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Romance सुपरस्टार - The life we dream to live

naqsh8521

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मैं – अब जो भी हो l मैं ऐसे घुट घुट के नहीं जी सकता l

तृष्णा – अरे क्यूँ तुमलोग इतने सिरिअस हो रहे हो l इतना ख़ुशी का मौका है और तुमलोग अपनी ही बातें ले के बैठे हो l आज तो पूरी रात हंगामा होगा l और फिर अपने फ़ोन को स्पीकर से जोड़ के तेज़ आवाज़ में गाने बजाने लगी l

फिर क्या था, हम सब गाने की धुन पे नाच रहे थे l उछल उछल के हम सब ने रूम की हालत खराब कर दी l उस पूरी रात किसी ने मुझे सोने नहीं दिया l रात भर मुझे बीच में बिठा नॉन स्टॉप बातें करती रहीं l सुबह के साढ़े पांच बजे मुझे छोड़ सब अपने कमरे में गयी, तब जा के मैं सो पाया l नौ बजे ज्योति की आवाज़ से मेरी आँख खुली l

ज्योति – उठो ! स्टूडियो नहीं जाना है क्या ?

मैं – (अंगडाई लेते हुए) कम से कम नींद तो पूरी होने दे l

ज्योति – अरे मेरे सुपरस्टार l अब से कम सोने की आदत डाल लो l सोने का वक़्त गया l

मैंने घडी देखा तो टाइम हो चुका था, और आज मैं लेट नहीं होना चाहता था l सो मैं फ्रेश होने चला गया, नहा के कपडे बदलें (ऑनलाइन शौपिंग से जो कपडें खरीदे थे हमने वो कल आ गया था) l आज मैं एक नयी जिंदगी की शुरुआत करने जा रहा था l या दुसरे लब्जों में अपने आप को इस दुनिया में खोने जा रहा था l आज मुझे कहानी सुनाने को बुलाया गया था l मैंने टैक्सी की और पहुँच गया स्टूडियो l

आज वही गेट कीपर जो मुझे कल अन्दर आने से रोक रहा था, आज मुझे सलाम कर रहा था l मैं अन्दर पहुँच गया l सुभाष जी मेरा ही इंतज़ार कर रहे थें l मैं उनके साथ एक अलग कमरे में चला गया l

सुभाष जी – चाय कॉफ़ी कुछ लेंगे आप ?

मैं – जी नहीं l फिलहाल तो कहानी पे ही ध्यान दे दूँ l बाद में हम साथ में लंच कर लेंगे l

सुभाष जी – जैसी आपकी मर्ज़ी l

और उन्होंने कहानी सुनाना शुरू कर दिया l

“ये कहानी है एक लड़के की जिसके माँ-बाप का देहांत बचपन में ही हो गया था l बचपन से ही अपना ख्याल रखने की आदत थी उसे l इतनी दौलत थी उसके पास की उसकी खुद की जिंदगी तो आराम से गुज़र सकती थी l पर अगर कुछ कमी थी उसे तो बस प्यार की l बचपन में जब से एक्सीडेंट में उसके परिवार वाले चले गए थें तब से ही वो हर माँ बाप में खुद के माँ बाप को देखता l बिना प्यार की परवरिश से उसे एक मानसिक बिमारी हो जाती है “स्विच पर्सनालिटी डिसऑर्डर” l ये एक ऐसी बिमारी है जिसमे एक ही इंसान अपने जीवन में दो अलग अलग किरदार निभाता है l जिसका एक पहलु तो प्यार की तलाश में तडपता रहता है पर वहीँ दूसरा पहलु हर दिन गर्लफ्रेंड बदलता l

कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उस लड़के को एक ही परिवार की दो बहनों से प्यार हो जाता है l”

मैं – (उन्हें रोकता हुआ) दो लड़कियों लड़कियों से एक साथ सच्चा प्यार !!

सुभाष जी – यही तो ट्विस्ट है l उस लड़के को तो पता भी नहीं है की उसके जिंदगी में दो किरदार हैं l और इसी वजह से वो एक साथ दो लड़कियों से प्यार कर बैठता है l वो भी दोनों सगी बहनें l

उसके सच्चे प्यार की वजह से दोनों लड़कियां भी उसे अपना दिल दे बैठती हैं l पर कहानी के आखिर आखिर तक दोनों लड़कियां को इस सच्चाई का पता नहीं चल पाता है की दोनों एक ही इंसान के प्यार में हैं l

कहानी के क्लाइमेक्स में दोनों लड़कियों को उसके बाप का दुश्मन उठा ले जाता है l और जब वो दोनों को उस गुंडे से बचाता है तब जाके लड़कियों को उसकी असलियत का पता चलता है l और इसके साथ ही वो लड़का भी अपनी बिमारी के बारे में जान जाता है l अंत में सब ठीक होने पे दोनों लड़कियां उसके साथ रहने लगती हैं l और लड़का आखिर में कहता है “एक साथ दो को झेलने से भला तो मैं पागल ही रहता l”

मैं – सुभाष जी इस कहानी को आपने लिखा है क्या ?

सुभाष जी – हाँ l

मैं उठा और उनके गले लग गया l “मैं जैसी कहानी चाहता था बिलकुल वैसी ही कहानी है येl” मैंने कहा l

सुभाष जी – तो कहानी फाइनल न ?

