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Incest ससुर बहु की रासलीला

Alok

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अब केवल एक ही काम है पद्मनी को बस चुदाई चुदाई चुदाई

बहुत ही मज़ेदार अपडेट जूही जी।
 

juhi gupta

Member
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पदमिनी के साथ सुहागरात की ये पहली रात और पहली सुबह थी। पदमिनी की चूत इतनी प्यारी थी की मेरा मन करता रहता था की में इसे या तो चाटता रहु या इसमें अपना लंड घुसाता रहू ,पदमिनी नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी और में अपनी तक़दीर पर रश्क करने लगा की उसने पदमिनी जैसी खूबसूरत लड़की मेरी जिंदगी में भेजी हे जिसने मुझे ऐसे मजे दिए हे जिसकी में कल्पना भी नहीं कर सकता था।
मेने उसे पहले से ही बोल दिया था की वो बिना कपड़ो के और बिना अपने बदन को पोंछे बाहर आएगी....अब में अपने हाथ मे खड़ा लंड लेकर पदमिनी के निकलने का इंतजार करने लगा..आज में उसकी चूत का कीमा बना देना चाहता था..जैसे उसकी चूत को कूटकर में उसे इतनी सेक्सी लड़की होने का इनाम देना चाहता था

अब मुझ से सहन नही हो रहा था, मेने दरवाजा खड़काया : "पदमिनी ...क्या कर रही हो...जल्दी बाहर आओ...''

अंदर खड़ी हुई पदमिनी अपनी चूत पर एक बार और हाथ फेर रही थी...उसकी चूत भी तो सुबह से इतनी बार गीली हो चुकी थी,मेरे साथ आज जो कुछ भी हुआ था, उसे सोचकर उसके बदन मे अभी तक रोमांच की ठंडक दौड़ रही थी..

कुछ ही देर मे उसने दरवाजा खोल दिया और बाहर निकल आई..

पदमिनी को ऐसी हालत मे देखकर मेरा लंड पदमिनी की लदी हुई जवानी के गुणगान करने लगा..

पदमिनी ने आज मेरे द्वारा लाई हुई एक सेक्सी ब्रा पेंटी का सेट पहना हुआ था, और सिर्फ़ अपनी ब्रा पेंटी मे ही बाहर निकल आई..

में सिर्फ़ अपनी सैंडो मे था और अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर हिला रहा था..जैसे में पदमिनी का ही इंतजार कर रहा हो की कब बाहर निकले और उसकी चूत मे अपना लंड पेल दे..

दोनो के जिस्म बुरी तरह से सुलग रहे थे.....अब समय था दोनो जिस्मों मे लगी हुई आग को बुझाने का..एक दूसरे से रगड़ कर..

दोनो एक दूसरे के गले से ऐसे चिपके जैसे बरसों के बिछुड़े प्रेमी हो..मेने अपनी पदमिनी को बेतहाशा चूमना और मसलना शुरू कर दिया..

पदमिनी ने तो सोचा था की बाहर निकल कर मेरे को अपने जिस्म के जलवे दिखा कर पहले तो थोड़ा तरसाएगी, फिर धीरे-2 आराम से मेरा लंड चूसेगी और अपनी चूत भी चुस्वाएगी...पर मेने ने सब गड़बड़ कर दिया था, उसे क्या पता था की में पहले से नंगा खड़ा होगा और उसपर एकदम से झपटकर सारा प्लान बिगड़ दूंगा

कभी-2 इंसान चुदाई के प्लान तो काफ़ी बड़े-2 बनाता है, पर जब करने की बारी आती है तो सब अपने हिसाब से ही होता चला जाता है.

यही हो रहा था आज पदमिनी के साथ भी..पलक झपकते ही उसकी ब्रा पेंटी ज़मीन पर थी और वो पूरी नंगी होकर मेरी बाहों मे मचल रही थी..

में भी पूरा नंगा हो चुका था, मेने पदमिनी को धक्का सा देकर अपने पैरों मे बिठा लिया और उसे लंड चूसने के लिए बोला..वो अपने लंबे बालों को संभालती हुई अपने घुटनो के बल बैठकर मेरे लंड को चूसने लगी..

