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पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा पल्लवि और अनुज एक दुसरे से खुल रहे थे और वही अनुज धीरे धीरे कुछ नये रिश्तो के बारे मे नयी चीजे सिख रहा था ।
इनसब से अलग चमनपुरा मे राज और चंपा आने वाले कल के लिए कुछ तैयारियो मे लगे थे । देखते है ये तैयारियाँ कितनी मजेदार मौहाल बनाने वाली है ।
अब आगे
चम्पा के जाने के बाद मै वापस दुकान मे लग जाता हू ।
शाम को 7बजे तक मै चौराहे वाले घर पहुचता हूँ और मा किचन मे सिर्फ साड़ी ब्लाउज मे किचन मे काम कर रही होती है ।
मा की उभरे हुए हिलते कूल्हो को देख कर मुझे बडी उत्तेजना मह्सूस होती है
मै किचन मे घुसा और मा से चिपक के अपने फन उठाते लंड को मा के गाड़ में चिपका दिया ।
मा मेरे स्पर्श से कसमसाइ- उह्ह्ह बेटा रुक जा ना
मै मा से और चिपक कर अपने हाथ आगे ले जाकर मा की चुचियॉ को हाथो मे भर लिया ।
मा सिस्क कर - सीईई उम्म्ंम्म्ं बेटा बस कर उम्म्ंम्म्ं बना लेने दे ना खाना , देख सब्जी जल जा रही है
मै मुस्कुरा कर वापस हट गया ।
मा - तू जा नहा ले , तेरे पापा भी आ गये है नहा रहे हैं वो भी ।
मै मुस्कुरा के - ठीक है मा
फिर मै भी नहाने चला गया और नहा कर सिर्फ अंडरवियर पहन कर बाहर आया ।
तो हाल मे पापा भी एक फुल बाजू की बनियान और जांघिया पहने हुए बैठे थे ।
तभी दरवाजे पर खटखट हुई ।
पापा ने एक नजर मुझे देखा -बेटा कुछ पहन ले ,,ऐसे अच्छा नही लगता
फिर पापा एक गम्छा लपेट लिये जो बहुत पतला ही था ।
मै भी कमरे मे गया टीशर्ट हाफ़ लोवर डाल के आ गया । तब तक हाल मे शकुन्तला ताई एक झोला लेके आई थी ।
मैने उनको नमस्ते किया ।
शकुन्तला ताई , एक टाइट नाय्लान मैक्सि पहनी थी ,,जिसमे उनकी चुचियॉ का उभार साफ दिख रहा और दोनो तरफ बटन जैसे उभरे निप्प्ल के दाने बता रहे थे कि ताइ ने निचे कुछ नही पहना था ।
वही पापा जो ताई बगल मे ही थोडी दुर पर बैठे थे और ताई को निहारे जा रहे थे । उनके लण्ड मे तनाव इत्ना था कि गम्छा के उपर से भी उभार पता चल रहा था ।
शकुन्तला ताई बहुत ही हिचक के बात कर रही थी ।
मै - और बताओ ताई ,कैसे आना हुआ
शकुन्त्ला मुस्कुरा कर - कुछ नही बेटा वो तेरी मा से काम था ।
मै - हा कहिये न , मा अभी नहाने गयी है उनको समय लगेगा ।
शकुन्तला जल्द से जल्द मेरे पापा के हवसी नजरो से बच कर निकल जाना चाहती थी ।क्योकि बार बार उसका ध्यान पापा के लण्ड के उभार पर ही जा रहा था ।
शकुन्तला हिचक कर - हा वो बेटा मै कह रही थी कि दो मेरे साइज़ की कच्छी लेते आना तो कल
मै मुस्कुरा- अच्छा ठीक है , साइज़ बता दीजिये
शकुन्तला एक बार पापा को देखी और फिर मुझे देख कर मुस्कुराते हुए - साइज़ तो मुझे ध्यान नही है बेटा लेकिन
मै - लेकिन क्या
शकुन्तला झिझक कर पहले पापा को देखी ,जो मुस्कुरा रहे थे और फिर झोले मे से अपनी एक पैंटी निकाल के मुझे दिखाती हुई - ये देख इसी साइज़ की लेते आना
मुझे उम्मिद नही थी कि शकुन्तला ताई ऐसा कुछ करेंगी ,, उनकी मुलायम पैंटी को हाथ मे लेते ही लण्ड ने फौरन सिर उठाना शुरु कर दिया ।
मै थुक गटक कर उस मरून पैंटी को उन्के सामने ही खोलकर देखने लगा ।
मै खुद को सामान्य रखते हुए - ताई ये बहुत ढीली हो गयी है और साइज़ का लेबल भी नही है ।
तब तक पापा को भी मस्ति सुझी और मुझसे बोले - अरे नही बेटा , उसमे होगा , ला मुझे दे मै देखता हू ।
मै बिना कोई प्रतिक्रिया के वो पैंटी पापा को उछाल दी ।
शकुन्तला को बहुत ही अजीब लगा , लेकिन वो कया कर सकती थी सिवाय मुस्कुराने के ।
पापा भी उसको देख कर मुस्कराते हुए - जानती है भाभी ,, इन टाइप की कच्छीओ मे अंदर की तरफ एक छोटा सा लेबल लगा होता है ,,रुकिये मै दिखाता हू ।
फिर पापा शकुन्तला के सामने ही उसकी पैंटी को उलटने लगे और निचे की सिलाई के पास एक रोल हुआ छोटा सा स्टीकर था ।
पापा उस स्टीकर को खोलते हुए - हाहाहा देखिये मिल गया , 40 नम्बर है आपका
मै मुस्कुरा कर - ठीक है ताई मै कल दुकान से वापस लेते आऊंगा ।
शकुन्तला - हा लेकिन थोडा गाढ़ा रंग ही लेना ना बेटा
मै ह्स कर - अरे ताई आप चिन्ता ना करो ,,मेरे पास काजल भाभी का नम्बर है ,मै सारे रंग का फ़ोटो खीच कर कल व्हाटसअप पर भेज दूँगा ,,,आपको जो रंग पसन्द होगा बता देना
शकुन्तला को बडी खुशी हुई और फिर वो पापा को देखी जो उसकी पैंटी को अपने हाथो मे मिज रहे थे ।
शकुन्तला मुस्कुरा कर - लाईये , अब मै चलती हू
पापा को भी ध्यान आया और वो मुस्कुरा कर - हा लिजिए भाभी जी ,,,
फिर शकुन्तला ने वो पैंटी झोले मे रख दी और उठ कर जाने वाली थी कि मा हाल मे नहा कर एक मैकसी डाले हुए आती है ।
मा - अरे दीदी आप आई है क्या , बैथिये मै चाय लाती हू
शकुन्तला - नही नही सोनल की अम्मा रहने दो । कहा इस गर्मी मे चाय
मा मुस्कुरा कर - अच्छा ठीक है ,,ये बताईए आज हमारे यहा कैसे आना हुआ ।
तभी मै और पापा एक साथ बोले - वो कच्छी के लिए
मा हस कर - मतलब
शकुन्तला पूरी तरह से शर्मा गयी ।
शकुन्तला - अरे वो मुझे दो कच्छी चाहिये थी ,, तो सोचा क्या उसके लिए बाजार जाऊ ,,यही कह दूँगी तो कोई भी लेते आयेगा ।
मा - हा सही कहा ।
फिर ऐसे ही थोडी बाते हुई और फिर वो चली गयी ।
उनके जाने के बाद मा मुस्कुरा कर - आप बड़ा लेबल खोज रहे थे अपनी भौजी की कच्छी मे हिहिहिही
पापा हस कर - मतलब तुमने सब सुन लिया हाहाहा
मा ह्स कर - हा तो नजर रखनी पड़ेगी ना कि मेरे पति कहा कहा नजर मार रहे है ।
मा की बातो से मै हसने लगा ।
पापा हस कर - अरे इसमे क्या नजर मारना ,,हम तो वैसे ही मजे ले रहे था हाहाहा
मा - हमम ले लिये मजा फिर हा
पापा - हा साली की पैंटी ने मेरा लण्ड खड़ा कर दिया ,,अब आओ इसको शांत करो
मा ह्स कर - धत्त आपको तो वही लगा रहता है ,, चलो पहले खाना खा लो फिर कुछ
फिर हम सब खाना खाकर पापा के कमरे मे चले गये अपने रात की चुदाई का कोटा पुरा करने ।
लेखक की जुबानी
जहा एक तरफ चमन मे ये सब घटित हो रहा था वही राज के मौसी के यहा भी हसी ठिठोली और मस्तियाँ भी कम नही हो रही थी ।
पल्लवि और अनुज काफी खुल रहे है एक दुसरे से
हर कोई काम के लिए पल्लवि पहले अनुज को ही आवाज देती थी या किसी ना किसी बहाने से वो अनुज के आस पास मडराती रहती थी ।
शाम होते होते कमलनाथ , राजन और रमन काफी सारा समान एक टेम्पो मे लाद कर आ गये थे । फिर उपर एक खाली कमरे मे सारे समान को रखवा दिया गया ।
फिर रात का खाना बनाने की तैयारी होने लगी । इधर पल्लवि अनुज के लिए हर चीज़ का ध्यान करने लगी ,,चाय नाश्ता खाना सब खुद उसको देने लगी ।
अनुज को भी काफी अच्छा मह्सूस हो रहा था लेकिन जब सब लोग के साथ मे भी पलल्वी उसका नाम लेती तो वो बडा अटपटा मह्सूस करता था, उसको डर सा लगने लगता था कि कही कोई उसे चिढा ना दे या कोई उसको शक की निगाह से ना देखे । इसिलिए अनुज थोडा सा किनारा ही कर रहा था ।
अनुज से अपनी मन मुताबिक प्रतिक्रिया ना पाकर पल्लवि तुनक जाती थी ,,और फिर हस कर ना जाने कितने दुलार से अनुज को देखती थी कि मानो कीतना भोला सा लड़का है वो ।
खैर खाने का दौर खतम हुआ और फिर सोने की बारी आई तो निचे का एक कमरे सोनल और पल्लवि को दिया गया , साथ मे बिस्तर भी ।
फिर पल्लवि सोनल के साथ निकल गयी और जाते हुए वो पलट कर अनुज को देखती है एक कातिल मुस्कान के साथ ,,अनुज झेप सा जाता है ।
फिर रज्जो और ममता ने आपस मे ना जाने कौन सी आंख मिचोली की । कि रज्जो ने ममता और राजन को उपर कमरा दे दिया ।
अनुज इनसब बातो को देख समझ रहा था और वो जान रहा था कि उसे उपर नही बल्कि निचे ही सोने को दिया जायेगा ,,,मगर वो रमन के साथ नही सोना चाहता था क्योकि आज रात दो खुले कमरो मे चुदाई होने वाली थी और उसके बारे मे सोच सोच कर दोपहर से ही अनुज का लार और लण्ड दोनो टपक रहे थे ।
रज्जो बोली - ठीक फिर अनुज रमन के साथ सो जायेगा
अनुज - नही मौसी मै इस कमरे मे सोउँगा ,,कल रात मे रमन भैया को दिक्कत हो रही थी सोने ,,,
हालाकि रमन को दिक्कत कुछ और बात से थी ,,भले उसने अपनी मा की चुत चोद ली थी फिर भी वो एक शर्मिला लड़का था और वो नये लोगो ने मिलने जूलने मे असहज महसूस करता था । कल अनुज उसके साथ सोया था तो वो अपनी होने वाली बीबी से रात मे मीठी मीठी बात नही कर पाया था ।
रमन - हा मा , अनुज सही कह रहा है
रज्जो - ठीक है फिर , ले अनुज ये अपना एक तखिया और बिस्तर ,,,अच्छे से लगा लेना और पंखा चला कर सो जाना ।
अनुज खुशी से - जी मौसी
फिर रमन और अनुज अपने कमरे मे चले गये और वही रज्जो ममता राजन और कमलनाथ उपर चले गये सोने के लिए
थोडी देर मे पुरे घर मे चुप्पी सी छा गयी । सोनल और पल्लवि एक कमरे मे जाकर सोने की तैयारी करने लगे ।
रमन अपने कमरे मे जाते ही अपनी होने वाली बीबी से फोन पर लग गया ।
इधर अनुज को बेचैनी सी होने लगी कि उपर क्या होगा , क्या सच मे रज्जो मौसी और ममता बुआ दरवाजा खुला रख कर सेक्स करने वाले है । अनुज की लण्ड ने फिर से हुन्कार भरनी शुरु कर दी ।
थोडी ही देर मे उसका लण्ड तन कर कडक हो गया ।
उसे बहुत गर्मी सी मह्सूस होने लगी तो बंद कमरे मे होने के कारण उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और हल्का हल्का सहलाने लगा । धीरे धीरे वो कल्पना मे डूबने लगा कि उपर अभी क्या हो रहा होगा
वही उपर के कमरो मे रज्जो और ममता ने बडी ही चालाकी से दरवाजे खुले रख कर बस पर्दा बंद कर दिया था और अपने अपने पतियो के साथ रासलीला मे लगी हुई थी । दोनो कमरो मे गजब की लण्ड चुसाई हो रही थी । रज्जो और ममता ने जानबुझ कर अपने पतियो को ऐसे जगह पर खड़ा किया था कि कोई भी अगर हल्का सा पर्दा खोल कर अंदर झाँकेगा तो सबसे पहले उसकी नजरे उनके पतियो के लण्ड पर ही जायेगी । इनसब के बीच जहा रज्जो चुदवाने को तडप रही थी वो बस अपने काम मे लगी रही और उसे फ़िकर ही नही थी कि ममता आयेगी या नही ।
वही दुसरे कमरे मे ममता को बडी आश थी कि रज्जो उसके कमरे मे झांकने आये ,,मगर बितता समय उसको बेचैन कर रहा था ,, बार बार उसका ध्यान अपने पति के लण्ड से हट कर बगल के कमरे मे हो रहे चुदाई माहौल को देखने को उत्सुक हो रहा था । कि आखिर ऐसा क्या हो रहा होगा जो अब तक रज्जो आई नही देखने ।
राजन को अहसास हुआ कि उसकी बीवी का मन सही से उसका लण्ड चुसने मे नही है और वो बार बार दरवाजे पर क्यू देख रही है ।
राजन - क्या हुआ ममता ,,कुछ परेशान हो
ममता एक दम से चौकी और बोली - हा वो मेरा पेट खराब लग रहा,,मै जरा उपर पाखाने से आती हू ।
ममता ने फौरन राजन का लण्ड छोड कर खड़ी हो गयी।
राजन जल बीन मछली के जैसे तडप कर रह गया । उसका खड़ा लण्ड एकदम से तप सा रहा था और उसे चुत की तलब सी हो रही थी ।
राजन सिस्क कर उखड़े मन से -ओह्ह ठीक है जाओ जल्दी आना
ममता - हा बस अभी आई
ममता ये बोल कर कमरे से बाहर निकल गयी और राजन वही बिस्तर पर लेट गया ।
ममता कमरे से निकल कर तुरंत अपने बगल के कमरे के दरवाजे पर गयी और कान लगाते ही उसे अपने रज्जो भाभी की सिसकियाँ सुनाई दी । ममता के दिल की धड़कन तेज हो गयी और उसके चुचक कड़े हो गया ,,,उसके जांघो मे सिहरन सी होने लगी । एक अन्जाना सा डर और कपकपी उसके पेट मे होने लगी । उसने बडी हिम्मत करके एक गहरी सास ली और हल्का सा पर्दा अपनी उंगलियो मे पकड कर हटाया तो उनकी आंखे चौडी हो गयी ।
अंदर कमलनाथ बिस्तर पर लेटा हुआ था और रज्जो उसके मुह पर अपना भारी गाड रखे हुए उसके लण्ड की ओर झुकी हुई थी । कमलनाथ अपना मुह अपनी गदराई बिबी के गाड़ और भोसदे मे घुसाये हुए चुस रहा था ,,वही रज्जो कमलनाथ का लण्ड को आड़ो से लेकर उपर सुपाडे तक सहला रही । उसने अपनी लार से कमलनाथ का लण्ड पुरा चिकना कर दिया था और बडी बेरहमी से अपनी गाड को कमलनाथ मे मुह पर दरते हुए सिसक कर उसके सुपाडे से चमडी उपर निचे कर रही थी ।
कमरे के अंदर अपने भैया भाभी का इतना कामुक सीन देख कर ममता की सासे फुलने लगी ,,
उसकी नजरे अपने भैया के मोटे काले लण्ड पर गयी जो लार से लिपटा हुआ चमक रहा था और वही उसकी भाभी उसके भैया के आड़ो को हलोरते हुए लण्ड को गले तक ले जा रही थी ।
ममता पागल सी होने लगी ,,उसकी चुचीयो मे झुनझुनी सी होने लगी ,,और वो खुद अपनी चुचियॉ को ब्लाउज के उपर से सहलाना शुरु कर दी
धीरे धीरे ममता को नशा होने लगा ,,वो पागल सी होने लगी ,,,उसकी चुत अपने भैया का लण्ड देख कर कुलबुलाने लगी
और धीरे धीरे उसका हाथ अपनी चुत तक चला गया और वो खुद अपनी चुत को मसलने लगी और मादक सिसकिया लेने लगी ।
इधर राजन भी कम बेताब नही था ,,,एक तो सुबह जबसे उसने अपनी सल्हज रज्जो की मुलायम चुची को सह्लाया और उसने उसका लण्ड थामा था ,वो परेशान था और अभी उसकी बीबी उसका खड़ा लण्ड छोड कर बाथरूम चली गयी ।।
राजन की हालत खराब थी वो जल्द से जल्द ममता की चुत मे घूसना चाहता था इसिलिए वो उठा और ये सोच कर बाहर निकलने लगा की उपर छत पर ही जैसे ममता पाखाने से बाहर आयेगी उसकी चुत मे लण्ड घुसा देगा ।
मगर जैसे ही राजन कमरे से बाहर आया ,,उसकी नजर बगल के कमरे मे अन्दर की तरफ झांकती ममता पर गयी । जो अबतक अपना ब्लाउज खोल चुकी थी और अपनी चुचियॉ को मसल्ते हुए अन्दर की 69 पोजीशन मे चल रही क्रीड़ा देख रही थी।
राजन एक पल को ममता को रज्जो के कमरे के बाहर देख कर चौक गया ,,,मगर जब उसने अपनी बीबी की स्थिति देखी तो समझ गया कि जरुर कुछ गरम क्रियाकलाप चल रहा है अंदर ।
राजन का लण्ड वापस से तन गया ,,उसकी भी सान्से भारी हो गयी कि अन्दर ऐसा क्या देख रही है ममता ,,कही रज्जो नंगी होकर चुदवा तो नही रही ।
राजन इस कल्पना मात्र से गनगना गया
राजन दबे पाव ममता के पीछे गया और हल्का सा गरदन को उचका कर पर्दे से वो भी अन्दर झाँका तो वही सीन जारी था,, जहा कमलनाथ रज्जो की भारी गाड को सहलाते हुए अपना नथुना और मुह उस के भोसडे मे घुसाये हुए थे और वही रज्जो उसका लण्ड गुउउउऊ गुउउऊ करके पुरा गले तक ले जा रही थी और कामुकता वश अपनी गाड़ को कमलनाथ के मुह पर दर रही थी ।
