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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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HAPPY 3RD ANNIVERSARY
🎉🎊:celebconf:🎊🎉

सभी पाठकों को बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद
आपके प्यार और स्नेह की बदौलत
आज इस कहानी को ना सिर्फ
3 साल पूरे हुए
बल्कि 60 लाख व्यूज भी हो रहे है ।
कहानी पहले ही हजार पेज की रेस मे दौड़ रही है

आप सभी का आभार एक ऐसी कहानी को प्रेम देने के लिए जहा मेरे जैसे अड़ियल मिजाज वाले लेखक की मनमानी ही आपको पढने और सुनने को मिलती है ।
बिना किसी पोल और ओपेनियन लिये आप पाठक फिर भी कहानी से जुड़े है उसके लिए मै ऋणी रहूंगा


एक बार फिर से धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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UPDATE 123

CHODAM PUR SPECIAL UPDATES

पिछले अपडेट मे आपने पढ़ा जहा एक ओर चाची के आतंक बचाने मे राज एक मसीहा बन कर उभर गया रज्जो के घर मे ,,,वही उसने सबको अह्सास दिलाया कि चाची के सख्त रवैये से वो गलत नही है बल्कि उनकी भी कुछ इच्छाएं और भावनाये है और वो पूरी हो रही है तो वो घर के माहौल मे कोई भी हस्तक्षेप नही करेंगी । उधर चमनपुरा मे भी राज के पापा रंगीलाल की बढती हवस ने एक नया शिकार शकुन्तला के रूप मे खोज लिया है और आज रात वो खाना बनाने उसके घर आने वाली है तो देखते है रंगीलाल क्या क्या पासा फेकता है रज्जो के लिए, मगर उस्से पहले राज की तैयारियो पर भी एक नजर मार लेते है आखिर वो और चाची किस योजना को लेके उत्सुक है और क्या धमाल होने वाला है ।

अब आगे

राज की जुबानी

दोपहर तक मैने चाची का बताया हुआ योजना स्वरूप सभी चीज़ो का इन्तेजाम कर लिया और फिर शाम को 5 बजे के करीब नाना की फुल फैमिली यहा आ गयी ।
घर मे फिर से चहल पहल सी छा गयी और सारे लोग एकजुट होकर सबसे मिलने लगे ।

सबने बारी बारी से नाना के पाव छुए और फिर नाना जी भी अपनी समधन से मिले ।
इधर गीता बबिता आते ही मेरे रूम के बारे मे पुछने लगी इस दौरान मै देखा कि पल्लवि बडे गौर से गीता बबिता की मेरे प्रति उत्सुकता को निहार रही थी । मानो उसने सूंघ लिया कि मेरे गीता बबिता से क्या संबन्ध हो ।इसिलिए मैने थोडा सख्ती दिखाई और गीता बबिता को सम्झाया कि यहा सबके इन्तेजाम अलग अलग है और मौसी ही ब्तायेगी कि उन्हे कहा रहना है ।

फिर मै अपनी सेक्सी और चंचल मामी से मिला ।
उन्की वो कातिल मुस्कान आह्ह सारे मनमोहक यादे एक पल मे ही ताजा हो गयी और लण्ड टनटना गया ।

उन्होने भी बखूबी समझा और धीरे से फुसफुसा कर बाद मे मिलने को बोला । पहले तो मै बहुत खुश हुआ मगर जब चाची जी का ख्याल आया सारा नशा पानी हो गया क्योकि मामी को तो यहा के हालात पता ही नही थे ।

थोडी देर बाद सारी महिलाए उपर चली गयी ।
हाल मे मैने नाना से उनका हाल चाल लिया और फिर बगल के घर मे चला गया जहा सबके लिए खाना बनाया जा रहा था ।


वहा मौसा और राजन फूफा भी खाना बनवाने मे लगे थे करीब 25 से 30 लोगो का खाना बनना था तो मै भी उनकी मदद मे लग गया ।
कल हल्दी होने वाली थी और अगले दिन शादी थी । सब तैयारियाँ मे व्यस्त थे तो घर मे किसे खाना बनाने का मिलता ।इसिलिए मौसी ने एक हल्वाई के माध्यम से बगल मे घर मे खाना बनवाने की व्यव्स्था कर दी ।

8 बजे तक खाना तैयार हुआ सारे जेन्स लोगो को वही बगल के घर मे खाने के लिए बोला गया और महिलाओ की बात आई तो चाची ने ना जाने क्या सोच मुझे रुकने को बोला और सब मर्द जनो को बाहर जाने को बोला ।

जहा तक मुझे अनुमान था उसका एक ही कारण हो सकता था वो ये कि हाल ही में मेरी और चाची जी जमने लगी थी और एक कारण ये भी था कि खाने मे कौन सा समान कहा है मै सब जान रहा था ।

फिर उस घर के एक कमरे मे सारी औरतो के लिए एक चटाई लगवाई गयी ।

सब बैठ गयी तो मैने सबको पत्तल देने शुरु किये थे कि चाची ने पल्लवी को डाँटा कि मेरी मदद करे । कहने को तो वो सोनल से भी कह सकती थी मगर पल्लवि उनकी सगी नातिन थी इसिलिए उन्होने पल्लवि को ही बोला ।

सब थोडा खिखियाही और पल्लवि उठ कर मेरी हैल्प करने लगी ।

इसी दौरान पहली बार मैने पल्लवी से कोई बात की ,,बस हल्के फुल्के अंदाज मे ही सही मगर मुझे बड़ा अच्चा मह्सूस हुआ ।

उसे जब भी कुछ पुछना होता था मुझे आन्खे उठा कर देखती तो उसकी नशीली आंखो मे मै खो सा जाता था ।
बदले मे वो मुस्करा देती थी ।

इधर गीता बबिता की चंचलता भी कम नही थी । हर बार मे भैया ये भैया वो । इसपर मौसी तो कभी कभी छेड़ देती थी उनको और सब हस पड़ते थे ।

इसी दौरान जब मै सब्जी निकालने रसोई वाले कमरे मे गया तो वहा पल्लवि ने मुझसे पुछ भी लिया ।

पल्लवि - अच्छा ये दोनो कौन है ,,बडी बातूनी है हिहिही

मै हस कर - ये मेरे मामा की बेटीया है जुड़वा है दोनो हिहिहिही

पल्लवि ने हा मे सर हिलाया ।
मै - वैसे एक बात पूछू

पल्लवि - हा बोलो
मै हस्ते हुए - उधर मै घर पर था तो आपकी बडी बाते सुनने को मिली थी कि आप ...

पल्लवि मेरी बाते सुन कर ना जाने क्यू आंखे बडी करने लगी और हडब्डाते हुए - क क क्या आ सुने हो आप,,, हम दोनो तो पहली बार मिल रहे है ना

मै हस कर - अरे आप तो परेशान होने लगी ,,,वो मै ये कह रहा था कि जब मै घर पर था तो दीदी रोज आपके बारे मे बताती थी कि आप भी कम बातूनी नही हो हिहिहिही

पल्लवि मेरी बाते सुन कर थोडी शर्म से मुह फेर ली और बोली - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,, मै भी आपकी बहनो के जैसी ही हू ,,लेकिन वो नानी है ना वो बहुत डाटती है

मै हस कर - अरे उनसे क्या डरना ,,वो तो मेरी सहेली है

पल्लवि हस कर - हिहिहिही हा दिख रहा है ,,नही तो परसो से कोई भी मर्द औरतो के बिच नजर नही आ रहा था

मै हस कर - अच्चा वो क्यू
पल्लवि कारण तो जान रही थी मगर वो बताने से कतरा रही थी ,,मगर मेरा काम तो उसके जहन मे वो बाते डाल कर ही हो गया था

मै हस के - अच्चा जाने दीजिये ,,ये बताईये आपको नाचना आता है

पल्लवि चौकी - मतलब
मै हस कर - अरे डांस , डांस आता है आपको

पल्लवि शर्मा कर - हा समझ रही हू लेकिन क्यू पुछ रहे है आप

मै हस कर - क्योकि आज रात सबको नाचना पडेगा हिहिही

पल्लवी तुनक कर - अच्छा और नानी ये सब करने देगी

मै हस के - मै तो उनको भी नचाने वाला हू हिहिही

पल्लवि हस कर - हिहिही बस करिये फेकिये मत आप

मै थोडा आत्मविश्वासी होते हुए - तो लगी शर्त ,,मैने अगर नचा दिया चाची जी को , क्या दोगी आप ??

पल्लवि हड़बड़ाई- अब मै क्या बोलू ,,लेकिन मै जानति हू ऐसा कुछ नही होगा

मै - तो शर्त लगा लिजिए ना ,,डर क्यू रही है हिहिही

पल्लवि हस कर - मै क्यू डरने लगी भला ,,आप शर्त बताओ

मै - अगर मै जीता तो आपको डांस करना पडेगा और हारा तो जो आप कहो वो करूंगा

पल्लवि कुछ सोच कर मुस्कुराइ- ठिक है मंजूर

मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया - तो डन

पल्लवि ने भी मेरे से हाथ मिलाया- हा डन हिहिही

फिर मै वापस सबको खाना खिलाने मे लग गया ।

लेखक की जुबानी

अब एक ओर जहा राज सबको खाना परोस रहा था वही चमनपुरा मे रंगीलाल के किचन मे शकुन्तला आ चुकी थी और रंगीलाल उसके अगल बगल एक फुल बाजू की बनियान और पाजामा पहने मडरा रहा था ।

शकुन्तला भी साड़ी मे खड़ी सब्जी काट रही थी । मगर गैस की गरमी से वो बेहाल हुई जा रही थी ।

रंगीलाल - अरे भाभी आप मुझे दीजिये मै काट देता हू सब्जी ,,आप बाकी का काम करिये

शकुन्तला मुस्कुराई और सब्जी चाकू थाली सब रन्गिलाल को थामा दी ।

इधर रंगीलाल जानबुझ कर किचन की डायनिंग टेबल पर ऐसी जगह बैठता है जहा से शकुन्तला का पिछवाडा दिखे ।

एक तो इतनी गर्मी , उपर चूल्हे के पास साड़ी मे खडे होकर खाना बनाने मे शकुन्तला की हालत खराब हो रही थी ।
कमर का पसीना रिस कर उसके गाड़ की लकीरो मे जा रहा था और उसे खूजली हो रही थी ।

एक दो बार अनजाने मे उसने बिना रंगीलाल का ध्यान रखे अपना पिछवाडा खुजाया भि।मगर जब वो तडका देने लगी और सब्जी लेने के लिए रन्गिलाल के ओर मुड़ी तो उसे ठिक अपने पीछे पाया तो शर्म से पानी पानी हो गयी ।

रंगीलाल समझ गया कि क्या बात है और शकुन्तला मुस्करा कर लाल क्यू हुई जा रही है ।

मगर उसने बेशरमी दिखाई और पुछ लिया - क्या हुआ भाभी आप हस क्यू रही है ,,कही मेरे कपडे तो

रंगीलाल अपनी भीगी हुई बनियान मे उभरे निप्प्ल पर देख कर बोला - मतलब आप कहे तो मै कुरता डाल लू

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे नही नही उसकी कोई दिक्कत नही है ,,वो मुझे कुछ ध्यान आया तो हसी आ गयी

रंगीलाल जिज्ञासू होकर - क्या मुझे नही बतायेगी

शकुन्तला हस कर - अब क्या बताऊ ,,छोड़ीये अच्छा है आप नही जाने तो हिहिह्ही

रंगीलाल - ठिक है जैसी आपकी मर्जी ,,,अच्छा और कोई काम नही हो तो मै नहा लू

शकुन्तला - हा हा क्यू ,,,आप जाईये ,,लग रहा है मुझे भी नहाना पडेगा

रंगीलाल की आंखे चमकी - अरे कोई बात नही आप भी नहा लिजिए

शकुन्तला हस कर - अरे नही नही ,,यहा कैसे और मेरे कपडे भी तो नही है

रंगीलाल हस कर - क्या भाभी जी आप भी , रागिनी के कपडे है तो और आप तो ऐसे कह रही है जैसे किसी गैर के घर मे हो

शकुन्तला - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,वो तो बस मै सोची की

रंगीलाल - मै कुछ नही सुनूंगा ,,मै आपके कपडे निकाल दूंगा आप नहा लिजिएगा

शकु - अच्छा ठिक है

फिर रंगीलाल नहाने चला जाता है और कुछ सोच कर आलमारी से रागिनी के तंग कपडे निकाल कर रख देता है जिसमे एक सिफान की आसमानी रंग की साड़ी भी थी ।

फिर रन्गीलाल नहा कर नयी फुलबाजू की बनियान और एक हाफ चढ़ढा पहन लेता है ।

रंगीलाल धीरे से किचन मे आता है और उसकी नजर शकुन्तला के हाथो पर जाती है जो अभी अपने साड़ी के उपर से अपना चुतडो की लकीर खुजा रही थी

रंगीलाल धीमे से शकुन्तला के बगल मे जाकर - हो गया भाभी जी

शकुन्तला चौकी और फौरन अपना हाथ आगे कर लिया ।
शकुन्तला - हा हा हो गया है ,,बस एक सिटी लगा जाये

रंगीलाल - अरे एक सिटी की बात है ना ,,आप जाईये नहा लिजिए, देख रहा हू बहुत परेशान है आप

शकुन्तला समझ गयी कि रंगीलाल ने उसे खुजली करते देख लिया तो वो शर्मा गयी और मुस्कुरा कर हा मे सर हिलायि और बाथरुम मे चली गयी ।
इधर रन्गीलाल ने कुकर उतार दिया और हाल मे चक्कर लगाने लगा ,,

थोडी देर बाद बाथरूम से पानी की आवाज बन्द
हुई और 5 मिंट बाद शकुनतला रंगीलाल के दिये हुए कपडे पहन कर एक बालटी लेके बाहर आई

रंगीलाल - अरे आप ने कपडे भी धुल दिये ,,,अरे वाशिंग मशीन थी ना

शकुंतला - अरे कोई बात नही ,,बस पानी मे निचोड दिया है ,,अच्छा इसे कहा डालू की सुख जाये

रंगीलाल कुछ सोच कर - ऐसा करिये लाईये मुझे मै छत पर डाल देता हू

शकुंतला मना करते हुए -अरे नही नही मै डाल दूँगी आप परेशान ना होईये ,,, आप बैठीये मै छत से आती हू फिर खाना खाते है ।

रंगीलाल - अच्छा ठिक है चलिये ,,उपर अन्धेरा होगा मै बत्ती जला दूंगा

फिर वो दोनो सबसे उपर की छत पर जाते है
छत की अरगन पर शकुन्तला एक एक करके कपडे निचोड कर डालती है । छत पर जीने की दिवाल पर एक बलब जल रहा था उसमे रंगीलाल सब कुछ साफ देख पा रहा था ।

शकुन्तला ने बडी सावधानी से अपनी पैंटी को पेतिकोट के निचे डाल दिया,,मगर रंगीलाल की आंखे तब फैल गई जब उसने बालटी मे से उसका जांघिया निकाल कर उसे निचोडने लगी ।

रन्गीलाल - अरे रे रे भाभी जी ये क्या किया आपने ,,,मतलब इसे क्यू धुला

शकुन्तला हस कर - अरे ये वही निचे पडा था तो मैने इसे भी धुल दिया ,,उसमे क्या हुआ

रंगीलाल - वो क्या मै मेरी तो आदत है नहा कर ऐसे ही कच्छे को बाथरूम मे छोड देने की तो आज भी भूल गया था ,,वैसे तो हमेशा रागिनी धुल ही देती थी

शकुन्तला- अरे आप फाल्तू का परेशान हो रहे है,,कपडा ही तो है ना वो भी ,,,

रंगीलाल - हा बात तो सही है ,,, आईये ना थोडा टहलते है छत पर ही निचे गरमी बहुत है

शकुन्तला को भी थोडा ठिक लगा तो भी टहलने लगी ।
वो दोनो उपर की रेलिंग से निचे सड़क पर और आस पास मे रात के सन्नाटे को निहार रहे थे
एक ठंडी बयार चेहरे पर आ रही थी तो बहुत आरामदायक सा मह्सूस हो रहा था ।

तभी रंगीलाल के दिमाग वो सवाल कौंधा जो दोपहर के वक़्त उसके ख्याल मेआया था ।

रंगीलाल - अच्छा भाभी जी मुझे आपसे कुछ पुछना था

शकुन्तला- हा हा कहिये क्या बात है ?
रंगीलाल - पता नही ये उचित होगा या ,, हालकी उस विषय को लेके मुझे कोई जानकारी नही है ,,मगर

