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Romance सुपरस्टार - The life we dream to live

naqsh8521

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Next Update

मैं – आप सब अपने सवाल पूछ सकते हैं पर इतना ध्यान रखें की आपके सवाल एक से नहीं हों और आप बारी बारी से अपने सवाल पूछें l वर्ना आपको तो मालुम ही है की मुझे इस माइक का इस्तेमाल हथियारों की तरह करना अच्छे से आता है l (वहां सब हसने लग गएँ)

सवाल – क्या कल जो आपने किया वो बस अच्छी पब्लिसिटी का हथकंडा था ?

मैं – अभी नया नया हूँ इस इंडस्ट्री में... पब्लिसिटी के टोटके आते नहीं मुझे l (मैं अपने प्रोडूसर की ओर देखते हुए) सर जी पब्लिसिटी के पैसे बच गएँ, पेमेंट बढ़ा दो मेरी l

सवाल – तृषा किसी और को पसंद करती हैं तो इसमें दिक्कत क्या है आपको ?

मैं – कलाकार हूँ मैं जनाब l हमेशा ही डायरेक्टर की दिखाई झूठी दुनिया को सच मान के जिया है मैंने l सच्ची दुनिया की आदत नहीं है न मुझे बस इसीलिए थोड़ी दिक्कत हो गयी l

सवाल – आपने इंडस्ट्री के सुपरस्टार से पंगा ले लिया l आपको अपने करियर की फ़िक्र नहीं है क्या ?

मैं – (हस्ते हुए) मेरे शहर में हर रोज़ एक मदारी आया करता था l उसके बन्दर की कलाकारी ने सबको अपना दीवाना बनाया हुआ था l एक दिन वो एक नए बन्दर को ले के आता है l तो मैंने जा के मदारी से पूछा “चाचा पुराने वाले को क्यूँ छोड़ दिए ?

उसने कहा “अब बूढा हो चूका है और कलाबाजियां लेने कहो तो दांत दिखाता है अपने l अब उसके लिए लोगों का मनोरंजन तो बंद नहीं कर सकता न l इसीलिए इसे लाया हूँ, आप सब मौका दोगे तो ये उससे ज्यादा मनोरंजन कर के दिखाएगा l नहीं तो रहो बिना तमाशा देखेl”

और कोई सवाल ? मैंने सब से पूछा l

सवाल (महिला पत्रकार) – एक एक्टर परिभाषा क्या है आपकी नज़रों में ?

मैं – पागल , बीमार और दर्द से तड़पता हुआ इंसान l

वही पत्रकार – मैं समझी नहीं l

मैं – जब आप दुखी हो और कोई आपको ख़ुशी से चिल्लाने को कहे तो आप क्या करोगी ?

पत्रकार – थप्पड़ मार दूंगी उसे l

मैं – (हस्ते हुए) फिर तो आपको आज खूब मसाला मिलने वाला है यहाँ l यहाँ आज की शूटिंग में मुझे यही करना है l

तो हो गया इंटरव्यू ... अब मैं जाऊं ? (और मैं उठ के जाने को हुआ)

पत्रकार – तृषा जी के लिए कोई सन्देश l

मैं – एक गाना डेडीकेट करना चाहूँगा l एक पुराना गाना जिसे हनी सिंह ने रीमिक्स किया हैl

“मैंने ओ सनम तुझे प्यार किया , तूने ओ सनम मुझे धोखा दिया.. तूने किया ये क्यूँ ?

मेरे महबूब क़यामत होगी .... आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी l”


(और हस्ते हुए मैं वहां से उठ के शूटिंग वाली जगह पे आ गया)



आज का सीन था

तृषा और पूजा को गुंडे उठा के ले गए थे और मैं गुंडों को भगा चुका हूँ (फाइट सीन पिछली शूटिंग में ही ख़त्म हो चुका था) l अब तक मैं इस फिल्म में आवारा वाले किरदार में ही हूँ सो मैं तृषा से अपने प्यार का इज़हार करता हूँ l उसे पाने की ख़ुशी से मेरी आँखें भर जाती हैं और मैं उसे चूमता हूँ तो उसकी आँखों में अपनी तस्वीर देख मेरे अन्दर का दूसरा किरदार बाहर आ जाता है l और मैं पूजा(ज़न्नत) को अपनी बांहों में भर लेता हूँ l



