UPDATE 123
CHODAM PUR SPECIAL UPDATES
पिछले अपडेट मे आपने पढ़ा जहा एक ओर चाची के आतंक बचाने मे राज एक मसीहा बन कर उभर गया रज्जो के घर मे ,,,वही उसने सबको अह्सास दिलाया कि चाची के सख्त रवैये से वो गलत नही है बल्कि उनकी भी कुछ इच्छाएं और भावनाये है और वो पूरी हो रही है तो वो घर के माहौल मे कोई भी हस्तक्षेप नही करेंगी । उधर चमनपुरा मे भी राज के पापा रंगीलाल की बढती हवस ने एक नया शिकार शकुन्तला के रूप मे खोज लिया है और आज रात वो खाना बनाने उसके घर आने वाली है तो देखते है रंगीलाल क्या क्या पासा फेकता है रज्जो के लिए, मगर उस्से पहले राज की तैयारियो पर भी एक नजर मार लेते है आखिर वो और चाची किस योजना को लेके उत्सुक है और क्या धमाल होने वाला है ।
अब आगे
राज की जुबानी
दोपहर तक मैने चाची का बताया हुआ योजना स्वरूप सभी चीज़ो का इन्तेजाम कर लिया और फिर शाम को 5 बजे के करीब नाना की फुल फैमिली यहा आ गयी ।
घर मे फिर से चहल पहल सी छा गयी और सारे लोग एकजुट होकर सबसे मिलने लगे ।
सबने बारी बारी से नाना के पाव छुए और फिर नाना जी भी अपनी समधन से मिले ।
इधर गीता बबिता आते ही मेरे रूम के बारे मे पुछने लगी इस दौरान मै देखा कि पल्लवि बडे गौर से गीता बबिता की मेरे प्रति उत्सुकता को निहार रही थी । मानो उसने सूंघ लिया कि मेरे गीता बबिता से क्या संबन्ध हो ।इसिलिए मैने थोडा सख्ती दिखाई और गीता बबिता को सम्झाया कि यहा सबके इन्तेजाम अलग अलग है और मौसी ही ब्तायेगी कि उन्हे कहा रहना है ।
फिर मै अपनी सेक्सी और चंचल मामी से मिला ।
उन्की वो कातिल मुस्कान आह्ह सारे मनमोहक यादे एक पल मे ही ताजा हो गयी और लण्ड टनटना गया ।
उन्होने भी बखूबी समझा और धीरे से फुसफुसा कर बाद मे मिलने को बोला । पहले तो मै बहुत खुश हुआ मगर जब चाची जी का ख्याल आया सारा नशा पानी हो गया क्योकि मामी को तो यहा के हालात पता ही नही थे ।
थोडी देर बाद सारी महिलाए उपर चली गयी ।
हाल मे मैने नाना से उनका हाल चाल लिया और फिर बगल के घर मे चला गया जहा सबके लिए खाना बनाया जा रहा था ।
वहा मौसा और राजन फूफा भी खाना बनवाने मे लगे थे करीब 25 से 30 लोगो का खाना बनना था तो मै भी उनकी मदद मे लग गया ।
कल हल्दी होने वाली थी और अगले दिन शादी थी । सब तैयारियाँ मे व्यस्त थे तो घर मे किसे खाना बनाने का मिलता ।इसिलिए मौसी ने एक हल्वाई के माध्यम से बगल मे घर मे खाना बनवाने की व्यव्स्था कर दी ।
8 बजे तक खाना तैयार हुआ सारे जेन्स लोगो को वही बगल के घर मे खाने के लिए बोला गया और महिलाओ की बात आई तो चाची ने ना जाने क्या सोच मुझे रुकने को बोला और सब मर्द जनो को बाहर जाने को बोला ।
जहा तक मुझे अनुमान था उसका एक ही कारण हो सकता था वो ये कि हाल ही में मेरी और चाची जी जमने लगी थी और एक कारण ये भी था कि खाने मे कौन सा समान कहा है मै सब जान रहा था ।
फिर उस घर के एक कमरे मे सारी औरतो के लिए एक चटाई लगवाई गयी ।
सब बैठ गयी तो मैने सबको पत्तल देने शुरु किये थे कि चाची ने पल्लवी को डाँटा कि मेरी मदद करे । कहने को तो वो सोनल से भी कह सकती थी मगर पल्लवि उनकी सगी नातिन थी इसिलिए उन्होने पल्लवि को ही बोला ।
सब थोडा खिखियाही और पल्लवि उठ कर मेरी हैल्प करने लगी ।
इसी दौरान पहली बार मैने पल्लवी से कोई बात की ,,बस हल्के फुल्के अंदाज मे ही सही मगर मुझे बड़ा अच्चा मह्सूस हुआ ।
उसे जब भी कुछ पुछना होता था मुझे आन्खे उठा कर देखती तो उसकी नशीली आंखो मे मै खो सा जाता था ।
बदले मे वो मुस्करा देती थी ।
इधर गीता बबिता की चंचलता भी कम नही थी । हर बार मे भैया ये भैया वो । इसपर मौसी तो कभी कभी छेड़ देती थी उनको और सब हस पड़ते थे ।
इसी दौरान जब मै सब्जी निकालने रसोई वाले कमरे मे गया तो वहा पल्लवि ने मुझसे पुछ भी लिया ।
पल्लवि - अच्छा ये दोनो कौन है ,,बडी बातूनी है हिहिही
मै हस कर - ये मेरे मामा की बेटीया है जुड़वा है दोनो हिहिहिही
पल्लवि ने हा मे सर हिलाया ।
मै - वैसे एक बात पूछू
पल्लवि - हा बोलो
मै हस्ते हुए - उधर मै घर पर था तो आपकी बडी बाते सुनने को मिली थी कि आप ...
