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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Raj_sharma

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#62.

“हिस्स...हिस्स...!" अजगर अब बहुत तेज फुंफकारने लगा।

“कैप्टन।" अल्बर्ट ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “ड्रेजलर अब मर चुका है। हमें तुरंत यहां से चलना चाहिए क्यों की यह अजगर अब अपने साथियों को पुकार रहा है। कुछ ही देर में यहां पर और अजगर भी आ जाएंगे। तब हमारा बचना भी मुश्किल हो जायेगा।"

सुयश ने अल्बर्ट की बात सुनी जरूर, पर वह अब भी वही खड़ा रहा।

“चलिए कैप्टन।" इस बार ब्रैंडन ने कहा- “प्रोफेसर सही कह रहे है और वैसे भी ड्रेजलर अब मर चुका है।"

सुयश ने एक गहरी साँस भरकर आखरी बार ड्रेजलर को देखा और फ़िर बाकी सबको लेकर वहां से निकल गया। उसके कानो में अब भी ड्रेजलर की चीख सुनाई दे रही थी।

चैपटर-3 अराका द्वीप का वर्णन

अराका द्वीप-अटलांटिस की सभ्यता का अंतिम साक्ष्य, जिसकी रचना स्वयं पोसाइडन ने अपने हाथों से की थी। जिसके ‘पोसाइडन पर्वत’ के अंदर ‘क्लिटो’ कहीं कैद है।

अराका द्वीप-जिस पर शलाका ने सामरा और सीनोर वासियो को लाकर बसा दिया।

अराका द्वीप- एक ऐसा क्रत्रिम द्वीप जो पानी पर भी तैर सकता है।
अनेकानेक विचित्रताओ से भरा यह द्वीप ही बारामूडा त्रिकोण के रहस्यो का स्त्रोत है।

तो फिर आइये मित्रों, इससे पहले की यह कहानी और आगे बढ़े, थोड़ा सा हम इस द्वीप की भोगोलिक स्थिति के बारे में जान लेते है, इससे आपको कहानी का सार समझने में सरलता होगी।

अराका द्वीप त्रिभुज कि आकृति वाला एक क्रत्रिम द्वीप है जिसकी तीनो भुजाएं 20 किलोमीटर लंबी है। यह द्वीप 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है।

अराका द्वीप के पिछले हिस्से के बीचोबीच के क्षेत्र में देवता पोसाइडन की एक बैठी हुई आकृति के समान एक विशालकाय पर्वत है जिसे ‘पोसाइडन पर्वत’ के नाम से जाना जाता है।

इस पर्वत के सामने की तरफ एक अर्ध चंद्राकर आकृति में, 6 किलोमीटर की त्रिज्या में, एक काफ़ी गहरी और 10 मीटर चौड़ी, पानी की नहर है, जिसे ‘जलकवच’ कहा जाता है।

पोसाइडन पर्वत के अंदर इस ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा तिलिस्म मौजूद है, जिसे तिलिस्मा कहते है, जिसका द्वार इस पर्वत पर ही कहीं मौजूद है।

इस तिलिस्मा के बांई तरफ के 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सामरा राज्य’ और दांई तरफ 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सीनोर राज्य’ कहलाता है।

सामरा और सीनोर राज्य को चारो ओर से एक अदृश्य दीवार दीवार ने घेर रखा है। इस अदृश्य दीवार को केवल सामरा या सीनोर वासी ही पार कर सकते है। अर्थात ना तो कोई बाहरी इंसान इन दोनो राज्य में प्रवेश कर सकता है और ना ही बाहर से उसे अंदर की दुनिया दिखाई देगी।

अराका द्वीप की यह व्यवस्था दोनो राज्यो की सुरक्षा का एक भाग है।

अराका द्वीप के बाकी हिस्से को ‘मायावन’ के नाम से जाना जाता है। इस ‘मायावन’ में पेड़-पौधे, जीव- जंतू, पहाड़, रेजिस्थान, दलदल, बर्फ़, झील, झरना, मैदान, ज्वालामुखी व अन्य बहुत सी रहस्यमयी चीजे है, जो खतरों के रूप में चारो तरफ फैली हैं ।

इससे ज़्यादा पहले से कुछ भी कहना कहानी को खराब करना होगा। तो आइये दोस्तो शुरु करते हैं आगे की कहानी ...................।"

सामरा राज्य :
(7 जनवरी 2002, सोमवार, 17:00, सामरा राज्य, अराका)

युगाका वेगा से बात करने के बाद से ही उलझन में था।

“वेगा को बाबा की किताब के बारे में किसने बताया? क्या वेगा को अराका द्वीप के बारे में सबकुछ पता चल गया? कहीं ऐसा तो नहीं की वेगा हमसे कुछ छिपा रहा है? फ़िर ...फ़िर तो वह खतरे में भी हो सकता है। लगता है बाबा से सब कुछ बताना ही पड़ेगा।“

युगाका मन ही मन बुदबुदा रहा था- “पर बाबा ने तो कुछ दिन तक मिलने से मना किया था..... क्या करूं?...क्या करूं?.... नहीं-नहीं, मुझे कुछ भी करके बाबा से मिलना ही होगा।"

यह सोच युगाका अपने बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और शयनकक्ष से बाहर निकल गया अब वह अपने महल के गिलयारे में था। रास्ते में खड़े सैनिको ने युगाका को देख अपना सिर झुका लिया।

चलता हुआ युगाका अब सामरा महल के प्रांगण में आ गया। विशालकाय ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा हुआ सामरा महल बिल्कुल अभेद्य दिख रहा था।

चारो तरफ ऊंची-ऊंची, कद-काठी वाले सैनिक सजगता से पहरा दे रहे थे। महल के मुख्य द्वार पर लकड़ी का एक विशालकाय द्वार लगा था।

युगाका धीरे-धीरे चलता हुआ, उस द्वार तक पहुंचा और धीरे से द्वार को अपने दाहिने हाथ से स्पर्श किया। जाने क्या खास बात थी युगाका के स्पर्श में कि द्वार स्वतः ही जमीन के अंदर समा गया। कुछ ही देर में द्वार अपने स्थान से गायब हो गया।

युगाका के महल से बाहर निकलते ही द्वार जमीन से निकलकर वापस अपनी जगह पर खड़ा हो गया।

द्वार के बाहर एक विशालकाय चबूतरा बना था, जिस पर 20 सीढ़ियाँ बनी थी।

युगाका सीढ़ियाँ उतरकर किनारे पर आ गया। जहां पर ये सीढ़ियाँ ख़तम हो रही थी, वहां से महल के बाहर की ओर लगभग 200 मीटर आगे तक गहरा पानी भरा था, जो देखने में एक छोटी झील के जैसा नजर आ रहा था।

