• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Napster

Well-Known Member
5,337
14,574
188
UPDATE 96



चौराहे वाले घर से निकल कर मै दुकान आ गया
अनुज बैठा बोर हो रहा था
मै उसके पास गया

मै - और भाई क्या चल रहा है आजकल
अनुज - सब ठीक है भैया , लेकिन अकेले बोर हो जा रहा हू ,, स्कूल भी नही है अब तो

मै - अरे भाई घर मे शादी का माहौल है , इतने काम करने को है और तुम बोर हो रहे ???

अनुज - भैया कोई बात करने के लिए भी तो नहीं होता ना
अनुज के बातो से मुझे दुख हुआ ,, बात सही भी है उसकी ,, एक तो वो बहुत शर्मिला है और उपर से कोई दोस्त नही है उसके ,,,और घर मे भी ज्यादा किसी से घुलता नही है । हा बस राहुल के साथ उसकी जमती थी , वो भी शायद इसिलिए कि दोनो एक ही मिजाज के थे ।

मै उसका मूड सही करने के इरादे से - अरे तो बना ले ना बात करने वाली हिहिही

अनुज शर्मा गया - भक्क भैया ,

मै - अरे कोई तो होगी ,जिसको तुम पसंद करता होगा

अनुज इस पर थोडा झेपा और बोला - हा भैया थी एक स्कूल मे

मै - थी मतलब
अनुज - उससे बात कहा की मैने ,, और अभी कहा पढाई चल रही है

मै हस कर उसके कन्धे पर हाथ रख कर - वैसे उसका घर कहा है हम्म्म
अनुज - पता नही भैया

मै हस कर - अरे उसका नाम क्या है ये तो जानते हो ना

अनुज ना मे सर हिलाया
मुझे बड़ी जोर की हसी आई - भाई तू कूछ जानता है उसके बारे मे , कुछ पता तो कर लेता

अनुज मायूस होकर - नही भैया ,,डर लगता है ,,स्कूल मे सब दोस्त दुष्ट है ,,अगर मै उसके बारे मे किसी से पूछन्गा तो वो ये बात पुरे स्कूल मे फैला देंगे और कुछ होने से पहले ही खतम हो जायेगा


मै अनुज की व्यथा समझ गया क्योकि ये होना तो आम बात थी ही ,,,और मुझे अनुज की समझदारि पर खुशी भी थी कि उसने अपने प्यार के इज्जत की परवाह की ।

मै - हमम बात तो तेरी सही ही है ,, कोई बात नही मन छोटा ना कर , इस बार पढाई शुरु हो तो कोसिस कर लेना हिहिहिही

अनुज ने भी मेरी बात पर हुन्कारि भरी और फिर वो राहुल के पास चला गया ।।
मै ऐसे ही खाली बैठा था कि तभी कोमल का फोन आना शुरु हो गया

मै उस्का नाम देखते ही खुश हो गया
और फोन उठाया

मै - हेल्लो जी क्या हाल चाल
कोमल तुनक कर - हेलो हा कौन भैया
मै हस कर - हिहिही अरररे,,मै राज हू और कौन

कोमल - ओह्ह आप हो क्या ,, सॉरी सॉरी गलती से फोन लग गया , मै रखती हू

मै हस कर - अरे कोमल क्या हुआ ,
कोमल गुस्सा करते हुए - क्या हुआ ,, क्या हुआ ,, अरे सोनल की शादी तय हो गयी और सगाई की डेट तक फाइनल हो गयी और तुमने एक बार बताया ही नही
कोमल नखरे दिखाते हुए - अरे हा बताओगे कैसे ,,,पिछले 2 महीने से बात ही कहा कर रहे है ना हम ,,पहले परिक्षा फिर अनुज घूमने चला गया तो बिज़ी थे और अब सोनल की शादी का बहाना ,,क्यू यही कहोगे ना

कोमल एक सांस मे अपनी भड़ास निकाल कर शांत हुई

मै हस कर - अब ब हा मतलब , जो तुम बोली सही ही है ,, और इस समय नाना और मेरी दो बहने भी आई है घर

कोमल डांटते हुए - चुप करो तुम ,,लो मम्मी से बात करो ,,मै नही बात करने वाली तुमसे हुउउह

मै उसे कुछ समझाता उससे पहले विमला मौसी की आवाज आई

विमला - ह ह हेल्लो , हा राज बेटा
मै खुश होकर - हा नमस्ते मौसी
विमला - हा खुश रहो बेटा,, वो आज दोपहर मे तेरी मा फोन करके सगाई की दिन बताई है ना तभी ने ये गुससा गयी ,,, वो थोडी ना समझ रही है कितना काम है तुझे


मै थोडी सफाई देने के भाव मे - अरे नही मौसी ,,गलती मेरी भी है थोड़ी,, कोई नही आता हू मिलने कुछ दिन मे समय निकाल कर


विमला - अरे नही बेटा कोई जल्दी नही है ,,तू अपना खतम कर ले तभी इधर आना ,,इसका क्या है घर मे बैठ के खा रही है

मै हसने लगा
फिर ऐसे ही थोड़ा हाल चाल हुआ और फिर मैने फोन रख दिया



मै दुकान मे लग गया था शाम को 5 बजे अनुज आया तो मै उसे बिठा कर निकल गया पापा के पास ।

दुकान पर नाना जी आये थे तो उनको देख कर मुझे बड़ी खुशी हुई । फिर हमने थोड़ी बाते की ।

उसके बाद मै नाना को लिवा कर निकल गया चौराहे वाले घर के लिए

रास्ते मे

मै - नाना जी आप किस काम के लिए गये थे
नाना - बेटा वो पास के गाव मे एक प्रधानजी है उन्ही से कुछ काम है,,वो उनकी हमारे गाव मे कुछ खाली जमीन पड़ी हुई है , उसी को लेके वाद विवाद चल रहा है

मै - अच्छा अच्छा ,
फिर हम ऐसे ही बाते करते हुए चौराहे वाले घर गये ।
मा कही दिखी नही शायद अपने कमरे मे थी ।
गीता बबिता भी शायद उपर थी

मै - नाना आप आराम करो मेरे कमरे मे मै मा को बोल्ता हू चाय बना दे आपके लिये

नाना - हा बेटा, मै जरा नहा लू ,गर्मी बहुत ज्यादा है गाव के मुकाबले

मै हा मे सर हिलाया और नाना मेरे कमरे मे गये
मै भी नाना के कमरे मे जाते ही मा के कमरे मे घुस गया । जहा मा अभी अभी नहा कर एक ढीली मैकसी डाले हुए थी और बालो को सुखा रही थी ।


मै मा को देखते ही - ओहो मा ये क्या पहने हो ,,याद है दोपहर मे क्या बात हुई थी अपनी

मा मुस्कुरा कर - हा लेकीन मुझे शर्म आ रही है बेटा
मै मा को पीछे से पकड कर उनके बदन से आ रही भीनी भीनी साबुन की खुशबू से मदमस्त होकर उनके गरदन को चूमा जिस्से मेरे होठ ठन्डे हो गये ।

मै मा को पीछे से पकड कर उनके कन्धे पर ठुड्डी टिका कर - मा पहन लो ना ,,,

मा एक हाथ पीछे कर मेरे गाल सहलाते हुए - उम्म्ंम पक्का ना

मै खुश होकर - हा पक्का

मा शर्मा कर - ठीक है तू बाहर जा मै तैयार होकर आती हू

मै - ठीक है ,,लेकिन याद है ना कैसे पहन्ना है

मा मुझे धकेल कर दरवाजे तक ले गयी और मेरे गाल चूम कर बोली - हा मेरे लाल ,,अब जा हिहिही

मै भी हसते हुए बाहर आ गया हाल मे

और करीब 5 मिंट मे मा तैयार होकर बाहर आई
मा बिल्कुल मेरे मुताबिक तैयार हुई थी ।

मैने मा को एक पुरानी नायलान मैकसी पहनने को बोली थी जो पूरी तरह से कसी हुई हो ।
मा ने एक साल भर पुरानी पिंक कलर मे सिल्क नायलान कपड़े मे एक मैकसी बिना ब्रा के पहनी थी जो बहुत ही कसा हुआ था उनके बदन पर ।
उन्होने हाथ डाल कर चुचियो को सही से सेट कर दिया था ।
और निचे उनकी मैकसी कुल्हे और भी कसी थी । क्योकि उनके वी शेप पैंटी की लास्टीक पूरी तरह से साफ साफ उनके फैले हूए चुतड के पाटो पर उभरी हुई थी । मा ने एक दुपट्टा उपर से लिया हुआ था ,,,क्योकि नाना जी को एक साथ इतने झटके देना सही नही था । लेकिन फिर भी मैने उसे एक गमछे के तौर पर घुमा दिया ताकी हमारी प्लानिंग काम करे

मै मा को एक नजर देखा ,, वो लिपस्टिक और हल्का मेकअप उनको और भी कामुक बना रहा था ।
मा थोड़ी शर्म से नजरे झुका ली मेरे घुर कर देखने पर

मै मा को इशारे मे उनकी तारिफ की
मा - बेटा बहुत कसा हुआ हुआ है उपर

मै - कुछ पाने के लिए कुछ सहना पड़ता है मा हिहिहिही

मा शर्मा कर किचन मे चली गयी और मै अपने कमरे मे

जहा नाना जी तैयार होकर अपनी धोती पहन रहे थे ,,तब तक मै भी हाथ मुह धुल कर फ्रेश हुआ और कमरे मे आया

मै - नाना जी चालिये मा चाय बना रही है

फिर मै और नाना हाल मे आये
हाल मे आते ही मैने एक नजर मा को किचन मे देखा तो वो अपनी चुतड हमारे तरफ किये ही काम कर रही थी

वही नाना ने भी एक नजर मा को देखा और थोडा संकोच किये लेकिन फिर हाल मे सोफे का ऐसा कोना खोज कर बैठे ही वहा से मा के पिछवादे का दिदार होता रहे

मै मुस्कुराया और मोबाईल मे लग गया जानबुझ कर

इधर नाना जी की हालत खराब हो रही थी और उनकी अपनी बेटी की गाड़ पर उभरी हुई पैंटी का शेप देख कर थूक गटकने की नौबत आ गयी थी ।
फिर क्या धीरे धीरे हाथ भी अपनी जगह पर जाने लगे , वही जहा सबसे ज्यादा चुल मचती है ।

मैने कनअखियो से देखा की वो मा के साथ बराबर मेरी ओर भी नजर बनाये हुए है और हौले अपने कसम्सते हुए लण्ड को दबा दिया और फिर एक गहरी सास लेके बैठे रहे

इधर मा ने भी चाय निकाल ली और हमारी तरफ आने लगी
और फिर चाय का ट्रे झुक कर टेबल पर रखा था ,, नाना की नजर मा के डीप गले की मैकसी मे झाकते चुचो पर ही थी और लगातार बनी ही रही ।
मा ने एक कप चाय उठाया और वैसे ही झुके हुए उनकी ओर किया

मा मुस्कुरा कर - बाऊजी चाय
मा की आवाज से नाना जी चौके - ह आ ,, क क्या

मा हस कर - चाय
नाना जी वापस एक नजर मा की नशीली सुरमई आँखो मे देखा और भी उनके मरून लिप्स को और भी एक नजर उन्की घाटी को और गला खरास लगे

मा मुस्कुरा कर - पानी दू क्या बाऊ जी
नाना मा की आवाज सुन कर - हा हा बेटी ,,एक ग्लास देना तो गला कुछ सही नही लग रहा है

मा मुस्कुरा कर खड़ी हुई - ठीक है लाती हू ,,,राज तुझे भी पानी चाहिये बेटा

मै मोबाईल ने ध्यान हटाने का नाटक करता हुआ क्योकि मेरा सारा ध्यान उन्ही लोगो मे था

मै - हा मा चलेगा
फिर मा नाना के करीब से घुमी और जानबुझ कर अपनी चुतडो को और मटकाया

यहा नाना एक गहरी सास लेते हुए वाप्स से अपने फन्फ्नाते नाग के सर को दबाया और कुछ बुदबुदाये

और फिर मा वापस आई और अपनी कसी घाटियो के दरशन के साथ पानी नाना को दिया और मुझे भी

मै - मा आप भी अपना चाय लेके आओ ना बैठो यहा

नाना - हा बेटी आ ना तू भी
मा फिर से वापस अपने चुतड मटकाते हुए गयी और अपना चाय लेके आ गयी ।
मा मेरे और नाना जी के बीच मे बैठी हुई थी और नाना की नजर अब मा की गोल चुचियो मे थी ।
इधर चाय खतम के नाना बोले - बेटा मै जरा पेसाब करके आता हू
मैने मा एक नजर देखा और आपस मे मुस्कुराये और बोला - जी नाना

फिर नाना मेरे कमरे मे गये और इधर मैने उनके लिए एक और झटका तैयार कर दिया
नाना के जाते ही मैने मा का दुपट्टा हटाया और मैकसी के उपर से ही उनकी चुचीयो भर भर मिजा ,,, नतीजन मा गरम हुई और मैकसी मे उनके निप्प्ल पुरे कड़े हो गये और अंगूर के दाने जैसे उभर गये ।

इधर नाना मेरे कमरे मे अपना लण्ड एडज्स्ट करते हुए मा की कसी गाड़ के आहे भरते हुए अपनी धोती ठीक किया और कमरे से वापस हाल मे आये तो आंखे चौडी हो गयी उनकी

क्योकि मा मुझसे सटी हुई मेरे मोबाइल मे झाक रही थी और हम दोनो अपना नाटक कर रहे थे । वही उनकी चुचिय अब साफ साफ गोल गोल कसी हुई नाना को दिख रही और उनका अंगूर के दाने सा उभरा हुआ निप्प्ल ये सोच कर सख्त हुआ जा रहा था की ऊनके बाऊजी उनको हवस भरी नजरो से ताड़ रहे थे ।
यहा नाना खुद को थोडा शांत करने गये थे लेकिन उनको क्या पता यहा और भी झटके मिलने वाले थे उनको

नाना बेजुबान और हक्के से रह गये थे ,,और चुदाई की तलब उनहे मह्सूस हो रही थी । उनकी छ्टपटाहत ऊनके चेहरे से पता चल रही थी
मा फिर उठी और अपना दुपट्टा लिया फिर किचन मे जाते हुए बोली - बेटा जरा सोनल को आवाज देदे तो ।

मै - ठीक है मा बुल देता हू
मै उपर जाने हो हुआ कि नाना बोले - रुक बेटा मै भी चलता हू थोड़ा छत पर टहलने की इच्छा है

मै मुस्कुरा कर नाना के साथ उपर गया और सोनल को आवाज देके निचे भेज दिया और फिर हम दोनो सबसे उपर की मन्जिल पर चले गये ।

उपर खुली शाम की ठंडी हवा मे सास पाते ही नाना को बहुत आराम मिला और एक पल के लिए उनकी उत्तेजना को भी शान्ति मिली

थोडा टहल कर उनके चेहरे पर मुस्कान आई और बोले - आअह्ह्ह्ह अब थोडा आराम मिला है ,,निचे कितनी घुटन सी हो रही थी

मै मुस्कुरा कर - हा निचे गर्मी कुछ ज्यादा ही थी ना नाना जी

नाना जी हिचक कर - अब ब हा हा बहुत गरमी है बेटा

फिर हम दोनो टहल रहे थे कि बगल की छत पर शकुन्तला ताई भी नजर आ गयी

मै उनको आवाज दी - अरे बडकी अम्मा कैसी हो
शकुन्तला- अरे बचवा तुम ,,, हम ठीक है तुम बताओ
मै - मै भी ठीक है बडकी अम्मा

शकुन्त्ला ताई भी इस समय एक मैकसी पहने हुए थी और मेरी आवाज सुन कर वो छत की चार दिवारी पे झुक के मुझसे बात कर रही थी जिससे उनकी घाटी की दरार , हिन्दी मे बोले तो क्लिवेज , ढलती शाम की रोशनी मे भी साफ साफ दिख रहा था

जिसपर नजर मेरे साथ नाना की भी बराबर थी ।
तभी शकुन्तला ताई ने इशारे मे छत पर टहल रहे नाना को पुछा
मै हस कर - अरे ये मेरे नाना जी है
तभी शकुन्तला का निचे से बुलावा आया और वो मुझे बोल कर निचे चली गयी ।
मै वापस नाना के गया और बोला -और नाना जी जम रहा है ना आपको यहा

नाना - हा बेटा ठीक है सब , लेकिन अब चमनपुरा बदल गया है काफी ज्यादा

मै ह्स कर - ऐसा क्यू
नाना - अरे बेटा मेरे समय मे जब मैने तेरी मा की शादी की थी तो एक ग्राम सभा था और यहा एक प्रधान के संपर्क से ही मैने इतना अच्छा रिश्ता बडी मुश्किल से पाया था । क्योकि तब कहा इतनी दुर शादिया होती थी ,,ज्यादतर तो आस पास के गाव मे ही हो जाती थी और कभी कभी तो गाव मे और कभी कभी तो अपने दुर से खानदान मे ही


मै जिज्ञासा से - अपने ही खान दान मे ही शादी ,,ये कैसे नाना जी

नाना - अरे बेटा पहले के समय मे लोगो का परिवार बहुत बड़ा हुआ करता था और कही कही तो लग्भग पुरा गाव की एक ही खानदान का रहता था ।

मुझे सच मे नाना जी की बातो से ताज्जुब हुआ
मै - तो अब कैसा लगता है आपको चमनपुरा नाना जी
नाना - अरे अब तो ये धीरे धीरे शहर होता जा रहा है ,,, देख नही रहा है मेरे उम्र की बुढिया भी कसे हुए कपड़े पहन रही है हाहह्हा

नाना जी का तंज शकुन्तला ताई की ओर ही था , मै समझ गया

मै ह्स कर - अरे नही नाना ,,वो शकुन्तला ताई है ,,उनको आपने अभी देखा ही कहा है

नाना अचरज से - क्यू ऐसा क्या है
मै ह्स कर - कभी सामने से देखना जान जाओगे आप हिहिहिही

मेरे बातो का इशारा जान गये थे नाना जी और उनको वापस से मा की याद आ गयी ।

मै जान बुझ कर - क्या हुआ नाना चुप क्यू हो ,,रज्जो मौसी की याद आ रही है क्या

नाना झेपे - अरे तुझे कैसे पता की मै उसके बारे मे सोच रहा हू ,,

मै - मैने अक्सर देखा है कि आपजब शांत होते हो तो उन्ही को याद करते हो

नाना हस के - अरे नही बेटा,,, दरअसल मै यहा अपनी छोटी बेटी के पास आया हू ना तो उसकी याद आयेगी ही ना

मै खुश होकर - रुकिये फिर मै फोन लगाता हू

मैने फटाक से रज्जो मौसी के पास फोन लगाया
फोन उठाते ही

मै - नमस्ते मौसी ,,कैसी हो
रज्जो खुश होकर - खुश रहो बेटा,, मै अच्छी तू बता
मै - मै भी ठीक हू मौसी ,,आपको पता है नाना जी घर आये है

रज्जो - अच्छा सच मे बात करा तो मेरी
मै फटाक से मोबाईल स्पीकर पर डाला
मै - हा मौसी बोलो , नाना सुन रहे है
रज्जो - नमस्ते बाऊजी
नाना - हा खुश रहो बेटी
रज्जो- और बाऊजी तबियत ठीक है ना ,,दवा समय से खा रहे है ना

नाना - हा बेटी , तू चिन्ता ना कर
रज्जो - और डॉक्टर ने जो बोला था उसका ध्यान रखना ,, दिन मे एक बार से ज्यादा नही ,,, ये नही कि तबीयत ठीक हो रही है तो ,,समझ रहे है ना

नाना थोडा हिचके और एक नजर मुझे देखा - हा हा बेटी ठीक है ,,मै रखता हू
फिर मैने फोन काट दिया ।


फोन रखते ही मै नाना से मुखातिब हुआ ,,जो कि मै जानता था सारी सच्चाई फिर भी

मै - ये क्या कह रही थी मौसी ,कि दिन मे एक बार से ज्यादा नही

नाना थोड़ा हिचक रहे थे - कुछ नही बेटा वो मुझे परहेज से चलना है ना, शरीर भले ही मजबूत ही लेकिन उम्र का असर मन पर होता ही है

मै थोडा उलझन से - समझ नही पा रहा हू नाना जी ,,कैसी परहेज है

नाना एक गहरी सास ली - वो बेटा,, याद है जब तु पिछ्ले साल घर आया था मेरे और मेरी तबियत खराब हुई थी

मै - हा , लेकिन तब भी मुझे समझ नही आया क्यू हुआ ऐसा

नाना - दरअसल बेटा मैने तुझे कल बताया ही गाव मे अपनी तलब के लिए कोई नौकरानी या औरत से मै संपर्क कर लेता था

मै - हा तो
नाना - तो बेटा पिछ्ले साल मैने सम्भोग अपनी हद से ज्यादा कर लिया थ जिस्से मेरे शरिर मे कमजोरी आ गयी थि और उस समय डॉक्टर ने मुझे पूरी तरह से सम्भोग के लिए मना कर दिया था ।।

