को देखा ।
सोनल मारे लिहाज के झट से पीछे हो गई और मदन समझ गया कि उसकी बहु कपड़े उतारने गई होगी और आंधी में उड़ कर बेचारी की ब्रा यहां उसके पास चली आई , तभी तेज तड़तडाहट के साथ बारिश होने लगी । मदन ने जैसे तैसे करके गोदाम बंद किया आगे अपने बहु की ब्रा को मोड़ कर कुर्ते के जेब में रखता हुआ जल्दी से घर आ गया
हाल में देखा कि वहा कोई नही है ,मदन को एक पल को लगा कि शायद सब चले गए । उसे जोरो की पेशाब लगी थी और बारिश में हल्का हल्का भीगने से प्रेसर भी जोर था मगर जेब रखी बहु की ब्रा लेकर बाथरूम में जाना उसे अनुचित लग रहा था मगर बहु को उसकी ब्रा लौटाना भी कम बोझ का काम नही था । ना ही वो अमन को इसमे शामिल करना चाहता था और अपनी भाभी या संगीता से कह कर भेजवाता तो पक्का उसका मजाक बनाती
इसीलिए वो बड़े झिझक में खुद ही ऊपर पहुंचा और सोनल के कमरे का दरवाजा खटखटाया
सामने सोनल आई और मदन ने बिना उसकी ओर देखे ही ब्रा उसकी ओर बढ़ा दी - बहु ये तुम्हारा कपड़ा नीचे गिर गया था , लो।
अगले ही पल मदन उसको देकर जैसे ही घूम कर अपना पल्ला झाड़ कर निकलने का सोचा ही था कि पीछे से सोनल ने टोका - चाचा जी ये मेरा नही है ,इतना बड़ा मैं नही पहनती । ये जरूर मम्मी जी का होगा

मदन भीतर से फिर से उलझ सा गया उसको पहले से ही अपनी बहु के आगे आने में हिचक हो रही थी , जबसे उसने शादी के बाद की अगली सुबह सोनल का खुला जोबन देखा था और अब ये ब्रा का ड्रामा

मदन का दिमाग नही चल रहा था और वो घूम कर सोनल के हाथ से ब्रा लेकर वापस जाते हुए बोला - ठीक है मैं भाभी को दे देता हु फिर

इधर सोनल ने झट से दरवाजा लगा दिया और वही मदन एक फिर अपने फैसले के लिए भीतर से खुद को गालियां देने लगा कि क्यू उसने बहु से ये लफ्ज़ कहे । बहु क्या सोचेगी कि मैं बहुत आसानी से उसकी सास को ब्रा देने जाऊंगा ।

मदन पैर पटकता हुआ नीचे आया और उसने हाल में से ही अटकलें लगाने शुरू कर दिए कि कमरे में कोई है तो नही । उसपे से पेशाब का प्रेसर और भी था ।
आखिर उसने तय किया कि एक बार वो गलियारे से भीतर ममता के कमरे में झांकता हुआ निकलेगा अगर कोई नही हुआ तो वापस लौटते समय वो ममता के कमरे में ब्रा फेंक कर आ जाएगा

मदन के लिए सब कुछ उसकी योजना के मुताबिक था , वो गलियारे से होकर बाथरूम की ओर बढ़ रहा था वो ठीक वही समय था जब दोनो बाप बेटे एक साथ मुठ्ठी मार कर झड़ कर सुस्ता रहे थे और कमरे का दरवाजा ऐसे भीडका हुआ था कि गलियारे से गुजरने वाले को यही दिखेगा कि कमरे में कोई नही है ।
मदन को भी वही भ्रम हुआ उसे जाते वक्त यही लगा कि कमरे में कोई नही है और सब कुछ एकदम शांत था , मदन जल्दी से बाथरूम में फ्रेश हुआ और हाथ धूल कर वापस आ रहा था तो उसको उसका रूमाल नही मिल रहा था , उसे यकीनन अंदाजा हुआ जरूर ऊपर बहु के कमरे पास ब्रा निकालते हुए गिरा होगा ।
उसने गीले हाथो से ही ममता की ब्रा को जेब से निकाला और आधे खुले दरवाजे से भीतर बिस्तर की ओर उसे झटक दिया और तेज कदमों से आगे बढ़ा
दरवाजे से उड़ती हुई ब्रा बिस्तर के पावे से टकरा कर जमीन पर गिरी और दोनो बाप बेटे हडबडा कर अपना कपड़ा सही करते हुए उठ खड़े हुए मुरारी ने लपक कर वो ब्रा उठाई और तेजी से दरवाजा खोल कर गलियारे से हाल में झांका तो देखा मदन हाल के सोफे पर बैठ कर सुस्ताते हुए स्टैंड फैन की हवा खा रहा है ।
मुरारी को समझते देर नहीं लगी कि ये हरकत किसकी है और वो गुस्से से लाल हो गया ।

