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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,752
54,201
259
To dosto agla update jald hi post karunga, bas thoda post karne me issue hai, bas kuch time or👍
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,752
54,201
259
#54.

दोस्तो हम जब भी अटलांटिस के बारे में सोचते ह, हमारी आँखों के सामने सागर में डूबी एक भव्य सभ्यता नजर आनेलगती है।

अटलांटिस देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र सर्व प्रथम प्लेटो ने अपनी पुतक ‘टाइिमयस’ और ‘कृटियास’ मैं किया था।

कहते है कि अटलांटिस का विज्ञान आज के विज्ञान से हज़ार गुना बेहतर था। पर एक दिन धरती के जोर से हिलने की वजह से पूरी अटलांटिस सभ्यता सागर में समा गई। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक और आर्कियोलोजिस्ट उस सभ्यता को ढूंढने का प्रयासकर रहे है।

ईश्वर को ब्रह्माण्ड के निर्माण के लिए 7 तत्वो की आवश्यकता थी- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, प्रकाश और ध्वनि!

इन्ही सात तत्वों से भगवान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया ! लेकिन अभी ईश्वर की सबसे बड़ी अद्वितीय कृति बाकी थी,और वो थी जीवन की उत्पत्ति।

जीवन की उत्पत्ति के लिए ईश्वर ने ब्रह्मकण’ (देव-कण) का निर्माण किया, देव-कण जिसको अंग्रेजी में 'गॉड-पार्टिकल’ कहते हैं। इस देव-कण ने सभी जीवो का निर्माण किया।

आख़िर क्या था वो ब्रह्मकण? जिसने अरबों-खरबों जीवों का निर्माण किया? और जिसने इन्हें इतना अलग अलग बनाया ।

इस कहानी इस कडी में जहां एक और तिलिस्म, जादू, रहस्य, चमत्कार है, वही विज्ञान की एक अद्भुत दुनिया है। जो बिग-बैंग, ब्लैक -होल, नेबुला और डार्क-मैटर जैसे सिद्धांत को खोलती है।

पौराणिक कथाओं और विज्ञान के ताने-बाने से बनी एक अद्भुत कहानी है ये जो आप पढ़ने जा रहे हैं।

आज से लगभग 20,000 वष॔ पहले ग्रीक देवता पोसाइडन ने अपनी पत्नी क्लिटो के लिये धरती पर स्वर्ग की स्थापना की, जिसे अटलांटिस के नाम से जाना गया।

धीरे-धीरे अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया की वहांके लोग स्वयं को भगवान मानने लगे। जिसके फल स्वरूप उन्होंने देवता के ख़िलाफ़ ही युद्ध का शुरू कर दीया।
पोसाइडन ने गुस्सा होकर पूरी अटलांटिस सभ्यता को समुद्र में डुबो दिया और क्लिटो को एक अस्वाभाविक (कृत्रिम) द्वीप पर तिलिस्म बनाकर कैद कर दीया ।

उस अस्वाभाविक द्वीप के आसपास का छेत्र बारामूडा त्रिकोण कहलाया । पोसाइडन ने इस तिलिस्म की सुरक्षा का भार 6 इन्द्रियाँ, 7 तत्व, 12 राशियाँ, और ब्रह्मांड के ख़तरनाक जीव जंतुओं, रोमन योद्धाओ, और ग्रीक देवताओ को दिया।

28 द्वारो वाला ये तिलिस्म अभेद्य था। यह तिलिस्म अब सिर्फ शारीरिक कुशलता और बुद्धि से ही तोड़ा जा सकता था ।

अटलांटिस के बचे हुए योद्धा 20000 साल से इसे तोड़ने की कोशिश कर रहे धे, लेकिन सफल नहीं हुए। आख़िरकार हार कर उन्होंने इंसानों का सहारा लिया और धरती के सबसे बुद्धिमान इंसानों को इसमें प्रवेश करवा दिया।

फ़िर शुरू हुई रहस्यों से भरी एक प्रश्न माला।
1.क्या वो साधारण मनुष्य तिलिस्म तोड़ कर क्लिटो को आजाद करवा सके?
2.क्या था हिमालय के गर्भ में छुपे उस विद्यालय का रहस्य? जहां वेदो की शिक्षा दी जाती थी।
3.कैलाश पर्वत की गुफा से निकला वेदों का ज्ञान, क्या ग्रीक देवताओ पर भारी पड़ा?
4.क्या म..देव की अलौकिक शक्तियाँ ब्रह्माण्ड के हर विज्ञान से उन्नत थी?
5.क्या संपूर्ण ब्रह्मांड जगत का सार ओऽम शब्द में निहित था?
6.क्या ब्रह्मकन('गॉड-पार्टिकल’) /देव-कण में हि बिग-बैंग का सिद्धांत समाया था?
7.क्या यूनिवर्स की रक्षा के लिए नए सुपर हीरो का जन्म हुआ, जिनके पास भगवान और विज्ञान दोनों की शक्ति थी?

तो दोस्तों देरी किस बात की? आइए सुरु करते हैं, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का राज खोलती अगली कड़ी का, जो आपको इंसान,भगवान और विज्ञान में अंतर करना सिखाएगी, जिसका नाम है: ‘अटलांटिस के रहस्य’


चैपटर-1 'अटलांटिस का इतिहास':
7 जनवरी 2002, सोमवार, 10:00, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका.

ये क्या वेगा?" वीनस ने वेगा को टोकते हुये कहा- “ये तुम मुझे ‘कांग्रेस का पुस्तकालय`( लाइब्रेरी आफ कांग्रेस) क्युं लेकर आ गए? मुझे लगा तुम मुझे घुमाने ले जा रहे हो।"

वेगा ने वीनस को एक बार मुस्कुरा कर देखा और फर अपनी कार को पार्किंग की तरफ घुमा दीया ।

“असल में प्रोफेसर कैरल ने मुझे एक प्रोजेक्ट पर लेख लिखने को कहा है !" वेगा ने कार को भूमिगत पार्किंग की ओर मोड़ते हुये कहा-

“और उस विषय पर कुछ लिखने से पहले, मुझे उसके बारे में जानना भी तो जरुरी है। इसलिए में तुम्हे लेकर दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी आया हूॅ। यहां पर हर विषय पर किताबें मौजूद है।''

“ओह!” वीनस ने गहरे सांस लेकर कहा- “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी. इसके बाद तुम्हें शाम को पार्टी देने का वादा करना होगा।'' वीनस ने मुस्कुराकर वेगा को ब्लैकमेल किया।

“हां...सुयोर!”

वेगा ने कार को पार्किंग में खड़ा किया, कार के इंजन को बंद कर दिया गया। वीनस और वेगा कार से उतर कर बाहर चले गए। वेगा ने इधर-उधर नज़र मारी और वीनस को लेकर लिफ्ट की और बढ़ गया।

"वैसे प्रोजेक्ट की थीम क्या है?" वीनस ने लिफ्ट में कदम रखते हुए पूछा?

“अटलांटिस के रहस्य” वेगा ने कहा!

वेगा की बात सुन वीनस एका एक हैरान कर देने वाली हो गई-

“ये कैसा टॉपिक है? यह तो हमारे विषय से मैच नहीं खाता।"

“मुझे क्या पता यार?” वेगा ने रिसेप्शन के फ्लोर पर स्टेप रख कर कहा- “अब प्रोफेसर ने जो टॉपिक दिया, मैंने वो ले लिया। अब बहस करने का कोई मतलब भी तो नहीं था।"

"बात तो तुम्हारी ठीक है" वीनस ने भी वेगा की बात पर अपनी सहमित प्रस्ताव हुए कहा।

तब तक वेगा रिसेप्शन पर पहुंच गया। वेगा ने अपनी जेब से लाइब्रेरी कार्ड निकाला कर कंप्यूटर में अपनी एंट्री दर्ज़ की। एंट्री के बाद कंप्यूटर ने उसको 4 अंकों का एक डोर- पासवर्ड दे दिया।

लाइब्रेरी का मेन डोर कंप्यूटराइज्ड पासवर्ड से लॉक था। वेगा ने दरवाजे के बगल लगे की पैड पर 4 अंक का पासवर्ड डाला। कांच का दरवाजा हल्की सी आवाज करता हुआ, एक तरफ स्लाइड होकर खुल गया। वेगा वीनस को ले लाइब्रेरी के अंदर घुस गया।

“तुम तो ऐसे यहां चल रहे हो, जैसे रोज-रोज यहां आते हो?“ वीनस ने वेगा को छेड़ते हुए कहा।

“कुछ ऐसा ही समझ लो। वैसे हफ़्ते में 3 दिन तो आता ही हू यहां पर।" वेगा ने चलते चलते जवाब दिया- “वास्तव में मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है।"

अब वेगा एक कंप्यूटर मशीन के पास पहुंच गया। उसने कंप्यूटर पर अटलांटिस शब्द टाइप किया ओर सर्च का बटन दबाया।

कंप्यूटर ने एक सेकेंड में ही 1024 किताबों के नाम वेगा के सामने रख दिये।

किताबों के नाम के बाद उनके लेखक का नाम, परकाशन वर्ष आदि विवरण लिखे हुए थे। वेगा की नजर तेजी से किताबों की सूची पर घूमने लगी।

देखते-देखते वेगा की नजर एक किताब के नाम पर रुक गई, किताब का नाम किसी दूसरी भाषा में लिखा था। लेखक का नाम भी समझ नही आ रहा था। मुद्रण वर्ष की जगह सन् 1508 लिखा था।

