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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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# 37.
5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00; “सुप्रीम”

“मारिया !“ अलबर्ट ने मारिया की सूनी-सूनी आँखों में झांकते हुए पूछा- “क्या सोच रही हो ?“

“कुछ नहीं , बस इसी शिप के बारे में सोच रही हूं।“ मारिया ने जवाब दिया।

“क्या ?“ अलबर्ट ने पूछा।

“यही कि हमारी जिंदगी की शुरुआत भी ऐसे ही एक शिप पर हुई थी और आज अंत भी इसी शिप पर हो रहा है।“ मारिया के शब्दों में निराशा साफ झलक रही थी।

“ऐसा क्यों कहती हो ? अभी तो हमने एक नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करनी है, जिससे मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगा।“ अलबर्ट ने मारिया का हौसला बढ़ाने की कोशिश की।

“क्यों झूठ की डोर को पकड़े हुए चल रहे हो ? आज शिप के सभी यात्रियों को पता है कि हम कितनी खतरनाक मुसीबतों का सामना कर रहे हैं और अगला कोई लम्हा हमारी जिंदगी का आखिरी लम्हा भी साबित हो सकता है। लेकिन अब मुझे अपनी मौत की कोई चिंता नहीं है।“ मारिया ने कहा।

“क्यों ?“ अलबर्ट ने मारिया की आँखों में देखते हुए पूछा।

“क्यों कि अब तुम जो मेरे साथ हो और यदि तुम्हारा साथ हो तो मुझे मौत की कोई चिंता नहीं। बस एक ही अफसोस है कि अब हम तो अपनी जिंदगी जी चुके पर शैफाली सरीखे उन छोटे-छोटे बच्चों का क्या होगा ? उनका भला क्या दोष है? वह सब मौत के मुंह में क्यों जा रहे हैं? अभी उन्होंने तो ठीक तरीके से दुनिया को भी नहीं देखा है।“

अलबर्ट बोलती हुई मारिया को लगातार देख रहा था।
“क्या देख रहे हो इस तरह?“ मारिया ने पूछा।

“तुम्हें देख रहा हूं। मैं तुम्हें क्या समझता था और तुम क्या निकली? मैं समझता था कि तुम्हें केवल अपने सिवाय कोई नजर नहीं आता है। पर आज जब तुम स्वयं के बारे में छोड़कर, दूसरे ऐसे लोगों की चिंता कर रही हो, जिन्हें तुम ठीक तरह से जानती तक नहीं हो।“ अलबर्ट ने गहरी साँस लेते हुए कहा।

“इसी का नाम जिंदगी है।“ मारिया ने हल्की सी मुस्कान बिखेरते हुए कहा- “मैं तो पहले भी वही थी, जो आज हूं, पर आज तुम्हारे देखने का नजरिया बदल गया है।“

“तो क्यों ना हम इस बदली हुई जिंदगी को शैम्पेन पी कर सेलिब्रेट करें।“ अलबर्ट ने एकाएक माहौल को चेंज करते हुए कहा।

“आईडिया बुरा नहीं है।“ मारिया ने मुस्कुराते हुए कहा- “मैं अभी वेटर से शैम्पेन लाने के लिए कहती हूं।“

“वेटर को रहने दो।“ अलबर्ट ने खड़े होते हुए कहा- “मैं खुद ही ले आता हूं। इसी बहाने एक सिगरेट भी पी आऊंगा। क्यों कि तुम्हें तो पता है कि सिगरेट मेरी कमजोरी है और तुम्हें सिगरेट से नफरत है। इसलिए हमेशा सिगरेट मैं बाहर जा कर ही पीता हूं।“

मारिया ने धीमे से सिर हिलाकर अलबर्ट को अपनी सहमति दे दी। अलबर्ट ने सोफे से उठकर रूम का दरवाजा खोला और बाहर निकल गया।

5 जनवरी 2002, शनिवार 15:30; “सुप्रीम”

“ब्रैंडन ! लारा के बाद अब तुम ही सिक्योरिटी इंचार्ज हो। इसलिए तुम्हें आज मेरे साथ गश्त पर चलना होगा।“ सुयश ने लंबे-चैड़े ब्रैंडन से हाथ मिलाते हुए कहा।

“ओ.के. कैप्टेन!“ ब्रैंडन ने किसी नए-नए अधिकारी की तरह सैल्यूट मार कर, सुयश का इस्तकबाल किया- “मैं आपको किसी भी प्रकार की शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा।“

शायद कोई और समय होता तो ब्रैंडन की खुशी का ठिकाना ना रहता। लेकिन ऐसी स्थिति में और लारा की मौत के बाद ब्रैंडन को अपनी इस पोस्ट से इतनी खुशी नहीं हुई। थोड़ी ही देर में ब्रैंडन, सुयश के साथ गैलरी के चक्कर काट रहा था।

“हमें बिल्कुल सावधान रहना होगा कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने सुयश के साथ चलते हुए कहा- “क्यों कि पिछले दो-तीन दिन के रिकॉर्ड कहते हैं कि हर शाम खतरों को समेटे हुए आती है। लेकिन आप बिल्कुल चिंता ना करें सर, मैंने अपनी सिक्योरिटी के सभी आदमियों को अलर्ट कर दिया है। मैं आशा करता हूं कि आज कोई भी ऐसी घटना नहीं.............।“

लेकिन इससे पहले कि ब्रैंडन कुछ और बोल पाता किसी के भागते कदमों की आहट सुन, दोनो दीवार से सट कर खड़े हो गये। जैसे ही भागने वाला इनके मोड़ पर मुड़ा। दोनों तुरंत निकल कर उसके सामने आ गये।

भागने वाला इंसान ऐलेक्स था। उसकी सांसे बुरी तरह से फूल-पिचक रहीं थीं। जैसे ही उसकी नजर सुयश पर पड़ी, उसने अपना उल्टा हाथ सुयश की ओर बढ़ाया।

“कैप्टन......... अब कोई..... नहीं बचेगा।“ इतना कहकर ऐलेक्स धड़ाम से फर्श पर गिरकर बेहोश हो गया। ऐलेक्स के शब्द ब्रैंडन और सुयश के लिए किसी धमाके से कम नहीं थे।

“ब्रैंडन, जल्दी पानी लाओ।“ सुयश ने चीखकर ब्रैंडन को आदेश दिया।

ब्रैंडन उठकर तुरंत भागा। पास में ही चिलिंग वाटर सिस्टम लगा हुआ था। ब्रैंडन ने तुरंत वहां रखे बर्तन में पानी लिया और भाग कर पुनः सुयश के पास पहुंच गया। सुयश ने पानी के छींटे ऐलेक्स के ऊपर मारे।

धीरे-धीरे एक कराहट के साथ ऐलेक्स को होश आ गया। होश में आते ही सबसे पहले ऐलेक्स ने घबरा कर इधर-उधर देखा और सुयश पर नजर पड़ते ही उसे तेजी से पकड़ लिया।

“कैप्टन......कैप्टन सबको बचाओ, नहीं तो वह सब को मार डालेंगे।“ ऐलेक्स घबराहट के कारण ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था।

“क्या हुआ? कौन किसे मार डालेगा ?“ सुयश ने ऐलेक्स को झंझोड़ते हुए पूछा।

“वही ...... हरे कीड़े!“ ऐलेक्स ने जैसे बम फोड़ा।

“हरे कीड़े!“ सुयश और ब्रैंडन दोनों के मुंह से एक साथ निकला।

“हां...... मैं अपने कमरे में था। तभी बाहर गैलरी में मुझे खट-पट की आवाज महसूस हुई। मैंने धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोला। तो देखा ठीक वैसा ही हरा कीड़ा, जैसे क्रिस्टी के रुम मिला था। वह आगे-आगे उछलता हुआ गैलरी में जा रहा था। ना तो मेरे पास रिवाल्वर थी और ना ही कोई अन्य हथियार, जिससे मैं उस हरे कीड़े का सामना कर सकता। इसलिए मैं बिना आवाज किए, उस कीड़े के पीछे चल पड़ा। वह लगभग जमीन से 5-5 फुट ऊपर, मेंढक की तरह उछलता हुआ चल रहा था । उसकी स्पीड बहुत तेज थी। फिर भी मैं उसके पीछे लगा रहा। मैंने उसका कई गलियों तक पीछा किया। फिर एक गैलरी में मैं जैसे ही मुड़ा तो जो दृश्य मेरी आंखों ने देखा, उसे देखकर मेरी रूह फना हो गयी और मैं वहां से भाग खड़ा हुआ।“

