सुबह प्रिया ने समीर को उठाया और दोनो के लिए चाय खरीदी। दोनो ने चाय पी। चाय पीते पीते समीर अभी भी रात वाली घटना के बारे मे हि सोच रहा था।प्रिया ने ये देखा तो बोली समीर तुझसे कहा था ना भूल जा उस बात को और तु अभी तक उसी बारे मे सोच रहा है। कही ऐसा तो नही है कि वो औरत पसंद आ गयी है तुझे?
ये कहकर प्रिया समीर को घूरने लगी। जैसे समीर के चेहरे के भाव पढ़कर उसके मन के भाव पढ़ रही हो।
समीर बोला: दी ऐसा कुछ नही है मै बस ये नही समझ पा रहा वो पुलिस मे थी तो मुझसे आकर ये क्यू कहा सर्विस या माल चाहिए हो तो बताओ। इसका क्या मतलब था। और फिर उस लड़के के साथ टॉयलेट मे कैसे और क्यों। कुछ समझ नही आ रहा है।
प्रिया तूनककर बोली: तो तु उसके साथ हि उतर जाता और सब समझके हि आता वापिस।
समीर अपनी दी की बात सुनके बोला: दी यार उस समय ये सोचा हि नही पर बात तो तुम्हारी सही है। अब जाऊ क्या?
ये कहकर समीर अपनी दी के चेहरे को देखने लगा। प्रिया के चेहरे पर गुस्से के भाव उठने लगे। समीर अपनी दी के गुस्से को जानता था तो उसने झट से कान पकड़ के माफ़ी मांगते हुए कहा: दी सोरी मै तो मजाक कर रहा था। अब पक्का भूल गया मै सब बात। आप चिल रहो बस। देखो बाहर कितना सुंदर पहाड़ है।
प्रिया भी बाहर देखने लगी। बाहर का नज़ारा सच मे बहुत सुंदर था। प्रिया बाहर देख रही थी और समीर प्रिया को देखने लगा। अब वो दोनो सुंदर नज़ारे का लुत्फ़ ले रहे थे प्रिया बाहर की सुंदरता का और समीर अपनी दी की सुंदरता का। वाह क्या सौंदर्य है सूरज की रौशनी मे दमकता खिला हुआ प्यारा चेहरा। समीर के लंड ने एक अंगड़ाई ली। लंड बार बार समीर से बोल रहा था कितनी प्यारी लग रही है चल जल्दी से पकड़ और पेल दे कितना मजा आएगा दी को यहां चोदने मे आअह्ह्ह्हह्ह। पर दिमाग़ मे अभी भी रह रहकर वो पुलिस वाली आ रही थी। समीर असमंजस मे था तभी प्रिया ने गर्दन समीर की ओर की तो उसे खुदकी ओर देखता पाया। प्रिया मुस्कुराई और समीर की ओर झुककर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। इसी के साथ समीर का असमंजस ख़त्म हो गई। लंड की मंजिल का सफर शुरु हो चुका है और दिल अब उसकी दी के होठों के स्पर्श का आनंद उठाने लगा। प्रिया ने समीर का निचला होंठ अपने होठों मे पकड़ा और उसे चूसने लगी। प्रिया मे समीर की गोद मे बैठकर अपने पैर समीर के पीछे ले जाके उसकी कमर मे लपेट दिये। अब समीर के हाथ प्रिया की पीठ पर फिरने लगे। दोनो मादकता के नशे मे चूर होकर एक दूसरे मे समाने लगे। समीर ने हाथ पीठ से फिराते हुए प्रिया के रसीले मोटे बूब्स पर रख दिये और हलके हलके उन्हे दबाने लगा। प्रिया के शरीर मे भी कामाग्नी भड़कने लगी। प्रिया ने चुम्बन की तीव्रता बड़ा और समीर की जीभ अपने मुह मे लेके चूसने लगी। समीर ने दोनो के ऊपर चद्दर ले लिया और धीरे धीरे प्रिया का टॉप ऊपर करते हुए उसके गदराये पेट पर हाथ फिराने लगा। हाथ फिराते हुए प्रिया की नाभि के चारों और गोल गोल अंगुली फिराने लगा। प्रिया की हालत खराब होने लगी। प्रिया ने चुम्बन तोड़ दिया और आहे भरने लगी। समीर ने झट से प्रिया का चेहरा पकड़ा और उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर उन्हे लॉक कर लिया। अब समीर प्रिया को चूसने लगा। प्रिया की सिसकियां समीर के मुह मे सिमटने लगी। समीर फिर से अपने हाथ प्रिया के पेट पर फिराने लगा। पेट पर हाथ फिराते हुए ऊपर ले जाने लगा। ऊपर हाथ बूब्स