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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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प्यारे दुलारे मुठ्ठलबाज मित्रों
आ गया !!! आ गया !!! आ गया !!!
हिलाने का सीजन 02 आ गया !!! :D

खुद भी हिलाइए और दोस्तों को भी बुलाइए
बहुत ही जल्द शुरू होने वाला है इस कहानी का सीजन 02

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COMING SOON :jerker:

 
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Mazedaar update sor for belated bhai sarkari kaam
Me byast 🤓 aap hum dono hi jante h ragini anuj is what i am waiting for is update me murari ka sonal wala scene mst tha
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Mazedaar update sor for belated bhai sarkari kaam
Me byast 🤓 aap hum dono hi jante h ragini anuj is what i am waiting for is update me murari ka sonal wala scene mst tha
Thank you bhai
 
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UPDATE 69


मै अपना बैग लेके सुबह 9 बजे घर पहुचा तो दुकान मे अनुज बैठा हुआ था

अनुज - नमस्ते भैया
मै मुस्कुरा कर - क्या भाई क्या हाल है छोटे

अनुज - ठीक हू भैया
मै - आज स्कूल नही गया
अनुज - भैया स्कूल तो एक हफ्ते के लिये बन्द है
तीन दिन बाद होली है ना

मै हस कर ओहो फिर तो मौज ही होगे आपके जनाब
अनुज शर्मा कर - कहा मौज मेरे तो कोई दोस्त ही नही है
मै - मै हू ना , वैसे मा कहा है

अनुज - वो छत पर गयी है नहाने
मै - ठीक है मै जरा अपना सामान रख लू
फिर मै छत पर आया तो किचन मे बर्तन की ख्त्पट सुनाई दे रही थी

मै बेडरूम मे अपना बैग सोफे पर रखा और घुमा ही था की सामने से दीदी एक मैकसी पहने अपने भिगे बालो को खोलते हुए कमरे मे आ गई ।

वो शायद अभी नहा कर आई थी
मुझे देख्ते ही वो खुशी से उछल कर मेरे बाहो मे आ गई
मै उसे गले लगाते हुए कहा- मुझे याद किया मेरी जान

दीदी - बहुत ज्यादा भाई
मै उसको साइड कर झट से दरवाजा बंद कर उसके होठो को चूसने लगा और उसके बदन को मसलने लगा ।

उसके बदन को छुने पर पता चला कि उसने अनदर कुछ नही पहने जिससे और उत्तेजित कर उसके चुतडो को मसलने लगा ।

हम दोनो एक दूसरे के लिए बहुत ही ज्यादा तडप रहे थे और मुझ्से रहा नही गया और मै सब कुछ जल्दी मे कर लेना चाहता था तो
मैने दीदी की चुत को भी सामने से हाथ लगा कर रगड़ना शुरु कर दिया जिससे सोनल मेरे होठो को और जोर से चुसने लगी ।


मै झट से उसको बिस्तर पर लिटा कर एक झटके मव उसकी मैक्सी को कमर तक चढा दिया और वो मदहोश होकर तेज सांसे लेते हुए मेरी हरकतो को देखने लगी
मेरे अन्दर हवस हावी हो चुका था और मैने झुक कर दो तीन बार उसकी गोरी मास्ल जांघो को चूमा और दीदी की झाटो से भरी चुत मे मुह लगा दिया और लपालप चाटना शुरू कर दिया
मेरे जीभ को अपनी चुत पर रेगता पाकर सोनल उछल पड़ी और इधर उधर पैर मारने लगी

मै उसकी जांघो को थाम कर उसके चुत मे दाने को झाटो सहित मुह मे चूब्लाने लगा

सोनल मुह पर हाथ रखे जल बीन मछली जैसे फड़फडाती रही , उसने अपने कन्धे झटकने शुरू कर दिये और कमर उचकाने लगी थी
उसकी चुत के होठ के दाने की फड़कन मेरे होठो को पता चल रही थी । जिसे मै अपने उपरी होठ के फलक से टच कर रहा था ।

और कुछ ही देर मे मुह पर उसकी चुत ने पिचकारी छोडनी शुरू की और 10 12 बार सोनल अपनी कमर को झटका देते हुए मेरे मुह पर झड़ कर चित पड़ गयी और हल्की सिस्किया लेने लगी ।

वही मै उसकी चुत को अच्छे से चाट कर मस्त हो गया ।
लेकिन मेरा लण्ड अभी भी खड़ा था और सोनल उस हाल मे नही दिख रही थी कि मेरे लण्ड को शांत कर पाये क्योकि ये उसका पहला स्खलन था ।

वैसे पड़े पडे कोमल थक कर सो गयी और मैने उसकी मैक्सि को ठीक किया और अपना लण्ड सेट करके बाहर आया तो देखा किचन मे कोई नही था फिर मै छत पर गया तो बाथरूम से मा के नहाने का पता चला ।

मै मा को दुपहर मे भोगने का सोच कर हाथ मुह धुल के दुकान मे किनारे बैठ गया औए मोबाईल चलाने लगा ।
दुकान मे अनुज अब भी मेन गद्दी पर था ।


कुछ समय बिता ही था कि एक लडकी दुकान मे कुछ सामान लेने आई और अनुज उससे बाते करते हुए शर्मा रहा था । वही उस लडकी की बात से लग रहा था कि वो अनुज को जानती हो ।

तभी उसने अनुज को अंडरगार्मेट दिखाने को बोले तो वो मुझे आवाज दिया

मै भी उसके पास पहुचा

मै - हा क्या हुआ अनुज
अनुज - भैया आप लाली को सामान दिखा दो मै पानी पीके आता हू

मै समझ गया कि वो शर्मा रहा था
फिर वो उपर चला गया
मै - ये तुम्हारे साथ ही पढता है क्या लाली
लाली - जी भैया , बहुत मुहदब्बू है किसी से कुछ बोलता ही नही और शर्माता ऐसे है कि दुल्हन हो हिहिहिही

मै हस कर - अच्छा कोई बात नही तब क्या दू तुम्हे
लाली - भैया मुझे एक 30 नं की ब्रा देदो और फुल वाली पैंटी दिखा दो

मै उसका मज़ा लेते हुए - मै थोडी ना पहनता हुआ फुल वाली पैंटी जो दिखा दू हिहिही
लाली हस कर शर्माते हुए - धत्त भैया वो मै कह रही थी कि मेरे लिए 32 नं का दिखाओ

मै लाली के साइज़ जानकर आश्चर्य हुआ की इस उम्र मे ही उसके अंग खिल चुके थे और कैफ्री मे उसके गोल मुलायम चुतडो के उभार देख कर मुझे मामा की लड्की गिता की याद आ गई ।

फिर मैने उसे ब्रा पैंटी दिखाई लेकिन मेरे पास 30 की ब्रा न्ही थी

मै - लाली मेरे पास 30 की ब्रा नही है 32 देदू
लाली - नही भैया वो ढिला होगा ना मुझे

मै उसके चुचे निहार कर - नही लाली हो जायेगा
लाली शर्मा के - बक्क नही होता है भैया मैने मेरे दीदी का ट्राई किया था

मै - ओहह फिर ये न्यू फ्री साइज़ वाला लेलो ये स्ट्रेच वाला कपदा है कोई भी पहन सकता है घर मे

