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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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प्यारे दुलारे मुठ्ठलबाज मित्रों
आ गया !!! आ गया !!! आ गया !!!
हिलाने का सीजन 02 आ गया !!! :D

खुद भी हिलाइए और दोस्तों को भी बुलाइए
बहुत ही जल्द शुरू होने वाला है इस कहानी का सीजन 02

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COMING SOON :jerker:

 
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UPDATE 102

रात मे सभी लोग अपने अपने कमरो मे चले गये ।रज्जो मौसी मेरे कमरे मे आ गयी ,,,

लेकिन जब ये तय हो रहा था कि कौन कहा सोयेगा तो पापा और बुआ की आपसी जुगलबन्दी काफी कुछ शरारत भरी थी ।
यहा मै रज्जो मौसी को पाकर मस्त था .
हम लोग कमरे मे आये और मैने रज्जो मौसी को हग कर लिया ,,,वो भी मुस्कुराई और मुझे कस कर दबोच लिया

मेरा सीना उनकी मुलायम भारी चुचियॉ पर बहुत ही गुदगुदी मह्सूस कर रहा था ।
मैने मेरे हाथ मौसी के उठे हुए कूल्हो पर ले गया और साड़ी के उपर से ही उन्हे सहलाते हुए मौसी के होठ चूसने लगा ।

ना जाने क्यू लेकिन मौसी से मुझे एक खासा लगाव था ,,,, उनका भरा और गुदाज जिस्म मुझे पागल कर देता था ,,,
उनका सावला रूप और निखरा हुआ जिस्म , वो नशीली आंखे और नरम मोटे होठ ,
उम्म्ंम्ममम्ंं मै बंद आंखो से मौसी के उन्ही चब्बी होठो को चुब्लाता हुआ उन्के कुल्हे सहलाए जा रहा था ।

निचे मेरा लण्ड अकड कर पूरी तरह से तन गया था तो मैने खुद अपनी कमर को ठेल कर और मौसी के कूल्हो को अपनी ओर दबा कर लण्ड को उनके चुत वाले हिस्से के पास दबा दिया ।

लोवर मे तना मेरा सख्त सुपाडे का कोना मौसी के चुत के उपरी भागो को चुबने लगा । जिससे वो सिस्क पड़ी और मेरे होठ छोड कर मुझे अपने सीने से कस लिया ।

मै और भी जोश मे आ गया और ब्ड़ी ही मादकता से अपना लण्ड उनकी चुत पर दबाते हूए उनके कान मे जीभ फिराते हुए बोला - मौसीईई लण्ड लोगि

मौसी गनगना गयी और सिहर उठी - उम्म्ंमममंं अह्ह्ह हा बेटा
मैने साडी के उपर से उनके कूल्हो को मसला और बोला - चुत मे लोगि मौसी

वो और भी मादक होने लगी और बस मेरे सीने पर अपने चुचे दबाते हुए बोली - हम्म्म्मममं
मै देर ना करते हुए मौसी का साड़ी सामने से हटाया और जल्दी जल्दी ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया ,,,वही मौसी मेरी आतुरता देख कर मुस्कुराइ और लपक कर मेरा लण्ड थाम लिया ,,, मै एक एक करके सिर्फ पेतिकोट छोड़ कर मौसी को उपर से नंगा कर दिया और पीछे से चिपक गया ।

वो सिहर गयी और मैने निचे से उन्के 42 साइज़ के चुचो लो थामा और हथेली सरका कर निप्प्ल तक ले आया और अपनी खुरदरी हथेली को मौसी के मोटे काले निप्प्लो पर घुमाया ,,वो सिसकी सिहरि और मुझसे और चिपक गयी ।

मै वापस से उन मोटे मोटे खरबुज जैसे चुचो को थामा और उन्के निप्प्ल को सामने की ओर खिच कर छोड दिया और फिर से हाथो मे भरभर कर मसला ।

रज्जो मौसी सिस्कती रही और अपना बदन मे उपर निढ़ाल करती रही ।
मै उन्हे पकड कर बिसतर तक लाया और खुद बैठ कर उनको अपने साम्ने किया ।
मैने अपने पैर खोले और मौसी को अपनी जांघो मे कैद कर एक हाथ उनकी नंगी गुदाज पीठ पर रख कर दुसरा हाथ मौसी के एक चुचे को थाम लिया ।

मौसी उत्तेजीत देख कर मुस्कुराई और मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए खुद एक हाथ से चुची को उठाया और उनका निप्प्ल वाला हिस्सा मेरे मुह तक लाई

मैने एक बार को थुक गटका और जीभ निकाल कर मौसी की आंखो मे देखते हुए निप्प्ल की टिप को जीभ से छुआ

मौसी सिस्क कर कांप उठी और मै और भी उत्तेजित होकर उस निप्प्ल को मुह मे भर लिया ।
मुह मे मैने उसे चुबलाया ,,कभी दाँतो मे काटा,,कभी उसपे जीभ से फ्लिप किया
हर एक नये एहसास से मौसी को रुबरू करवाते हुए उन्हे आहे भरने को मजबुर करता रहा

बारी बारी मैने दोनो चुचियॉ को खुब मसला और चूसा ।
यहा मौसी की हालत खडे खडे खराब होने लगी ।

मौसी - ओह्ह्ब बेटा मुझे लेट जाने दे ना ,फिर कर तू

मै मुस्कुरा कर उठा और घुमा कर मौसी को धकेल दिया बिस्तर पर और वो जान्घे फ़ोल्ड किये लेट कर हसने लगी ।

मै बिना कच बोले उन्के बराबर मे आया और उनकी ओर करवट लेके वापस से उनकी चुची को मुह मे भर चुसते हुए हाथ को उनकी चुत वाले हिस्से पर सहलाने लगा ।

चुत पर हाथो का स्पर्श पाते ही मौसी और भी मधोश होने लगी ।
मुझे भी अह्सास हुआ कि वहा मौसी गीली हो चुकी है तो मै मुस्कुरा कर उथा और निचे उन्के जांघो के बिच गया ।

बिना नाड़ा खोले मैने मौसी के पेटीकोट को उपर कर दिया तो देखा कि निचे मौसी ने कुछ नही पहना था ।

मै मौसी को देखा तो वो मुस्कुराई मानो पुछ रही हो कि क्या हुआ
मैने मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाया और जांघो को सहलाते हुए चुत की ओर झुकता चला गया ।

मैने धीरे से अपनी जीभ को निकाला और मौसी की पिच्पिचाती चुत पर लगा दिया ।
मौसी सिहर उथी ।।
उन हल्के बालो वाले हिस्से पर एक दो बार मैने अपनी थुक से उन्हे गिला कर मौसी के चुत के बाहर निकली चमडी की चुबलाने लगा ।

मैने अपना पुरा का पुरा मुह मौसी के भोसड़े मे दे दिया ,,, जिससे पागल होकर मौसी मेरे सर और पकड कर उसके उपर दबाने लगी
वही निचे मै अपने होठ और नथुने उनकी चुत के दानो और चमडी पर रगड़ रहा था और कभी कभी उपर की चमडी को मुह मे खिच के चुबला लेता ,,,, आखिर कार मौसी अपने आवेग को रोक ना सकी और अपनी गाड उचकाते हुए झड़ने लगी ।
शुरु के कुछ ड्रॉप सीधा मेरे होठ के पास पिचपिचाये और बाकी सब रिसने लगे ।
मैने मौसी के जांघो को अच्छे से खोल कर चुत के हिस्से पर चढ़ी चर्बी को दोनो हाथो से फैलाते हुए अच्छे से जीभ से चाट चाट कर साफ करने लगा ,,,,वही रज्जो मौसी की आअहे रुक नही रही थी ,,,वो हाफ भी रही थी ।

मै वापस उपर गया और अपने कपडे निकाल दिये
मै मौसी से चिप कर उनके होठ चुस्ते हुए उनकी चुत के स्वाद को उन तक के गया ।

मेरे हाथ वापस से मौसी के चुचो को छुते ही मौसी मे उत्तेजना लौट आई और वो मेरे लण्ड को थाम कर उसे उपर की ओर भीचने लगी ।

हमारी आंखे आपनी मे टक टकी लगाये दिल ही दिल मे अपनी भावना बताये जा रही थी ।

हवस के हाथ हम दोनो पर आलस भी हावी था , शायद इसिलिए मौसी ने अपने हथेली मे थुक लेके उसे मेरे लण्ड पर मसला और खुद मेरे ओर सरक कर लण्ड के मुहाने को अप्नी चुत की ओर ले जाने लगी ।

लेकिन आलस उन्हे था मुझे नही
मै फटाक से उठा और वापस से मौसी के जांघो को खोलकर उन्के बीच आ गया और लण्ड को उन्के बड़े से भोस्ड़ेदार चुत पर लगा कर गचाक से एक बार मे उतार दिया

मौसी - आआआ लल्ल्लाअह्ह्ह उफ्फ्फ अरामं से बेटा
मै हसा और उन्के उपर चढ़ कर धक्का लगाते हुए उनकी एक चुची को मुह मे भर लिया ।

मौसी - आ आ आह्ह्ह लल्ल्ला उम्म्ंम और अन्दर बेटा उम्म्ंम अह्ह्ह ऐसे ही ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
मौसी के गुदाज बदन पर लेट कर चोदने मे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था ,,,

मै उनके उपर से उठ कर उनकी जांघो को खोलते हुए और तेजी से घपाघप उन्के भोस्ड़े मे लण्ड को पेलने लगा और चुत के उपर की मुलायम चर्बी को मसलते सहलाते हुए उनकी नाभि तक हाथो को ले गया । इस दौरान मेरे कमर लगातर चलते रहे और फिर मै रुका

मौसी जो आन्नद के सुख ले रही थी वो तडप कर रह गयी और गरदन उथा कर देखने लगी ,,,
मै मुस्कुरा कर उनका एक पैर पकड कर घुमाया और वो समझ गयी ।
मै थोडा पीछे हुआ और मौसी फटाक से करवट लेते हुए घोड़ी बन गयी और मै अपनी घुटनो के बल आकर उन्के कूल्हो को सहलाते हुए अपनी ओर निचे की तरफ खीचकर लण्ड के लेबल मे लाया और उनकी गाड़ के पाट को फैलाते हुए लण्ड को पकड के अनुमान ल्गाकर चुत के मुहाने पर ले गया और थोडा सा सुपाडे को फसा कर हाथ बाहर लाया और एक जोर का धक्का मौसी के कूल्हो को थाम कर पेल दिया
रज्जो मौसी - उम्म्ंम्ं अफ्फ्फ बेताआह्ह्ह ,,,, उफ्फ्फ्फ सीईईई उम्म्ंम्म्ं
मुझे मौसी के बड़े बड़े गुदाज और चाकलेती गाड को देखकर और भी ऊततेज्ना हो रही थी और मै तेज धक्के लगाते हुए पुरा का पुरा लण्ड मौसी की चुत मे देने लगा
मौसी की गाड़ मेरे जांघो की थाप से हिल्कोरे मार रही थी और मेरा हर तेज धक्का दुगनी थाप से वाप्स फेक रही थी
जिससे लगातार थपथप की आवाज सुनाई दे रही थी उपर से मौसी दुबारा झडने के करीब थी और मेरे लण्ड को निचोडना शुरु कर दी थी

मै भी उनकी इसी अदा का दीवाना था और उनका भोस्डा मेरे लण्ड पर कसने से मुझे और भी मजा आ रहा था जिससे मेरे आड़ो से नसो मे भी सोमरस भरने लगा ।

मेर लण्ड हर धक्के के साथ और सख्त हुआ जा रहा था ,,,सुपाड़े पर जलन सी होने लगी थी ,,,लण्ड की निचली नसो मे चिलिक सी होने लगी
कारण था मै अपनी गाड के छेद को सिकोड़ते हुए अपनी सास बाँधे आखिरी धक्के मौसी की बहती हुई चुत मे मार रहा था ।

कमरे मे आवाज की टोन अब बदल चुकी थी ,,जहा थप्पथप्प के साथ चुत से फच्च फ्च्च्ज की अवाजे आ रही थी ,,वही मौसी झदते हुए और भी जोशीली हो गयी।थी वो हाफते हुए मुझे उत्तेजित कर रही थी

मौसी -अह्ह्ह आह्ह हा बेटा पेल और पेल और और और हआआ अहाआ हाआ और और ऐसे ही ही हा हा ह्ह्होह्ह ओह्ह्ह्ह हा अह

मै भी अपनी गाड के पाट सख्त किये लण्ड की नसो पर जोर दिये आखिरी धक्को के सुपाडा ढिला छोड़ते हुए लण्ड को मौसी की चुत की गहराई मे ले गया और झडने लगा

मै - अह्ह्ह मौसीईईई उह्ह्ह्ह मैहहह आआआ रहा हुउउऊ
मै लगातार मौसी की चुत मे झड़ता रहा और ढह कर उन्के उपर झुक गया ।
मौसी अब भी उसी पोज मे सुस्ताती रही ,,,उनका चुत पूरी तरह से लबालब हुआ टपक रहा था बेडशीट पर ।

मौसी थोडी देर बाद कसमसाइ और बोली - अह्ह्ह लल्ल उतर कमर अकड जायेगी मेरी उह्ह्ह

मै उठा और बगल मे बैठ गया ,,,मौसी ने अपने पेतिकोट से ही अपनी चुत को पोछा और वो पलट कर बैठी

मौसी कराह कर - अह्ह्ह अम्मा
मै - क्या हुआ मौसी
मौसी ह्स के - अरे वो एक पाव मे झुनझुनी हो रही है ,,,रुक पैर सीधा करने दे
मौसी मुस्कुरा कर - तू उपर चढा रहा गया था इसिलिए हुआ शायद
मै उनको देख कर मुस्कुरा रहा
मौसी भी मुस्कुरा कर मेरे गाल को सह्लाया

मै हस कर - तो जाना है पापा के पास
मौसी शर्मा कर - धत्त जमाई जी ने मुझे पुछा तक नही आज ,,,
मै ह्स कर उनकी कमर मे हाथ डाल कर - अरे पुछते कैसे ,,,देखा नही कितने लोग जमा थे ,,,,मैने तो देखा उनकी और चाचा दोनो की नजरे बराबर आप पर ही थी

मौसी हस कर ब्लाउज उठाकर पहनते हुए - धत्त बदमाश कही का ,,,
मै मौसी को रोक कर - मै जानता हू आपकी इच्छा है मौसी ,,आप चले जाओ ना

मौसी उलझन भरे भाव मे - और तू
मै ह्स कर - मै तो सोने जा रहा हू वैसे भी हिहिहिही

मौसी चहक कर - पक्का ना
मै हा मे सर हिलाया

मौसी - ठीक है फिर तू एक बार बाहर देख कोई है तो नही

मै इशारे से मौसी को छेडा और वो शर्मा गयी
मै उठा और अपना लोवर पहन लिया और टीशर्ट पहन कर बड़े आराम से दरवाजे की चटखनि खोली ।

इस समय अभी मुशकील से 10:30 भी नही बजे थे और फिर भो एक चुप्पी थी ।
सामने पापा के कमरे से कुलर की तेज घनघनाहट आ रही थी मगर दरवाजा बंद था ।

तभी मुझे गेस्ट रूम का दरवाजा हल्का भिड्का दिखा दिखा और मेरे दिमाग मे विचार आया
और मै मेरे मन मे उठी शंका को दुर करने गेस्टरूम के पास गया और हल्का सा दरवाजा को खोला तो देखा- अन्दर सिर्फ चाची सो रही है और शिला बुआ नजर नही आ रही है ।

मै समझ गया कि पापा ने अपना दाव खेल दिया था ,,,कारण था कि कल शाम को ही सगाई के बाद बुआ वापस अपने घर जाने वाली थी क्योकि वहा उन्के ससुराल के खानदान मे कोई शादी थी । इसिलिए पापा ने आज बुआ को अपने पास बुला लिया था ।


मै मुस्कुरा कर वापस मौसी के पास आया और दरवाजा बंद कर चटखनि लगा दी ।

मुझे दरवाजा बंद करता देख मौसी चौकी - क्या हुआ लल्ला

मै ह्स कर - वो मौसी ,,वो हिहिही
मौसी मानो मेरे मन की बात को ताड़ गयी ।

मौसी हस कर - लग रहा है कि ननद रानी गयी है आज

मै शौक मे था - हिहिही आपको कैसे पता
मौसी इतरा के हसी

मै समझ गया कि ये भी मम्मी ने नही छिपाया उनसे
मै -तो मम्मी ने बता दिया आपको हिहिही
मौसी - हम्म्म्म और बाऊजी वाला भी ,,खुब समझती हू तेरी बदमाशी

मै भी अपनी तारिफ कर थोडा झेप सा गया और हम दोनो बाते करते हुए बिस्तर पर आ गये ।
मौसी ने अब तक ब्लाउज पहन लिया था और साड़ी पहनने वाली थी कि मै आ गया था,,,,
हम दोनो बिस्तर पर एक दूसरे की ओर करवट लिये टकटकी लगाये देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे

मेरे लण्ड मे वापस से कसाव बढने लगा था और मैने एक बार फिर अपने हाथ मौसी के चुचियॉ पर ले गया और हल्के उभरे हुए निप्प्ल को सहलाया

मौसी सिहर गयी और आंखे बन्द कर ली , मै उन्के करीब गया और उनका हाथ पकड कर अपने लोवर मे तने हुए लण्ड पर रखा और हाथ को दबाया , जिससे मुझे और भी उत्तेजना होने लगी ,,,लण्ड पूरी तरह से फौलादी होने लगा

मै अपने गर्दन आगे बढ़ाया और मौसी के मुलायम होठो को चूम लिया

इधर हमारा चूमना जारी रहा और इसी दौरान मौसी ने मेरा लण्ड लोवर से बाहर निकाल कर उसे सहलाना शुरु कर दिया ।

मैने थोडा खुद के होठो को रोका और बहते भावनाओ मे भी अपनी चेतना को जागृत कर बोला - अह्ह्ह्ब मौसीईई चुसो ना आअम्म्मम्म

