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Incest ससुर बहु की रासलीला

juhi gupta

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शादी में बार बार पदमिनी देखकर में बहुत उत्तेजित हो रहा तह २ दिन में इतनी बार पदमिनी को चोद चूका था फिर भी मन नहीं भरा था ,हम दोनों पुरे विवाह समारोह में एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे जब देर होने लगी तो मेने , पदमिनी को रूम में चलने का इशारा किया ,पदमिनी रूम में चली गयी जब में रूम में गया तो पदमिनी देखकर दांग रह गया उसने फूलों की डिज़ाइन वाला टॉप पहना था और निचे स्कर्ट जिसका छोर घुटनोँ से थोड़ा ज्यादा ही ऊपर तक था पहन रखा था। उनके ब्लाउज के निचे और स्कर्ट के बेल्ट के बिच का खुला हुआ बदन किसी भी मर्द को पागल करने के लिए काफी था। पतली कमर, पेट की करारी त्वचा, नाभि में बिच स्थित नाभि बटन और फिर पतली कमर के निचे कूल्हों की और का फैलाव और फिर कातिल सी कमल की डंडी के सामान सुआकार जाँघें किसी भी लोलुप मर्द की आँखों को अपने ऊपर से हटने नहीं दें ऐसी कामुक थीं। मेने तुरंत उसके कपडे उतारे और ब्रा पेंटी में ही बेड पर धकेल दिया वो ऐसे लग रही थी जैसे कोई परी अपने पंख उतारकर मेरे बिस्तर पर केवल ब्रा और पेंटी में उतर आई। मैंने उसके उभारों को दबाते हुए उसे धकेलकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दी
जैसे कोई परी अपने पंख उतारकर मेरे बिस्तर पर केवल ब्रा और पेंटी में उतर आई। मैंने जल्दी से ब्रा खींचकर पदमिनी के स्तनों को आजाद कर दिया। देखकर मेरे शरीर के अंदर एक सिहरन दौड़ने लगी, मैंने उन्हें हाथों में भर लिया और सहलाने लगा, भरे भरे और मुलायम स्तन... दिल कर रहा था उन्हें खूब जोर जोर से दबाकर रस निकाल दूँ लेकिन पदमिनी का ख्याल करके नियंत्रण में रहा। पदमिनी की सिसकारियाँ निकल रही थीं, 'उम्म्ह... अहह... हय... याह...' मैं उसे चूम रहा था, उसके स्तनों की मालिश कर रहा था और इस दौरान अपने कपड़े भी उतार रहा था। वह मस्ती में खोई थी। मैं स्तनों को कभी दबाता था कभी चूचुकों को चुटकी में लेकर निचोड़ता था, कभी नीचे झुककर उन्हें चूसने लगता था। सुख में डूबी पदमिनी को इस बात का एहसास नहीं हुआ कि कब मैं अपने वस्त्र उतारकर केवल चड्डी में आ गया हूँ। मैं धीरे-धीरे पदमिनी को पलटाता हुआ उसके ऊपर आया। उसके स्तनों और होठों को छेड़ना जारी रखते हुए मैंने अपने चड्ढी ढके लिंग को उसकी पेड़ू पर दबा दिया और हल्के-हल्के घर्षण करने लगा। यह अत्यधिक उत्तेजना वाली स्थिति थी, इसका लाभ उठाते हुए मैंने पदमिनी को बिना कुछ कहे उसके कूल्हों से चड्डी खींचनी शुरू कर दी।

उसके मम्मे आजाद होते ही खुली हवा में मचलने लगे. मम्मों के ऊपर गुलाबी निप्पल मुझे ललचा रहे थे. मैंने एक को जैसे ही अपने मुँह में लिया, उसने मुझे अपने सीने से चिपका लिया. उसकी इस हरकत से मुझे और जोश आ गया. मैंने उसके निप्पल के साथ पूरे चूचे को मुँह में भर लिया. वो मुझे इस तरह अपने अन्दर समा रही थी कि कभी छोड़ेगी ही नहीं. उसके निप्पल को चूसते हुए मैं उसकी चूत को सहलाने लगा, जिससे वो और भी गर्म होने लगी थी. अब तक उसकी चुत गीली हो चुकी थी
वो मेरे लंड को हाथ में ले कर सहलाते हुए मेरे कानों में कह रही थी- अब और मत तड़पाओ.

वो वासना से भरी मादक सिसकारियां ले रही थी. मैंने भी अपने होंठ उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चुत पर रख दिए.

मेरे ऐसा करते ही वो पागल हो गयी. उसने मेरे मुँह को अपने हाथों से पीछे किया और खुद ही अपनी पिंक पेंटी उतार कर अलग कर दी. उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया. मैं उसकी चुत की खुशबू से एकदम मस्त हो गया और चुत को चाटने लगा. कभी उसकी चुत के होंठों को अपने होंठों से पकड़ कर खींचता, कभी उसकी चूत के छेद में जीभ डाल देता, कभी अपनी उंगली डाल देता. कुछ पल बाद पदमिनी वापस मेरे लंड को चूसने में लग गयी. मैं भी उसकी चुत को चाटने लगा. कुछ ही देर में मैं तैयार हो गया और वो भी गरमा गई.

फिर मैंने उसको सीधा करके उसकी मखमली चिकनी चुत पर अपना 7 इंच का लंड रख दिया. मैं चुत को लंड से रगड़ने लगा.
वो तड़पने लगी और बोली- प्लीज अन्दर डाल भी दो यार … अब मत तड़पाओ.

मैंने चुत के छेद पर लंड का सुपारा रखा और झटका दे मारा. मेरा आधा लंड उसकी चुत में चला गया.
एक तो उसकी चुत भी बिल्कुल गीली थी और मैंने झटका भी जोर का दिया था. वो तिलमिला उठी. उसकी आंखों में आंसू आ गए. मैं ऐसे ही लेट कर रुक गया. मैंने उसके होंठों को पहले से ही अपने होंठों में दबा रखा था.

वो बिना आवाज निकाले ‘हूऊ … उन्ह..’ करे जा रही थी. मैं उसके मम्मों को भी हल्के हल्के से दबा रहा था.
मैं अपने उतने ही लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. वो भी नार्मल होने लगी. उसके मुँह से फिर से ‘ऊउन्ह … आआहह … उई … करो ना थोड़ा तेज..’ निकलने लगी.

उसकी मदमस्त आहें सुनकर मैंने फिर से एक जोर का झटका लगा दिया. इस बार के तगड़े झटके में मैंने पूरा ही लंड पदमिनी की चूत में डाल दिया था. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड किसी चीज में फंस गया हो. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

उसकी आह निकलने को हुई, लेकिन मैं पहले ही सजग था. मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा रखा था.

फिर मैंने अपने धक्कों की स्पीड धीरे धीरे तेज कर दी. पदमिनी भी मेरा साथ देने लगी. वो अपने चूतड़ों को नीचे से उछाल रही थी और ‘आआह … ऊऊऊ..’ किए जा रही थी.
ये बोलते हुए पदमिनी अपने चूतड़ों को लंड के झटके की लय से लय मिलाते हुए उछाल रही थी. मैं ऊपर से शॉट पर शॉट मारे जा रहा था और साथ ही उसके एक निप्पल को अपने एक हाथ की दो उंगलियों से मसल रहा था.

वो ‘उई … मांम्म्म … जोर से करो … आह … बहुत मजा आ रहा है … आआहह … उईई..’
यस यस यस बेबी ऐसे ही चोदो मुझे ..................... हचक हचक के मुसल लंड से मेरी गुलाबी मखमली चूत चीरकर पेलकर मुझे चोदो, बस चोदते रहो | यस बेबी जस्ट लाइक थेट | आआआह्ह्ह बस ऐसे ही मेरी चूत को अपने मुसल लंड से कुचलते रहो | मुझे बहुत अच्छा लग रहा है | बस मुझे चोद चोद कर स्वर्ग की सैर करा दो मेरे लंड राजा | मोरे राजा चोदो मुझे, बेबी चोदो न अपनी डार्लिंग को, उसकी मखमली चूत को, मिटा दो इसकी सारी खुजली आज |



फिर मैंने पोज बदला. मेने कहा
ये लो , ये लो ये लो और लो पूरा लंड लो, सारा का सारा लो अपनी चूत में बेबी | आह क्या मखमली नरम कसी हुई चूत है बेबी मेरी जान मेरी चूत, मेरी डार्लिंग | आह्ह्हह्ह बहुत मजा आ रहा है तुमको चोदने में | आआआह्ह्ह बेबी |

अब मैं नीचे और उसको अपने ऊपर ले लिया. पदमिनी मेरे लंड के ऊपर आकर उछाल मारते हुए चुद रही थी वो कहने लगी अब तुम आराम करो, मै तुमारे लंड को जन्नत की सैर कराती हूँ | मै तुमारे मुसल को निचोड़ रही हूँ तुम भी इनका रस (अपने ओरोजो की तरफ इशारा करते हुए ) निचोड़ो न |

. उसके मदमस्त मम्मे मुझे उत्तेजना के शिखर पर ले जा रहे थे.

तभी वो मुझे अपना एक दूध चुसाने लगी. दूध चूसने से और चूत में लंड लेने से वो खुद को रोक नहीं पाई और फिर से झड़ने के करीब हो गई.
चोदो न और कसकर चोद अपनी बेबी को