अमन - क्या हुआ पापा कौन था ।
मुरारी - और कौन होगा , तेरा चाचा था ।

अमन को अपने पापा के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था उसने अपने बाप को बोतल से पानी दिया और शांत होकर - क्या बात है पापा आप नाराज क्यों हो गए

मुरारी - तुझे एक राज की बात बताता हु सुन
फिर मुरारी ने अमन को संगीता और मुरारी के बीच की बातें बताई - क्या सच में बुआ और चाचा आपस में ।

मुरारी - और उसका ठरक रुकने वाला नही है , अब देख तेरी मां की ब्रा लेकर न जाने बाथरूम में क्या क्या नाश किया होगा कमीने ने हुह्ह

अमन हंसता हुआ - अब जब उनकी शादी नही करवाई आपने तो ये सब होना ही था ना , कबतक कोई खुद को रोक पाएगा पापा और फिर मां की मटकती गाड़ और बड़े बड़े चूचे किसी को भी आकर्षित कर देंगे ।

मुरारी - अरे जिससे वो शादी करना चाहता था उसके बाप ने उस लड़की की शादी कही और कर दी , तो इसने जीवन भर कुंवारा रहने का फैसला कर लिया

अमन - और वो लड़की ,मतलब चाचा की गर्लफ्रेएंड उसने खुशी खुशी कर ली शादी ?

मुरारी - नही बेटा , बाप की मजबूरी बेटियां ही समझती है उसने मजबूरी में शादी कर तो ली मगर कुछ साल पहले उसका पति एक बस दुर्घटना में चल बसा ।

अमन - आपको कैसे पता
मुरारी - कुछ महीने पहले बड़े शहर में एक बार उससे मिलना हुआ था और उसने सारी कहानी बताई , दुख की बात है कि उसकी कोई औलाद भी नही है और वंश आगे न बढ़ाने उसपे से पति के मरने का दोष देकर बेचारी के ससुराल वालो ने ही उसे घर से बेघर कर दिया है

अमन - और चाचा को इस बारे में पता है
मुरारी - नही , उसने मना किया था कि वो इनसब का जिक्र मदन से ना करे ।
अमन - पापा आपको नही लगता कि अब चाचा को उनका प्यार लौटा देना चाहिए, इन दोनो की शादी करा देना चाहिए और उससे उनकी प्रेमिका का भी दुख दूर हो जाएगा । शायद इससे चाचा की हरकते भी सुधर जाए ।

अमन की बातें सुनकर कर मुरारी - हा बेटा मैं भी उसकी शादी के लिए सोच रहा था और तेरी मां ने संगीता की छोटी ननद का प्रस्ताव भी रखा था मगर तेरी शादी के उलझन में मैने इसपे ध्यान नहीं दिया ।

अमन - तो पापा आंटी जी को खोज निकालो और हमसब चाचू को शादी के लिए मना लेंगे

मुरारी हंसता हुआ - तूने तो मेरी सारी उलझन ही सुलझा दी, अब जबतक तू हनीमून से वापस आएगा मैं तेरी चाची खोज निकालूंगा ।

अमन - ठीक है पापा , वैसे आपको अजीब नही लग रहा है हनीमून पर साली को ले जाना हिहिहिही

मुरारी - अरे तेरी किस्मत बुलंद है कि निशा जैसी मस्त खूबसूरत साली मिली है , मौका मिले तो उसके साथ भी हिहिहिही

अमन हंसता हुआ - पापा आप भी कम नहीं हो , वैसे एक बात पूछूं, क्या आपने कभी मां के अलावा किसी के साथ ?