राजन की आंखे फैल गयी उसने फौरन अपना पाजामा खोलकर निचे गिरा दिया और पीछे से ममता की चुचियॉ पकड ली ।
ममता को इसका अह्सास होते ही वो हल्की सी सिस्की ,तो फौरन राजन ने उसके मुह पर हाथ रख बोला - मै हू ,,,यहा क्या कर रही हो
राजन ममता की चुचियॉ को मसलते हुए बोला
ममता राजन की इस हरकत से उसकी बाहो मे पिघलती चली गयी और उसका हाथ अनजाने मे राजन के लण्ड को स्पर्श कर गया ।
ममता ने फौरन राजन का लण्ड हाथ मे भर कर मुठियाने लगी और उसकी नजरे अभी भी अपने भैया के लण्ड पर ही जमी थी ,,,वही राजन की नजर रज्जो के उभरे हुए हिलते कूल्हो पर थी म
राजन ममता की चुचिया मिज्ते हुए धीमी आवाज मे उसके कान मे बोला - तू यहा क्या कर रही है ,,,
ममता जो अब पकड़ी गई थी तो झूठ बोलते हुए - वो मै पाखाने से आई तो मुझे भाभी की सिस्किया सुनाई दी तो देखने लगी अह्ह्ह उम्म्ंम्ं
राजन ममता की चुत को पेतिकोट के उपर से सहलाते हुए - अह्ह्ह ममता ,,रज्जो भाभी तो बहुत गरम लग रही है ,,,तू भी चुस ना वैसे ही मेरा लण्ड
ममता अपने पति की भावना बखूबी समझ रही थी ,,वो जान रही थी की उसका पति की नजरे उसके भाभी के जिस्मो पर है ।
वो मुस्कुरा कर घूमी और वही राजन के पैरो मे बैठ गयी और उस्का लण्ड चूसना शुरु कर दी ।
राजन को बडी शान्ति मिली जब ममता ने उसका लण्ड मुह मे भर लिया तो ।
इधर उपर ये सब प्रोग्राम चल रहा था और निचे अनुज की हालत भी कुछ खास नही थी । उसे बहुत मन था कि उपर जाकर देखे , खासकर की उसकी रज्जो मौसी ,,कैसे नन्गी होकर चुदवा रही होगी ।
अनुज ने बडी हिम्मत करके उठा और दबे पाव तक जीने के पास गया ,,, वो उपर जाने को हुआ लेकिन फिर उसे डर लगने लगा ,,,कही कोई जाग ना रहा हो । इसिलिए वो वापस कमरे की ओर जाने लगा ,,,मगर उसका लण्ड इसके लिये तैयार नही था ।
वो वापस से जीने की ओर गया और दबे पाव बिना कोई आहट के वो उपर की ओर जाने लगा म
वही उपर का माहौल थोडा बदल चुका था ,,, कमरे मे रज्जो घोडी बनी हुई थी और कमलनाथ उसके भारी गुदाज गाड़ को थामे हुए बहुत जोरदार तरीके से पेल रहा था ।वही राजन भी ममता को दरवाजे की ओर झुका कर उसका पेतिकोट उठाकर पीछे से पेलता हुआ ,,अन्दर कमरे मे देख रहा था । एक तरफ जहा राजन को रज्जो की बडी चर्बिदार गाड और लटकी हुई भारी भारी चुचिया जोश दे रही थी ,,वही ममता को उसके भैया कमलनाथ का उसके भाभी को ताबड़तोड़ धक्के लगा कर चोदने का अंदाज पसन्द आ रहा था ।
उन्होने से हल्का सा पर्दा खोल रखा था और दोनो अंदर का नजारा देख कर बहुत ही उत्तेजना के साथ अपनी चुदाई कर रहे थे ।
इतने मे अनुज उपर जिने के मुहाने के करीब पहुच गया और उसकी नजर सीधा अपनी मौसी के कमरे मे बाहर गयी । वहा का नजारा देख कर वो फौरन निचे झुक गया ।
अनुज के दिल की धड़कन तेज हो गयी । उसका लण्ड पूरी तरह से कडक हो गया । उसको कमरे के बाहर और पर्दे के किनारे से कमरे के अन्दर दोनो सीन एक साथ दिख रहे थे । उसका दिल ये सोच कर बहुत तेज धडक रहा था कि ममता बुआ सच मे अपने भैया का लण्ड देखकर चुदाई करवा रही ।
अनुज ने वही सीढ़ी पर बैठ जाना ही उचित समझा और अपना लण्ड निकाल कर सहलाने लगा ।
उधर कमरे के अन्दर और बाहर जबरदस्त चुदाई चल रही थीं और यहा अनुज उन्हे देखते हुए काफी उत्तेजित हो रहा था और आज उसके जीवन का पहला वीर्यपात हो रहा था । अनुज के लण्ड ने वही सीढ़ी पर ही भल्भला कर गरम पानी उगलना शुरु कर दिया और थोडी ही देर मे अनुज एकदम थक सा गया ।
थोडी देर मे उसकी सासे बराबर हुई तो उसे ध्यान आया कि उसने ये क्या कर दिया ।उसको खुद पर बहुत घिन मह्सूस हुई और उसे अपने राज भैया की बात याद आई की मूठ मारने से बाल झड़ता है ।
अनुज ने एक नजर वापस से कमरे की ओर देखा तो राजन अपना लण्ड ममता के मुह पर झाड़ रहा था ,,वही कमरे मे कमलनाथ रज्जो की कमर पर झड़ कर ढह गया था ।
अनुज को लगा यही सही समय है ।।उसने फौरन जेब से रुमाल निकाल कर मुह बनाते हुए अपना वीर्य सीढि से साफ किया और फौरन दबे पाव अपने कमरे मे चला गया ।
इधर अनुज अपने कमरे मे आया और उधर राजन ममता को लेके अपने कमरे मे आ गया और थोडी ही देर मे उसे नीद आने लगी ।
जो जाग रहे थे उन्हे भी थकान की वजह से नीद आ रही थी । सवाल सब्के मन मे थे और कुछ सवाल तो अभी नयी सुबह का इन्तजार भी कर रहे थे । देखते हैं कि क्या होता है आगे ।
पीछले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एकतरफ चमनपूरा मे रंगीलाल ने शकुन्तला की पोल खोल दी वही राज के मौसी के यहा रात मे गजब की रोमांचक घटनाये घटी और कुछ गहरे सवालो की उधेड़बुन के साथ रात बित गयी ।
अगली सुबह राजन की नीद करीब करीब 5 बजे तक खुली , वो उठा और एक नजर ममता को देखा । फिर उसे रात की घटना याद आई और उसका लण्ड कड़क हो गया ।
वो भी अन्गडाई लेके उठा और कमरे से बाहर आकर वो जीने से छ्त पर जाने के लिए मूड़ा ही था कि उसे रज्जो के कमरे से रोशनी बाहर आती दिखी ।
राजन की आंखे चमक उठी और वो लपक के रज्जो के कमरे की ओर गया ,,तो देखा दरवाजा और पर्दा कल रात मे जैसे था ,वैसे का वैसा ही पडा है और अंदर कमरे मे रज्जो और कमलनाथ नंगे एक-दूसरे से चिपके सोये है ।
राजन का लण्ड रज्जो की फुली हुई चुत देख कर खड़ा हो गया । तभी कमरे मे 5 बजे का अलार्म बजा और रज्जो उठ कर बैठ गयी । राजन फौरन दरवाजे से हट गया । मगर अन्दर रज्जो को आभास हो गया कि दरवाजे पर कोई है।
राजन भी वहा से तुरंत छत की ओर निकला मगर तब तक रज्जो उठा कर पर्दे के पीछे से राजन को सीढि से उपर जाते देख चुकी थी ।
रज्जो मन मे - कही जीजा जी ही तो नही थे ??
रज्जो को अब खुद पर बडी शर्मिंदगी हो रही थी और कि उसकी लापरवाही मे आज सुबह सुबह नंदोई जी ने उसको नंगा देख लिया होगा ।
अब ना जाने कैसे वो उनका सामना करेगी ।
वहा से हट कर रज्जो ने दरवाजा बंद कर दिया और एक मैकसी डाल कर , कमलनाथ को एक चादर से ढक कर ,खुद निचे के बाथरुम में फ्रेश होने के लिए चली गयी ।
थोडी देर बाद धीरे धीरे सब उठ कर अपने अपने कामो मे लग गये । रज्जो भी फ्रेश होकर उपर गलियारे मे झाडू लगा रही थी कि उसकी नजर अपने कमरे के बाहर दरवाजे पर टपके वीर्य की कुछ बूंदो पर गयी जो सूख चुकी थी और उसे देख कर रज्जो को भोर के समय का ख्याल आया जब उसने राजन को दबे पाव उसके कमरे के बाहर से सीढ़ी की ओर जाते देखा था ।
रज्जो मन मे मुस्करा कर - मतलब जीजा जी ने पुरा मजा लिया सुबह सुबह ,,, नजर रखनी पड़ेगी अब मुझे भी हिहिहिही
फिर रज्जो ने वो दाग एक गीले कपडे से साफ करके बाकी का काम खतम करके नहाने के लिए अपने कपडे लेके उपर चली गयी ।
जहा ममता और राजन पहले से ही मौजुद थे। राजन जो कि अभी अभी नहा कर निकला था और सिर्फ एक गम्छा लपेट कर अपना जांघिया झाड कर छत की अरगन पर फैला रहा था ।
रज्जो इस समय एक मैकसी मे थी और उसके चुचिय चलने पर बहुत हिल दुल रही थी ।इधर राजन की नजर रज्जो पर पड़ते ही उसे सुबह और रात मे रज्जो का रन्डीपना याद आ गया कि कितनी भुखी है लण्ड की ।
ये सोचते ही राजन के लण्ड ने एक बार फिर से अंगड़ाई ली और ऊभार उपर से साफ दिखने लगा ।
राजन एक गाव का किसान आदमी था ,उसने खेतो मे बहुत मेहनत किया था तो उसका बदन बहुत कसा हुआ था ।
रज्जो की नजरे भी एक बार अपने नंदोई की नंगी चौडी छाती पर गयी फिर उसके लण्ड के उभार पर मारा और फिर जब राजन से नजरे मिली तो अनायास ही उसकी एक मुस्कुराहत निकल पडी ,जिस्मे शर्माहट भरी हुई थी ।
रज्जो नजरे चुराते हुए बाथरूम की ओर निकल गयी जहा ममता नहाने बैठी हुई थी ।
राजन ने भी मुस्करा कर अपना कपडा लेके निचे चला गया ।
रज्जो बाथरूम के पास जाकर देखा तो ममता भी लगभग नहा चुकी थी और एक पेतिकोट को अपनी छातियों पर बाँधे हुए कपडे खंगाल रही थी ।
रज्जो इतरा कर - ओह्हो लग रहा है रात मे भैया का खुन्टा देख कर बहुत गरम हो गयी थी ,,जो बडे सवेरे नहा ली हम्म्म
ममता रज्जो की बात सुन कर मुस्कुराते हुए - हा देखा मैने कैसे जुल्म करती हो मेरे भैया पर आप ,, इतना बड़ा तबेले जैसा गाड रख दी बेचारे के मुह पर
रज्जो ममता को छेड़ते हुए - ओहो मतलब सच मे आई थी देखने अपने भैया का खुन्टा हम्म्म्म
ममता रज्जो की बाते सुन कर शर्मा कर झेप सी गयी और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ कि जल्दीबाजी मे उसने क्या क्या बोल दिया ।
रज्जो ममता को शर्म से लाल होता देख - ओह्हो देखो कैसे शर्मा रही है ,,जैसे रात मे अपने भैया से सुहागरात मना के आई हो
ममता ह्स कर - अरे भाभी आप छोडो तब ना मै कुछ करू ,,,आपने ही पुरा कब्जा कर रखा था ।
रज्जो वापस ममता को छेड़ कर - ओहो मतलब पुरा मन है अपने भैया को सईया बनाने का हम्म्म
ममता फिर से शर्म से लाल हो गयी ,,वो जान रही थी कि बातो मे वो अपने भाभी से नही जीत सकती ,,, वो कुछ भी बोले उसकी चित ही होनी है । इसिलिए उसने फिल्हाल के लिए किनारा करना ही सही समझा
ममता बालटी मे कपडे लेके - अरे भाभी हटो ,,क्या सुबह सुबह आप भी हिहिहिही
रज्जो किनारे होकर - अरे मेरी ननद रानी ,,एक बार लेके तो देखो अपने भैया का ,,फिर क्या सुबह क्या रात हिहिहिही
ममता बस हस दी और जानबुझ कर कोई जवाब नही दिया क्योकि वो फिर से अपनी भाभी के जाल मे फंसना नही चाहती थी ।
रज्जो भी कोई प्रतिक्रिया ना पाकर समझ गयी कि अब उसकी ननद शर्मा रही है तो उसने भी ज्यादा खिंचाई नही की और अपने कामो मे लग गयी ।
थोडी देर बाद सारे लोग हाल मे एक्ठ्ठा हुए , तब तक पल्लवि और सोनल ने नाश्ता तैयार कर लिया था ।
फिर सबने नाश्ता कर लिया और आज के काम के बारे मे चर्चा होने लगी कि आगे क्या होना है क्या बाकी है ।
कुछ सामनो की पर्चीया बनाई गयी और रज्जो ने तय किया कि आज छोटे मोटे काम निपटा लिया जाये और कल का लाया हुआ सामान सही जगह रख कर सहेज लिया जाय । फिर कल सारे लोग माल चलेंगे , वही रमन के लिए दूल्हे का कपडा और बाकी जिसको जरुरत होगी उसके हिसाब सब कोई ले लेगा ।
माल जाने की बात सुन कर पल्लवि अनुज सोनल बहुत ही चहक उठे । हालांकि अनुज पहले भी जानिपुर आ चुका था मगर पल्लवि और सोनल के लिए ये पहला अनुभव था ।
सारे लोग खुशी खुशी अपने अपने कामो मे लग गये । कमल्नाथ और राजन फिर से बाहर निकल गये कुछ अधूरे कामो के लिये ।
रमन अनुज को लिवा कर ब्रेकरी वाले दुकान पर चला गया और बाकी महिला मंडल घर के कामो मे लग गयी ।
इधर जहा ये सब घटित हो रहा था वही चमनपुरा मे दो जवाँ दिलो के धडकते अरमाँ अपनी उड़ान भर रहे थे ।
राज की जुबानी
रात मे अपना चुदाई का कोटा पुरा करके हम सब लोग सो गये ।
सुबह उठकर सारे लोग नाश्ते के बाद अपने अपने कामों में लग गये ।
मै भी 8 बजे तक दुकान खोलकर बैठ गया और थोडा साफ सफाई करते वक़्त मेरी नजर पैंटी के डब्बे पर गयी तो मुझे शकुन्तला ताई की बात याद आई । मेरे चेहरे पर अनायास मुस्कुराहत आ गयी ।
मैने थोडी देर बाद सारा काम खतम किया और कुछ ग्राहको से काम निपटा कर फ्री हुआ ।
फिर मैने शकुन्तला ताई के नाप की कुछ पैंटी के रंग का फ़ोटो निकाल कर काजल भाभी के व्हाटसअप पर भेज दिया और तुरंत उनको फोन भी लगा दिया ।
ये मेरा काजल भाभी को पहला काल था जो मैने सगाई के दिन ही पंखुडी भाभी के माध्यम से उनका नम्बर लिया था ।
तिन बार रिंग जाने के बाद ही फोन पिक हुई
काजल भाभी - हा हैलो ,कौन
मै काजल भाभी की मीठी धीमी आवाज सुन कर ही गदगद हो गया - नमस्ते भाभी मै बोल रहा हू राज
काजल थोडा हस कर - अरे बाबू आप हो ,,मै सोची किसका नम्बर है , कहिये फोन क्यू किया
मै हस कर - बस आपकी याद आई तो कर लिया हिहिहिही
काजल भाभी शर्मा गयी और थोडा असहज होकर - मतलब बाबू ,हम समझे नही
मै ह्स कर - अरे आप तो परेशान हो गयी होहिहिही ,,वो कल शाम को ताई जी आई थी घर ना ,तो उनको कुछ अंडरगारमेंट्स के कपडे चाहिये थे ,, साइज़ तो मुझे पता है आप रंग उनको दिखा दो ,मैने व्हाटसअप किया है आपको
काजल अंडरगारमेंट्स की बात पर फिर से शर्मा गयी मगर उसकी सास की बात थी तो - जी बाबू , रुकिये हम अभी मम्मी जी को दिखा कर फोन करते है ।
फिर फोन कट गया ।
मै बाकी के कामो मे लग गया और थोडी ही देर मे काजल भाभी का फोन आने लगा तो मेरे चेहरे पर मुस्कान छा गयी ।
मै फोन उठा कर - हा भाभी बोलिए
काजल भाभी - हा बाबू ,वो एक नेवी ब्लू और एक ब्राउन कलर वाला कर देना ।
मै खुश होकर - ठीक है भाभी , और कुछ आपके लिए
काजल हस कर - अरे मेरे लिए क्या हिहिहिही
मै - अरे वही बाली , रिंग ,लिपस्टिक, आईलाईनर , सिन्दूर बिन्दी हिहिहिहिही
काजल भाभी हस कर - अरे नही नही बाबू कुछ नही ,,कुछ चहिये होगा तो हम बता देंगे,,आपका नम्बर है ना हिहिहिही
मै खुश होकर - जी ठीक है भाभी ,रखता हू फिर ।
काजल भाभी - हा बाबू रखिये बाय ।
फिर फोन कट गया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहत थोडी देर छायी रही ।
मै वापस दुकान के कामो मे लग गया । करीब 11बजे चंदू का मेरे पास फोन आया की वो चौराहे वाले घर पहुच गया है और थोडी देर मे मै भी पहुच जाऊ । मैने भी उसको 12बजे तक आने को बोलकर फोन रख दिया ।
थोडी देर बाद मा दोपहर का खाना लेके आई और मैने चौराहे पर जाने के लिए नया बहाना खोज लिया था ।
मै - मा वो मै कह रहा था कि चंदू का फोन आया था , हमारे स्कूल पर कोई काम है ,,तो मै जाकर देख लू , एक घंटा लग जायेगा ।
मा थोडा सोच कर- अच्छा ठीक है , लेकिन पहले ये खाना खा ले और पापा का टिफ़िन देके उधर से ही निकल जाना ।
मै भी खाना खाकर और पापा का टिफ़िन देते हुए निकल गया चौराहे की ओर ।
थोडी ही देर मे मै चौराहे वाले घर पर पहुचा और गेट खोल कर घर मे प्रवेश किया और सबसे पहले जाकर मम्मी पापा का कमरा सही किया क्योकि उनके कमरे बेड का गद्दा बहुत मोटा था और रोज रात मे मा की चुदाई मे बहुत मजा आता था ।
