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Romance सुपरस्टार - The life we dream to live

naqsh8521

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सीने में आग लगी हुयी थी l मैं जोर जोर से चिल्लाना चाह रहा था, मैं थोड़ी देर अकेला रहना चाहता था l पर कहते हैं न “बड़ी तरक्की हुयी है इस देश की मेरे दोस्त... तसल्ली से रोने की जगह भी नहीं है यहाँ तो l” सारे दर्द को यूँ ही सीने में दबाये मैं अपने कमरे में आ गया l अब कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं बची थी मुझमे मैं सोने चला गया l उस दिन को बीते लगभग एक हफ्ता हो गया था l यूँ तो हर रोज़ हम किसी न किसी बहाने से मिल ही लेते थें l पर आज शाम तृषा का कोई पता ही नहीं था l उसके घर में भी कोई नहीं था l मैंने अपना सेल फ़ोन निकाला और तृषा को मैसेज किया l

“कहाँ हो ? मैं छत पे तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ l” तृषा का ज़वाब थोड़ी देर में आया “मैं पटना में हूँ कल मिलती हूँ l”

आखिर वो पटना में क्या कर रही है ? ये सवाल मुझे परेशान किये जा रहा था l मैं नीचे गया, मम्मी नूडल्स बना रही थी l

मैं – मम्मी, वो तृषा के घर पे कोई नहीं है l सब कही गए हैं क्या ?

मम्मी – तृषा ने तुम्हे नहीं बताया है क्या ?

मैं – कौन सी बात ?

मम्मी – आज तृषा की सगाई है l लड़के वाले पटना के हैं सो वही किसी होटल से हो रही हैl

बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला मैंने l जब से तृषा की शादी की बात हुयी थी मुझे लगा था की मैं तृषा और उसके परिवार वालों को मना लूँगा l तृषा की प्यार भरी बातें उसका मेरे करीब आना, यूँ मुझपे अपना हक़ जताना l अब तो जैसे सब बेमतलब सा लग रहा था l उसे जब यही करना था तो मुझे उसने ये एहसास क्यूँ दिलाया की सब ठीक हो जाएगा l क्यूँ उसने मुझे खुद से दूर जाने ही नहीं दिया l क्या प्यार बस खेल है उसके लिए l सुना था की दिलों से खेलना भी शौक होता है , पर जान लेने का ये तरीका कुछ नया था मेरे लिए l आज मैं एक बात तय कर चुका था , उसकी हर याद को मिटाने की l शुरुआत उसकी तस्वीरों से की मैंने l छत पर गया और उसकी तस्वीरों को उसी के घर की छत पे रख कर आग लगा दी मैंने l हर जलती तस्वीर और मेरे आंसुओं की हर बूँद के साथ उसकी हर याद को मैं खुद से अलग कर देना चाहता था l पर मैं इस प्यार का क्या करता जो मेरे दिल की हर धड़कन के साथ उसके मेरे पास होने का एहसास कराता जा रहा था l मैं गुमशुम सा हो गया उस दिन के बाद l किसी अजनबी के पास जाने से भी डर सा लगने लगा था मुझे l अब तो अपनी धड़कन भी पराई सी लगती थी मुझे l मैं अब ना तो कहीं जाता और ना ही किसी से बात करता l माँ ने बहुत बार मुझसे वजह जानने की कोशिश की पर क्या बताता मैं उन्हें की उनके बेटे को उसके अपने दिल का धडकना गंवारा नहीं l

तृषा की शादी की तारीख 15 मई को तय हुयी थी l मैं बस इस सैलाब के गुज़र जाने का इंतज़ार कर रहा था l जैसे जैसे दिन करीब आ रहे थे मेरी बेचैनी बढती ही जा रही थी l उसकी शादी में अब दो दिन बचे थे l शादी के गीतों का शोर अब मेरे बंद कमरे के अन्दर भी सुनायी देने लगा था l मैं पापा के कमरे में गया और वहां उनकी आधी खाली शराब की बोतल ले छत पे आ गया l रात के 8:30 बजे थे, मैंने अपने छत के दरवाज़े को बंद किया और किनारे की दीवार के सहारे जमीन पे बैठ गया l जब जब शराब की हर घूंट जब मेरे सीने को जलाती हुयी अन्दर जाती तब तब ऐसा लगता मेरे जलते हुए दिल पे किसी ने मरहम लगाया हो l मेरी आँखें अब बंद थी, अब तो मैं ये मान चूका था की मैंने किसी बेवफा से मोहब्बत की थी l तभी ऐसा लगा मानो कोई मेरी शराब की बोतल को मुझसे दूर कर रहा हो l मैंने अपनी आँखें खोली... सामने तृषा थी l मैं डर गया और लगभग रेंगता हुआ उससे दूर जाने लगा l “ज .. जाओ यहाँ से” लगभग चिल्लाते हुए मैं बोला l मेरी दिल की धड़कन बहुत तेज़ हो चुकी थी , मेरा पूरा शरीर कांप रहा था l