मैं – बिलकुल फाइनल l अब चलिए मुझे भूख लगी है l सुबह से कुछ खाया नहीं है, सीधा यहीं आ गया मैं l

फिर मैं और सुभाष जी पास के ही एक रेस्तरां में आ गए l छोटे शहरों में तो ऐसी जगहें देखने को भी नहीं मिलती हैं l सुभाष जी शायद वहां अक्सर आते जाते रहते थें l वहां के मैनेजर हमें सुभाष जी की पसंदीदा टेबल तक ले गए l फिर हमने लंच आर्डर किया और आपस में बातें करने लग गएँ l

सुभाष जी – कैसे महसूस हो रहा है?

मैं – किस बात के लिए ?

सुभाष जी – तुमने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष के बाद जो मुकाम हासिल किया है उस बात के लिए कैसा फील कर रहे हो ?

मैं – संघर्ष वो करते हैं जिनकी कोई मंजिल होती है l मैं तो बिना किसी मंजिल के ही अपने कदम आगे बढाए जा रहा था l

सुभाष जी – मैं कुछ समझा नहीं l

मैं – मैं वहां किस लिए आया था, आपको पता है ?

सुभाष जी – ऑडिशन के लिए l

मैं – जी नहीं l मैं अपनी एक दोस्त की फाइल आप तक पहुंचाने आया था l गेट कीपर ने कहा की अन्दर आने के लिए ऑडिशन देना होगा सो मैंने दे दिया l अब ये तो मेरी किस्मत थी की बाकी किसी को एक्टिंग आती ही नहीं थी l

सुभाष जी – किसी भी काम का हुनर दो वजहों से किसी के अन्दर होता है l पहला या तो उसने जी जान से उस हुनर को सीखा हो या तो उसमे कुदरती भगवान् की देन हो l और जहाँ तक तुम्हारी बात है, तुमसे बेहतर एक्टर सच में पूरी मुंबई में नहीं होगा l वैसे किसकी फाइल ले के आये थे तुम ?

मैं – निशा जो कोलकाता की तःने वाली है l उनकी एक डॉक्यूमेंट्री देख के आपने कॉल किया था l

सुभाष जी – हाँ हाँ याद आया परसों रात को उनसे मेल पे बात हुयी थी l आप जैसे जानते हो उसे l

मैं – मैं अभी उन्ही के साथ रह रहा हूँ l

सुभाष जी – लिव इन रिलेशन में !

मैं – नहीं सर l अलग अलग कमरे में रहते हैं हम दोनों l (अब खाना आ चूका था)

सुभाष जी – (खाना शुरू करते हुए) मैं सच में निशा के काम से बहुत इम्प्रेस हूँ l और उसने तो काफी सारे अवार्ड्स भी जीते हैं l (ये बात मुझे नहीं पता थी)

मैं – इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर की जगह वो नहीं आ सकती है क्या ?

सुभाष जी – मैं बात करूँगा l उसकी जैसी काबिलियत है मुझे नहीं लगता की उसे इस पोजीशन पे आने में ज्यादा दिक्कत होगी l

मैं – ठीक है सर आप देख लेना l अगर कल की मीटिंग करवा दें आप तो बढ़िया होगा l

सुभाष जी – मैं कॉल कर के देखता हूँ l ( फिर उन्होंने फोन पे किसी से बात की और मीटिंग कन्फर्म कर लिया)

मैं – थैंक यू सर l

सुभाष जी – अरे थैंक यू मत कहो l अब आप यशराज बैनर के स्टार हो l इतना तो हम कर ही सकते हैं l यहाँ आज हम आपकी ज़रूरत को समझेंगे तभी तो कल आप हमारे लिए वक़्त निकाल सकेंगे l (मैं उनकी बातों का मतलब समझ चुका था)

खाना ख़त्म हुआ और फिर हम वापिस स्टूडियो पहुँच गएँ l

सुभाष जी – अरे हाँ याद आया आज हमारे पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है l मैं तुम्हे पता भेज दूंगा, आज आ जाना l वहां तुम्हे फिल्म के बाकी स्टार्स से भी मिलवा दूंगा l

मैं – ठीक है सर l वैसे मैं अपने दोस्तों को साथ ला सकता हूँ न ?

सुभाष जी – क्यों नहीं l वैसे कितने पास बनवा दूंगा ?

मैं – जी तीन पास बनवा दीजियेगा, मेरे अलावा l

सुभाष जी – ठीक है l

मैं वहां से निकला और अपने फ्लैट पे आ गया l लगभग दोपहर के तीन बजे थें और घर में सब लंच में व्यस्त थी l
 

mashish

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फिर क्या था, हम सब गाने की धुन पे नाच रहे थे l उछल उछल के हम सब ने रूम की हालत खराब कर दी l उस पूरी रात किसी ने मुझे सोने नहीं दिया l रात भर मुझे बीच में बिठा नॉन स्टॉप बातें करती रहीं l सुबह के साढ़े पांच बजे मुझे छोड़ सब अपने कमरे में गयी, तब जा के मैं सो पाया l नौ बजे ज्योति की आवाज़ से मेरी आँख खुली l

ज्योति – उठो ! स्टूडियो नहीं जाना है क्या ?