लाली मुस्कुरा कर - ठीक है भैया देदो
मै लाली को समझ गया था कि वो एक अच्छी और फ़िकरमन्द लड्की है और शायद मेरे अनुज से इसकी दोस्ती हुई तो वो उसे थोडा मोटीवेशन देके समझा बुझा सकती है । क्योकि समय के साथ अनुज को समाज से मिलना जुलना भी जरुरी था और मैं तय कर लिया कि जल्द ही अनुज से फिर बात करूँगा ।

फिर वो चली गयी और मै अपने काम मे लग गया
दोपहर के खाने के बाद मा और मैने विमला के यहा की बातो पर चर्चा की और मौका देख कर मैने मा को पीछे के कमरे मे जाने का इशारा किया ।

मा मुस्करा कर - नही पागल त्योहार का समय है और ग्राहक आते जा रहे है ।
मै मुह बना कर - क्या मा वैसे ही 3 4 दिन आपसे दुर रहा हू आपको मन नही होता

मा परेशान होकर- मेरा भी बहुत मन है बेटा लेकिन अभी समझ तू

तभी दुकान पर ग्राहक आ गये
मै समझ गया कि यहा कुछ हाथ आने वाला है नही तो थोडा देर सर खपाने के बाद याद आया क्यू ना थोडा सब्बो के यहा घूम आऊ ।

मै खुश हुआ और निकल गया सब्बो के मुहल्ले मे
टहलते हुए उसके घर गया तो वहा उसकी मा रुबीना मिली

मै - और काकी कैसी हो

रुबिना हस कर - अरे छोटे सेठ आप, कहा दर्शन दे दिये मालिक

मै रुबिना से मस्ती भरे अंदाज ने लण्ड को पैंट के उपर से सहलाते हुए - दर्शन देने नही करने आया हू काकी

रुबीना - बेटा सब्बो तो सोनू को लिवा कर बडे शहर गयी है कुछ दवा लेना था ।

मै अचरज से - क्या हुआ काकी सब ठीक है ना
रुबीना - अब आपसे क्या छूपाना छोटे सेठ , दरअसल बात ये है कि सब्बो के जांघ मे खुजली हो रही है जिससे धंधे मे दिक्कत हो रही है और आप तो जान्ते हो ये बडे सेठो के नखरे

मै - अरे ये सब तो नोर्मल है गर्मी का दिन आ रहा है ना काकी तो उतना होता रहता है
रुबीना - हा छोटे सेठ
मै एक कातिल मुस्कान से - तब काकी कुछ होगा की सुखा सुखा जाना पडेगा

रुबीना मेरे लण्ड को पैंट के उपर से सहलाते हुए - कभी ऐसा हुआ है क्या छोटे सेठ

मै रुबीना की मोटी चुचियो को सूत के उपर से मस्ल्ते हुए - तो चलो ना कमरे मे काकी और रहा नही जाता

रुबीना मेरे लण्ड को निचे से पकड कर कमरे की तरफ ले जाने लगी और उसकी 44 की हैवी थिरकते गाड़ देख कर उत्तेजित होने लगा

रुबिना - लग रहा है बहुत ज्यादा ही फड़क रहा है ये छोटे सेठ

मै - तुम्हारी तरबूज जैसी भारी गाड़ देखकर इससे रहा नही जा रहा है

रुबीना कमरे मे जाकर तो आजाद कर दो ना उसको
मै - अब ये भी मै ही करू हा

रुबीना एक कातिल मुस्कान के साथ मेरे कदमो मे झुकने लगी ।

मै उसे रोकते हुए - ऐसे नही
मै यहा बैठ रहा हू तुम सारे कपडे निकालो आज तुम्हारी जवानी का एक एक गदराया हिस्सा देखना की क्या सच मे तुम्हारे बारे मे जो सुना है वो सही है ।


रुबिना एक कातिल मुस्कान से थोडा पीछे हत कर खड़ी हो गयी और मै वही उसके सामने एक सोफे पर बैठ कर पैंट के उपर से लण्ड सहलाने लगा

वही रुबीना के पहले मेरे सामने झुक कर अपने 40 साइज़ के हैवी चुचो को हाथो मे लेके सूत के उपर से ही पकड कर उनकी घाटी और गहरा करते हुए मुझे दिखाया और वापस से सूत को निकाल दिया
सूत निकलते ही ब्रा मे कैद उसके चुचे बाहर की तरफ फैल गये ।
मै अपनी जुबान से होठ को गिला करता हुआ रुबीना को आगे बढ़ने का इशारा करता हू और वो मेरी तरफ घूम के अपने भारी भरकम चुतडो को बाहर निकाल कर सल्वार का नाड़ा खोल देती है जिससे उसकी मोटे मोटे तरबूज जैसे चुतडो के पाटे नंगे होकर एक काली पैंटी मे दिखने लगते है ।

उसकी जांघो के पास के हल्के काले और भूरे धब्बे उसकी गाड़ के गोरेपन को और निखार रहे थे ।

उसकी रसभरी चर्बीदार गाड़ देख कर मै थूक गटकने लगा और वो घुमकर थिरकते हुए मेरे पास आई और मेरा टीशर्ट निकाला और मेरे सामने रुबिना के गोरे मुलायम चुचो की घाटी हिलती हुई नजर आई और मैने उसको लपक कर कमर मे हाथ डाल कर उसके एक मोटे चुचे को पकड कर काटने लगा ।

रुबिना के अंडरआर्म से किसी नशीले अत्र की खुस्बु आ रही थी और मै मादकता मे आकर उसको ऊचे उठे कूल्हो को सहलाने लगा और उसको चुचियो को बेहिसाब काटने लगा ।

रुबीना मेरे बालो को सहलाते हुए सिसकिया लेने लगी
रुबीना के बदन की खुशबू और उसके उठे हुए मुलायम कुल्हे मुझे गजब का सुख दे रहे थे।
वही रुबीना मेरा सर पकड कर अपने चुचो की घाटी मे दरना चालू कर दी । मै उसके चुतडो के पाट फैलाना शुरु कर दिया।
जल्द ही रुबीना मेरे जांघो पर बैठ कर अपनी चुत के निचले हिस्से को मेरे लंड के उपर रगड़ना शुरु कर दी और साइड से अपने ब्रा के स्ट्रिप निकाल कर चुचो को आजाद कर दिया ।
मै रुबीना के भारी चुचो मे से एक को दोनो हाथो से पकड कर उसका बडे काले घेरे वाला निप्प्ल अपने सामने कर मुह मे भर लेता हू ।
मून्क्के से भी ब्ड़ी घुंडीयो वाली रुबीना के निप्प्ल बहुत मुलायम थे और मेरे गुलाबी खुरदुरे जीभ ने उसकी दानेदार निप्प्ल पर अपनी धार लगाना चालू कर दी ।
रुबीना - ओह्ह्ह सेठ क्या करते हो उम्म्ंम्ंं छिल जायेगा मेरा दूध अह्ह्ह्ं मा इस्स्स्स
रुबीना जोश मे आकर अपने चुतड के गद्देदार पाटो को सख्त कर और भी ज्यादा मादकता से मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी । जिससे पैंट मे कैद मेरे लण्ड दर्द सुरु होने लगा और मै उनको आजाद करना चाहता था ।


कुछ देर तक रुबीना के चुचो से खेलने के बाद मै उसे निचे जाने को बोलतो वो मुस्कुरा कर मुझसे हट हाती है और मै एक गहरी सास लेके खुद की ठीक करता हू ।
वही रुबीना घुटनो के बल आकर मेरे पैंट खोलकर उसे पुरा बाहर निकाल देती है और उसकी नजर जब मेरे मोटे तने हुए लन्द पर जाती है तो