पल्लवि मेरी बाते सुन कर ना जाने क्यू आंखे बडी करने लगी और हडब्डाते हुए - क क क्या आ सुने हो आप,,, हम दोनो तो पहली बार मिल रहे है ना
मै हस कर - अरे आप तो परेशान होने लगी ,,,वो मै ये कह रहा था कि जब मै घर पर था तो दीदी रोज आपके बारे मे बताती थी कि आप भी कम बातूनी नही हो हिहिहिही
पल्लवि मेरी बाते सुन कर थोडी शर्म से मुह फेर ली और बोली - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,, मै भी आपकी बहनो के जैसी ही हू ,,लेकिन वो नानी है ना वो बहुत डाटती है
मै हस कर - अरे उनसे क्या डरना ,,वो तो मेरी सहेली है
पल्लवि हस कर - हिहिहिही हा दिख रहा है ,,नही तो परसो से कोई भी मर्द औरतो के बिच नजर नही आ रहा था
मै हस कर - अच्चा वो क्यू
पल्लवि कारण तो जान रही थी मगर वो बताने से कतरा रही थी ,,मगर मेरा काम तो उसके जहन मे वो बाते डाल कर ही हो गया था
मै हस के - अच्चा जाने दीजिये ,,ये बताईये आपको नाचना आता है
पल्लवि चौकी - मतलब
मै हस कर - अरे डांस , डांस आता है आपको
पल्लवि शर्मा कर - हा समझ रही हू लेकिन क्यू पुछ रहे है आप
मै हस कर - क्योकि आज रात सबको नाचना पडेगा हिहिही
पल्लवी तुनक कर - अच्छा और नानी ये सब करने देगी
मै हस के - मै तो उनको भी नचाने वाला हू हिहिही
पल्लवि हस कर - हिहिही बस करिये फेकिये मत आप
मै थोडा आत्मविश्वासी होते हुए - तो लगी शर्त ,,मैने अगर नचा दिया चाची जी को , क्या दोगी आप ??
पल्लवि हड़बड़ाई- अब मै क्या बोलू ,,लेकिन मै जानति हू ऐसा कुछ नही होगा
मै - तो शर्त लगा लिजिए ना ,,डर क्यू रही है हिहिही
पल्लवि हस कर - मै क्यू डरने लगी भला ,,आप शर्त बताओ
मै - अगर मै जीता तो आपको डांस करना पडेगा और हारा तो जो आप कहो वो करूंगा
पल्लवि कुछ सोच कर मुस्कुराइ- ठिक है मंजूर
मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया - तो डन
पल्लवि ने भी मेरे से हाथ मिलाया- हा डन हिहिही
फिर मै वापस सबको खाना खिलाने मे लग गया ।
लेखक की जुबानी
अब एक ओर जहा राज सबको खाना परोस रहा था वही चमनपुरा मे रंगीलाल के किचन मे शकुन्तला आ चुकी थी और रंगीलाल उसके अगल बगल एक फुल बाजू की बनियान और पाजामा पहने मडरा रहा था ।
शकुन्तला भी साड़ी मे खड़ी सब्जी काट रही थी । मगर गैस की गरमी से वो बेहाल हुई जा रही थी ।
रंगीलाल - अरे भाभी आप मुझे दीजिये मै काट देता हू सब्जी ,,आप बाकी का काम करिये
शकुन्तला मुस्कुराई और सब्जी चाकू थाली सब रन्गिलाल को थामा दी ।
इधर रंगीलाल जानबुझ कर किचन की डायनिंग टेबल पर ऐसी जगह बैठता है जहा से शकुन्तला का पिछवाडा दिखे ।
एक तो इतनी गर्मी , उपर चूल्हे के पास साड़ी मे खडे होकर खाना बनाने मे शकुन्तला की हालत खराब हो रही थी ।
कमर का पसीना रिस कर उसके गाड़ की लकीरो मे जा रहा था और उसे खूजली हो रही थी ।
एक दो बार अनजाने मे उसने बिना रंगीलाल का ध्यान रखे अपना पिछवाडा खुजाया भि।मगर जब वो तडका देने लगी और सब्जी लेने के लिए रन्गिलाल के ओर मुड़ी तो उसे ठिक अपने पीछे पाया तो शर्म से पानी पानी हो गयी ।
रंगीलाल समझ गया कि क्या बात है और शकुन्तला मुस्करा कर लाल क्यू हुई जा रही है ।
मगर उसने बेशरमी दिखाई और पुछ लिया - क्या हुआ भाभी आप हस क्यू रही है ,,कही मेरे कपडे तो
रंगीलाल अपनी भीगी हुई बनियान मे उभरे निप्प्ल पर देख कर बोला - मतलब आप कहे तो मै कुरता डाल लू
शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे नही नही उसकी कोई दिक्कत नही है ,,वो मुझे कुछ ध्यान आया तो हसी आ गयी
रंगीलाल जिज्ञासू होकर - क्या मुझे नही बतायेगी