मै हुकारि भरते हुए - हम्म्म फिर
नाना - फिर वही सब दवा चल रही थी और समय के साथ धीरे धीरे मुझमे सुधार हुआ तो एक बार फिर डॉक्टर से मैने अपना चेकअप किया और मैने उन्हे बताया कि मेरी सम्भोग की तलब से मुझे मानसिक तनाव रहता है

मै - हम्म्म फिर

नाना - फिर डॉक्टर ने सब कुछ चेक किया और मेरी सुधार को देख कर दवाई कुछ समय तक जारी रहने को कही और ये कहा की पहले कुछ हफते मै 3 या 4 दीन के दरमयाँ पर सम्भोग करू और फिर दिन मे सिर्फ एक बार

मै एक गहरी सांस लेकर- ओह्ह ये बात है ,,तो ये रज्जो मौसी को पता है सब

नाना - हा बेटा,, वही तो पहल कर डॉक्टर से मेरा चेकअप करवाई और मुझे स्खती से रखे हुए है हाहहहा

मै - हम्म्म लेकिन आप तो दो दिन से हो यहा और बिना कुछ किये तो आपकी इच्छा नही हो रही है अभी

मेरी बाते मानो नाना की दुख्ती रग पर हाथ रख दी हो
वो भी एक गहरी सास लेके बोले - मन तो बहुत है बेटा लेकिन क्या कर सकता हू यहा ,,अब तो गाव जाकर ही कुछ हो पायेगा
मै हस कर - गाव मे कोई खास है क्या नाना

नाना ह्स कर- नही रे , वो बस काम चलाऊ है ,,, मजा तो किसी अपने के साथ ही आता है

मै ह्स कर उनकी बाते सुन रहा था
फिर हम थोडा देर टहले और निचे आ गये ।
हाल मे पापा और अनुज भी आ गये थे ।
फिर थोडा पापा ने सगाई की तैयारियो को लेके बात की और मेरी नजर अनुज पर गयी तो वो भी आज मा को कुछ ज्यादा ही कनअंखियो से निहार रहा था ।

मै उसकी हरकत पर मुस्कुरा और सोचने लगा, एक ही तीर से दो घायल हो रहे है ।

फिर हम सब खाना खाने बैठ गये ।
खाने के दौरान गीता बबिता ने जिद की आज वो मेरे साथ सोयेंगी

इतने मे अनुज उखड़ कर बोला - हा दीदी आप उन्ही लोगो के साथ रहो ,,,मेरे साथ तो कोई रहना ही नही चाहता ना ही बात करना चाहत है ।

मा को इसका बुरा लगा और वो उसको अपने सीने से लगा ली तो वो ममता की ओट मे फफक पड़ा,,,वही नाना का ध्यान अनुज के सर मा की चुचियॉ मे कितना घुसा है उसपे था ।

गीता अनुज को रोता देख उसे बडी मासूमियत से समझाते हुए बोली - देखो अनुज ,,इस घर मे सबसे बडी दीदी है तो कल ऊनके साथ सोयी ,,उसके बाद राज भैया है तो आज उन्के साथ और फिर कल तुम्हारे साथ सो जायेन्गे हम

बबिता - आ भाई तू रो मत
कल हम तेरे साथ घूमने भी तो जायेंगे ना

फिर थोडा हस्नुमा माहौल बना और खाना खाने के बाद

मा ने नाना के गेस्टरूम मे व्यव्स्था कर दी और बाकी लोग अपने तय कमरे मे चले गये सोने
मै भी गीता और बबिता के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,337
14,574
188
UPDATE 97



सब लोग अपने अपने कमरो मे गये और मै भी गीता बबिता के साथ अपने कमरे मे गया ।

कमरे मे जाते ही मै बिस्तर पर लेट कर - अह्ह्ह बहुत तेज नीद आ रही है ,,,,मीठी जरा लाईट बंद कर देना

गीता और बबिता का मुह उतर गया और मै अपने होठ दबाए मन ही मन हस रहा था ।
गीता ने कुछ पहल नही कि और लाईट बुझा कर मेरे बायें तरफ लेट गयी और मेरे दाई तरफ बबिता लेट गयी।


मै झूठ मूठ की उबासी लेता हुआ बोला - मीठी गुड़िया सो जाओ ,

बबिता मेरे तरफ करवट लेके मेरे कन्धे पर अपनी नाखून से मेरे टीशर्ट को स्क्रेच करते हुए - भैया आप बोले थे ना रात मे

मै जान बुझ कर खराते भरने लगा ,,,
गीता - अरे भैया तो सो गये
बबिता - हम्म्म्म तो अब
गीता - थक गये होगे भैया ,,,कितना काम करते है वो
बबिता उदास होकर - हम्म्म

इधर मुझे हसी आ रही थी और मैने धीरे से कमरे के अन्धेरे मे ही हाथ निचे ले जाकर अपना टनटनाया हुआ लण्ड लोवर से बाहर निकाला और गीता की ओर करवट लेके उसको पकड कर सोने लगा ।


गीता को जब उसकी जांघो मे मेरे खडे लण्ड का आभास हुआ तो वो अपना बाया हाथ निचे ले गयी और लण्ड को छुते ही गनगना गयी

और फिर मेरे बालो मे हाथ फेर कर मुझे थप्की देते हुए बोली - हा सो जाओ मेरे राजा भैया

और वापस से हाथ निचे ले जा कर मेरे लण्ड को मुठ्ठि मे कस ली । तो मै भी थोडा गरदन बढा कर उसके लिप्स चुस्कर वापस सोने लगा ।

वो खिलखिलाई और मेरे सर को चुमा और वापस से मुथियाना शुरु कर दिया ।

मैने भी अपना हाथ गीता के टीशर्ट मे घुसा कर उसके पेट पर घुमाने लगा
जिस्से गीता खिलखिला रही
बबिता - क्या हुआ तू हस क्यू रही है

गीता ह्स्ते हुए - भैया गुदगुदी कर रहे है ना

बबिता चहक कर - क्या भैया आप जग रहे हो

मै कुछ नही बोला और चुपचाप अपना हाथ गीता की गाड़ तरफ ले जाकर उसके कूल्हो को सहलाते हुए उसके होठ चुससे लगा
गीता भी मेरे होठ पाते ही लण्ड पर पकड ढीली कर और पुरे जोश मे मेरे होठ चुस्ने लगी और मै भी गीता की जांघ पकड कर अपनी तरफ खिचते हुए उसके जांघो और गाड के पाटो को सहलाने लगा ।

इधर बबिता बेताब होने लगी थी जो उठ कर मेरे कन्धे पकड कर मुझे झकझोर रही थी

बबिता - भैया बोलो ना ,,जगे हो क्या आप
बबिता को एहसास हो गया की मै और गीता चिपके है तो वो मुझे पीछे से पकड ली और मेरे टीशर्ट मे हाथ डाल कर मेरे निप्प्ल को छूने लगी जिससे मेरे लण्ड को और भी झटके आने लगे ।

बबिता बहुत तडप रही थी और मेरे निप्स अपनी ऊँगलीयो से खीचते हुए बोली - भैया मै भी तो हू यहा उम्मममं प्लीज ना
मुझे बबिता की बेताबी का अन्दाजा था ही लेकिन मै उसकी आग और भडकाना चाहता था

जहा एक ओर मै गीता से लिप्स चुसते हुए उसके लोवर मे हाथ डाल कर उसके मुलायम गाड़ को फैलाने मे लगा था
वही बबिता मेरे निप्स नोचते हुए मेरे कान काटती मेरे गरदन पर अपने चेहरे को घिस्ती
जिसका सारा भड़ास मै गीता की गाड के पाटो को मसल कर मै निकाल देता

लेकिन अब बबिता की बेताबी ज्यादा हो गयी थी तो
मै फटाक से गीता को छोड कर बबित की ओर घुमा और उसे अपने से चिपका कर उसके छोटे छोटे चुतड़ को पकड कर उसकी जांघो को खोलकर उसमे अपना लण्ड उसकी चुत के निचे भिड़ा दिया

जिससे बबिता कसमसा कर रह गयी और सिस्क उठी
मैने उसके लोवर से उपर से ही उसकी चुत पर अपना लण्ड रगड़ा और उसकी टीशर्ट मे हाथ डाल कर उसकी गोल हो चुकी चुचियॉ को मसल दिया ।

बबिता - दर्द और मजे से कराह उठी
मैने फटाक से उसका टीशर्ट और टेप उपर किया और उसकी गोल मतोल हो चुची नुकीली चुची को मुह मे भर लिया

बबिता मेरे सर को सहलाते हुए -अह्ह्ह भैया अराम से उम्म्ंम्ं मम्मी अह्ह्ह

इधर गीता भी पीछे कैसे रहती वो फटाफट अपनी टीशर्ट टेप और ब्रा निकाल दी और मुझसे पीछे से लिपट गयी । वो अपनी 32c की चुचियॉ को मेरे पीठ पर दबाते हुए अपना हाथ आगे कर मेरे लण्ड को पकड ली जो इस समय बबिता की जांघो और चुत के बीच घिस रहा था ।

मैने एक एक करके बबिता के टीशर्ट और टेप निकाले ,,,हालकी उसकी चुचिया गदराई गीता से छोटी थी तो वो ब्रा नही पहनी थी ।
लेकिन गजब की कडक और नुकीली निप्पल

मैने उसके गुलाबी निप्प्ल को वापस मुह मे भरा और चूसना शुरु कर दिया ।
वही गीता निचे जाकर मेरे लण्ड को बबिता की जांघो से खिच कर अपने मुह मे भर चुकी थी ।
बबिता कसम्सा कर - आह्ह भइया अच्छे से चुसो ना उम्म्ंम

मै - ये तो सच मे पहले से बड़े हो गये हो गुड़िया
बबिता शर्मा गयी
मैने उसके चुतडो पर हाथ फेरा और उसके होठ चुसने लगा


वही गीता मेरे लण्ड को बड़े हौले से चुब्ला रही थी ।
उसके छोटे से मुह मे मेरा लण्ड बडी मुस्किल से घुसा था और उसके दाँत की गडन मह्सुस हो रही थी ।
लेकिन उसके मुलायम होथ जब मेरे सुपाड़े को छुते तो मेरे जिस्म मे खुन की गरमी तेज हो जाती थी
थोडी देर बाद
मैने हाथ देके उसका हाथ पकड़ा और अपनी ओर खीचा तो वो समझ गयी और मेरे सीने पर आ गयी

मैने बबिता को छोड के गीता को निचे पलत दिया और उसके मोटे चुचो को पकड के मसलते हुए उस्के निप्प्ल काटने लगा


गीता छ्टपटाने लगी तो मै उसके जांघो को खोल कर जगह बनाते हुए उसके उपर चढ़ कर उसकी चुचियो को चूसना शुरु कर दिया

उसके मुलायम भूरे मटर के दाने जितने निप्प्ल को जीभ से फ्लिक करने लगा ,,,वो कसमसाने लगी
गिता - ओहहह भैया और चुसो ममंंम्म्ं ,,बहुत मजा आ रहा है आज

मै उसकी दोनो चुचियॉ को जोड कर आपस मे दबा दिया जिससे उसके निप्प्ल फुल कर और भी कड़े हो गये थे । मैने लाल होते चुचियॉ के निप्प्ल के घेरे मे अपनी जीभ फिराई और अपने होठो से उसके कड़े निप्प्ल को समूच किया तो वो पागल सी होने लगी और छ्टपटा कर अपनी गाड पटकने लगी

वही बबिता बगल मे लेती गीता की आहो को सुन कर अपना सारा कपडा निकाल कर लेते हुए अपनी जान्घे खोल्कर चुत की रगड़ रही थी और मुझे आवाज दे रही थी

बबिता सिस्क्ते हुए - आह्ह भइया डाल दो ना प्लीज


मै बारी बारी से गीता की एक एज चुची को मुह मे भर कर चुसता हू कि तभी फिर से बबिता तड़प कर गुहार लगाती है
मैं गीता की एक चुची मुह मे लिये अपने बाये हाथ से बबिता के बदन को टटोलते हुए उसके चुत के हल्के झान्टो वाले हिस्से तक हाथ गया था कि बबिता और उपर सरक कर मेरा हाथ पकड के अपने चुत पर रख कर रगड़वाने लगती है ।
मैने उसकी पिचपिचाती चुत को थोडा सहला कर एक उगली बबिता की चुत मे घुसा देता हू ,,जिससे वो पागल सी होने लगती है और जल्दी जल्दी अपना कमर उचकाने लगती है

बबिता तडप कर - ओह्ह भैया वो डालो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह

मै गीता की चुचियॉ से मुह हटा कर - क्या गुड़िया
बबिता सिस्क कर - आपका लण्ड भैया अह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम्

मै एक पल को सकपकाया और सोचा क्या ये सही रहेगा लेकिन बबिता की तडप देख कर पुरा मन हो रहा था कि उसकी कुवारी चुत मार लू मै


मै भी सोचा अब जो होगा देखा जायेगा और मैने गीता को छोड कर अपने कपडे उतारे और बबिता की जांघो को खोल कर उसके झान्टो के रोए से सजी चुत मे मुह लगा दिया

वो और ही तडप उठी और मेर सर को दबाने लगी
मैने भी उससे संतरे के फान्के जैसे चुत के फलको को खुब चुबलाया और जब देखा की बाबिता बार बार लण्ड के पागल हो रही है तो
मैने देर ना करे हुए अपने घुटने के बल आया और लण्ड को बाबिता की कोरी चुत के होठो को खोल कर छेद पर लगाया और एक बार बोला - गुदिया तैयार हो

मेरे बात खतम होने से पहले ही बबिता ने मेरे कमर मे हाथ डाला और अपनी गाड को ह्च्का कर उपर किया और मेरा सुपाडा एक बार मे ही गचाक से उसकी चुत मे धंस गया और वो दर्द से तडप उठी

मैने उसे थपथपाया तो
बबिता - ओह्ह भैया रुक क्यू गये डालो ना और उम्म्ंम प्लीज
मुझे उसकी हिम्मत पर ताज्जुब हुआ कि इससे ब्ड़ी उम्र की तीन लड़कीयो को मैने पेला तो उनकी गाड फट गयी और ये खुद से माग रही है

मै भी उसके होठ से होठ जोड़े और एक और करारा धक्का मारा लण्ड जड़ तक चला गया

वो मेरे दर्द से कराह उठी और मैने धिरे धीरे धक्के जारी रखे

बबिता मुझसे अलग होकर एक गहरी सास ली और हाफते हुए ह्स्तेहुए बोली - आई लव यू भैया ,,, अब क्यू रुके हो करो ना

मै उसको हस्ता देख वापस से एक और करारा धक्का पेला और उसके चुत ने मेरे लण्ड लो जगह देदी और फिर मैने उसके कंधो को थामे उससे लिपटे हुए ताबड़तोड़ पेलना शुरु किया

मुझे बबिता की हरकतों से ताजुब हो रहा था कि उसे अभी इतना मजा आ रहा है तो आगे कितना

इधर गीता पूरी तरह से गरमा गयी थी और बेड पर बैठ कर अपनी जान्घे खोले गचागच चुत में ऊँगली पेल रही थी

मुझे गीता का ख्याल आते ही मैने बबिता के उपर से उठा और निचे लेट गया

मै - आओ गुड़िया उपर मेरे
बबिता - कहा गये भैया कुछ दिख नही रहा है

मै खड़ा हुआ और कमरे की बत्ती जला दी और देखा की मेरी दोनो बहने एकदम चुदासी ही हो गयी है
मैं वापस फटाक से लेट गया और बबिता को लण्ड पर बैथने का इशारा किया तो गीता मुह बिच्का ली

मैने उसे अपनी तरफ खीचा और अपनी जीभ बाहर निकाल दी
गिता चहक उथी और फौरन मेरे मुह मे पर अपनी गाड को टिका कर जीभ को अपन चुत पर रगड़ाने लगी

वही बबिता एक फीर से अपनी कसी चुत मे मेरा लण्ड भर चुकी थी
इधर मै गीता के भारी गुलगुले चुतड के पाटो को थामे उसकी चूत को चुब्ला रहा था और जीभ को उसकी चुत मे घुमा रहा था ।

गीता बहुत ज्यादा छ्टक रही थी वही बबिता एक बार झडने के बाद भी नही रुकी थी और लगातार अपनी चुत से मेरा लण्ड निचोड रही थी ।

गीता ने भी अपनी जांघो मे मेरे सर को दबोच लिया था और अपनी चुत मेरे नथनो और होठो पर रगड़े जा रही थी और फिर एक दर्द भरी कराह से साथ तेजी से अपनी जांघो मे मेरे सर को दबोच कर झड़ने लगी ।
उसके शांत होही मैने उसे अपन उपर से हटने का इशारा किया और गहरी सांस ली ।।।
मेरा पुरा मुह गीता के माल से चखट गया था

मैने उसकी चुत के पानी को साफ कर बबिता को अपनी ओर खीचा और निचे से खुद जोर जोर से धक्के लगाने लगा

बाबिता मेरे नाम लेके सिस्कने लगी और उसकी सिस्कियो मे भी वाईब्रेशन आ गया था क्योकि मै झडने के करीब था और काफी तेज धक्के उसकी चुत मे लगये जा रहा था ।

एक पल आया और मैने रुका और फटाक से बबिता की उतार कर निचे किया और जल्द से उसके मुह पर लण्ड हिलाने लगा और भलभला कर उसके उपर झडने लगा

सारा माल निकाल कर मै हाफने लगा वही बबिता हसते हुए मेरे माल को चाट रही थी और तभी गीता उठ कर आई और मुझे धक्का देके लिटा दिया और लण्ड को मुह मे गपुच कर लिया

मुझे थोडी हसी आई और फिर वो दोनो मुझसे लिपट गयी ।
मै ह्स्ते हुए - क्यू मीठी मजा आया

गीता मुझे कस्ते हुए- हा भैया बहुत
बबिता भी मुझसे चिपक कर - मुझे भी भैया

मै हस कर- फटाफट कपडे पहनलो और बाकी मस्ती कल
वो दोनो खिलखिला कर हसी और हा बोली ।
फिर उन्होने अपने कपडे पहने और मै भी बनियान अंडरवियर पहन लिया ।
एक बार मैने मोबाईल खोला तो देखा अभी तो 10 भी नही बजे थे , यानी मैने अभी सिर्फ 40 मिंट मे ही ये सब खतम कर दिया था ।

मैने मोबाईल चेक किया तो सरोजा ने व्हाटसअप पर कुछ अच्छी तस्वीरे भेजी थी ,,आज वो किसी पार्टी मे गयी थी ।

इधर ये दोनो थक कर थोडी ही देर मे खर्राटे लेने लगी और मुझे भी थकान होने लगी थी तो मै भी सो गया ।
सुबह करीब 6 बजे मेरी नीद खुली तो देखा की दोनो अभी तक मुझसे चिपकी हुई सो रही थी । मै उठा और उबासी लेते हुए फ्रेश होने गया ।
फ्रेश होकर बाहर आया तो देखा ,, मा एक ढीली मैकसी पहने हाल और पूरी गैलरी मे पोछा मार रही है । लेकिन बैठने के कारण उनकी गाड मैक्सि मे फैल कर कस गयी थी ।

और वही हाल मे सोफे पर नाना जी बैठे हुए मा के गाड को निहार रहे थे ।

मै बडे आराम से चल कर नाना के पास गया और मा को बोला - क्या मा आज पोछा क्यू

मा मेरी ओर देखती है तो नाना फौरन नजर फेर लेते है
मा - वो बेटा ये मेरे कमरे के बाहर कुछ चिपचिपा सा दाग था और गरमी से हाल मे भी चिपचिप सी थी तो मैने सोचा पुरा पोछा ही मार दू

मै मा के जवाब से संतुष्ट हुआ और कुछ सोच कर मुस्कुरा दिया ।

मै नाना से - और नाना जी आप आराम से सोये ना
नाना - हा बेटा बस यहा गरमी ज्यादा होती है गाव के मुकाबले
मै थोडा हस कर - फिर चले टहलने

नाना मा को पोछा लगाते देख बेमन से - नही नही बेटा आज इच्छा नही है ।

फिर मा पोछा लगाते हुए हमारे तरफ आई और अब उसकी ढीली मैक्सि से उसकी घाटिया दिखने लगी थी ।

मा - राज जरा पैर उपर कर बेटा
मै फटाक से पैर उठाए और मा ने निचे पोछा मारा और थोडा आगे नाना के सामने आ गयी और इस वक़्त मा की ढीली मैक्सि से निप्प्ल के काले घेरे तक मै और नाना देख पा रहे थे ।

मा नजारे उठा कर नाना को अपनी चूचिया घुरते देख - बाऊजी आप भी उपर करो ना पैर
नाना ब्ड़ी मुस्किल मे आ गये क्योकि मा की कसी जवानी ताड़ कर उनका लण्ड बौरा गया था और उसे एडजेस्ट करते भी कैसे

