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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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174
HAPPY 3RD ANNIVERSARY
🎉🎊:celebconf:🎊🎉

सभी पाठकों को बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद
आपके प्यार और स्नेह की बदौलत
आज इस कहानी को ना सिर्फ
3 साल पूरे हुए
बल्कि 60 लाख व्यूज भी हो रहे है ।
कहानी पहले ही हजार पेज की रेस मे दौड़ रही है

आप सभी का आभार एक ऐसी कहानी को प्रेम देने के लिए जहा मेरे जैसे अड़ियल मिजाज वाले लेखक की मनमानी ही आपको पढने और सुनने को मिलती है ।
बिना किसी पोल और ओपेनियन लिये आप पाठक फिर भी कहानी से जुड़े है उसके लिए मै ऋणी रहूंगा


एक बार फिर से धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

Sanju@

Well-Known Member
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UPDATE 121
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा जहा एक ओर रज्जो अप्नी योजना मे कामयाब रही और ममता को पूरी रात उसके भैया से उसकी दोनो छेड़ो मे वीर्य भरवाया ,,वही राजन को सब कुछ सुखा सुखा ही मिला ।
मगर निचे कमरे मे अनुज ने पल्ल्वी पर चमनपुरा की माटी का जोर दिखाया और दो राउंड बडे जोश के साथ उसको चोदा ।
अब आगे


खैर रात तो बीत गयी लेकिन असल कहानी तो अब होने वाली थी क्योकि आज सभी मर्दो के बिसतर निचे और महिलाओ के बिस्तर उपर जाने वाले थे । कारण था मेहमानो का आवागमन । अब से 5 दिन थे शादी को ।
सुबह सुबह राजन की आंखे खुल गयी और वो ममता को देख कर चहक उठा ।

उसने एक दो बार ममता के बदन को छूना और घीसना चाहा मगर ममता थकी हुई थी तो उसने साफ मना कर दिया। राजन का चेहरा तो उतर गया लेकिन उसने भी ममता के थकान को समझा तो उठकर नहाने धोने चला गया ।

नहा कर वो आया तो उसने ममता को जगाया क्योकि सुबह मे 8 बज चुके थे और अभी कोई चहल पहल नही थी ।
राजन ममता को जगा कर निचे जाने को हुआ तो उसे रज्जो का दरवाजा बंद दिखा ,


राजन ने वाप्स से अपनी कलाई की घड़ी देखी और बोला - कमाल है अभी तो लोग सो रहे है
वो निचे उतरा तो देखा निचे भी कोई नही था,,,
क्योकि पल्लवि और अनुज भी थक कर सोये थे , रमन की तो देर रात तक अप्नी होने वाली बिवी से बात करने की आदत थी तो वो लेट ही उठता था और सोनल इस समय निचे बाथरूम मे थी ।

राजन को फिर से शक हुआ कही वो आज जल्दी तो नही उठ गया ,,,मगर जल्द ही उसकी शंका दुर हुई क्योकि पल्लवि अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की ओर गयी ।

वही रमन भी बाहर आया
थोडी देर बाद सारे लोग निचे हाल मे जमा हुए ।
इधर सोनल ने सबके लिए नासता बनाया और फिर दोनो जीजा साले मंडी के लिए निकल गये ।


अनुज भी रमन के साथ जाने को बोला लेकिन रज्जो ने उसे काम करने के लिए रोक दिया क्योकि अभी सारे बिस्तर उपर निचे करने थे और कुछ समान की पर्ची बनवानी जो कल होने वाली पूजा मे जरुरी थे ।

सोनल और पल्लवि किचन के कामो मे लग गये और रज्जो ममता अनुज को लिवा कर हर कमरे मे बिस्तर भिजवाने लगी

रज्जो ने अनुज से - बेटा अब से कुछ दिन तुझे भी थोडा एडजेस्ट करना पडेगा ,,ठिक है ना
अनुज हस कर - अरे कोई बात नही मौसी मै तो सोफे पर भी सो जाऊंगा उसमे क्या है हिहिही

रज्जो उसे कुछ नये गद्द्दे दिये निचे ले जाने को जिसे अनुज लेके निचे चला गया ।
ममता - भाभी ये सब अभी से क्यू कर रही हो ,,,हम लोगो का क्या होगा मतलब समझो ना

रज्जो हस कर - समझ रही हू तेरी बात ,,लेकिन क्या करू गाव से तेरे चाचा चाची आने वाली है और उनको पसंद नही कि शादी व्याह के दिनो मे मर्द औरत साथ मे रहे ,,

ममता ह्स्ते हुए - हिहिहिही सच कह रही ही भाभी ,,,चाची को पता नही क्या चिढ़ है
रज्जो -हा री ,, बहुत खड़ूस है ,,,अभी कुछ साल पहले हम लोग गये उनके यहा गोद भराई की रस्म थी तो उन्होने तेरे भैया को मेरे साथ बैठा हुआ देख लिया तो भी भडक गयी थी हिहिह्जी

ममता - हा तब मै भी तो थी ही वहा हिहिही
इतने मे अनुज वापस आ गया तो दोंनो चुप हो गये ।

खैर धीरे धीरे बाकी का काम हो गया और उपर के साथ निचे भी अच्छे बिस्तरो की व्यव्स्था कर दी गयी । पल्लवि और सोनल के सामान भी उपर ममता के कमरे मे रख दिये गये


रज्जो ने ममता के साथ सोनल और पल्लवि को भी अच्छे कपड़ो मे रहने को बोला क्योकि चाची कपड़ो को लेके बहुत ही सख्त मिजाज की थी ,,नये जमाने के कपड़ो पर बहुत जल्दी चिढ़ जाती थी तो रज्जो ने सोनल और पल्लवी को सूट पहन कर रहने को बोल दिया ।

दोपहर तक कमलनाथ के चाचा चाची भी आ गये । उनकी आवभगत हुई और फिर निचे अनुज के कमरे मे चाचा जी की और उपर ममता के कमरे मे चाची जी की व्यव्स्था कर दी गयी ।

2बजे तक राजन और कमलनाथ आये । उन्होने भी चाचा चाची से मुलाकात की फिर खाना खाने के बाद रज्जो की बनाई पर्ची लेके कल शाम मे जो पूजा होने वाली थी उसके खरीददारि के लिए निकल गये ।

पुरे घर का माहौल भी बदल गया था , कहा अभी सुबह तक आहे भरी जा रही थी और अब चाची सबको लेके उपर के कमरे मे समझा रही थी ताकी कोहबर मे कोई भूल ना हो । क्योकि चाची अपनी रीति रिवाज को लेके बहुत सख्त थी ।

इधर इनकी चाची का लेक्चर जारी था तो वहा चमनपुरा मे अपना राज काजल भाभी का पार्सल लेने के लिए बस अड्डे की ओर निकल गया था ।

राज की जुबानी

शाम को 3 बजे भाभी का फोन आया कि उनका ऑनलाइन प्रॉडक्ट चमनपुरा बस स्टैंड पर आ चुका है। इसिलिए मै दुकान पर मा को बिठा कर बस स्टैंड की ओर निकल गया ।

मैने वहा जाकर उस डिलेवारी बॉय से काजल भाभी की बात करवाई और सामान लेके वापस भाभी को फोन किया

मै - हा भाभी सामान मिल गया है ,,तो मै लेके आ जाऊ
काजल तुंरत मना करते हुए - अरे नही नही ,,अभी नही मम्मी जी है घर पर
मै - अच्छा तो फिर कब ,,वैसे इसमे है क्या काफी बड़ा बॉक्स है
काजल मुस्कुरा कर - कुछ नही बस ड्रेस है ,,,और सुनो कल मै बताऊंगी तो लेते आना
मै - अरे कल कब , मुझे कल सुबह ही मम्मी को लिवा के मौसी के यहा जाना है ,,बताया तो था ना
काजल - ओह्ह भी कैसे मै लेलू ,,,अभी मम्मी जी यही है
मै - अच्छा मै ऐसा करता हूँ ये बॉक्स खोल कर एक झिल्ली मे उपर अपनी छत से फेक दू तो
काजल - अरे नही नही वो टुट जायेगा
मै - अरे इसमे टुटने जैसा क्या है कपडा ही है ना ।
काजल हस कर - हा कपडा भी है और कुछ सामान भी है , ऐसा करो अभी शाम को मम्मी जी आपके यहा जायेगी तो उसी समय आप लेते आईएगा ,,
मुझे भी ख्याल आया क्योकि कल मै और मा जानिपुर जा रहे थे तो मा ने बोला था कि आज शकुन्तला ताई से वो पापा के खाने पीने के लिए बोलेंगी ।
मै - हा फिर ठिक है मै इसे दुकान ही ले जाता हू फिर ,, आप फोन करना मै 5 मिंट मे लेके आ जाऊंगा
काजल खुश होकर - हा ठिक है लेकिन बॉक्स ना खोलना प्लीज
मै - हा हा ठीक है भाभी चिंता ना करिये आप हिहिहिही



फिर मैने फोन रखा और दुकान पर चला गया ।


मा - अरे बेटा ये क्या लाया
मै - वो एक ग्राहक ने ऑनलाइन समान मगाने को बोला था वही है मम्मी
मा - अच्छा ठिक है तू अब देख मै जाती हू मुझे कल के लिए तैयारी करनी है

मै - हा ठिक है मा आप जाओ


फिर मा निकल गयी चौराहे वाले घर के लिए
मै भी वापस दुकान मे लग गया । मगर मेरा ध्यान बार बार उस बॉक्स पर जा रहा था कि ऐसा क्या मगाया है भाभी ने जो मुझे खोलने नही दिया । यहा तक कि ब्रा पैंटी के लिए नही शर्मायी फिर ये क्यू


फिर मैने एक दो बार बॉक्स को अच्छे से चेक किया कि कही से खोलने का कुछ इन्तेजाम हो ,,मगर वो सील था अच्छे से ।

तभी मेरी नजर बॉक्स के साइड मे चिपके रेसिप्ट पर गयी जिसपर कम्पनी का वेबसाईट , प्रॉडक्ट क्यूआर कोड और कस्टमर का ऐड्रेस लिखा था

मुझे एक आइडिया आया मैने फौरन उस वेबसाइट पर गया और उस प्रॉडक्ट का क्यूआर कोड स्कैन किया

मेरी तो आंखे खुल गयी जब उस प्रॉडक्ट की डीटेल मेरे फोन मे खुली तो ।

मै मन मे - अबे यार ये भाभी तो मेरी सोच से इतनी आगे की है ,मतलब कोई सोच भी नही सकता कि इतनी शर्मीली औरत ऐसे शौक भी रखती है ।
उन्होने किसी ऐडल्ट साइट से एक कम्पलीट बीएसडीएम सेट मंगवाया था । मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि काजल भाभी को इस तरह से सेक्स पसन्द है ,,, मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी ।

मेरी आन्खो के सामने काजल भाभी का वो BSDM वाला लूक दिखने लगा और ये भी कि कैसे उनका पति उनको उस चमडे के पटटे मे बान्ध कर उन्की मखमल सी मुलायम गाड़ पर उस पतली स्टिक से चट्ट चट्ट मारकर उन्हे लाल करेगा

मेरा लण्ड तन कर रॉड हो गया और एक अजीब सी खिलखिलाहट मेरे चेहरे पे थी ,,,मै बस हसे ही जा रहा था मगर मुझे उत्तेजना भी मह्सूस हो रही थी ।

मै तय कर लिया कि आगे काजल भाभी से कैसे निपटना है ,,मगर कल सुबह ही मुझे निकलना था मौसी के यहा तो मैने वापस आने के बाद की कुछ कलपना के पलो को सोचा और फिर अपने काम मे लगा गया ।


समय बीता और शाम को साढ़े 7 बजे तक मै दुकान मे रहा ,,फिर काजल भाभी का फोन आया कि शकुन्तला ताओ मेरे घर गयी है मै आ जाऊ ।

मै पहले से ही दुकान बढा कर तैयार था बस शटर गिराया और ताला बंद करके अगले 5 मिंट मे काजल भाभी के यहा पहुच गया ।

मैने उनको समान दिया और बडे गौर से ऊनके चेहरे के भावो को पढने की कोशीष की मगर वो जरा भी विचलित नही दिखी ,,,उन्होने बडी शालीनता से मुझसे सामान ले लिया और मुझे जाने को बोला

मै - बस जाऊ ,,,कोई थैक्श वैक्स नही ,,बस ऐसे ही

काजल हस कर - हा बाबू थैंकयू हिहिही ,,,
मै - अच्छा इसमे है क्या ,,मुझे नही लगत इसमे कपडा है ,,पैकेट भारी लग रहा था

काजल - अरे वो आपके भैया के लिए गिफ्ट है हिहिही ,,,तो वो ही खोलेन्गे इसिलिए मै मना कर रही थी ।

मै मन मे - हा जान रहा हू क्या गिफ्ट है
मै - अच्छा ठिक है मै चलता हू फिर बाय
काजल - हा बाय
फिर मै अपने घर चला गया जहा हाल मे मा और शकुन्तला ताई बैठी हुई थी ।

मै उनको नमस्ते किया
थोडी देर बाद वो चली गयी ।
मै - मा क्या बोला उन्होने
मा - मै कह रही थी कि तेरे पापा किसी को भेज दिया करेंगे खाना लेने दुपहर मे ,,मगर ये बोली कि कोई बात नही वो खुद लाकर दे जायेगी । दोपहर मे दुकान पर और रात मे घर पर ही

मै - चलो फिर तो ठिक है ,,,बस 4 दिन की बात है

मै - और मा बैग पैक हो गये
मा - हा बेटा अभी तक कर रही थी ,,,अब चलू खाना बना लू

मै - चलो मै भी आपकी मदद करू
मा - चल बड़ा आया मदद करने वाला ,क्या कर पायेगा तू

मै - अरे सब्जी काट दूँगा ,,चावल बिन दूँगा हिहिही और बरतन की कर लूंगा

मा मुझे दुलारते हुए - उसकी कोई जरुरत नही ,,जा नहा ले गर्मी बहुत है मै करती हू सारा काम