बताते समय ऐलेक्स की आँखों के आगे सारे दृश्य घूमने लगे।

“ऐसा क्या देख लिया तुमने?“ सुयश का दिमाग ऐलेक्स की बातें सुनकर सांय-सांय करने लगा।

“मैंने देखा कि ठीक उसी के तरीके के कम से कम 10-12 हरे कीड़े उस पूरी गैलरी में टहल रहे थे।“ ऐलेक्स की आँखों में भय साफ नजर आ रहा था।

“क्या ऽऽऽऽऽऽ?“ सुयश को लगा जैसे किसी ने उसके सिर पर पहाड़ फेंक कर मार दिया हो।

“यह सब तुमने किस गैलरी में देखा ?“ ब्रैंडन ने ऐलेक्स से पूछा।

“आइए मेरे साथ। मैं आपको बताता हूं।“ इतना कहकर ऐलेक्स उन्हें लेकर एक दिशा की ओर चल दिया। लेकिन उसके पांवों में अभी भी भय की वजह से लड़खड़ाहट थी। तभी इन्हें गैलरी की एक साइड से अलबर्ट आता दिखा ई दिया।

“क्या बात है कैप्टन? आप लोग इतने घबराए हुए क्यों हैं?“ अलबर्ट ने बारी- बारी सबके चेहरे को देखते हुए कहा।

“अभी -अभी मिस्टर ऐलेक्स ने इस दिशा में लगभग 10-12 हरे कीड़े जाते देखे हैं।“ सुयश ने जवाब दिया।

“क्या ऽऽऽऽ? माई गॉड! वह एक कीड़ा ही इतना खतरनाक था, फिर 10-12 कीड़े।......अगर ऐसा हो गया और शिप के लोगों को पता चल गया तो भगदड़ मच जायेगी।“ अलबर्ट ने घबराते हुए कहा।

“यह भी तो हो सकता है कि मिस्टर ऐलेक्स ने 10-12 कीड़े देखे हों, तो यह पूरे शिप पर मिला कर 100-200 हों।“ ब्रैंडन ने अपने विचार रखे।

“अगर ऐसा हुआ तो शिप के किसी भी आदमी का बचना मुश्किल है।“ सुयश चिंतित स्वर में बड़बड़ाया।

“क्या आपने इसी दिशा में कीड़ों को जाते देखा था मिस्टर ऐलेक्स?“ अलबर्ट ने सबके साथ गैलरी में मुड़ते हुए कहा।

“जी हां !“ ऐलेक्स ने उत्तर दिया।

“माई गॉड!......इधर तो मेरा भी रूम पड़ता है। मारिया......मारिया कैसी होगी ?“

मारिया का विचार आते ही, हाथ में शैंपेन की बोतल और खाने का सामान लिए अलबर्ट ने अपने रूम की ओर दौड़ लगा दी। उसे अब ना तो उन कीड़ों की चिंता थी और ना ही अपनी।

सुयश सहित ब्रैंडन और ऐलेक्स भी अलबर्ट के पीछे भागे। उन तीनों की निगाहें तेजी से गैलरी में भी फिर रही थीं। अलबर्ट भागता हुआ अपने कमरे के दरवा जे पर पहुंचा। उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। वह भागकर तेजी से अपने कमरे में प्रवेश कर गया।

“मारिया-मारिया !.......कहां हो तुम?“ अलबर्ट की आवाज में चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही थीं।

रूम खाली था। अलबर्ट भागकर दूसरे कमरे में दाखिल हो गया, पर वह भी खाली था। अलबर्ट की बदहवासी बढ़ती जा रही थी। जल्दी ही उसने पूरा केबिन चेक कर डाला, पर मारिया कहीं ना थी।

“मारियाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ!“ अलबर्ट गुस्से में जोर से चिल्ला उठा।

उसकी आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे। शैंपेन की बोतल उसके हाथ से गिरकर टूट गई थी और साथ ही टूट गया था अलबर्ट के धैर्य का बांध। वह जमीन पर गिरकर फूट-फूट कर रोने लगा।

“तुम कहां चली गई मारिया?...... अब तो मैंने तुम्हारे साथ जिंदगी भर रहने का वादा भी कर लिया था।.. .. .....मुझे अकेला छोड़ने का तुम्हारा कोई हक नहीं था।...... अरे दो पल इंतजार तो कर लिया होता।.....मेरे आने का......अब मैं तुम्हारे बिना कैसे जिंदा रहूंगा ?“ अलबर्ट भावावेश में बोलता ही जा रहा था।

“शांत हो जाइए मिस्टर अलबर्ट।“ सुयश ने अलबर्ट के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- “हो सकता है कि मारिया मैडम यहीं कहीं आस-पास गयीं हों और अभी वापस लौट आएं।“

“नहीं कैप्टेन....... मैं जान गया हूं कि........ वह अब इस दुनिया में नहीं है ......उसे भी शायद इन आने वाले पलों का एहसास हो गया था.. .........तभी वह मुझे बाहर जाने के लिए मना कर रही थी.......लेकिन मैं.......मैं तो अपनी इस कमीनी लत का गुलाम हो गया हूं।“ कहते हुए अलबर्ट ने अपनी जेब से सिगरेट का पैकेट निकाल लिया।

“मैं.......मैं जानता हूं कि मारिया को किसने मारा ?“ एकाएक ही अलबर्ट विक्षिप्त सा नजर आने लगा।

“क्या ऽऽऽऽ?“ अलबर्ट के शब्दों को सुन, सुयश सहित ब्रैंडन और ऐलेक्स अवाक रह गये- “आपको पता है कि मारिया मैडम को किसने मारा ?“

“हां..........मुझे पता है.......... उसको... .....उसको इसने मारा।“ अलबर्ट ने ‘क्लासिक‘ सिगरेट के पैकेट की ओर इशारा करते हुए कहा- “यही है जिसने मेरी मारिया को मुझसे छीन लिया............ मैं. .. ...मैं इसे जिंदा नहीं छोडूंगा......मैं भी इसे मार डालूंगा।“

इतना कहकर अलबर्ट ने सिगरेट का पैकेट जमीन पर फेंक दिया और उसे अपने पैरों तले कुचलने लगा सुयश, अलबर्ट की यह हालत देख, धीरे से फोन की ओर बढ़ गया-

“हैलो डॉक्टर निक्सन!........मैं रूम नंबर 927 से सुयश बोल रहा हूं। आप फौरन अपना बैग लेकर इस केबिन में आ जा इए।“ इतना कहकर सुयश ने फोन काट दिया।

उधर अलबर्ट अब पागलों की तरह अपना जूता उतारकर सिगरेट को पीट रहा था।

“नशीली चुड़ैल......आज मैं तुझे नहीं छोडूंगा.......मार डालूंगा।“

सुयश ने धीरे से ब्रैंडन को इशारा किया। ब्रैंडन ने आगे बढ़कर अलबर्ट को पीछे से पकड़ लिया। अलबर्ट अपने आपको ब्रैंडन की पकड़ से छुड़ाने की भरपूर कोशिश करने लगा।

“छोड़ो मुझे..........वरना कातिल भाग जाएगा........वो मेरी मारिया को...... ले जा रहा है।“

अलबर्ट अभी भी चिल्लाये जा रहा था। लेकिन लंबे-चैड़े ब्रैंडन की पकड़ बहुत शक्तिशाली थी। चाहकर भी अलबर्ट, ब्रैंडन की पकड़ से छूट नहीं पा रहा था। तभी डॉक्टर निक्सन भागते हुए अपने असिस्टेंट के साथ रुम में दाखिल हुए।

“क्या बात है कैप्टन?“ डॉक्टर निक्सन ने अलबर्ट पर एक नजर मारते हुए कहा।

“इन्हें तुरंत एक नींद का इंजेक्शन दीजिए।“ सुयश ने अलबर्ट की ओर इशारा करते हुए कहा।

