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Thanks Rekha jiAwesome update
Thanks Rekha jiAwesome update
Bilkul dekho bhai, aapsab ke dekhne ke liye hi to apun likh raha hai, sath bane rahiye, Thanks for your valuable review and support bhaiBhut hi badhiya update
Is update me araka dveep or Samara rajy ka bhut hi badhiya trike se varnan kiya hai
Ab aage dekte hai ki yugaka or uske baba ke bich me kya baat chit hoti hai
बस ऐसे ही रिव्यू मुझे ओर अधिक अच्छे से लिखने को प्रेरित करते है मित्र। बाकी रिव्यू क जबाब कुछ समय बादभविष्य के पत्थर केवल मृत्यु के साधनों को दर्शाएँ, यह सोचना सही नहीं है।
यह भी हो सकता है कि वो सभी को आगाह कर रहे हों कि अमुक व्यक्ति उस वस्तु / जीव से सतर्क रहे। या फिर यह कि उससे उसका कोई काम बन पड़ेगा। लेकिन कुछ भी हो - अराका द्वीप पर भी मानव जीवन सस्ता ही है। प्रकृति यहाँ पर भी जीवों के लिए उतनी ही क्रूर है, जितनी पृथ्वी के अन्य स्थानों पर।
ड्रेज़लर मारा गया। ऐसा भी लग रहा है कि सुप्रीम के यात्री जो मारे गए, अब वो वापस नहीं आएँगे। यह तो नर-बलि के समान ही है। कुछ नहीं तो उनके हेतु इस द्वीप से न्याय माँगना ही पड़ेगा। इतनी बड़ी क्षति के एवज़ में कुछ हासिल होना ही चाहिए।
अराका द्वीप के बारे में सामान्य जानकारियाँ दे दी गई हैं। लेकिन आवश्यक जानकारियाँ छुपा ली गई हैं, जो भविष्य में हमारे सामने आएँगी। वैसे 20 किलोमीटर की भुजा वाले समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल एक सौ तिहत्तर वर्ग किलोमीटर के आस पास होता है।
तिलिस्मा कितना बड़ा है - यह नहीं पता चला। सारे फ़साद के मूल में ये तिलिस्मा ही है। यहाँ की टेक्नोलॉजी भी मानवों के हिसाब से बहुत आगे की है। पुष्पक विमान जैसा भी कुछ है यहाँ। वृक्ष-मानव भी हैं यहाँ।
वेगा सामरा राज्य का वासी है। इसीलिए उसके पास मैंड्रेक के समान बातों ही बातों में किसी को सम्मोहित करने की क्षमता है। वैसे उस तरह की विलक्षण प्रतिभा और वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के “व्यक्ति” को मानवों की सभ्यता में आ कर पढ़ने की क्या आवश्यकता आन पड़ी? शायद मानवों के बारे में जानने की या फिर उनको रिक्रूट करने की?
बढ़िया अपडेट्स हैं भाई!
# -3
23 दिसम्बर 2001, रविवार, 17:30; “सुप्रीम”
ऐलेक्स बहुत मुश्किल से क्रिस्टी का रूम नंबर पता कर पाया था । यहां तक कि उसे क्रिस्टी का रुम नंबर जानने के लिए एक वेटर को पटा कर उसे 20 डॉलर भी देने पड़े थे। अंततः वह रुम नंबर 221 के आगे खड़ा था । उसने पहले अपने हाथ में पकड़ी ’ वर्ल्ड फेमस बैंक रॉबरी ’ को ठीक ढंग से पकड़ा और फिर अपने आप को देखते हुए, अपनी टाई की नॉट सही की व गले को ठीक ढंग से खखार कर साफ किया ।
अब उसके बाएं हाथ की तर्जनी उंगली डोरबेल के बटन पर थी । एक बार बटन दबाकर उसने जल्दी से हाथ हटा लिया कि कहीं ऐसा ना हो, कि कई बार बेल बजाने पर खोलने वाला गुस्से में ना बाहर निकले। कुछ देर के इंतजार के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो उसने डरते- डरते पुनः बेल बजाई। तभी अंदर से कहीं सिटकनी खुलने की आवाज आयी, और सिर में टावेल लपेटे हुए क्रिस्टी ने दरवाजा खोला । सिर पर लिपटा टावेल और गले के आसपास भीगा कपड़ा इस बात का द्योतक था, कि वह नहा रही थी ।
