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Romance सुपरस्टार - The life we dream to live

kartik

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Kyaa baat hai bhai.. apna Hero agar acting hi karta to fail hota. par usne to sab reality kiya hai.. kuch hii Palo me apni beeti hui zindagi jee Lee... to real me koi fail kese ho sakta hai bhala aur yeh mukaam bhi use apni तृषा se hi mila hai..

Waiting next update..

 

naqsh8521

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Kyaa baat hai bhai.. apna Hero agar acting hi karta to fail hota. par usne to sab reality kiya hai.. kuch hii Palo me apni beeti hui zindagi jee Lee... to real me koi fail kese ho sakta hai bhala aur yeh mukaam bhi use apni तृषा se hi mila hai..

Waiting next update..


Jald hi milega Agla update bhi....
 
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naqsh8521

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wow............................

a Love Story .....😍😍😍

good going dear .......................


:adore:

Love is ocean and Sex is just a drop of this ocean....
 

mashish

BHARAT
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“चारों तरफ हज़ारों कैमरों की जगमगाती चमक , जहाँ तक नज़रें जाएँ बस पागल होती बेकाबू सी भीड़ और उस भीड़ को काबू करने में लगे हुए कितने ही पुलिस वाले l कानों में गूंजता हुआ बस आपका ही नाम l हर चौराहे पे आपकी बड़ी बड़ी तस्वीरें l हर खबर की सुर्ख़ियों में बस आपका ही ज़िक्र l”

यूँ तो हर मोड़ पे बहुत सी जिंदगियां साँसे लेती दिखाई देंगी , पर उन जिंदगियों में जान नहीं होती l

जीते तो सब हैं इस दुनियां में , पर यहाँ हर किसी की खुद की पहचान नहीं होती l


Update - 1


आज दिल बड़े जोर से धड़क रहा था मेरा , घर से पहली बार इतनी दूर जो आ गया था l आँखें रुआंसी हुयी जा रही थी l आदत थी अब तक हर मुश्किलों में अपनी माँ के हाथ थामने की l आज तो मैं अकेला सा पड़ गया था, पता नहीं क्या करूँगा इतने बड़े शहर में ? कैसी होगी मेरी माँ ? अब तक पापा ने मुझे ढूंढने को ऍफ़ आई आर भी करवा ही दिया होगा l





तीन महीने पहले



बिहार के गया शहर में चार कमरों के मकान में रहता था मैं, एक खुशहाल मध्यम वर्गीय परिवार था मेरा l मम्मी , पापा, मैं और मेरी एक बहन l कितने खुश थे हम सब l जिंदगी की छोटी छोटी खुशियों को मज़े से जीना, वो पापा का मम्मी को चिढाते हुए “जुम्मा चुम्मा दे दे” वाले गाने पे डांस करना l बहन के बॉय फ्रेंड को धमकी देना और खुद पड़ोस में आई नयी नयी लड़की को देखने के लिए गर्मियों की धुप में उसका इंतज़ार करना l कितनी अच्छी बीत रही थी मेरी जिंदगी l पर कहते हैं न “जिंदगी में अगर खुबसूरत सुबह होती है तो वहीँ काली अँधेरी रात भी होती है” l जिसने इस रात में हौसला बनाए रखा उसकी नईया पार और जिसने हौसला खो दिया वो इन्ही अँधेरी राहों में खो सा जता है l

आज जन्म दिन था मेरा १७ फ़रवरी की सुबह l मम्मी की आवाज़ से मेरी आँखें खुली, सामने घर के सभी सदस्य थे l

“हैप्पी बर्थडे टू यू” की आवाज़ के साथ मेरे गाल खीचने शुरू कर दिये सबने l अपने बर्थडे जी यही बात मुझे पसंद नहीं आती थी l आखिर में मम्मी ने नहा के मंदिर जाने का निर्देश दिया और फिर सब बाहर हॉल में चले गएँ l

एक लम्बी सी जम्हाई ली और अपने सेल फ़ोन को चेक करने लगा l तृषा (मेरी पडोसी और मेरी गर्ल फ्रेंड) का मैसेज था व्हाट्स ऐप पे “हैप्पी बर्थडे माय लव, मंदिर जाना तो मैसेज कर देना... मिस यू सो मच” l ऐसा नहीं है की मुझे दूसरों ने शुभ कामनाएं नहीं भेजी थी l पर कसम से इस एक मैसेज ने मेरा दिन बना दिया l मैंने जवाब भेज दिया तृषा को “अभी एक घंटे में निकलूंगा मंदिर को”, और फ्रेश होने चला गया l

ये मेरा २३ वाँ जन्म दिन था, छे फीट की लम्बाई हल्का सांवला पर साफ़ रंग, हलकी भूरी आँखें और जिम में बनायी हुई बॉडी l जब अपनी फेवरेट गहरे काले रंग के कपडे पहन कर आईने के सामने खड़ा हुआ तभी तृषा मेरे कमरे में दाखिल हुयी “ ओह जनाब कहाँ आग लगाने का इरादा है ?”