मैं अब तैयार हो चुका था इस शॉट के लिए तभी हमारे डायरेक्टर ने मुझे किनारे में बुलाया l

डायरेक्टर – इस आखिरी सीन के लिए मैं सोच रहा था की हम तृषा के डुप्लीकेट से सीन पूरा कर लेते हैं l

मैं – अब तक तो मैं अपनी जिंदगी जी रहा था इस फिल्म के बहाने l आज मौका मिला है एक्टिंग का और मैं इस मौके का भरपूर इस्तेमाल करना चाहता हूँ l ले आईये उसे मेरे सामने आज कोई गलती नहीं होगी l

डायरेक्टर ने निशा को इशारा किया और वो वैन से तृषा को बुला लाई l जिन नज़रों में प्यार का समन्दर दिखा करता था मेरे लिए वही नज़रें नफरत से भरी हुयी थीं आज l मैं तो अब भी दुविधा में था, मैं ये तय नहीं कर पा रहा था की वो कल एक्टिंग कर रही थी या आज l

सेट पे सब चीज़ें अपनी जगह पे पंहुच गयीं थीं l तृषा और पूजा को दो खम्बे से बाँध दिया गया था और दोनों के मुंह टेप से बंद किये हुए थें l मैंने एक आखिर फाइट सीन ख़त्म किया और दोनों जहाँ बंधी हुयी थी वहां पे पंहुच गया l



लाइट ... कैमरा .... एक्शन ...!



अभी अभी जो मैंने फाइट सीन किया था इस वजह से मैं अब तक गुस्से में लम्बी लम्बी साँसे ले रहा था l अपने कदम बढाता हुआ मैं उन दोनों की तरफ बढ़ रहा था l कैमरे ने मेरे चेहरे को फोकस किया और मैं बस तृषा की ओर ही देखे जा रहा था l मेरी नज़रें उसकी नज़रों से जा मिली l मेरे अन्दर जितनी भी नफरत थी उसके लिए वो आंसू बन मेरी आँखों में उभर आयें l मैं दौड़ के उसके पास पंहुचता हूँ और उसके बंधे हुए हाथ पाँव को बंधन से आज़ाद करता हूँ l जहाँ जहाँ रस्सियों के कसाव की वजह से निशान उभर आयें थें उन जगहों को चूमता हुआ और अपनी आंसुओं से भिगोता हुआ उसे आज़ाद कर अपनी बांहों में भर लेता हूँ l

मैं – काश की तुम्हारे ज़ख्मों का दर्द मुझे मिल जाता , काश की तुम्हारी हर तकलीफ मैं खुद पे ले पाता l

तृषा – मुझे तुम मिल गए तो ये सारा जहाँ मिल गया l (उसकी ये लाइन मेरे ज़ज्बातों को उधेड़ के रख देती है पर फिर भी खुद पे काबू करता हूँ मैं)

मैं – आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूँ l

तृषा – मैंने तो अपनी जान भी तुम्हारे नाम कर दी है अब और बचा ही क्या है l

मैं – (अपने घुटनों पे बैठता हुआ) तुम्हारे जिंदगी का हर लम्हा मैं अपना बना कर बिताना चाहता हूँ l तुममे खो के खुद को पाना चाहता हूँ l बस मैं वो वक़्त चाहता हूँ जिसमे बस तुम मेरी बांहों में हो l

तृषा – तुम्हे इजाज़त है... मेरा हर लम्हा चुराने की l

तृषा की आँखों में आंसू थें l मैंने उन आंसुओं को पोछ उसके होठ चूम लिए l मैं खो चुका था उसमे... फिर मैंने उसकी आँखें देखीं और हर वो कड़वी यादें जो उसके साथ जुड़ी थी ताज़ा हो गयीं l गुस्से से मेरी साँसे फिर तेज़ हो गयीं मैंने उसे धक्का दिया और चिल्लाने लगा ...