शकुन्तला हस कर - अब क्या बताऊ ,,छोड़ीये अच्छा है आप नही जाने तो हिहिह्ही
रंगीलाल - ठिक है जैसी आपकी मर्जी ,,,अच्छा और कोई काम नही हो तो मै नहा लू
शकुन्तला - हा हा क्यू ,,,आप जाईये ,,लग रहा है मुझे भी नहाना पडेगा
रंगीलाल की आंखे चमकी - अरे कोई बात नही आप भी नहा लिजिए
शकुन्तला हस कर - अरे नही नही ,,यहा कैसे और मेरे कपडे भी तो नही है
रंगीलाल हस कर - क्या भाभी जी आप भी , रागिनी के कपडे है तो और आप तो ऐसे कह रही है जैसे किसी गैर के घर मे हो
शकुन्तला - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,वो तो बस मै सोची की
रंगीलाल - मै कुछ नही सुनूंगा ,,मै आपके कपडे निकाल दूंगा आप नहा लिजिएगा
शकु - अच्छा ठिक है
फिर रंगीलाल नहाने चला जाता है और कुछ सोच कर आलमारी से रागिनी के तंग कपडे निकाल कर रख देता है जिसमे एक सिफान की आसमानी रंग की साड़ी भी थी ।
फिर रन्गीलाल नहा कर नयी फुलबाजू की बनियान और एक हाफ चढ़ढा पहन लेता है ।
रंगीलाल धीरे से किचन मे आता है और उसकी नजर शकुन्तला के हाथो पर जाती है जो अभी अपने साड़ी के उपर से अपना चुतडो की लकीर खुजा रही थी
रंगीलाल धीमे से शकुन्तला के बगल मे जाकर - हो गया भाभी जी
शकुन्तला चौकी और फौरन अपना हाथ आगे कर लिया ।
शकुन्तला - हा हा हो गया है ,,बस एक सिटी लगा जाये
रंगीलाल - अरे एक सिटी की बात है ना ,,आप जाईये नहा लिजिए, देख रहा हू बहुत परेशान है आप
शकुन्तला समझ गयी कि रंगीलाल ने उसे खुजली करते देख लिया तो वो शर्मा गयी और मुस्कुरा कर हा मे सर हिलायि और बाथरुम मे चली गयी ।
इधर रन्गीलाल ने कुकर उतार दिया और हाल मे चक्कर लगाने लगा ,,
थोडी देर बाद बाथरूम से पानी की आवाज बन्द
हुई और 5 मिंट बाद शकुनतला रंगीलाल के दिये हुए कपडे पहन कर एक बालटी लेके बाहर आई
रंगीलाल - अरे आप ने कपडे भी धुल दिये ,,,अरे वाशिंग मशीन थी ना
शकुंतला - अरे कोई बात नही ,,बस पानी मे निचोड दिया है ,,अच्छा इसे कहा डालू की सुख जाये
रंगीलाल कुछ सोच कर - ऐसा करिये लाईये मुझे मै छत पर डाल देता हू
शकुंतला मना करते हुए -अरे नही नही मै डाल दूँगी आप परेशान ना होईये ,,, आप बैठीये मै छत से आती हू फिर खाना खाते है ।
रंगीलाल - अच्छा ठिक है चलिये ,,उपर अन्धेरा होगा मै बत्ती जला दूंगा
फिर वो दोनो सबसे उपर की छत पर जाते है
छत की अरगन पर शकुन्तला एक एक करके कपडे निचोड कर डालती है । छत पर जीने की दिवाल पर एक बलब जल रहा था उसमे रंगीलाल सब कुछ साफ देख पा रहा था ।
शकुन्तला ने बडी सावधानी से अपनी पैंटी को पेतिकोट के निचे डाल दिया,,मगर रंगीलाल की आंखे तब फैल गई जब उसने बालटी मे से उसका जांघिया निकाल कर उसे निचोडने लगी ।
रन्गीलाल - अरे रे रे भाभी जी ये क्या किया आपने ,,,मतलब इसे क्यू धुला
शकुन्तला हस कर - अरे ये वही निचे पडा था तो मैने इसे भी धुल दिया ,,उसमे क्या हुआ
रंगीलाल - वो क्या मै मेरी तो आदत है नहा कर ऐसे ही कच्छे को बाथरूम मे छोड देने की तो आज भी भूल गया था ,,वैसे तो हमेशा रागिनी धुल ही देती थी
शकुन्तला- अरे आप फाल्तू का परेशान हो रहे है,,कपडा ही तो है ना वो भी ,,,
रंगीलाल - हा बात तो सही है ,,, आईये ना थोडा टहलते है छत पर ही निचे गरमी बहुत है
शकुन्तला को भी थोडा ठिक लगा तो भी टहलने लगी ।
वो दोनो उपर की रेलिंग से निचे सड़क पर और आस पास मे रात के सन्नाटे को निहार रहे थे
एक ठंडी बयार चेहरे पर आ रही थी तो बहुत आरामदायक सा मह्सूस हो रहा था ।
तभी रंगीलाल के दिमाग वो सवाल कौंधा जो दोपहर के वक़्त उसके ख्याल मेआया था ।
रंगीलाल - अच्छा भाभी जी मुझे आपसे कुछ पुछना था
शकुन्तला- हा हा कहिये क्या बात है ?
