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Romance सुपरस्टार - The life we dream to live

naqsh8521

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निशा ने अपनी कहानी बतानी शुरू की (शराब के असर से थोड़ा रुक रुक के कह रही थी)

“मैं कोलकाता में ही पैदा हुयी थी l मेरा बचपन अब तक की मेरी सबसे हसीन यादों में से एक है l मैं, मम्मी’, पापा और दादा – दादी हम सब एक खुशहाल परिवार की तरह रहते थें l मेरे पापा का कोलकाता में ही गारमेंट्स का बिज़नस था l पैसों की कभी भी कमी नहीं थी हमारे पास l बचपन में दादी अक्सर मुझे परियों की कहानियाँ सुनाया करती थी और मैं हर बार उन परियों की कहानी में खुद को ही देखा करती थी l

पर कहते हैं न जीवन में अगर अच्छे दिन आते हैं तो कुछ बुरे दिन भी होते हैं l जब मैं आठ साल की थी तब मेरे पापा को उनके बिज़नस में जबरदस्त घाटा लगा l अपने बिज़नस को जितना बचाने की कोशिश करते उतना ही वो कर्जे में डूबते चले गएँ l उसके लगभग एक साल बाद दादा और दादी का भी देहांत हो गया l मुझे आज भी याद हैं वो दिन जब हर रोज़ कोई ना कोई लेनदार हमारे दरवाज़े पे खडा रहता l पापा रात को नशे में धुत घर में आते और मुझपे और माँ पे अपनी नाकामयाबी का गुस्सा निकालते l एक दिन मैं अपने स्कूल से आयी तो मेरे घर पे भीड़ लगी थी l मम्मी उसी कॉलोनी के अंकल के साथ भाग गयी थी l और पापा मेरी मम्मी की चिट्ठी हाथ में लिए ज़मीन पे पड़े थे l मैंने पास जा के देखा तो उनकी साँसे नहीं चल रही थी l मैं एक पल में ही अनाथ हो चुकी थी l पापा के इनस्योरेंस से जो पैसे मिलें उनसे मैंने कर्जे चुका दिए और बाकी पैसें अपनी पढाई के लिए रख लिए l दस साल की उम्र से मैंने खुद को संभालना सीख लिया l पिछले महीने मैंने एक डॉक्यूमेंट्री बनायी थी और वो बॉम्बे में एक डायरेक्टर को पसंद आ गयी, सो अब मैं मुंबई जा रही हूँ एक कामयाब डायरेक्टर बनने l”

फिर तृष्णा ने खुद के बारे में बताना शुरू किया l (अब उसकी आवाज़ में कुछ ज्यादा ही भारीपन था)

“एहम एहम (अपना गला ठीक करते हुए)... कहाँ से शुरू करूँ समझ नहीं आ रहा मुझे l वैसे मुझे तो याद भी नहीं की मेरे माँ बाप कौन हैं l बचपन में ही सिलीगुड़ी के एक गाँव में बने देवी मंदिर में मुझे दान कर दिया था उन्होंने l शायद ये बेटी बोझ थी उनके लिए l मुझे वहीँ के पुजारी परिवार ने पाला l जब मैं शायद तीन साल की थी तब उन्होंने पुरे गाँव में एलान करवा दिया की मैं किसी देवी का अवतार हूँ l और इन अफवाहों ने मंदिर की कमाई बहुत बढ़ा दी l पांच साल की उम्र में मैं हर रोज़ छह घंटे रामायण पाठ करती l और उसके बाद कीर्तन में हारमोनियम, तबले बजाने वालों के साथ थोड़ा रियाज़ भी करती थी l बीस साल की उम्र तक पहुँचते पहुँचते मैं शाश्त्रीय संगीत में माहिर हो चुकी थी l अब तो टी वि पे आने वाले गाने भी गुनगुनाने शुर कर दिए थे मैंने l एक बार बाबा (पुजारी जी) ने मुझे टी वि के गाने गाते सुन लिया और उस दिन उन्होंने मुझे बहुत मारा l मैं गुस्से में थी और घर में जो पैसे थे वो लिए और कोलकाता आ गयी l संयोग से मैं निशा के घर किराये पे कमरा लेने गयी l और तभी हमारी मुलाक़ात भी हुयी l उन संघर्ष के दिनों में मुझे मेरा पहला प्यार मिला l वो रिकॉर्डिंग स्टूडियो का मालिक था और उभरते हुए गायकों को मौक़ा भी देता था l मैं अक्सर गाने के लिए वहां जाया करती थी l एक दिन उसने मुझे प्रपोज किया और फिर हम अक्सर साथ वक़्त बिताने लगें l कुछ साल बीत जाने के बाद एक दिन उसने कहा अब तुममे वो बात नहीं रही और हमारे रिश्ते को ख़त्म कर दिया l मैंने उसे मनाने की बहुत की कोशिश की पर शायद उसे मेरे जिस्म से प्यार था l जब निशा ने मुंबई जाने की बात की तो मैं भी साथ चल पड़ी l आखिर अब कुछ बचा भी तो नहीं था मेरे लिए वहां l और शायद मुंबई में ही मेरी किस्मत लिखी हो l”