वो मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने और पास थी ,,,उनकी मोटी आंखो ने थोडा मुझे देखा और फिर मौसी मुस्कुरा कर उठी ।
उन्होने मेरे बगल मे पैरो के पास बैठ कर मेरा लोवर जांघो तक किया और मेरे लण्ड को उपर से सह्लाया
मै सिस्क उठा ,,,वो वापस से हाथ को मेरे आड़ो तक ले गयी और मुठीया शुरु कर दी लण्ड को
मै आहे भरते हुए मौसी को निहारने लगा ।
मौसी झुकी और मुह खोलते हुए मेरा सुपाडा एक बार मे ही गपक ली

उनके होठो की नरमी और मुह के अंदर की गरमी मुझे बैचैनी और पागल करने लगी । मेरे हाथ खुद ब खुद मौसी के बालो मे घूमने लगे

धिरे धिरे मौसी ने पुरा लंड मुह मे ले लिया और गले तक ले गयी और मै बडी उत्तेजना मे मेरे गाड को उचका कर उनका सर दबाया

मौसी की गुउउउउज्गऊउऊक्क और ख्वीईइज्ज्ज खवीइंज्ज्ज की आवाज के साथ उन्के मुह की लार भी बाहर आने लगी , उन्के लिये और रुकना मुस्किल हुआ जा रहा था लेकिन मुझे इस बेरहमी मे मजा आ रहा था

जब मौसी ने मेरे जांघो की थप्की दी तो मै चौका और दबाव कम किया
मौसी ने फटाक से मुह खिच लिया और एक गहरि सास ली
मौसी का चेहरा एकदम लाल पडा था ,,,मुह की लार भी गालो तक बहि हुई थी ,,, बाल भी थोडे बिखर गये थे,,,मगर अब भी मौसी ने मेरे लण्ड को छोडा नही था

वो वापस झुकी और उनकी लार से भीग चुके लण्ड को वापस से सुरपना शुरु कर दिया और लण्ड को तेजी से मुठियाना भी

जब मुझे अह्सास हुआ कि अब लण्ड पूरी तरह से तनमना गया है तो मैने हाथो से मौसी को रोका
वो रुक सी गयी और बडी उम्मीद से मुझे देख कर बोली कि क्यू रोक दिया उन्हे ।

मै उठ कर बैठ गया और बिना कुछ बोले मौसी को बिस्तर पर घुमा कर धकेल दिया

वो समझ गयी और वापस घोड़ी बन गयी
मै वापस से उन्का पेतिकोट उपर किया और इस बार मेरा इरादा अलग था
मै मौसी के गाड के पाटो को सहलाते हुए दोनो पंजो को जोर से दोनो पाटो पर थ्पेड़ा ।

मौसी सिस्क पड़ी
मौसी के चुतड हाथो की थाप से झकझोर उठे
मैने वाप्स से उन्के मखमली मुलायम और मोटे गाड़ की दोनो पाटो फैलाते हुए अपनी जीभ की टिप सीधा मौसी के गाड की सुराख पर लगा दी और थुक से उसे गिला करने लगा ।

मौसी छ्टकने लगी तो मैने उन्के कुल्हे थामे और चुत सहलाते हुए मुह को उनकी गाड के सुराख पर लगाये रखा ।
बिच बिच मै अपनी जीभ को निचे चुत के निचले हिस्सों पर भी फिरा देता जिस्स्से मौसी को एक न्या एहसास मिलता था ।

अब देर ना करते हुए मै उठा और थोडा सा थुक से अपना सुपाडा गिला कर उसे मौसी के गाड की छेद पर रखा।
मौसी ने खुद को ढिला छोडा और मैने सुपाडे को पकड कर उनकी गाड़ के मुहाने पर दबाते हुए जोर लगाया और पेल दिया ।

मौसी की आंखे बाहर को आ गयी और वो मुह खोल कर तेजी से हाफने लगी
मगर मेरा सुपाडा घुस चुका था उन्की गाड़ मे और मै वही रुका हुआ था ।
उन्होने खुद को बराबर कर मुझे ह्न्मममं बोल कर इशारा किया कि मै आगे बढू

मै भी मुस्कुरा कर उन्के कूल्हो को सहलाते हुए लंड को वहि से जोर देकर आगे ठेल दिया और आधा से ज्यादा लण्ड मौसी की गाड मे चला गय ।
मौसी की हालत खराब होने लगी ,,कारण था कि वो अभी अच्छे से गरम हुई नही थी और मेरा लण्ड उनकी गाड़ मे घुस चुका था

मैने मौसी की पीठ कमर औए कूल्हो को सहलाते हुए धीरे धीरे धक्का लगाना शुरु किया ।
पीठ और कमर पर मेरे हाथ का स्पर्श पाकर मौसी सिहर लगी ,,,क्योकि जब मेरे हाथ उन्की पीठ की तरफ जाते तब मेरा लण्ड उनकी गाड मे अंदर की ओर जा रहा होता था ।

ऐसे ही कुछ ही धक्को मे मौसी गरम होने लगी और सिसकने लगी
मौका देखकर मै अपना धक्का तेज करने लगा
अब मेरा ज्यादा से ज्यादा लण्ड मौसी की गाड मे घुसने लगा ।
इतनी चुदाई के बाद भी मौसी की गाड़ बहुत टाइट थी ,,,कारण था कि मौसी बहुत कम गाड़ मरवाती थी ,,,क्योकि ज्यादतर लोग उन्हे सामने से चोद्ना पसन्द करते थे उनकी खर्बुज सी चुचियॉ को चुस्ते हुए और गुदाज जिस्म पर चढ़ कर

मै तेज धक्को से लगातार मौसी को पेलता रहा और कुछ ही मिंट मे मै झडने के करीब था
उससे पहले ही मौसी ने मुझे चेता दिया था कि वो मुह मे लेंगी
इसिलिए मैने फौरन लण्ड को बाहर खिच लिया और खड़ा हो गय , मौसी भी इस्का मतलब समझ ली और फौरन घुटनो के बल आकर मेरे लण्ड को मुह मे लेके मुथियाना शुरु कर दी

कुछ ही पलो मे मेरे गाड के पाटे सख्त होने लगे और मैने अपनी पैर की एड़ियो को उचका कर लण्ड को मौसी के मुह मे भर दिया और उनक सर दबाते हुए मुह मे झडने लगा ।

लण्ड झाड़ने के बाद मै नोर्मल हुआ और वही मौसी ने अच्छे से मेरे लण्ड को साफ किया और लेट गयी
मै भी तृप्त हो कर उन्के बगल मे लेट गया ।

थकान की वजह से कब मुझे निद आ गयी मुझे याद ही नही आया


रात मे किसी पहर मेरी नीद खुली तो देखा मै पसीने से भीगा हुआ हू और लाईट नही है ।

मैने आस पास टटोला तो मौसी नजर नही आइ,,मैने आवाज भी दी

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 103

रात के किसी पहर मे मेरी निद गर्मी से तर बतर होने से खुली ,,, चुकी घर बड़ा था और 8 पंखे और 20 बलब , के लिए ज्यादा बड़े इनवर्टर की जरुरत थी ,उपर से शादी का खर्च देखते हुए पापा ने अभी इनवर्टर नही लगवाया था ।

मेरा बदन चिपचिपाहत दे रहा था और मुझे बर्दाश्त नही हो रहा था ,, मैने आस पास टटोल कर मौसी को आवाज दी ,, लेकिन वो थी ही नही ।

मै उठा और वैसे ही अन्दाजा लगाते हुए बिस्तर से उतर कर दरवाजे तक आया तो दरवाजा भिडका हुआ था ।

मैने खोला उसे तो हाल मे काफी राहत मिली ।
मैने मा के कमरे का दरवाजा चेक किया तो वो भी हाथ लगाते ही खुल गया , मतलब था कोई बाहर आया जरुर था ।
एक तो मैने मोबाईल कहा रख दिया वो नही ध्यान आ रहा था
मै धीरे धीरे अन्धेरे मे सोफे के साइड से होते हुए गेस्टरूम तक आया और उसका दरवाजे पर हाथ लगाया लेकिन वो बंद था ।

मतलब चाची और बुआ सो रहे होगे ,, तभी मुझे गेस्टरूम से कुछ आवाजे आई जो बुआ की थी ,वो चाची से इसी गर्मी को लेके बाते कर रही थी ।
तो चाची कहती है कि नही खिडकी खोलने से बहुत आराम है ।

तो मुझे ध्यान आया कि हा गेस्टरूम मे तो एक बाहर से खिडकी भी है , तभी वो लोग नही आये बाहर ।
मै खुश हुआ कि चलो मेहमानो को दिक्कत कम है लेकिन अभी नही तो शादी से पहले एक बड़ा इनवर्टर लेना ही पडेगा ।


मै ऐसे ही सोचते हुए गैलरी की दिवार पकड कर आगे गया तो गैलरी का दरवाजा ब्नद था ,,मतलब वो लोग उपर गये होगे । मैने सोचा जाने दो अभी थोडे समय मे लाईट आ ही जायेगी तो क्या जाऊ उपर

फिर मै अन्दाजा लगाते हुए वापस हाल की ओर आया और मुझे ना जाने क्या सुझा कि क्यो ना एक बार उपर जाकर देख ही लू

मै फटाक से घुमा और धीरे धीरे सीढ़ी पकड कर निकल गया उपर हाल मे ।
यहा ही चुप सन्नाटा ,,,एक तो मोबाईल ना लाने की वजह से कुछ दिख भी नही रहा था ।

मै बिना कुछ सोचे बगल से उपर वाली सीढि पकड़ ली और मुझे हल्की रोशनी और खुले दरवाजे से आस्माँ दिखा । मै खुश हुआ और बड़े आराम से धीरे धीरे आगे बढ रहा था ।

मै छत पर बहुत हल्की रोशनी थी वो भी ढलती चांदनी की ।
मै धीरे धीरे आगे बढ रहा था और जीने के मुहाने पर जाने से पहले ही मुझे किसी की सरसराहट और महीन सिसकिया सुनाई दी ।

मै चौका और सोचा नही ये लोग खुले आस्माँ के निचे लगे तो नही है ।
मेरे चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आई और लण्ड मे नयी जान ।
मै दबे पाव धीरे धीरे दरवाजे तक आया और सामने देखा तो बाथरूम के पास की चारदीवारी पर पापा किसी को झुकाये गचागच उसकी कूल्हो को थामे पेल रहे है और एक और औरत वही बगल मे खड़ी हुई ये सब देख रही है ।

पेतिकोट के रंग से मै जानगया कि पापा जिन्हे चोद रहे है वो रज्जो मौसी है और उनके साथ मा पापा के बगल मे खड़ी है ।

मै मन मे - यार रज्जो मौसी कितनी बड़ी चुदक्क्ड है ,, दो बार मुझसे बुरी तरह चूदने के बाद भी उनका दिल नही भरा , और पापा ,,इनकी तो चांदी है ही ,,घर मे माल और दुकान पर भी माल और अब देखो कल सगाई मे अपनी संधन से क्या रन्गबाजी करते है ।

मै मन मे - लेकिन कुछ भी हो दीदी की सास है एक दम पंजाबी माल ,,,क्या बडी गाड है उसकी आह्ह लण्ड खड़ा कर दिया साली ने तो,,,, लेकिन मेरा बाप छोड़ेगा तब ना मुझे मिलेगी हिहिहिही

मै सामने की ओर उनकी चुदाई देख्कर मन मे - आह्ह मन तो कर रहा है अभी जाके मा को झुका कर चोद दू उम्म्ंम
मै अपने कड़े लण्ड को दबाया और थोड़ी देर बाद मन मार कर निचे हाल मे आ गया और बिजली आने तक हाल मे बैठा रहा ,,थोडी देर बाद बिजली भी आ गयी तो मै जाकर अपने कमरे मे सो गया ।
सुबह 6 बजे का अलार्म मेरे मोबाईल पर ही बजा और निद खुली तो घर मे कौतूहल मचा हुआ था ।
किचन से कुकर की सिटिया बज रही थी तो बाथरूम से नहाने की आवाजे ।

पापा भी हाल से बार बार मा को आवाज देकर सब पुछ रहे थे ।
मै उठा और सोचा यार बाथरूम मे तो कोई गया है तो चलो बाहर किसी के कमरे मे फ्रेश हो लू ।

मै मन मार कर अपना तौलिया लेके बाहर आया और सीधा मा के कमरे का दरवाजे पर जोर दिया तो वो हल्के झटके से तुरंत खुल गया ।
मैने दरवाज बंद किया और बाथरूम की ओर देखा तो बाथरूम खुला मिला
मै फटाक से बाथरूम मे घुस गया तो अन्दर शिला बुआ पेतिकोट पहने नहा रही थी ।

मै - अरे बुआ आप अभी नहा रही हो
बुआ पहले चौकी और फिर बोली - अरे बेटा तू है ,, हा मै बस नहा चुकी हू

मै पेट पकडते हुए - बुआ जल्दी करो आअहह ,,जोर की लगी है
बुआ हसी और साइड होकर बाथरूम मे बने टोइलेट सीट को दिखा कर बोली - हिहिही जा कर ले ना

मै हस कर लेकिन कराह कर - आह्ह बुआ जल्दी करो ना मै वैसे नही कर पाऊन्गा

बुआ हसी - तू दो मिंट बैठ मै बस ये पानी डाल कर नहाना है
मै जल्दी से बाहर आकर बाथरूम मे झाकते हुए चक्कर लगाने लगा ।
और दो मिंट बाद बुआ एक तौलिया लपेटे बाहर आई

बुआ अभी भी गीली थी - हिहिबी जा जल्दी ,,मेरे कपडे पडे अभी अंदर उन्हे भी धुलना है ।
मै हसा और फटाक से दरवाजा बंद कर बाथरूम मे घुस गया ।

5 मिंट बिता तो बुआ ने आवाज दी - क्या हुआ बेटा कितना टाईम लगेगा ,,मेरे कपडे अभी भी अन्दर ही है ।
मै - हा हा बुआ बस हो गया है ।
मै फटाक से फ्रेश हुआ और हाथ धुलने बाद मै बाथरूम की हैंगर पर से तौलिया लेके हाथ पोछ रहा था कि मुझे वहा बुआ का पेतिकोट ब्लाउज ब्रा दिखी

मुझे एक शरारत सुझी और मेरे लण्ड ने उसके लिए अपनी सहमती भी दिखाई ।
मै फटाफट करके अपने सारे कपडे निकाल कर वही बालटी मे डाल कर भिगो दिये यहा तक की अंडरवियर भी ,वैसे भी मेरे कपडे मम्मी ही धुलती थी ।
यहा मेरा लण्ड खड़ा हो गया था आने वाले रोमांच को लेके ।
मै एक बार चेक करने के लिए कि कमरे मे कोई और तो नही आया ना ।
मै हल्का सा दरवाजा खोल कर बाहर झाका और सामने बुआ अभी भी तौलिया लपेटे खड़ी थी

मै - हा बुआ आजाओ
बुआ मुस्कुराई और दरवजा खोल कर अंदर आई
बुआ हस कर - अरे तू ऐसे क्यू है , ऐसे नहाता है क्या

मै बुआ को पकड लिया और उन्के बडी सी गाड पे हाथ फेर कर उन्के होठ चुस्ते हुए बोला - नही अपनी सेक्सी बुआ के साथ नहाना है ।

बुआ मुझसे अलग हुइ- धत्त मै नहा चुकी हू रे ,,,जल्दी से नहा के आ
फिर बुआ अपने कपडे हैंगर से लेके जाने को मुड़ी तो मै लपक कर पीछे से दबोच लिया

आहह क्या नरम और फुली हुई गाड़ थी उम्म्ंम्ं
मै सीधा अपना हाथ बुआ की चुत पर ले गया और उसे तौलिये के उपर से ही दबाते हुए - अह्ह्ह बुआ रुको ना

बुआ सिस्क के - ओह्ह लल्ला मान जा ना ,,बहुत काम है अभी

मै धीरे से पीछे से तौलिया उठाकर लण्ड को बुआ की गाड की लकीरो मे घुसा दिया
बुआ - सीईई उम्म्ंं अह्ह्ह बेटा रहने दे ना उफ्फ्फ

मैने बुआ की एक ना सुनी
और उनको बेसिन की ओर घुमा दिया और दरवाजे के पास लगे एक दरख्कत से तेल की सिशी उतारि

बुआ हाथ मे लिये कपड़े अपने कन्धे पर रखते हुए बोली - ओहह लल्ला क्या करने जा रहा है तू
मै बिना कुछ बोले बुआ का तौलिया उपर किया और उनकी गोरी फैली हुई गाड़ को सहलाते हुए तेल को सीसी से तेल को उनकी गाड़ की मोटी लकीर मे टिपकाना शुरु किया

बुआ सिहरते हुए - उम्म्ं सीईईई ओह्ह बेटा ये क्याह्ह्ह्ह्ह

बुआ आगे कुछ बोलती उससे पहले ही मैने अपना लण्ड तेल मे चुपड़ कर उनकी गाड के मूहाने पर लगा दिया
मै धीरे से एक हाथ से बुआ के मोटी नरम गाड के एक पाट को पकड कर उनकी सुराख को फैलाया और दुसरे हाथ से लण्ड को पकड कर अपनी एड़ियो को उच्काते हुए लण्ड को उनकी गाड़ मे पेल दिया
बुआ - अह्ह्ह लल्लाअह्ह ,,उह्ह्ह आराम से उम्म्ंम्म्ं उफ्फ्फ्फ

मै मुस्कुरा कर सामने बेसिन के उपर लगे सीसे मे बुआ का दर्द और कामुक्ता से भरा चेहरा देख कर और भी उत्तेजना आई और मैने उन्के कुल्हे को थामते हुए धक्के लगाना शुरु कर दिया

अभी मेरा लण्ड तेल मे अच्छे से चिपुडा नही था तो लण्ड सुखी चमडी को बुआ की गाड मानो छील दे रही थी
ऐसे मे मुझे एक आइडिया आया और मैने वैसे ही बुआ की गाड़ मे हल्का हल्का धक्का देते हुए बुआ की गाड़ की लकीर मे तेल फिर से टिपकाना शुरु किया