तृषा – क्यूँ जाऊं मैं ! तुम ऐसे ही घुट घुट के मरते रहो और मैं तुम्हे ऐसे ही मरते हुए देखती रहूँ l

मैं – जान भी लेती हो और कहती हो, तुम्हारा तड़पना मुझे पसंद नहीं l जाओ शादी करो और अपनी जिंदगी में खुश रहो l अब तो तुम्हारी हमदर्दी भी फरेब लगती है मुझे l

तृषा – (मेरे पास आते हुए) मत करो मुझसे इतना प्यार, मैं लायक नहीं तुम्हारे प्यार के l

मैं – दूर रहो मुझसे l और किसने कहा की तुमसे प्यार करता हूँ मैं l (उँगलियों से उसे दिखाते हुए) इत्तू सा भी प्यार नहीं करता तुम्हे मैं l

तृषा – (मेरे गले लग गयी) पता है मुझे l

मैं – अब क्या बचा है जो लेने आयी हो l

तृषा – (मेरे बोतल से एक घूंट लगाते हुए) कुछ नहीं l बस अपनी जिंदगी के कुछ बचे हुए पलों को तुम्हारे साथ जीने आयी हूँ l

मैं – तुम्हे कुछ महसूस नहीं होता क्या ? जब चाहो दिल में बसा लिया जब जी चाहा दिल से दूर कर लिया l

तृषा – होता है न l पर दिल से दूर करुँगी तब न l तुम तो हमेशा से मेरे दिल में हो l तो मुझे क्यूँ दर्द होगा l

मैं – (उसकी सगाई की अंगूठी दिखाते हुए) किसी और के नाम की अंगूठी पहनते हुए भी कुछ महसूस नहीं हुआ क्या ?

तृषा – जब पापा मेरे लिए प्यार से कुछ कपडे लाते थे तो उसे पहन के बहुत खुश होती थी मैं l घर में सबको डांस कर कर के दिखाती थी कभी l आज मेरी इस अंगूठी के पहनने से उन्हें ख़ुशी मिल रही है तो मैं इतना भी नहीं कर सकती उनके लिए l जिन्होंने दिन रात मेहनत की और मेरी हर डिमांड को पूरा किया l आज मैं उन्हें थोड़ी सी भी ख़ुशी दे सकूँ तो ये मेरे लिए खुशनसीबी होगी l

मैं – अपने मम्मी पापा की ख़ुशी का ख्याल है तुम्हे और मैं ? जब से तुम्हे जाना है तुहारे लिए ही जिया है मैंने l जब से तुमसे प्यार हुआ है तब से तुम्हारे हर दर्द को बराबर महसूस किया है मैंने l तुम्हारे लबों पे एक मुस्कान के लिए तुम्हारी हर ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश की है मैंने l और मैं क्या चाहा था तुमसे ... तुम्हारा प्यार l तुमने तो उसे भी किसी और के नाम कर दिया l

तृषा – तुम्हारे इस सवाल का जवाब भी बहुत जल्द दे दूंगी l पर तुम्हारी ये हालत मैं नहीं देख सकती l अपना हुलिया ठीक करो l और याद है न तुमने मुझसे वादा किया था “मुझे शादी के जोड़े में सबसे पहले तुम ही देखोगे” l आओगे न ? मेरी आखिरी ख्वाहिश समझ के आ जाना l

मैं – काश की मैं तुम्हे ना कह पाता l हाँ मैं आऊंगा l

तृषा अपने घर चली गयी l आज बहुत दिनों के बाद मुझे नींद आयी थी l शादी वाला दिन भी आ चुका था l आज एक वादे को निभाना था l अपने लिए ना सही पर आज अपने प्यार के लिए मुस्कुराना था मुझे l सुबह सुबह मैंने शेविंग कराई, बाल ठीक किये और तृषा की गिफ्टेड शर्ट और पैंट को ठीक किया l शाम तक मैंने अपने आप को घर में ही व्यस्त रखा l अपने चेहरे से मुस्कान को एक बार भी खोने ना दिया l कभी आँखों में आंसू आये तो कुछ पड़ने का बहाना बना देता l शाम को चाचा जी घर पे आये “नक्श पापा को भेजना जरा” l मैंने जवाब दिया “ जी घर पे अभी कोई भी नहीं है, सब बगल में शादी में गए हुए हैं l”

चाचा जी – और तुम ?

