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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Badhiya update

Jis tarah se aslam bol raha ha kita excited ha island per jane ke liye ye lara bhi mout ke muh me chala gaya suyesh ne kitni rokne ki koshish ki lekin lara nahi ruka or aslam bhi uska sath deta gaya lekin khud nahi gaya uske sath shayd wo dekhna chahta ho ki kya wo island per pahunch oate ha ya nahi lekin lara bhi mara gaya island tak pahunch nahi pa rahe han ye log kya hoga inka kahin jaa nahi sakte or ye island aane nahi de raha
Yahi to lafda hai hai bhai, island 🏝 pe jana, maut se do do hath karna barabar hai:declare:Ab marna kon chahega? Ye sara locha aslam ne hi kiya lagta hai, khair dekhna ye hai ki aage kya hota hai? Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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# 19 .
“हम लोग सूर्यवंशी राजपूत हैं। इस लिए सूर्य हमारे आराध्य देव हैं। मेरे दादा जी भारत में रहते थे। यह निशान उनके हाथ पर बना था। जो मुझे बहुत अच्छा लगता था। एक बार जब दादा जी अमेरिका आये थे, तो मैंने उनका यह निशान कॉपी करके, एक टैटू वाले से अपनी पीठ पर बनवा लिया था।“

सुयश शायद अपने दादा जी को याद कर, कुछ देर के लिए वर्तमान परिस्थिति को एक क्षण के लिए भूल गया था। पर जैसे ही उसे रोजर की याद आयी वो फिर दुखों से भर गया। तभी सुयश की नजर सामने लगी घड़ी पर गयी। इस समय सुबह का 10:00 बज रहा था।

पूरी रात परेशानियों के बीच बीती थी। वैसे तो आज न्यू ईयर का पहला दिन था। फिर भी किसी के चेहरे पर खुशी नहीं थी। सुयश को बहुत थकान लग रही थी, मानसिक भी और शारीरिक भी। अब वह धीरे-धीरे अपने केबिन की ओर बढ़ गया।
उसके जाते ही बाकी लोग भी अपने केबिन की ओर बढ़ गये।

2 जनवरी 2002, बुधवार, 01:30;

शिप को चलते हुए पूरा दिन बीत चुका था, पर किसी भी तरह की अभी कोई मुसीबत नहीं आई थी। शिप में यात्रा कर रहे यात्रियों के बीच, अजीब सी अफवाहों का बाजार गर्म था।

सभी यात्री अलग-अलग तरह की अटकलें लगा रहे थे। किसी को भी शिप की वास्तविक स्थिति के बारे में नहीं पता था। पर शिप में यदि कोई सबसे ज्यादा परेशान था, तो वह था सुयश।

रात का लगभग 1:30 बज रहा था। परंतु उसकी आंखों में नींद का नामो निशान नहीं था। वह शिप पर लगातार हो रही, विचित्र घटनाओं में उलझा हुआ था- पहले शिप पर अपराधी के बारे में पता चलना, न्यू ईयर की रात लॉरेन का संदिग्ध परिस्थितियों में मर्डर हो जाना, शिप का बारामूडा त्रिकोण जैसे खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश करना, शिप के ऊपर से नीली रोशनी बिखेरते रहस्यमय यान का निकलना, सभी इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों सहित कम्पास का खराब हो जाना, शिप का भंवर में फंस जाना और रोजर का हेलीकॉप्टर दुर्घटना ग्रस्त हो जाना।

यह सभी घटनाएं एक-एक करके सुयश के दिमाग में घूम रही थीं। लेकिन इन सब विचारों से बड़ा, एक विचार सुयश के दिमाग में और घूम रहा था और वह यह था कि क्या शिप सभी खतरों से बचकर, वापस अपनी सभ्यता में पहुंच पाएगा?

अभी वह इन सभी बातों में उलझा ही था, कि एकाएक फोन की घंटी, किसी हॉरर फिल्म के म्यूजिक की तरह से बज उठी।

“ट्रिंग.....ट्रिंग....ट्रिंग...“ सुयश की नजरें तुरंत सामने लगी घड़ी की ओर गईं। इस समय रात का 1:50 हुए थे।

“इतने समय किसका फोन हो सकता है?“ यह विचार दिमाग में आते ही, सुयश एक झटके से बेड से उतरकर, फोन उठा लिया।

“हैलो कैप्टन!“ उधर से ब्रैंडन की आवाज सुनाई दी- “क्या आप कुछ देर के लिए शैफाली के रूम में आ सकते हैं?“

“क्या हुआ?“ सुयश ने घबरा कर कहा- “कोई परेशानी है क्या ?“

“कुछ खास नहीं कैप्टेन!“ ब्रैंडन ने शान्त आवाज में कहा- “पर मिस्टर माइकल आपको कुछ दिखाना चाहते हैं। आप आ जाइये। आपके आने पर, सब पता चल जायेगा।“

यह कहकर ब्रैंडन ने फोन काट दिया। ब्रैंडन ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था, जिससे कोई परेशानी होती पर ना जाने क्यों सुयश को ऐसा लग रहा था, कि कुछ गड़बड़ जरुर है। सुयश तुरंत स्लीपिंग सूट में ही, पैरों में स्लीपर डालकर तेजी से शैफाली के रूम की ओर भागा।

लेकिन उसका मन किसी अंजानी आशंका के कारण तेजी से धड़क रहा था। कई गैलरियों को पार करते हुए सुयश कुछ ही देर में शैफाली के रुम के पास पहुंच गया। शैफाली के रूम के दरवाजा खुला हुआ था। सुयश ने तेजी से अंदर प्रवेश किया। अंदर माइकल, मारथा, अलबर्ट, ब्रैंडन व लारा एक तरफ रखे सोफे पर बैठे दिखाई दिये। ब्रूनो उनके पास शांत भाव से जमीन पर बैठा था। सुयश को अंदर आते देख सभी उठकर खड़े होने लगे, पर सुयश ने सबको बैठे रहने का इशारा किया। सुयश भी एक खाली पड़े सोफे पर बैठ गया।

“क्या बात है ब्रैंडन?“ सुयश ने ब्रैंडन को देखते हुए कहा- “इतनी रात को आप सब यहां क्या कर रहे हैं?“

“कैप्टेन हमें भी मिस्टर माइकल ने 555 पर फोन करके बुलाया है।“ ब्रैंडन ने माइकल की तरफ इशारा करते हुए कहा-
“पर अभी हमें भी इन्होंने कुछ नहीं बताया है। हमारे आने पर इन्होंने आपको बुलाने के लिए कहा। शायद यह आपके सामने ही कुछ बताना चाहते हैं।“

यह सुन अब सुयश की निगाहें माइकल पर गयीं। माइकल जो अब तक खामोश बैठा था, सुयश को अपनी तरफ देखते हुए देख बोल उठा-

“कैप्टेन! थोड़ी देर पहले, मैं और मारथा इसी रुम में बैठकर आपस में बातें कर रहे थे। शैफाली दूसरे रुम में सो रही थी। तभी हमें शैफाली के रुम से किसी खटके की आवाज आयी। मैं और मारथा लगभग भागते हुए शैफाली के रुम में पहुंचे। वहां पहुंचकर हमने देखा, कि शैफाली के रुम के खिड़की, हवा के चलने की वजह से हिल रही थी। हमें लगा, कि शायद इसी की आवाज हमें आयी होगी। मैंने खिड़की को बंदकर एक नजर शैफाली पर डाली। तभी मुझे शैफाली के सिर के पास तकिये पर रखी, चमकती हुई कोई चीज दिखाई दी। मैंने आगे बढ़कर उस चीज को उठा लिया। वह चीज सोने का एक प्राचीन सिक्का थी।“

“सोने का प्राचीन सिक्का !“ सुयश के मुंह से आश्चर्य भरे स्वर निकले। ब्रैंडन व लारा भी आश्चर्य से माइकल को देख रहे थे।

