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Incest ससुर बहु की रासलीला

juhi gupta

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में पदमिनी की बात सुनता रहा में गरम हो रहा था तब पद्मिनी ने प्रकाश के साथ अगले दिन क्या हुआ बताना शुरू किया
अगले दिन जब भैया बाथरूम में गए तो मेरे पास कोई काम नहीं था, कल रात की सारी बातें और हरकतें मेरी आँखों के सामने चल रही थी।

बस फिर क्या था, मैं बेधड़क बैडरूम से होती हुई बाथरूम में घुसने लगी।

हमारे बाथरूम में कुण्डी तो है पर वो लगाओ न लगाओ एक बराबर है, कुण्डी लगाने से दरवाज़ा अपने आप नहीं खुलता पर अगर को बाहर से धक्का मारे तो खुल जाता है।


मैंने देखा कि भैया कमोड पर बैठ कर मोबाइल पर कुछ करते हुए अपने लंड को भी सहला रहे थे, एकदम से मुझे बाथरूम में देखकर थोड़े शॉक हो गए और बोले- भाभी, मैंने कुन कुण्डी लगाई थी, सॉरी!मैंने कहा- सॉरी भैया, आप जो कर रहे हो, कर लो, मैं बस अपनी ब्रा पैंटी लेने आई थी, लेकर जा रही हूँ।


मैंने अपने अंडरगार्मेंट्स उठाये और बाहर आ गई,


जैसे ही प्रकाश भैया बाहर आये, मैंने कहा- भैया सॉरी, वो अकेले रहने की ऐसी आदत है कि याद ही नहीं रहा कि आप वहाँ हो सकते हो।भैया बोले- कोई नहीं भाभी, अब जो हो गया सो हो गया। आप नाश्ता दे दो, बहुत भूख लगी है।

मैं बोली- ओके भैया, अभी लेकर आती हूँ।


भैया ने तब तक टीवी पर अच्छे से गाने लगा दिए। उन्होंने नाश्ता किया, मैं बर्तन वगैरह लेकर किचन में चली गई और बर्तन साफ़ करने लगी।

भैया भी किचन में आ गये, बोले- भाभी पानी!

मैंने कहा- भैया, हाथ गंदे हैं, मैं अभी देती हूँ।

भैया बोले- नहीं, मैं ले लूंगा।


पानी पीकर बोले- मैं यहीं बैठ जाऊँ आपके पास? बातें करते हैं।

मैं तो चाहती ही यही थी, मैंने कहा- हाँ भैया।

वो प्लेटफार्म पर बैठ गए और इधर उधर की बातें कर रहे थे।

मैंने सोचा मुझे ही कुछ करना पड़ेगा, पर तुरंत ही मन पलट गया, मैंने सोचा मैं नहीं करूँगी, इन्ही से करवाऊँगी ,तभी तो ज्यादा मज़ा आएगा।

जब आदमी पहल करता है तो बहुत अच्छे से चुदाई करता है। मैं सोच ही रही थी, तब तक भैया बोले- भाभी, आप बहुत अच्छी हो।

मैंने कहा- कैसे भैया?

तो भैया बोले- आप इतना स्वादिष्ट खाना बनाती हो, कितना ध्यान रखती हो। हर मर्द अपने सपने में आप जैसी ही बीवी मांगता होगा।मैंने कहा- थैंक यू भैया।


फिर मैंने सोचा कि आदमी साला तारीफ़ सिर्फ इसलिए करता है जिससे उसे चूत मिल सके। अब मुझे भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। कल रात की घमासान चुदाई के बावजूद कितनी हिचक है अभी भी।


मैंने कहा- भैया, पैरों में बड़ा दर्द हो रहा है पर अगर बैठ गई तो काम कैसे होगा।

नीलेश भैया बोले- भाभी, आप बताओ, मैं कर देता हूँ।

मैंने कहा- नहीं भैया, ऐसा थोड़े ही होता है… लेकिन थैंक्स, आपने इतना सोचा।


नीलेश भैया फिर बोले- भाभी बताओ न, आपकी किस तरह मदद कर सकता हूँ। जो भी आपके किसी काम आ जाऊँ तो लगेगा कि जीवन सफल हो गया।

सेंटी डायलाग सुन कर मुझे हंसी आ गई, मैंने कहा- भैया आप मेरी कुर्सी बन जाओगे, मैं काम भी कर लूँगी और बैठ भी जाऊँगी।

भैया बोले- शौक से!


भैया घोड़ी बन गए, मैंने अपने फ्रॉक को थोड़ा उठाया और उनकी नंगी पीठ पर अपने नंगे चूतड़ रख दिए।

भैया की आँखें बंद होते हुए देखी थी मैंने, मुझे महसूस हो गया था कि इनकी टांगों के बीच का राकेट अब गुलाटियां खाने ही वाला होगा।

मैंने कहा- भैया, बैठक बहुत नीची हो गई है, मेरा हाथ सिंक तक नहीं जा रहा, रहने दीजिये, ऐसे काम नहीं हो पाएगा।

तो भैया बोले- रुकिए, मैं सीधा बैठ जाता हूँ आप मेरे कंधे पर बैठ जाइये।


मुझे आईडिया पसंद आ गया, मैंने कहा- ठीक है!

मैं उठी और भैया सीधे बैठ गए। पर वो मेरे से उलटी दिशा में मुंह किये हुए थे।

मैंने सोचा ‘यह भी ठीक ही है, सीधे मेरी चूत इनके मुंह के पास ही पहुंचेगी।

मैंने अपनी टांग उठाई और जान करके अपनी चूत के आगे फ्रॉक कर दी थोड़ा नाटक तो ज़रूरी था न।


अब मैं आराम से उनके कंधे पर बैठी हुई थी और वो मेरी टांगों को घुटने से नीचे सहला रहे थे।

मैंने पैंटी तो पहनी ही नहीं थी इसलिए उनकी गर्म साँसें तो मेरी चूत तक जा रही थी।


उन्होंने अपने हाथ को धीरे धीरे मेरी जांघों तक लेकर आना शुरू किया और अपने मुंह के पास से फ्रॉक को हटाने की कोशिश करने लगे। धीरे धीरे अपने हाथों और होंठों से वो कामयाब हुए और मेरी फ्रॉक के अंदर घुस गए और मेरी चूत सामने आते ही जीभ गहराई तक डाल दी।


मैंने घायल शेर को खून तो लगा ही दिया था इसलिए मैं उनके ऊपर से उठ गई और बोली- थैंक यू भैया, हो गया मेरा काम खत्म, सारे बर्तन धुल गए।

जैसे मुझे उनकी जीभ अपनी चूत पर महसूस ही नहीं हुई हो।


भैया थोड़े परेशान से होकर बोले- अरे भाभी थैंक्स कैसा? मुझे तो अच्छा लगा कि मैं आपके किसी काम तो आया। मैं ज़रा नहा कर आता हूँ।


वो अपने कपड़े टॉवल लेकर बाथरूम में चले गए लेकिन इस बार उन्होंने दरवाज़ा लगाया ही नहीं।

मैं बैडरूम में आई तो देखा कि वो नंगे नहा रहे हैं।

मैंने कहा- भैया, डोर तो बंद कर लेते?