इस बीच में वो दो बार झड़ चुकी थी. अब मैं भी झड़ने वाला हो गया था. मेने कहा चोद तो रहा हूँ बहन की लौड़ी लेकिन वो भी तो चुदाई की उसी रौ में थी | उसके मुहँ से भी गालियां निकलने लगी |
क्या चोद रहा, कूट न मेरी इस मुई गुलाबी चूत को अपने मुसल लंड से बहन के लौड़े | मेने कहा साली छिनार, कितनी चुदास भरी है तेरे अन्दर | ये ले
पद्मिनी बोली हाँ हाँ मादरचोद ऐसे चोद न, चूत खोर साले, चुदाई से जब तक बच्चेदानी न दुखने लगे, चुदाई कैसी भोसड़ी के | मेने कहा - ये ले साली छिनार लंड खोर कुतिया, आज तेरी चूत फाड़ कर ही दम लूँगा,पदमिनी ने कहा तो फाड़ न मेरी चूत रंडीबाज, बुरचोद, चीर दे फाड़ दे और अपनी मलाई से भर दे मेरी चूत को,रंडी की औलाद और जोर से चोद चीचीचीचीचीरररर डाल फाड़ डाल मेरी चूत
थोड़ी देर में ,में भी झड़ गया थोड़े समय बाद मेने फिर से
पदमिनी ने अपने बाल जो क्लिप से समेटे हुए थे जिन्हें मैंने पूरी तरह से खोल दिया। अब वह खुले बालों में नग्न अप्सरा लग रही थी। मैंने पदमिनी के चेहरे से अपना मुंह हटा कर उसके उभरे हुए स्तनों पर अपने मुंह से प्रहार बोल दिया तथा उसके गोल, बड़े, सफेद रंग के स्तनों को चूस कर, चाट कर तथा दांतों से काट कर लाल कर दिया। पदमिनी की हल्के गुलाबी रंग की चूचियां जो कि पूर्ण रूप से तनी हुई थीं, मेरे चेहरे पर स्पर्श करके मेरे शरीर में एक अलग ही गुदगुदी उत्पन्न कर रही थीं। उत्तेजना में मैंने पदमिनी के चूचुक को भी काट लिया। मेरी हरकतें पदमिनी को उत्तेजित कर रही थीं लेकिन उसका मकसद कुछ और था। उसने मुझे जोरदार धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और अपने कूल्हों को मेरे मुंह पर रख कर अपनी चूत मेरे मुंह पर टिका कर उसे मेरे मुंह पर रगड़ने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे कमरे में रखी लकड़ी की कुर्सी पर बिठाया जिस पर हाथ का सहारा रखने वाले हत्थे नहीं थे बल्कि केवल पीछे ही पीठ का सहारा लेने के लिए व्यवस्था थी। मैं पदमिनी के कहे अनुसार उस कुर्सी पर अपना खड़ा लिंग लिए बैठ गया। उसके बाद पदमिनी अपनी गांड मटकाती हुई मेरे पास आई और अपने स्तन को मेरे सीने पर दबाते हुए मेरे लिंग को अपनी चूत में समाहित किए हुए मेरी तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठ गई। अब पदमिनी के स्तन मेरे सीने पर स्पर्श कर रहे थे। पदमिनी ने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी टांगों को नीचे फर्श पर लगाकर अपनी टांगों के इस्तेमाल से अपने आप को ऊपर नीचे करना शुरू किया जिससे कि मेरा खड़ा लिंग पदमिनी की चूत में अंदर-बाहर होने लगा। मुझे पदमिनी की चुदाई का यह तरीका बेहद खास लगा।


थोड़ी देर में पदमिनी के पांव की गति तेज हो गई। उसके गोल-गोल बड़े-बड़े स्तन मेरे सीने से टकराने लगे। पदमिनी ने गति इतनी तेज कर ली कि वह अब अपनी सांसों पर संयम नहीं कर पा रही थी। उसने अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग किया और अति उत्तेजना में आह ... आह ... की ध्वनि निकाल कर मेरे लंड पर उछल-कूद करने लगी। पदमिनी अपनी गांड का इस्तेमाल इस प्रकार कर रही थी कि जब भी ऊपर होकर नीचे की तरफ आती तो मेरी जांघों पर टकराकर पट-पट की जोरदार ध्वनि उत्पन्न करती। जब पदमिनी के पांव जवाब देने लगे तो मैंने अपनी टांगों का इस्तेमाल करते हुए पदमिनी की चूत की गहराई तक अपने लंड को पहुंचाना शुरू किया और करीब 5 से 7 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया। अब हमने अपनी सेक्स स्थिति बदलने की सोची।

पदमिनी ने अपनी गीली चूत में से सना हुआ मेरा लंड बाहर निकाला और कमरे की स्टडी टेबल पर अपने स्तनों को टिका दिया। पदमिनी अपने पांव पर खड़ी होकर अपने पूरे शरीर को टेबल पर लेटा चुकी थी। उसने अपनी गर्दन और स्तनों को टेबल पर लेटा कर अपने हाथों को पीछे मोड़कर अपने कूल्हे को अपने हाथ से जोर से थपथपाया और कहा- कम ऑन पापा , माय ऐस्स इज वेटिंग फॉर यू। (आओ पापा , मेरी गांड का छेद तुम्हारा इंतजार कर रहा है) पदमिनी की यह अदा मुझे भा गई। मैं कुर्सी से उठकर उसकी तरफ गया और उसके पीछे खड़े होकर उसकी गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। वास्तव में क्या गांड थी पदमिनी की, गोलाकार गोरे रंग की गांड। अगर कोई टाइट कपड़ों में ऐसे ही देख ले तो उससे मुट्ठ मारे बिना नहीं रहा जाए और यह तो मेरे सामने अपने असली रंग को दर्शाती हुई नंगी गांड थी।

मैंने पदमिनी के बालों को पीछे खींचते हुए उसकी चूत में अपना लंड ठेल दिया और अपनी पूरी जान लगा कर पदमिनी की चूत को चोदने लगा। कमरे में जोरदार फच-फच की आवाज गूंजने लगी। जब मेरा लिंग पदमिनी की चूत के चिकने पानी से पूर्ण रूप से चिकना हो गया तब मैंने उसे पदमिनी की गांड के छेद पर टिका कर अंदर डालने का प्रयास किया। मेरे लंड ने पदमिनी की गांड में जाने में ज्यादा समय नहीं लगाया। मेरा लंड पदमिनी की गांड में तो चला गया था लेकिन मैं उसमें अभी तक धक्का नहीं मार पाया था क्योंकि लंड को अंदर बाहर करने में मुझे पदमिनी की गांड का कसाव कुछ ज्यादा ही महसूस हो रहा था। मैंने दरिंदे की तरह अपने लिंग को पदमिनी की गांड के छेद के बाहरी मुंह तक निकाला और एकदम से जोर से अंदर पेल दिया। पदमिनी यह झटका संभाल नहीं पाई और उसके मुंह से 'ओ बहन चोद ...' की गाली निकल गई। मुझे उसके द्वारा निकाली गई गाली ने और उत्तेजित किया और मैंने फिर अपने लंड को बाहर निकाल कर फिर जोर से उसकी गांड में ठेला। इस बार उसने मुझसे मादरचोद कहा और जोर-जोर से कहने लगी कि अपने लंड को मेरी गांड से बाहर निकालो।

जैसा कि मैंने कहा था, मैंने अपनी उत्तेजना में अपना आपा खो कर अपने धक्कों की गति और तेज कर दी इस तरह मेरी कमर और पदमिनी की गांड की टकराहट से जोरदार आवाजें आने लगी। थोड़ी देर बाद पदमिनी की गांड के छेद ने मेरे लंड को एडजस्ट कर लिया और पदमिनी भी इस गांड चुदाई का मजा लेने लगी। पदमिनी की कसमसाई गांड में झटके लगा-लगा कर मुझे अहसास हुआ कि अब मैं झड़ने वाला हूं। अतः मैने अपना लिंग पदमिनी की गांड से निकाल कर इसी स्थिति में उसकी चूत में पेल दिया और उसकी चूत को अपने लंड से फाड़ने लगा।

पदमिनी

जोर से अंग्रेजी में फक फक फक ... बकने लगी। थोड़ी देर में पदमिनी की चूत ने मेरे लंड पर हल्का सा फव्वारा छोड़ दिया तथा मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।
 

Raja jani

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Wo kya hai ki jab mal nikal jata hai na to comment karne ka bhi man nah I padta don't mind ha ha ha ab aur kya tarif karun juhi jee.
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Nice
 

juhi gupta

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सुबह ही हम मुंबई के लिए निकल गए ,घर जाते ही पदमिनी
थोडा जल्दी ही अपने बिस्तर पर चली गयी. उसे पता ही नहीं चला की कब उनकी आँख लग गयी. जवानी न जाने कैसे कैसे स्वप्न दिखाती है.... पदमिनी को जैसे चुदाई का कोई स्वप्न आया.. स्वप्न में उसे उसके गर्म बदन में कोई मादक आनंद की लहरें लगा रहा था... पदमिनी को बड़ा ही आनंद आ रहा था .... उसे लग रहा था मानों कोई गरम और बड़ा सा लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रहा हो....

घने अँधेरे कमरे में पदमिनी की नींद टूट गयी. उसने तुरंत महसूस किया की कोई चीज उसके पैरों के बीच में थी जो उसकी चूत चूस रही थी. शीघ्र ही उसने महसूस किया किया की कोई उसे जीभ से चोद रहा है.

उसे लगा कि ये उसका पति आकाश है. उसने गहरी साँसों में बीच गुहार लगाईं, "ओह राजा,चूसो मेरी चूत को"

पदमिनी ने अपनी गांड पूरी उठा ली ताकि वो अपनी चूत पूरी तरह से चुसाई के के लिए समर्पित कर सके. उसी समय उसने महसूस किया की चूत चूसने वाले ने अपने दोनों हाथ उसकी जाँघों पर रखे और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया. उसकी साँसें भारी हो रही थीं. एक ही ठाप में पूरा का पूरा लंड पदमिनी की चूत के अन्दर हो गया.

पदमिनी इस समय तक पूरी तरह से जाग गयी थी. उसे अच्छी तरह से मालूम था की उसे चोदने वाला इंसान उसका पति नहीं है. इस समय जो भी उसे चोद रहा था, उसकी चूत को पूरी तरह से संतुष्ट कर रहा था. उसकी चूत पूरी तरह से भरी हुई थी. लंड चूत को भकाभाक छोड़ रहा था, चूत पूरी तरह से लंड से भर सी गयी थी. पदमिनी इस बात को पूरी तरह महसूस कर सकती थी की जो लंड उसकी चूत को चोद रहा है वो उसके पति से बड़ा है और उसे उसके पति से कहीं ज्यादा वासना से चोद रहा है.

कमरे में इतना घुप्प अँधेरा था की पदमिनी को ये बिलकुल समझ नहीं आया की उसकी चूत में जिस इंसान का लुंड इस समय घुसा हुआ है वो है कौन. चुदाई का पूरा आनंद उठाते ही पदमिनी सोच रही थी की ये उसका ससुर हो सकता है या प्रकाश में से एक. पर इस समय पदमिनी चोदने वाले का चेहरा तो नहीं देख पा रही थी पर केवल उसके हांफने की आवाज ही सुन सकती थी. चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था की पदमिनी से ये सोचना की बंद कर दिया की साला छोड़ने वाला है कौन. पदमिनी ने अपनी टाँगे चोदने वाले के कन्धों पर रखे और अपनी चूत को ऊपर उठाया ताकि छोड़ने वाले का पूरा लंड अपनी चूत में उतार सके.

चोदने वाले ने भी रफ़्तार पकड़ ली. भकाभक पदमिनी की चूत चॉदनी चालू करी.

"हाय मार डाला ....फाड़ दी तूने साले मेरी चूत" , पदमिनी ने हाँफते हुए बोला,

पदमिनी ने अपनी गांड उठा उठा के अपने गुप्त प्रेमी के धक्के स्वीकार किये.

