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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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# -2.

23 दिसम्बर 2001, रविवार 14:15; “सुप्रीम” “

अरे यार! हम इतनी देर से आपस में बातें कर रहें हैं।“ क्रिस्टी ने हल्के से अपने माथे पर चपत लगाते हुए कहा – “पर मैंने तुमसे अभी तक यह नहीं पूछा, कि तुम्हारे ब्वॉयफ्रेंड का क्या हुआ? जो कॉलेज में तुमको चुपके-चुपके लेटर लिखा करता था ।“

“छोड़ो यार!“ लॉरेन ने थोड़ा दुखी स्वर में कहा - “तुमने भी क्या याद दिला दिया ?“

“क्या हुआ? वो तुझे छोड़कर भाग गया क्या ?“ क्रिस्टी ने मजाकिया अंदाज में बोला ।

“भाग कर कहां जाएगा ?“ लॉरेन ने गहरी साँस भरते हुए जवाब दिया - “है तो अभी भी मेरे साथ, और वो भी इसी शिप पर।“

“इसी शिप पर!“ क्रिस्टी ने हवा में हाथ नचाते हुए शायराना अंदाज में कहा - “अरे वाह! और ये तू सबसे बाद में बता रही है। अच्छा छोड़! ये बता, तू उससे मुझे कब मिलवा रही है।“

“क्या खाक मिलवा रही हूं! लॉरेन की आवाज में अभी भी दुख भरा था - “उसने इस शिप पर, मुझसे तक से तो मिलने से मना कर रखा है, फिर तुझे उससे कैसे मिलवाऊं?“

“ये क्या बात हुई?“ क्रिस्टी ने चहककर कहा- “अरे वो तेरा ब्वॉयफ्रेंड है, या कोई जासूस! जो वह तुझसे भी नहीं मिलना चाहता।“

“वह कह रहा था कि उसके कुछ दुश्मन भी इसी शिप पर हैं, जो कहीं मुझे उससे मिलते देखकर मेरे पीछे ना पड़ जाएं। लॉरेन ने कहा-
“इसलिए उसने शिप पर मुझसे मिलने से मना कर रखा है।“

“अच्छा मिलवाना छोड़ो । उसकी कोई फोटो तो मुझे दिखा सकती हो। आखिर मैं भी तो देखूं, कौन है वह सूरमा जो मेरी सहेली के रातों की नींद उड़ाए है।“ क्रिस्टी ने लॉरेन के चेहरे के पास, हवा में हाथ हिलाते हुए कुछ मजा किया अंदाज में कहा ।

“हां फोटो तो दिखा सकती हूं।“ लॉरेन ने स्वीकृति से सिर हिलाते हुए कहा - “मगर एक शर्त है, तुम और किसी से कुछ नहीं बताओगी ।“

“अरे यार! मेरा इस शिप पर और कोई जानने वाला है ही नहीं । फिर भला मैं किसे बताऊंगी । लेकिन अगर तू नहीं मानती है, तोले..... मैं प्रॉमिस करती हूं।“ क्रिस्टी ने बाकायदा चुटकी से गला पकड़ते हुए प्रॉमिस करने वाले अंदाज में कहा – “कि किसी से भी नहीं बताऊंगी ।“

“फिर ठीक है। मैं तुम्हें कल उसकी फोटो जरूर दिखाऊंगी ।“ लॉरेन ने हामी भरते हुए कहा ।

“अच्छा ये बता कि तेरे उन दोनों शौक का क्या हुआ?“ क्रिस्टी ने एक के बाद तुरंत दूसरे सवाल का गोला दागा - “आज भी नयी-नयी भाषाएं सीख रही है या नहीं?“

“मैं जिंदगी में सब कुछ भूल जाऊं, पर अपने शौक को नहीं भूलती ।“ लॉरेन ने पूर्ण आत्मविश्वास भरे लहजे में कहा- “भाषाएं तो मैं आज भी सीख रही हूं। बल्कि यह कहा जाए, कि अब मुझे कुछ भाषाओं, जैसे फ्रेंच, उर्दू आदि में तो महारत हासिल हो गई है। बाकी रही बात दूसरा शौक डांस करने की । तो मैं आज भी वह कर रही हूं। बल्कि उसी की वजह से तो मैं आज इस शिप पर हूं।“

“मैं कुछ समझी नहीं !“ क्रिस्टी ने ना समझने वाले भाव से लॉरेन की तरफ देखते हुए कहा । “

दरअसल कालेज से निकलने के बाद मैंने अपने इस शौक को प्रोफेशन बनाने के लिए सोचा ।“ लॉरेन ने अपनी बात को आगे बढ़ाया - “और फ्रांस की सबसे फेमस ’ड्रीम्स डांस ग्रुप’ में अपना बायो डाटा भेजा । यहां पर मेरी किस्मत अच्छी रही, क्यों कि उस डांस ग्रुप की, एक मुख्य डांसर की, एक एक्सीडेंट में मौत हो जाने से उस समय वहां पर एक जगह भी खाली थी । उन्हों ने मेरा बायो डाटा देखा और मुझे डांस टेस्ट के लिए बुलवा लिया । जिसमें मेरे अच्छे परफॉर्मेंस के कारण मुझे चुन लिया गया। उसी डांस ग्रुप को इस शिप पर डांस प्रोग्राम के लिए रखा गया है। इसलिए मैं उस ग्रुप के साथ आज यहां पर हूं।“

“एक मिनट! ड्रीम्स डांस ग्रुप .......।“ क्रिस्टी ने अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से, अपनी दांई कनपटी पर धीरे-धीरे चोट करते हुए, सोचने वाले अंदाज में कहा - “ कहीं ये जेनिथ वाला डांस ग्रुप तो नहीं ?“

“हाँ ! ..... बिल्कुल ठीक। मैं उसी ग्रुप में इस समय परफॉर्म कर रही हूं और जेनिथ तो इस समय मेरी सबसे खास दोस्त है। यहां तक कि मैं और वो इस समय शिप में एक ही रूम में रुके हुए हैं।“

“अच्छा छोड़ो मेरी बातों को।“ लॉरेन ने कुछ सेकेण्ड रुककर फिर बोलना शुरू किया - “ये बताओ तुम मेरे बारे में ही पूछती रहोगी या फिर कुछ अपने बारे में भी बताओगी । तुम सुनाओ तुम आजकल क्या कर रही हो ? तुम्हें भी तो जिमनास्टिक का बहुत शौक था । कॉलेज वाले सारे दोस्त तुम्हें “रबर की गुड़िया “ कहा करते थे।“

“कहां यार!“ क्रिस्टी ने निराशा भरे स्वर में कहा - “कॉलेज से निकलने के बाद तो डैड ने मुझे ’कंप्यूटर सॉफ्टवेयर’ के बिजनेस में फंसा दिया और उसमें मैं ऐसा फंसी, कि मुझे अपना शौक पूरा करने का टाइम ही नहीं मिला और जब से डैड एक्सपायर हो गए, तब से तो मेरे पास समय और भी ना बचा ।“

“सॉरी यार! मुझे नहीं पता था कि तेरे डैड ........। लेकिन यह बता कि तेरे डैड तो अभी अच्छे भले थे, फिर वह कैसे एक्सपायर हो गए?“ लॉरेन ने क्रिस्टी के दुख में दुखी होते हुए कहा ।

“दरअसल उनकी मौत स्वाभाविक नहीं थी ।“ कहते-कहते एकाएक क्रिस्टी का चेहरा लावे की तरह धधकने लगा - “बल्कि उनका मर्डर हुआ था ।“

“मर्डर!“ लॉरेन के शब्दों में आश्चर्य था ।

“अरे छोड़ो यार!“ क्रिस्टी ने सामान्य होते हुए, मुस्कुराने की एक असफल कोशिश करते हुए कहा- “किसी और टॉपिक पर बात करते हैं।“

“ना बाबा ना ।“ लॉरेन ने घड़ी पर निगाह डालते हुए, कुर्सी से उठते हुए कहा- “समय बहुत हो रहा है। आपस में बातें करते-करते समय का तो पता ही नहीं चला । शाम को हम लोगों का इस शिप पर पहला शो है। अभी शो के लिए हमें काफी तैयारियां भी करनी है। जेनिथ भी मेरी राह देख रही होगी, मुझे अब चलना चाहिए।“ यह कहते हुए उसने पास में रखे, उस कॉफी के बिल पर साइन कर अपना रुम नंo डाल दिया, जो कुछ देर पहले उसके इशारे पर वेटर वहां रख गया था । और फिर क्रिस्टी को “बाय “ करती हुई, रेस्टोरेंट के दरवाजे से बाहर निकल गयी । क्रिस्टी उसे अंत तक देखती रही, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गयी । फिर धीरे से वह भी उठकर दरवाजे की तरफ चल दी ।

अगर वह पीछे पलट कर देखती, तो उसे वह दो आंखें जरूर दिखाई दे जातीं, जो बहुत देर से खूनी नजरों से, लगातार उन पर और उनकी बातों पर नजर रखे थीं । उसके जाने के बाद धीरे से वह साया भी उठा और रेस्टोरेंट के बाहर निकल गया ।


जारी रहेगा….... :writing:
pahdne mein thoda ajeeb lag raha hai.....
naam saare English aur likha hua hai Hindi mein......par aage badhte badhte aadat ho jaayegi...
:shocking: yaha ship mein lagta hai alag hi game chal raha hai.....
sab apne apne mein lage hue hai
Baap mar gaya ab Beti ki baari hai kya.....
bahut saare characters dikh rahe hai....
 