मैं – हाँ बस थोड़ी देर में घर में ताले लगा के मैं भी जाऊँगा l

चाचा जी – ठीक है ये लो पैसे , पापा को दे देना l एक लाख हैं, गिन के अन्दर रख दो l

मैं – पापा को ही दे दीजियेगा l

चाचा जी – तुम्हारे पापा का ही है l और बार बार इतने पैसे लाना ले जाना सुरक्षित नहीं है l

मैंने पैसे गिने और कहा ठीक है अब आप जाईये मैं पापा को दे दूंगा l चाचा जी चले गए l अब मेरे लिए परेशानी थी की इस रखु तो कहाँ रखूं l लौकर की चाभी पापा कही रख के गए थे l सो मैंने उस हज़ार की गड्डी के दो हिस्से किये और आधा अपनी एक जेब में और बाकी आधा दूसरी जेब में रख लिया l आज वैसे ही कोई कम चिंता थी क्या जो एक और भी आ गयी l अब तक मैंने अपने दिल को मना लिया था l जानता था खुद को काबू में रखना मुश्किल होगा पर मैंने सोच लिया था की किसी और के सामने अपनी भावनाओं को आने से रोकूंगा l अगर किसी और के साथ घर बसाने में ही तृषा की ख़ुशी है तो मैं उसे बर्बाद नहीं करूँगा l वक़्त अब हो चला था l तृषा तो अब तैयार भी हो गयी होगी l मैंने घर को ताला लगाया और तृषा की घर की तरफ बढ़ चला l

तृषा की घर की ओर मेरे हर बढ़ते कदम मेरे दिल की धड़कन को तेज़ और तेज़ किये जा रहे थें l मैं मुख्य दरवाज़े से अन्दर दाखिल हुआ l सभी अपने अपने काम में लगे थें l मैं सबको नमस्ते कहता हुआ तृषा के कमरे के पास पहुंचा l उसकी बहनें और भाभियाँ उसे घेर के उसका श्रींगार कर रहीं थी l

मैं – (खांसता हुआ कमरे में घुसा) अरे मेरे टीपू सुलतान “जंग की तैयारी हो गयी क्या?”

तृषा – (मुझे देखते ही उसकी आँखों से आंसू बहने लगे) भाभी आप सबको थोड़ी देर के लिए बाहर ले जाईये l

सबके बाहर जाते ही उसने मुझे कस के पकड़ लिया और बहुत जोर जोर से रोने लगी l ऐसा लगा जैसे इतने दिनों से जो दर्द अपने अन्दर भरा हुआ था उसने आज वो सैलाब रुक ना सका l “बहुत दुःख दिया है न मैंने तुम्हे ? अब कोई तुम्हे परेशान नहीं करेगी l” मेरे गाल खींचते हुए तृषा बोली l

मैं – तुम्हारे नाम का दर्द भी ख़ास है मेरे लिए वरना औरों से मिली खुशियाँ भी ख़ुशी नहीं देती l वैसे जानू आज मैं देखने आया हूँ l देखूं तो कैसी लग रही हो !

तृषा मुझसे थोड़ी दूर हटते हुए अपना शादी का जोड़ा दिखाने लगी l इन तीन महीनों में बस एक ही बात थी जो मुझे अजीब लगी थी तृषा में “उसकी आँखें कुछ कहती थी और उसकी जुबान पे कुछ और ही बात होती थी” l आज जो उसकी आँखों में था वही उसके जुबां पे भी था l

तृषा – कैसी लग रहीं हूँ मैं ?
 