मै मा को हग करते हुए - आप अकेले करोगे तो थक जाओगे ,,,फिर रात मे कैसे

मा हस कर - ओहो देखो तो बडी रहम आ रही है अपनी मा पर ,,कभी छोडा है तुम बाप बेटो ने मुझे जो आज छोड दोगे

इतने मे पापा हाल मे आते हुए - बिल्कुल बेटा छोडना मत ,,,हक है भाई उस्का

मा - हा हा वही बस आता ही है ,, वो पैसे लेके आये है ना और गाडी वाले को फोन कर दीजिये कल सुबह 8 बजे तक आ जाये

पापा अपनी जेब से एक पैकेट निकाल कर मा को देते हुए - हा मेरी जान ये लो पैसे और गाडी वाले से बात कर ली है मैने वो 8क्या 7बजे ही आ जायेगा

मा - हम्म्म ठिक है चलिये आप भी नहा लिजिए
पापा - तो लिवा चलो कहा नहालाओगी

मा तुनक कर मुह बनाते हुए - हिहिहिही बड़ा अच्छा मजाक था ,,जाईये नहा कर आईये मुझे खाना बनाना है

मै उन की प्यार भरी नोक झोक पर हस रहा था और फिर मै भी नहाने निकल गया ।

थोडी देर बाद हम सब खाना खाकर अपने आखिरी मैदान मे थकने के लिए पहुच गये ।
इधर मै एक राउंड मे सो गया क्योकि मुझे ज्यादा थकना नही था ,,मगर पापा ने मा को 3 राउंड और पेला बस ये बोल बोल कर की अगले 3 4 दिन उन्हे तड़पना पडेगा ।

लेखक की जुबानी

एक ओर जहा चमनपुरा मे आखिरी रात का पुरा मजा लिया जा रहा था ,,,वही जानीपुर मे हवस मे मारे जीजा साले और ननद भौजाई की तडप ढलती शाम के साथ बढती जा रही थी ।

किचन से लेके सबके बेडरूम तक , मसाले से लेके सबके पहनावे तक हर जगह आते ही चाची के विचारो की छाप पडी हुई थी । यहा तक की घर के मर्द जन भी गर्मी मे बनियान मे नही रह सकते थे ।

गरम मसालो और लहसन मिर्च की छौक से रज्जो का तड़तड़ाता किचन आज बहुत शांत था । सबको बिना तड़के की दाल चावल चोखे से काम चलाना पडा ।

खाने के बाद सोने की वयवस्था मे रज्जो को अगुवाई करने पर भी चाची ने उसे टोक दिया और बोला कि मर्दो मे जाने और वहा बात करने की जरुरत नही है ।
रज्जो ने भी अपनी चचेरि सास का सम्मान किया क्योकि खानदान मे वही एक बुजुर्ग महिला थी और उन्हे शादी व्याह बहुत ज्ञान भी था ।

खैर सारी औरते उपर चली गयी । सोनल पल्लवि और चाची को उपर ममता के कमरे मे सुलाया गया ।
वही रज्जो ने ममता को अपने साथ सोने को बोला ।

निचे हाल मे कमलनाथ ने शांत और चुपचाप रहने वाले चाचा जी को अनुज के साथ सुला दिया और खूद राजन के साथ निचे सोनल वाले कमरे मे सोने चला गया ।

राजन -भाईसाहब ये चाची जी तो सच मे बडी सख्त है

कमलनाथ हस कर - अरे भाई ये तो कम है ,,, उनका कहना है कि सिर्फ़ नये शादी शुदा जोड़ो को ही एक कमरे मे सोने चाहिये । घर मे अगर बच्चे बडे हो जाये तो पति पत्नी को अलग अलग ही सोना चाहिये

राजन हस्ता हुआ - भाईसाहब बात तो चाची की एक तर्क पर सही है ,,मगर इस बेकाबू दिल को कौन समझाए हिहिहिही

कमलनाथ - बेकाबू दिल या लण्ड
राजन हस्ता हुआ - आप भी ना भाईसाहब हाहाहा
कमलनाथ की उत्तेजना बढ रही थी कल रात के बाद आज उसे नारी सुख नही मिला था ।

कमलनाथ बेचैन होते हुए - यार राजन बहुत बेताबी सी हो रही है ,,,पता नही चाची किस कमरे मे सोयी होगी । सोयी भी होगी या जाग रही होगी


कमलनाथ की बात सुन कर राजन थोडा चहक कर - भाईसाहब आप भाभी को फोन कर लिजिए ना ,,,

कमलनाथ - हा बात तो सही है , लेकिन वो ममता भी तो है उपर उसे क्या बोलू ,,अच्छा नही लगता ना

राजन ने भी सहमती दिखाई कि हा बात तो सही है क्योकि राजन की नजर मे ममता उसके गेम से बाहर की थी ।

थोडा सोच विचार कर राजन फिर बोला - भाईसाहब उपर चला जाए ,,,, थोडा देखा जायेगा जुगाड बन सेक तो

कमलनाथ - हा लेकिन अगर चाची रज्जो के कमरे मे सोयी हुई तो

राजन कुछ सोच कर - अच्चा तो ऐसा करिये ,,आप भाभी से फोन करके बस इतना पुछ लिजिए कि चाची कहा सोयी है और अगर कमरे मे होगी तो बोल दिजियेगा कि बस ऐसे ही हाल चाल के लिए पुछा था कि कोई दिक्कत नही हो रही है ना सोने मे

राजन की बात सुन कर कमलनाथ की आंखे चमक उठी
कमलनाथ फौरन उठा और रज्जो के मोबाईल पर रिंग बजा दी ।

इधर उपर कमरे मे भी दोनो ननद भौजाई भी बेचैन परेशान लेती हुई आपस मे बाते कर रही थी । कल पूजा के लिए क्या क्या तैयारिया करनी है और कैसे कैसे करना है ।

मगर दिल के एक कोने मे वो मरदाना स्पर्श की चाहत धीरे धीरे उबार ले रही थी ,क्योकि दिन भर खटने के बाद पति के बाहो मे प्यार पाकर सोने का सुकून अलग ही ।

इधर दोनो बातो मे व्यस्त थी कि तभी रज्जो के फोन की घंटी बजी

रज्जो मुस्कुरा कर - ले देख हम ही ये भी परेशान है
ममता मुस्कुरा कर - हिहिहिही भाभी बुला लो ना भैया को
रज्जो की भी आंखे चमक उठी और उसने कुछ सोच कर - पक्का ना

ममता ने भी शर्माते हुए हा मे सर हिला दिया और हसने लगी

रज्जो ने फोन उठाया - हा रमन के पापा बोलिए ,,,क्यू निद नही आ रही है क्या

रज्जो के मुह से रोमैंटिक लहजे मे बात सुन कर कमलनाथ भी गदगद हो गया

कमलनाथ - हा रज्जो तेरे बिना नीद कहा ,,वो कह रहा था कि चाची कहा सोयी है

रज्जो मुस्कुरा कर - क्यू आपको बात करनी है क्या ,वो लोग ममता वाले कमरे मे सोये है ले जाऊ मोबाईल

कमलनाथ की हालत खराब होने लगी - नही न्ही नही ,,,

रज्जो कमलनाथ को परेशान करके खिलखिलाई - फिर
कमलनाथ - अच्छा और कौन है तेरे साथ मे

रज्जो - मै हू ममता है औररर
कमलनाथ जिज्ञासू होकर - और और कौन है

रज्जो हस्ती हुई - और कोई नही बस हम दोनो ही ,,,आप कहा सोये है

कमलनाथ - मै तो राजन के साथ हू सोनल बिटिया वाले कमरे मे

रज्जो - अच्छा फिर मै निचे आती हू अभी ,,आप नंदोई जी भेज देना उपर

कमलनाथ राजन के सामने दिखावा करते हुए कि वो ममता को लेके थोडा सभ्यता बरत रहा है ।

कमलनाथ - क्या रज्जो तू भी ,,,ममता है ना वहा कैसी बाते कर रही है तू ???

रज्जो हसी - ये तो गाना गा रही है कबसे ,,,,मुझे साजन के घर जाना है तो मैने सोचा क्यू ना इसके साजन को यही बुला लू हिहिहिही

रज्जो की बात सुन कर कमलनाथ और राजन एक दुसरे को देख कर अप्रत्याशित रूप से हसे मगर ममता के लिए दोनो ने नैतिकता दिखाई ।

रज्जो - सुनो ना जी ,थोडा नंदोई जी से दुर होके बात करिये

कमलनाथ एक नजर राजन को देखता है तो वो आंखो से इशारा करके इत्मीनान होने को बोलत है । फिर कमलनाथ उठ कर दरवाजे तक जाता है ।

कमलनाथ - हा रज्जो बोलो अब
रज्जो थोडा शरारती भाव - आजयिये ना आप,,, हम दोनो तडप रहे है प्लीज

कमलनाथ का लण्ड रज्जो की कामुकता भरे संवाद से टनं हो गया और उसने फौरन राजन की ओर देखा कि कही उसने सुना तो नही ।

कमलनाथ वापस फुसफुसाते हुए - हा लेकिन यहा राजन है उसे क्या बोलूंगा

रज्जो - तो उनको भी लेके आ जाईये ,,हा नही तो

कमलनाथ की आंखे बडी हो गयी - तू पागल हो गयी है क्या ,,
रज्जो कसमसा कर - मै कुछ नही जानती - आप आओ नही तो मै आ रही हू

कमलनाथ - रज्जो मन मेरा भी है लेकिन ये तो सोच कि राजन क्या सोचेगा कि मै ममता के सामने भी ऐसे ही पेश आ रहा हू

रज्जो - अगर आपको दिक्कत हो रही है तो आप रुको मै आती हू और नंदोई जी को भेज दूंगी ,,ठिक है

कमलनाथ - अब क्या बोलू मै ,,,जैसी तेरी मर्जी लेकिन ध्यान से देख समझ कर

रज्जो खिल्खिलाई - हा ठिक है मेरे राजा उम्म्ंममममाआअह्ह्ह्ह
फिर फोन कट गया

राजन - क्या हुआ भाईसाहब
कमलनाथ - वो रज्जो जिद किये हुए है कि वो आ रही है और तुमको उपर जाने को बोल रही है
राजन - अरे कोई बात नही मै चला जाऊंगा आप लोग मजे करिये हिहिहिही

कमलनाथ - बात वो नही राजन ,,ये ऐसे ममता के सामने रज्जो की जिद नही समझ आती

राजन - भाभी जी आ रही है आप बस मजे करिये हिहिही मै जा रहा हू उपर

ये बोलकर राजन उठा और सीढियो से उपर चला गया
इधर जैसे ही वो उपर की सीढ़ी पर गया तो देखा कि चाची जी रज्जो की क्लास ले रही है ।
राजन बिना उनकी नजर मे आये उल्टे पाव भाग आया ।

कमरे मे राजन को वापस देख कमलनाथ उसे कारण पुछता है ।

कमलनाथ - अरे राजन तू वापस क्यू आ गये
राजन अपना पसीना पोछता हुआ -अरे भाईसाहब वो चाची जी उपर भाभी जी को डाट लगा रही थी और फिर उन्के साथ ही उन्के कमरे मे चली गयी ।


कमलनाथ अपना माथा पिट लिया - यार ये चाची भी ना ,,,, चलो भाई सो जाओ ऐसे ही

राजन को अब अपने हालत पर हसी आई - हिहिहिही लग रहा भाईसाहब चाची को सेक्स से ही परेशानी है

कमलनाथ - पता नही भई लेकिन आज तक ऐसा कोई नही मिला जो इतना प्रतिबंध लगा रहा हो ।खैर छोडो अब देर हो गयी है सो जाते है सुबह ही पूजा पाठ की तैयारियाँ करनी है

इधर ये दोनो भी तडप कर सो जाते है वही उपर रज्जो चाची से इतनी रात मे घुमने के लिए डांट पाकर चुपचाप सो गयी ।


एक नयी सुबह एक नये सिरे से कहानी को आगे ले जाने को तैयार थी क्योकि वहा चमनपुरा मे राज अपनी मा के साथ सुबह 8 बजे ही गाड़ी मे बैठ कर निकल गया था ।

इधर जानिपुर मे भी सुबह से पाखानो मे होड़ लगी थी ,,कारण था निचे एक ही पाखाना था । बडी मुश्किल से सबने बारी बारी से निपटारा किया और वही उपर के फ्लोर पर चाची जी की डांट का डर सब्के मन में बना हुआ था ।
सारा महिला वर्ग सुबह 7 बजे तक नहा धो कर तैयार हो गया था ।
इतना कुछ अच्छा और सही समय पर करके दिखाने पर भी चाची के चेहरे पर कोई खुशी के भाव नही थे ,,, ना जाने कोन सी चिढ़ थी उन्हे हर चीज़ के डाट लगा देती थी ।

खैर थोडी देर बाद सारे लोग हाल मे नास्ते के लिए जमा हुए तो उसपे भी चाची के टोका कि पहले मर्द जनो को देदो ,,,वो नासता करके अपने अपने कामो के लिए निकल जाये फिर घर की औरते करेंगी ।

कमलनाथ ने रज्जो को परेशान देख कर आंखो से उसे इत्मीनान रख्ने को कहा और फिर नासता खतम हुआ ।

राजन और कमलनाथ नासता करके निकल गये पूजा की तैयारियो मे ,,क्योकि ये कोई खास पूजा थी जिसमे दूल्हे का बाप और मा ही उस पूजा की तैयारिया करते है अकेले ।