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23 दिसम्बर 2001, रविवार, 17:30; “सुप्रीम”

ऐलेक्स बहुत मुश्किल से क्रिस्टी का रूम नंबर पता कर पाया था । यहां तक कि उसे क्रिस्टी का रुम नंबर जानने के लिए एक वेटर को पटा कर उसे 20 डॉलर भी देने पड़े थे। अंततः वह रुम नंबर 221 के आगे खड़ा था । उसने पहले अपने हाथ में पकड़ी ’ वर्ल्ड फेमस बैंक रॉबरी ’ को ठीक ढंग से पकड़ा और फिर अपने आप को देखते हुए, अपनी टाई की नॉट सही की व गले को ठीक ढंग से खखार कर साफ किया ।
अब उसके बाएं हाथ की तर्जनी उंगली डोरबेल के बटन पर थी । एक बार बटन दबाकर उसने जल्दी से हाथ हटा लिया कि कहीं ऐसा ना हो, कि कई बार बेल बजाने पर खोलने वाला गुस्से में ना बाहर निकले। कुछ देर के इंतजार के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो उसने डरते- डरते पुनः बेल बजाई। तभी अंदर से कहीं सिटकनी खुलने की आवाज आयी, और सिर में टावेल लपेटे हुए क्रिस्टी ने दरवाजा खोला । सिर पर लिपटा टावेल और गले के आसपास भीगा कपड़ा इस बात का द्योतक था, कि वह नहा रही थी ।

उसके चेहरे पर भी कहीं-कहीं पर पानी की बूंदे ओस की मानिंद चिपकी हुई थीं । ऐलेक्स मंत्रमुग्ध सा अप्रतिम सुंदरता की उस प्रतिमा को निहार रहा था । वह शायद यह भी भूल गया, कि वह यहां आया किसलिए है? उधर जब क्रिस्टी के दो बार पूछने पर भी ऐलेक्स सपनों की दुनिया से बाहर नहीं आया, तो क्रिस्टी ने अपने सीधे हाथ से दरवाजा छोड़कर, जोर से ऐलेक्स की आंखों के सामने चुटकी बजाते हुए बोली-

“ऐ मिस्टर! ...... मैं तुमसे ही कह रही हूं। बार-बार घंटी क्यों बजा रहे थे? क्या काम है आपको ? ..... “ एका एक ऐलेक्स ऐसे हड़बड़ा गया, जैसे वह सोते से जागा हो ।

“हैलो ! मेरा नाम ’ऐलेक्जेंडर ओता नोव’ है।“ ऐलेक्स ने अपनी भूरी-भूरी आंखों से क्रिस्टी को निहारते हुए, अपना बांया हाथ आगे बढ़ा कर कहा - “आप प्यार से मुझे ऐलेक्स कह सकती हैं।“

“हैलो ! ..... “ क्रिस्टी ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ा दिया - “मुझे क्रिस्टी कहते हैं, पर मैंने आपको पहचाना नहीं ।“ ऐलेक्स ने धीरे से क्रिस्टी का हाथ उठा कर चूमा और फिर इस तरह शाइस्तगी से उसे छोड़ा, मानों वह हाथ ना हो कर कांच का कोई शोपीस हो। क्रिस्टी की सवालिया निगाहें पुनः ऐलेक्स पर थीं । ऐलेक्स ने धीरे से अपने दाहिने हाथ में पकड़ी वह किताब, जिसे अब तक वह छिपाने का प्रयास कर रहा था, क्रिस्टी की तरफ बढ़ा दी ।

“यह किताब आप डेक पर ही भूल गयीं थीं, मैं यही आपको वापस करने आया हूं।“ ऐलेक्स ने अपने स्वर को बहुत नम्र बनाते हुए जवाब दिया ।

“ओ ऽऽऽऽऽ! थैंक्यू-थैंक्यू।“ क्रिस्टी ने आभार प्रकट करते हुए किताब को धीरे से ले लिया । उसकी निगाह फिर ऐलेक्स पर पड़ी, मानो वह पूछना चाहती हो, कि क्या अब मैं दरवाजा बंद कर सकती हूं। पर ऐलेक्स की तरफ से कोई जवाब ना पाकर वह धीरे से पीछे हटी । ऐलेक्स को ऐसा लगा कि यदि वह तुरंत कुछ ना बोला, तो क्रिस्टी दरवाजा बंद कर लेगी ।

“मुझे आपका रूम नंबर पता करने के लिए 20 डॉलर खर्च करने पड़े।“ ऐलेक्स हड़बड़ा कर बोला । फिर तुरंत चुप हो गया । उसे लगा कि वह जल्दबा जी में गलत बोल गया ।

“20 डॉलर!“ क्रिस्टी ने हंसकर किताब का पिछला पेज ऐलेक्स के चेहरे के आगे कर दिया -

“आपने ज्यादा दे दिया मिस्टर। यह किताब तो मात्र 15 डॉलर की है। हां लेकिन अब आप किताब मेरे पास लेकर आए ही हैं, तो फिर मैं आपके 20 डॉलर आपको जरूर दूंगी ।“ यह कहकर जैसे ही क्रिस्टी अंदर जाने के लिए पलटी , ऐलेक्स ने उसे टोक दिया –

“इक्सक्यूज मी ! मैंने आपसे पैसे तो नहीं मांगे।“ क्रिस्टी पुनः पलटते हुए बोली -

“अच्छा ! मैंने तो समझा, आप शायद इसीलिए रुके हुए हैं।“

“नहीं ...... वो ....मैं तो ......। क्या आप आज रात का डिनर मेरे साथ ले सकती हैं?“ ऐलेक्स ने एकाएक घबराहट छोड़ पूर्ण आत्मविश्वास से क्रिस्टी की आंखों में झांकते हुए कहा ।

“व्हाट!“ क्रिस्टी एका एक ऐलेक्स के टॉपिक चेंज कर देने से बौखला उठी ।

“क्या आप आज रात का डिनर मेरे साथ ले सकती हैं?“ ऐलेक्स ने किसी घिसे-पिटे टेप रिकॉर्डर की तरह रिप्ले हो कर, फिर से वही डायलॉग दोहराया । इस बार क्रिस्टी के चेहरे पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान उभरी । वह धीरे से अपना चेहरा ऐलेक्स के चेहरे के सामने लाकर बोली –


“सुनिए मिस्टर! मैं अजनबियों के साथ डिनर पर नहीं जाती । आप कोई और दरवाजा खटखटाइये।“ यह कहकर वह फिर से दरवाजा बंद करने लगी । यह देखकर ऐलेक्स ने पुनः एक बार उसे रोक दिया ¬-

“एक मिनट रुकिए तो .............। चलिए अच्छा आप डिनर पर नहीं जाना चाहतीं हैं, तो मत जाइये, पर यह तो बता दीजिए, कि हम कल कहां पर मिलें।“

“मैं अजनबियों से ज्यादा बातें करना भी पसंद नहीं करती ।“ इस बार क्रिस्टी ने थोड़ा झुंझला कर गुस्से में कहा-

“अब आप जा सकते हैं, और हां .....यह समझ लीजिए कि आपके 20 डॉलर बेकार चले गए।“ यह कहकर क्रिस्टी ने धडा ऽऽऽक की आवाज के साथ दरवाजा बंद कर दिया । ऐलेक्स दरवाजे पर अकेला रह गया । लेकिन उसके और दरवाजे के बीच एक चीज और रह गयी और वह थी, शैंपू व सेंट की भीनी -भीनी खुशबू। जो कि कुछ देर पहले क्रिस्टी के शरीर से उठ रही थी। ऐलेक्स वहां खड़ा कुछ देर सोचता रहा और फिर जोर-जोर से सांस लेता हुआ बुदबुदाया-

“मेरे 20 डॉलर बेकार नहीं जाएंगे मिस क्रिस्टी । उससे ज्यादा की तो मैं खुशबू ही यहां से लेता जाऊंगा ।“


23 दि सम्बर 2001, रविवार, 19:00; “सुप्रीम” का डिनर हॉल, सुप्रीम की ही तरीके से अत्यंत विशालकाय था । थोड़ी-थोड़ी दूर पर बड़े ही करीने से, कुछ गोल टेबल व उसके इर्द-गिर्द, 4-4 कुर्सियां लगीं हुई थीं। हॉल के एक साइड में, एक बहुत बड़ा अर्धचंद्राकार स्टेज बना था । जिसके चारो ओर कांच के लगे पारदर्शक पत्थरों के पीछे, सैकड़ों रंग की लाइटें लगीं हुईं थीं । स्टेज का फर्श और दीवारें भी, उसमें लगी लाइटिंग के कारण चमक उत्पन्न कर, एक अद्भुत छटा बिखेर रहा था। वह हॉल उस समय किसी छोटे से स्टेडियम की भांति प्रतीत हो रहा था। इसी स्टेज पर डांस ग्रुप को परफॉर्म करना था । स्टेज के एक किनारे पर अनाउंसमेंट के लिए एक लकड़ी का पोडियम लगा था, जिसमें एक माइक फिक्स था। हॉल के एक साइड में एक बड़ा सा बार का उंटर भी बनाथा, जिसके पीछे दुनिया के हर अच्छे ब्रांड की बियर, व्हिसकी व शैम्पेन लगी थी । डिनर हॉल की फर्श व छतों पर लगा शानदार कलर र्पेट, उसकी शोभा में चार चांद लगा रहे थे। कुल मिलाकर वह हॉल सभी सुविधा से युक्त एक 5 सितारा होटल सा नजारा प्रस्तुत कर रहा था । हॉल की लगभग सभी कुर्सियां भरी हुई थीं ।

कुछ लोग डिनर ले रहे थे तो कुछ बियर व व्हिस्की की चुस्कियां ले रहे थे। तभी स्टेज पर सफेद ड्रेस पहने कुछ लोग आकर खड़े हो गए। देखने से ही लग रहा था, कि यह सभी शिप के चालक दल व उसके सहायक हैं। तभी उनमें से एक व्यक्ति ने आगे आकर माइक को संभाल लिया । उसके कंधे पर झलक रहे स्टार व उसके सीने पर लटक रहे असंख्य मेडल, इस बात का सबूत थे कि वही इस शिप का कैप्टन है।

“लेडीज एंड जेंटलमैन! कृपया ध्यान दें। मैं इस शिप का कैप्टन हूं और आज इस शिप के पहले और ऐतिहासिक सफर में आप सभी का स्वागत करता हूं। मैं चाहूंगा, कि यह शिप सफलता के नए कीर्तिमान बनाए।“
कुछ क्षण रुककर कैप्टन ने फिर बोलना शुरू किया-

“सबसे पहले मैं आप लोगों को अपना व अपने सहायक दल से परिचय कराना चाहूंगा। मेरा नाम सुयश है। मैं मूलतः भारत का रहने वाला हूं। मुझे समुद्री यात्राओं का भरपूर अनुभव है। मेरे इतने अनुभव की वजह से ही, मुझे इस शानदार शिप का कैप्टन बनाया गया है। मेरे पीछे खड़े दाहिने से पहले व्यक्ति असिस्टेंट कैप्टन रोजर, इसके बाद सेकेण्ड असिस्टेंट कैप्टेन असलम, फिर सिक्योरिटी इंचार्ज लारा, उसके बगल उनके असिस्टेंट ब्रैंडन, फिर ..........।“