रंगीलाल - पता नही ये उचित होगा या ,, हालकी उस विषय को लेके मुझे कोई जानकारी नही है ,,मगर
शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे आप इतना संकोच क्यू कर रहे है ,, पुछिये ना
रन्गीलाल मुस्कुरा कर - वो आप आज दोपहर मे बोल रही थी ना कि आपको लेके यहा मुहल्ले मे लोग बाते करते है ,,,वो चीज़ मुझे समझ नही आई भाभी जी और ऐसा कुछ रगिनी ने भी कभी चर्चा नहीं किया मुझसे ।
शकुन्तला रंगीलाल की बातो से भावुक और शांत सी हो गयी ।
रंगीलाल - देखीये कोई दबाव नही है भाभी जी ,,बस एक द्वंद सा है मन मे वो बात क्या है जो मै नही जानता ,,हालकी मेरा घर भी यही है
शकुन्तला मुस्करा कर अपनी डबडबाई आंखो को साफ की और बोली - अरे नही ऐसी कोई छिपाने वाली बात नही ,,,बस दुनिया का नजरिया ही ऐसा है कि वो आपके सुख चैन भरे जीवन में कोई न कोई रोड़ा लाती रही है ।
रंगीलाल - मै समझा नही भाभी , अगर आप उचित समझे तो खुल कर बतायेगी
शकुन्तला मुस्कुरा कर- बिन पति के रह रही हू और सुकून से हू ,,बस यही लोगो को खटक रही है
रंगीलाल - मै अब भी नही समझा और भाईसाहब को लेके भी मुझे सच मे कोई जानकारी नही है ।
शकुन्तला थोड़ा गहरी सास ली - वो क्या है कि पिछले काफी सालो से मेरे पति दुबई मे नौकरी करते थे । करीब दो साल पहले उनके एक दोस्त के माध्यम से पता चला कि उन्होने वहा दुसरी शादी कर ली है किसी खातुन से
रंगीलाल चौका - क्याआ
शकुन्तला दुखी मन से - हा ये सच है ,,यकीन करना मुश्किल है कि उमर के इस पड़ाव पर लोग ऐसे बदल जाते है और अपना परिवार छोड देते है ।
जब ये बात मेरे ससुराल के मुहल्ले मे फैल गयी तो वहा के लोगो ने मेरा जीना दुभर कर दिया । मुझे असहाय और बिना पति के जानकर मेरी मदद के बहाने मेरा शोषण करने लगे ,,,और जब उनके गलत मनसुबे कामयाब नही हो पाये तो उन्होने मुझे बदनाम करना शुरु कर दिया ।
रंगीलाल अवाक होकर देखता रहा ।
शकुन्तला - मेरे कस्बे के कुछ बुरे लोगों से मेरा नाता बताने लगे यहा तक कि मेरे शारिरीक संबध की अफवाहे उड़ाने लगे और इनसब के बीच मेरी नयी बहू भी पिस रही थी । इसिलिए मैने तय किया कि मै अपना ससूराल छोड दूँगी ।
रंगीलाल - अच्छा फिर
शकुन्तला- फिर मेरे बेटे ने यहा घर बनवाया और तबसे हम यही है ,,,लेकिन समाज की बुराईया जगह बदलने से कम नही हो जाती है । यहा आये मुझे करीब साल भर होने को है और अब यहा भी लोग बाते बनाने लगे है
रंगीलाल - कैसी बाते भाभी
शकुन्तला थोडा अटक कर - लोगो को लगता है कि एक औरत बिना शारिरीक सुख के जीवन नही जी सकती तो मेरा कही ना कही अफेयर चल रहा है और इधर जबसे ....
रन्गीलाल उत्सुक होकर - क्या भाभी जी आगे बोलिए ना
शकुन्तला अटकते हुए - इधर जबसे आपसे घर से आना जाना होने लगा है तो काफी लोगो ने मेरे पीठ पीछे मेरा नाम आपके साथ जोड दिया है
रंगीलाल चौका - क क क्या आ ,,ये कया कह रही है भाभी
शकुन्तला एकदम रुआसी हो चुकी थी उस्का गला भरने लगा था - हा ये सच है और इसिलिए मैने आपको दोपहर मे वो बोला था ,,मुझे लगा शायद आपको इनसब की जानकारी होगी
रंगीलाल - अरे नही भाभी जी ,मेरे पास इतनी फुर्सत कहा कि मै ऐसे फाल्तू लोगो की बात पर ध्यान दू ,वो तो आपने बताया नही तो
शकुंतला अपने आखे साफ करते हुए रंगीलाल का हाथ पकड कर- आप मुझसे वादा किजीए कि ये बात आप किसी से नही कहेंगे यहा तक कि रागिनी से भी नही ।
रंगीलाल चुप रहा और सुनता रहा
शकुन्तला भावुक होते हुए - देखिये इसे स्वार्थ के जमाने मे बडी मुश्किल से आप जैसे भले लोग मिले है और मै नही चाहती कि ऐसी अफवाहो से हमारे सम्बंध खराब हो ,,क्योकि ससुराल छोडने के बाद हम लोगो का कोई अपना नहीं रहा अब ,,सबने मुह मोड लिया हमसे यहा तक कि मेरे मायके वालो ने भी ।
रंगीलाल शकुंतला का ढाढ़स बान्धते हुए- अरे रे रे भाभी ये कैसी बात कर रही हैं,, आप हमारे लिये कोई गैर नही है और बिल्कुल भी ये ख्याल मन मे ना लायियेगा