“जी हाँ ! सोने का प्राचीन सिक्का।“ कहते हुए माइकल ने जेब से, एक सोने का सिक्का निकालकर टेबल पर रख दिया।

सुयश ने उस सिक्के को हाथ में उठा लिया। वह सिक्का शुद्ध सोने का बना था। उस सिक्के के एक साइड में 6 घोड़े, एक रथ को खींच रहे थे। रथ का पिछले हिस्से में एक योद्वा लड़की सवार थी। जिसके हाथ में त्रिशूल था। लड़की के बाल हवा में लहरा रहे थे। सिक्के के दूसरी साइड पर एक खूबसूरत सी डॉल्फिन मछली बनी थी और उस मछली के नीचे, किसी ना समझ में आने वाली भाषा में कुछ लिखा था। जब सुयश ने उस सिक्के को पूरी तरह से देख लिया, तो उसे लारा की तरफ बढ़ा दिया। अब लारा व ब्रैंडन उस सिक्के को देखने लगे।

“तकिये से सिक्का उठाने के बाद मैंने अलबर्ट सर को फोन किया।“ माइकल ने पुनः बोलते हुए कहा- “अलबर्ट सर ने सिक्का देखने के बाद आपको बुलाने के लिए कहा।“
इतना कहने के बाद माइकल ने अपनी बात समाप्त कर दी।

“क्या आपने किसी को भी शैफाली के कमरे में आते-जाते देखा ?“ सुयश ने माइकल को सम्बोधित करते हुए कहा- “या फिर आपकी अनुपस्थिति में कोई आया हो ?“

“नहीं !“ माइकल ने नकारात्मक अंदाज में सिर हिलाते हुए कहा- “कल की घटना के बाद से हम डरे हुए थे। इसलिए ना तो हम कहीं गये थे और ना ही कल से यहां कोई आया था। हमने तो खाना भी रुम में ही मंगा लिया था। वैसे भी कैप्टेन, ब्रूनो के रहते किसी का हमारे कमरे में चोरी-छिपे आना तो पॉसिबल भी नहीं है।“

सुयश की नजर ब्रूनो पर पड़ी। सुयश का चेहरा अपनी तरफ देख, ब्रूनो ने भी फॉर्मेलिटी के अंदाज में पूंछ को 2 बार दांये-बांये कर दिया। अब सुयश अलबर्ट की तरफ मुड़कर बोला-

“प्रोफेसर! आपका क्या कहना है, इस सिक्के के बारे में? क्या आप बता सकते हैं कि यह सिक्का किस देश का है?“

“कैप्टेन! जब मैंने सिक्का देखा तो मुझे भी समझ में नहीं आया, कि इस पर लिखा क्या है?“ अलबर्ट ने सुयश की ओर देखते हुए कहा-

“लेकिन मैं इतना जानता हूं कि ये किसी प्राचीन काल की सभ्यता का सिक्का है। और आज के समय में इसकी कीमत बहुत ज्यादा हो सकती है। इसीलिए ये सिक्का देखने के बाद मैंने माइकल से आपको बुलाने के लिए कहा।“

“प्राचीन काल का सिक्का !“ ब्रैंडन के मुंह से आश्चर्य भरे स्वर में निकला-
“पर ये इतना पुराना सिक्का यहां पर आया कैसे?“

“इस अटलांटिक महासागर में हम लोगों के साथ, जो भी हो जाए वो कम ही है।“ सुयश ने कुछ सोचते हुए गम्भीर शब्दों में कहा।

“अटलांटिक महासागर!“ अचानक अलबर्ट आश्चर्य से भर उठा- “एक मिनट के लिए जरा मुझे वो सिक्का दोबारा दिखाइये।“

सुयश ने टेबल पर रखा सिक्का अलबर्ट की ओर बढ़ा दिया। सभी अब अलबर्ट की ओर देख रहे थे। अलबर्ट ध्यान से सिक्के के दोनों साइड देखता रहा और कुछ देर के बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ी-

“कैप्टेन मुझे यह सिक्का ‘अटलांटिस‘ सभ्यता का लग रहा है।“

“अटलांटिस!“ माइकल को छोड़कर सभी के मुंह से आश्चर्य भरे स्वर निकले। “आप यह बात कैसे कह सकते हैं?“ सुयश ने अलबर्ट की ओर देखते हुए पूछा- “कि ये सिक्का ‘अटलांटिस‘ का है।“

“कैप्टेन जब आपने अटलांटिक महासागर बोला तो अचानक से मुझे अपने ऑफिस की लाइब्रेरी में रखी एक किताब याद आ गयी। जिसका नाम ‘अटलांटिस- एक रहस्यमयी संसार‘ था। वह किताब सन् 1882 में ‘इग्नाटस डोनैली‘ ने लिखी थी, जिन्हें अमेरिकी सरकार ने ‘अटलांटिस‘ पर शोध करने के लिए रखा था। उन्हीं के द्वारा ‘अटलांटोलॉजी‘ नामक विषय की शुरुआत हुई। उसी किताब के कवर पेज पर, कुछ इसी तरह से समुद्र के देवता ‘पोसाइडन‘ की तस्वीर बनी थी।“

“एक मिनट रुकिये अलबर्ट सर।“ माइकल ने अलबर्ट को बीच में ही टोकते हुए कहा- “ये अटलांटिस क्या है? मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता। इसलिए मुझे आप लोगों की बातें समझ नहीं आ रहीं हैं।“

“अटलाटिस एक प्राचीन द्वीप की कहानी है।“ अलबर्ट ने माइकल को बताते हुए कहा- “जिसका जिक्र ग्रीक दार्शनिक ‘प्लेटो ‘ ने आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व किया था। कहते हैं कि अटलांटिस का विज्ञान आज से भी ज्यादा उन्नत था। उनकी धरती पर एलियंस का भी आना जाना था। पर वह द्वीप, एक दिन एक विशालकाय ज्वालामुखी के फटने की वजह से समुद्र में डूब गया। तबसे वैज्ञानिक आज भी उस दुनिया की खोज कर रहें हैं।“

“ओहऽऽऽ!“ माइकल ने एक लम्बी साँस भरी।





जारी रहेगा…....✍️
WOW ATLANTICS coin kya bat hai lekin Shefali ke pass wo bhi tab jab wo soo rhii thi ajeeb bat hai ye
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Lagta hai Barmuda Triangle ka Asli Romanch to ab shuru ho raha hai
Behtreen update Raj_sharma bhai
 

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क्या मैं जिस ट्रेजर की बात कर रहा था शिप पर, वो कहीं शेफाली ही तो नहीं है??

बढ़िया अपडेट Raj_sharma भाई
Mujhe bhi esa lagta hai ab to bhai
 

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# 20 .
“पर इस सिक्के पर तो एक लड़की योद्धा का चित्र बना है।“ लारा ने अलबर्ट से सवाल किया- “आप तो किताब के कवर पेज पर देवता पोसाइडन की फोटो की बात कर रहे थे।“

“हां ! थोड़ी सी चीजें अलग जरुर हैं, पर उस किताब के कवर पेज से बहुत ज्यादा चीजें मैच हो रहीं हैं।“ अलबर्ट ने कहा-

“जैसे 6 घोड़े का रथ, त्रिशूल और डॉल्फिन की फोटो। पर मैं अब 100 प्रतिशत श्योर हूं कि यह सिक्का अटलांटिस का ही है।“

तभी सुयश ने इधर-उधर नजर मारते हुए माइकल से पूछा-
“शैफाली कहां है? कहीं दिखा ई नहीं दे रही है?“

“वह अभी भी सो रही है।“ माइकल ने जवाब दिया- “देर रात हो जाने के कारण, हमने उसे उठाया नहीं था।“

“क्या हम शैफाली के सोने की जगह देख सकते हैं? ब्रैंडन ने माइकल से पूछा- “शायद हमें वहां कोई सुराग मिल जाये? जिससे इस सिक्के के बारे में कुछ पता चल सके।“ सुयश को भी ब्रैंडन की बात सही लगी।