तो भैया बोले- भाभी, क्या फायदा… वो वैसे भी खुल ही जाता है।

मैंने कहा- ठीक है।


उनका लंड अभी आधा खड़ा हुआ था और वो जान बूझ कर मेरी तरफ मुंह करके ही नहा रहे थे जिससे मैं उन्हें देखूँ।

उनका गीला नंगा बदन देखकर मेरी चुदने की तमन्ना और भी ज्यादा बढ़ गई, मैं बेधड़क बाथरूम में गई और बाथरूम में आकाश के कपड़े उठाने लगी।


अब प्रकाश भैया की हिम्मत और बढ़ गई, उन्होंने कहा- क्या आप मेरी पीठ पर साबुन लगा देंगी?

मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा- अगर आप जांघिया पहन कर नहाते तो ज़रूर लगा देती।

तो भैया के सब्र का बांध टूट गया, बोले- अब रात को मैंने आपका क्या और आपने मेरा कौन सा अंग नहीं देखा। अब काहे की शर्म… मैं तो आपसे कहने वाला था कि क्या आप मेरे लौड़े को साबुन लगा देंगी?

और हंस दिए। उनकी बेबाकी मुझे बुरी नहीं लगी, मैंने कहा- पीठ की जगह वही बोला होता तो मैं थोड़े ही न मना करती।

और मैं भी हंस दी।

मैंने हाथ में साबुन लेकर उनकी पीठ पर मलना शुरू कर दिया।

भैया बोले- थोड़ा सा लंड पे भी लगा दो।


मैंने उनके लंड को नाजुकता के साथ पकड़ कर उनकी गांड, लंड और टांगों के बीच पूरी जगह अच्छे से साबुन लगा दिया।

वो बोले- अरे आप भी कपड़े पहन कर साबुन लगा रही हैं, आइये आपको अभी अच्छे से नहला दूँ।

इस पर मैंने कहा- मैं सुबह एक बार नहा चुकी हूँ।


खैर साबुन लगा कर पानी से अच्छे से धोकर मतलब पूरी तरह गर्म करके मैं उन्हें उसी हालत में छोड़ आई। वो बाथरूम से अच्छे से पौंछ कर बिना कपड़ों के ही बाहर आ गये।

मैंने कहा- भैया, आप नंगे ही बाहर आ गये?

तो वो बोले- हाँ भाभी, अब आपसे शर्म नहीं आ रही। मैंने कहा- आप नाश्ता तो कर लो।

वो बोले- हाँ, भाभी ज़रूर… ले आइये।


वो बाहर ड्राइंग रूम में कालीन पर जाकर बैठ गए, परदे लगा दिए, AC ऑन कर दिया, टीवी पर ब्लू फिल्म लगा दी और आवाज़ न के बराबर ही रखी।

मैं जब खाना लेकर पहुँची तो मैंने जान बूझ कर उनके लंड को छूते हुए ही खाना रखा, वो आराम से मूवी देखते हुए खाते रहे और मुझसे बातें भी करते रहे, बोले- देखो भाभी, क्या मस्त पोजीशन है ना।


वो बिल्कुल ऐसे बात कर रहे थे जैसे कि कुछ गलत नहीं हो।

मैं भी अपने सामने एक पराये मर्द को नंगा खाना खाते देख और सामने ब्लू फिल्म के चलते अपने हाथ को चूत पर ले गई और रगड़ने लगी।


अब तो भैया और भी दबंग होते जा रहे थे, बोले- चूत बाद में रगड़ना पहले पानी ले के आ जा।

मैं उठी, पानी लाकर दिया, बैडरूम में गई और पूरी नंगी हो गई।

मैंने वहीं से आवाज़ लगा कर बोला- भैया, आप बर्तन उठा के सिंक में रख देना।

भैया बोले- ओके!


जब मुझे बर्तन रखने की आवाज़ आई, उसके 2 मिनट के बाद मैं उठी और जाकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गई।

मैं बोली- भैया, कुछ डेजर्ट?

भैया तो समझदार थे ही, बोले- हाँ भाभी, डेजर्ट की बहुत ज़रूरत है।

और आकर सीधा मेरी चूत पर अपना मुंह टिका दिया।


5-7 मिनट चाटने के बाद बोले- आपकी चूत का टेस्ट तो वाकई लाजवाब है। मेरा बस चले तो में दिन भर बस इसे ही चाटता रहूँ।

मैंने कहा- भैया, आप बहुत अच्छी चूत की चटाई करते हैं। मेरा भी मन करता है कि आपकी जीभ दिन भर मेरी चूत को अंदर तक सहलाती रहे।

भैया बोले- आपका तो हर अंग इतना खूबसूरत है कि अगर ज़िन्दगी भर बैठ कर तारीफ़ की जाए तो भी कम है। आपकी गर्दन एक सुराही की तरह चमकदार और लम्बी है, आपके बूब्स परफेक्ट साइज और शेप में हैं, आपकी कमर माशाल्लाह कयामत है, आपकी चिकनी चूत और उसका पानी ऐसा लगता है जैसे सोने के प्याले में अमृत परस दिया हो।


और फिर बोलते बोलते वो मेरे बूब्स चूसने लगे, मैं भी मज़े लेने के लिए आँखें बंद करके पराये मर्द से चुदने की अनुभूति का मजा लेने लगी और उनकी पीठ सहलाने लगी।

अब उनका हथियार मेरी जांघों में चुभ रहा था, मुझे उसे अपनी चूत में लेने की ललक बढ़ रही थी, मैंने कहा- भैया, लाइए आपके हथियार की सेवा कर दूँ, लाइए उसकी थोड़ी मलाई निकाल दूँ।

भैया बोले- हाँ भाभी, वो आपके मुंह में जाने को बेताब है। मैं आपकी चूत चाटता हूँ, आप मेरे लंड को चूस डालिए, चलिए 69 में दोनों अपने अपने गुप्तांगों को परम सुख दें, हथियारों को थोड़ी धार देते हैं।


फिर हम काफी देर तक एक दूसरे को चूसते और चाटते रहे, वो कभी मेरी गांड चाटते, कभी मेरी चूत और कभी अपनी उंगली मेरी गांड में डाल देते, कभी मेरी चूत में।

मैं भी कभी उनके गोलियों को मुंह में ले लेती कभी उनके लंड को तो कभी उनकी गांड में उंगली फेर देती थी। हम दोनों जब अपने चरम पर थे तो मैंने कहा- भैया, आपके लंड का पानी आप मेरी चूत में डाल दीजिये।

भैया क्या बोलते, उनके मन में यही चल रहा था कि कब इस चूत में लंड डालें, अब वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूत पर अपना लंड रख दिया।

चाटने और चुसाई के कारण लंड और चूत बहुत गीले थे और थोड़ा थोड़ा रस हम दोनों छोड़ चुके थे इसलिए चूत पर लंड टिकाते ही वो सुरंग में अंदर तक फिसल गया।


भैया बोले- भाभी, कल रात भी बड़ा मन था आप में उतरने का। पर कल रात तो कयामत ही थी वो कभी भी नहीं भूल सकता मैं। आप दोनों बहुत ही मस्त और दिलदार हो, इतने खुले विचार होने के बावजूद आपकी भाषा कितनी सरल और अच्छी है। क्यूँ भाभी, आप कभी चुदाई के टाइम गाली गलौच नहीं करती?