कमरा सेट करने के बाद मैने चंदू को फोन किया ,,मेरे दिल की धड़कने तेज हो गयी थी और आने वाले रोमांच को लेके लण्ड ने भी अंगड़ाई लेनी शुरु कर दी थी ।
मैने दो बार फोन किया लेकिन चंदू ने फोन नही उठाया ,, मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि ये साला फोन क्यू नही उठा रहा है ।
मै वही हाल मे चक्कर काटने लगा और फिर थोडी शंका हुई तो बाथरूम मे जाकर पेशाब करने लगा ,,,खडे लण्ड से पेशाब निकलने मे भी मुझे थोडी जलन सी हुई ।
मैने वही बाथरूम से निकल्ते ही फिर से ट्राई किया और आखिरी रिंग जाते जाते चंदू ने फोन पिक किया ।
मै गुस्से से तिलमिला कर - अबे साले फोन क्यू नही उठा रहा है ।
चन्दू - भाई मै झडने के करीब था तो कैसे उठा लेता , और मै तेरे भी तो जुगाड मे लगा था ना । जल्दी से दरवाजा खोल बाहर ही हू ।
मै चौक कर खुश हुआ और खुद को ठीक किया और फिर दरवाजा खोला तो सामने चंदू और चंपा थे । दोनो मुस्कुरा रहे थे ।
फिर चंदू मुझे हटा कर चम्पा का हाथ पकड कर अंदर जाने लगा
।मै उसे रोकते हुए - अबे तू कहा जा रहा है ,,दीदी को कौन देखेगा फिर ।
चंदू हस कर - मैने मा को घर जाने के लिए बोल दिया। ये बोलकर दीदी को लाया हू कि मुझे कालेज पर काम है और दीदी को वही अपने एक सहेली से मिलना है ।
मैने मुस्करा कर एक नजर चम्पा को देखा तो वो शर्मा कर मुस्कुरा रही थी ।
चंदू - भाई जल्दी कर ले 1 बजे तक पापा के आने का समय है ,,वो घर पर दीदी को नही देखेंगे तो मा पर गुस्सा करेंगे ,तू तो जानता ही है ना पापा को मेरे ।
मै चंदू की बातो पर ध्यान नही दे रहा था ,,मेरी नजारे तो चंपा के टीशर्ट मे उभरे हुए उसकी 34C की ब्ड़ी ब्ड़ी चुचियॉ के नुकीले निप्प्ल पर थी । चंपा की नजर जब मुझ पर गयी तो उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी और चुचिय टीशर्ट को उपर उठाने लगी ।
चंदू ने भी मेरी नजर को भाप लिया तो तपाक से चंपा के पीछे गया और उसका टीशर्ट उठा कर चुचियॉ को नंगा कर दिया ।
चंदू - भाई तरस क्यू रहा है ,,ऐसे देख ले ना ,
चंदू के इस हरकत से चंपा सिहर गयी और उसकी आंखे बंद हो गयी । मेरी नजरे चंपा के गोल गोल हल्के सावले चुचो पर थी ,,,उसके निप्प्ल बहुत सख्त थे ।
मै थुक गटक कर एक बार पैंट के उपर से अपने सर उठाते लण्ड को दबाया तो मेरे तन बदन मे सरसराहट और तेज हो गयी । मै धीरे से एक कदम आगे बढा , तबतक चंदू ने चंपा की चुचिया निचे से थाम ली और वही अपने भाई का स्पर्श अपनी चुचियॉ पर पाकर चम्पा चंदू की बाहो मे पिघल गयी ,,वो लम्बी लम्बी सासे लेने गयी जिससे उसकी थन जैसी चुचिया उपर निचे होने लगी ।
मै अब चम्पा के सामने आ चुका था और मैने हौले से हाथ बढा कर अपनी कड़क हथेली को चंपा के नुकीले निप्प्ल पर साम्ने से रखा
चंपा - सीईई उम्म्ंम्ं ,,,फिर वो तेजी से सासे लेने लगी ।
उसकी बेताबी देखकर मैने अपना लण्ड एक हाथ से पैंट के उपर से सहलाते हुए दुसरे हाथ की हथेली को उसकी चुची पर अच्छे से फिराया और फिर उसको निचे से उठाया तो काफी वजनदार था वो ।
मेरे बदन मे एक कपकपी सी होने लगी ,, एक नया सा अह्सास था और मेरे अन्दर का हवस मुझ पर हावी हो रहा।
इतने मे चंदू ने चम्पा को मेरी तरफ धकेला ,मै बडी मुस्किल से चम्पा को लेके संभला ,, मगर इस घटना मे चंपा की चुची पर मेरी पकड और तेज हो गयी थी ,,जिससे चम्पा की सिसकी निकल गयी ।
चंदू - ले भाई मजा कर ,,मै यही हू हिहिहिजी
चम्पा जो कि अब मेरी बाहो मे थी ,,उसकी कमर के निचले हिस्से और कूल्हो पर मेरा हाथ रेंग रहा था और दुसरा हाथ अब भी वैसे ही उसकी चुची पर कसा हुआ था ।
चन्दू के मुह से ऐसी बाते सुन कर हम दोनो एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये और मैने चम्पा के होठो से अपने होठ जोड लिये
उफ्फ्फ क्या गरम तपते होठ थे उसके ,,चंपा ने तेजी से मेरे होठो को चूसने लगी, उसकी गरमी देख कर मै भी जोश मे आ गया और एक हाथ को उसी चुची पर मस्ल्ते हुए दुसरे हाथ को चम्पा के गाड पर फिराने लगा ।
स्कर्ट के उपर से सहलाने पर मुझे चंपा की गाड अन्दर से बिल्कुल नंगी मह्सूस हुई जिससे मेरे तन और लण्ड में गर्मी बढ गयी ।
मैने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर चम्पा की गाड नोचने लगा ,,बदले मे चंपा अपनी एडिया उठा कर मेरे होठ चूसे जा रही थी ।
मैने धीरे धीरे स्कर्ट को उपर उठा दिया और उसके नंगी मुलायम गाड के सहलाते हुए उन्हे मसलने लगा ।
उधर चंदू वही हाल मे लगे सोफे पर बैठ कर अपना लण्ड निकाल कर उसे सहलाने लगा ।
चंपा की सिसकियाँ बहुत ही कामुक थी और वो खुद का जिस्म मेरे बदन पर घिसने लगी ।
मैने उसके गाड के पाटो को फैलाया और बीच वाली ऊँगली को उसकी गाड़ मी गहरी दरारो मे डाल कर रगड़ने लगा ।
चंपा ने एक गहरी अह्ह्ह भरी और मेरे कंधो को पकड मजबूत कर ली ,,उसके नुकीले नाखून टीशर्ट मे घूस कर चुबने लगे । मेरे हर बार अपनी उन्गली उसके गाड की दरारो से उसकी सुराख तक ले जाते वक़्त वो तेजी अपने चुतडॉ को सख्त कर लेती और गहरी सिसकिया लेने लगती ।
मै जितना सोच रहा था चम्पा उससे कही ज्यादा गरम लडकी थी , उसके हाथ अब मेरे पैंट के उपर से लण्ड के उभार को टटोलने लगे थे । मैने उसकी आंखो मे एक नशा सा देखा , वो सिस्कते हुए मुस्कुराई और निचे मेरे पैरो मे सरकती चली गयी ।
चम्पा की आवाज भारी थी और उसकी मादक सिस्कियो से भरी हसी मुझे और भी उत्तेजीत कर रही थी । उसने जल्दी जल्दी मेरे बेल्ट खोल कर पैंट निचे कर दिया और अंडरवियर मे उभरे हुए लण्ड को उपर से सहलाया ।
मै उसकी अदा से पूरी तरह काप गया , मेरे बदन मे झुरझुरी सी होने लगी ,,पाव कांपने लगे ,,अगले ही पल चम्पा ने अंडरवियर मे हाथ डाल कर मेरे मुसल को निकाला जो पूरी तरह से तीर के जैसे सीधा और नुकीला हिल रहा था ।
चम्पा ने एक बार बडी मादकता से अपनी नाक के मेरे सुपाडे के पास रख कर उसकी गर्मी और गन्ध को आंखे बंद कर मह्सूस किया और उसके चेहरे पर एक मुस्कान छा गयी ।
जब उसने अप्नी आन्खे खोली तो वो एक नशे मे थी और उसकी वो मुस्कान मेरे दिल की धडकनें तेज कर रही थी ,, उसने अपनी नशीली आंखो और उसी कातिल मुस्कान के साथ मुझे देखते हुए अपनी नुकीले नाखूनों से मेरे आड़ो को खरोचते हुए इठलाई ।
मेरी आंखे इस अहसास से बंद सी हो गयी और मेरे हाथ उसके सर पर चले गये । मैने अपनी एड़ियो को उचकाया और उसके सर को अपने लण्ड की तरफ खीचा ।
एक गरम भाप और फिर मानो मुलायम बर्फ की खोल मे मेरा लण्ड सरकने ।
आंखे खोला तो चम्पा मेरा आधा लण्ड घोट चुकी थी और उसकी आंखे बंद थी ,,, लण्ड को इतनी चाव से चूसने पर मुझे गीता की याद आई ,,,वो भी ऐसे ही मेरे लण्ड को चुसती थी ,,मगर उसके छोटे हाथो और नरम होठ का स्पर्श कुछ अलग था ,,,जबकी यहा तो चंपा एक माहिर खिलाडी लग रही थी ।
उसने मेरे आड़ो को अपने एक मुठ्ठि मे कस रखा था जिससे मेरे लण्ड की लम्बाई मे हल्का इजाफा था ,,जिसे वो पुरा गले तक उतार चुकी थी ।
मै पागल सा होने लगा उसकी मुठ्ठि मेरे आड़ो को और कस रही थी ,,एक मीठा दर्द सा हो रहा था क्योकि मेरे आड़ो मे रस निकल कर मेरे सुपाडे की ओर जाने चाहते थे । मगर चम्पा ने ऐन जगह पर मेरे लण्ड को कसा हुआ था ।
ऐसा अनुभव मैने आज तक नही किया था ,, चम्पा जैसी गरम लड़की को भोगना आसान नही था , उसके लण्ड चुसने का अंदाज निराला था ,,
मै धीरे धीरे चरम की ओर बढ रहा था ,
ऐसे मे चंपा ने हौले से मेरा लण्ड अपने मुह से निकालते हुए मेरे आड़ो से पकड ढीली की
जिससे तेजी से सारा वीर्य मेरे आड़ो से सुपाडे मे भरने लगा । मेरे लण्ड मे गरमी बढने लगी और मै दुगनी ताकत से अपने लण्ड की निचली नशो पर काबू करने लगा ,, मेरा चेहरा तप रहा था ,,एडिया उठ चुकी थी, लण्ड पूरी तरह से तन गया था ,,सुपाडे मे गर्मी बढ गयी थी ।।
ऐसे मे चंपा ने मेरे लण्ड को उपर करके निचले हिस्से मे सूपाडे की गांठ पर जीभ फिराने लगी और मेरा सारा सन्तुलन और ताकत एक साथ एक गाढ़े फब्बारे के जैसा फुट पडा ,,, मेरा सुपाडा सारा माल एक साथ चंपा के मुह पर ऊड़ेलने ,,,आज तक मैने इतनी ऊततेज्ना मह्सूस नही की थी ।
मेरा लण्ड झटके दे रहा था और चम्पा के चेहरा मेरे वीर्य से टपक रहा था ।
मेरे हाथ आनायास ही मेरे लण्ड पर गये और मैने अच्छे से उसे झाड़ते हुए एक गहरी सास ली ,,,मै संतुष्ट था कि मै उस दर्द से आजाद था ।
वही जब नजर चंपा पर गयी तो वो मुस्कुरा रही थी और अपने मुछो के पास से टपकते बीर्य को जीभ से साफ कर रही थी ।
मै एक बार हल्का सा हसा और दो कदम पीछे होकर बेड पर बैठ गया ।
वही चंदू बस अपना लण्ड सहलाते हुए मुस्कुरा रहा था ।
चंपा उठी और मुझसे बाथरूम का पुछ कर मेरे कमरे की ओर चली गयी ।
मैने धीरे धीरे अपनी सास बराबर की और एक नजर चंदू को देखा तो वो मुझे इशारे से मेरा हाल पुछ रहा था ।
मै भी मुस्कुरा दिया ,, थोडी देर बाद चंपा बाहर आई
फिर मैने अपने कपड़े सही किये और सबको ठण्डा पानी पीने को दिया ।
फिर चंपा के बगल मे जाकर बैथ गया । चंपा मुझसे ऐसे चिपक गयी मानो मेरी प्रेमिका हो । हमने कोई बाते नही की बस एक दुसरे को देख कर मुस्कराये ।
चंदू हस कर - फिर भाई क्या इरादा है हाह्हहहा
मै थोडा शर्मा कर हसा - आज बस इतना ही भाई ,,बहुत थकान सी लग रही है हिहिहिही
चंदू हस कर - होता है भाई ,,तेरा पहली बार है ना ,,तो थकान तो होगा ही हिहिहिही
चंदू की बात पर चंपा ने मुझे ऐसे घूरा मानो मेरी चोरी पकड ली हो । मै उसकी आंखो मे देखकर इशारा से बोला क्या हुआ
वो बस मुस्कुरा दी ,,मुझे पता था कि चंपा जान रही थी कि ये मेरा पहली बार नही था ।
चंदू - तो फिर कब की प्लानिंग करनी है ।
मैने एक अंगड़ाई ली और चम्पा को देख कर उसके पुछते हुए - कल ???
वो शर्मा कर हा मे इशारा कर दी
फिर हम लोग मार्केट वाले घर के लिए एक साथ ही निकल गये ।
रास्ते मे काफी लोगो ने टीशर्ट मे उभरी हुई चंपा की नुकीली चुचिया और उसकी पतली स्कर्ट मे हिलते गाड को घूरा,,मगर हम तीनो ने उन पलो को भी इंजॉय किया ।
थोडी देर बाद मै दुकान पर चला गया और अपने कामो मे लग गया ।
शाम को 7 वजे तक शकुन्तला ताई की पैंटी लेके मै और मा साथ मे ही अपने चौराहे वाले घर वापस आ गये ।
मै पैंटी का थैला जानबुझ कर अपने कमरे मे रख दिया और नहाने चला गया ।
हम दोनो नहा के आये कि इतने मे पापा भी आ चुके थे ।
फिर पापा ने वही हाल मे ही अपने कपडे निकालने शुरु कर दिये । और एक तौलिया लपेट कर बनियान डाल ली ।
इधर मा भी कीचन मे भीड़ गयी और पापा को नहाने जाने को बोला ,,,मगर ऐन मौके पर डोर बेल बजी ।
हम तीनो जान रहे थे कि इस वक्त कौन आया होगा और हमारे चेहरे मुस्कुरा रहे थे ।
: धत्त बंद करो , अरुण सड़क पर ही है हटाओ , मान जाओ न भाभी ( शिला ने मिन्नतें करते हुए बोली और झट से उठते हुए पैंटी खींच कर, साड़ी नीचे गिरा कर खड़ी हो गई ) : इसको तो मै तुम्हारे भैया के पास भेजूंगी हीही ( रज्जो चहकी मोबाइल पकड़े हुए बोली ) : धत्त नहीं प्लीज ये सब नहीं ( शिला उसको मना कर रही थी ।
" ओह क्या मस्त नजारा था उफ्फफ उम्ममम कितनी बड़ी गाड़ है बड़ी मम्मी की अह्ह्ह्ह्ह और कैसे वो अपने गाड़ फैला कर मूत रही थी उम्ममम सीईईई बड़ी मम्मी ओह्ह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह " , कमरे के बिस्तर में लेटा हुआ अरुण आज दुपहर हुई घटना को याद कर रहा था । जब वो शिला और रज्जो तीनों गांव वाले घर के लिए गए थे ।
अरुण अपनी बड़ी मम्मी के नंगे चुतड़ और धार छोड़ती चूत के दर्शन पाकर उन्हें सोचता हुआ हिला रहा था ।
" ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बड़ी मम्मी आपकी गाड़ बहुत मस्त है कब दोगी मुझे ahhh पेल पेल कर फाड़ दूंगा ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मुझे आपके मूत से नहला दो न अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन होगा उम्ममम मेरी बड़ी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह " , अरुण अपनी टांगे फैलाए आंखे उलटता हुआ चरम पर जा रहा था ।
उसके जहन में रज्जो की कही हुई वो बात घूम रही थी जब उसने फोटो शिला के भईया यानी कि अरुण के मामा के पास भेजने को कही थी ।
" ओह्ह्ह गॉड मामा तो पागल हो जाएंगे बड़ी मम्मी की गाड़ देखकर अह्ह्ह्ह मुझे देदो न रज्जो मामी उम्ममम मेरे पास भेज दो फोटो अह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह ।
तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई
अरुण झल्लाया : बहिनचोद किसकी मां चुद गई अब , साला शांति से हिलाने भी नहीं देते ।
उखड़ कर अरुण अपना लंड चढ्ढे में घुसाते हुए उसको सेट करता हुआ, गहरी आह भर कर अपने चेहरे के भाव शांत करता हुआ दरवाजा खोला ।
सामने देखा तो रज्जो खड़ी थी ।
सिफान साड़ी के झलकते ब्लाउज से झांकती उसकी मोटी चूचियां और गहरी नाभि देख कर अरुण के आंखों की चमक बढ़ गई ।
रज्जो : बेटा चल नाश्ता कर ले
अरुण : चलो मामी मै आता हूं
रज्जो : जल्दी आना हा
रज्जो ये बोलकर चली गई और अरुण साड़ी में उसके थिरकते बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर सिहर उठा ।
" अह्ह्ह्ह बहिनचोद घर में दो गदराई माल कम थी जो ये भी आ गई मेरी तड़प बढ़ाने आह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है साली के उम्मम , साला कोई तो चुदवा लो मुझसे " , अरुण झल्लाकर अपना लंड भींचते हुए बोला ।
अरुण खुद को शांत कर फ्रेश होकर हाल में नाश्ते के लिए आ रहा था ।
जहां रज्जो और शिला पहले से ही आपस में बातें कर रही थी ।
" नजर देखी उनकी , कैसे आंखे कर देख रहे थे तुम्हे हीही" , रज्जो ने शिला को छेड़ा ।
शिला शर्मा कर : धत्त भाभी , वो मेरे ससुर है आप भी न
रज्जो शिला के पास आकर : क्यों सास भी तो पूरी टाइट है अभी , लेते नहीं होंगे क्या हीही।
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखा और हस दी : वैसे कुछ दिनों पहले देखा था , बापूजी तो नहीं लेकिन हा अम्मा जरूर जिद दिखा रही थी उसके लिए।
रज्जो चौक कर : क्या सच में ?