अब ज्योति ने अपनी कहानी शुरू की

“मेरी जिंदगी का सफ़र इतना भी आसान नहीं था l बंगाल के बेहद गरीब परिवार में मेरा जन्म हुआ था l मुझे तो ठीक से याद भी नहीं पर शायद चार या पांच साल की रही हुंगी तभी मेरे माँ बाप ने पैसों की खातिर मुझे एक दलाल को बेच दिया l उस दलाल ने मेरे माँ बाप को ये भरोसा दिलाया था की मुझे पढ़ा के मेरी शादी भी करवाएगा l फिर वो मुझे कोलकाता लेता आया और मैं यहाँ के एक सभ्य परिवार में घरेलु काम करने लगी l उन परिवार वालों की गालियाँ, छत और दो वक़्त का खाना ही मेरी तनख्वाह थी l जब भी वो परिवार कोई फिल्म देखता मैं भी किसी कोने में बैठ उसे देखती और हमेशा यही सोचती की उसी फिल्म की हिरोइन की तरह मेरी भी जिंदगी होती l एक आज़ाद परिंदे की तरह अपनी जिंदगी बिताना l कुछ इसी तरह अपना जीवन बिताते हुए मैं अब लगभग पंद्रह साल की हो चुकी थी l एक दिन मैं रोज़ की तरह किचेन में काम कर रही थी l तो मेरे घर का 52 साल का मालिक आया और मुझे यहाँ वहां छूने लगा l मैंने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने मुझे मारना शुरू कर दिया l फिर उसने मेरे दलाल को बुलाया और मुझे उसके हवाले कर दिया l वो दलाल मुझे एक झोपड़ीनुमा जगह ले गया और वहां उसने और उसके कुछ दोस्तों ने मेरा बलात्कार किया l जब मैं मरने मरने को हो गयी तो कोलकाता की बदनाम गलियों में मेरा सौदा कर दिया उसने l हर रात मैं धीरे धीरे मर रही थी l एक दिन पुलिस की रेड पड़ी और वहां से मुझे एक एन जी ओ के हवाले कर दिया गया l वहां मैंने पढना सीखा और मुझे जीने की एक उम्मीद दिखी l एक दिन निशा हमारे यहाँ आयी और हमारा ऑडिशन लेने लगी l उसे अपनी फिल्म के लिए एक कलाकार चाहिए था l ... (थोड़ी देर रुक के) आप ठीक समझें मैं ही निशा की डॉक्यूमेंट्री की हिरोइन हूँ l और जब निशा मुंबई जा रही थी तो मैं भी उसके साथ चल दी l मुझे तो “सुपरस्टार” बनना है बॉलीवुड का l”

फिर मेरी ओर देखते हुए निशा बोली “अब तो कुछ बताओ अपने बारे में l”

उन लड़कियों की हिम्मत देख मुझमे भी थोड़ी हिम्मत आ गयी थी l मुझे लग रहा था की शायद अब मैं भी लड़ लूँ अपनी तन्हाई से l मैं उनसे अपनी कहानी बतायी l और कहा “मैं नहीं जानता मुझे क्या बनना है अपनी जिंदगी में l मैं तो बस वहां जाऊँगा और सबसे पहले कहीं भी कोई नौकरी करूँगा l बस इतना ही सोचा है l”

तृष्णा – काश दुनिया के हर मर्द के प्यार में तुम्हारे जैसा ही समर्पण होता l

मैं – अगर हर लड़की तृषा जैसे ही सोचती तो शायद कोई भी मर्द कभी किसी से प्यार करता ही नहीं l

निशा – तुम्हे नौकरी ही करनी है न ? हमारे पास तुम्हारे लिए एक नौकरी है l अगर तुम चाहो तो l

मैं – कैसी नौकरी ?