kartik

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Bhai kya story hai me khud emotional ho gaya bhai mere pas kuch bolne ki hai nhi ke mai kya bolu...
Wese dekha jaye to dono ki galti nhi hai dono bewafa nhi hai bas halat sahi nhi hai
Ladki apne mummy papa ki khushi ke liye shadi kar rahi hai aur yeh galat bhi nhi hai..
Aur apna Hero superstar woh bhi kiyaa kar sakta hai..
Aasan nahin yahan aashiq ho jana
Palkon pe kanton ko sajana..
Aashiq ko milti hain
Gham ki saugatein
Sabko na milta ye khazana…

Bhai aap story yeh jarur complete karna..
Koi comments kare ya na kare par me jarur karunga..
Waiting next update
 
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sunoanuj

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बहुत ही जबर्दस्त कहानी है मित्र बहुत दिनों बाद ऐसी कहानी आयी इस फ़ोरम पर मजा आ गया मित्र और आँखें भी गीली हो गयीं ।
बहुत है भावुकता है इस कहानी में 👏👏👏👏👏
 

naqsh8521

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Bhai kya story hai me khud emotional ho gaya bhai mere pas kuch bolne ki hai nhi ke mai kya bolu...
Wese dekha jaye to dono ki galti nhi hai dono bewafa nhi hai bas halat sahi nhi hai
Ladki apne mummy papa ki khushi ke liye shadi kar rahi hai aur yeh galat bhi nhi hai..
Aur apna Hero superstar woh bhi kiyaa kar sakta hai..
Aasan nahin yahan aashiq ho jana
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Sabko na milta ye khazana…

Bhai aap story yeh jarur complete karna..
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आप जैसे कद्रदान बिरले ही मिलते हैं l धन्यवाद
 

naqsh8521

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बहुत ही जबर्दस्त कहानी है मित्र बहुत दिनों बाद ऐसी कहानी आयी इस फ़ोरम पर मजा आ गया मित्र और आँखें भी गीली हो गयीं ।
बहुत है भावुकता है इस कहानी में 👏👏👏👏👏

बेहद ज़ज्बात से लिखी गयी कहानी है ये l उम्मीद है आगे भी आप सब को यूँ ही पसंद आएगी l
 

naqsh8521

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मैं – जैसी मैं अक्सर अपने ख्यालों में तुम्हे देखता था l पर ये नहीं मालुम था की मैं अपने ख्यालों में किसी और की बीवी को देखता हूँ l
तृषा मेरे गले लगते हुए “आज भी ताने दोगे ? मेरी विदाई का वक़्त आ चुका है अब तो माफ़ कर दो l”... एक बात मानोगे मेरी... आज मुझे तुमसे एक तौफा चाहिए l

मैं – कौन सा तौफा ?

तृषा – याद है जब तुमने मुझे पहली बार प्रपोज किया था l आज एक बार फिर से करो न l

मैं अपने घुटने के बल बैठ गया l उसकी हाथ को अपने हाथ में ले के

“सुन मेरी मयूरी ये मोर तुझसे एक बात कहता है , दिल तो उसका है पर तेरा ही नाम ये जपता रहता है l मेंरे दिल में बस जा , मेरी साँसों में समा जा , मेरी नींद तू ले ले, मेरा चैन तू ले ले l पर सुन ले मेरी बात l जल्दी से तू हाँ अब कर दे वर्ना कही आ ना जाए तेरा बाप l”

मैंने ये लाईनें ख़त्म की और हम दोनों ही ज़मीन पे बैठ हसने लगे l

तृषा – मेरी बात और थी पर अगर किसी और को ऐसे प्रपोज करोगे तो चप्पल खोल के मारेगी l ऐसे करता है कोई प्रपोज l

मैं – वही तो कह रहा हूँ , नहीं आता है मुझे किसी को अपने दिल की बात बताना पर तुम तो हर बात बिना बताये समझती हो न l मेरे साथ भाग चलो न l

तभी आवाज़ आयी “तृषा” , और तृषा की माँ लगभग चिल्लाते हुए कमरे में आ गयी l

आंटी – (मेरी ओर देखते हुए) जाओ यहाँ से l तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं है l

मैं – आज नहीं जाऊँगा l आप मेरी बात सुन लो तब मैं चला जाऊँगा l

आंटी – ठीक है ! कहो , क्या कहना है तुम्हे ?