उसके चेहरे पर भी कहीं-कहीं पर पानी की बूंदे ओस की मानिंद चिपकी हुई थीं । ऐलेक्स मंत्रमुग्ध सा अप्रतिम सुंदरता की उस प्रतिमा को निहार रहा था । वह शायद यह भी भूल गया, कि वह यहां आया किसलिए है? उधर जब क्रिस्टी के दो बार पूछने पर भी ऐलेक्स सपनों की दुनिया से बाहर नहीं आया, तो क्रिस्टी ने अपने सीधे हाथ से दरवाजा छोड़कर, जोर से ऐलेक्स की आंखों के सामने चुटकी बजाते हुए बोली-
“ऐ मिस्टर! ...... मैं तुमसे ही कह रही हूं। बार-बार घंटी क्यों बजा रहे थे? क्या काम है आपको ? ..... “ एका एक ऐलेक्स ऐसे हड़बड़ा गया, जैसे वह सोते से जागा हो ।
“हैलो ! मेरा नाम ’ऐलेक्जेंडर ओता नोव’ है।“ ऐलेक्स ने अपनी भूरी-भूरी आंखों से क्रिस्टी को निहारते हुए, अपना बांया हाथ आगे बढ़ा कर कहा - “आप प्यार से मुझे ऐलेक्स कह सकती हैं।“
“हैलो ! ..... “ क्रिस्टी ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ा दिया - “मुझे क्रिस्टी कहते हैं, पर मैंने आपको पहचाना नहीं ।“ ऐलेक्स ने धीरे से क्रिस्टी का हाथ उठा कर चूमा और फिर इस तरह शाइस्तगी से उसे छोड़ा, मानों वह हाथ ना हो कर कांच का कोई शोपीस हो। क्रिस्टी की सवालिया निगाहें पुनः ऐलेक्स पर थीं । ऐलेक्स ने धीरे से अपने दाहिने हाथ में पकड़ी वह किताब, जिसे अब तक वह छिपाने का प्रयास कर रहा था, क्रिस्टी की तरफ बढ़ा दी ।
“यह किताब आप डेक पर ही भूल गयीं थीं, मैं यही आपको वापस करने आया हूं।“ ऐलेक्स ने अपने स्वर को बहुत नम्र बनाते हुए जवाब दिया ।
“ओ ऽऽऽऽऽ! थैंक्यू-थैंक्यू।“ क्रिस्टी ने आभार प्रकट करते हुए किताब को धीरे से ले लिया । उसकी निगाह फिर ऐलेक्स पर पड़ी, मानो वह पूछना चाहती हो, कि क्या अब मैं दरवाजा बंद कर सकती हूं। पर ऐलेक्स की तरफ से कोई जवाब ना पाकर वह धीरे से पीछे हटी । ऐलेक्स को ऐसा लगा कि यदि वह तुरंत कुछ ना बोला, तो क्रिस्टी दरवाजा बंद कर लेगी ।
“मुझे आपका रूम नंबर पता करने के लिए 20 डॉलर खर्च करने पड़े।“ ऐलेक्स हड़बड़ा कर बोला । फिर तुरंत चुप हो गया । उसे लगा कि वह जल्दबा जी में गलत बोल गया ।
“20 डॉलर!“ क्रिस्टी ने हंसकर किताब का पिछला पेज ऐलेक्स के चेहरे के आगे कर दिया -
“आपने ज्यादा दे दिया मिस्टर। यह किताब तो मात्र 15 डॉलर की है। हां लेकिन अब आप किताब मेरे पास लेकर आए ही हैं, तो फिर मैं आपके 20 डॉलर आपको जरूर दूंगी ।“ यह कहकर जैसे ही क्रिस्टी अंदर जाने के लिए पलटी , ऐलेक्स ने उसे टोक दिया –
“इक्सक्यूज मी ! मैंने आपसे पैसे तो नहीं मांगे।“ क्रिस्टी पुनः पलटते हुए बोली -
“अच्छा ! मैंने तो समझा, आप शायद इसीलिए रुके हुए हैं।“
“नहीं ...... वो ....मैं तो ......। क्या आप आज रात का डिनर मेरे साथ ले सकती हैं?“ ऐलेक्स ने एकाएक घबराहट छोड़ पूर्ण आत्मविश्वास से क्रिस्टी की आंखों में झांकते हुए कहा ।
“व्हाट!“ क्रिस्टी एका एक ऐलेक्स के टॉपिक चेंज कर देने से बौखला उठी ।
“क्या आप आज रात का डिनर मेरे साथ ले सकती हैं?“ ऐलेक्स ने किसी घिसे-पिटे टेप रिकॉर्डर की तरह रिप्ले हो कर, फिर से वही डायलॉग दोहराया । इस बार क्रिस्टी के चेहरे पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान उभरी । वह धीरे से अपना चेहरा ऐलेक्स के चेहरे के सामने लाकर बोली –
“सुनिए मिस्टर! मैं अजनबियों के साथ डिनर पर नहीं जाती । आप कोई और दरवाजा खटखटाइये।“ यह कहकर वह फिर से दरवाजा बंद करने लगी । यह देखकर ऐलेक्स ने पुनः एक बार उसे रोक दिया ¬-