बुआ को फिर से गुदगुदी मह्सूस हुई सामने आईने मे मुझे हस्ता देख बोली - अह्ह्ज सीई तू हस रहा अह्ह्ह ये तेल क्यू डाल रहा है अह्ह्ह मुझे फिर से नहाना पडेगा ओह्ह्ह बेटा उम्म्ंम्ं आराम से आह्ह

मैने देखा की अब बुआ भी रंग मे आ रही है और मेरे लण्ड की ओइलिंग हो चुकी थी जो बडे आराम से बुआ की गाड की गहराइयों मे जा रहा था

तो मैने भी बुआ के कूल्हो को थामा और उन्हे थोडा झुका कर तेजी से थप्प थ्प्प्प थ्प्प्प लम्बे लम्बे धक्के उनकी गाड मे पेलने लगा

बुआ की आवाज थम सी गयी
सुबह सुबह मोटा लण्ड अपनी गाड़ की जड़ो तक मह्सूस कर वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी और मुह खोल कर हाफते हुए सिसिक रही थी
मेरे तेज धक्को से उन्के तौलिये की गाठ खुलने लगी और वो निचे ना गिरे इसिलिए मै थोडा रुक कर उसे निकाल कर अपने गले मे लपेट लिया और अब बुआ पूरी तरह से नंगी थी और मुझे और भी उत्तेजना होने लगी
मेरा एक हाथ धीरे धीरे बुआ की हिलती चुचियॉ पर गया
अह्ह्ह ये नरम ताजी चुची उफ्फ्फ
मै लगातार बुआ की चुची को नोचते हुए बुआ की गाड मे पेल रहा था और झडने के करीब भी था और

मै - अह्ह्ह्ह्ह बुआआअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ज हा हा ओह्ह्ह

मै झड़ने लगा बुआ की गाड़ मे
बुआ भी ना जाने कबकी झड़ गयी थी और वही मेरा माल बुआ की गाड़ की जड़ो मे भरने लगा , पूरी तरह निचड़ जाने के बाद मै बुआ के उपर ही ढह गया ।

हम दोनो ने थोडी देर अपनी सासे बराबर की फिर मैने अपना लण्ड बुआ की गाड़ ने निकाला और सामने आईने मे बुआ को देखा वो खुश थी और शर्मा भी रही थी ।
मै उनको पीछे से हग कर उन्के चब्बी चब्बी गाल को काट लिया
बुआ हस कर - हट बदमाश कही का ,,चल अब नहा ले
फिर मै और बुआ वापस मे एक साथ नहा कर बाहर आये और मै तौलिया लपेट कर अपने कमरे मे चला गया ।

जहा मौसी नहा कर एक मैक्सि डाल ली थी ।
और बालो को तौलिये से लपेटा हुए बाहर निकल रही थी ।
मै मुस्कुरा कर उनको देखा और कमरे मे चला गया ।

थोडी बाद मै भी टीशर्ट लोवर पहन कर बाहर आया तो पापा गेस्टरूम से कुछ समान निकलवा रहे थे ।

पापा - अरे राज ,तू नहा लिया क्या
मै - हा पापा क्यू
पापा - अरे बेटा ये सब सारा समान जो है सगुन का वो भी तो लेकर जाना है अभी ।

मै - कोई बात नही वैसे भी प्रोग्राम दोपहर तक है ना तो फिर से नहाना ही पडेगा
फिर मैने बारी बारी से समान निकलवाया जो कि दूल्हे को देने के लिए रखा गया था ।
सारे समान को लेकर मै एक टेम्पो मे लादकर मै निकल गया मंदिर की ओर।

अभी सुबह के 7 बज रहे थे फिर भी लड़की वालो की तरफ की तैयारियो मे समय बहुत ही लगता है ।
मै फटाफट 10 मिंट मे मंदिर पंहुचा , जहा चाचा पहले से पहुच कर सारा काम देख रहे थे ।
भंडारी आ चुके थे और रसोई के लिये दिये कमरे मे अपना काम शुरु कर दिये थे ।

टेन्ट स्टेज स्टाल ये सब पे अनुज और राहुल लगे हुए थे ।
मै जाकर उन्से हाल चाल लिया और उन्हे अपने साथ लेके टेम्पो से सामान उतरवा कर लड़की वालो को जो कमरा तय हुआ था उस कमरे मे रखवा दिया ।

इधर हम खाली हुए थे कि पापा भी एक ई-रिक्शा लिये मिठाईया लेके आ गये ।
फिर चाचा और पापा दोनो ने मिल कर वो सारी मिठाईया स्टाल के पास ही रखवा दी ताकि बार बार असुविधा ना हो ।
इधर मै भी एक बार सारा मुआयना किया और फिर पापा को भी दिखाया कि सब काम सही रूप से चल रहा है ।

थोडी देर बाद मैने वहा रुक अनुज और राहुल को भेज दिया कि वो दोनो जाकर नहा ले और कुछ खा पी ले ।
फिर पापा भी चले गये घर के लिए ।

इधर 8 बजने को था कि चंदू ने फोन किया तो मैने बोला कि सीधा मन्दिर पर आजा ।

इधर मैने और चाचा ने मिल्कत धीरे धीरे स्टेज और स्टाल का सारा काम देख लिया । जब चंदू आया तो उसे भी रसोई घर मे भेज दिया कि कुछ काम देख ले ।

10 बजने तक हमारे सारे काम खतम हो गये थे ,,
बस एक ही चीज बाकी था वो था कोल्डड्रिंक लाने का ,,, पापा ने उसे आखिरी मे लाने को कहा था कि जब सारे काम हो जाये तो उसे लेके आऊ ।

फिर मैने चाचा को सुचना दी और चन्दू को बोला की दो बोरी लेले ।
फिर हम लोग मंदिर मे खड़ी एक ई-रिक्से को लेके निकल गये ।
पापा ने आज के पुरे दिन के लिए दो ई-रिक्से को बूक कर दिया । ताकि कोई जरुरत हो तो जल्दी समस्या ना हो ।
इधर हम दोनो निकल गये कोल्ड ड्रिंक के लिये ।

पहले तो हम तय किये हुए शॉप पर गये जहा से कोल्ड ड्रिंक की पैकेट को लादा और फिर हम लोग एक बर्फ वाली फ़ैक्ट्री पर गये । जहा से हमने बर्फ की बडी शिल्ली को बोरे मे भरा और उसे भी लाद लिया ।

मै फटाक से आगे बैठ गया और पीछे सारी जगह फुल हो गयी
चंदू - अबे साले मै कहा बैठू
मै हस कर - अबे बोरी पर बैठ जा ना कितना दुर जाना है

चंदू - साले देख कितना ठन्डा है ,, मेरी गाड बर्फ बन जानी है इसमे

मै थोडा रौब दिखा - अबे बैठ साले ,,बक्चोदी ना कर ,,कितना काम पडा है

वो चुपचाप तुरंत बैठ गया और मै सामने मुह के हसने लगा ।
रास्ते भर चंदू अपनी गाड सिकोड़ते हुए मन्दिर तक आया ।

जब वो उतरा तो उसका पैंट भीग चुका था ,,,जिसका मजा वहा पर चाचा ने भी लिया ।

फिर हमने सारे कोल्ड ड्रिंक के पैकेट उतार और सबको स्टाल के पास ले गये और वही एक बडे भगोने मे बर्फ को तोड कर रखा गया और सारी कोल्ड ड्रिंक की बोतले उसमे रख कर बोरी से धक दी गयी ।

अब लगभग सारा काम खतम हो चुका था और इधर पापा भी एक ई-रिक्से से अपने साथ जमुना ताऊ और अनुज राहुल को लिवा के आये ।

पापा - बेटा तुम ये दोनो ई-रिक्शा लेके चले जाओ और तैयार होकर फटाफट सबको लिवा कर चले आओ ,,,क्योकि 11बज गया है और 12बजे लडके वाले आयेंगे ।

मै - जी पापा ,,चंदू चल तू भी
फिर हम दोनो एक एक ई-रिक्से मे बैठ कर निकल गये चौराहे वाले घर
घर पहुचा तो देखा तो महिला मंडलो का तान्ता लगा हुआ था ।
हाल मे मा , रज्जो मौसी , शिला बुआ , चाची ,रन्जू ताई , शकुन्तला ताई , काजल भाभी ,पंखुडी भाभी ,विमला मौसी , रजनी दीदी ,,, लगभग सभी ने साडी पहनी थी ।

इधर इतनी महिलाओ को देख कर मै और चंदू थोडा शर्माहट फील कर रहे थे ।

मै - मा मेरे कपडे निकाल दो
मा - हा तेरे और चंदू के कपडे तेरे कमरे मे है ,,जल्दी से तैयार होकर आ ।

मै - अबे तू यही नहाएगा
चंदू को वहा हाल मे बात करने मे शर्म आ रही थी तो वो मुझे खिच कर कमरे मे ले गया - हा बे , मम्मी ने सुबह ही बोला था कि यही आकर तैयार हो लू क्योकि घर पर ताला मारना था न ।

मै - ओह्ह मतलब तेरी दीदी भी आई है
चंदू - हा बे ,,चाहिये तो बोल रोक दू क्या
मै ह्स कर - हट बे बाद मे हिहिही
फिर मै और चंदू साथ मे नहा कर अच्छे से तैयार हुए और हाल मे आये ।

हाल मे और भी भीड़ बढ गयी थी ।
क्योकि मामी के यहा से फुल फैमिली आ चुकी थी मामा को छोड कर ।

मै सबसे मुखातिब हुआ और अपनी सेक्सी और चुल्बुली मामी से भी जो आज लाल चन्देरी साड़ी मे कहर ढा रही थी । पूरी महिला मंडली मे सबसे डिफरेंट और सेक्सी लूक मे थी वो ।

गीता बबिता जो कि सेम पैटर्न मे अच्छी सी गाऊन मे थी और मुझ्से मिल कर उपर निकल गयी । जहा सोनल दीदी के कमरे मे कोमल, चन्दू की बहन चंपा , निशा पहले से ही मौजुद थे ।

नाना - रागिनी बेटा सुनो
मा थोडी शर्माई और बोली - हा बाऊजी ।
नाना - ऐसा करो थोड़ा थोडा करके सब लोग निकलते चलो ,,समय ज्यादा नही है ।

मा - हा बाउजी बस आपकी ही राह थी ,,, आईये दीदी आप लोग भी चलिये ।

फिर दो इ-रिक्से मे रज्जो मौसी , चाची , विमला मौसी , रजनी दीदी , शकुन्तला ताई, रंजू ताई , और मेरी दोनो सेक्सी भाभी बैठ कर निकल गयी ।

फिर नाना ने बोलोरो मे मामी ,
गीता बबिता चंदू और मुझे बिठा कर निकल गये ।
बैठते वक़्त नाना ने बताया कि अभी अगले चक्कर मे वो मा कोमल ,निशा और सोनल को लिवा लेंगे ।

इधर 2 मिंट मे ही हम लोग मन्दिर मे पहुच गये और उतर कर अन्दर गये ।
जहा गीता बबिता ने पापा और चाचा से मिली और फिर

पापा खुद जाकर नाना और मामी से मिले ।

नाना हमे छोड कर फीर से निकल गये चौराहे पर मा और बाकी लोगो को लेने ।
इधर लगभग सारी तैयारिया हो चुकी थी ।
खाने का स्टाल तैयार था ,,मिठाईयो का भी
और पानी का इन्तेजाम हो गया था ।
थोडी देर बाद नाना सबको लिवा कर आये और सारी महिला मंडली एक साथ एक कमरे मे थी ।

इधर पापा ने भी अमन के पापा को फोन कर जानकारी देदी और अगले 15 मिंट मे लड़के वाले आ गये 3 बोलोरो की गाडिया आई थी ।

अमन की फैमिली से सब लोग परिचित थे , लेकिन और भी कुछ मेहमान लोग और एक पांडित जी आये थे उनके साथ ।
फिर चाचा पापा और मै मिल कर सबका स्वागत किये ।
सभी जेन्स लोगो बिठाया गया और महिला लोगो को लड़के वालो के लिए जो कमरा मिला था उसमे भेज दिया गया ।

सभी की आव्भगत और मेल मिलाप हुआ और फिर सबको मै , चंदू और अनुज राहुल ने मिल कर पानी पिलाया ।

थोडी देर बाद ही पंडित ने मुहूर्त के हिसाब से काम आगे बढ़ाने को कहा ।

स्टेज पर सबसे पहले अमन के पाव पुज कर पापा ने सगुन की थाली और सारा समान उसके पिता मुरालिलाल को सौपा ,, फिर अमन की मा यानी सोनल की होने वाली सास ने भी अपने होने वाली बहू के पाव पुज कर उसे सगुन के समान दिये ।

फिर सारे कार्यकर्म विधिवत संपन्न हुआ और अब बारी थी अंगूठी बदलने की ।
लड़का लडकी को स्टेज पर लगे सोफे पर बिठाया गया और पुजा , सगुण के सारे सामान को इधर उधर रखा गया ।

फिर तय समय पंडित जी ने मंत्रोच्चारण के साथ रिंग की अदला बदली की गयी ।
फिर थोडे फैमिली फ़ोटो निकाले गये और आशीर्वाद लेन देन भी हुआ दोनो पक्षो से लड़का लड़की का ।
फिर हमने थोडी मस्ती मजाक भी किये।
इधर फ़ोटो शूट के दौरान मेरे तरफ की महिलाओ ने अमन को बुरी तरह से घेर लिया था,,,बाकी मर्द लोग आपसी मेल मिलाप मे लगे थे और पंखुडी भौजी ने कमान सम्भालते हुए

पंखुडी भौजी - तब हो नंदोई जी ,,ब्डा चोखा माल पायिल बाटी रउरे
सोनल और अमन दोनो उनकी बाते सुन कर शर्मा कर मुस्कुरा रहे थे ।
पंखुडी अमन की खिचाई करते हुए - हई देखा हो इनकी बहिनचोदो ,, लजात बाटे

तभी मेरी सेक्सी मामी आई और अमन की गोद मे बैठ गयी और बोली - ये बाबू तनी खिचा हो फोटुवा हमार और इनकी बहिनचोदो के
अमन को बहुत ही अजीब फील हो रहा था ,वही दीदी मजे ले रही थी ।

इधर अमन की खिचाई हो रही थी और मै उछल कूद कर मजे ले ले कर तस्वीरे निकाल रहा था ,कि तभी अमन की मम्मी आई और मुझे पकड ली ।

मेरे गाल खिच कर बोली - बड़ी उछल कूद कर रहे हो आप तो हा ,,,खुद के दोस्त को परेशान करवा रहे हो

ममता एक हसिन सी सेक्सी औरत से - ए बहिनी तनी बाबू के भी खोज खबर ले लीं ,आईं

तभी वो औरत आई और मुझे लेके अपनी गोद मे बैठ गयी और छोटे बच्चे की तरह दुलारते हुए - औरि बाबू , का नाम बाते राऊर

मै हसा और थोडा उसकी गोद से उतरने लगा तो वो वापस मुझे पकड कर अप्नी तरफ खिच ली और बोली - आह्हा , पहिले बोलब फिर हम जाये देब

मै हस कर - वो हम दुल्हन के भाई है
वो औरत बोली - ते हमहू राऊर दीदी के बुआ सास लागब
मै अमन की बुआ के गोद मे छ्टपटा रहा था और वो मुझे अपनी ओर खीच रही थी ,, इसी कसमसाहट मे मेरा पीठ ना जाने कित्नी बार उनकी चुचियो को मिज दिया था

आखिरकार हालत खराब होने पर वो छोड दी और अपनी साड़ी सही करने लगी ,,मौका पाते ही मै वापस भाग गया स्टेज पर

थोडी देर तक ऐसे हसी खुशि भरा माहौल जमा रहा और फिर थोडा दोनो तरफ के मेहमानो ने आपस मे बात चित की और फिर नाना के पहल पर दोनो तरफ के लोगो ने खाना खाने की शुरुवात की ।

इधर पापा ने अमन की मा से जुड़ने का और उन्हे ताड़ने का एक भी मौका नही छोडा ,,,उधर अनुज और राहुल भी लड़के वालो की तरफ से आई कुछ लड़कीयो को ताड़ रहे थे और उधर के लड़के भी हमारी तरफ की हसिन लड़कीयो और भौजाई लोगो की ताड़ रहे थे ।

आज पंखुडी भाभी की मदद से खाने के दौरान ही मै और काजल भाभी काफी खुल गये और थोडी बहुत जान पहचान आगे बढ़ी ।

शाम 4 बजे होते होते सारे प्रोग्राम खतम हुए और लड़के वाले निकल गये ।
इधर हमारी तरफ से आई महिलाए भी निकल गयी चौराहे वाले घर पर ।

फिर हम सब मर्द और लड़को ने मिल कर सारे समान को वापस टेम्पो मे लाद जो कुछ सगुन के थे तो कुछ अपने घर के राशन और अन्य समान ।

सारा समान लाद कर और धर्मशाला खाली करने के बाद हम सब भी निकल गये चौराहे पर ।

हमलोगो को आने मे थोडा वक़त लग गया था तो , शिला बुआ और नाना की फैमिली अपने अपने घर चली गयी ।
विमला और कोमल , पंखुडी भाभी का परिवार , काजल भाभी और शकुन्तला ताई, रजनी दीदी और चंपा , सब के सब निकल गये अपने घर ।

इधर हम आये और सारा समान गेस्टरूम मे रखवा दिया गया ।
फिर पापा ने टेम्पो और ई-रिक्शा वालो का हिसाब किया और हम सब हाल मे आ गये ।

थोडा आराम हुआ और मा ने हम सबके लिये चाय बनवाई ।
सब काम खतम होने के बाद चाचा चाची ने अपने घर जाने की इजाजत मागी तो पापा ने साफ मना कर दिया ।