मैं – माना की हमसे गलती हुयी l हमें हमारे रिश्ते के बारे में आपको बता देना चाहिए था l हम तो छोटे थे नासमझ थे हमसे गलती हो गयी l पर आपसे गलती कैसे हुयी l आप तो समझदार थे l अपने ही हाथों अपनी बेटी का गला घोंट दिया l कहते हैं एक माँ अपने बच्चे को सबसे अच्छी तरह जानती है l एक बार बस अपनी बेटी को देख के आप कह दे की वो खुश है l मैं कुछ नहीं कहूँगा और चुपचाप चला जाऊँगा l... आंटी चुप थीं l मैंने कहा “आपकी खामोशी ने सब कह दिया मुझसे l जाता हूँ मैं , और मैं इस बात के लिए आपको कभी माफ़ नहीं करूँगा l”

मैंने आंटी के सामने ही तृषा को गले लगाया और उसे किस किया l “जा रहा हूँ , अपना ख्याल रखना l (तृषा मुझे रोकने को हाथ बढ़ा रही थी पर तब तक मैं जा चूका था)

मैं बाहर गया l बाहर पापा खड़े थे l

पापा - “क्या हुआ बेटा उदास दिख रहे हो ?”

मैं – कुछ ख़ास नहीं, आपकी होने वाली बहु की शादी किसी और से हो रही है l

पापा – तुमने मुझे बताया क्यूँ नहीं l तभी इतने दिनों से तुम परेशान थे l मैं तृषा के पापा से बात करता l

मैंने पापा की बात काटते हुए कहा “मैं तृषा के बारे में कहाँ कह रहा था , मैं तो मज़ाक कर रहा था l मैं आता हूँ बारात में डांस करके l” मैं जल्दी से वहां से निकल आया , कही पापा मेरी आँखों में आसू न देख ले l अब मैं पास के ही हाईवे पे था l शराब की दूकान खुली थी और लगभग बाकी सारी दुकानें बंद थी (शादियों के मौसम में यही दूकान तो देर तक चलती है)l मैं दूकान में गया और स्कॉच की हाफ बोतल ले आया l

पास में ही एक बंद दूकान की सीढ़ियों पे बैठ गया l थोड़ी देर में वहां जो बची खुची दुकानें थी वो भी बंद हो गयी l अब तो बिलकुल अकेला सा लग रहा था वहां l आसमान में दिवाली सा पटाखों का शोर , दूर दूर से आता बारात के गानों का शोर और मेरे मन ख्यालों का शोरl अकेला होता हुआ भी अकेला नहीं था मैं वहां पे l अब तक चार बारात मैं देख चूका था यहीं बैठे-बैठे l ना जाने कितने ही आशिकों के दिल वीरान होंगे आज की रात l मैं सोच ही रहा था की एक और बारात आ गुजरने लगी l उसी में से एक उम्र में मुझसे थोडा बड़ा लड़का मेरे पास आया l “भाई यहाँ दारु की दूकान है क्या आसपास ?”

मैं – नहीं भाई , (अपनी आधी बची बोतल आगे बढाते हुए) यही ले लो l

वो साथ में ही बैठ गया l बोतल लेने के साथ ही पूछा “पानी और चखना कहाँ है?” मैंने इशारे में ही कहा “नहीं है l” उसने पूछा “क्यूँ भाई आशिक हो क्या ?” मैं कहा “नहीं दीवाना हूँ l” वो हसने लग गया l हाथ बढाते हुए “हेलो मैं रवि” मैंने भी उससे हाथ मिलाया “मैं नक्श l”

रवि – चलो मेरे साथ , ये बारात भी दीवानों की ही है l (वैसे भी मैं क्या करता, मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं तृषा की शादी होता देख सकता l मैं रवि के साथ ही चल पड़ा)

बारात पास की ही थी l रवि और उसके दोस्तों के साथ थोड़ी देर के लिए ही सही पर मैं भूल गया था की आज तृषा की शादी है l बारात पहुँचने पे वहां भी शराब और कबाब का दौर चला l अब नशा हावी हो चला था मुझपे सो थोड़ी देर के लिए नींद सी आ गयी l मैं वही बारात की गाडी में सो गया l तकरीबन पांच बजे मेरी नींद खुली, ऐसा लगा जैसे किसी ने जगाया हो मुझे गहरी नींद से l मैं गाडी से बाहर निकला , आस पास कोई भी नहीं था l अपने चेहरे को धोया फिर अपना मोबाइल देखा l रात को स्विच ऑफ कर दिया था मैंने l अब उसे ऑन किया और अपने कदम घर की ओर बढ़ा दिए l तभी मोबाइल की घंटी बजी, तृषा का मैसेज आया था व्हाट्स ऐप पे l