शिला : हा और फिर बापूजी गए थे अंदर मैने देखा ....।
शिला बोलते हुए रुक गई क्योंकि उसकी नजर हाल में आते हुए अरुण पर पड़ गई थीं और उसने रज्जो को इशारा कर दिया था ।
अरुण ने सामने देखा डायनिंग टेबल पर रज्जो एक कुर्सी पर बैठी है उसके बड़े चौड़े कूल्हे दोनो तरफ से झूल रहे थे और उनकी चौड़ी नंगी पीठ का हल्का सावला रंग बहुत ही कामुक नजर आ रहा था ।
रज्जो ने घूम कर अरुण की ओर देखा और मुस्कुराई ।
अरुण भी नाश्ते के लिए बैठ गया ।
रज्जो : वैसे कम्मो और बाकी सब कब तक आयेंगे ।
शिला : सुबह बात हुई थी शायद कल तक आ जाए , वैसे मैने उनलोगों को बताया नहीं है कि तुम भी यहां आई हो ।
रज्जो : अच्छा है कुछ चीजें सरप्राईज होनी चाहिए क्यों अरुण
अरुण अपने ख्यालों से उभर कर : जी , जी मामी ।
" बहिनचोद यहां मेरा लंड परेशान है और इसको देखो साली ऐसे गाड़ फैला कर बैठी है उफ्फ पापा और बड़े पापा आयेंगे तो वो दोनों तो ऐसे ही पागल हो जायेंगे , इतना बड़ा भड़कीला सरप्राईज देखेंगे तो " , अरुण रज्जो के चेयर पर फैले हुए चूतड़ों की गोलाई तिरछी नजर से देखता हुआ मन में बडबडा रहा था ।
शिला : आओ भाभी टैरिस पर चलते है अच्छी हवा चल रही होगी ।
रज्जो चाय की चुस्की लेकर प्याला वही रखते हुए बोली : हा चलो ।
फिर दोनों ऊपर निकल गए और अरुण भी लपक कर अपने कमरे की ओर चला गया ।
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एक बहुत सुंदर और मनोरम पार्क में मुरारी टहल रहा था । वहा के पेड़ बागानों में उसे गजब का सुकून मिल रहा था । हर तरफ हरियाली और फूलों की खुशबू से उसका हृदय गदगद हुआ जा रहा था । मगर हैरत की बात थी कि पूरे बागान में उसके अलावा वहा कोई दूसरा नहीं नजर आ रहा था । कही से चिड़ियों की मधुर चहचहाहट तो कही से हल्की सर्द हवा , दुपहर की धूप में गजब की शांति थी वहां । उसके कानो में पास ही पानी की कलकल सुनाई दे रही थी । मुरारी उस ओर बढ़ गया ।
आगे बड़े बड़े घने सजावटी आकार में पेड़ और ऊंची फूलों की झाड़ियां सजी हुई थी । एक बड़ा सा फूलों से बना हुआ गेट था , वहा से इत्र चंदन और सुगंधित फूलों की खुशबू आ रही थी ।
मुरारी का रोम रोम पुलकित हो उठा ।
उसका दिल ऐसे मनोरम दृश्य को बहुत खुश था । वो गेट से दाखिल हुआ और आगे एक बड़ा सा सरोवर था , जिसमें नक्काशीदार टाइल लगे हुए थे चारो तरफ से गिरा हुआ बिल्कुल गोपनीय । वहा का तापमान ना गर्म था न सर्द , मुरारी आगे बढ़ता कि उसकी नजर सरोवर में एक तरफ पक्की सीढ़ियों के पास पानी में उतरी हुई एक महिला पर गई ।
अह्ह्ह्ह्ह गजब उभार था उसके चूतड़ों में , उसके जिस्म पर मात्र एक लाल रंग की चुनरी थी जो उसके कंधे पर थी , वो आधी जांघों तक सरोवर में उतरी हुई थी । मुरारी एक पेड़ की ओट में छिप गया ।
उसके जिस्म पर उस चुनरी के अलावा और कोई वस्त्र नहीं था मगर हैरत की बात थी कि वो अपने सभी जेवर गहनों से सुशोभित थी ।
मुरारी की नजर उस महिला के गोरे मोटे उभरे हुए नंगे चर्बीदार चूतड़ों पर अटक सी गई ।
तभी उस महिला ने एक केतली में सरोवर से पानी भरा और उसको अपने पीठ पर गिराने लगी
उस केतली से पानी थोड़ा थोड़ा उसके पीठ से रिसकर उसके गाड़ के सकरी दरारों में जाने लगा । और अगले ही पल मुरारी की हलक तब सूखने लगी जब उसने अपनी गाड़ फैला कर उठे ऊपर उठाया । चूत के फांके सहित गाड़ फैल कर मुरारी के आगे आ गए
" अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है इसके उम्ममम " , मुरारी उस नहाती हुई महिला को निहारता हुआ उसका पजामे में अपना लंड सहलाते हुआ बोला ।
तभी वो महिला ने अपने लंबे चिकने नंगे पैर उठा कर पानी में ही सीढ़ी पर किए जिससे उसके चूतड़ और बाहर की ओर निकल गए और चूत की फांके विजिबल हो गई । और अगले ही पल उस कामदेवी ने अपने लंबे लंबे नाखून वाले कोमल कोमल सुंदर हाथों से अपने मुलायम चूतड को सहलाते हुए दरारों में उंगली करने लगी उसके जिस्म में कामवेग का लहर उठ रहा था और जैसे ही उसकी पतली उंगलियों ने उसके चूत के रसाते फांके को स्पर्श किया वो सिसक उठी और गर्दन ऊपर कर दी ।
उस महिला की सिसकी से मुरारी का ध्यान उसके चेहरे पर गया और उसका लंड और वो दोनों ही मुंह बा दिए ।
" बहु " , मुरारी ने उस कामदेवी की पहचान की और उसका कलेजा धकधक होने लगा ।
मुरारी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी नई नवेली बहु सोनल इस कामरस से सराबोर सरोवर में ऐसे कामुक होकर नहा रही थी ।
सोनल आंखे उलट कर अपने हाथ पीछे किए हुए अपने फांके सहला रही थीं और इधर मुरारी का लंड पूरा टनटना गया था ।
जांघियों में पूरा तंबू बन गया था और अब उसको निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था , ।
मुरारी जल्दी जल्दी अपना कुर्ता पकड़ कर अपने पजामे का नाडा खोलने लगा और मगर वो खोल नहीं पा रहा था
इस हड़बड़ी में उसका मनमोहक दृश्य बदल चुका था और सोनल अब सरोवर के टाइल पर पैर लटका कर बैठी हुई थी और उसने वापस से केतली में पानी भरा और इस बार उसने अपने आगे सीधा चूत के फांके पर गिराने लगी ।
ठन्डे पानी की धार जैसे ही सोनल के चूत के दाने पर गिरी वो मजे से छटपटा पड़ी उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट फैल गई और उसने हाथ आगे कर अपनी मुनिया सहलाई
" ओह्ह्ह बहु तुम मुझे पागल कर दोगी , कितनी मस्ती कर रही हो अकेले अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म कितनी रसीली चूत है तुम्हारी उम्मम " , मुरारी अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाये हुए बोला .
उधर जैसे जैसे सोनल की उंगलियां उसके चूत के फांके पर रेंग रही थी उसके जिस्म में गुदगुदी बढ़ रही थी उसकी सांसे चढ़ने लगी थी और अगले ही पल उसने चूत में उंगली घुसाई और एक मादक सिसकी उस s कलकल भरे वातावरण में गुम सी हो गई ।
और देखते ही देखते सोनल अपनी उस लाल चुनरी पर टाइल पर ही लेट गई और उसके जिस्म पर आप कोई कपड़े नहीं थे उसके नुकीले कड़क गुलाबी निप्पल देखकर मुरारी के मुंह और लंड दोनो में पानी आ रहा था ।
सोनल वहा अपना चूत मसल रही थी अपने जिस्म को रगड़ मिज रही थी और उसकी मादक सिसकिया मुरारी के लंड की नसे फड़कने पर मजबूर कर रही थी
" अह्ह्ह्ह पापा जी आजाओ न उम्ममम " , सोनल के शब्द जैसे ही मुरारी के कान में पड़े मुरारी का लंड एकदम चरम पर पहुंच गया
" आजाओ न पापाजी उम्ममम चाटो ना मेरी बुर उम्ममम अह्ह्ह्ह पापाजी ओह्ह्ह" , सोनल ने फिर से मुरारी को पुकारा ।
मुरारी पागल हो गया और अपना खड़ा लंड लेकर सोनल की ओर बढ़ा
मगर वो हिल नहीं पा रहा था , पेड़ की टहनियों और लताओं ने उसको बाध लिया था , मुरारी की हालत खराब होने लगी वो जमीन पर गिर पड़ा और तड़पने लगा था , उसने सोनल को आवाज देना चाहा तो उसके गले की आवाज जा चुकी थी ।
मुरारी ने पूरी ताकत लगाई और हाथ झटक कर सारे बंधन तोड़ते हुआ उठ कर बैठ गया ।
मगर ये क्या वो तो इस वक्त बिस्तर पर था , कमरे में गुप अंधेरा था । रोशनदान से हल्की स्लेटी रोशनी आ रही थी ।
अपना माथा पकड़ पर अपने पंजे से अपना चेहरा आंख सहलाता हुआ मुरारी मुस्कुरा पड़ा , क्योंकि वो सपना देख रहा था ।
मुरारी ने उठ कर कमरे की बत्ती ऑन की और कमरे से लगे बाथरूम में फ्रेश होकर नहा धोया और अपना बैग लेकर होटल से चेक आउट कर निकल आया ।
पास ही एक ढाबे पर नाश्ता करने लगा कि उसके मोबाइल पर ममता का फोन आने लगा ।
फोन पर ...
मुरारी : कैसी हो अमन की मां , मै तुम्हे ही फोन करने वाला था ।
ममता : रहने दो रहने दो , भाई की दुल्हन के चक्कर तो आप मुझे भूल ही गए है हुह
मुरारी : हाहा ऐसा नहीं है अमन की मां , सच में अभी नाश्ता कर ही रहा था और तुम्हे फोन करने वाला था ।
ममता : ठीक है ठीक है , मेरी देवरानी का पता चला कुछ , दो दिन हो गए है आपको गए घर से । यहां जरा भी मन नहीं लग रहा है ।
मुरारी : हा एक पहचान वाले उसके किराए के घर का पता मिला है , अभी नाश्ता करके देखता हूं
मुरारी : और तुम चिंता न करो , अमन से कुछ बात हुई
ममता : नहीं न , उसका नंबर ही नहीं लग रहा है ।
मुरारी : अरे मोबाइल पर बात नहीं हो पाएगी अमन की मां ,जहां वो गया है वहां इधर के सिम नहीं काम करते है । तुम फिकर न करो , उससे बात होगी मेरी तो कहूंगा कि बात कर ले ।
ममता : जी ठीक है
मुरारी : ठीक है रखता हु बाय
ममता : अच्छा सुनिए
मुरारी उठ कर मोबाइल कंधे से कान के पास लगाए ढाबे वाले को पैसे दे रहा था : हा बोलो
ममता : आई लव यू हीही
मुरारी मुस्कुराते हुए : हम्म्म
ममता : क्या हम्म्म आप भी बोलो न
मुरारी मुस्कुरा लगा : अमन की मां मै सड़क पर हूं
ममता इठलाई : तो क्या हुआ , बोलिए न । आपको तो मेरी याद ही नहीं आती है
मुरारी ने आस पास देखा और धीरे से फुसफुसाया : अच्छा ठीक है लव यू
ममता खुश होकर : हीही थैंक यू बाय
फोन कट गया और मुरारी ममता की हरकतों पर मुस्कुराता हुआ सड़क पार करने लगा ।
उसने एक ऑटो वाले को शहर में एक एरिया का नाम बताया और निकल गया ।
दोपहर सर पर चढ़ रही थी और वो शहर के पिछड़े इलाके में गलियों में बैग टांगे घूम रहा था ।
2 बजने को हो गए
पूछते हुए वो आखिर मदन की प्रेमिका के घर तक आ ही पहुंचा ।
एक मंजिला मकान था पीछे दिवाल पर तक उठे थे , छोटा ही घर था ।
मगर वहां भी ताला जड़ा था ।
आस पास पता किया तो पाया कि वो किसी ऑफिस में नौकरी करती है शाम तक आएगी ।
एक भले आदमी ने मुरारी को अपने घर बरामदे में आसरा दिया और वो देर तक शाम तक वही ठहर गया ।
" उठो बाबू साहब , वो मंजू आ गई " , उस बूढ़े आदमी ने मुरारी को जगाया ।
मुरारी खटिए से उठा और बैग लेकर मंजू के घर के बाहर खड़ा हो गया ।
दो बार दरवाजा खटखटाने पर मंजू ने दरवाजा खोला और जैसे ही उसने सामने मुरारी को देखा ।
झट से अपने कमर में खोंसी हुई साड़ी जिसमें से उसकी गोरी गुदाज नाभि झलक रही थी उसने खोलकर अपने सर पर रख लिया ।
मंजू : नमस्ते भाईसाहब , आप यहां इस वक्त
" अरे बाबू साहब तो बेचारे दुपहर से आए है तेरी राह देख रहे थे " , वो बूढ़ा आदमी बोला ।
मंजू : वो मै काम पर गई थी , मगर आप ऐसे अचानक
मुरारी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे ।
मंजू : आप बाहर क्यों है अंदर आईंये न
मंजू ने किवाड़ खोलकर मुरारी को घर में आने का आमंत्रण दिया ।
मुरारी जैसे ही अंदर घुसा तो आगे एक चौकी रखी थी । बगल में एक छोटी आलमारी और रस्सी की अरगन पर लटके हुए मच्छरदानी समेत ढेर सारे कपड़े ।
यही एक कमरा था और पीछे खुला हाता था जहां एक कोने पर नल और वही दिवाल लगकर चूल्हा बना था मिट्टी का ।
मुरारी को समझ आ रहा था मंजू की स्थिति बहुत बदतर हो चुकी है ।
वो जल्दी जल्दी अलमारी से एक चादर निकाल कर बिछाने लगी
मुरारी उसके पीछे खड़ा था , उसके चौड़े कूल्हे मुरारी के आगे थे ।
मगर मुरारी का ध्यान वहा नहीं था ।
मंजू : बैठिए भाई साहब , मै पानी लाती हूं
फिर मंजू आलमारी में रखे डिब्बे से पेड़े निकाले और कटोरी में रख कर बिस्तर पर मुरारी के पास रख दिए और पानी लेने पीछे चली गई।
नल चलने की आवाज आ रही थी , मुरारी कमरे में देख रहा था , उसकी नजर छत पर गई , कमरे की दिवाल पर प्लास्टर हुआ था मगर छत पर वैसे ही चूना किया हुआ था । पंखा भी काफी पुराना था ।
मंजू पानी रखते हुए : और घर सब कैसे है ?
मुरारी : सब ठीक है , तुम बताओ कैसी हो ?
मंजू जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर: जी मै भी ठीक हूं
मुरारी : बगल वाले चाचा बता रहे थे तुम ऑफिस जाती हो?
मंजू मुस्कुरा कर : जी वो पास में ही एक ऑफिस है , वही नौकरी करती हूं।
मुरारी : अच्छा ससुराल में किसी से बात चीत होती है क्या ?
मंजू उदास होकर : जी नहीं , काफी साल हो गए
मुरारी : हम्मम , मैं यहां एक प्रस्ताव लेकर आया हूं मंजू
मंजू को डर लग रहा था : जी कहिए
मुरारी : अमन की मां की इच्छा है कि तुम घर आ कर रहो , हमारे साथ
मंजू चौक कर : क्या ? नहीं मै कैसे ? आप ये क्या बोल रहे है ?
मुरारी : देखो मै तुम्हे यहां ले जाने ही आया हूं , मै अमन की मां को फोन करता हूं तुम बात करो ।
फिर मुरारी ने ममता को फोन मिलाया और मंजू को दे दिया
करीब घंटे भर बाद वो पीछे से वापस कमरे में आई ।
वो मोबाईल मुरारी को दी ।
मुरारी : तो क्या निर्णय लिया तुमने
मंजू : मै ऐसे कैसे जा सकती हूं, आप अपने भाई के बारे में सोचिए न , मै किस मुंह से उनके सामने जाऊंगी
मुरारी हंसता हुआ : भई इसी मुंह से चल चलो , नहीं पसंद आया उसे तो थोड़ा मेकअप कर लेना हाहा , शादी में वैसे भी तैयार होना ही है ।
मंजू हंसने लगी : धत्त भाई साहब आप भी
मुरारी : देखो मुझे पता है कि तुम अमन की मां को हामी भर चुकी हो , हा कि ना
मुरारी ने कबूलवाया
मंजू मुस्कुरा कर : हम्म्म
मुरारी खड़ा होता हुआ : फिर क्यों फालतू के सवाल जवाब , अपने जरूरी समान पैक कर लो कल सुबह मै आऊंगा फिर हम निकलेंगे ।
मंजू : आप कहा जा रहे है इतनी रात को
मुरारी थोड़ा हिचक कर : देखो मेरा यहां ऐसे रुकना उचित नहीं है , और यहां बिस्तर भी एक ही है ।
मंजू : अरे भईया आप उसकी फिक्र न करे मै नीचे सो जाऊंगी , आप इतनी रात कहा भटकेंगे । यहां तो आसपास न होटल मिलेगा न कोई सवारी ।
मुरारी वापस अपने कंधे से बैग सरका कर बिस्तर पर बैठ गया और मंजू बातें करते हुए खाना बनाने लगी ।
वही दूसरी ओर ममता अपनी होने वाली देवरानी से बाते कर बहुत खुश थी ।
हालांकि उसके दिल में बेचैनी हो रही थी कि अभी वो मदन के कमरे के जाए और उसे खुशखबरी दे दे मगर मुरारी ने ममता को मना कर रखा था क्योंकि वो उसे चौंकाना चाहते थे ।
ममता दिल ही दिल में आज अपने पति को बहुत प्यार दिए जा रही थी , उसका तो जी चाह रहा था कि अभी वो पास होती तो कस कर उससे लिपट जाती और आज तो उसने अपने पति को कैसे छेड़ा , कैसे बीच सड़क पर उनसे आई लव यू बुलाया ।
तभी अचानक से ममता के जहन में रागिनी का ख्याल आया और उसकी डेयरिंग बाते सोच कर उसके तन बदन के सरसरी फैल गई ।
अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा , भीतर गजब का कौतूहल मचा हुआ था । वो करे या न करे
आज तो उसके पास मौका भी है और दस्तूर भी मगर देवर जी भी तो है घर में । अरे यही तो असली डेयरिंगबाजी है ट्राई करते है ।
और ममता ने अपने जिस्म से नाइटी उतार दी ।
फिर पूरी की पूरी नंगी
आइने में खुद को देख कर अपने भरे गदराए मोटे मोटे मम्मे हाथों में भर कर आपस में सताने लगी जिससे उसके निप्पल टाइट हो गई ,
फिर वो अपने बड़े से कूल्हे को हिलाती हुई मोबाइल लेकर दबे पाव अपने कमरे का दरवाजा खोली ।
ममता ने अपना पूरा जिस्म दरवाजे की ओट में रखे हुए कमरे से बाहर झांका गलियारा एकदम सुनसान
दबे पाव अपने पायलों की रुनझुन को हल्का रखते हुए वो जीने के पास आई और हाल में देखा फिर मदन के बंद कमरे की ओर देखा। फिर धीरे धीरे जीने की सीढ़िया चढ़ने लगी ।
ऊपर गुप अंधेरा था तो उसने मोबाईल की टॉर्च जलाई और पीछे बाल्कनी में आई गई ।
उसे बहुत खुशी हो रही थी , सर्द हवाएं उसके जांघों और चूत पर लग रही थी उसके चूचे के निप्पल ठंडे पड़ने लगे थे ।
उसका रोम रोम पुलकित हो उठा था जिस्म पर दाने ऊबर आए हो मानो , रागिनी द्वारा दिखाया हुआ एक एक ख्वाब ममता को सच होता दिख रहा था और जैसा उसने कहा था , कि ऐसे मौके पर अपने पति की गर्म बाहों में लिपटने को मिल जाए तो मजा और आ जाए ।
ममता भी अपने बाहों को सहला कर चांदनी रात में दूर सिवान को निहार रही थी , ऐसे में उसे मुरारी की याद और आ रही थी ।
ममता कुछ ही देर में बेचैन होने लगी थी और उसने रागिनी से बात करनी चाही , मगर रागिनी के पास खुद का फोन नहीं था और इतनी रात के रंगीलाल के पास फोन मिलाना उचित नहीं लग रहा था ।
मगर भीतर की तड़प बढ़ती जा रही थी, रागिनी के बहकावे में वो ऊपर चली आई थी मगर भीतर प्रेम की आग जो भड़क उठी थी उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी । अब जिसने रोग दिया वो इलाज भी जानती होगी ये सोच कर ममता ने ना चाहते हुए भी रंगीलाल के पास फोन घुमा दिया
वही दूसरी ओर रंगीलाल आज रागिनी के गाड़ के घुसा हुआ था
रंगी : अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी टाइट है तेरी गाड़ उम्मम
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा फाड़ तो ऐसे रहे हो जैसे दुबारा वापस नहीं आना है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
रंगी : उम्मम तेरी मोटी चौड़ी गाड़ को देख कर मै पागल हो जाता हु और फिर कल से हफ्ते भर कहा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह हा और और फेक अह्ह्ह्ह और नचा उम्ममम
रागिनी सिसकारियां लेते हुए रंगी के लंड पर आने चूतड़ फेकने लगी और उसका सुपाड़ा फुलने लगा और अगले ही पल वो उसकी गाड़ में झड़ने लगा
रंगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह मेरी रॉड अह्ह्ह्ह रागिनी मेरी जान अह्ह्ह्ह भर दूंगा तेरी गाड़ अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
तभी रंगी का फोन बजने लगा
और वो आखिरी बूंद तक रागिनी की गाड़ में निचोड़ कर लंड बाहर निकाला
फिर बिस्तर पर आ गया
हेडबोर्ड का टेक लेकर मोबाइल चेक किया तो देखा अंजान नंबर से फोन आया था ।
दरअसल ममता ने हाल ही में एक मोबाइल लिया था , जिसका नम्बर ज्यादा लोगो के पास नहीं था ।
रागिनी पेटीकोट से अपनी गाड़ पोंछती हुई : किसका फोन है जी
रंगी : पता नहीं नया नंबर कोई , तुम इधर आओ मेरी जान
रंगी लाल ने रागिनी को अपने पास खींचा
रागिनी सिसकारियां भरती हुई : उम्ममम देखो तो थके नहीं क्या अभी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ रुको न थोड़ा
रंगी उसकी चूचियां मिज़ता हुआ : तुम्हे पेल कर भला कब थकान हुई है मेरी जान
तभी फिर से मोबाइल बजने लगा
रंगी चिढ़ कर : ये मादरचोद है कौन इतनी रात को ।
रंगी फोन उठा कर : हैलो
ममता : जी नमस्ते भाई साहब मै अमन की मां बोल रही हूं
एकदम से रंगी के हावभाव बदल गए : अरे भाभी जी आप , नमस्ते नमस्ते कहिए कैसी है ?