मैं – (अंगडाई लेते हुए) कम से कम नींद तो पूरी होने दे l

ज्योति – अरे मेरे सुपरस्टार l अब से कम सोने की आदत डाल लो l सोने का वक़्त गया l

मैंने घडी देखा तो टाइम हो चुका था, और आज मैं लेट नहीं होना चाहता था l सो मैं फ्रेश होने चला गया, नहा के कपडे बदलें (ऑनलाइन शौपिंग से जो कपडें खरीदे थे हमने वो कल आ गया था) l आज मैं एक नयी जिंदगी की शुरुआत करने जा रहा था l या दुसरे लब्जों में अपने आप को इस दुनिया में खोने जा रहा था l आज मुझे कहानी सुनाने को बुलाया गया था l मैंने टैक्सी की और पहुँच गया स्टूडियो l

आज वही गेट कीपर जो मुझे कल अन्दर आने से रोक रहा था, आज मुझे सलाम कर रहा था l मैं अन्दर पहुँच गया l सुभाष जी मेरा ही इंतज़ार कर रहे थें l मैं उनके साथ एक अलग कमरे में चला गया l

सुभाष जी – चाय कॉफ़ी कुछ लेंगे आप ?

मैं – जी नहीं l फिलहाल तो कहानी पे ही ध्यान दे दूँ l बाद में हम साथ में लंच कर लेंगे l

सुभाष जी – जैसी आपकी मर्ज़ी l

और उन्होंने कहानी सुनाना शुरू कर दिया l

“ये कहानी है एक लड़के की जिसके माँ-बाप का देहांत बचपन में ही हो गया था l बचपन से ही अपना ख्याल रखने की आदत थी उसे l इतनी दौलत थी उसके पास की उसकी खुद की जिंदगी तो आराम से गुज़र सकती थी l पर अगर कुछ कमी थी उसे तो बस प्यार की l बचपन में जब से एक्सीडेंट में उसके परिवार वाले चले गए थें तब से ही वो हर माँ बाप में खुद के माँ बाप को देखता l बिना प्यार की परवरिश से उसे एक मानसिक बिमारी हो जाती है “स्विच पर्सनालिटी डिसऑर्डर” l ये एक ऐसी बिमारी है जिसमे एक ही इंसान अपने जीवन में दो अलग अलग किरदार निभाता है l जिसका एक पहलु तो प्यार की तलाश में तडपता रहता है पर वहीँ दूसरा पहलु हर दिन गर्लफ्रेंड बदलता l

कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उस लड़के को एक ही परिवार की दो बहनों से प्यार हो जाता है l”

मैं – (उन्हें रोकता हुआ) दो लड़कियों लड़कियों से एक साथ सच्चा प्यार !!

सुभाष जी – यही तो ट्विस्ट है l उस लड़के को तो पता भी नहीं है की उसके जिंदगी में दो किरदार हैं l और इसी वजह से वो एक साथ दो लड़कियों से प्यार कर बैठता है l वो भी दोनों सगी बहनें l

उसके सच्चे प्यार की वजह से दोनों लड़कियां भी उसे अपना दिल दे बैठती हैं l पर कहानी के आखिर आखिर तक दोनों लड़कियां को इस सच्चाई का पता नहीं चल पाता है की दोनों एक ही इंसान के प्यार में हैं l

कहानी के क्लाइमेक्स में दोनों लड़कियों को उसके बाप का दुश्मन उठा ले जाता है l और जब वो दोनों को उस गुंडे से बचाता है तब जाके लड़कियों को उसकी असलियत का पता चलता है l और इसके साथ ही वो लड़का भी अपनी बिमारी के बारे में जान जाता है l अंत में सब ठीक होने पे दोनों लड़कियां उसके साथ रहने लगती हैं l और लड़का आखिर में कहता है “एक साथ दो को झेलने से भला तो मैं पागल ही रहता l”

मैं – सुभाष जी इस कहानी को आपने लिखा है क्या ?

सुभाष जी – हाँ l

मैं उठा और उनके गले लग गया l “मैं जैसी कहानी चाहता था बिलकुल वैसी ही कहानी है येl” मैंने कहा l

सुभाष जी – तो कहानी फाइनल न ?

मैं – बिलकुल फाइनल l अब चलिए मुझे भूख लगी है l सुबह से कुछ खाया नहीं है, सीधा यहीं आ गया मैं l

फिर मैं और सुभाष जी पास के ही एक रेस्तरां में आ गए l छोटे शहरों में तो ऐसी जगहें देखने को भी नहीं मिलती हैं l सुभाष जी शायद वहां अक्सर आते जाते रहते थें l वहां के मैनेजर हमें सुभाष जी की पसंदीदा टेबल तक ले गए l फिर हमने लंच आर्डर किया और आपस में बातें करने लग गएँ l

सुभाष जी – कैसे महसूस हो रहा है?

मैं – किस बात के लिए ?

सुभाष जी – तुमने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष के बाद जो मुकाम हासिल किया है उस बात के लिए कैसा फील कर रहे हो ?

मैं – संघर्ष वो करते हैं जिनकी कोई मंजिल होती है l मैं तो बिना किसी मंजिल के ही अपने कदम आगे बढाए जा रहा था l

सुभाष जी – मैं कुछ समझा नहीं l

मैं – मैं वहां किस लिए आया था, आपको पता है ?

सुभाष जी – ऑडिशन के लिए l

मैं – जी नहीं l मैं अपनी एक दोस्त की फाइल आप तक पहुंचाने आया था l गेट कीपर ने कहा की अन्दर आने के लिए ऑडिशन देना होगा सो मैंने दे दिया l अब ये तो मेरी किस्मत थी की बाकी किसी को एक्टिंग आती ही नहीं थी l

सुभाष जी – किसी भी काम का हुनर दो वजहों से किसी के अन्दर होता है l पहला या तो उसने जी जान से उस हुनर को सीखा हो या तो उसमे कुदरती भगवान् की देन हो l और जहाँ तक तुम्हारी बात है, तुमसे बेहतर एक्टर सच में पूरी मुंबई में नहीं होगा l वैसे किसकी फाइल ले के आये थे तुम ?