मैंने उसे देखा तो दो ऑडियो मैसेज थें l

पहला मैसेज

“आई लव यू जान l मेरा ये आखिरी मैसेज तुम्हारे लिए l मुझे माफ़ कर देना निशु, मैंने तुम्हे बहुत दुःख दिए इन तीन महीनों में l पर सच कहूँ तो तुमसे ज्यादा मैं जली हूँ इस आग में l जब जब तुम्हारी आँखों में आंसू आयें ऐसा लगा की किसी ने मेरे दिल के टुकड़े कर दिए हो l जब भी तुमने मुझे बेवफा की नज़रों से देखा तो मुझे खुद पे घिन्न सी आने लगी l जब पहली बार माँ को हमारे बारे में पता चला तो लगा की ये तुरंत का रिएक्शन है अगर मैं शांत हो के सब को समझाउंगी तो सब मान जायेंगे l मैंने शादी की आखिरी रात तक अपने मम्मी पापा को समझाने की कोशिश की पर कोई अपनी जिद के झुकने को तैयार ना हुआl मैंने हर तरीका अपना लिया पर मैं तुम्हारी ना हो सकी l उन्होंने कहा था की मैंने अगर तुम्हे अपनाया तो वो मौत को गले लगा लेंगे l जानू , जिन्होंने मुझे जिंदगी दी उनकी मौत कारण मैं बनू ये कैसे हो सकता था l

इसीलिए मैंने एक फैसला किया l अगर मैं तुम्हारी ना हो सकी तो मैं किसी और की भी नहीं हुंगी l ये ज़हर की शीशी मैं पीने जा रही हूँ l आई लव यू हमेशा हमेशा l



मुझमे अब इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं दूसरा मैसेज देख पाता l मेरी साँसे जैसे रुकने को हो आयी थी l मेरा दम घुटने लगा था l ये मैसेज रात बारह बजे का था l मैंने बहुत हिम्मत जुटा के दूसरा मैसेज देखा l

दूसरा मैसेज

जानू , मेरा दम घुट रहा है l पर एक बात मैं कहना चाहती हूँ l तुम कभी खुद को अकेला मत समझना l मैं हमेशा तुम्हारे एक दम पास रहूंगी l जब भी मेरी याद आये तो अपनी आँखें बंद करना और अपनी बाँहें फैला लेना... मैं तुम्हारे गले लग जाउंगी l.... अपना ख्याल रखना ... एक हिचकी की आवाज़ आयी और मैसेज ख़त्म l

मैं वही जमीन पे बैठ गया l मैं अब करूँ तो क्या करूँ l जिसे अपनी दुनिया माना था मैंने वही मुझे इस दुनिया में अकेला छोड़ चली गयी l मैं बीच सड़क पे बैठा चिल्लाता जा रहा थाl पर कोई भी नहीं था मुझे सुनने वाला वहां l

जिसे शादी के जोड़े में देखने का सपना संजोया था मैंने उसे कैसे कफ़न में लिपटा देखता l जिसके साथ जीवन के हर पड़ाव को पार करने का सपना देखा था कैसे उसे अकेले ही उसके आखिरी पड़ाव पे जाने देता l मुझे अब उसकी हर बात याद आ रही थी l मेरे पास वक़्त था, मैं उसे रोक सकता था पर रोक न पाया l मैं उठा और पैदल ही रेलवे स्टेशन की ओर चल पड़ा l मैं बस दूर जाना चाहता था इन सब चीज़ों से l अपने मोबाइल को पास के गटर में फेंक दिया मैंने l स्टेशन पर पहुँचते ही सामने एक गाडी लगी थी “हावड़ा – मुंबई मेल”l सामने वाले डब्बे में मैं चढ़ गया l

थोड़ी देर में ट्रेन खुल गयी l पीछे छूटते स्टेशन के साथ ही हर रिस्ते नाते मैं छोड़ आगे बढ़ा जा रहा था l ऐसा लग रहा था जैसे तृषा मुझे प्लेटफार्म से अलविदा कह रही हो l मैंने हाथ बढ़ा के उसे पकड़ने की कोशिश की तभी पीछे से किसी ने मेरा कालर खीच लिया l

टी टी – मरने का इरादा है क्या ? टिकट दिखाओ !

मैं – जेब से २००० उसे दे दिए l

टी टी – कहाँ जाना है ?