ममता : जी अच्छी हूं, आप सब कैसे है ?
रंगी : जी मै भी , मेरा मतलब हम लोग भी ठीक है , लीजिए सोनल की मम्मी से बात करिए
रागिनी : कहिए संबंधन जी आज इतनी रात , हमारी याद कैसे
ममता : जरा भाईसाहब से किनारे होइए , कुछ बात का करनी है ।
स्पीकर पर ममता की बात सुनकर रागिनी और रंगी मुस्कुराए और रंगी ने इशारा किया कि मै यहां नहीं हु ऐसा बोलो ।
रागिनी हस कर : अरे बोलिए बोलिए वो बाथरूम में गए है
ममता : क्या बोलूं दीदी , आपने तो मुझे फसा दिया
रागिनी : अरे क्या हुआ ?
ममता झिझक कर : वो आपके कहने पर मै यहां ऊपर आई थी , मगर अब तो ऐसी बेचैनी हो रही है कि क्या करु ।
रागिनी को समझते देर नहीं लगी कि ममता जरूर बालकनी में नंगी खड़ी है ।
रागिनी : ओहो मेरी डेयरिंग बाज समधन हिहिही , लग रहा है समधी जी है नहीं उम्मम क्यों ?
ममता : हा वो कही बाहर है ?
रागिनी : हाय दैय्या और आपके देवर ?
ममता : वो तो अपने कमरे में है !
रागिनी : और आप अकेली नंगी खड़ी है
ममता : हा बाबा , बताओ न क्या करु अब कितनी तड़प हो रही है उम्ममम
ममता और रागिनी की बातें सुनके रंगी रंगीनी से इशारे में पूछ रहा था कि आखिर क्या माजरा है तो रागिनी हस्ती हुई उसको शांत रहने को बोल रही थी ।
रागिनी : कुछ नहीं वापस आ जाओ कमरे में और चादर खींच कर सो जाओ हीहिही
ममता : धत्त बताओ न , आप क्या करती थी ऐसे में जब भाई साहब नहीं होते थे तो
रागिनी शरारत भरी मुस्कुराहट से : सच बताऊं , मै तो उन्हें याद कर अपनी मुनिया सहलाती थी खुली छत पर
ममता लजा कर : धत्त , सच में ?
रागिनी रंगी को देखकर अपनी टांगे खोलने लगी और अपनी बुर सहलाते हुए बोली : हा , मुझे तो मेरे बालम के बारे में सोच कर अपनी मुनिया सहलाने में बड़ा मजा आता है आह्ह्ह्ह अभी भी सोच कर रस टपकने लगा ।
ममता : उम्मम सच में ओह्ह्ह्ह ठीक है रखो फिर
रागिनी : अरे कहा चली
ममता हस कर : मै भी उन्हें सोच कर सहलाऊंगी हीहीही
रागिनी चहक कर : किसे , अपने समधी को क्या ?
ममता एकदम से लजाई: धत्त दीदी आप भी न
रागिनी : अरे इसमें शर्माना कैसा , आपके समधी जब आपके बारे में सोच कर अपना सहला सकते है तो आप क्यों नहीं ।
ममता : धत्त झूठी
रागिनी : अरे सच कह रही हूं, वो जो आपसे आपकी ब्रा पैंटी लाई थी न , एक रोज बाथरूम में लेकर घुसे थे ये
रागिनी मुस्कुरा कर रंगी को देखी ।
ममता : क्या सच में ?
रागिनी : हा और क्या , और अपनी ब्रा को नीचे लपेट कर खूब रगड़ रहे थे ।
ममता एकदम से चुप हो गई
रागिनी : और तो और आपकी कच्छी को नथुनों पर रखे हुए सूंघ रहे थे फिर ब्रा में ही सब निकाल दिया
ममता: धत्त आप बहुत गंदी है दीदी , हीहीही रखो अब
रागिनी हसने लगी और फोन कट हो गया ।
अगले ही पल रागिनी की सिसकिया एक बार फिर उठने लगी क्योंकि रंगी एक बार फिर अपना मुंह उसके चूत के लगा चुका था ।
जारी रहेगी
*** कहानी के नए सीजन का पहला अपडेट पोस्ट कर दिया गया है। पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करें । ***
पीछले अपडेट मे आपने पढ़ा जहा एक तरफ जानिपुर मे राज की मौसी रज्जो को ये पता चल गया था कि उसका नंदोई राजन उसको नंगी देख कर अपना रस टपका चुका था और वही चमनपुरा मे चंपा ने राज को अपना ऐसा जलवा दिखाया कि एक ही बार मे राज बाबू ढेर गये । फिलहाल राज के घर पर कोई मेहमान आया है तो देखते है राज की जुबानी वहा का हाल ।
अब आगे
मा किचन मे जाने लगी और पापा को नहाने जाने को बोला ,,ऐन मौके हमारे घर की बेल बजती है।
हम तीनो की नजरे आपस मे मीलती है और हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है ।
मा ह्स कर - जा बेटा देख शकुन्तला दिदी आई होंगी ।
मै - हा वही होंगी
मै दरवाजे की ओर जाने तभी मा पापा से - और आप ऐसे ही रहेंगे क्या
पापा ने एक अंगदायी ली और बोले - अरे अब भाभी आई है तो रुक कर नहा लेता हू
मा ह्स कर - मै खुब समझ रही हू आपकी चालाकी
इधर तब तक राज शकुन्तला को लिवा कर हाल मे आता है ।
मा - अरे दीदी आप ,,आईये बैठीए मै पानी लाती हू।
पापा एक नजर शकुन्तला पर डालते है जो आज साडी पहन कर आई थी और पल्लू के अन्दर से झांकते ब्लाउज के बटन का रंग देखने का प्रयास करते है ।
पापा - और बताईए भाभी क्या हाल चाल है
शकुन्तला - सब ठीक है भाईसाहब,
मा तब तक हाल मे पानी लेके आती है - अरे दीदी कभी कभी काजल बिटिया को भी भेज दिया करिये ।
शकुन्तला - आने को तो तुम भी आ सकती हो ,कभी आती हो
मा ह्स कर - हा अब दुकान से घर , घर से दुकान ,,फुर्सत नही मिलती ,,वैसे रोहित कब तक आ रहा है ।
शकुन्तला अपने बेटे की चर्चा सुन कर काफी लालयित हुई - हा वो अगले हफते आने वाला है ।
मा खुश होकर - अरे वाह फिर तो हम लोग भी मिल लेंगे ,, कभी मिलना नही हुआ उससे
शकुन्तला - हा हा क्यू नही ,,जैसे ही वो आयेगा मै खुद खबर करूंगी ।
पापा ह्स कर - अरे हा वैसे भाई साहब क्या करते है ,,मुलाकात तो उसने भी नही हुई क्यू रागिनी
शकुन्तला पापा के सवाल से एक दम चुप हो गयी
मा ने शकुन्तला की हालत देखी तो वो समझ गयी तो उसने फौरन बात को बदल दिया ।
मा - अरे दीदी आप पानी पीजिए ,, और राज बेटा वो जरा झोला लाओ जिसमे दीदी का समान है ।
पापा ने बहुत गौर से मा को बात बदलते देखा और मुझे भी कुछ अटपटा सा लगा ।
फिर मै अपने कमरे से वो पैन्टी का पैकेट लाकर मम्मी को दिया ।
मा शकुन्तला को वो पैकेट देने लगी तो पापा - अरे रागिनी एक बार दिखा तो दो खोल कर भाभी को ,वो भी संतुष्ट रहेगी ना ।
शकुन्तला शर्मा कर पापा को देख कर मुस्कुराने लगी ,,मै और मा तो पापा की नियत से अन्जान थे नही तो हम भी मुस्कुराने लगे ।
शकुन्तला - अरे नही कोई बात नही मै घर देख लूंगी ।
पापा - अरे भाभी बस दो मिंट की बात है । खोलो रागिनी
फिर मा ने मुस्कुरा कर वो पैकेट खोल कर एक पैंटी निकाल कर शकुन्तला को दी ।
शकुन्तला बडी झिझक कर पापा को देखते हुए वो पैंटी मा के हाथ से ली और उसे देखने लगी तभी उसकी नजर पैंटी के लेबल पर गयी जिस्पे साइज़ 42 लिखा था ।
शकुन्तला थोडा सोचते हुए - अरे रागिनी ये तो 42 नम्बर है ना
मा ह्स्ते हुए - अरे आपने अपनी कच्छी की हालत देखी भी थी दीदी ,,कैसे लास्टीक ढीली हो गयी थी ,, मेरे ख्याल से आपका साइज़ बढा है इसिलिए 42 दे रही हू ।
मा की बाते सुनकर शकुन्तला की आंखे बडी हो गयी और वो एक नजर पापा को देखती है जो मुस्कुरा रहे थे और फिर शर्मा कर खुद भी मुस्कुराने लगती है ।
शकुन्तला पापा की ओर इशारा कर - क्या रागिनी तू भी हिहिहिही देख कर तो बोल
मा हस कर - क्या दीदी इसमे क्या शर्माना आप भी ना ,कपडे तो है और क्या ? हिहिहिही
फिर ऐसे ही हमारी थोडी बाते चली और फिर शकुन्तला अपने घर चली गयी ।
मा हस कर - कर ली ना अपने मन,,आपको बड़ा शौक है दूसरो की कच्छीया देखने ,, आपको तो कास्मेटिक वाले दुकान पर ही बैठना चाहिये, ठरकी कही के हिहिही
मा की बाते सुन कर मै हस पडा और पापा मुस्कुरा कर अपने उपर खिच लेते है ।
पापा - अरे जान थोडा मस्ती मजाक तो चलता ही है ,,आखिर भाभी है मेरी हाहहहा
मा पापा की बाहो मे कसमसा कर - ओह्ह हो अब छोडिए ,,मुझे खाना ब्नाना है ,,
पापा मा के गाल को चूम कर - अरे छोड दूँगा जान ,,पहले ये बताओ कि तुमने भाईसाहब के बारे मे पूछने से क्यू रोका ।
पापा की बातो पर मैने भी सहमती दिखाई तो मा सिरिअस होकर पापा की गोद से उतरते हुए - वो क्या है ना जी , शकुन्तला दीदी के पति करीब 15 सालो से दुबई मे है और वही सेटल है और अभी पिछले साल पता चला कि उन्होने वही किसी खातुन से शादी कर ली है ।
मा की बाते पापा और मै चौक गये ।
पापा - क्या सच मे ,,,
मा - हा जी ,,इसिलिए पिछ्ले ही शकुन्तला दीदी ने अपना ससुराल छोड दिया और अपने बेटे के पास रहने चली गयी थी । फिर जब यहा चमनपुरा मे उनके बेटे रोहित ने घर बनवा दिया तो वो अपनी बहू के साथ यहा चली आई ।
मा की बाते सुन कर पापा और मै बहुत शौक मे थे । कि आखिर इतना अच्छा परिवार कोई छोड कैसे सकता है वो भी अपना भी बेटा और बीवी को ।
मामले को गंभीर होता देख मा बोली - चलो भाई तुम लोगो ने तो मजा ले लिया अब खाना अकेले मुझे बनाना है ।
मै चहक कर - मा मै भी मदद करू
पापा भी खुश होकर - हा जानू आज तुम रहने दो, आज खाना हम बनायेन्गे , क्यू बेटा
मै खुशी से - हा क्यू नही पापा हिहिहिहीही
फिर हम सब किचन मे चले गये और मा को वही मैने डायनिंग टेबल पर बिठा दिया । मा हस कर हमे क्या कया करना है बताती रही और हम वैसे वैसे खाना बनाते रहे ।
रोटीओ मे कभी मिनी श्रीलंका तो कभी आस्ट्रेलिया बनता , मगर जिद थी तो बनाना ही था । कौन सा कोई बाहरी आने वाला था ।
20 रोटिया और आलू गोभी सब्जी बनाने मे हम बाप बेटे की हालत खराब हो गयी ।
लेकिन जैसा भी था मस्ती भरा समय बिता । खाने के बाद मा ने बर्तन खाली किये और फिर हम सब अपने रात के कामो मे लग गये ।
लेखक की जुबानी
एक तरफ चमनपुरा मे ये सब घटित हो रहा था वही जानीपुर मे राज के मौसी के यहा भी मस्तिया कम नही थी ।
घर मे रज्जो ने सबसे कामो की वसूली करवाई और सोनल की शादी को लेके बहुत खिचाई हुई । पल्लवी तो थी ही चुलबुली , उसने भी थोडे बहुत मजे लिये ।
शाम को 7 बजे तक सारे लोग एकजुट हुए और कल के लिए प्लानिंग होने लगी कि कैसे कैसे काम होना है ।
रमन और अनुज अभी भी दुकान से वापस नही आये थे क्योकि शहर की दुकानो पर बिक्री देर रात तक चल्ती है ।
सोनल और पल्लवि किचन मे चले गये क्योकि रात के खाने का इन्तेजाम होना ।
कमलनाथ ने मौका देखकर राजन को उपर चलने का इशारा किया जिसे रज्जो समझ गयी ।
रज्जो - कहा जी कहा जी ,,हम्म्म
कमलनाथ अंगड़ाई लेने के हाथ उपर किया कि रज्जो की नजर अपने पति के कुर्ते के बाहर झांकी दारु की शिसी के लेबल पर गयी ।
कमलनाथ -बस ऐसे ही टहलने और क्या ।
रज्जो मुस्कुरा कर - ठीक है जाईये ,,अभी ममता के हाथ से चखना भिजवा रही हू ।
कमलनाथ रज्जो की बात पर चौक गया और फटाक से हाथ निचे कर दारु के शिसी को पकड कर चेक किया कि समान है या नही ।
कमलनाथ की इस हरकत से रज्जो हसने लगी - अरे जाईये ,,कब्जा नही करूंगी मै उसपे ,,मेरा कब्जा कही और है वो ममता जानती है ,,,क्यू ममता सही है ना
ममता अपने भाभी का मतलब समझ गयी और उसे सुबह बाथरूम के पास अपनी भाभी से हुई बातचीत याद आ गयी ।
ममता मुस्कुरा कर अंजान बनते हुए - नही तो भाभी मुझे ऐसा कुछ नही पता
राजन - कैसा कब्जा भाभी जी हमे तो बताईए
ममता को मानो मौका मिल गया रज्जो को छेड़ने का तो वो हस्ते हुए - हा हा भाभी बताओ ना कैसा कब्जा
रज्जो भी कहा कम थी वो हस्कर - है जीजा जी एक जगह , जहा से मुझे हटा कर ममता खुद कब्जा चाहती है ,,,क्यू ममता बता दू हिहिहिही
ममता की हालत खराब हो गयी और वो एक बार फिर से खुद को कोसने लगी कि आखिर वो क्यू अपने भाभी से उलझ पड़ती है ।
ममता बात को बदलते हुए - क्या भाभी आप कब्जा कब्जा की हो , इनको जाने दीजिये ,,चलिये किचन मे खाना बनाना है अभी ।
रज्जो ममता की मजबूरी पर ह्स्ते हुए उठकर किचन मे जाने लगी ।
कमलनाथ - सुनो रमन की मा ,, वो जरा नमकीन वाला पैकेट दे दोगी क्या ।
रज्जो ममता को लेके किचन मे चली गयी और खुद एक नमकीन का पैकेट और डिसपोजल ग्लास लेके आई ।
रज्जो वो समान राजन को देते हुए - जीजा जी लिजिए ,, आपकी जिम्मेदारी है कि ज्यादा ना पिए ठीक है ।
रज्जो की बात पर राजन बहुत हल्की आवाज मे बोला - हा अब ज्यादा पी लेंगे तो आपकी ठुकाई नही हो पायेगी ना
रज्जो ना मानो आखिर के श्बदो को भाप लिया हो तो वो तपाक से बोल पडी - कुछ कहा आपने जीजा जी
राजन हड़बड़ा कर - अब ब नही भाभी ,, वो मै सोच रहा था कि बच भी गया तो क्या मतलब ,, खुली बोतल खराब हो जायेगी
रज्जो हस कर -अरे तो क्या हुआ एक एक पैग हम दोनो लगा लेंगे हिहिहिहिही
कमलनाथ - कभी हमारे साथ ये ऑफ़र नही रखा
रज्जो इतरा कर - अब जीजा जी मेहमान है ,,इनके लिए तो ऑफ़र रखना ही पडेगा ।
राजन रज्जो के इतराने से सिहर गया कि उसकी सलहज तो खुल्लम खुलल लाईन दे रही है । मगर क्यू ।
रज्जो ह्स कर - तो जीजा जी लगायेंगे ना मेरे साथ हिहिही
राजन ने सोचा इससे अच्छा मौका क्या हो सकता है ,,आज थोडा बहुत नशे के नाटक कर इनकी गुदाज गदराई जिस्मो का मजा तो ले ही सकता हू ।
राजन - हा हा क्यू नही ,,लेकिन खाने के बाद हिहिही
रज्जो - आप जब कहे जीजा जी ,हिहिही
फिर रज्जो किचन मे चली गयी और राजन कमल्नाथ के साथ उपर उसके कमरे मे ही चला गया ।
फिर कमलनाथ ने पैग बनाए और आधी शिसी ही खतम की । आज का माल और भी तगडा था तो कमलनाथ वही बैठे हुए बाते करते हुए सोफे पर ही सो गया ।
राजन ने समय देखा तो 9 बजे गये थे तो उसने आधी खाली बोतल बंद की और उसे अपने कुरते मे रख लिया ।
फिर वो गुनगुनाते हुए निचे हाल मे उतर आये ।
तभी ममता हाल मे अपने पति को देख कर - अरे आ गये,,भैया कहा है ?? आप चलिये किचन मे बैठीये भाभी खाना लगा रही है ।
राजन ममता को कुछ सम्झाता उससे पहले ही ममता सीढियो से उपर अपने भैया को बुलाने के लिए चली गयी ।
कमरे मे जाते ही ममता को उसके भैया सोये हुए दिखे ।
ममता उन्के पास गयी तो उसे शराब की हल्की गन्ध आई तो उसने बुरा सा मुह बना कर - ओह्हो ये भैया भी ना ,,खाना भी नही खाये और सो गये ।
ममता कमलनाथ के सामने जाकर खड़ी हो गयी और झुक कर उसका कन्धा पकड कर हिलाते हुए- भैया उठिए ,,,चलिये खाना नही खाना क्या
दो चार हिलाने पर कमलनाथ की नीद खुली मगर नशे से उसकी आंखे पूरी नही खुल रही थी और दारु का असर भी बहुत था ।
कमलनाथ को अपनी धुन्धली आन्खो से अपने सामने झुकी हुई ममता को रज्जो समझ लिया - अरे जानू तुम आ गयी काम खतम करके ,,,, चलो ना अब मेरा लण्ड चुसो ,, लो मै खोल रहा हू ,,,
ममता की सासे अटक गयी कि उसके भैया नशे मे उसे पहचान नही रहे ।
डर से उसकी आवाज नही निकल रही थी ,,वो क्या बोले और वो जल्दी से अपना हाथ छुड़ा कर निचे भाग गयी ।
वही कमलनाथ जल्दी जल्दी बड़ब्डाते हुए अपना पैजामा खोल कर लण्ड बाहर निकाल देता है और फिर वैसे ही बडबड़ाते हुए सो जाता है ।
कमरे से भागते हुए ममता आखिर की सीढिओ से पहले रुकती है और अपनी सांसे बराबर कर अभी उपर हुए हादसे हो सोच कर हसने लगती है ।
ममता मन मे - उफ्फ्फ ये भाईयाआआ भीईई ना हिहिहिहिही
ममता हाल मे आती है और फिर किचन मे खाने के लिए बैठ जाती है । अनुज और रमन भी आ चुके थे ।
रज्जो अपना माथा पीट कर - मतलब आज भी ज्यादा ले लिये ।
रज्जो राजन से - क्या जीजा जी आपको ध्यान देना चाहिए ना
राजन - अब ब मैने तो रोका लेकिन वो माने नही ,,, अब मै क्या कर सकता था ।
रज्जो - हमम चलिये छोडिए खाना खाते है हम लोग
फिर सबने खाना खाया और धीरे धीरे सारे लोग अपने अपने कमरो मे जाने लगे । सिवाय राजन , ममता और रज्जो के ।
राजन वही हाल मे बैठ कर किचन मे खड़ी अपनी सल्हज रज्जो को निहार रहा था और अपना लण्ड कस रहा था ।
वही किचन मे ममता को अपने भैया की चिंता हो रही थी कि वो बिना खाये ही सो गये ।
रज्जो बर्तन धुलते हुए - क्या हुआ ममता क्या सोच रही हो ?