चोदने वाले ने अपना बड़ा सा लौंडा पदमिनी की चूत में भकाभक पेश किया और ऐसा झडा की पदमिनी की चूत से उसका सामान बह बह के निकलने लगा.

पदमिनी बोली, " ओ ओह ..मार ले मेरी .. मैं गयी रे ....मेरी चूत का मक्खन निकला रे .........."

पदमिनी को चोदने वाला बड़ा ही महीन कलाकार निकला. उसने अपने झड़ने हुए लंड को पदमिनी की गरम चूत में एकदम अन्दर तक पेल दिया. लंड का रस पदमिनी की चूत के सबसे अन्दर वाले इलाके में जा के जमा हुआ. पदमिनी को इतना घनघोर तरीके से किसी ने नहीं चोदा था. पर वो संतुष्ट एवं परिपूर्ण महसूद कर रही थी.

उसे जो भी चोद रहा था, उसने अपना लंड बिना कुछ कहे पदमिनी की चूत से निकाला. इसके पहले की पदमिनी या किसी को कुछ पता चले वो गायब हो गए.

पदमिनी अपने बिस्तर पर लेती हुई थी, सोच रही थी की उसे इतना "खुश" किसी ने नहीं किया आज तक.
--- उस रात पदमिनी जब फिर से सोने गयी, उसने अपने गाउन के नीचे कोई चड्ढी नहीं पहनी थी. क्योंकि वो मन ही मन चुदवाने का प्लान कर रही थी.


थोड़ी ही देर में पदमिनी को उसी तरह से जगाया गया जैसे उसे पिछली रात जागाया गया था. उसकी चूत पर कोई अपनी गीली जीभ लगा कर अपनी पूर लगन एवं श्रद्धा से उसकी चूत का मुख-चोदन कर रहा था. पदमिनी ने अपने पैर उठा लिए, चूसने वाले व्यक्ति का सर पकड़ा और तेजी से अपनी चूत में गडा दिया. चोदने वाले व्यक्ति की जीभ बुरी तरह से पदमिनी की चूत में घुसी हुई थी. जीभ वाला आदमी पदमिनी की चूत का पूरा आनंद ले रहा था, वो अपनी जीभ को पदमिनी की चूत के ऊपर नीचे कर रहा था. पदमिनी की चूत जम के अपना पानी छोड़ रही थी.

"ओह उम् आह", पदमिनी ने सिसकारी भरी.

पदमिनी ने अपने छोड़ने वाले के लंड को पकडा और उसे सोंटना शुरू कर दिया.

पर इसी बीच इसे चोदने वाला पदमिनी ऊपर आया और अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर लगा के एक ठाप मारी. उसका लंड चूत में आधा घुस गया,

"ये ले मेरा लंड", चोदने वाले ने पदमिनी के कान में फुसफुसाया.


पदमिनी ने तुरंत ये आवाज़ पहचानी. ये तो प्रकाश था.

"ओह प्रकाश !" वो चुदवाते हुए बोली.

पदमिनी ने अपने हाथ और पैर प्रकाश के शरीर पर रख कर चूत उसके लंड पर भकाभक धक्के लगाना चालू किया....

"साली हरामजादी तुझे तेरे देवर की चुदाई पसंद है...."

प्रकाश मनोरम की चूत में बेरहमी से लंड के धक्के लगाते ही बोला.

"हाँ जी भैया ... आपका लंड कितना अच्छा है.....मेरी चूत पानी छोड़ रही है ......" पदमिनी बोली.

प्रकाश ने अपनी भाभी की चूत में अपने लंड के भालाभाक धक्के लगाए.

"तुम्हारा लंड कितना बड़ा है..... फाड़ दो मेरी चूत को...मैं झड रही हूँ .प्रकाश आ...आ ...आ ... ....." पदमिनी चिल्लाते हुए झड रही थी

"मेरा लंड भी तेरी चूत में पानी छोड़ रहा है ....... मैं झड रहा हूँ", प्रकाश झाड़ते हुए बोला.थोड़ी देर में दोनों निढाल हो गए ,पदमिनी ने प्रकाश से कहा की कब आये तो उसने कहा भाभी आपकी चूत की याद आ रही थी इसलिए कल ही आया ,यंहा आया तो पता चला आप पापा के साथ बाहर गयी हुई हे तो रुक गया। पद्मिनी ने प्रकाश से कहा की आप अपने रूम में चले औ क्यू की पापा और आकाश भी यही हे। अगले दिन
-- पदमिनी रासोई में बर्तन धो रही थी. तभी उसने अपनी गांड की दरार पर एक कहदा लंड महसूस किया. मुद कर देखा तो पाया की में खड़े हु और मुस्करा रहा हु पदमिनी ने अपने गोल और गुन्दाज़ चूतडों को और पीछे फेंका जैसे अपने चूतडों के द्वारा ससुर के लंड की मालिश कर रही हो. में खुद को बड़ा किस्मतवाल मान रहा था की मुहे ऐसी चुदाक्कड टाइप बहु मिली.,में अपने हाथों से बहु की गुन्दाज़ चुंचियां दबाने और सहलाने लगा

"ओह ओह पापा जी ......" पदमिनी ने भारी आवाज में बोला

"मेरा लंड बहुत जोर से खड़ा है बहु. क्या तुम्हारी चूत के पास थोडा टाइम है?"

में पैशनेट आवाज में बोला और पदमिनी की टांगों के बीच हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा.

"ओह पापा जी...प्लीज ... आपको चोदने का बड़ा दिल कर रहा है......पर आकाश घर में है...वो बेडरूम में सो रहा है ...पर कभी भी जग सकता है.....हम यहाँ नहीं चोद सकते..." पदमिनी बोली.

"तुम ठीक कहती हो बहु...यहाँ ठीक नहीं है... मैं रूम में तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ ...चलो रूम में आओ ...जल्दी से...".

में अपनी बहु की चून्चियों को दबाते ही आँख मारते हुए बोला.

पदमिनी बेडरूम गयी और देखा की उसका पति आकाश अच्छी तरह से सो रहा है. पदमिनी किचन से निकल कर रूम में गयी. उसके शरीर में एक अजीब तरह की इच्छा थी जिसकी वज़ह से उसकी चूत गीली थी.
पदमिनी ने मेरे रूम में प्रवेश किया और देखा की में वहां पूर्ण नग्न हो कर अपने लंड को धीमें धीमें सोंट रहा हु

पदमिनी ने अपने सारे कपडे उतारे और मेरे पास गयी. में अपने घुटनों के बल बैठ गया और पदमिनी लौंड़े के ऊपर चढ़ गयी. पदमिनी ने अपनी चुन्चिया मेरे मुंह में दे दीं. मेने बहु की चुन्चिया चूसी और लंड को बहु की चूत की गहराइयों में डुबाया.

"ओह....ओह... मर गयी रे .....पापा जी तुम्हारा औज़ार तुम्हारे बेटे से बड़ा है .....चोदो मुझे.......मेरी फाड दो पापा जी......." यही हाहाकारी मुसल लंड सालो से हवस की आग में जल रहे शरीर की भूख मिटा सकता है,

मेने अपना लंड लपालप अपनी पदमिनी की चूत के हवाले किया और बहु को तो तब तक चोदा जब तक मज़ा न आ जाए.

पदमिनी चुदाई करवाते हुए बोली, "पापा प्लीज मेरी चूत में अपना पानी डाल के झडो ......प्लीज...." हाय मै मर गयी, प्लीज पापा बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज इसे बाहर निकाल लो, वरना मेरी चूत फट जाएगी,

मेने पदमिनी की चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करते हुए निकला और पदमिनी के मुंह में डाल के बोला, " ये ले बहु चूस ले इसे....पी ले इस का रस ....
"
पदमिनी ने मेरे लंड जम के चूसा पर मेरे को पदमिनी की चूत में लंड डाल के ही झाड़ना पड़ा.

"ये ले चख ले मेरा वीर्य", मेने झड के पदमिनी को बोला.

"ओह मेरे मुंह में अपना सारा माल जमा कर दो पापा जी जानेमन", पदमिनी आँख मारते हुए बोली.

दोनों चुदाई से थक चुके थे, इसके पहले की पदमिनी का पति आकाश उठे उसने अपने साडी ठीक की और रूम में चली गयी. में और प्रकाश आधुनिक विचारो के थे इसलिए साथ साथ भी ड्रिंक कर लिया करते थे उस दिन हम दोनों ने ड्रिंक यदा कर ली हम दोनों अपने अपने रूम की और ा ही रहे थे

. आकाश रोज की तरह खाना खा के सो रहा था. उन दिन ज्यादा थक कर वापस आया था, सो उसने पदमिनी को छोड़ा भी नहीं और खा कर सीधे सोने चला गया. आज पदमिनी को थोडा बुरा लग रहा था वो ऐसे ही बाहर निकली मुझसे टकरा गयी और वो निचे गिर पड़ी और में उसके उप्पर गिर गया मुझे ड्रिंक में धयान ही नहीं रहा की प्रकाश भी वंहा हे

उसकी आवाज निकले उससे पहले में ने उसकी साडी और पेटीकोट खींच के फ़ेंक दिया गया. प्रकाश ने भी अपनी भाभी को देखा तो वो भी पदमिनी का ब्लाउज खोल रहा था. पदमिनी मेरी सहूलियत के चड्ढी वैसे भी नहीं पहनती थी. सो दो मिनट में वो वहां दो मर्दो के सामने पूरी नंग धडंग पडी हुई थी.

पदमिनी ने शर्म से अपनी आँखें बंद कर रखीं थीं. उसे अब ये तो पता था की उसके साथ अब क्या होने वाला है. हालांकि वो कोई दूध की धुली नहीं थी, पर उसे मेरे और प्रकाश के सामने के सामने इस प्रकार से बल के ऐसे प्रयोग से नंगा हो कर लेटना अच्छा नहीं लग रहा था. उसने चुदाई तो बहुत की थी, पर दो दो लंडों का स्वाद एक साथ लेने का यह पहला अवसर था. इस बात को सोच कर उसकी चूत में अजीब तरह की प्यास जग गयी.

प्रकाश ने अपना लंड बिना किसी निमंत्रण के अपनी भाभी की चूत के मुंह पर टिकाया और अपना सुपदा अन्दर किया. पदमिनी सिहर उठी. पदमिनी की चूत थोडा गीली थी सो लंड दो तीन धक्कों में अपने मुकाम पर पहुच गया. में उसकी चून्चियां चूसने ऐसे चूस रहा था मानों वो कोई स्वादिष्ट पके हुए आम हों. पदमिनी को अब इस खेल में मजा आना शुरू हो गया था और वो सिसकारी लेने लगी.