बडी मुश्किल से उनहोने अपने झुलाते आड़ो सहित लण्ड को थाम कर पैर बतोरे और मा ने निचे पोछा मारा और फिर बालटी लेके पीछे वाशिंग एरिया मे चली गयी ।

नाना ने एक गहरि सांस ली ।

मै नाना से - नाना मै मा को कुछ कपडे देके आता हू धुलने के लिए

नाना ने हा मे सर हिलाया और मै अपने कमरे मे गया और फिर कुछ कपडे लेके पीछे वाशिन्ग एरिया मे गया जहा मा पोछा वाला कपडा धुल रही थी ।
मैने एक नजर गैलरी मे मारा और मा को पीछे से हग करते हुए - ओहो मा आज क्या बात है पोछे के बहाने नाना को अपनी इन घाटियो का दिदार करा दिया
मैने उनकी चुचियॉ को उपर से ही मसला

मा हस कर - धत्त पोछा कोई बहाना थोडी था , वो सच मे मेरे दरवाजे के बाहर चिपचिपा सा दाग था ।

मै मा को सामने लाकर - मतलब आपने सच मे रात मे दरवाजा खुला रखा था
मा शर्मा कर मुस्कुराते हुए हा मे सर हिलाई

मै हस कर - मतलब मेरा प्लान काम कर गया
मा हस कर - रात मे जिस तरह से घुर रहे थे मुझे ,, मुझे तभी समझ आ गया था कि बाऊजी एक बार रात मे मेरे कमरे का चक्कर जरुर लगाएंगे और तुने कहा था कि दरवाजा थोडा भिडका कर रखना तो मैने वैसे ही किया

मै हसते हुए मा के होठ चूम कर -- तो आपको पता चला था, नाना जब आये थे झाँकने

मा शर्मा कर हा मे इशारा की और बोली - उस समय मै तेरे पापा के उपर थी और तेरे कहने के हिसाब से ही मैने अपना चेहरा दरवाजा की ओर रखा था हर पोजिसन मे वो करते हुए

मै मा को खुशी से हग करते हुए उन्के गाल चूम लेता हू - अरे वाह मा ,, आई लव यू उम्म्म्म्म्म्माआआआह्ह

मा इतरा कर - अब छोड मुझे ,, पता नही क्या क्या करवाएगा मुझसे ,,

मै भी तुनक कर - सब आपके लिए ही तो कर रहा हू फिर भी हुउउह

मा थोडी शर्म और मुस्करा कर मेरे गाल सहलाए और बोली - क्यू तुझे मजा नही आ रहा है क्या जैसे

मै खुशी से हा मे सर हिलाकर - बहुत ज्यादा हिहिह्हिह

मै मा से - पापा को तो नही ना बतायी
मा हस कर मुझसे अलग हुई और वाशिंग मशीन मे कपड़े डालते हुए बोली - हिहिही नही पागल हू क्या ,,, वो तो परेसान हो गये थे रात मे की मै हर बार दरवाजे की ओर मुह क्यू की हू

मै ह्स कर - फिर
मा - फिर क्या ,,,उन्हे तो दो गंदी बाते बोल दो वो सब भूल जाते है हिहिही

मै मुस्कुरा कर - वैसे आप भी कम शातिर नही हो
मा हस कर - मा हू तेरी ,,तेरे कम कैसे रहूँगी हिहिही

मै वापस मा को हग कर लिया और फिर उनको अगला प्लान समझा कर बाहर आ गया ।

थोडी देर मे मा भी बाहर आई और सोनल के साथ किचन के काम मे लग गयी ।
इधर पापा और अनुज तैयार हो लिये लेकिन मैने अपनी योजना के अनुसार नही नहाया और नाना भी लेट नहाते थे ।

थोडी देर मे सबका नासता लगा

पापा - अरे राज तू अभी तैयार नही हुआ,,दुकान नही जाना है क्या
मै - नही पापा ,,आज मै नाना जी के साथ जाने वाला हू बाहर

नाना - हा बाबू ,,अगर तुमको कोई तकलीफ ना हो तो
पापा हस कर - अरे बाऊजी ,,ये आपका ही नाती है ,,इसमे पूछने जैसा क्या है

फिर हम सब ने नासता किया और फिर पापा और अनुज दुकान गये ।
सोनल भी गीता बबिता को अपने साथ सिलाई सेंटर लिवा के गयी ।
अब बचे मै नाना और मा

मै किचन मे गया और मा को बोल दिया की प्लान शुरु किया जाय ।

मा मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाई और मै वापस हाल मे आ गया ।

थोडी देर बाद
मा ने खाना तैयार कर 9 बजे तक ढेर सारे कपडे लेके सबसे उपर की छत पर गयी और मै उन्के साथ गया ।
मैने उपर की टंकी से निचे का जाने वाली पाइप का पानी बंद कर दिया और मा सारे कपडे लेके बैठ गयी उपर धुलने ।

और फिर मै प्लान के मुताबिक निचे आया तो देखा नाना सोफे पर बैठे हुए झपकी ले रहे थे ।

मै - नाना जी आप मेरे कमरे मे आराम करिये और आपको फ्रेश होना होगा तो उपर छत पर चले जायियेगा

नाना अचरज से - क्या हुआ बेटा
मै उखड़ कर - वो निचे आने वाली पानी का पाइप मे कुछ दिक्कत है इसिलिए

नाना दीवाल की खड़ी मे समय देख कर - अरे अभी एक घन्टे बाद तो हमे निकलना है काम के लिए ,, तो ऐसा करता हू मै उपर जाकर नहा लेता हू

मै - हा ठीक है नाना जी आप उपर जाईये , मुझे कुछ समान लाना है ,,फिर मै भी नहा लूंगा

नाना - हा ठीक है बेटा

फिर मै किचन मे जाता हू एक झोला लेता हू और कुछ पैसे लेके किराने की दुकान पर चला जाता हू ।
थोडी देर बाद मै घर मे आता हू तो निचे पुरा सन्नाटा होता है ।
मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है और मै किचन मे झोला रख कर उसमे से सरफ की एक बडी पैकेट और अपना तैलीया लेके उपर चल देता हू

उपर की मजिल की सीढी चढ़ते हुए मुझे बहुत जोर की धकधक हो रही थी कि उपर क्या हो रहा होगा ,,क्या सीन चल रहा होगा ।

क्योकि मुझे घर से निकले करीब 30 मिंट से ज्यादा हो गये थे ।

मै उपर गया और जैसे ही छत पर देखा तो नाना नहा चुके थे और अपनी धोती बान्ध रहे थे ।

मै बाथरूम की ओर जाकर - अरे नहा लिये क्या नाना जी,,,और मा कहा है

तभी मा बाथरूम से बाहर आई जो इस समय एक पेतिकोट मे थी ।उसने पेतिकोट को अपनी छातियो पर कस कर बान्धा हुआ था और उसकी घुटनो से थोडी उपर की नंगी जान्घे तक दिख रही थी

मा - कहा रह गया था ,,बोली थी ना जल्दी आना

मै मा को सरफ का पाकिट थमाते हुए आंख मारा और इशारे से पुछा क्या हुआ अभी

मा हसी और शर्मा कर गरदन हिला कर बाथरूम मे चली गयी

नाना अब तक अपने कपडे पहन चुके थे - राज बेटा चल निचे चलते है

मै थोडा मुह बना कर - आप चलो नाना मै जरा फ्रेश हो लू ,,पेट कुछ सही नही है

नाना ह्स के - अच्छा ठीक है जल्दी आ ,, और तू भी नहा ले चलना है मेरे साथ

मै हस कर - हा नाना जी अभी नहा कर आता हू आप चलिये निचे ।

नाना जी फिर निचे चले गये और मै उनके जाते ही बाथरूम के सामने मा के पास चला गया ।



जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,337
14,574
188
UPDATE 98

नाना के निचे जाते ही मै मा के पास गया जो इस समय नाना के ही कपड़े धुल रही थी ।

मै कपडे निकाल कर सिर्फ अंडरवियर मे अन्दर बाथरूम मे घुसा और पीछे से मा को दबोच लिया

मा कसमसा कर - अह्ह्ह क्या कर रहा है बेटा,, बाऊजी है यही

मै अंडरवियर मे तने लण्ड को मा की पेतिकोट के उपर से ही उनकी गाड मे धंसाते हुए - मा वो तो निचे गये

मा - हा फिर हट मुझे काम करना है
मै फटाक से दरवाजा बंद किया और अपना अंडरवियर निकाल दिया।

मा अभी भी झुकी हुई बालटी मे कपडे डुबो कर उसे गार कर दुसरी बालटी मे रख रही थी ।
मै बहुत ही उत्तेजित था तो मैने झुक कर मा का पेतिकोट एक झटके मे उठाया और उनकी गोरी फैली हुई तरबुज सी गाड़ मेरे सामने थी
मैने मा के कूल्हो को थामा और लण्ड को उनके चुतडो के पाटो पर फिराया जिससे मा सिहर गयी और जिस पोजीशन मे थी वही रुक गयी

मा - अह्ह्ह बेटा रुक जा ना
मै अपने लण्ड की चमडी खिच कर सुपाडे को मा के चुत के मुहाने पर दबाकर - बहुत मन कर रहा है मा अह्ह्ह

मा - ओह्ह बेटा अह्ह्ह्ह
मै एक जोर का धक्का पेला और लण्ड जगह बनाते हुए सीधा मा के भोसड़े मे घुस गया और मै उन्के कूल्हो को थामे धक्के पेलने लगा ।

मा ने सामने हाथ बढ़ा कर टोटी को पकड़ ली लेकिन मेरे धक्के से उनको दिक्कत हो रही थी।

मै धक्के लगाते हुए - मा कूछ बात आगे बढ़ी आपकी और नाना की

मा कसमसा कर - तू ये अभी क्यू पुछ रहा है ,,,अभी चोद ले मुझे अह्ह्ह मै कबसे गरम हो रही थी अह्ह्ह बेटा

मै समझ गया कि कुछ मजेदार जरुर हुआ है दोनो के बीच और उसके लिये मा पूरी तसल्ली से ही मुझे बतायेगी

मैने मा को झुकाये हुए ही लन्ड़ को तेजी से उनकी खुली चुत मे गचागच पेलता रहा ,,, थोडी देर हमारी ये चुदाई सभा चली और मै झड़ने के करीब था और मा ने मेरा माल अपने मुह मे लिया ।


फिर मै और मा एक साथ नहा कर निचे आये । मैने अपने कपडे पहने थे जबकी मा ने ब्लाउज पेतिकोट

निचे हाल मे उतर कर देखा तो नाना कुछ फ़ाईल लेके बैठे है और उनकी नजर मा पर पड़ी तो वो मुस्कुराये और बदले मे मा ने भी एक शर्माहट भरी मुस्कान दी ।

नाना की नजर मा के चुचो की घाटी और पेतिकोट के साइड के कट पर थी जहा से मा के कुल्हे साफ दिख रहे थे । जिसका असर मुझे नाना की धोती मे साफ नजर आ रहा था ।

फिर मा ने उसी अवस्था मे मेरे और नाना के लिए खाना लगाया । फिर मै और नाना खाना खा कर निकल गये ।

सबसे बडी बात थी कि नाना इस उम्र मे भी खुद गाडी चलाते थे ।

मै भी उनके साथ आगे की सीट पर बैठा था , आज नाना काफी खुश लग रहे थे

मै - क्या बात है नाना जी बडे खुश लग रहे है

नाना किसी याद से उभर कर - अह हा खुश तो हू ही ,, अब इतने समय बाद अपने नाती के साथ कही घूमने जा रहा हू ।

मै - वैसे कहा जा रहे है हम लोग
नाना - बस यही पास के गाव गोपालपुर मे मुखिया के घर , मेरे पुराने मित्र रहे है , उन्ही के यहा

मै चुप रहा और गाडी से बाहर खेत खलिहानों को देख रहा था ।
गोपालपुर काफी नामी गिरामी गाव था और वहा के मुखिया जयराज ठाकुर थे । जो नाना के पुराने मित्र थे और
उनका काफी समय प्रतापपुर यानी मेरे नाना के गाव मे ही बिता है ।
रास्ते ने नाना ने बताया कि उनकी पहली बीवी की मृत्यु के बाद उन्होने दुसरी शादी की एक कम उम्र के लड़की से जो अपने माता पिता की एक्लौती संतान थी और कुछ साल बाद वो प्रतापपुर छोड कर यहा गोपालपुर चले आये ।

कुछ किलोमीटर की यात्रा कर हम गोपालपुर गाव पहुचे और गाव मे थोड़ी ही दुर घूसने पर जयराज ठाकुर की हवेली थी जो असल मे उन्के स्वर्गीय सास ससुर की थी ।

हवेली काफी बडी थी और काम करने वालो की कमी नही थी ।
लेकिन फिर भी उस हिसाब से ज्यादा लोग दिखाई नही पड रहे थे जैसा नाना जी ने ब्ताया था । काम करने वाले और कुछ गार्ड बस

नाना जी हवेली के कम्पाउंड मे गाडी पार्क की और हाल की ओर बढ़ गये वही फ़ाईल लेके जो सुबह घर पर देख रहे थे । मै भी उनके पीछे पीछे चला गया ।

हाल मे पहुच कर नाना जी और मै बैठे रहे और थोड़ी ही देर मे एक नौकर पानी देके गया ।

मै - नाना जी मुझे तो बहुत अजीब लग रहा है यहा
नाना हस कर - अरे इसे अपना घर समझो और अभी जयराज से मिलवा दूँगा तो तुम कभी भी यहा आ सकते हो । हर साल सावन मे गोपालपुर मे बहुत जोरदार और बड़ा मेला लगता है ।


मै - ओह्ह
मै बड़ी जिज्ञासा और उत्सुकता से हवेली मे नजर घुमा रहा था ।

थोडी देर बाद एक नौकर आया और नाना को अपने साथ ले गया ।

नाना बहुत ही खुश नजर आ रहे थे और मुझे बोल के गये - कि मै यही आस पास ही रहू और चाहू तो पीछे बागिचे की ओर जा सकता हू ।

मै हा मे सर हिलाया और मोबाईल मे लग गया ।
हवेली के साथ कुछ अच्छी सेल्फी भी निकाली । थोड़ी देर मे हाल मे एकदम चुप्पी सी थी । सारे लोग कही गायब से थे कोई कही नजर नही आ रहा था उपर से मैने पुरानी बड़ी हवेलियो के बारे बहुत भूतिया खिस्से सुने थे तो फटने लगी मेरी ।

मैने एक दो नजर उस जिने की ओर मारा जहा से नाना उपर की ओर गये थे । मगर कोई नजर नही आ रहा था तो मैने सोचा कि क्यू ना पीछे बागिचो मे चला जाऊ


मै उठा और ताकझाक करते हुए एक गलियारे से पीछे की ओर चला गया ।
ताजी हवा मे सास लेते ही मन की सारी शन्काये दुर हो गयी और मै ऐसे ही टहलने लगा ।

पीछे बगिचे के दुसरे छोर पर काफ़ी सारे आदमी काम कर रहे थे और खेतो मे भी लोगो को काम करते देख मन को और भी अच्छा लगा ।

तभी मेरी नजर हवेली के पीछे से लगी एक सीधी पर गयी जो उपर एक बाल्किनी नुमा जगह पर खुलती थी और वही से अन्दर जाने का रास्ता भी था ।

रास्ते मे मुझे कोई रुचि नही थी , मुझे उस बाल्किनी से बागिचे को देखने की तलब हुई । मै फटाफट उस सीढी से उपर वाल्किनी पर गया

वाह क्या नजारा था , दुर तक खुले खेत और बगीचे की रंग बिरंगी हरियाली दिख रही थी ।
मैने जेब से फोन निकाला और तस्वीरे लेना शुरु कर दी और कुछ सेल्फी भी लिये । इसी दौरान मुझे बाल्किनी के गैलरी से कुछ बर्तन के गिरने की आवाजे आई । लेकिन गैलरी मे काफी अन्धेरा सा था ।

मुझे थोडा डर लगा लेकिन पूरी गैलरी खाली सी थी ,,,और उस पार से आ रही रोशनी मे उस 3 फिट चौडी गैलरी से मै चुप चाप जाने लगा । तभी मेरे पैर से कुछ टकराया ,और आवाज से पता चला कि ये तो लकड़ी का दण्डा है । मैने उसे बिना छेड़े आगे बढ़ गया

धीरे धीरे करके मै उसके मुहाने तक आया तो देखा कि मै तो उपर की मन्जिल पर हू और यहा से निचे का खुला हाल साफ देखा जा सकता था ।

मुझे खुशी हुई और राहत भी फिर मुझे निचे जाने के रास्ते का ध्यान आया मगर कोई रास्ता नजर नही आ रहा था ।
हर जगह पर्दे लगे थे और जिस अंधरे से मै आया उधर वापस जाने की हिम्मत नही थी मेरी ।

मै धिरे धीरे एक एक पर्दा हटाता हुआ देखता ,,कोई बंद दरवाजा होता तो कोई उपर जाने की सीढि । ना जाने किस मूर्ख ने इसका डिजाइन किया होगा कि तीन उपर जाने की सीढि मिली लेकिन निचे जाने की एक भी नही ।

मै एक पुरा चक्कर लगाने के करिब था फिर मैने निचे हाल मे देखा और अन्दाजा लगाया कि नाना कहा से उपर आए थे । ये ट्रीक काम की और मुझे निचे जाने वाली सीढ़ी दिखी जोकि बाहर से ही दरवाजे की तरह बंद थी ।

मुझे कुछ अजीब सा लगा कि आखिर इस जीने के दरवाजे को बंद करने की जरुरत क्यू थी
मुझे नाना की फ़िकर हुई कि वो कहा है

मै वापस से एक एक कमरे की खिडकी चेक की और तभी मुझे एक खिडकी से कमरे में कुछ खुस्फुसाहत सुनाई दी ,, मगर अन्दर के पर्दे की वजह से मै कुछ देख नही पा रहा था । पर्दे भी खिडकी से थोड़ी दुरी पर थे जिसे मै ऊँगली से खिसका भी नही सकता था

मुझे इरिटेटिंग सी होने लगी इन पर्दो से । तभी मुझे कुछ ध्यान आया और मै सरपट उसी गैलरी की ओर गया जहा से आया था और इस बार मेरा डर कम हुआ क्योकि मैने मह्सूस कर लिया था कि उपर मेरे अलावा कोई नही है । मैने मोबाईल टॉर्च जलाया और तभी मुझे आगे ही थोडी दुर पर वो डण्डा नजर आया जिससे मै टकराया था । मैने लपक कर उस 2 फीट के करीब के दण्डे की उठाया जिस्पे काफी धुल जमी थी ,,
मैने उसे हौले से गैलरी की दिवार पर झाडा और वापस दबे पाव उसी खिडकी तक चला गया ।

मुझे अभी भी हिचक और डर लग रहा था मगर जिज्ञासा बहुत थी कि आखिर ऐसी कौन सी गुप्त बातचीत चल रही थी यहा

मै धीरे से लकड़ी को खिडकी से अंडर डाला और एक साइड से पर्दा मे लकड़ी डाल कर उसे दुसरी तरफ किया मगर लकड़ी से पर्दा सरक गया । मैने फिर से कोसिस की और इस बार पर्दे को लकड़ी के सिरे मे घुमाकर थोडा सा खीचा और मुझे अन्दर कमरे की झलक मिली और मेरी आंखे चौंधिया गयी मानो

एक बार मैने अपनी आंखो को मला और वापस देखा तो अंदर नाना जी क़्वीन साइज़ बेड पर पुरे नंगे घुटने के बल खडे होकर एक गोरी महिला को झुकाये चोद रहे है । उनकी वो फ़ाईल एक टेबल पर वैसी ही बंद पड़ी है मानो खोली तक ना गयी हो ।

मेरी तो थूक गटकने की नौबत आ गई थी
क्या गजब की कसी हुई औरत थी ,,
और सबसे बढ़ कर ये कि आखिर ये कौन थी जिसे नाना चोद रहे थे,,,और जयराज से मिलने वाले थे तो वो कहा था ।

मेरी हालात खराब हो रही थी और लण्ड में कसाव बढ़ रहा था , मगर उससे भी ज्यादा बेचैनी हो रही थी , मै रुक नही सकता था ।
इसिलिए मै फटाफट उसी अंधरि गैलरी से निकल गया बागीचे ,, थोडा सुकून मिला लेकिन उलझन अब भी थी ।

थोडी देर बाद मे एक नौकर मुझे बुलाने के लिए आया और मै वापस हाल मे आया तो देखा कि वही औरत और नाना हाल मे बैठे हुए थे ।

नाना मुझे देख कर उस औरत की ओर इशारा करते हुए - इनसे मिलो बेटा ये पूनम भाभी है ,,मतलब जयराज की बीवी