उसके गर्म मुँह मे अपना लंड जाते ही मेरा मुँह उपर की तरफ हो गया और में उसके रेशमी बालों मे हाथ फेरते हुए अपनी आँखे बंद करके पद्मिनी के बारे मे सोचने लगा..
पदमिनी की चूत मे से पानी रिस रहा था और नीचे ज़मीन पर उसके रस की बूंदे गिरने लगी...वो आज अपनी पसंद का एक काम तो करना ही चाहती थी..उसके लिए मेरे झड़ने से पहले वो उसे बिस्तर पर ले जाना चाहती थी..

पदमिनी ने एकदम से मेरा लंड अपने मुँह से निकाला औरमुझे पीछे की तरफ धक्का देते हुए बेड पर गिरा दिया..ये मेरे पर ज़बरदस्ती करने का उसका पहला मौका था, उसने आज तक मेरे कहे अनुसार ही काम किया था, में जिस आसन मे उसे चोदना चाहता था, वो उसी आसन मे मेरे कहे अनुसार आ जाती थी..में कहता तो मेरी दासी बनकर मेरा लंड चूसती , में कहता तो कुतिया बनकर अपनी गांड पीछे कर देती..में कहता तो अपनी टांगे फेला कर उसके सामने लेट जाती और में कहता तो उछलकर मेरे खड़े हुए लंड के उपर बैठकर उछल कूद करती..मैंने उसके उरोजों को भींचते हुए उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया। आह … उंह और फच्च-फच्च का मधुर प्रेम संगीत सितार की तरह बजने लगा। पद्मिनी हौले हौले अपने नितंबों को उठाकर मेरे धक्कों की ताल में अपना सुर और लय मिलाने लगी और फिर उसने अपने दोनों पैर ऊपर उठाकर मेरी कमर पर कस लिए।
चुदवाने के मामले में पद्मिनी का कोई जवाब नहीं है। वह मर्द को कैसे रिझाया जाता है, बखूबी जानती है। उसकी चूत की अदाएँ, दीवारों को सिकोड़ना और मरोड़ना चुदाई के आनंद को दुगना कर देता है। आज भी उसकी चूत किसी नवयुवती की तरह ही है।
अन्दर बाहर होते मेरे लंड को जिस प्रकार वह अपनी चूत में भींच रही थी, मुझे लगता था कि मैं आज जल्दी झड़ जाऊँगा पर मैं ऐसा कतई नहीं चाहता था। मैं आजपदमिनी को लंबे समय तक रगड़ने के मूड में था।लेकिन वो उठ गयी

आज ये पहला मौका था जब वो मेरे से कुछ करवाना चाहती थी..में भी हैरान था की आज पदमिनी को ये क्या हो गया है..पर में चुप रहा ,क्योंकि उत्तेजना का आवेग ही इतना अधिक था की उस समय तो कुछ भी करवा लो, वो मना नही करता..

मेरे लेटते ही पदमिनी उछल कर बेड पर चड गयी और उसके शरीर के दोनो तरफ पैर करके खड़ी हो गयी....मेरे लंड के उपर पदमिनी की चूत थी..मेने सोचा की शायद वो उसके उपर बैठ जाएगी..पर ऐसा नही हुआ..और वो थोड़ा आगे की तरफ खिसक आई...पर आगे आने से पहले उसकी रस टपकाती चूत से एक और मीठे पानी की बूँद निकल कर नीचे गिरी और वो सीधा मेरे खड़े लंड से जा टकराई...मेरा पूरा शरीर झनझना सा गया, मेने वो पानी अपने लंड के उपर चोपड़ लिया..फिर धीरे-2 चलती हुईपदमिनी मेरे चेहरे के बिल्कुल उपर आकर खड़ी हो गयी...और उसके शरीर की थिरकन से हर बार एक बूँद निकल कर झटके से नीचे भी गिर जाती, इस तरह से मेरे शरीर पर लंड से लेकर गर्दन तक एक गाड़े और मीठे रस की लकीर सी बन गयी....

अब पदमिनी की चूत की फांके बिल्कुलमेरे चेहरे के ऊपर थी...मुझे उसकी चूत ऐसे दिख रही थी मानो दो दरारों के बीच से पानी रिसकर गिर रहा हो..पदमिनी का दिल ज़ोर से धड़कने लगा..इस पोज़ के लिए वो काफ़ी समय से तरस रही थी...और अब वो करने जा रही थी,ये सोचकर उसकी चूत मे लगी टूटी और तेज़ी से अपने अंदर का पानी बाहर फेंकने लगी..और टप -2 करते हुए मेरे चेहरे पर जैसे उसके रस की बारिश सी होने लगी..एक ही पल मे मेरा चेहरापदमिनी के रस से भीगकर पूरा गीला हो गया..आज कुछ अलग ही स्वाद लग रहा था उसकी चूत का , इसलिए में भी चटकारे ले -लेकर उसका रस पीने लगा..