प्रकाश का लंड अपने पिता से छोटा था पर साइज़ में मोटा था. इस लिए जब भी वो धक्का लगता था, पदमिनी की चूत और फैलती थी और उसे ज्यादा आनंद आ रहा था. उसने अपनी ऑंखें खोल लीं, अपनी टाँगे प्रकाश की गांड के दोनों तरफ फंसा कर पदमिनी अपनी गांड उठा उठा कर प्रकाश का लंड अपनी गीली चूत में लेने लगी. फचफच की आवाज गूँज रही थी.

"चोदो मुझे प्रकाश ....." पदमिनी पहली बार मुंह खोल कर कुछ बोली.

प्रकाश ने अपनी भाभी की चूत में अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी. और मेने खुले मुंह का लाभ उठा कर उसके मुंह में अपना हथियार घुसा दिया. पदमिनी पूरे मजे ले ले कर उसे चूसने लगी. अपने मादक शरीर में दो दो लंडों को अन्दर बाहर होने के अनुभर से भाव विभोर गयी.

"अरे क्या मस्त चूत है तुम्हारी भाभी. पूरे मुंबई में इतनी मौज और किसी लडकी ने नहीं दी मुझे", प्रकाश उसे चोदते हुए बोला.

"ये ले ....मेरा ल...अ...अं....न्ड....."

पदमिनी समझ गयी की प्रकाश अब बस झड़ने ही वाला है. वह जोर जोर से अपनी गांड उठाते हुए मरवाने लगी. अगले ४-५ ढाकों के बाद प्रकाश ने अपने लंड का पानी पदमिनी की चूत में उड़ेल दिया.

प्रकाश ने अपना लंड निकाला और मेरे को इशारा किया

में ने पदमिनी को उल्टा किया और उसकी गांड पकड़ कर उठाने लगा. पदमिनी समझ गयी कीमें उसे कुतिया के पोस में चोदना चाह रहा है सो वह तुरतं घुटनों के बल हो गयी. प्रकाश का वीर्य उसकी चूत से निकल कर झांघों से बहने लगा. मेने अपना लंड एक झटके में उसकी चूत में डाल दिया और फुर्ती से चोदने लगा.

मेरा मोटा लंड पदमिनी की चूत बुरी तरह से चोद रहा था. पीछे से चोदते हुए मेने उसकी चून्चियों को अपने हाथों से सहलाते हुए फुसफुसाया

"मैं और प्रकाश तुम्हें रोज इसी तरह से अच्छे से चोदेंगे. तुम्हारी चूत में अपने लंड डाल डाल के तुम्हारी क्रीम निकालेंगे रोज हम दोनों. ठीक है न पदमिनी ?"

"हाँ....हाँ ...मुझे तुम दोनों इसी तरह से मजे देना रोज....आह ...आह .....रोज ......" पदमिनी ने पूरे आनंदित स्वर में जवाब दिया.

ये सुन कर मेने अपने चुदाई की रफ़्तार बाधा दी. मेरी जांघें पदमिनी के चूतडों से टकरा टकरा कर जैसे संगीत बनाने लगीं.

"ओह ...ओह...मैं गया ....ये ले ..मेरा सारा रस ....अपनी चूत में ......"

ये कहते कहते मेने अपना लंड पूरी जोर से घुसा दिया और झड गया. पदमिनी को ऐसा लगा मानो उसकी चूत के गहराई में जा कर किसी ने वाटर जेट चला दिया हो.

पदमिनी बड़ी खुश थी, उसके पास दो दो मर्द थे जो उसे रोज कभी भी जवानी का सुख देने को तैयार रहते थे. उसके जैसी कामुक स्त्री के लिए ये किसी स्वर्ग से कम नहीं था. अगले दिन सुबह . पदमिनी की . प्रकाश ने बांह पकड़ी और कमर में हाथ डाला और उसे लगभग खींचते हुए गार्डन में लेगया . पदमिनी हंस रही थी, विरोध का नाटक कर रही थी.

"भैया , आकाश सो रहे हैं. और वो कहीं आ गए तो?"

"भाभीअपने देवर को इतना न तडपाओ. आज अगर हमारे खड़े लण्ड को खाना नहीं मिला तो हम गर्मी से फट जायेंगे."

प्रकाश ने अपने पजामे की तरफ इशारा किया. पदमिनी ने देखा की पजामा उसके लंड की वजह से टेंट की तरह ताना हुआ था.


वो दोनों गार्डन में पहुंचे. हांफ रहे थे, हंस रहे थे और साथ में कपडे उतार रहे थे. की में भी आ गया पदमिनी प्रकाश के सामने नंगी खादी थी. प्रकाश उसकी झांटों से भरी हुई चूत सहला रहा था. मेने पदमिनी की गांड अपने दोनों हाथों से पकडी ली . प्रकाश ने अपने होंठ पदमिनी के होठों पर रख दिए और उसका गीला चुम्बन लेने लगा, उसकी दो उंगलिया पदमिनी की गीली चूत में थीं और उसकी जीभ पदमिनी के मुह के अन्दर थी. में ने पीछे से उसे पकड़ा हुआ था, मेरा एक हाथ पदमिनी की गांड पर और दूसरा हाथ उसकी चून्चियों पर था. में पदमिनी के गले पे पीछे की जगह को अपनी जीभ से चाट रहा था. पदमिनी चरम आनंद का अनुभव कर रही थी.

प्रकाश ने अपनी उंगलिया निकाल लीं और पदमिनी के मुंह में से दीं. पदमिनी एक गरम कुतिया की भांति प्रकाश की उँगलियों से अपनी का चूत का रस चाट चाट कर चख रही थी. प्रकाश ने अपना लंड पदमिनी की चूत में डाल दिया. में पदमिनी की पीठ से चिपका हुआ था और प्रकाश के धक्केमुहे अपने ऊपर महसूस हो रहे थे. पदमिनी की चूत प्रकाश का लंड चप्प चप्प की आवाज कर के ले रही थी. मुहे प्रकाश को चप्प चप्प कि आवाज सुन कर लगा कि पदमिनी की चूत में दुसरे लंड की जगह है. सो मेने पदमिनी की दोनों टांगों के बीच से ले जा कर अपने लंड का मुंह पदमिनी की चूत के मुंह पर टिकाया. अगले धक्के में जब प्रकाश ने अपना लंड थोडा बाहर लिए तो में ने अपना सुपाडा अन्दर किये. इसके पहले की पदमिनी कुछ समझ पाती, दोनों के लंड उसकी चूत में थे.

पदमिनी को अपनी चूत में बड़ी जोर का दर्द हुआ. उसने अपनी चूत को इन दोनों लंडों से हटाने की कोशिश की. पर हम दोनों ने उसे जोर से पकड़ा हुआ था. और उसके पास हटने या बच कर के निकलने की कोई जगह नहीं थी.

"अरे कमीनों छोडो मुझे....एक एक के कर के करो....मेरी चूत फट गए....मैं मर गयी ......"

पदमिनी ने गुहार लगाई. पर दोनों गज़ब के चोदू थे. पदमिनी को ऐसा लगा रहा था मानूं एक हज्जार चींटियां उसकी चूत में घुस गए हैं और सब एक साथ मिल कर उसे वहां काट रही हैं. कहते हैं चूत के अन्दर गज़ब की क्षमता होती है. दो तीन मिनट में पदमिनी का दर्द काफूर हो गया और उसे मज़ा आने लगा.

पदमिनी बोली , "चोदो हरामियों...मुझे जोर से चोदो.....दो दो लंड से मेरी फाड़ डालो ......आ ....आ......बड़ा मज़ा आ रहा है"

हम तीनो के बदन पसीने से सने गए और तीनों के बदन से चाप चाप की आवाज आ रही थी.

"भाभी, हम लोग तुमको हर बार नहीं चीजें सिखायेंगे...दो लंड इकठ्ठे किसी चूत को बड़ी किस्मत से मिलते हैं मेरी जान", प्रकाश चहकते हुए बोला.

पदमिनी ने अपनी खड़े खड़े अपनी टांगो को फैला लिए ताकि दोनों लंडों को ठीक से चोदने की जगह मिले. मेरा और प्रकाश के लौंड़े पदमिनी की चूत में आपस में रगड़ रहे थें मानो एक दुसरे से कम्पटीशन कुश्ती का हो की कौन कितनी चूत मारेगा पदमिनी की.

पदमिनी ने अपनी बायीं तरफ की चूंची प्रकाश के मुन्ह में दे दी. दायीं वाली में पीछे से दबा रहा था. प्रकाश अपना लंड भाभी के मोटे चूतड़ों के बीच से भाभी की चूत में आते जाते देख रहा था. उसे बड़ी ख़ुशी थी की पदमिनी जैसी कामुक लडकी उनके घर आई. अब चुदाई के लिए बाहर जा कर लडकियां पटाने का कितना सारा समय बाख जाता था. ऊपर से घर का माल घर में की खर्च हो रहा था.

"दो दो लौंड़े खाने वाली भाभी .... दो लौंड़े खा ले ...
अपनी चूत का भक्काडा, बनवा ले बनवा ले......"

प्रकाश छोड़ भी रहा था और गा ही रहा था.

पदमिनी को चुद्वाते हुए गंदी बातें सुनना बड़ा पसंद है. प्रकाश और मेरी चुदाई और उनकी गंदे बातों और गानों से उसकी चूत का रस मानों अब निकला तब निकला.



अब तक पदमिनी दो बार झड चुकी थी. वो दोनों यानि मुझसे और प्रकाश से गुहार लगा रही की वो अपना रस जल्दी से निकालें. दोनों ने अपने लौड़े निकले और पदमिनी को जमीन पर बिठाया वो उसके चेहरे के दोनों साइड में आ ये और अपना लौंडा हिलाने लगे. पदमिनी ने अपने एक एक हाथ में एक एक लंड लिया और उन्हें हिलाने लगी. पहले में झडा और पदमिनी ने उसकी एक एक बूँद अपने मुंह में ले ली. प्रकाश ने इसी बीच अपना फव्वारा पदमिनी के चेहरे और मम्मों पर छोड़ दिया.