ममता - वो भाभी ,,भैया ने कुछ खाया नही
रज्जो ह्स कर - क्या तू भी ,,उनकी आदत है वो जाने दे ।
ममता - लेकिन फिर भी भाभी रोज रोज ऐसे तो उनकी तबियत खराब हो जायेगी
रज्जो हस कर - नही रे , वो हमेशा नही पीते बस घर पर फ्री रहते है तो हो जाता है कभी कभी हिहिही
रज्जो ममता को मुरझाए देख मुस्कुराई- अगर इत्नी ही चिन्ता है तो एक थाली मे खाना लेले और जा अपने भैया को खिला देना और वही सो जाना
ममता रज्जो की बात पर मुस्कुराइ- फिर आप कहा सोयेन्गी हिहिही
रज्जो ह्स कर - आज तो मेरा जीजा जी के साथ पैग लगाने का मूड है हिहिहिजी
ममता चौक कर - क्या सच मे आप दारु पियेन्गी
रज्जो हस कर - अब अपने नंदोई का दिल कैसे तोड दू
ममता मुह बना कर - छीईईई फिर तो मै नही आने वाली उनके कमरे मे आज ,,,,
रज्जो हस कर - मै तो कह ही रही हू तू आज अपने भैया के साथ सो जा हिहिही
ममता उखड़ कर - क्या भाभी आप भी ,, मै आज पल्लवी के साथ ही सो जाती हू ,,
रज्जो हस कर - जैसी तेरी मर्जी हिहिहिहिही
ममता हाल मे आई और गुस्से मे तिलमिला कर राजन को देखा तो उसे कुछ समझ नही आया और वो सीधा पल्लवि के कमरे की ओर बढ गयी ।
राजन को कुछ समझ नही आया और वो भौचक ही देखता रहा ।
वही किचन मे रज्जो ने सारा काम खतम कर हाथ पोछते हुए हाल मे आती है ।
राजन - वो ममता को क्या हुआ
रज्जो मुस्कुरा कर - उसको मुझे आपके साथ देख कर जलन हो रही है हिहिहिही
राजन असमंजस मे मुस्कुराते हुए - मै समझा नही
रज्जो हस कर - हिहिहिही अरे वो मैने उसको हमारे पैग लगाने के बारे मे बता दिया तो वो पल्लवि के पास सोने चली गयी ।
राजन हस कर - ओह्ह्ह हाहहहा कोई बात नही ,,उसे भी मेरा पीना पसंद नही
रज्जो हस कर - कोई बात नही मै हू ना साथ देने के लिए हीहिहिही ,,तो चले
राजन उठ कर - हा क्यू ही
रज्जो मुस्कुरा कर - ठीक है आप ऊपर चलिये कमरे मे ,,यहा बच्चे आ गये तो उनके सामने अच्छा नही लगेगा ,,,
राजन ने भी रज्जो की बात पर सहमती दिखाइ तो रज्जो हस कर बोली - ठीक है फिर आप चलिये मै ग्लास और कुछ खाने का लाती हू हिहिही
राजन मुस्कुरा कर उपर की ओर चल दिया ।
राजन सीढिया चढ़ते हुए आगे की प्लानिंग करते हुए सोच रहा था - अच्छा हुआ ममता चली गयी , नही तो उसके सामने मै कुछ कर नही पाता ,,,और देखता हू आज कितना काम बन पाता है ।
धीरे धीरे राजन उपर आया तो पहले कमलनाथ का कमरा था जो हल्का खुला था । राजन मे एक नजर कमरे मे मारा तो कमलनाथ वैसे ही सोया हुआ था ।
राजन मन ही मन हस कर - इनको देखो ,,,इतनी गदराई मालदार बीवी के रहते दारु के नशे मे पडा है हाहाहाहा ,, आज अगर मौका मिल गया तो आज ही पेल दूँगा भाभी जी को ,,, लेकिन क्या इतनी जल्दीबाजी ठीक रहेगी । कुछ योजना तो बनानी पडेगी ।
राजन वही विचार करते हुए अपने कमरे मे गया और फिर एक योजना के तहत अपने सारे कपडे निकाल के एक जान्घिये और फुल बाजू की बनियान डाल ली । फिर रज्जो के आने का इन्तजार करने लगा ।
जैसे ही रज्जो की आहट मिलती ही वो वैसे ही बिस्तर के पास खडे होकर अपने कपडे फ़ोल्ड करने लगता है ।
इतने मे रज्जो एक ट्रे मे ग्लास और थोडा च्खना लेके पर्दा हटाकर राजन को आवाज देते हुए कमरे मे प्रवेश कर जाती है । मगर राजन की हालात देख कर वो फौरन मुह फेर लेती है ।
राजन नाटक करते हुए - अरे आप आ गयी क्या ,,,ओह्हो ये तौलिया नही मिल रहा है । रुकियेगा भाभी थोडा ।
रज्जो वही खडी खडी मुस्कुरा रही थी और कुछ सोच कर बोली - अरे नही मिल रहा है कोई बात नही , आईये बैथिये ।
रज्जो बिना राजन की ओर देखे सोफे पर बैठ कर सामने की टेबल पर ट्रे रखा ।
राजन भी अपना कुर्ता लेके, उससे अपने रोयेंदार सख्त जान्घो को धक कर बैठ गया ।
रज्जो को भी थोडी सुविधा हुई ।
राजन अपने कपड़ो के लिए बहाना बनाता हुआ - वो सोचा कि अब सोने का समय है तो कपडे निकाल दू ,,मगर तौलिया नही मिला
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे कोई बात नही ,,, चलिये फिर शुरु करिये
राजन हस कर - मै बनाऊ फिर
रज्जो हस कर - हा आप ही बनाईए ,,मैने बनाने लगी तो नशा ज्यादा हो जायेगा आपको हिहिही
राजन रज्जो की बात से सम्भला और उसे याद आया कि उसे बहकना नही है बल्कि मौके का फ़ायदा लेना है ।
राजन हस कर - अरे नही नही मेरे रहते अब आपको काहे की तकलिफ ,, आप साथ दे रही हैं वही काफी है ।
फिर राजन एक हल्का पैग बनाया और रज्जो को पेश किया ।
रज्जो - शुक्रिया ,
एक सिप लेके ग्लास रख दी । हम्म्म बहुत नोर्मल है ये तो
राजन - हा लेकिन भाईसाहब का ब्राण्ड बहुत तेज है ,, पकड रहा है ।
धीरे धीरे बाते शुरु हुई कि किसने कब पहली बार शुरु की थी और करीब आधे घंटे मे रज्जो को बहुत ही हलका नशा होने लगा था ।
राजन - लग रहा है भाभी आपको नशा हो रहा है हिहिहिही ,,
रज्जो हस कर - हिहिहिही अरे ठीक है जीजा जी कोई बात नही ,,,अभी एक पैग और चलेगा
राजन इस बार और भी हल्का डोज वाला बनाया और रज्जो के हाथ मे थमाया , अचानक रज्जो के हाथ से वो दिस्पोजल ग्लास सरका और उसकी साड़ी पर ही गिर गया ।
राजन - ओह्ह हो भाभी ,,,ये तो गिर गया ,,,साडी खराब हो जायेगी ।
रज्जो - अरे कोई बात नही जीजा जी आप बैथिए मै अभी अपने कमरे मे जाकर इसको बदल देती हू ।।
राजन इस मौके को हाथ से जाने नही देना चाहता था इसिलिए - अरे कहा जा रही है ,, अच्छा खासा मूड बना लिया हिहिहिहिही ,,,यही ममता की कोई सादी पहन लिजिए ।
रज्जो मुस्कुराई और मन मे बुदबुदाइ - जान रही हू नंदोई जी आपकी चालाकी ,, ऐसा जलवा दिखाऊंगी की याद रखोगे अपनी सल्हज को ।
रज्जो - हा सही कह रहे , फिर रज्जो खडी हुई और पहले अपना पल्लू और फिर कमर से सारी साड़ी निकाल ली । फिर पेतिकोट मे ही कुल्हे मटकाते हुए आल्मरि तक गयी । चुकी राजन ने पहले ही तौलिये को अल्मारी मे रख कर चाभी छिपा दी थी इसिलिए आल्मारि बंद थी ।
रज्जो- अरे ये तो बंद है
राजन - अरे हा चाभी ममता के पास होगी ,,, रुकिये मै लाता हू
रज्जो मुस्कुरा राजन की ओर चलती हुई आई - अरे कोई बात नही ,, ऐसे ही ठीक है कौन यहा कोई बाहरी है हिहिही
राजन ने भी चैन की सास ली और अबतक उसने अपना कुर्ता भी जान्घ से हटा दिया था जिससे उसके जान्घिये मे उभार हल्का हल्का दिख रहा था ।
रज्जो राजन को देख कर मुस्कुराई- लाईए मै बनाती हू पैग
फिर रज्जो ने पैग बना के राजन को दिया ।
राजन हस कर - वैसे आप भाईसाहब के साथ क्यू नही लेती हिहिहिजी
रज्जो थोडा खुल के- परसो देख ही रहे थे ना उनकी हालत हिहिहिही वो बस अनाब स्नाब बोलते है ।
राजन एक नजर रज्जो के फैले हुए कूल्हो पर डाला और सिप लेते हुए- सही ही तो बोलते है भाई साहब हिहिहिही
रज्जो समझ गयी राजन की बात - क्या जीजा जी आप भी, कुछ भी बोलते है । हिहिहिही
राजन रज्जो की मोटी मोटी चुचियो को निहारते हुए हल्का सा जान्घिये के उपर से लण्ड के सर को दबाया और बोला - अब क्या कहू भाभी ,, मेरा बोलना उचित नही है ऐसे मामलो मे हिहिहिहीही आप समझ ही रही होंगी ।
रज्जो की नजर राजन के हाथ पर गयी जिस्से वो अपना लण्ड सहला रहा था ।
रज्जो हस कर- हा देख रही हू कि अब आपको ममता की जरुरत मह्सूस हो रही हैं हिहिहिही क्यू जीजा जी
राजन रज्जो को खुलता देख कर - क्यू आपको भाईसाहब के पास नही जाना क्या हाहहहा
रज्जो सिप लेते हुए और नजरे राजन के हाथो पर रखे हुए बोली - वो तो सो गये है ,,उनसे कहा कुछ होगा हिहिही
राजन रज्जो की हरकतो पर बराबर नजर बनाये रखा था और जब उसने देखा कि रज्जो लगातार उसके हाथो की क्रिया को घूरे जा रही है तो उसने अच्छे से लण्ड को पकड कर जान्घिये के उपर से ऐसे सहलाना शुरु किया जिससे लण्ड की मोटाई लम्बाई रज्जो को अच्छे से दिखे ।
राजन की इस क्रिया से रज्जो सिहर उठी ।
रज्जो मुस्कुरा कर - लग रहा है आपकी तलब ज्यादा है ,,,तभी शादी के बाद से मेरी ननद रानी के तबले को बड़ा कर दिया हिहिही
राजन ममता का मजाक समझ गया और बोला - वैसे कसर तो भाई साहब ने भी नही छोड़ी है कोई हिहिहीहीही
रज्जो राजन की बातो से शरमा के मुस्कुराने लगती है ।
फिर वो अपना ग्लास खतम कर उठने लगती है ।
राजन - अरे क्या हुआ कहा जा रही हैं भाभी जी
रज्जो ने बाथरूम जाने के इशारे वाली ऊँगली दिखाई और मुस्कुराइ
राजन हस कर - हाहाहा ,,चलिये मै भी चलता हू ,,मै भी फ्रेश हो लूंगा
फिर राजन अपने पैग का ग्लास लेके रज्जो के पीछे पीछे चल देता है । रज्जो उपर की सीढि लेके जान बुझ कर अपने चुतड मटका कर चल रही थी और राजन बडे ध्यान से उसके गाड का दोलन निहार रहा
छत पे पहुचते ही बहुत हल्की चांदनी रात मे ठंडी हवा चल रही थी। हलका हल्का सा ही कुछ दिख रहा था ।
छत पर जाते ही अरगन पर पडी तौलिये को देखकर रज्जो बोली - हिहिही देखिये ,,यहा है तौलिया
राजन ने मुस्कुरा कर हा तो कहा, लेकिन वो जानता था कि ये उसका तौलिया नही है ।
वही रज्जो अपने कुल्हे हिलाते बाथरुम तक गयी और लाईट जलाकर बिना दरवाजा बंद किये जान बुझ कर वही बैठ गयी ।
राजन बाथरूम के बाहर ही खड़ा हो गया और थोडी ही देर मे रज्जो ने सुरीली धुन छेड़ दी । राजन मन मुग्ध हो गया और दरवाजे पर आकर एक बार अन्दर झाका तो रज्जो की फैली हुई गाड देख कर उसका लण्ड तन गया और वो अपना लण्ड जांघिये के उपर से मुठियाने लगा ।
रज्जो उठी और राजन फौरन हट गया ।
रज्जो बाहर आई - जाईये आप भी फ्रेश हो लिजिए
राजन ने अपना पैग रज्जो को थमाते हुए - इसे जरा पकड़ेगी भाभी मुझे नाड़ा खोलना पडेगा ना
रज्जो हस कर राजन का ग्लास ले लेती है और राजन मस्ती मे बाथरूम मे जाके नाड़ा खोलने के बजाय उसे कस देता है ।
दो तिन मिंट तक रज्जो कोई प्रतिक्रिया ना पाकर दरवाजे के पास आकर - जीजा जी सब ठीक है ना
राजन - हा वो जरा मेरा नाड़ा तंग हो गया है खुल नही रहा
रज्जो हस कर - मै मदद करू क्या
राजन की तो चान्दी हो गयी ।
राजन - हा अगर आपको एतराज ना हो तो ,
रज्जो फौरन बाथरूम मे आई ग्लास को राजन को देते हुए - ये पकड़ीये आप इसे मै खोलती हू ।
रज्जो झुक कर राजन के नाडे के गांठ को खोलने लगी मगर उसकी नजरे बराबर जान्घिये मे खडे लण्ड के तनाव पर बनी थी
यहा सच मे राजन का प्रेसर तेज था और वो खुद चाह रहा था किसी तरह नाड़ा खुल जाये । उसकी मस्ती अब उसपे ही भारी थी ।
रज्जो कुछ समय झुक रही तो उसके कमर मे दर्द होने लगा ,,इसिलिए वो एड़ियो के बल राजन के ठीक सामने बैठ गयी और गांठ खोलने लगी ।
राजन की लण्ड ने लीकेज शुरु कर दिया था ,,वो कभी भी अपना नियन्त्रण खो सकता था ।
राजन परेशान होकर कर - क्या हुआ भाभी ,,जल्दी करिये बहुत तेज उम्म्ंम्म्ं
रज्जो हड़ब्डा कर - हा हा बस खुल रहा है ,,लो खुल गया
रज्जो के इत्ना बोल के जांघिया निचे की ही थी और लण्ड अभी पूरी तरह से बाहर निकला ही नही था कि राजन के सबर का बान्ध फुट पड़ा, उसके सुपाडे से पेसाब की तेज धार जन्घिये को चिरते और छिटकारे मारते हुए रज्जो के गले और छातियो पर जाने लगी ।
रज्जो चिल्लाई - यीईई जिजाआआआ जीईई ये क्याह्ह्ह्ह
राजन को रज्जो की बात का ध्यान आया तो उसने निचे देखा और फौरन अपनी मुठ्ठि से सुपाड़े को दबा लिया,,जिससे पेसाब के छीटें और छिटके ,,,कुछ रज्जो के चेहरे पर बाकी राजन की बनियान और जान्घिये मे
राजन फौरन दुसरी ओर घुम गया और पेसाब की तेज धार छोड़ते हुए एक राहत ही सास ली
राजन ने पेसाब करके जांघिया को उपर किया और हल्का सिंगल गांठ ही दिया था ।
राजन रज्जो को देखकर जो अभी निचे ही बैथी हुई अपने सीने से पेसाब को हटाने की कोसिस कर रही थी ।
राजन - माफ कीजिएगा भाभी जी वो अन्जाने मे ,,मुझसे रोका नही गया ,,,हे भगवान ये क्या अनर्थ हो गया मुझसे ।
राजन रज्जो को पकड कर उठाते हुए - उठिए भाभी जी आप आईये
तभी रज्जो को उठाने के चक्कर मे राजन का जांघिया सरक जाता है और रज्जो खिलखिला पडती है ।
रज्जो - पहले खुद का समान सम्भालिये हिहिही
राजन फौरन अपना जांघिया उठा कर उसे अच्छे से बान्धता है ।
राजन - माफ कीजिएगा भाभी जी वो गलती से हो गया , आईये इधर मै धुला देता हू
रज्जो मुस्कुरा कर राजन को देख रही होती है । उसका ब्लाउज भी थोडा भीग गया था ।
राजन और रज्जो एक पानी भरे टब के पास आते है तो राजन मग से पानी निकाल कर रज्जो के सामने गिराता है जिसे रज्जो अपनी अंजुली मे भर कर गले और सीने को धोने की कोशिस करती है ।
वही राजन का लण्ड रज्जो की लटकी हुई चुचियो को देख कर टनटना गया था ।
राजन - मेरे ख्याल से आपको नहा लेना चाहिए भाभी जी
रज्जो एक नजर राजन के पेसाब से भिगे कपडे देख कर - नहाने की जरुरत तो आपको भी है हिहिहिही
राजन - हा सही कह रही है , ऐसे गंदगी लेके निचे जाना उचित नही है , मगर हमारे कपडे भी तो नही
रज्जो हस कर - अब भी आपको कपड़ो की पडी है हिहिहिही
राजन रज्जो की बात समझ गया ।
रज्जो ह्स कर - आप न्हायिये , मै तैलिया लेके आती हू
रज्जो बाथरुम से निकल गयी और राजन ने सोचा की अब क्या फर्क पडने वाला है इसिलिए वो फटाफट अपने सारे कपडे निकाल कर नंगा हुआ और टोटी चालू कर नहाने लगा ।
इतने मे रज्जो तौलिया लेके बाथरूम के दरवाजे तक गयी तो देखा कि राजन उसकी ओर पीठ करके नंगा खड़ा है और साबुन लगा रहा है ।
रज्जो मुस्कुराइ और राजन के नहा कर बाहर आने का इन्तेजार करने लगी ।
थोडी देर बाद राजन नहा कर दरवाजे की ओर घुमा था रज्जो उसकी ओर पिठ करके खड़ी थी ।
राजन दरवाजे का ओट लेके - हा भाभी तौलिया दीजिये
रज्जो मुस्कुरा कर उसे तौलिया दी और राजन उसे लपेट कर बाहर आ गया ।
राजन - आप नहा लिजिए भाभी ,,मै अभी बदन पोछ कर देता हू आपको