मैं – निशा जो कोलकाता की तःने वाली है l उनकी एक डॉक्यूमेंट्री देख के आपने कॉल किया था l

सुभाष जी – हाँ हाँ याद आया परसों रात को उनसे मेल पे बात हुयी थी l आप जैसे जानते हो उसे l

मैं – मैं अभी उन्ही के साथ रह रहा हूँ l

सुभाष जी – लिव इन रिलेशन में !

मैं – नहीं सर l अलग अलग कमरे में रहते हैं हम दोनों l (अब खाना आ चूका था)

सुभाष जी – (खाना शुरू करते हुए) मैं सच में निशा के काम से बहुत इम्प्रेस हूँ l और उसने तो काफी सारे अवार्ड्स भी जीते हैं l (ये बात मुझे नहीं पता थी)

मैं – इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर की जगह वो नहीं आ सकती है क्या ?

सुभाष जी – मैं बात करूँगा l उसकी जैसी काबिलियत है मुझे नहीं लगता की उसे इस पोजीशन पे आने में ज्यादा दिक्कत होगी l

मैं – ठीक है सर आप देख लेना l अगर कल की मीटिंग करवा दें आप तो बढ़िया होगा l

सुभाष जी – मैं कॉल कर के देखता हूँ l ( फिर उन्होंने फोन पे किसी से बात की और मीटिंग कन्फर्म कर लिया)

मैं – थैंक यू सर l

सुभाष जी – अरे थैंक यू मत कहो l अब आप यशराज बैनर के स्टार हो l इतना तो हम कर ही सकते हैं l यहाँ आज हम आपकी ज़रूरत को समझेंगे तभी तो कल आप हमारे लिए वक़्त निकाल सकेंगे l (मैं उनकी बातों का मतलब समझ चुका था)

खाना ख़त्म हुआ और फिर हम वापिस स्टूडियो पहुँच गएँ l

सुभाष जी – अरे हाँ याद आया आज हमारे पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है l मैं तुम्हे पता भेज दूंगा, आज आ जाना l वहां तुम्हे फिल्म के बाकी स्टार्स से भी मिलवा दूंगा l

मैं – ठीक है सर l वैसे मैं अपने दोस्तों को साथ ला सकता हूँ न ?

सुभाष जी – क्यों नहीं l वैसे कितने पास बनवा दूंगा ?

मैं – जी तीन पास बनवा दीजियेगा, मेरे अलावा l

सुभाष जी – ठीक है l

मैं वहां से निकला और अपने फ्लैट पे आ गया l लगभग दोपहर के तीन बजे थें और घर में सब लंच में व्यस्त थी l
lovely update
 

kartik

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Nice update bhai..
Teeno deviyo ko pata chale ga ke party hai to aur jada excited aur nachne lagegi..
 
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naqsh8521

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तृष्णा – आ गए एक्टर बाबू l

मैं – हाँ जी l वैसे मेरे पास एक खुशखबरी है आप सब के लिए l

मेरा कहना था की सब लंच छोड़ मुझे घेर के बैठ गयीं l

मैं – यार आप सब ऐसे मत देखो मुझे l मुझे घबराहट होने लगती है l

ज्योति – मेरे हुजुर , अब इसकी आदत डाल लो l अब से हर रोज़ सब तुम्हे ऐसे ही देखेंगे l

मैं – ठीक है देखो फिर l (निशा की ओर देखते हुए) निशा तुम अपनी तैयारी पूरी कर लो l तुम्हारी कल यशराज फिल्म्स में मीटिंग है l हो सकता है तुम्हे असिस्टेंट डायरेक्टर बनाया जाए मेरी फिल्म में l

निशा – सच में l (अपनी आँखें बड़ी करती हुयी)

मैं – हाँ यार l अभी तक झूट कहना अच्छी तरह सीखा नहीं है मैंने l

तृष्णा – और मेरे लिए क्या खुशखबरी है ?

मैं – आप सब को तैयार हो मेरे साथ पार्टी में चलना है l यशराज की पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है l रात आठ बजे वहां पहुँच जाना है l वहां जाओ सब से मिलो l हो सकता है तुम लोगों का काम भी बन जाए l

मेरा इतना कहना ही था की सब मेरे गले लग मेरे बालों की ऐसी तैसी करने लग गयीं l और जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया सबने l और तेज़ आवाज़ में गाने बजा मुझे पकड़ के डांस करने करने लग गयीं l (आज मुझे अपने घर की बहुत याद आ रही थी l अगर वो सब भी मेरे साथ होतें तो कितना अच्छा होता) l और फिर सब तैयार होने चली गयीं l वैसे भी मुझे पता था की इन सबको तैयार होने में कितना वक़्त लगने वाला है l इसीलिए मैं थोड़ी देर के लिए सोने चला गया l

तृष्णा की आवाज़ से मेरी नींद खुली l सात बजने वाला था l और अब तक सब मेक अप को फाइनल टच ही दे रही थीं l तृष्णा तैयार हो चुकी थी l

तृष्णा – अरे उठो भी l तुम्हे इतनी नींद कैसे आती है ? फिल्म मिल गयी है, सुपरस्टार बनने जा रहो और तो और आज पहली बार जिन्हें अब परदे पे देखा है उनसे मिलने जा रहे हो l मुझे तो सोच सोच के ही रोमांच आ रहा है l

मैं – मुझे मेरी नींद सबसे प्यारी है l बाकी सब जाए भांड में l (मैं भी नहा धो के कपडे पहन के तैयार हो गया )

ज्योति – हो गए तैयार !! बस दस मिनट में !