मैंने कहा- मैं सेक्स का सहारा लेकर गाली नहीं देती, मुझे देना होता है तो मैं वैसे ही दे लेती हूँ पर मुझे गाली गलौच पसंद नहीं है। वो तो आकाश को चुदाई के टाइम गाली देना अच्छा लगता है इसलिए सुन लेती हूँ। आप भी जब अपना पानी छोड़ने वाले होते हो तो गन्दी गन्दी और भद्दी गालियां देते हो। कल रात को आपने मुझे पता नहीं क्या क्या बोला।


भैया बोले- सॉरी भाभी, शायद मैं और आकाश भैया एक से ही हैं, हम दोनों को पानी निकालते समय पता नहीं क्या हो जाता है, कितना भी कंट्रोल करें गाली निकल ही जाती है।

मैंने कहा- भैया, आप कंट्रोल मत करो, जैसे अच्छा लगता है वैसे आप चुदाई करो, मैं गाली देना पसंद नहीं करती पर सुनने में मुझे कोई कष्ट नहीं है। जब चूत में लंड होता है तो वैसे भी गालियाँ मीठी ही लगती हैं। आप कंट्रोल में सेक्स करोगे तो आप एन्जॉय नहीं कर पाओगे। मैं चाहती हूँ कि आप एन्जॉय करो।


प्रकाश बोले- नहीं भाभी, आपकी ये अच्छी अच्छी बातें सुन कर सेक्स करने में और भी मज़ा आता है। इसलिए ऐसे ही करेंगे, मैं एन्जॉय कर रहा हूँ, आप भी मेरे लंड को अपनी चूत में एन्जॉय करो।

मैंने कहा- हाँ, बस आकाश ने बहुत बार बोल बोल कर मुझे लंड और चूत बोलना सीखा दिया है तो अब वो तो जुबान पर चढ़ गया है। आप ऐसे ही धीरे धीरे धक्के मारते रहो, स्पीड मत बढ़ाओ।


ये सब बातें करते हुए हमने धक्के मारने बंद कभी भी नहीं किये थे।

प्रकाश भैया बोले- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ, मुझे स्पीड बढ़ानी है।

मैंने कहा- तो और फाड़ दो मेरी चूत!हरामी, मादरचोद तूने तो मेरी एक ही शॉट में चूत फाड़ दी। माँ के लवडे… तेरा लंड बहुत मस्त है। इतनी ब्लू फिल्म देखी पर तेरे जैसा चुदक्कड़ नहीं देखा। तेरी चुदाई में स्वर्ग सा आनन्द था। तू बहुत अच्छा चोदता है रंडीबाज!

अब भैया की स्पीड 200% बढ़ गई, उनके माथे पर पसीने की बड़ी बड़ी बूंदें थी, मैं उन्हें पौंछ रही थी और बोली- भैया आँखें बंद करके नहीं, खोल कर मेरे जिस्म को देखकर चोदिये।


भैया ने मेरे चूचे ज़ोर से दबाए और बोले- हाँ भाभी, तेरा जिस्म तो क़यामत है। कितनी अच्छी और प्यारी चुदक्कड़ है तू भाभी। लंड लेने में माहिर है तू मेरी जान। मैं तेरी चूत को अपनी मलाई से भर दूंगा माँ की लौड़ी।ले माँ की लौड़ी ले, अपनी चूत में ले मेरा लौड़ा… मादरचोद! तू तो माल है, साली कुतिया, क्या मस्त उछल उछल के लेती है। रंडी मेरी रंडी, चोद चोद के तेरी चूत मेरी मलाई से भर दूंगा बहन की लौड़ी।


अब उनकी स्पीड के साथ मैंने भी अपनी कमर को झटके देना शुरू किये जिससे मैं भी उनके साथ परम आनन्द तक आ सकूँ, अब में भी कहने लगीभइया, आप बहुत अच्छी चुदाई करते हैं। आपका कड़क लंड ऐसा लग रहा है जैसे लोहे की रॉड अंदर डाल दी हो। आप तो… आह ओह्ह्ह आह… भर दो ओह्ह्ह आह आह मेरी चूत को!

आज प्लीज आह ओह्ह्ह… मेरे ऊपर कोई रहम मत करो, मेरी चूत फाड़ डालो। आपका लंड चूत में आह ओह्ह्ह आह आह ओह्ह्ह आह… चोद डालो।
हाँ बाबा हाँ, प्लीज छोड़ दो मुझे, मेरी चूत फट गई है।

-हाँ भैया, आपका लौड़ा अगर नहीं ले पाती तो ज़िन्दगी से कुछ शिकायत होती। अब ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है… आह उह आह ओह्ह आह उह आह ओह्ह !भर दो आप मेरी चूत को भर दो अपनी मलाई से।मुझे पटक पटक कर चोद … मुझे पटक पटक कर चोद… मेरी चूत फाड़ दे, मुझे चीर डाल, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे!

तुम मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दो भैया बहुत उत्तेजित थे तो वो मेरे अंदर बहुत देर तक और बहुत ज्यादा मात्रा में झड़ गए।

मैं भी अपने चरम पर थी, मैं उनके झड़ने के बाद तक हिलती रही कि उनका लौड़ा मेरी आग बुझा दे…

पर भइया पूरी तरह लस्त होकर मेरे बदन पर गिर गए। अभी मेरी तो इच्छा पूरी हुई नहीं थी इसलिए मैं उन्हें सहला कर चाहती थी कि वो मेरे अंदर 4-5 जोर के धक्के और मार दें, पर वो नहीं उठे।

मुझे थोड़ा बुरा लगा, मैंने उन्हें अपने ऊपर से उठाया वो बगल में चारों खाने चित्त वाले स्टाइल में पड़ गए।


मैंने पूरा चाट के उन्हें साफ़ किया, चाटने के साथ साथ मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेकर चूस रही थी जिससे वो दुबारा खड़ा हो जाये। भैया थोड़े होश में आने पर बोले- भाभी आप सीधी लेट जाओ।

मैं अपनी चूत की आग में झुलस रही थी और अभी कुछ भी करने को तैयार थी लेकिन वो तो बस लेटने को बोल रहे थे।


वो मेरी टांगों के बीच जाकर मेरी चूत जो उनकी खुद की मलाई से भरी थी, उसको चाटने लगे।

मुझे पहले तो थोड़ी घिन सी आई पर फिर मज़ा आने लगा।


अब चूत का पानी छूटने ही वाला था, मैंने कहा- भैया उंगली डाल दीजिये अंदर, मेरा पानी छूटने वाला है।

भैया बोले- आप सिर्फ एन्जॉय करना।

उन्होंने एक उंगली दाने पर घुमानी शुरू कर दी, दो उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर डाल दी और अंगूठे का सिरा मेरी गांड के छेद पर रख दिया और चूत के निचले हिस्से पर अपनी जीभ से चाटने लगे।