निशा – हम तीनों को अपना मुकाम बॉलीवुड में हासिल करना है और यहाँ पे सफलता के लिए दिखावा बहुत ज़रूरी है l और इस दिखावे के लिए हमें एक पर्सनल असिस्टेंट चाहिए l अभी तो तुम्हे हम बस रहने की जगह, खाना और कुछ खर्चे ही दे पायेंगे पर जैसे हमारी कमाई बढ़ेगी हम तुम्हारी तनख्वाह भी बढ़ा देंगे l
 

Chinturocky

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Oh ho Sabke apane dukhade hai,
Trishna ki jindagi utani bhi kharab nahi thi bas maa baap apani ichchaon ka bojh usake kandhe per to rakha per pyar nahi diya,
Nisha Wakai me kamal ka kirdar hai, shayad Sabse paripakva bhi.
Chalo hero ko naukari aur thikana to mila
Sabse Aham jeevan ko ek Disha mili.
Ek baar hero aur heroin ke Ghar walon ka haal chal bhi bata dete.
 
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kartik

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New suruaat hone ko hai Hero ki..
Aur teeno ladkiya bhi apni kismat aazmane jaa rahi hai mumbai...

Ishq Karne Walon Ka Yahi Hashr Hota Hai,
Dard-E-Dil Hota Hai, Rah Rah Ke Seene Mein,
Band Honth Kuchh Na Kuchh Gunagunate Hi Rahte Hain,
Khaamosh Nigahon Ka Bhi Gahara Asar Hota Hai.
 

naqsh8521

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Oh ho Sabke apane dukhade hai,
Trishna ki jindagi utani bhi kharab nahi thi bas maa baap apani ichchaon ka bojh usake kandhe per to rakha per pyar nahi diya,
Nisha Wakai me kamal ka kirdar hai, shayad Sabse paripakva bhi.
Chalo hero ko naukari aur thikana to mila
Sabse Aham jeevan ko ek Disha mili.
Ek baar hero aur heroin ke Ghar walon ka haal chal bhi bata dete.

Ye to bas ek mod aaya hai.... ab dekhte hain uski manzil kitni haseen hoti hai . . .
 

naqsh8521

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New suruaat hone ko hai Hero ki..
Aur teeno ladkiya bhi apni kismat aazmane jaa rahi hai mumbai...

Ishq Karne Walon Ka Yahi Hashr Hota Hai,
Dard-E-Dil Hota Hai, Rah Rah Ke Seene Mein,
Band Honth Kuchh Na Kuchh Gunagunate Hi Rahte Hain,
Khaamosh Nigahon Ka Bhi Gahara Asar Hota Hai.

Fir bhi kahan log ishq karna chhod dete hain .... Pata hai milega gam yahan... fir bhi apni saari ummidon ka rukh bas isi or mod lete hain . ...
 
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अब तीनों मेरे जवाब को मेरी ओर देखने लगी l मैं हाँ में सर हिलाया l फिर सबने अपने ग्लास टकरायें और ने मेरे हाथ को पकड़ मेरे ग्लास को भी टकराते हुए कहा “ये जाम हमारी आने वाली कामयाबी और पहचान के नाम”l

रात हो चुकी थी और अभी भी 24 घंटों का सफ़र बाकी था l जब जब मैं आँखें बंद करता तृषा की जलती हुयी चिता मेरे सामने होती l ऐसा लगता मानो वो अपना हाथ बढ़ा रही हो और मैं उसे बचा नहीं पा रहा हूँ l मेरे बगलवाली बर्थ पे तृष्णा सोयी थी l वो मुझे इस तरह बार बार करवट लेता देख मेरे पास आई और मेरे हाथ को कस के पकड़ लिया उसने l

मेरे कानों में तृष्णा धीरे से बोली “शांत हो जाओ और सोने की कोशिश करोl मैं तुम्हारे दर्द को समझती हूँ l पर ऐसे तड़पोगे तो तृषा भी बेचैन ही रहेगी l” और मेरे बाल सहलाने लगीl

मैं धीरे धीरे सो गया l सुबह मेरी नींद खुली निशा की आवाज़ से “सोते ही रहोगे क्या ? सुबह के दस बजने जा रहें हैं l” मैं अंगड़ाई लेता हुआ उठा और फ्रेश होने चला गया l मैं फ्रेश हो के जब वापिस आया तो देखा , मोबाइल में गाना बज रहा था, ज्योति तृष्णा को पकड़ डांस कर रही थी और निशा अपने मोबाइल के कैमरे में वो सब रिकॉर्ड कर रही थी l मैं जैसे ही अन्दर दाखिल हुआ ज्योति ने तृष्णा को छोड़ मुझे पकड़ लिया l