मै हाथ जोड उनको नमस्ते किया , तो वो बोली

पूनम मुस्कुरा कर - अरे नही बेटा बैठो ,,
काफी मिठास थी उस औरत की बोली मे ,, उम्र भी मुस्किल से 40 के करीब थी ,,, मगर ठकुराईन का नाना से चक्कर समझ से परे था ।

थोडी देर बातचित चली तो पता चला कि आज जयराज ठाकुर है ही नही और वो दो दिन बाद आयेगा ।
फिर हमने उनसे विदा लिये और निकल गये घर के लिए

गाडी मे

पिछ्ले दिनो मे मै नाना से काफी खुल गया था तो मुझे यही मौका सही लगा ,

मै - नाना ये पूनम जी तो काफी जवान है अभी
नाना हस के - हा बेटा, दरअसल जयराज की दुसरी शादी के वक़्त उसकी उम्र 40 से ज्यादा थी और ये तब 20 की रही होगी


मै हस कर - हा तभी इस उम्र मे रोज नये मर्दो की जरूरत लगती है उनको हिहिहिही


नाना चौक कर अचानक से गाडी का ब्रेक मारा- क्या मतलब
मै हस कर - मुझसे मत छिपायिये नाना जी ,,मैने देखा था थोडी देर पहले उपर कमरे में आपको पूनम जी के साथ

गाडी फिर से चलने लगी
नाना मुस्कुराए - तो तू जासूसी करता है क्या
मैने फिर नाना को पूरी बात बतायी कि कैसे कैसे मै उपर पहुच गया और वो सब देख पाया ।


नाना - मतलब तू भी कम नही है ,,,हा
मै ह्स कर - आखिर नाती किसका हू हिहिहिही
हम दोनो खुब हसे

मै - तब नाना जी इसके बारे मे नही बताया था आपने
नाना ह्स कर - हा ये बात पुरानी है बेटा करीब 18 साल पहले कि उस समय ठकुराइन को आये 2 साल हो गये थे लेकिन जयराज उसकी आकांक्षाओ पर खरा नही उतर पाया ,,,आये दिन ठकुराईन के नये नये यारो के किससे सुनाई देते थे तो एक दिन मौका देख कर हमने भी हाथ साफ किया ,,,,,

मै ह्स कर - और फिर

नाना - लेकिन जयराज को काफी जिल्लत झेलनी पड़ती थी इसिलिए उसने 15 साल पहले प्रतापपुर छोड दिया और यहा आ गया


मै ह्स कर - मगर आपने ठकुराईन को नही छोडा हिहिही

नाना - अरे नही , ऐसा कुछ नही है ,, तब से लेके आज यही नसीब हुआ है 15 साल बाद ,,,वो भी मेरी पहल पर


मै अचरज से - आपकी पहल पर मतलब
नाना - तु तो जान ही रहा है कि मुझे 3 दिनो से काफी उत्तेजना हो रही थी और फिर कल से घर पर और भी दिक्कत महसूस हो रही थी । इसिलिए मैने आज पहल दी ठकुराइन से


मै - वो सब तो ठीक है लेकिन घर मे कैसी दिक्कत हो रही आपको नाना जी

नाना थोडा झेपे - अब क्या बताऊ बेटा,,

मै - आप निश्चिंत होकर बोलिए ,,आखिर आपकी सम्स्या मेरी समसया है

नाना - नही बेटा बात वो नही है ,,, बात कुछ और है फिर पता नही क्या सोचेगा तू मेरे बारे मे


मै उखडे हुए भाव से - अब आप मेरी चिन्ता बढ़ा रहे हैं नाना जी बताईए क्या बाता है ।
नाना जी ने एक खाली जगह पर सड़क के किनारे गाडी रोकि

मै - हा अब बोलिए क्या बात है
नाना झिझक कर - दरअसल बेटा,,कल रात मे मुझे बहुत उत्तेजना मह्सूस हो रही थी और निद नही आ रही थी तो इसिलिए मै हाल मे आकर बैठ गया था ।
फिर थोड़ा हाल मे टहला और अपने कमरे मे जाने को हुआ तो मेरी नजर तेरे मम्मी -पापा के कमरे के खुले दरवाजे पर गयी ।

मुझे लगा कि वो लोग अभी जाग रहे होगे तो चलो थोडा बात कर लू फिर सो जाऊंगा
मगर मै दरवाजे पर जाकर कुछ बोलता , उससे पहले ही मुझे कमरे मे तेरे मम्मी पापा सम्भोग करते हुए दिखे , शायद वो लोग गलती से दरवाजा बंद करना भूल गये थे ।

मै ह्स कर - ओह्ह कोई बात नही नाना ,इसमे आपकी कोई गलती नही है ,,मैने भी कभी कभी गलती से देख लिया है मम्मी पापा को वो सब करते हुए ।

नाना ह्स कर - तू बहुत नटखट है और भोला है रे ,, तू तो देख कर निकल गया होगा ना ,,,मगर मै वही रुक गया था और मुझे उत्तेजना होने लगी थी ।

मै हस कर - मतलब सुबह मे मम्मी ने जो दाग पर पोछा मारा , वो आपने किया था ह्हिहिहिही

नाना चुप रहे ।
मै - फिर आगे
नाना - उसके बाद मुझे रात भर अच्छे से नीद नही आई थी और आज सुबह मे छत पर फिर से तेरी मम्मी को गलत कपड़ो मे देख लिया था


मै - ओह्ह्ह ,,,कोई बात नही , मै ये सब मम्मी को नही बताऊंगा ,,,वैसे भी रात मे खुला देख लिया तो खैर सुबह कपडे मे थी वो हिहिही

नाना मुस्कुरा कर - तू बहुत बदमाश है ,,,
मै - आपसे कम
नाना हस कर - क्यू
मै हस कर - मै थोडी दूसरो की मा को देख कर वो सब मह्सूस करता हू हिहिहीही

हम दोनो हसे और फिर घर के लिए निकल गये
घर पहुच कर पता चला कि मा , गीता बबिता को लिवा कर दुकान गयी है और वही से अनुज उनको घुमाने ले जायेगा ।

फिर सोनल ने हमे पानी दिया और नाना आराम करने के लिये गेस्टरूम मे गये और मै भी मा के पास निकल गया ।
दुकान पहुच कर देखा तो मा ब्यस्त थी । मैने भी उनकी मदद की और फिर हम खाली हुए ।
मैने मा को आज के अनुभव के बारे मे बताया और ये भी कि नाना ने कल रात वाली बात कबूल ली ।

मा हस कर - तू बड़ा जिगरी हो रहा है बाऊजी का ,,तुझसे कुछ नही छिपा रहे है कुछ


मै हस कर - अब उनकी दुलारी बेटी का दुलारा बेटा हू तो हिहिहिही,, वैसे आपने बताया नही सुबह वाला

मा शर्मा कर - धत्त , पागल बता दूँगी जल्दी है क्या
मै - हा, तभी ना आगे का प्लान बनेगा
मा शर्मायी और बोली - मैने तो वही किया जैसा तू बोला था ,,

मै - हा देखा मैने आपके कपड़े ठीक थे लेकिन और क्या हुआ कैसे हुआ ये तो बताओ

मा हस कर - वो जब बाऊजी आये तो कपडे धुल रही थी बाथरूम के दरवाजे पर बैठ कर

बाऊजी पीछे से - अभी तू नहायी नही क्या बेटी

मै बाऊजी की आवाज सुन कर चौकी और थोडा शरम आई और फटाक से उन्के सामने खड़ी हो गयी । उनकी नजरे मेरे पेतिकोट मे कसे हुए चुचो पर थी और फिर निचे खुली जांघो पर

रागिनी - हा बाऊजी ये कपडे धुलने थे और निचे पानी नही आ रहा था

बाऊजी मुह इधर उधर फेर रहे थे लेकिन नजर उनकी मेरे कड़े हुए निप्प्ल पर थी ।
बाऊजी - हा राज ने बताया मुझे ,,वो दरअसल मुझे अपने काम के लिए निकलना था तो सोचा नहा लू

रागिनी हस कर - अरे तो आईये नहा लिजिए ना बाऊजी
बाऊजी - हा लेकिन तू ऐसे कब तक
रागिनी शर्मा कर - अब छोडिए वो सब आप आईये
फिर बाऊजी ने अपने कपडे निकाल के जान्घिये मे बाथरूम मे आए और मैने सारे कपडे समेट कर वही खड़ी हो गयी ।
बाऊजी ने पानी डाल कर नहाना शुरू किया और जांघिया भीगा तो उनका वो साफ साफ पता चल रहा था
बाऊजी नहाते समय थोडा झिझक कर रहे थे ,,, मतलब जन्घिये मे हाथ डालने मे और जब पीठ पर साबुन लगाने मे दिक्कत हुई तो

रागिनी - रुकिये बाऊजी ,,मुझे दिजिए साबुन
मैने उनसे साबुन लिया और उनकी पीठ और गरदन कमर तक अच्छे से साफ किया और फिर पानी से धुला भी ।

रागिनी ह्स कर - बाऊजी गर्मी का मौसम है अच्छे से सब जगह साबुन लगा लिजीये

बाऊजी थोडा मुस्कुराए और वही मेरी तरफ पीठ कर जान्घिये मे हाथ डाल कर अच्छे से साबुन लगाया और फिर नहा लिये ।

फिर जब जांघिया बदलने की बारी आई तो मैने उन्हे तौलिया दिया ,,,और मेरी नजर उनके खडे लण्ड पर गयी । उन्होंने ने भी मुझे देखा की मेरी नजर कहा है ।

फिर वो वही खडे हुए अपनी जांघिया को तौलिये की ओट मे निचे सरका दिये और तौलिया लपेट कर जान्घिया धुलने को हुए

रागिनी - अरे बाऊजी रहने दीजिये ,मै सब धुल दूँगी
बाऊजी - नही बेटा तू नही
रागिनी लपक उनके हाथ से जांघिया लेने गयी
वो अपनी ओर खिचे और इसी खीचा तानी मे मेरा हाथ उनके तौलिये को लगा और वो खुल कर निचे आगया और उनका काला मुसल कड़ा और झूलता हुआ मेरे सामने और सख्त हुआ जा रहा था ।

मै तुरन्त खड़ी हुई और मुह फेर ली - माफ करना बाऊजी

बाऊजी बिना कुछ बोले तौलिया लपेट लिये और हस कर बोले - तू अभी भी बचपन के जैसे ही जिद्दी है ,, ले पकड

मुझे शर्म आ रही थी और मै घूम कर बोली - जिद तो आप भी कर रहे थे बाऊजी

मैने उनके हाथ से जांघिया लिया और बालटी मे डालने जा रही थी कि
बाऊजी - अरे नही उसको उसमे मत डाल,,वो कुछ दाग

मैने फटाक से जांघिये को फैलाया तो एक तरफ थोडे वीर्य से धब्बे थे
बाऊजी - इसिलिए मै मना कर रहा था

रागिनी शर्मा कर - ठीक है मै इसको अलग धुल दूँगी

मै - फिर आगे
मा - फिर क्या उसके बाद वो बाहर चले गये और फिर कुछ ही देर मे तू आ गया था
मै - हम्म्म
मै थोडी देर मा से उसी बाथरूम के सीन को लेके कुछ बातें दुहरवाई और फिर आगे का प्लान उन्हे बताया ,,, क्योकि कल के वादे के मुताबिक आज रात मे गीता और बबिता , अनुज के साथ सोने वाली थी ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,337
14,574
188
UPDATE 99


शाम को मैने मा को आगे की प्लानिंग बताई और वो 5 बजे तक घर चली गई ।
थोडी देर बाद अनुज , गीता बबिता के साथ दुकान पर आया । वो तीनो काफी खुश थे और उन्होने काफी घुमा खाया पिया । फिर अनुज उनको लेके चौराहे वाले घर चला गया ।

शाम को दुकान बंद करने के समय अचानक से चंदू आया

मै - अबे साले कहा था तू इतने दिन से
चंदू - भाई वो दीदी को लेने गया था , अभी थोडी देर पहले आया हू
मै - अच्छा किया चला आया ,, भाई दीदी की सगाई को लेके काफी काम है अगले हफ्ते से
चंदू - अरे हा मम्मी ने बताया आज
चंदू एक कातिल मुस्कान के साथ- वैसे मैने तेरा इन्तेजाम कर दिया है

मै उत्सुकता से - कैसा इन्तेजाम बे
चंदू मेरे पास आकर धीमी आवाज में - साले भूल गया , वादा किया था तुझसे कि दीदी के आने के बाद सबसे तुझे ही दिलाउंगा

मै तो पुरा जोश से भर गया - सच मे , लेकिन कैसे मनाया तुने

चंदू - वो सब छोड , तू तैयार रहना कल
मै हड़बड़ी से - कल !! नही नही भाई मुझे इस समय बहुत काम है और ये मेरा पहली बार तो

मै - ऐसा करते हैं कि दिदी की सगाई के बाद का प्रोग्राम रखते हैं
चंदू - मतलब तब तक मुझे उसको चोदे बिना रहना पडेगा , भाई तेरे लिए मैने आज मौका मिलने के बाद भी नही पेला उसे

मै हस कर - अबे तेरी जैसी मर्जी ,,, मैने थोडी न कहा कि तू मत करना , तुने ही खुद से बोला था ।

चंदू राहत की सास लेते हुए - थैंक्स ब्रो , और मेरे लिए कोई काम होगा तो बताना

मै कुछ सोचकर - अभी तो नही , हा 3 4 दिन बाद पड़ेगी तब बताता हू

फिर हमने ऐसे ही कुछ बाते ही और वो अपने घर निकल गया और मै अपने चौराहे वाले घर
रास्ते मे जाते वक़्त मैने आगे के प्लान के लिए कुछ खरीदारी की और पहुच गया चौराहे पर ।

अभी पापा नही आये थे और नाना जी गेस्ट रूम ने अपनी दोपहर की थकान मिटा रहे थे ।

दीदी और मा किचन मे लगी थी ।
मैने उनसे गीता बबिता के बारे मे पुछा तो सोनल ने बताया कि वो आज दोनो दोपहर से ही अनुज के साथ है और उसी के मोबाईल पर मूवी देख रही है ।

मैने मा को आवाज दी और उन्हे धीरे से वो समान दे दिया , मा ने चुपके से सोनल से बचकर इशारे मे पुछा,,, कोई दिक्कत तो नही होगी ना इससे

मै - नही मा बहुत हल्का और धीरे धीरे असर वाला है ,
मा शर्माई और मै भी फ्रेश होकर नाना को जगाने चला गया ।

थोडी देर बाद मै और नाना हाल मे बैठे रहे ,,, इस दौरान अभी भी नाना की नजर मा के साड़ी मे उभरे हुए कूल्हो पर जमी थी ।

थोडी देर बाद मा ने नाना को उनकी शाम की दवा दी और फिये हम दोनो के लिए चाय लाई और पहले मुझे दिया फिर नाना को मुस्कुरा कर दिया ।

मा की मुस्कुराहत पर नाना झेप से गये और उन्हे सुबह हुए बाथरूम की घटना याद आ गई और तुरंत उन्के लिंग ने प्रतिक्रया स्वरूप ठुमक उठा।
हमने चाय पी और फिर हम छत पर टहलने चले गये ।

थोडी देर बाद ही शकुन्तला ताई अपने छत पर आ गयी और कल की तरह ही वो आज भी मैक्सि मे थी ,,,नाना ने कनअखियो से उन्हे ताड़ा जिसका आभास शकुन्तला ताई को था । वो भी कभी नाना पर नजर मार देती थी कि कही अभी भी तो नही घुर रहे थे वो उन्हे ,,, और जब नजर टकराती वो मुस्कुरा देती


मै मुस्कुरा कर - लग रहा है ताई भी आपको पसन्द करती है नाना जी

नाना चौके और हसे - तू बहुत नटखट है रे ,, तेरी नजर हमेशा मुझ पर ही होती है

मै - अब देखना पडेगा ना , कही इस उम्र मे आप बिगड़ ना जाओ हिहिहिही

नाना ठहाका मार के हसे और मेरे कन्धे को थपथपा कर बोले - तू सचमुच मेरे जोडी का है रे ,,,, हाहाहहा

मै - सब आपसे ही सिख रहा हू हिहिहिही

इधर हमारी बाते चल रही थी और यहा मेरे प्लान के मुताबिक नाना पर दवाई का हल्का असर शुरु हो गया था ।

दरअसल मैने शाम को आते वक़त एक मैडिकल स्टोर से कम क्षमता की व्याग्रा की गोली लेली थी और वो मा ने नाना को चाय के ठीक पहले ही उनकी शाम की दवा के तौर पर देदी थी ।

उसी का असर था कि नाना को छत पर ठण्डक माहौल मे बेचैनी होने लगी और उनके लिंग मे कसाव होने लगा ।
वो अपनी काम वासना पर काबू कर रहे थे जिसके प्रभाव स्वरुप उन्हे हल्के पसीने हो रहे थे ।
नाना ने बैचैन होकर नहाने की बात कही तो हम निचे आ गये ।

हाल मे
नाना - बेटा जरा मेरे कपडे निकाल दे ,,बहुत गर्मी हो रही है ।

मा ने एक नजर मुझे देखा और मैने एक स्माइल पास की ।

मा - आप नहायीये बाऊ जी मै कपडे लेके आती हू ।
नाना भी गर्मी से परेशान थे और वो फटाफट नहाने के लिए गेस्टरूम मे गये ।

उधर दीदी खाना बनाने मे व्यस्त थी और मा मुझे लेके कमरे मे आई
मा - बेटा उससे कोई दिक्कत नही होगा ना बाऊजी को
मै मा के गाल चूम कर - नही मा कोई दिक्कत नही होगी वैसे भी वो बहुत हल्की डोज़ वाली है । अभी धीरे धीरे उसका असर बढ़ेगा ।

फिर मा ने नाना के अंडर के कपडे और तौलिया लेके गेस्टरूम मे गयी और उन्हे देके वापस आई ।

इधर खाना बन गया और नहाने के बाद थोडी देर के लिए नाना जी को राहत मिल गयी ।
थोडी देर बाद हम सब ने खाना खाया ,,,,खाने के दौरान पापा की अनुपस्थिति पर नाना ने सवाल किया तो मा और मै एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये ।
फिर अनुज ने भी वही सवाल दुहराया कि पापा क्यू नही आये ।

मा नाना से मुखातिब होकर - बाऊजी वो इसके पापा आज वही दुकान पर ही रुकेंगे ,,,ट्रांसपोर्ट से सामान आने वाला है आज

मा के सवाल से घर के बाकी सदस्य संतुष्ट हुए क्योकि अक्सर होता रहता था । कभी कभी जब शादियो या त्योहारो का सीजन आता था तो नये बर्तन का स्टोक देर रात तक डिलेवर होता था ।

खैर ये सब बाते तो कहानी के बाकी किरदारो के जानने के लिए थी ,,,मगर राज के पापा के गायब होने असल कारण राज की योजना ही थी ,,,आज रात किसी भी तरह राज अपनी मा और नाना का मिलन करवाना चाहता था मगर उसके पापा के रहते ये सम्भव नही था इसिलिए उसने विमला को इस प्लान मे शामिल करने का फैसला किया ।

दरअसल शाम को जब राज अपनी मा के साथ आगे की योजना बनाई और फिर उसकी मा के जाने के बाद उसने विमला के पास फोन किया ।

फोन पर
राज - नमस्ते मौसी कैसी हो
विमला - खुश हू बेटा,,,कहो कैसे याद किया आज हा
राज विमला को छेड़ते हुए - अपनी सेक्सी मौसी को आखिर क्यू याद कर सकता हू मै हा

विमला शर्मायी - इतनी याद आ रही है तो आजाओ ना
मै ह्स कर - आना तो मुझे नही आपको पडेगा

विमला उलझन से - मतलब मै समझी नही
राज ह्स कर - मौसी आपको मेरा एक काम करना है
विमला खुशी से - हा बोल ना बेटा क्या बात है
राज - अब तुमसे कुछ छिपा तो है नही कि तुमसे कुछ छिपाऊ ,,,,बस इतना जान लो मनोज वाली प्रोब्लम हो गयी है मेरी
विमला पहले उलझी फिर कुछ सोच कर हस पड़ी - ओह्ह आखिर मेरा शक सही निकला ,,,तू भी पागल है अपनी मा को पाने के लिए,,, लेकिन इसमे मै तेरी क्या मदद कर सकती हू

राज ह्स कर - अरे मौसी , आपको बस अगले दो रातो के लिए पापा को सम्भालना है ,,,चुकी इस समय घर पर नाना आये हैं तो मम्मी पापा का कुछ हो नही पा रहा है और मैने भी कुछ सोचा है अपने लिये जो पापा के ना रहने पर ही हो पायेगा हिहिहिही

विमला ह्स कर - बदमाश कही का ,,,तू बहुत चालू है
मै हस कर - फिर अपने इस लाड़ले की मदद करोगी ना

विमला इतरा कर - लेकिन उसके अगली रात मे तुझे आना पडेगा ,,बोल मंजूर
मै हस कर - हा क्यू नही