“हां -हां ! क्यों नहीं ?“ माइकल बोलते हुए खड़ा हो गया।

माइकल सहित सभी अब शैफाली के रुम में आ गये। ब्रूनो भी सबके पीछे-पीछे रुम में आ गया। शैफाली गहरी नींद में थी। माइकल ने धीरे से सभी को खाली पड़े, दूसरे तकिये की ओर इशारा किया। सुयश समझ गया कि इसी तकिये पर सिक्का मिला था। सभी की नजरें अब रुम में चारो तरफ, किसी सुराग की तलाश में घूम रही थीं। पर रुम में उन्हें कोई ऐसी चीज नजर नहीं आयी, जिसका सिक्के से कोई ताल्लुक हो। तभी सुयश की नजर शैफाली पर पड़ी जो कि अब बेचैनी से सोते हुए करवट बदल रही थी।

“लगता है ये फिर से सपने देख रही है।“ मारथा ने बेचैन स्वर में माइकल की ओर देखते हुए कहा।

“सपने!“ सुयश के स्वर में आश्चर्य के भाव थे- “पर शैफाली तो बचपन से अंधी है ना। फिर उसे सपने कैसे आ सकते हैं?“

“शैफाली को सपने आते हैं कैप्टेन।“ माइकल ने कहा- “जब ये छोटी थी, तब भी सोते-सोते घबरा जाती थी। फिर 4 साल की उम्र से इसने अपने सपनों के बारे में हमें बताना शुरु कर दिया था। अब सपने इसको कैसे आते हैं? इसके बारे में तो हममें से कोई भी नहीं जानता। एक बात है यह सपने में ऐसी चीजें देखती है, जिसके बारे में इसने पहले कभी ना सुना हो।“

तभी शैफाली ने जोर से अपनी मुठ्ठी बंद कर ली। उसके चेहरे पर पसीने की बूंदें चमचमाने लगीं । अब वह जोर से कसमसा रही थी। मारथा से यह देख रहा ना गया। उसने शैफाली को जोर-जोर से हिलाना शुरु कर दिया-

“शैफाली..... शैफाली....।“ पर शैफाली अभी भी गहरी नींद में थी। सभी ध्यान से शैफाली की ओर देख रहे थे। मारथा के जोर-जोर से हिलाने के कारण अब शैफाली जाग गयी। “

मॉम....मॉम....!“ शैफाली ने जागते ही जोर से मारथा को पकड़ लिया।

“शांत हो जाओ!..... शांत हो जाओ शैफाली। मम्मा यहीं पर है।“ मारथा ने शैफाली के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- “तुम सिर्फ सपना देख रही थी।“ शैफाली अब धीरे-धीरे नार्मल हो रही थी। तभी उसने वातावरण में कुछ सूंघने की कोशिश की।

“कैप्टेन अंकल आप!“ शैफाली के शब्दों में आश्चर्य नजर आया- “आप इस समय हमारे रुम में क्या कर रहे हैं? और आपके साथ 2 लोग और भी हैं। कोई परेशानी हुई है क्या ?“

“नहीं बेटा ! कुछ खास बात नहीं है।“ सुयश ने शैफाली को तारीफ भरी नजरों से देखते हुए कहा- “हम लोग वैसे ही बस आपके पापा से मिलने आये थे।“

“और आप ग्रैण्ड अंकल?“ शैफाली ने सूंघते हुए अलबर्ट की ओर चेहरा घुमाया- “आप भी शायद पापा से मिलने ही आये होंगे।“

“हां बेटा !“ अलबर्ट ने भी झूठ बोलते हुए कहा- “रात में नींद नहीं आ रही थी। इसलिए मैं भी घूमता हुआ इधर आ गया। हमारी छोड़ो ! तुम बताओ, क्या तुम्हें फिर से सपने आये थे?“ अलबर्ट ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा।

“सपने!“ शैफाली ने अचानक दिमाग पर जोर डालते हुए कहा- “हां ग्रैंड अंकल। मैं फिर से सपना देख रही थी। मैने सपने में एक खूबसूरत हरा-भरा त्रिभुज की आकृति वाला द्वीप देखा, जिसके चारो तरफ धुंध फैली हुई थी। क्राऊन पहने एक अजीब सी मानव आकृति लिए हुए पहाड़ी, पत्थरों पर बनी विचित्र सी आकृतियां, एक सुंदर झील, .........।“

कहते-कहते शैफाली एक क्षण के लिए रुकी, मानों वह सपने को पूरी तरह से याद कर रही हो।

उधर सुयश, ब्रैंडन और लारा के चेहरे पर शैफाली की बातें सुनकर पसीना छलक आया था, क्यों कि शैफाली ठीक उसी द्वीप के बारे में बता रही थी। जिसको आज सुबह ही रोजर ने देखा था। तभी अचानक उसके पास बैठा ब्रूनो, अपने कान खड़े करके उठ कर बैठ गया। उसकी नजरें अब अपने सपनों के बारे में बता रही शैफाली पर थी। एका एक वह धीरे से उठा और कूं-कूं करते हुए शैफाली से दूर हट गया। पर उसकी सहमी-सहमी सी निगाहें अभी भी शैफाली पर थीं।

चूंकि शैफाली का ध्यान अपने सपनों पर और बाकी सभी का ध्यान शैफाली पर था। इसलिए किसी ने ब्रूनो की हरकतों पर ध्यान नहीं दिया। मगर ब्रैडन की निगाह से यह घटना बच नहीं सकी । ब्रैंडन को ब्रूनो की यह हरकत बड़ी अजीब सी लगी। अब वह कभी शैफाली की ओर देखता तो कभी डरे सहमे ब्रूनो की ओर। उधर शैफाली लगातार बोले जा रही थी-

“मैंने देखा एक सुनहरा मानव, जो हमें किसी दिशा में जाने के लिए इशारा कर रहा था और एक बड़ी पूंछ वाला पहाड़ी तोता .......और एक आवाज......।“ कहते-कहते शैफाली एका एक रुक सी गई।

“कैसी आवाज?“ सुयश ने शैफाली से पूछा।

“ऐसा लग रहा था, जैसे कोई कह रहा हो ‘वेलकम टू अटलांटिस‘।“ शैफाली ने कहा। अटलांटिस शब्द सुनते ही अब सभी का दिमाग सांय-सांय करने लगा।

“और.... और.... क्या देखा तुमने?“ सुयश ने जोर देते हुए कहा।

“और......।“ कहते-कहते एका एक शैफाली ने अपना सिर पकड़ लिया।

“क्या बात है बेटा ? क्या हुआ?“ मारथा ने शैफाली को झकझोरते हुए कहा।

“पता नहीं क्यों ? अचानक मेरा सिर बहुत तेजी से दर्द हो ने लगा है। और बहुत भारी-भारी सा महसूस होने लगा है।“

“कोई बात नहीं बेटा। अब तुम सोचना बंद करो और वापस बेड पर आराम कर लो। मम्मा अब आपके पास हैं इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है।“

माइकल ने अपनी उंगलियों से शैफाली के बालों में कंघी करते हुए कहा। उधर जैसे ही शैफाली ने सपनों के बारे में सोचना बंद किया, ब्रूनो जो कि दूर बैठा हुआ था, धीरे धीरे चलता हुआ शैफाली के पास आ गया। शैफाली वापस बेड पर लेट गयी।

माइकल यह देखकर धीरे से बेड से उठा और रुम से निकलते हुए सबको बाहर आने का इशारा किया। मारथा को शैफाली के पास छोड़, सभी लोग बाहर के रुम में आ गये। सभी सोफे पर बैठ गये, पर किसी के मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहा था। अजीब सा सस्पेंस भरा सन्नाटा छाया था। लंबे खिंच रहे सन्नाटे को तोड़ा ब्रैंडन की आवाज ने-

