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पापा – लड़की अच्छी है पर रेखा जी जैसी बात नहीं है इसमें l
मैं – अपनी अपनी नज़र है l वैसे मम्मी को बताऊँ की आप रेख जी से मिलने को कह रहे हो ?
पापा – अरे अच्छा लगेगा तुम्हे की तुम्हारा बाप तुम्हारे सामने पिट जाए l
फिर हम दोनों हसने लग गएँ l मैंने पूछा “फिल्म की रिलीज़ तक आप हो न यहाँ ?
पापा – हम सब को बस तुम्हे देखना था और अब हमारा बेटा सुपरस्टार बन गया है l यहाँ नहीं घर आओ फिर हम ढेर सारी बातें करेंगे l
मैं – बस पंद्रह दिनों की तो बात है l आप रुक जाईये न l
पापा – कुछ अधूरे काम हैं उन्हें पूरा करना है l घर पे आओ और तब हम साथ में जश्न मनाएंगे l
मैं – ठीक है आप जैसा कहें l
दो दिन बाद सब लोग चले गएँ l मैं फिर से अकेला हो गया था l अब प्रमोशन की बारी थी, वैसे तो मेरे और तृषा के काण्ड ने लगभग इस फेज का हर काम पूरा कर ही दिया था पर यशराज कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते थें l जितना भी मैं और तृषा साथ दीखते कैम्पेन उतना ही आगे बढ़ता जा रहा था l
फिल्म से जुड़े हर लोग हमें साथ ले जाते, और हर जगह मेरे हर ज़ख्म कुरेदे जातें l अब तो दर्द का महसूस होना भी बंद हो गया था l पूरे देश में इस फिल्म को ले के जबरदस्त क्रेज हो गया था l आखिर वो रात आ ही गयी जब अगले दिन मेरी फिल्म परदे पे आने वाली थीl उस रात मैं अपने अपार्टमेंट में था l
तृष्णा – कैसा लग रहा है तुम्हे?
मैं – नींद आ रही है l प्लीज मुझे सोने दे l
ज्योति – कुम्भकर्ण कही के l आज तो तुम कुछ भी कहो हम सब तुम्हे सोने नहीं देंगे l
मैं – हाँ अब तुम तीन और मैं अकेला मासूम बच्चा, कर लो अत्याचार मुझपे l
तभी दरवाज़े पे दस्तक हुयी l ज्योति ने दरवाज़े को खोला तो सामने तृषा हाथ में शराब की बोतल लिए खड़ी थी कंधे पे एक बैग भी था l वो आयी और हम सबके साथ बैठ गयीं l
मैं – मुझे आज कुछ ऐसा ही लग रहा था की तुम आओगी ज़रूर l
तृषा – कल सिर्फ तुम्हारी ही नहीं बल्कि हमारी फिल्म भी रिलीज़ हो रही है l (मेरी ओर देखते हुए) साले तुमने मेरी इमेज की धज्जियाँ उड़ा दी हैं l प्यार का नाटक करना बंद भी कर दो l यहाँ सब बस मतलब के यार हैं, कोई किसी से सच्ची मोहब्बत नहीं करता यहाँ l
मैं – तुम्हे कभी भी ये नहीं लगा की मैं तुम्हे सच में प्यार करता हूँ ?
तृषा – (मेरे सवाल पे ध्यान ना देते हुए कहने लगी) आज उसने भी मुझे छोड़ दिया l कहता है की मेरे साथ अब जो भी रहेगा उसकी इमेज खराब हो जायेगी l मेरा तो मन करता है की तुम सब की जान ले लूँ l
मैं – अभी भी जान लेने में कोई कसर बाकी रह गयी है क्या ?
तृषा – तुम अब तक नहीं बदले l मुझपे एक एहसान कर दो.... प्लीज आज मेरी जान ले लो तुम l जब जब मैं तुम्हारी आँखों में देखती हूँ हर बार मुझे ये एहसास होता है की कितनी बुरी हूँ मैं l अपने आप से ही घिन्न सी होने लगी है मुझे l
मैं – तुमने ज्यादा पी हुयी है, अभी यही आराम करो कल सुबह बात करेंगे l
तृषा – नहीं कल शायद मुझमे तुमसे नज़रें मिलाने की हिम्मत भी ना हो l आज मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ l बचपन से ही मैंने प्यार के हर रिश्तों को करियर और पैसों के सामने बिखरता हुआ देखा है l मुझे कभी भी यकीन नहीं था सच्चे प्यार पे l जिंदगी में आगे बढ़ने की इतनी चाहत थी मुझमे की मेरा सच्चा प्यार मेरे सामने होते हुए भी मैं उसे पहचान न पायी l आज मैं आईने के सामने खुद से नज़रें भी नहीं मिला पा रही हूँ l हर बार जब मैं खुद को देखती हूँ तो मुझे तुम्हारे साथ बिताएं वक़्त की याद आती है l
मैं – (उसके हाथ को अपनी हाथों में लेते हुए) मैं तो आज भी तुम्हे चाहता हूँ l
तृषा – (उसकी आँखें भर आयीं थी) तुम्हारी यही बात तो मुझे जीने नहीं दे रही l मैंने क्या नहीं किया तुम्हारे साथ, पर तुम्हारी आँखों में अब तक मुझे खुद के लिए प्यार ही दिखता है l मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ, मैं किसी के प्यार के लायक नहीं हूँ l तुम्हे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना है, किसी दिन तुम्हे भी वो ज़रूर मिलेगी जो तुम्हे सच्चे दिल से चाहेगी l मुझे अपनी जिंदगी की बुरी याद की तरह भूल जाओ l मैं तुम्हारे प्यार के लायक नहीं हूँ l
अगर मैं तुमसे आज कुछ मांगूं तो तुम मना तो नहीं करोगे l
मैं – मुझे तुम चाहिए l और उसके बाद कुछ भी मांग लेना l
तृषा – मैं तुम्हारी थी, तुम्हारी हूँ और तुम्हारी ही रहूंगी l (उसका हर लब्ज़ मुझे बीते दिनों में लिए जा रहा था) मैं तुम्हारे साथ एक आखिरी सीन करना चाहती हूँ l
मैं – कैसा सीन ?