“नहीं डॉक्टर.....! मुझे नींद का इंजेक्शन मत देना.........मैं अभी तक सो ही तो रहा था.............. आज पहली बार जागा हूं.......मुझे दोबारा मत सुलाओ.....वरना ...... वरना वो मेरी मारिया को ले जाएगा ।“ अब अलबर्ट की आवाज में गिड़गिड़ाहट के भाव थे।

डॉक्टर निक्सन ने तब तक इंजेक्शन बना लिया था। उसने आगे बढ़कर धीरे से अलबर्ट की दाहिनी बाजू में इंजेक्शन को चुभा दिया।

“छोड़ दो.......मुझे.....वो देखो.... मेरी मारिया.....मुझे बुला...रही .... है...वो... मुझे...पुकार..............।“

अलबर्ट अपनी बात पूरी किए बिना ही बेहोश हो गया। ब्रैंडन ने अब अपनी पकड़ ढीली कर दी। उसने अब अलबर्ट को धीरे से वहीं बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दूसरे पैर का जूता भी खोलकर वहीं रख दिया।

“ब्रैंडन 2 आदमी इनकी सिक्योरिटी में लगा दो और तुम तुरंत मेरे साथ चलो, क्यों कि खतरा अभी टला नहीं है। वह कीड़े पता नहीं कहां तक पहुंच गये होंगे?“ सुयश ने कहा।

“कीड़े......? कैसे कीड़े?“ डॉक्टर निक्सन ने हैरानी से पूछा।

“सॉरी डॉक्टर, अभी कुछ भी बताने का समय नहीं है। जल्दी ही बताता हूं आपको।“

कहकर सुयश ने आखिरी बार अलबर्ट पर नजर मारी और तेजी के साथ कमरे से बाहर निकल गया। ऐलेक्स भी उसके पीछे था।




जारी रहेगा________✍️

इस अपडेट को पढ़ कर ऐसा लग रहा है कि एक तरफ़ अटलांटिस की सभ्यता है, और दूसरी तरफ़ बरमूडा त्रिकोण की प्राकृतिक शक्ति! इन दोनों पाटों के बीच में पिस रहा है सुप्रीम! प्रकृति बहुत हिंसक होती है -- प्रति-क्षण असंख्य जीवों की हत्या करती है प्रकृति। और उसी से मार्ग प्रशस्त होता है नए जीवन का। प्रकृति का सभ्यता से कोई लेना देना नहीं -- वो स्वच्छंद है। इसलिए सभ्यताओं को ही स्वयं को प्रकृति के अनुकूल ढालना पड़ता है। इसीलिए बार बार अटलांटिस सुप्रीम के सामने आ जाता है, जिससे वो सुरक्षित हो सके। लेकिन सुयश समझ ही नहीं रहा है।
 

Mrxr

The eyes reflect what is in the heart and soul.
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# 6.
25 दिसम्बर 2001, मंगलवार, 19:00 “सुप्रीम”

आज क्रिसमस का दिन था । सुबह से ही सारे लोग एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे थे। पूरे शिप पर एक त्यौहार का माहौल था। सुयश ने भी विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया हुआ था। पूरे दिन भर लोगों ने एक बड़ी संख्या में, इन विभिन्न प्रतियोगिताओं में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। शिप के हॉल को भी दुल्हन की तरह सजाया गया था।

धीरे-धीरे शाम हो चली थी । शिप के लगभग सभी व्यक्ति, उस विशालकाय हॉल में एकत्रित थे। हमेशा की तरह इस बार भी सुयश ने स्टेज पर चढ़कर, सबसे पहले सभी को अभिवादन किया, और फिर एक गहरी निगाह उस विशालकाय भीड़ पर डाली । हॉल में इतने सारे लोगों के होने के बाद भी, इस समय बिल्कुल सन्नाटा था । सभी की निगाहें सिर्फ और सिर्फ सुयश पर थीं। सुयश ने सब पर एक नजर डालने के बाद धीरे से माइक संभाला ।

“दोस्तों ! जैसा कि आप जानते हैं, कि आज क्रिसमस का त्यौहार है।“ सुयश की आवाज पूरे हॉल में गूंज रही थी-

“यह त्यौहार पूरे विश्व भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।इसलिए हमने भी अपने शिप पर मौजूद सभी यात्रियों की सुविधा का विशेष ख्याल रखा। उनको जरूरत की लगभग हर चीज उपलब्ध कराई और इस त्यौहार को खुशी का नया रंग देने के लिए, मैंने शिप पर कुछ प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया। मुझे बड़ी खुशी हुई कि अधिक से अधिक लोगों ने इन प्रतियोगिताओं में भाग लिया। अब मैं उन प्रतियोगियों के नाम बताऊंगा, जिन्होंने इन प्रतियोगिताओं में भाग लेकर सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया है।

सुयश ने कुछ क्षण रुककर रोजर के हाथ से, कागज का एक पन्ना लिया और उसे खोल कर देखने के बाद फिर बोलना शुरु कर दिया-

“सबसे पहले मैं अपनी सबसे शानदार प्रतियोगिता, निशानेबाजी में भाग लेने वाले उन सभी 28 प्रतियोगियों को धन्यवाद देना चा हूंगा, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में खुले दिल से भाग लिया और अपनी निशानेबाजी का हुनर दिखा कर, सभी का मनोरंजन किया। अब मैं इस प्रति योगिता में प्रथम, द्वित्तीय और तृतीय आए लोगों के नाम एनाउंस करुंगा, जिनके खूबसूरत और अचूक निशाने को देखकर, आपने भी अपने दांतो तले उंगली दबाली।“

“तो निशानेबाजी का प्रथम पुरस्कार जाता है, मिस्टर तौफीक के नाम पर, जिन्होंने अपने निशाने से, पहले दिए गए सभी लक्ष्यों को भेदा, फिर एक ही गोली से एक कतार में रखी 6 जलती हुई मोमबत्तियों को बुझाया और उसके बाद अभेद्य समझे जाने वाले, 6 सिक्कों को हवा में उछाल कर, जमीन पर गिरने से पहले ही निशाना बनाया ।“


सुयश लगातार बोल रहा था- “अतः मैं मिस्टर तौफीक से आग्रह करूंगा कि वह स्टेज पर आकर अपना मेडल प्राप्त करें।“ सुयश के इतना कहते ही, पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा ।

इन तालियों में एक ताली की आवाज ऐसी थी, जिसमें खुशी की गूंज भी थी और प्यार का इजहार भी। और वह ताली थी जेनिथ की, जो हॉल में एक स्थान पर लॉरेन के साथ बैठी थी। तौफीक इन दोनों से कुछ ही दूरी पर बैठा था। उसने अपना नाम एनाउंस होते देख, एक नजर जेनिथ पर डाली और फिर धीरे धीरे चलता हुआ स्टेज पर जा पहुंचा। अब वह सुयश के सामने था । सुयश ने एक बार बड़े ही गौर से तौफीक को ऊपर से नीचे तक देखा और फिर आगे बढ़कर तौफीक से हाथ मिलाते हुए, बगल में खड़े रोजर से मेडल लेकर तौफीक के सीने पर टांक दिया। पूरा हॉल एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा ।

तौफीक के सीने पर चमचमाता हुआ मेडल देख, जेनिथ खुशी से फूली नहीं समा रही थी । उधर मेडल तौफीक के सीने पर टांकने के बाद सुयश ने माइक के सामने जाकर, तौफीक को माइक पर आने का इशारा किया। एक पल के लिए तौफीक ठिठका और फिर कुछ सोचकर धीरे से माइक के सामने जा पहुंचा। उसके माइक पर पहुंचते ही, सुयश ने तौफीक को संबोधित करते हुए कहा –