. पदमिनी हम दोनों के वीर्य और पसीनें से सनी हुई अभी भी पडी हुई थी. उसकी साँसे भरी थीं. उसे आनंद का नया अहसास मिला था. दो मर्दों ने उसे आज एक रंडी की तरह इस्तेमाल किया था और उसे बहुत ही मज़ा आया.
 

juhi gupta

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प्रकाश पर अभी भी नशा हावी था उसने पद्मिनी को कहा पहला इंस्ट्रक्शन ,कान खोल के सुन रंडी ,मैं दुहराऊंगी नहीं , तेरी ये चूँचीयां इसी तरह खुली रहनी चाहिए , समझी ,दोनों ये निपल एकदम दिखते झलकते रहने चाहिए , ये कहकर उसने उसने अपना मुँह पद्मिनी के बडे बडे स्तनो पर ले गया और उसके दाये स्तन को अपने मुँह मे ले लिया ।
पद्मिनी के मुँह से सिसकी निकल गयी जब उसे अपने निप्प्ल पर प्रकाश के दातो का अनुभव हुआ । उसकी गर्म लार पद्मिनी के स्तन को भिगो रही थी । प्रकाश एक बार उसे चूस रहा था तो एक और पल मे अपने दाँत पद्मिनी के स्तनो की मुलायम त्वचा मे गडा रहा था । अब पद्मिनी आवाके से बाहर हो चुकी थी । उसके मुँह से अब सिसकियों के बौछार निकल रही थी और वो उन्मत्त अवस्था मे थी । हवस और वासना ने अब पद्मिनी को पुरी तरह से बेकाबू कर दिया था ।
प्रकाश ने पद्मिनी के बायें स्तन पर अपना मुँह जमाया तो पद्मिनी के मुँह से आह निकल गयी । वो दोनो अब कुछ नही बोल रहे थे । दोनो ने अपने आप को पुरी तरह से हवस के हवाले कर दिया था ।
प्रकाश पद्मिनी के दोनो स्तन अपने मुँह से चाटने और चुमने लगा । प्रकाश ने पद्मिनी के पेटिकोट का नाडा खोल दिया और पद्मिनी धीरे से उसके बाहर आ गयी । प्रकाश फ़िर से पद्मिनी के मम्मो की तरफ़ आकर्षित हो गया । अब प्रकाश जोर जोर से पद्मिनी के स्तनो को काट रह था और हर बार पद्मिनी सिसक रही थी । लेकिन उसे इतना उन्माद और आनंद आज तक किसी ने भी नही दिया था । वो काँप रही थी और प्रकाश कि बाहो मे मचल रही थी ।
तभी पद्मिनी को अपनी जाँघो के बीच कुछ अजीब सा स्पर्श महसुस हुआ और जैसे हि उसे कमझ मे आया कि वो क्या है, वो दिवानी सी हो गयी । उसने प्रकाश के कानो को चुमना चालु किया और धीरे से प्रकाश के कानों मे बोली ।
“तुम्हारा बाहर निकालो ना । कब से राह देख रही हुं कि कब निकालोगे ।” पद्मिनी ने मचलकर कहा । लेकिन प्रकाश ने कोइ जवाब नही दिया वो उसके मम्मो कि चुसते हि रहा । पद्मिनी वैसे ही तरसती रही । आखिर मे उसने अपना दाया हाथप्रकाश कि टांगो के बीच डाला और धीरे से सहलाया । उसे धक्का हि लगा जब उसने प्रकाश का लंड अपने हाथ से सहलाया ।
“प्रकाश , कितना बडा है तुम्हारा ? इतने बडे लंड से चुदवाते चुदवाते ही जान निकल जाती हे मेरी । ” पद्मिनी हँस कर बोली लेकिन मन मन हि मन मे उसके लड्डू फ़ुट रहे थे ।
आकाश के सामने प्रकाश का तगडा लंड देखकर पद्मिनी का दिल खुशी से डोल उठा ।
“ प्रकाश ने उसकी मम्मो मे वापस अपना मुँह डाल दिया । पद्मिनी मचल सी गयी

उसने प्रकाश के लंड कि तरफ़ हाथ बढाया और धीरे से अपनी हाथ की उंगलियों उसके लंड पर फ़ेरायी ।
“आह, साली कुतिया रंडी है तू एकदम । क्या उंगलियों है तेरी । लंड देखा नही कि हाथ लगाना चालू । हट पीछे और अपनी जाँघे फ़ैला के लेट जा । ऐसे चोदुगा तुझे कि वापस अपने उस चुतिया पती से चुदवाने के लायक हि नही रहेगी । बार बार मेरे लंड से चुदाने के लिये आयेगी हमेशा ।” प्रकाश ने अपने दोनो हाथ पद्मिनी के स्तनो पर रखे और फ़िर जोर से उसके मम्मो पर चांटा मारना चालू किया । पद्मिनी जोर से चिल्ल्यी लेकिन उसे इतना उन्माद शायद पहली बार मह्सुस हुआ जब प्रकाश अपने हाथों से उसके मम्मो पर मार रहा था । प्रकाश ने धडा धड 8-10 बार पद्मिनी के मम्मो पर चांटे मारे तो उसकी त्वचा लाल लाल हो गयी । लेकिन पद्मिनी कि चुत पुरी गीली हो गयी थी ।
पद्मिनी ने अपनी आँखे बँद कर ली और प्रकाश के खुरदरे हाथों का अपने स्तनो पर आनंद लेने लगी । प्रकाश उसके स्तनो को जोर जोर से मसल रहा था । उसके नाखूनो का स्पर्श पद्मिनी को मादित कर रहा था । प्रकाश अपने नाखूनो से पद्मिनी ने निप्प्लेस दबा रहा था और पद्मिनी उसकी बाहो मे तडप रही थी ।
“आह प्रकाश , इतना भी मत तडपाओ मुझे । । अब मुझसे सहा नही जाता । अब तुम मेरी प्यास बुझाओ ।” पद्मिनी ने अपनी जांघों को उपर किया और उन्हे प्रकाश के लिये फ़ैला दिया ।
“क्यो तेरा वो चुतिया पती क्या करता है जो तु इतने दिन से प्यासी है?” प्रकाश ने हँसकर पुछा तो पद्मिनी ने अपनी आँखे मटका दी और बोली ।
“उसके बारे मे बात नही करनी मुझे ।” इतना कह्कर वो भी हँसने लगी । मुज्झे हेरात हुई की पहली बार पद्मिनी आकाश का मजाक उड़ता देख रही थी और उसका मजाक भी उड़ा रही थी प्रकाश ने पद्मिनी की जाघों को अपने हाथो से थोडा और फ़ैलाया और फ़िर अपना लंड पद्मिनी की गीली चुत के दरवाजे से सटा दिया । जैसे हि उसके लंड का स्पर्श हुआ तो पद्मिनी के मुँह से एक सिसकी निकली । उसने अपना हाथ प्रकाश के लंड पर रख दिया और उसे धीरे से अपनी चुत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगी । उसकी चुत इतनी गीली थी उसका यौवन रस उसकी जाघों के बीच बह रहा था ।
“साली रंडी कुतिया, इतनी दिवानी हो चुकी है लंड के लिये कि खुद ही हाथ लगाकर अपनी चुत मे डाल रही है । रुक कुतिया, तुझे ऐसा सबक सिखाता हुं कि जिंदगी भर याद रखेगी ।” ये कहकर प्रकाश ने पद्मिनी की टांगें अपने हाथों से पकडी और जोर से धक्का मारा ।
पद्मिनी के मुँह से जोर से चीख निकल गयी जब प्रकाश का लंड उसकी चूत मे घुस गया । पद्मिनी को जोर से दर्द हुआ । उसने दोनो हाथो से बेड्शीट पकडी और फ़िर जोर जोर से साँस लेने लगी । लेकिन उसकी आँखे अभी भी बँद थी । उसने अपने होठों को अपने दातो के बीच दबाया और फ़िर प्रकाश का इंतजार करने लगी । पद्मिनी ने मन मे सोचा की आज प्रकाश शायद उसकी चूत को फ़ाडकर ही छोडेगा ।
अब प्रकाश किसी मदमस्त साँड कि तरह पद्मिनी की जाँघो के बीच अपना लंड आगे पीछे हिलाने लगा । लेकिन इस बार पद्मिनी प्रकाश का लंड सहन नही कर पायी । उसका लंड पद्मिनी की गीली चूत मे सिर्फ़ आधा ही समाया था लेकिन फ़िर भी पद्मिनी को ऐसे लग रहा था कि वो अब बचेगी नही । लेकिन प्रकाश ने धीरे धीरे अपना लंड पद्मिनी कि चूत मे हिलाने लगा तो पद्मिनी मे भी थोडी हिम्मत आ गयी ।
“आह । आह् । उई माँ । धीरे धीरे करो ना । पहले ही तुम्हार लंड इतना बडा है उपर से कितने जोर से धक्के मार रहे हो ।” पद्मिनी ने चिल्लाते हुए कहा लेकिन प्रकाश अब उसकी सुनने कि लिये तैयार नही था । उसमे पद्मिनी कि जवानी और उसके जिस्म का नशा सवार था ।
उसने जोर से पद्मिनी के गाल पर एक झापड मारा और फ़िर उसके बाल अपने एक हाथ से खिंचने लगा । पद्मिनी दर्द से तडपने लगी लेकिन फ़िर प्रकाश ने उसके बालो को कसके पकडा और जोर जोर से उसे चोदने लगा । पद्मिनी दर्द के मारे छ्टपटाने लगी लेकिन प्रकाश बेदर्दी से उसे चोदता गया ।
“आह , आह , प्रकाश क्या कर रहे हो । मै मर जाउँगी । धीरे करो ना ।” पद्मिनी गिडगिडाने लगी लेकिन प्रकाश ने फ़िर से एक बार उसके स्तनो पे दो तीन झापड और मारे ।
“चुप रह कुतिया । साली रंडी कही की । बोला था न तुझे पहले ही कि तेरा रेप करुंगा । तब तो बडी प्रेमिका बन रही थी । बोल रही थी चोद लेना । और अब चोदने का वक्त आया तो बोल रही है धीरे करो । साली रांड ।” प्रकाश ने फ़िर से पद्मिनी के गाल पर एक और तमाचा मारा । इस बार तो उसके नाजुक गालो पे प्रकाश की उंगलियों के लाल निशान साफ़ दिखाई दिये । पद्मिनी की आँखो मे आँसू आ गये । उसे ऐसा लग रहा था कि शायद उसका सच मे प्रकाश बलात्कार कर रहा है । लेकिन दुसरी तरफ़ उसके दिल मे दुसरी एक अजीब से भावना जाग रही थी । प्रकाश का उसे कुतिया और रांड कहना , उसका बार बार चांटा मारना पद्मिनी को उत्तेजित कर रहा था । वो अब इतनी उत्तेजित थी और उसकी चुत इतनी गीली थी कि प्रकाश क लंड अब पूरी तरह से उसकी चुत मे समा गया था और अब वो उसे इतना आनंद दे रहा था जो आकाश आज तक उसे कभी भी नही दे पाया था ।
अब प्रकाश किसी सुअर कि तरह चिल्ला चिल्ला कर पद्मिनी को चोद रहा था । पद्मिनी ने अपने दोनो हाथो को प्रकाश कि पीठ पर डाला और उसे कस कर अपनी बाहो मे जकडा । प्रकाश का लंड पद्मिनी कि चुत मे हर उस जगह को छू रहा था जिस जगह पर आकाश कभी गया हि नही था । पद्मिनी धीरे धीरे से प्रकाश कि पीठ को सहला रही थी । प्रकाश के हर धक्के के साथ वो सिसक रही थी लेकिन उसकी सिसकियों अब दर्द कि नही उत्तेजना और आनंद कि थी ।
पद्मिनी ने प्रकाश के चेहरे को देखा और देखते हि उसे समझ मे आ गया कि वो अब आनंद कि परमोत्त्म सीमा पर है । एकदम से, प्रकाश ने पद्मिनी के स्तनो के जोर से हाथो से पकडा और उसका शरीर काँपने लगा । पद्मिनी ने भी उसे अपनी बाहो मे कस के जकडा और धीरे धीरे प्रकाश को चुमने लगी और सहलाने लगी । प्रकाश धक्के मारता रहा और फ़िर वो पद्मिनी की बाहो मे लिपटकर अपनी साँस सँभालने लगा ।
पद्मिनी भी प्रकाश के जिस्म की गर्माहट महसुस करते हुए उससे लिपट कर पडी रही ,आह..बहनचोद जोड़ लगा के चोद ना..लौडे में जान नहीं है मादरचोद..उह..उह..""ओह्ह..मादरचोद..आह..चोद अपनी पद्मिनी को जोर लगा के.. हम्म..रंडी बना के चोद.. उफ़्फ़.. और चोद मादरचोद..हाय..आह.."
और इसी तरह चोदते-चोदते प्रकाश ने उसके गहरी चूत को अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया , -----मेने सोचा अब पद्मिनी संतुष्ट हो गयी होगी लेकिन नहीं, मेने देखा पद्मिनी अब प्रकाश को गोद में बैठी हुई थी. प्रकाश दिवार से टिक कर बैठा था और पद्मिनी उसकी जांघो पर बैठी थी. पद्मिनी की टाँगे प्रकाश की कमर के इर्दगिर्द थी. पद्मिनी के हाथ प्रकाश की गर्दन पर थे और वो उसके होठो को चूम रही थी. प्रकाश के दोनों हाथ पद्मिनी के नितंबो पर थे और वो उन्हें धीरे धीरे से सहला रहा था. . मेरे सामने पद्मिनी की नंगी बाहे प्रकाश के बालो सहला रही थी. पद्मिनी के गोरे गोरे हाथ अब प्रकाश की पीठ को सहला रहे थे लेकिन ये देखकर उसे इर्ष्या और जलन की बजाय मेरा लंड खड़ा हो रहा था.
. अब प्रकाश ने अपना मुंह पद्मिनी की उभारो पर रखा और उसे एक एक करके चूसने लगा.
प्रकाश के दातो का स्पर्श अपने स्तनों की मुलायम त्वचा पर लगते ही पद्मिनी की सिसकी निकल गयी और वो छटपटाने लगी. उसने अपनी छाती आगे सरकायी और अपने स्तनों को प्रकाश के मुंह के अंदर हिलाने लगी.
“आह आह प्रकाश काटो मत जान. मेरे मम्मो पर प्यार से चाटो. दातो से मत काटो.,” लेकिन उसी वक्त वो प्रकाश की गर्दन पर हाथ रख कर उसके मुंह को अपने उभारो पर मसलने लगी. प्रकाश के गर्म मुंह का स्पर्श अपने स्तनों पर पाते ही पद्मिनी मचल उठी थी. प्रकाश अपनी जीभ से पद्मिनी के स्तनों के हर एक कोने को चाट रहा था और उसके दातं धीरे धीरे से पद्मिनी के स्तनों पर लाल लाल निशान छोड़ रहे थे. लेकिन अब पद्मिनी भी सिसकिया छोड़ते हुए प्रकाश का अपने स्तनों पर स्पर्श पा रही थी और मदमस्ती से झूम रही थी. पद्मिनी ने अपनी आँखे मूँद ली थी और अब वो धीरे धीरे से करह रही थी.
इधर प्रकाश पद्मिनी के उभारो को चाट चाट कर गीला कर रहा था और बीच बीच में अपने दात पद्मिनी के उभारो में गडा रहा था. उसके ऐसा करते ही पद्मिनी के मुंह से आह निकलती थी और वो प्रकाश को और भी मादित कर देती थी.
“ पद्मिनी भाभी इसका कुछ कर अब जल्दी से. देख तेरे लिए कितना खडा हो गया है.” प्रकाश ने अपना मुंह पद्मिनी के उभारो से हटाकर कहा और अपने लंड की तरफ आँखों से इशारा किया. पद्मिनी जावेद के बड़े लंड को देखकर मुस्करायी
पद्मिनी ने धीरे से अपना हाथ प्रकाश के लंड के ऊपर सहलाया और उसे अपने हाथो से रगड़ने लगी. उसके नाजुक हाथो का स्पर्श होते प्रकाश का लंड सिहर उठा और प्रकाश के बदन में जैसे एक करंट स गया.

