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Romance साकी...तेरे प्यार में

Boobsingh

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aa gaye ho to MAHA UPDATE de do sarkar ........ :happy:
ये कहानी उतनी बड़ी नहीं है भाई.........दरअसल मैंने इस काहानी को USC के लिए सोचा था पर समय की कमी के कारण लिख ही नहीं पाया तो उसी को अब लिख रहा हूँ तो धीरे धीरे कहानी बढ़ेगी......
 

Boobsingh

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बहुत दिन बाद दर्शन दिए हो भाई

अब लगातार अपडेट आने चाहिए

आदेश नही विनती समझिएगा :winknudge:
हा भाई अपडेट रोजाना का वादा तो नहीं करूंगा क्यूंकी इस मामले मे मेरा ग्रह गोचर बहुत ही खराब है एकदम गंदा वाला तो वादा और कसम नहीं दूंगा पर अपना 100% प्रयास रहेगा की अपडेट दे दूँ..........Very Sorry for SUPER DELAYED UPDATES................. हमका माफी देई दो सरकार.............
 

SKYESH

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ये कहानी उतनी बड़ी नहीं है भाई.........दरअसल मैंने इस काहानी को USC के लिए सोचा था पर समय की कमी के कारण लिख ही नहीं पाया तो उसी को अब लिख रहा हूँ तो धीरे धीरे कहानी बढ़ेगी......
धीरे धीरे स्टोरी को बढ़ाना है............
हद से गुज़र जाना है...........

आपको बस स्टोरी पे दिल लगाना है................................
हद से गुज़र जाना है..........................

:happy:
 

Himanshu630

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नीचे आने के बाद मेरे अंतर्मन मे उथल पुथल मचा हुआ था पर मै अभी सिवाय सुबह होने का इंतेजार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था..........उधर रजनी का भी कमोबेश यही हाल था रजनी कितना भी कुछ भी बोल ले पर अवधेश चाचा को हम दोनों को ऐसे देख लेने से वो भी परेशान जरूर थी........

जैसे तैसे रात बीती और सुबह मे मै जितना हो सके मै खुद को शांत दिखलाने की कोशिश कर रहा था ताकि किसी के सामने खुद से कुछ गड़बड़ ना कर दूँ.......मै अपने रोजमर्रा के रूटीन के हिसाब से कॉलेज जाने के लिए तैयार हुआ और घर से निकलने लगा था की तभी घर के मुंडेर पर बैठे मेरे पिता जी और चाचा ने मुझे रोका और सच बताऊ तो एक पल को मेरी सांस ही रुक गई थी……पर उन्होंने रजनी से जुड़ी कोई भी बात नहीं की और मुझे एक काम दिया जो कॉलेज से लौटते वक्त करते हुए आना था......

उसके बाद मैंने अपनी साईकिल उठाई और कॉलेज की तरफ भागा की तभी गाव से बाहर मेन रोड पर देखा की रजनी अपने पिता जी के साथ स्कूटर से कॉलेज जा रही है और उसकी नजरे जैसे मुझे ही ढूंढ रही थी और मुझे देखते ही उसके चेहरे पर ऐसे दिलकश मुस्कान फैली की क्या ही बताऊ.........कल रात से मेरे अन्दर घुसी हुई उस घबराहट और बेचैनी को तुरंत छु मंतर कर दिया.........मै अब पिछली रात की सारी बातें भूल कर उसके स्कूटर के पीछे पीछे चल पड़ा और कॉलेज पहुंचते ही मै गेट के पहले ही रुक गया और वो भी अपने पिया जी को विदा कर के सीधा मेरे पास आ गई और आते के साथ बोली देखे विश्वनाथ बाबा हम दोनों के प्यार पर कोई भी खतरा नहीं आने दिए......तो हम हस कर बोले अगर हो जाता ना फिर पता चलता.......तों वो बोली की हम बोले थे ना की अगर बात बढ़ा तो हम सब कुछ अपने उपर ले लेंगे फिर आप क्यू परेशान होते हो.........हम उसको कुछ पल युही देखते रहे और फिर बोले चल कही और चलते है आज कॉलेज नहीं जाएंगे.......अरे वाह आप मेरा मन का बात कह दिए.........और फिर हम दोनों चल पड़े पास के ही एक मंदिर प्रांगण मे बने चबूतरे पर जहा हमारे कॉलेज के लड़के लड़कियां अक्सर समय बिताने जाया करते थे......