शकुन्तला मुस्कुरा कर- शुक्रिया आपका
रंगीलाल मुस्कुरकर - अरे इसमे शुक्रिया वाली क्या बात है
शकुंतला खुश होकर - आप कितने अच्छे है कि लोग मेरी वजह से आपका भी नाम खराब कर रहे है फिर भी आपने मुझे इज्जत दी और अपना समझा ,,इसके लिए
रंगीलाल - लोग क्या सोचते मै उनसब के लिए जवाबदेही नही हू ,,मेरी जवाबदेही मेरे परिवार और भगवान के लिए है ।
शकुंतला मुस्कुरा कर - रागिनी कितनी किस्मत वाली है कि उसे आप जैसा पति मिला है
रन्गीलाल हस कर - अरे उसे पति मिला तो क्या हुआ मै आपका देवर हू तो आधा हक है आपका भी हिहिहिही
शकुंतला थोडा शर्मा के मुस्कुरायी फिर हस्ते हुए बोली - अब आधा मर्द किस काम का हिहिहिही
रंगीलाल ने जब शकुन्तला को मजाक करता देखा तो उसने भी दोहरे अर्थ वाले संवाद करने शुरु कर दिया
रंगीलाल हस कर - अरे भाभी आपको आधा भी पुरा ही पडेगा
शकुन्तला रंगीलाल का मतलब सम्झ गयी और शर्म से लाल हो गयी और वो बात को वही रोकना उचित समझी
शकुंतला - अब आधा पुरा बाद मे ,,चलिये निचे खाना ठंडा हो रहा है और मुझे भी घर जाना है ।
रन्गीलाल सीढियो से निचे जाता हुआ - मै तो कह रहा हू भाभी आप यही सो जाओ ,,थोडी बाते करेंगे । थोडा मेरा भी समय कट जायेगा अकेले नीद नही आती
शकुंतला हस कर - हा हा , कहा रोज रागिनी की बाहो मे सोते थे तो अकेले कैसे हिहिहिही
रंगीलाल को थोडी शर्म आई - क्या भाभी मेरा वो मतलब नही था ,,मै तो बस बाते करने के लिए बोल रहा था
शकुंतला - अच्छा ठिक है बाबा रुक जाऊंगी लेकिन आज नही ,,कल । क्योकि कल दोपहर में रोहन आ जायेगा तो घर मे बहू भी अकेली नही होगी ना
रन्गीलाल की आंखे चमक गयी कि अब बस कल का इन्तेजार रहेगा ।
फिर उन्होंने खाना खाया और शकुन्तला काजल के लिए टिफ़िन पैक करके अपने घर चली गयी ।
इधर रन्गीलाल कुछ योजना बनाता हुआ सो गया ।
यहा चमनपुरा मे तो लोग सो गये थे लेकिन जानीपुर मे आज तो रतजगा की तैयारियाँ हो रही थी और ये सारी चीजें अपना राज ही देख रहा था ।
राज की जुबानी
खाना खिलाने के बाद मै अनुज और रमन भैया तीनो ने मिल कर सबसे उपर की छत पर कुछ चटाई और बिछावन तकिये लगाये । फिर सारे महिला और जेन्स लोगो को उपर बुलाया गया ।
सबको बहुत ताज्जुब था कि क्या होने वाला है
इधर निचे हाल मे नाना ने मुझसे पूछा तो मैने ब्ताया कि उपर नाच गाना का प्रोग्राम है । ढोल की ताल पर घर के सारे लोग गाएंगे नाचेंगे ।
नाना खुश तो हुए कि चलो शादी का घर है तो चहल पहल जरुरी है लेकिन उन्होने उपर जाने से मना कर दिया ये कहकर कि औरतो को मजा करने दो और फिर मौसा जी के चाचा ने भी मना कर दिया ।
फिर मै मौसा और राजन फूफा को लेके उपर चला गया ।
उपर लाईट की व्यव्स्था थी और मैने देखा कि मेरी हॉट एंड सेक्सी मामी ढोल को सेट कर रही है ।
मै लपक कर उनके बगल मे बैठ गया ।
मै - आपको ढोल भी बजाना आता है
मामी मुस्कुरा कर धीरे से मेरे कान मे बोली - बजा तो तुम भी लेते हो अच्छा
मै थोडा शर्मा गया ,,इधर चाची जी सारी महिलाओ को समझा रही थी कि कौन सा कौन सा गीत पहले गाया जायेगा ।।फिर फिल्मी गानो पर होगा कार्यक्रम ।
मौसा और राजन फुफा एक ओर दिवाल से लग कर बैठे हुए थे और उनके आगे मौसी ,ममता बुआ और मामी थी । फिर मामी के बगल मे मै और मेरे बगल मे चाची जी फिर मम्मी ,सोनल पल्लवि और उन्के पीछे दिवाल से लगे हुए रमन भैया और अनुज ।
फिर चाची ने देवी गीत शुरु किये जिन्हे हम लोग भी बडी मुस्किल से दूहरा पा रहे थे ।
मामी जी ढोल पर धाक बहुत गजब की थी और चाची बडी खुश होकर उनसे आन्खे मिलाए ताल पर गाये जा रही थी ।
मेरे लिये ये पहला अनुभव था और मुझे बहुत मजा आ रहा था । इसी दौरान मेरी नजर पल्ल्वी से टकराती तो मै उसे इशारे मे डांस करने की बात याद दिलवा देता और वो मुह फेर कर हस देती ।
एक एक करके चाची ने तिन देवी गीतो का गायन किया और सही मायने मे हम सबने उसका मजालिया ,,,आखिर मे चाची ने मा दुर्गा का जयघोष करवाया ।