वेगा कुछ देर तक लेखक के नाम को देखता रहा। तब वेगा ने उस किताब का हॉल नंबर, रैक नंबर और डिटेल को एक छोटे से नोटपैड पर नोट कर लिया और कंप्यूटर को बंद कर, वीनस को ले एक दिशा की ओर चल दिया।

तीन-चार गिलयारों को पार करने के बाद अब वेगा किताबों की एक अनूठी दुनिया में था। एक विशालकाय हॉल में चारो तरफ 50 फुट ऊंची-ऊंची किताबों की रैक में किताबें ही किताबें भरी हुई थी। वीनस आँखे फाड़े उस किताबों के संसार को देखने लगी।

“अद्भुत! इतनी सारी किताबें ....... यह तो एक अलग ही दुनिया लग रही है।" वीनस ने अश्चर्यचकित् होकर कहा।

“लाइब्रेरी औफ कांग्रेस संसार की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है।" वेगा ने मुस्कुराकर वीनस की ओर देखते हुये कहा-

“यहां पर 100 मिलयन किताबें है और हर रोज लगभग 2,000 किताबें बढ़ जाती है। यह तो भला मानो की यह हमारे शहर वाशिंगटन में ही है। नही तो हमें लेख लिखने के लिए किसी और शहर में जाना पड़ता।"

वेगा की नजर अब रैक पर पड़े नंबर पर फिरने लगी। बामुस्किल 30 सेकंड में ही उसे रैक नंबर 35 दिखायी दे गयी। वेगा की नजर अब किताब नं0 823 पर गय। उसने आगे बढ़कर उस रहस्यमयी किताब को रैक से निकाल लिया।

वह किताब लगभग 400 पृष्ठ की थी। वेगा को किताब निकालता देख उस हॉल का लाइब्रेरियन पास आ गया।

“यह किताब हमें 7 दिन के लिए इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन से कहा ।

लाइब्रेरियन ने उस किताब को ध्यान से देखा और फिर बोला- “सोरी सर,....यह किताब काफी पुरानी है. ...इस ग्रेड की किताब को आप ले नहीं सकते। आपको यही पढ़ना पड़ेगा ।"

वेगा ने लाइब्रेरियन की सुन अपनी नजर इधर-उधर घुमाई। अब उसकी नजर सामने कांच के बने साउंड प्रूफ केबिन की ओर गई। केबिन को देखते हुए वेगा ने कहा-

''ठीक है फिर आप एक केबिन खुलवा दीजीए। वहा बैठ कर यह किताब पढ़ लेता हूँ।"

“सर….पर वो केबिन तो वी.आई.पी. पाठकों के लिए है. तुम्हें यहां कॉमन एरिया में ही बैठकर, यह किताब पढ़नी होगी।'' क्योकी.......!




जारी रहेगा_________✍️
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Sabhi update shandar the Raj_sharma bhai lekin ye supreme kaise dub gya aur Aslam kya krega

To aakhir Shefaali bhi mil gayi matlab ye pakka hai ki wahi is kahani ki nayika hai, suyash bechare ke hath me sivaay afsos karne ke kuch bhi nahi hai😞 wsise ye laashe paani me ksise doob rahi thi? Ye sala taapu bohot hi rahasyamayi hai🤔 koi na , jab waha pahuch hi gaye to pata chal hi jaana hai, mind blowing writing ✍️ bhaiya 👌🏻👌🏻👌🏻

Nice update....

मैं इनको कम नहीं बल्कि हिंदी के सर्वोत्कृष्ट लेखकों में से मानता हूं। एक तरह से साहित्यिक श्रेणी की लेखनशैली है इनकी
लेकिन जो सत्य है मेरा, वहीं तो कहूंगा मैं :D

आज के update में तो आपने उलझन में डाल दिया....


Samjh hi nahi aaya ye hamre sath kya hau ????😵

Best of luck for next part
उम्मीद रहेगी कि जैसे अभी तक आपने बेहतरीन लेखनी से इन सवालों केनपहाड को खड़ा किया है आपने ,
उससे भी बेहतर और शानदार तरीके से सब राज से पर्दा उठाएंगे,
और इस कहानी का अगला पार्ट जल्द ही पढ़ने को मिलेगा,

हायो रब्बा! चार दर्जन प्रश्न!?🥹
एक बड़ा प्रश्न पूछा ही नहीं -- ये सुयश इतना जिद्दी क्यों है कि जब तक चूतड़ों पर कई लाते न पड़ गईं तब तक वो शिप को टापू पर नहीं ले गया? 😂
पहला भाग अच्छा रहा। सब कुछ अप्रत्याशित हुआ है सुप्रीम के साथ, तो वो वापस भी निकल सकता है।
अटलांटिस से वापस मानवीय सभ्यता जाने का कोई तरीक़ा चाहिए! है न?
या फिर सभी लोग अटलांटिस की खाद बन जाएंगे?
"अटलांटिस के रहस्य" का इंतज़ार रहेगा 👌👍

Phir se title change kitni baar ye story ka name change hoga, koi na wo bhi dekh lenge. Sare questions ke answers ka wait sabhi ko hai.

Let's see what happens in the upcoming updates!!!

Well hamesha ki tarah wonderful update.

कैप्टन सुयश साहब से हमारी कोई जाती अदावत नही है , लेकिन जिस तरह से एज ए कैप्टन , उन्होने जहाज पर हुए हर एक दुखद घटना , हर एक दुर्घटना , हर विपरीत परिस्थिति का सामना किया वह एक काबिल कैप्टन का तो बिल्कुल ही नही था ।
राइटर के शब्दों मे , सुयश साहब की पहली प्राथमिकता थी जहाज के यात्रीगण को सुरक्षित रखना और जहाज को सुरक्षित रखना । इन दो कामों मे एक काम भी नही हुआ ।
एकाध पर्सेंट को छोड़कर सभी यात्री मारे गए । जहाज समंदर मे समा गया ।

खैर , इस अपडेट मे आप ने स्वयं ही ढेर सारे सवाल , ढेर सारे सस्पेंस पर बातें की है । यह वाकई मे सही सवाल थे जो रीडर्स के मन मे भी थे ।
यह सवाल ही दिखा रहा है कि आप की तैयारी इस कहानी पर कैसी है ! यह सवाल बता रहा है कि इस के जबाव भी हासिल होंगे ।

" सम्राट " के इस प्रथम अध्याय की समाप्ति पर आप को बहुत बहुत धन्यवाद । लेकिन इस " सम्राट " जहाज का टाइटैनिक बनना बेहद अफसोसजनक भी रहा ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग कहानी शर्मा जी ।

nice update

तो अब सुप्रीम का काम तमाम कर आप ब्रेक पर जा रहे हैं 😌

बढ़िया बात है। खैर जैसा पहले से हो रहा है, अभी सारे के सारे प्रश्न अनुतरित है, आशा है नई सुबह, जब भी आयेगी, हर सवाल का उत्तर एक एक करके लाएगी।

एंजॉय करो भाई 🙏🏼

Sawal bahut sare han dekhte han kab tak jawab milta ha. Intezar rahega next part ka bhai

एक अविस्मरणीय सफर के कहानी का प्रथम अंक बडे ही रहस्य छोड गया है
अप्रतिम कहानी के व्दितीय अंक का बे सबरीसे इंतजार रहेगा
जल्दी देने की कोशिश करना

जलेबी की तरह बिल्कुल सीधी सी कहानी हैं
और औरत की तरह सब कुछ समझ आ गया 😂😂😂😂😂😂

इस घटना के बाद अब तो गिनती के लोग बचें हैं ! सुप्रीम भी गया और समुंद्र सब कुछ निगल गया है !
सुयश के लिए ये रहस्य भी सुलझाना है की दीप सुरक्षित जगह है या इस पर भी कोई छुपी हुई मौत का समान है ?

बहुत ही शानदार लिख रहे हो आप भाई !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻💐💐💐💐

Bilkul web series ki tarh chalne wali hai ye story lagata hai
Esa lagata hai ab tak jo kuch bhi SUPREME SHIP par jo hua wo kuch bhi nahi tha asli khel to ab shuru hoga next part se
.
Very well going Raj_sharma bhai

Badhiya update Bhai
To kahani ka pahla bhag katam huva or dher sare prashn taiyar huye hai
Ab intezar rahega agle bhag ka jisme ek ek kar ke sabhi prashno ke uttar milenge

No problem sir....
intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....

Intzar rahega 😏


Awesome update

Pratiksha rahegi Raj_sharma Bhai
And RANSA

Update Posted friends :declare:
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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13,620
159
#54.

दोस्तो हम जब भी अटलांटिस के बारे में सोचते ह, हमारी आँखों के सामने सागर में डूबी एक भव्य सभ्यता नजर आनेलगती है।

अटलांटिस देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र सर्व प्रथम प्लेटो ने अपनी पुतक ‘टाइिमयस’ और ‘कृटियास’ मैं किया था।

कहते है कि अटलांटिस का विज्ञान आज के विज्ञान से हज़ार गुना बेहतर था। पर एक दिन धरती के जोर से हिलने की वजह से पूरी अटलांटिस सभ्यता सागर में समा गई। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक और आर्कियोलोजिस्ट उस सभ्यता को ढूंढने का प्रयासकर रहे है।

ईश्वर को ब्रह्माण्ड के निर्माण के लिए 7 तत्वो की आवश्यकता थी- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, प्रकाश और ध्वनि!

