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इत्थे ही हा प्रा....हुने अपडेट दित्ता सी
Welcome back dearमेरे अन्दर दिल और दिमाग के बीच एक घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था...........आखिर मैं करू तो क्या करू एक तरफ जीवन भर प्यार निभाने वाली हमसफ़र खड़ी थी और दूसरी तरफ मेरे और रजनी दोनों के घरवालों की इज्जत......मै चुप चाप खड़ा था तो रजनी बोली एक बात बोलूँ मानोगे मेरी बात............
मै चुप चाप उसकी तरफ देखता रहा तो रजनी बोली “कुछ पल के लिए बेवजह मेरे साथ चलिए...........प्यार ना है ना सही.........पर कोशिश तो करिए.......”
इतना बोल कर रजनी दुबारा से मुझको अपने आलिंगन मे लेने की कोशिश करने लगी और इस बार मै भी उससे लिपट गया क्यूंकी दिल और दिमाग की लड़ाई में शायद दिल ने बाजी मार लि थी.......
रजनी से लिपटे हुए मै सोच रहा था की अब हम जिस सफर पर चल पड़े थे उसका क्या परिणाम होगा ये ना मै जानता था ना ही रजनी पर अभी जो समय था वो बस सिर्फ हम दोनों का था.......रजनी मेरे आलिंगन मे एकदम निढाल हो कर खड़ी थी.....वों बोली आपके गले लगने से सिर्फ मेरे अन्दर जो मायूसीयत भरी पड़ी थी वो सब खतम हो रही है देखिए सिर्फ आपके पास खड़े होने से मै इतनी खुश हु तो सोचिए अपनी जिंदगी मे आपको पा कर मै कितनी खुश रहूँगी..........ये मेरे लिए एक सपना सच होने जैसा हैं..........भगवान करे ये सपना हकीकत मे बदल जाए और मै अपने प्यार को पा लूँ..........
अभी हम दोनों ऐसे लिपटे ही हुए तभी एक आहट की आवाज पर हम दोनो अलग हुए और हमारी नजर सामने की छत की ओर गई.........और वहां पे हमारे घर के सामने के घर मे रहने वाले अवधेश चाचा पता नहीं कब से हम दोनों को देख रहे थे........
मेरी तो फट के चार हो गई वही पे जबकि रजनी के चेहरे पर भी हवाइयाँ उड़ चुकी थी पर वो तब भी मेरे साथ वही खड़ी रही जस की तस मैंने उसे तुरंत खुद से अलग किया और अवधेश चाचा की तरफ देखने लगा जबकि वो हमे देखते हुए एक कोने मे थूक कर नीचे चले गए......
अब मेरे अन्दर का डर मेरे अन्दर पनप रहे प्यार पर भाड़ी पर्ने लगा और मैंने रजनी को बोला देखा इसी चीज से डर रहा था मैं हे भगवान जिस बात कर डर था वही हुआ अब क्या होगा...........
रजनी बेबाकी से बोली आर आप क्यू घबराते है मैंने अभी थोड़ी देर पहले कहा था ना आपसे की हर मुश्किल का सामना करूंगी बस आप मेरे साथ खड़े रहिएगा..........
मै उसे वही खड़ी छोड़ कर अपने छत पर चल आया और उससे चिढ़ कर बोला अरे पागल कुछ होश है या नहीं पता भी है ये चाचा क्या करेंगे.......खुद का नहीं तो कम से कम अपने घरवालों का तो ख्याल कर जान से मार देंगे वो लोग प्यार का भूत उतरने मे दो मिनट नहीं लगेगा..........
रजनी कुछ देर मेरी तरफ शांति से देखती रही और बोली आप घबराइए मत अगर बात बढ़ी तो सब कुछ मै अपने सर ले लूँगी ये बाते सुनने तक मैं अपने छत की सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा था........
और नीचे आने के बाद से ही मेरे प्राण सूखे हुए थे की अब हो न हो ये बात मेरे और रजनी के घर तक जरूर जाने वाली थी और हुआ भी ऐसा ही........