इस तरीके से कैप्टन, सभी का परिचय कराने के बाद पुनः बोला -

“जैसा कि पहले मैं आप लोगों को बता दूं कि मैं नियम और कानून का बहुत पक्का आदमी हूं। मैं चाहता हूं कि आप सभी लोग इस शिप पर एक परिवार की तरीके से रहें। किसी भी यात्री को अगर इस शिप पर, किसी तरीके की परेशानी आती है तो आप 555 नंबर पर सीधे सिक्योरिटी इंचार्ज से बात कर सकते हैं। आप सभी इस शिप पर पूरा इंज्वाय कर सकते हैं। यहां पर आप सभी के रुचियों को ध्यान में रखते हुए, लगभग सभी सुविधाएं रखी गईं हैं। आप इन सभी सुविधाओं का पूरा आनंद उठा सकते हैं। और अब अंत में मैं आपके इस खुशनुमा सफर की मंगल-का मना करता हूं। और अब आपके लिए पेश है फ्रांस का मशहूर ’ड्रीम्स डांस ग्रुप’।“

इतना कहकर कैप्टन सुयश, माइक छोड़कर स्टेज से उतर गया और उसके साथ स्टेज से सारे चालक दल के लोग भी चले गये। इसी के साथ पूरे हाल की लाइट धीमी कर दी गई। हॉल में बिल्कुल सन्नाटा छा गया । तभी स्टेज पर दूर कहीं से एक रोशनी, गोले के रूप में पड़ी । इस रोशनी के गोले में तेज चमक मारती हुई, गुलाबी पोशाक पहने जेनिथ दिखा ई दी । इस तरीके से रोशनी का गोला थोड़ा स्टेज पर आगे बढ़ा ।

उस छोटे गोले के पीछे एक और रोशनी का बड़ा गोला उभरा । जिसमें लॉरेन सहित बाकी डांसर्स आते दिखाई दिए। धीरे-धीरे हल्की म्यूजिक पर डांस शुरू हुआ। सभी मंत्रमुग्ध से इस शानदार डांस का आनंद उठा रहे थे।

“मजा आ गया यार! फ्रांस की मशहूर डांसर जेनिथ, इस शिप पर। अब हमारा सिडनी तक का सफर बहुत अच्छा रहेगा ।“ जैक ने जॉनी के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा ।

“कहां ! ...... कहां है जे..नि ..थ?“ जॉनी ने पैग उठाते हुए, लड़खड़ाती जुबान में पूछा ।

“अरे! वो देख सामने स्टेज पर।“ जैक ने स्टेज की ओर मुंह घुमाते हुए कहा ।

“यार! मु..झे तो पता ... ही ...नहीं ..था कि शि ..प पर जेनिथ भी है।“ जॉनी पूरी तरह से नशे की तरंग में था ।

“मुझे ही कहां पता था, वो तो कैप्टन ने इसके बारे में जब अनाउंसमेंट किया, तब मुझे पता चला ।“ जैक ने जेनिथ को देखते हुए कहा ।

“क्या क......हा ऽऽऽऽ कैप्टन ने इस ... के बा ऽऽऽ रे में भी अना ...उंस किया ऽऽऽ था ।“ जॉनी ने झूमते हुए कहा - “मैं तो समझा ऽऽऽ कैप्ट...न खाली बकवा ऽऽ स कर रहा था ।“

“अबे पीना छोड़। डांस देख डांस।“ जैक ने जॉनी की खोपड़ी अपने हाथों से पकड़कर जबरदस्ती स्टेज की ओर घुमा दी ।

“हा ऽऽऽऽय यार क्या ऽऽऽ नाचती है?“ जॉनी ने अपना चेहरा घुमाते हुए कहा - “और इ .....सकी सफेद ... ड्रेस .... कितनी शा ऽऽऽनदार है।“

“सफेद ड्रेस! जैक ने आश्चर्य से जॉनी की ओर देखा - “पर जेनिथ तो गुलाबी ड्रेस पहने है।“

“फिर ये कौन ना ऽऽऽच रहा ऽऽऽ है।“ इस बार जॉनी के स्वर में उलझन के भाव थे। जैक ने जॉनी की तरफ देखा और उसकी निगाहों का पीछा करते हुए जब उस दिशा में देखा, जिधर जॉनी देख रहा था, तो अपनी खोपड़ी पीट ली -

“अरे गधे! तू जिसे जेनिथ समझ रहा है, वह वेटर है और वह आर्डर सप्लाई कर रहा है। कितनी बार कहा, कम पिया कर। पर मेरी मानता ही नहीं ।“

“वह वेटर है! मैं तो उ...से ही जे....नि ... थ समझ रहा ऽऽऽ था ऽऽऽ।“ जॉनी ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा - “पर एक बा ऽऽत सम ..झ में नहीं आ ऽऽई, यह वेट ..र नाऽऽच क्यों ... रहा ऽऽ है?“

“अरे! वो नहीं नाच रहा है। नशे के अधिक हो जाने से तेरी खोपड़ी झूम रही है।“ जैक ने झुंझला कर कहा । और एक बार फिर उसकी खोपड़ी पकड़कर स्टेज की ओर घुमा दी ।



जारी रहेगा........:writing:
:faint: iss story mei bahut mehnat lagne wali hai apan ko....
Kuch aur naye log introduce hue hai abhi.....
dekhte hai aage kya milta hai
 

mistyvixen

𝑻𝒘𝒐 𝑺𝒕𝒆𝒑𝒔 𝒇𝒓𝒐𝒎 𝑯𝒆𝒍𝒍 🌠
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pahdne mein thoda ajeeb lag raha hai.....
naam saare English aur likha hua hai Hindi mein......par aage badhte badhte aadat ho jaayegi...
:shocking: yaha ship mein lagta hai alag hi game chal raha hai.....
sab apne apne mein lage hue hai
Baap mar gaya ab Beti ki baari hai kya.....
bahut saare characters dikh rahe hai....
Last mein kahi kuch smjh mein nhi aaye toh Raj_sharma sir isko duba ke Titanic wale ending de denge 😂

Abhi toh bahut game khel rhe hai
 

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Last mein kahi kuch smjh mein nhi aaye toh Raj_sharma sir isko duba ke Titanic wale ending de denge 😂

Abhi toh bahut game khel rhe hai
Raj_sharma men apan bahut mehnat karke padh raha hai.....har character ke liye ek chehra imagine karo.....aur bhi bahut mehnat kar raha apan....
Pichli story ki tarah nahi karne ka......Wo jasoos hi mar jaata hai.....theek hai marna tha to koi baat nahi par wo chomu villain kab se laga hua tha inn sab mein.....bahut se sawal rah gaye the uss wale mein.....
:cry2: isme waise ekdum se achanak mat karna
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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# 48
चैपटर-15 6 जनवरी 2002, रविवार, 17:30;

‘सुप्रीम’ मंथर गति से उस रहस्यमय द्वीप से दूर होता जा रहा था। सारे यात्री शाम होने की वजह से डेक को खाली कर अपने रूम की ओर जाने लगे।

सुयश अब भी डेक पर खड़ा था। वह शांत भाव से उछलती हुई लहरों को देख रहा था। उसके साथ जेनिथ, तौफीक, ऐलेक्स, क्रिस्टी , अलबर्ट, असलम, जैक, जॉनी, ब्रैंडन और ड्रेजलर भी खड़े थे।

“कैप्टन इस द्वीप का रहस्य समझ में नहीं आ रहा है।“ जेनिथ ने कहा।

“मिस जेनिथ, वैसे ‘सुप्रीम’ पर जितनी घटनाएं अभी तक घटी हैं। अगर हम वह सब समझने की कोशिश भी करें तो भी हम उसे नहीं समझ सकते। इसलिए अच्छा यही है इस सिर्फ अपने आप को खतरों से बचाने की कोशिश करें ना कि घट रही घटनाओं के पीछे दिमाग लगाने की।“ सुयश ने कहा।

“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।“ इस बार क्रिस्टी ने बोलते हुए कहा- “बीती बातों को भूलकर आगे आने वाले समय के बारे में हमें सोचना चाहिए।“

“वैसे कैप्टन, आपका ऐमू के बारे में क्या ख्याल है?“ तौफीक ने सुयश को ऐमू की याद दिलाते हुए कहा।

ऐमू का नाम सुन सुयश को झटका लगा-
“ऐमू......ऐमू के बारे में तो मैं भूल ही गया था.........ब्रैंडन जरा जा कर देखो ऐमू इस समय कहां है?“ ब्रैंडन सुयश की बात सुन उस ओर चल दिया, जिधर ऐमू को रखा गया था।

“वैसे ऐमू भी कम रहस्यमय नहीं है। क्यों कि वह आया था उसी द्वीप की दिशा से ही।“ ऐलेक्स ने कहा।

“जाने क्यों मुझे बार-बार ऐसा लगता है कि वो ऐमू हमें सिर्फ भटकाने के लिए ही आया था। क्यो कि जब से हम उस सुनहरे मानव के इशारे की दिशा में चले थे, हम पर कोई मुसीबत नहीं आयी थी। पर ऐमू की दिशा में चलते ही हमें पुनः वह द्वीप मिल गया।“ असलम ने कहा।

“एक बात हमने और नोटिस की कैप्टेन।“ क्रिस्टी ने कहा- “वह ऐमू जबसे हमें दिखा था, हम उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। पर वह पकड़ में नहीं आ रहा था। लेकिन जाने क्यों आपको देखते ही, वह आपको ‘दोस्त मिल गया-दोस्त मिल गया ‘ कहते हुए, आपके पास आ गया। इन सारी बातों में कुछ ना कुछ तो रहस्य है ही ?“

“यह बात तो मैंने भी महसूस की थी।“ ऐलेक्स ने क्रिस्टी की बात पर मुहर लगाई।

ये लोग बात करने में व्यस्त थे, पर असलम अपनी आंखों पर दूरबीन चढ़ा, दूर-दूर तक सागर की लहरों को देख रहा था। अचानक उसे बहुत दूर बादलों की एक टुकड़ी दिखाई दी। असलम ने अपनी दूरबीन को पुनः एडजस्ट करके उस दिशा में देखा-
“माई गॉड! कैप्टेन हमें शिप को वापस मोड़ना होगा।“ सभी हैरानी से असलम को देखने लगे।

“कैप्टेन हम जिस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, उस ओर काफी दूरी पर मुझे कुछ काले बादल से नजर आ रहे हैं। मुझे लगता है आगे मौसम बहुत खराब है। हमें उस दिशा में नहीं बढ़ना चाहिए।“ असलम ने दूरबीन आंखों पर चढ़ाए-चढ़ाए ही अपनी बात कम्प्लीट की।