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे आप इतना संकोच क्यू कर रहे है ,, पुछिये ना

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - वो आप आज दोपहर मे बोल रही थी ना कि आपको लेके यहा मुहल्ले मे लोग बाते करते है ,,,वो चीज़ मुझे समझ नही आई भाभी जी और ऐसा कुछ रगिनी ने भी कभी चर्चा नहीं किया मुझसे ।

शकुन्तला रंगीलाल की बातो से भावुक और शांत सी हो गयी ।

रंगीलाल - देखीये कोई दबाव नही है भाभी जी ,,बस एक द्वंद सा है मन मे वो बात क्या है जो मै नही जानता ,,हालकी मेरा घर भी यही है


शकुन्तला मुस्करा कर अपनी डबडबाई आंखो को साफ की और बोली - अरे नही ऐसी कोई छिपाने वाली बात नही ,,,बस दुनिया का नजरिया ही ऐसा है कि वो आपके सुख चैन भरे जीवन में कोई न कोई रोड़ा लाती रही है ।

रंगीलाल - मै समझा नही भाभी , अगर आप उचित समझे तो खुल कर बतायेगी

शकुन्तला मुस्कुरा कर- बिन पति के रह रही हू और सुकून से हू ,,बस यही लोगो को खटक रही है

रंगीलाल - मै अब भी नही समझा और भाईसाहब को लेके भी मुझे सच मे कोई जानकारी नही है ।
शकुन्तला थोड़ा गहरी सास ली - वो क्या है कि पिछले काफी सालो से मेरे पति दुबई मे नौकरी करते थे । करीब दो साल पहले उनके एक दोस्त के माध्यम से पता चला कि उन्होने वहा दुसरी शादी कर ली है किसी खातुन से

रंगीलाल चौका - क्याआ
शकुन्तला दुखी मन से - हा ये सच है ,,यकीन करना मुश्किल है कि उमर के इस पड़ाव पर लोग ऐसे बदल जाते है और अपना परिवार छोड देते है ।
जब ये बात मेरे ससुराल के मुहल्ले मे फैल गयी तो वहा के लोगो ने मेरा जीना दुभर कर दिया । मुझे असहाय और बिना पति के जानकर मेरी मदद के बहाने मेरा शोषण करने लगे ,,,और जब उनके गलत मनसुबे कामयाब नही हो पाये तो उन्होने मुझे बदनाम करना शुरु कर दिया ।

रंगीलाल अवाक होकर देखता रहा ।

शकुन्तला - मेरे कस्बे के कुछ बुरे लोगों से मेरा नाता बताने लगे यहा तक कि मेरे शारिरीक संबध की अफवाहे उड़ाने लगे और इनसब के बीच मेरी नयी बहू भी पिस रही थी । इसिलिए मैने तय किया कि मै अपना ससूराल छोड दूँगी ।

रंगीलाल - अच्छा फिर

शकुन्तला- फिर मेरे बेटे ने यहा घर बनवाया और तबसे हम यही है ,,,लेकिन समाज की बुराईया जगह बदलने से कम नही हो जाती है । यहा आये मुझे करीब साल भर होने को है और अब यहा भी लोग बाते बनाने लगे है

रंगीलाल - कैसी बाते भाभी
शकुन्तला थोडा अटक कर - लोगो को लगता है कि एक औरत बिना शारिरीक सुख के जीवन नही जी सकती तो मेरा कही ना कही अफेयर चल रहा है और इधर जबसे ....

रन्गीलाल उत्सुक होकर - क्या भाभी जी आगे बोलिए ना

शकुन्तला अटकते हुए - इधर जबसे आपसे घर से आना जाना होने लगा है तो काफी लोगो ने मेरे पीठ पीछे मेरा नाम आपके साथ जोड दिया है

रंगीलाल चौका - क क क्या आ ,,ये कया कह रही है भाभी

शकुन्तला एकदम रुआसी हो चुकी थी उस्का गला भरने लगा था - हा ये सच है और इसिलिए मैने आपको दोपहर मे वो बोला था ,,मुझे लगा शायद आपको इनसब की जानकारी होगी

रंगीलाल - अरे नही भाभी जी ,मेरे पास इतनी फुर्सत कहा कि मै ऐसे फाल्तू लोगो की बात पर ध्यान दू ,वो तो आपने बताया नही तो


शकुंतला अपने आखे साफ करते हुए रंगीलाल का हाथ पकड कर- आप मुझसे वादा किजीए कि ये बात आप किसी से नही कहेंगे यहा तक कि रागिनी से भी नही ।

रंगीलाल चुप रहा और सुनता रहा
शकुन्तला भावुक होते हुए - देखिये इसे स्वार्थ के जमाने मे बडी मुश्किल से आप जैसे भले लोग मिले है और मै नही चाहती कि ऐसी अफवाहो से हमारे सम्बंध खराब हो ,,क्योकि ससुराल छोडने के बाद हम लोगो का कोई अपना नहीं रहा अब ,,सबने मुह मोड लिया हमसे यहा तक कि मेरे मायके वालो ने भी ।

रंगीलाल शकुंतला का ढाढ़स बान्धते हुए- अरे रे रे भाभी ये कैसी बात कर रही हैं,, आप हमारे लिये कोई गैर नही है और बिल्कुल भी ये ख्याल मन मे ना लायियेगा

शकुन्तला मुस्कुरा कर- शुक्रिया आपका
रंगीलाल मुस्कुरकर - अरे इसमे शुक्रिया वाली क्या बात है

शकुंतला खुश होकर - आप कितने अच्छे है कि लोग मेरी वजह से आपका भी नाम खराब कर रहे है फिर भी आपने मुझे इज्जत दी और अपना समझा ,,इसके लिए

रंगीलाल - लोग क्या सोचते मै उनसब के लिए जवाबदेही नही हू ,,मेरी जवाबदेही मेरे परिवार और भगवान के लिए है ।

शकुंतला मुस्कुरा कर - रागिनी कितनी किस्मत वाली है कि उसे आप जैसा पति मिला है

रन्गीलाल हस कर - अरे उसे पति मिला तो क्या हुआ मै आपका देवर हू तो आधा हक है आपका भी हिहिहिही

शकुंतला थोडा शर्मा के मुस्कुरायी फिर हस्ते हुए बोली - अब आधा मर्द किस काम का हिहिहिही

रंगीलाल ने जब शकुन्तला को मजाक करता देखा तो उसने भी दोहरे अर्थ वाले संवाद करने शुरु कर दिया

रंगीलाल हस कर - अरे भाभी आपको आधा भी पुरा ही पडेगा

शकुन्तला रंगीलाल का मतलब सम्झ गयी और शर्म से लाल हो गयी और वो बात को वही रोकना उचित समझी

शकुंतला - अब आधा पुरा बाद मे ,,चलिये निचे खाना ठंडा हो रहा है और मुझे भी घर जाना है ।

रन्गीलाल सीढियो से निचे जाता हुआ - मै तो कह रहा हू भाभी आप यही सो जाओ ,,थोडी बाते करेंगे । थोडा मेरा भी समय कट जायेगा अकेले नीद नही आती

शकुंतला हस कर - हा हा , कहा रोज रागिनी की बाहो मे सोते थे तो अकेले कैसे हिहिहिही

रंगीलाल को थोडी शर्म आई - क्या भाभी मेरा वो मतलब नही था ,,मै तो बस बाते करने के लिए बोल रहा था

शकुंतला - अच्छा ठिक है बाबा रुक जाऊंगी लेकिन आज नही ,,कल । क्योकि कल दोपहर में रोहन आ जायेगा तो घर मे बहू भी अकेली नही होगी ना

रन्गीलाल की आंखे चमक गयी कि अब बस कल का इन्तेजार रहेगा ।

फिर उन्होंने खाना खाया और शकुन्तला काजल के लिए टिफ़िन पैक करके अपने घर चली गयी ।
इधर रन्गीलाल कुछ योजना बनाता हुआ सो गया ।


यहा चमनपुरा मे तो लोग सो गये थे लेकिन जानीपुर मे आज तो रतजगा की तैयारियाँ हो रही थी और ये सारी चीजें अपना राज ही देख रहा था ।


राज की जुबानी

खाना खिलाने के बाद मै अनुज और रमन भैया तीनो ने मिल कर सबसे उपर की छत पर कुछ चटाई और बिछावन तकिये लगाये । फिर सारे महिला और जेन्स लोगो को उपर बुलाया गया ।

सबको बहुत ताज्जुब था कि क्या होने वाला है
इधर निचे हाल मे नाना ने मुझसे पूछा तो मैने ब्ताया कि उपर नाच गाना का प्रोग्राम है । ढोल की ताल पर घर के सारे लोग गाएंगे नाचेंगे ।

नाना खुश तो हुए कि चलो शादी का घर है तो चहल पहल जरुरी है लेकिन उन्होने उपर जाने से मना कर दिया ये कहकर कि औरतो को मजा करने दो और फिर मौसा जी के चाचा ने भी मना कर दिया ।

फिर मै मौसा और राजन फूफा को लेके उपर चला गया ।
उपर लाईट की व्यव्स्था थी और मैने देखा कि मेरी हॉट एंड सेक्सी मामी ढोल को सेट कर रही है ।

मै लपक कर उनके बगल मे बैठ गया ।
मै - आपको ढोल भी बजाना आता है
मामी मुस्कुरा कर धीरे से मेरे कान मे बोली - बजा तो तुम भी लेते हो अच्छा
मै थोडा शर्मा गया ,,इधर चाची जी सारी महिलाओ को समझा रही थी कि कौन सा कौन सा गीत पहले गाया जायेगा ।।फिर फिल्मी गानो पर होगा कार्यक्रम ।

मौसा और राजन फुफा एक ओर दिवाल से लग कर बैठे हुए थे और उनके आगे मौसी ,ममता बुआ और मामी थी । फिर मामी के बगल मे मै और मेरे बगल मे चाची जी फिर मम्मी ,सोनल पल्लवि और उन्के पीछे दिवाल से लगे हुए रमन भैया और अनुज ।

फिर चाची ने देवी गीत शुरु किये जिन्हे हम लोग भी बडी मुस्किल से दूहरा पा रहे थे ।
मामी जी ढोल पर धाक बहुत गजब की थी और चाची बडी खुश होकर उनसे आन्खे मिलाए ताल पर गाये जा रही थी ।

मेरे लिये ये पहला अनुभव था और मुझे बहुत मजा आ रहा था । इसी दौरान मेरी नजर पल्ल्वी से टकराती तो मै उसे इशारे मे डांस करने की बात याद दिलवा देता और वो मुह फेर कर हस देती ।
एक एक करके चाची ने तिन देवी गीतो का गायन किया और सही मायने मे हम सबने उसका मजालिया ,,,आखिर मे चाची ने मा दुर्गा का जयघोष करवाया ।

चाची - हा , अब तुम शहरवालियो अपने गीत गाओ

चाची की बात पर सब लोग ठहाका लेके हसे

मै मामी के हाथ से ढोल लिया और तिन बार उसको धाक देके बोला

मै - सुनिये सुनिये ,,,अब यहा अन्ताक्षरी और नाच होगी ।

नाच्ने की बात पर सारे लोगो मे हसी भरा खुसफुसाहट होने लगी ।
मैने वापस ढोल को धाक दी और बोला - हम लोग दो टीम बनायेंगे । जिस टिम के साथी को गाने का मौका मिलेगा वो सामने वाली टीम मे से किसी को भी अपने गाने पर नाचने को कह सकता है

मेरी शर्ते सुन कर वापस से थोडी खुसरफुसर हुई और थोडा खिखियाने की आवाजे आई ,,मै समझ गया कि लोग अपने अपने गाने पर किसको नचाना है ये सोच कर ही चहक रहे है ।
मै वापस से ढोल की धाक देके सबका ध्यान अपने ओर किया और बोला - दादी अब सबको दो टीम मे बाटेगी

चाची जी हस कर - अरे बिटवा तुम लोग खेलो ना अपने मे ,,,अब इस उमर मे क्या हमसे गणित पढवा रहे हो

मै उन्के बगल मे बैठा था - अरे दादी आप बडी हो आप बाटोगी तो बाद मे कोई बहस नही होगा कि एक की टीम कमजोर हो गयी और एक की टीम मजबूत

दरअसल ये बाटने का काम तो मै खुद कर सकता था ,, किसी दो को भी टिम का लीडर बना कर उन्हे चूनने को बोल देता ।
मगर ऐसे मे मै जानबुझ कर चाची जी शामिल किया ताकि उनको ये आभास ना हो कि उन्हे वैल्यू नही मिल रही है और एक कारण ये भी था उनको इस खेल मे शामिल करने का वो ये कि अगर गाने और नाच मे कही माहौल थोडा उत्तेजक या फूहड़पन लगे तो वहा चाची जी हस्तक्षेप भी ना कर पाये । क्योकि ये सब उनकी परवानगी से हो रहा होगा ।

फिर चाची जी ने अपना गणित दौडाया और कुछ सोच कर दो टीम बनाये

टीम 01 = रज्जो मौसी , मेरी मम्मी , मामी , पल्लवि , मै , गीता और चाची जी

टीम 02 = ममता बुआ , कमलनाथ मौसा , राजन फूफा , रमन भैया , सोनल दीदी , अनुज और बबिता

अब हम लोग दिवाल के एक एक तरफ हो गये और बिच मे छत को खाली छोड दिया गया

इधर मैने ढोल वापस मामी को थमा दिया ,,सभी चेहरे खिले हुए थे ,, सब मस्ती मे अपनी पहली पारी का इन्तजार कर रहे थे क्योकि सब ने अपना अपना मुर्गा चुन रखा था ।

मेरी टीम का अगुआ मैने गीता को बनाया और उधर से बबिता बनी । टॉस हुआ और बबिता जीत गयी ।


बबिता की टीम मे खुसफुसाहट चालू थी कि उम्मिद अनुसार ममता बुआ ने हाथ उठाया ।

ममता - तो मेरी प्यारी भाभी चलो खड़ी हो जाओ हिहिहिही

हम सब खिलखिला कर रज्जो मौसी को देखते है और वो भी हस्ते हुए खड़ी हुई और अपना साड़ी ठिक किया ।

ममता - अरे भाभी मैदान मे आईये तब ना बात बनेगी

रज्जो मौसी हस कर - हा आ रही हू
फिर मौसी छत के बिच मे आई और पल्लू को कमर को खोसा और कमर पर हाथ रख कर तैयार हुई ।

ममता हस कर - अरे गीता की अम्मा तैयार हो ना
मामी हस कर- हा जीजी शुरु करिये

फिर ममता बुआ ने आशा भोसले जी एक सुपरहित गाने के बोल शुरु किये

ममता मुस्कुरा कर - झुमका गिरा रे एएए

ममता बुआ के अनतरे पर हम सब के दिल बाग बाग हो गये और मैने , कमलनाथ मौसा और राजन फूफा एक साथ बोल पडे- हाय्य्य्य

वही मामी ने ढोल पर ताल देदी
ममता -
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा झुमका
गिरा झुमका गिरा


मामी के ढोल की ताल पर हम सबने सुर मिलाया - हाय हाय हाय
वही रज्जो मौसी ने अपने कमर मटकाते हुए गाने की अदाकारा साधना जी के जैसे अपने कन्धे झटके जिससे मौसी के मोटे मोटे चुचे भी हिल्कोरे मारने लगे

ममता- झुमका गिरा रे बरेली के, बाजार में झुमका गिरा रे


गाने की कड़ी खतम होते ही सब लोग एक जोर का ठहाका लगा कर हस पड़े और मौसी तो शर्मा कर अपना पल्लू सही करते हुए हस्ते हुए तेजी से अपने कुल्हे हिलाते अपनी जगह पर बैठ गयी ।

अब बारी थी गीता की टीम की तो खुद गीता ने हाथ उठाया और रमन भैया का नाम लिया ।

सबने ठहाके लगाये और गीता ने गाना शुरु किया ।
गीता - छोटे छोटे भाइयो के बडे भैयाआआ
मामी हस कर ढोल की ताल देती है और हम सब ताली बजाते हुए - हे हे हेहे हेएएए

गीता मुस्कुरा कर -
छोटे छोटे भाइयो के बडे भईया
परसो बनेंगे किसी के सईया
ढोल बजाये देखो मेरी मईया
नाच रहे मेरे रमन भईया