मैं – कौन हो तुम? और तुमने इस तरह मुझे क्यूँ पकड़ा हुआ है?

तृषा अब अचम्भे में थी l मैंने अब पूजा को आज़ाद किया l पूजा आज़ाद होते हीं मुझे एक जोर का थप्पड़ जड़ देती है l

मैं – मैं नहीं जानता उसे... मैंने तो बस अपने हर ख्वाब में तुम्हे ही सजाया है l मेरे हर सपने में बस तुम ही तुम बसी हो l मैं नहीं जानता की वो कौन है और मेरे साथ ये सब क्यूँ कर रही थी l

पूजा – कौन हो तुम?

मैं – तुम आज मुझे नहीं पहचानती हो l जिंदगी की इतनी मुश्किलों के बाद मैंने तो जिंदगी की आस ही छोड़ दी थी l अपने जीने के एहसास को ही खो दिया था मैंने l अगर आज मैं जी रहा हूँ तो मेरे जीने की वजह तुम ही तो हो l और तुम्ही मुझे ठुकरा रही हो l मैं वही हूँ जिसे तुमने और जिसने तुम्हे हमेशा के किये अपना मान लिया था l

मैं ये सब कह ही रहा था की पीछे से विलन के एक आदमी ने मेरे सर पे रौड से वार किया और मैं गिर पड़ा l



कट इट..... ज़बरदस्त शॉट !!

चारों तरफ से तालियों की गडगडाहट गूंज उठी l शायद मैं एक्टिंग सीख गया अब !

मैं वहां से अपने वैन में आया और आगे के और दो सीन आज पूरे कर लिए मैंने l मेरे हर शॉट के साथ तालियों की गूंज बढती ही चली गयी l वहां मौजूद हर इंसान को मैंने अपना दीवाना बना लिया था l

मैं अब वापस घर की ओर निकल पड़ा l मैं जब गाडी की तरफ बढ़ रहा था तब फिर से रिपोर्टरों के हुजूम ने मुझे घेर लिया l पर मैं अब और कोई सवाल नहीं चाहता था, सो मैं उनसे खुद को दूर करता हुआ अपनी कार में बैठ गया l

घर पे पंहुचा तो सब लोग टी वि के सामने ही बैठे थें l मैंने कहा “क्या आ रहा है टी वि पे जो इतने गौर से देख रहे हो आप सब ?”

श्वेता – तुम खुद ही देख लो l



लगभग हर न्यूज़ चैनल पर मेरे और तृषा की हर तस्वीर को किसी फिल्म की तरह चलाया जा रहा था और बैकग्राउंड में वही गाना बज रहा था जो आज मैंने तृषा को डेडीकेट किया थाl
 

mashish

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सवाल – क्या कल जो आपने किया वो बस अच्छी पब्लिसिटी का हथकंडा था ?

मैं – अभी नया नया हूँ इस इंडस्ट्री में... पब्लिसिटी के टोटके आते नहीं मुझे l (मैं अपने प्रोडूसर की ओर देखते हुए) सर जी पब्लिसिटी के पैसे बच गएँ, पेमेंट बढ़ा दो मेरी l

सवाल – तृषा किसी और को पसंद करती हैं तो इसमें दिक्कत क्या है आपको ?

मैं – कलाकार हूँ मैं जनाब l हमेशा ही डायरेक्टर की दिखाई झूठी दुनिया को सच मान के जिया है मैंने l सच्ची दुनिया की आदत नहीं है न मुझे बस इसीलिए थोड़ी दिक्कत हो गयी l

सवाल – आपने इंडस्ट्री के सुपरस्टार से पंगा ले लिया l आपको अपने करियर की फ़िक्र नहीं है क्या ?

मैं – (हस्ते हुए) मेरे शहर में हर रोज़ एक मदारी आया करता था l उसके बन्दर की कलाकारी ने सबको अपना दीवाना बनाया हुआ था l एक दिन वो एक नए बन्दर को ले के आता है l तो मैंने जा के मदारी से पूछा “चाचा पुराने वाले को क्यूँ छोड़ दिए ?