“अब मैं मिस्टर तौफीक से उनकी इस शानदार निशानेबाजी का राज पूछना चाहूंगा । मैं चाहूंगा कि वे सबके सामने अपने इस शानदार हुनर का कारण बताएं।“ यह कहकर सुयश शांत हो कर तौफीक के चेहरे को इस तरह देखने लगा जैसे कि उस पर लिखा हो, कि वही अपराधी है। तौफीक ने एक नजर पहले वहां बैठे सभी दर्शकों पर मारी, फिर जेनिथ पर और फिर बिल्कुल शांत भाव से बोलना शुरू किया-

“दोस्तों ! मेरा नाम तौफीक है। मैं वैसे तो मूलतः मिश्र का रहने वाला हूं, पर फ्रांस में रहने के कारण, मुझे वहां की नागरिकता प्राप्त है। मैं वहां की आर्मी फोर्स में मेजर के पद पर कार्य करता हूं। यही कारण है कि मेरा निशाना इतना अचूक है। वैसे तो मैं आमतौर पर इस तरह की, किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं लेता, पर आज किसी के कहने पर मैंने इस प्रतियोगिता में भाग लिया । इसलिए ये मेडल उसी के नाम पर।“ यह कहते समय तौफीक की नजर जेनिथ पर जा कर टिक गई, जो अपलक उसी को देख रही थी । तत्क्षण उसकी नजरें पुनः पूरे हॉल में सरसरी तौर पर घूमी और फिर वह बोला-

“बस दोस्तों ! इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहना चाहूंगा ।“ यह कहकर तौफीक स्टेज से उतरता हुआ धीरे-धीरे अपने स्थान की ओर बढ़ गया। सुयश ने तौफीक को जाते देख पुनः आकर माइक संभाल लिया ।

“अब मैं निशानेबाजी प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पाने वाले, उस प्रतियोगी को स्टेज पर बुलाना चाहूंगा, जिन्होंने बाकी सभी जगहों पर तौफीक को बराबरी की टक्कर दी, परंतु अंतिम राउंड में हार गए। उनका नाम है मिस्टर लोथार।“

तालियों की गूंज के बीच, लोथार स्टेज पर आया। सुयश ने लोथार को एक छोटी सी शील्ड प्रदान की, और फिर उसे भी माइक पर बुलाया ।

“दोस्तों ! मेरा नाम लोथार है। मैं साऊथ अफ्रीका का रहने वाला हूं। मुझे बचपन से ही निशानेबाजी का शौक था । इसलिए मैंने साऊथ अफ्रीका की जानी मानी ‘टारगेट शूटर्स‘ ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण लिया। जिसकी वजह से मैं आज यहां इस मुकाम तक पहुंचा हूं।“

इतना कहकर लोथार ने अपने दाहिने हाथ से अपने होठों को चूम कर, एक फ्लाइंग किस हवा में उछाला और एक हाथ हिलाते हुए, विदाई की मुद्रा में स्टेज से उतर गया।

“अब मैं इस प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर रहे, मिस्टर जैक को स्टेज पर बुलाना चाहूंगा।“ सुयश ने पुनः माइक संभालते हुए कहा-

“इन्होंने भी इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया।“ जैक, सुयश से नजरें चुराता, सिर झुकाए स्टेज पर आया और इससे पहले कि सुयश उसे माइक पर बुला पाता, तेजी से अपनी शील्ड लेकर बिना कुछ बोले स्टेज से उतर गया। सुयश की तीखी निगाहें अंत तक जैक पर थीं। फिर वह अन्य प्रतियोगिताओं के विनर्स का नाम घोषित करने में लग गया। इस प्रकार उस शाम का अंत, सेलिब्रेट करते हुए, शोर- शराबे के बीच बीता।

25 दिसम्बर 2001, मंगलवार, 19:00; “सुप्रीम” मीटिंग रुम :
“हम लोगों का प्लान व प्रतियोगिता का आयोजन तो शानदार रहा।“ सुयश ने रोजर व लारा को बारी-बारी से देखते हुए कहा-

“लेकिन असली चुनौती तो अब शुरू होगी। क्यों कि अब हमें इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले उन सभी 28 प्रतियोगियों के कमरे चेक करने होंगे। जिससे हमें अपराधियों का कुछ सुराग लग सके।“

“कैप्टन!“ रोजर ने सुयश की बात पूरी होते ही पूछा- “वैसे आपने इन सभी 28 प्रतियोगियों को देखा। आपकी समझ से इनमें अपराधी कौन हो सकता है?“ रोजर की बात सुनते ही तुरंत सुयश की आंखों के सामने जैक का चेहरा घूम गया।

“वैसे तो अभी किसी के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।“ सुयश ने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा-
“लेकिन फिर भी मुझे सबसे ज्यादा शक जैक पर हो रहा है। क्यों कि कुछ तो उसकी हरकतें भी अपराधियों के जैसी हैं, और फिर तुम लोगों ने देखा, कि कैसे वह स्टेज पर आकर, बिना कुछ बोले ही चला गया। यहां तक कि उसने यह भी नहीं बताया, कि उसने इतनी अच्छी निशानेबाजी कहां से सीखी ?“

“आप बिल्कुल सही कह रहे हैं, कैप्टन।“ लारा ने भी कैप्टन सुयश की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा-
“मुझे भी वह आदमी कुछ अजीब सा लगा।“

“अच्छा ! अब यह सोचो ।“ रोजर ने लारा की तरह देखते हुए कहा- “कि इन लोगों का कमरा, चेक कब और कैसे करना है? क्यों कि किसी-किसी के साथ तो दो या तीन लोग रहते हैं, और जरूरी नहीं कि सारे लोग एक साथ कमरे से बाहर जाएं। ये भी हो सकता है कि वह लोग जल्दी ही कमरे में वापस आ जाएं। जबकि हमें कमरे चेक करने के लिए समय चाहिए होगा।“

“रोजर बिल्कुल सही कह रहा है।“ सुयश ने लारा की तरफ देखते हुए कहा-

“हमें तलाशी चुपचाप ही लेनी होगी। यदि किसी को इस बारे में पता चल गया तो शिप की बदनामी तो होगी ही, बल्कि समय से पहले अपराधी भी सतर्क हो जाएगा।“

“तो फिर तलाशी के लिए हमें एक महोत्सव फिर से करना पड़ेगा।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “और इस महोत्सव में यह कोशिश करनी होगी कि अधिक से अधिक यात्री, इस में सम्मिलित हों।“

“उसकी जरूरत नहीं है। 5 दिन के बाद नया साल आने वाला है। उसकी पार्टी में तो वैसे भी सारे आदमी हॉल में रहेंगे। यह हमारे लिए सबसे अच्छा मौका रहेगा । हम उसी समय उन सभी के कमरे चेक करेंगे।“ सुयश ने पास रखे पेन को हाथ की उंगलियों में फंसाकर नचाते हुए कहा।

“ठीक है कैप्टन!“ लारा ने जोश में आते हुए जवाब दिया -

“मैं अपनी सिक्योरिटी के सभी आदमियों को एलर्ट करके, उस दिन के बारे में बता दूंगा, और यह 28 प्रतियोगियों की लिस्ट भी, उनके रुम नंबर सहित उनके हवाले कर दूंगा।“

“हाँ ! लेकिन एक बात का ख्याल रहे, तलाशी लेते समय यात्रियों के सामानों के साथ, इस तरह की छेड़छाड़ न की जाए, कि उन्हें बाद में पता चल जाए कि उनके रुम की तलाशी ली गई है।“ सुयश ने कहा।

“ठीक है सर! मैं ऐसा अपनी सिक्योरिटी के आदमियों को बता दूंगा।“ इतना कहकर लारा ने सुयश की ओर जाने की आज्ञा लेने वाली दृष्टि से देखा । सुयश ने यह देख लारा को जाने का इशारा कर दिया। लारा के जाने के बाद सुयश, रोजर की तरफ घूमा-

“रोजर वैसे तो हमारा प्लान बहुत अच्छा है, पर अगर हमें इसके द्वारा सफलता ना मिली तो ?“

“इसके लिए हमें पहले से ही कुछ और प्लान भी करना पड़ेगा।“ रोजर ने शांत स्वर में कहा-