“एक मिनट रुकिए तो .............। चलिए अच्छा आप डिनर पर नहीं जाना चाहतीं हैं, तो मत जाइये, पर यह तो बता दीजिए, कि हम कल कहां पर मिलें।“
“मैं अजनबियों से ज्यादा बातें करना भी पसंद नहीं करती ।“ इस बार क्रिस्टी ने थोड़ा झुंझला कर गुस्से में कहा-
“अब आप जा सकते हैं, और हां .....यह समझ लीजिए कि आपके 20 डॉलर बेकार चले गए।“ यह कहकर क्रिस्टी ने धडा ऽऽऽक की आवाज के साथ दरवाजा बंद कर दिया । ऐलेक्स दरवाजे पर अकेला रह गया । लेकिन उसके और दरवाजे के बीच एक चीज और रह गयी और वह थी, शैंपू व सेंट की भीनी -भीनी खुशबू। जो कि कुछ देर पहले क्रिस्टी के शरीर से उठ रही थी। ऐलेक्स वहां खड़ा कुछ देर सोचता रहा और फिर जोर-जोर से सांस लेता हुआ बुदबुदाया-
“मेरे 20 डॉलर बेकार नहीं जाएंगे मिस क्रिस्टी । उससे ज्यादा की तो मैं खुशबू ही यहां से लेता जाऊंगा ।“
23 दि सम्बर 2001, रविवार, 19:00; “सुप्रीम” का डिनर हॉल, सुप्रीम की ही तरीके से अत्यंत विशालकाय था । थोड़ी-थोड़ी दूर पर बड़े ही करीने से, कुछ गोल टेबल व उसके इर्द-गिर्द, 4-4 कुर्सियां लगीं हुई थीं। हॉल के एक साइड में, एक बहुत बड़ा अर्धचंद्राकार स्टेज बना था । जिसके चारो ओर कांच के लगे पारदर्शक पत्थरों के पीछे, सैकड़ों रंग की लाइटें लगीं हुईं थीं । स्टेज का फर्श और दीवारें भी, उसमें लगी लाइटिंग के कारण चमक उत्पन्न कर, एक अद्भुत छटा बिखेर रहा था। वह हॉल उस समय किसी छोटे से स्टेडियम की भांति प्रतीत हो रहा था। इसी स्टेज पर डांस ग्रुप को परफॉर्म करना था । स्टेज के एक किनारे पर अनाउंसमेंट के लिए एक लकड़ी का पोडियम लगा था, जिसमें एक माइक फिक्स था। हॉल के एक साइड में एक बड़ा सा बार का उंटर भी बनाथा, जिसके पीछे दुनिया के हर अच्छे ब्रांड की बियर, व्हिसकी व शैम्पेन लगी थी । डिनर हॉल की फर्श व छतों पर लगा शानदार कलर र्पेट, उसकी शोभा में चार चांद लगा रहे थे। कुल मिलाकर वह हॉल सभी सुविधा से युक्त एक 5 सितारा होटल सा नजारा प्रस्तुत कर रहा था । हॉल की लगभग सभी कुर्सियां भरी हुई थीं ।
कुछ लोग डिनर ले रहे थे तो कुछ बियर व व्हिस्की की चुस्कियां ले रहे थे। तभी स्टेज पर सफेद ड्रेस पहने कुछ लोग आकर खड़े हो गए। देखने से ही लग रहा था, कि यह सभी शिप के चालक दल व उसके सहायक हैं। तभी उनमें से एक व्यक्ति ने आगे आकर माइक को संभाल लिया । उसके कंधे पर झलक रहे स्टार व उसके सीने पर लटक रहे असंख्य मेडल, इस बात का सबूत थे कि वही इस शिप का कैप्टन है।
“लेडीज एंड जेंटलमैन! कृपया ध्यान दें। मैं इस शिप का कैप्टन हूं और आज इस शिप के पहले और ऐतिहासिक सफर में आप सभी का स्वागत करता हूं। मैं चाहूंगा, कि यह शिप सफलता के नए कीर्तिमान बनाए।“
कुछ क्षण रुककर कैप्टन ने फिर बोलना शुरू किया-
“सबसे पहले मैं आप लोगों को अपना व अपने सहायक दल से परिचय कराना चाहूंगा। मेरा नाम सुयश है। मैं मूलतः भारत का रहने वाला हूं। मुझे समुद्री यात्राओं का भरपूर अनुभव है। मेरे इतने अनुभव की वजह से ही, मुझे इस शानदार शिप का कैप्टन बनाया गया है। मेरे पीछे खड़े दाहिने से पहले व्यक्ति असिस्टेंट कैप्टन रोजर, इसके बाद सेकेण्ड असिस्टेंट कैप्टेन असलम, फिर सिक्योरिटी इंचार्ज लारा, उसके बगल उनके असिस्टेंट ब्रैंडन, फिर ..........।“
इस तरीके से कैप्टन, सभी का परिचय कराने के बाद पुनः बोला -