रमन भैया ढोल पर ज्यादा नाचे तो नही लेकिन गीता के गाने के बोल सुन कर हम सब खुब हसे । सबने उसकी तारिफ की ।
अगली बारी बबिता की टीम की थी तो वहा से इस बार सोनल दीदी ने हाथ उठाए और पल्लवि का नाम लिया ।

पल्लवि का नाम आते ही सब शोर करने लगे और वही कही से सिटी की आवाज आई ,,जिससे पल्लवि शर्म से लाल हो गयी ।

फिर पल्लवि शर्माते हुए अपने सूट को कूल्हो के पास से खिच कर सही किया और दुपट्टे को क्रॉस करके कमर मे बान्ध लिया ।

सोनल हस कर - तैयार ना पल्लवि
पल्लवि हस कर हा मे सर हिलायि

सोनल ने थोडा गला खराश किया और- मेरा चैन वैन सब उजड़ा

हम सब के चेहरे खिल गये कि क्या मस्त गाना चुना सोनल ने और वही मामी ने मानो इस गाने धुन को ढोल मे पिरो किया था

मामी ने ढोल पर ताल दी - धिनक धिनक धिन धा
पल्लवि ने पहली लाईन पर अपने एड़ियो पर आकर एश्वर्या राय की तरह जो कमर लचकाया ,उफ्फ्फ्फ

सोनल -
मेरा चैन वैन सब उजड़ा
जालिम नजर हटा ले
बरबाद हो रह है जी मेरे अपने शहर वाले
ओ मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आ जाआआ

हम सब एक साथ हाथ उठा कर - कजरा रे !!!
ढोल - धिक धा

हम सब एक सुर मे हस्ते हुए गाने लगे- कजरा रे कजरा रे तेरे काले काले नैना ,,

पल्लवि हम लोगो को ऐसे प्रतिक्रिया देख कर हस दी और शर्मा कर अपनी जगह पर आ गयी ।

हम सब खुब जोर जोर से हसे , चाची जी ने भी बहुत मजा लिया ।
पारी पल्टी तो मा ने हाथ उठाया और राजन फूफा को खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी ,,हसी ठहाके लगे और एक दो सिटीया भी
बडी शर्मो हया के साथ हस्ते हुए राजन फूफा अपने कमर मे गम्छा बाँधते हुए खडे हुए और मा ने इधर मामी के कान मे कुछ बोला ,,शायद गाने के बोल थे ।

इधर मामी ने ढोल की ताल शुरु की ,,, ताल कुछ जान पहचाना लगा तो राजन फूफा भी अपने कमर पर दोनो हाथ रख कर एड़ियो के सहारे कमर हिलाने लगे

मगर जैसे ही मा ने गाने के बोल शुरु किये वो रुक गये और हम सारे लोग हसने लगे ।
राजन हस के - अरे भाभी इस गाने पर कैसे ,,नही नही

मा हस्ते हुए - अब नाचना तो पडेगा ही जीजा जी हिहिहिही

हम सब ठहाके ले रहे थे और इधर मजबुर होकर राजन फूफा ने अपनी कमर पर बाँधा हुआ गम्छा खोल कर सर पर रखकर एक लम्बा सा पल्लू कर दिया

हम सब लोग हसने लगे और मैने तो सिटी भी मार दी ,,बगल मे बैठी चाची जी मुह पर हाथ रख कर हसते हुए मुझे डाटने लगी।

इधर मा ने मामी को इशारा किया और ढोल की ताल पर मा ने गाना शुरु किया

मा - जो बिच बजरियाआआआ तुने मेरी पकड़ी बईया ,,मै सबको बोल दूंगी ( राजन अपने सर पर रखा गम्छा को घूघट के जैसे पकड कर कमर थिरकाते हुए घूमता है )
जब रात मे कोई ना जागे आयीयो सईया ,मै खिडकी खोल दूँगी ( राजन अपने घूँघट को उठा कर कमर पर हाथ रखते हुए औरतो कैसे कुल्हे हिलाता है )

हम सब लोग हस कर मस्त हो जाते है और राजन भी शरम से पानी पानी होकर गमछे मे मुह छिपाये ,सबसे पीछे जाकर बैठ जाता है ।

पारी पलटती है और इस बार मौसा जी हाथ उठा देते है और मा का नाम लेते है ,,

मा समझ गयी ये सब बदले के लिए ही हो रहा है लेकिन वो भी तैयार थी । खैर ये मुकाबला जीजा साली का होने था तो मेरी उत्सुकता बहुत बढ गयी थी ।
तभी मौसा जी अपने मोबाईल मे गाना निकालने लगे तो हम लोगो की टीम एक सुर मे बोल उठे - नही नही ये चिटिँग है ,,आपको गाना ही पडेगा

मौसा हस कर - अरे भाई मुझे गाना नही आता ,,अच्छा ऐसी बात है तो मै भी रागिनी के साथ नाच लूंगा बस

थोडी खुसरफुसर हुई तो सब मान गये
फिर क्या मौसा ने मा का हाथ पकड कर बिच मे लाये और फिर मोबाईल पर एक गाना बजा दिया ।

गाने की ट्यून सुन कर ही हम लोगो का हल्ला गुल्ला शुरु हो गया और फिर मा ने भी गाने के तर्ज पर मौसा के साथ कमर ठुमकाया

गाना भोजपूरी था - ले चली घुमा दी बुलेट पर जीजा

हम सबने भी खुब मस्ती की ,, चाची भी मुह पर पल्लू रख कर खुब हसी ,,,हालकी कहने को तो उनकी नजर ये सब उचित नहीं था ,,मगर जैसा कि मैने पहले ही ब्ताया कि जानबुझ कर मैने उन्हे खेल मे शामिल किया जिससे वो मना भी ना कर सके और उन्हे मजा भी आये।

इधर मौसा जी ने लपक कर मामी को भी उठा लिया तो गीता भी खड़ी होके नाचने लगी ।

सबने मस्ती की और फिर वापस अपनी जगह पर
इधर सब वापस बैठे नही कि मौसी ने हाथ खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी हसी ठहाके लगे और मौसी ने दो नाम बोले - ममता बुआ और मौसा जी

मै समझ गया कि रज्जो मौसी की चालाकी,,, अरे वो भौजी ही क्या अपनी ननद को उसके भैया के नाम पर छेड़े नही ।

मौसा - अरे रज्जो ये तो गलत बात है , एक बार मे एक ही लोग ना

मौसी हस्कर - अच्चा और अभी आप जो साली और सलहज एक साथ नचा रहे थे उसका क्या ,हम्म्म्म्ं


रज्जो - चलो उठो आप दोनो
फिर हमारी टीम मे हल्ला गुल्ला करने लगे तो वो दोनो उठ कर बीच में आये ।

इधर मौसी ने मामी को गाने के बोल बताये ,,जिसे सुन कर मामी हस पडी और फिर हा मे सर हिला कर सहमति देदी ।


मौसी ढोल की ताल पर एक भोजपूरी गाने के बोल देती है जिसपर ममता बुआ हस कर अपने भैया यानी मौसा जी के उपर गिरते गिरते बचती है ।

मौसी बिना रुके ममता बुआ को नाचने का इशारा करती हुई

मौसी - घाम लागता ये राजा , घाम लागता
( ममता हस कर मजबुरन अपने भैया को इशारा करके अपना घूँघट पकडे कमर हिलाती है । )
तू ता बाहरा मे करेला आराम ( ममता हस कर अपने भैया का हाथ पकड कर मौसी के गाने के बोल पर इशारा करती है और फिर कमर पर हाथ रख नाचती है ।)
तू ता बाहरा मे करेला आराम
चैत हमरा घाम लागता

हम सब हस के मस्त हो गये थे, मामी तो मानो इनसब गानो के लिए प्रोफेशनल थी ,,,ढोल की धाक एकदम गाने के तर्ज पर जमा था ।

ममता बुआ को लगा अब शायद इतने से काम बन जायेगा मगर मौसी ने फिर से एक कड़ी शुरु की ।

मौसी हस्ते हुए -
तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी

मौसी के इस तंज को सब समझ गये और जोर जोर से हसने लगे ,,क्योकि मौसा पंजाब के लुधियाना मे ही नौकरी करते थे और सब ये बात जानते थे ।

मौसी - तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी ( ममता अपने भैया का हाथ पकड के एक ओर इशारा करके कमर लचकाती है )
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी ( फिर अपने चेहरे पर एक बार इशारा करती है । )
घाम लागता ये डियर घाम लागता
गरमी सहत नईखे नरम नरम चाम
चैत मे हमरा घाम लागत बा (ममता अपने कमर पर हाथ रख कर एक हाथ हवा मे उठाए नाचती है । )

गाना खतम होता है और हम सब हस के मस्त हो जाते है ।
पता नही वहा पर किसी और ने नोटिस किया या नही लेकिन मैने जरुर नोटिस किया कि मौसी मे अपने भाभी होने का फर्ज अच्छा निभाया और अपनी ननद का सईया उसके भईया को ही बना दिया ।

पारी पल्टी तो बबिता ने हाथ खडे किये , समय भी काफी हो चुका था तो उसने मेरा नाम लिया

फिर बबिता ने भी मौसा जी की तरह एक पंजाबी गाना बजाया तो उसपे मैने हल्का फुल्का पंजाबी ठुमका लगाया और चाची जी को पकड कर ले गया तो उन्होने भी ना नुकुर करते हुए ह्सते हुए हाथ उपर कर बल्ले बल्ले कर ही लिया ।
मैने देखा कि अनुज काफी समय से अकेला और शांत था तो उसी गाने पर मै उसे और सोनल दीदी को भी लेके आया तो बबिता भी आकर नाचने लगी ।

कुलमिला कर बात ये थी कि आखिर मे लगभग सबने नाचा और मस्ती की ।
सारे लोग हस्ते हुए थक कर वापस बैठ गये ,,किसी का मन सोने का नही था ,,मगर रात ज्यादा हो चुकी थी और कल हल्दी का प्रोग्राम था तो सुबह से ही सारे काम होने थे ।

अब सबके सोने की व्यव्स्था की दिक्कत हो गयी थी क्योकि सारे कमरे फुल थे और आज नाना के यहा से लोग आये थे तो कैसे क्या होगा इसपे चर्चा होने लगी थी


जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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You are creative writer and story is great 👍

Chalo, Raj ne kuchh to aas bandhayi. Warna main to chachi ka murder karne ka plan bana raha tha. :lol:

Nice update bro.. waiting more SONAL...

bahut khub

भाई ऐसे रोज़ अपडेट मिलते रहें तो मज़ा आ जाये कहानी एकदम ज़बरदस्त है ।

Bahut hi umda update mitra... Raj ke aane se mahaul kafi khushnuma ho gaya hai ab aage dekhte hain kya kya hone wala hai... Baki rangilal ka kya paintara hoga shakuntala ke liye ye bhi dilchasp hoga..

बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है रज्जो की तो राजन और कमलनाथ ने आगे पीछे से दमदार चूदाई की है और रज्जो ममता से सच उगलवा ही लेती हैं लेकिन रज्जो को क्या पता कि ममता पहले ही अपने भाई से दमदार चूद चुकी है देखते हैं आगे क्या होता है

Romanchak aur Rochak. Pratiksha agle rasprad update ki
New update is posted
Read and review
 

TharkiPo

I'M BACK
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UPDATE 123

CHODAM PUR SPECIAL UPDATES

पिछले अपडेट मे आपने पढ़ा जहा एक ओर चाची के आतंक बचाने मे राज एक मसीहा बन कर उभर गया रज्जो के घर मे ,,,वही उसने सबको अह्सास दिलाया कि चाची के सख्त रवैये से वो गलत नही है बल्कि उनकी भी कुछ इच्छाएं और भावनाये है और वो पूरी हो रही है तो वो घर के माहौल मे कोई भी हस्तक्षेप नही करेंगी । उधर चमनपुरा मे भी राज के पापा रंगीलाल की बढती हवस ने एक नया शिकार शकुन्तला के रूप मे खोज लिया है और आज रात वो खाना बनाने उसके घर आने वाली है तो देखते है रंगीलाल क्या क्या पासा फेकता है रज्जो के लिए, मगर उस्से पहले राज की तैयारियो पर भी एक नजर मार लेते है आखिर वो और चाची किस योजना को लेके उत्सुक है और क्या धमाल होने वाला है ।

अब आगे

राज की जुबानी

दोपहर तक मैने चाची का बताया हुआ योजना स्वरूप सभी चीज़ो का इन्तेजाम कर लिया और फिर शाम को 5 बजे के करीब नाना की फुल फैमिली यहा आ गयी ।
घर मे फिर से चहल पहल सी छा गयी और सारे लोग एकजुट होकर सबसे मिलने लगे ।

सबने बारी बारी से नाना के पाव छुए और फिर नाना जी भी अपनी समधन से मिले ।
इधर गीता बबिता आते ही मेरे रूम के बारे मे पुछने लगी इस दौरान मै देखा कि पल्लवि बडे गौर से गीता बबिता की मेरे प्रति उत्सुकता को निहार रही थी । मानो उसने सूंघ लिया कि मेरे गीता बबिता से क्या संबन्ध हो ।इसिलिए मैने थोडा सख्ती दिखाई और गीता बबिता को सम्झाया कि यहा सबके इन्तेजाम अलग अलग है और मौसी ही ब्तायेगी कि उन्हे कहा रहना है ।

फिर मै अपनी सेक्सी और चंचल मामी से मिला ।
उन्की वो कातिल मुस्कान आह्ह सारे मनमोहक यादे एक पल मे ही ताजा हो गयी और लण्ड टनटना गया ।

उन्होने भी बखूबी समझा और धीरे से फुसफुसा कर बाद मे मिलने को बोला । पहले तो मै बहुत खुश हुआ मगर जब चाची जी का ख्याल आया सारा नशा पानी हो गया क्योकि मामी को तो यहा के हालात पता ही नही थे ।

थोडी देर बाद सारी महिलाए उपर चली गयी ।
हाल मे मैने नाना से उनका हाल चाल लिया और फिर बगल के घर मे चला गया जहा सबके लिए खाना बनाया जा रहा था ।


वहा मौसा और राजन फूफा भी खाना बनवाने मे लगे थे करीब 25 से 30 लोगो का खाना बनना था तो मै भी उनकी मदद मे लग गया ।
कल हल्दी होने वाली थी और अगले दिन शादी थी । सब तैयारियाँ मे व्यस्त थे तो घर मे किसे खाना बनाने का मिलता ।इसिलिए मौसी ने एक हल्वाई के माध्यम से बगल मे घर मे खाना बनवाने की व्यव्स्था कर दी ।

8 बजे तक खाना तैयार हुआ सारे जेन्स लोगो को वही बगल के घर मे खाने के लिए बोला गया और महिलाओ की बात आई तो चाची ने ना जाने क्या सोच मुझे रुकने को बोला और सब मर्द जनो को बाहर जाने को बोला ।

जहा तक मुझे अनुमान था उसका एक ही कारण हो सकता था वो ये कि हाल ही में मेरी और चाची जी जमने लगी थी और एक कारण ये भी था कि खाने मे कौन सा समान कहा है मै सब जान रहा था ।

फिर उस घर के एक कमरे मे सारी औरतो के लिए एक चटाई लगवाई गयी ।

सब बैठ गयी तो मैने सबको पत्तल देने शुरु किये थे कि चाची ने पल्लवी को डाँटा कि मेरी मदद करे । कहने को तो वो सोनल से भी कह सकती थी मगर पल्लवि उनकी सगी नातिन थी इसिलिए उन्होने पल्लवि को ही बोला ।

सब थोडा खिखियाही और पल्लवि उठ कर मेरी हैल्प करने लगी ।

इसी दौरान पहली बार मैने पल्लवी से कोई बात की ,,बस हल्के फुल्के अंदाज मे ही सही मगर मुझे बड़ा अच्चा मह्सूस हुआ ।

उसे जब भी कुछ पुछना होता था मुझे आन्खे उठा कर देखती तो उसकी नशीली आंखो मे मै खो सा जाता था ।
बदले मे वो मुस्करा देती थी ।

इधर गीता बबिता की चंचलता भी कम नही थी । हर बार मे भैया ये भैया वो । इसपर मौसी तो कभी कभी छेड़ देती थी उनको और सब हस पड़ते थे ।

इसी दौरान जब मै सब्जी निकालने रसोई वाले कमरे मे गया तो वहा पल्लवि ने मुझसे पुछ भी लिया ।

पल्लवि - अच्छा ये दोनो कौन है ,,बडी बातूनी है हिहिही

मै हस कर - ये मेरे मामा की बेटीया है जुड़वा है दोनो हिहिहिही

पल्लवि ने हा मे सर हिलाया ।
मै - वैसे एक बात पूछू

पल्लवि - हा बोलो
मै हस्ते हुए - उधर मै घर पर था तो आपकी बडी बाते सुनने को मिली थी कि आप ...