रुबीना लंड को बिच से पकड कर उसकी चमडी को उपर निचे करते हुए - अरे वाह सेठ ये तो पिछ्ली बार से काफी मोटा दिख रहा है

वही मै रुबीना के हाथो का स्पर्श पाकर और उत्तेजित होने लगा और रुबीना का सर पकड कर सीधा सुपाडे पर ले गया और वो मुह खोल्के उसे गले तक घोट गयी ।
मै कमर उचका कर थोडी देर तक उसे गले की घंटी पर अपना सुपाडा रगड़ता रहा और वो गुउउउऊ गुउऊ करके मेरे लण्ड पर लार के ढेर छोडती रही जब रुबीना को बरदास्त न हुआ तो अपना सर पीछे लेते हुए ढेर सारा थूक मेरे सुपाडे पर छोड कर म्लने लगी ।
उसके मुलायम हाथो ने मेरे लण्ड को कसना शुरू किया और वापस चमडी को निचे ले जाकर रुबीना मे मेरे सुपाडे को मुह मे भर लिया और जीभ से मेरे लण्ड के सुराख मे हलचल करने लगी ।
मै रुबीना के अंदाज से मज़े मे आ गया और सिसिक्ते हुए बोला - ओह्ह्ह काकी इतना मस्त लण्ड चूसना कब सिखा इह्ह्ह बहुत ही मज़ा है अह्ह्ह

रुबीना लण्ड को मुह से निकाल कर - सबका कोई ना कोई गुरू होता है सेठ
मै थोडा रौब दिखा कर - तो क्या अपनी मा से सिख कर आई है सालि बता ना अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ और घुमा जीभ सुपाडे पर आह्ह मज़ा आ रहा है काकी उह्ह्ह

रुबिना - वो मै नही बता सकती तुमको मागता है तो करवाओ

मै समझ गया कि ये ऐसे नही मानेगी इसको पहले अपने कन्ट्रोल मे लेना पडेगा

मै उसका चेहरा उठा के उसे बिस्तर पर जाने को बोला
वो मुस्कुरा कर बिस्तर पर बैथ गयी और मै खड़ा होकर उसके सामने आया और उसे लिटा दिया ।
रुबिना ने अपनी जान्घे खोल दी और मैने पहले अपना लण्ड उसकी मुलायम जांघो मे रगड़ना शुरु किया और दुसरे हाथ से उसकी चुत को सहलाते हुए उसको उत्तेजित करने लगा ।

जल्द ही रुबिना अपनी पाव सी फुली हुई चुत पर मेरे हाथो के स्पर्श से गनगना गयी और कसमसाने लगी ।
वही मै अपना लण्ड अब रुबीना के चुत पर रख कर निचे गाड़ की तरफ रगड़ना शुरु किया जिससे रुबीना के भोस्दे पर मेरा पुरा लंड पैंटी के उपर से रगड़ खाने लगा ।
वही रुबिना मेरे अंदाज से मदहोश होकर अपनी मोती चुचिया खुद मुह मे लेके चूसने लगी ।
फिर मै निचे बैठ गया और दो तीन बार रुबिना के भोसड़े पर चपत लगा कर उसके चुत के दाने वाले हिस्से पे पैन्ती के उपर से ही हथेली लगा कर मिज्ना शुरु कर किया जिससे रुबीना सिसिकते हुए गाड़ पटकने लगी ।

एक बार मैने रुबिना के चुत को सूंघ और पैंटी के उपर से ही उसकी चुत को काटने लगा
और अपना मुह उसके जांघो और चुत के उपर रगड़ने लगा ।
रुबिना ने मेरे सर को पकड कर अपनी चुत मे दबाना शुरु कर दी
फिर मैने उसकी पैंटी निकाल दी जिसकी अन्दर की तरफ चुत के हिस्से वाले कपड़े पर उसके भोस्दे का सफेद पानी का दाग लगा था

मै एक बार हल्के हाथो से उसकी चीकानी बारीक झाटो वाली चुत पर हाथ फेरते हुए बोला - आह्ह काकी क्या मस्त चीकना किया है अपने भोस्दे को उम्म्ंम्ं

और जीभ लगा कर सटासट चात्ना शुरु कर दिया
रुबिना - अह्ह्ह आह्ह मा उफ्फ्फ हय्य मर गई रे अह्ह्ह सेठ उफ्फ्फ और चाट लो सेठ अह्ह्ह मा और और

मै थोडी देर चुत चाटने के बाद रुबिना के बगल मे आकर लेट गय और उसको मोटे होठो को चुस्ते हुए उसके मुह उसकी चुत का स्वाद दे दिया ।
फिर वापस उसके एक चुचे को मुह मे लेके उसकी फौलादी भारी जांघो को खोलकर चुत के दाने और उपर की चमडी को तेजी से सहलाने लगा ।
रुबिना मेरे दोहरे अटैक से झनझना गयी और मदहोशि मे पागल होने लगी ।

मै उस्के कान मे जाकर - कहो तो लण्ड घुसेड़ दू काकी आपकी भतीयान मे
रुबीना तडप भरे शब्दो मे - हा सेठ डाल दो ना
मै मुस्कुर उसके उपर जा जाता हू और अपना लण्ड उसके चुत पर लगाने लगा और उसकी चुचियो को दोनो हाथो से मिजने लगा ।

रुबीना - आह्ह सेठ रहम करो चोद दो मुझे अजज तक इत्ना गर्म नही हुई मै आह्ह हय्य मा

मै उसकी तपते चुत मे लण्ड के सुपाडे को घुसाते हुए बोला - पहले मै जो पुछा वो बताओ कहा से सिखा ये लण्ड चूसना काकी

रुबिना मेरे गर्म मोटे सुपाडे को उसकी चुत की दिवारो मे घिसता मह्सूस पाकर के अपनी गाड़ उचका कर और गहराई मे लेना चाह रही थी ।

मै हस कर - ना ना पहले बताओ तभी आगे जायेगा काकी

रुबिना - मै अपने ग्राहको के बारे मे नही बता सकती सेठ समझो और मुझ पे रहम करो

मै उसकी चुत मे पुरा लण्ड उतार कर 10 12 बहुत तेजी से शुरुवाती धक्के लगा कर रुक जाता हू
रुबीना हाफते हुए हस रही थी - अह्ह्ह सेठ रोक क्यू दिया करो ना बहुत मज़ा आ रहा है ओह्जहह सेठ मै मान जाओ ना

मै मुस्कुरा - ऐसे चूदवाना है तो बताओ ना कहा से सिखा , वादा है मै किसी को नही कहूंगा

और एक बार फिर 8 10 धक्के तेजी से रुबीना के चुत मे मार कर रुक गया जिससे रुबीना हिल गयी

रुबिना अब बोलने को तैयार हो रही थी तो मैने अब हल्का हल्का मदकता से भरे ध्क्के लगाते हुए बोला - बताओ ना काकी

रुबिना नशे मे - वो मैने ये सब ठकुराईन से सिखा है सेठ अह्ह्ह

मै एक जोर का धक्का रुबिना के चुत मे डाल कर - पुरा बताओ ना

रुबीना सिहरते हुए - मै काफी समय से संजीव ठाकुर के यहा जाती रही हू और कभी कभी उनकी पत्नी के साथ मिल कर ठाकुर साहब को खुश किया है उसी दौरान उन्होने मुझे सिखाया ।

मै उसके जवाब से खुश हो गया था ।
और उसकी जांघो को अपने कंधो पर लाकर लण्ड को उसके चुत मे गहराई मे ले जाते हुए लम्बे लम्बे धक्के लगाने लगा ।