और फिर मेरी आँखों मे देखते हुए पदमिनी ने धीरे-2 नीचे झुकना शुरू किया,और जैसे ही वो सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर रह गयी,मेने अपनी लंबी और गर्म जीभ बाहर निकाल ली और उसकी चूत के अंदर घुसेड डाली..

''अहहssssssssssssssssssssssss .......... उम्म्म्मममममममम ......येसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्सस्स्स्स्स्स्स ''

पदमिनी धम्म से अपने शरीर के समेत मेरी खड़ी हुई जीभ के उपर बैठ गयी..जीभ तो पता नही कहाँ तक गयी,मेरे होंठ भी उसकी चूत के अंदर फंसकर गायब से हो गये..

बस फिर क्या था, पदमिनी ने अपना मोर्चा संभाला और रोड आयरन से बने बेड के सरिऐ को पकड़ कर मेरे चेहरे पर अपनी चिकनी चूत को रगड़ने लगी...

पदमिनी ने भी आनंद से अपनी आँखे बंद कर ली और उसके मुँह से उत्तेजना वश निकल गया : "अहहssssssssssssssssssssssss ....पापा ......चूसो इसको....''

उसकी आवाज़ इतनी धीमे थी की में सुन नही पाया, पर आज पहली बार पत्नी बनने के बाद चुदाई के समय उसको कुछ बुदबुदाते हुए देखकर में काफ़ी खुश हुआ, .इसलिएमें उसको उकसाने लगा..

"पदमिनी ...ज़ोर से बोलो....क्या बोल रही थी....बोलो ना...''

मेने अपनी जीभ से उसकी चूत और गांड एक ही बार मे चाटते हुए कहा.

...वो उसी टोन मे ज़ोर से बुदबुदाई : ""अहहssssssssssssssssssssssss .... पापा ......चूसो इसको...


अब वो अपनी चूत वाले हिस्से को मेरे चेहरे पर बुरी तरह से घिस कर ज़ोर-2 से चिल्ला रही थी : "आआआआआआअहह पापा ........सकककककक करो......अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ज़ोर से ........ उम्म्म्मममममममम ......यस ..................ऐसे ही...... ओह.... तुम्हारी जीभ कितनी अच्छी लग रही है अंदर जाकर .......अआआआहह.... काटो मत प्लीस...... अहह....मेरी क्लिट ......येस .....इसको पकड़ो .....होंठों से ......जीभ से कुरेदो .....अहह ऐसे ही ..... ओह ...पापा र......... माय लाइफ ........उम्म्म्मम......आई एम कमिंग...''

और एक जोरदार झटके के साथ उसकी हांड़ी मे से गरम-2 शहद निकल कर मेरे मुँह मे जाने लगा..पदमिनी के शरीर के हर जर्क के साथ कुछ बूंदे निकल कर नीचे जाती, जिसे में बड़े चाव से निगल जाता..

अब बारी थीमेरी ...मेने पदमिनी की मोटी-2 जांघे पकड़ी और उसे बेड पर चित्त कर दिया और एक ही झटके मे उसके उपर सवार हो गया..पदमिनी अपने झड़ने का स्वाद अभी तक ले रही थी और उसकी आँखे बंद थी, मेने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और अपने हाथ से लंड पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक आगे की तरफ झुकता चला गया..पदमिनी की एक टाँग मेरे नीचे थी और दूसरी उसकी खुद की छाती से आ लगी...और साथ ही साथमें भी पूरा उसके अंदर दाखिल हो गया..

''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्पापा , चोदो मुझे आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से ''ऐसे ही मेरे मम्मो को मसल मसल कर मुझे चोदो। कस कस कर चोदो मुझे,उफ्फ्फ्फ़......मारो......और ज़ोर ज़ोर से मारो.......हाय चोदो मुझे जितना चाहे चोदो..........पूरा लौड़ा पेलो.........आआईईईईई...

इतने अंदर तक चुदने का ये हमेशा का एहसास था उसका..आज तक इतनी गहराई मे कभी नही डूबा था में ..पदमिनी भी उसके आनंद सागर मे गोते लगा-लगाकर अपनी इस उपलब्धि का मज़ा लेने लगा..