मैंने महसूस किया कि मेरी टांगें अपने आप थोड़ी ज्यादा खुल गई हैं और मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। मैंने अपने पेट से लेकर चूत तक एक बहुत बड़ा लोड बाहर की ओर आता महसूस किया, ऐसा लगा जैसे बाढ़ आने वाली है।

मैं अपनी चूत की मालिश की मस्ती में इतनी मस्त थी कि मैंने भैया को कुछ नहीं बोला। बहुत सारा पानी वो भी प्रेशर से, उतने प्रेशर से तो मूत भी नहीं सकती, उतने प्रेशर से पानी निकलने लगा।


भैया भी एक्सपर्ट थे, उन्होंने न उँगलियाँ हटाई न मुंह बस वैसे ही मेरी चूत की सेवा करते रहे, मैं 2-3 मिनट तक झड़ती रही।

इतने प्रेशर से तो मैं कभी भी नहीं झड़ी थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी जान निकाल दी हो। मेरी इतनी जोर से चीख निकल गई थी कि उसकी इको मुझे अभी भी सुनाई दे रही थी।

मैं इतनी बुरी तरह झड़ी थी कि मैं पूरी सिकुड़ गई और मुझे ठण्ड लगने लगी।


भैया ने अंदर के कमरे से रजाई लाकर उढ़ाई और खुद भी रजाई के अंदर आकर मुझे जकड़ लिया और बोले- भाभी, आप ठीक हैं न?

मैंने कांपते और मस्ती में कहा- हाँ!

भैया ने मेरे चूतड़ों को हाथ में लिया, बोले- भाभी आप अभी भी थोड़ा थोड़ा डिस्चार्ज हो रही हो। आप कहो तो कोई टॉवल आपके नीचे लगा दूँ जिससे रजाई ख़राब न हो।

मैंने सिर्फ गर्दन हाँ में हिला दी।


भैया एक तौलिया लाये, मेरी टांगों के बीच रख दिया जहाँ से रिसता हुआ पानी देख हंसते हुए बोले- भाभी, आपने तो बाल्टी भर पानी फैला दिया।

मैंने मुस्कुरा कर थके हुए थिरकते हुए होंठों से कहा- भैया, आपने तो जान ही निकाल दी थी, बहुत मज़ा आया। जैसे आप कल रात नहीं भूलोगे वैसे ही मैं आज का दिन नहीं भूलूंगी। थैंक यू भैया, थैंक यू! तेरा लंड तो बहुत ही मजेदार है। इतना बढ़िया लंड पता नहीं मुझे दुबारा कब मिलेगा। , मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ, फिर इसमें तो मुझे भी मजा ही मिलेगा। मुझे अपनी रखैल बना के ले चलो अपने साथ। तुम इतनी अच्छी चुदाई करते हो और काफी ज्यादा कर लेते हो


भैया बोले- क्या भाभी, आप जैसी हसीना ने मेरा लंड चूसा और चूत में लिया, थैंक्स तो मुझे बोलना चाहिए। अब आप थोड़ी देर आराम कर लो जिससे आप रिलैक्स हो जाओगी।

मैंने कहा- भैया, आपकी बाँहों में सोना है मुझे, प्लीज अपनी बाँहों में सुला लो।

मैंने उन्हें अपने आलिंगन में लिया और कब आँख लगी पता नहीं।
 

juhi gupta

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पद्मिनी मुझसे कहने लगी-पापा प्रकाश भैया ने मेरी 2 दिन में जो चुदाई की वो मेरे लिए अविस्मरणीय थी ,आप ने भी मुझे चोदा लेकिन एक जवान लोडे की बात ही कुछ और थी ,प्रकाश हमेशा चुदाई के लिए किसी भी जगह किसी भी वक़्त हमेशा तैयार रहता था और मेरी चूत में तो जैसे आग ही लग गयी थी उसे हमेशा लोडा चाहिए था।
खेर हम सोकर उठे शाम को तो प्रकाश ने कहा भाभी अपने कभी सिनेमाहॉल में चुदने का सुख लिया हे मेने ना में सर हिलाया तो हमारा फिल्म देखने का प्रोग्राम बना , मैंने प्योर सिल्क की क्रीम कलर की साड़ी पहनी थी , साथ में साटन के ब्रा , ब्लाउज और पेटीकोट भी पहन लिया था , प्रकाश ने पैंटी पहनने से मना कर दिया था ! मुझे सजा हुआ देखकर प्रकाश गरम हो गए था ! मैंने जब साडी पहनी भी नहीं थी , तो बाँहों में भर कर पूरा लिपस्टिक चाट गया था , ब्लाउज भी चूची दबाने के कारण मसक गई थी ! दुबारा मेक अप ठीक करके , पहले हमने मॉल में घूमने का मज़ा लिया , प्रकाश ने दवा की दुकान से कुछ दवा वगैरह खरीदी , और हम सिनेमा हॉल में आ गए ! कोई इंग्लिश पिक्चर थी , बहुत कम लोग ही थे, जो इधर उधर बिखर कर बैठे थे ! हम जहाँ बैठे थे वहां से दूर दूर तक कोई नहीं था , हमें देखनेवाला ! अँधेरा होते ही प्रकाश ने मेरी गर्दन के ऊपर से एक हाथ रखकर मेरी एक चूची थाम ली , और हलके हलके दबाने लगे ! मैंने भी अपना एक हाथ उसके लण्ड के ऊपर रख दिया ,और पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी ! प्रकाश अब तनाव में आ रहे था , उन्होंने धीरे से अपनी पैंट खोलकर, अंडरवियर के साथ नीचे कर दिया ! अब लण्ड जोश में था , ताव मार रहा था, मेरे हाथ के स्पर्श से बहुत खुश हो रहा था !मेरे हाथ प्रकाश का लण्ड ऊपर नीचे कर रहे थे , और प्रकाश मेरी ब्लाउज के हुक खोलकर ब्रा के ऊपर से गोलाई नाप रहे था !बीच बीच में हमारा ध्यान पिक्चर की तरफ भी चला जाता था , जब भी कोई सेक्स सीन चल रहा होता था ! प्रकाश मेरी गर्दन घुमा कर किस करना शुरू कर दिया, मैं थोड़ा नीचे की तरफ खिसक गई , की दूर से भी किसी की नज़र हम पर न पड़े ! प्रकाश अब एक हाथ से मेरी साडी के ऊपर से ही मेरी चूत टटोलने लगे थे , मैं अब उत्तेजित हो गई थी ! मैंने साडी पेटीकोट के साथ घुटनो से ऊपर उठा लिया , अब सिर्फ मेरी गाँड के नीचे साड़ी और पेटीकोट था , ऊपर का हिस्सा, जो अब नंगा था , प्रकाश के हाथों के हवाले हो गया था ! प्रकाश अब मेरी चूत का मसाज कर रहे था , बीच बीच में उसकी ऊँगली चूत के अंदर भी चली जाती थी , मेरे मुंह से अब सी ..सी की आवाज़ आने लगी थी ! प्रकाश की ये खास बात थी कि एक ही समय उसकी ऊँगली ,हाथ , मुंह , जबान सब एक साथ पूरे परफेक्शन के साथ अलग अलग काम करती थी , और ऐसा लगता था कि सब अलग अलग आदमी कर रहे हैं ! हमारे गद्देदार सोफे जैसी कुर्सियों के बीच का आर्म रेस्ट ऊपर उठने वाला था , इसलिए अब हमें पूरी जगह मिल गयी थी ! ब्रा खुलने कि वज़ह से मेरी चूचियाँ लटक गयी थी , मैंने अब झुककर प्रकाश का लण्ड मुंह में ले लिया , और जीभ को सुपाड़े पर फिराने लगी ! प्रकाश को मेरी इस तरह कि पहल बहुत अच्छी लगती थी , एकदम मस्त हो गए था ! उसके हाथ मेरी चूची से दब गए थे , लेकिन उसने अपना कार्यक्रम जारी रखा !मैं मन ही मन बोल रही थी ऐसे ही मेरे बोबो को मसल मसल कर मुझे चोदो। कस कस कर चोदो मुझे .. फाड़ दे मेरी चूत… फाड़ दे पूरी की पूरी..हः अहहः चीईईईईईईइर्र र्र्र्रर्र्र्र र्रर्रर्रर र्र्रर्र्र्रर्र्र र्र्र्रर्र्र्र मेरी चूत में से आवाज़ आने लगी थी.
मै चाहती थी कि प्रकाश जल्दी से पानी छोड़ दें ,और मैं आज़ाद हो जाऊं , क्योकि इस तरह हॉल के अंदर मुझे ठीक नहीं लग रहा था ये सब ! कभी भी किसी के भी आने का डर था , और मैं ऐसी स्थिति से बचना चाहती थी , पर प्रकाश को ना नहीं कर सकती थी, इसलिए उसके हर एक्शन का पालन कर रही थी !मैं हाथ से प्रकाश के लण्ड ऊपर नीचे भी कर रही थी और चूस भी रही थी मुंह से ,जीभ से चाट भी रही थी ! मैंने हर तरह से कोशिश की,कि प्रकाश का पानी निकल जाए ,लेकिन लण्ड झड़ने को राज़ी नहीं था ! मेरी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी , मैं कमज़ोर भी महसूस कर रही थी !
प्रकाश ने अब मुझे खड़ा कर दिया , मैंने सामने अपने साड़ी से अपनी नंगी चूचियों को ढक लिया था, उन्होंने मुझे अपने गोद में बिठाते हुए अपना लण्ड मेरी चूत में सरका दिया ! मेरी चूत बीच में ही फंस गयी थी , लण्ड आधा ही अंदर जा सका था ! मैंने आगे झुकते हुए , अगली सीट के ऊपर अपने हाथ टिका दिए थे ! प्रकाश मुझे कमर से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगे , थोड़ी कोशिश के बाद मेरी चूत खुल गई और लण्ड अंदर बाहर होने और कहा ओह.....प्रकाश ................... कितना तड़पाते हो तुम ................ अब और ना तरसाओ...............डाल दो अपना ये लंड मेरे अंदर.....''
प्रकाश ने मुझे लण्ड पर उठने बैठने के लिए कहा और खुद मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगे ! हमेशा कि तरह , मेरे चूची कि घुंडी को अपने दो उँगलियों के बीच फंसा कर निचोड़ रहे थे ! मैं सटासट लण्ड अंदर ले रही थी , जैसे ही स्पीड कम होती , प्रकाश चूची और घुंडी को बेदर्दी से मसल देते थे, और मैं अपनी रफ़्तार बढ़ा देती थी ! अब प्रकाश