मैं – जहाँ ये ट्रेन जा रही है l

टी टी – ये फर्स्ट क्लास है ,२००० और दो मैं सीट दे देता हूँ l मैंने पैसे दे दियें l उसने मुझे एक रसीद और बर्थ का नंबर लिख के दे दिया l फिर वो दूसरी बोगी में चला गया l मैं सामने की बेसिन में अपना चेहरा धोने लगा l तभी मेरी नज़र शीशे पे गयी , कल रात तृषा ने जो मुझे किस किया था उसके लिपस्टिक के निशान अब तक मेरे होठों पे थें l मैंने रुमाल निकाल उसे उसमे पोछा l उस निसान को देख मुझे और भी रोना आ रहा था l उस रुमाल को जेब में डाला मैंने और अपने आप को थोडा संयमित करने की कोशिश करने लगा l एक पेंट्री वाला वहां आया l मैंने उसे रोका और कहा “भाई दारु है क्या?”l

पेंट्री वाला – हम दारु नहीं बेचते l

मैं – हाँ हाँ पता है तू पंचामृत बेचता है l जेब से एक हज़ार का नोट निकाला और उसकी जेब में डालते हुए कहा l जा और मेरे लिए एक ढक्कन पंचामृत लेते आ l और अपना बर्थ नंबर बता दिया मैंने उसे l
 

kartik

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Yaar Trisha aise nhi mar sakti woh to apne Hero ki dilruba hai agar woh gayi to adhuri kahani reh jayegi...

Wo zubaan..
Jisse na chala sake..
Wo dil..
Jisse na mana sake..
Wo jaan..
Jisse na laga sake..
Kabhi mil to..
Tujhko bataye ham..
Tujhe is tara se..
Sataye hum..
Tera Ishq tujhse..
Cheen ke..
Tujhe me pila ke..
Rulaye hum..
Tujhe dard du..
Tu na seh sake..
Tujhe du zubaan..
Tu na keh sake..
Tujhe du makan..
Tu na reh sake..
Tujhe muskiloon me..
Ghira ke mai..
Koi aisa rasta..
Nikaal du..
Tere dard ki..
Mai dawa karu..
Kisi garz ke mai..
Seva karu..

Waiting next update bhai
 
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Chinturocky

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Behtareen shuruwat,
Ab hero kya karega,
Usaka dhukh samajh sakte hai,
Is Tarah bhagane se usake samasya ka hal to nahi nikalega.
Khair dekhon lekhak Kaha le jaate hai.
 

naqsh8521

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अब मैं अपनी केबिन में पंहुच चुका था l यहाँ पहले से तीन लोग थे l मेरी बर्थ नीचे की थी सो मैं भी वही बैठ गया l तीनों लड़कियां थी, लगभग 25 के आस पास उम्र होगी उन तीनों की l मैंने अपना सर खिड़की से लगाया और अपने शहर के रास्तों को खुद से दूर होता देख रहा था l मेरे मन में तृषा के साथ बीते हुए दिन फ्लैशबैक फिल्म की तरह चल रहे थें l

एक लड़की जो मेरे सामने बैठी थी, बगलवाली से बोली “यार ये तो जब वी मेट का केस लग रहा है”l दूसरी ने जवाब दिया “हाँ यार सच में, कितना गुमसुम है”l तभी जो मेरे बगल में बैठी थी अपना हाथ मेरे तरफ बढाते हुए बोली “हेलो, मैं निशा l और आप?” मेरा ध्यान अब तक बाहर ही था l मैंने कुछ नहीं कहा l कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं थी मुझमे l मैं अब तक अपने शहर को ही देख रहा था l

निशा – हाँ यार सच में पक्का “जब वी मेट”(फिल्म) वाला केस है l फिर मेरी तरफ देखते हुए “क्या हुआ है ? किसी एग्जाम में फेल हो गए हो ? मम्मी पापा का डाइवोर्स हो गया है? गर्लफ्रेंड किसी और के साथ भाग गयी है?