इन्ही सात तत्वों से भगवान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया ! लेकिन अभी ईश्वर की सबसे बड़ी अद्वितीय कृति बाकी थी,और वो थी जीवन की उत्पत्ति।

जीवन की उत्पत्ति के लिए ईश्वर ने ब्रह्मकण’ (देव-कण) का निर्माण किया, देव-कण जिसको अंग्रेजी में 'गॉड-पार्टिकल’ कहते हैं। इस देव-कण ने सभी जीवो का निर्माण किया।

आख़िर क्या था वो ब्रह्मकण? जिसने अरबों-खरबों जीवों का निर्माण किया? और जिसने इन्हें इतना अलग अलग बनाया ।

इस कहानी इस कडी में जहां एक और तिलिस्म, जादू, रहस्य, चमत्कार है, वही विज्ञान की एक अद्भुत दुनिया है। जो बिग-बैंग, ब्लैक -होल, नेबुला और डार्क-मैटर जैसे सिद्धांत को खोलती है।

पौराणिक कथाओं और विज्ञान के ताने-बाने से बनी एक अद्भुत कहानी है ये जो आप पढ़ने जा रहे हैं।

आज से लगभग 20,000 वष॔ पहले ग्रीक देवता पोसाइडन ने अपनी पत्नी क्लिटो के लिये धरती पर स्वर्ग की स्थापना की, जिसे अटलांटिस के नाम से जाना गया।

धीरे-धीरे अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया की वहांके लोग स्वयं को भगवान मानने लगे। जिसके फल स्वरूप उन्होंने देवता के ख़िलाफ़ ही युद्ध का शुरू कर दीया।
पोसाइडन ने गुस्सा होकर पूरी अटलांटिस सभ्यता को समुद्र में डुबो दिया और क्लिटो को एक अस्वाभाविक (कृत्रिम) द्वीप पर तिलिस्म बनाकर कैद कर दीया ।

उस अस्वाभाविक द्वीप के आसपास का छेत्र बारामूडा त्रिकोण कहलाया । पोसाइडन ने इस तिलिस्म की सुरक्षा का भार 6 इन्द्रियाँ, 7 तत्व, 12 राशियाँ, और ब्रह्मांड के ख़तरनाक जीव जंतुओं, रोमन योद्धाओ, और ग्रीक देवताओ को दिया।

28 द्वारो वाला ये तिलिस्म अभेद्य था। यह तिलिस्म अब सिर्फ शारीरिक कुशलता और बुद्धि से ही तोड़ा जा सकता था ।

अटलांटिस के बचे हुए योद्धा 20000 साल से इसे तोड़ने की कोशिश कर रहे धे, लेकिन सफल नहीं हुए। आख़िरकार हार कर उन्होंने इंसानों का सहारा लिया और धरती के सबसे बुद्धिमान इंसानों को इसमें प्रवेश करवा दिया।

फ़िर शुरू हुई रहस्यों से भरी एक प्रश्न माला।
1.क्या वो साधारण मनुष्य तिलिस्म तोड़ कर क्लिटो को आजाद करवा सके?
2.क्या था हिमालय के गर्भ में छुपे उस विद्यालय का रहस्य? जहां वेदो की शिक्षा दी जाती थी।
3.कैलाश पर्वत की गुफा से निकला वेदों का ज्ञान, क्या ग्रीक देवताओ पर भारी पड़ा?
4.क्या म..देव की अलौकिक शक्तियाँ ब्रह्माण्ड के हर विज्ञान से उन्नत थी?
5.क्या संपूर्ण ब्रह्मांड जगत का सार ओऽम शब्द में निहित था?
6.क्या ब्रह्मकन('गॉड-पार्टिकल’) /देव-कण में हि बिग-बैंग का सिद्धांत समाया था?
7.क्या यूनिवर्स की रक्षा के लिए नए सुपर हीरो का जन्म हुआ, जिनके पास भगवान और विज्ञान दोनों की शक्ति थी?

तो दोस्तों देरी किस बात की? आइए सुरु करते हैं, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का राज खोलती अगली कड़ी का, जो आपको इंसान,भगवान और विज्ञान में अंतर करना सिखाएगी, जिसका नाम है: ‘अटलांटिस के रहस्य’


चैपटर-1 'अटलांटिस का इतिहास':
7 जनवरी 2002, सोमवार, 10:00, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका.

ये क्या वेगा?" वीनस ने वेगा को टोकते हुये कहा- “ये तुम मुझे ‘कांग्रेस का पुस्तकालय`( लाइब्रेरी आफ कांग्रेस) क्युं लेकर आ गए? मुझे लगा तुम मुझे घुमाने ले जा रहे हो।"

वेगा ने वीनस को एक बार मुस्कुरा कर देखा और फर अपनी कार को पार्किंग की तरफ घुमा दीया ।

“असल में प्रोफेसर कैरल ने मुझे एक प्रोजेक्ट पर लेख लिखने को कहा है !" वेगा ने कार को भूमिगत पार्किंग की ओर मोड़ते हुये कहा-

“और उस विषय पर कुछ लिखने से पहले, मुझे उसके बारे में जानना भी तो जरुरी है। इसलिए में तुम्हे लेकर दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी आया हूॅ। यहां पर हर विषय पर किताबें मौजूद है।''

“ओह!” वीनस ने गहरे सांस लेकर कहा- “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी. इसके बाद तुम्हें शाम को पार्टी देने का वादा करना होगा।'' वीनस ने मुस्कुराकर वेगा को ब्लैकमेल किया।

“हां...सुयोर!”

वेगा ने कार को पार्किंग में खड़ा किया, कार के इंजन को बंद कर दिया गया। वीनस और वेगा कार से उतर कर बाहर चले गए। वेगा ने इधर-उधर नज़र मारी और वीनस को लेकर लिफ्ट की और बढ़ गया।

"वैसे प्रोजेक्ट की थीम क्या है?" वीनस ने लिफ्ट में कदम रखते हुए पूछा?

“अटलांटिस के रहस्य” वेगा ने कहा!

वेगा की बात सुन वीनस एका एक हैरान कर देने वाली हो गई-

“ये कैसा टॉपिक है? यह तो हमारे विषय से मैच नहीं खाता।"

“मुझे क्या पता यार?” वेगा ने रिसेप्शन के फ्लोर पर स्टेप रख कर कहा- “अब प्रोफेसर ने जो टॉपिक दिया, मैंने वो ले लिया। अब बहस करने का कोई मतलब भी तो नहीं था।"

"बात तो तुम्हारी ठीक है" वीनस ने भी वेगा की बात पर अपनी सहमित प्रस्ताव हुए कहा।

तब तक वेगा रिसेप्शन पर पहुंच गया। वेगा ने अपनी जेब से लाइब्रेरी कार्ड निकाला कर कंप्यूटर में अपनी एंट्री दर्ज़ की। एंट्री के बाद कंप्यूटर ने उसको 4 अंकों का एक डोर- पासवर्ड दे दिया।

लाइब्रेरी का मेन डोर कंप्यूटराइज्ड पासवर्ड से लॉक था। वेगा ने दरवाजे के बगल लगे की पैड पर 4 अंक का पासवर्ड डाला। कांच का दरवाजा हल्की सी आवाज करता हुआ, एक तरफ स्लाइड होकर खुल गया। वेगा वीनस को ले लाइब्रेरी के अंदर घुस गया।

“तुम तो ऐसे यहां चल रहे हो, जैसे रोज-रोज यहां आते हो?“ वीनस ने वेगा को छेड़ते हुए कहा।

“कुछ ऐसा ही समझ लो। वैसे हफ़्ते में 3 दिन तो आता ही हू यहां पर।" वेगा ने चलते चलते जवाब दिया- “वास्तव में मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है।"

अब वेगा एक कंप्यूटर मशीन के पास पहुंच गया। उसने कंप्यूटर पर अटलांटिस शब्द टाइप किया ओर सर्च का बटन दबाया।

कंप्यूटर ने एक सेकेंड में ही 1024 किताबों के नाम वेगा के सामने रख दिये।

किताबों के नाम के बाद उनके लेखक का नाम, परकाशन वर्ष आदि विवरण लिखे हुए थे। वेगा की नजर तेजी से किताबों की सूची पर घूमने लगी।

देखते-देखते वेगा की नजर एक किताब के नाम पर रुक गई, किताब का नाम किसी दूसरी भाषा में लिखा था। लेखक का नाम भी समझ नही आ रहा था। मुद्रण वर्ष की जगह सन् 1508 लिखा था।

वेगा कुछ देर तक लेखक के नाम को देखता रहा। तब वेगा ने उस किताब का हॉल नंबर, रैक नंबर और डिटेल को एक छोटे से नोटपैड पर नोट कर लिया और कंप्यूटर को बंद कर, वीनस को ले एक दिशा की ओर चल दिया।

तीन-चार गिलयारों को पार करने के बाद अब वेगा किताबों की एक अनूठी दुनिया में था। एक विशालकाय हॉल में चारो तरफ 50 फुट ऊंची-ऊंची किताबों की रैक में किताबें ही किताबें भरी हुई थी। वीनस आँखे फाड़े उस किताबों के संसार को देखने लगी।

“अद्भुत! इतनी सारी किताबें ....... यह तो एक अलग ही दुनिया लग रही है।" वीनस ने अश्चर्यचकित् होकर कहा।

“लाइब्रेरी औफ कांग्रेस संसार की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है।" वेगा ने मुस्कुराकर वीनस की ओर देखते हुये कहा-

“यहां पर 100 मिलयन किताबें है और हर रोज लगभग 2,000 किताबें बढ़ जाती है। यह तो भला मानो की यह हमारे शहर वाशिंगटन में ही है। नही तो हमें लेख लिखने के लिए किसी और शहर में जाना पड़ता।"