कभी में झुकते हुए उसके होंठों को चूम लेता और कभी नीचे झुकते हुए उसके स्तनों को काट लेता..कभी उसके मांसल चूतड़ों पर चांटा मारता
एक झटके मे, में अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहा था..और फिर जब वो समय निकट आया जब में समझ गया की अब और नही रोक पाएगा तो मेने पदमिनी की टाँग छोड़ दी और उसके दोनो हाथों पर हाथ रखकर ज़ोर-2 से झटके मारने लगा..


और उसके हिलते स्तनों और लरजते होंठों को देखते हुए मेने अपना लंड एकदम से बाहर निकाला और पदमिनी के चेहरे से लेकर उसकी नाभि तक हिस्से को बर्फीली चादर से ढक दिया

''आआआआआआआअहह ............पदमिनी .........मैं तो गया.......''

और में उसके उपर गिरकर ज़ोर-2 से हाफने लगा.



हम दोनो अलग हुए और दोनो बाथरूम मे गये और अपने अंगों को सॉफ किया..वापस रूम में आते ही

फिर पदमिनी नंगी ही आकर मेरे बदन से लिपटकर लेट गयी
अपनी नंगी चूत पर उसे मेरा खड़ा हुआ लंड सॉफ महसूस हो रहा था..उसने नीचे मुँह करते हुए अपने गीले होंठ मेरे उपर रखे और उन्हे चूसने लगी..

''अहह ..... उम्म्म्ममममम .... पूचsssssssssssss .पूचssssssssssssssss ....आह ....''

में भी पदमिनी को ऐसे ही चूमता और चूसता हुआ बेड पर लेजाकर उसने उसे पीठ के बल पटक दिया...

अब मेने गोर से पदमिनी के नंगे बदन को देखा...वो सफेद चादर पर मछली की तरह मचल रही थी...अपनी उंगलियों को अपने पूरे शरीर पर फिरा रही थी...अपनी चूत को मसल रही थी...और अपने निप्पल्स को उमेठ रही थी..

पदमिनी : "आओ ना......अब और कितना तड़पाओगे ......जल्दी आऔ अब....''

..
''आयययययययययययययययययययययीीईईई......................... अहह ................ उम्म्म्ममम ममममममममममम ..... चूसो इसको .................जीभ से चाटो .............''



में तो पदमिनी की चूत के अंदर पूरा डूब सा चुका था...उसके नीचे के गुलाबी होंठों को चूस-2 कर उसने लाल कर दिया..

और पदमिनी बुरी तरह से चीखती चिल्लाती हुई सी मेरे सिर पर हाथ रखकर मुझे और ज़ोर से चूसने की दावत दे रही थी.

कुछ देर के बाद पदमिनी की चीख से भरी सिसकारियों में बदल गयी और उसकी चूत से भर भराकर गाड़े रस की बोछार बाहर निकल पड़ी..

''अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स्स ....पापा .................. उम्म्म्मममममममम ...आई एम कमिंग......''

और वो निढाल सी हो गयी
अब बारी थीमेरी ...में ऐसे ही उपर बेड पर चड़ा और अपने लंड को पदमिनी के मोटे-2 मुम्मों के बीच फँसा कर उन्हे टिट फकिंग करने लगा...लेकिन पद्मिनी उठी और बोली मुझे जोर से सु सु लगी में में वाशरूम जाकर आती हु मेने कहा एक बार फिर से अपने बदन पर पानी डाल लेना

अपने बदन को शावर जैल से मसलने के बाद पदमिनी ऐसे ही भीगी हुई सी बाहर निकल आई, उसके नंगे बदन से पानी की बूंदे बहकर नीचे गिर रही थी और कारपेट को भी गीला कर रही थी


मेने सिगरेट सुलगा ली और दूसरे हाथ मे पेग पकड़ लिया और पदमिनी से बोला : "अब मेरे पास कुतिया की तरह चलती हुई आओ ''

पदमिनी ने मेरे को ना कहना तो सीखा ही नही था अब तक, और वैसे भी, सेक्स के मामले मे वो अब इतना खुल चुकी थी की उसे भी मज़ा आने लगा था ऐसी हरकतें करने मे..

वो अपने घुटनो के बल बैठ गयी और हाथों को आगे रखकर धीरे-2 चलती हुई मेरी तरफ बढ़ने लगी.