चाची - हा , अब तुम शहरवालियो अपने गीत गाओ
चाची की बात पर सब लोग ठहाका लेके हसे
मै मामी के हाथ से ढोल लिया और तिन बार उसको धाक देके बोला
मै - सुनिये सुनिये ,,,अब यहा अन्ताक्षरी और नाच होगी ।
नाच्ने की बात पर सारे लोगो मे हसी भरा खुसफुसाहट होने लगी ।
मैने वापस ढोल को धाक दी और बोला - हम लोग दो टीम बनायेंगे । जिस टिम के साथी को गाने का मौका मिलेगा वो सामने वाली टीम मे से किसी को भी अपने गाने पर नाचने को कह सकता है
मेरी शर्ते सुन कर वापस से थोडी खुसरफुसर हुई और थोडा खिखियाने की आवाजे आई ,,मै समझ गया कि लोग अपने अपने गाने पर किसको नचाना है ये सोच कर ही चहक रहे है ।
मै वापस से ढोल की धाक देके सबका ध्यान अपने ओर किया और बोला - दादी अब सबको दो टीम मे बाटेगी
चाची जी हस कर - अरे बिटवा तुम लोग खेलो ना अपने मे ,,,अब इस उमर मे क्या हमसे गणित पढवा रहे हो
मै उन्के बगल मे बैठा था - अरे दादी आप बडी हो आप बाटोगी तो बाद मे कोई बहस नही होगा कि एक की टीम कमजोर हो गयी और एक की टीम मजबूत
दरअसल ये बाटने का काम तो मै खुद कर सकता था ,, किसी दो को भी टिम का लीडर बना कर उन्हे चूनने को बोल देता ।
मगर ऐसे मे मै जानबुझ कर चाची जी शामिल किया ताकि उनको ये आभास ना हो कि उन्हे वैल्यू नही मिल रही है और एक कारण ये भी था उनको इस खेल मे शामिल करने का वो ये कि अगर गाने और नाच मे कही माहौल थोडा उत्तेजक या फूहड़पन लगे तो वहा चाची जी हस्तक्षेप भी ना कर पाये । क्योकि ये सब उनकी परवानगी से हो रहा होगा ।
फिर चाची जी ने अपना गणित दौडाया और कुछ सोच कर दो टीम बनाये
टीम 01 = रज्जो मौसी , मेरी मम्मी , मामी , पल्लवि , मै , गीता और चाची जी
टीम 02 = ममता बुआ , कमलनाथ मौसा , राजन फूफा , रमन भैया , सोनल दीदी , अनुज और बबिता
अब हम लोग दिवाल के एक एक तरफ हो गये और बिच मे छत को खाली छोड दिया गया
इधर मैने ढोल वापस मामी को थमा दिया ,,सभी चेहरे खिले हुए थे ,, सब मस्ती मे अपनी पहली पारी का इन्तजार कर रहे थे क्योकि सब ने अपना अपना मुर्गा चुन रखा था ।
मेरी टीम का अगुआ मैने गीता को बनाया और उधर से बबिता बनी । टॉस हुआ और बबिता जीत गयी ।
बबिता की टीम मे खुसफुसाहट चालू थी कि उम्मिद अनुसार ममता बुआ ने हाथ उठाया ।
ममता - तो मेरी प्यारी भाभी चलो खड़ी हो जाओ हिहिहिही
हम सब खिलखिला कर रज्जो मौसी को देखते है और वो भी हस्ते हुए खड़ी हुई और अपना साड़ी ठिक किया ।
ममता - अरे भाभी मैदान मे आईये तब ना बात बनेगी
रज्जो मौसी हस कर - हा आ रही हू
फिर मौसी छत के बिच मे आई और पल्लू को कमर को खोसा और कमर पर हाथ रख कर तैयार हुई ।
ममता हस कर - अरे गीता की अम्मा तैयार हो ना
मामी हस कर- हा जीजी शुरु करिये
फिर ममता बुआ ने आशा भोसले जी एक सुपरहित गाने के बोल शुरु किये
ममता मुस्कुरा कर - झुमका गिरा रे एएए
ममता बुआ के अनतरे पर हम सब के दिल बाग बाग हो गये और मैने , कमलनाथ मौसा और राजन फूफा एक साथ बोल पडे- हाय्य्य्य
वही मामी ने ढोल पर ताल देदी
ममता -
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा झुमका
गिरा झुमका गिरा
मामी के ढोल की ताल पर हम सबने सुर मिलाया - हाय हाय हाय
वही रज्जो मौसी ने अपने कमर मटकाते हुए गाने की अदाकारा साधना जी के जैसे अपने कन्धे झटके जिससे मौसी के मोटे मोटे चुचे भी हिल्कोरे मारने लगे
ममता- झुमका गिरा रे बरेली के, बाजार में झुमका गिरा रे
गाने की कड़ी खतम होते ही सब लोग एक जोर का ठहाका लगा कर हस पड़े और मौसी तो शर्मा कर अपना पल्लू सही करते हुए हस्ते हुए तेजी से अपने कुल्हे हिलाते अपनी जगह पर बैठ गयी ।
अब बारी थी गीता की टीम की तो खुद गीता ने हाथ उठाया और रमन भैया का नाम लिया ।
सबने ठहाके लगाये और गीता ने गाना शुरु किया ।
गीता - छोटे छोटे भाइयो के बडे भैयाआआ