क्योकि थके सब थे और वैसे भी खाना बनाना नही था ,,क्योंकि काफी सारा खाना बचा था जिसे मा ने सारे मेहमानो के साथ कुछ न कुछ रात के लिए पार्सल करवा दिया था उसी समय ताकि खाना बेकार ना जाये ।

सारे लोगो ने खाना खाया और अब बारी थी सोने की ।

जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 104



अभी मुश्किल से रात के 8बजे थे और हम सब खाना खा कर हाल मे बैठे हुए दिन भर की विषयो पर चर्चा और आगे के कामो के लिये तैयारियो के बारे मे बाते कर रहे थे ।

सोनल और निशा उपर जा चुकी थी सोने और मै बहुत ही ज्यादा थक गया था तो मै मा को बोल कर अपने कमरे मे आ गया सोने ।

मैने मेरे कपडे निकाले और गर्मी के वजह से सिर्फ़ अंडरवियर मे सो गया ।

रात मे करीब साढ़े नौ बजे के करीब मेरा मोबाइल बजने की वजह से मेरी नीद खुली और मैने फोन चेक किया तो सरोजा जी का फोन था ।

मै पहले तो फोन देख कर उठाया ही नही ,,क्योकि मेरी नाराजगी जो थी उनसे लेकिन मन मे भड़ास भी निकालनी थी तो आखिरी रिंग तक मैने फोन पिक की ।

सरोजा - हाय हीरो कैसे हो

मै तुनक कर - हुउह आपसे मतलब ,,मै जैसा हू अच्छा हू
सरोजा - अरे सॉरी बाबा ,,,मै नही आ पाई ,मुझे एक डील के लिए बनारस आना पड गया था और भैया भी नही थे नही तो मै उनको ही भेज दी होती ।
सरोजा - तो सॉरी ना मेरे राजा ,,,माफ कर दो ना प्लीज

मै - हम्म्म ठीक है , जाओ माफ किया , लेकिन आप वापस कब आ रहे हो ।

सरोजा - बस यही कुछ एक हफते मे ,,,और बताओ सब कुछ कैसा रहा
मै - सब ठीक रहा , बस मा को बडी इच्छा थी आपसे मिलने की हुउउह आप आये नही

सरोजा - अच्छा बाबा नेक्स्ट टाईम पक्का हम्म्म
मै - हम्म्म
सरोजा - लग रहा है कि आज बात करने का मूड नही है,,,मूड बनाऊ क्या मेरे राजा का

मै मुस्कुरा कर - नही ,वो मै थक गया हू ना तो निद आ रही है

सरोजा - ओह्ह सॉरी , ठीक है तुम आराम करो ,हम बाद मे बात करते है । बाय गुड नाइट मेरे हीरो उउउउमम्मम्ंआआआह्ह

मै - ह्म्म्ं गुड नाइट

फिर मै फोन रख कर लेट जाता हू ।
तभी मेरा ध्यान मेरे खाली पड़े बिस्तर पर जाता और कुछ सोच कर मेरी निद पूरी तरह से गायब हो जाती है ।

मै मन मे - अरे मेरे साथ कोई सोया नही है ,,मौसी कही पापा के साथ तो
मै मुस्कुरा कर - ओह्ह तो आज जम कर थ्रीसोम हो रहा होगा ।

मै इसपे ज्यादा ध्यान नही दिया ,,लेकिन थ्रीसोम से मुझे ध्यान आया कि आज क्यू ना सोनल और निशा के साथ एक थ्रीसोम कर लिया जाये ।

मै बडी ताजगी के साथ उथा और एक टीशर्त और लोवर पहन लिया । जेब मे अपना मोबाइल रख लिया ताकि उपर जाकर बाहर से फोन करके दीदी को जगा सकू और अनुज को भी पता ना चले ।
मै बाहर हाल मे आया तो पापा के कमरे से कुलर के चलने की आवाज आ रही थी और मै सीधा निकल गया उपर एक बार अनुज का कमरा चेक किया तो सब कुछ शांत मिला ,,,क्योकि अनुज और राहुल भी बहुत थक गये थे तो आराम कर रहे थे ।

मै दिदी के कमरे के पास गया और दरवाजे पर खटखट किया । मगर कोई रेस्पोंस नही मिला ।

मैने फौरन दिदी के मोबाइल पर कॉल किया तो मोबाइल बिजी बताने लगा ,,, जाहिर सी बात थी कि वो अमन से ही बात कर रही होगी ।

मेरे फोन की रिंग पाते ही अमन को होल्ड पर रख के वो फोन पिक की
दीदी - हा भाई क्या हुआ ???
मै खुसफुसा कर - दिदी दरवाजा खोलो
दीदी अचरज से - दरवाजा खोलू ? मतलब ???
मैने बिना कोई रिप्लाई के थोडा जोर से खटखट किया
दीदी - तू बाहर है क्या भाई ?
मै खीझ कर - हा मेरी मा अब खोलो
दीदी ओके बोल कर दरवाजा खोली लेकिन तब तक वो मेरा फोन काट कर अमन से बात करने लगी ।

दिदी फोन पे - हा वो राज फोन किया था ,, नही बस ऐसे ही , हा

मै मुस्कुरा कर कमरे मे घुसा और दरवाजा बंद कर दिया ।
दिदी इस वक़्त एक इनर टेप और शोट्स पहने हुए थी ,,,वही बिस्तर पर लेती निशा भी वही पहने हुए थी ।जो कि सोनल की ही थी ।

दीदी अमन से बात करते हुए मुझे इशारे बोली क्या बात है ।

मै एक शैतानी मुस्कान दी और वो समझ गयी तो अमन का कॉल म्यूट पर डाल कर बोली - भाई मै बात कर रही हू

मै हस कर निशा की ओर इशारा किया तो बोली - ठीक है लेके जाओ फिर

मैने मुस्कुरा कर ना मे गरदन हिलायि ,,वही बिस्तर पर लेती निशा मे मेरे आने से ही खुमारि चढ़ने लगी थी ।
सोनल मेरे ना मे गरदन हिलाने पर निशा को देखती है जो इतरा रही होती है ।

मै हस कर - आप बात करो ना दिदी ,,हम आपको डिस्टर्ब नहीं करेंगे , बिना कोई आवाज के

सोनल मेरी बातो पर कोई प्रतिक्रिया देती उससे पहले ही अमन की आवाज सुनाई देने लगी जो काफी समय से सोनल की प्रतिक्रिया का इंतजार मे था ।

सोनल ने उसको अनम्यूट कर उससे बाते करने लगी और मै निशा की ओर बढ गया ।
सोनल वापस मोबाइल मे लग गयी ।
इधर मै निशा के पास गया तो वो उठ कर बैठ गई और हम दोनो एक गहरे लिपलॉक मे खो गये ।

धीरे धीरे उसके होठो को चुसते हुए मै उसे बिस्तर के किनारे तक ले आया और वो समझ गयी ।
उसने अपने पैर बिस्तर से लटकाये और मेरे लोवर को पकड कर खिच कर निचे किया ।

मेरा लण्ड जो पहले से ही खड़ा था वो निशा के हाथो का स्पर्श पाकर और टनटना गया ।

निशा बड़ी उत्सुकता से मेरे लण्ड को थाम कर उसकी चमडी को आगे पीछे करते हुए मेरी आंखो मे देखा और मुस्कुराने लगी ।

मैने भी उसके बालो मे हाथ फेरा और उसने झुक कर सुपादा खोलते हुए लण्ड को मुह मे ले लिया ।

इधर सोनल अमन से फोन पर बाते कर रही थी और उसकी नजरे मेरे और निशा पर ही जमी थी ।

यहा निशा धीरे धीरे पुरा लण्ड मुह मे लेने लगी वही सोनल की हालत खराब होने लगी और वो अमन की बातों का कोई खास जवाब नही दे रही थी ।

निशा बडे आराम से हौले हौले अपनी अदा से मेरे लण्ड को गिला करना शुरु कर दिया था और मेरे भी हाथ उसकी चुचियॉ पर थे जो टेप के उपर से ही उन्हे सहला रहे थे ।

मेरी नजर जब भी सोनल से टकराती तो वो बस एक मुस्कान देती और मै उसे पास आने का इशारा करता तो वो मुझे फोन दिखा देती ।

इधर थोडी देर तक निशा से अपना लण्ड चुसवाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और उसके होठ चूसने शुरु कर दिया और होठ चुस्ते हुए शॉटस के उपर से उसकी कसी हुई गाड को मसलना शुरु कर दिया ।

हाथो मे भर भर के उस्के गाड़ के पाटो को फैलाने लगा ।
फिर मैने निशा को पीठ की ओर घुमाया और सामने लाकर निचे से हाथ ले गया और उसकी चुचियॉ को पकड कर मसल दिया जिस्से निशा की तेज सिसकी निकल गयी ।

निशा की सिसकी सुन कर सोनल ने चौक कर हमे देखा तो मै धीरे धीरे सोनल को दिखाते हुए निशा का टेप उपर कर देता हू और खुली कडक चुचियॉ को हाथो मे भर कर मसलने लगता हू ।

सोनल इस सीन को देख कर कामुकता से भर जाती है और उसके हाथ खुद ब खुद उसकी चुचियॉ पर चले जाते है । उसे हमारा रोमांस देख कर नशा सा होने लगता है और वो अमन से उसकी बाते सुन कर बस हू हा मे जवाब देते हुए हमे देखकर अपनी चुचियॉ को सहलाने लग जाती है ।

यहा निशा की हालात खराब थी क्योकि मेरी सख्त खुरदरी हथेलिया उसकी कडक निप्प्ल पर घूम रही थी और वो सिसक जा रही थी । निशा मादकता बस अपनी गाड़ को मेरे लण्ड पर घिसने लगी । अपने लण्ड पर उसके मुलायम गाड़ का स्पर्श पाकर मै और उत्तेजित होने लगा और एक हाथ निशा की चुत को शोट्स के उपर से ही सहलाने लगा ।
यहा निशा और भी अठखेलियां खाने लगी मेरे बाहो मे और वही सोनल ने धीरे धीरे अपने जिस्मो के हर हिस्से को छूना शुरु कर दिया और हल्की सिसकिया भी ले रही थी ।

मेरे हाथ निशा की चुचियॉ को मसल रहे थे और वो लाल होने लगे थे और दुसरे हाथ ने उसकी चुत को रगड़ रखा था ,,,,निशा की सिसकियाँ काफी कामुक थी ,,,उसका एक हाथ मेरे लण्ड को अपनी मुथ्ठी मे कस कर उसे भींच रहा था । ये सब देख के सोनल को रहा ना गया और उसने अपनी चुचिय बाहर निकाल दी टेप से और उन्हे मसलने लगी ,,,मगर अब भी उसने फोन नही काटा था , ना जाने क्या बाते हो रही थी ।

यहा मेरे हाथ निशा के शोट्स मे घुस कर उसकी पैंटी मे भी घुस गये थे और उसके चुत के दाने को सहला रहे थे ,,,उस्की चुत पानी बहा रही थी।
मैने बिस्तर की ओर झुकाया और उसकी शॉटस को पैंटी सहित जांघो तक सरका दिया ।
फिर मै घुटने के बल बैठ कर उसके गोरे मुलायम गाड़ के पाटो को सहलाते हुए उन्हे फैलाया और अपनी जीभ पर खुब सारा लार एक्थ्था कर निशा की गाड़ के गुलाबी सुराख को गिला करने लगा ।

अपनी गाड़ के सुराख पर मेरी गीली जीभ का स्पर्श पाते ही निशा तिलमिला उठी और काँपने लगी ।
मैने उसके कूल्हो को थामा और अच्छे से जीभ चलाना शुरु कर दिया ।
निशा की हालत खराब हो रही थी और वो अपने चुतड के पाटो को सखत करते हुए एठने लगी ,,,मगर मेरी मजबूत पकड से मै उसके चुतड के मुलायम गोरे पाटो को फैलाये चुत से निचले सिरे से गाड की सुराख तक मुह धन्साये जीभ फेर रहा था ,,वही सोनल की हालत भी कुछ खास ठीक नही थी ,,,वो तो अमन की बातो को पूरी तरह से नकार चुकी थी , वो क्या बके जा रहा था उससे सोनल को कोई मतलब नही था ,,,वो ब्स हमारी कामलीला देख कर बहुत ही गरम होने लगी थी ,,,उस्के हाथ उसकी खुली चुचियॉ से सरक कर उसकी चुत तक आ गये ।

सोनल बिसतर का टेक लेके अपनी जान्घे खोल कर बैठी हुई थी और एक हाथ से शॉटस के उपर से ही अपनी चुत को सहलाते हुए ,,,बहुत ही कामुक भरी सिसकिया ले रही थी ।

इधर निशा के पैर अकडने शुरु हो गये ,,,उसका सन्तुलन बिगड़ने लगा था । मुझे अहसास हुआ कि अब वो झड़ रही है यो मैने अपनी गर्दन निचे कर उसके चुत के निचले सिरो पे लगा दिया और चपड चपड़ जीभ चलाने लगा ।

निशा अपनी सासे बन्धे झडने लगी और यही मौका मुझे सही लगा और मैने खड़ा हुआ ।
फिर मैने निशा कर एक पैर फ़ोल्ड करके बेड पर रखा और लण्ड को उसकी चुत के टिका कर एक झटके मे आधा लण्ड उतार दिया ।

निशा की आंखे बाहर हो आने लगी और उसकी सिसकी इत्नी तेज थी कि उसने मुह पर हाथ रख लिया ,,,,मै एक पल को लण्ड को ऐसे ही रोके रखा और सोनल को देखा तो वो समझ गयी कि उसे अब फोन रख देना चाहिए

सोनल - सुनो मै बाथरूम जा रही हू अभी बात करते है ,,
ये बोल कर सोनल ने फोन काट दिया और मुस्कराकर मेरी ओर इशारा किया की मै आगे बढ जाऊ ।

मैने एक बार फिर निशा से कुल्हो को सहलाते हुए थामा और एक ताकत भरा धक्का निशा की चुत मे पेल दिया ,,,मेरा लण्ड निशा की चुत को चिरता हुआ उसकी जड़ तक चला गया ।

निशा दर्द से तडप उथी ,,,उसकी सिस्कियो मे दर्द की अह्ह्ह भरी थी ।

धीरे धीरे मैने ध्कके देने शुरु किये और पेलना जारी रखा

वही सोनल ने अपने सारे कपडे निकाले और नंगी होकर अपनी चुत को निशा के सामने ले गयी ।

निशा ने भी देरी किये बिना तुरंत अपना मुह उसकी चुत मे भिड़ा दिया ।

ये सब देख कर मुझमे और भी उत्तेजना आ गयी और मै निशा के दुसरे पैर को भी उठा कर बेड पर कर दिया

अब मेरा लण्ड सीधा निचे की तरफ निशा की चुत मे उतरने लगा ,,,,जिससे और भी पागल होने लगी ।

सोनल भी जो कि हमारी चुदाई से मदहोश हुई जा रही थी वो मुझे जोरदार धक्के लगाते देख कर और भी गरम होने लगी ।
उसने निशा के बाल को पकड कर उसके चेहरे को अपनी चुत पर बडी बेरहमी से दरने लगी ,,वही मेरे लम्बे लम्बे धक्के खाने से निशा बुरी तरह से तडप जा रही थी ।

इधर सोनल भी निशा के चेहरे को अपनी चुत पर दरते हुए झड़ रही थी और मै भी लगभग चरम पर ही था ।

एक झटके मे मैने अपना लण्ड निकाल कर निशा को झटका ।
वो दोनो समझ गयी कि क्या होने वाला है और वो फटाफत अपनी मेहनत का इनाम लेने घुटनो के बल फर्श पर बैठ गयी और अपना मुह खोल कर जीभ बाहर निकाल दिया ।

निशा का चेहरा बुरा तरह से बिखरा हुआ पडा था क्योकि मैने और सोनल ने मिल कर जो बेरहमी से मजे दिये थे ,,,
इधर मेरा माल निकलने को था और मैने अपनी एडिया उच्काई और लण्ड को मुठियाते हुए पिचकारी को दोनो के मुह पर छोडा और आखिर मे लण्ड को झाड़ कर खड़ा हो गया ।

दोनो ने बारी बारी से मेरे लण्ड को निचोड़ा और किसी पेशेवर लेस्ब्न पोर्नस्टार की तरह आपस मे मेरे माल को साझा कर एक दुसरे के होठ चूसे ।

फिर हम सब उठे और बेड पर बैठ गये ।
थोडा आराम करने के बाद वो दोनो अपने कपडे पहनने लगी ।तभी मेरी नजर एक पैक हुए बैग पर गयी जो दीदी की थी ।

मै - दीदी ये बैग क्यू निकाला है ।
सोनल - अरे हा ,,वो मुझे परसो मौसी के साथ उनके घर जाना है ना ,,तो कल उसी के लिए पैकिंग करनी है ।

मै - अरे लेकिन अभी से क्यू ,,,रमन भैया की शादी मे अभी तिन हफते है ना ।

सोनल - भाई मन तो मेरा भी नही है जाने का ,,,मगर मौसी मा से बोल दी है और मा ने भी हा कर दी है । तो कल मुझे उन्ही के साथ जाना पड़ रहा है ।

मै खुश होकर - अरे कोई बात नही मौसी के यहा जाओ ,,,वैसे भी वो अकेली पड जाती है ना काम करने के लिए ।

सोनल - हा इसिलिए मा ने अनुज को भी लेके जाने को कहा है ।
मै - लेकिन अनुज को क्यू
सोनल - पता नही , और कल हम सब लोग शॉपिंग के लिए भी जायेंगे ,,,फिर परसो यही से गाडी बुक करके मौसी के यहा सारा सामान लेके निकल जायेंगे ।

मै उलझन में - लेकिन ये सब प्लानिंग कब हुई
सोनल - अरे वो तो कल शाम को ही जब मौसी आई तो तभी । उस वक़्त तू था नही ना और इतने काम पड़े थे तो किसी को ध्यान मे ही नही आया ।

मै - हा ये भी है ,,,,कोई बात नही कल मै बात कर लूंगा मम्मी से ,,,
फिर मै उन दोनो को सोने का बोल कर नीचे चला आया ।
वैसे भी थक ही चुका था और कल फिर से भागा दौडी होनी थी । इसिलिए मै भी सो गया ।