वहाँ पहुंचते ही रजनी ने मेरा हाथ थाम कर कहा कल रात से आपको मेरी ही फिकर लगी थी ना और झुट तो बोलिएगा मत क्यूंकी साइकिल पर आपका मुरझाया हुआ चेहरा और मुझको देखने के बाद का चेहरा का अंतर सब बयान कर दिया था अब तो बोल दीजिए की यू लव मी.......उसका इतना कहना था की बस मेरे आँखों से आँसू बह निकले क्यूंकी अब मै और ज्यादा देर तक खुद को बंधन मे बांधे नहीं रख सकता था......

और मेरी आँखों मे आँसू देख कर रजनी घबरा कर बोली आर क्या हो गया ऐसे रोने क्यूँ लगे आप......और मै उसका हाथ जोर से पकड़ कर वही चबूतरे पर बैठ गया जबकि रजनी खड़ी ही रही और मेरे सर को सहलाते हुए मुझे शांत करने की कोशिश करने लगी........मै बोला देखो रजनी मुझे नहीं पता की क्या है क्या नहीं पर जो भी है अब बस तू ही है.......पर जैसा की तुझे पता है मै बहुत कमजोर व्यक्तित्व वाला इंसान हु जल्दी अपने एहसासो को बातों को तकलीफों को जाहीर नहीं कर पाता हूँ..........पर मुझे नहीं लगता की तुम्हारे होते हूएं मुझे इन सब बातों की चिंता करनी चाहिए क्यूंकी मुझे इतना तो यकीन हो गया है की हम दोनों एक दूसरे के लिए ही बनें है.........एण्ड येस आइ लव यू.........आइ लव यू सो मच

इतना सुनते ही रजनी वही चबूतरे के पास जमीन पर घुटनों के बल बैठी और मेरे हाथ पर चूम कर बोली बस अब आपको कुछ भी कहने सोचने की जरूरत नहीं आप मेरे हो और मै आपकी बस बाकी दुनिया जाए भाड़ में.........


उस दिन के बाद से मै और रजनी दुनियाँ वालों की नजर मे एक अच्छे दोस्त की तरह ही थे पर हम दोनों अब एक दूसरे की जान बन चुके थे.........अवधेश चाचा ने हमे एक साथ देखने के बाद क्या सोचा क्या नहीं ये उनको और भगवान को ही पता था पर जो भी था वो हम दोनों के लिए अच्छा था........अभी मैं इन खूबसूरत यादों को जी ही रहा था की सिगरेट की बुझती हुई आग ने मुझे झकझोर कर वापिस से वर्तमान मे ला कर खड़ा कर दिया..............
Nice update Bhai
 
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सिंह साहब , आप के लेखन कला पर कोई भी ऊँगली नही उठा सकता खासकर दर्द और इमोशंस से भरपूर कहानी मे , पर इतने लम्बे अंतराल के बाद अपडेट आना कोई भी रीडर्स पसंद भी नही करता ।
आप ही के अनुसार यह स्टोरी बहुत ही छोटी थी फिर इतना लेट लतीफी क्यों ?

रजनी और महेश की ' हमारी अधूरी प्रेम कहानी ' को अब तक वास्तव मे आपने बहुत ही खूबसूरती से लिखा है । मै महेश की मानसिक उलझन और मनोदशा भी फिलिंग कर रहा हूं और रजनी की बेपनाह मुहब्बत को भी महसूस कर रहा हूं ।

इस स्टोरी को अंजाम तक पहुंचाइए सिंह साहब ।
ऐसी खूबसूरत कहानी बहुत कम ही पढ़ने को मिलती है इस फोरम पर ।
 
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