उसने कहा “अब बूढा हो चूका है और कलाबाजियां लेने कहो तो दांत दिखाता है अपने l अब उसके लिए लोगों का मनोरंजन तो बंद नहीं कर सकता न l इसीलिए इसे लाया हूँ, आप सब मौका दोगे तो ये उससे ज्यादा मनोरंजन कर के दिखाएगा l नहीं तो रहो बिना तमाशा देखेl”

और कोई सवाल ? मैंने सब से पूछा l

सवाल (महिला पत्रकार) – एक एक्टर परिभाषा क्या है आपकी नज़रों में ?

मैं – पागल , बीमार और दर्द से तड़पता हुआ इंसान l

वही पत्रकार – मैं समझी नहीं l

मैं – जब आप दुखी हो और कोई आपको ख़ुशी से चिल्लाने को कहे तो आप क्या करोगी ?

पत्रकार – थप्पड़ मार दूंगी उसे l

मैं – (हस्ते हुए) फिर तो आपको आज खूब मसाला मिलने वाला है यहाँ l यहाँ आज की शूटिंग में मुझे यही करना है l

तो हो गया इंटरव्यू ... अब मैं जाऊं ? (और मैं उठ के जाने को हुआ)

पत्रकार – तृषा जी के लिए कोई सन्देश l

मैं – एक गाना डेडीकेट करना चाहूँगा l एक पुराना गाना जिसे हनी सिंह ने रीमिक्स किया हैl

“मैंने ओ सनम तुझे प्यार किया , तूने ओ सनम मुझे धोखा दिया.. तूने किया ये क्यूँ ?

मेरे महबूब क़यामत होगी .... आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी l”


(और हस्ते हुए मैं वहां से उठ के शूटिंग वाली जगह पे आ गया)



आज का सीन था

तृषा और पूजा को गुंडे उठा के ले गए थे और मैं गुंडों को भगा चुका हूँ (फाइट सीन पिछली शूटिंग में ही ख़त्म हो चुका था) l अब तक मैं इस फिल्म में आवारा वाले किरदार में ही हूँ सो मैं तृषा से अपने प्यार का इज़हार करता हूँ l उसे पाने की ख़ुशी से मेरी आँखें भर जाती हैं और मैं उसे चूमता हूँ तो उसकी आँखों में अपनी तस्वीर देख मेरे अन्दर का दूसरा किरदार बाहर आ जाता है l और मैं पूजा(ज़न्नत) को अपनी बांहों में भर लेता हूँ l



मैं अब तैयार हो चुका था इस शॉट के लिए तभी हमारे डायरेक्टर ने मुझे किनारे में बुलाया l

डायरेक्टर – इस आखिरी सीन के लिए मैं सोच रहा था की हम तृषा के डुप्लीकेट से सीन पूरा कर लेते हैं l

मैं – अब तक तो मैं अपनी जिंदगी जी रहा था इस फिल्म के बहाने l आज मौका मिला है एक्टिंग का और मैं इस मौके का भरपूर इस्तेमाल करना चाहता हूँ l ले आईये उसे मेरे सामने आज कोई गलती नहीं होगी l

डायरेक्टर ने निशा को इशारा किया और वो वैन से तृषा को बुला लाई l जिन नज़रों में प्यार का समन्दर दिखा करता था मेरे लिए वही नज़रें नफरत से भरी हुयी थीं आज l मैं तो अब भी दुविधा में था, मैं ये तय नहीं कर पा रहा था की वो कल एक्टिंग कर रही थी या आज l

सेट पे सब चीज़ें अपनी जगह पे पंहुच गयीं थीं l तृषा और पूजा को दो खम्बे से बाँध दिया गया था और दोनों के मुंह टेप से बंद किये हुए थें l मैंने एक आखिर फाइट सीन ख़त्म किया और दोनों जहाँ बंधी हुयी थी वहां पे पंहुच गया l



लाइट ... कैमरा .... एक्शन ...!