पल्लवि मेरी बाते सुन कर ना जाने क्यू आंखे बडी करने लगी और हडब्डाते हुए - क क क्या आ सुने हो आप,,, हम दोनो तो पहली बार मिल रहे है ना

मै हस कर - अरे आप तो परेशान होने लगी ,,,वो मै ये कह रहा था कि जब मै घर पर था तो दीदी रोज आपके बारे मे बताती थी कि आप भी कम बातूनी नही हो हिहिहिही

पल्लवि मेरी बाते सुन कर थोडी शर्म से मुह फेर ली और बोली - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,, मै भी आपकी बहनो के जैसी ही हू ,,लेकिन वो नानी है ना वो बहुत डाटती है

मै हस कर - अरे उनसे क्या डरना ,,वो तो मेरी सहेली है

पल्लवि हस कर - हिहिहिही हा दिख रहा है ,,नही तो परसो से कोई भी मर्द औरतो के बिच नजर नही आ रहा था

मै हस कर - अच्चा वो क्यू
पल्लवि कारण तो जान रही थी मगर वो बताने से कतरा रही थी ,,मगर मेरा काम तो उसके जहन मे वो बाते डाल कर ही हो गया था

मै हस के - अच्चा जाने दीजिये ,,ये बताईये आपको नाचना आता है

पल्लवि चौकी - मतलब
मै हस कर - अरे डांस , डांस आता है आपको

पल्लवि शर्मा कर - हा समझ रही हू लेकिन क्यू पुछ रहे है आप

मै हस कर - क्योकि आज रात सबको नाचना पडेगा हिहिही

पल्लवी तुनक कर - अच्छा और नानी ये सब करने देगी

मै हस के - मै तो उनको भी नचाने वाला हू हिहिही

पल्लवि हस कर - हिहिही बस करिये फेकिये मत आप

मै थोडा आत्मविश्वासी होते हुए - तो लगी शर्त ,,मैने अगर नचा दिया चाची जी को , क्या दोगी आप ??

पल्लवि हड़बड़ाई- अब मै क्या बोलू ,,लेकिन मै जानति हू ऐसा कुछ नही होगा

मै - तो शर्त लगा लिजिए ना ,,डर क्यू रही है हिहिही

पल्लवि हस कर - मै क्यू डरने लगी भला ,,आप शर्त बताओ

मै - अगर मै जीता तो आपको डांस करना पडेगा और हारा तो जो आप कहो वो करूंगा

पल्लवि कुछ सोच कर मुस्कुराइ- ठिक है मंजूर

मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया - तो डन

पल्लवि ने भी मेरे से हाथ मिलाया- हा डन हिहिही

फिर मै वापस सबको खाना खिलाने मे लग गया ।

लेखक की जुबानी

अब एक ओर जहा राज सबको खाना परोस रहा था वही चमनपुरा मे रंगीलाल के किचन मे शकुन्तला आ चुकी थी और रंगीलाल उसके अगल बगल एक फुल बाजू की बनियान और पाजामा पहने मडरा रहा था ।

शकुन्तला भी साड़ी मे खड़ी सब्जी काट रही थी । मगर गैस की गरमी से वो बेहाल हुई जा रही थी ।

रंगीलाल - अरे भाभी आप मुझे दीजिये मै काट देता हू सब्जी ,,आप बाकी का काम करिये

शकुन्तला मुस्कुराई और सब्जी चाकू थाली सब रन्गिलाल को थामा दी ।

इधर रंगीलाल जानबुझ कर किचन की डायनिंग टेबल पर ऐसी जगह बैठता है जहा से शकुन्तला का पिछवाडा दिखे ।

एक तो इतनी गर्मी , उपर चूल्हे के पास साड़ी मे खडे होकर खाना बनाने मे शकुन्तला की हालत खराब हो रही थी ।
कमर का पसीना रिस कर उसके गाड़ की लकीरो मे जा रहा था और उसे खूजली हो रही थी ।

एक दो बार अनजाने मे उसने बिना रंगीलाल का ध्यान रखे अपना पिछवाडा खुजाया भि।मगर जब वो तडका देने लगी और सब्जी लेने के लिए रन्गिलाल के ओर मुड़ी तो उसे ठिक अपने पीछे पाया तो शर्म से पानी पानी हो गयी ।

रंगीलाल समझ गया कि क्या बात है और शकुन्तला मुस्करा कर लाल क्यू हुई जा रही है ।

मगर उसने बेशरमी दिखाई और पुछ लिया - क्या हुआ भाभी आप हस क्यू रही है ,,कही मेरे कपडे तो

रंगीलाल अपनी भीगी हुई बनियान मे उभरे निप्प्ल पर देख कर बोला - मतलब आप कहे तो मै कुरता डाल लू

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे नही नही उसकी कोई दिक्कत नही है ,,वो मुझे कुछ ध्यान आया तो हसी आ गयी

रंगीलाल जिज्ञासू होकर - क्या मुझे नही बतायेगी

शकुन्तला हस कर - अब क्या बताऊ ,,छोड़ीये अच्छा है आप नही जाने तो हिहिह्ही

रंगीलाल - ठिक है जैसी आपकी मर्जी ,,,अच्छा और कोई काम नही हो तो मै नहा लू

शकुन्तला - हा हा क्यू ,,,आप जाईये ,,लग रहा है मुझे भी नहाना पडेगा

रंगीलाल की आंखे चमकी - अरे कोई बात नही आप भी नहा लिजिए

शकुन्तला हस कर - अरे नही नही ,,यहा कैसे और मेरे कपडे भी तो नही है

रंगीलाल हस कर - क्या भाभी जी आप भी , रागिनी के कपडे है तो और आप तो ऐसे कह रही है जैसे किसी गैर के घर मे हो

शकुन्तला - अरे नही ऐसी कोई बात नही है ,,वो तो बस मै सोची की

रंगीलाल - मै कुछ नही सुनूंगा ,,मै आपके कपडे निकाल दूंगा आप नहा लिजिएगा

शकु - अच्छा ठिक है

फिर रंगीलाल नहाने चला जाता है और कुछ सोच कर आलमारी से रागिनी के तंग कपडे निकाल कर रख देता है जिसमे एक सिफान की आसमानी रंग की साड़ी भी थी ।

फिर रन्गीलाल नहा कर नयी फुलबाजू की बनियान और एक हाफ चढ़ढा पहन लेता है ।

रंगीलाल धीरे से किचन मे आता है और उसकी नजर शकुन्तला के हाथो पर जाती है जो अभी अपने साड़ी के उपर से अपना चुतडो की लकीर खुजा रही थी

रंगीलाल धीमे से शकुन्तला के बगल मे जाकर - हो गया भाभी जी

शकुन्तला चौकी और फौरन अपना हाथ आगे कर लिया ।
शकुन्तला - हा हा हो गया है ,,बस एक सिटी लगा जाये

रंगीलाल - अरे एक सिटी की बात है ना ,,आप जाईये नहा लिजिए, देख रहा हू बहुत परेशान है आप

शकुन्तला समझ गयी कि रंगीलाल ने उसे खुजली करते देख लिया तो वो शर्मा गयी और मुस्कुरा कर हा मे सर हिलायि और बाथरुम मे चली गयी ।
इधर रन्गीलाल ने कुकर उतार दिया और हाल मे चक्कर लगाने लगा ,,

थोडी देर बाद बाथरूम से पानी की आवाज बन्द
हुई और 5 मिंट बाद शकुनतला रंगीलाल के दिये हुए कपडे पहन कर एक बालटी लेके बाहर आई

रंगीलाल - अरे आप ने कपडे भी धुल दिये ,,,अरे वाशिंग मशीन थी ना

शकुंतला - अरे कोई बात नही ,,बस पानी मे निचोड दिया है ,,अच्छा इसे कहा डालू की सुख जाये

रंगीलाल कुछ सोच कर - ऐसा करिये लाईये मुझे मै छत पर डाल देता हू

शकुंतला मना करते हुए -अरे नही नही मै डाल दूँगी आप परेशान ना होईये ,,, आप बैठीये मै छत से आती हू फिर खाना खाते है ।

रंगीलाल - अच्छा ठिक है चलिये ,,उपर अन्धेरा होगा मै बत्ती जला दूंगा

फिर वो दोनो सबसे उपर की छत पर जाते है
छत की अरगन पर शकुन्तला एक एक करके कपडे निचोड कर डालती है । छत पर जीने की दिवाल पर एक बलब जल रहा था उसमे रंगीलाल सब कुछ साफ देख पा रहा था ।

शकुन्तला ने बडी सावधानी से अपनी पैंटी को पेतिकोट के निचे डाल दिया,,मगर रंगीलाल की आंखे तब फैल गई जब उसने बालटी मे से उसका जांघिया निकाल कर उसे निचोडने लगी ।

रन्गीलाल - अरे रे रे भाभी जी ये क्या किया आपने ,,,मतलब इसे क्यू धुला

शकुन्तला हस कर - अरे ये वही निचे पडा था तो मैने इसे भी धुल दिया ,,उसमे क्या हुआ

रंगीलाल - वो क्या मै मेरी तो आदत है नहा कर ऐसे ही कच्छे को बाथरूम मे छोड देने की तो आज भी भूल गया था ,,वैसे तो हमेशा रागिनी धुल ही देती थी

शकुन्तला- अरे आप फाल्तू का परेशान हो रहे है,,कपडा ही तो है ना वो भी ,,,

रंगीलाल - हा बात तो सही है ,,, आईये ना थोडा टहलते है छत पर ही निचे गरमी बहुत है

शकुन्तला को भी थोडा ठिक लगा तो भी टहलने लगी ।
वो दोनो उपर की रेलिंग से निचे सड़क पर और आस पास मे रात के सन्नाटे को निहार रहे थे
एक ठंडी बयार चेहरे पर आ रही थी तो बहुत आरामदायक सा मह्सूस हो रहा था ।

तभी रंगीलाल के दिमाग वो सवाल कौंधा जो दोपहर के वक़्त उसके ख्याल मेआया था ।

रंगीलाल - अच्छा भाभी जी मुझे आपसे कुछ पुछना था

शकुन्तला- हा हा कहिये क्या बात है ?
रंगीलाल - पता नही ये उचित होगा या ,, हालकी उस विषय को लेके मुझे कोई जानकारी नही है ,,मगर

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे आप इतना संकोच क्यू कर रहे है ,, पुछिये ना

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - वो आप आज दोपहर मे बोल रही थी ना कि आपको लेके यहा मुहल्ले मे लोग बाते करते है ,,,वो चीज़ मुझे समझ नही आई भाभी जी और ऐसा कुछ रगिनी ने भी कभी चर्चा नहीं किया मुझसे ।

शकुन्तला रंगीलाल की बातो से भावुक और शांत सी हो गयी ।

रंगीलाल - देखीये कोई दबाव नही है भाभी जी ,,बस एक द्वंद सा है मन मे वो बात क्या है जो मै नही जानता ,,हालकी मेरा घर भी यही है


शकुन्तला मुस्करा कर अपनी डबडबाई आंखो को साफ की और बोली - अरे नही ऐसी कोई छिपाने वाली बात नही ,,,बस दुनिया का नजरिया ही ऐसा है कि वो आपके सुख चैन भरे जीवन में कोई न कोई रोड़ा लाती रही है ।

रंगीलाल - मै समझा नही भाभी , अगर आप उचित समझे तो खुल कर बतायेगी

शकुन्तला मुस्कुरा कर- बिन पति के रह रही हू और सुकून से हू ,,बस यही लोगो को खटक रही है

रंगीलाल - मै अब भी नही समझा और भाईसाहब को लेके भी मुझे सच मे कोई जानकारी नही है ।
शकुन्तला थोड़ा गहरी सास ली - वो क्या है कि पिछले काफी सालो से मेरे पति दुबई मे नौकरी करते थे । करीब दो साल पहले उनके एक दोस्त के माध्यम से पता चला कि उन्होने वहा दुसरी शादी कर ली है किसी खातुन से

रंगीलाल चौका - क्याआ
शकुन्तला दुखी मन से - हा ये सच है ,,यकीन करना मुश्किल है कि उमर के इस पड़ाव पर लोग ऐसे बदल जाते है और अपना परिवार छोड देते है ।
जब ये बात मेरे ससुराल के मुहल्ले मे फैल गयी तो वहा के लोगो ने मेरा जीना दुभर कर दिया । मुझे असहाय और बिना पति के जानकर मेरी मदद के बहाने मेरा शोषण करने लगे ,,,और जब उनके गलत मनसुबे कामयाब नही हो पाये तो उन्होने मुझे बदनाम करना शुरु कर दिया ।

रंगीलाल अवाक होकर देखता रहा ।

शकुन्तला - मेरे कस्बे के कुछ बुरे लोगों से मेरा नाता बताने लगे यहा तक कि मेरे शारिरीक संबध की अफवाहे उड़ाने लगे और इनसब के बीच मेरी नयी बहू भी पिस रही थी । इसिलिए मैने तय किया कि मै अपना ससूराल छोड दूँगी ।

रंगीलाल - अच्छा फिर

शकुन्तला- फिर मेरे बेटे ने यहा घर बनवाया और तबसे हम यही है ,,,लेकिन समाज की बुराईया जगह बदलने से कम नही हो जाती है । यहा आये मुझे करीब साल भर होने को है और अब यहा भी लोग बाते बनाने लगे है

रंगीलाल - कैसी बाते भाभी
शकुन्तला थोडा अटक कर - लोगो को लगता है कि एक औरत बिना शारिरीक सुख के जीवन नही जी सकती तो मेरा कही ना कही अफेयर चल रहा है और इधर जबसे ....