रुबिना आंखे और गला फाडे सिस्कने लगी ।

मै - तब तो ठकुराइन एक नं की चुद्क्क्ड होगी काकी

रुबीना मेरे तेज धक्को को सम्भाते हुए कांख के जवाब देती है - अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं हा सेठ ठकुराइन बहुत गरम औरत है और वो तो बडे ठाकुर ( राजीव ठाकुर) से भी चुदवाति है

मै रुबीना के चुत से लण्ड निकाल कर उसको कुतिया बनने का इशारा किया और वो एक कातिल हसी के साथ अपने गाड़ को फैला कर कुतिया बन गयी और उसकी चर्बीदार गाद को सह्लाते हुए वाप्स से लण्ड उसकी चुत मे उतार दिया और कूल्हो को पकड कर पहले से भी तेज गति से चोदने लगा ।

मै उसकी गाड़ के भुरे मोटे सुराख को देख कर ललचा रहा था और मैं उसके गाड़ की सुराख मे अपने थुक से गिला करना शुरु कर दिया

और धीरे धीरे कमर चलाते हुए अपना बाया अंगथा उसके गाड़ के मोटे होल मे घुसा दिया जो बड़ी आसानी से अन्दर चला गया ।

अब चुत के साथ साथ मैने रुबिना की गाड़ मे भी मेरे अंगूठे को अन्दर ले रही थी

मुझ्से रहा नही गया रुबीना तो झड़ चुकी थी और मेरा लण्ड उसकी गाड़ का सुराख देख कर और कडक हुए जा रहा था
मै झट से उसकी चुत से अपना गिला लण्ड निकाला और उसकी गड़ से अंगूठा निकाल कर लण्ड को घुसेड़ दिया

रुबिना चिख्ते हुए - ऐईईई मा उफ्फ्फ्फ सेठ क्या किया हे हुय्य्य्य मर गई अह्ह्ह

मै उसके कूल्हो को थाम कर उसके लचकते चुतडो पर हाथ फेरते हुए एक जोर का धक्का देकर उसकी गाड़ मे जड़ तक लण्ड को उतार दिया और उसकी मुलायम गाड़ के पात मेरे जांघो मे फैल गये ।

मै वाप्स से लण्ड को खिच कर सटास्त उसकी खुली गाड़ मे पेलना शुरु किया
रुबीना - अह्ह्ह्ह सेठ और और चोदो मेरी गाड़ औउउउर्र्र आह्ह बहुत जोरदार चोदते हो अह्ह्ज मा उफ्फ़फ्च मज़ा रहा है

मै रुबिना के बातो से बहुत उतेजीत हो गय था और पहले से तेज धक्के लगाने ल्गा जिस्से उसके गद्देदार गाड़ के मुलायम पात मेरी जांघो को उछाल देते और वाप्स रुबीना की गाड़ मे उतरने का म्ज़ा दुगना होने लगा
जल्द ही मैने झडने के करीब था और मेरा सुपाड़ा उसकी गाड़ मे फुलने लगा और रुबीना भी निचे हाथ ले जाकर अपनी गाड़ मेरे लण्ड पर फेकते हुए चुत के दाने को मसलते हुए चिल्ला रही थी ।

मै चरम पर था और आखिरी धक्को के साथ के लण्ड को गाड़ की जड़ो मे ले जाकर रोक दिया और अन्दर ही मेरा लण्ड झटके खाते हुए झडने लगा ।
मुझे परमानंद की प्राप्ति हो गयी थी और मेरे चेहरे पर एक सुखद मुस्कान थी वही रुबिना अपनी चुत रगड़ के दुबारा झड़ चुकी थी और पेट के बल बिस्तर पर लेती थी और मै उसके उपर निढ़ाल हुए सो गया ।

थोडी देर बाद सांसे बराबर हुई और मै वहा से निकल गया ।
मै उस गली से गुजर रहा था कि पीछे से मेरी चाची की आवाज आई और जब मेरी नजर उनसे मिली तो मेरी सिटीपिटी घूम हो गयी ।

देखते है दोस्तो आगे क्या नया हंगामा होने वाला है
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे ।

अपडेट देरि के लिए सॉरी दोस्तो
बदलते मौसम ने तबीयत खराब कर दी है
तो अपडेट लिख न्ही पाया था ।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 70





चाची की आवाज सुन कर मेरी तो फट कर हाथ मे आ गई थी ।
मै उनकी तरफ घुमा और वो तब तक तेजी से चलते हुए मेरे पास आई उन्के हाथ मे एक राशन वाला झोला था ।

मै थोडा खुद को स्म्भालने की कोसिस कर रहा था
चाची - अरे राज बेटा तू यहा
मै घबडाहट मे - वो वो चाची मै वो ऐसे ही आया था

चाची मुस्कुराते हुए - हम्म्म मुझसे भी झूठ बोलेगा अब तू

मै अंजान होने का नाटक करते हुए- मै समझा नही चाची
चाची हस्ते हुए - ले ये झोला पकड और घर तक चल बताती हू मै
फिर मै चाची के हाथ से राशन का झोला ले लिया और उनके साथ चलने लगा

चाची - मुझे नही पता था कि तू रुबीना के यहाँ जाता है

मै सुखे गले से थूक गटकने की कोसिस करता हुआ - हा वो थोडा दुकान का काम था ना पापा ने हिसाब लेने के लिए भेजा था तो

चाची मुस्कराकर -
अच्छा तो पूछू मै भाईसाहब से
चाची हाथ मे लिये मोबाईल को चलाते हुए बोली ।

मै सकपका गया - हालाकि मुझे डर नही था बाद मे मै पापा या मम्मी को समझा बुझा लेता लेकिन बात थी पापा के सम्मान की । शायद मेरी शिकायत से पापा को चाची के सामने शर्मिंदा होना पड़ता ।

मै घबडाहट मे कुछ बोल नही रहा था
चाची हस कर - चल नोर्मल हो जा नही लगा रही हू फोन , मै समझ सकती हू इस उम्र की भटकते मन को


मै चाची की बात सुन कर और उनकी समझदारी को ध्यान देते हुए उन्हे शुक्रिया कहा

चाची मुस्करा कर मुझे सम्झाने के भाव से - तेरी कोई दोस्त नही है क्या ,,, ऐसी जगह नही जाते बेटा कल को भगवान ना करे कोई बिमारी हो गयी तो

मै शर्म से सर निचे किये झोला लिये चल रहा था और चाची मुझे समझा रही थी ।

चाची - क्या सच मे तेरी कोई दोस्त नही है
मै मासूम बन कर रुआस भरे चेहरे से चाची की तरफ मुह करके ना मे सर हिलाया।

चाची बडे उदास मन से - ओफ्फ्फ हो , देख बेटा अब तू जवान हो गया है मानती हू कि तेरा मन अब वो सब करने का होता होगा लेकिन तू कुछ दिन इन्तजार कर , सोनल की शादी के बाद मै तेरे लिए एक खुबसूरत की हेरोइने के साथ तेरी शादी करवा दूँगी फिर तू जो चाहे करना हिहिहिहिही

चाची आखिरी के शब्दो तक आते आते हसने लगी ।
मै भी उनकी बाते सुन कर हस दिया और सोचा जब चाची को इत्नी फ़िकर है मेरी तो क्यू ना इसका थोडा अपने अंदाज मे मजा लिया जाय और इनके साथ थोडी मस्ती मजाक मे बाते आगे बढाई जाए