चाची ने जब कमलनाथ को राजन को ले जाते देखा तो टोकि - अरे जमाई बाबू काहे लिवा जा रहे हो ,,पता है ना इसमे सिर्फ तुम्हारा काम है

कमलनाथ ने बहाना मारा - हा चाची लेकिन थोडा खाना बनाने वाले को बोलना है ,,क्योकि दोपहर तक काफी मेहमान आ जायेंगे ना

कमलनाथ की बात पर चाची ने सहमती दी और वो दोनो सरक लिये ।इधर अनुज भी रमन के साथ दुकान पर निकल लिया क्योकि उसकी भी फट रही थी ।

चाची ने रमन को भी टोका कि दोपहर को समय से दुकान बंद करके पूजा के लिए आ जाना । रमन ने चुपचाप सुना और खसक लिया ।

इधर गर्मी मे सूट सलवार पहन कर काम करने मे सोनल को दिक्कत हो रही थी उपर से पल्लवि भी इतने दिनो मे ढीले कपड़ो की आदी हो गयी थी तो उस्की भी परेशानी कम नही थी ।

घर के किचन से लेके बेडरूम और बाथरूम तक हर जगह चाची जी दबदबा था । किचन मे आज फिर से बिना कोई तड़क भडक का सारा खाना बनाया गया ,, दाल चावल रोटी और करेले की सब्जी ।

इतनी सारी चंचल औरतो के रहने के बावजूद भी घर मे कही भी हसी की किलकारि नही सुनाई दे रही थी । सबको डर होता कही इसके लिए भी चाची ना डाट दे ।
यहा तक कि सोनल कल से ही अमन से बात नही कर पायी थी । उसकी बेचैनी अलग थी । वही हमेशा चहकने वाली पल्लवि भी अपनी नानी के डर मे शांत थी ।

इनसब के बीच करिब 11बजे अपना राज रज्जो के यहा आ पहुचता है । अब यहा से आगे की कहानी राज की जुबानी होगी । हा बिच बिच मे चमनपुरा के हाल चाल के लिए लेखक की वापसी जरुर होती रहेगी ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है मजा आ गया चाची के आ जाने से सब की मस्तियों में भंग पड़ गया हर कोई तडप रहा है देखते हैं राज क्या करता है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,562
18,381
158
UPDATE 122

CHODAMPUR SPECIAL UPDATES



पिछले अपडेट मे जैसा कि आपने पढा एक ओर जहा चमनपुरा से राज जानीपुर आ चुका है ,,वही कमलनाथ की चाची ने घर के चप्पे चप्पे पर ऐसी निगरानी रखी है मानो घर मे हर जगह CCTV और MOTION CENSOR लगे हो । उपर से चाची ने घर का प्रशासन इतना कड़ा किया हुआ कि एंटी रोमियो स्क़ुओड वाले भी क्या निगरानी रखते होगे मनचलो पर ।
अब देखते है आगे क्या होता है क्योकि आगे की कहानी अब राज के हिसाब से ही आगे बढेगी और अपने राज के स्वभावो से वाकिफ तो खैर आप सब हो ही ।

अब आगे

राज की जुबानी

सुबह 11 बजे मै रज्जो मौसी के यहा पहुचा । एक अलग ही खुशी थी ,,क्योकि काफी समय बाद कोई शादी मे आने का मौका मिला था और घर से बाहर घुमने का भी ।
मैने गाडी से समान उतारा और मौसी मौसी चिल्लाते हुए अन्दर घुसा ही था कि एक बुढ़ी औरत के तेज कर्कस तानो ने मेरा सारा जोश और उत्साह मिट्टी मे मिला दिया ।

मुझे अन्दर ही अन्दर बहुत दुख हुआ कि आते ही शुरुवात ऐसी हुई है लेकिन जैसा कि घर के संस्कारो से बंधा हुआ था तो मैने कोई रूखा स्वभाव नही दिखाया उन्हे बल्कि झुक कर उन्के दोनो पाव छुते हुए मुस्कुरा कर उन्हे प्रणाम किया ।

मै - नमस्ते दादी ,,मौसी कहा है
वो बुढ़ी औरत का गुस्सा एक पल मे ही मेरे व्यवहार को देख कर पिघल गया और मानो उन्हे अपनी गलती का अह्सास हुआ हो और अपनी वाणी मे निर्मलता लाते हुए - तू कौन है बिटवा

तभी पीछे से मा बोली - काकी ये मेरा बेटा है ,,नमस्ते
फिर मा ने भी उस औरत के पाव छुए
बुढ़ी हस्ती हुई - हा हा खुश रहो ,,काफी घोड़ा हो गवा है हहाहा

इतने मे रज्जो मौसी उपर से निचे आती हुई ।
रज्जो - अरे लल्ला तू आ गया
मै दौड़ कर मौसी के गले लगते हुए - हा मौसी ,पता है आपकी बहुत याद आ रही थी जिहिहिही और मौसा कहा है ,,रमन भैया अनुज और मेरी दीदी हिहिही कहा है सब

घर मे अचानक से मानो कोई बहार आ गयी ,, मेरे चहकपने और खिलखिलाहट से घर के सभी लोग धीरे धीरे निचे हाल मे आने लगे ।

तभी मुझे सीढियो पर से तेजी से किसी के आने की आहट हुई वो सोनल दीदी थी ।
वो आई तो तेज थी मगर जैसे ही उसने उस बुढ़ी औरत को देखा वो शान्त हो गयी

वो चल कर धीरे से मेरे पास आई और बोली - अरे राज तू कब आया
मै तो फुल मस्ती मे उसके हाथ पकड कर - हिहिही बस अभी आया दिदी ,,अनुज कहा है

सोनल दबी आवाज मे मुस्कुराते हुए - वो रमन भैया के साथ दुकान गया है

इधर मा रज्जो मौसी और वही खड़ी एक और औरत से मिलने लगी ।

तभी मेरी नजर एक गजब सी खुबसूरत और भरे जिस्मो वाली एक लडकी पर गयी ,,जो नजरे घुमा फिरा कर मुझे ही घुरे जा रही थी ।
उसके सीने का उभार उस गुलाबी सूट मे कसा हुआ था और उसके फैले हुए कुल्हे ऐसे ब्या कर रहे थे कि मानो कितने सिद्दत से उन पर मेहनत की गयी थी ।

जैसी ही मेरी नजर उस्स्से टकराई वो मुस्कुरा कर मुह फेर ली
मै धीमे से सोनल के कान मे उस लड़की की ओर इशारा करते हुए - दिदी ये कौन है जो लाईन मार रही है मुझे हिहिहिही

सोनल मेरे हाथ पर पट्ट से मारते हुए धीमी आवाज मे बोली -पागल कही का ,,ये वही है बताया था ना कि चोदमपूर गाव से रमन भैया के बुआ फूफा आये है ।
मै चोदमपूर शब्द सुन कर मुह मे हसा - अच्छा

सोनल - हा ये उनकी बेटी है पल्लवि ,और वो ममता बुआ है
सोनल ने मा से बात करती हूई एक गोरी सी औरत को दिखाया

मै तब जाकर उस औरत के कूल्हो पर नजर मारी और मन ही मन सोचा -साला जैसी मा वैसी ही बेटी भी है हिहिही

फिर मै वहा से चल के उस औरत के पास गया और उसके पाव छुते हुए - नमस्ते बुआ जी

ममता - अर्रे खुश रहो बेटा,,,, रागिनी भाभी आपका बेटा तो बहुत होनहार है

मा हस्ते हुए - हा सो तो है ,,अरे दीदी ये जीजा जी नही दिख रहे

रज्जो - तुझे बडी पडी है अपने जीजा जी से मिलने की
ममता - अरे मिलने दो ना भाभी ,, ना जाने कब से ये जीजा साली तरस रहे होगे मिलने को हिहिही

रज्जो ने तुरंत ममता का हाथ पकड़ते हुए उस औरत की ओर इशारा किया जो सोफे पर बैठी पंखे की हवा मे झपकी ले रही थी ।

रज्जो - पागल है क्या ममता ,,देख नही रही चाची है

ममता खिखियायि तो मै रज्जो मौसी से पुछ पडा आखिर ये है कौन

रज्जो धीमी आवाज ने - बेटा वो ये तेरे मौसा की सगी चाची है ,,गाव मे रहती है शादी के लिए आयी है ।तू थोडा देख समझ कर रहना क्योकि बहुत डांट लगाती है ।


इधर मानो वो चाची जी ने रज्जो की आवाज सुघ लिया हो
चाची जी - अरे खडे खडे अब पंचायत ही करनी है या मेहमानो को पानी भी पुछोगे
चाची के तंज पर घर की सभी महिलाए एक चुप हो गयी ।
फिर रज्जो मौसी ने हमारे कुछ समान लिये और फिर मै भी एक भारी बैग लेके उपर सीढियो से जाने लगा ।

मेरे पीछे मा , मौसी और वो ममता बुआ थी ।
सोनल दिदी उस पल्लवि के साथ किचन मे हमारे लिए पानी लेने चली गयी ।

हम सब मौसी के कमरे मे थे ।

मै ह्सते हुए - अरे मौसी ये दादी जी बहुत कड़क है जैसे अदरक हिहिहिही

रज्जो हस्ते हुए - तुम भी ना लल्ला , अरे कड़क पुछ रहा था अभी जबतक तू नही आया था , लग ही नही रहा था कि घर मे चार लोग है

मै चहक कर - अरे मौसी आप चिंता ना करो हिहिहिही

इतने मे मा मुझे डाटते हुए - क्या तू है तो ,,,अब झगड़ा करेगा काकी से

मै - अरे नही मा , शादी का घर है इतनी शान्ति अच्छी नही कुछ गाना बजाना होना चाहिए ना

इतने मे सोनल और पल्लवि कमरे मे आते है पानी का ट्रे लेके

सोनल - हा भाई सही कह रहा है ,,कल से हम लोगो इतनी घुटन हो रहि है ,लग रहा है अभी से ससुराल मे आ गये है हिहिहिही

तभी मेरी नजर मौसी के कमरे मे उनकी टीवी पास रखे हुए म्यूज़िक सिस्टम पर गयी

मै - अरे ये देखो ,,,बाजा है फिर भी नही बजा रहे हो आप लोग

मौसी - अरे बेटा तुझे लगता है चाची बजाने देंगी

मै कुछ सोच कर - अरे आप टेन्सन ना लो मै कुछ जुगाड़ कर लूंगा

मा - हा लेकिन ध्यान से ,,बहुत उतावला होने की जरुरत नही
ममता - हा बेटा रागिनी भाभी सही कह रही है,,,चाची सच ऐसी ही है कुछ उल्टा सीधा बोल देन्गी तो तेरा मन खराब हो जायेगा

मै उनको निश्चिँत करता हुआ - अरे बुआ परेशान क्यू हो रही हो,,बडी है अगर कुछ बोल देन्गी तो सुन लूंगा हिहिही

ममता मेरी बात पर हसते हुए - क्या खाकर पैदा किया था भाभी इसे हिहिही बड़ा जिद्दी है

मा मुझे दुलारते हुए - धत्त जिद्दी नही है ,,,बहुत समझदार हैं

इनसब के बीच मेरी नजर पल्लवि से कभी कभी टकराती रही ।

मै - तो मौसी मै तो यही रहूंगा इसी कमरे मे आपके साथ

मेरी बात पर सब हस पडे और ममता बोली - आजकल तेरे मौसा ही नही सो पा रहे तो तू कैसे हिहिहिही

फिर मैने कारण पुछा तो रज्जो मौसी ने सारा कुछ बताया और फिर मेरे लिये रमन भैया के साथ फिक्स कर दिया गया ।

मैने जब चाची के विचारो को जाना तो तय किया कि इनको भी इनके ही तरीके से ऐसा उलझाउँगा कि सब कुछ मेरे हिसाब से ही होगा फिर

मै उठा और फिर निचे चला गया और चाची जी के बगल मे बैठ गया

मै मुस्कुरा कर - और दादी आप अकेले आयी है या गाव से और भी कोई आया है ।

चाची जी मेरे सवाल से खुश हुई और बोली - हा बिटवा वो कमल (मौसा) के चाचा भी आये है

मै थोडा जिज्ञासू होकर - अच्छा दादी गाव मे शादिया कैसे होती है ,,,मतलब यहा देखो ना कोई गाना बजाना नही , कोई चहल पहल नही

मानो मैने चाची जी के दुखती रग पर हाथ रख दिया वो भड़के हुए स्वर मे ,- अरे जाये दो बिटवा ये शहर की रहन वालीयो को कहा गीत सोहर आता है ,,, अरे कम से भक्ति भजन तो कर ही सकत है सब लोग बैठ के


मैने बडी बारीकी से चाची जी के विचारो को सुना और समझा तो पाया कि वो भी कुछ उम्मीद और लालसा लिये आयी है इस शादी मे ।
मैने सोचा क्यू ना कुछ इनके मिजाज का ही करवाया जाये ।
इधर थोडी देर मे मौसा और उन्के साथ एक आदमी घर आये ।मै जान गया कि वो चोदमपूर से आये पल्लवि के पापा ही होगे क्योकि और किसी मर्द की चर्चा हुई नही थी अब तक

मै उठ कर मौसा जी के पाव छुए और फिर पल्लवि के पापा राजन के पाव छुए

राजन - अरे बेटा खुश रहो खुश रहो ,,,तू मुझे कैसे जान्ते हो

मै हस कर - वो अभी मौसी ने बताया था थोडी देर पहले
कमलनाथ - और राज बेटा घर का क्या हाल है और रंगीलाल भाई क्यू नही आये

मै - दरअसल मौसा जी वो इन दिनो चोरी की बहुत दिक्कत हो रही है और फिर दो दो दुकाने है , फिर चौराहे वाला नया घर भी