भैया के लण्ड का तनाव अचानक बढ़ गया था , चूची पर दवाब भी बढ़ा लग रहा था ! मैंने सर उठा कर परदे पर देखा , तो फिल्म में एक आदमी एक बहुत ही खूबसूरत कमसिन कली कि चुदाई में लगा हुआ था ! यानी प्रकाश चूत मेरी फाड़ रहे थे , पर ख्यालों में उस कमसिन कली को चोद रहे थे ! मर्दों में दूसरी औरत को चोदने की कितनी ललक होती है , मेने सोचा 2 दिन से मुझे चोद रहा हे पर अभी भी दूसरे की चाहत में लगा हे ! पर किसी मर्द का लण्ड तगड़ा रहे तो और क्या चाहिए औरत को !
प्रकाश धकाधक लण्ड पेले जा रहे थे , मेरी और प्रकाश की नज़र स्क्रीन पर ही टिकी थी , प्रकाश तो मानो उसी को चोद रहे थे , मेरी चूत मारने के बहाने ! फिल्म में चुदाई करने वाला नौजवान लगा की अब जैसे पानी छोड़ने वाला है ,पेलो......कस कस कर अपना लण्ड पेलो। ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ ऐसे ही चुदवाने के लिए में तड़फती थी। और ज़ोर से......और ज़ोर से......हाययययययय......ऊउन्ननगहह्ह्ह् मेरी चूत.....मेरी चूत......चोदो मुझे

में बुदबुदा रही थी मैंने भी अपनी चूत में गरम गरम वीर्य का अनुभव किया , मेरी चूत का पानी भी छूट रहा था !प्रकाश

भैया थोड़ी थोड़ी देर में झटके लगाकर अपना लण्ड मेरी चूत में निचोड़ दिया ,और प्यार से लण्ड बाहर निकाल लिया !लण्ड के बाहर निकलते ही लगा की अंदर से मोटे पानी की धार निकाल रही हो , वीर्य फर्श पर गिर कर फ़ैल गया , छींटे मेरे पाओं पर भी पड़े ! मैं दो मिनट तक वैसे ही खड़ी रही , चूत से रस को टपक जाने दिया , फिर अपनी सीट से आगे जाकर पेटीकोट से चूत पोछने लगी ! प्रकाश भी अब अलग हटकर पैंट पहन रहे थे ! अच्छे से साफकर मैंने अपनी ब्रा और ब्लाउज में अपनी चूचियों को भी सेट कर लिया और एक बार हॉल को ठीक से देखा ! लोग कम हो गए थे , जो थे वो भी दूर दूर अलग अलग बैठे थे , सब के सब ,लग रहा था की अपना अपना पानी निकालने में लगे थे ! हॉल में रुकने का अब मन नहीं कर रहा था , पूरी पेटीकोट गीली होकर टांगों से चिपक रही थी , लसर फसर पेटीकोट में अपने टांगों को सम्हालते हुए मैं और प्रकाश हॉल से बाहर आ गए ! बाहर ही डिनर करके , घर आते ही प्रकाश अपना लण्ड मेरी चूत में डालना नहीं भूले ! अब मुझे भी बिना अपनी चूत में प्रकाश का लण्ड डाले नींद कहाँ आती थी !
भैया , आपमें इतनी ताक़त कहाँ से आती है ? मैं थक जाती हूँ पर आप नहीं थकते !
प्रकाश बोला मैं अपने शरीर का पूरा ध्यान रखता हूँ , पौष्टिक भोजन , वर्जिश और बादाम के तेल से मालिश करता हूँ !
मैं : लेकिन भैया यहाँ तो आपने कभी मालिश नहीं की ! आइये आज मैं आपकी मालिश करती हूँ !
प्रकाश ठीक है , फिर तेल लेकर आ जाओ !
मैं तेल लेने घर में चली गई ! प्रकाश ने छत पर पड़े गद्दे को ठीक किया , एक पुरानी चादर डाल दी और पूरे नंगे होकर लेट गए !मैंने भी अपनी ब्रा और पैन्टी उत्तर दी और प्रकाश के पीठ पर बैठ के , बादाम का तेल चुपड़ के अपने नाजुक हाथों से तेल लगाकर मालिश करने लगी ! थोड़ी देर बाद प्रकाश पलट गया और मैं उनके लण्ड पर बैठ गई,और छाती और पैर वगैरह पर तेल लगाकर मालिश कर दी ! अब लण्ड की बारी थी , मैं प्रकाश के पेट पर उनकी तरफ पीठ करके बैठ गई , लण्ड पर बहुत सारा तेल डालकर उसको मालिश करने लगी , अब प्रकाश हरकत में आ रहे थे ! वो दीवार के सहारे आधे बैठे और आधे लेटे मुद्रा में था ! प्रकाश ने भी थोड़ा तेल लेकर मेरे पीठ पर लगाया , और पूरे पीठ और चूची तक सहलाने लगे ! मुझे अपने तरफ घुमा कर मुझे चूमने लगे , मुंह में जीभ डालकर चूसने लगे ! मैं समझ गई चुदाई होने ही वाली है ! प्रकाश बार बार तेल लेकर मेरे पीठ से ऊँगली को फिसलकर मेरे गाँड के छेद तक ले जाते और बचा हुआ तेल गाँड में घुसा देते और ऊँगली से अंदर तक पहुंचाते! मुझे उनके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे , बड़ा अजीब सा लग रहा था ! चूमने चूसने की होड़ सी लग गई थी , मेरे औरप्रकाश

