पहले भी कहा था जब ओखली मे सर डाल ही दिया तो फिर मूसल से क्या डरना !
सुयश साहब के लिए यह कहावत सही फिट होता है - " लौट कर बुद्धु घर को आए ।" भले ही यह उनकी इच्छा के वगैर हुआ हो पर आखिरकार मिस्ट्रीयस आइलैंड ही सुयश साहब को एक घर जैसा सुरक्षित पनाहगाह समझ आया ।
असलम ने अपने तरकश के सारे तीर का इस्तेमाल किया ताकि उसका लक्ष्य हासिल हो , जहाज आइलैंड पर लैंड करे । इस सब के पीछे उसका क्या मकसद है नही मालूम , उसके साथ इस मिशन मे कौन कौन शामिल है नही मालूम लेकिन वह अपने जान का सौदा कर के , खुद को मौत जैसे खतरे मे डालने की हिमाकत कभी भी नही कर सकता । " आ बैल मुझे मार " जैसा सनकी तो वह हरगिज नही होना चाहिए ।
खैर देखते है इस आइलैंड पर इनके पुराने साथी और अमेरिकन जासूस पाए जाते है या नही !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
Suyash ko wo panaahgaar to sabit ho sakta hai bhai, per surakshit to bilkul nahi lagta, kyu ki jitne bhi logo ne waha jane ki kosis ki hai, wo na to suraksit waha pahuche, na hi wapas laut paaye
Yahi wajah thi ki suyash jahaaj ka waha nahi le jana chahta
Warna usko apni jaan ki parwaah nahi hai,
Ab aslam ne aisa kyu kiya? Ya uske saathi kon hai? Ye to abhi nahi pata? Lekin waha safe to bhilkul bhi nahi hai, iska pata aage hi chalega, Thank you so much for your amazing review and wonderful support
SANJU ( V. R. ) bhaiya