“कैप्टेन! मुझे लग रहा है, कि शैफाली एक नॉर्मल बच्ची नहीं है। इसके पास कुछ ना कुछ पॉवर जरुर है। शायद भविष्य देखने की पॉवर या फिर कुछ अलग.... जो हम समझ नहीं पा रहे हैं।“

“कह तो तुम ठीक रहे हो ब्रैंडन।“ सुयश ने भी ब्रैंडन की हां में हां मिलायी- “पर सवाल अभी शैफाली की पावर्स के बारे में बात करने का नहीं है। सवाल यह है कि वह रहस्यमयी द्वीप क्या है? जिसने रोजर की जान ले ली और यह अटलांटिस का सिक्का यहां कहां से आया ?“

“क्या मिस्टर रोजर अब नहीं रहे?“ अलबर्ट ने आश्चर्य से पूछा।

“जी हां प्रोफेसर! कल रोजर का हेलीकॉप्टर एक ऐसे ही रहस्यमयी द्वीप के पास दुर्घटना ग्रस्त हो गया जिसमें रोजर की मौत हो गयी।“ सुयश ने अलबर्ट से कहा।

“ओह! भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।“ अलबर्ट ने दुख प्रकट किया।

“जरुर उस द्वीप पर कुछ ना कुछ खतरनाक है।“ लारा ने कहा- “तभी वह शैफाली को भी सपने में नजर आ रहा है।“

“पर यह अटलांटिस का सिक्का यहां पर कैसे आया और कौन है वह जो शैफाली को सपने के माध्यम से बुला रहा है?“ सुयश ने कहा।

“कैप्टेन! मेरे पास एक थ्योरी है।“ अलबर्ट ने गहरी सांस लेते हुए कहा- “मैं ये तो नहीं कह सकता कि ये थ्योरी बिल्कुल सही है पर सभी घटनाओं को एक क्रम देने के बाद मुझे ये थ्योरी काफी हद तक सही दिशा में जाती लग रही है। अगर आप इजाजत दें तो मैं बोलूं।“

“जी प्रोफेसर बताइये!“ सुयश ने इजाजत देते हुए कहा।

“अटलांटिस एक प्राचीन द्वीप था। कहते हैं कि वह यहीं कहीं अटलांटिक महासागर में ही था। किताबों में लिखा है कि अटलांटिस द्वीप का विज्ञान बहुत उन्नत था। अटलांटिस द्वीप पर दूसरे ग्रहों के लोगों का भी आना जाना था। फिर अचानक एक विशालकाय ज्वालामुखी के फटने की वजह से, वह पूरी सभ्यता, अटलांटिक महासागर में कहीं खो गयी। अब ये एक अजीब इत्तफाक है कि जिस जगह का वर्णन किताबों में किया गया है, उसी जगह पर बारामूडा त्रिकोण का यह क्षेत्र आता है। अब आप लोग अपने दिमाग से यह बताइये कि क्या वजह हो सकती है, इस क्षेत्र में जहाजों के गायब होने की ?“

“आपकी थ्योरी मुझे भी काफी स्ट्रांग लग रही है प्रोफेसर।“ सुयश को अलबर्ट की बातों में दम दिखाई दिया- “इसका मतलब कि वह द्वीप अटलांटिस का अवशेष हो सकता है और वहां बचे हुए लोग नहीं चाहते कि कोई उनकी सभ्यता के बारे में जाने।“

“बिल्कुल ठीक कैप्टेन। अब हम सही लाइन पर बढ़ रहे हैं।“ अलबर्ट के शब्दों में अब खुशी के भाव थे।

“ओह! तभी हमें इस क्षेत्र में उड़नतश्तरी दिखायी दी थी।“ लारा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

“पर यह सिक्का और शैफाली के सपने?“ माइकल जो कि इतनी देर से सभी की बात सुन रहा था, बोल उठा।

“इस बारे में अभी कुछ ज्यादा कह नहीं सकते मिस्टर माइकल।“ सुयश ने गहरी साँस लेते हुए कहा- “लेकिन जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि जल्द ही हमें शैफाली के माध्यम से कुछ और रहस्यों का पता चलेगा। तब तक के लिए सभी लोग अपने आँख और कान खुले रखें और जैसे ही किसी को कुछ और नयी चीजें पता चलें, तुरंत मुझे बताएं।“ यह कहकर सुयश सोफे से खड़ा हो गया।

“कैप्टेन, इस सिक्के का क्या करना है?“ माइकल ने कैप्टेन को खड़े होते देख पूछ लिया। “फिलहाल ये सिक्का प्रोफेसर के पास रहेगा। हो सकता है कि इन्हें इसमें कुछ और खास बात नजर आ जाये। जब हम अपनी सभ्यता में पहुंचेंगे तो यह सिक्का अमेरिकन सरकार को दे देंगे।“ यह कहकर सुयश ने सिक्का माइकल के हाथ से ले अलबर्ट के हवाले कर दिया।

उधर सुयश को खड़े होते देख, ब्रैंडन और लारा भी अपने स्थान से खड़े हो गये थे। कुछ ही देर में तीनों कमरे से बाहर निकल गये।




जारी रहेगा.....…...✍️
Esa lagta hai Shefali ka in sab se kafi gehraaa tallaukh jaroor hai shyad niyati isiliye use yaha leke aaye hai
Kafi SUSPENSE FULL episode chal raha bahut khoob Raj_sharma bhai
 

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"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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# 21 .
2 जनवरी 2002, बुधवार, 14:30; ‘सुप्रीम’

अगले दिन दोपहर तक कोई ऐसी विशेष घटना नहीं घटी, जिसका कि जिक्र किया जा सके।
शिप के सारे यात्री अपने आप में मशगूल थे। कुछ चिंतित दिख रहे थे, तो कुछ अपनी इस नई जिंदगी में आशाओं और उल्लास की नई किरण ढूंढ रहे थे। सभी को अब शिप की वास्तविक स्थिति की जानकारी हो गई थी। उनको पता चल गया था, कि सुप्रीम इस विशाल सागर में रास्ता भटक गया है।

सभी यात्रियों की तरह, असलम भी डेक पर इधर-उधर चहल कदमी कर रहा था। उसके हाथों में एक शक्तिशाली दूरबीन भी थी। जिसे वह बीच-बीच में आंखों से लगा कर, दूर-दूर तक अपनी नजरें दौड़ा रहा था। अचानक उसकी नजरें बहुत दूर एक काले से धब्बे पर पड़ीं। उसे देखते ही असलम खुशी से मन ही मन बुदबुदाया-

“द्वी प!“ असलम तुरंत दूरबीन को और एडजस्ट करके ध्यान से देखने लगा- “द्वीप ही है।“

द्वीप को ध्यान से देखने के बाद, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव आ गये। उसने तुरंत वॉकी टॉकी से, कंट्रोल रुम में मौजूद ड्रेजलर को, शिप को द्वीप की तरफ मोड़ने के लिए बोल दिया। अब वह कैप्टेन सुयश को यह खुशखबरी देने के लिए उसके रुम की ओर चल दिया।

असलम की चाल में तेजी थी और उसके चेहरे पर ना समझ में आने वाले कुछ भाव थे। थोड़ी ही देर में वह सुयश के रुम तक पहुंच गया।

“कैप्टेन-कैप्टेन!“ असलम खुशी के मारे तेजी से, बिना दरवाजे पर नॉक कि ये ही सुयश के रुम में घुस गया। उसकी तेज आवाज सुन, सुयश जो कि बहुत गहरी नींद में सो रहा था, हड़बड़ा कर उठकर बैठ गया।

“क्या हुआ? क्या फिर कोई मुसीबत आ गई?“ सुयश ने डरते हुए कहा।

“नहीं कैप्टेन! इस बार एक अच्छी खबर है।“ असलम ने खुशी भरे लहजे में कहा- “हमें कुछ दूरी पर एक द्वीप दिखाई दे रहा है।“