मैंने तृषा के फ्रॉक सूट में ऊँगली फसा के अपनी ओर खीचा और बड़े प्यार से उसके कान में कहा “जान हम अपने अन्दर प्यार का समंदर समेटे हैं, हमने आग लगाना नहीं बुझाना सीखा हैl”

मम्मी की आवाज़ आयी – कौन है बेटा ?

मैंने जवाब दिया – तृषा आयी है माँ वो बर्तन लौटाने, और मुफ्त में मिठाई खाने l

मेरा इतना कहना ही था की तभी पास पड़े मेरे बिस्तर के तकियों की बरसात मुझपे शुरू हो गयी l खैर घर में था मैं सो बाहर भाग के बच गया l

मम्मी – क्या हुआ ? फ्रिज से मिठाई लाओ और खिलाओ तृषा को l

मैंने कहा – अरे माँ अभी पूजा तो कर लूँ फिर भूखों को खिलाऊंगा, नहीं तो पूण्य कैसे मिलेगा l तृषा की गुस्से वाली आँखों ने मुझे एहसास करा दिया की बेटा अब चुप हो जा वर्ना ये जनम दिन को मरन दिन बनने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा l

मैं घर से निकला और मंदिर में पूजा करके अपने सारे करीबियों को मिठाइयां बाटी और सबसे आखिर में तृषा के घर पहुंचा l

दोपहर के १२ बज रहे थें, हमेशा की तरह तृषा के पापा ऑफिस जा चुके थे और उसकी मम्मी सारे काम निबटा के सीरियल देख रही थी l घर का दरवाजा तृषा ने ही खोला l मैं एक शरीफ बच्चे की तरह तृषा पे ध्यान न देते हुए सीधा आंटी की ओर मिठाईयों का डब्बा ले के चला गया l

मैं – आंटी जी ये मिठाई, आज मेरा जन्मदिन है l

आंटी – ओह ! वैरी गुड बेटा जी , हैप्पी बर्थडे l

मैं – आंटी आज ग्रेजुएशन का रिजल्ट आने वाला है मेरा सो मैं कंप्यूटर पे देख लेता हूँ l

आंटी – ठीक है बेटा l “तृषा , जाओ ज़रा कंप्यूटर ऑन कर देना” l

आंटी फिर से अपने सीरियल देखने लग गयी और मैं और तृषा उसके कमरे की ओर बढ़ चलेंl तृषा ने कंप्यूटर ऑन किया और मुझे कुर्सी पे बैठने को बोली l मैंने तृषा के हाथ को पकड़ा और एक झटके से उसे अपनी ओर खीच लिया l तृषा अब मेरी बांहों में थी l

तृषा – छोडो मुझे , मम्मी आ जायेगी l
good start & nice update
 

mashish

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update - 2

मैं – जान , आप कुछ भूल तो नहीं रही l (अपने होठों पे चूमने सा भाव लाते हुए मैंने तृषा को देखा ) “मेरा बर्थडे गिफ्ट”?

तृषा ने अपने होठ मेरे होठों से मिला दियें l मेरे हाथ अब तृषा की पीठ पे फिसल रहे थे l मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था l मैंने उसे चुमते हए उसकी सूट के पीछे बने चैन को खोलने लगा l तभी तृषा मुझे खुद से दूर करती हुयी अलग हुयी और उसने कहा “जान अभी मम्मी घर पे हैं , थोडा सब्र करो”l

मैं – वही तो नहीं होता जान l खैर अभी रिजल्ट पे धयान देता हूँ , कभी तो अकेली मिलोगी तभी सारी कसर निकाल लूँगा l