“जैसा कि पहले मैं आप लोगों को बता दूं कि मैं नियम और कानून का बहुत पक्का आदमी हूं। मैं चाहता हूं कि आप सभी लोग इस शिप पर एक परिवार की तरीके से रहें। किसी भी यात्री को अगर इस शिप पर, किसी तरीके की परेशानी आती है तो आप 555 नंबर पर सीधे सिक्योरिटी इंचार्ज से बात कर सकते हैं। आप सभी इस शिप पर पूरा इंज्वाय कर सकते हैं। यहां पर आप सभी के रुचियों को ध्यान में रखते हुए, लगभग सभी सुविधाएं रखी गईं हैं। आप इन सभी सुविधाओं का पूरा आनंद उठा सकते हैं। और अब अंत में मैं आपके इस खुशनुमा सफर की मंगल-का मना करता हूं। और अब आपके लिए पेश है फ्रांस का मशहूर ’ड्रीम्स डांस ग्रुप’।“
इतना कहकर कैप्टन सुयश, माइक छोड़कर स्टेज से उतर गया और उसके साथ स्टेज से सारे चालक दल के लोग भी चले गये। इसी के साथ पूरे हाल की लाइट धीमी कर दी गई। हॉल में बिल्कुल सन्नाटा छा गया । तभी स्टेज पर दूर कहीं से एक रोशनी, गोले के रूप में पड़ी । इस रोशनी के गोले में तेज चमक मारती हुई, गुलाबी पोशाक पहने जेनिथ दिखा ई दी । इस तरीके से रोशनी का गोला थोड़ा स्टेज पर आगे बढ़ा ।
उस छोटे गोले के पीछे एक और रोशनी का बड़ा गोला उभरा । जिसमें लॉरेन सहित बाकी डांसर्स आते दिखाई दिए। धीरे-धीरे हल्की म्यूजिक पर डांस शुरू हुआ। सभी मंत्रमुग्ध से इस शानदार डांस का आनंद उठा रहे थे।
“मजा आ गया यार! फ्रांस की मशहूर डांसर जेनिथ, इस शिप पर। अब हमारा सिडनी तक का सफर बहुत अच्छा रहेगा ।“ जैक ने जॉनी के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा ।
“कहां ! ...... कहां है जे..नि ..थ?“ जॉनी ने पैग उठाते हुए, लड़खड़ाती जुबान में पूछा ।
“अरे! वो देख सामने स्टेज पर।“ जैक ने स्टेज की ओर मुंह घुमाते हुए कहा ।
“यार! मु..झे तो पता ... ही ...नहीं ..था कि शि ..प पर जेनिथ भी है।“ जॉनी पूरी तरह से नशे की तरंग में था ।
“मुझे ही कहां पता था, वो तो कैप्टन ने इसके बारे में जब अनाउंसमेंट किया, तब मुझे पता चला ।“ जैक ने जेनिथ को देखते हुए कहा ।
“क्या क......हा ऽऽऽऽ कैप्टन ने इस ... के बा ऽऽऽ रे में भी अना ...उंस किया ऽऽऽ था ।“ जॉनी ने झूमते हुए कहा - “मैं तो समझा ऽऽऽ कैप्ट...न खाली बकवा ऽऽ स कर रहा था ।“
“अबे पीना छोड़। डांस देख डांस।“ जैक ने जॉनी की खोपड़ी अपने हाथों से पकड़कर जबरदस्ती स्टेज की ओर घुमा दी ।
“हा ऽऽऽऽय यार क्या ऽऽऽ नाचती है?“ जॉनी ने अपना चेहरा घुमाते हुए कहा - “और इ .....सकी सफेद ... ड्रेस .... कितनी शा ऽऽऽनदार है।“
“सफेद ड्रेस! जैक ने आश्चर्य से जॉनी की ओर देखा - “पर जेनिथ तो गुलाबी ड्रेस पहने है।“
“फिर ये कौन ना ऽऽऽच रहा ऽऽऽ है।“ इस बार जॉनी के स्वर में उलझन के भाव थे। जैक ने जॉनी की तरफ देखा और उसकी निगाहों का पीछा करते हुए जब उस दिशा में देखा, जिधर जॉनी देख रहा था, तो अपनी खोपड़ी पीट ली -
“अरे गधे! तू जिसे जेनिथ समझ रहा है, वह वेटर है और वह आर्डर सप्लाई कर रहा है। कितनी बार कहा, कम पिया कर। पर मेरी मानता ही नहीं ।“
“वह वेटर है! मैं तो उ...से ही जे....नि ... थ समझ रहा ऽऽऽ था ऽऽऽ।“ जॉनी ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा - “पर एक बा ऽऽत सम ..झ में नहीं आ ऽऽई, यह वेट ..र नाऽऽच क्यों ... रहा ऽऽ है?“
“अरे! वो नहीं नाच रहा है। नशे के अधिक हो जाने से तेरी खोपड़ी झूम रही है।“ जैक ने झुंझला कर कहा । और एक बार फिर उसकी खोपड़ी पकड़कर स्टेज की ओर घुमा दी ।
जारी रहेगा........