रन्गीलाल उत्सुक होकर - क्या भाभी जी आगे बोलिए ना

शकुन्तला अटकते हुए - इधर जबसे आपसे घर से आना जाना होने लगा है तो काफी लोगो ने मेरे पीठ पीछे मेरा नाम आपके साथ जोड दिया है

रंगीलाल चौका - क क क्या आ ,,ये कया कह रही है भाभी

शकुन्तला एकदम रुआसी हो चुकी थी उस्का गला भरने लगा था - हा ये सच है और इसिलिए मैने आपको दोपहर मे वो बोला था ,,मुझे लगा शायद आपको इनसब की जानकारी होगी

रंगीलाल - अरे नही भाभी जी ,मेरे पास इतनी फुर्सत कहा कि मै ऐसे फाल्तू लोगो की बात पर ध्यान दू ,वो तो आपने बताया नही तो


शकुंतला अपने आखे साफ करते हुए रंगीलाल का हाथ पकड कर- आप मुझसे वादा किजीए कि ये बात आप किसी से नही कहेंगे यहा तक कि रागिनी से भी नही ।

रंगीलाल चुप रहा और सुनता रहा
शकुन्तला भावुक होते हुए - देखिये इसे स्वार्थ के जमाने मे बडी मुश्किल से आप जैसे भले लोग मिले है और मै नही चाहती कि ऐसी अफवाहो से हमारे सम्बंध खराब हो ,,क्योकि ससुराल छोडने के बाद हम लोगो का कोई अपना नहीं रहा अब ,,सबने मुह मोड लिया हमसे यहा तक कि मेरे मायके वालो ने भी ।

रंगीलाल शकुंतला का ढाढ़स बान्धते हुए- अरे रे रे भाभी ये कैसी बात कर रही हैं,, आप हमारे लिये कोई गैर नही है और बिल्कुल भी ये ख्याल मन मे ना लायियेगा

शकुन्तला मुस्कुरा कर- शुक्रिया आपका
रंगीलाल मुस्कुरकर - अरे इसमे शुक्रिया वाली क्या बात है

शकुंतला खुश होकर - आप कितने अच्छे है कि लोग मेरी वजह से आपका भी नाम खराब कर रहे है फिर भी आपने मुझे इज्जत दी और अपना समझा ,,इसके लिए

रंगीलाल - लोग क्या सोचते मै उनसब के लिए जवाबदेही नही हू ,,मेरी जवाबदेही मेरे परिवार और भगवान के लिए है ।

शकुंतला मुस्कुरा कर - रागिनी कितनी किस्मत वाली है कि उसे आप जैसा पति मिला है

रन्गीलाल हस कर - अरे उसे पति मिला तो क्या हुआ मै आपका देवर हू तो आधा हक है आपका भी हिहिहिही

शकुंतला थोडा शर्मा के मुस्कुरायी फिर हस्ते हुए बोली - अब आधा मर्द किस काम का हिहिहिही

रंगीलाल ने जब शकुन्तला को मजाक करता देखा तो उसने भी दोहरे अर्थ वाले संवाद करने शुरु कर दिया

रंगीलाल हस कर - अरे भाभी आपको आधा भी पुरा ही पडेगा

शकुन्तला रंगीलाल का मतलब सम्झ गयी और शर्म से लाल हो गयी और वो बात को वही रोकना उचित समझी

शकुंतला - अब आधा पुरा बाद मे ,,चलिये निचे खाना ठंडा हो रहा है और मुझे भी घर जाना है ।

रन्गीलाल सीढियो से निचे जाता हुआ - मै तो कह रहा हू भाभी आप यही सो जाओ ,,थोडी बाते करेंगे । थोडा मेरा भी समय कट जायेगा अकेले नीद नही आती

शकुंतला हस कर - हा हा , कहा रोज रागिनी की बाहो मे सोते थे तो अकेले कैसे हिहिहिही

रंगीलाल को थोडी शर्म आई - क्या भाभी मेरा वो मतलब नही था ,,मै तो बस बाते करने के लिए बोल रहा था

शकुंतला - अच्छा ठिक है बाबा रुक जाऊंगी लेकिन आज नही ,,कल । क्योकि कल दोपहर में रोहन आ जायेगा तो घर मे बहू भी अकेली नही होगी ना

रन्गीलाल की आंखे चमक गयी कि अब बस कल का इन्तेजार रहेगा ।

फिर उन्होंने खाना खाया और शकुन्तला काजल के लिए टिफ़िन पैक करके अपने घर चली गयी ।
इधर रन्गीलाल कुछ योजना बनाता हुआ सो गया ।


यहा चमनपुरा मे तो लोग सो गये थे लेकिन जानीपुर मे आज तो रतजगा की तैयारियाँ हो रही थी और ये सारी चीजें अपना राज ही देख रहा था ।


राज की जुबानी

खाना खिलाने के बाद मै अनुज और रमन भैया तीनो ने मिल कर सबसे उपर की छत पर कुछ चटाई और बिछावन तकिये लगाये । फिर सारे महिला और जेन्स लोगो को उपर बुलाया गया ।

सबको बहुत ताज्जुब था कि क्या होने वाला है
इधर निचे हाल मे नाना ने मुझसे पूछा तो मैने ब्ताया कि उपर नाच गाना का प्रोग्राम है । ढोल की ताल पर घर के सारे लोग गाएंगे नाचेंगे ।

नाना खुश तो हुए कि चलो शादी का घर है तो चहल पहल जरुरी है लेकिन उन्होने उपर जाने से मना कर दिया ये कहकर कि औरतो को मजा करने दो और फिर मौसा जी के चाचा ने भी मना कर दिया ।

फिर मै मौसा और राजन फूफा को लेके उपर चला गया ।
उपर लाईट की व्यव्स्था थी और मैने देखा कि मेरी हॉट एंड सेक्सी मामी ढोल को सेट कर रही है ।

मै लपक कर उनके बगल मे बैठ गया ।
मै - आपको ढोल भी बजाना आता है
मामी मुस्कुरा कर धीरे से मेरे कान मे बोली - बजा तो तुम भी लेते हो अच्छा
मै थोडा शर्मा गया ,,इधर चाची जी सारी महिलाओ को समझा रही थी कि कौन सा कौन सा गीत पहले गाया जायेगा ।।फिर फिल्मी गानो पर होगा कार्यक्रम ।

मौसा और राजन फुफा एक ओर दिवाल से लग कर बैठे हुए थे और उनके आगे मौसी ,ममता बुआ और मामी थी । फिर मामी के बगल मे मै और मेरे बगल मे चाची जी फिर मम्मी ,सोनल पल्लवि और उन्के पीछे दिवाल से लगे हुए रमन भैया और अनुज ।

फिर चाची ने देवी गीत शुरु किये जिन्हे हम लोग भी बडी मुस्किल से दूहरा पा रहे थे ।
मामी जी ढोल पर धाक बहुत गजब की थी और चाची बडी खुश होकर उनसे आन्खे मिलाए ताल पर गाये जा रही थी ।

मेरे लिये ये पहला अनुभव था और मुझे बहुत मजा आ रहा था । इसी दौरान मेरी नजर पल्ल्वी से टकराती तो मै उसे इशारे मे डांस करने की बात याद दिलवा देता और वो मुह फेर कर हस देती ।
एक एक करके चाची ने तिन देवी गीतो का गायन किया और सही मायने मे हम सबने उसका मजालिया ,,,आखिर मे चाची ने मा दुर्गा का जयघोष करवाया ।

चाची - हा , अब तुम शहरवालियो अपने गीत गाओ

चाची की बात पर सब लोग ठहाका लेके हसे

मै मामी के हाथ से ढोल लिया और तिन बार उसको धाक देके बोला

मै - सुनिये सुनिये ,,,अब यहा अन्ताक्षरी और नाच होगी ।

नाच्ने की बात पर सारे लोगो मे हसी भरा खुसफुसाहट होने लगी ।
मैने वापस ढोल को धाक दी और बोला - हम लोग दो टीम बनायेंगे । जिस टिम के साथी को गाने का मौका मिलेगा वो सामने वाली टीम मे से किसी को भी अपने गाने पर नाचने को कह सकता है

मेरी शर्ते सुन कर वापस से थोडी खुसरफुसर हुई और थोडा खिखियाने की आवाजे आई ,,मै समझ गया कि लोग अपने अपने गाने पर किसको नचाना है ये सोच कर ही चहक रहे है ।
मै वापस से ढोल की धाक देके सबका ध्यान अपने ओर किया और बोला - दादी अब सबको दो टीम मे बाटेगी

चाची जी हस कर - अरे बिटवा तुम लोग खेलो ना अपने मे ,,,अब इस उमर मे क्या हमसे गणित पढवा रहे हो

मै उन्के बगल मे बैठा था - अरे दादी आप बडी हो आप बाटोगी तो बाद मे कोई बहस नही होगा कि एक की टीम कमजोर हो गयी और एक की टीम मजबूत

दरअसल ये बाटने का काम तो मै खुद कर सकता था ,, किसी दो को भी टिम का लीडर बना कर उन्हे चूनने को बोल देता ।
मगर ऐसे मे मै जानबुझ कर चाची जी शामिल किया ताकि उनको ये आभास ना हो कि उन्हे वैल्यू नही मिल रही है और एक कारण ये भी था उनको इस खेल मे शामिल करने का वो ये कि अगर गाने और नाच मे कही माहौल थोडा उत्तेजक या फूहड़पन लगे तो वहा चाची जी हस्तक्षेप भी ना कर पाये । क्योकि ये सब उनकी परवानगी से हो रहा होगा ।

फिर चाची जी ने अपना गणित दौडाया और कुछ सोच कर दो टीम बनाये

टीम 01 = रज्जो मौसी , मेरी मम्मी , मामी , पल्लवि , मै , गीता और चाची जी

टीम 02 = ममता बुआ , कमलनाथ मौसा , राजन फूफा , रमन भैया , सोनल दीदी , अनुज और बबिता

अब हम लोग दिवाल के एक एक तरफ हो गये और बिच मे छत को खाली छोड दिया गया

इधर मैने ढोल वापस मामी को थमा दिया ,,सभी चेहरे खिले हुए थे ,, सब मस्ती मे अपनी पहली पारी का इन्तजार कर रहे थे क्योकि सब ने अपना अपना मुर्गा चुन रखा था ।

मेरी टीम का अगुआ मैने गीता को बनाया और उधर से बबिता बनी । टॉस हुआ और बबिता जीत गयी ।


बबिता की टीम मे खुसफुसाहट चालू थी कि उम्मिद अनुसार ममता बुआ ने हाथ उठाया ।

ममता - तो मेरी प्यारी भाभी चलो खड़ी हो जाओ हिहिहिही

हम सब खिलखिला कर रज्जो मौसी को देखते है और वो भी हस्ते हुए खड़ी हुई और अपना साड़ी ठिक किया ।

ममता - अरे भाभी मैदान मे आईये तब ना बात बनेगी

रज्जो मौसी हस कर - हा आ रही हू
फिर मौसी छत के बिच मे आई और पल्लू को कमर को खोसा और कमर पर हाथ रख कर तैयार हुई ।

ममता हस कर - अरे गीता की अम्मा तैयार हो ना
मामी हस कर- हा जीजी शुरु करिये

फिर ममता बुआ ने आशा भोसले जी एक सुपरहित गाने के बोल शुरु किये

ममता मुस्कुरा कर - झुमका गिरा रे एएए

ममता बुआ के अनतरे पर हम सब के दिल बाग बाग हो गये और मैने , कमलनाथ मौसा और राजन फूफा एक साथ बोल पडे- हाय्य्य्य

वही मामी ने ढोल पर ताल देदी
ममता -
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में
झुमका गिरा झुमका
गिरा झुमका गिरा


मामी के ढोल की ताल पर हम सबने सुर मिलाया - हाय हाय हाय
वही रज्जो मौसी ने अपने कमर मटकाते हुए गाने की अदाकारा साधना जी के जैसे अपने कन्धे झटके जिससे मौसी के मोटे मोटे चुचे भी हिल्कोरे मारने लगे

ममता- झुमका गिरा रे बरेली के, बाजार में झुमका गिरा रे


गाने की कड़ी खतम होते ही सब लोग एक जोर का ठहाका लगा कर हस पड़े और मौसी तो शर्मा कर अपना पल्लू सही करते हुए हस्ते हुए तेजी से अपने कुल्हे हिलाते अपनी जगह पर बैठ गयी ।

अब बारी थी गीता की टीम की तो खुद गीता ने हाथ उठाया और रमन भैया का नाम लिया ।

सबने ठहाके लगाये और गीता ने गाना शुरु किया ।
गीता - छोटे छोटे भाइयो के बडे भैयाआआ
मामी हस कर ढोल की ताल देती है और हम सब ताली बजाते हुए - हे हे हेहे हेएएए

गीता मुस्कुरा कर -
छोटे छोटे भाइयो के बडे भईया
परसो बनेंगे किसी के सईया
ढोल बजाये देखो मेरी मईया
नाच रहे मेरे रमन भईया


रमन भैया ढोल पर ज्यादा नाचे तो नही लेकिन गीता के गाने के बोल सुन कर हम सब खुब हसे । सबने उसकी तारिफ की ।
अगली बारी बबिता की टीम की थी तो वहा से इस बार सोनल दीदी ने हाथ उठाए और पल्लवि का नाम लिया ।

पल्लवि का नाम आते ही सब शोर करने लगे और वही कही से सिटी की आवाज आई ,,जिससे पल्लवि शर्म से लाल हो गयी ।

फिर पल्लवि शर्माते हुए अपने सूट को कूल्हो के पास से खिच कर सही किया और दुपट्टे को क्रॉस करके कमर मे बान्ध लिया ।

सोनल हस कर - तैयार ना पल्लवि
पल्लवि हस कर हा मे सर हिलायि

सोनल ने थोडा गला खराश किया और- मेरा चैन वैन सब उजड़ा

हम सब के चेहरे खिल गये कि क्या मस्त गाना चुना सोनल ने और वही मामी ने मानो इस गाने धुन को ढोल मे पिरो किया था

मामी ने ढोल पर ताल दी - धिनक धिनक धिन धा
पल्लवि ने पहली लाईन पर अपने एड़ियो पर आकर एश्वर्या राय की तरह जो कमर लचकाया ,उफ्फ्फ्फ

सोनल -
मेरा चैन वैन सब उजड़ा
जालिम नजर हटा ले
बरबाद हो रह है जी मेरे अपने शहर वाले
ओ मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आ जाआआ

हम सब एक साथ हाथ उठा कर - कजरा रे !!!
ढोल - धिक धा

हम सब एक सुर मे हस्ते हुए गाने लगे- कजरा रे कजरा रे तेरे काले काले नैना ,,

पल्लवि हम लोगो को ऐसे प्रतिक्रिया देख कर हस दी और शर्मा कर अपनी जगह पर आ गयी ।

हम सब खुब जोर जोर से हसे , चाची जी ने भी बहुत मजा लिया ।
पारी पल्टी तो मा ने हाथ उठाया और राजन फूफा को खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी ,,हसी ठहाके लगे और एक दो सिटीया भी
बडी शर्मो हया के साथ हस्ते हुए राजन फूफा अपने कमर मे गम्छा बाँधते हुए खडे हुए और मा ने इधर मामी के कान मे कुछ बोला ,,शायद गाने के बोल थे ।

इधर मामी ने ढोल की ताल शुरु की ,,, ताल कुछ जान पहचाना लगा तो राजन फूफा भी अपने कमर पर दोनो हाथ रख कर एड़ियो के सहारे कमर हिलाने लगे

मगर जैसे ही मा ने गाने के बोल शुरु किये वो रुक गये और हम सारे लोग हसने लगे ।
राजन हस के - अरे भाभी इस गाने पर कैसे ,,नही नही

मा हस्ते हुए - अब नाचना तो पडेगा ही जीजा जी हिहिहिही

हम सब ठहाके ले रहे थे और इधर मजबुर होकर राजन फूफा ने अपनी कमर पर बाँधा हुआ गम्छा खोल कर सर पर रखकर एक लम्बा सा पल्लू कर दिया

हम सब लोग हसने लगे और मैने तो सिटी भी मार दी ,,बगल मे बैठी चाची जी मुह पर हाथ रख कर हसते हुए मुझे डाटने लगी।

इधर मा ने मामी को इशारा किया और ढोल की ताल पर मा ने गाना शुरु किया

मा - जो बिच बजरियाआआआ तुने मेरी पकड़ी बईया ,,मै सबको बोल दूंगी ( राजन अपने सर पर रखा गम्छा को घूघट के जैसे पकड कर कमर थिरकाते हुए घूमता है )
जब रात मे कोई ना जागे आयीयो सईया ,मै खिडकी खोल दूँगी ( राजन अपने घूँघट को उठा कर कमर पर हाथ रखते हुए औरतो कैसे कुल्हे हिलाता है )

हम सब लोग हस कर मस्त हो जाते है और राजन भी शरम से पानी पानी होकर गमछे मे मुह छिपाये ,सबसे पीछे जाकर बैठ जाता है ।

पारी पलटती है और इस बार मौसा जी हाथ उठा देते है और मा का नाम लेते है ,,

मा समझ गयी ये सब बदले के लिए ही हो रहा है लेकिन वो भी तैयार थी । खैर ये मुकाबला जीजा साली का होने था तो मेरी उत्सुकता बहुत बढ गयी थी ।
तभी मौसा जी अपने मोबाईल मे गाना निकालने लगे तो हम लोगो की टीम एक सुर मे बोल उठे - नही नही ये चिटिँग है ,,आपको गाना ही पडेगा

मौसा हस कर - अरे भाई मुझे गाना नही आता ,,अच्छा ऐसी बात है तो मै भी रागिनी के साथ नाच लूंगा बस

थोडी खुसरफुसर हुई तो सब मान गये
फिर क्या मौसा ने मा का हाथ पकड कर बिच मे लाये और फिर मोबाईल पर एक गाना बजा दिया ।

गाने की ट्यून सुन कर ही हम लोगो का हल्ला गुल्ला शुरु हो गया और फिर मा ने भी गाने के तर्ज पर मौसा के साथ कमर ठुमकाया

गाना भोजपूरी था - ले चली घुमा दी बुलेट पर जीजा

हम सबने भी खुब मस्ती की ,, चाची भी मुह पर पल्लू रख कर खुब हसी ,,,हालकी कहने को तो उनकी नजर ये सब उचित नहीं था ,,मगर जैसा कि मैने पहले ही ब्ताया कि जानबुझ कर मैने उन्हे खेल मे शामिल किया जिससे वो मना भी ना कर सके और उन्हे मजा भी आये।

इधर मौसा जी ने लपक कर मामी को भी उठा लिया तो गीता भी खड़ी होके नाचने लगी ।

सबने मस्ती की और फिर वापस अपनी जगह पर
इधर सब वापस बैठे नही कि मौसी ने हाथ खड़ा कर दिया ।