सुबह 6 बजे मोबाईल का अलार्म बजा और मेरी निद खुली तो मै उठकर बाथरूम मे की ओर गया तो दरवाज बंद था ।

बाथरुम के दरवाजे पर खटपट सुन कर अन्दर से रज्जो मौसी की आवाज आई और मै इत्मीनान हो गया ।
फिर मै कमरे से निकल कर बाहर आया तो देखा कि चाचा चाची निशा राहुल सब लोग अपने घर निकल रहे है और मा भी एक मैकसी पहने बाहर गयी थी ।
मै - क्या हुआ सब लोग इतनी सुबह क्यू जा रहे हो
मा - पुछ वही अपनी चाची से पता नही कौन सी जल्दी है
चाची सफाई देते हुए - अरे बेटा बहुत काम पड़ा है ,,,इतने दिन से यही थी तो घर मे सारा समान बिखरा है ,,सारा कुछ साफ सफाई भी करना पडेगा ना

मै भी उनकी सम्स्या को समझा आखिर वो लोग हमारे लिए ही तो अपना काम सब कुछ छोड कर हमारे साथ लगे थे ।

तो मैने भी उनको जाने की इजाजत दी ।
फिर मै भी 8 बजे तक नहा धो कर फ्रेश हुआ और नास्ते के लिए आया ।

सभी लोग नासता कर रहे थे तो मैने मौसी से नाराजगी जताते हुए बोला कि कयू आखिर उन्होने मुझे नही बताया कि वो सोनल और अनुज को लिवा के जा रही है ।फिर मा ने मुझे प्यार से दुलारा और समझाया कि वहा ज्यादा लोग नही है ना तो ये लोग रहेंगे तो काम मे हाथ बट जायेगा ।
नासता करने के बाद मै और पापा अपने दुकान के लिए निकल गये थे और मैने बोल दिया कि वो लोग अनुज को ही लिवा जाये शॉपिंग के लिए ।

मा ने भी मेरी हालत समझी क्योकि मै बहुत थक गया था और मुझे दुकान भी देखना था । चुकी इस समय शादियो का समय चल रहा है तो अकेले अनुज के बस था नही कि वो सम्भाल ले ।

फिर मै दुकान पर निकल गया और देखते ही देखते आज का दिन बीत गया ।

रात को 8 बजे तक मै घर गया तो हाल मे काफी सारे समान की पैकिंग चल रही थी ।

मै - मौसी यहा से क्यू इत्ना सब ढो रही हो आप ,,, वहा शहर मे तो सब बडी आसानी से मिल जाता आपको

मौसी - अरे लल्ला ,,वहा मै अकेले घूम कर कितना और क्या क्या लेती ,,यहा तेरी मा ने मेरी मदद कर दी है अब कल हम लोग निकल जायेंगे गाडी बुक करके

मै - हा ये भी सही है ।
इधर मा और दीदी किचन मे खाना बना रही थी और अनुज मौसी के साथ समान की पैकिंग कर रहा था ।
इतने मे पापा भी आ गये और वो भी इतनी सारी शॉपिंग के लिए वही सब पुछताछ किये जो मैने की थी और मैने उन्हे जवाब देके संतुष्ट किया ।

रात मे 9 बजे तक खाना के बाद हम सब अपने अपने कमरो मे सोने चले गये ।
रात मे मौसी मेरे साथ ही सोयी और एक राउंड की जोरदार चुदाई के बाद मैने उन्हे पापा के पास भेज दिया और खुद उपर दीदी के पास चला गया ।


जारी रहेगी ।
बडा ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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💥CHODAMPUR SPECIAL UPDATE💥


रात में रज्जो मौसी को एक राउंड चोदने के बाद मैने उन्हे पापा के पास भेज दिया ,,,, और खुद दीदी से मिलने उपर चला गया ।

मगर किस्मत उतनी अच्छी नही थी ,,,क्योकि उपर दीदी के कमरे मे अनुज और दीदी दोनो अपनी पैकिंग मे लगे थे ।

मैने दीदी को इशारा किया तो वो मना कर दी ,,,आखिरकार मन गिरा कर मै थोडा बहुत बाते कर अपने कमरे मे आया ।
मुझे सूझ ही नही रहा था कि क्या करू ,,, मौसी को एकबार चोद कर भी मेरे लण्ड की तडप नही मिट रही थी ।

मै सोचा सरोजा जी इंटेरेक्ट करू लेकिन वो कही बिज़ी थी ,,,फिर मैने कोमल को ट्राई किया लेकिन वो फोन पिक नही की ,,,क्योकि रात के साढ़े दस हो रहे थे ।

मुझे नीद नही आ रही थी ,,,बार बार मेरा ख्याल बगल के कमरे मे चल रहे चुदाई के बारे मे ही जा रहा था ।
इसिलिए मैने भी मोबाइल पर मूवी लगाई और देखते देखते सो गया ।

अगले दिन बड़े सवेरे ही किचन मे छौका भूनना सुरु हो गया । मै भी 8 बजे तक तैयार हुआ और 9 बजे तक नाश्ता करने के बाद मौसी सोनल और अनुज सब एक बोलोरो मे बैठ गये और समान कुछ अंदर तो कुछ उपर बान्ध दिया गया । फिर वो लोग भी निकल गये जानिपुर शहर के लिए ।

उनके जाने के बाद मै और पापा भी अपने अपने दुकान के लिए निकल गये ।
दोपहर मे 12 बजे तक मा टिफ़िन लेके दुकान पर आई और फिर मै पापा का खाना लेके उनको देने गया तो पापा ने बताया कि मौसी का फोन आया था और वो लोग भी पहूच गये सकुशल घर ।

मै खुश हुआ और मा को सूचना दी ।
शाम को करीब 4 बजे मा के जाने के बाद चंदू मेरे पास आया ।

चंदू - अबे साले कब पेलेगा मेरी दीदी को ,, चली जायेगी तब

मै हस कर - मुझसे ज्यादा तू उतावला है साले अपनी बहिन चूदवाने के लिए हिहिहिही

चंदू कुछ सोच कर एक आह्ह भरता है और उत्तेजित होकर अपना खड़ा लण्ड लोवर के उपर से दबाते हुए कहता है - भाई मै तो कब से चाहता हू कि कोई मेरी बहन और मा को चोदे और मै छिप कर देखू ,
मै भी चन्दू की बाते सुन के काफी उत्तेजित मह्सूस करता हू और चम्पा की फैली हुई गाड़ याद आ जाती है ।

चंदू - भाई बता ना कब लेके आऊ यहा
मै कुछ सोच कर मुस्कराया - भई देख इस समय किसमत मेहरबां है और चौराहे वाले घर पर मम्मी के अलावा कोई नही है और अगर मै उन्हे किसी काम का बहाना बना के बुला दू तो काम बन जायेगा ।

चंदू खुश होकर - भाई तब तो कोई दिक्कत ही नही है ,,,क्योकि परसो मै मम्मी और दीदी हमारे चौराहे वाले घर जा रहे है और वही से मै दीदी को तेरे पास भेज दूँगा

मै कुछ सोचकर - लेकिन रज्नी दीदी ने पुछा तो

चंदू हस कर - अबे जब मा के गाड मे मेरा लण्ड घुसा रहेगा ना तो उसे किसी की फिकर नही रहेगी

चंदू की बात से मै भी सहमत हुआ और हमने हाईफाइ किया ।

रात को खाना खाने के बाद मै और पापा हाल मे बैठे थे । वही मा किचन मे बर्तन खाली कर रही थी ।

इधर हमारी और पापा की आपसी सहमति हो गयी थी रात मे मा की धमाकेदार चुदाई के लिए, वही मा भी इस बात से बखुबी वाकिफ थी।

इसी बीच सोनल दीदी का फोन आया ।

मै - हा दीदी बोलो

सोनल हस्ते हुए - भाई पता है आज हमारे यहा आने के बाद बडी मजेदार बात हुई है ।
मै ह्स कर - अरे क्या हुआ बताओ तो

सोनल - भाई यहा मौसी की ननद नन्दोई और उनकी बेटी आई है । बडे ही मजेदार लोग है और ममता बुआ तो मौसी से ऐसे ऐसे गंदे मजाक कर रही थी कि पुछो मत

मै ह्स कर - हा वो सब तो कामन है दीदी ननद-भौजाई मे हिहिही

सोनल - अरे भाई उनके गाव का नाम सुनेगा तो और भी मजा आयेगा

मै अचरज से हस के - मतलब ऐसा क्या खास गाव है हिहिही

सोनल ह्सते है - हिहिहिही चोदमपूर गाव का नाम सुना है भाई हाहहहा

मुझे तो हसी आई बडी जोर की - हिहिही चो चो चोदमपुर

सोनल - हा भाई हिहिही , लेकिन उनकी बेटी पल्लवि बडी खुबसुरत और बडी फिट भी है , लगता ही नही कि गाव से है ।

मै हस कर - चलो आपको मिल गया ना कोई टाईमपास के लिए,,, मौज करो

सोनल - हा , चलो मै रखती हू मम्मी पापा का ख्याल रखना बाय

मै - हा बाय

इधर दिदी ने फोन काटा और मुझे मेरी जिज्ञासा ने बहुत मजबुर कर दिया कि मै ये बात पापा से पूछू लेकिन मै दीदी को इसमे नही लाना चाहता था । मगर और कोई रास्ता नही था ।

मै पापा से - पापा आप किसी चोदमपुर गाव के बारे मे जानते है क्या

पापा ह्स कर - हाह्हा नही बेटा ,, मै तो पहली बार सुना हू

मै - मै भी ,,वो अभी अनुज बता रहा था कि रज्जो मौसी के यहा कोई रिशतेदार आये है चोदमपुर गाव से हिहिहिही

पापा थोडा सोचते हुए - बेटा मेरी जानकारी मे नही है , हा अगर तेरी मौसी के यहा की बात है तो तेरी मा को जरुर पता होगा

तब तक मा भी किचन का काम खतम करके हाल मे आई और हमे बाते करता देख बोली - क्या बात हो रही है जी दोनो बाप बेटे मे

मै उतावला होकर - मा आप जानते हो क्या चोदमपुर गाव कहा है ??

मा बहुत ही सरलता से बोली - हा जानती हू , क्यू ???

मै और पापा एक दुसरे को देखने लगे।
मै उत्सुकता से - अरे लेकिन इतना अजीब नाम है ना और रज्जो मौसी की क्या रिशतेदारि है वहा ??

मा हस कर - अरे इसमे अजीब क्या है बेटा, गाव का नाम क्या , ना जाने कितने शहरो और देशो के नाम भी अजीब होते है । तू इतना पढ लिख कर मुझसे पुछ रहा है । ये अजीब है हिहिहिहिही

मै सामान्य होता हुआ - हम्म्म ये भी सही है मा ,,लेकिन आपको कैसे पता उस गाव के बारे मे ??

पापा भी जिज्ञासू भाव से - हा रागिनी तुम कैसे जानती हो ये चोदमपुर गाव को

मा मुस्कुरा कर - अरे जी आप को कुछ याद भी रहता है

पापा सोचते हुए - मतलब
मा मुस्कुरा कर - अरे रज्जो जीजी की ननद ममता का व्याह उसी गाव मे तो हुआ है ना ।

मै और पापा एक दुसरे को देखते हुए - ओह्ह्ह ये बात है ।
इधर मा चोदमपूर के लोगो के बारे मे कुछ बताने लगी ।
वही मै और पापा ये सोचने लगे कि चोदमपूर से आये लोग कैसे होंगे ,उन्का व्यव्हार और वहा की औरते । अह्ह्ह्ह

सूचना - इस अपडेट और आगे के सभी चोदमपुर स्पेशल अपडेट मे कहानी का दिशा निर्देश और वाचन कभी राज और कभी लेखक के माधय्म से होगा । तो बिना स्किप किये शब्दो पर ध्यान जरुर दे । जब चोदमपूर स्पेशल अपडेट समाप्त होगे तब वापस से कहानी का मूल वाचक राज को बना दिया जायेगा । वैसे भी आपको ज्यादा परेशानी नही होगी क्योकि फॉन्ट कलर मै अलग रखूंंगा ।


लेखक की जुबानी


अगर चमनपुरा मे राज के परिवार मे चोदमपुर से आये मेहमानो की चर्चा हो रही है तो आईये हम लोग भी एक नजर उन किरदारो पर मार लेते है कि कौन है क्या है और किस रंग ढंग के है ।


परिचय

ममता - रज्जो मौसी की ननद , बड़ा चौड़ा भूगोल है और काफी खुली विचार की है । चोदमपुर मे काफी काण्ड कर चुकी है देखते है अपनी भौजाई के यहा क्या रंगमंच बान्धने वाली है ।
राजन - ममता के पति और रज्जो मौसी के नंदोई, काफी खुशमिजाज इन्सान हैं और भाव्नाओ के मामले बहुत ही गुप्त है लेकिन हार्मोनल रसायनो पर इनका भी संयम एक स्तर तक ही है ।

पल्लवि उर्फ पल्ली - सेक्सी , हॉट , चुलबुली और झन्नाटेदार माल है , काफी लण्ड घोंट चुकी हैं । उम्र 18+ है । ये ममता और राजन की एक्लौती लाडली सुपुत्रि है ।

तो ये है चोदमपुर से आये किरदार , अधिक जानकारी के हमारे
TharkiPo भाई साहब द्वारा लिखित कहानी KATHA CHODAMPUR KI पर जाये । क्योकि ये सारे किरदार मूल रूप से उन्ही की कहानी के पात्र है ।
वापस कहानी पर

रात के 10 बजे का समय
स्थान - राज के मौसी का घर , जानीपुर शहर

एक नजर राज के मौसी के घर पर :

सिटी के एक मध्यम वर्गीय मुहल्ले मे एक बड़ा सा दो मंजिला मकान । ग्राउंड फ्लोर पर 3 तिन कमरे , एक किचन एक हाल और पीछे की ओर खुला आँगन है । उपर की मन्जिल पर 3 कमरे , एक स्टोर रूम और पीछे के आगन वाले हिस्से को बाल्किनी मे कर दिया गया । रज्जो मौसी का कमरा उपर के फ्लोर पर है जबकि रमन निचे के फ्लोर पर रहता है । उपर टेरिस पर खुली छ्त है और पीछे की तरफ बाथरुम की वयवस्था की गयी है ।

राज के मौसी के घर की उपर की टेरिस पर राज मौसा कमलनाथ और उनके जीजा यानी राजन एक साथ बैठे हुए रात का मौसम बना रहे थे ।

राज के मौसा कमलनाथ ने काफी समय से पंजाब मे नौकरी करते है और शहर मे लम्बा जीवन यापन के कारण ड्रिंक की आदत है उनको । कमलनाथ अपने बहनोई राजन से उम्र मे भले ही बड़े थे लेकिन फिर भी बडे ही रंगदार किसम के इन्सान थे । वही राजन गाव से सम्बंधित थे तो थोडा खुद्दार थे और अपने साले का सम्मान भी करते थे ।

कमलनाथ दो प्लास्टिक के ग्लास मे अपनी कोई ब्रांड की दो पैक बनाई और राजन को आफर किया ।

राजन - अरे नही भाईसाहब मै नही लेता ,,हा ये नमकीन खा लेता हू ,

कमलनाथ अपनी पैग को एक बार मे ही खतम करते हुए - अरे क्या यार राजन तुम भी ,,भाई जीजा हो और हमारे यहा आये हो थोडा तो लो , ऐसे मजा नही आयेगा ।

राजन - जी नही भाईसाहब, अगर मै पीता तो आपका साथ जरुर देता

कमलनाथ हसता हुआ - भई तुम तो बड़े सीधे निकले हाहहहह कोई बात नही मै तो लूंगा ही ।

इधर थोडी देर मे धीरे धीरे करके कमलनाथ ने 375ml की बॉटल खाली कर दी और पूरी तरह से टनं हो गये । इतना पी लिये की बॉडी पर नियंत्रण ही नही रहा ।

राजन अकेले उनको सम्भाल पाने मे असमर्थ हो रहा था कि इतने मे राज की मौसी रज्जो वहा पहुचती है ।

रज्जो - अरे जी कहा है ,,सोना नही है क्या
रज्जो जब अपने पति को नशे मे टल्ली देखती है तो अपने नंदोई के सामने उसे बहुत ही शर्मीन्दगी होती है ।

रज्जो इस वक़्त एक ढीली मैकसी मे थी और बिना कोई दुप्प्टे के । हालाकि उपर छत पर ज्यादा उजाला नही था लेकिन फिर भी पहचान हो सकती थी ।

राजन हस्ते हूए - अरे भाभी आज लग रहा है भाईसाहब ने ज्यादा ले ली है
रज्जो राजन को हस्ता देख थोडा राहत मह्सूस करती है और चल कर अपने पति को सम्भालती है ।


रज्जो अपने पर गुस्सा करते हुए - क्या जी आपको कुछ ध्यान है कि नही ,,घर मे चार मेहमान आये है और आप छीईई
रज्जो - चलो निचे कमरे मे सोवो

राजन हस कर - अरे भाभी जी इन्हे पकड कर ले जाना पड़ेगा ,, आप रमन को बुला दीजिये

रज्जो - वो क्या है जीजाजी , रमन और अनुज बाहर गये है कुछ सामान लाने ,,हमे ही इन्हे लेके जाना पडेगा

राजन - कोई बात नही भाभी ,,चालिये पकडिए
फिर दोनो ने बारी बारी से एक एक तरफ से कमलनाथ को पकड़ा और खिंचते हुए निचे लेके जाने लगे ।

जीने पर उतरते हुए कमलनाथ अपनी लड़खड़ाती हुई जुबान मे बड़ब्डाता है - कहा ले जा रही हो रमन की अम्मा हमको

रज्जो अपने पति को कसके पकड कर गुस्सा कर बोली - हमारे कमरे मे और कहा

कमलनाथ - ओह्ह माफ करना जान आज मै तुम्हे चोद नही पाऊन्गा , मैने ज्यादा पी ली है सोओओरीरीईईई