भैया के बीच , कोई एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहता था , मैं गाँड उचका कर उनको चूमती और वो तेल से डूबी ऊँगली मेरी गाँड में घुसा देते ! एक हाथ से मेरी चूचियों का मसलना भी जारी था , अब प्रकाश जोर की भी मसल देते थे ! पिछले 2 दिनों में चूचियाँ भी साइज़ में बड़ी और थोड़ी ढीली हो गई थी ! मेरी चूत से लीकेज चालू था , चूमा चाटी के बीच ही प्रकाश के लण्ड ने मेरी चूत में प्रवेश कर लिया था , मेरा मन थोड़ा हल्का हुआ , पर गाँड का डर अभी गया नहीं था क्योंकि प्रकाश बार बार ऊँगली तेल में डुबोते थे और गाँड में घुसा देते थे ! गाँड का दर्द बढ़ गया था , प्रकाश ने शायद ऊँगली बदल दी थी , छोटी ऊँगली की जगह अब मोटी वाली ऊँगली अंदर बाहर हो रही थी ! मुझे ऐसा लग रहा था की मेरी चूत कोई और लण्ड से चोदी जा रही है , और गाँड किसी और लण्ड से मारी जा रही है !
प्रकाश को जल्दी नहीं होती थी चूत चोदने में, आराम से मेरी चूत चोदे जा रहे थे और गाँड में ऊँगली भी लगातार हो रही थी ! मैं प्रकाश के ऊपर लेटी थी, थकावट सी होने लगी और मैं उनके सीने से चिपकने लगी ! अब प्रकाश अपने दोनों हाथों से मेरी गाँड थामे थे ,और अपने लण्ड के ऊपर नीचे कर रहे थे , साथ में उनकी ऊँगली भी मेरी गाँड में आ जा रही थी ! मैं अब उनसे चिपक सी गयी थी अपने ऊपर वाले हिस्से से , प्रकाश का लण्ड आराम से अंदर बाहर हो रहा था ! तेल की चिकनाहट से लण्ड बिलकुल आसानी से आ जा रहा था , प्रकाश

भैया बीच बीच में लण्ड पूरा बाहर निकलते और दुबारा घुसा देते !
सब कुछ बड़े आराम से चल रहा था , की एकाएक प्रकाश ने अपना लण्ड निकला , बहुत सारा तेल लण्ड पर डाला और ऊँगली को मेरे गाँड से निकाल कर , अपने लण्ड को गाँड में डाल दिया ! प्रकाश का सुपाड़ा अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गई , सुपाड़ा ने मेरी गाँड निश्चित रूप से फाड़ दी होगी , मुझे ऐसा ही लग रहा था ! इतना तेल डालने के बाद भी गाँड में लण्ड फंस गया था , मेरे नाख़ूनप्रकाश

भैया के पीठ में चुभे होंगे , इतनी ज़ोर से मैंने दर्द सहा था ! लण्ड को हिलता डुलता न देख प्रकाश

भैया थोड़ी देर के लिए शांत हो गए , और मेरे होंठों को चूसने लगे ! थोड़ी देर बाद दर्द थोड़ा काम होने लगा , और लण्ड की पकड़ थोड़ी ढीली सी लगी, यानी मेरी गाँड ने अब समझौता कर लिया था , !प्रकाश

भैया मुझे गोद में लेकर उठ गए, थोड़ी चहलकदमी की , और वापस बिस्तर पर आ गए ! ये मेरी सोच से बाहर था की गाँड में लण्ड डालकर कोई टहल भी सकता है ! गद्दे पर मुझे डालकर , भैया ऊपर आ गए ! मैंने झुक कर देखा अभी आधा से ज्यादा लण्ड बाहर था , भैया से रिक्वेस्ट भी की कि फिर कभी , पर भैया ने अनसुनी कर दी ! भैया ने अब बचा हुआ तेल अपने लण्ड के ऊपर डाला , बिलकुल मेरे गाँड के जड़ में ! मैं तेल को अपने गाँड में रिसता महसूस कर रही थी ,और लण्ड भी धीरे धीरे अंदर जा रहा था ! भैया ने मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी , धीरे धीरे अब आराम आने लगा था ! मेरे लिए चूत से ज्यादा दर्द गाँड मराने में हुआ था , अब मैं हर तरह से प्रकाश से चुद गई थी , प्रकाश ने चूत का सील तोड़ने के बाद अब गाँड पर भी अपनी मुहर लगा दी थी !में चिल्ला रही थी मैं आने वाली हूँ …… आंँह……. और ज़ोर से मारो मेरी गांड आँह….. आँह…..आँह…… आँह….. आँह….. ज़ोर से चोद

डालो मेरी गांड …... फाड़ डालो मेरी गांड कोकरीब दस मिनट तक गाँड मारने के बाद प्रकाश ने लण्ड निकल लिया और वापस चूत को दिखाया ! चूत ने बड़े प्यार से पुच्छ कि आवाज़ के साथ लण्ड का स्वागत किया ! अब तो हमारे बीच होड़ लग गई ! मैं भी गाँड का दर्द भूलकर चूत उछालने लगी ! में चिल्ला रही थी मार.... दिया..... रे ........हाय रे........ मेरे.... जालिम......चोदू.......आ......ह्ह्ह्ह्ह,,,,,,,,,फ..ट....गयी...मेरी.............................अपनी....भाभी ....को....इतनी.....बेदर्दी.....से...ना..............चो..द...........इ....स्स.................मै गयी.....इ..इ...इ.....ई........| ये क्या...