झील में बहुत सी लकड़ी की बनी, हंस की शकल वाली छोटी-छोटी नाव घूम रही थी, जिस पर कोई भी इंसान दिखाई नही दे रहा था।

युगाका ने जैसे ही अपना कदम अंतिम सीढ़ी पर रखा, एक नाव स्वतः ही युगाका के समीप आ गयी।

युगाका उस नाव में सवार हो गया। युगाका के बैठते ही नाव दूसरे किनारे की ओर चल दी। झील के पानी के अंदर मछलियों की तरह के कुछ विशालकाय जीव तैर रहे थे। वह सभी जीव महल की सुरक्षा के लिये थे।

किनारे पर पहुंचकर युगाका नाव से उतर गया। युगाका के उतरते ही नाव वापस झील की तरफ चली गयी।

युगाका ने कुछ देर इधर-उधर देखा और फ़िर एक तेज सीटी की आवाज अपने मुंह से निकाली।

तभी एक लकड़ी से बनी अजीब सी कार की तरह का कोई वाहन युगाका के सामने आ गया।

लकड़ी की उस कार के चारो पहियों पर रबर जैसा कोई द्रव्य चिपकाया गया था, मानो उसे टायर का शेप दिया गया हो। कार के अंदर काफ़ी मुलायमदार सीट लगी हुई थी।

पूरी कार खूबसूरत फूलों से सजी थी। कुल मिलाकर वह लकड़ी की कार किसी खूबसूरत पुराने रथ के जैसी लग रही थी।

युगाका उस कार का गेट खोलकर उसमें बैठ गया। कार के अंदर न तो कोई स्टीयरिंग व्हील था और न ही किसी तरह का मैकेनिज्म उसमें दिखाई दे रहा था।

“बाबा के पास जाना है।" युगाका ने कहा।

युगाका के बोलते ही कार चल पड़ी। वह कैसे चल रही थी? उसे कौन ड्राइव कर रहा था? कुछ समझ में नही आ रहा था?

कलाट का महल वहां से 3 किलोमीटर दूर था। युगाका आराम से आँख बंद करके लकड़ी कि कार में लेट गया।

कार बड़े ही विचित्र तरीके से चलती जा रही थी। जंगल में ना तो कोई सड़क थी और ना ही आरामदायक रास्ता, पर कार में बैठे युगाका को बिल्कुल भी झटके महसूस नही हो रहे थे।

कार की रफ़्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा से कम नही थी क्यों की बामुश्किल 5 मिनट में ही कार ने युगाका को कलाट महल पहुंचा दिया।

युगाका ने एक नजर कलाट महल पर मारी और कार से उतरकर नीचे आ गया। युगाका के उतरते ही कार वहां से चली गयी।

कलाट महल बहुत ही भव्य था। महल के बीचोबीच सोने की अनोखी डिजाइन में एक बड़ा सा गोल गुम्बद बना था। महल की छत हरे रंग के शीशे से बनी थी, जिसके पार कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था।

महल के प्रांगण में लाल रंग के खूबसूरत फूल की क्यारियां लगी थी और बीच में संगमरमर के पत्थरो से
बने चबूतरे पर एक शानदार हरा पेड़ लगा था

मुख्य द्वार के दोनो तरफ सीढ़ीयां बनी थी। युगाका बांये तरफ की सीढ़ीयां चढ़कर मुख्य द्वार तक पहुंच गया।

मुख्य द्वार किसी धातु का बना था। मुख्य द्वार के बगल एक छोटी सी मशीन लगी थी, जिस पर युगाका ने अपना हाथ स्कैन कर दिया।

युगाका के हाथ को स्कैन करते ही, मुख्य द्वार खुल गया। युगाका ने एक नजर अंदर की ओर डाली और फ़िर अंदर प्रवेश कर गया।

सबसे पहले एक बहुत बड़ा सा शानदार कमरा था, जो कि पूरा सफेद पत्थर से बना था। दीवारों पर भी शानदार सोने की कारीगरी थी।

तभी युगाका के सामने के द्वार से एक 4 फुट का छोटा पेड़ चलता हुआ अंदर आया।

युगाका के सामने पहुंच वह पेड़ धीरे से युगाका के सम्मान में झुका और फ़िर पलटकर अंदर के द्वार की ओर चल दिया। युगाका उस पेड़ के पीछे-पीछे अंदर की ओर चल दिया।

महल में एक भी इंसान नजर नहीं आ रहा था, मगर रास्ते में अलग-अलग प्रकार के अनेक पेड़ कुछ ना कुछ काम करते हुए नजर आ रहे थे।

चलते-चलते वह पेड़ एक बड़े से द्वार के पास रुक गया और युगाका को अंदर की ओर जाने का इशारा किया। युगाका उस द्वार से अंदर की ओर प्रवेश कर गया।

वह एक बहुत बड़ी सी प्रयोगशाला थी, जिसमें बहुत से पेड़ काम कर रहे थे। हर तरफ काँच के बीकर और फ्लास्क में अनेक रंग के रसायन भरे थे।

एक छोटी मगर गोल टेबल के चारो ओर 3 बौने बैठकर कुछ प्रयोग कर रहे थे। तीनो बौनो की ऊंचाई लगभग 3 फुट के आसपास थी। वह तीनो देखने में एक जैसे ही लग रहे थे, बस उनकी दाढ़ी के रंग अलग-अलग थे।

सफेद दाढ़ी वाले का नाम ‘किरीट’, भूरी दाढ़ी वाले का नाम ‘रिंजो’ और काली दाढ़ी वाले का नाम ‘शिंजो’ था।

यह तीनो बौने आपस में भाई थे, जिनमें किरीट सबसे बड़ा था, जबकि रिंजो और शिंजो जुड़वा थे।

यह तीनो बौने कलाट के वैज्ञानिक थे। एक तरह से ये तीनो सामरा राज्य के रीढ़ की हड्डी थे। कलाट इन तीनो को ‘शैतान तिकड़ी’ के नाम से पुकारता था।

युगाका को देख वह तीनो आदर से खड़े हो गये। युगाका ने उन्हे बैठने का इशारा किया। इशारा देख तीनो बैठ गये और फ़िर से काम करने लगे।

तभी युगाका की नजर सामने लगी ऊंची-ऊंची मशीनों की ओर गयी।

उन मशीनों के आगे एक 6 फुट ऊंचा बूढ़ा इंसान खड़ा था। जिसने पुराने जमाने के जादूगर के समान पोशाक पहन रखी थी। उसके सिर के और दाढ़ी के बाल बिल्कुल सफेद थे।

वह कलाट था, सामरा का महान जादूगर वैज्ञानिक, जिसे युगाका और वेगा ‘बाबा’ कह कर संबोधित करते थे।

युगाका कलाट के पास पहुंच गया। युगाका ने अपने दाहिने हाथ से मुट्ठी बंद कर अपने सीने से लगाया और झुककर कलाट को अभीवादन किया।

कलाट ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर से अपने काम में लग गया।

युगाका चुपचाप वहां खड़ा कलाट को मशीनो पर काम करते देखता रहा। बीच-बीच में युगाका को तीनो बौनो की बहस भरी आवाज भी सुनाई दे रही थी, शायद वह किसी प्रयोग के बारे में बात कर रहे थे।

20 मिनट तक अनवरत काम करने के पश्चयात कलाट ने अपना कार्य बंद कर दिया और युगाका को अपने पीछे आने का इशारा किया। युगाका कलाट के पीछे-पीछे चल दिया।



जारी रहेगा_________✍️
 

parkas

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बस कश्यप भैया अभी आने ही वाला है। :declare:
Besabari se intezaar kar rahe hai next update ka Raj_sharma bhai....
 