तालिया बजी हसी ठहाके लगे और मौसी ने दो नाम बोले - ममता बुआ और मौसा जी

मै समझ गया कि रज्जो मौसी की चालाकी,,, अरे वो भौजी ही क्या अपनी ननद को उसके भैया के नाम पर छेड़े नही ।

मौसा - अरे रज्जो ये तो गलत बात है , एक बार मे एक ही लोग ना

मौसी हस्कर - अच्चा और अभी आप जो साली और सलहज एक साथ नचा रहे थे उसका क्या ,हम्म्म्म्ं


रज्जो - चलो उठो आप दोनो
फिर हमारी टीम मे हल्ला गुल्ला करने लगे तो वो दोनो उठ कर बीच में आये ।

इधर मौसी ने मामी को गाने के बोल बताये ,,जिसे सुन कर मामी हस पडी और फिर हा मे सर हिला कर सहमति देदी ।


मौसी ढोल की ताल पर एक भोजपूरी गाने के बोल देती है जिसपर ममता बुआ हस कर अपने भैया यानी मौसा जी के उपर गिरते गिरते बचती है ।

मौसी बिना रुके ममता बुआ को नाचने का इशारा करती हुई

मौसी - घाम लागता ये राजा , घाम लागता
( ममता हस कर मजबुरन अपने भैया को इशारा करके अपना घूँघट पकडे कमर हिलाती है । )
तू ता बाहरा मे करेला आराम ( ममता हस कर अपने भैया का हाथ पकड कर मौसी के गाने के बोल पर इशारा करती है और फिर कमर पर हाथ रख नाचती है ।)
तू ता बाहरा मे करेला आराम
चैत हमरा घाम लागता

हम सब हस के मस्त हो गये थे, मामी तो मानो इनसब गानो के लिए प्रोफेशनल थी ,,,ढोल की धाक एकदम गाने के तर्ज पर जमा था ।

ममता बुआ को लगा अब शायद इतने से काम बन जायेगा मगर मौसी ने फिर से एक कड़ी शुरु की ।

मौसी हस्ते हुए -
तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी

मौसी के इस तंज को सब समझ गये और जोर जोर से हसने लगे ,,क्योकि मौसा पंजाब के लुधियाना मे ही नौकरी करते थे और सब ये बात जानते थे ।

मौसी - तू ता लुधियाना मे कर ताड़ा ड्यूटी ( ममता अपने भैया का हाथ पकड के एक ओर इशारा करके कमर लचकाती है )
पछूवा के हवा मोर बिगाड़ देता ब्यूटी ( फिर अपने चेहरे पर एक बार इशारा करती है । )
घाम लागता ये डियर घाम लागता
गरमी सहत नईखे नरम नरम चाम
चैत मे हमरा घाम लागत बा (ममता अपने कमर पर हाथ रख कर एक हाथ हवा मे उठाए नाचती है । )

गाना खतम होता है और हम सब हस के मस्त हो जाते है ।
पता नही वहा पर किसी और ने नोटिस किया या नही लेकिन मैने जरुर नोटिस किया कि मौसी मे अपने भाभी होने का फर्ज अच्छा निभाया और अपनी ननद का सईया उसके भईया को ही बना दिया ।

पारी पल्टी तो बबिता ने हाथ खडे किये , समय भी काफी हो चुका था तो उसने मेरा नाम लिया

फिर बबिता ने भी मौसा जी की तरह एक पंजाबी गाना बजाया तो उसपे मैने हल्का फुल्का पंजाबी ठुमका लगाया और चाची जी को पकड कर ले गया तो उन्होने भी ना नुकुर करते हुए ह्सते हुए हाथ उपर कर बल्ले बल्ले कर ही लिया ।
मैने देखा कि अनुज काफी समय से अकेला और शांत था तो उसी गाने पर मै उसे और सोनल दीदी को भी लेके आया तो बबिता भी आकर नाचने लगी ।

कुलमिला कर बात ये थी कि आखिर मे लगभग सबने नाचा और मस्ती की ।
सारे लोग हस्ते हुए थक कर वापस बैठ गये ,,किसी का मन सोने का नही था ,,मगर रात ज्यादा हो चुकी थी और कल हल्दी का प्रोग्राम था तो सुबह से ही सारे काम होने थे ।

अब सबके सोने की व्यव्स्था की दिक्कत हो गयी थी क्योकि सारे कमरे फुल थे और आज नाना के यहा से लोग आये थे तो कैसे क्या होगा इसपे चर्चा होने लगी थी


जारी रहेगी
Bahut gajab ka mahaul bana hai bhaiya... Maja aa raha hai shadi ka
 

Incestlover

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भाई वाह मज़ा आ गया कहानी अब फिर ज़ोर पकड़ रही है और नाना के यहां से भी लोग आ गये हैं । सच कहूं तो मुझे पर्सनली नाना और माँ का पार्ट बहुत अच्छा लगा था पता नही फिर कब पढ़ने की मिले फिर कब इन दिनों की मुलाक़ात होगी देखते हैं ।
 

Sanju@

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UPDATE 120

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा कैसे एक ओर जहा चमनपुरा मे अपना राज काजल भाभी से नजदीकिया बढाने मे कामयाब हो रहा है वही जानीपुर मे रज्जो ममता और कमलनाथ का मिलन करवाने की कसीदे पढ रही है ।
अब आगे
ममता के दिल और चुत मे उसके भैया के लिए जगह बना कर रज्जो निचे किचन मे भिड़ गयी और इधर दोपहर तक राजन और कमलनाथ एक औटो मे वो सारे सामान लाद कर ले आये जिनकी पर्ची सुबह नास्ते के बाद रज्जो ने बनवाई थी ।
सारे समान को वही जीने के निचे रखवाया गया क्योकि खाने पीने की व्यस्था दो दिन बाद से बगल के किसी और के घर मे होनी थी ,,जो अभी हाल ही बना था। उसका बरामदा और एक कमरा कमलनाथ ने व्यहारिका मे ले लिया था । ताकी शादी निबकाई जा सके।

खैर इधर राजन और कमलनाथ ने सारे समान रखे और नहाने के लिए छत पर चले गये ।
इधर कमलनाथ जैसे ही अपने कमरे मे गया तो उसे ममता सोफे पर सोयी हुई दिखी ।
कमलनाथ का लण्ड देखते ही खड़ा हो गया और मगर फिल्हाल वो कड़ी धूप में थक कर आ रहा था तो उसे नहाना ही सही लगा तो इसिलिए वो अपने कपडे निकाल कर तौलिया लपेटे उपर छत पर चला गया ,,जहा राजन भी पहले से मौजुद था ।

फिर दोनो मिल कर नहाते हुए रज्जो के साथ फिर मस्ती करने की योजना बनाते है और वापस अपने कमरे मे आ जाते है ।
इधर रज्जो भी ममता को जगाने के लिए उपर कमरे मे आती है तो कमलनाथ सिर्फ तैलिया मे ही कमरे मे अपने जन्घिया और बनियान खोज रहा होता है । इधर खटरपटर से ममता की निद खुल जाती है और उसकी नजर कमलनाथ पर जाती तो उसे अभी थोडी देर पहले हुई रज्जो के साथ की हुई मस्ती याद आ जाती है ।

इतने रज्जो जो अभी अभी दरवाजे पर पहुची ही थी वो बोली - क्या ढूढ रहे है रमन के पापा

कमलनाथ खुश होता हुआ -अरे रज्जो तुम आ गयी ,,,वो मेरी बनियान और जांघिया नही मिल रही है

रज्जो मस्ती मे - तो ये है ना इस्से पूछिये ,,अपनी लाडो रानी से

रज्जो - क्यू ममता , बता कहा छिपा कर रखी है अपने भैया का जांघिया हिहिहिहिह

ममता उबासी लेते हुए रज्जो के दोहरे अर्थ वाले व्यंग पे मुस्कुराते हुए उठती है - क्याआआ भाआअभीईई ओफ्फ्फ ,,, छिपा के कहा रखी हू ,, वो आलमारि मे ही तो है

कमलनाथ- कहा है मुझे तो नही मिला
ममता चल कर कमलनाथ के बगल मे जाती है और आल्मारि मे से एक जांघिया और बनियान निकाल के देती है ।

जिसे देखते ही रज्जो भडकते हुए -क्या जी आप अभी भी ये पुराना वाला ही पहनेंगे क्या ,,,

कमलनाथ - अरे इसमे बुराई क्या है रज्जो ये अन्दर रहता है ,,, गर्मी मे तो बहुत आरामदायक है ये

रज्जो अपना माथा पीटते हुए - आप भी ना ,, अरे बेटे की शादी है दस लोग भिड़े रहेंगे तो आपको लगता है कि आप ऐसे ही अकेले नहा पायेगे रोज रोज ,,,और लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे कि दूल्हे का बाप है और ढंग का अंडरवियर भी नही है ।

कमलनाथ - अरे तो अभी मेरे पास इसके अलावा और कोई नही है

रज्जो - मै रखी हू ना ,,ममता जरा निचे वाले ड्रा से वो अंडरवियर निकाल तो

ममता खिल्खिलाती हुई वही करती है और उसमे एक फ्रेंची अंडरवियर निकाल कर रज्जो को देती है ।

कमलनाथ उसे खोलता है तो हस पडता है - अरे रज्जो ये तो तेरी मालूम पड़ती है देख

कमलनाथ उस अंडरवियर को फैला कर रज्जो को दिखाता है तो ममता फुसफुसा कर हस पड़ती है ।
रज्जो भी थोडा तुनक कर मुस्कुराई और कमलनाथ के हाथ से अंडरवियर लेके - ये ये मेरा है हा ,,,, "ये इसका मेरे लिया क्या काम हमम बोलिए " , रज्जो अंडरबियर मे बनी पेसाब वाली जेब मे चार ऊँगली घुसा कर कमलनाथ को दिखाती हुई बोली ।

कमलनाथ हसते हुए वापस अंडरवियर को लेते हुए एक बार सामने से अपने जांघो पर डालते हुए देखता है - हा लेकिन ये थोडा छोटा नही है

रज्जो - अरे आप पहिनिये तो पहले ,,,नही अच्छा लगेगा तो मै शाम तक दुसरा ले आउन्गी
कमलनाथ बेबसी सा रुख देते हुए हस कर ममता को देखता है और फिर तौलिया के उपर से वो फ्रेंची पहनने लगता है ।

बडी मस्कत के बाद कमलनाथ किसी तरह खिचखाच कर उस तंग फ्रेची मे से तौलिया निकालता है ,,इस दौरान ममता की पूरी नजर कमलनाथ के फ्रेंची पर ही जमी थी ,,जिसे रज्जो देखकर मुस्कुरा रही थी ।

इधर जैसे ही कमलनाथ ने तौलिया खीचा उसका लण्ड और आड़ दोनो उस फ्रेंची मे कस गये ।
कमलनाथ का लण्ड पहले ही ममता को देख कर फुला हुआ था जिस्से उसके लण्ड का तनाव उस फ्रेंची मे साफ साफ दिख रहा था और निचे आड़ो के कुछ बाल साइड से दिख रहे थे । मानो कमलनाथ ने अपना मोटा लण्ड जबरजस्ती उस अंडरवियर मे ठूसा हो ।
कमलनाथ को अपने आड़ो पर जोर भी महसूस हो रहा था जिससे वो फ्रेंची की मियानी पकड कर उसे फैलाते हुए अपने आड़ो को एडजेस्ट कर रहा था ।

इतने मे रज्जो बोल पडी - क्यू ममता अच्छा लग रहा है ना
ममता चौकी और हस्ते हुए मुह फेर ली - हिहिहिही भाभी आप भी ना ,,कितना परेशान करती हो भैया को । देख नही रही कितना तंग है ये कच्छी उनके लिए

रज्जो हसी और बोली - अरे मैने तो जानबुझ कर ये वाला माडल मगाया है ताकी मेरे सईया का हथियार जो भी देखे लार टपका दे

रज्जो की इस बेशरमी पर कमलनाथ और ममता झेप गये और नजरे चराते हुए एक दुसरे को देखने लगे

रज्जो - अरे अब क्या ऐसे ही रहना है पुरे दिन जल्दी कपडे पहिनिये और निचे आईये ,,,चल ममता

ममता भी थोडी खिखीयायि और एक नजर अपने भैया के फ्रेची मे उभरे काले नाग के फन को निहार कर अपनी दिल की उफनती ज्वाला को तसल्ली दी की आज इसको लेके रहूँगी । फिर रज्जो के साथ निचे खाने के लिए चली गयी ।
इधर कमलनाथ थोडा उस फ्रेंची मे अटपटा मह्सूस कर रहा था ,,मगर उसकी सेक्सी बीवी का आदेश था तो पहनना ही पडेगा ।
वो भी कपडे पहन कर निचे चला गया ,जहा राजन पहले से ही आ गया था ।

खाना पीना हुआ और फिर कमलनाथ अनुज और रमन के लिए टिफ़िन लेके दुकान चला गया ।

खाने के बाद सबको सख्त दुपहर ने नीद के आगोश मे भेज दिया । सोनल और पल्ल्बी अपने कमरे मे ,,,ममता और राजन अपने कमरे मे जाते ही भिड़ गये क्योकि ममता कबसे लण्ड के लिए तरस रही थी ,,,और इधर जब कमलनाथ वापस आया तो उसे लेके रज्जो भी अपने कमरे मे सोने चली गयी ।

कमरे मे जाकर रज्जो और कमलनाथ ने आगे की योजना बनाई और फिर थोडा प्रेममिलाप कर वो भी सो गये ।
शाम 5 बजे तक रज्जो की आंख खुली तो वो फ्रेश होकर निचे किचन मे चाय नास्ते का प्रबंध करने लगी ।
थोडी देर बाद सब लोग चाय नासता करने के बाद सोनल और पल्लवि जैसे ही किचन ने सारा कप प्लेट लेके गयी

इसी दौरान कमलनाथ ने रज्जो को थोडा इशारा किया तो रज्जो ने कड़े शब्दो मे सबके सामने मना करते हुए - न्हीईई रमन के पापा मुझे अभी बहुत काम है ,,, बाजार से सब्जी लानी है और सुबह चादर विछौने सुखने के लिए डाली थी उन्हे प्रेस करना है और इनको ....