मैं – और नहीं तो क्या , अब तुम्हारा पूरा मेक अप किट खुद पे लगा लूँ क्या l

तृष्णा – अरे कुछ तो मेन्टेन करो l बैठो मैं तैयार करती हूँ l

मेरे चेहरे, हाथ और गले पे पता नहीं क्या क्या लगा रही थी l खैर अब मैं भी तैयार हो गया था l तभी ज्योति आयी और उसने अपना लेडीज परफ्यूम मुझपे स्प्रे कर दिया l

मैं – ये क्या किया तुमने ? लेडीज परफ्यूम क्यूँ स्प्रे किया तुमने?

ज्योति – ओह ! सॉरी यार , मैं तो तुम्हे तैयार करने में भूल ही गयी की ये लेडीज परफ्यूम है l

तभी सुभाष जी का कॉल आया l

सुभाष जी – मैंने पता भेज दिया है l और अब जल्दी आ जाओ l पार्टी शुरू हो चुकी है l

मैं – (गुस्से से ज्योति को देखते हुए) ठीक है सुभाष जी मैं आ रहा हूँ l और फ़ोन रख दियाl अब मैं फिर से नहाने भी नहीं जा सकता था l और नए कपड़ों में यही आखिरी था l सो मैं ज्यादा वक़्त ना लेते हुए सबसे चलने को कहा और बाहर आ गया l टैक्सी बुक कर के हम दिए हुए पते पर पहुँच गए l वर्ली में एक होटल में ये पार्टी दी गयी थी l हम सबने एक दुसरे का हाथ थामा और होटल के अन्दर आ गएँ l पार्टी में जाने वालों की लिफ्ट ही अलग थी l नीचे स्टाफ के पास एक लिस्ट थी l मैंने कहा “नक्श और मेरे साथ तीन गेस्ट की एंट्री भी होगी” l स्टाफ ने लिफ्ट में जाने को कहा l

अब हम सब अपने सपने को देखने से कुछ पलों की ही दुरी पर थें l मैं तो काफी हद तक नार्मल था पर बाकी तीनों को देख ऐसा लग रहा था मानो तीनो जोर जोर से चिल्लाने वाली हो l निशा और तृष्णा ने अब तक मेरे हाथ पकडे हुए थे और अब इतनी जोर से दबा रही थी हाथ की अब हल्का हल्का दर्द सा भी होने लगा था l खैर हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए थे l सामने एक बड़ा सा दरवाज़ा था l गाने की धुन और लोगों के चिल्लाने का शोर इतना था की दरवाज़े बंद होने के बावजूद भी मैं सुन सकता था l हम सबने एक गहरी सांस ली और दरवाज़े को धक्का दे अन्दर आ गए l पर यहाँ इतना धुँआ था की मैं बर्दास्त नहीं कर पाया और खांसते हुए बाहर आ गया l मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी की मैं दुबारा अन्दर जाने की कोशिश करता l मैं दीवार से टिक के आँखें बंद कर खडा हो गया l एक बेहद मीठी आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा l

किसी बेहतरीन कारीगर की तराशी हुयी संगमरमर की मूर्ति की तरह थी वो l आँखें गहरे भूरे रंग की और भरा पूरा संगमरमर सा बदन l

वो – पहली बार आये हो क्या ऐसी जगह ?

मैं – हाँ, पर लगता नहीं ज्यादा देर यहाँ टिक पाऊंगा l (फिर कोई दरवाज़े को खोल बाहर निकला और उसके साथ निकले धुएं से फिर से मैं खांसने लग गया)

वो – (मेरे कंधे पे हाथ रखते हुए) आप छत पे चलो l लगता है ये जगह आपको सूट नहीं करने वाली l

मैं – (उसके साथ छत पे जाते हुए) अब तो जो भी हो इसकी आदत तो डालनी ही होगी मुझेl अब खाली हाथ वापस जा भी नहीं सकता मैं l

वो – मतलब ?

मैं – माफ़ कीजियेगा मैं अपने बारे में बताना भूल गया l मेरा नाम नक्श है और कल ही यशराज फिल्म्स ने मुझे अपनी तीन फिल्मों के लिए साइन किया है l

वो – “तो हम बैठे थें जिनके इंतज़ार में, वो खुद ही हमारी बांहों में आ गिरे l”

मैं – मतलब ?