Raj_sharma

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कहानी के इस भाग में तो सहेलियों की बात ही चल लगी है कि कौन किसका प्रेमी है, किसका मर्डर हो गया है, कौन डांस करता है हसी मज़ाक तो चला, लेकिन ये मर्डर वाला सीन कुछ समझ नहीं आया अचानक से एज कौन सा हिस्सा खुल गया और फिर उसके बाद सीन ऐसा लग रहा कि कुछ भाई मिस्टरीयस होने वाला है आगे के पार्ट में देखते हैं क्या होता है


Maine toh pehle hi bol diya tha yahan... ke jahaj dubne wala hai...yeh Raj sir ek din Titanic dekh lete hai agle din Jumanji ke script daal de yahan :kekdog:

Ab dekhte hoon kya jawab aata hai 👀


Bahut hi shandaar update …. Ab dekhna hai deep par inke saath kya romanchak hoga…

Bahut badhiya likh rahe hai aap….

Galt hi likhi 🤣iti kyame likhe ho😒plus ye angrezi naam haye haye😒or bero k hi likhe 😒last cid type wali kitni mast hi or iske 2 3 update padhe honge 😒bero na ke ke likhbo kare

Nice update Raj_sharma bhai
Ab Antarctica mei bhi khoj shru hogi

Nice update....

Dear Raj Sir, I am unable to read your stories right now. I don't get time, but as soon as I get time, I will definitely read all your stories.

Badhiya update bhai

Ek or naya khatra ir abki bar to magarmachh manav ke roop me is bar to jan jate jate bachi in sabki lekin fir shefali ne hi bachaya ab to aisa lagta ha ki shefali se koi karwata ha aisa jab bhi aisi musibat ati ha to koi shefali ke andar pravesh kar kar jata ha or kam hone ke bad nikal jata ha jisse shefali ko bhi pata nahi hota ki usne kya kar diya

भाई, ये “अराका” टापू बहुत ही कमाल का है!

पहले तो उस पेड़ के बारे में पढ़ कर लगा कि हैरी पॉटर के Whomping Willow जैसा बदमाश पेड़ है, लेकिन पारिजात वृक्ष से उसकी समानता दिखी। अद्भुत पेड़ है ये! फिर आगे मगरमच्छ ‘मानव’ जलोथा मिला। जो बर्फ़ 800 किलो का वज़न सह कर भी न टूटे, वो तौफ़ीक़ के प्रयास से टूट नहीं सकती थी - लेकिन इस बात का फायदा यह हुआ कि जेनिथ की नज़र में वो हीरो बन गया! हा हा हा हा!!

हर कदम पर अराका इस टीम की परीक्षा ले रहा है और हर बार शेफाली ही तारणहार बन कर सामने आ रही है। अगर वो पोसाइडन या फिर शलाका की वंशज नहीं है, तो फ़िर कुछ कहना ही बेकार है। सभी को चाहिए कि उस फेल्ड कप्तान सुयश के बजाय शेफ़ाली को अपना नेता (नेत्री) मान लें। सुयश ने अपना जहाज़ डुबो दिया। अपनी ज़िद के चलते असंख्य यात्री मरवा दिए। शिप की कप्तानी से ज़्यादा उनको मिस मार्पल बनने का शौक चढ़ा हुआ था। ऐसे में अब इस किरदार को साइड में कर देना चाहिए।

उधर अंटार्कटिका का अच्छा विवरण दिया है आपने। जिनको समझ में न आया हो -- अंटार्कटिका पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में है। इसलिए ऋतुओं में 180 अंश का अंतर होता है। जब उत्तरी गोलार्द्ध में ठंडक होती है (जनवरी) तब वहाँ गर्मी पड़ती है। हाँ, लेकिन ये ऐसी गर्मी नहीं होती कि पसीने निकाल दे। वनस्पति के नाम पर काई, छोटी घास या फिर छोटी झाड़ियाँ ही उग पाती हैं। वो भी लगभग क्षणिक।

ऐसे में जेम्स और विल्मर द्वारा सुनहरी ढाल-दीवार-यान का पता लगाना एक और रहस्य है। शायद यहीं से “अटलांटिस” के ऊपर से आवरण हटेगा।
वैसे भाई, इतनी जल्दी 500 मीटर की दूरी की बर्फ़ हटा पाए वो दोनों, कमाल है! इनको बुला लाओ म्हारे देश। थोड़ा त्वरित गति से निर्माण कार्य होने लगेगा! हा हा हा हा!

संजू भाई का कमेंट मस्त लगता है। उन्होंने आखिरी लाइन में जो लिखा है वो प्रभु श्री राम और लंका के बीच वाले समुद्र की बात कही है। लेकिन दरअसल बात के मूल में यह है ही नहीं। जो समुद्र ‘उथला’ हो वो समुद्र नहीं हो सकता। उथला होना समुद्र की प्रकृति नहीं है। समुद्र गहरा होता है और उसमें सदैव लहरें उठती रहती हैं। वरुण देव, जो जल (नदियों, समुद्रों) के देवता हैं, उन्होंने ही यह नियम बनाये हैं।

आज कल बाहर हूँ। पढ़ तो लेता हूँ, लेकिन लिख नहीं पाता। उतना समय नहीं मिल रहा है।
बेहतरीन अपडेट्स :)

Dusre addhyay ke sabhi update itihas ke panne khol rahe hai.
Atlantis ka adhura itihas padhne me kafi dilchasp hoga.
Dekhte hai araka dweep aur kon konsi Maya dikhata hai.
Shifali ke pas aur konsi shaktiya hai wo bhi aage dekhne mil jayegi shayad.
Khubsurat update :)

कितना पढ़ते हो आजकल ?
जो ये नयी नयी खुराफातें हर अपडेट में पेल देते हो

पिछला रिव्यू सोच नहीं पाता मैं, तब तक नया तुरुप लगा देते हो

अब ये वेगा, अराका को राजकुमार निकला
किताब इसके बापू की लिखी निकली
इन्सान तो पढ़ नहीं पा रहा, बाज पढ़ने के लिए किताब छीनने आ गया