अभी अभी जो मैंने फाइट सीन किया था इस वजह से मैं अब तक गुस्से में लम्बी लम्बी साँसे ले रहा था l अपने कदम बढाता हुआ मैं उन दोनों की तरफ बढ़ रहा था l कैमरे ने मेरे चेहरे को फोकस किया और मैं बस तृषा की ओर ही देखे जा रहा था l मेरी नज़रें उसकी नज़रों से जा मिली l मेरे अन्दर जितनी भी नफरत थी उसके लिए वो आंसू बन मेरी आँखों में उभर आयें l मैं दौड़ के उसके पास पंहुचता हूँ और उसके बंधे हुए हाथ पाँव को बंधन से आज़ाद करता हूँ l जहाँ जहाँ रस्सियों के कसाव की वजह से निशान उभर आयें थें उन जगहों को चूमता हुआ और अपनी आंसुओं से भिगोता हुआ उसे आज़ाद कर अपनी बांहों में भर लेता हूँ l

मैं – काश की तुम्हारे ज़ख्मों का दर्द मुझे मिल जाता , काश की तुम्हारी हर तकलीफ मैं खुद पे ले पाता l

तृषा – मुझे तुम मिल गए तो ये सारा जहाँ मिल गया l (उसकी ये लाइन मेरे ज़ज्बातों को उधेड़ के रख देती है पर फिर भी खुद पे काबू करता हूँ मैं)

मैं – आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूँ l

तृषा – मैंने तो अपनी जान भी तुम्हारे नाम कर दी है अब और बचा ही क्या है l

मैं – (अपने घुटनों पे बैठता हुआ) तुम्हारे जिंदगी का हर लम्हा मैं अपना बना कर बिताना चाहता हूँ l तुममे खो के खुद को पाना चाहता हूँ l बस मैं वो वक़्त चाहता हूँ जिसमे बस तुम मेरी बांहों में हो l

तृषा – तुम्हे इजाज़त है... मेरा हर लम्हा चुराने की l

तृषा की आँखों में आंसू थें l मैंने उन आंसुओं को पोछ उसके होठ चूम लिए l मैं खो चुका था उसमे... फिर मैंने उसकी आँखें देखीं और हर वो कड़वी यादें जो उसके साथ जुड़ी थी ताज़ा हो गयीं l गुस्से से मेरी साँसे फिर तेज़ हो गयीं मैंने उसे धक्का दिया और चिल्लाने लगा ...

मैं – कौन हो तुम? और तुमने इस तरह मुझे क्यूँ पकड़ा हुआ है?

तृषा अब अचम्भे में थी l मैंने अब पूजा को आज़ाद किया l पूजा आज़ाद होते हीं मुझे एक जोर का थप्पड़ जड़ देती है l

मैं – मैं नहीं जानता उसे... मैंने तो बस अपने हर ख्वाब में तुम्हे ही सजाया है l मेरे हर सपने में बस तुम ही तुम बसी हो l मैं नहीं जानता की वो कौन है और मेरे साथ ये सब क्यूँ कर रही थी l

पूजा – कौन हो तुम?

मैं – तुम आज मुझे नहीं पहचानती हो l जिंदगी की इतनी मुश्किलों के बाद मैंने तो जिंदगी की आस ही छोड़ दी थी l अपने जीने के एहसास को ही खो दिया था मैंने l अगर आज मैं जी रहा हूँ तो मेरे जीने की वजह तुम ही तो हो l और तुम्ही मुझे ठुकरा रही हो l मैं वही हूँ जिसे तुमने और जिसने तुम्हे हमेशा के किये अपना मान लिया था l

मैं ये सब कह ही रहा था की पीछे से विलन के एक आदमी ने मेरे सर पे रौड से वार किया और मैं गिर पड़ा l



कट इट..... ज़बरदस्त शॉट !!

चारों तरफ से तालियों की गडगडाहट गूंज उठी l शायद मैं एक्टिंग सीख गया अब !