मैं – अब मैंने क्या गलती की है l मुझे तो छोड़ दो l तो फिर से मुझे छोड़ तृष्णा को पकड़ के डांस करने लग गयी l वो सब डांस के दौरान जिस तरह की शक्लें बना रही थी, उसे देख मुझे भी हसी आ गयी l आज बहुत वक़्त के बाद ये मुस्कान आयी थी l तभी गाना बदला और नया गाना था “झुम्मा चुम्मा दे दे ...”l एक ही पल में हसी और अगले ही पल मेरी आँखें भर आयीं l ज्योति की नज़र मुझपे पड़ी, फिर उसने गाना बंद किया और मेरे पास सब आ गयीं l

ज्योति – क्या हुआ तुम्हे ?

मैं – नहीं कुछ भी तो नहीं l

निशा – जब झूट कहना ना आता हो तो सच ही कहने की आदत डाल लो l बताओ ना क्या हुआ ?

मैं - घर की याद आ गयी l मैं मम्मी, पापा और मेरी बहन इसी गाने पे डांस किया करते थें l

निशा – ये भी तो सोच सकते हो की तुम्हे तुम्हारा परिवार वापस मिल गया l और सब मेरे गाल खीचने लग गयीं l

तृष्णा – अब रोना धोना बहुत हुआ l तुम्हारी आँखों से निकले आंसू की हर बूँद से तृषा कितनी बेचैन होती होगी l उसकी खातिर अब मुस्कुराना सीख लो l

मैं – (अपनी शक्ल ठीक करते हुए) ठीक है, अब कभी नहीं रोऊंगा बस !

ज्योति – बस नहीं , अब तो तुम्हे डांस करना ही होगा l और मेरा हाथ पकड बॉल डांस वाले स्टेप्स करने लग गयी l

लगभग रात हो चुकी थी और हम सब की मंजील अब आने ही वाली थी l फिर ज्योति ने हम सबको एक दुसरे का हाथ थामने को कहा l

ज्योति – अब सब अपनी आँखें बंद करो और एक विश मांगो l जो कुछ भी तुम्हे इस शहर में हासिल करना है l

बाकियों का तो पता नहीं पर मैंने एक विश माँगा

“हे परमेश्वर अगर मैंने आज तक कुछ भी अच्छा किया हो तो मेरी दुआ कुबूल करना और तृषा की आत्मा को शांति देना l मैं अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता हूँ , क्यूंकि मुझे पता है आप हमेशा मेरे साथ रहोगे l मैं जब भी जिन्दगी से इस जंग में हारने लगूंगा तब आप हमेशा मेरा थाम मुझे बचा लोगे l और हाँ मेरे और तृषा के परिवार को इस सैलाब को झेलने की शक्ति देना l”

मैंने अपनी आँखें खोली, सब मेरे तरफ ही देखे जा रही थी l तृष्णा – हो गया या और भी कुछ माँगना है ? मैंने ना में सर हिलाया और फिर सब अपना अपना सामान बाँधने लग गयीं l

थोड़ी देर बाद हमारी मंजिल आ गयी थी l मुंबई, लोग इसे सपनों का शहर कहते हैं l कहते हैं यहाँ हर रोज़ किसी ना किसी के सपने पुरे होते ही हैं l शायद कभी यहाँ हमारा नंबर भी आ जाए l

अब पी ए था मैं उन सब का तो सामान उठाना पड़ा l मेरा खुद का तो सामान था नहीं सो उनके सामान को बोगी से बाहर निकाला l दो कुली आ गएँ और वो हमारा सामान टैक्सी तक ले जाने लगें l बाकी सब कुली के साथ साथ चलने लगी और मैं आस पास की भीड़ में जैसे खो सा गया l

आज दिल बड़े जोर से धड़क रहा था मेरा , घर से पहली बार इतनी दूर जो आ गया था l आँखें रुआंसी हुयी जा रही थी l आदत थी अब तक हर मुश्किलों में अपनी माँ के हाथ थामने की l आज तो मैं अकेला सा पड़ गया था, पता नहीं क्या करूँगा इतने बड़े शहर में ? कैसी होगी मेरी माँ ? अब तक पापा ने मुझे ढूंढने को ऍफ़ आई आर भी करवा ही दिया होगा l