सुयश ने लगभग झपटने के अंदाज में असलम से दूरबीन छीन ली व उस दिशा में देखने लगा जिधर अभी असलम देख रहा था। बादल बहुत ही खतरनाक दिख रहे थे।

“ओ....नो.....आगे तो मौसम बहुत ही खराब है। इतने भयानक बादल तो मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं देखे। बहुत ही जबरदस्त तूफान आने के आसार हैं। अगर हमारा शिप इस तूफान में फंस गया, तो हमारा बचना बिल्कुल ना मुमकिन है। हवा का बहाव भी हमारी तरफ है और वह बहुत तेज भी है। अगर इसी तरह हमारा शिप चलता रहा तो तूफान 35 से 40 मिनट में हम तक पहुंच जाएगा।..........असलम तुरंत वॉकी-टॉकी सेट दो।“ इतना कहकर सुयश ने असलम की ओर हाथ बढ़ाया।

असलम ने जेब से वॉकी-टॉकी सेट निकालकर सुयश के हाथों में रख दिया। सुयश ने वॉकी-टॉकी सेट के एरियल को खींचकर बाहर निकाला और उसे ऑन कर दिया।

“हैलो......कंट्रोल रूम। मैं कैप्टेन सुयश बोल रहा हूं।“

“हैलो....यस कैप्टेन।“ दूसरी तरफ से आवाज आयी।

“तुरंत अपने शिप को विपरीत दिशा में मोड़ लो। हम से लगभग 40 मील दूर एक भयंकर तूफान तेजी से हमारी तरफ बढ़ रहा है।“ सुयश ने कहा।

“तूफान......वह भी 40 मील दूर... ... असंभव।“ उधर से एक महीन आवाज सुनाई दी- “कैप्टेन हमारा तूफान की सूचना देने वाला यंत्र बिल्कुल सामान्य बता रहा है। शायद आपको किसी ने गलत सूचना दे दी है। हमारे यंत्र के हिसाब से अभी दूर-दूर तक मौसम साफ है।“

“मैं जो कह रहा हूं वह करो......।“ सुयश ने लगभग चिल्लाने वाले स्वर में कहा- “तूफान हमें बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है......शिप को तुरंत मोड़ो।“

“ओ.के. सर।“ उधर से घबराई आवाज आयी।

इतना कहकर सुयश ने वॉकी-टॉकी का स्विच ऑफ कर दिया और पुनः तूफान को देखने लगा, जो अब बिना दूरबीन के नार्मल आँखों से भी दिखने लगा था।

तभी ‘सुप्रीम’ को एक झटका लगा और वह मुड़ना शुरू हो गया। बादल बहुत तेजी से ‘सुप्रीम’ की ओर बढ़ रहे थे। अब तो घनघोर काले बादलों के बीच कड़कती हुई बिजली भी सभी को साफ दिख रही थी। बादल के गरजने का शोर भी थोड़ा-थोड़ा सुनाई देने लगा था।

तभी ब्रैंडन दौड़ता हुआ वहां पहुंचा, पर अब उसकी नजरें उस भयंकर तूफान पर थीं, जो साक्षात मौत बनकर उनकी तरफ तेजी से बढ़ रही थीं।

“क्या हुआ ब्रैंडन? ऐमू कहां है?“ सुयश ने भयभीत ब्रैंडन की ओर देखते हुए पूछा।

“ऐमू अपनी जगह पर नहीं है कैप्टेन, सिक्योरिटी के लोगों का कहना है कि उन्होंने उसे मिर्चे और टमाटर खिलाए और उस पर बराबर नजर भी रखे हुए थे। तभी उन्होंने बाहर शोर की आवाज सुनी। यह आवाज उस भीड़ से हो रही थी, जिसने उस द्वीप को देख लिया था। सिक्योरिटी के लोग भी अपनी इच्छा को दबा नहीं पाये और उस द्वीप को देखने चले गए। लेकिन जब वह वापस लौटे तो ऐमू अपनी जगह से गायब था।“

“मुझको पता था कि वह अब नहीं मिलेगा। क्यों कि उसका काम पूरा हो चुका है। उसने हमें पुनः भटका दिया है।“ सुयश ने कहा।

‘सुप्रीम’अब फुल स्पीड से चल रहा था और काले बादल उसका किसी भूत की तरीके से पीछा कर रहे थे।

“यह बादल तो हमें किसी बूमरैंग या फिर इंद्रधनुष की भांति, तीन तरफ से घेर रहे हैं।“ जॉनी जिसका नशा अब पूरी तरह से उड़ चुका था, बादलों को देखता हुआ बोला।

“सही कह रहे हो, यह बादल तो बहुत अजीब से हैं।“ जैक ने कहा- “मैने अपनी पूरी जिंदगी में आज तक कभी ऐसे बादल नहीं देखे।“

शिप बहुत तेजी से चल रहा था, पर बादलों की स्पीड उनसे तेज थी। इसलिए वह बहुत तेजी से उनके पास आ रहे थे। तभी सामने वही द्वीप फिर से किसी दैत्याकार जिन्न की भांति दिखाई दिया।

अब हवाएं भी बहुत तेज हो चुकीं थीं। समुद्र की लहरें सैकड़ों फुट ऊपर उछल रहीं थीं। रह-रहकर अजीब सी फ्लैशलाइट बिखेरती बिजली बादलों में कड़क रही थी। घने काले बादलों की वजह से चारों ओर घोर अंधकार हो गया था।

“शिप की सारी सर्च लाइट्स ऑन कर दो......क्विक....मूव........ क्यों कि तूफान बहुत खतरनाक है........ हवा भी बहुत तेज है......जल्दी करो।“ सुयश वॉकी- टॉकी सेट पर तेजी से चीखा।

“कैप्टेन, बादल हमें तीन तरफ से घेर रहें हैं और चौथी दिशा में वही द्वीप है। अब हमारे पास उस द्वीप पर जाने के सिवा और कोई चारा नहीं है। जल्दी आर्डर दीजिए। हमें क्या करना है?।“ असलम ने चिल्लाकर कहा, क्यों कि आंधी और तूफान की वजह से अब आवाज सुनाई नहीं दे रही थी।

सुयश ने एक बार फिर उन पास आ रहे बादलों को देखा और फिर हथियार डालते हुए बोला-

“अगर हम इस तूफान में फंस गये, तो किसी का भी जिंदा बचना मुश्किल है। मोड़ दो....... सुप्रीम को इस रहस्यमय द्वीप की ओर मोड़ दो .....अब हमारे पास कोई चारा नहीं है, द्वीप पर जाने के सिवा।“

सुयश का आर्डर मिलते ही असलम ने तुरंत वह आर्डर कंट्रोल रूम को भेज दिया। अब शिप तेजी से उस रहस्यमय द्वीप की ओर बढ़ने लगा। बादल अब शिप के काफी पास आ गए थे।

हवा में ऊंचे-ऊंचे उछलती समुद्र की लहरों से इतना भयानक शोर हो रहा था, मानो आज प्रलय निश्चित हो। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बादल इनका पीछा कर रहे हों।

शिप के सभी यात्री अपने-अपने कमरों में अपने ईश्वर को याद कर रहे थे। किसी ने भी मौत को इतने पास से नहीं देखा था।

“कैप्टेन हमें लाइफ बोट्स को रेडी कर लेना चाहिए क्यों कि इतना बड़ा शिप द्वीप के किनारे तक नहीं जा सकता।“ अलबर्ट ने चीखते हुए सुयश को समझाया।

अलबर्ट की बात सुन ब्रैंडन ने बिना सुयश के कहे ही अपनी सिक्योरिटी के सारे आदमियों को लाइफ बोट्स उतारने के काम पर लगा दिया। तेजी से सैकड़ों आदमी लाइफ बोट को उतारने में जुट गए।

किसी अंजानी आशंका को सोच शिप के सारे कर्मचारी सभी यात्रियों को लाइफ जैकेट भी बांटने लगे। वह रहस्यमय द्वीप शनैः-शनैः पास आता जा रहा था। बादल अब शिप के ऊपर तक आ गये थे। बिजली की तेज चमक व गड़गड़ाहट सभी के दिलों में दहशत भर रही थी।

सुप्रीम भी अब लहरों का सामना नहीं कर पा रहा था। वह किसी कागज के जहाज की भांति लहरों पर डोल रहा था। सुयश सहित अब सभी की निगाहें सिर्फ और सिर्फ उस रहस्यमय द्वीप पर थीं।

पहले जिस द्वीप से वह दूर भागना चाहते थे, अब उसी के पास जल्द से जल्द पहुंचने के लिए उतावले हो रहे थे। अब द्वीप की दूरी मात्र 3 मील रह गई थी। सभी के दिल अंजानी आशंका के कारण तेजी से धड़क रहे थे। .................................. ...........................................



जारी रहेगा_________✍️
To aakhir kar wahe hone jaa raha hai jise Suyash karna nahi chahta tha Badalte mausam ki wajh se Suyash ko majbooran Ship ko us ISLAND ki tarf jahaj modne ke leye order dena pada
.
Dekha jay to Suyash apni jagh bilkul sahi bhi tha Q ki us jagh do log Gaye jinse contact toot chuka hai unka or unko mara hua manne ke eleva bhi koi rasta nahi tha unke pass
.
Lekin ek bat smj me nahi aayyii ye Amuu kaha gayab ho gaya achnak se kahe kisi ne Gayab to nahi kar dia Ammuuu ko ya such me Ammuuu rasta bhatakane ke leye aaya tha ship per ya Ammuu ko bheja gaya tha
.
Jane Q Esa lagta hai abhi kuch or bhi Anhoonee hone ko hai lekin kya pata nahi
.
Kafi dilchasp update raha aaj ka
Very Incredible update Raj_sharma bhai
 

Ristrcted

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चैपटर-2
23 दि सम्बर 2001, रविवार, 22:30; “सुप्रीम”

कैप्टन सुयश को वायरलेस रूम में प्रवेश करते देख, ऑपरेटर ने ईयरपीस कान से हटाकर, अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया ।

“कैप्टन! आपके लिए न्यूयॉर्क बंदरगाह से कोई मैसेज है।“ ऑपरेटर ने कैप्टन सुयश को देखते हुए कहा । कैप्टेन सुयश तुरंत ऑपरेटिंग कुर्सी पर बैठते हुए, ऑपरेटर से ईयरपीस लेकर अपने कानों पर चढ़ा लिया ।