मैं वहां से अपने वैन में आया और आगे के और दो सीन आज पूरे कर लिए मैंने l मेरे हर शॉट के साथ तालियों की गूंज बढती ही चली गयी l वहां मौजूद हर इंसान को मैंने अपना दीवाना बना लिया था l

मैं अब वापस घर की ओर निकल पड़ा l मैं जब गाडी की तरफ बढ़ रहा था तब फिर से रिपोर्टरों के हुजूम ने मुझे घेर लिया l पर मैं अब और कोई सवाल नहीं चाहता था, सो मैं उनसे खुद को दूर करता हुआ अपनी कार में बैठ गया l

घर पे पंहुचा तो सब लोग टी वि के सामने ही बैठे थें l मैंने कहा “क्या आ रहा है टी वि पे जो इतने गौर से देख रहे हो आप सब ?”

श्वेता – तुम खुद ही देख लो l



लगभग हर न्यूज़ चैनल पर मेरे और तृषा की हर तस्वीर को किसी फिल्म की तरह चलाया जा रहा था और बैकग्राउंड में वही गाना बज रहा था जो आज मैंने तृषा को डेडीकेट किया थाl
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पापा – लड़की अच्छी है पर रेखा जी जैसी बात नहीं है इसमें l

मैं – अपनी अपनी नज़र है l वैसे मम्मी को बताऊँ की आप रेख जी से मिलने को कह रहे हो ?

पापा – अरे अच्छा लगेगा तुम्हे की तुम्हारा बाप तुम्हारे सामने पिट जाए l

फिर हम दोनों हसने लग गएँ l मैंने पूछा “फिल्म की रिलीज़ तक आप हो न यहाँ ?

पापा – हम सब को बस तुम्हे देखना था और अब हमारा बेटा सुपरस्टार बन गया है l यहाँ नहीं घर आओ फिर हम ढेर सारी बातें करेंगे l

मैं – बस पंद्रह दिनों की तो बात है l आप रुक जाईये न l

पापा – कुछ अधूरे काम हैं उन्हें पूरा करना है l घर पे आओ और तब हम साथ में जश्न मनाएंगे l

मैं – ठीक है आप जैसा कहें l



दो दिन बाद सब लोग चले गएँ l मैं फिर से अकेला हो गया था l अब प्रमोशन की बारी थी, वैसे तो मेरे और तृषा के काण्ड ने लगभग इस फेज का हर काम पूरा कर ही दिया था पर यशराज कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते थें l जितना भी मैं और तृषा साथ दीखते कैम्पेन उतना ही आगे बढ़ता जा रहा था l

फिल्म से जुड़े हर लोग हमें साथ ले जाते, और हर जगह मेरे हर ज़ख्म कुरेदे जातें l अब तो दर्द का महसूस होना भी बंद हो गया था l पूरे देश में इस फिल्म को ले के जबरदस्त क्रेज हो गया था l आखिर वो रात आ ही गयी जब अगले दिन मेरी फिल्म परदे पे आने वाली थीl उस रात मैं अपने अपार्टमेंट में था l

तृष्णा – कैसा लग रहा है तुम्हे?

मैं – नींद आ रही है l प्लीज मुझे सोने दे l

ज्योति – कुम्भकर्ण कही के l आज तो तुम कुछ भी कहो हम सब तुम्हे सोने नहीं देंगे l

मैं – हाँ अब तुम तीन और मैं अकेला मासूम बच्चा, कर लो अत्याचार मुझपे l

तभी दरवाज़े पे दस्तक हुयी l ज्योति ने दरवाज़े को खोला तो सामने तृषा हाथ में शराब की बोतल लिए खड़ी थी कंधे पे एक बैग भी था l वो आयी और हम सबके साथ बैठ गयीं l

मैं – मुझे आज कुछ ऐसा ही लग रहा था की तुम आओगी ज़रूर l

तृषा – कल सिर्फ तुम्हारी ही नहीं बल्कि हमारी फिल्म भी रिलीज़ हो रही है l (मेरी ओर देखते हुए) साले तुमने मेरी इमेज की धज्जियाँ उड़ा दी हैं l प्यार का नाटक करना बंद भी कर दो l यहाँ सब बस मतलब के यार हैं, कोई किसी से सच्ची मोहब्बत नहीं करता यहाँ l

मैं – तुम्हे कभी भी ये नहीं लगा की मैं तुम्हे सच में प्यार करता हूँ ?