मै थोडा सीरियस होकर - लेकिन चाची मै ऐसे यहा नही आया था

चाची अचरज के भाव मे - फिर
मै संकोचवश - वो मै काफी दिन से परेशान था और वहा पर मेरे दर्द हो रहा था तो मेरे एक दोस्त ने बताया कि जब मै सेक्स करने लगूंगा तो दर्द कम हो जायेगा और वही मुझे यहा लिवा के भी आया था ।


चाची फ़िकरमन्द होकर - ओहो मेरा बच्चा कितना भोला है रे तू !!! लेकिन तुझे एक बार डॉ या घर मे मम्मी पापा से बात करनी चाहिए थी ना


मै मुह गिरा कर - मुझे शर्म आती है चाची तो कैसे बताता

चाची मुह पर हाथ रख कर हस कर मेरी भोलेपन से भरी बाते सुन रही थी ।
इतने मे चाची का घर आ गया और वो मुझे चुप रहने का इशारा की और हम फिर घर मे चले गये ।
मै सामान लेके कमरे मे गया तो निशा मिल गई और उसे देख मेरी चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो भी नजरे मटका कर मुस्कुरा रही थी ।

फिर चाची सामान लेके स्टोररूम मे चली गयी और मै वही खड़ा होकर उनके आने के इन्तजार मे था कि निशा मुझे खिच कर कमरे मे ले गयी और दरवाजा बंद कर दिया ।

मै उसको कुछ बोलता उससे पहले उसने अपने मुलायम होठो से मेरे मुह को बंद कर दिया और हम दोनो एक गहरे लिपलोक मे खो गये ।
जल्द ही वो मुझसे अलग हुई और मुस्कुरा कर अपने होठ पोछते हुए दरवाजा खोल दिया और इधर उधर की बाते करने लगी ।

तब तक चाची भी वापस आ गई और फिर हमने ढेर सारी बाते की ।
फिर चाची ने निशा को चाय ब्नाने को बोला।
और निशा किचन मे चली गयी ।

चाची - और बता बेटा घर पर सब ठीक है
मै - जी चाची और अब तो नया वाला घर भी बन गया है जल्द ही वही शिफ्ट होने का प्रोग्राम है ।


चाची खुश होते हुए - अरे वाह अब नये घर मे नयी बहू भी तो आनी चाहिए कब तक इधर उधर मुह मारेगा

मै शर्म से मुस्कुरा कर - क्या चाची आप भी , वो तो मै गलती से चला गया था वहा और कुछ किया भी नही

चाची मुह पर हाथ रखकर अचरज से - क्या !!! तू सच मे नही किया वो सब

मै ना मे सर हिला कर - नही चाची , वो मै गया तो सब्बो नही थी तो मै चला आया

चाची खुसफुसा कर मेरे कान मे हस्ते हुए बोली - क्यू सब्बो की मा तो थी ना हिहिहिही

मै शर्मा कर - भक्क कितनी बड़ी है वो मै कैसे संभाल पाता उनको

चाची हस कर - धत्त पागल कौन उसको तुझे लेके ढोना था अब अन्दर बाहर ही करना था ना

मै शर्मा कर - चुप रहो चाची मुझे शर्म आ रही है,, आपको नही पता मुझे अभी भी तकलीफ हो रही है

चाची मेरी तकलीफ के बारे सुन कर थोदा शांत हुई और बोली - ओह्ह्ह मेरा बच्चा ।

चाची खड़ी हुई और बोली - राज उठ बेटा
मै अचरज से खड़ा होता हुआ - क्या हुआ चाची
चाची - चल उपर चल मै बताती हू इसको आराम देने का तरीका बताती हू

मै खुश होने का दिखावा कर - सच चाची
चाची हा मे सर हिला कर मुस्कुरा कर हम्म्म्म बोलती है
फिर चाची किचन मे निशा को आवाज देती है कि वो मुझे छत पर लिवा जा रही है तबतक वो चाय के साथ कुछ नासट भी ब्ना ले ।

फिर मै और चाची उपर जाने लगे ।
सीढी पर मै चाची के साडी मे शेप लेते कूल्हो को देख कर उत्तेजित हो रहा था ।

मै - चाची क्या करने जा रहे है हम
चाची - चल बताती हू ना
फिर हम लोग उपर आये और चाची मुझे बाथरूम मे लिवा गयी ।

मै थोडा उत्सुकता से - यहा क्यू लाई हो चाची
चाची मुस्कुरा कर - तेरी तकलीफ दुर करने , चल बाहर निकाल उसे
चाची मेरे पैंट मे बने टेन्ट पर इशारा करते हुए बोली

मै झट से अपने लन्द के उभर पर हाथ रखते हुए - भक्क नही चाची मुझे शर्म आ रही है ।

चाची हस कर - चल चल निकाल अब ,,भूल गया बचपन मे बिना कच्छे से पुरे घर नंगा घूम रहा था

मै शर्मा कर - अब मै बड़ा हो गया हू ना चाची
चाची - अच्छा देखू फिर कितना बड़ा हुआ है चल निकाल अब

मै संकोचवश थोडा शर्माने की ऐक्टिंग कर अपना पैंट खोलने लगा हालांकि मुझे इस बात की बेहद की उत्तेजना हो रही थी कि मै चाची को अपना लण्ड दिखाऊँगा

मै जल्द ही पैंट को खोला और अंडरवियर को सरका कर अपना मुसल बाहर निकाल दिया ।

चाची थोडी अचरज से मेरे लण्ड को निहारते हुए - ओह्ह्ह ये तो काफी बड़ा हो गया है,,,हम्म्म वैसे कहा दर्द होता है बेटा

मै चाची के सामने अपने लण्ड की चमडी को सुपाडे के पीछे ले जाकर सुपाडे की टिप पर ऊँगली दिखा कर बोला - जब ये टाइट होता है तो पहले यहा होता है फिर धीरे धीरे इन सारे जगह पर होने लगता है ।


चाची मेरे लाल मोटे सुपाडे को देख कर एक गहरी सास लेते हुए - ओह्ह तू क्या करता है इसका दर्द कम करने के लिए

मै - वो मै इसकी चमडी आगे पीछे करके इसका पेसाब निकाल देता हू चाची ,,वो मेरा दोस्त बताया था । लेकिन

चाची अचरज से - लेकिन क्या बेटा

मै - वो एक बार निकालने के बाद भी ये छोटा नही होता और मेरा हाथ दर्द होने लगता है

चाची हस कर - हमम कोई बात नही आज मै इसका ऐसा इलाज करूंगी की इसको बहुत आराम मिलेगा

मै खुश होकर - क्या सच मे चाची
चाची मेरे कदमो मे आकर मेरे लण्ड को थामकर - हा बेटा

मै चाची के मुलायम हाथो का स्पर्श पाकर मै हिल गया और वही चाची मेरे सुपाडे की टिप पर एक हल्का सा चुम्बन करती है और देखते ही देखते मुह खोल्कर आधा लण्ड मुह मे भर लेती है ।

मै चाची के मुह का नर्म स्पर्श और गर्म अह्सास से और उत्तेजित हो गया जिससे मेरे लण्ड की नशे और तन गयी

मै सिहरते हुए - ओह्ह्ह चाची ये क्या कर रही हो बहुत आराम मिल रहा है

यहा चाची मेरे लण्ड को पकड कर मुह मे आगे पीछे करने और जल्द ही उनकी लार से मेरा लण्ड सन गया ।
और चाची मे मेरे लार से सने लण्ड को दोनो हाथ मे पकड कर सामने की तरफ आगे पीछे करते हुए अपने चेहरे पर एक कामुक भाव लाने लगी ।

