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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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nice update

Very nice update❤👌

lovely update. shefali ki baato se pyar ki jhalak dekhne ko mili casper ke liye .christi ka alex ko chidhana bhi majedar tha .
sab ne apne shakti istemal karke dekh li par nahar paar nahi kar paaye par aakhir me shefali ki buddhi ke badaulat ek dusre ka saath diya aur paar kar gaye .suyash ne sahi kaha ki ekta me shakti hai .

Lets review Start
Shaffali ne Fir Dimag Chalaya Aur Ek aur Musibat ko Par Kar liya , Iss Problem ko Par kar Ju ek Sikh Diye Ki aage Kar Inhe Tilism Ko Todhna Hai To aise Hi mil kar Todh Sakte .

Then Ye Jhopi shayad Ye Udhne wali Jhopdi hi Hogi Dekhe Kya Rahashya milega Isme .

Then cristi aur Alex Ka Masti Bhara Andaz fir Dil Ko Bhagaya , mast comedy situation Create Ki .

Mein To wapis Tauffik Aur Jenith ki Doriya Kam Kaise Hogi Ye Dekhna chahata Hu .Malum To padh gaya Ki ye Dono ek Dusre ke Liye Bane.

Overall bhai shandaar Update Thaa

Waiting for more .

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत अप्रतिम मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
चलो काफी समय बाद सुयश और टीम के लिये खुशनुमा गुजरा बहुत सी बातें भी सामने आ गयी साथ ही साथ शेफाली ही उसकी स्मृती भी वापस मिल गयी
खैर देखते हैं आगे क्या होता है

Nice update....

Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai

Shalaka ne aakhirkar James aur Wilmar ko riha karne ka faisla kar liya........

Wilmer to khair lalachi nikla sunhari dhaal lekar vo chala gaya

Lekin James ne samajhdari kaam liya aur shalaka ke sath rehne ka faisla liya.........

Sanura ne Lufasa ke kehne par Roger aur uske sath sath Melite aur Survaya ko bhi aakriti ki kaid se aajad karwa diya.....

Keep rocking Bro

Bhut hi badhiya update Bhai
Vilmar ne shalaka se vah sunhari dhal mang li aur james ne shalaka ke sath hi rahne ka nishchay kar liya
Vahi dusri aur sanura ne rojar aur melait ko us kaif se aazad kar diya
Aur ab ye survya kon hai ye to ab agle update me pata chalega

Shaandar update

Nice update....

Bahut acha update.par sanura ne rozer ki help kyo ki , kahi isme piche koi maksad to nhi h ? Aur jo kaid se aazad kiye wo sabhi ache h ya unme se koi inko hi nuksaan pahucha de. Let's hope sab acha hi ho.
Aapke pichle update bhi shandar the.

Outstanding update and nice story

Hamesha ki तरह लाजवाब update

Super update bro

James ki mauj ho gayi hai.
Roger ke sath jo teen aur naye characters add huye hain unka story mein kya role hone wala hai dekha interesting hoga.
Wonderful update brother.

राज भाई अपडेट

Update Posted friends 👍
 

parkas

Well-Known Member
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#143.

सभी लगभग भागते हुए से चल रहे थे। रोजर ने अभी तक उस तलवार को नहीं फेंका था।

वह उस तलवार को हाथ में ही लेकर मेलाइट को घेरे हुए चल रहा था।ऐसा रोजर ने मेलाइट की सुरक्षा की वजह से किया था, पर मेलाइट भागते हुए भी रोजर को देख रही थी।

3-4 गुफा की सुरंगों को पार करते हुए, वह सभी एक मैदान में निकले। मैदान में आगे, कुछ दूरी पर एक छोटा सा, परंतु खूबसूरत महल बना दिखाई दे रहा था।

सनूरा सबको लेकर उसी महल की ओर बढ़ गयी।

महले में कई गलियारों और कमरों को पार करने के बाद वह एक विशाल शयनकक्ष में पहुंच गई।

उस कक्ष में एक बड़ी सी सेंटर टेबल के इर्द-गिर्द बहुत सी कुर्सियां लगीं थीं। बीच वाली कुर्सी पर एक बलिष्ठ इंसान बैठा था। रोजर उसे देखते ही पहचान गया, वह लुफासा था।

लुफासा ने सभी को कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया। लुफासा का इशारा पाकर सभी वहां रखी कुर्सियों पर बैठ गये।

“तुम तो एक इंसान को लाने गयी थी, फिर ये इतने लोग तुम्हें कहां से मिल गये?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

“आकृति ने एक नहीं अनेक लोगों को बंद कर रखा था, इसलिये सभी को छुड़ा लायी और वैसे भी दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है।” सनूरा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ठीक है, तो सबसे पहले, हम सभी एक दूसरे को अपना परिचय दे दें, इससे सभी खुलकर एक दूसरे से बात कर सकेंगे।”

लुफासा ने कहा- “पहले मैं स्वयं से ही शुरु करता हूं। मेरा नाम लुफासा है और मैं इस अराका द्वीप के एक हिस्से सीनोर राज्य का राजकुमार हूं। आकृति ने हमारी देवी शलाका का रुप धरकर हम सभी को बहुत लंबे समय से मूर्ख बना रही है। हमें नहीं पता कि वह कौन है? और उसके पास कितनी शक्तियां हैं? हम इसी बात को जानने के लिये काफी दिनों से उस पर नजर रखें हुए थे।

"इसी बीच हमने रोजर को आकृति के पास देखा, पहले हमें लगा कि यह भी आकृति के साथ मिला है, पर बाद में पता चला कि आकृति ने इसे भी कैद कर रखा है। इसीलिये मैंने सीनोर राज्य की सेनापति सनूरा को रोजर को छुड़ाने के लिये भेजा। अब आप लोग अपने बारे में बतांए।”