कमलनाथ - अच्छा अच्छा कोई बात नही ,,,और कुछ चाय नासता हुआ

मै मौसा जी को लेके एक तरफ गया
मै - जी मौसा ,, वो पूछना था कि अच्छा पूजा कबसे है

कमलनाथ - बस 3 बजे से है बेटा क्यू
मै - अच्छा आस पास के लोगो को जना दिया गया है ना
मौसा जी मेरी फ़िकरमंदी पर खुश होते हुए -अरे बेटा तू चिंता ना कर अभी ठाकुरायिन आती होगी । फिर तेरी मौसी जहा जहा कहेगी वो बता आयेगी

मै कुछ सोचा - जी ठिक है फिर
फिर बाकी लोग भी अपने अपने कामो मे लग गये ।

करीब 1 बजे वो ठकुरायिन मौसी से मिलने आयी और मै उसी का इन्तजार कर रहा था ।

जैसे ही मौसी ने उसे सब बताया तो
मै - मौसी मै भी इनके जाता हू ,,घर का कोई रहेगा तो ठिक रहेगा

मौसी मुस्कुराई और बोली - अच्छा ठिक है भई जा और जल्दी आना
फिर मै और ठकुरायिन करीब आस पास के 15 20 घरो मे गये । वहा मैने खुद से अगुआई करते हुए घर की सभी बुजुर्ग महिलाओ को आने का निवेदन किया ।

सबके आने के बाद मै किचन मे मौसी के पास गया
मै - हा मौसी वो मैने सबको पूजा के लिए बोल दिया है और आप जरा दो तीन बडी वाली चटाई निकाल देन्गी यहा निचे के हाल मे बिछाना है

मौसी मुस्कुरा कर - अरे परेशान ना हो लल्ला ,,,पूजा उपर ही होगी तो वहा व्यव्स्था कर दी गयी है ।

मै - अच्छा फिर थोडा 10 लोगो के लिए और चाय पानी व्यवस्था हो जायेगी क्या

मौसी - अरे उसकी दिक्कत नही है,,तू बिल्कुल परेशान ना हो सब 10क्या 50 लोगो की व्यवस्था है हिहिही

त्ब तक किचन मे पीछे से अनुज की आवाज आई - तो मौसी मुझे भी दो एक दो गुलाब जामुन

मै अनुज की आवाज सुन कर खुशी से पल्टा - अरे अनुज मेरे भाई हिहिहिही

अनुज मेरे पास आया और मैने उसे गले लगा लिया - अबे कहा था तू
अनुज - वो मै और रमन भैया दुकान पर थे ,,,आप कब आये

मै - बस थोडी देर पहले
फिर मै रमन भैया से मिला और भाभी मिलने की खुशी मे उनको छेडा भी ।

फिर मै उनके साथ कमरे मे गया और उनसे शादी की तैयारियाँ को लेके कुछ जरुरी बाते की ।

थोडी देर मे काफी सारी औरते आ गयी । पूजा मे अभी 1 घन्टा था तो मौसी को समझ नही आ रहा था कि सब लोग पहले क्यू आ गयी ।

पहले तो मौसी ने ममता और मा को उन औरतो की आवभगत का जिम्मा दे दिया और फिर रमन भैया के कमरे मे मुझे खोजती हुई आगयी ।


रज्जो - अरे लल्ला,,तुने कितने बजे बोला था सबको आने को ,,पूजा 3 बजे से है ना

मै हस कर- हा मौसी मैने ही इन्हे बुलाया है पहले आये ।
रज्जो - अरे बेटा क्या करेंगी ये सब अभी से

मै हस कर - अरे अभी देखो तो हिहिही
रज्जो परेशान होकर - पता नही क्या करने की सोच रहा है तू

इधर उपर मा और ममता बुआ ने मिलकर सबको बिठाया और पानी पिलाया

इनसब से बेखबर चाची जी रज्जो मौसी के कमरे मे कुलर की हवा मे सो रही थी ।

थोडी देर बाद रमन भैया के साथ कुछ प्लान किया और फिर उपर छत पर चला गया ।

उपर जाने के बाद मैने एक दो बुजुर्ग महिलाओ से आग्रह किया और बोला कि जिसके लिए वो आयी है वो शुरु करे ।

किसी को समझ नही आ रहा था कि मेरी योजना क्या है

इधर निचे हाल मे मौसा , मौसी, राजन , रमन अनुज थे और किचन मे सोनल और पल्लवि पूजा की तैयारियो मे लगी थी ।

उपर सिर्फ मा ममता और मै थे ।
मै मा से - मा दादी कहा है
मा - वो सोयी है क्या हुआ
मै चहक कर - अरे ऊनको जगाओ ना

मा आंखे बडी करके - तू पागल है मै नही जगाने वाली
इधर मा की बाते पूरी होती उस्से पहले वो सारी औरते एक सुर मे देवीगीत का गान करने लगी ।

मै हस कर - रुको मै ही जगा देता हू

मा मुझे रोकना चाही मगर कि ये सब क्यू करवा रहा हू ,,वैसे ही शोर शराबे से गुस्सा आता है चाची जी को

मै नही रुका और कमरे ने गया और ब्डे प्यार से उनको हिला के उठाया

चाची जी - अरे क्या हुआ बिटवा ,,पंडित जी आ गये का

मै हस कर - अरे दादी चलो तो आप ,,,, आपकी सहेली लोग आयी है

तभी चाची जी के कानो मे देवीगीत के बोल सुनाई दिये और वो हसते हुए बोली - धत्त नटखट कही का

मै हस कर उन्हे उठाते हुए - अब चलो नही तो भाग जायेगी आपकी सहेली लोग हिहिही

वो चाची मुस्कुराई एक खुशी सी थी उनकी आंखो मे और चेहरा पुरा खिला हुआ था ।
एक जोश के साथ मुस्कुराती हू बाहर आयी और पहले हाथ जोड कर मन मे कुछ बुदबुदाइ और फिर वही चटाई पर बैठ गयी ।

इधर मा और ममता बुआ भौछक्के रह गये कि इसका ख्याल उन्हे क्यू नही आया ।

मै मा को हस कर देखा तो मुस्कुरा रही थी और जैसे मुझे शाबाशी दे रही हो ।

वही निचे भी हालत खराब ही थी ,,, मौसा मौसी , राजन रमन भैया ,अनुज सब के सब चुप हो गये थे ।
उन्हे यही लग रहा है कि अब चाची का भडका हुआ स्वरूप ही देखने को मिलेगा ,,अच्छा खासा शादी का माहौल करकच का घर हो जायेगा

क्योकि सबको यही लग रहा था कि चाची जी को शोर शराबा और लोगो का जमावड़ा पसंद नही था
तभी पहला देवीगीत खतम हुआ और एक चुप्पी सी छा गयी । थोडी खुसरफुसर हो रही थी कि तभी चाची जी ने एक देवीगीत के बोल का उच्चारण किया और बाकी की औरते उनको दुहराणे लगी ।


निचे सबके कान खडे हो गये कि ये तो चाची जी की आवाज है और सबके चेहरे पर एक अनपेक्षित खुशी छाने लगी।

मौसी दौड़ते हुए उपर आयी और चाची को गाते हुए देखा ।

मै उन्के पास गया और हस बोला - लो मौसी फसा दिया इनको अब ये किसी को नही कुछ बोलने वाली

रज्जो हसकर - हिहिही बदमाश कही का ,ये था तेरा आइडिया हम्म्म

मै - क्यू सही है ना हिहिही अभी और भी आइडिया है

रज्जो - हा बहुत अच्छा किया ,,पहली बार चाची को खुश देखा इतना ,, नही तो इनकी नाक चढ़ी ही रहती थी हिहिही

मै - चलो इनको बिजी रहने दो , आप और मौसा जी तैयार हो लो।

मौसी ने प्यार से मेरे गालो को छुआ और अपने कमरे मे जाते हुए बोली - ठिक है ,,जरा निचे से अपने मौसा को भेज दे

मै - जी ठिक है
फिर मै निचे चला गया ।
इधर रमन भैया ने सबको मेरे योजना के बारे पहले से ही बता दिया था ती सबने मेरी तारिफ खासकर मौसा जी तो भावुक ही उठे ।

कमलनाथ - बेटा, हमारे खानदान मे मा के तौर पर एक चाची ही थी ,,उसका ऐसे नाराज होना खटक रहा था ,मगर तुने सब ठिक कर दिया

मै हस कर- अरे मौसा जी आप भी ना ,, जाओ मौसी बुला रही है हिहिही

फिर मौसा उपर चले गये और मै रमन अनुज ने रात मे घर को जगमग करने की कुछ प्लानिंग की ।

शाम को बडे अच्छे से पूजा संपन्न हुई और चाची जी सभी औरतो को फिर हल्दी वाले दिन आने को कहा।
हम सब हाल मे साथ मे बैठे हुए थे ,,
मौसी और मा सबको विदा करके हाल मे आती है तो चाची जी उठ के अपने पल्लू से एक गाठ खोलती है और मा के हाथो ने 21 रुपया देती है ।

मा हस कर- अरे काकी ये किस लिये
चाची मा के सर पर हाथ रख कर बोल्ती है -रख ले बहू ,,,तेरे लाड़ले का सगुन है

मा हस कर- हा तो आप इसे राज को दीजिये ना
चाची मुस्कुरा कर- अरे तुम शहर वालियो को कुछ पता भी है ,,जब तक लड़के का शादी न हो जाये तब तक उसके हक सगुन उसकी अम्मा को ही दिया जात है ।

मुझे ये नयी बात जानाने को मिली तो जिज्ञासा वश होकर - अच्छा दादी फिर शादी के बाद

चाची हस के - शादी के बाद लडके की दुल्हीन को

चाची की बात पर सब खिलखिला कर हस पडे ।
मै भी मजाक भरे लहजे मे - मतलब हम लोगो को ठेंगा हिहिहिही

चाची हस कर - अच्छा अब मुह ना बनाओ ये लेओ

मैने भी हाथ बढ़ाया तो उन्होने एक खट्टी मीठी कैंडी थमा दी
जिसे देख के सबने मेरा मजा ले लिया ।

मै भी जबरदस्ती खुद को हसा ही दिया क्योकि माहौल ही हसनुमा था ।

चाची थोडा खुद को स्थिर करते हुए - अब जो हीहीथिथी कर लिये हो तो रात वाला खाना तनिक सवेरे बना लो ,,, आधा रात मे खाना नाही खाया जात है

चाची के तानो से सबकी हवा एक बार फिर से टाइट हुई और धीरे धीरे फुसफुसाते हुए सब लोग निकल लिये ।

इधर मै रमन भैया और अनुज भी बाजार के लिए निकल गये । क्योकि हमे काफी सारे सजावट के समान लेने थे ।
बाजार से हमने काफी सारे रंगीन बलब झालर लाईटस लिये और कुछ चमकीले सजावटी समान भी । फिर वापस आकर 6 बजे से 9 बजे रात कर हम तीनो ने मिल कर पुरा घर सजा दिया ।

पुरा घर रौशनि और रौनक से भर गया और फिर सबने खाना खाया और सोने की योजना हुई ।

तो मुझे पता चला कि सच मे चाची जी इस बात को लेके बहुत सख्त है । उन्होने सारी औरतो को उपर ही सुलाया और हम मरदो को निचे ही सोना पडा ।

रात मे सोने से पहले मा ने मुझे पापा से बात करवाने को बोला ,,,तो वो भी अकेले बेचैन परेशान थे और खाना खा कर सोये थे ।


मै भी बहुत थका था और रमन भैया के कमरे मे सोना था तो उनके बिस्तर पर सो गया ।

सुबह 5 बजे तड़के ही घर मे चहल पहल शुरु हो गयी थी ।
मै उठ कर बाहर आया तो पता चला कि निचे सिर्फ़ एक ही पाखाना है , जिससे सबको समस्या हो रही थी ।

लेकिन अब उसके लिए क्या ही कर सकते थे ।
जैसे तैसे पेट दबा कर और पिछवाडा टाइट रखके सबने निबटारा किया ।

बारी बारी से सारे लोग नहा लिये । मैने भी कपडे बदले और एक टीशर्ट और फुल लोवर पहन लिया,,जैसा कि मौसी ने रात मे समझाया था ।

थोडी देर बाद नास्ते के लिए सब हाल मे बैठे ,,लगभग सब कोई मोबाईल मे व्यस्त था ।
तभी धीरे धीरे एक एक करके घर की पूरी महिला मंडली नहा धो कर निचे आई।

तब जाकर मेरे मन मे वापस से सो चुकी वासना ने एक उबाल लिया ,,क्योकि मै खुद रमन भैया की शादी की तैयारियो मे व्यस्त हो गया था कि इसपे कभी ध्यान नही दे पाया और रात मे रमन भैया से बात करने मे ही सो गया था ।हालाँकि मैने उनके और मौसी के बिच के रिश्तो पर कोई बात नही की , क्योकि मुझे अनुमान था कि शायद मौसी को लेके रमन भैया को उतनी जान्कारि नही है जितनी मुझे है ।


उधर जैसे ही मेरी नजर तीन मोटे हिल्कोरे भरे कूल्हो पर गयी ,,,लण्ड एक बार मे ही टनं हो गया ।
मा मौसी और ममता बुआ ओह्ह्ह ये तीनो कम थी कि सोनल दीदी भी पटियाला सूट मे निचे आयी और उनके पीछे पल्लवि अह्ह्ह यरर कयामत उफ्फ़फ्फ उसके चुचो का उभार तो सोनल दीदी से ज्यादा भरा हुआ लग रहा था और चूड़ीदार सूट सलवार मे बाहर की निकले हुए कूल्हो का उभार

मैने जब पल्लवी पर नजर मारी तो उसने मुझे नही बलकी उसकी नजरे कही और थी । उसकी नजरो का पीछा किया तो देखा अनुज ,,,मेरा अनुज

मै मन मे - अबे साला गजब ,,, लौंडा बड़ा हो गया है ,हिहिहही ,,, देखना है कि बात बस इशारो तक ही है या आगे भी बढ़ी है कुछ