ऐसे ही कितने ही सवाल मुझे घेरने लग गए थें l तभी मैंने निशा की आवाज़ सुनी, “ओये जल्दी आ l यही रुकने का इरादा है क्या ? मैं फिर भागता हुआ टैक्सी तक पहुंचा और फिर हम चल दिए अपने फ्लैट की तरफ l

मुंबई शहर ... जैसा सुना था और जैसा फिल्मों में देखा था लगभग वैसा ही था ये शहर l हर तरफ बस भागते हुए लोग l इस भागती भीड़ को देख ऐसा लगता था की मानो अगर कोई एक इंसान रुक गया तो बाकी या तो उसके साथ ही गिर जायेंगे या फिर उसे रौंदते हुए आगे निकल जायेंगे l जिंदगी में भी तो ऐसा ही होता है l हर इंसान किसी न किसी रेस का हिस्सा होता है l और इस रेस में जीतने का बस एक ही मंत्र है , अपनी आँखें मंजिल में टिकाओ और भागते चले जाओ उसकी ओर l फिर चाहे रास्ते में कोई भी आये रुको मत l हाँ एक बात मुझे अच्छी लगी , यहाँ की रातें भी जीवन के रंगों से भरी होती हैं l मैं मुंबई के नजारों में ही खो सा गया था, हल्की झपकी आ गयी मुझे l आँख खुली तो हम अपने अपार्टमेंट के बाहर थें l सोसाइटी थी चार धाम सोसाइटी, इलाका था बांद्रा पश्चिम , 7 फ्लोर का अपार्टमेंट था और हमारा फ्लैट 6 फ्लोर पे था l आस पास के घरों में पार्क की गयी मंहगी गाड़ियों को देख मैं अंदाजा लगा सकता था की यहाँ की मिटटी की कीमत सोने से ज्यादा कैसे है l मैंने कुछ सामान उठाया और बाकी ट्राली बैग को सब अपने हाथों में ले फ्लैट पे आ गए l लगभग सारी सुख सुविधाएं पहले से ही थी वहां l सब अपना अपना सामान रखने लग गयीl दो बेडरूम का फ्लैट था, एक कमरे में निशा और दुसरे में ज्योति और तृष्णा ने अपना सामान रख दिया l जब घर का काम पूरा हुआ तो सब हॉल में लगे सोफे पे बैठ गएँ l

ज्योति – (मेरी ओर देखते हुए) तुम यही सोफे पे सोओगे ?

मैं – हाँ आज मैं यही सो जाऊँगा l कल मैं हॉल में जगह बना लूँगा गद्दे के लिए l

निशा – ह्म्म्म ये ठीक रहेगा l मैं पहले कुछ खाने का आर्डर दे देती हूँ फिर हम ऑनलाइन शौपिंग कर लेंगे नक्श के लिए l और हाँ घर के कुछ नियम काएदे भी बनाने होंगे l

सब ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई और फिर खाने का आर्डर और मेरे लिए शौपिंग कर ली गई l खाना खाते हुए हमने कुछ नियम बनाए जिसमे सुबह के ब्रेकफास्ट बनाने की ज़िम्मेदारी मुझे दे दी गयी l रात में तृष्णा और ज्योति सोने चली गयीं और निशा अपने लैपटॉप पे अपना काम निबटाने लगी l मुझे भी अब नींद आ रही थी l पर एक तो सोफे पे सोना और जगह भी नयी सो किसी तरह रात काटी मैंने l सुबह नास्ते के बाद निशा ने मुझे एक लिस्ट दी, इस लिस्ट में कुछ नाम और पते लिखे थें l

निशा – इस लिस्ट में जो नाम दिए गए हैं उनसे मिलना है और ये हैं फाइलों की कॉपी l जिस नाम के सामने हम तीनों में से जिसका भी नाम लिखा है उसे ही देना वो फाइल l और फिर कुछ पैसे दे दिए उसने l

मैं अब सोसाइटी से बाहर आ चुका था l आज तक शायद ही कभी घर पे कोई काम किया था मैंने l सो थोड़ा अजीब सा लग रहा था l पर इतना पता था की इंसान अपने अनुभवों से ही सीखता है सो मैं भी सीख ही जाऊँगा l लिस्ट में कुल मिलाके बाईस लोगों के नाम थें और लगभग पता यही आस पास का ही था l तृष्णा ने अपना एक फ़ोन मुझे दिया था जिसमे मैं गूगल मैप पे रास्ते ढूंढ सकता था l