राजन रज्जो की बात पूरी होने से पहले ही - अरे भाभी जी क्या हुआ ,

रज्जो - इनको आज मालिश करवानी है ,,,मुझे वैसे ही काम है इतना
राजन थोडा हस कर - अरे भाभी आपका बाजार वाला जो काम है मुझे बता दीजिये मै लेते आ रहा हू ,,,,और आप भाईसाहब का ध्यान रखिये शायद आज बर्तन की उठापटक मे इनको थोडी समस्या हो गयी होगी ।

रज्जो यही तो चाहती थी सो हो गया ,,फिर क्या थोडी नानुकुर के बाद रज्जो ने हामी भरी और राजन को बाजार भेज दिया ।

इधर राजन के जाते ही कमलनाथ ने फिर से रज्जो से गुहार लगाई ।
रज्जो - ओह्ह हो , ऐसा करिये आप सो जाईये थोडी देर मै पहले अपना काम कर लूंगी फिर आपकी मालिश कर दूँगी

ममता को थोडा अटप्टा सा लगा कि उसके भैया दर्द से परेशान है और रज्जो उन्हे मना कर रही है ,,,
ममता - अगर ऐसी बात है तो चलिये भैया मै ही आपकी मालिश कर देती हू और भाभी आप अपना काम कर लिजिए

रज्जो ने एक नजर कमलनाथ को देखा और आंखे नचाते हुए ममता की ओर इशारा करके बोली - जाओ जी फिर आप ,,,ममता कर देगी आपकी मालिश

कमलनाथ थोडा असहज होने का भाव लाता हुआ - न न नहीं नही ,,,ममता तू रहने दे ,,मै तेरी भाभी से करवा लूंगा

ममता अब जिद करते हुए -क्या नही नही भैया ,,मै क्या कोई गैर हू जो आपकी मालिश नही कर सकती

कमलनाथ ममता के भावनात्मक व्यंग्य और उसके चंचल चित पर पिघलता हुआ - हा ममता ,,लेकिन तू कैसे?? मतलब

ममता उठ कर कमलनाथ के पास गयी - क्या भैया आप भी ,,चलिये ना

रज्जो ने भी मजे लेने के मूड मे मानो कमलनाथ को चिढाते हुए बोली - हा जाईये ना

फिर थोडी देर बाद रज्जो स्ब्से उपर की मंजिल से सारे चादर बिछावन लेके कमरे मे आती है जहा कमलनाथ सोफे पर बैठा होता है और ममता निचे से कटोरी मे हल्का गर्म सरसो का तेल लेके उपर आती है ।

इधर रज्जो बेड पर अपना प्रेस सेट करके पहले से ही अपना डेरा जमा लेती है ।

ममता चहकते हुए कमरे मे प्रवेश करती है - हा भैया बताओ कहा करनी है मालिश

रज्जो मुस्कुरा कर प्रेस चलाते हुए - हा जी बता दो ना ,,फटाफट कर देगी ममता हिहिहिही

कमलनाथ थोडा बेबस होता हुआ - रहने दे ना ममता अभी तेरी भाभी कर देगी ना

ममता बालहठता दिखाती हुई - मै कहा दिया ना कि मै ही करंगी तो मै ही करूंगी और अब तो भाभी चाहे तो भी मै उनको नही करने दूँगी ।

ममता - चलो बताओ कहा करना है मालिश
कमलनाथ एक नजर रज्जो को देखता है और इशारे से पहल करने को कहता है तो रज्जो प्रेस बन्द करके आती है ।

रज्जो कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द कर देती है और कमलनाथ से - हम्म्म निकालियेगा अब कपडा की ऐसे ही करवायेन्गे

रज्जो के कहने के पर कमलनाथ जोकि बनियान और पजामे मे था वो अपना पाजामा निकालने लगता है तो ममता को थोडा असहज होने लगती है ।

फिर रज्जो कमलनाथ से कड़े शब्दो मे बोल्ती है -हा अब वो भी निकालिये

ममता की आंखे फैल गयी कि रज्जो उससे क्या करवाने वाली है ,,,कही वो जिद करके फस तो नही गयी

ममता थोडा झिझक भरी हसी मे- भाभी वैसे मालिश कहा करनी है

रज्जो - अरे आज इन्हीने ये पहली बार अंडरवियर पहना था तो वहा टाइट हो गया था और दर्द हो रहा है ,,वही पे करना है

ममता की सासे अटक गयी और वो मन मे बुदबुदाइ - मतल्ब मुझे भैया के लण्ड और वो आड़ो की मालिश करनी ,,, हे भगवान फसा ही दिया आखिर भाभी ने मुझे ,,अब क्या करु

कमलनाथ ममता को परेशान देख कर अपने फ्रेंची की लास्टीक को सही करता हुआ - अगर तेरी इच्छा नही है तो रहने दे ममता ,,,अभी तेरी भाभी कर देंगी

रज्जो - अरे ऐसे कैसे ,,ममता ने बोला है सिर्फ़ वही करेंगी और मै नही करने वाली मालिश आज

ममता थोडा झिझक के - कोई बात नही भैया मै कर दूँगी ,,, आप आराम से इसे निकाल कर बैठ जाओ

ममता के इस वक्तव्य से कमलनाथ और रज्जो दोनो की आंखे चमक उठी ।इधर रज्जो वापस बेड की ओर ऐसे मुड कर गयी ,,जैसे कुछ भी अजीब नही घटा हो और ना ही कमलनाथ ने ऐसा कोई प्रतिक्रिया दिया जिसकी ममता उम्मीद कर रही थी ।

रज्जो और कमलनाथ ने मिलकर माहौल ही ऐसा बना दिया कि ममता चाह कर भी अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दे सकती थी और उसे एक उलझन होने लगी थी कि सब कुछ आखिर इतना सामान्य कैसे हो सकता है ।

उधर कमलनाथ ने अपनी फ्रेंची निकाल दी और जान्घे खोल कर सोफे पर बैठ गया ।
ममता की नजर जैसे अपने भैया के खुले काले लण्ड पर गयी ,,उसका दिल बेईमानी करने लगा और चुत कुलबुलानी शुरु हो गयी ।

उसे बडी शर्म सी मह्सुस हो रही थी कि रज्जो के सामने वो अपने भैया का लण्ड पकडने जा रही थी । ना जाने कितनी बार रज्जो ने उसे इसी लण्ड का ताना दिया और छेडा था ।
फिर इस वाक्ये के बाडे ना जाने और कित्ना ज्यादा रज्जो उसे छेड़ने वाली थी ।
कमलनाथ जान्बुझ कर थोडी असहजता और दर्द का मिश्रित भाव ममता के समक्ष ला रहा था ,,, इधर ममता वही अपने भैया के पैरो के बीच ने घुटने टेक कर बैठ गयी ।

कमलनाथ ने बहुत हौले के अपने कूल्हो को उचकाया और अपनी बनियान नाभि तक खिच ली ताकि तेल का दाग उसमे ना लग पाये।
अब कमलनाथ का लण्ड पुरा खुल कर ममता के सामने था जो होने वाले घटनाओ को सोच कर धीमे धीमे सासे ले रहा था और अपना फौलादी स्वरुप ग्रहण किये जा रहा था ।

ममता बेबसी सा मुस्कुरा कर एक बार पलट कर रज्जो को देखी तो वो उसने इशारे से आगे बढने को कहा ,,,जिसे ममता ने समझ लिया कि वो सुबह वाली बात को लेके कुछ इशारे कर रही होगी । मगर ममता का इरादा ऐसा कुछ करने का नही था और ना ही वो रज्जो को इस सब के लिए उसको छेडने का मौका देने का विचार ला रही थी ।

उसने कचौरी मे अपनी चार उंगलियाँ पिरोयि और उसे दोनो हथेलियो चपुड़ते धीरे से बिना कमलनाथ को देखे उसका फौलदी होता लण्ड थाम कर उसके उपरी भाग को दोनो हाथो से पकड कर हल्का हल्का तेल पिलाने लगी


ममता के स्पर्श मात्र से ही कमलनाथ की हालत खराब हो गयी और उसका लण्ड पलक झपकने की देरी मे ही पुरा फौलादी हो गया ।

। फिर वापस उसने उंगलियो मे तेल लेके कमलनाथ के आड़ो पर हथेली को घुमाया

कमलनाथ सिस्क उठा - अह्ह्ह छोटी सीई

ममता ने फौरन हाथ खीचते हुए और चिंता व्यक्त करते हुए- क्या हुआ भैया दर्द हो रहा क्या ज्यादा ???

कमलनाथ थोडा मुस्कुराया और ना मे सर हिला दिया ।
ममता समझ गयी कि ये उसके स्पर्श का नतिजा था कि उसके भैया सिस्क पड़ें ।

फिर उसने एक बार रज्जो पर नजर डाली जो बिना उसकी ओर देखे अपने काम मे ब्यस्त थी तो वो भी वापस तेल लेके अपने भैया के आड़ो की मालिश करने मे लग गयी ।
धिरे धीरे हर स्पर्श के साथ और ममता के हाथो के मुलायम मर्दन से कमलनाथ का लण्ड पूरी तरह तन गया ,,उसकी नसे पूरी तरह से उभरने लगी थी ।

ममता भी अब धीरे धीरे भटकने लगी थी ,,कभी कभी वो अपने भैया का सुपाडा देखने के लिए धीरे से मालिश के दौरान उसे खोल देती और अगले ही पल वापस चमडी छोड देती ।
इधर कमलनाथ जोकि उसे एक बार चोद चुका था वो इशारे से मुह मे लेने की बात करता है तो ममता ,,रज्जो की ओर इशारा करके मना कर देती थी ।मगर हर बार कमलनाथ के आग्रह पर वो बहकने लगी

उसने जब कयी बार देखा कि रज्जो की नजर अपने काम पर ही है तो उसमे मे थोडी हिम्मत जगी और उसने धीरे से अपना मुह आगे करके सुपाडा खोल्ते हुए लण्ड मुह मे ले लिया ।
वही कमलनाथ ने जैसे ही ममता के मुलायम ठन्डे होठो का स्पर्श अपने तपते लण्ड के सतहो पर मह्सूस किया उसकी एक मीठी दबी हुई अह्ह्ह निकल गयी।

जिसपर ममता ने तुरन्त उसके जांघो पर अपना पन्जा जमाते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया ।
कमलनाथ चुप तो हो गया लेकिन रज्जो के तेज कानो में उसकी महीन सिसकिया पहुच गयी और उसने तुरंत नजरे उठा ली ।

वो चौक गयी कि इतनी जल्दी कैसे ममता ने अपने भैया का लण्ड मुह मे ले लिया ,,,, उसने सुबह मे जो ममता को परेशान किया था कही उसकी वजह से तो नही

रज्जो मुस्कुराई और एक नजर कमलनाथ से आंखे मिलाई तो कमलनाथ ने उसे आंखे मारते हुए एक फ़्लाइंग किस्स पास किया ।

रज्जो मुस्कुरा कर चुप रहने का बोलती है ।
इधर ममता सब कुछ भूल कर अपने भैया का मोटा लण्ड सुरकने मे व्यस्त थी ।
इधर कमलनाथ ही भी हालात कम खराब नही थी ,,,वो भी अपने हाथ आगे बढा कर ममता के चुचो को छूने लगा ।

ममता ने भी मना नही किया ,,उसका पल्लू निचे फर्श पर आ चुका था और कमलनाथ के हाथ उसके तंग ब्लाउज के हुक खोलने की कोसिस मे थे,,,इतने मे बिस्तर पर थोडी खटखट हुई तो दोनो ने सजग हुए और ममता ने फौरन मुह से लण्ड निकाल कर मुह पोछते हुए एक बार रज्जो की ओर देखा ,,,जो चादर को उठा कर आलमारी मे रख कर बाथरूम मे चली गयी ।

कमलनाथ - ममता ये खोल दे ना ,,इन्हे छूने का मन है

ममता कामुक भरी मुस्कान के साथ अपने भैया का लण्ड हिलाते हुए उसकी आंखो मे देख कर - और कही भाभी ने देख लिया तो

कमलनाथ - अरे बस उपर के खोल के एक बाहर निकाल दे और रज्जो आयेगी तो पल्लू कर लेना ना ,,,प्लीज ना

ममता अपने भैया का उतावलापन देख कर मुस्कुराइ - ठिक है लेकिन भाभी बाहर आये तो बताना हा

कमलनाथ ने हम्म्म बोला और ममता ने उपर के तिन हुक खोल्ते हुए एक ओर चुची निकाल दी ।
कमलनाथ की आंखो मे चमक और लण्ड मे कड़क दोनो बढ गयी ,,उसने फौरन हाथ बढा कर ममता के चुचियो को सहलाने लगा और ममता वापस से अपने भैया का लण्ड गपुचने लगी।

इधर बाथरूम मे जाते ही रज्जो ने अपनी साड़ी निकाल दी और सिर्फ़ ब्लाउज पेतिकोट मे धीरे से बिना कोई आहट के बाहर आयी ।

आल्मारि को बंद करते हुए बोली - ममता हो गया ना

ममता चौकी कि रज्जो ने कही उसे देख तो नही लिया ,,उसने फौरन अपना मुह खोला और पल्लू सीने पर कर लिया ।
जल्दीबाजी मे उसे अपने ब्लाऊज को बंद करने का मौका नही मिला ।

वो थोडी सहम सी गयी थी
इधर रज्जो को जवाब नही मिला तो वो चल कर सोफे तक गयी और उसकी योजना मुताबिक ममता ने उसके पति का लण्ड फौलादी बना दिया

रज्जो मुस्कुरा कर -
कमलनाथ के बगल मे बैठते हुए - हम्म्म तो आराम है ना अब

कमलनाथ थोडा रुखे मन से - हा है थोडा बहुत

रज्जो - थोडा बहुत,,,क्यू ममता ? तुने सही से मालिश नही की क्या

ममता आंखे बडी करके रज्जो को देखती और तभी कमलनाथ -अरे नही नही उसने तो अच्छे से किया लेकिन वो

रज्जो - अब वो वो क्या कर रहे है ,,साफ साफ बोलिए ना

कमलनाथ अपनी लण्ड की इशारा करते हुए - वो ये थोडा टाइट हो गया है तो दर्द बना हुआ है

रज्जो - अरे तो इसमे क्या है ,ममता से बोल देते ना वो इसे शांत कर देती

ममता चौकी - मै कैसे भाभी ? मतलब वो वो

रज्जो ममता की बात काटते हुए - अरे तू भी ना ,,ज्यादा कुछ नही करना है बस ये मुह से ,उउउउगऊऊऊगूग्गऊऊऊऊ उह्ह्गुउऊऊऊगग्ग्गूउऊऊऊ
अह्ह्ह स्प्प्प्प्र्र्रपपपप अह्ह्ह गुउउउऊऊगऊऊऊऊ

रज्जो कमलनाथ का लण्ड चुस कर लण्ड बाहर निकालते हुए - देखी!!! ऐसे ही कर दे मै आती हू बाकी का समान स्टोररूम से लेकर
ये बोल कर रज्जो उठी और कमरे से बाहर निकल गयी ।

ममता चौकने के भाव मे कमलनाथ को देखी जो बेशर्मो के जैसे मुस्कुरा रहा था ।
ममता अवाक होकर - भैया ये भाभी ऐसे कैसे बोल कर चली गयी

कमलनाथ हस कर - अरे जब उसे ऐतराज नही है तो तू क्यू परेशान हो रही है ,,अब चुस दे ना

ममता थोडा मुस्कुराते हुए वापस अपने भैया का लण्ड मुह मे लेना शुरु कर दिया
इधर रज्जो फटाफट स्टोर रूम से एक दो और समान लेके कमरे मे आती है तो ममता को बडे चाव से अपने भैया का लण्ड सुडुपते हुए देखती है ।
फिर वो मुस्कुरा कर सारा समान बेड पर रखते हुए

रज्जो - क्या जी कितना समय लगायेंगे ,,, अभी हमे खाना बनाना है

कमलनाथ कसमसा के - अब क्या कर ये शांत नही हो रहा है

रज्जो ममता को डाटती हूई- क्या ममता तुझे एक काम दिया था वो भी ढंग से नही कर पा रही है

ममता बेबसी दिखाते हुए - भाभी कर तो रही हू ,,अब पता नही भैया का कैसे नही हो पा...