त्रिकाली दीदी से भी मिलना है अभी तो, लेकिन शैफाली को साथ लेकर जाऊंगा

Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌 👌

nice update

जिस मौत के टापू मे कोई परिंदा तक नही पहुंच सकता , जहां कोई शिप या प्लेन नही जा पाता , वहां ' सम्राट ' शिप के बचे खूचे यात्री पहुंच गए । वह कैसे पहुंचे , यह सब देख ही चुके है । उस टापू ने ही इस शिप को हिप्नोटाइज किया था । यह लोग अपनी कोशिश से वंहा नही पहुंचे थे ।

इसी टापू , इसी तिलिस्म टापू का युवराज अमेरिका मे रहकर पढ़ाई कर रहा है । इस युवराज ' वेगा ' के भाई-बहन उस तिलिस्मी टापू के निवासी है ।
यह सब कैसे और क्योंकर हो गया ? अपनी ही जमीन , अपनी ही सभ्यता की हकीकत की पड़ताल हमारे युवराज साहब अमेरिका मे क्यों कर रहे है ? लेकिन युवराज साहब उस खुंखार टापू से अमेरिकन धरती पर आए कैसे ? किस साधन और यान का इस्तेमाल किया था इन्होने ?

बाज और युवराज का तथाकथित भिडंत जाहिर करता है कि बाज , युवराज के रियासत का ही एक प्राणी था और उसका मकसद किताब को प्राप्त करना था । लेकिन इस प्रकरण का उद्देश्य समझ नही आया ।

इधर तिलिस्मी द्वीप ' अराका ' मे एक अजीबोगरीब जानवर ने जेनिथ की पैंट ढिली कर दी । वह तो शुक्र था कि शैफाली वहां उस वक्त मौजूद थी , वरना हमारे राइटर साहब एक और खुबसूरत कन्या की बलि ले लेते ।

वह अजीबोगरीब जानवर और कोई नही , महारानी क्लिटो का ही प्रोडक्ट जलोथा था । इस प्राणी की रचनाकार क्लिटो मैडम ही थी ।
और शैफाली के मात्र एक नजर देखने से जलोथा की तबीयत नासाज क्यों हो गई , यह अब आसानी से समझा जा सकता है ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट शर्मा जी ।
यह AI का जमाना है । इस फैंटेसी वर्ल्ड मे , इस तिलिस्मी कहानी मे अगर AI का इस्तेमाल कर कुछ पिक्चर / तस्वीर डालें तो यह रीडर्स को और भी रोमांचित लगेगा ।

Lagata hai ye Vega bhi Barmuda se tallukh rakhta hai lekin shyad anjaan hai is bat se or shyad iski wajh iski family wale hai tabhi Vega ke bhai ne bola ki Vega ko 8 saal ki umar me America bhej dia gaya tha or Araka aane se mana kar raha hai
.
Kafi Intresting khel chal raha hai yaha bhi
Very nice one update Raj_sharma bhai

Well Vega, Yugaka aur Trikali teeno hi *Araka* island se belong karte hain??

Par ek sawal hai Vega ko uske logo ne USA kyon bhej diya!?? Yadi wo wahan ka prince hai toh wahan par kingdom bhi hona chahiye phir Yugaka ne aisa kyon bola ki wahan sirf jungle ke alawa kuchh nahi hai??

Baaz, Vega se book kyon hasil karna chahta tha kya wo nahi chahta tha ki Vega ko aur bhi new new information pata chale??

Jis tarah se baaz ka sharir gayab hua hai isse toh yahi prove hota hai ki wo bhi ek mayavi bird tha??

Thanks brother.

बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है शिप भंवर में फंस गया है लेकिन सुयश की सूझ बूझ से उस भंवर से तो निकल गया है एक मुसीबत से तो बाहर आ गए हैं

Awesome update

एक और बलि 😐

ये भविष्य बता रहा है कि किसकी कैसे मौत होगी वो बता रहा है।

बढ़िया अपडेट :applause:

Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Jitna is story ko suljhane me diamg lagate he usase bhi jyada ulajh jate he.........

Keep rocking Bro

Superb update Bhai
To shaifali ne sabhi 11 logo ko unke pathar par kadha kar diya or jis pathar par jo chitra bane the vo unka bhavishya bata rahe the or usi ke hisab se draijler ki bhi mot ho gayi hai
Dekte hai ab aage kya hota hai

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
पत्थर पर दिखाये गये सांप आ अजगर ने ड्रेजलर का काम तमाम कर दिया
खैर देखते हैं आगे क्या रहस्य उजागर होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?

Update Posted friends, kindly give your valuable review and support
:declare:
 

Baawri Raani

👑 Born to Rule the World 🌏
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Arey, bahut dino baad ab thoda thoda time mil raha hai yeha aane ka. Lekin koi baat nahi, ab shuru ki hai padhna yeh dilchasp kahani..
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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#62.

“हिस्स...हिस्स...!" अजगर अब बहुत तेज फुंफकारने लगा।

“कैप्टन।" अल्बर्ट ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “ड्रेजलर अब मर चुका है। हमें तुरंत यहां से चलना चाहिए क्यों की यह अजगर अब अपने साथियों को पुकार रहा है। कुछ ही देर में यहां पर और अजगर भी आ जाएंगे। तब हमारा बचना भी मुश्किल हो जायेगा।"

सुयश ने अल्बर्ट की बात सुनी जरूर, पर वह अब भी वही खड़ा रहा।

“चलिए कैप्टन।" इस बार ब्रैंडन ने कहा- “प्रोफेसर सही कह रहे है और वैसे भी ड्रेजलर अब मर चुका है।"

सुयश ने एक गहरी साँस भरकर आखरी बार ड्रेजलर को देखा और फ़िर बाकी सबको लेकर वहां से निकल गया। उसके कानो में अब भी ड्रेजलर की चीख सुनाई दे रही थी।


चैपटर-3 अराका द्वीप का वर्णन

अराका द्वीप-अटलांटिस की सभ्यता का अंतिम साक्ष्य, जिसकी रचना स्वयं पोसाइडन ने अपने हाथों से की थी। जिसके ‘पोसाइडन पर्वत’ के अंदर ‘क्लिटो’ कहीं कैद है।

अराका द्वीप-जिस पर शलाका ने सामरा और सीनोर वासियो को लाकर बसा दिया।

अराका द्वीप- एक ऐसा क्रत्रिम द्वीप जो पानी पर भी तैर सकता है।
अनेकानेक विचित्रताओ से भरा यह द्वीप ही बारामूडा त्रिकोण के रहस्यो का स्त्रोत है।

तो फिर आइये मित्रों, इससे पहले की यह कहानी और आगे बढ़े, थोड़ा सा हम इस द्वीप की भोगोलिक स्थिति के बारे में जान लेते है, इससे आपको कहानी का सार समझने में सरलता होगी।