मै धीरे धीरे झडने के करीब था और मेरे सुपाडा अब फुलने लगा था ।
मै - अह्ह्ह चाची मेरा पेसाब आने वाला है हट जाओ आगे से
चाची मुस्कुरा कर लण्ड हिलाते हुए - आने दे बेटा आने दे
और अपना मुह खोल कर मेरे पिचकारी छूटने का इंतजार करने लगी ।

मै ज्यादा कुछ बोलता उससे पहले ही मेरी पिचकारी छूट गई और चाची मे मुह और चेहरे पर धार जाने लगी


चाची ने वापस से लण्ड को मुह मे लेके चुसा और लण्ड को साफ किया ।

मै थोडा लड़खड़ा कर दीवाल से लग कर थोडी देर खड़ा रहा और इधर चाची अपना हाथ मुह धुल ली ।


चाची - अब आराम है ना बेटा
मै मुस्करा कर हाफ्ते हुए - हा चाची बहुत ज्यादा

चाची - ठीक है अब उसको अन्दर डाल और निचे चलते है ।

मै बिना कूछ बोले अपना कपडा ठीक किया और चाची के साथ चल दिया ।
मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि चाची जो कि चाचा से इतना प्यार करती है वो कैसे इतनी आसानी से मेरे साथ ऐसे कृत्य के लिए खुद को तैयार कर लिया ।
और काफी समय से देख रहा हू कि चाची के हावभाव मे काफी बदलाव है ।
उस दिन घर पर भी मा से शर्त लगा कर पापा के सामने खुद को एक्सपोज किया था ।
इनसब परिवर्तन के पीछे का कारण क्या हो सकता है इसका पता लगाना ही पडेगा ।
थोडी देर समय बिताने और चाय नास्ता करने के बाद मै चाची और निशा को बोल कर घर निकल गया और थकान की वजह से घर जाकर पापा के कमरे मे सो गया ।

शाम 6 बजे मेरी निद मा के जगाने से खुली और फिर उन्होने मुझे नास्ता करने को दिया और मै दुकान पर बैठ कर काम करने लगा ।

रात मे पापा आये और फिर हमने नये घर के लिए होने वाली तैयारियो के बारे मे बाते की और होली को लेके सारे इंतजामात की जिम्मेदारी पापा ने खुद लेली ।


इधर हम सब खुश थे कि मेरी चेहरे की हवाइया उड़ गयी क्योकि पापा ने बात ही ऐसी छेड़ दी ।

पापा - रागिनी एक खुशखबरी और है
मा खुश होकर - क्या जी बताईये न

पापा - दरअसल बात ये है कि आज हमारी दुकान पर सोनल के रिश्ते के लिए कुछ लोग आये थे और काफी खानदानी लोग है , खेती बारी करते है और दूध की देयरी भी और सबसे खास बात है ये कि वो सब राज के नाना के परिचय मे है ।

मा खुश से झूम कर - सच में राज के पापा , और लड़का क्या करता है

पापा - लड़का बडे शहर मे बाबू की पोस्ट पर सरकारी नौकरी करता है ।

मा खुश होकर - सुना राज तेरी दीदी के लिए कितना अच्छा रिश्ता आया है ।

लेकिन मै उदास था और मुझे खुश ना देखकर मा को चिन्ता हुई

मा फ़िकर होकर - क्या हुआ बेटा तू खुश नही है

मै - मम्मी-पापा आप लोग क्या एक बार दीदी से बात नही कर सकते कि वो क्या चाहती है ।


मा - उसमे बात क्या करना बेटा , हम लोग उसके लिए कुछ बुरा थोडी ना सोचेंगे । हम मा बाप है उसके

पापा थोडा सोच कर - नही रागिनी कैसी बात कर रही हो तुम ,,, हमारी एकलौती बेटी है वो उसकी पन्सद नापसन्द मायने रखती है और राज की बात ठीक है एक बार तो उसकी रजामन्दी भी तो चाहिये न
मा - ठीक है तो मै बात करती हू उससे

पापा - नही तू नही ,,,मै देख रहा हू इस मामले मे काफी सख्ती दिखा रही हो

मा थोडा सीरियस होकर - अरे इसमे सख्ती क्या है राज के पापा ,, आप तो ऐसे बोल रहे है कि जैसे मुझे मेरी बेटी की चिन्ता ही नही है ।

पापा मुस्कुरा कर - मै मानता हू रागिनी लेकिन सबसे पहले राज उससे बात करेगा ताकि वो अपने मन की बात बेझिझ्क उससे बोले क्योकी मै या तुम अगर बात किये तो शायद वो हमारा लिहाज करके अपने मन की बात हमसे ना कहे और तुम तो जानती ही हो हमारी बेटी कितनी संस्कारी है


मा खुश होकर - हा ये बात भी ठीक है ,,,तो राज बेटा ये तेरी जिम्मेदारी है तू सोनल से बात करके उसकी राय जान ले

मै हा मे सर हिलाया और पापा को एक बार फिर मन ही मन धन्यवाद किया उनकी समझदारि और दुनिया जमाने की दकियानुशी बातो को परे कर अपने परिवार की खुशियो के बारे मे सोचने के लिए ।


फिर पापा ने मुझे उस लड़के की तस्वीर दी जिसे हम सब ने देखा जो कि अच्छा दिख रह था और फिर मै वो तस्बीर लेके ऊपर छत पर चला गया दीदी से मिलने ।


देखते है दोस्तो आगे कहानी क्या नया मोड लेती है ।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
पढ कर अपना बहूमूल्य रेवियू जरुर दे ।
धन्यवाद
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 71

मै तस्वीर लेके छत पर गया और दीदी किचन मे खाना बना रही थी ।
मै दीदी को फ़ोटो देते हुए - लो दीदी आपका एक और दीवाना हाजिर है
दीदी बडे गौर से तस्वीर को देखा और मज़ाक मे बोली - ये चिरकुटवा कौन है भाई हिहिहिही नाक देख इसकी हाहाहाहा
मै - आपका ही होने वाला पति है शायद मा पापा ने पसंद किया है


दीदी सीरियस होते हुए मुझे अवाक सा देख्ते हुए - तू झूठ बोल रहा है ना

मै हस कर - सच मे ये आपके लिये आया है रिश्ता ,,लड़का शहर मे सरकारी बाबू है

दीदी थोडा भौहे चढा कर - तो
मै आश्वस्त होकर - तो पापा ने मुझे भेजा है कि मै आपकी मन की इच्छा जान लू ,,,तो क्या कहती हो हा या ना

दीदी थोडा मन गिरा कर - तू जानता है ना भाई मै अमन से

मै थोडा दीदी को छेड़ कर - तो क्या हुआ मुझे कोई दिक्कत नही है और तेरा भी फाय्दा होगा ,,, यहा मायके मे दो दो अशिक़ भी रहेंगे हाहहाहा

दीदी हस कर - धत्त नही मुझे एक ही आशिक़ चाहिये और एक पति वो भी मायके मे ही

मै - तो मतलब मै मना कर दू
दीदी - बिल्कुल भाई
मै किचन से वापस निकलते हुए - ठीक है मै पापा को बता देता हू

दीदी मुझे रोकते हुए- लेकिन तू उनको कहेगा क्या

मै जल्दी जल्दी बोलता हुआ एक सास मे - यही की तुमको ये लड़का पसन्द नही है और तुम अमन को चाहती हो और मायके मे एक आशिक़ है उसको भी नही छोड़ना चाहती हो हिहिहिहिह