वो – मैं आपकी फिल्म की दो हिरोइन में से एक हूँ l और अपना हाथ बढाते हुए “मेरा नाम ज़न्नत खान”l (मैं उसके गले लगते हुए) “हाथ मिलाना दूसरों से मुझसे अब गले लगने की आदत डाल लो, मैं नहीं चाहता की हमारी फिल्म में हमारे बीच प्यार की कोई कमी दिखे l” जब मैं अलग होने लगा तो ज़न्नत ने मुझे खीच के फिर से गले लगा लिया l और मेरे कानों के पास आ के “अब तसल्ली तो होने दो, ऐसे कहाँ मुझे छोड़ के जा रहे हो l” हम दोनों गले लगे ही हुए थे की सुभाष जी वहाँ आ गए (साथ में एक लड़की भी थी) l

सुभाष जी – (हलके नशे में) तो आप ज़न्नत से मिल चुके हो l ये रहीं आपकी दूसरी हीरोइन “तृषा श्रीवास्तव” (मेरा दिल इस नाम के साथ ही ज़ोरों से धड़क उठा)l इस फिल्म में तुम्हे इन दोनों के साथ ऐसी केमिस्ट्री बनानी है की परदे पे आग लग जाए बस l (उसे वही छोड़ वो फिर से नीचे हॉल में चले गएँ)

तृषा – (मेरे पास आते हुए) आपकी परफ्यूम की पसंद बड़ी अच्छी है l

मैं – (मैं तो इस नाम को सुनने के साथ जैसे उससे जुड़ सा गया था l मेरे अन्दर का ज्वार जैसे फूटने को हो आया था, मुझे अब उसके चेहरे में अपनी तृषा दिख रही थी) मैंने उसे खींच के गले से लगा लिया l और कस के बांहों में भरते हुए मैंने कहा “कहाँ चली गयी थी मुझे छोड़ के l जाने से पहले एक बार भी मेरा ख्याल तक नहीं आया तुम्हे ?, कमसे कम एक बार तो सोच लिया होता तुमने की मैं तुम्हारे बिना जिंदा भी रह पाऊंगा या नहीं (इतना कहते कहते मेरी आँखें भर आयीं) l

तभी तालियों की आवाज़ से मैं नींद से जगा जैसे l ज़न्नत और कुछ लोग तालियाँ बजा रहे थें l “क्या फील के साथ एक्टिंग की है यार तुमने l” कहते हुए ज़न्नत ताली बजा रही थी l

मैंने तृषा को खुद से अलग किया l वो भी थोड़ी शौक्ड थी l ज़न्नत के फ़ोन पे एक कॉल आया और वो चली गयी l मैं अब तृषा से दूर जाना चाह रहा था l सो मैंने तृषा से काम का बहाना किया और होटल के बाहर आ गया l मेरा दिल बेचैन सा हो गया था सो मैंने एक टैक्सी बुलाई और रात को ही समंदर के किनारे पे आ गया l इन लहरों का शोर अब गूंज रहा था वादियों में l समंदर की तेज़ हवाएं मेरे अन्दर लगी इस आग को बुझाने की जगह और भड़का रही थी जैसे l मैं वही रेत पे घुटनों के बल गिर पड़ा l और जोर जोर से चिल्लाने लगा l इतने दिनों से मैं खुद को ही भूल बैठा था l आज जैसे हर वो याद मेरे आँखों के सामने घूम रही थी l थोड़ी देर बाद मैं किसी तरह खुद को काबू में करने की कोशिश करने लगा l तभी किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पे रख दिया l मैंने मुड़ के देखा तो तृषा श्रीवास्तव थी l

तृषा – कोई कितना भी बड़ा एक्टर क्यूँ न हो l उसका जिस्म तो एक्टिंग कर सकता है पर उसका दिल नहीं l तुम्हारी धड़कने मैंने महसूस की हैं, ये झूठ नहीं कह रही थी l क्या है तुम्हारा सच?

सूना था कभी की बांटने से दर्द हल्का होता होता हैl मैंने उससे कहा “कभी मैंने भी किसी को चाहा था पर इस दुनियां ने उसे मुझसे जुदा कर दिया, वो अब इस दुनियां में भी नहीं हैl”

तृषा – तुमने एक्टिंग को ही क्यूँ चुना l

मैं – अपने आप को भूल जाना चाहता था मैं l मुझे ये यादें बस दर्द देती हैं l

तृषा – इस दुनियां में जितना अपने दर्द में तड़पोगे उतनी ही तालियाँ तुम्हे मिलेंगी l ये फिल्मों की दुनियां ही ऐसी है “जो जितना बड़ा कलाकार यहाँ है उतने ही बड़े ग़मों को समेट रखा है उसने l”

मैं – क्या इस दर्द का कोई इलाज नहीं ?

तृषा – (मुस्कुराते हुए) है न l जैसे जैसे वक़्त बीतेंगे इस दर्द में भी मुस्कुराना सीख जाओगे तुम l (फिर वो मेरे पास आ के बैठ गयी और कहने लगी)
 

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तृष्णा – आ गए एक्टर बाबू l

मैं – हाँ जी l वैसे मेरे पास एक खुशखबरी है आप सब के लिए l

मेरा कहना था की सब लंच छोड़ मुझे घेर के बैठ गयीं l

मैं – यार आप सब ऐसे मत देखो मुझे l मुझे घबराहट होने लगती है l

ज्योति – मेरे हुजुर , अब इसकी आदत डाल लो l अब से हर रोज़ सब तुम्हे ऐसे ही देखेंगे l

मैं – ठीक है देखो फिर l (निशा की ओर देखते हुए) निशा तुम अपनी तैयारी पूरी कर लो l तुम्हारी कल यशराज फिल्म्स में मीटिंग है l हो सकता है तुम्हे असिस्टेंट डायरेक्टर बनाया जाए मेरी फिल्म में l

निशा – सच में l (अपनी आँखें बड़ी करती हुयी)

मैं – हाँ यार l अभी तक झूट कहना अच्छी तरह सीखा नहीं है मैंने l

तृष्णा – और मेरे लिए क्या खुशखबरी है ?