अराका द्वीप त्रिभुज कि आकृति वाला एक क्रत्रिम द्वीप है जिसकी तीनो भुजाएं 20 किलोमीटर लंबी है। यह द्वीप 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है।

अराका द्वीप के पिछले हिस्से के बीचोबीच के क्षेत्र में देवता पोसाइडन की एक बैठी हुई आकृति के समान एक विशालकाय पर्वत है जिसे ‘पोसाइडन पर्वत’ के नाम से जाना जाता है।

इस पर्वत के सामने की तरफ एक अर्ध चंद्राकर आकृति में, 6 किलोमीटर की त्रिज्या में, एक काफ़ी गहरी और 10 मीटर चौड़ी, पानी की नहर है, जिसे ‘जलकवच’ कहा जाता है।

पोसाइडन पर्वत के अंदर इस ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा तिलिस्म मौजूद है, जिसे तिलिस्मा कहते है, जिसका द्वार इस पर्वत पर ही कहीं मौजूद है।

इस तिलिस्मा के बांई तरफ के 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सामरा राज्य’ और दांई तरफ 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सीनोर राज्य’ कहलाता है।

सामरा और सीनोर राज्य को चारो ओर से एक अदृश्य दीवार दीवार ने घेर रखा है। इस अदृश्य दीवार को केवल सामरा या सीनोर वासी ही पार कर सकते है। अर्थात ना तो कोई बाहरी इंसान इन दोनो राज्य में प्रवेश कर सकता है और ना ही बाहर से उसे अंदर की दुनिया दिखाई देगी।

अराका द्वीप की यह व्यवस्था दोनो राज्यो की सुरक्षा का एक भाग है।

अराका द्वीप के बाकी हिस्से को ‘मायावन’ के नाम से जाना जाता है। इस ‘मायावन’ में पेड़-पौधे, जीव- जंतू, पहाड़, रेजिस्थान, दलदल, बर्फ़, झील, झरना, मैदान, ज्वालामुखी व अन्य बहुत सी रहस्यमयी चीजे है, जो खतरों के रूप में चारो तरफ फैली हैं ।

इससे ज़्यादा पहले से कुछ भी कहना कहानी को खराब करना होगा। तो आइये दोस्तो शुरु करते हैं आगे की कहानी ...................।"

सामरा राज्य :
(7 जनवरी 2002, सोमवार, 17:00, सामरा राज्य, अराका)

युगाका वेगा से बात करने के बाद से ही उलझन में था।

“वेगा को बाबा की किताब के बारे में किसने बताया? क्या वेगा को अराका द्वीप के बारे में सबकुछ पता चल गया? कहीं ऐसा तो नहीं की वेगा हमसे कुछ छिपा रहा है? फ़िर ...फ़िर तो वह खतरे में भी हो सकता है। लगता है बाबा से सब कुछ बताना ही पड़ेगा।“

युगाका मन ही मन बुदबुदा रहा था- “पर बाबा ने तो कुछ दिन तक मिलने से मना किया था..... क्या करूं?...क्या करूं?.... नहीं-नहीं, मुझे कुछ भी करके बाबा से मिलना ही होगा।"

यह सोच युगाका अपने बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और शयनकक्ष से बाहर निकल गया अब वह अपने महल के गिलयारे में था। रास्ते में खड़े सैनिको ने युगाका को देख अपना सिर झुका लिया।

चलता हुआ युगाका अब सामरा महल के प्रांगण में आ गया। विशालकाय ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा हुआ सामरा महल बिल्कुल अभेद्य दिख रहा था।

चारो तरफ ऊंची-ऊंची, कद-काठी वाले सैनिक सजगता से पहरा दे रहे थे। महल के मुख्य द्वार पर लकड़ी का एक विशालकाय द्वार लगा था।

युगाका धीरे-धीरे चलता हुआ, उस द्वार तक पहुंचा और धीरे से द्वार को अपने दाहिने हाथ से स्पर्श किया। जाने क्या खास बात थी युगाका के स्पर्श में कि द्वार स्वतः ही जमीन के अंदर समा गया। कुछ ही देर में द्वार अपने स्थान से गायब हो गया।

युगाका के महल से बाहर निकलते ही द्वार जमीन से निकलकर वापस अपनी जगह पर खड़ा हो गया।

द्वार के बाहर एक विशालकाय चबूतरा बना था, जिस पर 20 सीढ़ियाँ बनी थी।

युगाका सीढ़ियाँ उतरकर किनारे पर आ गया। जहां पर ये सीढ़ियाँ ख़तम हो रही थी, वहां से महल के बाहर की ओर लगभग 200 मीटर आगे तक गहरा पानी भरा था, जो देखने में एक छोटी झील के जैसा नजर आ रहा था।

झील में बहुत सी लकड़ी की बनी, हंस की शकल वाली छोटी-छोटी नाव घूम रही थी, जिस पर कोई भी इंसान दिखाई नही दे रहा था।

युगाका ने जैसे ही अपना कदम अंतिम सीढ़ी पर रखा, एक नाव स्वतः ही युगाका के समीप आ गयी।


युगाका उस नाव में सवार हो गया। युगाका के बैठते ही नाव दूसरे किनारे की ओर चल दी। झील के पानी के अंदर मछलियों की तरह के कुछ विशालकाय जीव तैर रहे थे। वह सभी जीव महल की सुरक्षा के लिये थे।

किनारे पर पहुंचकर युगाका नाव से उतर गया। युगाका के उतरते ही नाव वापस झील की तरफ चली गयी।

युगाका ने कुछ देर इधर-उधर देखा और फ़िर एक तेज सीटी की आवाज अपने मुंह से निकाली।

तभी एक लकड़ी से बनी अजीब सी कार की तरह का कोई वाहन युगाका के सामने आ गया।

लकड़ी की उस कार के चारो पहियों पर रबर जैसा कोई द्रव्य चिपकाया गया था, मानो उसे टायर का शेप दिया गया हो। कार के अंदर काफ़ी मुलायमदार सीट लगी हुई थी।

पूरी कार खूबसूरत फूलों से सजी थी। कुल मिलाकर वह लकड़ी की कार किसी खूबसूरत पुराने रथ के जैसी लग रही थी।

युगाका उस कार का गेट खोलकर उसमें बैठ गया। कार के अंदर न तो कोई स्टीयरिंग व्हील था और न ही किसी तरह का मैकेनिज्म उसमें दिखाई दे रहा था।

“बाबा के पास जाना है।" युगाका ने कहा।

युगाका के बोलते ही कार चल पड़ी। वह कैसे चल रही थी? उसे कौन ड्राइव कर रहा था? कुछ समझ में नही आ रहा था?