मामी हस कर ढोल की ताल देती है और हम सब ताली बजाते हुए - हे हे हेहे हेएएए
गीता मुस्कुरा कर -
छोटे छोटे भाइयो के बडे भईया
परसो बनेंगे किसी के सईया
ढोल बजाये देखो मेरी मईया
नाच रहे मेरे रमन भईया
रमन भैया ढोल पर ज्यादा नाचे तो नही लेकिन गीता के गाने के बोल सुन कर हम सब खुब हसे । सबने उसकी तारिफ की ।
अगली बारी बबिता की टीम की थी तो वहा से इस बार सोनल दीदी ने हाथ उठाए और पल्लवि का नाम लिया ।
पल्लवि का नाम आते ही सब शोर करने लगे और वही कही से सिटी की आवाज आई ,,जिससे पल्लवि शर्म से लाल हो गयी ।
फिर पल्लवि शर्माते हुए अपने सूट को कूल्हो के पास से खिच कर सही किया और दुपट्टे को क्रॉस करके कमर मे बान्ध लिया ।
सोनल हस कर - तैयार ना पल्लवि
पल्लवि हस कर हा मे सर हिलायि
सोनल ने थोडा गला खराश किया और- मेरा चैन वैन सब उजड़ा
हम सब के चेहरे खिल गये कि क्या मस्त गाना चुना सोनल ने और वही मामी ने मानो इस गाने धुन को ढोल मे पिरो किया था
मामी ने ढोल पर ताल दी - धिनक धिनक धिन धा
पल्लवि ने पहली लाईन पर अपने एड़ियो पर आकर एश्वर्या राय की तरह जो कमर लचकाया ,उफ्फ्फ्फ
सोनल -
मेरा चैन वैन सब उजड़ा
जालिम नजर हटा ले
बरबाद हो रह है जी मेरे अपने शहर वाले
ओ मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आ जाआआ
हम सब एक साथ हाथ उठा कर - कजरा रे !!!
ढोल - धिक धा
हम सब एक सुर मे हस्ते हुए गाने लगे- कजरा रे कजरा रे तेरे काले काले नैना ,,
पल्लवि हम लोगो को ऐसे प्रतिक्रिया देख कर हस दी और शर्मा कर अपनी जगह पर आ गयी ।
हम सब खुब जोर जोर से हसे , चाची जी ने भी बहुत मजा लिया ।
पारी पल्टी तो मा ने हाथ उठाया और राजन फूफा को खड़ा कर दिया ।
तालिया बजी ,,हसी ठहाके लगे और एक दो सिटीया भी
बडी शर्मो हया के साथ हस्ते हुए राजन फूफा अपने कमर मे गम्छा बाँधते हुए खडे हुए और मा ने इधर मामी के कान मे कुछ बोला ,,शायद गाने के बोल थे ।
इधर मामी ने ढोल की ताल शुरु की ,,, ताल कुछ जान पहचाना लगा तो राजन फूफा भी अपने कमर पर दोनो हाथ रख कर एड़ियो के सहारे कमर हिलाने लगे
मगर जैसे ही मा ने गाने के बोल शुरु किये वो रुक गये और हम सारे लोग हसने लगे ।
राजन हस के - अरे भाभी इस गाने पर कैसे ,,नही नही
मा हस्ते हुए - अब नाचना तो पडेगा ही जीजा जी हिहिहिही
हम सब ठहाके ले रहे थे और इधर मजबुर होकर राजन फूफा ने अपनी कमर पर बाँधा हुआ गम्छा खोल कर सर पर रखकर एक लम्बा सा पल्लू कर दिया
हम सब लोग हसने लगे और मैने तो सिटी भी मार दी ,,बगल मे बैठी चाची जी मुह पर हाथ रख कर हसते हुए मुझे डाटने लगी।
इधर मा ने मामी को इशारा किया और ढोल की ताल पर मा ने गाना शुरु किया
मा - जो बिच बजरियाआआआ तुने मेरी पकड़ी बईया ,,मै सबको बोल दूंगी ( राजन अपने सर पर रखा गम्छा को घूघट के जैसे पकड कर कमर थिरकाते हुए घूमता है )
जब रात मे कोई ना जागे आयीयो सईया ,मै खिडकी खोल दूँगी ( राजन अपने घूँघट को उठा कर कमर पर हाथ रखते हुए औरतो कैसे कुल्हे हिलाता है )
हम सब लोग हस कर मस्त हो जाते है और राजन भी शरम से पानी पानी होकर गमछे मे मुह छिपाये ,सबसे पीछे जाकर बैठ जाता है ।
पारी पलटती है और इस बार मौसा जी हाथ उठा देते है और मा का नाम लेते है ,,
मा समझ गयी ये सब बदले के लिए ही हो रहा है लेकिन वो भी तैयार थी । खैर ये मुकाबला जीजा साली का होने था तो मेरी उत्सुकता बहुत बढ गयी थी ।
तभी मौसा जी अपने मोबाईल मे गाना निकालने लगे तो हम लोगो की टीम एक सुर मे बोल उठे - नही नही ये चिटिँग है ,,आपको गाना ही पडेगा
मौसा हस कर - अरे भाई मुझे गाना नही आता ,,अच्छा ऐसी बात है तो मै भी रागिनी के साथ नाच लूंगा बस
थोडी खुसरफुसर हुई तो सब मान गये
फिर क्या मौसा ने मा का हाथ पकड कर बिच मे लाये और फिर मोबाईल पर एक गाना बजा दिया ।
गाने की ट्यून सुन कर ही हम लोगो का हल्ला गुल्ला शुरु हो गया और फिर मा ने भी गाने के तर्ज पर मौसा के साथ कमर ठुमकाया