एक घबराहट सी भी थी इस रिजल्ट को ले के l मैंने विज्ञान का विषय चुना था , मैं इसके बाद एम् बी ए करने जाने वाला था l दिल्ली में मेरे एक दोस्त ने मेरे लिए सब कुछ सेट किया हुआ था l सो मैं इस बार किसी भी तरह बस पास होने की उम्मीद कर रहा था l नहीं तो मेरा पूरा साल बर्बाद हो जाता l

तृषा ने रिजल्ट वाली वेबसाइट खोली और रिजल्ट वाले लिंक पे क्लिक किया उसने l मेरी धड़कन तो जैसे अब जैसे आसमान छू रही थी l तृषा ने मेरे एक हाथ को अपने हाथ लिया और अपने सर को मेरे सीने से लगा दिया l तभी रिजल्ट दिखना शुरू हुआ , पुरे कॉलेज की लिस्ट एक ही पी डी एफ फाइल में थी l मैंने अपना रोल नंबर ढूँढना शुरू किया l

एक बार , दो बार पुरे बारह बार मैंने उस लिस्ट को मिलाया पर मेरा नाम कही भी नहीं थाl मैं पागल सा होता जा रहा था l मेरी ऐसी हालत देख तृषा ने मुझे बेड पे बिठा दिया और खुद रिजल्ट देखने लग गयी l थोड़ी देर में उसे मेरा रोल नंबर मिला , पर वो एक पेपर में फ़ैल हुए लड़कों की लिस्ट में था l रसायन शास्त्र ( केमिस्ट्री ) में मैं फेल हो गया था l

मैं तो अब तक सदमे में ही था , अब मैं घर में किसी को क्या जवाब दूंगा l क्या बताऊंगा सब को अपने रिजल्ट के बारे में l मैं तो दिल्ली जाने की लगभग सारी तैयारी कर चुका थाl

वैसे ये इतनी बड़ी भी नहीं थी l पास और फेल तो जीवन के ही दो पहलु हैं l आज जो मैं फेल हुआ हूँ तो कल फिर से मुझे मौका मिलेगा ही तब मैं इसे ठीक कर दूंगा l हाँ पर एक बात तो पक्की थी की मैं इस साल दिल्ली तो नहीं जा सकता था l क्यूंकि वैसे ही इन्होने तीन साल के कोर्स को चार साल में पूरा किया था l अब फिर से एग्जाम लेने में कितना वक़्त लगेगा मैं भी नहीं जानता था l

मेरे दिमाग में ये सब ख्याल आ ही रहे थें की तृषा ने मेरे हाथों को अपने हाथ में ले लिया l मैं अभी भी बिस्तर पे ही बैठा था l तृषा मेरे बगल में बैठ गयी, हालाकि मैं अब काफी सामान्य हो चूका था पर फिर भी मैं अब मज़े लेने मूड में था l मैं बस ये देखना चाहता था की आखिर वो मेरी परेशानी में कैसे संभालती है मुझे l

तृषा मेरे सर को अपनी गोद में रख मेरे बालों को सहलाने लगी l और साथ साथ समझाने भी...

तृषा – निशु (वो मुझे प्यार से यही बुलाती थी) तुम उदास मत हो कम से कम आज के दिन तो नहीं l मैं भी पागल ही थी की तुम्हे रिजल्ट दिखाने लग गयी , जब तुम्हे नाम नहीं मिला था तो मुझे भी छोड़ देना था l देखो आज का पूरा दिन खराब कर दिया मैंने l

मैं – (उदास सी शकल बनाते हुए... वैसे सच में मुझे उसकी सूरत देख हसी आ रही थी) जानू इसमें तुम्हारी क्या गलती l मैंने पेपर सही से नहीं लिखा तो मैं फेल हुआ l वैसे मैं तो हूँ ही इसी लायक l सबको परेशान करता हूँ तो भला मेरे साथ अच्छा कैसे हो सकता है l देखो तुम्हारा दिल भी तो दुखाता हूँ न !

तृषा – नहीं बाबू मैं क्यूँ परेशान होने लगी तुमसे l वो तो बस तुम्हे चिढाने को गुस्सा होने का नाटक करती हूँ l पर जब तुम उदास होते हो तो मेरी जान निकलने लगती है l कहते हुए उसने मेरे सर को चूम लिया l

अब उसकी हालत देख मुझे बुरा लगने लगने लगा l तभी मैंने तृषा के हाथ को ( जो मेरे बाल सहला रहे थें) पकड़ कर उससे कहा – “जानू एक बात कहूँ ?