उसके उरोजों पर अटका हुआ पानी, इकट्ठा होकर उसके निप्पल्स तक जा रहा था और बूंदे बनकर नीचे गिर रहा था, जैसे मोटी तोप से छोटे-2 पानी के गोले निकल रहे हो.
उसके पास आते हीमेने अपने पैर की उंगलियों से उसके चेहरे की बूँदो को मसलना शुरू कर दिया और फिर उसके होंठों के अंदर अपना अंगूठा डाल दिया, जिसे वो बड़े भयानक ढंग से चूसने लगी, जैसे वो पैर का अंगूठा ना हो उसका लॅंड हो.

फिर अपने गीले अंगूठे को में पदमिनी के मुम्मों तक ले गया और उसके निप्पल को अंगूठे और उंगली के बीच फँसा कर नीचे की तरफ खींच दिया.

पदमिनी दर्द से कराह उठी : "अहह उम्म्म्मममम ''..

पर साथ ही उसकी चूत से भी गर्म हवा के भभके निकलने लगे..

मेरा लॅंड उसके पेट पर ठोकरे मार रहा था, मेने उसे आँखो से इशारा किया तो वो झपटकर उपर आई और मेरे लॅंड को अपने मुँह मे लेकर उसका रस पीने लगी.

आज तो वो ऐसे बिहएव कर रही थी जैसे वो उसके लॅंड को उखाड़ कर खा जाएगी

झटके लगने से मेरा पेग भी छलक रहा था

मेने गिलास और सिगरेट को साईड मे रखा और फिर दोनो हाथों से उसके बालों को पकड़कर ज़ोर-2 से अपने लॅंड के उपर मारने लगा

और जब मुझे लगने लगा की अब में ज़्यादा नही रोक पाएगा तो मेने अपना लॅंड छुड़ा लिया और पदमिनी को अपनी गोद मे खींच कर उसकी चूत के अंदर अपना लॅंड पेल दिया

वहीं सोफे पर बैठे -2 में पदमिनी को अपनी गोद मे बिठा कर चोदने लगा,वो कहने लगी ओह्ह्ह गॉडडडडड........ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्............पेलो......कस कस कर अपना लण्ड पेलो। ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ ऐसे ही चुदवाने के लिए में तड़फती थी। और ज़ोर से......और ज़ोर से......हाययययययय......ऊउन्ननगहह्ह्ह् मेरी चूत.....मेरी चूत......चोदो मुझे.साले बहनचोद.. साले आराम से चोद भोसड़ी के.. अह.. कोई पापा इतनी बेहरमी से अपनी बहु की चुदाई करता है क्या.. अह.. जरा आराम से बहु चोद.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही.. ऊऊह साले आऐईईए.. मार दिया.. बहन के लंड.. तूने आह्ह..साले मादरचोद मारोगे क्या बहन के लौड़े.. रुक जा साले,तेरी मां की चूत साले.. मर गई.. कुत्ते
कुछ देर चूत का मजा लेते-लेते उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मुझसे एकदम से चिपक गई।वो कहने लगी भैया मुझमे समा जाओ, रोज़ चोदना मुझे, भर दो मेरी चूत अपने लंड से
मेने पदमिनी के दहकते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए ...और उसे चूसने लगा...इतने मुलायम होंठों को चूसकर उसकी जन्म -2 की प्यास बुझ गयी ...उसके मेरे हाथ उसके मोटे-2 मुम्मो पर फिसलने लगे ..और उन्हे मसलने लगे ...
में ज़ोर-2 से चूसने लगा उसके मुम्मों को ...

पदमिनी कराह उठी मेरे जंगलिपन से .... मेने ने उसके निप्पल को अपने दांतो से काटकर उसे ज़ख्मी सा कर दिया ..

''अहह .....पापा .......धीरेएरए .............. उम्म्म्मममममम .....दर्द हो रहा है ...........अहह ......आराअम से करो ................मैं कर तो रही हू ................अहह ....''
पर में कहाँ मानने वाला था ....मेने पदमिनी को बेड पर लिटाया और उसकी टाँगो को दोनो दिशाओं मे फैलाकर अपना सिर अंदर झोंक दिया....

एक घंटे से चुदाई के लिए मचल रही गीली चूत मे जब जीभ जाती है तो क्या हाल होता है, ये आज पदमिनी को अच्छी तरह से पता चल गया ...