पहला पता था यशराज फिल्म्स का l अँधेरी पश्चिम का पता था और वहां मुझे तीनों की फाइल देनी थी l मैंने टैक्सी लिया और वहाँ चला गया l पहली बार मैं फ़िल्मी दुनिया के लोगों से मिलने वाला था l मेरे अन्दर अजीब सा उत्साह था l ऐसा लग रहा था की जैसे मेरी फेवरेट हीरोइन ने मुझे डेट पे बुलाया हो l मैं अब पहुँच चुका था यशराज स्टूडियो के ऑफिस में l बड़ा सा नारंगी दरवाजा और एक बड़ी सी बिल्डिंग (ठीक वैसा ही जैसा की मैंने सोचा था) l मैं दरवाज़े के पास पहुंचा l गेट कीपर से कहा “भैया जी मुझे सुभाष सर से मिलना है और ये फाइलें देनी है l” गेट कीपर ने कहा “आज एक फिल्म की ऑडिशन हो रही है सो बाद में आना l आज बस ऑडिशन देने आये लोगों को ही अन्दर आने की इज़ाज़त हैl
 

kartik

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Nice update bhai.. pehla kadam rakhne jaa raha hai apna superstar is Film industry me..

Her Raah Ek Nayi Manzill Hai
Kaddmo Ko Shambhalna Zara Musqil Hai
Dost Ager Saath Naa Dey Toh
Dhoop Toh Kyaa Chhaanv Mein Bhee Challna Musqil Hai…

Waiting next update...
 
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naqsh8521

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मैं अब सोच में पड़ गया , काम की शुरुआत ही नाकामयाबी से हुयी तब तो हो चूका मुझसे काम l और अगर आज मैंने फाइल सभी को नहीं दी तो पता नहीं निशा मुझे रहने भी दे वहां या नहीं l मुझे किसी भी तरह फाइल अन्दर पहुंचानी थी l सो फिर से मैं गेट के पास गया और कहा “भैया मुझे भी ऑडिशन देना है, फॉर्म कहाँ भरूं ?

गेट कीपर – फॉर्म भरा जा चुका है बस अब ऑडिशन शुरू होने ही वाला है l

मैंने जेब से दो हज़ार निकाले और उसकी हाथों में पकडाता हुआ बोला “कैसे भी फॉर्म भरवा दो l अब आप लोग ही हमारी मदत नहीं करेंगे तो और कौन करेगा l

वो थोड़ी देर सोच के अन्दर गया और लगभग पांच मिनट बाद आया “ये लो फॉर्म जल्दी से भर के दे दो” l अपनी कोई तस्वीर तो थी नहीं तो मैंने तस्वीर वाली जगह पे गोंद से निशान बनाया (जैसे सबको लगे की मैंने तस्वीर तो चिपकाई थी पर फॉर्म पहुंचाने वाले से ही खो गयी) और फॉर्म भर कर उसे मैंने मोड़ के दे दिया l गेट कीपर ने मुझसे एंट्री करवाई और अन्दर जाने को कहा l पहली जंग तो जीत चूका था मैं l

अब अन्दर उस शुभाष नाम के आदमी को ढूँढना था l मैं गेट पे एक लड़की खड़ी दिखाई दीl उसके पास यशराज की आई डी थी l सो मैं उसके पास गया “मैडम सुभाष सर से मिलना था, वो कहाँ मिलेंगे ? उसने जवाब दिया “वो अन्दर ऑडिशन रूम में हैं l और तुम यहाँ ऑडिशन देने आये हो न ? तो बाहर क्या कर रहे हो l अन्दर ऑडिशन शुरू हो चुका है l”

अब मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा l मैं भला ऑडिशन क्या दूंगा l मुझे तो एक्टिंग का ए भी नहीं आता l आज तो बड़ी बेइज्जती होने वाली है मेरी l मन तो कर रहा था की यहीं से भाग जाऊं पर मैं अन्दर था और दरवाज़ा लॉक हो चुका था l मन ही मन मैंने कहा “ हे श्री श्री अमिताभ बच्चन जी आज मुझे एक्टिंग का आशीर्वाद दे दो, बस मेरी इज्जत रह जाए आज l” ऑडिशन रूम के बाहर बहुत से चेहरे थें l सब की आँखों में उम्मीद और कई आँखों में तो जैसे इतना कॉन्फिडेंस था की यहाँ वही चुने जाने वालें हैं l और एक तरफ मैं बेहद घबराया सा की पता नहीं क्या करेंगे वो सब मेरे साथ और पिछले चार दिनों से एक ही कपडे में था सो वो भी अब गंदे दिखने लगे थें l मैं वाशरूम में गया और अपने काले पैंट में जहाँ जहाँ गंदगी के निशान थे उन्हें पानी से साफ़ किया, पर ये क्या ! पानी से भीग के मेरी पैंट पे जो निशान आये थे उससे तो लोग कुछ और ही समझ बैठते l