कलाट का महल वहां से 3 किलोमीटर दूर था। युगाका आराम से आँख बंद करके लकड़ी कि कार में लेट गया।

कार बड़े ही विचित्र तरीके से चलती जा रही थी। जंगल में ना तो कोई सड़क थी और ना ही आरामदायक रास्ता, पर कार में बैठे युगाका को बिल्कुल भी झटके महसूस नही हो रहे थे।

कार की रफ़्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा से कम नही थी क्यों की बामुश्किल 5 मिनट में ही कार ने युगाका को कलाट महल पहुंचा दिया।

युगाका ने एक नजर कलाट महल पर मारी और कार से उतरकर नीचे आ गया। युगाका के उतरते ही कार वहां से चली गयी।

कलाट महल बहुत ही भव्य था। महल के बीचोबीच सोने की अनोखी डिजाइन में एक बड़ा सा गोल गुम्बद बना था। महल की छत हरे रंग के शीशे से बनी थी, जिसके पार कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था।

महल के प्रांगण में लाल रंग के खूबसूरत फूल की क्यारियां लगी थी और बीच में संगमरमर के पत्थरो से
बने चबूतरे पर एक शानदार हरा पेड़ लगा था

मुख्य द्वार के दोनो तरफ सीढ़ीयां बनी थी। युगाका बांये तरफ की सीढ़ीयां चढ़कर मुख्य द्वार तक पहुंच गया।

मुख्य द्वार किसी धातु का बना था। मुख्य द्वार के बगल एक छोटी सी मशीन लगी थी, जिस पर युगाका ने अपना हाथ स्कैन कर दिया।

युगाका के हाथ को स्कैन करते ही, मुख्य द्वार खुल गया। युगाका ने एक नजर अंदर की ओर डाली और फ़िर अंदर प्रवेश कर गया।

सबसे पहले एक बहुत बड़ा सा शानदार कमरा था, जो कि पूरा सफेद पत्थर से बना था। दीवारों पर भी शानदार सोने की कारीगरी थी।

तभी युगाका के सामने के द्वार से एक 4 फुट का छोटा पेड़ चलता हुआ अंदर आया।

युगाका के सामने पहुंच वह पेड़ धीरे से युगाका के सम्मान में झुका और फ़िर पलटकर अंदर के द्वार की ओर चल दिया। युगाका उस पेड़ के पीछे-पीछे अंदर की ओर चल दिया।

महल में एक भी इंसान नजर नहीं आ रहा था, मगर रास्ते में अलग-अलग प्रकार के अनेक पेड़ कुछ ना कुछ काम करते हुए नजर आ रहे थे।

चलते-चलते वह पेड़ एक बड़े से द्वार के पास रुक गया और युगाका को अंदर की ओर जाने का इशारा किया। युगाका उस द्वार से अंदर की ओर प्रवेश कर गया।

वह एक बहुत बड़ी सी प्रयोगशाला थी, जिसमें बहुत से पेड़ काम कर रहे थे। हर तरफ काँच के बीकर और फ्लास्क में अनेक रंग के रसायन भरे थे।

एक छोटी मगर गोल टेबल के चारो ओर 3 बौने बैठकर कुछ प्रयोग कर रहे थे। तीनो बौनो की ऊंचाई लगभग 3 फुट के आसपास थी। वह तीनो देखने में एक जैसे ही लग रहे थे, बस उनकी दाढ़ी के रंग अलग-अलग थे।

सफेद दाढ़ी वाले का नाम ‘किरीट’, भूरी दाढ़ी वाले का नाम ‘रिंजो’ और काली दाढ़ी वाले का नाम ‘शिंजो’ था।

यह तीनो बौने आपस में भाई थे, जिनमें किरीट सबसे बड़ा था, जबकि रिंजो और शिंजो जुड़वा थे।

यह तीनो बौने कलाट के वैज्ञानिक थे। एक तरह से ये तीनो सामरा राज्य के रीढ़ की हड्डी थे। कलाट इन तीनो को ‘शैतान तिकड़ी’ के नाम से पुकारता था।

युगाका को देख वह तीनो आदर से खड़े हो गये। युगाका ने उन्हे बैठने का इशारा किया। इशारा देख तीनो बैठ गये और फ़िर से काम करने लगे।

तभी युगाका की नजर सामने लगी ऊंची-ऊंची मशीनों की ओर गयी।

उन मशीनों के आगे एक 6 फुट ऊंचा बूढ़ा इंसान खड़ा था। जिसने पुराने जमाने के जादूगर के समान पोशाक पहन रखी थी। उसके सिर के और दाढ़ी के बाल बिल्कुल सफेद थे।

वह कलाट था, सामरा का महान जादूगर वैज्ञानिक, जिसे युगाका और वेगा ‘बाबा’ कह कर संबोधित करते थे।

युगाका कलाट के पास पहुंच गया। युगाका ने अपने दाहिने हाथ से मुट्ठी बंद कर अपने सीने से लगाया और झुककर कलाट को अभीवादन किया।

कलाट ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर से अपने काम में लग गया।

युगाका चुपचाप वहां खड़ा कलाट को मशीनो पर काम करते देखता रहा। बीच-बीच में युगाका को तीनो बौनो की बहस भरी आवाज भी सुनाई दे रही थी, शायद वह किसी प्रयोग के बारे में बात कर रहे थे।

20 मिनट तक अनवरत काम करने के पश्चयात कलाट ने अपना कार्य बंद कर दिया और युगाका को अपने पीछे आने का इशारा किया। युगाका कलाट के पीछे-पीछे चल दिया।



जारी रहेगा_________✍️
Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Arey, bahut dino baad ab thoda thoda time mil raha hai yeha aane ka. Lekin koi baat nahi, ab shuru ki hai padhna yeh dilchasp kahani..
No problem, welcome to the story :hug:Aaraam se read kariye, family ko time dena bhi jaroori hota hai, :approve:
Kahani aapko jaroor pasand aayegi:declare:
 

Rekha rani

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#62.

