हम एकदम चौंक गये। मेने हलका सा पर्दा हटाया और देखा तो वहा एक औरत खड़ी थी। उसने एक लम्बा सिंगल पीस पहना हुआ था। बिल्कुल सिंपल कोई मेकउप नहीं। ज्वेलरी के नम पर केवल कानो मे छोटे झुमके, नाक मे बाली और मंगलसूत्र बस। बाल लम्बे थे जिन्हे उसने हैरक्लिप लगा कर सिर के पीछे बांध रखा था। रंग गेहुआ थोड़ी चुब्बी, युम्मी मोटे मुलायम बोबे जिनकी बिच की घाटी हलकी सी दिख रही थी। उस औरत ने एक लुक मे लंड खड़ा कर दिया।
मै: नमस्ते भाभीजी बोलिये
भाभी: नमस्ते वो नेक्स्ट कम्पार्टमेंट मे हमारी सीट है। ये कहकर उसने अपनी सीट की तरफ इशारा किया।
मेने उधर देखा और भाभी से पूछा: आप ये मुझे क्यो बता रही है?
भाभी: वो आपसे कुछ बात करनी थी। क्या आप मेरे साथ आ सकते है?
मै: क्या बात करनी है, आप यही बताइये।
भाभी: आप आइये ना एक बार मै आपको बताती हु।
दी भी अंदर बात सुन रही थी। मेने दी की तरफ देखा तो उसने ना मे सिर हिलाया।
मै: माफ़ कीजिये भाभी मै नही आ सकता। आपको बताना है तो यहीं बताइये।
भाभी थोड़ी रुकी और फिर मेरी तरफ झुककर मेरे कान मे बोली: कोई सर्विस या फूँकने के लिए माल चाहिए तो बताओ।
मै उसकी बात सुनकर अचंभित रह गया। फिर हाथ जोड़कर बोला: भाभी मुझे माफ़ कीजिये मुझे कुछ नही चाहिए। आप प्लीज यहां से जाइये।
वो बड़ा मायूस सा चेहरा बनाकर चली गयी।
उसने हमारा मूड ऑफ कर दिया। अब मेने दी को ऊपर वाली सीट पर सोने को कहा। दी ऊपर वाली सीट पर और मै लोअर सीट पर सो गया। पेशाब लगने से मेरी नींद खुली। मै उठकर टॉयलेट करने गया। वहाँ पहुचा तो देखा एक टॉयलेट अंदर से लॉक था। मै दूसरे मे घुसा तो देखा उसमे एक आदमी पड़ा हुआ था। मेने सोचा ये लोगों की क्या हालत है शराब पीकर नशे मे टॉयलेट मे पड़ा है। मै बाहर आकर इंतजार करने लगा की जो भी टॉयलेट मे गया है बाहर निकले। जब 2-3 मिनट तक वो बाहर नही आया तो मेने गेट खटखटाया पर कोई जवाब नही मिला। मेने फिर से गेट खटखटाया। इस बार गेट खुला और अंदर देखा तो एक आदमी और उसके साथ वही भाभी थी। मेने सोरी बोला और अगले डिब्बे की और जाने लगा। तभी मेने देखा वो भाभी अपने आँखों से मुझे इशारे कर रही थी पर उसके इशारों मे कामुकता के बजाय मदद की गुहार ज्यादा थी। मै कुछ समझ नही पाया। पर फिर भी मेने उसके इशारे का पीछा किया तो मुझे शीशे मे दिखा की उस आदमी ने भाभी के कमर पर पीछे पिस्तौल लगा रखी थी। मै और ज्यादा उलझ गया। मुझे समझ नही आ रहा था की इनमे से कौन सही है और कौन गलत। फिर भी भाभी के रूप ने मुझे उनकी और खड़ा कर दिया। तो मै सोचने लगा क्या करू तभी मुझे निचे रखा आग बुझाने वाला छोटा सिलैंडर दिखा। मेने उस आदमी का ध्यान भटकाने के लिए बोला वाह भाभी आपके अंदर भी जबरदस्त आग लगी हुयी है, अभी थोड़ी देर पहले तो मेरे पास आयी थी और अब इसके साथ वाह। वो आदमी मेरी बात सुनके भाभी की तरफ देखने लगा। तभी मेने सिलेडर उठाया और उस आदमी के सिर पर जोर से वार किया और वो आदमी बेहोश होकर वही गिर पड़ा। भाभी ने झट से उसके हाथ से पिस्तौल ले ली और दूसरे टॉयलेट मे पड़े आदमी को उठाने लगी। मै कुछ समझता उससे पहले हि ट्रेन अगले स्टेशन पर रुकी और 4-5 पुलिस वाले अंदर घुसे और उस भाभी को सलाम किया फिर दोनो आदमियों को उठाकर ले गये। वो भाभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए थैंक यू कहकर ट्रेन से उतर गयी। ट्रेन चल दी और मै बस उस भाभी को देखता रह गया। कुछ समझ मे नही आया। तभी मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा। मेने पलट कर देखा तो प्रिया दी खड़ी थी। प्रिया दी बोली क्या हुआ, तु यहां खड़ा क्या कर रहा है। मेने कहा मै टॉयलेट करने आया था। दी ने पूछा तूने कर लिया टॉयलेट तो चल। मेने कहा नही मै करके आता हु। दी बोली ठीक है जल्दी आ। ये कहकर दी सीट पर चली गयी और मै टॉयलेट करके सीट पर आया। दी निचे सीट पर हु बैठी थी। मै आया और दी के पास बैठ गया और उन्हे पूरी घटना बताई। दी को भी कुछ समझ नही आया पर वो बोली अब तु ज्यादा सोच मत तूने पुलिस की मदद हि की है। तो अब भूलजा इस सब बातों को। ये कहकर दी ने मेरा सिर अपनी गोद मे रखा और मुझे सुलाने लगी। मुझे भी अच्छा लगा और थोड़ी देर मे ही मुझे नींद आ गयी। दी ने मुझे सीट पर लिटाया और खुद भी ऊपर सीट पर जाकर लेट गयी।