तृषा – हाँ कहो l

मैं – वो अपने 42 को 32 के शेप में लाओ न ! तुम्हारी प्यारी सी सूरत देख नहीं पा रहा हूँl

वो मेरे कान मरोड़ते हुए कहने लगी “ कमीने मैं भैस दिखती हूँ तुम्हे जो मेरे 42 होंगे l खैर इन सब बातों में मैं तुम्हे तुम्हारा गिफ्ट देना ही भूल गयी l” और वो अपनी अलमारी से एक पैक किया हुआ गिफ्ट ले आयी l वो गिफ्ट मेरे हाथ में दे अपना गला साफ़ करने लग गयी l मैंने अपने कान पे हाथ रखा और उससे कहा – जान अब गाना भी सुनाओगी क्या ? आज के लिए वो रिजल्ट वाला सदमा ही काफी था l इससे तो कैसे भी उबर जाऊँगा पर तुम्हारे गाने को भूलने में सदियाँ बीत जायेंगी l

अब गुस्सा होती हुयी वो बोली – एक दम चुप हो जाओ वर्ना हाथ पैर सलामत नहीं बचेंगे, गाने का मन तो नहीं था पर अब तो छोडूंगी नहीं l तुम्हे अब सुनना ही पड़ेगा l

मैंने अपने होठों पे ऊँगली रखी और उससे शुरू होने का इशारा किया l कहते हैं आँखें कभी झूठ नहीं कहती हैं l उसकी आँखें ही काफी थी हाल – ए – दिल बयां करने के लिए l

“ दिल में हो तुम , आँखों में तुम l कैसे ये तुमको बताऊँ ... पूजा करूँ , सजदा करूँ जैसे कहो वैसे चाहूँ l जानू .. मेरे जानू... जाने जाना जानू l” उसने अपनी आँखों में आते हुए आंसुओं को रोकते हुए मेरे सीने से लग गयी l “ और कहो मेरे बदमाश कानों के परदे फटे या नहीं ?”
very nice update
 

naqsh8521

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अपडेट - ३

मैंने उसके चेहरे को सामने किया और कहा “आई लव यू” और मेरे होठ उसके होठों से मिल गएँ l काश ये पल यहीं रुक गए होतें l बस इन्ही लम्हों में हम अपनी जिंदगी बिता देतें l

मैंने उसे चुमते हुए बिस्तर पे लिटा दिया l हम दोनों खो से गएँ थे एक दुसरे की आगोश मेंl कुछ भी होश नही था दुनिया का l ... की तभी दरवाज़े की दस्तक ने हमें चौका दिया l हे भगवान् तुझे सारे सैलाब आज ही लाने थे मेरी जिंदगी में ... बेहद गुस्से में तृषा की माँ दरवाज़े पे खड़ी थी l

आंटी (मेरी ओर देखते हुए) – तुम अपने घर जाओ l मैं – आंटी मैं तृषा से शादी करना चाहता हूँ l प्लीज् हमें गलत मत समझिये l आंटी (इस बार लगभग चिल्लाते हुए) – मैंने कहा न तुमसे अपने घर जाओ ... मतलब जाओ यहाँ से l

मैं बात ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहता था l मैं बाहर दरवाज़े तक पहुंचा ही था की किसी सामान के गिरने की आवाज़ आयी , मैंने पलट के देखा तो तृषा के दरवाज़े के बाहर तृषा के सेल फ़ोन के टुकड़े छिटक कर आये थें l मतलब आंटी ने सबसे पहले उसका फ़ोन तोड़ दिया था l मैं अब दरवाज़े के बाहर आ चूका था l ये बर्थडे तो मैं जिंदगी में कभी भूलने वाला नहीं था l

मैं यूँ तो तृषा के घर अक्सर जाया करता था l आज से लगभग दो साल पहले मैंने उसे प्रपोज किया था l तब से मैं अक्सर किसी न किसी बहाने से उसके घर आया जाया करता था l कभी भी किसी को हमारे बारे में शक़ तक नहीं होने दिया था l आज तो दिन ही खराब था , ऐसा लग रहा था की जैसे हिरोशिमा और नागाशाकी वाले विस्पोट आज मुझपे ही कर दिया गया हो l पता नहीं तृषा को क्या क्या झेलना पड़ रहा होगा , वो भी मेरी वजह से l एक बार तो मन कर रहा था की अभी उसके घर जाऊं और उसका हाथ पकड़ अपने साथ कही दूर ले जाऊं l पर मुझे पता था की अभी सही वक़्त नहीं है, मेरे किसी भी कदम से दोनों परिवारों में तूफ़ान सा आ सकता था l तृषा भी अपने माँ बाप की अकेली बेटी ही थी l मेरे ऐसे किसी भी कदम से उसके मम्मी पापा का खुद को संभालना मुश्किल हो जाता l मैं वापिस अपने घर आ गया l