वेगा की नजर अब रैक पर पड़े नंबर पर फिरने लगी। बामुस्किल 30 सेकंड में ही उसे रैक नंबर 35 दिखायी दे गयी। वेगा की नजर अब किताब नं0 823 पर गय। उसने आगे बढ़कर उस रहस्यमयी किताब को रैक से निकाल लिया।

वह किताब लगभग 400 पृष्ठ की थी। वेगा को किताब निकालता देख उस हॉल का लाइब्रेरियन पास आ गया।

“यह किताब हमें 7 दिन के लिए इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन से कहा ।

लाइब्रेरियन ने उस किताब को ध्यान से देखा और फिर बोला- “सोरी सर,....यह किताब काफी पुरानी है. ...इस ग्रेड की किताब को आप ले नहीं सकते। आपको यही पढ़ना पड़ेगा ।"

वेगा ने लाइब्रेरियन की सुन अपनी नजर इधर-उधर घुमाई। अब उसकी नजर सामने कांच के बने साउंड प्रूफ केबिन की ओर गई। केबिन को देखते हुए वेगा ने कहा-

''ठीक है फिर आप एक केबिन खुलवा दीजीए। वहा बैठ कर यह किताब पढ़ लेता हूँ।"

“सर….पर वो केबिन तो वी.आई.पी. पाठकों के लिए है. तुम्हें यहां कॉमन एरिया में ही बैठकर, यह किताब पढ़नी होगी।'' क्योकी.......!




जारी रहेगा_________✍️

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Ek nayi duniya ke safar me le kar chal pade he aap hum sabko.........

Bada hi maja aane wala he............

Keep rocking Bro
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing]
4,317
8,596
144
#54.

दोस्तो हम जब भी अटलांटिस के बारे में सोचते ह, हमारी आँखों के सामने सागर में डूबी एक भव्य सभ्यता नजर आनेलगती है।

अटलांटिस देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र सर्व प्रथम प्लेटो ने अपनी पुतक ‘टाइिमयस’ और ‘कृटियास’ मैं किया था।

कहते है कि अटलांटिस का विज्ञान आज के विज्ञान से हज़ार गुना बेहतर था। पर एक दिन धरती के जोर से हिलने की वजह से पूरी अटलांटिस सभ्यता सागर में समा गई। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक और आर्कियोलोजिस्ट उस सभ्यता को ढूंढने का प्रयासकर रहे है।

ईश्वर को ब्रह्माण्ड के निर्माण के लिए 7 तत्वो की आवश्यकता थी- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, प्रकाश और ध्वनि!

इन्ही सात तत्वों से भगवान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया ! लेकिन अभी ईश्वर की सबसे बड़ी अद्वितीय कृति बाकी थी,और वो थी जीवन की उत्पत्ति।

जीवन की उत्पत्ति के लिए ईश्वर ने ब्रह्मकण’ (देव-कण) का निर्माण किया, देव-कण जिसको अंग्रेजी में 'गॉड-पार्टिकल’ कहते हैं। इस देव-कण ने सभी जीवो का निर्माण किया।

आख़िर क्या था वो ब्रह्मकण? जिसने अरबों-खरबों जीवों का निर्माण किया? और जिसने इन्हें इतना अलग अलग बनाया ।

इस कहानी इस कडी में जहां एक और तिलिस्म, जादू, रहस्य, चमत्कार है, वही विज्ञान की एक अद्भुत दुनिया है। जो बिग-बैंग, ब्लैक -होल, नेबुला और डार्क-मैटर जैसे सिद्धांत को खोलती है।

पौराणिक कथाओं और विज्ञान के ताने-बाने से बनी एक अद्भुत कहानी है ये जो आप पढ़ने जा रहे हैं।

आज से लगभग 20,000 वष॔ पहले ग्रीक देवता पोसाइडन ने अपनी पत्नी क्लिटो के लिये धरती पर स्वर्ग की स्थापना की, जिसे अटलांटिस के नाम से जाना गया।

धीरे-धीरे अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया की वहांके लोग स्वयं को भगवान मानने लगे। जिसके फल स्वरूप उन्होंने देवता के ख़िलाफ़ ही युद्ध का शुरू कर दीया।
पोसाइडन ने गुस्सा होकर पूरी अटलांटिस सभ्यता को समुद्र में डुबो दिया और क्लिटो को एक अस्वाभाविक (कृत्रिम) द्वीप पर तिलिस्म बनाकर कैद कर दीया ।

उस अस्वाभाविक द्वीप के आसपास का छेत्र बारामूडा त्रिकोण कहलाया । पोसाइडन ने इस तिलिस्म की सुरक्षा का भार 6 इन्द्रियाँ, 7 तत्व, 12 राशियाँ, और ब्रह्मांड के ख़तरनाक जीव जंतुओं, रोमन योद्धाओ, और ग्रीक देवताओ को दिया।

28 द्वारो वाला ये तिलिस्म अभेद्य था। यह तिलिस्म अब सिर्फ शारीरिक कुशलता और बुद्धि से ही तोड़ा जा सकता था ।

अटलांटिस के बचे हुए योद्धा 20000 साल से इसे तोड़ने की कोशिश कर रहे धे, लेकिन सफल नहीं हुए। आख़िरकार हार कर उन्होंने इंसानों का सहारा लिया और धरती के सबसे बुद्धिमान इंसानों को इसमें प्रवेश करवा दिया।

फ़िर शुरू हुई रहस्यों से भरी एक प्रश्न माला।
1.क्या वो साधारण मनुष्य तिलिस्म तोड़ कर क्लिटो को आजाद करवा सके?
2.क्या था हिमालय के गर्भ में छुपे उस विद्यालय का रहस्य? जहां वेदो की शिक्षा दी जाती थी।
3.कैलाश पर्वत की गुफा से निकला वेदों का ज्ञान, क्या ग्रीक देवताओ पर भारी पड़ा?
4.क्या म..देव की अलौकिक शक्तियाँ ब्रह्माण्ड के हर विज्ञान से उन्नत थी?
5.क्या संपूर्ण ब्रह्मांड जगत का सार ओऽम शब्द में निहित था?
6.क्या ब्रह्मकन('गॉड-पार्टिकल’) /देव-कण में हि बिग-बैंग का सिद्धांत समाया था?
7.क्या यूनिवर्स की रक्षा के लिए नए सुपर हीरो का जन्म हुआ, जिनके पास भगवान और विज्ञान दोनों की शक्ति थी?

तो दोस्तों देरी किस बात की? आइए सुरु करते हैं, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का राज खोलती अगली कड़ी का, जो आपको इंसान,भगवान और विज्ञान में अंतर करना सिखाएगी, जिसका नाम है: ‘अटलांटिस के रहस्य’


चैपटर-1 'अटलांटिस का इतिहास':
7 जनवरी 2002, सोमवार, 10:00, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका.

ये क्या वेगा?" वीनस ने वेगा को टोकते हुये कहा- “ये तुम मुझे ‘कांग्रेस का पुस्तकालय`( लाइब्रेरी आफ कांग्रेस) क्युं लेकर आ गए? मुझे लगा तुम मुझे घुमाने ले जा रहे हो।"

वेगा ने वीनस को एक बार मुस्कुरा कर देखा और फर अपनी कार को पार्किंग की तरफ घुमा दीया ।

“असल में प्रोफेसर कैरल ने मुझे एक प्रोजेक्ट पर लेख लिखने को कहा है !" वेगा ने कार को भूमिगत पार्किंग की ओर मोड़ते हुये कहा-

“और उस विषय पर कुछ लिखने से पहले, मुझे उसके बारे में जानना भी तो जरुरी है। इसलिए में तुम्हे लेकर दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी आया हूॅ। यहां पर हर विषय पर किताबें मौजूद है।''

“ओह!” वीनस ने गहरे सांस लेकर कहा- “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी. इसके बाद तुम्हें शाम को पार्टी देने का वादा करना होगा।'' वीनस ने मुस्कुराकर वेगा को ब्लैकमेल किया।

“हां...सुयोर!”

वेगा ने कार को पार्किंग में खड़ा किया, कार के इंजन को बंद कर दिया गया। वीनस और वेगा कार से उतर कर बाहर चले गए। वेगा ने इधर-उधर नज़र मारी और वीनस को लेकर लिफ्ट की और बढ़ गया।

"वैसे प्रोजेक्ट की थीम क्या है?" वीनस ने लिफ्ट में कदम रखते हुए पूछा?

“अटलांटिस के रहस्य” वेगा ने कहा!