नशे मे धुत कमलनाथ के मुह से ऐसी बाते सुन कर राजन और रज्जो दोनो आवाक रह जाते हैं और दोनो एक-दूसरे को एक पल देखते है ।

मजबूरी मे रज्जो को इस बात को काटने के लिए मुस्करा कर राजन को जवाब देना पड़ता है - लग रहा है कि आज सच मे बहुत चढ़ गयी है इनको हिहिही

रज्जो झल्लाते हुए कमलनाथ को कमरे मे ले जाती है - क्या कह रहे है आप जी आपको पता है कुछ

कमलनाथ लड़खड़ाते हुए जुबान मे - सोओओरीईईई जान,,सोओओरीईई राजन ,,, वो मैने रज्जो से वादा किया था कि आज मै उसे चोदूँगा ,,,सॉरी तुमको बुरा तो नही लगा

रज्जो अपना माथा पीट लेती है और झटक कर अपने पति को बिस्तर पर धकेल देती है ।

अपने पति को धकेलते वक़्त रज्जो की मैकसी के बटन खुल जाते है और ऐन मौके पर राजन की नजर रज्जो के मोटी मोटी बडी बड़ी हिलती चुचियॉ के क्लिवेज पर जाती है और राजन जी एक पल को खो जाते है ।

रज्जो को इसका आभास होते ही वो फटाक से घूम जाती है और अब कमरे की रोशनि मे राजन के सामने रज्जो के फैले हुए बडे चुतड थे ।

रज्जो बडी ही शर्म से राजन की ओर घूमती है - माफ करियेगा जीजाजी , ये सब थोडा अजीब है ।

राजन मानो किसी कलपना से उभरा हो - अह क्या कह रही है भाभी ,,,ये सब घर की बाते है ,हो जाता है कभी कभी । उसकी चिन्ता ना करे आप

रज्जो मुस्कुरा कर - ह्म्म्ं
राजन - ठीक है भाभी मै भी अपने कमरे मे जा रहा हू
रज्जो - जी ठीक है


तभी राजन कमरे से बाहर निकल रहा होता है कि कमलनाथ बडबड़ाता है - सॉरी मेरी जान,,मै आज तेरी गाड नही मार पाऊन्गा ,,माफ कर दो ना रमन की मा

राजन फौरन पलट कर रज्जो को देखता है ,,रज्जो शर्म से पानी पानी हो गयी और कर भी क्या सकती थी आखिरकार वो भी राजन को देख कर हस दी ।

राजन हस कर - ठीक है मै चलता हू भाभी , कोई दिक्कत होगा आवाज दीजिये

राजन भी मुस्कुरा कर बाहर निकल गया ।



जारी रहेगी
बडा ही गजब और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 106

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पीछले अपडेट मे आप सभी ने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा मे राज ने चंदू के साथ उसकी बहन को चोदने का खाका तैयार कर लिया वही राज के मौसी के यहा यानी कि जानीपुर मे आये चोदमपुर के मेहमानो की मौज हुई पडी है । कमलनाथ ने पीने के बाद अपने जीजा के सामने नशे मे अपनी बीवी को शर्मीन्दा कर दिया । देखते है ये घटना क्या नये हंगामे खड़ी करेगी ।

अब आगे

राजन के कमरे से जाने के बाद रज्जो मन ही मन खुब मुस्कुराइ और थोडा बहुत अपने पति को गुस्से से लताड़ा भी ।

रज्जो मन मे - लग रहा है इनकी बकबक ऐसे ही रात भर चलेगी , और नंदोई जी के सामने क्या क्या बक गये । ना जाने क्या क्या सोच रहे होगे वो भी ।

रज्जो कुछ सोच कर रमन के पास फोन ल्गाती है और जल्दी घर आने को कहती है ।

रज्जो मन मे बुदबुदा कर - मै कहा सोने जाऊ अब , देख रही हू क्या हो सकता है ।

रज्जो ऐसे ही सोचते हुए सबसे निचे हाल मे आती है । जहा ममता राजन , पल्लवि और सोनल बैठ कर बाते कर रहे होते है ।

रज्जो - अरे भाई आप लोगो को सोना नही है क्या , कल और भी काम है ना ।

ममता रज्जो से मजे लेते हुए बोली - हम औरते और ये बच्चे तो सो तो जाये भाभी ,,लेकिन अपने नंदोई जी को कहा सुलाएंगि

रज्जो की नजर वापस से राजन से मिली और वो शर्म से झेप कर मुस्कुरा दी ।

रज्जो - अरे यहा कमरो की कमी नही है ।
बस थोडी साफ-सफाई नही हो पाई है कमरो की
फिलहाल दो ही कमरे साफ है । एक मेरा कमरा है तो वहा रमन के पापा सोये है , और एक रमन का कमरा है ।

राजन - ऐसा करिये भाभी , यही हाल मे ही बिस्तर लगवाईये ,,यही सोया जाये ।

ममता राजन को छेड़ते हुए - ओहो क्या बात है , हमारी भाभी के साथ सोने का प्लान बना रहे हैं

ममता - क्या भाभी , कुछ जादू कर दी हो क्या इनपे

रज्जो और राजन की नजरे मिलती है और रज्जो शर्म से लाल हो जाती है , मगर उसे भी अपनी ननद का जवाब देना ही था ।
रज्जो - अरे जादू तो तुम की अपने भैया पे ,,,की दारु पी टूल्ल है और तुमको ही याद कर रहे है ।

ममता भी अपने भाभी की मस्तीयो से खुब खिलखिलाई , वही सोनल और पल्लवि थोडा असहज मह्सूस कर रहे थे तो वो उठ कर जाने लगे ।

सोनल - मौसी हम आते है अभी फ्रेश होकर ,,तब तक आप लोग देख लो कहा सोना है हिहिहिही । चलो पल्लवि

फिर सोनल पल्ल्वी को लिवा कर पिछे आँगन मे लेके चली गयी ।
इधर हाल मे राजन - अब बस कर ममता , देख नही रही बच्चे है ।

रज्जो अब थोडा खुल कर - अरे जीजा जी , बच्चे समझदार थे तो चले गए , क्यू ननद रानी जाना है अपने भैया के पास

ममता भी मौका देख कर बहुत तगडा जवाब देती है वो भी खुल कर - अरे जब आपके जैसी भारी गाड वाली नही खुश कर पाई हमारे भैया को तो हमारा तो बहुत छोटा सामान है भाभी हाहहह्हहा

रज्जो पूरी तरह से झेप सी गयी और ममता के कन्धे को ठोकर मारकर सामने बैठे हुए राजन की ओर इशारा किया

ममता रज्जो को शर्माते देख और मजे लेती हुई बोली - अरे अपने नंदोई से क्या शर्माना भाभी , उन्होने तो हमारा नाप भी रखा है ,,क्यो जी

रज्जो ममता की बात सुन कर आंखे उठाकर राजन को ऐसे देखती है कि मानो पुछ रही हो कि ममता सच कह रही है क्या ।

राजन रज्जो को ऐसे घूरता देख सकपका जाता है - अब ब ब क् क क क्या कह रही हो ममता तुम ये सब
रज्जो हस कर - लग रहा है हमारी ननद रानी को भी उनके भैया की तरह चढ़ गयी है
राजन रज्जो की बात पर हसने लगता है
रज्जो - मै तो कह रही हूँ कि आज दोनो भाई बहन को मजे ले लेने दो ,,,क्यू जीजा जी

ममता - हा हा मुझे किनारे कर दो ताकि आप मेरे पति से अपनी मनमानी कर सको ,,खुब समझ रही हू भाभी आपकी चालाकी

इधर बाते आगे बढती की अनुज और रमन कुछ सामान लेके हाल मे घुसते है तो सारे लोग चुप हो जाते है ।

थोडी देर की झिकझिक और जद्दोजहेद के बाद रमन अनुज को लेके अपने कमरे मे चला जाता है । और बाकी लोग हाल मे हो बिस्तर डाल के सो जाते है ।

अब हाल मे स्थिति ये थी कि
एक तरफ पल्लवि फिर सोनल फिर रज्जो मौसी , फिर ममता और राजन ।

सारी लाईटस ऑफ़ की गयी और नाइट बलब जला दिये गये । फिर सारे लोग धीरे धीरे सोने लगे ।


एकतरफ जहा जानीपुर मे ये सब काण्ड हो रहे थे कि वही चमनपुरा मे राज के घर मे घमासान थ्रीसोम चुदाई हो रही थी


राज की जुबानी

एक राउंड पापा के साथ मा को चोदने के बाद हम तीनो एक दुसरे को देख कर हाफ रहे थे और मुस्कुरा रहे थे।

पापा - आह्ह आज कितने दिनो बाद मजा आया ओह्ह्ह

मै - मजा तो आपका रोज ही था पापा , पहले बुआ और इधर तिन रात मे मौसी भी हिहिहिही

पापा - हा बेटा सच मे मजा तो बहुत आया , तेरी मौसी और बुआ सच मे बहुत ही चुदवासी माल है

मै रज्जो मौसी को याद कर फिर से गर्म होने लगा - पापा एक बार मौसी या बुआ के साथ मुझे भी शामिल करो ना

मा गुस्सा दिखाते हुए - पागल हो गया है क्या तू

पापा - ओहो जान उसका भी मन है , वो भी बडा हो रहा है ना

मै उखड़ कर - हा वही ना

मा चिंता के भाव मे - लेकिन ये सब कैसे ,, आखिर रज्जो दीदी कैसे मानेगी इनसब के लिए,, और कही गुस्स्सा हो गयी तो

पापा हस कर मा के गाल को चूमते हुए - अरे मेरी जान रज्जो दीदी तो एक नम्बर की चुदक्क्ड है ,,वो भला एक साथ दो लण्ड के लिए क्यू मना करने लगी

मा - फिर भी
पापा - ओह्ह जानू अब मजा ना किरकिरा करो आओ चुसो इसे ,,,देखो रज्जो दीदी की याद मे खड़ा हो रहा है

पापा की बात पर मै और मा हसने लग जाते है ।
एक बार फिर हमारी धक्कम्पेल चुदाई होती है और हम लोग भी सो जाये है ।

अगली सुबह उठ कर हम सब अपने रोज के कामो मे लग जाते है ।



लेखक की जुबानी

एक तरफ जहा चमनपुरा की सुबह बहुत ही शांत और व्यस्त गुजरी ,, वही राज के मौसी के यहा कुछ अलग ही हंगामे के साथ सुबह की शुरुवात होने वाली थी ।

भई चोदमपूर से किरदार आये और मस्तीया ना हो ऐसे कैसे हो जाये ।
राजन और ममता तो गाव मे रहने के आदी थे तो उनको आदत थी सुबह ही उठने की ।

इसिलिए सबसे पहले राजन की नीद सुबह सुबह 4 बजे के करीब खुली और उसके साथ ही उन्के लण्ड ने पायजामे मे अंगड़ाई ली ।

हल्की रोशनी मे राजन मे एक बार गरदन घुमा कर सबको देखा और फिर उठ कर धीरे से पीछे आँगन की ओर चला गया । थोडी देर बाद फ्रेश होने के बाद वो वापस आता है और तभी ममता भी उठ जाती है ।

ममता कुनमूनाते हुए - उम्म्ंम उठ गये क्या आप जी
राजन - हा ममता अब रोज की आदत है तो ,,,
ममता उबासी लेते हुए - ठीक है आप सो जाओ थोडा देर ,मै आती हू पाखाने से

राजन ने उबासी लेते हुए वापस अपनी जगह लेट गया ।
मगर उसको नीद कहा थी , उसकी नजरे तो उससे एक हाथ की दुरी पर लेती उसकी गदराई सेक्सी सल्हज रज्जो पर थी ,,जिसकी गाड फैली हुई थी और वो करवट लेके राजन की ओर पीठ करके सोयी हुई थी ।

राजन अपनी सल्हज रज्जो के उभरे हुए कुल्हे और कमर देख कर उत्तेजित हो जाता है और पायजामे मे उसका लण्ड बगावात पर आजाता है ।

राजन मन मे - आह्ह रज्जो भाभी की गाड कितनी बड़ी है ,, मेरा साला कमलनाथ तो बहुत ही किस्मत वाला है । पता नही ये सो रही है कि जाग रही है। कल रात मे तो उसकी चुचीयो की उपरी झलक ही देखी थी । इनकी चुचियॉ की दरार बहुत गहरी है ।

राजन एक बार हौले से लण्ड को पायजामे है उपर से सहलाता तो उसे और भी उत्तेजना मह्सूस होती है ।
राजन स्वभाव से बहुत शान्त और समान्य दिखता हो ,,लेकिन कामूकता हावी होने पर वो अपना सन्तुलन खोने लगता है ।
[ उदाहरण के लिए KATHA CHODAMPUR KI मे UPDATE 115 पढ़े । जहा राजन के बारे मे उसके हवसी चरित्र का सुन्दर वर्णन हमारे TharkiPo भाई द्वारा किया गया है ]

राजन मन पर हवस हावी होने लगा था और वो आगे बढ़ कर रज्जो के गाड को मह्सूस करना चाहता था । वो थोडा खसक कर रज्जो की ओर बढा ,,कि रज्जो ने करवट बदली और सीधी लेट गयी ।

राजन थोडा सतर्क हुआ और उसकी नजर रज्जो की लम्बी लम्बी सांस लेती भारी छातियो पर गयी । जिससे राजन के लण्ड का कडकपन और बढ गया ।

राजन अब रज्जो के बिल्कुल करीब था उसकी तरफ करवत लिये हुए ।
उसमे थोडी हिम्मत की और एक हाथ से धीरे धीरे रज्जो की उस चुची पर ले गया जो मैक्सि के अंदर उसकी तरफ फैला हुआ था ।

बहुत ही हौले से राजन ने मैकसी के उपर से रज्जो की सास लेती चुची पर हथेली को रखा और उसको पुरे बदन मे कपकपी सी मह्सूस हुई । हवस राजन के दिमाग पर हावी होने लगा था ,,, और थोडा हिम्मत करके रज्जो की चुची को ऊँगलीयो से दबाया ,,, राजन को बहुत ही मुलायम सा अह्सास हुआ और रज्जो के कोई हरकत ना करने पर उसकी हिम्मत बढ़ी ,,उसमे वापस से एक बार अपने पंजो को फैला कर चुची को पकड लिया और हल्का हल्का दबाने लगा ।

राजन को बहुत ही उत्तेजना मह्सूस हो रही थी ।
वो एक हाथ से तेजी से अपना लण्ड मुठीयाये जा रहा था पायजामे के उपर से और वही दुसरा हाथ रज्जो को मुलायम चुची को पकड़े हुए था ।

तभी रज्जो थोडी कूनमूनाई और राजन ने अपनी पकड़ ढीली कर दी लेकिन हाथ वैसे ही रहने दिया रज्जो की छाती पर ।
इधर रज्जो की नीद खुल गयि और उसे इसका आभास होते ही कि उसके नंदोई का हाथ उसकी छाती पर है वो सिहर उठी ,उसकी सांसे तेज हो गयी ।

रज्जो मन मे - ये नंदोईजी का हाथ यहा कैसे ,,और ममता कहा चली गयी । कही ये नीद मे तो नही है ना

रज्जो एक बार धीरे से चेक करने के लिए बोली- जीजा जी

राजन को ये आभास हुआ कि रज्जो जाग गयी तो उसकी फट गयी और उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे ,, उसने अपने पायजामे से लण्ड की पकड को ढिला किया और वैसे रुका रहा ।

राजन से जवाब ना पाकर रज्जो को लगा शायद उसका हाथ नीद मे ही आ गया तो उसने बडी सावधानी से राजन का हाथ अपनी छाती से हटाया और वापस उसी की ओर करवट लेके घूम गयी ।
लेकिन रज्जो को अभी भी शक था कि राजन कही जाग तो नही रहा इसिलिए वो लगातार आंखे खोले राजन को निहार रही थी ।
वही राजन अपनी आंखे भींचे डर रहा था कि कही उसकी सल्हज ने शक तो नही किया एक बार देखू क्या ,,,

तभी ममता हाल मे आ जाती है और रज्जो को ऐसे अपने पति के करीब और सामने से उसको घूरता देख मुस्कुराती है । फिर वो राजन के पीछे की खाली जगह पर लेट जाती है और अपने कोहनी के बल पर सर टिका कर करवट लेके रज्जो की ओर मुह कर लेती है ।

ममता हस कर खुसफुसाते हुए - क्या बात है भाभी , बडे ध्यान से निहार रही है मेरे पति को

रज्जो मुस्कुरा कर - नजर रख रही हू , कही तुमको समझ कर मुझे ही ना दबोच ले इसिलिए

तभी ममता राजन के पीछे से चिपक कर रज्जो के सामने ही राजन के पायजामे के उपर से लण्ड पकड कर बोली - नजर तो आपकी सिर्फ इसपे है भाभी हिहिहिही ,,लेकिन मिलेगा नही ।

राजन जो अबतक किसी तरह गुमसुम होकर सोने का नाटक करते हुए अपनी कामोत्तेजना को रोके हुए था ,वो ममता के हाथो का स्पर्श अपने लंड पर पाकर गनगना गया ।

रज्जो हस कर - मेरे लिए तुम्हारे भैया ही काफी है ,,हा तुम्हे कम पड रहा हो तो कहो ,,बात करू तुम्हारे भैया से

ममता ह्स कर - क्या भाभी आप भी शुरु हो गयी सुबह सुबह

रज्जो मुस्कुरा कर खुसफुसा कर बोली - शुरु तो मेरी ननदरानी हो गयी है ,,,जो सुबह सुबह ही जीजा जी का खुन्टा पकड लिया ।

ममता हस कर धीमी आवाज मे - आपका मन हो तो आप भी पकड लो ,,आपके जीजा जी बुरा नही मानेगे ।