इतने मे रज्जो चलकर ममता के पीछे गयी और उसका पल्लू हटाते हुए फटाफट उसके ब्लाउज के सारे हुक खोल दिये । हालांकि ममता ने थोडी जद्दो-जहद की मगर वो बेकार थी ।
रज्जो - जब सब कुछ ढक कर करेगी तो कैसे उनपे असर होगा ,,,देख माल खुलते ही कैसा तन गया

ममता ने भी अपनी मुथ्ठी मे अपने भैया का लण्ड कसता हुआ मह्सूस किया ।

ममता वापस से अपना मुह खोलके अपने भैया का लण्ड मुह मे लेने लगी और रज्जो भी वही उसके बगल मे घुटनो के बल होकर उसकी चुचियो को छुने लगी । जिस्से ममता थोडा छटकी मगर उसने मुह से लण्ड नही निकाला और गुउउगुऊऊ करते हुए रज्जो को हटाने की कोसिस करने लगी

लेकिन रज्जो कहा ये मौका छोडती वो तो मस्ती जारी रख्ते हुए ममता के चुचो की घुंडीया घुमाने लगी ,,जिससे ममता के चुत मे खुजली और बढने लगी
माहौल धीरे धीरे मादक हुआ जा रहा था और जैसा कि मानव प्रवृतियो का स्वभाव है वो अक्सर अति मात्रा मे हसी ठिठौली, गहरी रात और सघन भिड़ मे अपने प्रभाव दिखाने लगती है । ठिक आगे वही होने वाला था ।

सारे लोग मस्ती मे थे ,,सब्के हवस की आग बढ रही थी । हर अवसर पर अपनी नगनता को दिखाने मे आतुर हुए जा रहे थे । ऐसे मे बार बर रज्जो द्वारा ममता को छूने पर वो चिहुक उठती और इधर कमलनाथ भी उनमे शामिल हो चुका था
ममता मुह से लण्ड निकालते हुए थोडा खिलखिलाते हुए - भैयाआआ देखो ना भाभी परेशान कर रही है ,,,हा नही तो

कमलनाथ रज्जो को पकड कर अपनी ओर खिच लेता - क्या जान क्यू परेशान कर रही हो उसे ,,,यहा आओ ना

ये बोल के कमलनाथ रज्जो की चुचिया उसके ब्लाउज के उपर से मिज देता है और उसके होठ चूसने लगता है
रज्जो सिस्ककर - सीईई अह्ह्ह्ह वो अकेली मजा लेगी क्या
कमलनाथ मुस्कुरा कर - उसे करने दे ना ,,आ मै तुझे मजा कराता हू

ममता उन दोनो की बात सुन कर मुस्कुराई और वापस अपने काम मे लग गयी
इधर कमलनाथ ने रज्जो का ब्लाऊज खोल कर उसकी चुची को मसलना शुरु कर दिया । जिससे रज्जो कसमसाने लगी । कमलनाथ ने बारी बारी से उसकी चुचिया चूसना भी शुरु कर दी

रज्जो कसमसाते हुए - ओह्ह्ह मेरे राजा उह्ह्ह्ह मुझे भी चुसने दो ना उसको

कमलनाथ मादक होकर उसकी चुचिया मसलता हुआ - लेकिन मुझे तेरे दूध से खेलना है अभी अह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त मुलायम है

रज्जो मुस्कुरा कर - तो ममता को बुला लो ना उपर प्लीज उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह अराआअम्ं से उह्ह्ह्ह


ममता मुह मे लण्ड भरे भरे ही आंखे उपर करके देखती है तो रज्ज्जो सरकते हुर ममता के पास आ जाती है ।
रज्जो उसके सर पर हाथ घुमाते हुए - ममता ,,,जा तेरे भैया बुला रहे है

ममता शर्माती हुई - नहीईई मै कैसे ??? वो मेरे भैयाआआ है और कितना तेजजज नही नही मै नही

रज्जो ममता की बात पूरी होने से पहले ही उसकी कमर से उथाते हुए - लिजिए जी पकड़ीये ,,,बहुत नाटक कर रही है हिहिहिही ,

रज्जो - जा ना ममता , थोडा मेरा भी मन है ना प्लीज

ममता मुस्कुराइ और उठ कर अपने भैया के बगल मे बैठ गयी और बस नजरे निचे किये रज्जो को देखती रही ।

रज्जो ने अगले ही पल अपने पति का लण्ड मुह मे भर लिया और गले तक उतारने लगी
इधर कमलनाथ ने थोडा संकोच और हिम्मत दिखाते हुए ममता की नंगी कमर मे हाथ डाला जिस्से ममता की दिल की धड़कन तेज हो गयी और वो आंखे बंद करते हुए फौरन अपनी कमर को सीधी कर ली ।

कमलनाथ ने ममता की प्रतिक्रिया पर उसे अपने करीब खीचा और सीने से पल्लू हटाते हुए उसकी खुली झुल्ती चुचियो को दबोच लिया

ममता सिसकी - अह्ह्ह भैयाआअह्ह उम्म्ंम्ं

इधर रज्जो ने भी आंखे उपर कर ली तो देखी कि कमलनाथ अपनी बहन के गोरे गोरे मोटे मोटे चुचो को दुह रहा है और एक का निप्प्ल चाट रहा है ,,,प्रतिक्रिया स्वरूप ममता पागल हुई जा रही थी

रज्जो ने कुछ सोचा और धीरे से उसने कमलनाथ का लण्ड छोड कर ममता के बगल मे आगयी और उसने भी अपना मुह उसकी दुसरी चुची पर लगा दिया ।

ममता एक नयी बेकाबू उत्तेजना से भर गयी ,,, क्योकि अब उसके भैया भाभी दोनो मिल कर उसकी चुचिय चूसे जा रहे थे । एक मे मरदाना अहसास तो एक मे मुलायम होठो का स्पर्श

ममता - अह्ह्ह भाभीईई येहहहह अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह भैयाआह्ह आराम से उन्म्ंमम्मं सीई उह्ह्ह

रज्जो वही तक नही रुकी थी उसके हाथ ममता के साड़ी मे भी घुसे हुए थे और चुत की ओर बढे जा रहे थे ।
इधर ममता अपने भैया का लण्ड खुला पाकर अपने हाथ उस्पर ले गयी और उसे भीचना शुरु कर दिया ।

रज्जो की नजरे ममता की सारी क्रियाक्लापो पर जमी थी ,,, इधर जैसे ही उसने ममता को उसके भैया का लण्ड पकडते देखा फौरन एक ऊँगली को उस्क्की पिच्पीचाती चुत मे पेल दिया

ममता की आंखे फैल गयी और उसके चुचो मे फुलाव बढ गया । जिससे रज्जो और कमलनाथ की नजरे आपस मे टकराई । फिर रज्जो ने अपने पति को आगे बढ़ने के लिए बोल दिया ।

योजना के तहत कमलनाथ ने ममता की चुचियो को छोड दिया ,,लेकिन रज्जो ने बराबर ममता पर पकड बनाई रखी और धीरे धीरे उसने ममता को अपनी ओर खींचना शुरु कर दिया । फिर उसने ममता को अपनी गोद मे लिटा लिया

इधर कमलनाथ ने अपना पोजीशन तय किया और ममता के एक पैर को उठा कर सोफे पर रखा ।
रज्जो ने अब अपना हाथ ममता की साडी ने निकाल दिया लेकिन साथ ही उसकी साड़ी को जांघो तक ले आयी थी । वो ममता को अप्नी गोद मे लिताये उसकी दोनो चुचिया मिजे जा रही थी और उसे एक बहकावे मे रखे हुए थी ।

उधर कमलनाथ बडी चालाकी से अपनी बहन के जांघो को खोल चुका था ,,,इधर जब ममता को अपने पोजीशन का अहसास हुआ तब तक देर हो चुकी थी,,,क्योकि कमलनाथ का लण्ड उसकी चुत के मुहाने पर था

इधर उसकी आंखे खुली और कमलनाथ ने वही खचाक से लण्ड एक ही बार मे उसकी बुर मे उतार दियाआ

ममता चीखी - सीई अह्ह्ह भैयाआआ ऊहह ये क्याआ कर रहे अह्ह्ह अन्हीईई उह्ह्ह दर्द हो रहा है अह्ह्ह

रज्जो ने झुक कर उसके होथो से होठ जोड दिये और फिर धीमे से बोली - अब नाटक ना कर ,,,ये ही चाह रही थी ना

ममता शर्मायी और मुस्कुराते हुए रज्जो ने पेट मे सर छिपाने लगी

इधर कमलनाथ अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा

रज्जो बेशरमी से - क्या जी आप तो बडे वो हो ,,मेरे साथ करते हुए मुझे इतना दर्द देते है और अपनी बहन के लिए धीरे धीरे

ममता शर्माते हुए -क्या भाभी आप भी ना सीई अह्ह्ह धत्त देखा आपकी वजह से भैयाआह्ह्ह मुझेहह भीईई अह्ह्ह्ह सीई ओह्ह्ह्ह भैआआआ ओह्ह्ह माआ ओह्ह्ह्ह

रज्जो ह्स्ते हुए - हा ये हुई ना बात ,,अब बने हो पक्के वाले बहिनचोद हिहिहिही

कमलनाथ ने कोई प्रतिक्रिया नही दी बस अपने धक्के तेज करता हुआ मुस्कुरा रहा था ।

रज्जो उसे चढाये जा रही थी - हा ऐसे ही फाडो अपनी बहिन की चुत ,,ना जाने कितनो को दे चुकी है लेकिन अपने भैया को ही तरसा रखा था इसने। क्युउउऊ ममता बोल ,,,

ये बोल कर रज्जो ने वापस ममता ने निप्प्लो को मरोडा
रज्जो - क्यू मजा आ रहा है ,,बोल

ममता शर्माते हुए हा मे सर हिलाने लगी तो रज्जो हस कर - हे रुको जी ,,, इसे मजा नही आ रहा है रहने दो

ममता - अरे नही नही आ रहा है भाभी
रज्जो अपने हाथ आगे बढाते हुए उसकी चुत पर घुमाने लगी - तो बता ना अपने भैया को कि उनसे चुदवा कर मजा आ रहा है

एक तरफ कमलनाथ के ताबड़तोड़ धक्के और उपर से चुत के दाने पर रज्जो की ऊँगली
ममता - अह्ह्ह्ह हाआ हाआ भाभीई बहुउउऊत्त मजा आ रहा है अह्ह्ह भैययाआ उह्ह्ह्ह

रज्जो भी अपनी उन्गलीया तेजी से ममता के चुत पर घुमाते हुए -बोल ना अपने भैया से कि मुझे भी भाभी की तरह चोदो कस कस के

ममता सिस्क्ते हुए तेज आवाज मे - अह्ह्ह भैयाआआह्ह्ह मुझे भीईई भाआअभीईई कीई तरह कास्स्स कस्स्स के चोओओदोहह नाअह्ह उम्म्ं ओह्ह्ह मा मै आ रहा रही हुउऊ ओह्ह्ब अह्ह्ह ऐसे ही भैया ओह्ह्ह्ह मा

इधर ममता अपनी गाड फेकने लगी और तेजी से कमलनाथ ने लण्ड पर झड़ने लगी
अपनी बहन को झड़ता पाकर कमलनाथ भी अपने गति बढा दी

इधर ममता झड़ते हुए अपनी चुत के छल्ले को कसने लगी जिसका असर कमलनाथ पर हो रहा था और वो भी झड़ने के करीब था

कमलनाथ ने अपनी गति सामान्य की और फटाफट अपना लण्ड निकाल कर ममता और रज्जो के पास आया

वो तेजी से अपना लण्ड ममता के मुह के सामने करके हिलाने लगा और अगले ही पल पिचकारी छूटी

कमलनाथ अपने लण्ड का मुहाना ममता की ओर किया और कसमसाया - अह्ह्ह्ह ममताहहहह ले मेराआह्ह्ह सीई ओज्ज


ये बोलते हुए कमलनाथ ने 3 बार तेज मोटी गाढी पिच ममता के मुह पर मारी और तुरंत अपना लण्ड रज्जो के मुह मे पेल दिया
जिस्से रज्जो ने अच्छे से निचोड लिया वही ममता ने भी अपने हिस्से की मलाई साफ कर ली
थक कर कमलनाथ रज्जो एक पैर के पास सोफे से सट कर फर्श पर बैठ गया और ममता के सीने पर सर रख लिया


ममता थोडा हसी और अपने भैया के सर मे हाथ घुमाने लगी ।

रज्जो मजे लेते हुए -अरे आप तो अभी से थक गये ,,,मेरा तो बाकी है अभी
कमलनाथ रज्जो की जान्घे सहलाते हुए - अभी रात बाकी है मेरी जान ,पूरी रात तेरे साथ ही तो काटनी है

ममता इतने पर तुन्की- और मै ,,मुझे भूल गये क्या

कमलनाथ उसकी गोरी चुचिया पकड कर सहलाते हुए - तुझे कैसे भूल जाऊंगा मेरी लाडो रानी ,,, तेरे लिए ही तो ये सारा खेल हुआ है

ममता इतराते हुए - ह्न्म्म्ं मुझे लगा ही था कि इसने जरुर कोई योजना है हिहिही

कमलनाथ - तुझे पसंद आया
ममता शर्मा कर हा मे सर हिला दी ।

कमलनाथ - तो एक बार हो जाये
रज्जो इतने पर टोकते हुए - अच्छा मै बोली तब मना कर दी ,,और बहन को खुद की ओर से ऑफ़र दिया जा रहा है ,,, पक्का बहिनचोद ही हो गये हो आप तो हिहिहिही

ममता ह्सते हुए - नही नही भईया अभी वो आते होंगे बाजर से ,,,हम लोग रात मे करे और अभी तो मै हू ही यहा शादी तक हिहिही

ममता की बात पर दोनो मुस्कुराये और रात के लिए योजना बनाते हुए कपडे पहनने लगे ।
रात की योजना बनाने वाले सिर्फ यही नही थे ,,, पल्लवि अनुज के साथ साथ राजन ने भी रज्जो और कमलनाथ के साथ मस्ती करने की फिराक मे थे ।

थोड़ी देर बाद वो तीनो निचे आये जहा राजन बाजार से आ चुका और फिर दोनो लेडिस किचन मे बिजी हो गयी ।

राजन - अरे भाईसाहब आपका दर्द कैसा है अब ,, कुछ आराम हुआ
चुकी कमलनाथ को रात मे अपनी बहन और रज्जो दोनो को चोदना था तो उसने पहले से तय किया हुआ ही जवाब राजन को दिया
कमलनाथ - हा थोडा बहुत आराम तो है

राजन कमल्नाथ के करीब आ कर थोडा हस्ता हुआ - तो आज रात मे भाभी जी के साथ वाला प्रोग्राम रहने दिया हिहिहिही

कमलनाथ मुस्कुराया - अब मुझे तो यही उचित लग रहा है राजन ,,, क्योकि कल सुबह मंडी भी जाना और रज्जो भी बिजी है इस समय शादी भी नजदीक आ गयी है ना

राजन - कोई बात नही भाईसाहब,,ये सब तो चलता ही रहेगा । हा कोई काम हो मेरे लायाक तो जरुर बताये

कमलनाथ कसमसा कर - नही मुझे नही लेकिन वो रज्जो बोल रही थी उसे कुछ मिठाईया बनानी है प्रसाद के लिए तो उसमे ममता की मदद लगेगी

राजन - अरे भाईसाहब कैसी बात कर रहे है आप ,,वो आपकी बहन इसमे मुझसे पूछने वाली बात कैसी है और फिर यहा हम लोग काम के लिए आये है ना

कमलनाथ हस कर - अरे भई तुम तो रज्जो की चंचलता जानते ही हो ,,,कह रही थी कि नंदोई जी बोल देना कि अब से शादी तक अकेले ही सोने की आदत डाल ले हिहिहिही बस वही बात थी

राजन हस कर - हिहिही ये भाभी जी भी ना ,,अरे बस आज रात की बात है कल से वैसे भी हम मर्दो को ठिकाना यही निचे हो जायेगा हाहाहहा

कमलनाथ - हा भाइ वो तो है हिहिहिही
इधर इनकी बाते जारी रही लेकिन राजन को टीस सी हुई कि अब कुछ दिनो तक उसे बिना चुत के गुजारा करना पडेगा ,,फिर उसने ये सोच कर खुद को तसल्ली दी चलो जैसा भी हो एक हफ्ते जम कर मजे कर लिया वो थोडा दिन रूखा ही सही ।

खैर राजन ने तो संतोष कर लिया लेकिन उसका क्या जिसने पहली बार अपनी जवानी का अनुभव लिया था ,,,वो तो दुकान पे बैठा हुआ पल्लवि के ख्वाब में गुम था ।
मन ही मन रात के हसिन पलो को याद करके राज मे पल्लवि के साथ कुछ अपने पैतरे आजमाने की कोशिस मे था ।
खैर रात हुई और सारे लोगो खाने के बैठ गये

इधर खाने के दौरान मिठाईयों बनवाने पर चर्चा थी तो पल्ल्वी और अनुज भी सतर्क थे कि उन्हे कब अपने हिसाब से काम करना है ।

समय बिता इधर कमलनाथ थोडी देर तक राजन के साथ उसके कमरे मे ही बैठा और फिर सोने का बोल कर अपने कमरे मे चला गया ।
वही राजन भी क्या करता दिन भर की भाग दौड़ का थका था और आज ममता की चुत भी उसके नसीब मे नही थी इसिलिए कुछ समय मे वो भी सो गया ।

रात मे 10 बजे तक ममता और रज्जो ने अपना काम खतम करके उपर कमलनाथ के पास चली गयी ।

इधर 10 बजे तक पल्लवि ने कभी पानी के बहाने तो कभी बाथरूम के बहाने दो बार बाहर निकाली और जब उसने देखा कि रज्जो ममता उपर जा चुकी है त उसने साढ़े दस बजे तक पल्लवि ने सोनल के सोने का इन्तेजार किया और वो भी अनुज के पास चली गयी ।

रात मे अनुज ने दो बार पल्लवि को पेला और उसे वापस कमरे मे भेज दिया ।
वही उपर के कमरे मे कमलनाथ ने रज्जो के साथ मिल कर ममता को बहुत मजे से चोदा । और दोनो की गाड़ मे लण्ड भी डाला ।

सुबह होने से पहले ममता अपने कमरे मे चली गई और राजन से लिपट कर सो गयी ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है रज्जो कीऔर ममता की कमलनाथ ने आगे पीछे से दमदार चूदाई की है अनुज ने भी पल्लवी की दो बार चूदाई कर ही दी मजा आ गया
 
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