वेगा की बात सुन वीनस एका एक हैरान कर देने वाली हो गई-

“ये कैसा टॉपिक है? यह तो हमारे विषय से मैच नहीं खाता।"

“मुझे क्या पता यार?” वेगा ने रिसेप्शन के फ्लोर पर स्टेप रख कर कहा- “अब प्रोफेसर ने जो टॉपिक दिया, मैंने वो ले लिया। अब बहस करने का कोई मतलब भी तो नहीं था।"

"बात तो तुम्हारी ठीक है" वीनस ने भी वेगा की बात पर अपनी सहमित प्रस्ताव हुए कहा।

तब तक वेगा रिसेप्शन पर पहुंच गया। वेगा ने अपनी जेब से लाइब्रेरी कार्ड निकाला कर कंप्यूटर में अपनी एंट्री दर्ज़ की। एंट्री के बाद कंप्यूटर ने उसको 4 अंकों का एक डोर- पासवर्ड दे दिया।

लाइब्रेरी का मेन डोर कंप्यूटराइज्ड पासवर्ड से लॉक था। वेगा ने दरवाजे के बगल लगे की पैड पर 4 अंक का पासवर्ड डाला। कांच का दरवाजा हल्की सी आवाज करता हुआ, एक तरफ स्लाइड होकर खुल गया। वेगा वीनस को ले लाइब्रेरी के अंदर घुस गया।

“तुम तो ऐसे यहां चल रहे हो, जैसे रोज-रोज यहां आते हो?“ वीनस ने वेगा को छेड़ते हुए कहा।

“कुछ ऐसा ही समझ लो। वैसे हफ़्ते में 3 दिन तो आता ही हू यहां पर।" वेगा ने चलते चलते जवाब दिया- “वास्तव में मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है।"

अब वेगा एक कंप्यूटर मशीन के पास पहुंच गया। उसने कंप्यूटर पर अटलांटिस शब्द टाइप किया ओर सर्च का बटन दबाया।

कंप्यूटर ने एक सेकेंड में ही 1024 किताबों के नाम वेगा के सामने रख दिये।

किताबों के नाम के बाद उनके लेखक का नाम, परकाशन वर्ष आदि विवरण लिखे हुए थे। वेगा की नजर तेजी से किताबों की सूची पर घूमने लगी।

देखते-देखते वेगा की नजर एक किताब के नाम पर रुक गई, किताब का नाम किसी दूसरी भाषा में लिखा था। लेखक का नाम भी समझ नही आ रहा था। मुद्रण वर्ष की जगह सन् 1508 लिखा था।

वेगा कुछ देर तक लेखक के नाम को देखता रहा। तब वेगा ने उस किताब का हॉल नंबर, रैक नंबर और डिटेल को एक छोटे से नोटपैड पर नोट कर लिया और कंप्यूटर को बंद कर, वीनस को ले एक दिशा की ओर चल दिया।

तीन-चार गिलयारों को पार करने के बाद अब वेगा किताबों की एक अनूठी दुनिया में था। एक विशालकाय हॉल में चारो तरफ 50 फुट ऊंची-ऊंची किताबों की रैक में किताबें ही किताबें भरी हुई थी। वीनस आँखे फाड़े उस किताबों के संसार को देखने लगी।

“अद्भुत! इतनी सारी किताबें ....... यह तो एक अलग ही दुनिया लग रही है।" वीनस ने अश्चर्यचकित् होकर कहा।

“लाइब्रेरी औफ कांग्रेस संसार की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है।" वेगा ने मुस्कुराकर वीनस की ओर देखते हुये कहा-

“यहां पर 100 मिलयन किताबें है और हर रोज लगभग 2,000 किताबें बढ़ जाती है। यह तो भला मानो की यह हमारे शहर वाशिंगटन में ही है। नही तो हमें लेख लिखने के लिए किसी और शहर में जाना पड़ता।"

वेगा की नजर अब रैक पर पड़े नंबर पर फिरने लगी। बामुस्किल 30 सेकंड में ही उसे रैक नंबर 35 दिखायी दे गयी। वेगा की नजर अब किताब नं0 823 पर गय। उसने आगे बढ़कर उस रहस्यमयी किताब को रैक से निकाल लिया।

वह किताब लगभग 400 पृष्ठ की थी। वेगा को किताब निकालता देख उस हॉल का लाइब्रेरियन पास आ गया।

“यह किताब हमें 7 दिन के लिए इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन से कहा ।

लाइब्रेरियन ने उस किताब को ध्यान से देखा और फिर बोला- “सोरी सर,....यह किताब काफी पुरानी है. ...इस ग्रेड की किताब को आप ले नहीं सकते। आपको यही पढ़ना पड़ेगा ।"

वेगा ने लाइब्रेरियन की सुन अपनी नजर इधर-उधर घुमाई। अब उसकी नजर सामने कांच के बने साउंड प्रूफ केबिन की ओर गई। केबिन को देखते हुए वेगा ने कहा-

''ठीक है फिर आप एक केबिन खुलवा दीजीए। वहा बैठ कर यह किताब पढ़ लेता हूँ।"

“सर….पर वो केबिन तो वी.आई.पी. पाठकों के लिए है. तुम्हें यहां कॉमन एरिया में ही बैठकर, यह किताब पढ़नी होगी।'' क्योकी.......!




जारी रहेगा_________✍️
Ye naya naya character ka kya chakkar hai!!?? Story sidhe Ocean se WASHINGTON DC City pahuch gaya aur ye matter toh five hi hota hai ye aapne sound aur light kahan se add kar diya!!??

Khair super update tha Vega aur Venus name ki 2 naye characters ki entry huyi.
 

Rekha rani

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#54.

दोस्तो हम जब भी अटलांटिस के बारे में सोचते ह, हमारी आँखों के सामने सागर में डूबी एक भव्य सभ्यता नजर आनेलगती है।

अटलांटिस देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र सर्व प्रथम प्लेटो ने अपनी पुतक ‘टाइिमयस’ और ‘कृटियास’ मैं किया था।

कहते है कि अटलांटिस का विज्ञान आज के विज्ञान से हज़ार गुना बेहतर था। पर एक दिन धरती के जोर से हिलने की वजह से पूरी अटलांटिस सभ्यता सागर में समा गई। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक और आर्कियोलोजिस्ट उस सभ्यता को ढूंढने का प्रयासकर रहे है।

ईश्वर को ब्रह्माण्ड के निर्माण के लिए 7 तत्वो की आवश्यकता थी- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, प्रकाश और ध्वनि!

इन्ही सात तत्वों से भगवान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया ! लेकिन अभी ईश्वर की सबसे बड़ी अद्वितीय कृति बाकी थी,और वो थी जीवन की उत्पत्ति।

जीवन की उत्पत्ति के लिए ईश्वर ने ब्रह्मकण’ (देव-कण) का निर्माण किया, देव-कण जिसको अंग्रेजी में 'गॉड-पार्टिकल’ कहते हैं। इस देव-कण ने सभी जीवो का निर्माण किया।

आख़िर क्या था वो ब्रह्मकण? जिसने अरबों-खरबों जीवों का निर्माण किया? और जिसने इन्हें इतना अलग अलग बनाया ।

इस कहानी इस कडी में जहां एक और तिलिस्म, जादू, रहस्य, चमत्कार है, वही विज्ञान की एक अद्भुत दुनिया है। जो बिग-बैंग, ब्लैक -होल, नेबुला और डार्क-मैटर जैसे सिद्धांत को खोलती है।

पौराणिक कथाओं और विज्ञान के ताने-बाने से बनी एक अद्भुत कहानी है ये जो आप पढ़ने जा रहे हैं।

आज से लगभग 20,000 वष॔ पहले ग्रीक देवता पोसाइडन ने अपनी पत्नी क्लिटो के लिये धरती पर स्वर्ग की स्थापना की, जिसे अटलांटिस के नाम से जाना गया।

धीरे-धीरे अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया की वहांके लोग स्वयं को भगवान मानने लगे। जिसके फल स्वरूप उन्होंने देवता के ख़िलाफ़ ही युद्ध का शुरू कर दीया।
पोसाइडन ने गुस्सा होकर पूरी अटलांटिस सभ्यता को समुद्र में डुबो दिया और क्लिटो को एक अस्वाभाविक (कृत्रिम) द्वीप पर तिलिस्म बनाकर कैद कर दीया ।

उस अस्वाभाविक द्वीप के आसपास का छेत्र बारामूडा त्रिकोण कहलाया । पोसाइडन ने इस तिलिस्म की सुरक्षा का भार 6 इन्द्रियाँ, 7 तत्व, 12 राशियाँ, और ब्रह्मांड के ख़तरनाक जीव जंतुओं, रोमन योद्धाओ, और ग्रीक देवताओ को दिया।

28 द्वारो वाला ये तिलिस्म अभेद्य था। यह तिलिस्म अब सिर्फ शारीरिक कुशलता और बुद्धि से ही तोड़ा जा सकता था ।

अटलांटिस के बचे हुए योद्धा 20000 साल से इसे तोड़ने की कोशिश कर रहे धे, लेकिन सफल नहीं हुए। आख़िरकार हार कर उन्होंने इंसानों का सहारा लिया और धरती के सबसे बुद्धिमान इंसानों को इसमें प्रवेश करवा दिया।

फ़िर शुरू हुई रहस्यों से भरी एक प्रश्न माला।
1.क्या वो साधारण मनुष्य तिलिस्म तोड़ कर क्लिटो को आजाद करवा सके?
2.क्या था हिमालय के गर्भ में छुपे उस विद्यालय का रहस्य? जहां वेदो की शिक्षा दी जाती थी।
3.कैलाश पर्वत की गुफा से निकला वेदों का ज्ञान, क्या ग्रीक देवताओ पर भारी पड़ा?
4.क्या म..देव की अलौकिक शक्तियाँ ब्रह्माण्ड के हर विज्ञान से उन्नत थी?
5.क्या संपूर्ण ब्रह्मांड जगत का सार ओऽम शब्द में निहित था?
6.क्या ब्रह्मकन('गॉड-पार्टिकल’) /देव-कण में हि बिग-बैंग का सिद्धांत समाया था?
7.क्या यूनिवर्स की रक्षा के लिए नए सुपर हीरो का जन्म हुआ, जिनके पास भगवान और विज्ञान दोनों की शक्ति थी?

तो दोस्तों देरी किस बात की? आइए सुरु करते हैं, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का राज खोलती अगली कड़ी का, जो आपको इंसान,भगवान और विज्ञान में अंतर करना सिखाएगी, जिसका नाम है: ‘अटलांटिस के रहस्य’


चैपटर-1 'अटलांटिस का इतिहास':
7 जनवरी 2002, सोमवार, 10:00, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका.