#62.
“हिस्स...हिस्स...!" अजगर अब बहुत तेज फुंफकारने लगा।
“कैप्टन।" अल्बर्ट ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “ड्रेजलर अब मर चुका है। हमें तुरंत यहां से चलना चाहिए क्यों की यह अजगर अब अपने साथियों को पुकार रहा है। कुछ ही देर में यहां पर और अजगर भी आ जाएंगे। तब हमारा बचना भी मुश्किल हो जायेगा।"
सुयश ने अल्बर्ट की बात सुनी जरूर, पर वह अब भी वही खड़ा रहा।
“चलिए कैप्टन।" इस बार ब्रैंडन ने कहा- “प्रोफेसर सही कह रहे है और वैसे भी ड्रेजलर अब मर चुका है।"
सुयश ने एक गहरी साँस भरकर आखरी बार ड्रेजलर को देखा और फ़िर बाकी सबको लेकर वहां से निकल गया। उसके कानो में अब भी ड्रेजलर की चीख सुनाई दे रही थी।
चैपटर-3 अराका द्वीप का वर्णन
अराका द्वीप-अटलांटिस की सभ्यता का अंतिम साक्ष्य, जिसकी रचना स्वयं पोसाइडन ने अपने हाथों से की थी। जिसके ‘पोसाइडन पर्वत’ के अंदर ‘क्लिटो’ कहीं कैद है।
अराका द्वीप-जिस पर शलाका ने सामरा और सीनोर वासियो को लाकर बसा दिया।
अराका द्वीप- एक ऐसा क्रत्रिम द्वीप जो पानी पर भी तैर सकता है।
अनेकानेक विचित्रताओ से भरा यह द्वीप ही बारामूडा त्रिकोण के रहस्यो का स्त्रोत है।
तो फिर आइये मित्रों, इससे पहले की यह कहानी और आगे बढ़े, थोड़ा सा हम इस द्वीप की भोगोलिक स्थिति के बारे में जान लेते है, इससे आपको कहानी का सार समझने में सरलता होगी।
अराका द्वीप त्रिभुज कि आकृति वाला एक क्रत्रिम द्वीप है जिसकी तीनो भुजाएं 20 किलोमीटर लंबी है। यह द्वीप 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है।
अराका द्वीप के पिछले हिस्से के बीचोबीच के क्षेत्र में देवता पोसाइडन की एक बैठी हुई आकृति के समान एक विशालकाय पर्वत है जिसे ‘पोसाइडन पर्वत’ के नाम से जाना जाता है।
इस पर्वत के सामने की तरफ एक अर्ध चंद्राकर आकृति में, 6 किलोमीटर की त्रिज्या में, एक काफ़ी गहरी और 10 मीटर चौड़ी, पानी की नहर है, जिसे ‘जलकवच’ कहा जाता है।
पोसाइडन पर्वत के अंदर इस ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा तिलिस्म मौजूद है, जिसे तिलिस्मा कहते है, जिसका द्वार इस पर्वत पर ही कहीं मौजूद है।
इस तिलिस्मा के बांई तरफ के 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सामरा राज्य’ और दांई तरफ 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सीनोर राज्य’ कहलाता है।
सामरा और सीनोर राज्य को चारो ओर से एक अदृश्य दीवार दीवार ने घेर रखा है। इस अदृश्य दीवार को केवल सामरा या सीनोर वासी ही पार कर सकते है। अर्थात ना तो कोई बाहरी इंसान इन दोनो राज्य में प्रवेश कर सकता है और ना ही बाहर से उसे अंदर की दुनिया दिखाई देगी।
अराका द्वीप की यह व्यवस्था दोनो राज्यो की सुरक्षा का एक भाग है।
अराका द्वीप के बाकी हिस्से को ‘मायावन’ के नाम से जाना जाता है। इस ‘मायावन’ में पेड़-पौधे, जीव- जंतू, पहाड़, रेजिस्थान, दलदल, बर्फ़, झील, झरना, मैदान, ज्वालामुखी व अन्य बहुत सी रहस्यमयी चीजे है, जो खतरों के रूप में चारो तरफ फैली हैं ।
इससे ज़्यादा पहले से कुछ भी कहना कहानी को खराब करना होगा। तो आइये दोस्तो शुरु करते हैं आगे की कहानी ...................।"