मम्मी – आ गए l खाना खा लो, तम्हारी पसंद के समोसे भी बनाए हैं आज l

मैं मम्मी के पास गया और उनके गले से लग गया l कहते हैं न की माँ को अपने बच्चे के दर्द का एहसास उससे पहले हो जाता है l मम्मी – क्या हुआ ? परेशान से लग रहे हो ?

मैं – वो ग्रेजुएशन में एक पेपर में फेल हो गया हूँ l ( मैं तो तृषा वाली बात बताना चाह रहा था पर नहीं बोल पाया )

माँ – अगली बार ठीक से पढाई कर के एग्जाम देना l और ज्यादा परेशान मत हो , खाना खा लो और आराम करो l

मुझे वैसे भी कुछ बोलने का मन नहीं कर रहा था l जैसे तैसे खाना खा के मैं अपने कमरे में आ गया l अभी भी मैं तृषा को ही कॉल करने की कोशिश कर रहा था पर उसके सारे नंबर ऑफ आ रहे थे l मन में एक साथ कितने ही सारे ख़याल आने लगे l ये सोचते हुए कब नींद आ गयी मुझे पता ही नहीं चला l

६ बज गएँ थे और पापा की आवाज़ से मेरी नींद खुली l

पापा – कितनी देर तक सोते रहोगे ? जल्दी आओ केक आ गया है l नहीं आये तो हम सब तुम्हारे बिना ही केक ख़त्म कर देंगे l

मैं ऊँघता हुआ उठा और चेहरे को धो कर हॉल में आ गया l मेरा सबसे पसंदीदा केक (चोकलेट केक) था l उसपे लिखा था “ हैप्पी बिर्थडे टू माय लविंग सन “

मेरे घर में हम किसी का जन्मदिन ऐसे ही मनाते थे l दिन में पूजा कर सभी रिश्तेदारों को मिठाई दे देता था और रात में बस हम घर के चारों लोग केक काटते , गाने गाते और खूब डांस करते l पापा का फेवरेट गाना बजा “जुम्मा चुम्मा दे दे... और फिर वो शुरू हो गएँ l और मम्मी पापा को डांटना शुरू कर “बच्चे बड़े हो गए हैं, कुछ तो शर्म करो”l मम्मी जितना गुस्सा होती पापा और एक्सप्रेशन देने लग जाते l कुछ पलों के लिए तो मैं अपने सारे दर्द भूल ही गया था l खैर सबसे आखिर में हमने डिनर किया (वो भी एक दुसरे की प्लेट से खाने लूट लूट के) और फिर हम सोने चले गएँ l

अगले तीन दिनों तक मैंने बहुत कोशिश की पर तृषा की कोई खबर नहीं मिल पा रही थी l चौथे दिन शाम में मेरे चाचा जी मेरे घर आयें l आज सन्डे था सो पापा भी घर पे ही थे l मिठाईयों का डब्बा था उनके हाथ में l घर में आते ही उन्होंने मिठाई वाला डब्बा पापा को दिया और कहने लगे “अरे आज हमारे बेटे का रिजल्ट आया है बैंक क्लर्क में सिलेक्शन हो गया उसका l” मैं मन ही मन में “ लो हो गयी आज की शाम खराब l”

चाचा जी – अरे सुभाष ( मेरे पिता जी का नाम ) आज पार्टी मेरे तरफ से l मुझे उन्होंने बुलाया और पैसे दिए और कहा “व्हिस्की हाफ लेते आना”l

मम्मी किचेन में गयी और पापा टेबल ठीक करने लग गएँ l मैंने अपनी बाइक निकाली और बाज़ार में आ गया l वाइन ले कर तो मैं पहले भी आया था पर आज तक कभी टेस्ट नहीं किया था l वाइन लेके मैं घर पहुंचा, अब तक लगभग सारी तैयारियां हो चुकी थी l टेबल लग चुका था और पकौड़े भी प्लेट में आ चुके थे l मैंने टीवी ऑन किया और वही पास में ही एक सोफे पे बैठ गया l चाचा जी और पापा बातें करते हुए पेग लगाने लगें l

चाचा जी – आजकल सरकारी नौकरी मिलना मतलब भगवान् से मुलाक़ात होने के बराबर है l देखो कितनी मेहनत करता था रिंकू (भाई का नाम), आखिर नौकरी मिल ही गयी l फिर मेरी ओर देखते हुए “और बेटा तुम किस चीज़ की तैयारी रहे हो ?”