“लेकिन आप चिंता ना करें कैप्टेन, मैं कोई ना कोई प्लान और बना ही लूंगा।“

“ठीक है, फिर आगे की बातें हम बाद में ही करेंगे।“ सुयश ने मीटिंग खत्म करने वाले अंदाज में कहा , और उठकर खड़ा हो गया । रोजर भी उठ कर खड़ा हो गया और सुयश से विदा लेकर केबिन से बाहर निकल गया।




जारी रहेगा…..... :writing:
Ye vo hi jake hai na jo jonny ke sath tha
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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ई ल्यो! हमको लगा कि जम्बूद्वीप के किसी देवता की प्रतिमा होगी, लेकिन हियाँ सुसरा वो ग्रीक पोसाइडन निकला! और ये झोपड़ी कोई विमान लगता है। अटकल-बाज़ी में क्या आनंद आता है! हाहा!!
कैप्टेन व्योम को अटलांटिस द्वीप ने अपने पास बुला ही लिया! इतना तो तय है कि द्वीप किसी को मार नहीं रहा है - एक उन्नत सभ्यता अकारण ही किसी की हत्या नहीं करती। यह काम तो आदिवासियों का है; असभ्यों का है; जंगली कबीलाई मानसिकता वाले लोगों का है -- इसके असंख्य उदाहरण उपलब्ध हैं!
अब चूँकि अटलांटिस एक उन्नत सभ्यता है, इसलिए तो स्वयं को छुपा कर रखना चाहते हैं। लिहाज़ा, वो इस तरह से मानवों को अपने साम्राज्य में लिवा लाते हैं।
ए ही तो लफड़ा हुई गवाह भाई :dazed: ऊ ससुर पोसाइडन के वंशज ही परेशान करत है:idk1:
हम तोसे सहमत हू, ऊ ससुर विमान भी हो सक्त है:five:, उधर व्योम जो गायब हुआ है, वह फिर से पृगट भी हो सकता है।
ये जगह बडी अटपटी है भाई, आपके इस प्रयास पूर्वक लिखे हुए रिव्यू के लिए बोहोत-2 आभार 🙏🏼
 

ayush01111

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#4
चैपटर-2
23 दि सम्बर 2001, रविवार, 22:30; “सुप्रीम”

कैप्टन सुयश को वायरलेस रूम में प्रवेश करते देख, ऑपरेटर ने ईयरपीस कान से हटाकर, अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया ।

“कैप्टन! आपके लिए न्यूयॉर्क बंदरगाह से कोई मैसेज है।“ ऑपरेटर ने कैप्टन सुयश को देखते हुए कहा । कैप्टेन सुयश तुरंत ऑपरेटिंग कुर्सी पर बैठते हुए, ऑपरेटर से ईयरपीस लेकर अपने कानों पर चढ़ा लिया ।

“हैलो -हैलो ! सुप्रीम कॉलिंग डेल्टास्टार।“ कैप्टेन सुयश ने कहा ।

“डेल्टास्टार कॉलिंग सुप्रीम।“ इयरपीस पर उधर से आती हुई एक महीन सी आवाज सुनाई दी-

“हम आपकी आवाज सुन रहे हैं। क्या आप कैप्टन सुयश बोल रहे हैं? ओवर!“

“यस! मैं सुप्रीम से कैप्टन सुयश बोल रहा हूं। ओवर!“

“कैप्टेन! मैं न्यूयॉर्क के बंदरगाह से बोल रहा हूं। अभी-अभी हमें इंटरपोल द्वारा विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है, कि आपके शिप पर कुछ खतरनाक अपराधी भी सफर कर रहे हैं। उनके पास खतरनाक हथियार भी हो सकते हैं। इसलिए इंटरपोल ने हमें तुरंत आपको यह मैसेज भेजने के लिए कहा है। ओवर!“

“खतरनाक अपराधी !“ कैप्टेन सुयश आश्चर्य से भर उठा- “वो भी खतरनाक हथियार के साथ। कैप्टन सुयश ने 1 सेकेंड रुक कर फिर कहा-

“क्या आप हमें बता सकते हैं? कि वह संख्या में कितने हैं? या वह दिखने में कैसे हैं? या फिर कोई उनकी ऐसी पहचान, जो उन को पकड़वाने में मदद कर सके? ओवर!“

“हमें अभी तक इस तरह की कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है।“ उधर से आवाज आयी- “वो एक से लेकर दस तक की संख्या में भी हो सकते हैं। वह आदमी या औरत में भी हो सकते हैं। ओवर!“

“तो फिर हम इतनी भीड़ में उन्हें पहचानेंगे कैसे?“ कैप्टन सुयश ने व्यग्र स्वर में कहा- “ओवर!“

“हमें तो जितना पता था, उतना हमने बता दिया। आगे जैसे ही हमें इंटरपोल से कोई अन्य मैसेज मिलेगा, हम आपको जरूर बताएंगे। आगे हम इतना ही कह सकते हैं, कि यदि आप उन्हें पहचान कर पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं, तो फिर अगले स्टॉपेज पर उन्हें इंटरपोल के हवाले कर दीजिएगा ।“ कुछ क्षण रुककर उधर से पुनः आवाज आई-

“आपको और कोई सवाल पूछना है? ओवर!“

“नहीं ! ओवर एण्ड आउट।“ इतना कहकर कैप्टन सुयश ने संबंध विच्छेद कर दिया । तभी पास में खड़े असिस्टेंट कैप्टन रोजर, जोनाजा ने कब आकर पीछे खड़ा हो गया था, और इतनी देर से उनकी आधी अधूरी बातें सुन रहा था, उसने पूछ लिया -

“क्या बात है कैप्टन? आप कुछ परेशान से दिख रहें हैं। क्या बात हुई? सब ठीक तो है ना ?“ कैप्टन सुयश ने रोजर की बात अनसुनी कर, वायरलेस रूम से बाहर निकलते हुए कहा-

“सिक्योरिटी इंचार्ज लारा को लेकर तुरंत मेरे केबिन में आओ रोजर।“

23 दिसम्बर 2001, रविवार, 23:15; “सुप्रीम”

इस समय असिस्टेंट कैप्टन रोजर व सिक्योरिटी इंचार्ज लारा, दोनों ही कैप्टन सुयश के सामने बैठे थे।

“मैं आप लोगों से वायरलेस पर हुई सारी बातें बता चुका हूं।“ सुयश ने चिंतित स्वर में रोजर व लारा की तरफ देखते हुए कहा- “अब आप ही बताइए, कि इतने बड़े शिप पर अपराधियों को कैसे ढूंढा जा सकता है?“

कुछ क्षणों के लिए तीनों के बीच सन्नाटा छा गया। इस लंबे खिंच रहे सन्नाटे को तोड़ा , रोजर की आवाज ने-

“कैप्टन! सबसे पहले हमें अपराधी को पहचानने के लिए, कोई प्लान बनाना होगा । क्यों कि ऐसे तो शिप में कुल 2700 यात्री सफर कर रहे हैं। अब इसमें से किसी विशेष व्यक्ति की पहचान कर पाना बिल्कुल असंभव है। और वह भी तब जबकि हमें उसके बारे में कुछ ना पता हो।“

“यही तो मैं भी कहना चाहता हूं।“ सुयश ने चिंतित स्वर में उठकर चहल कदमी करते हुए कहा -

“पर, प्लान क्या बनाएं?“ पुनः कमरे में एक तीव्र सन्नाटा व्याप्त हो गया। घड़ी की सुईयों की तरह टक-टक करता हुआ, सभी का दिमाग तेजी से चल रहा था। पुनः रोजर की आवाज ने सन्नाटे को तोड़ा-

“कैप्टन! सबसे पहले हमें यह पता लगाना होगा कि अपराधियों की संख्या कितनी है?“

“मैं कहता हूं कि अपराधियों की संख्या 5 है।“ लारा ने रोजर को देखते हुए कहा- “लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। सबसे बड़ी प्रॉब्लम तो अपराधी का पता लगाने की है, ना कि उनकी संख्या जानने की।“

“फर्क पड़ता है।“ रोजर ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा- “क्यों कि, यदि अपराधी ज्यादा संख्या में है, तो वह सारे एक जगह पर कमरे नहीं लिए होंगे। और ना ही वह ग्रुप में बैठते होंगे।“