मैं खैर अब बाहर आया l और एक कुर्सी पे बैठ गया l अन्दर से जो लोग बाहर आ रहें थें उन्हें देख के ऐसा लग रहा था की मानो वो सब के सब चुन लिए गए हों l तो फिर हमें क्यूँ बिठाया हुआ था उन्होंने l जाने को कह देते हमें , कम से कम मेरी जान तो छूटती l एक तो कोई भी किसी से बात नहीं कर रहा था l सब एक दुसरे को ऐसे देख रहें थें मानो कोई कुश्ती का अखाड़ा हो ये l इससे और भी बेचैनी बढ़ रही थी मेरी l बैठे बैठे शाम हो चुकी थीl अब आखिर में हम दो लोग बचे थें l अन्दर से हम दोनों को एक साथ ही बुला लिया गया l शायद उन्हें भी अब जाने की जल्दी थी l पहले उस दुसरे लड़के को बीच में बुलाया l स्टेज पे वो गया था और टाँगे मेरी कांप रही थीं l

वो लड़का - सर मैं अपनी आज तक की सबसे बेहतरीन एक्ट आपको दिखाना चाहता हूँ l

पैनल (जजों का पैनल जिसमे मशहूर फिल्म निर्देशक थें) – दिखाएँ आप l

“माँ मैं लौट आया माँ... देख तेरे कालजे के टुकड़े का दुश्मनों की गोलियां भी कुछ न बिगाड़ पायीं l (जंग से लौटे हुए एक घायल सैनिक की उसकी माँ से बात वहां उसने दिखाई l और हाँ उसके चेहरे के भाव बिलकुल किसी ट्रेंड एक्टर की तरह ही थे) उसका एक्ट ख़त्म हुआ और पैनल ने खड़े हो कर उसका अभिवादन किया l और मुझे हसी आ गयी (वैसे मैं अक्सर कॉमेडी शो देखा करता था जो वहां वो अपना एक्ट दिखा रहा था और मैं अपने मन ही मन इमेजिन करने लगा था की वहां वो नहीं बल्कि मेरे पसंदीदा कॉमेडी कलाकार ये एक्ट दिखा रहा है) l तभी मेरी नज़र पैनल पे गयी l उस कमरे में सब के सब मुझे घूरे जा रहें थे l पैनल में से एक ने मुझसे पूछा “आपको क्या हुआ जनाब ? ये एक्ट देख हसी आ रही थी l

मैं – मैं एक्टिंग के बारे में एक बात जानता हूँ यहाँ वही सबसे बेहतर है जो हर रंग में ढल जाए l कोई भी ये ना कह सके की कोई एक ख़ास एक्ट ही सबसे बेहतरीन है बल्कि उसके हर एक्ट को देख ये महसूस हो की ये इससे बेहतर कोई भी नहीं कर सकता है l (खैर बात को तो संभाल लिया मैंने l पर अब मुझे इतना तो पता था की अब मैं लाल कपडे पहन खुद ही सांड को न्योता दे दिया है l)

पैनल – जनाब आप आ जाएँ l आज हम सब आपसे सीखना चाहते हैं एक्टिंग की बारीकी l (मैं मन ही मन में) “बेटा आज तो बिना वेसिलीन के ही अन्दर जाने वाला है l”

मैं – जैसा आप कहें सर l

पैनल – एक्टिंग में सबसे मुश्किल होता है एक साथ कई भावनाओं को कुछ ही पलों में जी लेना l मैं तुम्हे कहूँगा ख़ुशी .. एक ... दो ... तीन और आप मुझे ख़ुशी के एक्सप्रेशन दिखाओगे l जैसे जैसे मैं शब्द कहता जाऊंगा आपके चेहरे के भाव वैसे वैसे बदलने चाहिए l

(मन ही मन में) और हस ले बेटा , यही पास हसी आनी थी तुझे l अब भुगतना तो पड़ेगा ही l पर आज मैं एक कोशिश तो कर ही सकता हूँ न l क्या होगा ज्यादा से ज्यादा, मुझे गालियाँ देंगे और निकाल देंगे यही न l ठीक है पर अब मैं पीछे नहीं हटूंगा l

मैं स्टेज पे आ चुका था l मेरी आँखें अब बंद थी और बस अब मैं शब्द सुनने को तैयार थाl पैनल – रोमांस .... एक ... दो ... तीन...