“हैलो -हैलो ! सुप्रीम कॉलिंग डेल्टास्टार।“ कैप्टेन सुयश ने कहा ।

“डेल्टास्टार कॉलिंग सुप्रीम।“ इयरपीस पर उधर से आती हुई एक महीन सी आवाज सुनाई दी-

“हम आपकी आवाज सुन रहे हैं। क्या आप कैप्टन सुयश बोल रहे हैं? ओवर!“

“यस! मैं सुप्रीम से कैप्टन सुयश बोल रहा हूं। ओवर!“

“कैप्टेन! मैं न्यूयॉर्क के बंदरगाह से बोल रहा हूं। अभी-अभी हमें इंटरपोल द्वारा विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है, कि आपके शिप पर कुछ खतरनाक अपराधी भी सफर कर रहे हैं। उनके पास खतरनाक हथियार भी हो सकते हैं। इसलिए इंटरपोल ने हमें तुरंत आपको यह मैसेज भेजने के लिए कहा है। ओवर!“

“खतरनाक अपराधी !“ कैप्टेन सुयश आश्चर्य से भर उठा- “वो भी खतरनाक हथियार के साथ। कैप्टन सुयश ने 1 सेकेंड रुक कर फिर कहा-

“क्या आप हमें बता सकते हैं? कि वह संख्या में कितने हैं? या वह दिखने में कैसे हैं? या फिर कोई उनकी ऐसी पहचान, जो उन को पकड़वाने में मदद कर सके? ओवर!“

“हमें अभी तक इस तरह की कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है।“ उधर से आवाज आयी- “वो एक से लेकर दस तक की संख्या में भी हो सकते हैं। वह आदमी या औरत में भी हो सकते हैं। ओवर!“

“तो फिर हम इतनी भीड़ में उन्हें पहचानेंगे कैसे?“ कैप्टन सुयश ने व्यग्र स्वर में कहा- “ओवर!“

“हमें तो जितना पता था, उतना हमने बता दिया। आगे जैसे ही हमें इंटरपोल से कोई अन्य मैसेज मिलेगा, हम आपको जरूर बताएंगे। आगे हम इतना ही कह सकते हैं, कि यदि आप उन्हें पहचान कर पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं, तो फिर अगले स्टॉपेज पर उन्हें इंटरपोल के हवाले कर दीजिएगा ।“ कुछ क्षण रुककर उधर से पुनः आवाज आई-

“आपको और कोई सवाल पूछना है? ओवर!“

“नहीं ! ओवर एण्ड आउट।“ इतना कहकर कैप्टन सुयश ने संबंध विच्छेद कर दिया । तभी पास में खड़े असिस्टेंट कैप्टन रोजर, जोनाजा ने कब आकर पीछे खड़ा हो गया था, और इतनी देर से उनकी आधी अधूरी बातें सुन रहा था, उसने पूछ लिया -

“क्या बात है कैप्टन? आप कुछ परेशान से दिख रहें हैं। क्या बात हुई? सब ठीक तो है ना ?“ कैप्टन सुयश ने रोजर की बात अनसुनी कर, वायरलेस रूम से बाहर निकलते हुए कहा-

“सिक्योरिटी इंचार्ज लारा को लेकर तुरंत मेरे केबिन में आओ रोजर।“

23 दिसम्बर 2001, रविवार, 23:15; “सुप्रीम”

इस समय असिस्टेंट कैप्टन रोजर व सिक्योरिटी इंचार्ज लारा, दोनों ही कैप्टन सुयश के सामने बैठे थे।

“मैं आप लोगों से वायरलेस पर हुई सारी बातें बता चुका हूं।“ सुयश ने चिंतित स्वर में रोजर व लारा की तरफ देखते हुए कहा- “अब आप ही बताइए, कि इतने बड़े शिप पर अपराधियों को कैसे ढूंढा जा सकता है?“

कुछ क्षणों के लिए तीनों के बीच सन्नाटा छा गया। इस लंबे खिंच रहे सन्नाटे को तोड़ा , रोजर की आवाज ने-

“कैप्टन! सबसे पहले हमें अपराधी को पहचानने के लिए, कोई प्लान बनाना होगा । क्यों कि ऐसे तो शिप में कुल 2700 यात्री सफर कर रहे हैं। अब इसमें से किसी विशेष व्यक्ति की पहचान कर पाना बिल्कुल असंभव है। और वह भी तब जबकि हमें उसके बारे में कुछ ना पता हो।“

“यही तो मैं भी कहना चाहता हूं।“ सुयश ने चिंतित स्वर में उठकर चहल कदमी करते हुए कहा -

“पर, प्लान क्या बनाएं?“ पुनः कमरे में एक तीव्र सन्नाटा व्याप्त हो गया। घड़ी की सुईयों की तरह टक-टक करता हुआ, सभी का दिमाग तेजी से चल रहा था। पुनः रोजर की आवाज ने सन्नाटे को तोड़ा-


“कैप्टन! सबसे पहले हमें यह पता लगाना होगा कि अपराधियों की संख्या कितनी है?“

“मैं कहता हूं कि अपराधियों की संख्या 5 है।“ लारा ने रोजर को देखते हुए कहा- “लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। सबसे बड़ी प्रॉब्लम तो अपराधी का पता लगाने की है, ना कि उनकी संख्या जानने की।“

“फर्क पड़ता है।“ रोजर ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा- “क्यों कि, यदि अपराधी ज्यादा संख्या में है, तो वह सारे एक जगह पर कमरे नहीं लिए होंगे। और ना ही वह ग्रुप में बैठते होंगे।“

“क्या कहना चाहते हैं आप?“ सुयश ने रोजर की ओर देखते हुए कहा ।

“कहने का मतलब यह है कैप्टन कि सबसे पहले इतने बड़े शिप में हमें ग्रुप बनाने होंगे। कि कौन सा व्यक्ति अपराधी हो सकता है? और कौन नहीं । ग्रुप से मेरा मतलब यह है, कि यदि कोई आदमी अपने बच्चों के साथ सफर कर रहा है। तो हमारी समझ से वह अपराधी नहीं हो सकता। इसलिए उसे हम अपने ग्रुप से बाहर कर देंगे और हम उसे नहीं चेक करेंगे।“

“वेरी गुड!“ सुयश ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “अच्छा, अब हमने उन आदमियों को अपने ग्रुप से बाहर करना है, जो ग्रुप बना कर बैठते हैं, क्यों कि अपराधी कभी ग्रुप में नहीं बैठेगा।“

“बिल्कुल ठीक कैप्टन।“ रोजर खुशी से बोला- “यही तो मैं कहना चाह रहा था। अब हम बिल्कुल सही लाइन पर बढ़ रहे हैं।“

“जिनके साथ बूढ़ी महिलाएं हैं, गौरतलब है सिर्फ बूढ़ी महिलाएं।“ लारा ने महिला शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए कहा-

“क्यों कि बूढ़ा आदमी तो अपराधी हो सकता है, पर बूढ़ी महिला नहीं। ऐसे लोगों को भी हमें अपने ग्रुप से बाहर कर देंगे।“

“अब हमें कोई ऐसी निशानी ढूंढनी है, जो साधारण आदमी में तो आसानी से ना मिलती हो पर हर अपराधी में पाई जाती हो।“ सुयश ने दिमाग पर जोर डालते हुए, रोजर व लारा की तरफ देखते हुए कहा। एक बार फिर केबिन में सन्नाटा छा गया । सभी अपने-अपने दिमाग का पूरा इस्तेमाल कर रहे थे। पुनः रोजर ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया-

“सर! सारे अपराधी हथियार चलाना जानते हैं। पर सारे यात्री हथियार नहीं चला सकते।“

“मार्वलश!“ सुयश की आंखों में यकायक जैसे हजार वाट का बल्ब जल गया हो। लारा की आंखों में भी रोजर के लिए प्रशंसा के भाव थे।

“लेकिन सर!“ लारा के शब्दों में व्यग्रता झलक रही थी-

“यह कैसे पता करेंगे? कि कौन सा यात्री हथियार चला लेता है? और कौन नहीं ?“

“यह पता करना तो बहुत आसान है।“ सुयश ने लारा को देखते हुए कहा-

“हम शिप पर एक निशाने बाजी की प्रतियोगिता रखेंगे। सभी लोगों से यह कह दिया जाएगा, कि यह मात्र मनोरंजन के लिए है। जिसको-जिसको निशानेबाजी का शौक है। वह हमारी इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। और मेरा यह दावा है कि जो भी अपराधी शिप में है, वह इस प्रतियोगिता में भाग अवश्य लेगा। लेकिन परेशानी यह है, कि अगर वह पूछेंगे कि यह प्रतियोगिता किस उपलक्ष में की जा रही है, तो उन्हें हम क्या जवाब देंगे।“

“तो इसमें सोचने वाली क्या बात है?“ लारा ने कहा- “आज 23 दिसंबर है। आज से ठीक 2 दिन बाद क्रिसमस का त्यौहार है। सभी लोग उसकी पार्टी तो मनाएंगे ही .... इसी में हम प्रतियोगिता भी करा देंगे।“

“तो बिल्कुल फाइनल रहा।“ सुयश ने ’थम्बस-अप’ की स्टाइल में अपनी मुट्ठी को बंद कर, अंगूठा ऊपर करते हुए, जोरदार झटके से हाथ हिलाया-

“कल मैं सभी लोगों को यह अनाउंस कर दूंगा। और हां लारा तुम अपनी सिक्योरिटी के सभी आदमियों को अलर्ट कर दो कि वह सभी यात्रियों पर कड़ी नजर रखें।“

इतना कहकर सुयश ने अपनी इस छोटी सी मीटिंग का समापन किया। रोजर व लारा भी चुपचाप कमरे से निकल गए।





जारी रहेगा…….... :writing:
:shocking: 10 criminal hai......kya chomu Interpol wale hai men ye.....
photo wagera kuch to do.....
Bacche honge to criminal nahi ho sakte......ye sab ideas sahi hai.....par inke hisab se criminals ke pass bhi kuch plans hone mangte hai...
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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:shocking: 10 criminal hai......kya chomu Interpol wale hai men ye.....
photo wagera kuch to do.....
Bacche honge to criminal nahi ho sakte......ye sab ideas sahi hai.....par inke hisab se criminals ke pass bhi kuch plans hone mangte hai...
Plan 🤔🤔
.
Sahi bola bhai aapne pakka Plan hoga tabhi to
.
Ab samj aaya mujhe kuch bat ka story me jane sahi ho ki nahi bus dout hua hai ab mujhe bhi
 