रज्जो मुस्कुराई और बाथरूम मे घुसकर दरवाज बंद कर लिया ,,,राजन की उम्मीदो पर पानी फिर गया मानो ,,,
वही एक तरफ जहा उपर खुले छत पर नंदोई सलहज का ये कामुक ड्रामा हो रहा था वही पल्लवि और सोनल के साथ सोयी ममता अपने भैया को लेके बहुत ही बेचैन थी ।
और उसे नीद नही आ रही थी कि उसके भैया बिना खाये सो गये है । ममता गाव से जुडी थी और खुद खेती करती थी तो उसे बिल्कुल नही पसंद था कि शराब या गलत आदतो की वजह से अनाज का अनादर करे और फिर उसके भैया भुखे सोये ये उसे रास नही आ रहा था ।
इसिलिए उसने ठाना कि उसे एक बार फिर अपने भैया के पास जाना चाहिए खाना लेके ।
एक नयी उम्मीद के साथ किचन मे गयी और एक थाली मे खाना निकाल के एक जग पानी लेके उपर कमरे की ओर गयी ।
ममता ने नजर अपने कमरे की ओर मारी तो उसे राजन और रज्जो का ख्याल आया कि वो लोग भी आज दारु पी रहे होंगे ।
इसिलिए मुह बिच्का कर ममता सीधा खाना लेके अपने भैया कमलनाथ के कमरे मे गयी ।
उसने कमलनाथ पर बिना ध्यान दिये सामने की टेबल पर खाना रखा और अपने भैया के बगल मे बैठते हुए बडे प्यार से कमलनाथ को पुचकारा
ममता - भैया उठो ,,, भईआआ ऊ
ममता की आवाज रुक गयी ,,उसकी सांसे तेज होने लगी , क्योकि उसकी नजरे इस वक़्त उसके भैया के पैजामे से बाहर निकले लण्ड पर थी । जिसे वो आंखे फाडे देखे जा रही थी ।
जारी रहेगी
आप सभी की प्रतिक्रयाओ का इंतजार रहेगा अपडेट कैसा लगा जरुर बताये
ममता कमलनाथ पर बिना ध्यान दिये सामने की टेबल पर खाना रखा और अपने भैया के बगल मे बैठते हुए बडे प्यार से कमलनाथ को पुचकारा
ममता - भैया उठो ,,, भईआआ ऊ
ममता की आवाज रुक गयी ,,उसकी सांसे तेज होने लगी , क्योकि उसकी नजरे इस वक़्त उसके भैया के पैजामे से बाहर निकले लण्ड पर थी । जिसे वो आंखे फाडे देखे जा रही थी ।
अब आगे
ममता तो जैसे मुर्ति बन गयी । उसकी नजर अपने भैया के सोये हुए काले लण्ड कर गयी ,, जिसका चटक कथइ और आलू जैसा मोटा सुपाडा बाहर निकला था।
ममता की सासे बहुत तेज थी ,, वो थुक गटक कर कभी अपने भैया के चेहरे को देखती तो कभी उनके सास लेते लण्ड को ,,,
ममता की चुत ने रस छोडना शुरु कर दिया था , उसने एक बार फिर अपने भैया को हिलाया और जगाने की मालुमी सी कोसिस की । मगर कमलनाथ पूरी तरह से तन कर सोया था ।
ममता का दिल बहुत जोरो से धडक रहा था ,,, वो कमल्नाथ को जांचने के बाद लगातर अब उसके मोटे लण्ड को निहारे जा रही थी । उसकी जीभ ने लार छोड़नी शुरु कर दी थी जिसे वो बार बार गटक रही थी ।
ममता बडी हिम्मत की और कमलनाथ के कन्धे पर रखे हाथ को सरका कर लण्ड पर पास लाई और जैसे ही उसे छूना चाहा तो कमरे मे हवा का हल्का झोका आया और वो सतर्क हो गयी ।
उसे समझ आया कि वो क्या गलती करने जा रही थी । वो उठी और दौड़ कर दरवाजे के बाहर झांकी और फिर दरवाजा अन्दर से बंद कर दी
दरवाजा बंद करने के बाद ममता घूमी और एक बार अपने सोते हुए भैया को देख कर मन ही मन खुश हुई । धीरे धीरे वो कमलनाथ की ओर बढने लगी साथ ही उसकी सासे भी गहरी होने लगी ।
दबे पाव से ममता चल के कमलनाथ के सामने आई और घुटनो के बल बैठ गयी ।
ममता ने एक नजर कमलनाथ को देखा और फिर कापते हुए हाथो को आगे बढ़ाया ।
जैसे ही ममता की हथेली ने कमलनाथ के लण्ड के उपरी सतह को स्पर्श किया, ममता पूरी तरह से गनगना गयी ।
वो मुस्कुरा कर कापते हुए हौले से कमलनाथ के सोये हुए लण्ड को पकड़ा जो काफी भारी था ।
ममता ने दोनो हाथो अपने भैया के लण्ड थामा जो अभी थोडा ढिला था । जिससे ममता को बहुत गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी ।
वो मुस्कुरा कर हल्का हल्का अपने भैया की लण्ड को सहलाना शुरु किया ।
कुछ ही देर मे लण्ड अकडने लगा । लण्ड को कड़ा होता देख ममता की आंखे चमक उठी, उसने एक नजर कमलनाथ की ओर देखा और फिर उसके पाजामे मे हाथ डाल कर उसके मोटे मोटे आड़ो को हलोरते हुए बाहर निकाल दी ।
गरम आड़ो की तपन से ममता को नशा होने लगा और वो झुक कर लगातर कमलनाथ के चेहरे को देखते हुए आड़ो को चूमा ।
तुरंत कमलनाथ के बदन मे हल्की सी हरकत हुई तो ममता डर गयी और सहलाना रोक दिया ।मगर उसने लण्ड से हाथ नही हटाया ।
कुछ सेकेंड रुक ममता ने लगातार कमलनाथ के चेहरे को घूरा और फिर मुस्कुरा उसके सुपाड़े पर अपना अंगूठा फिराते हुए झुक कर ग्प्प्प से उसका सुपाडा मुह मे भर ली ।
ममता ने आधा लण्ड अन्दर लेके अपनी आंखे उपर कर एक बार फिर कमलनाथ को निहारा और फिर धीरे धीरे पुरा लण्ड गले तक उतारती चली गयी ।
फिर हल्का हल्का उसने लण्ड को चूसना शुरु कर दिया मगर उसपे आज एक अलग ही जुनून था ,,उसको ये सब अपने भैया के साथ करके एक नयी ऊततेजना मह्सूस हो रही थी ।
धीरे धीरे ममता की लण्ड चुसने की क्रिया तेज होने लगी और उसका असर कमलनाथ के उपर भी होने लगा था । वो नीद मे ही कुनमुनाने लगा ।
ममता जो अब तक कयी बार कमलनाथ को हरकत करते हुए देख चुकी थी तो उसने अपनी ऊततेजना मे कमलनाथ पर कोई खास ध्यान नही दिया और पहले से ज्यादा कामुक तरीके से अपने भैया का लण्ड निचोड़ने लगी ।
वही कमलनाथ को आभास हो चुका था कि कोई उसका लण्ड चुस रहा है मगर उसकी आंखे नही खुल पा रही थी ,,, तो वो निद मे कुममनाते हुए बड़बड़ाया - उम्म्ंम्म्ं जानू क्या कर रही हो ,,, उह्ह्ह्ह
ममता अपने भैया की आवाज सुन कर जहा थी वही रुक गयी और उसके दिल की धडकने तेज होने लगी । वो अपनी नाक से तेज सासे लेने लगी क्योकि अभी भी उसके मुह मे आधा लण्ड भरा हुआ था ।
ममता को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ,,, उसकी कुलबुलाती चुत उसे लण्ड छोडने से मना कर रही थी । मगर उससे कही ज्यदा उसे डर सता रहा था कि कही उसके भैया जग ना जाये ।
वही कमलनाथ को थोडी शान्ति मिलने पर वो वापस नीद के आगोश मे चला गया ।
ममता ने मौका देख कर हल्के से अपना मुह खोला और गरदन उपर कर ली । फिर बडे आराम से बिना कोई आहट के वैसे ही लण्ड को छोड दिया ।
फिर वो दबे पाव वैसे ही कमरे से बाहर निकल गयी । उसने दरवाज बन्द किया और फिर सीढियो से निचे की ओर जाने लगी ।
वो हाल मे पहुची ही थी कि उसे अनुज अपने कमरे से बाहर आता हुआ दिखा जो कल रात की तरह आज भी नजारे देखने की आश मे निकला था । मगर ऐन मौके पर ममता निचे आ गयी तो उसकी फट गयी ।
डर तो एक पल को ममता भी गयी थी अनुज को ऐसे सामने पाकर फिर उसने खुद को सम्भाला और बोली - क्या हुआ अनुज तू सोया नही
अनुज की आंखे बडी हो गयी कि क्या बोले ,, उसकी दिल की धडकनें तेज हो गयी थी,,तभी उसकी नजर किचन के खुले दरवाजे पर गयी ।
अनुज मुस्कुरा कर - वो वो मै पानी लेने जा रहा था बुआ
ममता मुस्कुरा कर - ठीक है पानी पीकर सो जाना ।
फिर ममता पल्लवि के कमरे मे चली गयी ।
इधर ममता के जाते ही अनुज ने एक गहरी सास ली और फौरन अपने कमरे मे भाग गया ।
अनुज मन मे - आज तो बच गया ,,,नही तो पकड़ा ही जाता ,,और ये ममता बुआ भी पता नही क्यो निचे आई है अब पता नही कब उपर जायेंगी । आज का सारा मजा खराब हो गया
अनुज भी उदास मन से बिस्तर पर चला गया और सो गया ।
वही एक तरफ धीरे धीरे करके सारे लोग सो गये थे । वही उपर टेरिस के बाथरुम मे रज्जो नहाने के लिए घुस गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया ।
रज्जो की इस हरकत से राजन के उम्मीदो पर पानी फिर गया । रज्जो अन्दर बाथरूम मे मन ही मन खिलखिलाई ।
फिर उसने भी अपने सारे कपडे निकाल कर थोडी देर मे नहा ली ।मगर कपडे तो उसके पास भी नही थे तो उसने वैसे ही नंगी दरवाजे को ओट मे होकर अपनी एक जांघ को थोडा बाहर निकाल कर दरवाजा खोला ।
रज्जो - जीजा जी तौलिया दीजियेगा ।
राजन वो तौलिया ही लपेट कर वही बाथरुम के पास टहल रहा था और रज्जो की आवाज सुन कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई और वो बाथरूम के पास गया और रज्जो के सामने ही तौलिया निकाल कर फिर से नंगा हो गया और तौलिया देते समय उसका लण्ड पूरी तरह से तना हुआ था ।
तभी उसकी नजर बाथरुम मे एक किनारे भीगी हुई रज्जो के पेतिकोट ब्लाउज पर गयी तो उसका दिल गदगदा गया ।
क्योकि उसे समझ आ गया कि रज्जो ज्यादा से ज्यदा ये तौलिया ही लपेट कर आयेगी ।
रज्जो ने मुस्कुरा कर एक नजर राजन के खड़े लण्ड को निहारा और फिर उसके हाथ से तौलिया लेके दरवाजे के पीछे हो गयी ।
इस बार रज्जो ने दरवाजा बन्द नही किया । फिर हल्का फुल्का अपने बदन को पोछा
रज्जो ने फिर तौलिया लपेटा और दरवाजे के सामने आई तो उसका उभरा हुआ बदन देख कर राजन की हालत खराब हो गयी ।
फिर रज्जो ने दरवाजे की ओर पिठ कर झुकी और अपना पेतिकोट उठाया ,, इस छोटे से सीन ने राजन को रज्जो के गाड के निचले हिस्से के उभारो की झलक मिली ,,जिससे उसका लण्ड और फुदकने लगा ।
फिर रज्जो ने वही किनारे पर रखे राजन के बनियान और जान्घिये को उठाया
राजन ने मौका देखा और वो फौरन बाथरूम मे घुस गया और रज्जो को रोकते हुए - नही नही भाभी आप ये क्या कर रही है ,,एक तो मेरी गलती के कारण ये सब हुआ ।
रज्जो ने एक नजर बाथरुम मे बलब की रोशनी राजन के तने हुए लण्ड को निहारा और फिर उससे बोली -अरे कोई बात नही भाई साहब,,,बस दो मिंट का ही काम है ।
राजन - लेकिन
रज्जो मुस्कुरा कर - आप चिन्ता ना करिये ,,बस वो टोटी चालू किजीये ।
फिर रज्जो वही निचे बैठ गयी और राजन ने वही खडे होकर टोटी चालू की ।
फिर वही निचे बैठ कर रज्जो ने सारे कपडे कचाडने शुरु कर दिये , ऐसे मे उसने जो मोटा तौलिया लपेटा था उसकी गांठ खुल चुकी और जैसे ही रज्जो सारे कपड़े को लेके एक बालटी मे डाल कर उन्हे गारने के लिए उठी ,,,उसके तौलिये का गांठ खुल गया और वो चिहुक कर फौरन तौलिये को पकडना चाही मगर उसके हाथ मे कपड़े थे । फिर भी उसने वैसे ही भिगे कपड़ो के साथ ही अपना तौलिया चुचियो के पास पकड लिया और तौलिया सरकने से रह गया ।
राजन को ब्डा अफसोस हुआ कि ये मौका भी नही मिला उसे । फिर रज्जो ने बार राजन को देखा तो हसने लगी ।
मगर तबतक वो गीले कपडे से काफी सारा पानी धीरे धीरे तौलिए को भी भीग चुका था ।
रज्जो - जीजा जी ये पकड़ेन्गे जरा , वो मेरा तौलिया खुल रहा है हिहिहिही
राजन बडी बेशरमी से हाथ आगे किया और रज्जो के हाथ से कपडे ले लिये और उसने देखा कि तौलिया भी पूरी तरह से भीगा है ।
रज्जो ने राजन को कपडे देके तौलिया पकडे हुए घूम गयी और अच्छे से उसको लपेट लिया ,,मगर तौलिया ज्यादा होने से वो फिर से खुल रहा था ,,जिसे बार बार रज्जो सही कर रही थी
राजन - भाभी मुझे नही लगता कि वो रुकेगा , क्योकि तौलिया भी भीग गया ।
रज्जो - हा सही कह रहे हैं जीजा जी ,,,
राजन - ऐसा करते हैं कि मै ये बत्ती बुझा देता हू और आप तौलिया निचोड लिजिए
रज्जो मुस्कुरा कर - हम्म्म सही रहेगा
फिर राजन ने वो कपडे को वही एक बालटी मे रख दिया और स्विच बंद करके बाथरुम की लाईट बुझा दी ।
अब वहा पुरा अंधेरा हो चुका वही रज्जो ने अपने जिस्म से तौलिया उतार कर उसे गारने लगी ।
इधर राजन धीरे धीरे अनुमान लगाते हुए रज्जो के करीब जाने लगा
रज्जो ने तौलिया निचोड़ा लेकिन फिर भी वो सही से लिपटा नही रहा था ।
रज्जो - ये तो अब भी नही लिपटा रहा है,,,
राजन - लाईये मुझे दीजिये
रज्जो - हा लिजिए लेकिन आप कहा है दिख नही रहे
राजन ने हाथ आगे करके
हा दीजिये भाभी जी
राजन ने हाथ आगे बढ़ाया लेकिन उसका हाथ रज्जो के नंगे पेट को छुआ ,,इसका अह्सास पाते ही राजन के रज्जो के गुदाज पेट का सहलाने लगा ।
रज्जो गुदगुड़ी से खिलखिलाकर - अरे कहा खोज रहे हैं इधर है उपर मेरा हाथ
राजन समझ रहा था कि रज्जो भी थोडी मस्ती चाहती है इसिलिए वो अपने हाथ को उपर उसकी बड़ी बड़ी चुचियो के पास ले गया और निप्प्ल के पास हथेली को घुमा कर - कहा है भाभी जी मिल नही रहा ,,,
रज्जो अपने नंगे निप्प्ल और चूची पर अपने नंदोई के हाथो का स्पर्श पाकर सिहर सी गयी ।
रज्जो - उम्म्ंम्ं कहा खोज रहे हैं जीजा जी अह्ह्ह्ह य्हाआआ है येईईईई उम्म्ंम्ं इस्स्स्स
राजन जो कि अब रज्जो की सही जगह जान गया था तो वो रज्जो के बगल मे खड़ा होकर अच्चे से उसके चुचो मे ही हाथो को घुमाने लगा ।
राजन - ओहो कहा है भाभी मिल नही रहा है
रज्जो अब पूरी तरह से गरम हो रही थी तो उसका हाथ निचे हो गया था ।
रज्जो सिस्क कर - उम्म्ंम जिजाआआआ जीईई मेरा हाथ निचे है
राजन की मानो लौटरी लग गयी । वो चुचियो पर से हाथ को सहलाते हुए उसके पेट फिर चुत के उपरी हिस्सो को सहलाने लगा । जिस्से रज्जो को कपकपी होने लगी ।
राजन थोडा उंगलियो से रज्जो की हल्की झान्टो वाली चुत का मुआयना करते हुए जांघो को सहलाया - ओह्हो भाभी कहा है मिल नही रहा ,,, आप मुझे परेशान करना चाह रही है ना हिहिहिही
रज्जो सिस्ककर - उह्ह्म्म्ं न्हीईई जीजाआआ जीई वही निचे ही तो है
राजन ने इस बार रज्जो के चुत के फाको के उपर से हथेली को घुमाया और फिर अपना दुसरा हाथ उसके चुतडो की ओर सहलाते हुए ले गया और थोडा आगे होकर अपना नुकीला लण्ड रज्जो की कमर के पास घिसने लगा ।
रज्जो को अब ज्यादा खुमारि होने लगी और वो राजन के गरम लण्ड की तपन अपने मुलायम कमर मे चुबता मह्सूस कर काप गयी और उसके हाथ से तौलिया निचे गिर गया ।
राजन ने मौका पाकर रज्जो की उभरी हुई गाड़ का भरपूर मुआयना करते हुए - ओह्ह भाभी कहा है आगे भी नही ना ही पीछे ।
रज्जो अब थोडा राजन की ओर झुकने लगी ,,,उसका शरीर अब धीरे धीरे अपना सन्तुलन खो रहा था ।
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम्ं जिजाआअह्ह जीईई वो निचे गिर गया तौलिया सीईईयीयू उह्ह्ह्ह्ह्ंंमम्मम्ंं