उसकी लबाबदार चूत मे से रसीला पानी बह-बहकर नीचे तक जा रहा था ...जिसे में किसी जंगली कुत्ते की तरह अपनी जीभ से सड़प -2 कर चाटे जा रहा था ...

पदमिनी नेमेरे बालों को पकड़ कर पीछे करना चाहा पर वो ना कर पाई...उसके पैने दाँत और खुरदूरी जीभ ने उसकी चूत के फुव्वारे को चालू कर दिया था ..जिसमे से मीठा पानी निरंतर निकल कर बाहर आ रहा था . में चिल्ला रहा था “तेरी सैक्सी चूत को चोद - चोद कर भोंसड़ा बना दूंगा और गाँड तो ऐसी मारूंगा कि दो हफ्ते तक उसमें से मेरा वीर्य टपकेगा !” ।पदमिनी भी

“अह्ह्ह्हह्ह.. उम्म्ममम्म.. जालिम, अब चोद भी दे मुझे.. अह्ह्हह्ह्ह्ह…
.हाये हाये अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… हरामजादे, भेन के लोड़े, ममममम…. चाट मेरी चूत, सारा पानी पी जा भोसदि वाले, अह्ह्ह्हह्.. उम्मम… उई

मेने पदमिनी को बेड पर बिठाया और उसके बालों को बेदर्दी से पकड़कर अपना लंड उसके मुँह के अंदर उतार दिया...

पदमिनी भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी ...अपनी चूत को मिले मज़े का बदला उतारने का वक़्त अब आ चुका था ...उसने अपना पूरा मुँह खोला और मेरे लंड को बड़ी कुशलता के साथ किसी रंडी की तरह पूरा का पूरा अपने मुँह के अंदर उतार लिया.

और उसकी बॉल्स को सहलाती हुई उसका लंड चूसने लगी ..

जैसे ही मेरे को लगा की में झड़ने वाला हु मेने अपना लंड बाहर खींच लिया और फिर से पदमिनी को लिटा कर उसके उपर आ गया ...और उसकी आँखो मे देखते हुए अपना हथियार उसकी गुफा मे उतार दिया ...

वो धीरे-2 अंदर जा रहा था ..औरपदमिनी ज़ोर-2 से सिसक रही थी ..

और उसके बाद तो में ने ऐसे झटके दिए उसकी चूत के अंदर कीपदमिनी का पूरा फर्नीचर हिल गया ...उसके हर झटके से उसकी छातियाँ उपर उछलती और फिर नीचे आती ...

वो बुरी तरह से चिल्ला रही थी,तेरी मां की चूत ... भोसड़ी वाले ... दे लौड़ा ... मार दे मेरी ...
मादरचोद... दे ... और दे ... लगा जोर, फ़ाड़ दे मेरी, तेरी भेन को लण्ड
मारूँ ...ईइह्ह्ह्ह्ह्... दे ... जोर से मार !"ओह..चो..चोद मुझे..फाड़ दे मेरी चूत को,


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा …… येस्स्स्स्स ……… और जोर से करो …… आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म उह्ह्ह्न्न उह्ह्हन्न्न्न हां हां अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मर गयी , चोदो , और तेज मारो …… ''अहह पापा .................. डाल दो पूरा अंदर ...... हाआआआआ ......उम्म्म्मममममम ......... आई एम लविंग .................. यूर कॉक ...................... अहह ....इट्स सओओओओ बिग .................... उम्म्म्मममममममम ............ फाड़ डालो मेरी चूत को ................अहह चोदो अपनी बहु को .................. अहह ...ऐसे ही .....................ओह ..एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .............. उम्म्म्ममममममममम.. में स्पीड से चोदते हुए चांटे पे चांटे मारने लगा और पदमिनी की गाँड़ लाल हो चुकी थी..मेरे साथ झड़! हाँ पदमिनी ! आजा! शाबाश हरामजादी! क्या गरम चूत है! कुर्बान जाऊ!


और अंत मे जब में झड़ने लगा तो पदमिनी ने मेरी कमर पर अपनी टांगे लपेट ली....और दोनो एक दूसरे को स्मूच करते हुए झड़ने लगे ...

दोनो के आनंद की चरम सीमा मिल चुकी थी एक दूसरे को .
 

Alok

Well-Known Member
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जूही जी पद्मिनी की कितनी चुदाई करवाओगे।।

अब कुछ तो नया करो।
 
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