फोन कट जाता है

तो घुमा फिरा कर बात ये थी कि राज ने विमला को झूठ बोल कर अपने प्लान मे मिला लिया और अगले दो रातो के लिए अपने पापा को व्यस्त कर दिया था ।

वापस कहानि पर

खाने के बाद सोनल उपर चली गयी ,, गीता बबिता भी अपने वादे के मुताबिक अनुज के साथ चली गयी सोने ।

मैने पहल कर नाना को अपने कमरे मे सोने को कहा और फिर मा अपने कमरे मे चली गयी ।
कमरे मे जाने के बाद नाना ने अपने कपडे निकाल दिये क्योकि उन्हे दवा के असर से गर्मी बहुत लग रही थी ।।
मै भी आज सिर्फ अंडरवियर मे रहा ताकि नाना जी कोई शक ना हो और यही जताया कि गरमी ज्यादा है।

मगर व्याग्रा का असर धीरे धीरे उनके लिंग पर वापस होने लगा था और थोडी देर मे दरवाजे पर दस्तक हुई

मा - राज बेटा दरवाजा खोल तो

मै - खुला है मा , आजाओ

मै और नाना अधनंगे बिस्तर पर लेते थे और मा पानी और नाना का दवा लेके आई ।
मा इस समय सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट मे थी और बिना ब्रा के हल्के अंगूरी रंग के सूती ब्लाउज मे उसकी चुचियो के काले निप्प्ल साफ दिख रहे थे ,,, कूल्हो के पास एक तरह मा ने जहा पेतिकोट का नाड़ा बाँधा था वो गैप से उनकी हल्की सावली जांघ साफ दिख रही थी ।
इस कामुक नजारे का प्रभाव मुझसे ज्यादा नाना पर हो रहा था और मा की डीप गले के ब्लाउज मे उभरी चुचियॉ की घाटी देख कर नाना का लण्ड तन गया था । मानो जान्घिये को फाड देगा और इस नजारे का असर मुझ पर हुआ मै आने वाले कामुक भविश्य के बारे मे सोच कर उत्तेजित मह्सुस करने लगा था ।

मा ने नाना की दवाई दी और मुस्कुरा कर चली गयी ।
जाते वक़्त मा ने अपने कूल्हो कुछ कामुक तरीके से ऐसे बल्खाया की हम दोनो के लण्ड ने झटके मार दिये ।

मा के जाते ही नाना और मै एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये और उनहोंने थोड़ी शर्म मह्सुस की ।

मैने उन्हे उनके खडे लन्द पर तकाया
वो हसे और उसे दबाते हुए बोले - ये तो मर्दो की निशानी है बेटा

मै ह्स कर - हा मगर ये निशानी किसकी याद मे उपर हो रही है हिहिहिही

नाना ह्स कर - अरे रात का समय है तो इसकी बेला हो चली है तो ये अपनी मनमानी करेगा ही ,,,चल बत्ती बुझा दे और सो जा

मै भी हस्ते हुए बत्ती बुझा दी ।
करीब आधे घन्टे बाद दवा ने पुरा असर दिखाना शुरु कर दिया ,,, जिसका परिणाम ये हुआ कि नाना को अपने लिंग मे बहुत सख्ती मह्सूस हुई और दर्द भी होने लगा । छ्टपटाहट मे वो करवत बदलने लगे और लण्ड को सभी दिशा मे घुमा कर दबा कर शांत करने लगे ,,मगर उनको शान्ति नही मिल रही थी ।

उनकी खड़बड़ाहत और कराह से मै मुस्कुरा कर उठा और फटाक से बत्ती जला दी

देखा नाना जी पंखे के निचे भी पसीना पसीना हुए है और अपने दोनो हाथ से अपना लंड जांघो मे दबा रहे

मै चिन्ता जताते हुए - नाना जी आप ठीक तो हो

नाना कसमसा कर - आह्ह बेटा हा ठीक हू
मै - नही मुझे आपकी तबियत ठीक नही लग रही है देखिये कितना पसीना हो रहा है,, रुकिये मै मा को बुला के लाता हू

नाना चौके - नही नही बेटा, मै ठीक हू ,,,छोटकी को परेशान न कर

मै जिद दिखा कर - नही नही आप रुको मै मा को लिवा के आता हू

फिर मै फटाक से उठा और दरवाजा खोल कर सिधा मा के कमरे मे गया जो अपने दरवाजे पर ही खड़ी सब सुन रही थी ।

मा इशारे से क्या हुआ पूछी तो मै उन्के कान के पास जाकर - दवा का असर हो गया अब हमारे ड्रामे की जरुरत है

मै और मा मुस्कुराये और फटाक से मेरे कमरे मे आ गये ।
जहा नाना उठा कर बैठ गये थे और अपनी धोती को फैला कर अपने जाघिये को धक लिया था और बाकी हिस्से से अपना पसीना पोछ रहे थे ।

मा हड़बड़ी और चिन्ता दिखा नाना के बगल मे खड़ी होकर -क्या हुआ बाऊजी , आपको इतनी गर्मी क्यू हो रही है ।

नाना - नही बेटी कोई दिक्कत नही है ,, आज गर्मी ज्यादा है बस

मा - नही बाऊजी ,, आज इत्नी भी गर्मी नही है , जितना आपको हो रहा है ।

मा बात करते हुए बहुत हिल रही थी जिससे उसकी चुची हिल्कोरे ले रही थी और नाना की नजारे मा की घाटी का दिदार कर और गरमा रहे थे ।

मा हड़बड़ा कर - राज तू रज्जो मौसी को फोन कर , उनहे पता होगा ,,बाऊजी नही बतायेंगे

मै भी चिंता दिखाते हुए जल्दी से रज्जो मौसी को फोन लगा दिया और मा को दे दिया

फ़ोन पर
रज्जो - हा राज बोलो बेटा
मा - मै बोल रही हू जीजी ,,वो बाऊजी को पता नही क्यू बहुत गरमी हो रही है
रज्जो - तुने दवा दी ना समय से उनको
मा - हा जीजी ,
रज्जो कुछ सोच कर - अच्छा तुझे कुछ अन्दाजा है कि बाऊजी ने सेक्स कितने दिन पहले किया था
मा मुस्कुराई और फिर बोली - क्या जीजी मै ये कैसे जानूंगि ,,

रज्जो - अच्छा तू बाऊजी को फोन दे
मा ने शर्माकर नाना को फोन दिया

नाना - हा बेटी बोल
रज्जो - बाऊजी आपको वो सब किये कितने दिन हुए

चुकि नाना जी जानते थे कि अभी अभी ये सवाल रज्जो मौसी ने मा को किया था और वो नही चाहते थे कि मा ऊनके बारे मे कुछ गलत सोचे इसिलिए वो झूठ बोले ।

नाना - अब यही कोई 5 6 दिन
रज्जो - तभी आपको दिक्कत हुई है शायद , आप रागिनी को फोन दीजिये

फिर नाना ने मा को फोन दिया मा ने मुस्कुरा कर लिया - हा जीजी
रज्जो - वो दरअसल बाऊजी ने 5 6 दिनो से सेक्स नही किया है इसिलिए उनको ये दिक्कत हो रही है, जब ऐसा होता है तो डॉक्टर ने बोला था कि थोडा बर्फ से उनके वहा वाले जगह की सेकाई करने को उससे उनको आराम मिल जायेगा ।

मा मुस्कुरा कर थोडी नाना के सामने शर्मा कर - जी ठीक है दिदी
फिर फोन कट जाता है

मै जो कि सारी बाते जानता था और सब कुछ मेरे प्लान के मुताबिक ही हो रहा था । मुझे और मा को पहले से डॉक्टर वाली सलाह का आइडिया था तभी मैने ये व्याग्रा वाला प्लान बनाया था । क्योकि हमे पता था कि नाना को कोई भी दिक्कत होगी उसमे सिर्फ सेक्स का ही रोल होगा और उसी से जुड़े सवाल होंगे । और मेरे अनुसार मेरा प्लान कार्यरत था ।

फिर भी नाना के सामने उत्सुकता से मा से बोला - क्या बात हुई मा ,,क्या कहा रज्जो मौसी ने

मा शर्मा कर पहले नाना को देखा और फिर बोली - कुछ नही तू सो जा , और बाऊजी आईये आप मेरे कमरे मे चलिये ,,वहा इसके पापा ने कुलर लगवाया है ।

नाना - नही बेटी मै ठीक हू
मा ने इस बार जिद दिखाई और उन्हे पकड कर उठाने लगी तो हस कर मा के साथ उन्के कमरे मे गये ।
मै अपने कमरे खुशी से और उत्तेजित होने लगा कि आगे क्या क्या होना है ।
मै उठा और एक जोर की अंगड़ाई ली और फनफनाते लण्ड के सिरे को दबा कर उसे समझाया कि अभी और मौका मिलेगा उपर उठने का ।

मै दबे पाव कमरे के बाहर झानका तो मा अपने कमरे से बाहर किचन की ओर जाती दिखी

मै फटाक से किचन मे गया
मै मा को पीछे से पकड कर उनकी चुचिया मिज दी और पुरा अच्छे से मसल दिया । जिसका असर हुआ कि मा मादक हो उठी और उन्के निप्प्ल कड़े हो गये ।

मा - ओह्ह बेटा बस कर हट ना
मै मा के गाल चूम कर - मा दरवाजा खुला रखना
मा फ्रिज से बर्फ निकाल कर एक सेकाई वाली पैकेट मे रखने लगी और हा मे इशारा कर शर्मायी ।

मै भी एक बर्फ से टुकड़े को लेके मा को सामने किया और उनके कड़े निप्प्ल पे बर्फ़ के टुकड़े की स्पर्श कराया जिससे मा सिहर सी गयी । और मैने बारी बारी दोनो निप्प्ल को बर्फ से गिला कर दिया जिससे ब्लाउज गिला होकर पूरी तरह से उस हिस्से पर निप्प्ल पर चिपक गया और उस सूती ब्लाउज मे अब उनका निप्प्ल पुरा क्लियर दिख रहा था ।
फिर मैने ब्लाउज के बाकी हिस्सो पर ही बर्फ मल कर थोडा पेतिकोट पर गिरा कर उसे गिला किया ।

फिर मा शर्मा कर वो सेकायि का पैकेट बंद किया और उसे लेके इतराते हुए अपने कमरे मे गयी और हल्का सा दरवाजा भिड़का दिया ताकि मै अन्दर झाँक सकू ।

अन्दर कमरे मे नाना बिस्तर पर टेक लगाये अभी भी धोती को उसी तरह जांघिये पर ढके बैठे थे । मा को हाथ मे सेकाई का थैला लेकर आते देख बोले

नाना - अरे बेटा ये किस लिये और ये कैसे भीग गयी
उनकी नजर मा के भिगे निप्प्ल पर थी जो पूरी तरह से दिख रही थी
नाना की नजर भाप कर मा शर्मा कर बोली - वो फ्रिज से बर्फ निकालते समय भीग गयी मै


नाना ने थुक गटक कर फैली हुई आंखो से मा के निप्प्ल निहारे जा रहे थे ।
मा शर्मा कर - बाऊजी आप अपना जांघिया निकाल लिजिए ताकि मै सेकाई कर दू

नाना हडबडी मे - क क क्या ,,,मतलब
मा शर्मा कर नजरे फेरे हुए - वो जीजी ने बताया था फोन पर की सेकाई से आपको आराम मिल जायेगा तो आप

नाना थोडा झेपे और फिर मा दुसरी तरह मुह कर ली।

नाना थोडा सोचे और फिर सुबह बाथरूम मे हुए हादसे को ध्यान मे रख कर मा के पीछे खडे हो गये और अपनी जांघिया निकाल दी और उनका फन्फ्नाता काला लंड मा के ठीक पीछे पुरा अकड़ कर खड़ा था ।
फिर वापस बैठ गये और धोती को उपर से ले लिये ।
हल्की धोती मे उनके मोटे काले नाग ने अपना टेन्ट बना लिया और नाना थोडा गला खरास कर मा को चेताया कि वो अब सेकाई के लिए तैयार है ।

इधर मा के दिल की धड़कन तेज थी वो थोडी डरी हुई भी थी लेकिन काफी उत्तेजित भी ।
इस समय उन्होंने वो सेकाई वाला पैकेट अपने सामने पकड़ा हुआ था जिससे वो सामने उनकी पेतिकोट चिपका हुआ था ,,,और परिणाम स्वरूप मा के सामने वाला हिस्सा धीरे धीरे भीगने लगा था ।
नाना के संकेत पर वो पलटी और नाना की नजर सीधा मा के चुत वाले हिस्से पर गयी जहा सामने का पेतिकोट भीग गया था ।
मा ने नाना की नजर का पीछा किया तो वो शर्मा गयी ।
मा झेप कर - वो इस पैकेट से भीग गया है लगता है

फिर नाना भी मा से नजर मिलते ही मुस्कुराये और सामने देखने लगे ।

जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,337
14,574
188
UPDATE 100
MEGA

नाना बिस्तर के किनारे टेक लगाये पैर खोल कर बैठे थे ।
उनका खड़ा लण्ड धोती के निचे सांस ले रहा था ।

मा मुस्कुरा कर थोडा शर्मा कर खुद के भाव को स्थिर रखने की कोसिस करते हुए नाना के बगल मे आ गयी ।
फिर उसने बाये हाथ से धोती उठाकर बिना निचे देखे दुसरे हाथ से वो ठण्डा सेकाई का पैकेट नाना के लण्ड के उपर रख दिया ,,, ठन्दक आ एहसास होते ही नाना की चिहुक उठे और मा थोडी मुह मे ही खिलखिलाई

मा मुह फेरे हुए दीवाल को देखते हुए अंदाजे से नाना के लण्ड पर सेकाई वाला पैकेट दबा रही थी
मा मुस्कुरा कर - आराम से बैठे रहिये बाऊजी नही तो ,,,,

नाना हस कर गुदगुदी मह्सूस करते हुए - हाह्हहहा बेटी वो गुदगुदी सी हो रही है वहा

अन्दर कमरे का हाल देख कर मुझे भी हसी छूट रही थी

मा - अभी थोडी देर मे सब सामान्य हो जायेगा बाऊजी

फिर मा ने धोती के अन्दर से उस पैकेट को नाना के लण्ड के निचले हिससे पर ले आई ।
गर्म आड़ो पर बर्फ सी गुदगुदाती ठन्डक पाते ही नाना जी उछल पड़े और मा के हाथ से वो पैकेट छितक गया ।

मा नाना के लण्ड की ओर देखते हुए - अरररे बाऊजी आराम से ,,,वो पैकेट गिर गया

फिर मा ने अपना हाथ निचे ले जाकर नाना जी जांघ के निचे अंदाजे से टटोला या जानबुझ कर लेकिन नाना जी के आड़ उनके हाथ मे आ गये ।

नाना - अह्ह्ह बेटी वो नही है मा ने तुंरत हाथ बाहर खिच लिया और शर्मा कर - सॉरी बाऊजी
फिर नाना ने धोती ह्टाई और पैकेट को उठा कर अपने लण्ड के उपर रख दिया ।

मा ने कनअखियो से नाना के लण्ड को देखा और एक नजर नाना की नजर मे देखा जो इस समय मा के गीले निप्प्ल को निहार रहे थे और वही वो पैकेट नाना के लण्ड पर पडा झूल रहा था ।
मा थोडी मुस्कुराई और वापस से उस पैकेट को पकड कर लण्ड के निचे ले गयी और फिर से आड़ो पर लगाया ,,,
पैकेट को दबा कर अच्चे से उसकी सेकाई करने लगी ।

मगर मा के हाथो से पैकेट से ही सही लेकिन अपना लण्ड मथे जाने पर नाना जी को बहुत मजा आ रहा था वो आंखे बंद कर हल्के हल्के मादक होने लगे ।

नाना को आंख बन्द किया देख मा ने धीरे से उनके लण्ड को पकड कर सीधा किया और लण्ड के निचली नस पर वो पैकेट टिका दिया ।
इधर मा के हाथो का स्पर्श पाकर नाना की आन्खे खुली और देखा कि मा उनके सुपाडे वाले हिस्से को अपनी अंगूठे और तर्जनी से पकडे सेकाई कर रही है

वो और उत्तेजित हो गये और उनकी नजर मा के ब्लाउज मे उस निप्प्ल पर जाने लगी जो अब धीरे धीरे सुखने लगा था लेकिन निप्प्ल का कड़ापन अब भी था ।

नाना जी ने एक नजर मा के पेतिकोट मे उभरे हुए कूल्हो पर डाली जिससे उनका लण्ड ने झटका दिया और वो मा के उंगलियो की पकड से छिटक गया ।
मा अपने ऊँगलीयो से लण्ड छिटक जाने पर चिहुकी - अरे हिहिहिही

नाना मुस्कुराये और मा भी थोडी शर्म से मुस्कुरा कर वापस से लण्ड को इस बार मुठ्ठि मे पकड ली और दोनो की धडकनें तेज हो गयी ।

इस बार मा के लण्ड को उपर अच्छे से पकड कर उन्के आड़ो को अच्छे से दबाया और नाना सिस्क उठे ।

सेकाई का असर कुछ खास नही हो रहा था ,,,उपर से नाना जी के लण्ड के कसाव बढता ही जा रहा था ,,बार बार आड़ो के मसले जाने से और मा के हाथो का स्पर्श अपने लण्ड पर पाकर नाना जी बहुत उत्तेजित हो गये थे ।

इतना खुलने के बाद भी नाना जी के मन मे अभी भी संकोच था कि कही वो आगे बढ़े तो मा कुछ गलत प्रतिक्रिया ना दे ,,,मगर इस समय वो हवस से घिरे थे और मा के जिस्म की महक उनको और भी मादक कर रही थी ।

तभी मा ने कुछ ऐसा किया कि नाना को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी ।
मा ने नाना के बगल मे उनकी ओर पीठ कर बैठ गयी

मा - खडे खडे पैर दर्द करने लगा था
हालाँकि मा बहुत थोडे ही जगह पर बैठी उसके भारी चुतडो का एक हिस्सा अभी भी बिस्तर से लटका था और नाना को मानो इसी मौके की तालाश थी ।

वो लपक कर मा के दुसरे तरह हाथ डाल कर कूल्हो को पकड़ अपनी तरफ खिचते हुए खुद थोडा बिसतर पर खिसक गये

नाना - आजाओ बेटी आराम से बैठ जाओ
मा सिहर सी गयी उसके बदन मे बिजली सी कौंध गयी और वो शर्मा कर वापस से सेकाई करने लगी ।
लेकिन नाना का हाथ अभी भी वही मा के कुल्हे पर था ।


यहा मेरा लण्ड फटने को आ गया था ।
थोडी देर सेकाई के बाद मा बोली - बाऊजी लग रहा है इसकी ठंडई कम हो गयी है
और उसने वो पैकेट लण्ड से उठा कर अपने गाल पर लगाया और चेक किया

नाना जी ने सिहर गये और धीरे धीरे मा के कुल्हे सहलाने का कार्य जारी रखा

मा उठने को हुई तो वापस मा के कुल्हे दबा कर उनहे मानो रोक रहे हो
मा को इसका आभास होते ही बोली - बाऊजी मै बर्फ बदल कर लाती हू
और फिर खड़ी हो गयी ।

नाना - नही बेटा रहने दे उससे फायदा नही होगा ,,,मै जानता हू क्या करना है

मा - क्या बाऊजी
नाना मुस्कुरा कर - अब क्या बताऊ बेटा,,,तू बस कटोरी मे सरसो का तेल लेते आ

मा शर्मा गयी - लेकिन बाऊजी उससे आपको फिर थकान,,,,
नाना मा की बात काटते हुए - नही मुझे कोई दिक्कत नही होगी तू लेके आ बस

मा ने हा मे सर हिलाया और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर गयी ।
बाहर आते ही मैने लपक कर मा को हाल मे रोक लिया और उनका हाथ अपने लण्ड पर जमा कर उन्के होठ चुस लिये ।

मा मुझसे अलग होकर -क्या कर रहा है दरवाजा खुला है
मैने अपने लण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका क्या
मा मुस्कुरा कर धीरे से मेरे गाल चूम कर मेरे लण्ड सहलाते हुए - अभी मै आउन्गी तेरे कमरे मे

फिर मा फौरन किचन मे गयी और वापस से सरसो का तेल एक कचौरी मे लेके अपने कमरे मे आ गयी और वापस उसी तरह दरवाजा भिडका दिया ताकी बारीक दरारो से मै देख सकू

कमरे मे नाना जी वैसे ही बैठे कुछ सोच रहे थे कि मा आ गयी।
मा मुस्कुरा कर - हा बाऊजी
नाना - बस यही रख दे बेटी मै कर लूंगा ,,जा तू भी आराम कर