दीदी हाथ मे लिये कल्छुल उठाकर मारने को होती हुई बोली - ब्क्क्क ये सब नही , तू बस मना कर दे और बाकी मै अमन से बात करके बताती हू आगे क्या करना है


मै - हा उसको बोलो जल्दी से घर पर आये रिश्ता लेके नही तो कोई और कब्जा कर लेगा
दीदी हस कर - हा ठीक है लेकिन तू थोडा ध्यान से बोलना ताकि कोई बखेडा ना हो घर मे ,,समझ रहा है ना


मै बिंदास होते हुए - चिल करो दीदी सब सही होगा

फिर मै हस कर वाप्स निचे आ गया
और मुझे वापस देख कर मा उत्सुकता से - क्या हुआ बेटा क्या बोली वो

मै - अरे मा उसको सोचने का समय दो उसकी भी लाइफ है ना ,,यहा हम सब उसके अपने है व्हा के लोगो के बारे मे नही जान्ती वो और ऐसे सिर्फ तस्वीर देख के क्या होता है


पापा - हा बेटा ठीक कह रहा है तू ,,कोई बात नही उसे इत्मीनान से जवाब देने दे वैसे भी लड़के वालो को भी अभी कोई जल्दी नही है मै उनको होली के बाद जवाब देने को बोला है ।।


मा खुश होकर - ब्स ये रिश्ता हो जाये और मेरी बच्ची किसी अच्छे घर सेट हो जाये तो मै गंगा नहा लू

मा की बात सुन कर हम सब भी खुश थे लेकिन मेरे मन मे एक योजना ने जन्म ले लिया।
रात मे हम सभी ने खाना खाया और फिर मै सोने के लिए नये घर निकल गया और 11 बजे करीब सोनल का मेरे पास फोन आया ।


फोन पर

मै - हाय जानू क्या हुआ
दीदी - जानू के बच्चे तुने क्या बोला मम्मी से ,, तेरे जाने के बाद मम्मी मुझे convence करने मे लगी है कि मै इस रिश्ते के लिए हा कर दू

फिर मैने उनको मम्मी पापा की बात चित और अपना मास्टर प्लान समझाया
सोनल खुश होकर - अरे वाह सेम यही मैने सोचा था और इसके लिए अमन से मैने बात भी कर ली है और एक खुशखबरी भी है ।

मै उत्साही होकर - क्या दीदी बताओ ना
दीदी - भाई अमन ने बताया कि उसकी मा हमारे रिश्ते के लिए राजी है और होली के एक दिन पहले ही हमारे घर आने वाले है

मै खुशी से - ओह्ह हो ,, फिर तो आगे मम्मी पापा को मनाने की जिम्मेदारी मेरी

दीदी - हा भाई प्लीज तू सम्भाल लेना
मै - कोई नही दीदी चिल्ल ,, लेकिन बदले मे मुझे क्या मिलेगा

दीदी हस कर - तुझे क्या चाहिये
मै - वही जिसका वादा आप शादी से पहले मुझे देने का की है

दीदी - भाई एक बार रिश्ता होने दे सब कुछ तुझ पर लुटा दूँगी मै और मैने तुझे रोका है क्या कभी आज सुबह भी तो तुने जो किया वो

मै - क्यू मज़ा नही आया क्या मेरी जानू को
दीदी शर्मा कर - चुप पागल
मै - आज तो जीभ डाली थी जल्द ही उसमे वो भी जायेगा

दिदी - भाई प्लीज चुप हो जा ना मुझे शर्म आती है ऐसे


थोडी देर ऐसे ही दीदी से चटपटि बाते कर मै सो गया ।
अगली सुबह मै उठा और वही नये घर पर फ्रेश हुआ और निकल गया टहलने के लिए

आज फिर से सरोजा की मस्तानी जिस्मानी हुस्न का दिदार हुआ और सवेरे सवेरे लोवर मे तम्बू बन गया ।

आज मेरा मन नही माना और मै सरोजा जी के पीछे पीछे निकल गया। यहा तक की वापसी मे भी उन्के पीछे लगा रहा ,, सरोजा भी बखूबी मेरी दिवानगि को समझने लगी थी और मुस्कुरा कर एक दो पलट कर मुझे पीछे आता देखती भी थी ।

जब हवेली का मोड आया तो मै वही रुक गया और आगे जाने की हिम्मत नही हुई लेकिन सरोजा की बेकाबू जवानी ने मेरे लण्ड को और भी बेकाबू कर दिया तो मै छिप कर सरोजा के पीछे जाने लगा ।


सरोजा अब आराम से चल रही थी और वो हवेली के मेन गेट मे ना जाकर सीधा हवेली के बगल से गये एक चकरोड से होकर हवेली के पीछे की तरफ जाने लगी ।

चुकी ठाकुर की हवेली टाउन के थोडा बाहर ही पड़ती थी और उसके पीछे पुरा 50 बीघे का सिवान था जो ठाकुर की ही संपति थी ।

मै चुपचाप सरोजा के पीछे पीछे चला दिया , लेकिन हवेली के बगल की दीवाल की सीमा खतम होते ही वो हवेली के पीछे हाते की तरफ घूम गयी और इसी समय मै अपनी चाल तेज करके हवेली के पीछे आया तो वहा कोई नजर नही आया
मै हवेली के पिछवाड़े इधर उधर देख रहा था कि किसी ने मुझे पीछे से पकड़ा और हाते मे खिच लिया

पहले तो मै चौका फिर ध्यान दिया तो वो सरोजा जी ही थी

सरोजा - तुम पागल हो सड़क पर कम था क्या जो पीछे पीछे यहा तक चले आये

मै सरोजा को नोर्मल देख कर थोडा रिलैक्स हुआ और बोला - सॉरी वो मै रास्ता भूल गया था

सरोजा मुस्कुरा कर - ध्यान कहा था तुम्हारा जो रास्ता ही भूल गये

मै सरोजा की लुभाव्नी बाते सुन कर मस्ती मे - ध्यान तो सही जगह ही था ब्स मै गलत जगह आ गया उसके चक्कर मे

सरोजा ह्सते हुए - तुम पागल हो अब जाओ यहा से कोई देख लिया तो फालतू का बखेडा कर दोगे
मै - तो देख लेने दो हम कौन सा कुछ गलत कर रहे है कि लोगो का डर हो

सरोजा अपना माथा पिट कर - हे भगवान ये लड़का भी ना ,,,,अरे बुधु ये हवेली का पिछवड़ा है और कोई हमे देख लिया तो क्या सोचेगा

मै हस कर - हा वही तो क्या सोचेगा
सरोजा शर्मा कर ह्सते हुए - वो सोचेगा कि हम कि हम

मै उनको उक्सा कर - हा बोलिए ना
सरोजा शर्मा कर - तू बडे चालाक हो मेरे मुह से बाते निकलवा रहे हो ना मुझे जान्ते हो ना मै तुम्हे

मै - तो चलो जान पहचान बढ़ा लेते है हिहिही वैसे आपके भैया मुझे बहुत अच्छे से जानते है और मेरे पापा के दोस्त भी है