मैं – आप सब को तैयार हो मेरे साथ पार्टी में चलना है l यशराज की पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है l रात आठ बजे वहां पहुँच जाना है l वहां जाओ सब से मिलो l हो सकता है तुम लोगों का काम भी बन जाए l

मेरा इतना कहना ही था की सब मेरे गले लग मेरे बालों की ऐसी तैसी करने लग गयीं l और जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया सबने l और तेज़ आवाज़ में गाने बजा मुझे पकड़ के डांस करने करने लग गयीं l (आज मुझे अपने घर की बहुत याद आ रही थी l अगर वो सब भी मेरे साथ होतें तो कितना अच्छा होता) l और फिर सब तैयार होने चली गयीं l वैसे भी मुझे पता था की इन सबको तैयार होने में कितना वक़्त लगने वाला है l इसीलिए मैं थोड़ी देर के लिए सोने चला गया l

तृष्णा की आवाज़ से मेरी नींद खुली l सात बजने वाला था l और अब तक सब मेक अप को फाइनल टच ही दे रही थीं l तृष्णा तैयार हो चुकी थी l

तृष्णा – अरे उठो भी l तुम्हे इतनी नींद कैसे आती है ? फिल्म मिल गयी है, सुपरस्टार बनने जा रहो और तो और आज पहली बार जिन्हें अब परदे पे देखा है उनसे मिलने जा रहे हो l मुझे तो सोच सोच के ही रोमांच आ रहा है l

मैं – मुझे मेरी नींद सबसे प्यारी है l बाकी सब जाए भांड में l (मैं भी नहा धो के कपडे पहन के तैयार हो गया )

ज्योति – हो गए तैयार !! बस दस मिनट में !

मैं – और नहीं तो क्या , अब तुम्हारा पूरा मेक अप किट खुद पे लगा लूँ क्या l

तृष्णा – अरे कुछ तो मेन्टेन करो l बैठो मैं तैयार करती हूँ l

मेरे चेहरे, हाथ और गले पे पता नहीं क्या क्या लगा रही थी l खैर अब मैं भी तैयार हो गया था l तभी ज्योति आयी और उसने अपना लेडीज परफ्यूम मुझपे स्प्रे कर दिया l

मैं – ये क्या किया तुमने ? लेडीज परफ्यूम क्यूँ स्प्रे किया तुमने?

ज्योति – ओह ! सॉरी यार , मैं तो तुम्हे तैयार करने में भूल ही गयी की ये लेडीज परफ्यूम है l

तभी सुभाष जी का कॉल आया l

सुभाष जी – मैंने पता भेज दिया है l और अब जल्दी आ जाओ l पार्टी शुरू हो चुकी है l

मैं – (गुस्से से ज्योति को देखते हुए) ठीक है सुभाष जी मैं आ रहा हूँ l और फ़ोन रख दियाl अब मैं फिर से नहाने भी नहीं जा सकता था l और नए कपड़ों में यही आखिरी था l सो मैं ज्यादा वक़्त ना लेते हुए सबसे चलने को कहा और बाहर आ गया l टैक्सी बुक कर के हम दिए हुए पते पर पहुँच गए l वर्ली में एक होटल में ये पार्टी दी गयी थी l हम सबने एक दुसरे का हाथ थामा और होटल के अन्दर आ गएँ l पार्टी में जाने वालों की लिफ्ट ही अलग थी l नीचे स्टाफ के पास एक लिस्ट थी l मैंने कहा “नक्श और मेरे साथ तीन गेस्ट की एंट्री भी होगी” l स्टाफ ने लिफ्ट में जाने को कहा l

अब हम सब अपने सपने को देखने से कुछ पलों की ही दुरी पर थें l मैं तो काफी हद तक नार्मल था पर बाकी तीनों को देख ऐसा लग रहा था मानो तीनो जोर जोर से चिल्लाने वाली हो l निशा और तृष्णा ने अब तक मेरे हाथ पकडे हुए थे और अब इतनी जोर से दबा रही थी हाथ की अब हल्का हल्का दर्द सा भी होने लगा था l खैर हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए थे l सामने एक बड़ा सा दरवाज़ा था l गाने की धुन और लोगों के चिल्लाने का शोर इतना था की दरवाज़े बंद होने के बावजूद भी मैं सुन सकता था l हम सबने एक गहरी सांस ली और दरवाज़े को धक्का दे अन्दर आ गए l पर यहाँ इतना धुँआ था की मैं बर्दास्त नहीं कर पाया और खांसते हुए बाहर आ गया l मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी की मैं दुबारा अन्दर जाने की कोशिश करता l मैं दीवार से टिक के आँखें बंद कर खडा हो गया l एक बेहद मीठी आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा l

किसी बेहतरीन कारीगर की तराशी हुयी संगमरमर की मूर्ति की तरह थी वो l आँखें गहरे भूरे रंग की और भरा पूरा संगमरमर सा बदन l

वो – पहली बार आये हो क्या ऐसी जगह ?

मैं – हाँ, पर लगता नहीं ज्यादा देर यहाँ टिक पाऊंगा l (फिर कोई दरवाज़े को खोल बाहर निकला और उसके साथ निकले धुएं से फिर से मैं खांसने लग गया)

वो – (मेरे कंधे पे हाथ रखते हुए) आप छत पे चलो l लगता है ये जगह आपको सूट नहीं करने वाली l

मैं – (उसके साथ छत पे जाते हुए) अब तो जो भी हो इसकी आदत तो डालनी ही होगी मुझेl अब खाली हाथ वापस जा भी नहीं सकता मैं l

वो – मतलब ?