इधर हाल मे बाते शुरु हो गयी और मौसा जी ने बताया कि नाना , गीता बबिता और मामी आ रही है आज ही शाम तक । मुझे खुशी तो हुई लेकिन फिर ये सोच कर मन उदास भी हो गया कि किसी के साथ कोई मजा नही हो पायेगा ।
फिर घर भी तो छोटा है ।

फिर मैने सोचा क्यू ना घर मे भिड़ बढने से पहले ही कुछ जुगाड लगाया जाये । इस माहौल मे अगर कोई राजी हो सकता है तो वो सिर्फ रज्जो मौसी ही है । उन्ही के साथ कोई न कोई जुगाड फिट करता हू ।
थोडी देर बाद सब जेन्स लोगो के लिए नास्ता लगवाया गया ।
इधर नास्तो का दौर जारी था मगर एक ओर जहा मेरी नजरे पल्लवि और अनुज के आंखो के इशारेबाजी पर लगी थी ।
वही दुसरी ओर किचन मे खड़ी मौसी पर थी ,,मुझे उसने बात करनी थी ।

धीरे धीरे सारे लोग अपने अपने कामों में व्यस्त हो गये ।
अनुज रमन भैया जे साथ उनके दुकान चला गया ।
मौसा और राजन फूफा बगल के घर मे कोई काम से गये थे ,,शायद वहा कुछ खाना ब्नाने का और मिठाइया बनवाने का इन्तेजाम करवाना था ।

मै धीरे से रमन भैया के कमरे में चला गया और चाची जी के नासता करके जाने का इन्तजार किया ।

इधर धीरे धीरे करके सारे लोग उपर चले गये । किचन मे मा और मौसी दिखी

मै खुश होकर किचन मे गया

मै मौसी के कन्धे पर हाथ रखते हुए - ये क्या मौसी आपके रहते कोई मस्ती नही कर पा रहा हू मै

मा हस्ते हुए एक नजर हाल मे देखी कि कोई है तो नही और फिर मुझे हल्का मेरे पिछवाड़े पर चपट लगाते हुए - पागल है क्या तू ,,देख नही रहा क्या हालत यहा कि

रज्जो उखड़कर - हा बेटा,,मै तो खुद 2 दिन से परेशान हू ,,चाची जी वजह से घर की हालत देख ही रहा है ना

मै चहक कर - अरे तो रमन भैया के पास दुकान पर चली जाती हिहिहिही कोई बहाना करके हीही

रज्जो ह्स्ते हुए - बदमाश कही का , जबसे तेरे मौसा आये है उसके बाद से रमन और मै दुर दुर ही है समझा

मै - मतलब रमन भैया इतने संतोषी आदमी है
रज्जो तुनकते हुए - संतोषी क्या इसमे ,,जल्द ही उसे अपनी जवाँ बीवी मिलने वाली है तो उसको अपनी बूढ़ी मा की क्या जरुरत

मै मौसी को टोकता हुआ - खबरदार जो मेरी सेक्सी जानू की बुढ़ी बोला तो

मा और मौसी मेरी बात पर हसने लगी

मै थोडा जिद करते हुए - मौसी प्लीज कुछ करो ना ,, बहुत मन है

मेरे इतना बोलने की देरी थी कि चाची जी आवाज आई सीढ़ीओ से जो मौसी को ही बुला रही थी

रज्जो - देखा बेटा, तू समझ और थोडा

मा - हा बेटा यहा उचित जगह नही है और तू जिद ना कर ,,,

इधर इनकी बात खतम होती उससे पहले ही चाची जी किचन के दरवाजे पर आ गयी

चाची - अरे तुम लोगो को कुछ सुनाई देता है या नाही ,,,कबसे चिल्ला रही हू

रज्जो - हा चाची कहिये ,,वो हम लोग समान निकाल रहे थे ।

चाची - जरा एक ग्लास पानी देओ दुल्हीन ,
फिर मौसी ने लपक कर पानी उन्हे दिया

तभी चाची की नजर मुझपे गयी और बोली - अरे बिटवा तुमहू यहा हो ,,आओ जरा तुमसे कुछ काम है

मै चौका ,,मतलब मुझ्से क्या काम होगा इस बुढ़ी को

खैर मैने उनका सम्मान करते हुए उन्के साथ उपर हाल मे गया । फिर जब मैने उनसे बात की तो मुझे बहुत हसी भी आई और थोडा उनके भावनाओ के लिए आदर और बढ गया ।
मगर मैने भी उन्से हसी हसी मे एक शर्त रख दी जिसे उन्होने हसी खुशी कुबुल किया ।

फिर मै रज्जो मौसी को बोल कर निकल गया रमन भैया के पास

लेखक की जुबानी

एक ओर जहा राज अपनी तैयारियो मे व्यस्त था वही चमनपुरा मे रन्गिलाल अपनी दुकान पर बैठा बेचैन हुआ जा रहा था ।

कारण था पिछले 36 घन्टे से चुत का सुख नही मिल पाना ।
ऐसा नही था कि रागिनी के जाने के बाद उसने रात बिताने के लिए इन्तेजाम करने का नही सोचा था ,,,मगर चाहे विमला हो या रंजू ताई सबने मना कर दिया । सब शादियो के सीजन मे व्यस्त ही थे ।

दोपहर का वक़्त हो चला था और दुकानो के ग्राहको के रूप मे आती औरतो के चुचे निहारकर आहे भरने के सिवा कुछ नही कर सकता था । ऐसे बेचैनी के आलम में उसे राहत भरी दो बडी बडी चुचिया हिलती नजर आई और जब चेहरे पे ध्यान दिया तो देखा शकुन्तला खाने का झोला लिये रंगीलाल की दुकान की ओर बढ़ी हुई आ रही थी ।

रंगीलाल की आंखे चमक उठी और दिल बागबाग हो गया ।
उसने तय किया कि अब एक मात्र सहारा यही है ,,इसे ही निचे लाने का प्रयास करता हू ।

रन्गिलाल उठ कर शकुन्तला के स्वागत मे खड़ा हुआ - अरे भाभी जी आप यहा , अरे फोन कर देती मै किसी को भेज देता टिफ़िन लेने

फिर रंगीलाल उसको अन्दर रेस्टरूम मे आने को बोलता हुआ - आईए आईये अन्दर चलते है ,,,आप भी ना इतनी गर्मी मे
शकुन्तला हस्ते हुए -अरे नही देवर जी ,,घर पर खाली ही थी तो सोचा थोडा टहल लू इसी बहाने वजन कम हो जायेगा हिहिही

रंगीलाल गलियारे मे रुक कर शकुन्तला की ओर घूम कर - क्या बात कर रही है भाभी आप भी ,,, आप तो पहले से ही चुस्त दुरुस्त है फिर आपको क्या जरुरत

शकुन्तला अपनी तारिफ सुन कर थोडा शर्मायी और हस्ते हुए - अरे अब आपको क्या पता मेरे कपडे इस उम्र मे भी छोटे हो रहे है हिहिही

अब तक दोनो रेस्टरूम मे आ चुके थे और रंगीलाल हस कर शकुन्तला को इशारो मे कुछ याद दिलाता हुआ - क्या भाभी मुझे पता है कि कौन से कपडे छोटे हुए थे आपके ,,,आप मेरा मजा ले रही है ना

रन्गिलाल की बात सुन कर शकुन्तला शर्म से झेप सी जाती है और उसे वो शाम याद आती है जब रन्गिलाल ने उसकी पैंटी का लेबल खोजा था ।

शकुन्तला हस कर - धत्त देवर जी आप भी ना , क्या क्या बात लेके शुरु हो गये आप हिहिहिही

रंगीलाल हस कर - मुझे लगा आप ही मुझसे मजाक कर रही थी ,,,,नही तो मेरे हिसाब से आप बहुत फिट और मस्त है

अब तक हसी मजाक के माहौल से शकुन्तला को भी मजा आ रहा था तो उसे लगा रंगीलाल ने कुछ दोहरे मतलब से वो शब्द बोला इसिलिए वो उन्हे दुहराती हुई सवाल कर देती है ।

शकुन्तला - आपके हिसाब से मतलब ???

रंगीलाल हस कर - मतलब मुझे तो लगता है आप बहुत फिट है और सारा काम भागा दौडी कर सकती है तो आपको वजन कम करने की जरुरत नही लगती

शकुन्त्ला मुस्कुरा कर - अच्चा सच मे यही मतलब था या

रंगीलाल - अब और क्या मतलब हो सकता है जो आप सोच रही है ,,,,बताईये

शकुन्तला की हालत अब खराब होने लगी क्योकि रन्गिलाल ने उसे उस्के ही सवालो मे फास दिया ,,,इसिलिए वो जवाब देने के बजाय हस उस बात को टाल दी ।

फिर रंगीलाल ने खाना खाया

रंगीलाल - सच मे भाभी आपके हाथो मे जादू है ,,खाना बहुत ही अच्छा था

शकुन्तला हस कर - फिर तो ये बात मुझे मेरी बहू से कहनी पड़ेगी ,,आखिर खाना उसी ने तो ब्नाया था

रंगीलाल हस कर - जो भी हो लेकिन खाने मे स्वाद आपके हाथ में आने ही बढ गया

शकुन्त्ला समझ गयी कि रंगिलाल उसे लपेट रहा है इसिलिए वो मूद्दे की बात पर आई - अब मक्खन लगाना छोडिए और ये बताईए कि रात के खाने मे क्या बनवाउ

रंगीलाल - अब जो भी लाईये ,,लेकिन मुझे तो आपके हाथ का बना खाना खाने की इच्छा है

शकुन्तला अब तो धर्मसंकट मे पड गयी क्योकि घर पर काजल उसे खाना बनाने नही देती और रन्गिलाल उसके हाथ का ही बना खाना खाएगा

तो मजबुरन माफी मागते हुए शकुन्तला ने अपनी परिस्थिती को रंगीलाल के सामने रखा

रंगीलाल - अरे ऐसी बात है तो आज रात मे आप मेरे घर ही खाना बना दीजिये हिहिहिही

शकुन्त्ला तो विस्मय व्यक्त करते हुए - हा वो तो ठिक है लेकिन क्या ये उचित होगा ,,मतलब आपके घर पर अकेले है इस समय और आप तो जानते ही है मेरे बारे आस पास के लोगो का बाते होती है ।


शकुन्तला की बात सुन कर रंगीलाल ने थोडा विचार किया और बोला - देखीये भाभी जी मुझे नही पता लोग आपको लेके क्या विचार रख रहे है और क्यू??? लेकिन आप मेरे घर आये तो ना मुझे या मेरे परिवार मे किसी को कोई आपत्ति होगी ,, अगर आपको अनुचित लग रहा हो तो मै रागिनी से बोल दूंगा

शकुन्त्ला रन्गिलाल की बाते सुन कर थोडी शांत होती हूइ - अरे नही नही उसकी जरुरत नही है ,,मै आ जाऊंगी

फिर शकुनत्ला अपना झोला लेके घर निकल गयी लेकिन रंगीलाल के दिमाग मे एक सवाल छोड गयी कि इन दिनो शकुन्तला को लेके क्या बाते चल रही है उस मुहल्ले मे और क्यू ? फिर रागिनी ने भी कुछ नही बताया ,,आखिर क्या बात होगी ?

जारी रहेगी
Excellent update dekhte hai Raj kya karta h usne chachi ko thoda bahut mana liya hai dekhte h udar Raj ke papa shakuntla bhabhi ko chod paate h ya nahi
 

Sanju@

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UPDATE 123

CHODAM PUR SPECIAL UPDATES

पिछले अपडेट मे आपने पढ़ा जहा एक ओर चाची के आतंक बचाने मे राज एक मसीहा बन कर उभर गया रज्जो के घर मे ,,,वही उसने सबको अह्सास दिलाया कि चाची के सख्त रवैये से वो गलत नही है बल्कि उनकी भी कुछ इच्छाएं और भावनाये है और वो पूरी हो रही है तो वो घर के माहौल मे कोई भी हस्तक्षेप नही करेंगी । उधर चमनपुरा मे भी राज के पापा रंगीलाल की बढती हवस ने एक नया शिकार शकुन्तला के रूप मे खोज लिया है और आज रात वो खाना बनाने उसके घर आने वाली है तो देखते है रंगीलाल क्या क्या पासा फेकता है रज्जो के लिए, मगर उस्से पहले राज की तैयारियो पर भी एक नजर मार लेते है आखिर वो और चाची किस योजना को लेके उत्सुक है और क्या धमाल होने वाला है ।

अब आगे

राज की जुबानी

दोपहर तक मैने चाची का बताया हुआ योजना स्वरूप सभी चीज़ो का इन्तेजाम कर लिया और फिर शाम को 5 बजे के करीब नाना की फुल फैमिली यहा आ गयी ।
घर मे फिर से चहल पहल सी छा गयी और सारे लोग एकजुट होकर सबसे मिलने लगे ।

सबने बारी बारी से नाना के पाव छुए और फिर नाना जी भी अपनी समधन से मिले ।
इधर गीता बबिता आते ही मेरे रूम के बारे मे पुछने लगी इस दौरान मै देखा कि पल्लवि बडे गौर से गीता बबिता की मेरे प्रति उत्सुकता को निहार रही थी । मानो उसने सूंघ लिया कि मेरे गीता बबिता से क्या संबन्ध हो ।इसिलिए मैने थोडा सख्ती दिखाई और गीता बबिता को सम्झाया कि यहा सबके इन्तेजाम अलग अलग है और मौसी ही ब्तायेगी कि उन्हे कहा रहना है ।

फिर मै अपनी सेक्सी और चंचल मामी से मिला ।
उन्की वो कातिल मुस्कान आह्ह सारे मनमोहक यादे एक पल मे ही ताजा हो गयी और लण्ड टनटना गया ।