सामरा राज्य : (7 जनवरी 2002, सोमवार, 17:00, सामरा राज्य, अराका)
युगाका वेगा से बात करने के बाद से ही उलझन में था।
“वेगा को बाबा की किताब के बारे में किसने बताया? क्या वेगा को अराका द्वीप के बारे में सबकुछ पता चल गया? कहीं ऐसा तो नहीं की वेगा हमसे कुछ छिपा रहा है? फ़िर ...फ़िर तो वह खतरे में भी हो सकता है। लगता है बाबा से सब कुछ बताना ही पड़ेगा।“
युगाका मन ही मन बुदबुदा रहा था- “पर बाबा ने तो कुछ दिन तक मिलने से मना किया था..... क्या करूं?...क्या करूं?.... नहीं-नहीं, मुझे कुछ भी करके बाबा से मिलना ही होगा।"
यह सोच युगाका अपने बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और शयनकक्ष से बाहर निकल गया अब वह अपने महल के गिलयारे में था। रास्ते में खड़े सैनिको ने युगाका को देख अपना सिर झुका लिया।
चलता हुआ युगाका अब सामरा महल के प्रांगण में आ गया। विशालकाय ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा हुआ सामरा महल बिल्कुल अभेद्य दिख रहा था।
चारो तरफ ऊंची-ऊंची, कद-काठी वाले सैनिक सजगता से पहरा दे रहे थे। महल के मुख्य द्वार पर लकड़ी का एक विशालकाय द्वार लगा था।
युगाका धीरे-धीरे चलता हुआ, उस द्वार तक पहुंचा और धीरे से द्वार को अपने दाहिने हाथ से स्पर्श किया। जाने क्या खास बात थी युगाका के स्पर्श में कि द्वार स्वतः ही जमीन के अंदर समा गया। कुछ ही देर में द्वार अपने स्थान से गायब हो गया।
युगाका के महल से बाहर निकलते ही द्वार जमीन से निकलकर वापस अपनी जगह पर खड़ा हो गया।
द्वार के बाहर एक विशालकाय चबूतरा बना था, जिस पर 20 सीढ़ियाँ बनी थी।
युगाका सीढ़ियाँ उतरकर किनारे पर आ गया। जहां पर ये सीढ़ियाँ ख़तम हो रही थी, वहां से महल के बाहर की ओर लगभग 200 मीटर आगे तक गहरा पानी भरा था, जो देखने में एक छोटी झील के जैसा नजर आ रहा था।
झील में बहुत सी लकड़ी की बनी, हंस की शकल वाली छोटी-छोटी नाव घूम रही थी, जिस पर कोई भी इंसान दिखाई नही दे रहा था।
युगाका ने जैसे ही अपना कदम अंतिम सीढ़ी पर रखा, एक नाव स्वतः ही युगाका के समीप आ गयी।
युगाका उस नाव में सवार हो गया। युगाका के बैठते ही नाव दूसरे किनारे की ओर चल दी। झील के पानी के अंदर मछलियों की तरह के कुछ विशालकाय जीव तैर रहे थे। वह सभी जीव महल की सुरक्षा के लिये थे।
किनारे पर पहुंचकर युगाका नाव से उतर गया। युगाका के उतरते ही नाव वापस झील की तरफ चली गयी।
युगाका ने कुछ देर इधर-उधर देखा और फ़िर एक तेज सीटी की आवाज अपने मुंह से निकाली।
तभी एक लकड़ी से बनी अजीब सी कार की तरह का कोई वाहन युगाका के सामने आ गया।
लकड़ी की उस कार के चारो पहियों पर रबर जैसा कोई द्रव्य चिपकाया गया था, मानो उसे टायर का शेप दिया गया हो। कार के अंदर काफ़ी मुलायमदार सीट लगी हुई थी।
पूरी कार खूबसूरत फूलों से सजी थी। कुल मिलाकर वह लकड़ी की कार किसी खूबसूरत पुराने रथ के जैसी लग रही थी।
युगाका उस कार का गेट खोलकर उसमें बैठ गया। कार के अंदर न तो कोई स्टीयरिंग व्हील था और न ही किसी तरह का मैकेनिज्म उसमें दिखाई दे रहा था।
“बाबा के पास जाना है।" युगाका ने कहा।
युगाका के बोलते ही कार चल पड़ी। वह कैसे चल रही थी? उसे कौन ड्राइव कर रहा था? कुछ समझ में नही आ रहा था?