ये क्या वेगा?" वीनस ने वेगा को टोकते हुये कहा- “ये तुम मुझे ‘कांग्रेस का पुस्तकालय`( लाइब्रेरी आफ कांग्रेस) क्युं लेकर आ गए? मुझे लगा तुम मुझे घुमाने ले जा रहे हो।"

वेगा ने वीनस को एक बार मुस्कुरा कर देखा और फर अपनी कार को पार्किंग की तरफ घुमा दीया ।

“असल में प्रोफेसर कैरल ने मुझे एक प्रोजेक्ट पर लेख लिखने को कहा है !" वेगा ने कार को भूमिगत पार्किंग की ओर मोड़ते हुये कहा-

“और उस विषय पर कुछ लिखने से पहले, मुझे उसके बारे में जानना भी तो जरुरी है। इसलिए में तुम्हे लेकर दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी आया हूॅ। यहां पर हर विषय पर किताबें मौजूद है।''

“ओह!” वीनस ने गहरे सांस लेकर कहा- “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी. इसके बाद तुम्हें शाम को पार्टी देने का वादा करना होगा।'' वीनस ने मुस्कुराकर वेगा को ब्लैकमेल किया।

“हां...सुयोर!”

वेगा ने कार को पार्किंग में खड़ा किया, कार के इंजन को बंद कर दिया गया। वीनस और वेगा कार से उतर कर बाहर चले गए। वेगा ने इधर-उधर नज़र मारी और वीनस को लेकर लिफ्ट की और बढ़ गया।

"वैसे प्रोजेक्ट की थीम क्या है?" वीनस ने लिफ्ट में कदम रखते हुए पूछा?

“अटलांटिस के रहस्य” वेगा ने कहा!

वेगा की बात सुन वीनस एका एक हैरान कर देने वाली हो गई-

“ये कैसा टॉपिक है? यह तो हमारे विषय से मैच नहीं खाता।"

“मुझे क्या पता यार?” वेगा ने रिसेप्शन के फ्लोर पर स्टेप रख कर कहा- “अब प्रोफेसर ने जो टॉपिक दिया, मैंने वो ले लिया। अब बहस करने का कोई मतलब भी तो नहीं था।"

"बात तो तुम्हारी ठीक है" वीनस ने भी वेगा की बात पर अपनी सहमित प्रस्ताव हुए कहा।

तब तक वेगा रिसेप्शन पर पहुंच गया। वेगा ने अपनी जेब से लाइब्रेरी कार्ड निकाला कर कंप्यूटर में अपनी एंट्री दर्ज़ की। एंट्री के बाद कंप्यूटर ने उसको 4 अंकों का एक डोर- पासवर्ड दे दिया।

लाइब्रेरी का मेन डोर कंप्यूटराइज्ड पासवर्ड से लॉक था। वेगा ने दरवाजे के बगल लगे की पैड पर 4 अंक का पासवर्ड डाला। कांच का दरवाजा हल्की सी आवाज करता हुआ, एक तरफ स्लाइड होकर खुल गया। वेगा वीनस को ले लाइब्रेरी के अंदर घुस गया।

“तुम तो ऐसे यहां चल रहे हो, जैसे रोज-रोज यहां आते हो?“ वीनस ने वेगा को छेड़ते हुए कहा।

“कुछ ऐसा ही समझ लो। वैसे हफ़्ते में 3 दिन तो आता ही हू यहां पर।" वेगा ने चलते चलते जवाब दिया- “वास्तव में मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है।"

अब वेगा एक कंप्यूटर मशीन के पास पहुंच गया। उसने कंप्यूटर पर अटलांटिस शब्द टाइप किया ओर सर्च का बटन दबाया।

कंप्यूटर ने एक सेकेंड में ही 1024 किताबों के नाम वेगा के सामने रख दिये।

किताबों के नाम के बाद उनके लेखक का नाम, परकाशन वर्ष आदि विवरण लिखे हुए थे। वेगा की नजर तेजी से किताबों की सूची पर घूमने लगी।

देखते-देखते वेगा की नजर एक किताब के नाम पर रुक गई, किताब का नाम किसी दूसरी भाषा में लिखा था। लेखक का नाम भी समझ नही आ रहा था। मुद्रण वर्ष की जगह सन् 1508 लिखा था।

वेगा कुछ देर तक लेखक के नाम को देखता रहा। तब वेगा ने उस किताब का हॉल नंबर, रैक नंबर और डिटेल को एक छोटे से नोटपैड पर नोट कर लिया और कंप्यूटर को बंद कर, वीनस को ले एक दिशा की ओर चल दिया।

तीन-चार गिलयारों को पार करने के बाद अब वेगा किताबों की एक अनूठी दुनिया में था। एक विशालकाय हॉल में चारो तरफ 50 फुट ऊंची-ऊंची किताबों की रैक में किताबें ही किताबें भरी हुई थी। वीनस आँखे फाड़े उस किताबों के संसार को देखने लगी।

“अद्भुत! इतनी सारी किताबें ....... यह तो एक अलग ही दुनिया लग रही है।" वीनस ने अश्चर्यचकित् होकर कहा।

“लाइब्रेरी औफ कांग्रेस संसार की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है।" वेगा ने मुस्कुराकर वीनस की ओर देखते हुये कहा-

“यहां पर 100 मिलयन किताबें है और हर रोज लगभग 2,000 किताबें बढ़ जाती है। यह तो भला मानो की यह हमारे शहर वाशिंगटन में ही है। नही तो हमें लेख लिखने के लिए किसी और शहर में जाना पड़ता।"

वेगा की नजर अब रैक पर पड़े नंबर पर फिरने लगी। बामुस्किल 30 सेकंड में ही उसे रैक नंबर 35 दिखायी दे गयी। वेगा की नजर अब किताब नं0 823 पर गय। उसने आगे बढ़कर उस रहस्यमयी किताब को रैक से निकाल लिया।

वह किताब लगभग 400 पृष्ठ की थी। वेगा को किताब निकालता देख उस हॉल का लाइब्रेरियन पास आ गया।

“यह किताब हमें 7 दिन के लिए इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन से कहा ।

लाइब्रेरियन ने उस किताब को ध्यान से देखा और फिर बोला- “सोरी सर,....यह किताब काफी पुरानी है. ...इस ग्रेड की किताब को आप ले नहीं सकते। आपको यही पढ़ना पड़ेगा ।"

वेगा ने लाइब्रेरियन की सुन अपनी नजर इधर-उधर घुमाई। अब उसकी नजर सामने कांच के बने साउंड प्रूफ केबिन की ओर गई। केबिन को देखते हुए वेगा ने कहा-

''ठीक है फिर आप एक केबिन खुलवा दीजीए। वहा बैठ कर यह किताब पढ़ लेता हूँ।"

“सर….पर वो केबिन तो वी.आई.पी. पाठकों के लिए है. तुम्हें यहां कॉमन एरिया में ही बैठकर, यह किताब पढ़नी होगी।'' क्योकी.......!




जारी रहेगा_________✍️
Welcome back
New journey start ho Gayi AUR कुछ नए पात्रों के साथ एक अलग शुरुवात की गई है awesome जानकारियां di गई है,
 

Dev the lover

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#-1

22 दिसम्बर 2001, शनिवार, 22:00; न्यूयार्क शहर, अमेरिका !!

“हैलो मारथा !“ माइकल ने दरवाजे से प्रवेश करते हुए, अपनी पत्नी मारथा कोसंबोधित किया -


“पैकिंग पूरी हुई कि नहीं ? याद है ना कल ही हमें शिप से सिडनी जाना है।“

मारथा ने पहले एक नजर अपनी सो रही बेटी शैफाली पर डाली और फिर मुंह पर उंगली रखकर, माइकल से धीरे बोलने का इशारा किया -

“श् ऽऽऽऽऽ शैफाली, अभी - अभी सोई है, जरा धीरे बोलिए।“
माइकल, मारथा का इशारा समझ गया। इस बार उसकी आवाज धीमी थी –


“मैं तुमसे पैकिंग के बारे में पूछ रहा था।“

“अधिकतर पैकिंग हो चुकी है, बस शैफाली और ब्रूनो का ही कुछ सामान बचा हुआ है।“ मारथा ने धीमी आवाज में माइकल को जवाब दिया।

उधर ब्रूनो, माइकल की आवाज सुन, पूंछ हिलाता हुआ माइकल के पास
आकर बैठ गया । माइकल ने ब्रूनो के सिर पर हाथ फेरा और फिर मारथा से मुखातिब हुआ-


“ये तो अलबर्ट सर ने ब्रूनो के लिए 'सुप्रीम' पर व्यवस्था करवा दी, नहीं तो उस शिप पर जानवर को ले जाना मना है और ब्रूनो को छोड़कर शैफाली कभी नहीं जाती।“

“जाना भी नहीं चाहिए।“ मारथा ने मुस्कुरा कर ब्रूनो की तरफ देखते हुए कहा -

“शैफाली खुद भी छोटी थी, जब आप ब्रूनो को लाए। देखते ही देखते ये शैफाली से कितना घुल-मिल गया । इसके साथ रहते हुए तो शैफाली को अपने अंधेपन का भी एहसास नहीं होता ।“

ब्रूनो फिर खुशी से पूंछ हिलाने लगा । मानो उसे सब समझ आ गया हो।

“अलबर्ट __________सर, कॉलेज में मेरे प्रो फेसर थे। मैं उनका सबसे फेवरेट स्टूडेंट था ।“