“ पद्मिनी थोड़ी पीछे हटी और कमर में झुक कर प्रकाश की जांघो के बीच अपना मुंह लेकर गयी. फिर उसने बिना कुछ कहे अपने बालो को कंधे के एक तरफ किया और प्रकाश के बड़े लंड को अपने मुंह में ले लिया.
प्रकाश ने पद्मिनी के बाल पकड़कर धीरे धीरे उसका लिंग हिलाना चालू किया. उसका लिंग पद्मिनी के मुंह के अंदर बहार कर रहा था. पद्मिनी ने भी प्रकाश के लंड पर अपनी जीभ का जादू चलाना चालू किया तो वो सिसकिया निकालने लगा. पद्मिनी थोड़ी और सामने झुकी और प्रकाश का लिंग अपने हाथो में ले लिया और फिर उसे किसी लोलीपोप की तरह चूसने लगी. वो अपनी जीभ का भरपूर इस्तेमाल करके प्रकाश के लिग को चाट रही थी. प्रकाश ने अपनी आंखे बंद कर ली और उसके मुंह से अब हलकी हलकी सिसकियाँ निकल रही थी.
पद्मिनी ने प्रकाश के लंड को अपने मुंह से अलग नहीं किया और चाटती रही.
“ पद्मिनी मेरी जान, ऐसा लगता है जैसे सालों से बस लंड ही चूसने का काम कर रही है तू.” अब प्रकाश ने अपने दोनों हाथ पद्मिनी के बड़े उभारों पर अखे और जोर जोर से उन्हें मसलना शुरू किया.
पद्मिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली और प्रकाश का लंड चुस्ती रही. प्रकाश ने अब उसके निप्पप्ल्स को अपनी उँगलियों से मसलना चालू किया तो पद्मिनी के मुंह से सिसकारी निकल गयी.
उसने धीरे से पद्मिनी के दोनों उभारो को अपने हाथो से रगडा और मसलता रहा. अब उसका लंड बहुत ही बड़ा हो चूका था. उसने पद्मिनी के बालो को सहलाया और धीरे से बोला.
“जान अब तू थक गयी होगी मेरा लंड चूसते हुए. अब पीछे लेट जा और देख की मै तुझे कैसे खुश करता हूँ.” ये सुनते ही पद्मिनी उठी .
पद्मिनी बेड पर लेट गयी और उसने अपनी जांघे फैला दी. अब प्रकाश पद्मिनी के ऊपर आया और अपने घुटनों के बल पर बैठ गया. उसने अपना लंड पद्मिनी की गीली चूत के ऊपर रखा और धीरे से उसे रगडा. पद्मिनी के मुंह से एक सिसकी निकल गयी और उसका पूरा बदन कांप गया. उसने प्रियका के स्तनों को पकड़ा और फिर जोर से धक्का देना सुरु किया. एक दो धक्के देने के बाद उसका लंड पद्मिनी की गीली चूत के अंदर समां गया और पद्मिनी कराहने लगी.
“आह प्रकाश तुम्हारा लंड है की हाथ है. कितना बड़ा है. ” पद्मिनी हाँफते हुए बोली. प्रकाश ने हँसते उए उसके स्तनों को मसला और जवाब दिया.
“जान. अब तू ही ले और मेरे लंड की प्यास बुझा.” ये कहकर प्रकाश ने जोर से धक्का दिया और उसका लंड पद्मिनी की चूत में घुस गया. प्रियंका ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपनी दोनों टाँगे हवा में उठाकर उन्हें प्रकाश की कमर के इर्दगिर्द बंद किया.
अब प्रकाश जोर जोर से पद्मिनी को चोदने लगा. पद्मिनी की चूत के हर हिस्से पर प्रकाश का तगडा लंड कब्ज़ा कर रहा था. पद्मिनी ने अपनी दोनों आँखे बंद कर ली और अपनी चूत से प्रकाश
“प्रकाश रुको मत. चोदते रहो मुझे. तुम्हार बड़ा लंड ही मेरी प्यास बुझा सकता है.” वो अब अपने मुलायम हाथों से प्रकाश की पीठ सहलाने लगी. प्रकाश के खुरदरे हाथ उसके स्तनों को मसल रहे थे और पद्मिनी दीवानी हो रही थी.
“आह उई मां. आह प्रकाश . धीरे करो. मार डालोगे क्या मुझे.” लेकिन प्रकाश ने अपने होठों से पद्मिनी के होठो को बंद किया और उसे बेदर्दी से चोदने लगा.
. पद्मिनी का जिस्म पुरे उफान पर था और वो आनंद की चरमसीमा पर थी. प्रकाश भी अब जोर जोर से चोदते हुए हांफ रहा था और किसी वहशी दरिन्दे की तरह पद्मिनी के जिस्म पर टूट पड़ा था.
पद्मिनी ने प्रकाश के बदन को कस कर पकड़ लिया और वो खुद भी अब धक्के मारने लगी. उत्तेजना में उसका रोम रोम कंप रहा था और उसकी चूत से यौवंरस टपक रहा था . उसकी चूत अब इतनी गीली थी की प्रकाश द का इतना बड़ा लिंग भी उसे कोई तकलीफ नहीं बल्कि भरपूर आनंद दे रहा था.
अब प्रकाश भी उतेजना की चरमसीमा पर था और उसका मुंह पसीने से गीला हो रहा था =.
“ पद्मिनी मेरी जान , देख मेरा वीर्य तेरी चूत में आनेवाला है.” ये कहते हुए प्रकाश के पुरे शरीर में कंपकंपी भर गयी और वो जोर जोर से धक्के मारने लगा. हर धक्के के साथ वो थोडा थोडा वीर्य पद्मिनी की चूत में दाल रहा था. पद्मिनी का जिस्म भी ऐसे ही आवेश में झूम रहा था और उसका जिस्म भी आनंद की सीमा पार कर चूका था.
प्रकाश ने अपना पूरा रस पद्मिनी की चूत में उंदेल दिया और फिर वो हांफते उए पद्मिनी के स्तनों पर अपना मुंह टिकाके लेट गया और वाही रुक गया. पद्मिनी भी अपनी टांगो कोप्रकाश की कमर से निकल कर प्रकाश की बाहों में सिमट गयी.
 