“हिस्स...हिस्स...!" अजगर अब बहुत तेज फुंफकारने लगा।

“कैप्टन।" अल्बर्ट ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “ड्रेजलर अब मर चुका है। हमें तुरंत यहां से चलना चाहिए क्यों की यह अजगर अब अपने साथियों को पुकार रहा है। कुछ ही देर में यहां पर और अजगर भी आ जाएंगे। तब हमारा बचना भी मुश्किल हो जायेगा।"

सुयश ने अल्बर्ट की बात सुनी जरूर, पर वह अब भी वही खड़ा रहा।

“चलिए कैप्टन।" इस बार ब्रैंडन ने कहा- “प्रोफेसर सही कह रहे है और वैसे भी ड्रेजलर अब मर चुका है।"

सुयश ने एक गहरी साँस भरकर आखरी बार ड्रेजलर को देखा और फ़िर बाकी सबको लेकर वहां से निकल गया। उसके कानो में अब भी ड्रेजलर की चीख सुनाई दे रही थी।

चैपटर-3 अराका द्वीप का वर्णन

अराका द्वीप-अटलांटिस की सभ्यता का अंतिम साक्ष्य, जिसकी रचना स्वयं पोसाइडन ने अपने हाथों से की थी। जिसके ‘पोसाइडन पर्वत’ के अंदर ‘क्लिटो’ कहीं कैद है।

अराका द्वीप-जिस पर शलाका ने सामरा और सीनोर वासियो को लाकर बसा दिया।

अराका द्वीप- एक ऐसा क्रत्रिम द्वीप जो पानी पर भी तैर सकता है।
अनेकानेक विचित्रताओ से भरा यह द्वीप ही बारामूडा त्रिकोण के रहस्यो का स्त्रोत है।

तो फिर आइये मित्रों, इससे पहले की यह कहानी और आगे बढ़े, थोड़ा सा हम इस द्वीप की भोगोलिक स्थिति के बारे में जान लेते है, इससे आपको कहानी का सार समझने में सरलता होगी।

अराका द्वीप त्रिभुज कि आकृति वाला एक क्रत्रिम द्वीप है जिसकी तीनो भुजाएं 20 किलोमीटर लंबी है। यह द्वीप 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है।

अराका द्वीप के पिछले हिस्से के बीचोबीच के क्षेत्र में देवता पोसाइडन की एक बैठी हुई आकृति के समान एक विशालकाय पर्वत है जिसे ‘पोसाइडन पर्वत’ के नाम से जाना जाता है।

इस पर्वत के सामने की तरफ एक अर्ध चंद्राकर आकृति में, 6 किलोमीटर की त्रिज्या में, एक काफ़ी गहरी और 10 मीटर चौड़ी, पानी की नहर है, जिसे ‘जलकवच’ कहा जाता है।

पोसाइडन पर्वत के अंदर इस ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा तिलिस्म मौजूद है, जिसे तिलिस्मा कहते है, जिसका द्वार इस पर्वत पर ही कहीं मौजूद है।

इस तिलिस्मा के बांई तरफ के 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सामरा राज्य’ और दांई तरफ 36 किलोमीटर क्षेत्रफल का हिस्सा ‘सीनोर राज्य’ कहलाता है।

सामरा और सीनोर राज्य को चारो ओर से एक अदृश्य दीवार दीवार ने घेर रखा है। इस अदृश्य दीवार को केवल सामरा या सीनोर वासी ही पार कर सकते है। अर्थात ना तो कोई बाहरी इंसान इन दोनो राज्य में प्रवेश कर सकता है और ना ही बाहर से उसे अंदर की दुनिया दिखाई देगी।

अराका द्वीप की यह व्यवस्था दोनो राज्यो की सुरक्षा का एक भाग है।

अराका द्वीप के बाकी हिस्से को ‘मायावन’ के नाम से जाना जाता है। इस ‘मायावन’ में पेड़-पौधे, जीव- जंतू, पहाड़, रेजिस्थान, दलदल, बर्फ़, झील, झरना, मैदान, ज्वालामुखी व अन्य बहुत सी रहस्यमयी चीजे है, जो खतरों के रूप में चारो तरफ फैली हैं ।

इससे ज़्यादा पहले से कुछ भी कहना कहानी को खराब करना होगा। तो आइये दोस्तो शुरु करते हैं आगे की कहानी ...................।"

सामरा राज्य :
(7 जनवरी 2002, सोमवार, 17:00, सामरा राज्य, अराका)

युगाका वेगा से बात करने के बाद से ही उलझन में था।

“वेगा को बाबा की किताब के बारे में किसने बताया? क्या वेगा को अराका द्वीप के बारे में सबकुछ पता चल गया? कहीं ऐसा तो नहीं की वेगा हमसे कुछ छिपा रहा है? फ़िर ...फ़िर तो वह खतरे में भी हो सकता है। लगता है बाबा से सब कुछ बताना ही पड़ेगा।“

युगाका मन ही मन बुदबुदा रहा था- “पर बाबा ने तो कुछ दिन तक मिलने से मना किया था..... क्या करूं?...क्या करूं?.... नहीं-नहीं, मुझे कुछ भी करके बाबा से मिलना ही होगा।"

यह सोच युगाका अपने बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और शयनकक्ष से बाहर निकल गया अब वह अपने महल के गिलयारे में था। रास्ते में खड़े सैनिको ने युगाका को देख अपना सिर झुका लिया।

चलता हुआ युगाका अब सामरा महल के प्रांगण में आ गया। विशालकाय ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा हुआ सामरा महल बिल्कुल अभेद्य दिख रहा था।

चारो तरफ ऊंची-ऊंची, कद-काठी वाले सैनिक सजगता से पहरा दे रहे थे। महल के मुख्य द्वार पर लकड़ी का एक विशालकाय द्वार लगा था।

युगाका धीरे-धीरे चलता हुआ, उस द्वार तक पहुंचा और धीरे से द्वार को अपने दाहिने हाथ से स्पर्श किया। जाने क्या खास बात थी युगाका के स्पर्श में कि द्वार स्वतः ही जमीन के अंदर समा गया। कुछ ही देर में द्वार अपने स्थान से गायब हो गया।

युगाका के महल से बाहर निकलते ही द्वार जमीन से निकलकर वापस अपनी जगह पर खड़ा हो गया।

द्वार के बाहर एक विशालकाय चबूतरा बना था, जिस पर 20 सीढ़ियाँ बनी थी।

युगाका सीढ़ियाँ उतरकर किनारे पर आ गया। जहां पर ये सीढ़ियाँ ख़तम हो रही थी, वहां से महल के बाहर की ओर लगभग 200 मीटर आगे तक गहरा पानी भरा था, जो देखने में एक छोटी झील के जैसा नजर आ रहा था।

झील में बहुत सी लकड़ी की बनी, हंस की शकल वाली छोटी-छोटी नाव घूम रही थी, जिस पर कोई भी इंसान दिखाई नही दे रहा था।

युगाका ने जैसे ही अपना कदम अंतिम सीढ़ी पर रखा, एक नाव स्वतः ही युगाका के समीप आ गयी।

युगाका उस नाव में सवार हो गया। युगाका के बैठते ही नाव दूसरे किनारे की ओर चल दी। झील के पानी के अंदर मछलियों की तरह के कुछ विशालकाय जीव तैर रहे थे। वह सभी जीव महल की सुरक्षा के लिये थे।

किनारे पर पहुंचकर युगाका नाव से उतर गया। युगाका के उतरते ही नाव वापस झील की तरफ चली गयी।

युगाका ने कुछ देर इधर-उधर देखा और फ़िर एक तेज सीटी की आवाज अपने मुंह से निकाली।

तभी एक लकड़ी से बनी अजीब सी कार की तरह का कोई वाहन युगाका के सामने आ गया।

लकड़ी की उस कार के चारो पहियों पर रबर जैसा कोई द्रव्य चिपकाया गया था, मानो उसे टायर का शेप दिया गया हो। कार के अंदर काफ़ी मुलायमदार सीट लगी हुई थी।

पूरी कार खूबसूरत फूलों से सजी थी। कुल मिलाकर वह लकड़ी की कार किसी खूबसूरत पुराने रथ के जैसी लग रही थी।

युगाका उस कार का गेट खोलकर उसमें बैठ गया। कार के अंदर न तो कोई स्टीयरिंग व्हील था और न ही किसी तरह का मैकेनिज्म उसमें दिखाई दे रहा था।

“बाबा के पास जाना है।" युगाका ने कहा।

युगाका के बोलते ही कार चल पड़ी। वह कैसे चल रही थी? उसे कौन ड्राइव कर रहा था? कुछ समझ में नही आ रहा था?