Ajju Landwalia

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# 48
चैपटर-15 6 जनवरी 2002, रविवार, 17:30;

‘सुप्रीम’ मंथर गति से उस रहस्यमय द्वीप से दूर होता जा रहा था। सारे यात्री शाम होने की वजह से डेक को खाली कर अपने रूम की ओर जाने लगे।

सुयश अब भी डेक पर खड़ा था। वह शांत भाव से उछलती हुई लहरों को देख रहा था। उसके साथ जेनिथ, तौफीक, ऐलेक्स, क्रिस्टी , अलबर्ट, असलम, जैक, जॉनी, ब्रैंडन और ड्रेजलर भी खड़े थे।

“कैप्टन इस द्वीप का रहस्य समझ में नहीं आ रहा है।“ जेनिथ ने कहा।

“मिस जेनिथ, वैसे ‘सुप्रीम’ पर जितनी घटनाएं अभी तक घटी हैं। अगर हम वह सब समझने की कोशिश भी करें तो भी हम उसे नहीं समझ सकते। इसलिए अच्छा यही है इस सिर्फ अपने आप को खतरों से बचाने की कोशिश करें ना कि घट रही घटनाओं के पीछे दिमाग लगाने की।“ सुयश ने कहा।

“आप सही कह रहे हैं कैप्टेन।“ इस बार क्रिस्टी ने बोलते हुए कहा- “बीती बातों को भूलकर आगे आने वाले समय के बारे में हमें सोचना चाहिए।“

“वैसे कैप्टन, आपका ऐमू के बारे में क्या ख्याल है?“ तौफीक ने सुयश को ऐमू की याद दिलाते हुए कहा।

ऐमू का नाम सुन सुयश को झटका लगा-
“ऐमू......ऐमू के बारे में तो मैं भूल ही गया था.........ब्रैंडन जरा जा कर देखो ऐमू इस समय कहां है?“ ब्रैंडन सुयश की बात सुन उस ओर चल दिया, जिधर ऐमू को रखा गया था।

“वैसे ऐमू भी कम रहस्यमय नहीं है। क्यों कि वह आया था उसी द्वीप की दिशा से ही।“ ऐलेक्स ने कहा।

“जाने क्यों मुझे बार-बार ऐसा लगता है कि वो ऐमू हमें सिर्फ भटकाने के लिए ही आया था। क्यो कि जब से हम उस सुनहरे मानव के इशारे की दिशा में चले थे, हम पर कोई मुसीबत नहीं आयी थी। पर ऐमू की दिशा में चलते ही हमें पुनः वह द्वीप मिल गया।“ असलम ने कहा।

“एक बात हमने और नोटिस की कैप्टेन।“ क्रिस्टी ने कहा- “वह ऐमू जबसे हमें दिखा था, हम उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। पर वह पकड़ में नहीं आ रहा था। लेकिन जाने क्यों आपको देखते ही, वह आपको ‘दोस्त मिल गया-दोस्त मिल गया ‘ कहते हुए, आपके पास आ गया। इन सारी बातों में कुछ ना कुछ तो रहस्य है ही ?“

“यह बात तो मैंने भी महसूस की थी।“ ऐलेक्स ने क्रिस्टी की बात पर मुहर लगाई।

ये लोग बात करने में व्यस्त थे, पर असलम अपनी आंखों पर दूरबीन चढ़ा, दूर-दूर तक सागर की लहरों को देख रहा था। अचानक उसे बहुत दूर बादलों की एक टुकड़ी दिखाई दी। असलम ने अपनी दूरबीन को पुनः एडजस्ट करके उस दिशा में देखा-
“माई गॉड! कैप्टेन हमें शिप को वापस मोड़ना होगा।“ सभी हैरानी से असलम को देखने लगे।

“कैप्टेन हम जिस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, उस ओर काफी दूरी पर मुझे कुछ काले बादल से नजर आ रहे हैं। मुझे लगता है आगे मौसम बहुत खराब है। हमें उस दिशा में नहीं बढ़ना चाहिए।“ असलम ने दूरबीन आंखों पर चढ़ाए-चढ़ाए ही अपनी बात कम्प्लीट की।

सुयश ने लगभग झपटने के अंदाज में असलम से दूरबीन छीन ली व उस दिशा में देखने लगा जिधर अभी असलम देख रहा था। बादल बहुत ही खतरनाक दिख रहे थे।

“ओ....नो.....आगे तो मौसम बहुत ही खराब है। इतने भयानक बादल तो मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं देखे। बहुत ही जबरदस्त तूफान आने के आसार हैं। अगर हमारा शिप इस तूफान में फंस गया, तो हमारा बचना बिल्कुल ना मुमकिन है। हवा का बहाव भी हमारी तरफ है और वह बहुत तेज भी है। अगर इसी तरह हमारा शिप चलता रहा तो तूफान 35 से 40 मिनट में हम तक पहुंच जाएगा।..........असलम तुरंत वॉकी-टॉकी सेट दो।“ इतना कहकर सुयश ने असलम की ओर हाथ बढ़ाया।

असलम ने जेब से वॉकी-टॉकी सेट निकालकर सुयश के हाथों में रख दिया। सुयश ने वॉकी-टॉकी सेट के एरियल को खींचकर बाहर निकाला और उसे ऑन कर दिया।

“हैलो......कंट्रोल रूम। मैं कैप्टेन सुयश बोल रहा हूं।“

“हैलो....यस कैप्टेन।“ दूसरी तरफ से आवाज आयी।

“तुरंत अपने शिप को विपरीत दिशा में मोड़ लो। हम से लगभग 40 मील दूर एक भयंकर तूफान तेजी से हमारी तरफ बढ़ रहा है।“ सुयश ने कहा।

“तूफान......वह भी 40 मील दूर... ... असंभव।“ उधर से एक महीन आवाज सुनाई दी- “कैप्टेन हमारा तूफान की सूचना देने वाला यंत्र बिल्कुल सामान्य बता रहा है। शायद आपको किसी ने गलत सूचना दे दी है। हमारे यंत्र के हिसाब से अभी दूर-दूर तक मौसम साफ है।“

“मैं जो कह रहा हूं वह करो......।“ सुयश ने लगभग चिल्लाने वाले स्वर में कहा- “तूफान हमें बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है......शिप को तुरंत मोड़ो।“

“ओ.के. सर।“ उधर से घबराई आवाज आयी।

इतना कहकर सुयश ने वॉकी-टॉकी का स्विच ऑफ कर दिया और पुनः तूफान को देखने लगा, जो अब बिना दूरबीन के नार्मल आँखों से भी दिखने लगा था।

तभी ‘सुप्रीम’ को एक झटका लगा और वह मुड़ना शुरू हो गया। बादल बहुत तेजी से ‘सुप्रीम’ की ओर बढ़ रहे थे। अब तो घनघोर काले बादलों के बीच कड़कती हुई बिजली भी सभी को साफ दिख रही थी। बादल के गरजने का शोर भी थोड़ा-थोड़ा सुनाई देने लगा था।

तभी ब्रैंडन दौड़ता हुआ वहां पहुंचा, पर अब उसकी नजरें उस भयंकर तूफान पर थीं, जो साक्षात मौत बनकर उनकी तरफ तेजी से बढ़ रही थीं।

“क्या हुआ ब्रैंडन? ऐमू कहां है?“ सुयश ने भयभीत ब्रैंडन की ओर देखते हुए पूछा।

“ऐमू अपनी जगह पर नहीं है कैप्टेन, सिक्योरिटी के लोगों का कहना है कि उन्होंने उसे मिर्चे और टमाटर खिलाए और उस पर बराबर नजर भी रखे हुए थे। तभी उन्होंने बाहर शोर की आवाज सुनी। यह आवाज उस भीड़ से हो रही थी, जिसने उस द्वीप को देख लिया था। सिक्योरिटी के लोग भी अपनी इच्छा को दबा नहीं पाये और उस द्वीप को देखने चले गए। लेकिन जब वह वापस लौटे तो ऐमू अपनी जगह से गायब था।“

“मुझको पता था कि वह अब नहीं मिलेगा। क्यों कि उसका काम पूरा हो चुका है। उसने हमें पुनः भटका दिया है।“ सुयश ने कहा।

‘सुप्रीम’अब फुल स्पीड से चल रहा था और काले बादल उसका किसी भूत की तरीके से पीछा कर रहे थे।

“यह बादल तो हमें किसी बूमरैंग या फिर इंद्रधनुष की भांति, तीन तरफ से घेर रहे हैं।“ जॉनी जिसका नशा अब पूरी तरह से उड़ चुका था, बादलों को देखता हुआ बोला।

“सही कह रहे हो, यह बादल तो बहुत अजीब से हैं।“ जैक ने कहा- “मैने अपनी पूरी जिंदगी में आज तक कभी ऐसे बादल नहीं देखे।“

शिप बहुत तेजी से चल रहा था, पर बादलों की स्पीड उनसे तेज थी। इसलिए वह बहुत तेजी से उनके पास आ रहे थे। तभी सामने वही द्वीप फिर से किसी दैत्याकार जिन्न की भांति दिखाई दिया।

अब हवाएं भी बहुत तेज हो चुकीं थीं। समुद्र की लहरें सैकड़ों फुट ऊपर उछल रहीं थीं। रह-रहकर अजीब सी फ्लैशलाइट बिखेरती बिजली बादलों में कड़क रही थी। घने काले बादलों की वजह से चारों ओर घोर अंधकार हो गया था।

“शिप की सारी सर्च लाइट्स ऑन कर दो......क्विक....मूव........ क्यों कि तूफान बहुत खतरनाक है........ हवा भी बहुत तेज है......जल्दी करो।“ सुयश वॉकी- टॉकी सेट पर तेजी से चीखा।

“कैप्टेन, बादल हमें तीन तरफ से घेर रहें हैं और चौथी दिशा में वही द्वीप है। अब हमारे पास उस द्वीप पर जाने के सिवा और कोई चारा नहीं है। जल्दी आर्डर दीजिए। हमें क्या करना है?।“ असलम ने चिल्लाकर कहा, क्यों कि आंधी और तूफान की वजह से अब आवाज सुनाई नहीं दे रही थी।

सुयश ने एक बार फिर उन पास आ रहे बादलों को देखा और फिर हथियार डालते हुए बोला-

“अगर हम इस तूफान में फंस गये, तो किसी का भी जिंदा बचना मुश्किल है। मोड़ दो....... सुप्रीम को इस रहस्यमय द्वीप की ओर मोड़ दो .....अब हमारे पास कोई चारा नहीं है, द्वीप पर जाने के सिवा।“