तृषा – (मेरे सवाल पे ध्यान ना देते हुए कहने लगी) आज उसने भी मुझे छोड़ दिया l कहता है की मेरे साथ अब जो भी रहेगा उसकी इमेज खराब हो जायेगी l मेरा तो मन करता है की तुम सब की जान ले लूँ l

मैं – अभी भी जान लेने में कोई कसर बाकी रह गयी है क्या ?

तृषा – तुम अब तक नहीं बदले l मुझपे एक एहसान कर दो.... प्लीज आज मेरी जान ले लो तुम l जब जब मैं तुम्हारी आँखों में देखती हूँ हर बार मुझे ये एहसास होता है की कितनी बुरी हूँ मैं l अपने आप से ही घिन्न सी होने लगी है मुझे l

मैं – तुमने ज्यादा पी हुयी है, अभी यही आराम करो कल सुबह बात करेंगे l

तृषा – नहीं कल शायद मुझमे तुमसे नज़रें मिलाने की हिम्मत भी ना हो l आज मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ l बचपन से ही मैंने प्यार के हर रिश्तों को करियर और पैसों के सामने बिखरता हुआ देखा है l मुझे कभी भी यकीन नहीं था सच्चे प्यार पे l जिंदगी में आगे बढ़ने की इतनी चाहत थी मुझमे की मेरा सच्चा प्यार मेरे सामने होते हुए भी मैं उसे पहचान न पायी l आज मैं आईने के सामने खुद से नज़रें भी नहीं मिला पा रही हूँ l हर बार जब मैं खुद को देखती हूँ तो मुझे तुम्हारे साथ बिताएं वक़्त की याद आती है l

मैं – (उसके हाथ को अपनी हाथों में लेते हुए) मैं तो आज भी तुम्हे चाहता हूँ l

तृषा – (उसकी आँखें भर आयीं थी) तुम्हारी यही बात तो मुझे जीने नहीं दे रही l मैंने क्या नहीं किया तुम्हारे साथ, पर तुम्हारी आँखों में अब तक मुझे खुद के लिए प्यार ही दिखता है l मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ, मैं किसी के प्यार के लायक नहीं हूँ l तुम्हे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना है, किसी दिन तुम्हे भी वो ज़रूर मिलेगी जो तुम्हे सच्चे दिल से चाहेगी l मुझे अपनी जिंदगी की बुरी याद की तरह भूल जाओ l मैं तुम्हारे प्यार के लायक नहीं हूँ l

अगर मैं तुमसे आज कुछ मांगूं तो तुम मना तो नहीं करोगे l

मैं – मुझे तुम चाहिए l और उसके बाद कुछ भी मांग लेना l

तृषा – मैं तुम्हारी थी, तुम्हारी हूँ और तुम्हारी ही रहूंगी l (उसका हर लब्ज़ मुझे बीते दिनों में लिए जा रहा था) मैं तुम्हारे साथ एक आखिरी सीन करना चाहती हूँ l

मैं – कैसा सीन ?

तृषा – बैग से शादी का एक जोड़ा निकालते हुए l एक लड़की का उसकी जिंदगी का सबसे प्यारा सपना जीना चाहती हूँ मैं l तुम्हारे लिए इस जोड़े में सजना चाहती हूँ मैं l ये हर लड़की का अरमान होता है, शादी के जोड़े में सज़ के अपनी प्यार की आँखों में खुद के लिए प्यार देखना l शायद मैं कभी ये दिन न देख पाऊं l कम से कम इस झूठ की दुनियां में तुम्हारे प्यार को महसूस कर लूँ l तुमने कभी भी मुझे चाहा होगा तो मुझे मना नहीं करोगे l