कलाट का महल वहां से 3 किलोमीटर दूर था। युगाका आराम से आँख बंद करके लकड़ी कि कार में लेट गया।

कार बड़े ही विचित्र तरीके से चलती जा रही थी। जंगल में ना तो कोई सड़क थी और ना ही आरामदायक रास्ता, पर कार में बैठे युगाका को बिल्कुल भी झटके महसूस नही हो रहे थे।

कार की रफ़्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा से कम नही थी क्यों की बामुश्किल 5 मिनट में ही कार ने युगाका को कलाट महल पहुंचा दिया।

युगाका ने एक नजर कलाट महल पर मारी और कार से उतरकर नीचे आ गया। युगाका के उतरते ही कार वहां से चली गयी।

कलाट महल बहुत ही भव्य था। महल के बीचोबीच सोने की अनोखी डिजाइन में एक बड़ा सा गोल गुम्बद बना था। महल की छत हरे रंग के शीशे से बनी थी, जिसके पार कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था।

महल के प्रांगण में लाल रंग के खूबसूरत फूल की क्यारियां लगी थी और बीच में संगमरमर के पत्थरो से
बने चबूतरे पर एक शानदार हरा पेड़ लगा था

मुख्य द्वार के दोनो तरफ सीढ़ीयां बनी थी। युगाका बांये तरफ की सीढ़ीयां चढ़कर मुख्य द्वार तक पहुंच गया।

मुख्य द्वार किसी धातु का बना था। मुख्य द्वार के बगल एक छोटी सी मशीन लगी थी, जिस पर युगाका ने अपना हाथ स्कैन कर दिया।

युगाका के हाथ को स्कैन करते ही, मुख्य द्वार खुल गया। युगाका ने एक नजर अंदर की ओर डाली और फ़िर अंदर प्रवेश कर गया।

सबसे पहले एक बहुत बड़ा सा शानदार कमरा था, जो कि पूरा सफेद पत्थर से बना था। दीवारों पर भी शानदार सोने की कारीगरी थी।

तभी युगाका के सामने के द्वार से एक 4 फुट का छोटा पेड़ चलता हुआ अंदर आया।

युगाका के सामने पहुंच वह पेड़ धीरे से युगाका के सम्मान में झुका और फ़िर पलटकर अंदर के द्वार की ओर चल दिया। युगाका उस पेड़ के पीछे-पीछे अंदर की ओर चल दिया।

महल में एक भी इंसान नजर नहीं आ रहा था, मगर रास्ते में अलग-अलग प्रकार के अनेक पेड़ कुछ ना कुछ काम करते हुए नजर आ रहे थे।

चलते-चलते वह पेड़ एक बड़े से द्वार के पास रुक गया और युगाका को अंदर की ओर जाने का इशारा किया। युगाका उस द्वार से अंदर की ओर प्रवेश कर गया।

वह एक बहुत बड़ी सी प्रयोगशाला थी, जिसमें बहुत से पेड़ काम कर रहे थे। हर तरफ काँच के बीकर और फ्लास्क में अनेक रंग के रसायन भरे थे।

एक छोटी मगर गोल टेबल के चारो ओर 3 बौने बैठकर कुछ प्रयोग कर रहे थे। तीनो बौनो की ऊंचाई लगभग 3 फुट के आसपास थी। वह तीनो देखने में एक जैसे ही लग रहे थे, बस उनकी दाढ़ी के रंग अलग-अलग थे।

सफेद दाढ़ी वाले का नाम ‘किरीट’, भूरी दाढ़ी वाले का नाम ‘रिंजो’ और काली दाढ़ी वाले का नाम ‘शिंजो’ था।

यह तीनो बौने आपस में भाई थे, जिनमें किरीट सबसे बड़ा था, जबकि रिंजो और शिंजो जुड़वा थे।

यह तीनो बौने कलाट के वैज्ञानिक थे। एक तरह से ये तीनो सामरा राज्य के रीढ़ की हड्डी थे। कलाट इन तीनो को ‘शैतान तिकड़ी’ के नाम से पुकारता था।

युगाका को देख वह तीनो आदर से खड़े हो गये। युगाका ने उन्हे बैठने का इशारा किया। इशारा देख तीनो बैठ गये और फ़िर से काम करने लगे।

तभी युगाका की नजर सामने लगी ऊंची-ऊंची मशीनों की ओर गयी।

उन मशीनों के आगे एक 6 फुट ऊंचा बूढ़ा इंसान खड़ा था। जिसने पुराने जमाने के जादूगर के समान पोशाक पहन रखी थी। उसके सिर के और दाढ़ी के बाल बिल्कुल सफेद थे।

वह कलाट था, सामरा का महान जादूगर वैज्ञानिक, जिसे युगाका और वेगा ‘बाबा’ कह कर संबोधित करते थे।

युगाका कलाट के पास पहुंच गया। युगाका ने अपने दाहिने हाथ से मुट्ठी बंद कर अपने सीने से लगाया और झुककर कलाट को अभीवादन किया।

कलाट ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर से अपने काम में लग गया।

युगाका चुपचाप वहां खड़ा कलाट को मशीनो पर काम करते देखता रहा। बीच-बीच में युगाका को तीनो बौनो की बहस भरी आवाज भी सुनाई दे रही थी, शायद वह किसी प्रयोग के बारे में बात कर रहे थे।

20 मिनट तक अनवरत काम करने के पश्चयात कलाट ने अपना कार्य बंद कर दिया और युगाका को अपने पीछे आने का इशारा किया। युगाका कलाट के पीछे-पीछे चल दिया।



जारी रहेगा_________✍️
Awesome update
 

Dhakad boy

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Bhut hi badhiya update
Is update me araka dveep or Samara rajy ka bhut hi badhiya trike se varnan kiya hai
Ab aage dekte hai ki yugaka or uske baba ke bich me kya baat chit hoti hai
 

Raj_sharma

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Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌
Thanks brother for your valuable review :thanx:
 
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