मैं इस शब्द के साथ ही फ्लैशबैक में चला गया l जब मैं तृषा को अपनी बांहों में भर उसके साथ बॉल डांस किया करता था l मेरी आँखें बंद थी और ऐसा लग रहा था मानो तृषा मेरी बांहों में हो l और हमारा सबसे पसंदीदा गाना बज रहा हो “हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते तेरे बिना क्या वजूद मेरा l” उसके हर कदम से मैं अपने कदम मिला रहा थाl और मेरी नज़र तृषा से हट ही नहीं रही थी l मैंने उसे अपनी बांहों में भर कर चूम लिया l

डर .... एक .... दो .... तीन....

मैं अब अपने जीवन के उस वक़्त में पहुँच गया जब तृषा से मिले मुझे पंद्रह दिन बीत चुके थे और किसी रिश्तेदार से भी उसकी कोई खबर नहीं मिल पा रही थी l जब तृषा की कामवाली छत पे आयी थी और मैं उसकी नज़रों से बचता हुआ नीचे तृषा के कमरे तक पहुंचा था l मैं तृषा को टिसू पेपर पे अपना नाम लिख के दे चुका था और उम्मीद कर रहा था की कामवाली के नीचे मुझे देखने से पहले तृषा दरवाज़ा खोल दे l

मस्ती .... एक ... दो ... तीन...

मैं अपने घर में था और हम सब परिवारवाले झुम्मा चुम्मा दे दे वाले गाने पे डांस कर रहे थेंl हम सब बहुत ही अजीब अजीब शक्लें बना रहे थें और बहुत खुश थें हम सब l



उदास ... एक ... दो ... तीन ...


जब तृषा अपना फैसला मुझे बतायी थी, की वो अब किसी और के साथ शादी करेगी l मैं तो वहीँ ज़मीन पे गिर पड़ा था जैसे l एक ही पल में मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया हो किसी ने जैसे l



गुस्सा ... एक ... दो ... तीन ...

इस बार मैं उन पलों में पहुँच गया जब मैं पंद्रह दिनों बाद तृषा के कमरे में छुपते छुपाते पहुंचा था l रो रो के उसकी आँखें लाल हो चुकी थी और उसे इतना मारा था की अभी तक उसके चेहरे पे हाथों के निशान थें l उसके चेहरे को देख मैं इतने गुस्से में भर गया की जोर से अपना हाथ जमीन पे दे मारा l

हसी ... एक... दो ... तीन ...

इस बार उन पलों को जी रहा था जब तृषा मुझे गुदगुदी लगा रही थी और मैं हस्ते हस्ते पागल हुआ जा रहा था l हाथ जोड़ के उसे मुझे छोड़ने की मिन्नत कर रहा था मैं l

दर्द ....

एक ...


इस शब्द के साथ ही ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे जख्मों को कुरेद दिया हो l मैं अपने घुटनों पे आ गया l

दो ....

अब मैं उस वक़्त में था जब मैं तृषा का व्हाट्स ऐप मैसेज सुन रहा था l

तीन ....

मेरी ऑंखें भर आयीं l ऐसा लगा जैसे किसी ने गर्म खंजर उतार दिया हो इस सीने में l “मत जाओ मुझे छोड़ के... प्लीज मत जाओ !” कहता हुआ मैं ज़मीन पे गिर पड़ा l मेरे आंसुओं की बूंद अब सैलाब बन उमड़ पड़ी थी l मेरे सीने में दबा हर दर्द अब बाहर आ चुका था l

तभी तालियों और सीटियों की आवाज़ ने मुझे जैसे नींद से जगाया हो l उस पैनल के हर सदस्य की आँखें भरी हुयी थीं l तभी एक निर्देशक चल के मेरे पास आयें l

“शायद इस इंडस्ट्री को तुम्हारी ही तालाश थी l आज इस बॉलीवुड को एक सुपरस्टार मिल गया है l मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता l तुम अभी और इसी वक़्त हमारे साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करोगे l” फिर उन्होंने पेपर्स मंगवाया और मेरे सामने रख दिया l “ये लो पेन l” कहते हुए पेन मेरे हाथ में दे दिया उन्होंने l
 
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