उन्होने भी बखूबी समझा और धीरे से फुसफुसा कर बाद मे मिलने को बोला । पहले तो मै बहुत खुश हुआ मगर जब चाची जी का ख्याल आया सारा नशा पानी हो गया क्योकि मामी को तो यहा के हालात पता ही नही थे ।

थोडी देर बाद सारी महिलाए उपर चली गयी ।
हाल मे मैने नाना से उनका हाल चाल लिया और फिर बगल के घर मे चला गया जहा सबके लिए खाना बनाया जा रहा था ।


वहा मौसा और राजन फूफा भी खाना बनवाने मे लगे थे करीब 25 से 30 लोगो का खाना बनना था तो मै भी उनकी मदद मे लग गया ।
कल हल्दी होने वाली थी और अगले दिन शादी थी । सब तैयारियाँ मे व्यस्त थे तो घर मे किसे खाना बनाने का मिलता ।इसिलिए मौसी ने एक हल्वाई के माध्यम से बगल मे घर मे खाना बनवाने की व्यव्स्था कर दी ।

8 बजे तक खाना तैयार हुआ सारे जेन्स लोगो को वही बगल के घर मे खाने के लिए बोला गया और महिलाओ की बात आई तो चाची ने ना जाने क्या सोच मुझे रुकने को बोला और सब मर्द जनो को बाहर जाने को बोला ।

जहा तक मुझे अनुमान था उसका एक ही कारण हो सकता था वो ये कि हाल ही में मेरी और चाची जी जमने लगी थी और एक कारण ये भी था कि खाने मे कौन सा समान कहा है मै सब जान रहा था ।

फिर उस घर के एक कमरे मे सारी औरतो के लिए एक चटाई लगवाई गयी ।

सब बैठ गयी तो मैने सबको पत्तल देने शुरु किये थे कि चाची ने पल्लवी को डाँटा कि मेरी मदद करे । कहने को तो वो सोनल से भी कह सकती थी मगर पल्लवि उनकी सगी नातिन थी इसिलिए उन्होने पल्लवि को ही बोला ।

सब थोडा खिखियाही और पल्लवि उठ कर मेरी हैल्प करने लगी ।

इसी दौरान पहली बार मैने पल्लवी से कोई बात की ,,बस हल्के फुल्के अंदाज मे ही सही मगर मुझे बड़ा अच्चा मह्सूस हुआ ।

उसे जब भी कुछ पुछना होता था मुझे आन्खे उठा कर देखती तो उसकी नशीली आंखो मे मै खो सा जाता था ।
बदले मे वो मुस्करा देती थी ।

इधर गीता बबिता की चंचलता भी कम नही थी । हर बार मे भैया ये भैया वो । इसपर मौसी तो कभी कभी छेड़ देती थी उनको और सब हस पड़ते थे ।

इसी दौरान जब मै सब्जी निकालने रसोई वाले कमरे मे गया तो वहा पल्लवि ने मुझसे पुछ भी लिया ।

पल्लवि - अच्छा ये दोनो कौन है ,,बडी बातूनी है हिहिही

मै हस कर - ये मेरे मामा की बेटीया है जुड़वा है दोनो हिहिहिही

पल्लवि ने हा मे सर हिलाया ।
मै - वैसे एक बात पूछू

पल्लवि - हा बोलो
मै हस्ते हुए - उधर मै घर पर था तो आपकी बडी बाते सुनने को मिली थी कि आप ...

पल्लवि मेरी बाते सुन कर ना जाने क्यू आंखे बडी करने लगी और हडब्डाते हुए - क क क्या आ सुने हो आप,,, हम दोनो तो पहली बार मिल रहे है ना

मै हस कर - अरे आप तो परेशान होने लगी ,,,वो मै ये कह रहा था कि जब मै घर पर था तो दीदी रोज आपके बारे मे बताती थी कि आप भी कम बातूनी नही हो हिहिहिही

पल्लवि मेरी बाते सुन कर थोडी शर्म से मुह फेर ली और बोली - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,, मै भी आपकी बहनो के जैसी ही हू ,,लेकिन वो नानी है ना वो बहुत डाटती है

मै हस कर - अरे उनसे क्या डरना ,,वो तो मेरी सहेली है

पल्लवि हस कर - हिहिहिही हा दिख रहा है ,,नही तो परसो से कोई भी मर्द औरतो के बिच नजर नही आ रहा था

मै हस कर - अच्चा वो क्यू
पल्लवि कारण तो जान रही थी मगर वो बताने से कतरा रही थी ,,मगर मेरा काम तो उसके जहन मे वो बाते डाल कर ही हो गया था

मै हस के - अच्चा जाने दीजिये ,,ये बताईये आपको नाचना आता है

पल्लवि चौकी - मतलब
मै हस कर - अरे डांस , डांस आता है आपको

पल्लवि शर्मा कर - हा समझ रही हू लेकिन क्यू पुछ रहे है आप

मै हस कर - क्योकि आज रात सबको नाचना पडेगा हिहिही

पल्लवी तुनक कर - अच्छा और नानी ये सब करने देगी

मै हस के - मै तो उनको भी नचाने वाला हू हिहिही

पल्लवि हस कर - हिहिही बस करिये फेकिये मत आप

मै थोडा आत्मविश्वासी होते हुए - तो लगी शर्त ,,मैने अगर नचा दिया चाची जी को , क्या दोगी आप ??

पल्लवि हड़बड़ाई- अब मै क्या बोलू ,,लेकिन मै जानति हू ऐसा कुछ नही होगा

मै - तो शर्त लगा लिजिए ना ,,डर क्यू रही है हिहिही

पल्लवि हस कर - मै क्यू डरने लगी भला ,,आप शर्त बताओ

मै - अगर मै जीता तो आपको डांस करना पडेगा और हारा तो जो आप कहो वो करूंगा

पल्लवि कुछ सोच कर मुस्कुराइ- ठिक है मंजूर

मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया - तो डन

पल्लवि ने भी मेरे से हाथ मिलाया- हा डन हिहिही

फिर मै वापस सबको खाना खिलाने मे लग गया ।

लेखक की जुबानी

अब एक ओर जहा राज सबको खाना परोस रहा था वही चमनपुरा मे रंगीलाल के किचन मे शकुन्तला आ चुकी थी और रंगीलाल उसके अगल बगल एक फुल बाजू की बनियान और पाजामा पहने मडरा रहा था ।

शकुन्तला भी साड़ी मे खड़ी सब्जी काट रही थी । मगर गैस की गरमी से वो बेहाल हुई जा रही थी ।

रंगीलाल - अरे भाभी आप मुझे दीजिये मै काट देता हू सब्जी ,,आप बाकी का काम करिये

शकुन्तला मुस्कुराई और सब्जी चाकू थाली सब रन्गिलाल को थामा दी ।

इधर रंगीलाल जानबुझ कर किचन की डायनिंग टेबल पर ऐसी जगह बैठता है जहा से शकुन्तला का पिछवाडा दिखे ।

एक तो इतनी गर्मी , उपर चूल्हे के पास साड़ी मे खडे होकर खाना बनाने मे शकुन्तला की हालत खराब हो रही थी ।
कमर का पसीना रिस कर उसके गाड़ की लकीरो मे जा रहा था और उसे खूजली हो रही थी ।

एक दो बार अनजाने मे उसने बिना रंगीलाल का ध्यान रखे अपना पिछवाडा खुजाया भि।मगर जब वो तडका देने लगी और सब्जी लेने के लिए रन्गिलाल के ओर मुड़ी तो उसे ठिक अपने पीछे पाया तो शर्म से पानी पानी हो गयी ।

रंगीलाल समझ गया कि क्या बात है और शकुन्तला मुस्करा कर लाल क्यू हुई जा रही है ।

मगर उसने बेशरमी दिखाई और पुछ लिया - क्या हुआ भाभी आप हस क्यू रही है ,,कही मेरे कपडे तो

रंगीलाल अपनी भीगी हुई बनियान मे उभरे निप्प्ल पर देख कर बोला - मतलब आप कहे तो मै कुरता डाल लू

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे नही नही उसकी कोई दिक्कत नही है ,,वो मुझे कुछ ध्यान आया तो हसी आ गयी

रंगीलाल जिज्ञासू होकर - क्या मुझे नही बतायेगी

शकुन्तला हस कर - अब क्या बताऊ ,,छोड़ीये अच्छा है आप नही जाने तो हिहिह्ही

रंगीलाल - ठिक है जैसी आपकी मर्जी ,,,अच्छा और कोई काम नही हो तो मै नहा लू

शकुन्तला - हा हा क्यू ,,,आप जाईये ,,लग रहा है मुझे भी नहाना पडेगा

रंगीलाल की आंखे चमकी - अरे कोई बात नही आप भी नहा लिजिए

शकुन्तला हस कर - अरे नही नही ,,यहा कैसे और मेरे कपडे भी तो नही है

रंगीलाल हस कर - क्या भाभी जी आप भी , रागिनी के कपडे है तो और आप तो ऐसे कह रही है जैसे किसी गैर के घर मे हो

शकुन्तला - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,वो तो बस मै सोची की

रंगीलाल - मै कुछ नही सुनूंगा ,,मै आपके कपडे निकाल दूंगा आप नहा लिजिएगा

शकु - अच्छा ठिक है

फिर रंगीलाल नहाने चला जाता है और कुछ सोच कर आलमारी से रागिनी के तंग कपडे निकाल कर रख देता है जिसमे एक सिफान की आसमानी रंग की साड़ी भी थी ।

फिर रन्गीलाल नहा कर नयी फुलबाजू की बनियान और एक हाफ चढ़ढा पहन लेता है ।

रंगीलाल धीरे से किचन मे आता है और उसकी नजर शकुन्तला के हाथो पर जाती है जो अभी अपने साड़ी के उपर से अपना चुतडो की लकीर खुजा रही थी

रंगीलाल धीमे से शकुन्तला के बगल मे जाकर - हो गया भाभी जी

शकुन्तला चौकी और फौरन अपना हाथ आगे कर लिया ।
शकुन्तला - हा हा हो गया है ,,बस एक सिटी लगा जाये

रंगीलाल - अरे एक सिटी की बात है ना ,,आप जाईये नहा लिजिए, देख रहा हू बहुत परेशान है आप

शकुन्तला समझ गयी कि रंगीलाल ने उसे खुजली करते देख लिया तो वो शर्मा गयी और मुस्कुरा कर हा मे सर हिलायि और बाथरुम मे चली गयी ।
इधर रन्गीलाल ने कुकर उतार दिया और हाल मे चक्कर लगाने लगा ,,

थोडी देर बाद बाथरूम से पानी की आवाज बन्द
हुई और 5 मिंट बाद शकुनतला रंगीलाल के दिये हुए कपडे पहन कर एक बालटी लेके बाहर आई

रंगीलाल - अरे आप ने कपडे भी धुल दिये ,,,अरे वाशिंग मशीन थी ना

शकुंतला - अरे कोई बात नही ,,बस पानी मे निचोड दिया है ,,अच्छा इसे कहा डालू की सुख जाये

रंगीलाल कुछ सोच कर - ऐसा करिये लाईये मुझे मै छत पर डाल देता हू

शकुंतला मना करते हुए -अरे नही नही मै डाल दूँगी आप परेशान ना होईये ,,, आप बैठीये मै छत से आती हू फिर खाना खाते है ।

रंगीलाल - अच्छा ठिक है चलिये ,,उपर अन्धेरा होगा मै बत्ती जला दूंगा

फिर वो दोनो सबसे उपर की छत पर जाते है
छत की अरगन पर शकुन्तला एक एक करके कपडे निचोड कर डालती है । छत पर जीने की दिवाल पर एक बलब जल रहा था उसमे रंगीलाल सब कुछ साफ देख पा रहा था ।

शकुन्तला ने बडी सावधानी से अपनी पैंटी को पेतिकोट के निचे डाल दिया,,मगर रंगीलाल की आंखे तब फैल गई जब उसने बालटी मे से उसका जांघिया निकाल कर उसे निचोडने लगी ।

रन्गीलाल - अरे रे रे भाभी जी ये क्या किया आपने ,,,मतलब इसे क्यू धुला

शकुन्तला हस कर - अरे ये वही निचे पडा था तो मैने इसे भी धुल दिया ,,उसमे क्या हुआ

रंगीलाल - वो क्या मै मेरी तो आदत है नहा कर ऐसे ही कच्छे को बाथरूम मे छोड देने की तो आज भी भूल गया था ,,वैसे तो हमेशा रागिनी धुल ही देती थी

शकुन्तला- अरे आप फाल्तू का परेशान हो रहे है,,कपडा ही तो है ना वो भी ,,,

रंगीलाल - हा बात तो सही है ,,, आईये ना थोडा टहलते है छत पर ही निचे गरमी बहुत है

शकुन्तला को भी थोडा ठिक लगा तो भी टहलने लगी ।
वो दोनो उपर की रेलिंग से निचे सड़क पर और आस पास मे रात के सन्नाटे को निहार रहे थे
एक ठंडी बयार चेहरे पर आ रही थी तो बहुत आरामदायक सा मह्सूस हो रहा था ।

तभी रंगीलाल के दिमाग वो सवाल कौंधा जो दोपहर के वक़्त उसके ख्याल मेआया था ।

रंगीलाल - अच्छा भाभी जी मुझे आपसे कुछ पुछना था

शकुन्तला- हा हा कहिये क्या बात है ?
रंगीलाल - पता नही ये उचित होगा या ,, हालकी उस विषय को लेके मुझे कोई जानकारी नही है ,,मगर

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे आप इतना संकोच क्यू कर रहे है ,, पुछिये ना

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - वो आप आज दोपहर मे बोल रही थी ना कि आपको लेके यहा मुहल्ले मे लोग बाते करते है ,,,वो चीज़ मुझे समझ नही आई भाभी जी और ऐसा कुछ रगिनी ने भी कभी चर्चा नहीं किया मुझसे ।