“क्या कहना चाहते हैं आप?“ सुयश ने रोजर की ओर देखते हुए कहा ।

“कहने का मतलब यह है कैप्टन कि सबसे पहले इतने बड़े शिप में हमें ग्रुप बनाने होंगे। कि कौन सा व्यक्ति अपराधी हो सकता है? और कौन नहीं । ग्रुप से मेरा मतलब यह है, कि यदि कोई आदमी अपने बच्चों के साथ सफर कर रहा है। तो हमारी समझ से वह अपराधी नहीं हो सकता। इसलिए उसे हम अपने ग्रुप से बाहर कर देंगे और हम उसे नहीं चेक करेंगे।“

“वेरी गुड!“ सुयश ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “अच्छा, अब हमने उन आदमियों को अपने ग्रुप से बाहर करना है, जो ग्रुप बना कर बैठते हैं, क्यों कि अपराधी कभी ग्रुप में नहीं बैठेगा।“

“बिल्कुल ठीक कैप्टन।“ रोजर खुशी से बोला- “यही तो मैं कहना चाह रहा था। अब हम बिल्कुल सही लाइन पर बढ़ रहे हैं।“

“जिनके साथ बूढ़ी महिलाएं हैं, गौरतलब है सिर्फ बूढ़ी महिलाएं।“ लारा ने महिला शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए कहा-

“क्यों कि बूढ़ा आदमी तो अपराधी हो सकता है, पर बूढ़ी महिला नहीं। ऐसे लोगों को भी हमें अपने ग्रुप से बाहर कर देंगे।“

“अब हमें कोई ऐसी निशानी ढूंढनी है, जो साधारण आदमी में तो आसानी से ना मिलती हो पर हर अपराधी में पाई जाती हो।“ सुयश ने दिमाग पर जोर डालते हुए, रोजर व लारा की तरफ देखते हुए कहा। एक बार फिर केबिन में सन्नाटा छा गया । सभी अपने-अपने दिमाग का पूरा इस्तेमाल कर रहे थे। पुनः रोजर ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया-

“सर! सारे अपराधी हथियार चलाना जानते हैं। पर सारे यात्री हथियार नहीं चला सकते।“

“मार्वलश!“ सुयश की आंखों में यकायक जैसे हजार वाट का बल्ब जल गया हो। लारा की आंखों में भी रोजर के लिए प्रशंसा के भाव थे।

“लेकिन सर!“ लारा के शब्दों में व्यग्रता झलक रही थी-

“यह कैसे पता करेंगे? कि कौन सा यात्री हथियार चला लेता है? और कौन नहीं ?“

“यह पता करना तो बहुत आसान है।“ सुयश ने लारा को देखते हुए कहा-

“हम शिप पर एक निशाने बाजी की प्रतियोगिता रखेंगे। सभी लोगों से यह कह दिया जाएगा, कि यह मात्र मनोरंजन के लिए है। जिसको-जिसको निशानेबाजी का शौक है। वह हमारी इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। और मेरा यह दावा है कि जो भी अपराधी शिप में है, वह इस प्रतियोगिता में भाग अवश्य लेगा। लेकिन परेशानी यह है, कि अगर वह पूछेंगे कि यह प्रतियोगिता किस उपलक्ष में की जा रही है, तो उन्हें हम क्या जवाब देंगे।“

“तो इसमें सोचने वाली क्या बात है?“ लारा ने कहा- “आज 23 दिसंबर है। आज से ठीक 2 दिन बाद क्रिसमस का त्यौहार है। सभी लोग उसकी पार्टी तो मनाएंगे ही .... इसी में हम प्रतियोगिता भी करा देंगे।“

“तो बिल्कुल फाइनल रहा।“ सुयश ने ’थम्बस-अप’ की स्टाइल में अपनी मुट्ठी को बंद कर, अंगूठा ऊपर करते हुए, जोरदार झटके से हाथ हिलाया-

“कल मैं सभी लोगों को यह अनाउंस कर दूंगा। और हां लारा तुम अपनी सिक्योरिटी के सभी आदमियों को अलर्ट कर दो कि वह सभी यात्रियों पर कड़ी नजर रखें।“

इतना कहकर सुयश ने अपनी इस छोटी सी मीटिंग का समापन किया। रोजर व लारा भी चुपचाप कमरे से निकल गए।





जारी रहेगा…….... :writing:
Captain ke dimag ka jawab nahi nicr
 

ayush01111

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#5

24 दिसम्बर 2001, सोमवार, 09:30; “सुप्रीम”

आज सुबह से ही शिप का डेक, पूरी तरह भर गया था । मौसम आज भी साफ था । सूर्य की स्निग्ध सी किरणें समुद्र की लहरों से टकरा कर, एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रहीं थीं । सुप्रीम पूरे जोश से
समुद्र का सीना चीरता हुआ, अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा था । प्रोफेसर अलबर्ट, अपनी पत्नि मारिया के साथ एक एकांत जगह ढूंढकर आराम से बैठे थे।

“कितना अच्छा लग रहा है ना मारिया।“ अलबर्ट ने सुनहली धूप पर एक नजर डालते हुए कहा -

“शहर की चीख-पुकार से भरी जिंदगी से दूर, अकेले तन्हाई में बैठना। ना कोई काम करने की टेंशन, न ही पैसे के पीछे भागने वाली जिंदगी। सभी कुछ सुकून से भरा हुआ।“

“सही कह रहे हैं आप।“ मारिया ने भी अलबर्ट की हां में हां मिलाई-

“आपका दिन-रात अपने शोध के पीछे इस तरह भागना । हमें तो बात करने का भी समय नहीं मिल पाता था । अब तो आज को देखकर बस दिल यही कहता है, कि यहीं कहीं आस-पास किसी सुनसान द्वीप पर चल कर रहा जाए। जहां पर हमारे और आपके सिवा और कोई इंसान ना हो।“

“सच! आज जिंदगी को देखकर यह लगता है कि मैंने अपने पूरे जीवन में
आखिर क्या हासिल कर लिया ?“ अलबर्ट ने खड़े होते हुए, एक लंबी सांस लेते हुए कहा-

“जवानी से आज तक भागता रहा,..... भागता रहा...... सिर्फ भागता रहा। किस चीज के पीछे ......पता नहीं ?.....क्या पाया? ...........मालूम नहीं। क्या यही जिंदगी थी ?“

थोड़ी देर रुक कर अलबर्ट ने मारिया को सूनी आंखों में झांकते हुए, पुनः कहना शुरू किया-

“आज हमारी शादी को लगभग 40 साल होने वाले हैं। लेकिन आज तक मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया। यहां तक कि वक्त भी नहीं।“
बोलते-बोलते अलबर्ट इतना भावुक हो गया, कि उसकी आंखों की दोनों कोरों में पानी आ गया। फिर वह धीरे से चलकर मारिया के पास आया और उसकी तरफ अपना दाहिना हाथ बढ़ा दिया। मारिया ने भी अपना दांया हाथ उठाकर अलबर्ट के हाथ पर रख दिया अलबर्ट के थोड़ा सहारा देते ही, मारिया उठकर खड़ी हो गई। अलबर्ट ने उसका हाथ, इस तरह से थाम लिया, मानो अब वह पूरी जिंदगी इसे ना छोड़ने वाला हो। धीरे-धीरे चलते हुए दोनों डेक की रेलिंग तक पहुंच गये। दोनों ही शांत भाव से इस तरह से सागर को निहार रहे थे। मानो वह इनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव हो।


“अब तुम बिल्कुल फिक्र ना करना मारिया।“ अलबर्ट ने खामोशी तोड़ते हुए कहा-

“आज से मैं दिन-रात तुम्हारे साथ रहूंगा। तुम जो कहोगी, मैं वही करूंगा। अब तो मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी।“

“इन बातों और इन लहरों को देखकर तुम्हें कुछ याद नहीं आता अलबर्ट।“ मारिया ने अलबर्ट को बीते दिनों की याद दिला ते हुए कहा। अलबर्ट ने सोचनीय मुद्रा में दिमाग पर जोर डाला। पर उसे कुछ समझ नहीं आया कि मारिया किस बात को याद दिलाने की कोशिश कर रही है। अन्ततः उसने सिर हिलाकर पूछा-