के निचे टच होते हि समीर के लंड ने एक जोरदार झटका दिया। चड्डी मे कैद होने के कारण लंड मे दर्द होने लगा। समीर ने प्रिया दी का हाथ पकड़ कर अपनी चड्डी के अंदर डाल दिया। अब समीर प्रिया दी के बूब्स को दबाते हुए उसे चूम रहा था और प्रिया समीर के लंड को अपने हाथ से ऊपर निचे कर रही थी। प्रिया की उत्तेजना भड़कने लगी और ऐसी भड़की कि उसने समीर की चड्डी के छेद से लंड बाहर निकाला फिर आगे से समीर का पज़ामा फाड़ा और लंड पूरा बाहर निकाल लिया। प्रिया आगे बढ़ी और अपनी लेगिंग मे भी आगे एक छेद बनाया और चड्डी साइड करके समीर के लंड को अपनी चूत मे लेने लगी। अचानक लंड के चूत मे अंदर जाने के अहसास से समीर की हवस सातवें आसमान पर पहुंच गयी। समीर बुरी तरह अपनी प्रिया दी के बोबे मसलने लगा निप्पल निचोड़ने लगा। प्रिया ने समीर की टीशर्ट मे अंदर हाथ डाले और उसकी पीठ पर नोंचने लगी। सीट पर बैठे हुए दोनो की जबरदस्त चुदाई शुरु हो चुकी थी। दोनो तड़प रहे थे सिसक रहे थे। समीर धीरे धीरे सीट पर लेट गया और प्रिया समीर के ऊपर थी। प्रिया समीर के लंड पर अपनी कमर हिला हिलाकर चूत मारने लगी। प्रिया की स्पीड लगातार बढ़ने लगी। प्रिया अगले 15-20 मिनट तक लगातार अपनी चूत की कुटाई करती रही। धीरे धीरे प्रिया अपने चरम की और बढ़ने लगी उसका शरीर अकड़ने लगा और अगले कुछ धक्कों के साथ हि प्रिया बुरी तरह अपनी चूत का पानी बहाने लगी। पानी निकलते हि प्रिया समीर पर गिर पड़ी। अब समीर ने अपनी दी को पलटकर नीचे लिटाया और खुद उनके ऊपर आकर कमान अपने हाथों मे ली। समीर ने अपना लंड प्रिया की चूत पर सेट करके एक झटके मे हि जड़ तक लंड चूत मे पेल दिया। चूत पानी निकलने के कारण चिकनी हो चुकी थी इसीलिए आसानी से लंड अंदर चला गया। अब समीर प्रिया के बोबे चूसते हुए उसकी चुदाई करने लगा। प्रिया भी मदहोशी मे समीर के बालो मे हाथ फिराते हुए उसके मुह को अपने बूब्स पर दबाने लगी। इतने मे परदे के बाहर से एक औरत की हलकी से आवाज़ आयी " थोड़ा धीरे आवाज़ करो बाहर तक आवाज़ आ रही है" ये सुनते हि चुदाई एकदम रुक गयी। दोनो की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। वो दोनो भूल हि चुके थे की वो अपने रूम मे नही बल्कि ट्रेन की सीट पर है। इस एक पल मे उन दोनो का सारा खुमार चूमंतर हो गया और दोनो शर्म से पानी पानी हो गये की अब परदे से बाहर लोगो का सामना कैसे करेंगे। दोनो ने जल्दी से अलग होकर अपने कपड़े ठीक किये। देखा तो समीर का पज़ामा पूरा फटा हुआ था और प्रिया की लेगिंग मे भी छेद दिख रहा था। दोनो एक दूसरे को देख रहे थे पर बोल दोनो कुछ नही पा रहे थे। थोड़ा समय ऐसे हि गुज़रा पर अब दोनो को टॉयलेट लगने लगी। दोनो टॉयलेट कंट्रोल कर रहे थे पर अभी सफर काफी लम्बा बचा था तो जाना तो था ही। समीर ने प्रिया दी की तरफ देखा और धीमे से बोला: दी क्या करे। एक तो लोगो को पहले हि पता लग चुका है हम क्या कर रहे थे और दूसरा ये फटे कपड़े। ऐसे तो बाहर जा हि नही सकते।
प्रिया बोली: सीट के नीचे से बेग निकाल ले। उसमे से कपड़े लेकर चेंज कर लेंगे।
समीर बोला: मै क्यू निकालू बैग आप निकालो। कपड़े आप हि ने तो फाड़े है।
प्रिया गुस्से मे समीर की ओर देखती हुयी बोली: मै लड़की हु और तु लड़का है। तेरे ऊपर लोगो की कम नज़र होगी मुझ पर ज्यादा तो ज्यादा मत बोल चुपचाप बैग निकाल।