तृषा – बैग से शादी का एक जोड़ा निकालते हुए l एक लड़की का उसकी जिंदगी का सबसे प्यारा सपना जीना चाहती हूँ मैं l तुम्हारे लिए इस जोड़े में सजना चाहती हूँ मैं l ये हर लड़की का अरमान होता है, शादी के जोड़े में सज़ के अपनी प्यार की आँखों में खुद के लिए प्यार देखना l शायद मैं कभी ये दिन न देख पाऊं l कम से कम इस झूठ की दुनियां में तुम्हारे प्यार को महसूस कर लूँ l तुमने कभी भी मुझे चाहा होगा तो मुझे मना नहीं करोगे l
मेरी आँखों के सामने फिर से अन्धेरा सा छा रहा था l शादी के जोड़े वाली बात मैंने ना तो निशा को ना ही इसे कभी बताई थी तो फिर से वही सब क्यूँ हो रहा था मेरे साथ l ऐसा लग रहा था की मैं फिर से उसी मोड़ पे हूँ l मेरे गले से अब आवाज़ नहीं निकल रही थी l मैंने निशा की ओर देखा l पता नहीं वो क्या समझ बैठी, वो सब तृषा को कमरे के अन्दर ले गयीं और थोड़ी देर में तृषा शादी के जोड़े में सजी मेरे सामने थी l
मेरी बेचैनी अब अपने चरम पे थी l मैं फिर से वो सब दोहराना नहीं चाहता था l मैं दूसरी ओर घूम गया l “जाओ यहाँ से, मैं नहीं देख सकता तुम्हे ऐसे l” कहते हुए मैं चिल्लाया l
तृषा मुझसे वैसे ही लिपट गयी l
तृषा – आज कितने दिनों बाद इस दिल को राहत मिली है l (मैंने अपनी आँखें बंद की हुयी थी)
तृषा मेरे सामने आयी और उसने मेरे माथे को चूम लिया l मुझे देखोगे नहीं ?
मैं – नहीं देख पाऊंगा मैं l मेरी जान ही ले लो न l इतना दर्द क्यूँ देती हो l (मैंने धीरे धीरे अपनी आँखें खोली, तृषा की आँखें भरी हुयी थी ठीक वैसे ही जैसा पहले हुआ था l मैं इस बार उसे देख न पाया और वही घुटनों पे आ गया l)
तृषा – मैंने अपना सपना जी लिया है l अब मुझे कुछ भी नहीं चाहये l बस तुम खुश रहना l
और वो वैसे ही दरवाज़े के बाहर निकल गयी l मैं अब तक सदमे में ही था l तभी निशा कमरे से बाहर आयी l
निशा – क्या हुआ तुम्हे ? कुछ तो बोलो l
इस बार फिर जैसे सपने की ही तरह तृषा का हाथ मुझसे छूट रहा हो जैसे l पर मैं अब इस हाथ को छोड़ने वाला नहीं था l मैं कमरे से बाहर भागा l मेरी साँसे अब बहुत तेज़ गयीं थी l मैं इस बार उसे जाने नहीं दे सकता था l तभी सामने सड़क पर तृषा अकेली बीच में चली जाती दिखाई दी l दूर से दो कारें उसकी ओर बढ़ रही थी l मेरे अन्दर जितनी भी जान बची थी मैं भागा उसे बचाने l “रुक जाओ तृषा !” चिल्लाता हुआ मैं उसकी ओर भाग रहा था l मैंने आखिरकार उसे पकड़ लिया .... पर शायद अब देर हो चुकी थी सामने से आती एक कार ने हमें टक्कर मार दी l
तीन दिनों बाद मुझे होश आया l मैं अस्पताल में था l धीरे धीरे मैंने अपनी आँखें खोली सामने पापा थें l “तृषा कैसी है ?” मैंने पूछा l
पापा – वो ठीक है l अभी दुसरे कमरे में है वो l
बाकी सब मुझसे बात करना चाह रहे थें पर मेरी आँखें तो बस तृषा को ही ढूंढ रही थी l मैं उठने की कोशिश करने लगा l तभी डॉक्टर ने एक व्हील चेयर मंगवाया और मुझे उसपे बिठा के तृषा के कमरे में ले गएँ l हम दोनों की एक टांग और एक हाथ टूट गए थे सुर साथ ही सर में भी चोट आयी थी l डॉक्टर ने वही एक बिस्तर मंगवा के मुझे लिटा दिया l सब लोग उस कमरे में हमें घेर के बैठ गएँ l
निशा – सुना था मैंने की प्यार में बस दिल को खतरा होता है l हाथ पैर भी टूटते हैं इसका पता आज चला मुझे l (फिर सब हसने लग गएँ)
मम्मी – अब थोड़ी देर इन दोनों को अकेला छोड़ दो l हम आते हैं बेटा l (कह के सब बाहर चले गएँ)