juhi gupta

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प्रकाश तो पद्मिनी को चोद कर चला गया तब में पद्मिनी के पास गया
.. मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर टिका दिए और उन्हें चूसने लगा। वो मेरे से चिपक गई और अपनी टांगों को मेरी कमर पर जकड़ लिया। में उसे किस करने लगा और हम दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर चूमने लगे।
मेरे हर चुम्बन पर उसके मुँह से ‘आह’ निकल जाती।
अचानक चुदासी होकर उसने उठ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
मैंने उसके होंठ अपने मुँह में ले लिए और उन्हें चूसने लगा। मेरा लंड उसकी टाँगों के बीच उसकी चूत से रगड़ रहा था और उसकी चूत की गर्मी का एहसास हो रहा था।
वो अपने हाथों से मेरे अंडरवियर को उतारने की कोशिश करने लगी और मैंने उससे जरा हट कर अपनी चड्डी को भी उतार दिया।
अब मैंने झुक कर उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया। उसमें एक अजीब सी महक थी और मैंने साँस रोक कर उसकी बालों से भरी चूत को चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को एक हाथ से खोल कर उसमें अपनी जीभ घुसा दी और उसे जीभ से चोदने लगा। उसकी चूत से नमकीन पानी निकल रहा था और मैं अपनी जीभ अन्दर तक डालने की कोशिश कर रहा था।
वो अपना हाथ मेरे सर पर रख कर दबाने लगी और अपनी गांड ऊपर उठाने लगी, उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मदहोश कर रही थीं।
मैंने उसकी चूत को पूरा अपने मुँह में ले लिया.. उधर वो सिसकती और मचलती रही.. इधर मैं उसकी गांड के नीचे हाथ लगा कर अपनी जीभ और अन्दर करने की कोशिश करता रहा।
उसकी चूत ताजे मक्खन की तरह चिकनी हो चुकी थी।
उससे ये सब सहन नहीं हो रहा था और वो मुझे अपने ऊपर आने को कहने लगी।
मैं उठ कर उसकी चूचियों को चूसने लगा और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो सिसक पड़ी और मैंने उसकी चूत में उंगली अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बाहर निकाल दिया।

वो बोली- आराम से करो पापा
मैंने कहा- तुम चुप रहो.. बस चुप..

मैंने उसे उल्टा लिटा दिया और चूसने चाटने लगा।,वो सिसकारियाँ भरने लगी थीं.. गर्म होने लगी थीं.. वो कामुक होकर ‘आह.. आह..’ कर रही थीं और कह रही थीं- आह.. आह.. मजा आ गया.. आराम से करो .. क्या कच्चा खा जाओगे मुझे तुम ..?
फिर मैं मम्मे चूसने लगा.. वो पागल सी हो गईं।
मैं उन्हें चूसता रहा.. कई बार मैंने निप्पल पर काट भी दिया.. दर्द के मारे वो मेरे बाल नोंच रही थीं।, चूत गीली हो रही थी.. मैंने अपने होंठ उस पर रख दिए और पागलों की तरह चाटने लगा।

मैं उनकी चूत चाटता और कभी अपनी उंगली उनकी चूत में घुसेड़ देता.. तो वो चीख पड़ती थीं।
अब वो बोलीं- अब नहीं रहा जाता.. कुछ कर.. डाल दे मेरे अन्दर अपना लंड प्राणु …
लेकिन मैंने पहले उसे मेरा लंड चूसने को बोला.. और उनके मुँह में लौड़ा घुसेड़ दिया।
थोड़ी देर चूसने के बाद वो फिर बोलीं- अब डाल दो.. भैनचोद.. क्यों तरसा रहे हो..??
मैंने उसे झट से बिस्तर पर पटका और उनकी टाँगें खोल दीं। अब अपना लंड मैंने उनकी चूत पर लगाया और एक झटका मार कर अपना खड़ा लंड अन्दर डाल दिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
वो ‘आह.. आह.. आह.. आह..’ कर रही थीं। आअहहह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह्ह्ह मर गई, इसे बाहर निकालो प्लीज, नहीं तो में मर जाउंगी, प्लीज पापा ऊईइइइईईईई माँ, प्लीज मुझ पर थोड़ा तरस खाओ, प्लीज अह्ह्हह्ह्ह इसे बाहर निकालो, लेकिन में कहाँ रुकने वाला था और मैंने एक और धक्का लगा दिया जिसकी वजह से वो और बहुत तेज़ छटपटाने लगी, उसने छूटने की बहुत कोशिश की लेकिन मैंने उसे अपने पैरों के साथ जकड़ लिया था ,अब में उसे
चुदाई करते समय गलिया देने लगे "ले खा भोसड़ी की, मेरा लौड़ा खा जा, साली कुतिया तुझे तो एक दिन अपने दोस्तों
के साथ मिल कर चोदूंगा, भेन की लौड़ी, तुझे तो तेरी माँ के सामने चोद चोद कर तेरी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा, तेरी मां की .चूत .. हाय क्या गाण्ड है तेरी तो साली, तुझे तो कॉल गर्ल होना चाहिये था छिनाल !" पद्मिनी कहने लगी मारो राजा, , जोर से मारो मेरी गाण्ड, हाय रे तेरा मस्त लौड़ा, मैं तो हारामजादे रण्डी बन गई ,
थोड़ी देर बाद पद्मिनी बोलीं- पापा ,. मेरे सरताज़, बस अब लगा दो पूरा जोर, मुझे कुतिया बना कर चोद दो और कुत्ते की तरह लण्ड गाण्ड में फ़ंसा दो, बरबाद कर दो मुझे, रण्डी से भी गई गुजरी कर दो हाय रे, मेरे चोदू रण्डवे, ऐसा चोदना कि गाण्ड और चूत में कोई फ़रक करना मुश्किल हो जाये मैं झड़ने वाली हूँ.. थोड़ा और तेज करो..
थोड़ी देर में पद्मिनी झड़ गईं.. पर अभी मैं झड़ने वाला नहीं था.. तो मैंने अपना चुदाई का काम चालू रखा।

काफी देर के बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया.. तो मैंने पद्मिनी से बोला- मेरा छूटने वाला है।
तो पद्मिनी कामुकता से बोलीं- भैनचोद.. चूत में अन्दर ही माल डाल दे..

फिर मैंने उसकी चूत में अपने लण्ड की रफ्तार और बढ़ा दी.. पूरे कमरे में ऐसी आवाजें आ रही थीं.. जैसे कि चाबुक चल रहे हों।
मैं अपनी पूरी रफ़्तार से उसकी चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
अब उसे भी अब मज़ा आने लगा था.. वो ‘तेज-तेज’ की चिल्लाने लगी- अया.. आहह.. अहहा.. आअहहा.. आह.. चोद मादरचोद..

लगभग 15-20 मिनट बाद वो मेरे ऊपर ही झड़ गई.. थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया।
फिर आधे घंटे बाद हमने दोबारा चुदाई शुरू की।
अब उसकी गाँड मारने की बारी थी। वो मना करने लगी.. तो मैंने ज़बरदस्ती उसके हाथ पकड़ कर उसे लिटा कर.. उसके हाथ अपने हाथों में फंसा लिए और उसकी गान्ड में लण्ड घुसड़ेने की कोशिश करने लगा। वो मना करने लगी कि गान्ड ना मारूँ.. पर मुझे तो मारनी थी।
मैंने उसकी गान्ड पर अपना लण्ड लगाया और धक्का मारने लगा.. पहले तो वो फिसल गया.. और जब बार-बार फिसलने लगा तो मैंने उसे नीचे लिटाया और खुद उसके ऊपर आ गया।
अब मैंने उसकी दोनों टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रखा और फिर अपना लण्ड पकड़ कर उसकी गान्ड पर रख कर तेज धक्का मारने लगा।
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे.. वो चिल्लाने लगी। तो मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और फिर लण्ड घुसड़ेने की कोशिश करने लगा।
ज़ोर लगा कर लण्ड तो आधा घुस गया.. पर उसकी गान्ड में से खून निकलने लगा।
मैंने उसे नहीं बताया और पूरा लण्ड धीरे-धीरे घुसा दिया.. उसे बहुत दर्द हो रहा था वो तड़पने लगी थी।
फिर 10 मिनट तक मैंने उसे ऐसे ही रखा और हम चूमा-चाटी करते रहे।
फिर मैंने उसे खड़ा किया.. वो टाँगें बंद नहीं कर पा रही थी।
मुझे पता था.. यह तो होना ही था.. फिर मैंने उसे कुतिया बनाया और फिर डॉगी स्टाइल में उसकी गान्ड मारी।
अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था। उससे कंट्रोल नहीं हुआ और उसने बीच में ही मेरे ऊपर सुसू कर दिया, पर मुझे मज़ा आया।
क्या कमाल चीज है संभोग! कितना भी करो, कितनों से भी करो, मन नहीं भरता। इससे मिलने वाली खुशी का कोई अंत नहीं है। हर स्तन-युगल अनूठा, हरेक के चूचुकों का स्वाद और मुँह में अनुभव अलग, हर योनि का कसाव, उसकी कोमलता-स्निग्धता-फिसलन और उसकी जवाबी हरकतें अलग!
वह गर्म, और गर्म, होती जा रही थी। अपनी टांगों को पूरी तरह फैला कर योनि को पूर्णतया समर्पित कर चुकी थी।
दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यही है।
मैं सुध-बुध खोकर पदमिनी के होंठों, गले, कंधों, छातियों, बगलों, पेट नाभि, कमर को चूम-चूस-दबा-सहला रहा था। जिधर भी उसके शरीर का जो भी हिस्सा हथेलियों के संपर्क में आता, मैं उसी का दीवाना हो जाता। वह मुझे भींचती, कमर उचकाती, कभी मेरे नितंबों पर अपने पाँव कस देती, कभी पाँव गिरा लेती, कभी वह मेरे गले में झूल सी जाती, कभी बिल्कुल बेसुध होकर गिर जाती- स्त्री के कामानंद के जितने भी रूप हो सकते थे सब मुझे देखने को मिल रहे थे।
मैंने भी उसके जोश को देखते हुए धक्के लगाना शुरू कर दिया था।अचानक में खड़ा हुआ तो
पदमिनी घुटनों के बल बैठकर मेरे लिंग को चूसने लगी थी। वो तब तक मेरे लिंग को मुंह में लेकर मस्ती में चूसती रही जब तक कि उसका मुंह नहीं थक गया।
फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया. इस तरह वह बैठकर उल्टी गिर गई. उसके कूल्हे ऊपर की तरफ थे. मैंने अपनी जीभ को उसके कूल्हों के बीच में फ़ंसाकर उसे चूसना शुरू किया. उसकी सेक्सी पीठ को चूमा तथा उसे सीधा करके उसके स्तनों को जोर जोर से चूस चाट कर उसको उत्तेजित किया।
इतना ही कर पाया था कि पदमिनी ने पूर्ण रूप से उत्तेजित होकर अपनी टांगें चौड़ी कर दीं तथा मेरे खड़े लिंग ने पदमिनी की चूत में प्रवेश कर दिया।
मेरा लंड पदमिनी की चूत में उतर चुका था और मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया.
जल्दी मेरा लंड पदमिनी की चूत में अंदर तक जाने लगा. वो आह्ह सी … सी… ओह्ह.. आहह् जैसे कामुक सीत्कार लेने लगी. उसकी ये आवाजें उसकी चूत में मेरे लंड द्वारा दिये जाने वाले आनंद को बयां कर रही थीं. पदमिनी की कामुक सिसकारियों की आवाज से कमरा जल्दी ही गूंजने लग गया।
पदमिनी की चूत को मैंने लगभग 25 मिनट तक अपने खीरे जैसे लंड से रगड़ा. उसकी चूत को चोदते हुए मेरा लंड पच-पच… गच-गच … की आवाज करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था.
कुछ ही देर में मैं स्खलन के करीब पहुंचने वाला था. मगर उससे पहले पदमिनी की चूत में ही उबाल आ गया. उसने मेरे लिंग को अपनी चूत में जैसे कैद करके जकड़ सा लिया और उसकी चूत से निकलने वाली कामरस की गर्म धार सी मुझे मेरे लंड के इर्द गिर्द और लंड के टोपे पर महसूस हुई.
उसको झड़ता हुआ महसूस करके मेरे लंड में भी कड़कपन और ज्यादा तीव्र हो गया. मैंने उसकी चूचियों को कस कर भींचते उसकी चूत में दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिये.
दो मिनट के बाद ही मेरा स्खलन भी होने के कगार पर था. दो चार धक्के लगाये कि मेरे लंड से भी गर्म गर्म लावा निकल कर पदमिनी की चूत में गिरने लगा. आनंद की उस घड़ी में हम दोनों ही मदहोशी के आलम में थे. न तो पदमिनी को ही होश था और न ही मुझे.कुछ देर के विश्राम के बाद