“द्वीप!“ सुयश ने आश्चर्य से कहा।

“यस कैप्टेन द्वीप!“ असलम ने कहा- “आप जल्दी चलिए। वैसे मैंने सुप्रीम के चालक दल को शिप को उधर मोड़ने के लिए बोल दिया है।“

सुयश ने पैरों में स्लीपर डाला और असलम के साथ, लगभग भागते हुए, शिप के डेक पर पहुंच गया। यह वही डेक था, जहां पर हेलीपैड था। इसलिए यहां पर कोई यात्री नहीं था। तब तक शिप को द्वीप की ओर मोड़ा जा चुका था। अब वह द्वीप, बहुत ज्यादा दूरी पर नहीं था।

असलम ने धीरे से दूरबीन, सुयश के हाथों में दे दी। सुयश ने दूरबीन को अपनी आँखों पर चढ़ा लिया। अब वह बहुत ध्यान से उस द्वीप को देख रहा था।

तभी ब्रैंडन भी सुयश को ढूंढता हुआ वहां आ पहुंचा। अब ब्रैडन की भी निगाह द्वीप की ओर थी। काफी हरा -भरा द्वीप था। मौसम कुछ ज्यादा ठंडा होने की वजह से, दिन के समय में भी, हल्की-हल्की सी धुंध द्वीप के चारो ओर फैली हुई थी। कुछ अजीब सी पहाड़ियां भी दिखाई दे रहीं थीं। जिसके कारण द्वीप का ये हिस्सा, एक अजीब सा नजारा प्रस्तुत कर रहा था।

अब तक ब्रैंडन भी दूसरी दूरबीन प्राप्त कर चुका था। और वह भी बड़े ध्यान से द्वीप की ओर देख रहा था।

“कैप्टन!“ ब्रैंडन ने द्वीप की ओर देखते हुए सुयश से पूछा- “आपको इस द्वीप को देखकर क्या महसूस हो रहा है?“

“मुझे ये वही द्वीप लग रहा है ब्रैंडन।“ सुयश के आवाज में बर्फ की सी ठण्डक थी- “जिसका जिक्र रोजर व शैफाली ने किया था।“

“इक्जैक्टली ! यही बात तो मैं भी आपसे कहना चाहता था कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने अपनी सहमति जताई-

“और आप जरा इस द्वीप के आस-पास का क्षेत्र तो देखिए। एक अजीब सी निस्तब्धता छाई है। एक विचित्र से डरावनेपन का अहसास हो रहा है।“

“तुम बिल्कुल सही कह रहे हो ब्रैंडन।“ सुयश ने अपनी आँखों के आगे से दूरबीन हटाते हुए कहा-

“मैंने भी जब से ये द्वीप देखा है, तब से बार-बार मुझे रोजर व शैफाली की कही बातें याद आ रहीं हैं।“ असलम को शैफाली के सपनों के बारे में कुछ नहीं पता था। पर उसने सुयश को बीच में टोकना सही नहीं समझा।

“कैप्टेन!“ ब्रैंडन ने कहा- “अगर शैफाली की यह बात सही निकली है तो क्या बाकी बातें भी सही होंगी।“

“कुछ कह नहीं सकता ब्रैंडन?“ सुयश का दिमाग इस समय बहुत तेजी से चल रहा था-
“पर ये बात तो श्योर है कि इस द्वीप पर कुछ ना कुछ खतरा जरुर है।“

तब तक शिप, द्वीप के काफी पास आ गया था। शिप को पास आया देख अब असलम से ना रहा गया। वह बोल उठा-
“कैप्टेन! अब हमें क्या करना है? क्या इस द्वीप पर जाना है या...............?“

असलम ने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी। असलम की बात सुनकर, सुयश जैसे सपनों से बाहर आया। उसने एक नजर ब्रैंडन और असलम पर डाली और फिर बोल उठा-

“नहीं असलम। पिछली सारी बातें गौर करने के बाद, मैंने यह सोच लिया है कि हमें इस द्वीप पर नहीं जाना है। क्यों तुम्हारा क्या ख्याल है ब्रैंडन?“

“मैं भी आपसे सहमत हूं कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने सुयश की बात का सर्मथन देते हुए कहा।

“तो फिर ठीक है।“ सुयश ने असलम की ओर घूमते हुए कहा- “शिप को दूसरी दिशा में मोड़कर, आगे बढ़ाने का आदेश दे दो।“

“पर कैप्टन!“ असलम ने थोड़ा अनमने भाव से कहा- “इस द्वीप की बात पूरे शिप पर फैल गयी होगी। बहुत से लोगों ने तो इस द्वीप को देख भी लिया होगा और वह खुश होकर इसकी जमीन को छूने के लिए बेकरार भी होंगे। ऐसे में हम उन्हें क्या समझाएंगे?“

“कुछ भी कहो ? पर उन्हें समझाओ।“ सुयश ने थोड़ा बेचैन हो कर कहा- “पर ..... पर ..... शिप को इस मनहूस द्वीप से दूर ले चलो।“

यह कहकर सुयश ने, एक बार फिर गहरी निगाहों से उस रहस्यमई द्वीप को देखा और फिर डेक से हटकर, नीचे अपने केबिन की ओर चल दिया। ब्रैंडन भी सुयश को जाता देख वहां से चला गया।

असलम अब डेक पर अकेला खड़ा था। पर उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नहीं थे। शायद वह सुयश के इस फैसले से नाराज था।

चैपटर-7 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 00:30; रात के लगभग 12:30 हो रहे थे।

जहां एक ओर सारे यात्री, अपने-अपने कमरों में सो रहे थे। वहीं सुयश, लारा के साथ पूरे शिप का चक्कर लगा रहा था। दिन में सोने की वजह से, सुयश कुछ फ्रेश नजर आ रहा था। इसलिए आज उसने लारा के साथ, कुछ देर गश्त लगाने का निर्णय लिया था।

“तुम्हें क्या लगता है लारा ?“ सुयश ने लारा की ओर देखते हुए कहा- “इन अजीब सी घटनाओं के पीछे क्या कारण हो सकता है?“

“सिंपल सी बात है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “हम लोग इस समय बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमई व खतरनाक क्षेत्र से गुजर रहे हैं। यह क्षेत्र विश्व के अनसुलझे रहस्यों में से एक है, तो फिर यहां इस तरह की घटनाएं होना लाजिमी है। बल्कि अगर यह कहा जाए, कि यदि हम लोग इस खतरनाक क्षेत्र से निकलने में कामयाब हो जाएं, तो हम इस क्षेत्र में इतना अंदर जा कर निकलने वाले, विश्व के पहले व्यक्ति होंगे।“

“नहीं...... नहीं....! पहले नहीं।“ सुयश ने लारा की बात काटते हुए कहा- “दूसरे व्यक्ति होंगे। क्यों कि इसके पहले भी एक व्यक्ति, इस खतरनाक क्षेत्र से जीवित बच निकलने में सफल रहा था।“

“पहला व्यक्ति कौन था ?“ लारा ने उत्सुक स्वर में सुयश की ओर देखते हुए कहा।

“आज से लगभग 16 साल पहले, ‘ब्लैक थंडर‘ नाम का, एक पुर्तगाली पानी का जहाज हम लोगों की तरह भटक कर, इस रहस्यमई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था। बाहरी दुनिया से उसका संपर्क कट जाने के बाद, उस जहाज का क्या हुआ? यह कोई ना जान पाया। उसके खोने के लगभग 3 महीने के बाद, एक दूसरे जहाज के यात्रियों को लकड़ी के तख्ते पर तैरता हुआ, एक व्यक्ति मिला। उसे जहाज पर खींच लिया गया। iलेकिन वह व्यक्ति मानसिक रूप से पूर्ण विक्षिप्त था।
बाद में उसके बारे में पता चला, कि उस व्यक्ति का नाम विलियम डिकोस्टा था। और वह उसी जहाज का यात्री था, जो बारामूडा त्रिकोण के इन रहस्यमय अंधेरों में खो गया था।
लेकिन कोई भी उससे यह नहीं पता लगवा सका कि वह बीते हुए 3 महीने तक कहां था ? और उसने क्या-क्या देखा ? कुछ साल बाद उसके मरने का न्यूज भी आया था। लेकिन मरने से पहले तक उसकी यादाश्त नहीं लौटी थी।
इसलिए इस क्षेत्र का राज कभी खुल नहीं पाया।“ कहते-कहते सुयश शांत हो गया।