उसके एक एक सवाल मेरे दिल को चीरे जा रहे थें l मैं बेहद गुस्से में उनकी तरफ देखता हुआ बोला l “वैसे सवाल किसी से नहीं पूछने चाहिए जिस सवाल के शब्द ही जान लेने के लिए काफी हों l”

निशा – ये सफ़र हम सब के लिए नया है l पहली बार हम अपने अपने घर से इतनी दूर अपनी पहचान बनाने के लिए निकले हैं l मैं तो बस दोस्त बनाने की कोशिश कर रही हूँ l आपको बुरा लगा हो तो मुझे माफ़ कर देना आप l

मैं – किसी के ज़ख्म कुरेद कर दोस्ती करने का अंदाज़ पहली बार देखा है l

निशा – ज़ख्म कुरेद कर मैं बस ये देख रही थी की तुममे अब भी जान बाकी है या नहीं l

उसके बोलने का अंदाज़ बिलकुल तृषा जैसा था, या मैं हर आवाज़ में तृषा को ही ढूंढने की कोशिश करने लगा था l

मैं – क्या दिखा तुम्हे ?

निशा – (मुस्कुराते हुए) ज़िंदा हो l और दोस्ती कर सकते हो l और फिर से उसने अपना हाथ बढ़ा दिया l

मैं हाथ मिलाते हुए, “नक्श” l बाकी दोनों ने भी अपने हाथ बढाए एक का नाम तृष्णा था और दूसरी का ज्योति l

तृष्णा – कहाँ जा रहे हो ? मैं – नहीं जानता l

ज्योति - किस लिए ? मैं – नहीं जानता l

तृष्णा – कहाँ रहोगे वहां ? मैं – नहीं जानता l

तृष्णा ज्योति से – मैंने कहा था न ! पक्का वही केस है l फिर मेरी तरफ देखते हुए – तुम किस बड़े कंपनी के मालिक के बेटे हो क्या ?

क्या ? चिढ़ते हुए मैंने कहा l

तृष्णा – नहीं जब वी मेट में हीरो की यही तो कहानी थी l

मैं – कभी फिल्मों की दुनिया से बाहर भी आओ l यहाँ किसी की जिंदगी स्क्रिप्ट के हिसाब से नहीं चलती l

निशा – क्या डायलॉग बोलते हो यार l हैंडसम हो और आवाज़ भी जबरदस्त है, फिल्मों में कोशिश क्यूँ नहीं करते l

मैं – मैं अपने आप से भाग रहा हूँ l और ये रास्ते किस मंजिल पे मुझे ले जायेंगे मुझे नहीं पता l

निशा – मैं तो बस दरवाज़ा खटखटाने को कह रही हूँ l क्या पता तुम्हारी मंजिल भी वही हो जहाँ हम जा रहे हैं l

मुझमे अभी कुछ भी फैसला लेने की हिम्मत नहीं थी l मैं तो बस अपने दर्द से भागने की कोशिश कर रहा था l तभी पैंट्री वाला आया और सस्ती व्हिस्की की एक बोतल और कुछ स्नैक्स दे गया l बाकी तीनों मेरी शकल ही देखती जा रही थी l मैंने निशा को देखा और पूछा “ग्लास है ?” निशा ने बिना कुछ कहे चार ग्लास निकाले और मेरे बगल में रख दिया उसने l

मैं – चार ग्लास क्यूँ ?

निशा – दारु और दर्द जितना बांटोगे उतना ही खुश रहोगे l

मैं – मैं तो अपने दर्द को भुलने के लिए पी रहा हूँ l तुम सब क्यूँ पी रही हो ?

निशा – मुस्कुराते हुए चेहरे ही सबसे ज्यादा ग़मों को समेटे होते हैं l दो पेग अन्दर जाने दे फिर जान जाओगे हमारे राज़ l

मैंने बोतल उसके हाथों में दे दी और कहा, “मेरे लिए भी बना देना l”

मैंने ग्लास उठाया और खिड़की से बाहर देखने लगा l बाहर खेतों की हरियाली, पहाड़ों की घाटियाँ और भी न जाने कितने ही जन्नत सरीखें रास्ते से हो कर हमारी ट्रेन गुज़र रही थी l पर आज मुझे ये खूबसूरत नज़ारें भी भी काट रहे थे जैसे l मैं अपने ही ख्यालों में खोया था की तभी तृष्णा की आवाज़ से मैं अपने ख्यालों से बाहर आया l

तृष्णा – चलो अब बताओ अपने बारे में l अब हम दोस्त हैं, और दोस्तों से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए l

मैं – मुझसे नहीं कहा जाएगा l और फिर जैसे मेरी आँखें डबडबानें लगीं l

निशा – ठीक है l पहले हम बताते हैं अपने बारे में l शायद तुममे थोड़ी हिम्मत आ जाए l
 
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