राजन रज्जो की गाड पाटो को सहलाते हुए - अच्छा रुकिये मै निचे देखता हू,
राजन फिर रज्जो के पीछे आ गया और उसकी कमर को छुता हुआ ठीक उसकी गाड़ के उभारो के सामने आ गया ।
राजन के हाथ अभी भी रज्जो के कूल्हो पर सरक रहे थे और उसे रज्जो के बदन से एक मादक सी खुस्बु मिल रही थी । उसने एक लम्बी सास लेते हुए अपने नथुनो को रज्जो की गाड़ की गहरी दरारो के करीब लाकर सुँघा और फिर मुह से सास छोड दी ।
रज्जो अपने गाड़ के उभारो पर राजन की सासो की गरमी पाकर अपने पाटो को सख्त कर लेती है और उसके दिल की धड़कने तेज हो जाती है ।
मगर राजन के हाथ जैसे ही वापस उसके कूल्हो पर सरकते है वो अपने चुतड के पाटो को ढिला कर देती है और उसी समय राजन हल्का सा आगे होकर अपने शेविंग हुए गालो को हल्का सा रज्जो के गाड़ के एक पाट पर टच करवाता है और उन्हे घुमाता है ।
जहा राजन को अपने गालो पर रज्जो की नरम गाड की ठंडी चमडी आनन्द दे रही थी वही रज्जो की हालत और खराब होने लगी ,,,उसे राजन का स्पर्श बहुत ही कामुक लगा ।
राजन समझ रहा था कि अगर वो मुह से बोल कर भी रज्जो को सेक्स के लिए प्रस्ताव दे तो भी वो मना नही करेगी ,,मगर वो इस पल का मजा लेना चाह रहा था ।
वही रज्जो जो अब तक राजन के हल्के स्पर्शो से पागल हुई जा रही थी ,,उसको बहुत इच्छा होने लगी कि राजन उसके जिस्मो पर अपनी असली मरदाना छाप छोड़े ,,वो उसके बदन को नोच कर गाव के मर्द की ताकत दिखाये ।
राजन के हाथ रज्जो के कूल्हो से सरकते हुए अब उसके सख्त होते गाड़ के पाटो को थाम चुके थे ,,,राजन ने बहुत हल्का सा ही दबाव बनाते हुए रज्जो के गाड़ के मुलायम पाटो को फैलाया था की रज्जो ने खुद अपनी कमर को पीछे की ओर झुका दिया और राजन की नाक रज्जो के गाड़ के गहरी चौडी दरार मे घुस गयी ।
रज्जो सिसकी - उम्म्ंम्ं जिजाआअजीई
राजन को जब अह्सास हुआ कि रज्जो ने खुद पहल करके अपनी चुतडो को पीछे धकेला है वो बहुत ही उत्तेजित हो गया ।
उसने अब अपनी हथेली को रज्जो के चुतडो पर कसते हुए उसके पाटो को फैलाकर अपनी जीभ को उसके गाड़ के सुराख पर फिराया ।
रज्जो अपनी गाड़ के पाटों को सिकोड़ते हुए - उम्म्ंम्ं जिजाआआह्ह्ह जीईई क्याअह्ह्ह कर रहे है उम्म्ंम्ं सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह
राजन बिना कोई प्रतिक्रिया के अपने काम मे लगा रहा और लपालप जीभ को गाड़ के सुराख पर चलाता रहा
रज्जो कसमसा कर खुद का सन्तुलन बनाने के लिए थोडा अगल बगल हाथ घुमा कर बाथरुम की दिवाल पर हाथ रख दिया और सिस्कने लगी
उसकी चुत ने रिसना शुरु कर दिया और एक मादक गन्ध राजन के नथुनो को रज्जो के चुत के निचले हिस्से की ओर खीचने लगी । राजन के अपने हाथों को रज्जो के चुतडो से हटाया और उसके मासल जांघो को सहलाते हुए उसके चुत के उपरी हिस्से और पेड़ू पर अपनी उगलीओ को घुमाया ।
राजन की मजबूत कलाई को अपनी जांघो और उसके ऊँगलीओ को अपने चुत के आस पास रेंगता पाकर रज्जो कापने लगी । वही राजन उसके गाड़ के पाटो को मुह मे भरने की कोसिस करता तो कभी कुत्तो की लम्बी जीभ निकाल कर उनको चाटता ।
धीरे धीरे उसके अपने हाथ को रज्जो के चुत के उपर ले आया और अपनी दो मोटी ऊँगलीयो से रज्जो के भोसडीदार चुत के फन्को को रगड़ा, जिससे रज्जो की चुत ने पिचपिचा कर थोडा रस छोडा ।
राजन वापस रज्जो की कमर को थामा और खड़ा हुआ जिससे रज्जो आगे होने वाले रोमांच को सोच कर और भी सिहर उठी ।
राजन ने एक हाथ से लण्ड को पकड कर रज्जो के गाड़ के पाटो पर घुमाया ,,
रज्जो मन मे - उफ्फ्फ नंदोई जी का सुपादा बहुत मोटा लग रहा है उम्म्ंम कब डालोगे जीजा जीईईई
राजन अपना लण्ड उपर कर रज्जो के गाड़ के दरारो मे फसा कर अपनी गरम छाती रज्जो के मुलायम पिठ से सटा दी , रज्जो को ऐसा मह्सूस हुआ कि मानो गरम तवा उसके बदन को छू गया मगर एक गजब भी ठंडक भी थी और रज्जो ने अपना बदन राजन के उपर ढिला कर दिया ।
राजन ने रज्जो के कमर के आगे हाथो को उसके पेट से होते हुए उपर उसकी तेजी से उपर निचे होती चुचियो के करीब ले गया फिर दोनो हाथो से उसकी भारी मुलायम चुचियो को थाम कर उन्हे प्यार से उठाया और अपनी कठोर खुरदरी हथेली मे उन्हे मिजना शुरु कर दिया ।
रज्जो एक काम कुण्ठा से भर गयी , उसे एक नये जोश का अनुभव हुआ ,,आखिर जिस मजबूत स्पर्श के लिए वो तडप रही थी वो उसे मिला और उसके हाथ खुद ब खुद उसके नदोई के हाथो के उपर आ गये और वो अपने नंदोई के हाथो को दबा मानो उन्हे उकसा रही थी कि उसके चुचियो को और कठोरता से मसला जाये ।
राजन ने इशारा समझा और अपने होठो से रज्जो एक गरदन के पास चुमते हुए उसने रज्जो के छातियो को और भी जोर से भिच्ना शुरु कर दिया ।
ऐसे मे रज्जो ने पहली बार अपनी भावना व्यक्त की - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह जीजाआअहह जीईई ऐसे हीईई उम्म्ंमममं
राजन रज्जो के वक्तव्य सुन कर और भी उत्तेजित हुआ और उसने भी अपनी भाव्नाओ के सागर से कुछ शब्दो को रज्जो के जिस्म के तारिफ के रूप मे बोलते हुए कहा - ओह्ह्ह्ह भाभी जी आपके ये जोबन बहुत ही गूलगुले और मोटे है अह्ह्ह्ह्ह , कमल भैया तभी तो नशे मे भी आपको भूल नही पाते उम्म्ंम
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम जिजाआह्ह्ह जीईई पकड तो आआपकीईई भी बहुतहह मजबूउउउत है अह्ह्ह्ह उम्मममं तभीईई तोओह्ह ममता इतनी निखर गयी है अह्ह्ह्ह
राजन मुस्कुरा कर - मजबूत तो मेरा कुछ और भी है भाभी ,,,कहो तो उसका भी
राजन के बात पूरी होने से पहले ही रज्जो ने अपनी गाड़ आगे कर थोडा साइड हुई और राजन के खड़े लण्ड को हाथ पीछे कर थामकर उसे सहलाते हुए - उम्म्ंम्ं यही ना ,,,लग तो रहा है काफी मजबूत है ,, मगर मेरी भट्टी की गरमी झेल पायेगा कि नही हिहिही
राजन मुस्कुरा कर रज्जो की चूचियो को सहलाता हुआ - आप ही जाच लो ना भाभी एक बार
रज्जो मुस्करा कर घूमी और राजन के लण्ड को मुठियाते हुए - हम्म्म्म देखना तो पडेगा ही एक बार कि मेरे पति ने अपनी बहन के लिए सही माल खोजा है भी या नही।
राजन ने रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने ओर खिच कर उसके होठो पर हाथ फिराते हुए कहा- शुरुवात इस्से करिये ना भाभी जी
रज्जो ने थोडी मुस्कुराई और सरकते हुए राजन के कदमो मे बैठ गयी और हाथो को अच्छे से राजन के जांघो और लण्ड के आस पास के एरिया मे सहलाया जिससे राजन के लण्ड मे और भी उत्तेजना आ गयी ।
रज्जो ने मुह खोला और लण्ड के जड़ के पास से उसको एक हाथो से पकडते हुए मुह मे आधा घोट लिया ।
राजन पूरी तरह से हिल गया - उम्म्ंम्ं भाअभीईईई जीईई अह्ह्ह्ह मजा आ गया ओह्ह्ह्ह ऐसे ही उफ्फ़फ्फ्फ अज्झ
इधर धीरे धीरे रज्जो ने राजन का लण्ड अपने मुह मे भरना शुरु कर दिया ,,वही राजन के मन मे ये दृश्य अपनी आँखो से देखने की इच्छा होने लगी ।
उसने अपने हाथ को इधर उधर पास की दिवाल पर रेगाया और स्विच का बटन पाते ही उसे जला दिया ।
बाथरुम मे रोशनी बाते ही रज्जो चौकी और लण्ड को मुह मे भरे ही अपनी बडी बडी आंखो से राजन को उपर की ओर देखी ।
राजन इस दृश्य को देखकर और भी गदगद हो गया और उसने अपने हाथ को रज्जो के बालो मे घुमाया और बोला - ओह्ह्ज्ज भाभी जी ना जाने कब से इस दृश्य के लिए मै लालयित था उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह ऐसे ही और अन्दर लिजिए अह्ह्ह्ह
रज्जो राजन की मनोभाव्ना सुन कर मुस्कुराइ और थोडी शर्माइ भी , फिर वापस लण्ड को मुह मे भरना शुरु कर दिया ।
थोडी देर बाद ही राजन ने रज्जो के सर को थाम कर उसे इशारा किया कि आगे बढा जाये ।
रज्जो ने वही बगल मे गिरा भीगा हुआ तौलिया उठाया और उसे वही बिछा कर सीधा लेट गयी और अपनी चुत को सहलाते हुए राजन को आमन्त्रण देंने लगी ।।
राजन रज्जो के नग्न बदन को इतने करीब से देख पागल सा होने लगा और तेजी से अपना लण्ड हिलाने लगा
रज्जो अपनी खुली हुई चुत को जान्घे फैला कर रगड़ती हुई - ओह्ह्ह जीजा जी आओ ना ,,इस बार भी सुबह की तरफ बस देख कर निकाल दोगे क्या अह्ह्ह
राजन रज्जो के वक्तव्य सम्झ कर मुस्कुराया - नही भाभी ऐसा मौका कैसे जाने दूँगा
राजन अपने घुटनो के बल आया और लण्ड को सहलाते हुए उसे रज्जो के गीले भोस्दे पर रखा और एक बार मे पुरा लण्ड रज्जो के चुत के जड़ मे उतार दिया ।
रज्जो तेज तेज सांसे लेने लगी - उह्ह्ह अह्ह्ह एक ही बार मे जान ले लोगे क्या आप अह्ह्ह माआ उह्ह्ह्ह अराम से थोडा उम्म्ंम्ं
राजन हस कर - मुझे लगा काफी खुला हुआ माल है तो आराम से चला जायेगा
रज्जो शर्माई- अब खोल दिया है तो रुके क्यू है ,,किजीये ना उम्म्ंम्ं
राजन अपने हाथ आगे ले जाकर उसके चुचियो को सहलाते हुए - क्या कर भाभी जी
रज्जो थोडा शर्मा के - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह जीजा जी वही जो आज भोर मे मेरे साथ करने के लिए सोच रहे थे अह्ह
राजन मे रज्जो के दोनो हाथो को पकड कर उपर किया और उसकी एक चुची को मुह मे भरते हुए एक बार फिर एक लम्बा जोरदार ध्क्क्का रज्जो के चुत मे लगाते हुए - मुझे तो आपके इस भोसडीदार चुत मे अपना लण्ड घुसा कर पेलना था भाभी जी अह्ह्ह
रज्जो राजन के मुह से ऐसे खुले और कामुक शब्द सुन कर सिहर गयी और उसने अपनी चुत के अंदर ही लण्ड को कसते हुए - उम्म्ंम तो पेल लिजिए ना जिजाआ जिईई जैसे मन हो अह्ह्ह्ह
राजन मे वैसे ही रज्जो के हाथ उपर किये हुए अपनी कमर को चलाना शुरु किया और लगातर रज्जो की आन्खो मे देखते हुए उसके भावो को पधने की कोशिस करता रहा
रज्जो राजन के तेज धक्के से पूरी हिल्कोरे मारे जा रही थी ,,बाथरुम थ्प्प्प थ्प्प्प की आवाज और रज्जो की सिस्कियो से गूज रहा था ।
राजन - अह्ह्ह भाभी मेरा तो काफी सालो से ये सपना था कि कास आप को ऐसे खोल कर चौद पाऊ अह्ह्ह आज मेरा सपना हकीकत मे हुआ अह्ह्ज
रज्जो कस्मसा कर - अह्ह्ह जीजा जी उम्म्ंम ऐसेही अह्ह्ह ऐसे ही आह्ह चोदिये मूझे जैसे आप चाह रहे हैं उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह उम्म्ंम
राजन - ओह्ह्ह भाभी जी बहुर मजा आ रहा है आपके भोस्ड़े मे उम्म्ंम बहुत गरम हो आप अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह मजा तो आपके इस लण्ड मे भी है जीजा जीई अह्ह्ज ऐसे ही ओह्ह्ह
राजन - उम्म्ंम लगता ही नही सिर्फ कमल भैया ने अकेले इसे इतना खुला कर दिया है उम्म्ंम्म्ं अह्ज्ज्ज
रज्जो - उम्म्ंम्ं और कौन करेगा जीजा जीईई मै कोई रंडी थोड़ी हू अह्ह्ह क्या मै आपको रन्डी लगती हू जीजा जी बोलिए ना ,,क्या मेरी चुत आपको रन्डी की चुत लगती है अह्ह्ह्ह जिजाआजहह जीईई
राजन तेजी से रज्जो के भोस्दे मे पेलता हुआ - उन्मममं किसी चुद्क्क्ड रन्डी से कम थोडी ना लग रही हो भाभी अह्ह्ह्ह आपको देख कर ही लगता है कि कितनी चुदवासी हो उम्म्ंम
रज्जो अपनी तारिफ सुन कर सिस्कते हुए - अह्ह्ह सच मे इत्नी कामुक हू मै जीजा जिईई अह्ह्ह
राजन - उम्म्ं हा भाभी जी,,इतनी बड़ी बड़ी चुचिया और ये बड़े बड़े गाड मैने किसी और के नही देखे । ऐसा लगता है कितना ज्यादा गाड़ मरवाति हो आप अपना
रज्जो मुस्कुरा कर -अह्ह्ह हा जीजा जीई मुझे बहुत पसन्द है अपनी गाड मे लण्ड लेना अह्ह्ह्ह आप भी दोगे ना उम्म्ंम्म्ं बोलो ना जीजा जीईई
राजन रज्जो की बातो से बहुत ही उत्तेजीत हो रहा था तो वो और लम्बे धक्के लगाते हुए - हा भाभी आज पूरी रात आपकी चुत और गाड मारने वाला हू उम्म्ंम अह्ह्ह
रज्जो- ओह्ह्ह जिजाआअजीई ये अह्सास उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आ रही हुईई ओह्ह्ह्ह पेलो ना मुझे और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आपको रन्डी जैसी दिखती हू ना अह्ह्ह्ह मुझे रन्डी समझ कर पेल दो अझ्हअह्ह्ब माआ
रज्जो ये बोल कर तेजी से अपनी गाड़ को उच्काने लगी और झड़ने लगी और वही राजन रज्जो के मुह से इतने कामुक और ऊततेज्क शब्दो को सुन कर पागल हो गया,,,उसके सुपाड़े मे वीर्य भरना शुरु हो गया वो तेजी से धक्के लगाने लगा ,,, रज्जो की चुत से पच्च्च्च प्च्च्च्च्च की आवाजे आने लगी
राजन - अह्ह्ह हा भाभी आप एक नम्बर की रन्डी लगती हो मुझे आह्ह्ह कितनी गर्म हो अह्ह्ह मेरी रन्डी अओह्ह्ह ये ले और ले औम्म्ंं अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह जीजा जी चोदिये मुझे अह्ह्ह्ह मै रन्डी हउउउऊ अह्ह्ह उम्म्ंम और तेज आह्ह्ह
राजन का खुद को अब रोक पाना बहुत मुस्किल वो झडने के बहुत ही करीब था - अह्ह्ह्व मेरी रन्डी भाभी अह्ह्ह मै आने वाला हूउउऊ अओह्ह्ह मेरी चुद्क्क्कड़ड़ ओह्ह्ह
राजन फौरन लण्ड निकाला और हिलाते हुए उठकर रज्जो के मुह के पास गया - अह्ह्ह मेरी रन्ड़ि ले सारा माल अह्ह्हअह्ह्ह्ह ले सरा पि जाआ हहह
राजन तेजी से रज्जो के मुह पर मुठिया कर झडने लगा और फिर रज्जो के मुह मे लण्ड ठूस दिया जिसे रज्जो ने अच्छे से निचोड दिया ।
राजन वही बगल के दिवाल का सहारा लेके पैर फैला कर बैठ गया । थोडी देर तक दोनो ने अपनी सास बरबार की और फिर दोनो एक दूसरे को देख कर ह्स्से
राजन ने अपने पैर के अंगूठे से रज्जो के चुची को ठेला तो रज्जो शर्मा गयी और उठकर टोटी चालू करने लगी ,,वही राजन रज्जो की फैली हुई गाड़ को देख कर एक बार फिर से सिहर उठा और लण्ड सहलाते हुए खड़ा हो गया ।
जारी रहेगी
पढ कर रेवो जरुर दे और कहानी के लिए अपना विचार जरुर रखे ।बिना उसके लिखने का मजा नही आता ।
आपके प्यार की खासा जरुरत है ।
धन्यवाद