मैं – माफ़ कीजियेगा मैं अपने बारे में बताना भूल गया l मेरा नाम नक्श है और कल ही यशराज फिल्म्स ने मुझे अपनी तीन फिल्मों के लिए साइन किया है l

वो – “तो हम बैठे थें जिनके इंतज़ार में, वो खुद ही हमारी बांहों में आ गिरे l”

मैं – मतलब ?

वो – मैं आपकी फिल्म की दो हिरोइन में से एक हूँ l और अपना हाथ बढाते हुए “मेरा नाम ज़न्नत खान”l (मैं उसके गले लगते हुए) “हाथ मिलाना दूसरों से मुझसे अब गले लगने की आदत डाल लो, मैं नहीं चाहता की हमारी फिल्म में हमारे बीच प्यार की कोई कमी दिखे l” जब मैं अलग होने लगा तो ज़न्नत ने मुझे खीच के फिर से गले लगा लिया l और मेरे कानों के पास आ के “अब तसल्ली तो होने दो, ऐसे कहाँ मुझे छोड़ के जा रहे हो l” हम दोनों गले लगे ही हुए थे की सुभाष जी वहाँ आ गए (साथ में एक लड़की भी थी) l

सुभाष जी – (हलके नशे में) तो आप ज़न्नत से मिल चुके हो l ये रहीं आपकी दूसरी हीरोइन “तृषा श्रीवास्तव” (मेरा दिल इस नाम के साथ ही ज़ोरों से धड़क उठा)l इस फिल्म में तुम्हे इन दोनों के साथ ऐसी केमिस्ट्री बनानी है की परदे पे आग लग जाए बस l (उसे वही छोड़ वो फिर से नीचे हॉल में चले गएँ)

तृषा – (मेरे पास आते हुए) आपकी परफ्यूम की पसंद बड़ी अच्छी है l

मैं – (मैं तो इस नाम को सुनने के साथ जैसे उससे जुड़ सा गया था l मेरे अन्दर का ज्वार जैसे फूटने को हो आया था, मुझे अब उसके चेहरे में अपनी तृषा दिख रही थी) मैंने उसे खींच के गले से लगा लिया l और कस के बांहों में भरते हुए मैंने कहा “कहाँ चली गयी थी मुझे छोड़ के l जाने से पहले एक बार भी मेरा ख्याल तक नहीं आया तुम्हे ?, कमसे कम एक बार तो सोच लिया होता तुमने की मैं तुम्हारे बिना जिंदा भी रह पाऊंगा या नहीं (इतना कहते कहते मेरी आँखें भर आयीं) l

तभी तालियों की आवाज़ से मैं नींद से जगा जैसे l ज़न्नत और कुछ लोग तालियाँ बजा रहे थें l “क्या फील के साथ एक्टिंग की है यार तुमने l” कहते हुए ज़न्नत ताली बजा रही थी l

मैंने तृषा को खुद से अलग किया l वो भी थोड़ी शौक्ड थी l ज़न्नत के फ़ोन पे एक कॉल आया और वो चली गयी l मैं अब तृषा से दूर जाना चाह रहा था l सो मैंने तृषा से काम का बहाना किया और होटल के बाहर आ गया l मेरा दिल बेचैन सा हो गया था सो मैंने एक टैक्सी बुलाई और रात को ही समंदर के किनारे पे आ गया l इन लहरों का शोर अब गूंज रहा था वादियों में l समंदर की तेज़ हवाएं मेरे अन्दर लगी इस आग को बुझाने की जगह और भड़का रही थी जैसे l मैं वही रेत पे घुटनों के बल गिर पड़ा l और जोर जोर से चिल्लाने लगा l इतने दिनों से मैं खुद को ही भूल बैठा था l आज जैसे हर वो याद मेरे आँखों के सामने घूम रही थी l थोड़ी देर बाद मैं किसी तरह खुद को काबू में करने की कोशिश करने लगा l तभी किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पे रख दिया l मैंने मुड़ के देखा तो तृषा श्रीवास्तव थी l

तृषा – कोई कितना भी बड़ा एक्टर क्यूँ न हो l उसका जिस्म तो एक्टिंग कर सकता है पर उसका दिल नहीं l तुम्हारी धड़कने मैंने महसूस की हैं, ये झूठ नहीं कह रही थी l क्या है तुम्हारा सच?

सूना था कभी की बांटने से दर्द हल्का होता होता हैl मैंने उससे कहा “कभी मैंने भी किसी को चाहा था पर इस दुनियां ने उसे मुझसे जुदा कर दिया, वो अब इस दुनियां में भी नहीं हैl”

तृषा – तुमने एक्टिंग को ही क्यूँ चुना l

मैं – अपने आप को भूल जाना चाहता था मैं l मुझे ये यादें बस दर्द देती हैं l

तृषा – इस दुनियां में जितना अपने दर्द में तड़पोगे उतनी ही तालियाँ तुम्हे मिलेंगी l ये फिल्मों की दुनियां ही ऐसी है “जो जितना बड़ा कलाकार यहाँ है उतने ही बड़े ग़मों को समेट रखा है उसने l”

मैं – क्या इस दर्द का कोई इलाज नहीं ?

तृषा – (मुस्कुराते हुए) है न l जैसे जैसे वक़्त बीतेंगे इस दर्द में भी मुस्कुराना सीख जाओगे तुम l (फिर वो मेरे पास आ के बैठ गयी और कहने लगी)
superb update
 
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