“आपको तो इस क्षेत्र की काफी जानकारी लगती है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की प्रशंसा करते हुए कहा।

“नहीं ! ऐसी कोई बात नहीं है। मैं भी इस क्षेत्र में बहुत अधिक समय से नहीं चल रहा हूं।“ सुयश ने कहा-

“लेकिन मुझे ऐसे रहस्यमय क्षेत्रों के बारे में जानना बहुत अच्छा लगता है। मैं जब छोटा था, तभी से मुझे यह सुपर नेचुरल रहस्य बहुत अच्छे लगते थे। मैं हमेशा ही ऐसी किताबें पढ़ा करता था, जो मानव मस्तिष्क से परे, रहस्य की दुनिया की जानकारी देते हों।
जैसे इस बारामूडा त्रिकोण की जानकारी, मुझे सन 1964 में प्रकाशित ‘आरगोशी ‘ नामक पत्रिका से प्राप्त हुई। जिसे मैंने बाद में पढ़ा था ।
उसके लेखक ‘विंसेंट एच गेडिड्स‘ थे। उन्होंने उस पुस्तक में विस्तार से, बारामूडा त्रिकोण के बारे में जानकारी दी है।
उसके बाद इस रहस्यमय त्रिकोण के बारे में लेखक ‘इवान टीसेण्डरसन‘ ने भी काफी कुछ लिखा। उन्होंने इस प्रकार के क्षेत्रों को ‘वाइल वोर्टइसिज‘ का नाम दिया।
फिर सन् 1973 में इनसाइक्लो पीडिया ‘ब्रिटानिका ‘ ने भी बारामूडा त्रिकोण के बारे में काफी कुछ लिखा।
उसके बाद 1973 में ही ‘जॉन वेलेस स्पेंसर’ की पुस्तक ‘लिंबो ऑफ द लास्ट‘, 1974 में ‘चाल्र्स बर्लिट्ज‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल‘ और 1975 में ‘लॉरेंश डीकुस्शे‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल मिस्ट्री साल्वड‘ नामक पुस्तक, प्रकाश में आई।“

“इन सभी पुस्तकों ने दुनिया भर के लोगों में, बारामूडा त्रिकोण के बारे में उत्सुकता जगा दी। लेकिन कोई भी किताब इस रहस्य को सुलझाने में असमर्थ रही। सभी लेखकों के अपने-अपने तथ्य थे, जो उनके हिसाब से तो सही थे। पर दूसरों से थोड़ा अलग थे।“ सुयश ने थोड़ा रुक कर फिर बोलना शुरू किया-


“मुझे स्वयं इस क्षेत्र के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता रहती थी। पर मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मुझे जिंदगी में कभी इस क्षेत्र में भटकना पड़ेगा।“

“अब तो यह स्थिति आ गई है सर।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “कि मारे डर के, कोई भी यात्री ढंग से सो भी नहीं पा रहा है। सभी के दिमाग में, एक ही सवाल कौंध रहा है, कि क्या वह बच कर अपनी सभ्यता तक वापस जा सकेंगे?
वैसे हम यात्रियों के बारे में क्या कहें, हमारे तो चालक दल व कर्मचारी भी ऐसा ही सोच.. ..... .............।“

कहते कहते लारा एकाएक चुप सा हो गया और एक तरफ देखने लगा। सुयश भी उसकी आंखों का पीछा करते हुए, उस तरफ देखने लगा, जिस तरफ लारा देख रहा था। पर उसे सामने कुछ दिखाई नहीं दिया।

“क्या बात है लारा ? तुम बोलते-बोलते एका एक चुप क्यों हो गये?“ सुयश ने धीरे से लारा से पूछा।

“श्ऽऽऽऽऽ......।“ लारा ने अपने होठों पर उंगली रखते हुए, सुयश को चुप रहने को कहा। और धीरे-धीरे एक दिशा की ओर, दबे पांव चल पड़ा। सुयश की समझ में तो कुछ नहीं आया, पर वह भी धीरे-धीरे लारा के पीछे चल पड़ा। तभी गैलरी के दूसरे किनारे पर, एक मानवाकृति जैसी परछाई दिखाई दी।

“कौ न है वहां ? रुक जाओ!“ लारा ने चिल्लाते हुए तेजी से रिवाल्वर निकाल ली-
“रुक जाओ, वरना गोली मार दूंगा।“

उसकी आवाज सुनते ही वह परछाई, जो कंधे पर कोई चीज उठाए थी, तेजी से एक दिशा की ओर भागी। उसको भागते देख लारा व सुयश तेजी से उस साये के पीछे भागे।

“मैं कहता हूं रुक जा ओ।“ लारा के दहाड़ते हुए शब्दों से पूरी गैलरी थर्रा सी गयी -
“वरना मैं गोली चला दूंगा।“
लारा की दूसरी धमकी से भी साये की गति में कोई अंतर नहीं आया। वह आकृति अभी भी निरंतर भागती जा रही थी। गैलरी के हर मोड़ पर उन्हें सिर्फ एहसास हो रहा था कि कोई अभी तेजी से यहां से निकला है। उस आकृति की स्पीड इतनी तेज थी कि उन्हें गोली चलाने का भी समय नहीं मिल पा रहा था।






जारी… रहेगा....……✍️
To aakhirkar ship us island me aa gaya lekin dekha jaay to Suyash ne ek bat shi bhi kia or galt bhi
1 – Sahi ye ki us island me na rukne ka or ship ko wapas modne ka faisla kar leya
2 – Galt isiliye Q ki is waqt ship esi jgh aagaya hai jaha se nikalne ka koi rasta nahi mil paa raha hai to I think Suyash ko ek chance lena chahiye tha island me Jake pata karne ke leye
.
Kher ab Suyash ek tarf hoke Lara se bat kar raha tha tabhi koi inki bat sun raha tha jiska ehsaas hote he dono uske piche bhagee yaha tak shoot krne ki dhamki se bhi bina dare wo shaksh bhage Jaa Raha tha aakhir kaun hai wo
.
Very Amazing Update Raj_sharma bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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# 22 .
एक गैलरी में मुड़ते ही, उन्हें सामने कोई नहीं दिखाई दिया।
लेकिन सीढ़ियों के ऊपर का दरवाजा अभी भी हिल रहा था। जिसका साफ मतलब था, कि जो भी अभी आगे भाग रहा था, वह डेक की ओर गया है।

सुयश व लारा भी तेजी से डेक की तरफ खुलने वाले दरवाजे की ओर भागे। लेकिन जैसे ही वह दरवाजे के पास पहुंचे, इन्हें एक ‘छपाक‘ की तेज सी ध्वनि सुनाई दी। ऐसा लगा जैसे कोई चीज पानी में गिरी हो।
दोनों भागकर डेक पर पहुंचे, तो इन्हें डेक की रेलिंग के पास कोई खड़ा हुआ नजर आया । जो समुद्र में कुछ देख रहा था। लारा ने भागकर उसे पकड़ लिया। वह कोई और नहीं, प्रोफेसर अलबर्ट डिसूजा थे।

“क्या फेंका आपने पानी में?“ सुयश ने अलबर्ट से थोड़ी तेज आवाज में पूछा।

“मैं......मैंने क्या फेंका ? मैं तो उसे रोकने की कोशिश कर रहा था।“ अलबर्ट ने घबराये से स्वर में कहा।