समीर बोला: दी मै नही निकलूंगा बैग। जब आग आपके अंदर भड़क रही थी तो बैग भी आप हि निकलोगी। अगर इतना पता है आपको तो कपड़े आराम से ही खोल देती फाड़ने की क्या जरूरत थी। इतनी क्या आग लगी थी आपको। मामा के घर पहुंचने तक रुक नही सकती थी।
ये कहकर समीर बाहर की ओर देखने लगा। प्रिया समीर को अचम्भे से देखती रह गयी। उसकी आँखों मे आंसु आ गये। कहा तो ये लड़का उसे जिंदगी भर प्यार से रखने के वादे कर रहा था और कहा आज एक पल मे उसे ऐसे ट्रीट करने लगा जैसे वो कोई सेक्स की भूखी औरत हो और सारा दोष उसने प्रिया के ऊपर लगा दिया और खुद निर्दोष बनकर बैठ गया। प्रिया ने अपने को संभाला और अपने आंसु पोंछकर सीट के नीचे से बैग ऊपर ले लिया। अपने लिए लेगिंग निकाली और पज़ामा समीर को दिया। समीर को प्रिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था वो इस सब के लिए प्रिया को हि जिम्मेदार मान रहा था इसीलिए उसने बिना प्रिया की ओर देखे पज़ामा लिया और फटा पज़ामा चेंज किया।
फिर समीर उठाकर बिना किसी की और देखे टॉयलेट की ओर चला गया। समीर टॉयलेट करके वापिस आया तो कम्पार्टमेंट मे बैठे दोनो लोगो उसे देखकर हलका सा मुस्कुरा दिये। ये दोनो पति पत्नी थे लगभग 60 से उप्पर की उम्र के होंगे। समीर को उनकी मुस्कान मे छिपा तंज दिख रहा था, उसे अपनी घोर बेइज्जती महसूस हुयी जिससे उसका दिमाग़ खराब हो गया और उसे प्रिया पर ओर ज्यादा गुस्सा आने लगा। समीर निचे की सीट पर बैठने लगा पर उसे प्रिया का चेहरा देखते हु गुस्सा आया और वो प्रिया की ओर घूरते हुए उठा और ऊपर की सीट पर चढ़कर सो गया। प्रिया की आँखों मे फिर से आंसु आ गये। वो समझ नही पा रही थी इन सबमे उसकी अकेली का दोष कैसे है। उसकी गलती क्या है किसी को बहुत ज्यादा प्यार करना या प्यार मे उसे हर खुशी देना अपना सब कुछ उसे सौप देना। उसका दिल जोर जोर से रोने का कर रहा था। पर आसपास बहुत लोग थे। वो जल्दी से उठी चप्पल पहनी और टॉयलेट मे चली गयी। टॉयलेट मे अंदर घुसके उसने गेट लॉक किया और अब वो अपना कंट्रोल खो बैठी। प्रिया टॉयलेट मे फुट फुट कर रोने लगी। उसे कुछ समझ नही आ रहा था। वो बस रोये जा रही थी। वो पता नही कितनी देर रोती रही। फिर उसने खुद को संभाला और फिर टॉयलेट करके अपना फेस अच्छे से धोया और बाहर आयी। प्रिया अपनी सीट पर आकर बैठने लगी तभी वहा बैठी आंटी ने प्रिया को कहा बेटी तुम्हे कोई प्रॉब्लम नही हो तो थोड़ी देर हमारे साथ बैठो। प्रिया असमंजस मे थी पर उसे आंटी की बातों मे अपनापन महसूस हुआ। वो आंटी के पास आके बैठ गयी। उसने अंकल आंटी दोनो को नमस्ते किया। आंटी ने बात शुरु की।
आंटी: बेटा लगता है नई नई शादी हुयी है?
प्रिया के पास कोई जवाब नही था वो नीचे पैरो की और देखने लगी। पर फिर खुदको संभालकर उसने आंटी को जवाब दिया।
प्रिया: नही आंटी अभी शादी नही हुयी।
आंटी: ओक बेटा। तो बॉयफ्रेंड है तुम्हारा?
प्रिया: हाँ आंटी।
आंटी: बेटा वैसे तुम्हारा जीवन है तुम समझदार भी हो। पर मै तुम्हारी दादी की उम्र की हु। हमारी जनरेशन मे काफी अंतर है। पर मै फिर भी तुम्हे अपनी कहानी सुनाना चाहती हु। यदि तुम सुनना चाही तो।
प्रिया को भी आंटी मे अपनी दादी दिखने लगी। उसे उनसे बात करके बहुत अच्छा फील हो रहा था। साथ हि उन दोनो अंकल आंटी ने प्रिया को एकपल के लिए भी कुछ गलत ना तो बोला ना हि फील करवाया।
तो प्रिया बोली: सुनाइए ना आंटी जरूर सुनाइए।
आंटी ने प्यार से प्रिया के सिर पर हाथ फेरा और अपनी कहानी सुनाने लगी।