घपा घप लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनों ही एक साथ पुरे जोर से कांपे और अपना अपना पानी चूत में जमा करने लगे ! इस लाजवाब चुदाई और गाँड मराई के बाद हम निढाल होकर गिर पड़े !
थोड़ी देर में ,मै ! प्रकाश के लिए बियर लेकर आयी , प्रकाश ने बियर टेबल पर रखकर मुझे बिस्तर पर खींच लिया !पहले तो जम कर चुम्मी ली और चूचियाँ दबाई , और फिर मुझे अपनी गोद में बिठाकर बियर पीने लगा !वो मेरी चूत के ऊपर बीयर डाल रहा था और फिर उसे चाट रहा था। कभी कभी वो मेरे पेट पर मेरी नाभि में भी बीयर डाल कर उसे चाटता। उसकी जुबान जब मेरी चूत के अन्दर जाती तो मचल कर मैं अपनी गाण्ड ऊपर को उठाती और कहती ओह जोर से जोर से जोर से चूस। ....... ओह भाडू ओह भोसड़ी के ,…। ओह मादर चोद चूस जोर से चूस फिर से निकाल दे मेरी चूत का पानी, प्रकाश मेरी चूत ज़ोर से चूसो। आँ….. ओह! …….प्रकाश बहुत….. आँ …….काट लो मेरी चूत को प्रकाश ….. ज़ोर से,

और ज़ोर से……. ,"मेरी चीखें वास्तव में आनंद की थीं।



मुंह में बियर की आखिरी चुस्की भरकर,भैया ने मेरे मुंह में डाल दी,और मुझे बेतहाशा चूमने लगे ! शायद उनको भी लग रहा था कि अब कुछ पता नहीं कब हो चुदाई ! प्रकाश ने जब होंठ अलग किये तो मैंने पूछा कि अब क्या होगा ? अब हम कैसे चुदाई कर पाएंगे ? मैं आपके बगैर नहीं रह सकती , मेरी आँखें डबडबा गई ! भैया ने मेरे आंसू चूम लिए और बोले ," देखो मेरी जान , अलग तो मैं भी नहीं रह सकता , पर मुझे बंगलौर तो जाना ही पड़ेगा में ऐसी कोशिश करता हु की आकाश भैया आपको मेरे साथ कुछ दिन भेज दे " मैं प्रकाश के आगोश में खो गई ! प्रकाश फिर से चुदाई को उतावले होने लगा मेरी चूत तो पहले से लण्ड के लिए बेकरार हो रही थी। इस लिए मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर उठाई और उसने अपना लण्ड मेरी चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारा। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया। मैं इस धक्के से थोड़ी घबरा गई और अपने आप को सँभालने लगी। मगर फिर दूसरा धक्का में पूरा लण्ड मेरी चूत के बीचोंबीच सुरंग बनाता हुआ अन्दर तक घुस गया।
मुझे लगा जैसे मेरी चूत फट जायेगी।
मेरे मुँह से निकला- अबे साले, मेरी फाड़ डालेगा क्या… आराम से डाल ! मैं कहीं भाग तो नहीं रही !
वो बोला- अरे रानी… तेरी जैसी मस्त भोसड़ी देख कर सब्र नहीं होता… दिल करता है कि सारा दिन तुझे चोदता रहूँ।और मुझे और जोर से चोदने लगा।
मुझमें भी आग थी। मैं भी उसका साथ कमर हिला-हिला कर दे रही थी। आखिर मेरा माल छुटने लगा और मैं उसके सामने निढाल हो कर पड़ गई मगर वो अभी भी मुझे रोंदे जा रहा था, मेरी चूत से फच-फच की आवाजें तेज हो गई थी। मैं उसके नीचे मरे जा रही थी।में ने उसका लोडा बाहर निकल दिया लेकिन प्रकाश ने कहा -चल, दुबारा मेरे लण्ड पर बैठ जा !
मैंने वैसे ही किया। उसका लण्ड पूरा डंडे जैसा खड़ा था। मैं उस पर बैठ गई और उसका लण्ड मेरी गीली चूत में आराम से घुस गया। मैं उसका लण्ड मजे से ऊपर नीचे होकर अन्दर बाहर कर रही थी।
वो मेरे नीचे बोला- आह… आह रानी… बहुत मजा आ रहा है… प्यार से मुझसे चुदती जा…. मैं भी तुझे प्यार से चोदूँगा।
वो मेरी छाती पर हाथ घुमाता हुआ बोला- ये अपने मम्मे मेरे मुँह में डाल दे रानी।
मैंने भी अपनी एक चूची उसके मुँह पर रख दी, 15 मिनट तक हम दोनों चुदाई करते रहे ! में चिल्ला रही थी उफ्फ्फ्फ़ यकीन नहीं होता इतना मोटा लण्ड मेरी चूत के अंदर था.......बहुत ज़ोर से ठोका है तुमने मुझे......मेरी चूत में चीस उठ रही है

चुदाई के बाद प्रकाश बाथरूम में घुस गया और में अपने रूम में आ गयी तब ही प्रकाश ने बाथरूम से आवाज़ दी ,और तौलिया लाने को कहा ! बाथरूम का दरवाज़ा खुला था , मैं अंदर तौलिया देने चली गई , प्रकाश नंगे होकर पूरा लण्ड खड़ा कर के नहा रहे थे , मुझे पकड़ के अपनी बाँहों में खींच लिया ! मेरे कुछ बोलने से पहले ही प्रकाश ने अपने हाथ मेरे बदन पे फिसलने शुरू कर दिए ! शावर का पानी हम पर बरस रहा था ,और प्रकाश का लण्ड पुरे जोश के साथ मेरे पेट से रगड़ खा रहा था ! मेरी चूचियों को वो जोर जोर से मसल रहा था , मानो अपने उँगलियों के दाग छुड़ा रहे हों ! होंठ से होंठ ऐसे चिपक गए थे कि जैसे अब अलग होंगे ही नहीं! मैं भी पूरी मस्ती में आ गई थी , प्रकाश का साथ दिल खोल के दे रही थी ! प्रकाश ने मुझे अब बेशर्म कर दिया था , बातों के साथ साथ अब मेरी हरकतें भी सेक्सी हो गई थी ! प्रकाश का लण्ड तो मैं पकड़ के ही रखती थी ! इन 2 दिनों में ज्यादातर समय तो प्रकाश का लण्ड मेरी चूत में ही रहा था , जब बाहर भी होता था, तो मैं उनसे चिपकी ही होती थी!
प्रकाश अब बहुत बेताब लग रहा था , मुझे दीवार की तरफ घुमा के थोड़ा झुकाया , और लण्ड को चूत में सरका दिया, अंदर से तो चूत गीली ही थी , पानी से भीगा लण्ड लसफसाते हुए अंदर चूत दीवार को रगड़ते हुए छलाँगें मारने लगा ! मैं दीवार पर हाथ रखकर अपने आप को सम्हालने कि कोशिश कर रही थी ! प्रकाश ने एक हाथ से मेरी कमर सम्हाल राखी थी और दूसरे हाथ से चूचियों को मसल रहे थे ! ऊपर से शावर का पानी गिर रहा था ,और चूत से रस टपक रहा था और बाथरूम के फर्श को चिकना कर रहा था ! प्रकाश पूरे जोश के साथ चोद रहा था , लगता था कि आज पूरी कसर निकाल लेगा !भैया ने करीब आधे घंटे तक मुझे उलट पलट के जम के चोदा ! चुदाई का तूफान अब थमता सा दिख रहा था ,में चिल्ला रही थी हाय तुम