माइकल ने पुनः बोलना शुरू किया - “जैसे ही मुझे पता चला कि वो भी न्यूयार्क से सिडनी जा रहे हैं, तो मैं अपने को रोक न पाया । इसीलिए मैं भी उनके साथ इसी शिप से जाना चाहता हूं।“

“मगर ये सफर 65 दिनों का है।“ मारथा ने थोड़ा चिंतित स्वर में कहा–

“क्या 2 महीने तक हम लोग इस सफर में बोर नहीं हो जाएंगे।“

“अरे, यही तो खास बात होती है शिप की । 2 महीने तक सभी झंझटों से
दूऱ........। कितना मजा आएगा ।“ माइकल ने उत्साहित होकर कहा –

“और ये भी तो सोचो, कि अलबर्ट सर को भी टाइम मिल जाएगा, शैफाली के साथ रहने का । वो जरूर इसकी परेशानियों को दूर करेंगे।“

इससे पहले कि मारथा कुछ और कह पाती । ब्रूनो की “कूं-कूं“ की आवाज ने उनका ध्यान भंग कि या।
ब्रूनो, सो रही शैफाली के पास खड़ा था और शैफाली को बहुत ध्यान से देख रहा था ।
दोनों की ही नजर अब शैफाली पर थी । जो बिस्तर पर सोते हुए कुछ अजीब से करवट बदल रही थी । साथ ही साथ वह कुछ बुदबुदा रही थी । माइकल और मारथा तेजी से शैफाली की ओर भागे। मारथा ने शैफाली को हिलाना शुरू कर दिया । पर वह बिल्कुल बेसुध थी ।

शैफाली अभी भी नींद में बड़बड़ा रही थी । पर अब वो आवाजें, माइकल व मारथा को साफ सुनाई दे रहीं थीं –

“अंधेरा ........ लहरें ......... रोशनी ........ फायर
............ लाम ....... कीड़े ........ द्वीप ..... ।“


मारथा , शैफाली की बड़बड़ाहट सुनकर अब बहुत घबरा गई थी । उसने तेजी से शैफाली को हिलाना शुरू कर दिया। अचानक शैफाली झटके से उठ गई।

“क्या हुआ मॉम? आप मुझे हिला क्यों रहीं हैं?“ शैफाली ने अपनी नीली - नीली आंखें चमकाते हुए कहा ।

“तुम शायद फिर से सपना देख रही थी ।“ माइकल ने व्यग्र स्वर में कहा।

“आप ठीक कह रहे हैं डैड। मैं कुछ देख तो रही थी, पर मुझे कुछ ठीक से याद नहीं आ रहा ।“ शैफाली ने कहा ।

“कोई बात नहीं बेटी, आप सो जाओ“ मारथा ने गहरी सांस लेते हुए कहा -


“परेशान होने की जरूरत नहीं है।“
शैफाली दोबारा से लेट गई। माइकल व मारथा अब शैफाली से दूर हट गए थे।

“ये कैसे संभव है मारथा ?“ माइकल ने दबी आवाज में कहा-

“शैफाली तो जन्म से अंधी है, फिर इसे सपने कैसे आ सकते हैं। हर महीने ये ऐसे ही सपने देखकर बड़बड़ाती है।“

“आप परेशान मत हो माइकल।“ मारथा ने गहरी साँस लेते हुए कहा -

“माना कि जन्म से अंधे व्यक्ति सपने नहीं देख सकते, पर अपनी शैफाली भी कहां नॉर्मल है। देखते नहीं हो वह मात्र 12 साल की उम्र में अंधी होकर भी, अपने सारे काम स्वयं करती है और अजीब-अजीब सी पहेलियां बनाकर हल करती रहती है। शैफाली दूसरों से अलग है, बस।“

माइकल ने भी गहरी सांस छोड़ी और उठते हुए बोला - “चलो अच्छा ! तुम बाकी की पैकिंग करो , मैं भी मार्केट से कुछ जरूरी सामान लेकर आता हूं।“

23 दि सम्बर 2001, रविवार, 14:00; (“सुप्रीम “) न्यूयार्क का बंदरगाह छोड़कर मंथर गति से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था। बंदरगाह को छोड़े हुए उसे लगभग 5 घंटे बीत चुके थे। दिसंबर का ठंडा महीना था और सूर्य भी अपनी चमकती किरणें बिखेरता हुआ, आसमान से सागर की लहरों पर, अठखेलियां करती हुई, अपनी परछाई को देखकर खुश हो रहा था ।
मौसम ठंडा होने के कारण सूर्य की गुनगुनी धूप सभी को बड़ी अच्छी लग रही थी ।

'सुप्रीम' के डेक पर बहुत से यात्रियों का जमावड़ा लगा हुआ था । कोई डेक पर टहलकर, इस गुनगुनी धूप का मजा ले रहा था, तो कोई अपने इस खूबसूरत सफर और इस शानदार शिप के बारे में बातें कर रहा था।

सभी अपने-अपने काम में मशगूल थे। परंतु ऐलेक्स जो कि एक पोल से टेक लगाए हुए खड़ा था, बहुत देर से, दूर स्लीपिंग चेयर पर लेटी हुई एक इटैलियन लड़की को देख रहा था। वह लड़की दुनिया की नजरों से बेखबर, बड़ी बेफिक्री से लेटी हुई, सुनहरी धूप का मजा लेते हुए, एक किताब पढ़ रही थी ।

ऐलेक्स की निगाहें बार-बार कभी उस लड़की पर, तो कभी उसकी किताब पर पड़ रही थी । दोनों की बीच की दूरी बहुत अधिक ना होने के कारण उसे किताब का नाम बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।
किताब का नाम ’वर्ल्ड फेमस बैंक रॉबरी ’ होने के कारण ना जाने, उसे क्यों बड़ा अटपटा सा महसूस हुआ।

उसे उस लड़की की तरफ देखते हुए ना जाने कितना समय बीत चुका था, परंतु उसकी नजर उधर से हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थी। तभी एक आवाज ने उसका ध्यान भंग किया।

“हाय क्रिस्टी !“ एक दूसरी लड़की अपना हाथ हिलाते हुए उस इटैलियन लड़की की तरफ बढ़ी, जिसका नाम यकीनन क्रिस्टी था –

“व्हाट ए सरप्राइज, तुम इस तरह से यहां शिप पर मिलोगी, ये तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था ।“

“ओऽऽऽ हाय लॉरेन!“ क्रिस्टी ने चैंक कर किताब को नजरों के सामने से हटाते हुए, लॉरेन पर नजर डालते हुए, खुशी से जवाब दिया –

“तुम यहां शिप पर कैसे? अच्छा ये बताओ, कॉलेज से निकलकर तुमने क्या-क्या किया ? इतने साल तक तुम कहां थी ? और .......।“


“बस-बस.....!“ लॉरेन ने क्रिस्टी के मुंह को अपनी हथेली से बंद करते हुए कहा- “अब सारी बातें एक साथ पूछ डालोगी क्या? चलो चलते हैं, कॉफी पीते हैं, फिर आऽऽराऽऽम से एक दूसरे से सारी बातें पूछेंगे।“

“तुम ठीक कहती हो । हमें कहीं बैठकर आराम से बात करनी चाहिए और वैसे भी तुम मुझ से लगभग 3 साल बाद मिल रही हो । मुझे भी तो पता चले इन बीते हुए सालों में तुमने क्या-क्या तीर मारे?“

यह कहकर क्रिस्टी लगभग खींचती हुई सी, लॉरेन को लेकर रेस्टोरेंट की ओर बढ़ गई।

ऐलेक्स, जो कि अब तक दोनों सहेलियों की सारी बातें ध्यान से सुन रहा था,

उसकी निगाहें अब सिर्फ और सिर्फ उस किताब पर थी, जो कि अनजाने में ही शायद वहां पर छूट गई थी । वह धीरे धीरे चलता हुआ, उस स्थान पर पहुंचा, जहां पर वह किताब रखी हुई थी । अब उसने अपनी नजरें हवा में इधर-उधर घुमाई। जब उसे इस बात का विश्वास हो गया, कि इस समय किसी की नजरें उस पर नहीं है, तो उसने धीरे से झुक कर उस किताब को उठा लिया । वहीं पर खड़े-खड़े ऐलेक्स ने उस किताब का पहला पृष्ठ खोला । जिस पर अंग्रेजी में बहुत ही खूबसूरत राइटिंग में

’क्रिस्टीना जोंस’ लिखा था।
ऐलेक्स ने चुपचाप किताब को बंद किया और धीरे-धीरे उस स्थान से दूर चला गया। लेकिन जाते-जाते वह अपने होंठों ही होंठों में बुदबुदाया-

“क्रिस्टी !“




जारी रहेगा...…:writing:
कहानी काफ़े दिल्चस्प है अब हालाकि ये न्यूयार्क शहर में शुरू हुई है तो ये थोड़ा सा समझना मश्किल है कि क्या ये मॉडर्न स्टोरी है कि थोड़ा सा ओल्ड रेट्रो टाइप क्योंकि यहाँ पर शिप्स हैं, समुंद्र है, किताबे हैं, जिसकी कोई मिस्टरी है !
 

Dev the lover

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# -2.