“क्या ?“

“हम लोग लगभग 40 साल पहले एक ऐसे ही शिप पर पहली बार मिले थे और उसके कुछ दिनों बाद, तुमने मुझसे यही शब्द बोले थे कि’ अब मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी’ और उसके कुछ दिनों बाद हम लोगों ने शादी भी कर ली थी।“

“वह दिन तो कुछ और ही थे।“ अलबर्ट भी शायद अतीत के कोने में चला गया-

“तब तो मैं कॉलेज में दोस्तों के साथ शायरी भी लिखा करता था। और........और तुम्हें वो शायरी याद है, जो मैंने तुम्हें पहली बार लिखकर सुनाई थी।“

एकदम से अलबर्ट बीते दिनों को याद कर खुशी से झूम उठा। उसे एकदम से लगने लगा, कि वह फिर से जवान हो गया। लेकिन इससे पहले कि वह किसी कालेज ब्वाय की तरह शायरों के अंदाज में शायरी कर पाता, माइकल को उधर आते देखकर, सामान्य हो गया। अलबर्ट
की इस स्टाइल पर मारिया को इतनी तेज हंसी आई कि हंसते-हंसते उसका बुरा हाल हो गया।

“क्या बात है अलबर्ट सर! मैडम बहुत तेज हंस रहीं हैं? क्या हो गया ?“ माइकल ने आते ही पूछ लिया।

“कुछ नहीं बेटे ! कुछ पुरानी बातें याद आ गई थीं।“ अलबर्ट ने जवाब दिया-

“उन्हें छोड़ो, अपनी सुनाओ, आजकल क्या चल रहा है?“

“फिलहाल सिडनी वापस जा रहा हूं सर। .......“ बोलते-बोलते रुक कर
माइकल ने हवा में हाथ मिलाया जो कि एक इशारा था, दूर खड़े शैफाली व मारथा को उधर बुलाने का।

“अच्छा ! यही है तुम्हारा परिवार।“ अलबर्ट ने मारथा व शैफाली पर नजर डालते हुए कहा-

“और ये है तुम्हारी बच्ची शैफाली। जिसके बारे में अक्सर तुम मिलने पर मुझे बताया करते थे।“ तब तक दोनों नजदीक आ गए थे। मारथा ने सिर झुका कर बारी-बारी से अलबर्ट व मारिया को अभिवादन किया।
आते ही शैफाली ने अंदाजे से अलबर्ट की ओर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा-

“हैलो ग्रैंड अंकल!“

“ग्रैंड अंकल........।“ अलबर्ट यह शब्द सुन आश्चर्य से भर उठा- ये ग्रैंड अंकल क्या होता है बेटे ? ग्रैंड फादर तो सुना है, पर यह ग्रैंड अंकल.....।“

“मैं तो आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी। क्यों कि डैड के जितने दोस्त आते हैं वह मेरे अंकल हुए। तो आप तो मेरे डैड के भी सर हो और ग्रैंड भी। इसलिए मैं आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी।“ शैफाली नें तर्क देते हुए कहा।

“अच्छा-अच्छा ठीक है। तुम मुझे ग्रैंड अंकल ही कहना।“ अलबर्ट ने सिर हिलाते हुए कहा।

“तुमने जैसा इसके बारे में बताया था।“ अलबर्ट ने माइकल से मुखातिब होकर कहा- “यह ठीक वैसी ही है।“

तभी शैफाली ने दोनों को बीच में टोकते हुए कहा- “ग्रैंड अंकल आप के बाएं कंधे पर एक चींटी चल रही है, उसे हटा लीजिए।“

“व्हाट! अलबर्ट ने आश्चर्य से पहले शैफाली की तरफ देखा। फिर अपने बाएं कंधे पर, जिस पर वास्तव में एक चींटी चल रही थी। उसने चींटी को कंधे से झाड़ कर दोबारा शैफाली की ओर देखा -

“बेटे तुम्हें तो दिखा ई नहीं देता। फिर तुमने कैसे जाना कि मेरे बाएं कंधे पर चींटी चल रही है?“ अलबर्ट ने विस्मय से शैफाली की तरफ देखते हुए कहा।

“अरे ग्रैंड अंकल! आपने कभी चींटियों को एक कतार में चलते देखा है।“ शैफाली ने अलबर्ट से उल्टा सवाल कर दिया-

“अगर हां ! तो आप यह बताइए कि वह एक कतार में क्यों चलती हैं?“

“सभी चींटियां ‘फेरोमोंस‘ नामक एक विशेष प्रकार की गंध छोड़ती हैं।“ अलबर्ट में अपने ज्ञान का पूरा परिचय देते हुए कहा-

“जिससे उसके पीछे आने वाली
चींटियां उस गंध का अनुसरण करती हुई चलती हैं।“

“बिल्कुल ठीक कहा आपने ग्रैंड अंकल! शैफाली ने चुटकी बजाते हुए कहा-

“तो जो चींटी आपके कंधे पर चल रही थी। वह भी गंध छोड़ती हुई चल रही थी। जिसे सूंघकर मैंने जान लिया, कि एक चींटी आपके कंधे पर है।“

“यह कैसे संभव है?“ अलबर्ट बिल्कुल हैरान रह गया -

“तुम्हें चींटी की गंध कैसे मिल गई। वह तो इतनी हल्की होती है, कि चींटी के अलावा, अन्य बड़े जानवर भी उसे सूंघ नहीं पाते।“

“आपको कैसे पता कि अन्य जानवर उसे सूंघ नहीं पाते?“ शैफाली ने एक प्रश्न का गोला और दाग दिया -

“यह भी तो हो सकता है कि उसे जानवर सूंघ लेता हो पर वह सुगंध उसके मतलब की नहीं रहती, इसलिए वह उस पर ध्यान ना देता हो।“

“हो सकता है ।“ अलबर्ट ने गड़बड़ा कर जवाब दिया- “पर तुम्हें कैसे उसकी गंध मिल गयी ?“

“ग्रैंड अंकल! क्यों कि मैं जन्म से ही अंधी हूं। इसलिए मुझे हर चीज का अनुमान लगाना पड़ता है। जिसके कारण मेरी नाक व कान की इंद्रियां बहुत तीव्र हो गई हैं। मैं जो चीजें सुन व सूंघ सकती हूं, उसे सामान्य आदमी नहीं कर सकता।“

“बड़े आश्चर्य की बात है। मैंने सिर्फ इस बारे में सुना ही था।“ अलबर्ट लगातार विस्मय से बोल रहा था-

“देख पहली बार रहा हूं। अच्छा ये बताओ कि तुम्हें यह कैसे पता चला ? कि वह चींटी, मेरे बांए कंधे पर है।“

“सिंपल सी बात है ! शैफाली ने शांत स्वर में जवाब दिया - “आपने थोड़ी देर पहले मुझसे बात की। जिससे मैं आपकी आवाज सुनकर यह जान गई कि आपकी लंबाई 5 फुट 9 इंच है। आपके मुंह से निकलती आवाज और चींटी के बीच की खुशबू के बीच की दूरी लगभग 6 इंच थी। और आपके बांई तरफ से आ रही थी। जिससे यह पता चला कि वह चींटी आप के बांए कंधे पर है।“

“लेकिन बेटा ! यह भी तो हो सकता था कि मेरे बगल तुम्हारे डैड खड़े हैं। वह चींटी उनके कंधे पर भी तो हो सकती थी।“ अलबर्ट ने अब दिलचस्पी लेते हुए शैफाली का पूरा इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया।

“हो सकती थी ।......... जरूर हो सकती थी । परंतु आप इधर-उधर टहल कर बात कर रहे थे और जैसे-जैसे आप घूम रहे थे। वैसे-वैसे चींटी की गंध भी कम या ज्यादा हो रही थी । जबकि मेरे डैड एक ही स्थान पर खड़े हो कर बात कर रहे हैं।“

अब अलबर्ट का सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर, पूरा का पूरा शैफाली की बातों में लग गया, मानो उसे अपने शोध का एक हथियार मिल गया हो।