कितना दर्द करते हो मुझे। र मेरे चूतड़ों को मार मार कर लाल कर दो। प्रकाश आज मुझे

चोद-चोद कर बेहोश कर दो। "
प्रकाश ने मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया और रस की पिचकारी से मेरी चूत की दीवारों की पुताई करने लगे ! हम दोनों ही दो मिनट तक ऐसे ही साँसों पर काबू करते रहे ,फिर अच्छी तरह से चूत और लण्ड की सफाई कर के बाथरूम से बाहर आ गए ! मेने प्रकाश से कहा की में थोड़ी देर में आती हु प्रकाश ने कहा ठीक हे में अपने रूम में आयी की 10 मिनट बाद ही प्रकाश ने कहा भाभी आ जाओ
मैं लड़खड़ाते क़दमों से बिना किसी कपडे में प्रकाश के रूम में पहुंची ! प्रकाश का का रूम बंद नहीं था , हलकी रौशनी में वो बिस्तर पर आँख बंद किये चादर के अंदर लेटा था ! लण्ड के पास की जगह ऊपर नीचे हो रही थी , हरकतों से लग रहा था कि शायद वो मुठ मार रहा था ! मैं बिना किसी आवाज़ किये उसके पास पहुंची . वो मेरा ही नाम बुदबुदा रहा था और मुठ मार रहा था ! मेरा जोश और भी दुगना हो गया था ! प्रकाश मुझे पिछले 2 दिनों से दिन रात चोद रहा था , आज कुछ मिनट मैं नहीं मिली तो मेरे नाम पर मुठ मार रहे हैं ! मैं प्रकाश को इतनी पसंद आई , मुझे पता नहीं था , लेकिन मैं उसके इस व्यवहार से बहुत खुश थी ! मैंने आहिस्ता से प्रकाश कि चादर खींच ली, प्रकाश बिलकुल नंगे लेटा था , और हाथ में लण्ड लेकर ऊपर नीचे कर रहा था ! मेरे चादर खींचते ही , उसने अपनी आँखें खोल दी ! मुझे देखकर आश्चर्य और उलझन वाली नजर से देखने लगे ! मैंने बिना कोई समय गवाए उसके ऊपर आ गई और अपने आप को उनके लण्ड के ऊपर बिठा लिया ! तमतमाया लण्ड थोड़ी कठिनाई से मेरी चूत के अंदर घुसने लगा ! आज लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था , फंस फंस के अंदर जा रहा था ! आज हमें चूमा चाटी, गरम होने और लण्ड खड़ा करने कि जरुरत नहीं थी , क्यूंकि मैं पहले से ही उतेज्जित थी , और प्रकाश ने मुठ मारकर लण्ड को पूरा मस्त कर केबैठा था ! हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई और चुदाई ज्यादा शुरू हो गई ! प्रकाश ने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए और लण्ड को उस मोकाम तक पहुँचाया जहाँ पापा की पहुँच नहीं थी !सटा सट लण्ड गीली चूत के अंदर बाहर जा रहा था ! प्रकाश को तो जैसे कोई बिछड़ी हुई चीज़ मिल गयी हो , ताबड़तोड़ शॉट लगा रहे थे ! प्रकाश ने करीब बीस मिनट तक मुझे घुड़सवारी कराइ , फिर मुझे बिस्तर पर घोड़ी बना दिया ! लण्ड को चूत के मुहाने रखकर सटाक से अंदर किया और घोडा दौड़ाने लगे ! मुझे लग रहा था की वाकई मैं किसी रेस में हिस्सा ले रही हूँ , सटाक ..सटाक..सटाक , प्रकाश का लण्ड मेरी चूत में दौड़ा चला जा रहा था , बीच बीच में मेरी गाँड को दोनों तरफ से थपकी दे रहे थे , जैसे घोड़े को चाबुक लगा रहे हों !भैया ने अब मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया था ,और बहुत बेदर्दी से मसल रहे थे और अपनी ओर खीच रहे थे ! प्रकाश जिस तरह से मेरी चूचियाँ मसल रहे थे , अगर 3 दिन पहले मसला होता तो मैं चीख पड़ती , लेकिन अब तो मन करता था की और जोर से मसलें ! मज़ा आ जाता था जब वो दोनों घुंडियों को मसलते थे !मैं पूरी तरह से अब प्रकाश की गुलाम हो गई थी ! मर्द अगर सही ढंग से औरत को चोदे , तो औरत कभी भी मर्द को आँख नहीं दिखा सकती है ! चुदाई में जो मज़ा है , वो दुनिया में और किसी चीज़ में नहीं ! अगर कोई मुझे प्रकाश

भैया की रखैल भी कहे तो मुझे परवाह नहीं , जो सुख भैया से मिल रहा था , वो कहीं और से नहीं मिला !
अब मेरी टाँगें जवाब दे रही थी , मैं गिरने की हालत में थी ,प्रकाश

भैया का लण्ड एक दो बार फिसला , तो भैया ने मुझे पूरी तरह लेटने को कहा , पर अपना लण्ड नहीं निकला ! अब भैया मेरे ऊपर लेटा था , और चूत में लण्ड पेल रहे था ! दूर से कोई देखता तो लगता की गाँड मार रहे हैं !मेरी चूत के नीचे तकिया था जो अब पूरा गीला हो रहा था , जिससे मेरी जाँघों में लसलसाहट सी होने लगी थी ! प्रकाश का लण्ड आज रुकने का नाम नहीं ले रहा था, बाहर अंदर इतनी तेजी से हो रहा था कि कमरा फच्च फच्च की आवाज़ से गूँज रहा था ! मेरी साँसे अब उखाड़ने लगी थी , ऊपर से प्रकाश का बोझ ! प्रकाश का हाथ मेरी दोनों चुचिओं को अपने कब्जे में कर रखा था , और चूत में लण्ड सरपट दौड़ रहा था ! मेरी गांड पर बार बार प्रकाश

भैया का झटका लग रहा था जिससे मेरी गुन्दाज़ गोल गोल गाँड उछल जाती थी , जिसकी थिरकन अगले चोट तक रहती थी !मुझे लगा शायदप्रकाश

भैया मेरी गाँड भी मारेंगे, लेकिन चूत की ठुकाई ज्यादा हो जाने के कारणप्रकाश

भैया अब छूटने वाले थे ! मैं तो दो तीन बार झड़ कर तकिये को पूरी तरह गीला कर चुकी थी ,भैया ने भी मेरी चूत में पानी की बौछाड़ कर दी ! आज भैया कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रहे थे , पांच छह झटकों में उन्होंने अपने लण्ड की एक एक बून्द मेरी चूत में निचोड़ी और मेरे ऊपर निढाल हो गए !
 

Rahul

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