शकुन्तला रंगीलाल की बातो से भावुक और शांत सी हो गयी ।

रंगीलाल - देखीये कोई दबाव नही है भाभी जी ,,बस एक द्वंद सा है मन मे वो बात क्या है जो मै नही जानता ,,हालकी मेरा घर भी यही है


शकुन्तला मुस्करा कर अपनी डबडबाई आंखो को साफ की और बोली - अरे नही ऐसी कोई छिपाने वाली बात नही ,,,बस दुनिया का नजरिया ही ऐसा है कि वो आपके सुख चैन भरे जीवन में कोई न कोई रोड़ा लाती रही है ।

रंगीलाल - मै समझा नही भाभी , अगर आप उचित समझे तो खुल कर बतायेगी

शकुन्तला मुस्कुरा कर- बिन पति के रह रही हू और सुकून से हू ,,बस यही लोगो को खटक रही है

रंगीलाल - मै अब भी नही समझा और भाईसाहब को लेके भी मुझे सच मे कोई जानकारी नही है ।
शकुन्तला थोड़ा गहरी सास ली - वो क्या है कि पिछले काफी सालो से मेरे पति दुबई मे नौकरी करते थे । करीब दो साल पहले उनके एक दोस्त के माध्यम से पता चला कि उन्होने वहा दुसरी शादी कर ली है किसी खातुन से

रंगीलाल चौका - क्याआ
शकुन्तला दुखी मन से - हा ये सच है ,,यकीन करना मुश्किल है कि उमर के इस पड़ाव पर लोग ऐसे बदल जाते है और अपना परिवार छोड देते है ।
जब ये बात मेरे ससुराल के मुहल्ले मे फैल गयी तो वहा के लोगो ने मेरा जीना दुभर कर दिया । मुझे असहाय और बिना पति के जानकर मेरी मदद के बहाने मेरा शोषण करने लगे ,,,और जब उनके गलत मनसुबे कामयाब नही हो पाये तो उन्होने मुझे बदनाम करना शुरु कर दिया ।

रंगीलाल अवाक होकर देखता रहा ।

शकुन्तला - मेरे कस्बे के कुछ बुरे लोगों से मेरा नाता बताने लगे यहा तक कि मेरे शारिरीक संबध की अफवाहे उड़ाने लगे और इनसब के बीच मेरी नयी बहू भी पिस रही थी । इसिलिए मैने तय किया कि मै अपना ससूराल छोड दूँगी ।

रंगीलाल - अच्छा फिर

शकुन्तला- फिर मेरे बेटे ने यहा घर बनवाया और तबसे हम यही है ,,,लेकिन समाज की बुराईया जगह बदलने से कम नही हो जाती है । यहा आये मुझे करीब साल भर होने को है और अब यहा भी लोग बाते बनाने लगे है

रंगीलाल - कैसी बाते भाभी
शकुन्तला थोडा अटक कर - लोगो को लगता है कि एक औरत बिना शारिरीक सुख के जीवन नही जी सकती तो मेरा कही ना कही अफेयर चल रहा है और इधर जबसे ....

रन्गीलाल उत्सुक होकर - क्या भाभी जी आगे बोलिए ना

शकुन्तला अटकते हुए - इधर जबसे आपसे घर से आना जाना होने लगा है तो काफी लोगो ने मेरे पीठ पीछे मेरा नाम आपके साथ जोड दिया है

रंगीलाल चौका - क क क्या आ ,,ये कया कह रही है भाभी

शकुन्तला एकदम रुआसी हो चुकी थी उस्का गला भरने लगा था - हा ये सच है और इसिलिए मैने आपको दोपहर मे वो बोला था ,,मुझे लगा शायद आपको इनसब की जानकारी होगी

रंगीलाल - अरे नही भाभी जी ,मेरे पास इतनी फुर्सत कहा कि मै ऐसे फाल्तू लोगो की बात पर ध्यान दू ,वो तो आपने बताया नही तो


शकुंतला अपने आखे साफ करते हुए रंगीलाल का हाथ पकड कर- आप मुझसे वादा किजीए कि ये बात आप किसी से नही कहेंगे यहा तक कि रागिनी से भी नही ।

रंगीलाल चुप रहा और सुनता रहा
शकुन्तला भावुक होते हुए - देखिये इसे स्वार्थ के जमाने मे बडी मुश्किल से आप जैसे भले लोग मिले है और मै नही चाहती कि ऐसी अफवाहो से हमारे सम्बंध खराब हो ,,क्योकि ससुराल छोडने के बाद हम लोगो का कोई अपना नहीं रहा अब ,,सबने मुह मोड लिया हमसे यहा तक कि मेरे मायके वालो ने भी ।

रंगीलाल शकुंतला का ढाढ़स बान्धते हुए- अरे रे रे भाभी ये कैसी बात कर रही हैं,, आप हमारे लिये कोई गैर नही है और बिल्कुल भी ये ख्याल मन मे ना लायियेगा

शकुन्तला मुस्कुरा कर- शुक्रिया आपका
रंगीलाल मुस्कुरकर - अरे इसमे शुक्रिया वाली क्या बात है

शकुंतला खुश होकर - आप कितने अच्छे है कि लोग मेरी वजह से आपका भी नाम खराब कर रहे है फिर भी आपने मुझे इज्जत दी और अपना समझा ,,इसके लिए

रंगीलाल - लोग क्या सोचते मै उनसब के लिए जवाबदेही नही हू ,,मेरी जवाबदेही मेरे परिवार और भगवान के लिए है ।

शकुंतला मुस्कुरा कर - रागिनी कितनी किस्मत वाली है कि उसे आप जैसा पति मिला है

रन्गीलाल हस कर - अरे उसे पति मिला तो क्या हुआ मै आपका देवर हू तो आधा हक है आपका भी हिहिहिही

शकुंतला थोडा शर्मा के मुस्कुरायी फिर हस्ते हुए बोली - अब आधा मर्द किस काम का हिहिहिही

रंगीलाल ने जब शकुन्तला को मजाक करता देखा तो उसने भी दोहरे अर्थ वाले संवाद करने शुरु कर दिया

रंगीलाल हस कर - अरे भाभी आपको आधा भी पुरा ही पडेगा

शकुन्तला रंगीलाल का मतलब सम्झ गयी और शर्म से लाल हो गयी और वो बात को वही रोकना उचित समझी

शकुंतला - अब आधा पुरा बाद मे ,,चलिये निचे खाना ठंडा हो रहा है और मुझे भी घर जाना है ।

रन्गीलाल सीढियो से निचे जाता हुआ - मै तो कह रहा हू भाभी आप यही सो जाओ ,,थोडी बाते करेंगे । थोडा मेरा भी समय कट जायेगा अकेले नीद नही आती

शकुंतला हस कर - हा हा , कहा रोज रागिनी की बाहो मे सोते थे तो अकेले कैसे हिहिहिही

रंगीलाल को थोडी शर्म आई - क्या भाभी मेरा वो मतलब नही था ,,मै तो बस बाते करने के लिए बोल रहा था

शकुंतला - अच्छा ठिक है बाबा रुक जाऊंगी लेकिन आज नही ,,कल । क्योकि कल दोपहर में रोहन आ जायेगा तो घर मे बहू भी अकेली नही होगी ना

रन्गीलाल की आंखे चमक गयी कि अब बस कल का इन्तेजार रहेगा ।

फिर उन्होंने खाना खाया और शकुन्तला काजल के लिए टिफ़िन पैक करके अपने घर चली गयी ।
इधर रन्गीलाल कुछ योजना बनाता हुआ सो गया ।


यहा चमनपुरा मे तो लोग सो गये थे लेकिन जानीपुर मे आज तो रतजगा की तैयारियाँ हो रही थी और ये सारी चीजें अपना राज ही देख रहा था ।


राज की जुबानी

खाना खिलाने के बाद मै अनुज और रमन भैया तीनो ने मिल कर सबसे उपर की छत पर कुछ चटाई और बिछावन तकिये लगाये । फिर सारे महिला और जेन्स लोगो को उपर बुलाया गया ।

सबको बहुत ताज्जुब था कि क्या होने वाला है
इधर निचे हाल मे नाना ने मुझसे पूछा तो मैने ब्ताया कि उपर नाच गाना का प्रोग्राम है । ढोल की ताल पर घर के सारे लोग गाएंगे नाचेंगे ।

नाना खुश तो हुए कि चलो शादी का घर है तो चहल पहल जरुरी है लेकिन उन्होने उपर जाने से मना कर दिया ये कहकर कि औरतो को मजा करने दो और फिर मौसा जी के चाचा ने भी मना कर दिया ।

फिर मै मौसा और राजन फूफा को लेके उपर चला गया ।
उपर लाईट की व्यव्स्था थी और मैने देखा कि मेरी हॉट एंड सेक्सी मामी ढोल को सेट कर रही है ।

मै लपक कर उनके बगल मे बैठ गया ।
मै - आपको ढोल भी बजाना आता है
मामी मुस्कुरा कर धीरे से मेरे कान मे बोली - बजा तो तुम भी लेते हो अच्छा
मै थोडा शर्मा गया ,,इधर चाची जी सारी महिलाओ को समझा रही थी कि कौन सा कौन सा गीत पहले गाया जायेगा ।।फिर फिल्मी गानो पर होगा कार्यक्रम ।

मौसा और राजन फुफा एक ओर दिवाल से लग कर बैठे हुए थे और उनके आगे मौसी ,ममता बुआ और मामी थी । फिर मामी के बगल मे मै और मेरे बगल मे चाची जी फिर मम्मी ,सोनल पल्लवि और उन्के पीछे दिवाल से लगे हुए रमन भैया और अनुज ।

फिर चाची ने देवी गीत शुरु किये जिन्हे हम लोग भी बडी मुस्किल से दूहरा पा रहे थे ।
मामी जी ढोल पर धाक बहुत गजब की थी और चाची बडी खुश होकर उनसे आन्खे मिलाए ताल पर गाये जा रही थी ।

मेरे लिये ये पहला अनुभव था और मुझे बहुत मजा आ रहा था । इसी दौरान मेरी नजर पल्ल्वी से टकराती तो मै उसे इशारे मे डांस करने की बात याद दिलवा देता और वो मुह फेर कर हस देती ।
एक एक करके चाची ने तिन देवी गीतो का गायन किया और सही मायने मे हम सबने उसका मजालिया ,,,आखिर मे चाची ने मा दुर्गा का जयघोष करवाया ।

चाची - हा , अब तुम शहरवालियो अपने गीत गाओ

चाची की बात पर सब लोग ठहाका लेके हसे

मै मामी के हाथ से ढोल लिया और तिन बार उसको धाक देके बोला

मै - सुनिये सुनिये ,,,अब यहा अन्ताक्षरी और नाच होगी ।

नाच्ने की बात पर सारे लोगो मे हसी भरा खुसफुसाहट होने लगी ।
मैने वापस ढोल को धाक दी और बोला - हम लोग दो टीम बनायेंगे । जिस टिम के साथी को गाने का मौका मिलेगा वो सामने वाली टीम मे से किसी को भी अपने गाने पर नाचने को कह सकता है

मेरी शर्ते सुन कर वापस से थोडी खुसरफुसर हुई और थोडा खिखियाने की आवाजे आई ,,मै समझ गया कि लोग अपने अपने गाने पर किसको नचाना है ये सोच कर ही चहक रहे है ।
मै वापस से ढोल की धाक देके सबका ध्यान अपने ओर किया और बोला - दादी अब सबको दो टीम मे बाटेगी

चाची जी हस कर - अरे बिटवा तुम लोग खेलो ना अपने मे ,,,अब इस उमर मे क्या हमसे गणित पढवा रहे हो

मै उन्के बगल मे बैठा था - अरे दादी आप बडी हो आप बाटोगी तो बाद मे कोई बहस नही होगा कि एक की टीम कमजोर हो गयी और एक की टीम मजबूत

दरअसल ये बाटने का काम तो मै खुद कर सकता था ,, किसी दो को भी टिम का लीडर बना कर उन्हे चूनने को बोल देता ।
मगर ऐसे मे मै जानबुझ कर चाची जी शामिल किया ताकि उनको ये आभास ना हो कि उन्हे वैल्यू नही मिल रही है और एक कारण ये भी था उनको इस खेल मे शामिल करने का वो ये कि अगर गाने और नाच मे कही माहौल थोडा उत्तेजक या फूहड़पन लगे तो वहा चाची जी हस्तक्षेप भी ना कर पाये । क्योकि ये सब उनकी परवानगी से हो रहा होगा ।

फिर चाची जी ने अपना गणित दौडाया और कुछ सोच कर दो टीम बनाये

टीम 01 = रज्जो मौसी , मेरी मम्मी , मामी , पल्लवि , मै , गीता और चाची जी

टीम 02 = ममता बुआ , कमलनाथ मौसा , राजन फूफा , रमन भैया , सोनल दीदी , अनुज और बबिता

अब हम लोग दिवाल के एक एक तरफ हो गये और बिच मे छत को खाली छोड दिया गया

इधर मैने ढोल वापस मामी को थमा दिया ,,सभी चेहरे खिले हुए थे ,, सब मस्ती मे अपनी पहली पारी का इन्तजार कर रहे थे क्योकि सब ने अपना अपना मुर्गा चुन रखा था ।

मेरी टीम का अगुआ मैने गीता को बनाया और उधर से बबिता बनी । टॉस हुआ और बबिता जीत गयी ।


बबिता की टीम मे खुसफुसाहट चालू थी कि उम्मिद अनुसार ममता बुआ ने हाथ उठाया ।

ममता - तो मेरी प्यारी भाभी चलो खड़ी हो जाओ हिहिहिही

हम सब खिलखिला कर रज्जो मौसी को देखते है और वो भी हस्ते हुए खड़ी हुई और अपना साड़ी ठिक किया ।