सुयश का आर्डर मिलते ही असलम ने तुरंत वह आर्डर कंट्रोल रूम को भेज दिया। अब शिप तेजी से उस रहस्यमय द्वीप की ओर बढ़ने लगा। बादल अब शिप के काफी पास आ गए थे।

हवा में ऊंचे-ऊंचे उछलती समुद्र की लहरों से इतना भयानक शोर हो रहा था, मानो आज प्रलय निश्चित हो। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बादल इनका पीछा कर रहे हों।

शिप के सभी यात्री अपने-अपने कमरों में अपने ईश्वर को याद कर रहे थे। किसी ने भी मौत को इतने पास से नहीं देखा था।

“कैप्टेन हमें लाइफ बोट्स को रेडी कर लेना चाहिए क्यों कि इतना बड़ा शिप द्वीप के किनारे तक नहीं जा सकता।“ अलबर्ट ने चीखते हुए सुयश को समझाया।

अलबर्ट की बात सुन ब्रैंडन ने बिना सुयश के कहे ही अपनी सिक्योरिटी के सारे आदमियों को लाइफ बोट्स उतारने के काम पर लगा दिया। तेजी से सैकड़ों आदमी लाइफ बोट को उतारने में जुट गए।

किसी अंजानी आशंका को सोच शिप के सारे कर्मचारी सभी यात्रियों को लाइफ जैकेट भी बांटने लगे। वह रहस्यमय द्वीप शनैः-शनैः पास आता जा रहा था। बादल अब शिप के ऊपर तक आ गये थे। बिजली की तेज चमक व गड़गड़ाहट सभी के दिलों में दहशत भर रही थी।

सुप्रीम भी अब लहरों का सामना नहीं कर पा रहा था। वह किसी कागज के जहाज की भांति लहरों पर डोल रहा था। सुयश सहित अब सभी की निगाहें सिर्फ और सिर्फ उस रहस्यमय द्वीप पर थीं।

पहले जिस द्वीप से वह दूर भागना चाहते थे, अब उसी के पास जल्द से जल्द पहुंचने के लिए उतावले हो रहे थे। अब द्वीप की दूरी मात्र 3 मील रह गई थी। सभी के दिल अंजानी आशंका के कारण तेजी से धड़क रहे थे। .................................. ...........................................



जारी रहेगा_________✍️

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Emu bhi pan kaam pura karke rafu chakkar ho gaya...........

Tufaan ka to bas bahan lag raha he.......................

Koi na koi baat jarur he us taapu me..........jo chaah kar bhi usase dur na jaa paa raha he supreme..........

Aakhirkar suyash ko supreme ko taapu ki aur modna hi pada.............

Ab shuru hoga asli khel..........

Keep rocking Bro
 

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24 दिसम्बर 2001, सोमवार, 09:30; “सुप्रीम”

आज सुबह से ही शिप का डेक, पूरी तरह भर गया था । मौसम आज भी साफ था । सूर्य की स्निग्ध सी किरणें समुद्र की लहरों से टकरा कर, एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रहीं थीं । सुप्रीम पूरे जोश से
समुद्र का सीना चीरता हुआ, अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा था । प्रोफेसर अलबर्ट, अपनी पत्नि मारिया के साथ एक एकांत जगह ढूंढकर आराम से बैठे थे।

“कितना अच्छा लग रहा है ना मारिया।“ अलबर्ट ने सुनहली धूप पर एक नजर डालते हुए कहा -

“शहर की चीख-पुकार से भरी जिंदगी से दूर, अकेले तन्हाई में बैठना। ना कोई काम करने की टेंशन, न ही पैसे के पीछे भागने वाली जिंदगी। सभी कुछ सुकून से भरा हुआ।“

“सही कह रहे हैं आप।“ मारिया ने भी अलबर्ट की हां में हां मिलाई-

“आपका दिन-रात अपने शोध के पीछे इस तरह भागना । हमें तो बात करने का भी समय नहीं मिल पाता था । अब तो आज को देखकर बस दिल यही कहता है, कि यहीं कहीं आस-पास किसी सुनसान द्वीप पर चल कर रहा जाए। जहां पर हमारे और आपके सिवा और कोई इंसान ना हो।“

“सच! आज जिंदगी को देखकर यह लगता है कि मैंने अपने पूरे जीवन में
आखिर क्या हासिल कर लिया ?“ अलबर्ट ने खड़े होते हुए, एक लंबी सांस लेते हुए कहा-

“जवानी से आज तक भागता रहा,..... भागता रहा...... सिर्फ भागता रहा। किस चीज के पीछे ......पता नहीं ?.....क्या पाया? ...........मालूम नहीं। क्या यही जिंदगी थी ?“

थोड़ी देर रुक कर अलबर्ट ने मारिया को सूनी आंखों में झांकते हुए, पुनः कहना शुरू किया-

“आज हमारी शादी को लगभग 40 साल होने वाले हैं। लेकिन आज तक मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया। यहां तक कि वक्त भी नहीं।“
बोलते-बोलते अलबर्ट इतना भावुक हो गया, कि उसकी आंखों की दोनों कोरों में पानी आ गया। फिर वह धीरे से चलकर मारिया के पास आया और उसकी तरफ अपना दाहिना हाथ बढ़ा दिया। मारिया ने भी अपना दांया हाथ उठाकर अलबर्ट के हाथ पर रख दिया अलबर्ट के थोड़ा सहारा देते ही, मारिया उठकर खड़ी हो गई। अलबर्ट ने उसका हाथ, इस तरह से थाम लिया, मानो अब वह पूरी जिंदगी इसे ना छोड़ने वाला हो। धीरे-धीरे चलते हुए दोनों डेक की रेलिंग तक पहुंच गये। दोनों ही शांत भाव से इस तरह से सागर को निहार रहे थे। मानो वह इनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव हो।


“अब तुम बिल्कुल फिक्र ना करना मारिया।“ अलबर्ट ने खामोशी तोड़ते हुए कहा-

“आज से मैं दिन-रात तुम्हारे साथ रहूंगा। तुम जो कहोगी, मैं वही करूंगा। अब तो मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी।“

“इन बातों और इन लहरों को देखकर तुम्हें कुछ याद नहीं आता अलबर्ट।“ मारिया ने अलबर्ट को बीते दिनों की याद दिला ते हुए कहा। अलबर्ट ने सोचनीय मुद्रा में दिमाग पर जोर डाला। पर उसे कुछ समझ नहीं आया कि मारिया किस बात को याद दिलाने की कोशिश कर रही है। अन्ततः उसने सिर हिलाकर पूछा-

“क्या ?“

“हम लोग लगभग 40 साल पहले एक ऐसे ही शिप पर पहली बार मिले थे और उसके कुछ दिनों बाद, तुमने मुझसे यही शब्द बोले थे कि’ अब मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी’ और उसके कुछ दिनों बाद हम लोगों ने शादी भी कर ली थी।“

“वह दिन तो कुछ और ही थे।“ अलबर्ट भी शायद अतीत के कोने में चला गया-

“तब तो मैं कॉलेज में दोस्तों के साथ शायरी भी लिखा करता था। और........और तुम्हें वो शायरी याद है, जो मैंने तुम्हें पहली बार लिखकर सुनाई थी।“

एकदम से अलबर्ट बीते दिनों को याद कर खुशी से झूम उठा। उसे एकदम से लगने लगा, कि वह फिर से जवान हो गया। लेकिन इससे पहले कि वह किसी कालेज ब्वाय की तरह शायरों के अंदाज में शायरी कर पाता, माइकल को उधर आते देखकर, सामान्य हो गया। अलबर्ट
की इस स्टाइल पर मारिया को इतनी तेज हंसी आई कि हंसते-हंसते उसका बुरा हाल हो गया।

“क्या बात है अलबर्ट सर! मैडम बहुत तेज हंस रहीं हैं? क्या हो गया ?“ माइकल ने आते ही पूछ लिया।

“कुछ नहीं बेटे ! कुछ पुरानी बातें याद आ गई थीं।“ अलबर्ट ने जवाब दिया-

“उन्हें छोड़ो, अपनी सुनाओ, आजकल क्या चल रहा है?“

“फिलहाल सिडनी वापस जा रहा हूं सर। .......“ बोलते-बोलते रुक कर
माइकल ने हवा में हाथ मिलाया जो कि एक इशारा था, दूर खड़े शैफाली व मारथा को उधर बुलाने का।

“अच्छा ! यही है तुम्हारा परिवार।“ अलबर्ट ने मारथा व शैफाली पर नजर डालते हुए कहा-

“और ये है तुम्हारी बच्ची शैफाली। जिसके बारे में अक्सर तुम मिलने पर मुझे बताया करते थे।“ तब तक दोनों नजदीक आ गए थे। मारथा ने सिर झुका कर बारी-बारी से अलबर्ट व मारिया को अभिवादन किया।
आते ही शैफाली ने अंदाजे से अलबर्ट की ओर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा-

“हैलो ग्रैंड अंकल!“

“ग्रैंड अंकल........।“ अलबर्ट यह शब्द सुन आश्चर्य से भर उठा- ये ग्रैंड अंकल क्या होता है बेटे ? ग्रैंड फादर तो सुना है, पर यह ग्रैंड अंकल.....।“

“मैं तो आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी। क्यों कि डैड के जितने दोस्त आते हैं वह मेरे अंकल हुए। तो आप तो मेरे डैड के भी सर हो और ग्रैंड भी। इसलिए मैं आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी।“ शैफाली नें तर्क देते हुए कहा।

“अच्छा-अच्छा ठीक है। तुम मुझे ग्रैंड अंकल ही कहना।“ अलबर्ट ने सिर हिलाते हुए कहा।

“तुमने जैसा इसके बारे में बताया था।“ अलबर्ट ने माइकल से मुखातिब होकर कहा- “यह ठीक वैसी ही है।“

तभी शैफाली ने दोनों को बीच में टोकते हुए कहा- “ग्रैंड अंकल आप के बाएं कंधे पर एक चींटी चल रही है, उसे हटा लीजिए।“

“व्हाट! अलबर्ट ने आश्चर्य से पहले शैफाली की तरफ देखा। फिर अपने बाएं कंधे पर, जिस पर वास्तव में एक चींटी चल रही थी। उसने चींटी को कंधे से झाड़ कर दोबारा शैफाली की ओर देखा -