कलाट का महल वहां से 3 किलोमीटर दूर था। युगाका आराम से आँख बंद करके लकड़ी कि कार में लेट गया।
कार बड़े ही विचित्र तरीके से चलती जा रही थी। जंगल में ना तो कोई सड़क थी और ना ही आरामदायक रास्ता, पर कार में बैठे युगाका को बिल्कुल भी झटके महसूस नही हो रहे थे।
कार की रफ़्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा से कम नही थी क्यों की बामुश्किल 5 मिनट में ही कार ने युगाका को कलाट महल पहुंचा दिया।
युगाका ने एक नजर कलाट महल पर मारी और कार से उतरकर नीचे आ गया। युगाका के उतरते ही कार वहां से चली गयी।
कलाट महल बहुत ही भव्य था। महल के बीचोबीच सोने की अनोखी डिजाइन में एक बड़ा सा गोल गुम्बद बना था। महल की छत हरे रंग के शीशे से बनी थी, जिसके पार कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था।
महल के प्रांगण में लाल रंग के खूबसूरत फूल की क्यारियां लगी थी और बीच में संगमरमर के पत्थरो से
बने चबूतरे पर एक शानदार हरा पेड़ लगा था
मुख्य द्वार के दोनो तरफ सीढ़ीयां बनी थी। युगाका बांये तरफ की सीढ़ीयां चढ़कर मुख्य द्वार तक पहुंच गया।
मुख्य द्वार किसी धातु का बना था। मुख्य द्वार के बगल एक छोटी सी मशीन लगी थी, जिस पर युगाका ने अपना हाथ स्कैन कर दिया।
युगाका के हाथ को स्कैन करते ही, मुख्य द्वार खुल गया। युगाका ने एक नजर अंदर की ओर डाली और फ़िर अंदर प्रवेश कर गया।
सबसे पहले एक बहुत बड़ा सा शानदार कमरा था, जो कि पूरा सफेद पत्थर से बना था। दीवारों पर भी शानदार सोने की कारीगरी थी।
तभी युगाका के सामने के द्वार से एक 4 फुट का छोटा पेड़ चलता हुआ अंदर आया।
युगाका के सामने पहुंच वह पेड़ धीरे से युगाका के सम्मान में झुका और फ़िर पलटकर अंदर के द्वार की ओर चल दिया। युगाका उस पेड़ के पीछे-पीछे अंदर की ओर चल दिया।
महल में एक भी इंसान नजर नहीं आ रहा था, मगर रास्ते में अलग-अलग प्रकार के अनेक पेड़ कुछ ना कुछ काम करते हुए नजर आ रहे थे।
चलते-चलते वह पेड़ एक बड़े से द्वार के पास रुक गया और युगाका को अंदर की ओर जाने का इशारा किया। युगाका उस द्वार से अंदर की ओर प्रवेश कर गया।
वह एक बहुत बड़ी सी प्रयोगशाला थी, जिसमें बहुत से पेड़ काम कर रहे थे। हर तरफ काँच के बीकर और फ्लास्क में अनेक रंग के रसायन भरे थे।
एक छोटी मगर गोल टेबल के चारो ओर 3 बौने बैठकर कुछ प्रयोग कर रहे थे। तीनो बौनो की ऊंचाई लगभग 3 फुट के आसपास थी। वह तीनो देखने में एक जैसे ही लग रहे थे, बस उनकी दाढ़ी के रंग अलग-अलग थे।
सफेद दाढ़ी वाले का नाम ‘किरीट’, भूरी दाढ़ी वाले का नाम ‘रिंजो’ और काली दाढ़ी वाले का नाम ‘शिंजो’ था।
यह तीनो बौने आपस में भाई थे, जिनमें किरीट सबसे बड़ा था, जबकि रिंजो और शिंजो जुड़वा थे।
यह तीनो बौने कलाट के वैज्ञानिक थे। एक तरह से ये तीनो सामरा राज्य के रीढ़ की हड्डी थे। कलाट इन तीनो को ‘शैतान तिकड़ी’ के नाम से पुकारता था।
युगाका को देख वह तीनो आदर से खड़े हो गये। युगाका ने उन्हे बैठने का इशारा किया। इशारा देख तीनो बैठ गये और फ़िर से काम करने लगे।
तभी युगाका की नजर सामने लगी ऊंची-ऊंची मशीनों की ओर गयी।
उन मशीनों के आगे एक 6 फुट ऊंचा बूढ़ा इंसान खड़ा था। जिसने पुराने जमाने के जादूगर के समान पोशाक पहन रखी थी। उसके सिर के और दाढ़ी के बाल बिल्कुल सफेद थे।
वह कलाट था, सामरा का महान जादूगर वैज्ञानिक, जिसे युगाका और वेगा ‘बाबा’ कह कर संबोधित करते थे।
युगाका कलाट के पास पहुंच गया। युगाका ने अपने दाहिने हाथ से मुट्ठी बंद कर अपने सीने से लगाया और झुककर कलाट को अभीवादन किया।