“अच्छा बेटे! यह बताओ कि मेरे पैंट की दाहिनी जेब में क्या है?“ अलबर्ट ने पूरा परीक्षण लेते हुए कहा।

“आपकी दाहिनी जेब में एक लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ रखी है।“ शैफाली ने निश्चिंत हो कर जवाब दिया । अलबर्ट शैफाली की बात को सुनकर भौचक्का सा खड़ा रह गया। क्यों कि उसकी पैंट की दाहिनी जेब में, वास्तव में लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ थी।

“बेटे! यह तुमने कैसे जाना ?“ अलबर्ट ने शैफाली से सवाल किया।

“आपके चलने से बार-बार डिबिया के अंदर रखी सौंफ डिबिया की दीवार से टकरा कर एक ध्वनि उत्पन्न कर रही थी। अगर डिबिया, प्लास्टिक की होती तो वह ध्वनि थोड़ी दूसरे तरीके से आती। इस तरह से बार-बार सौंफ का डिबिया से टकराना, यह साबित करता है, कि उसमें जो भी चीज है, वह बहुत छोटे-छोटे कणों में है।“

“छोटे-छोटे कणों में तो कुछ भी हो सकता है?“ अलबर्ट ने शैफाली की बात को काटते हुए कहा - “फिर यह कैसे जाना कि उसमें सौंफ ही है।“

“आपके मुंह से आती सौंफ की खुशबू से, जो लगभग 1 घंटे पहले आपने खाई थी।“ शैफाली ने कहा। शैफाली का हर जवाब अलबर्ट को आश्चर्य से भर रहा था । अब लगा जैसे अलबर्ट को कोई नया खेल मिल गया हो। उसने पास से जा रहे वेटर को रोककर, उसकी फल वाली टोकरी से एक सेब व एक अमरुद निकाल लिया । फिर वेटर से चाकू लेकर सेब व अमरुद को शैफाली के सामने रखा । और फिर अमरूद के चार टुकड़े कर दिए।

“बेटे! यह बताओ कि तुम्हारे सामने अभी-अभी मैंने एक सेब को काटकर कुछ टुकड़ों में बांट दिया है। क्या तुम बता सकती हो ? कि मैंने सेब के कितने टुकड़े किए हैं?“ अलबर्ट ने झूठ बोलते हुए शैफाली से सवाल किया।

“आप झूठ बोल रहे हैं ग्रैंड अंकल!“ शैफाली ने मुस्कुरा कर कहा- “कि आपने सेब के टुकड़े किए हैं। आपने सेब के बगल में रखे अमरूद के चार टुकड़े किए हैं। सेब के नहीं । क्यों कि सेब के कटने से अलग तरह की ध्वनि होती है और अमरूद के कटने से अलग तरह की ध्वनि । और जो चीज ताजा कटती है, उसकी खुशबू ज्यादा तेज होती है।“

उसके जवाबों को सुनकर अब मारिया भी उत्सुकता से उसकी तरफ देखने लगी । इस बार अलबर्ट ने शैफाली के सामने जा कर, बिना हाथ उठाए पूछा-

“ये कितनी उंगली हैं?“

“पहले उंगली तो उठा लीजिए ग्रैंड अंकल! क्यों कि आपकी आवाज बिना किसी अवरोध के मुझ तक आ रही है।“ शैफाली ने चहक कर जवाब दिया ।

अलबर्ट ने वहीं पास में पड़ा एक पतला लोहे का पाइप उठा कर, अपने व शैफाली के चेहरे के बीच लाते हुए कहा-

“अच्छा ! अब ये बताओ। ये कितनी उंगलियां हैं?“

“ये उंगली नहीं, लोहे का पाइप है।“ शैफाली ने जवाब दिया - “क्यों कि आपकी आवाज इससे टकरा कर, मेरे पास पहुंच रही है। और जब आपकी आवाज इससे टकराती है, तो इसमें बहुत हल्के से कंपन हो रहे हैं। वह कंपन झनझनाहट के रूप में मुझे सुनाई दे रहे हैं।“

अलबर्ट के पास हाल-फिलहाल अब कोई सवाल नहीं था। अतः वह चुप रहा । अलबर्ट अब विस्मय से एकटक, चुपचाप शैफाली को इस तरह निहारने लगा मानो वह धरती का कोई प्राणी ना होकर, अंतरिक्ष से आया कोई जीव हो ।

“लगता है ग्रैंड अंकल के पास सवाल खत्म हो गए।“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पूछ लिया ।

“अब मैं आप से पूछती हूं।“ शैफाली ने इस बार अलबर्ट की आंखों के सामने, अपने दाहिने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछा- “ये कितनी उंगलियां हैं?“

अलबर्ट ने अजीब सी नजरों से पास खड़े माइकल, मारथा व मारिया को देखा । उसकी आंखों में प्रश्नवाचक निशान साफ झलक रहे थे।

“आपने बताया नहीं ग्रैंड अंकल! यह कितनी उंगलियां हैं?“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पुनः अपने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछ लिया ।

“पाँच! अलबर्ट ने अजीब से भाव से जवाब दिया ।

“बिल्कुल गलत!“ शैफाली ने तेज आवाज में हंस कर कहा-

“अरे ग्रैंड अंकल ! उंगलियां तो चार ही हैं। एक तो अंगूठा है। और अंगूठे की गिनती उंगलि यों में नहीं करते।“

अलबर्ट ने धीरे से जेब से रुमाल निकालकर अपने माथे पर आए पसीने की बूंद को पोंछा और फिर माइकल की तरफ घूमता हुआ बोला-

“बाप ... रे .... बाप ...... ये लड़की है या शैतान की नानी । मुझे ही फंसा दिया।“

अलबर्ट के इतना कहते ही शैफाली को छोड़ बाकी सभी के मुंह से हंसी का एक जबरदस्त ठहाका फूट निकला ।




जारी. रहेगा.........✍️✍️
Shaifali to instien ki maa lag rahi hai ise padhai se dur rakhna pata chale ek adha law ya math ka naya therom na nikal de
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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इस अपडेट को पढ़ कर ऐसा लग रहा है कि एक तरफ़ अटलांटिस की सभ्यता है, और दूसरी तरफ़ बरमूडा त्रिकोण की प्राकृतिक शक्ति! इन दोनों पाटों के बीच में पिस रहा है सुप्रीम! प्रकृति बहुत हिंसक होती है -- प्रति-क्षण असंख्य जीवों की हत्या करती है प्रकृति। और उसी से मार्ग प्रशस्त होता है नए जीवन का। प्रकृति का सभ्यता से कोई लेना देना नहीं -- वो स्वच्छंद है। इसलिए सभ्यताओं को ही स्वयं को प्रकृति के अनुकूल ढालना पड़ता है। इसीलिए बार बार अटलांटिस सुप्रीम के सामने आ जाता है, जिससे वो सुरक्षित हो सके। लेकिन सुयश समझ ही नहीं रहा है।
यही वो चीज है भैया, जो हर कोई समझ नही पा रहा है, हर दूसरा अपडेट एक नया सवाल छोड जा रहा है, बस हर कोई इस बात पर ध्यान केंद्रित नही कर रहा है शायद :declare: रही बात प्रकृति की तो वह जितना देती है, ओर कोई नही दे सकता:nope:ओर जब लेने पर आए तो------‌।:dazed:खैर, आपके इस प्यार भरे रिव्यू के लिए बहुत-बहुत धन्यावाद भाई :hug:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Ye vo hi jake hai na jo jonny ke sath tha
बिल्कुल ठीक समझ रहे हो आप, ये सत प्रतीशत वही है :declare: Thanks for your valuable review :thanx:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Captain ke dimag ka jawab nahi nicr
Captain suyash, or shefaali ye dono hi dhurandhar hai bhaiya:thumbup: Thanks for your valuable review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Shaifali to instien ki maa lag rahi hai ise padhai se dur rakhna pata chale ek adha law ya math ka naya therom na nikal de
Or kya aap shefaali ko aise hi samjhne ki bhool kar rahe the bandhu?😂 iska dimak chacha Chaudhary se bhi tez chalta hai:lol1:
Thanks brother for your valuable review :thanx:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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