मुरारी उसके गाल खींचता हुआ - सारी बातें आज ही उगलवा लेगा उम्मम्म, जा अब अपने हनीमून की तैयारी कर और वापस आकर सारे किस्से सुनूंगा तुझे

अमन - क्यों नहीं पापा हिहिहिही थैंक यू
मुरारी - थैंक यू किसलिए भाई ?
अमन - मेरी दोस्ती एक्सेप्ट करने के लिए
मुरारी हंसता हुआ उसके कंधे पर हाथ रख कर अपनी ओर खींच लेता है ।

जल्द ही शाम ढलती है और फिर रात के खाने के बाद ममता रागिनी को लेकर अपने कमरे में सोने चली जाती है देर रात तक उनकी मस्तियां हसीं ठिठौली चलती है
वही मुरारी रंगी के साथ गेस्ट रूम में सो जाता , घर में रोज के जैसे ही मौहौल होता है । अमन आज दुगने जोश से सोनल की चुदाई करता है और वो भी सो जाता है ।
एक ओर जहां अनुज राज मिल कर पूरी रात शिला और रज्जो की छेद बदल बदल कर ठुकाई करते है तो दूसरी ओर राहुल एक घर में राहुल और अरुण ने दिन में चुदाई का कोटा पूरा कर सो चुके थे मगर जांगीलाल के कमरे की बत्ती देर रात तक जलती रही ।
आज की रात बदलाव की रात थी एक दूसरे से राज साझा करने की रात थी । अपने पति के प्यार के आगे शालिनी ने बड़े लाज ने निशा के सामने ही कमलनाथ से चुदने वाली बात स्वीकार कर ली तो बदले में जांगीलाल ने भी ईमानदारी दिखा कर रज्जो को चोदने का मामला साझा कर दिया ।निशा ने भी उसकी और राहुल की मिस्ट्री की सारी हिस्ट्री खोल कर अपने मम्मी पापा के आगे रख दी ।
फिर दो राउंड धमाकेदार चुदाई हुई और तीनो बाप बेटी मां एक फैमिली गैंगबेंग वाली चुदाई का सपना देखते हुए सो गए ।



अगली सुबह ......

अगली सुबह विदाई दुखद समाचार के साथ कुछ नए सफर का आगाज भी लिए खड़ी थी ।
मुरारी के यहां से रंगी और ममता ने विदाई ली और घर चले गए । उनके जाने के बाद संगीता और दुलारी भी उसी रोज अपने अपने घर के लिए निकल गए ।
इधर राज के घर से रज्जो शिला और अरुण की विदाई थी , रागिनी ने भी आंसू बहा कर सबको विदा किया ।
रज्जो शिला के साथ एक नए रोमांचक सफर के लिए निकल चुकी थी ।
राहुल के घर आज से चुदाई का एक नया अध्याय शुरू होने वाला था ।
तो वही शादी की जिम्मेदारियों मुफ्त होकर रंगी ने भी कुछ रोज की छुट्टी की इच्छा जाहिर की और कुछ रोज बाद इधर जब अमन सोनल और निशा के साथ हनीमून के निकला तो रंगी भी उसके बाद ही अपने ससुर से किया वादा पूरा करने के लिए दुकान की सारी जिम्मेदारी राज को सौप दी और खुद ससुराल निकल गया घुमने के लिए।

अनुज के बोर्ड होने वाले थे तो उस की पढ़ाई जरूरी थी ,मगर अब वो पहले वाला अनुज नही था । सोनल की शादी में अनुज बदल सा गया था अगले रोज से अनुज का कॉलेज का सफर भी शुरू हो गया था ।
वही मुरारी भी अपने बेटे से किया वादा निभाते हुए अपने भाई की प्रेमिका की तलाश में जुट गया ।


अब आगे ना जाने किसको कैसे अनुभव होने वाले थे मगर ये तय है कि आने वाला हर सफर हर एक रास्ता सबको नए सुहाने कामुक सपने जरुर दिखाएगा , कुछ हकीकत भी होंगी तो कुछ फसाने भी होंगे ।
मगर आपके लिए एंटरटेनमेंट ही एंटरटेनमेंट रहेगा इस कहानी में ।



सपना या हकीकत
अध्याय : 01

समाप्त


Excellent update bro waiting for next amazing update full of family
 

rrakesh262

New Member
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Bhai chapter 2 kab se start kar rahe hai
HAPPY 3RD ANNIVERSARY
🎉🎊:celebconf:🎊🎉

सभी पाठकों को बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद
आपके प्यार और स्नेह की बदौलत
आज इस कहानी को ना सिर्फ
3 साल पूरे हुए
बल्कि 60 लाख व्यूज भी हो रहे है ।
कहानी पहले ही हजार पेज की रेस मे दौड़ रही है

आप सभी का आभार एक ऐसी कहानी को प्रेम देने के लिए जहा मेरे जैसे अड़ियल मिजाज वाले लेखक की मनमानी ही आपको पढने और सुनने को मिलती है ।
बिना किसी पोल और ओपेनियन लिये आप पाठक फिर भी कहानी से जुड़े है उसके लिए मै ऋणी रहूंगा


एक बार फिर से धन्यवाद 🙏
 
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