मा शर्मा कर - जी नही बाऊजी ,,, आपको तकलीफ है और मै आराम कैसे कर लू

मा - लाईये वो धोती दीजिये इसका पानी पोछना पडेगा ।
फिर मा वापस उसी जगह उसी पोजिसन मे नाना के बगल बैठ गयी और धोती से अच्छे से मल मल कर नाना के लण्ड उनके जांघो और आड़ो को साफ किया और फिर वो तेल की कटोरी से हल्का सा तेल लेके नाना के आड़ो मे लगाया और सह्लाया जिससे नाना गनगना गये ।

मा ने वापस से थोडी तेल को उंगलियो मे चपेड़ा लण्ड कर लगायी इस बार कुछ बुन्दे बेडशिट पर गिर गयी ।
नाना - अरे बेटी रहने दे ,, बिस्तर खराब हो जायेगा

मा - कोई बात नही बाऊजी मै बदल दूँगी
नाना - नही बेटा कितना परेशान होगी तू

मा कुछ ध्यान आया और उन्होने सोचा क्यू ना दीदी यानी रज्जो मौसी वाला आइडिया यूज़ किया जाय

मा - अच्छा ठीक है फिर आप पैर लटका के बैठ जाईये बेड पर मै निचे बैठकर कर देती हू

नाना जी मा की जिद पर मुस्कुराये और मा खड़ी हो गयी ।
नाना जी भी खसक कर बेड के बिच से एक तरफ पैर लटका कर बैठ गये और मा भी उन्के सामने ठीक एक अपना सृंगार टेबल का स्टूल लेके बैठ गयी ।

इस समय नाना जी का लण्ड मा के ठीक सामने था और मा ने अच्छे से तेल चभोड़ कर नाना के लिंग की मालिश करनी शुरु की और तेल से पूरी तरह लिंग को च्भोड़ दिया और इधर नाना जी आंखे बंद किए आहे भर रहे थे । जब कभी आंखे खुलती तो मा की हिलती चुचिया नजर आई और वो चरम पर जाने लगे ।
उन्के आड़ो से वीर्य उन्के सुपाडे मे भर गया था ।
मा को भी इसका आभास था क्योकि उन्के हथेलियों मे लण्ड कसने लगा था और तभी अचानाक से नाना जी का फब्बारा फुट पडा ।
मा और नाना एक साथ चिहुके , दोनो के मुह से एक समान रूप से सम्बोधन हुआ
मा - अरे बाऊजी , नाना - अरे बेटी

तब तक देरी हो चुकी थी
नाना जी का माल मा के जिस्मो पर फैल चुका था ,, उन्के चुचो , पेट और कुछ एक दो छीटे गालो पर

नाना ने फौरन मा का हाथ हटा कर लण्ड का मुहाना पकड लिया - ओह्ह्ह माफ करना बेटी ,,,मुझे पता ही नही चला ,,, लेकिन अभी भी उनका लण्ड झटके खा कर उन्के हथेली मे ही वीर्य उगल रहा था

मा अंदर ही अंदर बहुत संतुष्ट थी मगर सामने से थोडा झेपने के भाव मे - कोई नही बात नही बाऊजी मै साफ कर लेती हू जाकर ,,,

नाना जी एक बार फिर से माफी मांगी और मा ने उन्हे तसल्ली दी कोई बडी बात नही है ।

इधर मेरे लण्ड का बुरा हाल था ,,,अन्दर कमरे मे मेरा प्लान फेल होता नजर आ रहा था , क्योकि मेरे प्लान के मुताबिक रज्जो मौसी के जैसे नाना मा से भी पहल करते या उन्हे रिझाते मगर अन्दर सब छिछालेदर हुआ पडा था । अब आगे जो कुछ भी हो सकता था वो संयोग या मा के फैसले पर था । या तो वो कुछ अपने तरफ से करे या फिर साफ सफाई कर मेरे पास सोने आ जाये ।
मै इधर उलझा हुआ था
वही कमरे मे नाना खुद को कोसते हुए बडब्डा रहे थे और जल्दी मे अपने जान्घिये से ही अपने लण्ड का वीर्य और फिर फर्श पर छिटका हुआ माल साफ करने लगे ।

मगर मा भी कम नही थी मेरे मोटीवेशन का और थोडी बहुत जीत से उसे बहुत हिम्मत आई और उनसे बाथरूम मे जाकर अपने ब्लाउज पेतिकोट निकाल कर धुल दिये और नहाने लगी ।

थोडी देर बाद मा की आवाज आई
मा बाथरूम के दरवाजे से ओट लेके - बाऊजी वो सोफे के पास हैंगर पर तौलिया होगा दे देंगे क्या

नाना जी एक नजर मा को देखा और मुह फेर लिया और फिर मा के बताये जगह पर देखा तो वहा तौलिया था ही नही ।

नाना - नही बेटी नही है वहा तौलिया
मा - ओह्ह अच्छा फिर वो मेरे टेबल मे एक चाबी होगी उससे इस आल्मारि से मेरा कोई कपडा निकाल देंगे ।
नाना जी जो ग्लानि मे थे वो फटाफट से धोती को लूंगी सा लपेट कर ,,,ड्रावर मे चाबी खोजी लेकिन मिली नही ,,,
चाभी मिलती कैसे , चाभी तो मा हमेशा बेड के सिरहाने रखा करती थी बिसतर के गद्दे के निचे ।

निराश मुह से नाना - नही मिल रहा है बेटी
मा थोडा संकोच दिखा कर - अच्छा फिर आप वो जांघिया पहन लिजिए और मुझे अपना धोती दे दीजिये

नाना एक पल को चहके पर जल्द ही उनकी खुशी धूमिल हो गयी जब उनकी नजर उनके जान्घिये पर गयी जो फर्श पर वीर्य से चख्टी लतीयायि - सिकुडी हुई पड़ी थी ,,,मगर बेटी को और निराश ना करते हुए वो दरवाजे तक गये और अपनी धोती खोल कर उसे देदी ।

मा ने लपक कर धोती ली और दरवाजा बंद कर दिया
नाना जी वापस निराश होकर बाथरूम की ओर मुह किये बेड पर वैसे ही बैठ गये ।
थोडी ही देर मे दरवाजा खुला और मा नाना जी की पतली धोती लपेटे बाहर आई जिसमे उसके जिस्म से धोती ऐसे चिपकी थी मानो उसे ही पहन कर मा ने उपर से ही नहाया हो ।

धोती की चौड़ाई कम थी इसिलिए मा के आधे चुचे और आधी गाड़ तक की धोती लिपटी थी उपर से निप्प्ल , नाभि और चुत का शेप सब कुछ साफ साफ उभरा हुआ था ।

नाना जी की नजर मा पर पडते ही वो वापस से उत्तेजित हो गये और उनका लण्ड फनफना उठा ।

मा बडी शर्मीन्दगी से नजर झुकाये बाहर आई और फिर नाना के सामने की चल कर बाथरूम के बाहर जस्ट बगल मे लगे ड्रावर को खोलने के झुकी ।
जिससे मा के गाड़ फैल कर और नंगी ,नाना के सामने आ गयी और उनकी गाड़ के भूरे छेद के साथ उनकी चाकलेटी चुत का चीरा भी साफ साफ दिख गया ।

नाना क्या , ऐसे मादक नजारे को देख कर मै मेरे लण्ड ने कुछ बुन्दे निचोड़ दी । मुझे अन्दाजा लग गया कि मा इतने जल्दी हार नही मानने वाली है और हमारा प्लान जरुर पुरा होगा ।

नाना का बुरा हाल हो गया ।
कुछ देर तक वैसे ही झुक कर मा ने नाना को अपना दिदार कराते हुए चाबी खोजती रही लेकिन नही मिली तो खड़ी होकर ,,,नाना को नजरअंदाज करते हुए और चेहरे पर परेशानी का भाव लाकर इधर उधर चाभी खोजने लगी ,,,ताकि नाना को लगे कि सब सामान्य है
और तभी मा की नजर बेड के दुसरी तरफ पड़ी नाना के जन्घिये पर गयी और वो उसे उठा कर नाना के सामने लाते हुए

मा - आपने इसे पहना नही क्या
नाना नजर उठा कर एक बार सामने मा का दिदार किया और बोले - वो बेटी मैने उसी से वो फर्श साफ कर दिया था

मा परेशान होकर- ठीक है कोई बात नही,,,मगर ये चाभी नही मिल रही है ,,,रुकिये मै इसे बाथरूमे डाल के आती ही हू ,

फिर मा अपने चुतड मटकाते हुए बाथरूम में गयी और नाना का जांघिया बालटी मे डाल कर बाहर आई

मा परेशान होकर - लग रहा है मै तौलिया आज उपर से बाथरूम मे ही भूल आई हू ,,,बाऊजी जी आप लेते आयेन्गे क्या ,,तब तक मै चाबी खोजती हू

नाना जी हड़ब्डाये - अब ब ब हा हा ठीक है लेकिन ऐसे कैसे जाऊ
मा - अरे हा ,,,कोई देख लेगा तो ,,वैसे तो सब सोये है लेकिन फिर भी डर है

नाना चिन्ता के भाव मे - फिर बेटी
मा थोडा संकोच कर - मै आपको ये धोती देती हू आप लपेट कर चले जाईये और बाथरूम मे तौलिया और मेरे कुछ कपडे होने आप लेते आईये ,,,

नाना ने थुक गटका और बोले - लेकिन बेटी तू मेरे सामने ,,,

मा को ध्यान आया या उसने नाटक किया ये वो ही जाने
मा - हा लेकिन ऐसे कब तक हम लोग रहेंगे ,,, अभी रात का समय है और सुबह मे दिक्कत ज्यादा हो जायेगी ना

नाना नजरे निचे किये मा के जांघो को निहार रहे थे और उनका लण्ड अभी भी कसा हुआ था ।

नाना - हमम बात तो सही है बेटी
लेकिन

मा तो मानो तय कर चुकी थी आज कयामत ढाने की
उसने फटाक से नाना के तरफ पीठ कर घूम गयी और धोती निकाल कर उनकी तरफ कर दी ।
नाना की नजर मा के खुले तरासे बदन पर जाते ही उन्के मन मे बिजली सी कौंध गयी और उनकी नजर मा की ब्ड़ी गोल गोल गाड़ पर गयी जिसके रोये किसी रोमांच से एक दम तन कर नोक के समान खडे हो गये थे ।
मा तेज सांसे ले रही थी और नाना चित होकर मा के कुल्हे और गाड़ की लकीर का अवलोकन कर अपनी लन्ड़ को थामे हुए थे ।
मा - अब जाईये बाऊजी ,,
नाना चौके - हा हा बेटी
वो फटाक से धोती को लुन्गी के जैसे लपेटा जो की काफी भीग चुकी थी और बिना मा को देखे निकल गये बाहर
मै फटाक से हाल के दीवाल की ओर हो गया और नाना सीधा उपर की ओर सीढी से चले गये ।

नाना के जाते ही मा लपक कर बाहर गलियारे मे आई तो मैने उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया
,,, नहाने के बाद उनका मखमली सा बदन मे ताजगी की खुस्बु थी और ह्मारे होठ जुड़ गये ।।मैने उनके नंगे गाड़ के पाटो को फैलाया जिसपे उन्के खडे रोए का खुरदरापन मेरे स्पर्श से शिथिल होने लगा और मा मेरी बाहो मे पिघलने लगी ।

मै - मा तुमने तो अच्छे से सम्भाल लिया है सब
मा हस कर - आखिर मा किसकी हू
मैने झुक कर एक निप्प्ल को चुबलाया और बोला - तो फिर आगे क्या प्लान है
मा - तू बस देखते जा अपनी मा का जलवा ,,बहुत हो गया तेरा प्लान और चालबाजी हिहिहिही

मै मा को अपने जिस्म से चिपका कर - बाप के बाद इस बेटे का भी ध्यान रखना ,,,भूल ना जाना
मा मुस्कुरा कर मेरे होठ चूम लेती है और तभी उपर से किसी के आने की आहट होती है और मै फटाक से अपने कमरे मे जाता हू और मा अपने कमरे मे दरवाजे का ओट लेके खड़ी हो जाती है ।

तभी सीढियो से नाना के उतरने की आहट आती है और वो कुछ कहते हुए कमरे मे घुस जाते है और मा वैसे ही हल्का दरवाजा भिडका कर कमरे मे नाना के सामने घूम जाती है ।

यहा मै फटाक से अपने कमरे से बाहर आता हू और मा के कमरे मे झाकत हू जहा सिर्फ नाना ही दिख रहे होते है और उनका मुह खुला हुआ रहता है धोती मे लण्ड तना हुआ

कमरे मे मा सीधा नाना के सामने आ गयी थी और उसकी नंगी चुचिया और चुत सब कुछ नाना के सामने था ।

मा को एहसास होते ही वो नाना के हाथ से तौलिया लेके उनकी ओर पीठ कर उसे लपेट लेती है। जो की लगभग नाना की धोती के नाप का ही था ।
बल्कि उससे भी छोटा ,,,लम्बाई कम होने से पुरा नही लिपटा था ।

मा घूमी और नाना से - मेरे कपडे नही लाये क्या बाऊजी
नाना हड़ब्डा कर - हा हा बेटी ये लो ,,,यही था

नाना के हाथ इस समय मा की एक मैरून ब्रा और पैंटी थी ।

मा ह्स कर - ब्स यही था
नाना मा को हस्ता देख बोले - हा यही था

मा - ओहहह फिर ये चाभी भी नही मिल रही है ,, लग रहा है कि यही पहनना पडेगा

नाना कुछ नही बोले और मा की नजर नाना के जांघो मे लिपटी गीली धोती पर गयी ।

मा - ओह्ह ये धोती भी भीग गयी है ,,,ऐसे तो आपको भी दिक्कत होगी

मा कुछ सोच कर
- लाईये वो कपडे दीजिये मै बदल कर आती हू फिर आप ये तौलिया लपेट लिजिएगा

नाना कुछ प्रतिक्रिया देते उससे पहले ही मा ने उन्के हाथ से ब्रा पैंटी लेके बाथरुम मे चली गयी और इस बार 10 मिंट बाद आई ।

मा का नया कातिलाना रूप और भी कामुक था ।
मरून लेस वाली ब्रा मे मा के चुचे कसे और उभरे हुए थे और वही पैंटी पूरी तरह से चुत और गाड़ से चिपकी हुई थी ।

मा का ये रूप देख कर नाना जी के साथ मै भी गनगना गया ।
मा मुस्कुरा कर नाना के सामने आई और शर्मा कर नाना को तौलिया दिया
नाना ने मा के जिस्मो को निहारते हुए अपनी धोती निकाल दी और वापस उनका लण्ड भन्नाकर तन गया ।

मा परेशान होकर - ओह्ह मतलब अभी तक आपको आराम नही मिला

नाना मुस्कुराये और मा के हाथ से तौलिया लेके लपेटते हुए बोले - बेटी छोडो उसे वो मनमौजी है ,,,

मा खिलखिलाई - क्या बाऊजी आप भी ,, तकलीफ मे भी आप मजाक नही भूलते

नाना हस कर - सच मे वो ऐसा ही होता है ,,,तेरी मा तो परेशान हो जाती थी इससे
मा शर्मा कर हसी और बिस्तर पर बैठ गयी ।
फिर नाना जी बैठ गये ।
मा - बाऊजी मैने मेरे कपडे और आपके जान्घिये को धुल दिया है ,,सुबह तक सुख जायेगा ।

आईये लेट जाते है ,,काफी समय हो गया है ।

नाना थोडा संकोच कर - ठीक है बेटी मै सोफे पर
मा - अरे कोई बात नही ,,आप कोई गैर थोडी है ,, भूल गये कैसे बचपन मे मै तो आपके उपर सोती थी ,,,हा अब मोटी हो गयी हू तो शायद आप ना सुला पाओ हिहिहिही

नाना खिलखिलाए - हाहहह तू अभी भी वैसे ही नटख्त है ।

फिर नाना जी और मा बिस्तर पर टेक लगाये बैथ गये ।
नाना - बेटी लाईट बुझा दू अगर तू कहे तो

इधर मेरे पैर दर्द करने लगे थे और लाईट बुझाने का मतलब यहा खड़ा होना बेकार था ।
तभी मा खड़ी हुई और नाना के सामने पैंटी मे गाड मटका चलते हुए मेन बलब बुझा कर नाइट बलब जला दी ।

मन को बहुत तसल्ली हुई और मैने फटफट लपक कर हाल और गलियारे की बलब को बन्द कर दिया और दरवाजा थोडा सा और खोला ताकि अन्दर दिखे ।
मै बगल मे हाल से एक स्टूल टटोल कर लेके आ गया और अपना आसन जमा लिया ।
अंदर कमरे मे दोनो लोग थोडा जगह लेके लेट गये ।
लेकिन अन्दर का नजारा और भी कामुक हो गया था ।
मा का जिस्म और खिल रहा था उस गुलाबी रौशनी मे ।

मा - बाऊजी आपको याद है बचपन मे आप मुझे और जीजी दोनो को एक साथ उठा अपने कन्धे पर बिठा कर घुमाते थे
नाना जी मा की ओर करवट लेके - हा बेटी ,, और तुम दोनो तो अक्सर मेरे उपर ही सो जाती थी ।

मा ह्स कर - हा बाऊजी ,,,कितने अच्छे थे वो दिन
मा भी हमारे साथ थी
नाना एक गहरी आह भर कर - हा बेटी ,,, वो दिन बहुत अच्छे थे ।
मा नाना को देखती है जो कनअखियो से उसे ही निहार रहे होते है और उनका हाथ तौलिये पर से लण्ड को सहला रहा होता है ।

मा - मा की बहुत याद आती है ना बाऊजी
नाना चुप से हो गये
मा उनकी चुप्पी देख कर उन्के करीब आ गयी और बोली - क्या हुआ हुआ बाऊजी

नाना - कुछ नही बेटा,,,तेरी मा तो मेरे सामने ही है वो कही नही गयी ।

मा - मतलब
नाना - तेरी मा बिलकुल तेरे जैसी ही तो थी । रंग रूप , देह और तिल भी
मा हस कर अचरज से - तिल ,,कौन सा तिल बाऊजी
मेरे देह पर कही कोई तिल नही है ।

नाना मुस्कुरा कर - है बेटी वो तुझे नही दिखेगा
मा ह्स कर - क्या बाऊजी आप भी ,,,मैने बचपन से कोई तिल नही देखा अपने देह पर

नाना - बेटा वो तेरे पीछे के हिस्से पर है ना इसिलिए नही दिखा
मा अचरज से - लेकिन कहा
नाना हस के - लग रहा है कि जमाई बाबू ने तुझे सही से देखा नही

मा शर्मायी - ये क्या कह रहे हैं बाऊजी आप
नाना हस कर- तभी तो तुझे पता नही है ,,, वो दरअसल तेरे नितंब पर है वो तिल

मा पूरी तरह झेप सी गयी
नाना को इसका अह्सास होते ही - माफ करना बेटी मैने तो बचपन मे ही देखा था तेरे जन्म से ही ,,,मगर आज फिर से दिख गया तो तेरे मा की याद आ गई

ये बोल कर नाना ने एक गहरी सास ली और सीधा लेट गये
मा थोडा संकोच कर - तो क्या मा को भी वही पर तिल था

नाना मुस्कुरा कर - हा बेटी ,,, और उसे बहुत पसन्द आता था जब मै

ये बोल कर नाना रुक गये
मा बडी जिज्ञासा से - क्या हुआ बाऊ जी बताओ ना और मा के बारे मे

मा के साथ मेरी भी जिज्ञासा बढ गयी ।
नाना एक गहरी सास लेके मुस्कुराये - नही बेटी छोड जाने दे वो सब

मा इतरा कर - आप जान्ते है ना मै कितनी जिद्दी हू तो बतायीये ना

नाना ह्स कर - हा भई जानता हू ,, लेकिन बेटी
मा - बताओ ना बाऊजी मा के बारे मे,, क्या पसन्द था उनको
नाना थोडा संकोच करते हुए - बेटी उसे मेरा उसकी उस तिल पर चुम्बन बहुत पसन्द था

मा शर्मा कर थोडी खिलखिलाई और बोली - और आपको हिहिही

नाना शर्म और मुस्कुराहत से - हा भई मुझे भी ,,,तू तो ऐसे बोल रही है कि मानो जमाई जी तेरे वहा पर कभी चुंबन नही किया हो हाहाहाहा
मा शर्मा कर - क्या बाऊजी आप भी ,,

नाना मा को निहारते हुए - तो क्या सच मे जमाई बाबू ने वहा
मा ने ना मे सर हिला कर मुस्कराई

मै मा के अदा को मान गया,,,जो रोज अपने पति से गाड फड्वाये सोती नही थी वही बोल रही थी कि उसका पति कभी उसके गाड को चूमा नही ।

नाना - तो तुने सच मे वो अद्भूत अह्सास नही किया कभी
मा ना मे सर हिलाया और शर्मा कर बोली - क्या वो सच मे अच्छा अह्सास होता है बाऊजी

नाना तौलिये के उपर से ही लण्ड को सहलाया और थोडा मा के भाव को पढ कर हिम्मत कर बोले - तू कहे तो , मै
मा मुस्कुरा कर - क्यू आपको भी याद आ रही है क्या मा की