23 दिसम्बर 2001, रविवार 14:15; “सुप्रीम” “

अरे यार! हम इतनी देर से आपस में बातें कर रहें हैं।“ क्रिस्टी ने हल्के से अपने माथे पर चपत लगाते हुए कहा – “पर मैंने तुमसे अभी तक यह नहीं पूछा, कि तुम्हारे ब्वॉयफ्रेंड का क्या हुआ? जो कॉलेज में तुमको चुपके-चुपके लेटर लिखा करता था ।“

“छोड़ो यार!“ लॉरेन ने थोड़ा दुखी स्वर में कहा - “तुमने भी क्या याद दिला दिया ?“

“क्या हुआ? वो तुझे छोड़कर भाग गया क्या ?“ क्रिस्टी ने मजाकिया अंदाज में बोला ।

“भाग कर कहां जाएगा ?“ लॉरेन ने गहरी साँस भरते हुए जवाब दिया - “है तो अभी भी मेरे साथ, और वो भी इसी शिप पर।“

“इसी शिप पर!“ क्रिस्टी ने हवा में हाथ नचाते हुए शायराना अंदाज में कहा - “अरे वाह! और ये तू सबसे बाद में बता रही है। अच्छा छोड़! ये बता, तू उससे मुझे कब मिलवा रही है।“

“क्या खाक मिलवा रही हूं! लॉरेन की आवाज में अभी भी दुख भरा था - “उसने इस शिप पर, मुझसे तक से तो मिलने से मना कर रखा है, फिर तुझे उससे कैसे मिलवाऊं?“

“ये क्या बात हुई?“ क्रिस्टी ने चहककर कहा- “अरे वो तेरा ब्वॉयफ्रेंड है, या कोई जासूस! जो वह तुझसे भी नहीं मिलना चाहता।“

“वह कह रहा था कि उसके कुछ दुश्मन भी इसी शिप पर हैं, जो कहीं मुझे उससे मिलते देखकर मेरे पीछे ना पड़ जाएं। लॉरेन ने कहा-
“इसलिए उसने शिप पर मुझसे मिलने से मना कर रखा है।“

“अच्छा मिलवाना छोड़ो । उसकी कोई फोटो तो मुझे दिखा सकती हो। आखिर मैं भी तो देखूं, कौन है वह सूरमा जो मेरी सहेली के रातों की नींद उड़ाए है।“ क्रिस्टी ने लॉरेन के चेहरे के पास, हवा में हाथ हिलाते हुए कुछ मजा किया अंदाज में कहा ।

“हां फोटो तो दिखा सकती हूं।“ लॉरेन ने स्वीकृति से सिर हिलाते हुए कहा - “मगर एक शर्त है, तुम और किसी से कुछ नहीं बताओगी ।“

“अरे यार! मेरा इस शिप पर और कोई जानने वाला है ही नहीं । फिर भला मैं किसे बताऊंगी । लेकिन अगर तू नहीं मानती है, तोले..... मैं प्रॉमिस करती हूं।“ क्रिस्टी ने बाकायदा चुटकी से गला पकड़ते हुए प्रॉमिस करने वाले अंदाज में कहा – “कि किसी से भी नहीं बताऊंगी ।“

“फिर ठीक है। मैं तुम्हें कल उसकी फोटो जरूर दिखाऊंगी ।“ लॉरेन ने हामी भरते हुए कहा ।

“अच्छा ये बता कि तेरे उन दोनों शौक का क्या हुआ?“ क्रिस्टी ने एक के बाद तुरंत दूसरे सवाल का गोला दागा - “आज भी नयी-नयी भाषाएं सीख रही है या नहीं?“

“मैं जिंदगी में सब कुछ भूल जाऊं, पर अपने शौक को नहीं भूलती ।“ लॉरेन ने पूर्ण आत्मविश्वास भरे लहजे में कहा- “भाषाएं तो मैं आज भी सीख रही हूं। बल्कि यह कहा जाए, कि अब मुझे कुछ भाषाओं, जैसे फ्रेंच, उर्दू आदि में तो महारत हासिल हो गई है। बाकी रही बात दूसरा शौक डांस करने की । तो मैं आज भी वह कर रही हूं। बल्कि उसी की वजह से तो मैं आज इस शिप पर हूं।“

“मैं कुछ समझी नहीं !“ क्रिस्टी ने ना समझने वाले भाव से लॉरेन की तरफ देखते हुए कहा । “

दरअसल कालेज से निकलने के बाद मैंने अपने इस शौक को प्रोफेशन बनाने के लिए सोचा ।“ लॉरेन ने अपनी बात को आगे बढ़ाया - “और फ्रांस की सबसे फेमस ’ड्रीम्स डांस ग्रुप’ में अपना बायो डाटा भेजा । यहां पर मेरी किस्मत अच्छी रही, क्यों कि उस डांस ग्रुप की, एक मुख्य डांसर की, एक एक्सीडेंट में मौत हो जाने से उस समय वहां पर एक जगह भी खाली थी । उन्हों ने मेरा बायो डाटा देखा और मुझे डांस टेस्ट के लिए बुलवा लिया । जिसमें मेरे अच्छे परफॉर्मेंस के कारण मुझे चुन लिया गया। उसी डांस ग्रुप को इस शिप पर डांस प्रोग्राम के लिए रखा गया है। इसलिए मैं उस ग्रुप के साथ आज यहां पर हूं।“

“एक मिनट! ड्रीम्स डांस ग्रुप .......।“ क्रिस्टी ने अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से, अपनी दांई कनपटी पर धीरे-धीरे चोट करते हुए, सोचने वाले अंदाज में कहा - “ कहीं ये जेनिथ वाला डांस ग्रुप तो नहीं ?“

“हाँ ! ..... बिल्कुल ठीक। मैं उसी ग्रुप में इस समय परफॉर्म कर रही हूं और जेनिथ तो इस समय मेरी सबसे खास दोस्त है। यहां तक कि मैं और वो इस समय शिप में एक ही रूम में रुके हुए हैं।“

“अच्छा छोड़ो मेरी बातों को।“ लॉरेन ने कुछ सेकेण्ड रुककर फिर बोलना शुरू किया - “ये बताओ तुम मेरे बारे में ही पूछती रहोगी या फिर कुछ अपने बारे में भी बताओगी । तुम सुनाओ तुम आजकल क्या कर रही हो ? तुम्हें भी तो जिमनास्टिक का बहुत शौक था । कॉलेज वाले सारे दोस्त तुम्हें “रबर की गुड़िया “ कहा करते थे।“

“कहां यार!“ क्रिस्टी ने निराशा भरे स्वर में कहा - “कॉलेज से निकलने के बाद तो डैड ने मुझे ’कंप्यूटर सॉफ्टवेयर’ के बिजनेस में फंसा दिया और उसमें मैं ऐसा फंसी, कि मुझे अपना शौक पूरा करने का टाइम ही नहीं मिला और जब से डैड एक्सपायर हो गए, तब से तो मेरे पास समय और भी ना बचा ।“

“सॉरी यार! मुझे नहीं पता था कि तेरे डैड ........। लेकिन यह बता कि तेरे डैड तो अभी अच्छे भले थे, फिर वह कैसे एक्सपायर हो गए?“ लॉरेन ने क्रिस्टी के दुख में दुखी होते हुए कहा ।

“दरअसल उनकी मौत स्वाभाविक नहीं थी ।“ कहते-कहते एकाएक क्रिस्टी का चेहरा लावे की तरह धधकने लगा - “बल्कि उनका मर्डर हुआ था ।“

“मर्डर!“ लॉरेन के शब्दों में आश्चर्य था ।

“अरे छोड़ो यार!“ क्रिस्टी ने सामान्य होते हुए, मुस्कुराने की एक असफल कोशिश करते हुए कहा- “किसी और टॉपिक पर बात करते हैं।“

“ना बाबा ना ।“ लॉरेन ने घड़ी पर निगाह डालते हुए, कुर्सी से उठते हुए कहा- “समय बहुत हो रहा है। आपस में बातें करते-करते समय का तो पता ही नहीं चला । शाम को हम लोगों का इस शिप पर पहला शो है। अभी शो के लिए हमें काफी तैयारियां भी करनी है। जेनिथ भी मेरी राह देख रही होगी, मुझे अब चलना चाहिए।“ यह कहते हुए उसने पास में रखे, उस कॉफी के बिल पर साइन कर अपना रुम नंo डाल दिया, जो कुछ देर पहले उसके इशारे पर वेटर वहां रख गया था । और फिर क्रिस्टी को “बाय “ करती हुई, रेस्टोरेंट के दरवाजे से बाहर निकल गयी । क्रिस्टी उसे अंत तक देखती रही, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गयी । फिर धीरे से वह भी उठकर दरवाजे की तरफ चल दी ।

अगर वह पीछे पलट कर देखती, तो उसे वह दो आंखें जरूर दिखाई दे जातीं, जो बहुत देर से खूनी नजरों से, लगातार उन पर और उनकी बातों पर नजर रखे थीं । उसके जाने के बाद धीरे से वह साया भी उठा और रेस्टोरेंट के बाहर निकल गया ।


जारी रहेगा….... :writing:
कहानी के इस भाग में तो सहेलियों की बात ही चल लगी है कि कौन किसका प्रेमी है, किसका मर्डर हो गया है, कौन डांस करता है हसी मज़ाक तो चला, लेकिन ये मर्डर वाला सीन कुछ समझ नहीं आया अचानक से एज कौन सा हिस्सा खुल गया और फिर उसके बाद सीन ऐसा लग रहा कि कुछ भाई मिस्टरीयस होने वाला है आगे के पार्ट में देखते हैं क्या होता है
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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259
Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Ek nayi duniya ke safar me le kar chal pade he aap hum sabko.........

Bada hi maja aane wala he............

Keep rocking Bro
Maje ki 100% guarantee hai dost :approve:
Maja na aaye to paise wapas:shhhh:
Sath bane rahiye, Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 
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