“किसे?......किसे रोकने की कोशिश कर रहे थे?“ लारा ने हांफते हुए, थोडे़ नाराजगी भरे अंदाज में कहा।

“मुझे नहीं पता, कि वह कौन था? मैं तो यहां सिगरेट पीने के लिए आया था। तभी मुझे ‘रुक जाओ‘ की तेज आवाज सुनाई दी। मेरी निगाहें आवाज की दिशा में घूम गयी। तभी मुझे दरवाजे से निकलकर, रेलिंग की तरफ भागता हुआ, एक साया दिखाई दिया। मैं उसे पकड़ने के लिए उसकी तरफ लपका। इसके कारण मेरी सिगरेट भी मेरे हाथ से गिर गई। उसकी रफ्तार बहुत तेज थी। उसने अपने कंधों पर कुछ उठा रखा था। इससे पहले कि मैं उस साये के पास पहुंच पाता, वह साया पानी में कूद गया। मैं अभी उसे देख ही रहा था कि तभी आप लोग आ पहुंचे।“

“वाह-वाह! क्या कहानी बनाई है?“ लारा ने रिवाल्वर को जेब में रखते हुए, अपने दोनों हाथों से ताली बजाई-
“मान गए आपके दिमाग को मिस्टर अलबर्ट। कितने कम समय में कितनी अच्छी कहानी आपने बना डाली।“

“कहानी !...............आपको क्या लगता है कि मैंने आपको मनगढ़ंत कहानी सुनाई है?“ अलबर्ट ने थोड़ा रोष में आते हुए कहा।

“और नहीं तो क्या........?“ लारा ने थोड़ा मुस्कान बिखेरते हुए कहा-
“ये भी तो हो सकता है कि आप ही कुछ लेकर भाग रहे हों और डेक पर पहुंचकर आपने वह चीज पानी में फेंक दी हो, और फिर हम लोगों के देख लेने के बाद अपनी जान बचाने के लिए चुपचाप खड़े हो गए हों और एक शानदार कहानी भी बना कर हमें सुनादी हो।“

“हो सकता था, बिल्कुल हो सकता था । लेकिन मैं आपको साबित कर दूंगा कि आपके आगे भागने वाला मैं नहीं था।“ अलबर्ट ने विश्वास भरे शब्दों में कहा।

“अच्छा ! तो साबित करके दिखाइए ।“ लारा ने बिल्कुल परीक्षक जैसी पैनी निगाहों से अलबर्ट को देखते हुए कहा। सुयश भी तीखी निगाहों से एकटक अलबर्ट को घूरे जा रहा था।

“अच्छा तो यह बताइए भागने वाले ने अपने कंधे पर क्या उठा रखा था ?“ अलबर्ट ने लारा की तरफ देखते हुए कहा।

“अब भला यह हम कैसे बता सकते हैं?“ लारा का जवाब बिलकुल साधारण था- “कि भागने वाले ने अपने कंधे पर क्या उठा रखा था?“

“फिर भी कुछ तो अंदाजा होगा। चलिए अच्छा छोड़िए, अब यह बताइए कि जो चीज उसने अपने कंधे पर उठा रखी थी, वह कितनी भारी रही होगी ? आप उसके पीछे पीछे भाग रहे थे, शायद उससे आपको कुछ अंदाजा हुआ हो या फिर उस चीज का पानी में गिरने पर उसकी आवाज से कुछ अंदाजा हुआ हो।“ इतना कहकर अलबर्ट लारा की ओर देखने लगा।

“मेरे ख्याल से जो चीज भागने वाले ने अपने कंधे पर उठा रखी थी वह जरूर भारी थी। क्यों कि एक तो उसकी चाल देखकर ऐसा एहसास हो रहा था और दूसरा शिप के चलने से समुद्र की लहरें कटती हैं, जिससे आवाज उत्पन्न होती है और उस आवाज के बावजूद भी, उस चीज के पानी में गिरने की आवाज सुनाई दी, जिससे यह साबित होता है कि वह चीज काफी भारी थी।“

“अच्छा अब ये बताइये कि आपने उस साये का कितनी दूर तक पीछा किया ?“ अलबर्ट ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।

“यही कोई लगभग 500 से 600 मीटर तक तो पीछा किया ही था।“ लारा ने पुनः ना समझने वाले अंदाज में जवाब दिया।

“अब ये बताइए कि आपको मेरी उम्र कितनी दिख रही है?“ अलबर्ट ने मुस्कुराते हुए लारा से पुनः सवाल किया। इस बार सुयश के चेहरे पर भी एक हल्की सी मुस्कान आ चुकी थी । शायद अब वह अलबर्ट के प्रश्नों का उत्तर समझने लगा था।

“क्या बकवास है?“ लारा ने एका एक झुंझलाते हुए शब्दों में कहा- “भागने वाले का आपकी उम्र से क्या संबंध हो सकता है?“

“संबंध है।“ इस बार काफी देर से चुप सुयश बोल उठा- “इसलिए तुम अलबर्ट के सवालों का जवाब दो लारा“ लारा ने आश्चर्य से सुयश की ओर देखा और फिर धीरे से बोल उठा-

“लगभग 60 वर्ष।“

अलबर्ट ने अब आगे बढ़कर लारा के सीने पर हाथ रख कर कहा-
“क्या बात है मिस्टर लारा ! आपके दिल की धड़कन तो बहुत तेज चल रही है?“

“अजीब मूर्ख आदमी हैं आप! अरे मैं इतनी दूर से उस साये के पीछे दौड़ रहा था, तो धड़कन तो तेज चलेगी ही।“ लारा ने एक बार फिर गुस्से में आते हुए कहा।

“वैसे आपकी उम्र क्या होगी ?“ अलबर्ट ने बदस्तूर मुस्कुराते हुए एक बार फिर लारा से पूछा।

एक क्षण के लिए तो लारा के मन में आया कि इस बुड्ढे की दाढ़ी पकड़कर उसे पानी में फेंक दे। पर सुयश पर नजर पड़ते ही उसने अपने गुस्से पर काबू किया।

“तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। तुम्हारी उम्र कितनी है?“ अलबर्ट अब ‘आप‘ से ‘तुम‘ पर आते हुए बोला।

“30 वर्ष!“ लारा ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।

“अच्छा अब एक आखिरी सवाल और मिस्टर लारा।“ कहते हुए अलबर्ट ने लारा का हाथ अपने सीने पर रखा- “क्या तुम्हें मेरे दिल की धड़कन भी तेज लग रही है?“

“नहीं ।“ लारा ने जवाब दिया।


“तो अब यह बताइए जनाब कि आपके कहे अनुसार आपके आगे-आगे कोई चीज कंधे पर लेकर मैं भाग रहा था। जबकि मेरी उम्र आपके कहे अनुसार 60 वर्ष है, जो कि आपकी उम्र से दुगनी है। तो फिर यदि मैं कोई भारी वस्तु लेकर आपके आगे-आगे भागूंगा, तो फिर मेरी सांस नहीं फूलेगी क्या ? जबकि आप खाली हाथ थे और मेरे कंधे पर भारी वजन था।
कहने का मतलब यह है कि जब आप भागकर मेरे पास पहुंचे तो आपको मेरी धड़कन सामान्य दिखी या नहीं ? यदि सामान्य दिखी तो यह साबित होता है कि आपके आगे-आगे मैं नहीं भाग रहा था।"


लारा अलबर्ट के तर्कों को सुनकर शांत हो गया। अब उसे यह विश्वास हो गया कि आगे भागने वाला शख्स अलबर्ट नहीं कोई और था।

“और हाँ ! एक बात और है, यहीं कहीं मेरी सिगरेट भी गिरी थी, जब मैं उसे पकड़ने भागा था।“

कहकर अलबर्ट इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगा। कुछ दूरी पर उसे जलती हुई सिगरेट मिल गई जो कि अब लगभग खत्म होने वाली थी। अलबर्ट ने आगे बढ़कर उस जलती हुई सिगरेट को उठा लिया।