नाना एक गहरी सास ली - हा बेटी आज तो बहुत ही ज्यादा ही

मा मुस्कुरा कर - अगर आपकी इच्छा है तो आप कर सकते है बाऊजी

नाना को मा के ऐसे प्रस्ताव की उम्मिद नही थी
नाना - मगर बेटी मै तुम्हे ,,,

मा मुस्कुरा कर बिना कुछ बोले घूम गयी और नाना के सामने उसकी फैली हुइ गाड थी
इधर मेरे मन मे भी कौतूहल मचा था कि आगे क्या होगा
इधर नाना के दिल की धड़कन बढ गयी थी और वो हिम्मत कर उठ कर बैठ गये ।

उन्के बैठते ही मा पेट कर बल हो गयी और उन्के गाड गोल फुटबाल जैसे उभर गये
नाना को मानो मौका मिल गया हो और वो पहल कर बोले

नाना - बेटा वो तुझे ये कच्छी निकाल्नी पड़ेगी
मा ने मुस्कुरा कर हाथ पीछे ले गयी और पैंटी को निचे सरका दी
अब उसके दोनो पाट खुले थे
नाना ने हिम्मत कर हाथ बढ़ाया और मा के दाये गाड़ के पाट पर लकीर से सटे हुए हिस्से एक तिल को सह्लाया

नाना के हाथ का स्पर्श पाकर मा सिहर गयी
वही नाना जी झुक कर अपनी जीभ से एक बार उस तिल पे फिराया और होठो से चूम लिया ।
मा पूरी तरह गनगना गयी और उसके मुह से निकल गया - उम्म्ंम्ं बाऊजी
नाना तो मानो मादकता की परिभाषा से परिचित थे और उन्हे आभास हो गया कि मा को उन्का स्पर्श भा गया और अगर वो आगे बढ़े तो वो उन्हे रोकेगी भी नही
नाना ने मा के कूल्हो को थामा और लकीर के किनारे ही गाड के पाट को मुह मे भर लिया और चूबलाने लगे
मा सिस्क उठी और यहा मेरे लण्ड मे कसाव और बढ गया ।

मा - बस करिये बाऊजी ,, हो गया ना
नाना को ध्यान आया और वो उठ कर लेट गये ।
मा वैसे ही लेती रही ब्स मुह नाना की ओर करके मुस्करा कर बोली - बस यही पसंद था क्या मा को हिहिही

नाना मा को समान्य देख कर बोले - अब बेटी पसंद तो उसे बहुत कुछ था ,,अब वो सब नही ना कर सकती है तू

मा उत्सुकता से नाना के करिब आकर करवट लेके बोली - बताओ ना बाऊजी और क्या क्या पसंद था मा लो
नाना मा के साथ अब खुल चुके थे वो उन्के सामने ही तौलिये के उपर से लण्ड को मसल रहे थे

नाना - बेटी , तेरी मा बहुत ही कामुक औरत थी और उसे मेरे लिंग से बहुत लाड था ,, वो इससे छोटे बच्चे से चूमती खेलती थी

मा हस कर - हिहिहिही , सच मे बाऊजी
नाना - हा बेटी, मुझे बहुत शान्ति मिलती थी जब उसके मुह की ठण्डक से मेरा वो गिला होता था ।

मा शर्माने की अदा से - ओह्ह और बाऊजी
नाना मा को अपने पाले मे आता देख मा के गाल सहला कर बोले - मै आज जब तुझे देख रहा हू तो लग रहा है कि तेरी मा मेरे सामने है और अभी तेरी मा उठ कर मेरे लिंग को लाड करेगी ।

मा शर्मा कर मुह निचे कर ली
और हाथ आगे बढ़ाकर नाना के तौलिये का गांठ खोल दिया और उनका लण्ड फनफना कर सामने आ गया ।

नाना - ये क्या कर रही है तू बेटी
मा उठ कर बैठ गयी और एक हाथ मे नाना जी का लण्ड थाम लिया ।

मा - मै जानती हू बाऊजी आज आपको मा की बहुत याद आ रही है और इसिलिए आपको इतनी तकलिफ हो रही है ।

नाना - बेटी तू ये
मा - मै जानती हू बाऊजी कि मै मा की जगह नही ले सकती हूँ लेकिन एक बेटी होने के नाते आपकी इच्छा का ख्याल तो रख सकती हू ना

नाना - मगर बेटी ये गलत
मा नाना के लण्ड को जड़ से पकडे हुए हल्का हल्का सहला रही थी और बोली - क्या आपका मुझपर कोई हक नही है बाऊजी

नाना - वो बात नही है बेटा
मा - फिर आज ये समझ लिजिए ये मै नही मेरी मा कर रही है

नाना जी एक गहरी सास ली और चुप हो गये
इधर मा हिम्मत कर धीरे से झुकी और नाना के लण्ड के चमडी को निचे खिच कर उसके सुपाडे को मुह मे भर लिया
नाना जी को एक गहरी आनन्द की अनुभूति हुई और सिहर उठे

इधर मा ने लण्ड को गले तक ले जाते हुए नाना के आड़ो को मसल दिया जिस्से वो और मचल उठे
नाना - अह्ह्ह बेटी तू तो सच मे रुपा के जैसे ही उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

मा ने लण्ड चूसना जारी रखा और सुपाडे के छेद पर एक बार जीभ को नुकीला कर चुबोया ,,,नाना गनगना गये
नाना - अह्ह्ह रुपा उम्म्ंमममं

मा नाना को बार बार नानी का नाम लेते देख मुस्कुराई और अब उनकी आंखो मे देखते हुए लंड को गले तक लेने लगी ।
थोडा समय बिट जाने पर नाना ने कुछ हिम्मत करके कहा - बेटी तू जानती है ,,, तेरी मा अंडर के कपडे नही पहनती थी

मा नाना की बात सुन कर रुक गयी और समझ गयी कि अब नाना पूरी तरह से पाले मे है और उन्हे नंगा देखना चाहते हैं

मा बिना कुछ बोले बिस्तर से उतर गयी तो नाना भी उठकर बिस्तर के एक तरफ टेक लेके पैर पसार कर बैठ गये और लण्ड हाथो मे थाम कर उसे हिलाते हुए मा को निहारने लगे ।
वही मा ने हाथ पीछे ले जा कर पहले ब्रा का हुक खोल कर ढिला किया और बडी कामुकता से उसे उतार दिया ।
मा की चुचिय नंगी होती देख नाना जी और गर्म होने लगे

वही मा ने उनकी तरफ पीठ कर झुकते हुए अपनी आधी उतरी हुई पैंटी भी निकाल दी और झुकते हुए उनकी गाड़ का भरपूर दिदार कर नाना ने अपने लण्ड को मसला ।

मा पूरी नंगी होकर थोडी शर्मा कर मुस्कुराते हुए नाना के बगल मे बैठ गयी और फिर से लण्ड को थाम लिया ।

नाना - आह्ह बेटी आज सच मुझे तेरी मा का अह्सास मिल रहा है

मा मुस्कुराइ और झुक कर लण्ड को मुह मे भर लिया ।
नाना ने हिम्मत कर मा के कन्धो पर हाथ रख कर हल्का हल्का सहलाना शुरु कर दिया मगर उनकी इच्छा थी कि कैसे करके मा के चुचे को पकड़ सके ,,,लेकिन इतनी भी हिम्मत नही थी कि खुल कर अपनी बेटी से कह सके ।
इधर मा लण्ड चूसे जा रही थी और नाना हाथ बढा कर मा की कांख तक ही अपनी उंगलियाँ ले जा पाते ।

मा को इसका अन्दाजा था , मगर नाना ज्यादा तडपता देख वो मुस्कुरा निचे फर्श पर खड़ी हुई और नाना के बगल मे आ गयी । उसके हाथ मे अभी भी उन्का लण्ड भरा हुआ था और मुठीयाना जारी था ।
मा को अपने बगल मे पाकर नाना एक नजर मा को देखे और फिर अपना एक हाथ बढा कर मा की एक चुची को थाम लिया बहुत ही हल्के हाथ से

मा सिहर गयी और तभी नाना ने अभी जीभ निकाली और निप्प्ल को चाटते हुए उसे होठो मे भर कर चुबलाने लगे ।


मा सिस्क कर - अह्ह्ह बाऊजी
नाना को तो जैसे जोश ही आ गया था वो मा की कमर मे हाथ डाल कर उन्के मुलायम कूल्हो को मस्लते हुए मा की चुचियॉ को मुह मे भरने लगे ।

नाना के मोटे खुरडरे जीभ और मोटे होठ से मानो मा की चुचिया छील डालेंगी ।
मा ने भी नाना का लण्ड छोड कर उनका सर अपने चुचो पर दबाते हुर सिस्क रही थी ।

नाना ने अब दोनो हाथो मे मा की दोनो चुचे पकड लिये और उन्हे दबाते मसल्ते गारते हुए निप्प्ल पर जीभ नचाने लगे ।

कभी पीठ तो कभी मा की मासल भरी हुई मोटी गाड,,मुह मे चुची को भरे मा के जिस्म को मसलने लगे

मा - अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्म्ं अराम से अओह्ह्ह माआआ उफ्फ़फ्फ

नाना पर हवस पूरी तरह हावी हो चूका था और वो वैसे ही मा की चुचिया चुस्ते हुए अपने पैर को बेड से निचे लटकाया और मा को अपने पैरो के बिच मे लाकर जकड़ लिया और उन्के गाड़ के पाटो को फैलाने लगे ।।कभी कभी मा के गाड की दरारो मे अपनी मोटी ऊँगली भी घुसा देते ।

इधर मा भी पागल हो रही थी
मै वही दरवाजे पर खड़ा खड़ा झड़ चूका था और दुबारा से लण्ड सहलाना जारी था ।

नाना ने फटाक से मा को घुमाया और पीछे से मा की दोनो मोटी चुचिया पकड ली और उन्हे मिजने लगे ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम दे दर्द अह्ह्ज उह्ह्ह माआ अह्ह्ह बाऊजी

नाना बिना कोई रहम के अपने एक हाथ से मा के जांघो को खोला और हथेली से मा के चुत मे रगड़ दिया ।
मा की गीली चुत ने नाना जी के हथेली का स्पर्श पाते ही तुरंत उन्के हाथ मे पिचपीचा गयी और गिली चुत का अह्सास पाते ही नाना ने फौरन एक ऊँगली मा की चुत मे घुसा दी ।
मा की सांसे रुक गयी और वो अकड गयी ।

नाना ने वापस मा को खीचा और दुसरे हाथ से मा के चुचो को मसल कर ऊँगली को चुत मे घुमाया और निकाल कर मुह मे ले लिया ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम से अह्ह्ह्ह मा सीईई उह्ह्ह्ह

नाना ने मा की प्रतिक्रिया का एक भी जवाब नही दिया बस मा को लेके खडे हुए और उन्हे घुमा कर घोड़ी बनाते हुए बेड पर झुका दिया ।

मा कोहनी के बल बेड पे झुकी हुई खड़ी थी और तेज सासे ले रही थी ।
नाना हाथ मे लेके मा के मुलायम बडे गाड के पाटो को सहलाया और फिर दो ऊँगली से चुत वाले हिस्से को फैलाया ताकि उसका छेद दिख सके ।

फिर थोडा अपनी घुटने को फ़ोल्ड कर नाना झुके और अपना सुपादा मा के चुत के छेद पर लगा दिया और गचच से लण्ड को एक बार मे ही आधा मा की चुत मे पेल दिया ।

नाना का मोटा लण्ड अन्दर घुस्ते ही मा चिखी - अह्ह्ह बाऊजी उह्ह्ह माआआ
नाना ने रहम थोडी भी नही दिखाई और मा के कूल्हो को दोनो हाथो से थाम कर उसी जगह से एक और धक्के मे मा की चुत मे लण्ड को उतार दिया और उनकी जान्घे मा के चुतड़ से सट गयी ।
मा की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वो गहरी सासे ले रही थी ,,,,नाना का लण्ड जड़ तक पुरा का पुरा 8 इन्च मा के चुत मे घुस चूका था ।
दवा का असर इतना हो चूका था कि नाना मे जोश बहुत ही था और मा के कामुक गदराये बदन को देख कर उनकी उत्तेजना बहुत बढ रही थी ।

नाना ने मा के कुल्हो को थामा और धक्के लगाने शुरु किये ।
उनका लण्ड पूरी तरह से मा के चुत को ढिला करता हुआ तेजी से अन्दर बाहर होने लगा था ।वही मा की पिचपिचाती बुर ने अपना रस छोड़ना शुरु कर दिया था ,,,मा थकने लगी थी ऐसे मे नाना बिना रुके घपाघप तेज धकके पेले जा रहे थे ।

मा दर्द और मजे से सिस्कती रही - अह्ह्ह्ह आह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं उम्म्ंं ऐसे ही अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ माआ जल रहा है अह्ह्ह बाऊजीईईई अह्ह्ह

नाना मा की तडप देख कर और पागल होने लगे और वो खुद झडने के करीब थे उनका लण्ड और भी तपने लगा था

नाना इत्नी देर पहली बार कुछ हाफ्ते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी बस थोडा और ,,बसस्स्स थोडा

फिर नाना ने अपनी सासो को थामा और जोर के धक्के ल्गाने लगे । जिससे मा का पुरा जिस्म हिल्कोरे मा रहा था और तेज एक सुर की थपथप से कमरा गूजने ल्गा

तभी नाना चिखे और फटाक से लण्ड मा की चुत से बाहर निकालते हुए - ओह्ह्ह बेटी मै आ रहा हू , मै आ रहा हू

मा का मानो पुरा बदन ही टुट रहा था और वो नाना के छोडते ही पेट के बल बिसतर पर गिर गयी
वही नाना भी एक कदम आगे बढे - अह्ह्ह बेटी अह्ह्ह मेरी रागु अह्ह्ह मै आ रहा हू

नाना ने तेजी से अपना लण्ड मुठियाना शुरु किया और सारा माल मा की गाड और कमर पर गिराने लगे और अच्छे से झाड़ कर हाफते हुए मा के बगल मे बैठ गये ।

मा अभी भी वैसे ही लेटी रही जबकि नाना एक हाथ से मा के पीठ को सहला कर मुस्कुराते हुए अपना दुलार दिखा रहे थे ।
मै भी यहा दुबारा झड़ गया था और मा की स्थिति देख कर मुझे नही लग रहा था कि वो उठ कर मेरे पास आयेगी और मेरे साथ फिर से चुदवा पायेगी ।

मैने किचन से एक खराब कपडा लिया और दरवाजे के पास गिरे माल को पैर से रगड़ कर साफ किया और स्तूल को उसकी जगह रखा ।

फिर एक नजर कमरे मे मारा तो देखा कि मा ने वो तौलिया कमर मे लपेट लिया है और नाना के कन्धे पर सर रख कर बैठी है और नाना भी उन्के कन्धे मे हाथ डाल कर दुलार कर रहे है ।

मै अपनी योजना की कामयाबी और मा की खुसी पर मुस्कुराया और आ गया अपने कमरे मे ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Rinkp219

DO NOT use any nude pictures in your Avatar
3,418
5,015
158
Bhai update kab tak aayega
 

Napster

Well-Known Member
5,337
14,574
188
UPDATE 101


मा और नाना की जोरदार चुदाई और दो बार बुरी तरह से लण्ड निचोडने के बाद मन मार कर मै थक कर सो गया ।

सुबह मेरी निद रोज से पहले खुल गयी थी और मैने मोबाईल मे चेक भी नही किया था कि कितने बजे होगे ।
मै रोज की तरह उठा और बाथरूम गया । फिर फ्रेश होकर बाहर हाल मे आया तो देखा सब खाली खाली है ,,,कोई चहल पहल नही ,,,नही तो रोज मा और दीदी उठ ही जाते थे ।

फिर मै हाल मे टंगी घड़ी पर नजर मारी तो अभी तो सुबह के 4:30 ही हो रहे थे तो कैसे कोई दिखता और मुझे तभी मा का ख्याल आया और रात की सारी बाते याद आई ।
फिर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आई और मेरे लण्ड से सुबह की अंगड़ाई ली ,,, मै उसे दबा कर मा के रूम की ओर बढा । फिर मैने दरवाजे को हल्का धक्का दिया तो वो खुला नही मतलब वो अन्दर से ही बन्द था ।

मैने कान लगा कर कुछ सुनना चाहा तो बस कुलर की घनघनाहट ही गुज रही थी ।
फिर मैने सोचा अभी समय है तो क्यू ना थोड़ा छत पर टहल लू ,,,
मै सीढ़ी से उपर गया वहा भी सब शांत था ,,,मै उपर चला गया और जीने का दरवाजा खोल कर छत पर खुली हवा मे टहलने लगा ।
गजब की खुशी थी चेहरे पर कोई खास कुछ दिख नही रहा था ,,,अभी भी अंधेरा था और मै मोबाईल लेके आया नही था ।
सोचा अभी समय है एक घन्टे और सो ही लू तो मै वापस दरवाजा बन्द कर सबसे निचे के हाल मे आया और अपने कमरे मे चला गया ।

फिर मैने मोबाईल उठाया और लेटे हुए चलाने लगा
रात मे सरोजा के मैसेज आये थे हालकी वो जान्ती थी कि मै दीदी की सगाई को लेके काफी व्यस्त हू तो कोई रियक्ट नही किया था लेकिन कोमल के 4 मिस्काल थे और कुछ इतराने भरे मैसेज

कारण मै जानता था क्योकि विमला घर पर थी नही और वो मुझे बुलाना चाहती थी इसिलिए,,,मगर मैने तो कल रात के लिए अलग ही शो बुक कर रखा था ।

खैर मै ऐसे ही मोबाईल चला रहा था कि थोडी देर बाद मेरा दरवाजा खुला और मा वही रात का ब्लाउज पेतिकोट पहने कमरे मे आई ।

हम दोनो की नजरे टकराई और उन्होने दरवाजा बंद कर दिया
मै मा को देख कर ही खुश हो गया फटाक से बिस्तर से उतर कर मा के पास गया ।

मै - अभी को आ रही हो आप
मा फटाफट मेरे कमरे मे रखे नाना के कपडे लेके जाने लगी

मै - अरे कहा जा रही हो
मा खुसफुसा कर - ब्स ये कपडे देके आ रही हू बेटा

मै हा मे सर हिलाया और मा दरवाजे से बाहर गयी और सीधा अपने कमारे और फिर दो मिंट बाद मा वापस मेरे कमारे आई ।
मा ने दरवाजा बन्द किया और इत्मीनान हो गयी ।

मै मुस्कुरा कर मा को हग कर लिया
मा भी मुझसे चिपकी रही
मै मा को सामने कर - तो कितना राउंड हुआ
मा शर्मा कर मुझ्से अलग होकर बिस्तर पर जाने लगी ।

मै मा को लेके बिसतर पर लेट गया और उनको अपनी बाहो मे लेके उन्के होठ चुस्ते हुए बोला - बोलो ना मा कितनी बार लिया नाना का

मा ह्स दी और मेरे होठ चूम कर मेरे गाल सहलाते हुए एक टक मेरी आंखो मे देखने लगी ।

मै इशारे मे अपनी भौहे उठा कर पुछा क्या हुआ तो वो ना मे सर हिला कर मुस्कराने लगी।

मैने उन्के कूल्हो को थाम कर अपने ओर खीचा और लंड को सिधा उनकी पेड़ू पर चढा दिया ।

मै - बताओ ना मा
मा - क्यू तुने कितनी बार देखा
मै - मैने तो एक ही बार
मा हस कर - हा तो उत्ना ही हुआ
मै तुनक कर - तो आई क्यू नही रात मे
मा शर्मा कर - वो बाऊजी ने बोला सुबह चली जाना
मै खुशी से- ओह्ह मतलब और भी कई राउंड हुआ था
मा ह्स कर - नही रे बस अभी को थोडी देर पहले एक बार और हुआ

मै तपाक से मा की चुत को पेतिकोट के उपर से ही दबोच लिया और सिस्क उठी ।
मै - अब तो खुश हो ना मा
मा लपक के मेरे अंडरवियर के उपर से लण्ड को थाम लिया

मा - हम्म्म्म्ं
मैने वैसे ही पेतिकोट के उपर से ही मा की चुत को कुरेदते हुए - तो इस टाईम किस पोजीशन मे हुआ

मा एक कातिल मुस्कान के हाथ लण्ड को उपर से मसल्ते हुए उठ गयी और फटाक से मेरा अंडवियर खिंच लिया ।

मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया और मा ने बिना हाथो के प्रयोग किये सीधा मुह खोलते हुए लण्ड को भर लिया ।

मै सिहर गया और थोडा गिला कर उठी और पेतिकोट अपनी कमर तक उठा कर मेरे जांघो के दोनो तरफ पैर किया ।

मै समझ गया मा बैठने वाली है तो मैने लण्ड को जड़ के पकड कर सीधा कर दिया और मा मुस्कुरा कर अपना पेतिकोट उठाए सीधा लण्ड को अपनी तपती चुत मे सोख लिया ।