मैं – मैं तो आई ए एस की तैयारी करने की सोचा रहा हूँ (पता नहीं क्या मन में आया की मैंने ये बोल दिया)

चाचा जी – देखो बेटा ज्यादा हवा में उड़ना बंद करो l ग्रेजुएशन तो पास हुआ नहीं जाता और आई ए एस के ही सपने देख रहे हो (रिश्तेदारों को आप अपनी खबर दे या न दें उन्हें आपकी हर खबर मिल ही जाती है)

मैं – कोई एक रिजल्ट आपकी छमता आंकलन नहीं कर सकता है l और सपने नहीं देखेंगे तो हम जीवन में आगे कैसे बढ़ेंगे l फिर मैं उठा और अपने कमरे में आ गया l वैसे भी ये कोई पहली बार तो था नहीं की किसी ने ये सब बोला था l अब तो मैंने ऐसी बातों पे ध्यान देना भी छोड़ दिया था l



जब से तृषा से दूर हुआ था किसी काम में मन ही नहीं लगता था l बस उसी की यादों में खोया खोया सा रहता था l बस हर वक़्त उसी की यादें , वो कैसे हम छुपते छिपाते मिलते थें l हमने एक साथ ना जाने कितने ही लम्हे गुज़ारे थें l हमारे छत एक साथ लगे हुए थे, सो मैं अक्सर मेन गेट से जाने के बजाये छत कूद के चला जाता था l जब से तृषा की माँ ने हमें पकड़ लिया था तब से ज्यादातर छत पे दरवाज़े में ताला लगा रहता था l तृषा के पापा शहर के जाने माने वकील थे l और उस काण्ड के बाद जब भी मुझे देखते तो ऐसे घूरते मानो बिना ऍफ़ आई आर के ही उम्र कैद दे देंगे l

आज 15 बीत चुके थे उस बात को, मैं हर तरीका अपना चुका था तृषा की हालत जानने के लिए l उसके घर जिनका आना जाना लगा रहता था, हर किसी से पूछ के थक चुका था l सब यही कहते की अभी तृषा घर पे नहीं थी l मेरा मन किसी अनजान आशंका से घिर गया था l पता नहीं कुछ अनहोनी तो नहीं हो गयी तृषा के साथ l मैं उसी शाम को छत पे गया तृषा के यहाँ काम करने वाली के आने का वक़्त था ये l ठीक समय पे वो छत पे आयी l छत का दरवाज़ा खोल कपडे समेटने लग गयी l मेरे लिए यही सही वक़्त था l मैं उनकी नज़रों से बचता हुआ धीरे धीरे दरवाज़े तक पहुंचा और सीढ़ियों से होता हुआ नीचे तृषा के कमरे के बाहर आ गया l दरवाज़ा अन्दर से बंद किया हुआ था l

मेरे दिल की धड़कन अब आसमान पे पहुच चुकी थी l उसके घर में तीन बेडरूम थें, तीनो हॉल से जुड़े थे l मैं जहाँ खडा था वहां पे बाथरूम था l और मेरे ठीक सामने तृषा की माँ सोफे पे बैठ टी वि देख रही थी l हलकी सी आवाज़ मैं कर नहीं सकता था और कामवाली कभी भी सीढियों से नीचे आ सकती थी l पास में ही हाथ धोने के लिए बेसिन लगा था और वहां पे टिसू पेपर पड़े थें l मैंने एक पेपर लिया और उसपे पानी से लिखा “निशु” और उसे दरवाज़े से निचे सरका दिया l अब तो मैं बस दुआं ही कर सकता था की ये तृषा को मिले और वो दरवाज़ा खोल दे l अभी सोच ही रहा था की छत पे दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई l मेरी तो धड़कन रुकने वाली थी l तभी तृषा के दरवाज़े की खुलने की आवाज़ आई l इससे पहले की कोई मुझे देख पाता मैं तृषा के कमरे में था l
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