कलाट ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर से अपने काम में लग गया।
युगाका चुपचाप वहां खड़ा कलाट को मशीनो पर काम करते देखता रहा। बीच-बीच में युगाका को तीनो बौनो की बहस भरी आवाज भी सुनाई दे रही थी, शायद वह किसी प्रयोग के बारे में बात कर रहे थे।
20 मिनट तक अनवरत काम करने के पश्चयात कलाट ने अपना कार्य बंद कर दिया और युगाका को अपने पीछे आने का इशारा किया। युगाका कलाट के पीछे-पीछे चल दिया।
जारी रहेगा_________
बिल्कुल ठीक दिशा मे सोच रहे है आप, यही सोच कर लिखा गया था, पर किसी ने ध्यान ही नही दियाभविष्य के पत्थर केवल मृत्यु के साधनों को दर्शाएँ, यह सोचना सही नहीं है।
यह भी हो सकता है कि वो सभी को आगाह कर रहे हों कि अमुक व्यक्ति उस वस्तु / जीव से सतर्क रहे। या फिर यह कि उससे उसका कोई काम बन पड़ेगा।
सत प्रतिशत सत्य कथन, प्रकृति जितनी सौम्य है, उतनी ही कठोर भी है।लेकिन कुछ भी हो - अराका द्वीप पर भी मानव जीवन सस्ता ही है। प्रकृति यहाँ पर भी जीवों के लिए उतनी ही क्रूर है, जितनी पृथ्वी के अन्य स्थानों पर।
ज्यादा तो कुछ नही कह सकता अभी, (कुछ सोचा ही नही ) लेकिन आपसे सहमत हूं की इस द्वीप ने बली ली है तो न्याय भी ईसी से लेना चाहिए।ड्रेज़लर मारा गया। ऐसा भी लग रहा है कि सुप्रीम के यात्री जो मारे गए, अब वो वापस नहीं आएँगे। यह तो नर-बलि के समान ही है। कुछ नहीं तो उनके हेतु इस द्वीप से न्याय माँगना ही पड़ेगा। इतनी बड़ी क्षति के एवज़ में कुछ हासिल होना ही चाहिए।
हे भगवान इतना ज्ञान अगर मुझे होता तो अपुन दुनियां को उंगली पर नचाताअराका द्वीप के बारे में सामान्य जानकारियाँ दे दी गई हैं। लेकिन आवश्यक जानकारियाँ छुपा ली गई हैं, जो भविष्य में हमारे सामने आएँगी। वैसे 20 किलोमीटर की भुजा वाले समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल एक सौ तिहत्तर वर्ग किलोमीटर के आस पास होता है।
ओर भी काफी कुछ है भाई, ये अभी सामने आना बाकी है, तिलिस्मा कोई छोटा मोटा हो भी नही सकता,तिलिस्मा कितना बड़ा है - यह नहीं पता चला। सारे फ़साद के मूल में ये तिलिस्मा ही है। यहाँ की टेक्नोलॉजी भी मानवों के हिसाब से बहुत आगे की है। पुष्पक विमान जैसा भी कुछ है यहाँ। वृक्ष-मानव भी हैं यहाँ।
वो अपनी ईच्छा से नहीं गया, बल्की भेजा गया है। बोहोत सी बातें उस से छिपाई गई है। ऐसे ही साथ बनाए रखना भाई जी।वेगा सामरा राज्य का वासी है। इसीलिए उसके पास मैंड्रेक के समान बातों ही बातों में किसी को सम्मोहित करने की क्षमता है। वैसे उस तरह की विलक्षण प्रतिभा और वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के “व्यक्ति” को मानवों की सभ्यता में आ कर पढ़ने की क्या आवश्यकता आन पड़ी? शायद मानवों के बारे में जानने की या फिर उनको रिक्रूट करने की?
बढ़िया अपडेट्स हैं भाई!
Ye samajhne me bhi kaafi time lagne wala hai aapko, mera daawa hai ki aapne aisi kahani aaj tak nahi padhi hogiHmm.. kaafi achi shuruat hai... bahut saare kirdaar bhi hai... Aage dekhte hai kaun hai hero aur kaun villan
Bilkul, bhai, unka gyaan hume kai so saal aage hai, rahi baat mayajaal ki to wo bas gyaan aur vigyaan ki mili juli combination hai bhai,Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Kya mayajal bun rakha he Araca ke rup me.......
Agar ye sach he to ye log humse hazaro saal aage he..........
Keep rocking Bro