गाना भोजपूरी था - ले चली घुमा दी बुलेट पर जीजा
हम सबने भी खुब मस्ती की ,, चाची भी मुह पर पल्लू रख कर खुब हसी ,,,हालकी कहने को तो उनकी नजर ये सब उचित नहीं था ,,मगर जैसा कि मैने पहले ही ब्ताया कि जानबुझ कर मैने उन्हे खेल मे शामिल किया जिससे वो मना भी ना कर सके और उन्हे मजा भी आये।
इधर मौसा जी ने लपक कर मामी को भी उठा लिया तो गीता भी खड़ी होके नाचने लगी ।
सबने मस्ती की और फिर वापस अपनी जगह पर
इधर सब वापस बैठे नही कि मौसी ने हाथ खड़ा कर दिया ।
तालिया बजी हसी ठहाके लगे और मौसी ने दो नाम बोले - ममता बुआ और मौसा जी
मै समझ गया कि रज्जो मौसी की चालाकी,,, अरे वो भौजी ही क्या अपनी ननद को उसके भैया के नाम पर छेड़े नही ।
मौसा - अरे रज्जो ये तो गलत बात है , एक बार मे एक ही लोग ना
मौसी हस्कर - अच्चा और अभी आप जो साली और सलहज एक साथ नचा रहे थे उसका क्या ,हम्म्म्म्ं
रज्जो - चलो उठो आप दोनो
फिर हमारी टीम मे हल्ला गुल्ला करने लगे तो वो दोनो उठ कर बीच में आये ।
इधर मौसी ने मामी को गाने के बोल बताये ,,जिसे सुन कर मामी हस पडी और फिर हा मे सर हिला कर सहमति देदी ।
मौसी ढोल की ताल पर एक भोजपूरी गाने के बोल देती है जिसपर ममता बुआ हस कर अपने भैया यानी मौसा जी के उपर गिरते गिरते बचती है ।
मौसी बिना रुके ममता बुआ को नाचने का इशारा करती हुई
मौसी - घाम लागता ये राजा , घाम लागता
( ममता हस कर मजबुरन अपने भैया को इशारा करके अपना घूँघट पकडे कमर हिलाती है । )
तू ता बाहरा मे करेला आराम ( ममता हस कर अपने भैया का हाथ पकड कर मौसी के गाने के बोल पर इशारा करती है और फिर कमर पर हाथ रख नाचती है ।)
तू ता बाहरा मे करेला आराम
चैत हमरा घाम लागता
हम सब हस के मस्त हो गये थे, मामी तो मानो इनसब गानो के लिए प्रोफेशनल थी ,,,ढोल की धाक एकदम गाने के तर्ज पर जमा था ।
ममता बुआ को लगा अब शायद इतने से काम बन जायेगा मगर मौसी ने फिर से एक कड़ी शुरु की ।
मौसी हस्ते हुए -
तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी
मौसी के इस तंज को सब समझ गये और जोर जोर से हसने लगे ,,क्योकि मौसा पंजाब के लुधियाना मे ही नौकरी करते थे और सब ये बात जानते थे ।
मौसी - तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी ( ममता अपने भैया का हाथ पकड के एक ओर इशारा करके कमर लचकाती है )
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी ( फिर अपने चेहरे पर एक बार इशारा करती है । )
घाम लागता ये डियर घाम लागता
गरमी सहत नईखे नरम नरम चाम
चैत मे हमरा घाम लागत बा (ममता अपने कमर पर हाथ रख कर एक हाथ हवा मे उठाए नाचती है । )
गाना खतम होता है और हम सब हस के मस्त हो जाते है ।
पता नही वहा पर किसी और ने नोटिस किया या नही लेकिन मैने जरुर नोटिस किया कि मौसी मे अपने भाभी होने का फर्ज अच्छा निभाया और अपनी ननद का सईया उसके भईया को ही बना दिया ।
पारी पल्टी तो बबिता ने हाथ खडे किये , समय भी काफी हो चुका था तो उसने मेरा नाम लिया
फिर बबिता ने भी मौसा जी की तरह एक पंजाबी गाना बजाया तो उसपे मैने हल्का फुल्का पंजाबी ठुमका लगाया और चाची जी को पकड कर ले गया तो उन्होने भी ना नुकुर करते हुए ह्सते हुए हाथ उपर कर बल्ले बल्ले कर ही लिया ।
मैने देखा कि अनुज काफी समय से अकेला और शांत था तो उसी गाने पर मै उसे और सोनल दीदी को भी लेके आया तो बबिता भी आकर नाचने लगी ।
कुलमिला कर बात ये थी कि आखिर मे लगभग सबने नाचा और मस्ती की ।
सारे लोग हस्ते हुए थक कर वापस बैठ गये ,,किसी का मन सोने का नही था ,,मगर रात ज्यादा हो चुकी थी और कल हल्दी का प्रोग्राम था तो सुबह से ही सारे काम होने थे ।
अब सबके सोने की व्यव्स्था की दिक्कत हो गयी थी क्योकि सारे कमरे फुल थे और आज नाना के यहा से लोग आये थे तो कैसे क्या होगा इसपे चर्चा होने लगी थी
जारी रहेगी