ये बोल कर ममता रज्जो के सामने ही राजन का लन्ड़ पाजामे के उपर से मुठीयाति है और ये देख कर रज्जो की सांसे भारी होने लगती है ।
रज्जो तो एक नम्बर की रान्ड औरत थी ,,खड़ा लण्ड उसकी कमजोरी थी चाहे किसी का भी क्यो ना हो । धीरे धीरे उसके हाथ चटाई पर निचे की ओर सरक रहे थे ।
ममता ये सब बखूबी देख रही थी और उसने आगे की ओर लपक कर मस्ती मे रज्जो का हाथ पकड कर राजन मे खडे लण्ड पर रख कर दबा दिया ।

रज्जो मे मुह से सिसकी निकल गयी और वही राजन की हालत बहुत ही ज्यादा खराब होने लगी । ममता की मस्ती उसपे भारी पडने लगी और रज्जो के हाथो का स्पर्श पाकर वो बहुत उत्तेजित होने लगा था ,,जिससे उसका लण्ड फड़कने लगा ।

लण्ड के फड़कने से रज्जो का ध्यान टूटा तो वो अपना हाथ ममता के हाथ से छूड़ाने की कोसिस करती हुई - ओह्ह्ब पागल ,ये क्या कर रही है ममता ,,जीजाजी जग जायेंगे छोड

ममता भी हस्ते हुए एक बार अच्छे से रज्जो की हथेली को राजन से आड़ो तक पकड कर रगड़ा और छोड दिया ।

ममता हस कर धीमी आवाज मे - हिहिहिही क्यू भाभी मजा आया ना
रज्जो शर्म से लाल होते हुए धीमी आवाज मे हस्ते हुए बोली - बहुत मजा ले रही है ना तू ,, मैने भी तेरे भैया का लण्ड तुझसे ना पकडवाया तो मेरा नाम रज्जो नही ।

यहा ननद भौजाई की मस्ती और जोक जारी रहे वही दोनो के बीच थोडी सी मस्ती के चक्कर मे राजन की हालात बहुत खराब हो गयी थी ।
हालत खराब तो रज्जो की भी हो गयी थी इसिलिए वो बाथरूम का बहाना मार कर निकल गयी । वही रज्जो के जाते ही राजन पलट कर ममता पर झूठ का गुस्सा दिखाता हुआ - ये क्या पागलपन है ममता हा
ममता ने वापस से राजन के लण्ड को आड़ो सहित दबोचते हुए बोली - उम्म्ंम्ं क्यू अपनी सल्हज का स्पर्श पसन्द नही आया हम्म्म

राजन सिहर उथा और उसने ममता को दबोच कर उसकी गाड़ को मसलने लगा ।

ममता - ओह्ह बस करिये मेरे राजा ,,बच्चे है पास मे
राजन ममता की साडी के उपर से उसकी चुचिया दबाते हुए बोला - अभी तक बच्चे नही थी क्या हम्म्म ,, अब ये खड़ा हो गया है ,इसे शान्त तो कर दे ।

ममता - क्या जी मै तो ब्स मजाक कर रही थी ,,यहा कैसे मै ,समझो ना आप
राजन कसमसा कर - मुझसे रहा नही जा रहा है ममता ,,,तू इसे चुस दे बस

ममता - अरे भाभी आँगन मे गयी है आती ही होगी ।

राजन - अरे अंधेरा है ममता ,,जल्दी से कर दे ना , मै काफी गरम हू ज्यादा समय नही लगेगा

ममता मुस्कुराइ और उठ कर राजन के पैर के पास बैठ गयी । तब तक राजन ने अपना पाजामा खोल कर लण्ड बाहर निकाल दिया ।
ममता मे लपक कर वो लण्ड मुह मे भर लिया और चूसने लगी । इधर राजन और ममता बगल मे सोते हुए बच्चो से ही क्या जागती हुई रज्जो से भी बेखबर थे ।
वही रज्जो धीरे धीरे हाल मे आ चुकी थी ।

रज्जो ने सोचा अब सुबह होने को है तो हाल की बत्ती जला दू और वो धीरे से बोर्ड के पास गयी और स्विच ऑन कर दिया ।

अचानक से उसकी नजर ममता पर गयी जो राजन का लण्ड आधा मुह मे भरी हुई थी , वही राजन गरदन उठाये रज्जो की ओर देख रहा था ।

रज्जो को अपनी गल्ती का अह्सास हुआ और वो फौरन बत्ती बुझा दी ।

रज्जो मुस्कराती हुई दबी हुई हसी के साथ - सॉरी ममता , मुझे नही पता था ।

इधर ममता राजन पर गुस्सा थी और वो उसे धीमी आवाज मे डांट रही होती है ।
रज्जो मारे शर्म के उपर चली जाती है अपने पति के कमरे मे । जहा कमलनाथ अभी भी खर्राटे भर कर सो रहा होता है ।
मगर निचे से आने के बाद वो इतनी गरम मह्सूस कर रही थी कि उसे बिना लण्ड के सुकून कहा । वही कमलनाथ का लण्ड भी उसके पायजामे में सुबह की बेला मे तनमनाया हुआ था ।
रज्जो को लण्ड की बहुत ही ज्यादा तलब मह्सूस हो रही थी , इसिलिए वो जल्दी मे दरवाजे को बस भिड्का दी और फटाफट कमलनाथ का लण्ड निकाल कर उसे चूसना शुरु कर दी ।

वही निचे हाल मे राजन और ममता काफी शर्मिंद्गी मह्सूस कर रहे थे ।

राजन - ममता ये ठीक नही हुआ ,,,हम मेहमान है और भाभी जी ने हमे ऐसे देख के उपर चली गयी । हसी मजाक तो अपने जगह पर

ममता भी राजन के बातो मे आ गयी - हम्म्म मुझे भी कुछ अजीब सा लग रहा है,ना जाने भाभी क्या सोच रही होंगी

राजन - चलो हम लोग उपर चलते है , एक बार माफी मांगना हमारी जिम्मेदारी बनती है ।

ममता भी उतरे मन से - हा जी सही कह रहे है,,नही तो अभी शादी तक हमे यही रहना है तो कब तक नजर चूराते हुए फिरेंगे ।

फिर वो दोनो सीढि से उपर कमलनाथ के कमरे की ओर आये ,,,जहा अंदर रज्जो सबसे बेफ़िकर होकर पूरी तरह से पागलो के जैसे अपने पति का लण्ड गले तक उतारे हुए उसके मोटे बडे बडे आड़ो को सहलात रही होती है ।
उसी समय ममता और राजन दरवाजा खोल कर बिना दस्तक के ही कमरे मे घुस जाते है और कमरे का सीन देख कर ठीठक कर रह जाते है ।


ममता और राजन की आंखे फटी रह जाती है जब वो रज्जो को कमलनाथ का 7 इन्च का लण्ड अपने गले से निकालता हुआ देखते है ।

ममता की नजरे अपने सोये हुए भाई के मोटे काले लण्ड पर जमी होती है ,वही राजन के दिल की धड़कन ये सोच कर बढने लगती है कि अगर रज्जो उसका लण्ड मुह मे लेगी तो क्या होगा ।

वही रज्जो एक बार फिर से खुद को शर्मिंदा कर लेती है और फटाक से अपने पति का काला लण्ड पर पायजामा चढाते हूए - अरे आप लोग यहा

मगर पायजामा चढ़ाने के बाद भी लण्ड बहुत साफ दिख रहा था और ममता की निगाहे वही जमी थी । रज्जो को इसका अह्सास होते ही वो कमलनाथ का कुर्ता ही खिच कर सही करती है ।
इधर राजन बिना कुछ बोले खसक लेता है बाहर की ओर
रज्जो फटाक से उठती है दरवाजा बन्द कर देती है ।

ममता खीसखीसा कर हसी और बोली - माफ करना भाभी ,,मेरी वजह से आपका अधूरा रह गया

रज्जो मुस्कुरा कर - तू यहा क्या करने आई थी ,,,अपने भैया का खुन्टा पकडने हम्म्म

ममता ह्स्ते हुए - मै कैसे पकड सकती हू भाभी ,,भैया का खुन्टा तो आपने हड़प रखा था

रज्जो आंखे बडी करके हस कर ममता को देखने लगती है ।
वही ममता को अभी थोडी देर पहले हुए हंगामे से इतनी हसी आ रही थी की वो क्या बोल गयी फलो मे उसे खुद नही समझ आया और जब रज्जो ने उसे घूरा तो उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और वो अपना माथा पीट कर बोली ।
ममता - माफ करना भाभी मै जा रही हू ,, पता नही आज का दिन ही ऐसे सुरु हुआ तो आगे क्या होगा ।

मगर रज्जो ऐसे कैसे जाने देती वो लपक कर ममता को पकडते हुए बिस्तर तक खिच कर ले आई ।
रज्जो ममता का हाथ पकड कर - ऐसे कैसे मेरी लाडो ननद रानी , इतना अरमान लेके आई हो तो बिना भैया का खुन्टा पकडे चली जाओगी ।

ममता समझ गयी कि क्या होने वाला है तो हस कर छ्टकने लगी ।
रज्जो उसका हाथ पकड कर - देख ममता अभी तेरे भैया सोये है तो जो मै कह रही हू कर दे ,,,नही अगर जग गये तो मै तो बोल दूँगी की आपकी बहन मुझे छिप कर आपका काला लण्ड चुसते हुए देख रही थी ।

ममता तो सकपका गयी और हसने लगी - ये ये क्या कह रही हो भाभी,,भैया है वो मेरे

ममता ने बार बार मिन्नते की मगर रज्जो ने ठान लिया था कि हिसाब बराबर करवाना है और ममता भी अपने भाभी रज्जो की जिद और मस्तियो से वाकिफ थी ,,,वो जानती थी कि अगर वो यहा मना करेगी तो आगे जाकर उसकी भाभी उसके लिए कुछ बड़ा प्लान कर लेंगी ।

इसिलिए ममता ने भी ना नुकुर करते हुए अपने हाथ को ढिला कर दिया और मौका पाते ही रज्जो ने फटाक से एक हाथ से कुरता हटाया और पायजामे को हटा दिया और कमलनाथ का काला मोटा लण्ड सर उठाए टनटना गया ।

इधर ममता को इस बात की उम्मिद ही नही थी कि उसकी भाभी उसका हाथ मे उसके भैया का खुले लण्ड थमा देंगी ।इसके लिए ममता फिर से खिलखिलाते हुए कसमसाइ, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।

ममता - यीईई भाभी ये गलत है उम्म्ंम्ं उह्ह्ह्ह

रज्जो ममता मी हथेली को उसके भैया के काले
लण्ड पर निचे झुलते आड़ो से लेकर उपर सुपाडे तक अच्छे से हाथो मे भर कर सहलवाने लगी ।
वही ममता अपने भैया के गरम सलाख से तपते लण्ड की सख्ती अपनी हथेली मे मह्सूस करके गनगना गयी ।
रज्जो की नजर ममता की तेजी से उपर निचे होती छातियों पर गयी और उसकी खराब हालत के चलते उसने उसे छोड दिया ।

ममता मौका पाते ही खीलखिलाते हुए कमरे से भागी और भागते हुए बोली - भाभी इसका बदला मै भी लूंगी देखना ।


रज्जो अपनी नन्द को भागता देख कर खिलखिलाई ।

जारी रहेगी
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 107

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा की सुबह काफी शांत और बिना कोई धमाके के निकली । वही भोर मे ही राज के मौसी के यहा हंगामा हो गया ।

देखते है ये ननद भौजाई की मस्तियाँ क्या नया आयाम देती है इस कहानी को ।

अब आगे
ममता के कमरे से भाग कर जाने के बाद रज्जो खुब हसी और थोडी देर बाद नहाने के लिए निचे चली गयी ।

9 बजे तक सारे लोग नहा धोकर कर तैयार हुए और फिर नाश्ते के दौरान तय हुआ कि कमलनाथ राजन और रमन ये तिन लोग कुछ सामान की लिस्ट है , वो लेने बाजार जायेंगे । बाकी सारे लोग निचे रहने के लिए सारे कमरो की साफ सफाई मे रज्जो की हैल्प करेंगे ।
थोडी देर मे ही कमलनाथ अपने बेटे रमन और जीजा राजन को लिवा कर बाजार के लिए निकल गया और इधर रज्जो मौसी अपनी साड़ी का पल्लू कमर मे खोस कर सबको क्या क्या करना है ये बताने लगी ।
फिर सबसे पहले उपर की मंजिल से शुरु हुआ ।
जहा एक कमरे मे सारे लोग यानी रज्जो ,ममता ,पल्लवि ,सोनल और अनुज पहुचे ।

फिर रज्जो बगल से स्टोर रूम से कुछ झाडू और जाले साफ करने वाली ब्रशो को लेके आई और अनुज ने फुर्ती दिखाते हुए फटाक से रज्जो के हाथ से एक जाले साफ करने वाला ब्रश लिया और लेके भीड़ गया काम मे । ऐन मौके पर पल्लवि भी एक झाडू लेके खिडकीयो के पास लग गयी ।

ममता हस कर - लो ये लोग तो लग गये ,,,मै तो कह रही हू भाभी , दो लोग यहा लगे हैं तो मै और सोनल बेटी बगल वाला कमरा देख ले रहे है , इससे काम भी जल्दी हो जायेगा और फिर दोपहर का खाना भी बनाना है ना


रज्जो को उसकी ननद का सुझाव जमा तो बोली - हा ममता ठीक कह रही है तू ,,,आ सोनल तू इधर आ

इधर रज्जो , ममता और सोनल को लेके अलग कमरे मे चली गयी और उधर उनके जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है और वापस काम मे लग जाते है ।

जहा अनुज एक तरफ बंद कमरे मे अकेले एक लडकी के साथ काम करने मे असहज मह्सूस कर रहा था , वही पल्लवि को बहुत ही बोरीयत सी लग रही थी कि अनुज इतना गुमसुम क्यू है । क्या शहर के लड़के ऐसे होते है ।

पल्लवि को चुल होती है और मुस्कुरा कर काम के बहाने ही उससे बाते करने का सोचती है - अनुज सुनो

अनुज - हा पल्लवि दिदी कहिये
पल्लवि - हा जरा ये पंखे के पास भी साफ कर दो फिर मै निचे झाडू लगा देती हू ।
अनुज मुस्करा कर - जी दीदी

पल्लवि हस कर - अरे तुम मुझे दीदी क्यू कह रहे हो ,हम्म्म
अनुज थोडा हिचक कर - क्योकि आप मुझसे बड़े हो शायद !!!!
पल्लवि चहक कर कमर पर हाथ रखकर- शायद !! इसका क्या मतलब हम्म्म

अनुज को मह्सूस हुआ कि मानो उसने पल्लवि को दीदी बोल कर कोई बडी गलती कर दी हो और वो सफाई देते हुए - वो आप मेरे सोनल दीदी जैसी हो ना दिखने मे तोओओ ...

पल्लवि हस कर - धत्त मै तो बहुत छोटी हू सोनल दीदी से हिहिही , और उन्होने बताया था हमदोनो की उम्र करीब करीब ही है ।

अनुज उलझन भरे लहजे मे - तो फिर ...
पल्लवि - अरे तो तुम मुझे नाम से बुला सकते हो हिहिहिही

अनुज थोडा सा हसा और वापस काम मे लग गया ।
चोदमपुर मे जहा बुढे जवान और जवानी की दहलिज पर पाव रखते लौंडे तक पल्लवि की सेक्सी फिगर से उससे बात करने को लालायित रहते थे ,,यहा आने के बाद वो रुझान पल्लवि को नही मिल पा रहा था ।

पल्लवि मन मे बुदबुदाइ - ये तो पुरा साधू है ,, बात करना तो दुर देखता तक नही मेरी ओर । यहा दो हफते तक मेरी जिन्दगी कैसे कटेगी ।

ना चाहते हुए भी मन को तसल्ली देते हुए पल्लवि ने फिर कोसिस की - तब अनुज बहुत गुमसुम हो ,,, गर्लफ्रेंड की याद आ रही है क्या हिहिहिही

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि पल्लवि उससे ऐसा कुछ पुछ लेगी ।

अनुज सकप्का कर - ना ना नही तो ,,मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है दीदी, ओह्ह सॉरी मतलब पल्लवि

पल्लवि - सच मे या डर रहे हो कि मै तुम्हारी दीदी को बता दूँगी ।
अनुज से पहली बार किसी लडकी ने ऐसे बात किये थे और वो भी सीधे व्यकितगत सवाल ।
अनुज को एक अलग तरह की उत्सुकता और मन मे खुशि हो रही थी कि पल्लवि उस्से बात कर रही है । हालकी उसकी नजर कल से ही उसपर थी । मगर उसके भरे जिस्म को देखकर वो पल्ल्वी को अपने से ज्यादा उम्र की जानकर उससे किनारा कर रहा था ।

अनुज ने फिर भी अपने जज्बातो को दिल ने ही थामा और इस बार थोडा आत्मविश्वास के साथ बोला - नही ऐसी कोई बात नहीं है ।

पल्लवि अचरज से - तुम तो शहर मे रहते हो ना लेकिन ,

अनुज ह्स कर - शहर मे रहता हू तो क्या , मै ये सब नही करता हू हिहिहिही

फिर अनुज वापस काम मे लग जाता है ।
इधर इनका काम चल रहा होता है कि थोडी देर बाद पल्लवि अनुज को फिर से आवाज देती है ।

पल्लवि - अनुज सुनो
अनुज - हा बोलो पल्लवि क्या हुआ

पल्लवि एक लोहे की आलमारी के पीछे साफ सफाई कर रही थी तो वहा कुछ कचरा फसा था तो वो निकल नही रहा था ।

पल्लवि - जरा ये आलमारी थोडा झुकाओगे ,, वहा कचरा पडा है मै झाडू से निकाल लू ।

फिर अनुज हम्म्म बोल कर आल्मारि को आगे की ओर झुका लेता है और पल्लवि झाडू से ढेर सारा कचरा बाहर निकालती है , जिसमे चूहो द्वारा एकठ्ठा किया काफी सारा कचरा और गन्दगी थी । तभी अनुज की नजर आलमारी के निचे एक बैगनी रंग के कपडे पर गयी जो वही फसा हुआ था ।

अनुज - पल्लवि , देखो वहा कोई कपडा भी है ,उसे भी निकाल लो तो ।

पल्लवि हा मे सर हिला कर निचे बैठ गयी और हाथ डाल कर उस कपडे को निकाल कर खड़ी हुई ।

अनुज को वो कपडा अभी नया दिख रहा था ।
अनुज - कैसा कपडा है पल्लवि ये ,,नया लग रहा है ।

पल्लवि ने वो कपडा एक बार देखा और फौरन उसे फ़ोल्ड करके मुठ्ठि मे छिपाने लगी ।

अनुज को अचरज हुआ वो आलमारी को सही से लगा कर फिर से पल्लवि से बोला - क्या हुआ ,,कैसा कपड़ा है ये ।

पल्लवि शर्म से मुस्कुराने लगी और बोली - नही कुछ नही । चलो ये कचरा उस बालटी मे भर दो और मै बाकी का झाडू मार देती हू ।

अनुज को अजीब सा लगता है कि आखिर क्या है जो पल्लवि छिपा रही है ।
अनुज एक बार फिर उत्सुकता से बोला - तुमने बताया नही कैसा है वो कपडा । क्यू छिपा रही हो उसे । लाओ मै देखू

फिर अनुज आगे बढ कर पल्लवि के हाथ से वो कपडा लेने के लिए उसके करीब जाता है और पल्लवि हस कर - अरे नही अनुज रहने दो ना ,वो तुम्हारे काम का नही है ।

अनुज अचरज से - मेरे काम का नही है क्या मतलब ।
फिर वो पल्लवि के और करीब जाता है तो पल्लवि उसे वो कपड़ा दे देती है ।

अनुज उस मुलायम कपडे को फैला कर देखता हुआ - मै भी तो देखू ये क्या .....