मा लण्ड की जड़ तक कचकचा कर भर लिया अपनी चुत मे और मेरे जांघो पर अपनी गाड को मथते हुए बडी ही कामुक अदा से मुस्कुराइ

मै मा की नशीली अदा से सिहर गया और बोला - ऐसे ही चुदवाया क्या मा अभी

मा मेरे लण्ड को निचोड़ हुए अपनी गाड़ को उठाया और वापस वैसे ही लण्ड को भर लिया ।
मै गनगना गया

मा - हा बेटा ऐसे ही लिया है अभी बाऊजी का लण्ड उम्म्ंम्म्ं
मै अपने हाथ मा के कूल्हो को थामा और जोर से एक करारा धक्का मा की चुत मे लगा दिया
मा सिस्क उठी
मैने मा को पकड कर अपने उपर खिच लिया और अपनी जांघो लो खोलते हुए निचे से गचाग्च पेलना शुरु कर दिया

मा मेरे होठ चुस्ते हुए उसी पोजीशन मे बनी रही और थोडी ही देर हम दोनो चरम पे थे ,,,ना मा हिली ना मै
हम दोनो एक-दूसरे से चिपके रहे और मेरा लण्ड झटके देते हुए झडने लगा।
मा मेरे सीने पर वैसे ही लण्ड को अपनी चुत मे लिये लेती रही ।

मै मा के बालो मे हाथ फेरा और बोला - तब नाना से कुछ कबूलवाया की नही

मा मुस्कुरा कर मेरे आन्खो मे देखते हुए - हम्म्म्म
मै - क्या बताओ ना

मा - रात मे वही हो जाने के बाद मैने उनसे पूछा कि क्या रज्जो जीजी के साथ भी आपने किया है तो वो बताये कि कैसे जीजी ने मा के मरने के बाद उनको सम्भाला था ।

मै भी एक संतुष्टि की हुन्कारि भरी और हम ऐसे ही लेटे रहे और पता नही कब सो गये ।

7 बजे के करीब सोनल मेरे दरवाजे को पीट कर आवाज दे रही थी ।
हम दोनो चौक कर उठे और अभी भी मेरा लण्ड सिकुड़ कर उनकी चुत मे था और मुझे इसका अह्सास होते ही अगले ही पल वो कस कर फिर से तन गया ।

मा मुस्कुराई और उठ गयी और अपने कपडे सही कर बाहर चली गयी और मै भी फ्रेश होने चला गया
थोडी देर नास्ते के समय से पहले पापा भी आये और फिर हम सब ने मिल कर नासता किया और आज का प्रोग्राम तय किया गया ।

पापा ने बताया कि मुझे फुलपुर गाव जाना पडेगा रंजू ताई के यहा सगाई के लिए न्योता देने ।
गाव तो पास मे ही था और पंखुडी भाऊजी का ख्याल आते ही मै प्रसन्न हो गया ।

इधर नास्ते के टेबल पर नाना और मा की एक गुपचुप सी इशारे बाजी चल रही थी जिसका अन्दाजा मुझे था ही कि इधर पापा और अनुज दुकान पर जायेन्गे ,, गीता-बबिता सोनल के साथ उसके बुटीक जायेगी ही और मै फुलपुर जाने वाला था ।

तो घर मे अकेले दोनो बाप बेटी धमाल तो करने ही वाले थे ।
थोडे ही समय में सब अपने अपने काम पर निकल गये ।
अब घर मे मै नाना और मा ही बचे थे ।

नाना नहा चुके थे लेकिन मुझे और मा को नहाना था ।
मै और नाना हाल मे बैठे थे , वही मा किचन मे साफ सफाई करने मे लगी थी ।

नाना की नजर अब भी मा के उपर थी जो अभी तक ब्लाउज पेतिकोट पर एक दुपट्टा लेके काम कर रही थी ।
मै - नाना जी अब कैसी है आपकी तबियत
नाना मुस्करा कर - ठीक है बेटा,, कल रात मे तो सच मे परेशान हो गया था ।

मै उनके कान के पास जाकर - लेकिन उसको शांत कैसे किया

नाना चौक कर मेरी ओर देखे और मुस्कुराने लगा
नाना हस कर - तू बहुत नटखट है रे ,, अब यहा कोई इन्तेजाम तो है नही तो तेरी मा के जाने के बाद हाथगाडी चलानी पड़ी थी ।

मै हस कर - फिर तो आज भी कल के जैसे काम चला लो ,,,कल से मौज ही रहेगा आपका

नाना को ये ख्याल आते ही की कल उनको घर जाना है तो उनहे अच्छा नही लगा ।7

मै समझ गया और बोला - हा अगर यही मन लग गया हो तो रह सकते हो हिहिहिही

नाना हसने लगे और बोले - बेटा मन तो बहुत है और यहा अपनी बेटी और नाती के साथ हू इससे अच्छा क्या होगा ,,,लेकिन गाव मे भी काफी जरुरी काम पडे हुए है ।

इधर मा किचन मे काम खतम कर हाल मे आई
मा - बाऊजी मै नहाने जा रही हू तब तक आप आराम कर लिजिए , मै खाने के वक्त पर जगा दूँगी ।

मै - अच्छा ठीक है मा ,,मै भी नहाने जा रहा हू फिर मुझे भी गाव पर जाना है

मा ने सहमती दिखाई और अपने मे गयी यहा नाना खुश से फुल गये और उनका लण्ड भी ।
मै भी मुस्कुरा कर अपने कमरे मे गया और कपडे निकाल कर एक बार बाहर दरवाजे के ओट से झाका तो देखा कि मा के कमरे का दरवाजा खुला है
मै फटाक से बाहर आया और मा के कमरे मे झाका

जहा बाथरूम के पास ही नाना मा को पीछे से जकडे हुए अपना लण्ड की गाड मे घिस रहे थे और हाथो मे मा की चुचिय ब्लाउज के उपर से मिज रहे थे ।

मै मुस्कुराया और नहाने के लिए चला गया क्योकि मै जानता था कि सिर्फ आज ही ये प्रेम मिलाप चलेगा तो क्यू ना इन्हे करने दिया जाये ।

मै नहा कर बाहर आया तो नाना हाल मे लेते हुए थे और मै नाना को बोल दिया कि मै जा रहा हू गाव पर ,वो मा को बता देंगे ।

फिर मैने एक ई-रिक्शा किया और निकल गया ।
फूलपुर गाव , चमनपुरा मे प्रवेश वाली पुलिया के थोडी ही दुर पर नारायणपुर के ठीक सामने वाला गाव था ।
मतलब मेन रोड एक तरफ नारायणपुर और दुसरी तरफ फुलपुर ।

ई-रिक्शा मुझे गाव के सड़क पर छोड कर वाप्स चला गया ।
मै काफी समय बाद गाव जा रहा था , हालाकि यहा मेरे पिता का बचपन बिता था और बचपन मे मै काफी बार यहा कोई प्रोग्राम के समय पापा के साथ आता था ,,,मगर अब बहुत कुछ बदल गया था ।

मिट्टी और खडंजे सडको की जगह अब पक्की सड़क थी और पक्के घर अब काफी बन चुके थे तो ऐसे मे मुझे रंजू ताई का घर खोजने मे दिक्कत हो रही थी ।
आखिर कार मुझे एक बुजुर्ग से मेरे ताऊ जमुना प्रसाद का घर पुछना पडा ।
फिर उन्होंने थोडा आगे जाने को बोल और मै उसी जगह गया तो मुझे सब याद आ गया ।
चुकी ताऊ का घर बहुत ही पुराना था ,,आखिरी बार 6 साल पहले आया था जब कमलेश भैया की शादी पंखुडी भाभी से होनी थी ।
ये आगन और वो बगल का कूआ याद है मुझे ।
लेकिन अब उस खपरैल की जगह दो मन्जिली कोठी थी ,,,, आखिर कमलेश एक बडे कोर्पोरेशन मे नौकरी करते थे और उन्ही के भेजे पैसे से ये नहा मकान बना था ।

इस समय मुस्किल से 10:30 बज रहे थे , और मै आगे बढा ।
बाहर आंगन मे कोई नही दिखा ,,उम्मीदन ताऊजी खेत के लिए निकल गये होगे तो घर मे ताई और भाऊजी ही होगी ।
चुकी ये मेरे घर जैसा ही था तो मै बिना किसी की अनुमती या किसी को आवाज लगाये
मैने ओसारे से लगे गलियारे का परदा हटा कर अन्दर घुसा तो निचे कोई नजर नही आया ।
मै किचन के बगल से लगी एक सीढ़ी से उपर गया और फिर सबसे उपर चला गया।

जैसे ही जीने से बाहर निकला सामने की हसिना को देख कर मेरा लण्ड टनटना गया ।

सामने छत पर लगी अरगन पर पंखुडी भऊजी सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट पहने बालटी से कपडे निकाल कर फैला रही थी । शायद वो अभी अभी नहा कर निकाली थी तभी उन्होने अपने गिले बालो मे तौलिया लपेटा हुआ था ।

ग्रे ब्लाउज के उनकी कसी हुई 34DD की मोटी चुचिय और गाड़ का फैलाव पेतिकोट मे भरा हुआ था ।

मै ह्स कर बिना संकोच किये - नमस्ते भौजी
पंखुडी भाभी अचानक से मेरी आवाज सुन कर चौकी और फटाक से अपने चुचो पर हाथो से क्रॉस कर लिया ।

लेकिन जब मुझे देखा तो थोडी नोर्मल हुई
भाभी - क्या देवर जी हम तो डर गये थे
मै मुस्कुरा कर उनके करीब जाकर - हाहाहाह ,,कौन सा मै आपको लुटने आया हू
भाभी ने नजर मेरे पैंट मे उभरे हुए लन्ड़ पर मारा और इतरा कर बोली - तुम्हारी नही उस चोर की बात कर रही हू

मै झेप सा गया और मस्ती मे बोला - अब उसका काम वो जाने हमे उससे क्या

भाभी हस के कपडे निकाल कर फैलाने लगी ।
मै उन्हे छेड़ते हुए - लग रहा है कि आपको निचोडना नही आता भौजी हिहिहिही

वो मुस्कुरा कर अचरज से देखी
मै ह्स्कर - अरे कपडे को कह रहा हू ,,,इसको ऐसे निचोड के डालो बहुत जल्दी सुख जाता है ।

भौजी - हमको निचोडना ना सिखाओ ये बताओ आज अपनी मेहरारू को कैसे याद कर लिये
मै - अब आप हमको अपने पास बुलाती नही है तो सोचे हम खुद ही चले जाये ,,,वैसे भी कमलेश भैया है नही तो क्या पता कुछ दाल गल जाये हमारा ही

भाभी हसी - यहा तोहार दाल ना गलेगा देवर जी

मै भाभी की भोजपुरी टयून पर हसी आई और मै भी उन्ही के रंग मे रगता हुआ

मै - काहे हो भौजी ,, चूल्हा मे आग नईखे का

वो हसी और बालटी लेके निचे जाते हुए - आग इतना बा कि राऊर दाल जल जाई ये देवरु

मै ह्स कर उनके पीछे जाता हुआ - अरे इ हमार दाल ह ,,, 3 से 4 सिटी मे गले ला

मेरी डबल मिनिंग बात से भाभी हसने लगी
भाभी - लागत बा पुरान चूल्हा यूज़ करीला राऊरे ,,,,हमार यूज़ करबे तो एक ही सिटी मे पानी पानी हो जाई

मै उनकी बात से हसने लगा और आगे बोलने को होता तभी निचे से रंजू ताई की आवाज आई

हम दोनो चौके क्योकि भौजी जिस हाल मे थी उस समय मेरा उनके साथ रहना उचित नही था ,,,,

मै ह्स के - जाई राउर सास बुलावत बातीन

वो हसी - भ्क्क्क ,, जाओ अब निचे हम आ रहे कपडा पहन के

मै भी ह्स कर निचे हाल मे आया और ताई के पैर छुए

रन्जू ताई चौकी और खुश भी हुई - अरे बचवा तुम ,,,आओ आओ बैठो लल्ला
रन्जू - कहो कैसे आना हुआ और तुम उपर थे तो दुल्हीन कहा है

मै ह्स कर - वो बडकी अम्मा ,, भौजी छत पर कपडा डाल रही है अभी आ रही है ।

ताई हस कर - और बताओ लल्ला घर पर सब कैसे है और अचानक से यहा सब ठीक तो है

मै ह्स कर - हा बडकी अम्मा सब ठीक है । वो दिदी की सगाई का न्योता देने आया था ।

ताई खुश होते हुए - अरे वाह ,, इ तो बहुत अच्छी खबर सुनायो लल्ला ,,,,कहा हो रही है शादी

फिर मैने उनको दीदी के ससुराल के बारे मे बताया और सगाई का दिन भी

फिर थोडी देर मे भाभी साड़ी पहन कर आई और मेरे लिये किचन से चाय नासता भी लाई ।
फिर ऐसे ही बाते चली ।

मै - बडकी अम्मा ,,वो मम्मी ने बोला था कि घर का कोई मोबाईल नम्बर लेते आना ,,,ताकी आगे के प्रोग्राम के लिए जानकारी देने मे दिक्कत ना हो ।
ताई ह्स के - अब बचवा कहा हम मोबाइल चलावत है ,,,,ये दुल्हीन तनिक आपन मोबैल के नम्बर लल्ला को देदो ।

भौजी मुस्कुरा कर - लिखिए बाबू ,,,
फिर वो नमबर बोली और मैने कॉल घुमा दिया और मोबाईल किचन मे बजा

भाभी दौड़ कर गयी और लेके आई और मुझे मोबाईल देके बोली - बाबू तनिक इमा भी नाम सेट कर दो

मै हस कर - का नाम लिखे भौजी
भौजी ह्स कर - छोटका भतार लिख दो , तोहरी बहिन के ,,हिहिहिही हा नाही तो पुछ रहे है का नाम लिखे

भाभी की बात पर ताई मुह पर हाथ रख कर हसने लगी
मै भी हस कर छोटका भतार लिख कर दे दिया ।

भाभी नाम पढ कर - देख रही है अम्मा ,,बाबू सही मे लिख दिये वही

ताई हस कर - अरे तो का हुआ ,, छोटका भतार बनाओ चाहे देवर, बात एक्के है दुल्हीन

मै ताई की बातो पर हस कर उनसे छिपकर भौजी को आंख मार दी ।

वो भी मुस्कुरा दी ।
थोडा और हाल चाल लेके मै वापस घर की ओर आया ।

दोपहर के 12 बजने को थे और मै घर पहुचा ।
हाल मे काफी चहल पहल थी ,,नाना मा गीता बबिता सोनल सब बैठे हुए थे और आज निशा भी आई हुई थी ।

मुझे देख कर निशा ने स्माइल पास की और यहा मेरे लंड ने अगडाई ली ।
फिर मा ने मुझे पानी दिया और गाव के बारे मे हाल चाल लिया ।

फिर सारी जानकारी देने के बाद मै खाना खा कर निकल गया दुकान पर ,,,

दिन बिता और रात के खाना खतम हुआ, मै जानता था कि आज रात भी मा और नाना लगे रहेंगे तो क्यू ना मै गीता बबिता मे से किसी को रोक लू ,, मगर पता नही उन्हे सोनल ने क्या पट्टी पढाई थी कि वो आज उसके साथ ही सोने के लिए गयी ।

स्बके उपर जाने के बाद
नाना - बेटी अगर तुझे एतराज ना हो तो मै तेरे कमरे मे ही सो जाऊ ,,,यहा की गर्मी बर्दाश्त नही होती मुझसे

मा ह्स कर - आपकी जैसी इच्छा बाऊजी ये आपका भी घर है ,,,, मै राज के साथ सो जाऊंगी

नाना थोडा मन गिराने लगे तो मा फिर से बोली - और आप दरवाजा खोल के ही सोयीएगा , मै अभी दवा देने आऊंगी

नाना मा की बात सुन कर मुस्कुराते हुए कमरे मे चले गये
मै भी अपने कमरे मे गया और थोडी देर बाद मा नाना को दवा देके मेरे कमरे मे आई और दरवाजा बंद कर दिया ।


मै मुस्कुरा कर - आज मेरे साथ ही रहोगी क्या मा
मा - हा क्यू ,,चली जाऊ क्या बाऊजी के पास

मै मा को पकड कर अपने पास लाया - नही मेरी सेक्सी मम्मी ,,अभी नही थोडा मेरा ख्याल रख लो फिर जाना

मा मुस्कुराई और फिर एक राउंड हमारा जोरदार चुदाई संग्राम चला और फिर मा थोडा सुस्ता कर निकल गयी नाना के पास ।

इधर रात भर मा नाना के साथ ही मस्तियाँ करती रही और मै भी आज रात खुल कर कोमल से बात की बहुत दिन बाद ।
उसे मेरी तडप बहुत स्ताती है तो वो खुद पर नियंत्रण नही कर पाती है । उसने बताया कि कैसे कल रात वो मुझे याद करते हुए मनोज के हाथो पकड़ी गयी । इसिलिए वो इतना गुस्सा भरा मैसेज की थी । रात के घटना के बाद से आज दो बार मनोज ने उससे सेक्स के टॉपिक पर बाते की। हमारी बाते चल रही होती है कि कोमल बाद मे बात करने का कह के काट देती है ,,, शायद मनोज आया था ।

मै मुस्कुराया और थोडा सरोजा से खोज खबर लिया और सो गया ।

इधर अगली सुबह ही नाश्ते के बाद नाना गीता बबिता के साथ अपने गाव की ओर रवाना हो गये ये बोल कर सगाई के दिन सारे परिवार के साथ वो लोग आयेंगे ।

और आज का दिन बीत गया ।
आज शाम को पापा घर आ गये तो सगाई की तैयारियो के लिए काफी काम बचा था ।

समय बिता और सगाई के 3 दिन पहले
पापा ने चाचा को बोल कर निशा, चाची और राहुल को घर बुला लिया ताकि सारे काम समय से हो सके ।

उस दिन बडे सवेरे से ही समान की सारी लिस्ट बनाई गयी और मैने चंदू को फोन कर बुलाया ,,,फिर हम सब खरीददारि कर सारा समान ,बरतन , सगुन का समान उस दिन सब चंदू के चौराहे वाले घर पर ही रखवाया गया ।
उस दिन पुरा समय मेरा और चंदू का भागा दौडी मे निकल गया और घर मे भी सारी महिला मंडली अपने कार्य मे लगी थी ।
अगले दिन मै और चंदू एक रिक्शा कर बडे शहर गये और शगुन के फल और भोजन के लिए सब्जियां लाद कर शाम तक आये । तब तक पापा ने मीठाइयो और कपड़ो का काम देख लिया था । वो दिन भी थकान और भागा दौडी मे निकल गया ।

सगाई को एक दिन बाकी था अब और बडे सुबह से ही मै चंदू के साथ मिल कर ठेले और टेम्पो के माध्यम से सारे समान को शिवमंदिर के धर्मशाले मे जहा हमे कमरा मिला था ,,वहा रखना शुरु कर दिया । शाम तक टेन्ट और हल्वाई भी अपने अपने कामो मे जूट गये । वहा की देख रेख के लिए मैने अनुज और राहुल को लगा दिया । फिर इधर चौराहे वाले घर पर देर शाम तक धीरे धीरे मेहमान भी आने लगे थे । रज्जो मौसी , शिला बुआ ,शकुन्तला ताई , रजनी दीदी काफी सारी महिला मंडली एकत्र थी ।

देर रात मे सारे काम निपटा कर मै और चंदू चौराहे पर वापस गये तो देखा पुरा हाल महिलाओ की शोर शराबे से भरा हुआ था ।
उपर से भी कुछ चहल पहल की आवाजे आ रही थी ।
इधर मै बारी बारी से सबसे मिला और तभी किचन से रज्जो मौसी आई

मैने उनके पैर छुए और उनहौने मुझे गले लगा लिया, ,आह्ह्ह सारी थकान दूर हो गयी उन्के गद्देदार चुचो का अह्सास पाते ही ।

यहा थोडा बहुत गपशप जारी रही और फिर थोडी देर मे पापा चाचा भी आये ,,,सबसे मिलने के बाद वो मुझे लेके बाहर आ गये ।
फिर मै चाचा और पापा ने कल के सगाई की तैयारियो और बाकी के कामो पर चर्चा की ।

देर रात मे खाना पीना हुआ
फिर रजनी दीदी और चंदू , शकुन्तला ताई , और चाचा अपने अपने घर चले गये ।
अनुज और राहुल मन्दिर पर ही थे ,,,उनका खाना चाचा लेके गये थे ।

इधर निशा और सोनल अपना काम खतम कर अपने कमरे मे चले गये ।
चाची और शिला बुआ गेस्ट रूम मे चली गयी ।
मा और पापा अपने कमरे मे और मै रज्जो मौसी के साथ अपने कमरे मे आ गया ।

जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
Top