मैंने पदमिनी की बांहों को पकड़ते हुए उसे कुर्सी पर बैठाया, उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत के गुलाबी मुहाने पर अपनी जीभ चलाने लगा.
शायद काफी देर से वो इस बात को चाह रही थी कि मैं भी उसकी चूत चाटूं. जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत के मुहाने से टच हुई, उसके मुख से ‘शाआआअ’ की आवाज आयी और फिर जैसे-जैसे मैं उसकी चूत को चाटता, वैसे-वैसे वो लम्बी-लम्बी सांसें लेती।
मैं उसकी भगनासा को अपने दांतों से काटता, उसकी चूची को बारी-बारी से मसलता, वो आह-ओह करती जाती।
मैं धीरे-धीरे होश खोते हुए मदहोशी के आलम में जकड़े जा रहा था। मैं उसकी चूत के अन्दर फांकों के बीच अपनी जीभ घुसेड़ देता तो कभी उसकी फांकों पर अपने दांत कचकचा कर चला देता. या फिर अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर डाल कर चलाता और उसकी चूत का जो रस मेरी उंगली में लगता, उसको मैं कुल्फी समझ कर चाट जाता. उसके मजे को और बढ़ाते हुए बीच-बीच में उसकी गांड के मुहाने पर अपनी जीभ चला देता या फिर उसके भगान्कुर को अपने मुंह के अन्दर लेकर आईसक्रीम की तरह चूस रहा था.
पदमिनी ‘ओह पापाजी, ओह पापाजी’ कहती जाती।
मेरा लंड भी अब फड़फड़ाने लगा था.
मैं चूत चाटना छोड़ खड़ा हुआ और पदमिनी की टांगों को पकड़कर उसकी कमर को अपनी उंचाई तक लाया और लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल दिया. पदमिनी ने गिरने के डर के मारे कुर्सी पकड़ ली.
उसके बाद मेरे लंड ने पदमिनी की चूत के अन्दर अपना जलवा दिखाना शुरू किया। थप थप की आवाज और पदमिनी के उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज से कमरा गूंजने लगा।
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कुछ देर बाद मैंने पदमिनी को गोद में लेकर धक्का लगाने लगा, मैं धीरे-धीरे मजे का डोज बढ़ाने लगा।
“पापा … बहुत मजा आ रहा है.” पदमिनी बोली।
मेरा निकलने वाला था, पदमिनी को उसी पोजिशन में पलंग पर लिटाते हुए उसको चोदने लगा।
आठ-दस धक्कों के बाद मेरा निकलने लगा तो मैंने लंड को बाहर निकाला और उसकी चूत के ऊपर ही सारा माल गिरा दिया और उसके बगल में पसर गया।
पदमिनी ने अपनी उंगलियों के बीच मेरे वीर्य को कैद किया और मलने लगी. फिर बहू ने मेरी तरफ देखा, उठी और बाथरूम के अन्दर घुस गयी।
उसके अन्दर जाते मैं भी दीवार की आड़ लेते हुए अर्ध खुले दरवाजे की से पदमिनी को देखने लगा जो अपनी चूत के ऊपर पड़ी मेरी मलाई को अपनी उंगलियों में लेती और फिर अपनी जीभ से टच करती.
दो-तीन बार उसने ऐसा ही किया और वो चूत पर लगी मेरी मलाई को साफ कर गयी,आने के बाद
पदमिनी मेरी गोदी में बैठ गयी और एक बार फिर मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी चूत पर चलने लगे.
मैं बार-बार उसकी गर्दन को चूमता और कानों के चबा लेता या फिर जीभ से गीली करता।
मेरे द्वारा उसकी चूत में इस तरह सहलाने के कारण पदमिनी को भी अपनी टांगों को फैलाने में मजबूर कर दिया। मेरे हाथ अभी तक पदमिनी के चूत को ऊपर ही ऊपर सहला रहे थे, पदमिनी के टांगों को फैलाने के कारण अब उंगली भी अन्दर जाने लगी।
पदमिनी ने मेरे दूसरे हाथ को पकड़ा और अपने चूची पर रख दी। अब मेरे दोनों हाथ व्यस्त हो चुके थे। एक हाथ चूत की सेवा कर रहा था तो दूसरा हाथ उसकी चूची की! इसके अलावा मेरे होंठ और दांत उसकी गर्दन और कान की सेवा कर रहे थे।
पदमिनी ने भी मेरे हाथों को पकड़ रखा था।
कुछ देर बाद पदमिनी बोली- पापा, एक बार फिर खुजली शुरू हो चुकी है।
मैंने पदमिनी को लेटाया और लंड चूत के अन्दर पेवस्त कर दिया। हालाँकि इस बार भी थोड़ा ताकत लगानी पड़ी, पर पहले से अराम से मेरा लौड़ा अन्दर जा चुका था।
पदमिनी ने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली। मैं पोजिशन लेकर चूत चोद रहा था और पदमिनी का जिस्म हिल रहा था।
इस बार मैं पदमिनी को और मजा देना चाहता था, इसलिये मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, पदमिनी की टांगें हवा में उठायी और फिर लंड को चूत के मुहाने में रख कर अन्दर डाला लेकिन इस पोजिशन से उसकी चूत थोड़ी और टाईट हो गयी और पदमिनी को एक बार फिर दर्द का अहसास हुआ।
इस पोजिशन की चुदाई से मुझे भी बहुत मजा आ रहा था लेकिन एक बार फिर मैं थकने लगा। इस बार मैंने नीचे होकर पदमिनी को अपने ऊपर ले लिया और लंड को पदमिनी की चूत के अन्दर पेल दिया।
थोड़ी देर तक मैं अपनी कमर को उठा-उठाकर पदमिनी को चोद रहा था, फिर पदमिनी खुद ही वो सीधी होकर उछालें मार रही थी।
काफी देर हो चुकी थी और अब मेरा निकलने वाला था. इधर मेरी बहू मेरे लंड पर बैठ कर लगातार उछाले मारे जा रही थी, बीच-बीच में अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए मुझे चोद रही थी।
तभी पदमिनी चीखी- पापा, मेरा निकलने वाला है!
“मुझे चोदती रहो पदमिनी बेटी … मेरा लंड भी पिचकारी छोड़ने वाला है।”
मेरे कहते ही दूसरे पल मेरी पिचकारी छुट गयी और साथ ही पदमिनी भी मेरे ऊपर धड़ाम से गिर पड़ी। फिर अपनी सांसों पर काबू पाने के बाद मुझसे अलग हुई।
“ पदमिनी , इस बार भी मजा आया न?”
“हाँ पापा, आपने इस बार भी मेरी भूख को शांत कर दिया।”



थोड़ी देर तक तो हम दोनों के बीच खामोशी रही।इधर मैंनेफिर से पदमिनी को बेड पर धक्का दिया और उसे पेट के बल उल्टा लेटा कर उसकी गोरी सेक्सी पीठ पर अपनी जीभ घुमाने लगा। पदमिनी की पूरी पीठ चाट कर जब मैंने उसकी वासना भड़का दी. उसके बाद मैं उसकी कमर के नीचे के उभारों पर अपनी जीभ फिर आने लगा। पदमिनी अपने कूल्हों को उठाकर उन्हें मेरे मुंह के तरफ दबाने लगी. पदमिनी पूर्ण रूप से नंगी अपने पेट के बल अपनी गोरी सेक्सी पीठ तथा कूल्हों का प्रदर्शन करते हुए लेटी हुई थी. मैंने पदमिनी के कूल्हों पर पर अपनी जीभ फिराई। पदमिनी के शरीर के गुदगुदी जब चरम पर पहुंच गई तब उसने अपने आप को सीधा किया और मेरे मुंह को पकड़ कर अपने स्तनों पर लगा दिया. मैंने पदमिनी के स्तनों को चूसना चाटना शुरू किया,
 
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