वो कपडा खोलते ही अनुज की आवाज वही रुक गयी और वही पल्लवि खिलखिला कर मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
वो कपड़ा दरअसल राज के मौसी रज्जो की पैंटी थी और अभी नयी थी ।

अनुज को अब खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी और वो पल्लवि को हस्ता देख कर खुद भी हस देता है और वापस उसे पल्लवि को देते हुए कहता है।
अनुज - हम्म्म पकड़ो मौसी को दे देना , अभी नया ही है हिहिहिही

पल्लवि शर्म से हसी और वो पैंटी अनुज के हाथ से लेते हुए - तुमको कैसे पता कि ये मामी की है ।

अनुज शर्मा कर मुस्कुराते हुए - उसपे साइज़ लिखा है ना 42" , और यहा कौन पहनेगा इतनी बडी साइज़ हिहिहिही

पल्लवि इतरा कर - तुमको बड़ा पता है साइज़ के बारे मे

अनुज बहुत ही स्वाभिमान होकर - हा मेरी दुकान है ना चमनपुरा मे इनसब की ।

पल्लवि हस कर अनुज से मजे लेते हुए - फिर तो तुमको मेरी साइज़ भी पता होगी ।

अनुज पल्लवि के सवाल से चौक गया और वो हड़ब्डाने लगा ,,,वही एक तरफ पल्लवि के इस सवाल ने उसको कुछ हद तक कामोतेजक कर दिया और लोवर मे उसका लण्ड अंगड़ाई लेने लगा था ।

अनुज - अब ब ब हा ना नही नही ,,मुझे कैसे पता रहेगा
पल्लवि ह्स कर - अरे तुम इतना परेशान क्यू हो ,,मै तो ऐसे ही पुछ ली , क्योकि तुम दुकान चलाते हो ना तो दुकानवालो को पता होता है ।

अनुज को ये सब बहुत उत्तेजक भी लग रहा था , साथ ही उसे थोडा अजीब भी मह्सूस हो रहा था कि वो ऐसी बाते अपनी बहन समान जैसी लड़की से कर रहा है । इसिलिए वो पल्लवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोला ।

अनुज - नही मै उतना रहा हू दुकान पर ,,हा मेरे राज भैया को पता है । वही दुकान पर ज्यादा रहते है ना ।

पल्लवि एक बार को राज नाम सुन कर थोडा फिल्मी हेरोइन की तरह इतराई । क्योकि राज नाम काफी शहरी और आधुनिक था और पल्लवि को आधुनिक चीज़ो से खासा लगाव था ।

पल्लवि - हम्म्म तो तुम्हारे भैया ये जो है राज , वो क्यू नही आये ।

अनुज - वो क्या है ना हमारी दो दुकान है तो एक बरतन की और एक ये सब वाली ।

पल्लवि हसी - मतलब तुम अपनी दुकान पर यही सब कच्छी ही बेचते हो क्या हिहिहिही

अनुज को थोडी शर्म आई - नही , वो सृंगार वाला दुकान है हिहिहिही

पल्लवि इस बातचीत को और दिलचस्प बनाने मे लगी थी लेकिन अनुज इस बात को और आगे नही ले जाना चाहता था ,,इसलिए

अनुज - चलो जल्दी से ये कमरा खतम कर लो , हमे निचे भी जाना है ।

पल्लवि को भी ध्यान आया और वो भी जल्दी जल्दी काम करने लगी
ये दोनो अपना काम खतम कर रहे होते है कि रज्जो इनके कमरे मे आती है ।

रज्जो - अरे वाह ,,तुम दोनो ने तो बहुत बढिया साफ किया है ।

अनुज बहुत खुशी होती थी जब कोई उसकी तारिफ कर देता था और वो भावनाओ मे बह कर वो सामने वालो और भी खुश करने की बचकानी हरकत कर देता था ।

यहा रज्जो उसकी तारिफ कर ही रही थी कि अनुज फौरन वो पैंटी उठा कर रज्जो को देता है ।

अनुज बडी मासूमियत से - लो मौसी ,ये आपका कच्छी मिला है यहा आलमारी के पीछे,,चूहा लेके गया था ।

पल्लवि अनुज के इस हरकत पर हस देती है । रज्जो के चेहरे पर ही हसी के भाव आ जाते है मगर वो अपने प्यारे भतीजे का मजाक नही बनाना चाहती है ।

रज्जो उसके सर पर हाथ फेर कर -हिहिह्ही ,,इन चूहो को ना जाने क्या मिलता है , अभी दुसरे मे भी मेरा एक पैंटी लेके गया था और उसको तो पुरा काट दिया है ।

फिर रज्जो उन दोनो के सामने ही अपनी पैंटी फैला कर देखती है कि कही चूहे ने काटा नही है

अनुज वापस से चालाकी दिखाते हुए बोला - नही मौसी ये सही है ,मैने चेक किया है इसको


रज्जो ह्स कर - तू ब्डा देख रहा है मेरी कच्छी हा ,,,

पल्लवि को रज्जो की बात पर बडी हसी आती है और उसे हस्ता देख अनुज को अपनी गलती समझ आ जाती है ।

रज्जो - चलो ये कचरा और झाडू लेके निचे आओ ,, जल्दी

फिर रज्जो निकल जाती है बाहर और उस्के जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देखते है ।
पल्ल्वी की फौरन हसी छूट जाती है और अनुज भी शर्माते हुए हस देता है ।


अनुज - अब बस भी करो ,,मजे ले रहे हो , चलो मौसी निचे बुलाई है ।
फिर वो दोनो निचे जाते है
इधर 11 बजे तक सारे काम हो जाते है और फिर रज्जो सबको पानी पिलाती है । फिर सारे लोग गर्मी से परेशान होते है तो नहाने के लिए कहते है ।

मगर अनुज बहुत थक जाता है तो वो वही हाल मे थोडा सोने लग जाता है ।
इधर अनुज हाल मे आराम कर रहा होता है और यहा महिला मंडल ने अपनी अपनी जोडिया बना लेती है । सोनल और पल्लवि न्हाने के लिए टेरिस वाले बाथरूम मे चली जाती है, वही रज्जो और ममता निचे आंगन मे ही नहाने के लिए चले जाते है ।

इधर अनुज को सोये ज्यादा समय नही हुआ था कि लाईट भाग जाने से उसकी नीद खुल जाती है । वो भी गर्मी से परेशान था तो नहाने के लिए रमन के कमरे से कपडे लेके पीछे आँगन की ओर जाने लगता है । वहा आँगन के मुहाने के जाने से पहले ही उसे अपने रज्जो मौसी की खिलखिला कर बात करने की आवाज आई तो अनुज वही रुक गया और ये सोच कर वापस आने लगा कि ये लोग नहा ले फिर मै जाऊंगा ।

अनुज वापस मुड़ा ही था कि तभी उसे अपनी रज्जो मौसी की आवाज सुनाई दी जो वो ममता से कह रही थी ।

रज्जो हस्कर - तब ननद रानी ,,मजा आया था ना सुबह अपने भैया का लण्ड पकड कर हिहिहिही

रज्जो मे मुह से ऐसी बात सुन कर अनुज के कान खडे हो गये और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी । वो थुक गटकने लगा और ना चाह कर भी उसके हाल की ओर बढते कदम रुक जाते है और वो वापस दबे पाँव आँगन की ओर चल देता है ।
तभी उसे ममता की भी आवाज सुनाई देती है ।

ममता - हालत तो आपकी भी खराब हो गयी थी अपने नंदोई जी का पकड कर हिहिहिही

अनुज की आंखे चौडी हो गयी । कि ये लोग क्या बाते कर रहे है । क्या सच मे रज्जो मौसी ने राजन फूफा का वो पकड़ा था और क्या ममता बुआ ने मौसा का ???


रज्जो ह्स कर - वैसे मानना पडेगा , नंदोई जी खुन्टा है जबरजस्त ,, बहुत गहराई कर दिये होंगे तेरे चुत मे तो हिहिहिहिही

अनुज को यकीन ही नही हो रहा था कि उसकी सगी मौसी ऐसी है , वही उसका ये सोच कर लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था कि ममता बुआ ने अपने भैया का ही लण्ड पकड लिया था ।
अनुज के दिलो दिमाग में कौतूहल मच गया था । उसके मन मे भी ना जाने क्यू ये ख्याल आया कि काश उसकी दीदी भी जब अपने मुलायम गोरे हाथो से उसके गर्म आड़ो को सहलाएगी तो उसे कितनी गुदगुड़ी मह्सूस होगी और इस भावना से अनुज के पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ जाती है
मगर अगले ही पल अनुज को होश आया तो वो खुद को धिक्कारा ।

तभी अनुज ने और कुछ सुना

ममता रज्जो की बात का जवाब देते हुए - कही आपका दिल तो नही आ गया अपने नंदोई पर ,,, कोशिस बेकार है भाभी , वो नही आने वाले आपके झांसे मे हिहिही , आप बस भैया से ही काम चलाओ

रज्जो हस कर - मुझे तो लग तू कुछ ज्यादा ही अपने भैया के मोटे काले लण्ड के लिए तरस रही है हिहिहिही ,, अगर सुबह देख कर मन नही भरा तो रात मे चली आना , हमारा शो चालू रहेगा हिहिहिही

ममता हस कर - शो तो आज रात हमारा भी होने वाला है भाभी हिहिहिही ,
ममता - वैसे आपने तो अपने ननदोई का खुला नही देखा है ,,,दरवाजा खुला ही छोड दूँगी देख लेना हाहाहा

अनुज का लण्ड उसके लोवर मे एकदम तन कर खड़ा हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे । बार बार उसके दिमाग मे रात मे होने वाली दोनो खुले कमरे मे होने वाली चुदाई की तलब होने लगी और उसका लण्ड बार बार फड़क रहा था और वो बहुत उत्तेजित होकर रात का इन्तजार करने लगा ।

मगर अपनी उत्तेजना और खडे लण्ड से परेशान होकर अनुज वापस हाल मे आ गया और तबतक बिजली भी आ गयी थी तो वही थोडी देर लेटा रहा था । फिर अपनी बारी आने पर वो भी नहाने के लिए आँगन मे चला गया ।
एक तरफ जहा राज के मौसी के यहा ये सब घटनाओं का संगम हो रहा था , वही दुसरी तरफ चमनपुरा मे भी कुछ खास होने वाला था ।

राज की जुबानी

सुबह का नासता करके मै दुकान पर आ गया था । शादियो के सीजन मे दुकान पर भीड़ भी बहुत थी ।
दोपहर के करीब मा खाना लेके आई और वो दुकान मे लग गयी ।

थोडी देर खाली होने के बाद मा ने मुझे पहले खाना खाने को बोला ।
मै पीछे के कमरे मे जहा पापा का रूम हुआ करता था ,,वहा जाकर टिफ़िन खोल कर बैठ गया और इधर धीरे धीरे दुकान मे फिर से भीड़ होने लगी । मा ने मुझे आवाज दी की मै जल्दी खा कर आऊ ।

मै भी फटाफत खाकर दुकान मे गया था तो मेरे चेहरे पर एक गजब की मुस्कान आ गयी । कारण था कि चन्दू की बहन चंपा आई थी दुकान मे ।

वो भी मुझे देख कर शर्मा कर मुस्कुराइ । उसका मूल कारण था कल की होने वाली चुदाई जो मेरे और चंपा के बीच होने वाली थी । इधर हम दोनो आपस मे स्माइल पास करने का और आंखो से इशारे मे हाल चाल लेने का गेम खेल रहे थे कि मा बोली ।

मा - बेटा आ गया तू ,,,जरा इस चंपा को इसकी नाप की ब्रा पैंटी दिखा देना तो ,,बेचारी कबसे खड़ी है ।

मा की बाते सुन कर चम्पा शर्मा सी गयी और मुझे भी हसी आने लगी थी ,मगर मैने खुद पर नियन्त्रण किया । वही मा एक शादी के दुलहन का समान निकाल रही थी तो काफी समय से व्यस्त थी ।

मैने भी अपनी हसी को होठो मे दबाया और गला खरास कर बोला - कौन सा साइज़ दू

चंपा शर्मा के - 34C की स्टोबेरी कपडे मे दिखाना

मैने फौरन दो चार उसकी पसन्द और साइज़ का बढिया डिज़ाइन का बॉक्स उसको दिया और बोला की अन्दर कमरे मे देख ले ,,क्योकि दुकान पर और जेन्स लोग भी थे ।

वो मुस्करा कर वो डब्बे लेके चली गयी ।
मै थोड़ा बाकी ग्राहको मे व्यस्त हो गया और उनको निपटा कर चम्पा के पास कमरे मे गया ,,,जो इस वक़्त एक रेड ब्रा खोल कर देख रही थी ।

मौका देखकर मै धीमी आवाज शरारती अंदाज मे बोला - लेलो कोई भी ,उतारना मुझे ही है ना हिहिहिही

चम्पा शर्मा कर झेप सी गयी - पागल हो ,,जाओ बाहर नानी क्या सोच रही होगी ।

मै हस कर - अच्छा पैंटी का साइज़ क्या लाऊ ,, 38"

चम्पा आंखे बडी करके - पागल हो क्या ,,,इतनी मोती नही हू मै ,,

मै एक बार उसके सामने ही उसकी कमर और चुत के हिस्से पर नजर मारते हुए - तो फिर क्या 32" हिहिही

चंपा हस कर धीमी आवाज मे - नही पागल 36 नम्बर ,,अब जाओ

मै मुस्करा कर अपनी हसी को दबाते हुए बाहर दुकान मे आया और जानबुझ कर तीन बॉक्स अलग अलग टाइप की पैंटी का लेके वापस कमरे मे चला गया ।

मा अभी भी उन्ही ग्राहक मे व्यस्त थी जो दुल्हन के शादी का समान निकलवा रहे थे ।

मै आकर सबसे पहले ब्लूमर का बॉक्स खोल कर मुस्कराते हुए - लो इसमे से कलर देख लो ।

चंपा भी मुस्कुराइ और एक मरून कलर का ब्लूमर निकाल कर उसकी पैकिंग खोली ---अरे ये वाला नही जी ,,,वो वाला दो छोटा वाला

मै हस कर - छोटा वाला मतलब ,कैसा ??? वो जो पहनी है वैसा क्या ??

मै ब्रा के एक बॉक्स पर छ्पी एक लडकी को दिखाया जो वी शेप की पैंटी पहने थी ।

चंपा शर्म से लाल हो गयी और हा मे सर हिलाया ।

मै वो बॉक्स बन्द किया और दुसरा बॉक्स खोला जिसमे वी-शेप पैंटी तो थी लेकिन सब लाईट कलर मे - लो इसमे से निकाल लो कोई

चंपा थोडा संकुचित होकर - और कोई कलर नही क्या ,,,

मै हस कर - क्यू इनमे क्या बुराई है ,,ये तो अच्छे भी लगेंगे तुम पर ,,, सावली हो तो हिहिहिही

चंपा मेरे सर पर हल्के हाथो से चपट लगाते हुए - मजाक ना करो ,,सही बताओ

मै जिद करते हुए - अरे इनमे क्या दिक्कत है ये बताओ

चंपा हिचक कर - वो इनमे दाग लग जाता है ना इसिलिए

मै जानबुझ कर उस्का मजा लेता हुआ - तुम घर मे सिर्फ़ पहन कर खाना खाती हो और काम करती हो क्या ,जो दाग लग जाता है हिहिहिही

चंपा शर्म से लाल हो गयी - बक्क तुम मजाक ना करो ,,वहा निचे दाग लग जाता है ,हा नही तो

मै उसकी मासूमियत चेहरे को परेशान होता देख दुसरा डार्क कलर वाला बॉक्स खोल कर देता हू और वो उसमे से भी दो सेट निकाल लेती है ।

फिर मै सारे बॉक्स बन्द करके बाहर जाने को होता हू ।
मै - अच्छा ये बताओ इनमे से कौन सा पहन के अओगी कल हिहिहिही

चंपा बार बार मेरे छेड़ने से पक गयी थी तो तुनक कर बोली - एक भी नही

मै हस कर - सच मे हिहिही
चम्पा को अह्सास होता है कि वो क्या बोल गयी और वो झेप सी जाती है ।

मै हस कर बाहर आ जाता हू ।
थोडी देर बाद वो भी चली जाती है । फिर समय बितता है शाम होने लगति है ।


जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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