सरोजा ध्यान से मेरी बाते सुनते हुए - हम्म्म ये बात

मै - तो अब तो डरने की जरुरत नही है मै आपका अपना ही हू

सरोजा इतरा कर - ओहो इतनी जल्दी मेरा होने को जरुरत नही है हुउह

मै बालो मे हाथ फेरते हुए - फिर क्या करना होगा उसके लिए मुझे

सरोजा शर्मा के - अभी तुम जाओ यहा से बाद मे देखती हू क्या कर सकते है

फिर वो पीछे से ही हवेली मे चली गयी और मै मस्त होकर घर के लिए निकल गया ।
घर पर मै नहा धो कर काम मे लग गया ।
होली को अब कुछ ही दिन रह गये थे तो शाम को पापा के घर आने के बाद नये घर को लेके चर्चा हुई कि जब सारी तैयारियाँ हो ही गयी है तो क्यू ना होली के दिन ही छोटी मोटी पूजा करवा कर लगे हाथ गृह प्रवेश भी करवा लिया जाये और फिर आगे सोनल की शादी तक जब सारे मेहमान एक्थ्था होगे तब विधिवत तरीके से एक बार और पूजा पाठ करवा दिया जायेगा ।।
घर मे सबको पापा का सुझाव पसंद आया और सभी ने अपनी सहमती दिखाई ।

समय बीता और होली के एक दिन पहले तय योजना के अनुसार अमन के चाचा मदनलाल और उसकी मम्मी ममता देवी दोनो पापा से मिलने दुकान पहूचे ।

जिसकी सूचना मुझे सोनल के माध्यम से मिल गयी थी और फिर हम सब शाम को पापा के आने के इन्तजार करने लगे ।

दिन भर मेरी और अनुज की भी काफी भागदौड़ रही क्योकि कल होली के साथ साथ नये घर मे प्रवेश का प्रोग्राम भी था ।
लेकिन समय रहते मैने और अनुज ने सारी तैयारिया पुरी कर ली ।

मेरे अनुमान अनुसार और कल होली की तैयारी को देखते हुए पापा शाम को 5 बजे तक घर आ गये थे और उनके आने के बाद मै और अनुज भी नये घर से दुकान वाले घर आ गये ।


फिर पापा ने मुझे रोका और कुछ बात करने के लिए कहा
मै समझ गया कि क्या बात हो सकती थी ।

फिर पापा ने दुकान मे अनुज को बिठा कर मम्मी और मुझे लेके पीछे कमरे मे गये ।

मा थोडी चिन्ता के भाव मे - क्या हुआ जी क्या बात है , सब ठीक है ना

पापा मुस्कुरा के - हा रागिनी सब ठीक है वो तो एक और खुशी की बात है
मा खुश हो कर - अच्छा तो बताईये ना
पापा - लेकिन उससे पहले मुझे राज से बात करनी है

मै - जी पापा बोलिए
पापा - बेटा ये मुरारीलाल जी का बेटा तेरे साथ ही पढता है ना

मै - जी पापा क्या हुआ
पापा थोड़ा अनुमान ल्गाते हुए - बेटा ये अमन कैसा लड़का है , मतलब बात व्यव्हार कैसा है और तू उसके साथ बचपन से पढा है तो जानता भी होगा ना

मै खुश होकर - पापा वो तो बहुत ही अच्छा लड़का है और पढने मे होशियार है और हालही मे उसने इन्डियन नेवी की परीक्षा दी है और आंसर-की के हिसाब से वो पास हो गया है । जल्द ही उस्का फाइनल रिजल्ट आने वाला है


मा खुश होकर - अरे वाह फिर तो बहुत किस्मत वाले उसके मा बाप जो उनको इतने हीरे जैसी औलाद मिली है ।

पापा मुस्कुरा के मा को थोड़ा कन्फुज करने के अन्दाज मे - क्या हो रागिनी अगर हमारी सोनल की भी ऐसी किस्मत हो जाये तो

मा उत्सुकता से - मै समझी नही राज के पापा

पापा ह्स कर - क्या हो अगर सोनल की शादी अमन से हो जाये तो

मा पहले खुश हुई लेकिन फिर कुछ सोच कर - वो तो ठीक है लेकिन इतने पास मे क्या उसके घर वाले मानेगे

पापा खुशी से - अरे उसकी कोई चिन्ता नही है आज खुद अमन के चाचा और उसकी मा मेरे दुकान पे आये थे सोनल की रिश्ते की बात करने

मा खुश होकर - क्या सच मे राज के पापा ,,अगर ऐसा हो जाये तो कितना अच्छा होगा हमारी बेटी हमसे ज्यादा दुर भी नही होगी और खुश भी रहेगी ।

पापा - वही मै भी सोचा ही रागिनी
मा थोडी परेशान होकर - हा लेकिन क्या सोनल को अमन पसंद आयेगा

पापा ठहाका लगाते हुए - अरे मजे की बात तो तुम जानोगी तो और भी खुश होगी

मा एक अंजान खुशी का भाव लाते हुए - क्या बताओ तो सही

पापा हस कर - अरे रागिनी हमारी सोनल और अमन पहले से एक दूसरे को पसंद करते है और अमन ने खुद पहल करके अपने चाचा और मा को भेजा था ।

मा खुशी से आसू छलक देती - मुझे सम्भलिये राज के पापा ,,,मै मै कही मै पागल ना हो जाऊ ।

पापा ह्स कर मा को कन्धे को थाम कर बोले - कय हुआ जान

मा रोते हुए - मेरे जीवन की सबसे ब्ड़ी चिन्ता आज खतम हो गयी और आज इतनी सारी खुशिया एक साथ मिल रही है तो समझ ही नही आ रहा है कि मै क्या करु

पापा को सम्भालते हुए हस रहे थे लेकिन उन्के आंखे भी छलक गयी और इत्ना इमोसनल सीन देख के मेरे भी आंखे भर आई और मै पापा से चिपक कर उनको हग कर लिया और इधर पापा मेरा भार सम्भाल नही पाये और वो थोडा मा की तरफ झुके

पापा ह्सते हुए - अरे अरे अरे बेटा आराम से
जब तक पापा सम्भाल पाते तब तक देर हो गयी और मै भी मा के उपर आ गया और हम तीनो बिस्तर पे गिर गये bbu

थोडी देर हसी ठहाके बाद मैने ये खुशखबरी सोनल को दी और बदले मे मुझे प्प्पीया झ्प्पीया भी मिली । लेकिन मै ज्यादा इनसब पर ध्यान ना देके सोनल को अमन के साथ बात करने को बोलकर निचे चला आया

निचे आने पर मा पापा से सवाल पर सवाल पुछ रही थी और यहा पाप हस कर सब जवाब दे रहे थे ।
फिर मा - तो मतलब सारी तैयारियाँ हो गयी है

मै हस कर - हा मा , मैने पंडित जी को कल 8 व्जे के लिए बोल दिया है और चाचा चाची को भी बोल दिया है कि समय से 8व्जे तक सबको लेके नये वाले घर पहुचे ।

मा - और वो मीठाइयो का क्या
पापा - अरे तुम चिन्ता मत करो रागिनी सब कुछ हो गया

मा परेशान होकर- हा लेकिन
तभी पापा मा की बात काटते हुए - ऐसा करना राज आज रात तुम अपनी मा की लिवा चले जाना वो सारी तैयारियाँ भी देख लेंगी और सुबह सारा काम भी हो जायेगा

मै खुश होकर हामी भरता हू
और फिर ढेर सारी ना खतम होने वाली बाते होती रहती है और फिर रात के खाने के बाद मा अपना एक बैग लेके मेरे साथ नये घर पर सोने के लिए चल देती है ।


आने वाला पल और होली के रंग राज की दुनिया मे कितने बहार लेके आती है ।
आप सभी के रेवुयू का इंतजार रहेगा
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