मेरी आँखों के सामने फिर से अन्धेरा सा छा रहा था l शादी के जोड़े वाली बात मैंने ना तो निशा को ना ही इसे कभी बताई थी तो फिर से वही सब क्यूँ हो रहा था मेरे साथ l ऐसा लग रहा था की मैं फिर से उसी मोड़ पे हूँ l मेरे गले से अब आवाज़ नहीं निकल रही थी l मैंने निशा की ओर देखा l पता नहीं वो क्या समझ बैठी, वो सब तृषा को कमरे के अन्दर ले गयीं और थोड़ी देर में तृषा शादी के जोड़े में सजी मेरे सामने थी l

मेरी बेचैनी अब अपने चरम पे थी l मैं फिर से वो सब दोहराना नहीं चाहता था l मैं दूसरी ओर घूम गया l “जाओ यहाँ से, मैं नहीं देख सकता तुम्हे ऐसे l” कहते हुए मैं चिल्लाया l

तृषा मुझसे वैसे ही लिपट गयी l

तृषा – आज कितने दिनों बाद इस दिल को राहत मिली है l (मैंने अपनी आँखें बंद की हुयी थी)

तृषा मेरे सामने आयी और उसने मेरे माथे को चूम लिया l मुझे देखोगे नहीं ?

मैं – नहीं देख पाऊंगा मैं l मेरी जान ही ले लो न l इतना दर्द क्यूँ देती हो l (मैंने धीरे धीरे अपनी आँखें खोली, तृषा की आँखें भरी हुयी थी ठीक वैसे ही जैसा पहले हुआ था l मैं इस बार उसे देख न पाया और वही घुटनों पे आ गया l)



तृषा – मैंने अपना सपना जी लिया है l अब मुझे कुछ भी नहीं चाहये l बस तुम खुश रहना l



और वो वैसे ही दरवाज़े के बाहर निकल गयी l मैं अब तक सदमे में ही था l तभी निशा कमरे से बाहर आयी l

निशा – क्या हुआ तुम्हे ? कुछ तो बोलो l



इस बार फिर जैसे सपने की ही तरह तृषा का हाथ मुझसे छूट रहा हो जैसे l पर मैं अब इस हाथ को छोड़ने वाला नहीं था l मैं कमरे से बाहर भागा l मेरी साँसे अब बहुत तेज़ गयीं थी l मैं इस बार उसे जाने नहीं दे सकता था l तभी सामने सड़क पर तृषा अकेली बीच में चली जाती दिखाई दी l दूर से दो कारें उसकी ओर बढ़ रही थी l मेरे अन्दर जितनी भी जान बची थी मैं भागा उसे बचाने l “रुक जाओ तृषा !” चिल्लाता हुआ मैं उसकी ओर भाग रहा था l मैंने आखिरकार उसे पकड़ लिया .... पर शायद अब देर हो चुकी थी सामने से आती एक कार ने हमें टक्कर मार दी l



तीन दिनों बाद मुझे होश आया l मैं अस्पताल में था l धीरे धीरे मैंने अपनी आँखें खोली सामने पापा थें l “तृषा कैसी है ?” मैंने पूछा l

पापा – वो ठीक है l अभी दुसरे कमरे में है वो l

बाकी सब मुझसे बात करना चाह रहे थें पर मेरी आँखें तो बस तृषा को ही ढूंढ रही थी l मैं उठने की कोशिश करने लगा l तभी डॉक्टर ने एक व्हील चेयर मंगवाया और मुझे उसपे बिठा के तृषा के कमरे में ले गएँ l हम दोनों की एक टांग और एक हाथ टूट गए थे सुर साथ ही सर में भी चोट आयी थी l डॉक्टर ने वही एक बिस्तर मंगवा के मुझे लिटा दिया l सब लोग उस कमरे में हमें घेर के बैठ गएँ l

निशा – सुना था मैंने की प्यार में बस दिल को खतरा होता है l हाथ पैर भी टूटते हैं इसका पता आज चला मुझे l (फिर सब हसने लग गएँ)

मम्मी – अब थोड़ी देर इन दोनों को अकेला छोड़ दो l हम आते हैं बेटा l (कह के सब बाहर चले गएँ)
 
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