वेट दोस्त अपडेट लिख रहे हैWelcome back dear
आते ही छा गए और दोनों के प्रेम कहानी शुरू करते ही दोनो के लोड़े लगवा दिए देखना है अब कैसे क्या होता है
Shandar updateमेरे अन्दर दिल और दिमाग के बीच एक घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था...........आखिर मैं करू तो क्या करू एक तरफ जीवन भर प्यार निभाने वाली हमसफ़र खड़ी थी और दूसरी तरफ मेरे और रजनी दोनों के घरवालों की इज्जत......मै चुप चाप खड़ा था तो रजनी बोली एक बात बोलूँ मानोगे मेरी बात............
मै चुप चाप उसकी तरफ देखता रहा तो रजनी बोली “कुछ पल के लिए बेवजह मेरे साथ चलिए...........प्यार ना है ना सही.........पर कोशिश तो करिए.......”
इतना बोल कर रजनी दुबारा से मुझको अपने आलिंगन मे लेने की कोशिश करने लगी और इस बार मै भी उससे लिपट गया क्यूंकी दिल और दिमाग की लड़ाई में शायद दिल ने बाजी मार लि थी.......
रजनी से लिपटे हुए मै सोच रहा था की अब हम जिस सफर पर चल पड़े थे उसका क्या परिणाम होगा ये ना मै जानता था ना ही रजनी पर अभी जो समय था वो बस सिर्फ हम दोनों का था.......रजनी मेरे आलिंगन मे एकदम निढाल हो कर खड़ी थी.....वों बोली आपके गले लगने से सिर्फ मेरे अन्दर जो मायूसीयत भरी पड़ी थी वो सब खतम हो रही है देखिए सिर्फ आपके पास खड़े होने से मै इतनी खुश हु तो सोचिए अपनी जिंदगी मे आपको पा कर मै कितनी खुश रहूँगी..........ये मेरे लिए एक सपना सच होने जैसा हैं..........भगवान करे ये सपना हकीकत मे बदल जाए और मै अपने प्यार को पा लूँ..........
अभी हम दोनों ऐसे लिपटे ही हुए तभी एक आहट की आवाज पर हम दोनो अलग हुए और हमारी नजर सामने की छत की ओर गई.........और वहां पे हमारे घर के सामने के घर मे रहने वाले अवधेश चाचा पता नहीं कब से हम दोनों को देख रहे थे........
मेरी तो फट के चार हो गई वही पे जबकि रजनी के चेहरे पर भी हवाइयाँ उड़ चुकी थी पर वो तब भी मेरे साथ वही खड़ी रही जस की तस मैंने उसे तुरंत खुद से अलग किया और अवधेश चाचा की तरफ देखने लगा जबकि वो हमे देखते हुए एक कोने मे थूक कर नीचे चले गए......
अब मेरे अन्दर का डर मेरे अन्दर पनप रहे प्यार पर भाड़ी पर्ने लगा और मैंने रजनी को बोला देखा इसी चीज से डर रहा था मैं हे भगवान जिस बात कर डर था वही हुआ अब क्या होगा...........
रजनी बेबाकी से बोली आर आप क्यू घबराते है मैंने अभी थोड़ी देर पहले कहा था ना आपसे की हर मुश्किल का सामना करूंगी बस आप मेरे साथ खड़े रहिएगा..........
मै उसे वही खड़ी छोड़ कर अपने छत पर चल आया और उससे चिढ़ कर बोला अरे पागल कुछ होश है या नहीं पता भी है ये चाचा क्या करेंगे.......खुद का नहीं तो कम से कम अपने घरवालों का तो ख्याल कर जान से मार देंगे वो लोग प्यार का भूत उतरने मे दो मिनट नहीं लगेगा..........
रजनी कुछ देर मेरी तरफ शांति से देखती रही और बोली आप घबराइए मत अगर बात बढ़ी तो सब कुछ मै अपने सर ले लूँगी ये बाते सुनने तक मैं अपने छत की सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा था........
और नीचे आने के बाद से ही मेरे प्राण सूखे हुए थे की अब हो न हो ये बात मेरे और रजनी के घर तक जरूर जाने वाली थी और हुआ भी ऐसा ही........