“यह सिगरेट आप देख रहे हैं। यदि यह सिगरेट मैंने आपके आने के कुछ देर पहले जलाई होती, तो अभी तक यह आधी ही पहुंची होती, ना कि खत्म हो जाती। और यदि मैंने अपने कंधे पर भारी वस्तु रखी होती तो जाहिर सी बात है कि मैंने उसे दोनों हाथों से पकड़ा होता तो फिर बीच में सिगरेट जलाने का प्रश्न ही नहीं उठता। बस.... इतना ही काफी है या और कुछ बताऊं अपने बारे में?“ अलबर्ट ने लारा की तरफ देखते हुए थोड़े तल्ख स्वर में कहा।

पर इससे पहले कि लारा कुछ और बोल पाता, सुयश आगे बढ़ कर बोल उठा-
“नहीं-नहीं प्रोफेसर अलबर्ट! अब आगे आपको और कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है। हम यह मान चुके हैं कि आगे भागने वाला व्यक्ति कोई और था। वैसे अब आप गुस्सा छोड़कर, आगे भागने वाले के बारे में कुछ और बताइए। आई मीन वह कैसा था ? क्या आपने उसका चेहरा देखा ? उसकी लंबाई कितनी थी ? उसने क्या पहन रखा था ? उसके कंधे पर क्या चीज हो सकती है? वगैरह-वगैरह।“

“मैंने उसे ज्यादा तो नहीं देखा। पर उसकी लंबाई सामान्य थी। उसने अपने कपड़ों के ऊपर, कुछ कंबल जैसा ओढ़ रखा था। जिसके कारण उसकी नीचे की ड्रेस के बारे में ज्यादा आईडिया नहीं मिल पाया। उसने कंधे पर कोई लंबी सी चीज रोल करके रखी थी। और कुछ भी हो पर उसके अंदर गजब की फुर्ती थी। क्यों कि वह भागता हुआ आया और एक छलांग में ही उस भारी सी चीज के साथ, उधर की रेलिंग पर चढ़ गया और बिना पीछे मुड़े इतनी ऊंचाई से, चलते शिप से कूद गया। मेरी समझ से तो वह कोई पागल ही रहा होगा जो सुसाइड करना चाह रहा होगा। क्यों कि इतनी ऊंचाई से चलते शिप से बीच समुद्र में कूदने पर, उसके बचने की तो 1 परसेंट भी संभावना व्यक्त नहीं की जा सकती ।“

सुयश धीरे-धीरे चलता हुआ उस स्थान पर पहुंच गया, जिधर कि अलबर्ट ने अभी इशारा किया था। सुयश कुछ देर तक वहां खड़ा नीचे अंधेरे समुद्र को घूरता रहा, फिर कुछ ना समझ में आने पर वहां से पलटने लगा। तभी उसकी नजर पास की रेलिंग में फंसे एक कपड़े के टुकड़े पर पड़ी जो हवा के चलने के कारण ‘फट्-फट्‘ की आवाज करता हुआ लहरा कर रेलिंग से टकरा रहा था। सुयश ने धीरे से उस कपड़े के टुकड़े को रेलिंग से निकाल लिया।

“यह कपड़ा शायद पानी में कूदने वाले का है। जो जल्दबाजी में यहां की रेलिंग में फंसकर फट गया होगा।“ सुयश ने अलबर्ट व लारा के चेहरे के आगे, वह कपड़ा लहराते हुए कहा। उस कपड़े को देख लारा आश्चर्य से भर उठा।

“क्या बात है लारा ? तुम इस कपड़े को देखकर आश्चर्य में क्यों पड़ गए?“ सुयश ने लारा के चेहरे के बदलते हुए भाव को देख पूछ लिया।

“जाने क्यों ऐसा लगता है, जैसे ये कपड़ा मैंने किसी को पहने हुए देखा है? पर याद नहीं आ रहा कि आखिर इसे पहने हुए देखा किसे है।“ लारा ने जवाब दिया।

“इसी बात का तो एहसास मुझे भी हो रहा है।“ सुयश ने ध्यान से उस कपड़े को देखते हुए कहा-
“वैसे मिस्टर अलबर्ट, क्या आपको भी ऐसा ही महसूस हो रहा है?“

“जी हां ! मुझे भी यह कपड़ा पहचाना हुआ लग रहा है। पर याद नहीं आ रहा कि इसे देखा कहां है?“
अलबर्ट ने भी कपड़े पर निगाह डालते हुए, दिमाग पर जोर डाला। काफी देर याद करने के बाद भी किसी को कुछ याद नहीं आया।

“आइए अब मैं आपको आपके कमरे तक छोड़ दूं मिस्टर अलबर्ट।“ सुयश ने वह कपड़ा जेब के हवाले करते हुए कहा- “
और हां अब आप यह सिगरेट का खाली टोटा भी फेंक दीजिए, जिसे आप काफी देर से पकड़े हुए हैं।“

सुयश के शब्दों को सुनकर अलबर्ट में मुस्कुराते हुए उस सिगरेट के टोटे को हवा में उछाल दिया। हवा में उछला हुआ सिगरेट का टुकड़ा, हवा में तैरता हुआ धीरे-धीरे सागर की लहरों की ओर बढ़ रहा था और उस पर लिखा हुआ “ट्रेंच“ नाम का ‘लोगो ‘ रात के अंधेरे में भी तेजी से चमक रहा था। तीनों ही तेजी से अलबर्ट के रूम की ओर बढ़ गए।



जारी
रहेगा……….✍️
Ek or Suspence full episode.bhagne wala Albert nahi tha to wo kaun tha or apne kandhe par ky leke khooda samundar me wo
.
Kafi intresting raha ye update Raj_sharma bhai
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,142
56,317
259
WOW ATLANTICS coin kya bat hai lekin Shefali ke pass wo bhi tab jab wo soo rhii thi ajeeb bat hai ye
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Lagta hai Barmuda Triangle ka Asli Romanch to ab shuru ho raha hai
Behtreen update Raj_sharma bhai
Thank you very much for your wonderful review and support bhai DEVIL MAXIMUM:hug:, Is sikke ka bhi apna mahatva hai mitra, ye tumhare us khajane ke sikke se bhi purana or nayaab hai:D, dekhte jaao aage kya-2 hota hai, saath bane raho :hug:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Esa lagta hai Shefali ka in sab se kafi gehraaa tallaukh jaroor hai shyad niyati isiliye use yaha leke aaye hai
Kafi SUSPENSE FULL episode chal raha bahut khoob Raj_sharma bhai
Shefaali se iska direct connection hai bhidu:declare: Jara uske sapno ke baare me socho, jo ab ghat rHa hai, wo use pahle hi dikh chuka hai:approve:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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56,317
259
To aakhirkar ship us island me aa gaya lekin dekha jaay to Suyash ne ek bat shi bhi kia or galt bhi
1 – Sahi ye ki us island me na rukne ka or ship ko wapas modne ka faisla kar leya
2 – Galt isiliye Q ki is waqt ship esi jgh aagaya hai jaha se nikalne ka koi rasta nahi mil paa raha hai to I think Suyash ko ek chance lena chahiye tha island me Jake pata karne ke leye
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Kher ab Suyash ek tarf hoke Lara se bat kar raha tha tabhi koi inki bat sun raha tha jiska ehsaas hote he dono uske piche bhagee yaha tak shoot krne ki dhamki se bhi bina dare wo shaksh bhage Jaa Raha tha aakhir kaun hai wo
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Very Amazing Update Raj_sharma bhai
Wo jo koi bhi hai, inke haath to aane se raha:nope:, Or kya ye log use dhoondh payenge? Ye jaanne ke liye sath bane raho:declare: or ship 🚢 ko island 🏝 per kyu nahi le ja rahe the isla jabaab aage milega bhai:approve:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai, :hug:
 
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