ममता - अरे भाभी मैदान मे आईये तब ना बात बनेगी

रज्जो मौसी हस कर - हा आ रही हू
फिर मौसी छत के बिच मे आई और पल्लू को कमर को खोसा और कमर पर हाथ रख कर तैयार हुई ।

ममता हस कर - अरे गीता की अम्मा तैयार हो ना
मामी हस कर- हा जीजी शुरु करिये

फिर ममता बुआ ने आशा भोसले जी एक सुपरहित गाने के बोल शुरु किये

ममता मुस्कुरा कर - झुमका गिरा रे एएए

ममता बुआ के अनतरे पर हम सब के दिल बाग बाग हो गये और मैने , कमलनाथ मौसा और राजन फूफा एक साथ बोल पडे- हाय्य्य्य

वही मामी ने ढोल पर ताल देदी
ममता -
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा झुमका
गिरा झुमका गिरा


मामी के ढोल की ताल पर हम सबने सुर मिलाया - हाय हाय हाय
वही रज्जो मौसी ने अपने कमर मटकाते हुए गाने की अदाकारा साधना जी के जैसे अपने कन्धे झटके जिससे मौसी के मोटे मोटे चुचे भी हिल्कोरे मारने लगे

ममता- झुमका गिरा रे बरेली के, बाजार में झुमका गिरा रे


गाने की कड़ी खतम होते ही सब लोग एक जोर का ठहाका लगा कर हस पड़े और मौसी तो शर्मा कर अपना पल्लू सही करते हुए हस्ते हुए तेजी से अपने कुल्हे हिलाते अपनी जगह पर बैठ गयी ।

अब बारी थी गीता की टीम की तो खुद गीता ने हाथ उठाया और रमन भैया का नाम लिया ।

सबने ठहाके लगाये और गीता ने गाना शुरु किया ।
गीता - छोटे छोटे भाइयो के बडे भैयाआआ
मामी हस कर ढोल की ताल देती है और हम सब ताली बजाते हुए - हे हे हेहे हेएएए

गीता मुस्कुरा कर -
छोटे छोटे भाइयो के बडे भईया
परसो बनेंगे किसी के सईया
ढोल बजाये देखो मेरी मईया
नाच रहे मेरे रमन भईया


रमन भैया ढोल पर ज्यादा नाचे तो नही लेकिन गीता के गाने के बोल सुन कर हम सब खुब हसे । सबने उसकी तारिफ की ।
अगली बारी बबिता की टीम की थी तो वहा से इस बार सोनल दीदी ने हाथ उठाए और पल्लवि का नाम लिया ।

पल्लवि का नाम आते ही सब शोर करने लगे और वही कही से सिटी की आवाज आई ,,जिससे पल्लवि शर्म से लाल हो गयी ।

फिर पल्लवि शर्माते हुए अपने सूट को कूल्हो के पास से खिच कर सही किया और दुपट्टे को क्रॉस करके कमर मे बान्ध लिया ।

सोनल हस कर - तैयार ना पल्लवि
पल्लवि हस कर हा मे सर हिलायि

सोनल ने थोडा गला खराश किया और- मेरा चैन वैन सब उजड़ा

हम सब के चेहरे खिल गये कि क्या मस्त गाना चुना सोनल ने और वही मामी ने मानो इस गाने धुन को ढोल मे पिरो किया था

मामी ने ढोल पर ताल दी - धिनक धिनक धिन धा
पल्लवि ने पहली लाईन पर अपने एड़ियो पर आकर एश्वर्या राय की तरह जो कमर लचकाया ,उफ्फ्फ्फ

सोनल -
मेरा चैन वैन सब उजड़ा
जालिम नजर हटा ले
बरबाद हो रह है जी मेरे अपने शहर वाले
ओ मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आ जाआआ

हम सब एक साथ हाथ उठा कर - कजरा रे !!!
ढोल - धिक धा

हम सब एक सुर मे हस्ते हुए गाने लगे- कजरा रे कजरा रे तेरे काले काले नैना ,,

पल्लवि हम लोगो को ऐसे प्रतिक्रिया देख कर हस दी और शर्मा कर अपनी जगह पर आ गयी ।

हम सब खुब जोर जोर से हसे , चाची जी ने भी बहुत मजा लिया ।
पारी पल्टी तो मा ने हाथ उठाया और राजन फूफा को खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी ,,हसी ठहाके लगे और एक दो सिटीया भी
बडी शर्मो हया के साथ हस्ते हुए राजन फूफा अपने कमर मे गम्छा बाँधते हुए खडे हुए और मा ने इधर मामी के कान मे कुछ बोला ,,शायद गाने के बोल थे ।

इधर मामी ने ढोल की ताल शुरु की ,,, ताल कुछ जान पहचाना लगा तो राजन फूफा भी अपने कमर पर दोनो हाथ रख कर एड़ियो के सहारे कमर हिलाने लगे

मगर जैसे ही मा ने गाने के बोल शुरु किये वो रुक गये और हम सारे लोग हसने लगे ।
राजन हस के - अरे भाभी इस गाने पर कैसे ,,नही नही

मा हस्ते हुए - अब नाचना तो पडेगा ही जीजा जी हिहिहिही

हम सब ठहाके ले रहे थे और इधर मजबुर होकर राजन फूफा ने अपनी कमर पर बाँधा हुआ गम्छा खोल कर सर पर रखकर एक लम्बा सा पल्लू कर दिया

हम सब लोग हसने लगे और मैने तो सिटी भी मार दी ,,बगल मे बैठी चाची जी मुह पर हाथ रख कर हसते हुए मुझे डाटने लगी।

इधर मा ने मामी को इशारा किया और ढोल की ताल पर मा ने गाना शुरु किया

मा - जो बिच बजरियाआआआ तुने मेरी पकड़ी बईया ,,मै सबको बोल दूंगी ( राजन अपने सर पर रखा गम्छा को घूघट के जैसे पकड कर कमर थिरकाते हुए घूमता है )
जब रात मे कोई ना जागे आयीयो सईया ,मै खिडकी खोल दूँगी ( राजन अपने घूँघट को उठा कर कमर पर हाथ रखते हुए औरतो कैसे कुल्हे हिलाता है )

हम सब लोग हस कर मस्त हो जाते है और राजन भी शरम से पानी पानी होकर गमछे मे मुह छिपाये ,सबसे पीछे जाकर बैठ जाता है ।

पारी पलटती है और इस बार मौसा जी हाथ उठा देते है और मा का नाम लेते है ,,

मा समझ गयी ये सब बदले के लिए ही हो रहा है लेकिन वो भी तैयार थी । खैर ये मुकाबला जीजा साली का होने था तो मेरी उत्सुकता बहुत बढ गयी थी ।
तभी मौसा जी अपने मोबाईल मे गाना निकालने लगे तो हम लोगो की टीम एक सुर मे बोल उठे - नही नही ये चिटिँग है ,,आपको गाना ही पडेगा

मौसा हस कर - अरे भाई मुझे गाना नही आता ,,अच्छा ऐसी बात है तो मै भी रागिनी के साथ नाच लूंगा बस

थोडी खुसरफुसर हुई तो सब मान गये
फिर क्या मौसा ने मा का हाथ पकड कर बिच मे लाये और फिर मोबाईल पर एक गाना बजा दिया ।

गाने की ट्यून सुन कर ही हम लोगो का हल्ला गुल्ला शुरु हो गया और फिर मा ने भी गाने के तर्ज पर मौसा के साथ कमर ठुमकाया

गाना भोजपूरी था - ले चली घुमा दी बुलेट पर जीजा

हम सबने भी खुब मस्ती की ,, चाची भी मुह पर पल्लू रख कर खुब हसी ,,,हालकी कहने को तो उनकी नजर ये सब उचित नहीं था ,,मगर जैसा कि मैने पहले ही ब्ताया कि जानबुझ कर मैने उन्हे खेल मे शामिल किया जिससे वो मना भी ना कर सके और उन्हे मजा भी आये।

इधर मौसा जी ने लपक कर मामी को भी उठा लिया तो गीता भी खड़ी होके नाचने लगी ।

सबने मस्ती की और फिर वापस अपनी जगह पर
इधर सब वापस बैठे नही कि मौसी ने हाथ खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी हसी ठहाके लगे और मौसी ने दो नाम बोले - ममता बुआ और मौसा जी

मै समझ गया कि रज्जो मौसी की चालाकी,,, अरे वो भौजी ही क्या अपनी ननद को उसके भैया के नाम पर छेड़े नही ।

मौसा - अरे रज्जो ये तो गलत बात है , एक बार मे एक ही लोग ना

मौसी हस्कर - अच्चा और अभी आप जो साली और सलहज एक साथ नचा रहे थे उसका क्या ,हम्म्म्म्ं


रज्जो - चलो उठो आप दोनो
फिर हमारी टीम मे हल्ला गुल्ला करने लगे तो वो दोनो उठ कर बीच में आये ।

इधर मौसी ने मामी को गाने के बोल बताये ,,जिसे सुन कर मामी हस पडी और फिर हा मे सर हिला कर सहमति देदी ।


मौसी ढोल की ताल पर एक भोजपूरी गाने के बोल देती है जिसपर ममता बुआ हस कर अपने भैया यानी मौसा जी के उपर गिरते गिरते बचती है ।

मौसी बिना रुके ममता बुआ को नाचने का इशारा करती हुई

मौसी - घाम लागता ये राजा , घाम लागता
( ममता हस कर मजबुरन अपने भैया को इशारा करके अपना घूँघट पकडे कमर हिलाती है । )
तू ता बाहरा मे करेला आराम ( ममता हस कर अपने भैया का हाथ पकड कर मौसी के गाने के बोल पर इशारा करती है और फिर कमर पर हाथ रख नाचती है ।)
तू ता बाहरा मे करेला आराम
चैत हमरा घाम लागता

हम सब हस के मस्त हो गये थे, मामी तो मानो इनसब गानो के लिए प्रोफेशनल थी ,,,ढोल की धाक एकदम गाने के तर्ज पर जमा था ।

ममता बुआ को लगा अब शायद इतने से काम बन जायेगा मगर मौसी ने फिर से एक कड़ी शुरु की ।

मौसी हस्ते हुए -
तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी

मौसी के इस तंज को सब समझ गये और जोर जोर से हसने लगे ,,क्योकि मौसा पंजाब के लुधियाना मे ही नौकरी करते थे और सब ये बात जानते थे ।

मौसी - तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी ( ममता अपने भैया का हाथ पकड के एक ओर इशारा करके कमर लचकाती है )
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी ( फिर अपने चेहरे पर एक बार इशारा करती है । )
घाम लागता ये डियर घाम लागता
गरमी सहत नईखे नरम नरम चाम
चैत मे हमरा घाम लागत बा (ममता अपने कमर पर हाथ रख कर एक हाथ हवा मे उठाए नाचती है । )

गाना खतम होता है और हम सब हस के मस्त हो जाते है ।
पता नही वहा पर किसी और ने नोटिस किया या नही लेकिन मैने जरुर नोटिस किया कि मौसी मे अपने भाभी होने का फर्ज अच्छा निभाया और अपनी ननद का सईया उसके भईया को ही बना दिया ।

पारी पल्टी तो बबिता ने हाथ खडे किये , समय भी काफी हो चुका था तो उसने मेरा नाम लिया

फिर बबिता ने भी मौसा जी की तरह एक पंजाबी गाना बजाया तो उसपे मैने हल्का फुल्का पंजाबी ठुमका लगाया और चाची जी को पकड कर ले गया तो उन्होने भी ना नुकुर करते हुए ह्सते हुए हाथ उपर कर बल्ले बल्ले कर ही लिया ।
मैने देखा कि अनुज काफी समय से अकेला और शांत था तो उसी गाने पर मै उसे और सोनल दीदी को भी लेके आया तो बबिता भी आकर नाचने लगी ।

कुलमिला कर बात ये थी कि आखिर मे लगभग सबने नाचा और मस्ती की ।
सारे लोग हस्ते हुए थक कर वापस बैठ गये ,,किसी का मन सोने का नही था ,,मगर रात ज्यादा हो चुकी थी और कल हल्दी का प्रोग्राम था तो सुबह से ही सारे काम होने थे ।

अब सबके सोने की व्यव्स्था की दिक्कत हो गयी थी क्योकि सारे कमरे फुल थे और आज नाना के यहा से लोग आये थे तो कैसे क्या होगा इसपे चर्चा होने लगी थी


जारी रहेगी
Lajwaab update Raj ke aane se sab ne mastiya ki aur pallavi se lgayi sarth bhi Jeet gaya dekhte hai aage kya hota hai
 

DREAMBOY40

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बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है मजा आ गया चाची के आ जाने से सब की मस्तियों में भंग पड़ गया हर कोई तडप रहा है देखते हैं राज क्या करता है
:thanks:
 

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Lajwaab update Raj ke aane se sab ne mastiya ki aur pallavi se lgayi sarth bhi Jeet gaya dekhte hai aage kya hota hai
Bahut bahut abhaar bhaiya ... shrt jit gya lekin usse pahle hi pallvi ne ek baar dance kar diya hai ... ab agle dance me kya hangama ho sakta hai ye dekhne wali baat hogi
 

DREAMBOY40

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सूचना

थोडा सिनेमा टाईम मे आज व्यस्त हू दोस्तो
तो अपडेट तैयार होने के बाद भी आज देने मे असमर्थ हूँ
कल सुबह मिलते है एक जोरदार अपडेट के साथ


धन्यवाद
 
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Bhatakta Rahi 1234

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सूचना

थोडा सिनेमा टाईम मे आज व्यस्त हू दोस्तो
तो अपडेट तैयार होने के बाद भी आज देने मे असमर्थ हूँ
कल सुबह मिलते है एक जोरदार अपडेट के साथ


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