“बेटे तुम्हें तो दिखा ई नहीं देता। फिर तुमने कैसे जाना कि मेरे बाएं कंधे पर चींटी चल रही है?“ अलबर्ट ने विस्मय से शैफाली की तरफ देखते हुए कहा।

“अरे ग्रैंड अंकल! आपने कभी चींटियों को एक कतार में चलते देखा है।“ शैफाली ने अलबर्ट से उल्टा सवाल कर दिया-

“अगर हां ! तो आप यह बताइए कि वह एक कतार में क्यों चलती हैं?“

“सभी चींटियां ‘फेरोमोंस‘ नामक एक विशेष प्रकार की गंध छोड़ती हैं।“ अलबर्ट में अपने ज्ञान का पूरा परिचय देते हुए कहा-

“जिससे उसके पीछे आने वाली
चींटियां उस गंध का अनुसरण करती हुई चलती हैं।“

“बिल्कुल ठीक कहा आपने ग्रैंड अंकल! शैफाली ने चुटकी बजाते हुए कहा-

“तो जो चींटी आपके कंधे पर चल रही थी। वह भी गंध छोड़ती हुई चल रही थी। जिसे सूंघकर मैंने जान लिया, कि एक चींटी आपके कंधे पर है।“

“यह कैसे संभव है?“ अलबर्ट बिल्कुल हैरान रह गया -


“तुम्हें चींटी की गंध कैसे मिल गई। वह तो इतनी हल्की होती है, कि चींटी के अलावा, अन्य बड़े जानवर भी उसे सूंघ नहीं पाते।“

“आपको कैसे पता कि अन्य जानवर उसे सूंघ नहीं पाते?“ शैफाली ने एक प्रश्न का गोला और दाग दिया -

“यह भी तो हो सकता है कि उसे जानवर सूंघ लेता हो पर वह सुगंध उसके मतलब की नहीं रहती, इसलिए वह उस पर ध्यान ना देता हो।“

“हो सकता है ।“ अलबर्ट ने गड़बड़ा कर जवाब दिया- “पर तुम्हें कैसे उसकी गंध मिल गयी ?“

“ग्रैंड अंकल! क्यों कि मैं जन्म से ही अंधी हूं। इसलिए मुझे हर चीज का अनुमान लगाना पड़ता है। जिसके कारण मेरी नाक व कान की इंद्रियां बहुत तीव्र हो गई हैं। मैं जो चीजें सुन व सूंघ सकती हूं, उसे सामान्य आदमी नहीं कर सकता।“

“बड़े आश्चर्य की बात है। मैंने सिर्फ इस बारे में सुना ही था।“ अलबर्ट लगातार विस्मय से बोल रहा था-

“देख पहली बार रहा हूं। अच्छा ये बताओ कि तुम्हें यह कैसे पता चला ? कि वह चींटी, मेरे बांए कंधे पर है।“

“सिंपल सी बात है ! शैफाली ने शांत स्वर में जवाब दिया - “आपने थोड़ी देर पहले मुझसे बात की। जिससे मैं आपकी आवाज सुनकर यह जान गई कि आपकी लंबाई 5 फुट 9 इंच है। आपके मुंह से निकलती आवाज और चींटी के बीच की खुशबू के बीच की दूरी लगभग 6 इंच थी। और आपके बांई तरफ से आ रही थी। जिससे यह पता चला कि वह चींटी आप के बांए कंधे पर है।“

“लेकिन बेटा ! यह भी तो हो सकता था कि मेरे बगल तुम्हारे डैड खड़े हैं। वह चींटी उनके कंधे पर भी तो हो सकती थी।“ अलबर्ट ने अब दिलचस्पी लेते हुए शैफाली का पूरा इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया।

“हो सकती थी ।......... जरूर हो सकती थी । परंतु आप इधर-उधर टहल कर बात कर रहे थे और जैसे-जैसे आप घूम रहे थे। वैसे-वैसे चींटी की गंध भी कम या ज्यादा हो रही थी । जबकि मेरे डैड एक ही स्थान पर खड़े हो कर बात कर रहे हैं।“

अब अलबर्ट का सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर, पूरा का पूरा शैफाली की बातों में लग गया, मानो उसे अपने शोध का एक हथियार मिल गया हो।

“अच्छा बेटे! यह बताओ कि मेरे पैंट की दाहिनी जेब में क्या है?“ अलबर्ट ने पूरा परीक्षण लेते हुए कहा।

“आपकी दाहिनी जेब में एक लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ रखी है।“ शैफाली ने निश्चिंत हो कर जवाब दिया । अलबर्ट शैफाली की बात को सुनकर भौचक्का सा खड़ा रह गया। क्यों कि उसकी पैंट की दाहिनी जेब में, वास्तव में लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ थी।

“बेटे! यह तुमने कैसे जाना ?“ अलबर्ट ने शैफाली से सवाल किया।

“आपके चलने से बार-बार डिबिया के अंदर रखी सौंफ डिबिया की दीवार से टकरा कर एक ध्वनि उत्पन्न कर रही थी। अगर डिबिया, प्लास्टिक की होती तो वह ध्वनि थोड़ी दूसरे तरीके से आती। इस तरह से बार-बार सौंफ का डिबिया से टकराना, यह साबित करता है, कि उसमें जो भी चीज है, वह बहुत छोटे-छोटे कणों में है।“

“छोटे-छोटे कणों में तो कुछ भी हो सकता है?“ अलबर्ट ने शैफाली की बात को काटते हुए कहा - “फिर यह कैसे जाना कि उसमें सौंफ ही है।“

“आपके मुंह से आती सौंफ की खुशबू से, जो लगभग 1 घंटे पहले आपने खाई थी।“ शैफाली ने कहा। शैफाली का हर जवाब अलबर्ट को आश्चर्य से भर रहा था । अब लगा जैसे अलबर्ट को कोई नया खेल मिल गया हो। उसने पास से जा रहे वेटर को रोककर, उसकी फल वाली टोकरी से एक सेब व एक अमरुद निकाल लिया । फिर वेटर से चाकू लेकर सेब व अमरुद को शैफाली के सामने रखा । और फिर अमरूद के चार टुकड़े कर दिए।

“बेटे! यह बताओ कि तुम्हारे सामने अभी-अभी मैंने एक सेब को काटकर कुछ टुकड़ों में बांट दिया है। क्या तुम बता सकती हो ? कि मैंने सेब के कितने टुकड़े किए हैं?“ अलबर्ट ने झूठ बोलते हुए शैफाली से सवाल किया।

“आप झूठ बोल रहे हैं ग्रैंड अंकल!“ शैफाली ने मुस्कुरा कर कहा- “कि आपने सेब के टुकड़े किए हैं। आपने सेब के बगल में रखे अमरूद के चार टुकड़े किए हैं। सेब के नहीं । क्यों कि सेब के कटने से अलग तरह की ध्वनि होती है और अमरूद के कटने से अलग तरह की ध्वनि । और जो चीज ताजा कटती है, उसकी खुशबू ज्यादा तेज होती है।“

उसके जवाबों को सुनकर अब मारिया भी उत्सुकता से उसकी तरफ देखने लगी । इस बार अलबर्ट ने शैफाली के सामने जा कर, बिना हाथ उठाए पूछा-

“ये कितनी उंगली हैं?“

“पहले उंगली तो उठा लीजिए ग्रैंड अंकल! क्यों कि आपकी आवाज बिना किसी अवरोध के मुझ तक आ रही है।“ शैफाली ने चहक कर जवाब दिया ।

अलबर्ट ने वहीं पास में पड़ा एक पतला लोहे का पाइप उठा कर, अपने व शैफाली के चेहरे के बीच लाते हुए कहा-

“अच्छा ! अब ये बताओ। ये कितनी उंगलियां हैं?“

“ये उंगली नहीं, लोहे का पाइप है।“ शैफाली ने जवाब दिया - “क्यों कि आपकी आवाज इससे टकरा कर, मेरे पास पहुंच रही है। और जब आपकी आवाज इससे टकराती है, तो इसमें बहुत हल्के से कंपन हो रहे हैं। वह कंपन झनझनाहट के रूप में मुझे सुनाई दे रहे हैं।“

अलबर्ट के पास हाल-फिलहाल अब कोई सवाल नहीं था। अतः वह चुप रहा । अलबर्ट अब विस्मय से एकटक, चुपचाप शैफाली को इस तरह निहारने लगा मानो वह धरती का कोई प्राणी ना होकर, अंतरिक्ष से आया कोई जीव हो ।

“लगता है ग्रैंड अंकल के पास सवाल खत्म हो गए।“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पूछ लिया ।

“अब मैं आप से पूछती हूं।“ शैफाली ने इस बार अलबर्ट की आंखों के सामने, अपने दाहिने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछा- “ये कितनी उंगलियां हैं?“

अलबर्ट ने अजीब सी नजरों से पास खड़े माइकल, मारथा व मारिया को देखा । उसकी आंखों में प्रश्नवाचक निशान साफ झलक रहे थे।

“आपने बताया नहीं ग्रैंड अंकल! यह कितनी उंगलियां हैं?“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पुनः अपने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछ लिया ।

“पाँच! अलबर्ट ने अजीब से भाव से जवाब दिया ।

“बिल्कुल गलत!“ शैफाली ने तेज आवाज में हंस कर कहा-

“अरे ग्रैंड अंकल ! उंगलियां तो चार ही हैं। एक तो अंगूठा है। और अंगूठे की गिनती उंगलि यों में नहीं करते।“

अलबर्ट ने धीरे से जेब से रुमाल निकालकर अपने माथे पर आए पसीने की बूंद को पोंछा और फिर माइकल की तरफ घूमता हुआ बोला-

“बाप ... रे .... बाप ...... ये लड़की है या शैतान की नानी । मुझे ही फंसा दिया।“

अलबर्ट के इतना कहते ही शैफाली को छोड़ बाकी सभी के मुंह से हंसी का एक जबरदस्त ठहाका फूट निकला ।




जारी. रहेगा.........✍️✍️
yahi ladki Kristi ko fasane wali hai wo shampoo ki smell aur jo kuch bhi tha unn sab ki wajah se :lol:
 

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Plan 🤔🤔
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Sahi bola bhai aapne pakka Plan hoga tabhi to
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Ab samj aaya mujhe kuch bat ka story me jane sahi ho ki nahi bus dout hua hai ab mujhe bhi
:think: Criminal hona alag chizz hota men....
planning mangti hai kuch bhi karne ke liye.....baaki to sab gunda hote hai.....
maarna hai jaake khud maar diya....
waise thodi hota hai
 
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