बहुत दिन बाद दर्शन दिए हो भाईमेरे अन्दर दिल और दिमाग के बीच एक घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था...........आखिर मैं करू तो क्या करू एक तरफ जीवन भर प्यार निभाने वाली हमसफ़र खड़ी थी और दूसरी तरफ मेरे और रजनी दोनों के घरवालों की इज्जत......मै चुप चाप खड़ा था तो रजनी बोली एक बात बोलूँ मानोगे मेरी बात............
मै चुप चाप उसकी तरफ देखता रहा तो रजनी बोली “कुछ पल के लिए बेवजह मेरे साथ चलिए...........प्यार ना है ना सही.........पर कोशिश तो करिए.......”
इतना बोल कर रजनी दुबारा से मुझको अपने आलिंगन मे लेने की कोशिश करने लगी और इस बार मै भी उससे लिपट गया क्यूंकी दिल और दिमाग की लड़ाई में शायद दिल ने बाजी मार लि थी.......
रजनी से लिपटे हुए मै सोच रहा था की अब हम जिस सफर पर चल पड़े थे उसका क्या परिणाम होगा ये ना मै जानता था ना ही रजनी पर अभी जो समय था वो बस सिर्फ हम दोनों का था.......रजनी मेरे आलिंगन मे एकदम निढाल हो कर खड़ी थी.....वों बोली आपके गले लगने से सिर्फ मेरे अन्दर जो मायूसीयत भरी पड़ी थी वो सब खतम हो रही है देखिए सिर्फ आपके पास खड़े होने से मै इतनी खुश हु तो सोचिए अपनी जिंदगी मे आपको पा कर मै कितनी खुश रहूँगी..........ये मेरे लिए एक सपना सच होने जैसा हैं..........भगवान करे ये सपना हकीकत मे बदल जाए और मै अपने प्यार को पा लूँ..........
अभी हम दोनों ऐसे लिपटे ही हुए तभी एक आहट की आवाज पर हम दोनो अलग हुए और हमारी नजर सामने की छत की ओर गई.........और वहां पे हमारे घर के सामने के घर मे रहने वाले अवधेश चाचा पता नहीं कब से हम दोनों को देख रहे थे........
मेरी तो फट के चार हो गई वही पे जबकि रजनी के चेहरे पर भी हवाइयाँ उड़ चुकी थी पर वो तब भी मेरे साथ वही खड़ी रही जस की तस मैंने उसे तुरंत खुद से अलग किया और अवधेश चाचा की तरफ देखने लगा जबकि वो हमे देखते हुए एक कोने मे थूक कर नीचे चले गए......
अब मेरे अन्दर का डर मेरे अन्दर पनप रहे प्यार पर भाड़ी पर्ने लगा और मैंने रजनी को बोला देखा इसी चीज से डर रहा था मैं हे भगवान जिस बात कर डर था वही हुआ अब क्या होगा...........
रजनी बेबाकी से बोली आर आप क्यू घबराते है मैंने अभी थोड़ी देर पहले कहा था ना आपसे की हर मुश्किल का सामना करूंगी बस आप मेरे साथ खड़े रहिएगा..........
मै उसे वही खड़ी छोड़ कर अपने छत पर चल आया और उससे चिढ़ कर बोला अरे पागल कुछ होश है या नहीं पता भी है ये चाचा क्या करेंगे.......खुद का नहीं तो कम से कम अपने घरवालों का तो ख्याल कर जान से मार देंगे वो लोग प्यार का भूत उतरने मे दो मिनट नहीं लगेगा..........
रजनी कुछ देर मेरी तरफ शांति से देखती रही और बोली आप घबराइए मत अगर बात बढ़ी तो सब कुछ मै अपने सर ले लूँगी ये बाते सुनने तक मैं अपने छत की सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा था........
और नीचे आने के बाद से ही मेरे प्राण सूखे हुए थे की अब हो न हो ये बात मेरे और रजनी के घर तक जरूर जाने वाली थी और हुआ भी ऐसा ही........