“मेरा नाम रोजर है, मैं सुप्रीम नामक जहाज का असिस्टेंट कैप्टेन था, अराका द्वीप के पास जब मेरा
हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, तो आकृति ने मुझे बंदी बना लिया था।”

“मेरा नाम मेलाइट है, मैं एक ‘फ्रेश वॉटर निम्फ’ हूं, जो कि एक ‘सीरीनियन हिंड’ में परिवर्तित हो जाती हूं। आप लोगों ने मेरी कहानी अवश्य सुन रखी होगी। देवता हरक्यूलिस को दिये गये 12 कार्यों में से एक कार्य मुझे पकड़कर लाना भी था। ग्रीक देवी आर्टेमिस की मैं सबसे प्रिय हूं। जब मैं सुनहरी हिरनी बनकर जंगल में घूम रही थी, तो इस मायावी आकृति ने मेरा अपहरण कर लिया। अब यह मुझे यहां क्यों लायी है? ये मुझे भी नहीं पता। पर अब देवी आर्टेमिस इस आकृति को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगी।“

(ग्रीक माइथालोजी में साफ पानी में रहने वाली अप्सराओं को फ्रेश वॉटर निम्फ कहा जाता है)
(दक्षिण ग्रीस का एक प्राचीन नगर ‘सिरीनिया’ के एक जंगल में पायी जाने वाली सुनहरी हिरनी को सिरीनियन हिंड के नाम से जाना जाता है)

“तुम वही सुनहरी हिरनी हो, जिसकी 4 बहनें देवी आर्टेमिस के रथ को खींचती हैं?” लुफासा ने आश्चर्य से भरते हुए कहा।

“हां, मैं वहीं हूं।” मेलाइट ने कहा।

“हे मेरे ईश्वर इस आकृति ने क्या-क्या गड़बड़ कर रखी है। अगर मेलाइट ने देवताओं को यहां के बारे में बता दिया, तो देवता इस पूरे द्वीप को समुद्र में डुबो देंगे।” लुफासा की आँखों में भय के निशान साफ-साफ
दिख रहे थे।

अब लुफासा की किसी से और कुछ पूछने की हिम्मत ही नहीं बची थी।

“देखो मेलाइट...तुम जब भी जहां भी जाना चाहो, हम तुम्हें इस द्वीप से वहां भिजवा देंगे, पर एक वादा करो कि देवी आर्टेमिस से तुम आकृति की शिकायत करोगी, हम सभी की नहीं। हम देवता ‘अपोलो’ और देवी 'आर्टेमिस' के कोप का भाजन नहीं बनना चाहते।” लुफासा ने विनम्र शब्दों में मेलाइट से कहा।

लुफासा के ऐसे शब्दों को सुनकर मेलाइट ने धीरे से सिर हिला दिया।

मेलाइट का परिचय जानकर, अब रोजर की मेलाइट की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

मेलाइट ने कनखियों से रोजर को देखा और उसे नीचे देखते पाकर धीरे से मुस्कुरा दी।

अब लुफासा की निगाह उस दूसरी लड़की पर पड़ी- “अब आप भी अपना परिचय दे दीजिये।”

“मेरा नाम सुर्वया है, मैं सिंहलोक की राजकुमारी हूं। एक समय मैं आकृति की बहुत अच्छी दोस्त थी, पर जब आकृति को मेरी दिव्यदृष्टि के बारे में पता चला, तो उसने मुझे उस शीशे में कैद करके हमेशा-हमेशा के लिये अपने पास रख लिया।” सुर्वया ने कहा।

“तुम्हारे पास किस प्रकार की दिव्यदृष्टि है?” सनूरा ने सुर्वया से पूछा।

“मैं इस पृथ्वी पर मौजूद हर एक जीव को अपनी आँखें बंद करके देख सकती हूं।” सुर्वया ने कहा।

“क्या ऽऽऽऽऽऽऽ?” सुर्वया के शब्द सुनकर सभी के मुंह से एकसाथ निकला।

“ये कैसी शक्ति है? यह शक्ति तो जिसके पास होगी, वह कुछ भी कर सकता है।” रोजर ने कहा।

“नहीं मेरी भी कुछ कमियां हैं, मैं सिर्फ उसी व्यक्ति या जीव को देख सकती हूं, जो उस समय जमीन पर हो। मैं पानी, बर्फ या हवा में रह रहे किसी जीव को नहीं ढूंढ सकती। मेरी इसी विद्या की वजह से, आकृति तुम सब लोगों के बारे में जान जाती थी। पर मेरे ना रहने के बाद अब वह कमजोर पड़ जायेगी।” सुर्वया ने कहा।

“तो क्या तुम बता सकती हो कि इस समय आकृति कहां है?” लुफासा ने कहा।

लुफासा की बात सुनकर सुर्वया मुस्कुरा दी- “यह बताने के लिये मुझे दिव्यदृष्टि की जरुरत नहीं है। मैंने ही उसे इस समय न्यूयार्क भेजा था।”

“न्यूयार्क?” लुफासा को सुर्वया की बात समझ में नहीं आयी।

“दरअसल किसी कार्य हेतु आकृति को एक सुनहरी ढाल की जरुरत है और वह ढाल इस समय एक पानी के जहाज के अंदर है, जो अंटार्कटिका से न्यूयार्क की ओर जा रहा है। वह उसे ही लाने गयी है।” सुर्वया ने कहा।

“क्या तुम ये बता सकती हो कि उसने मेरा अपहरण क्यों किया?” मेलाइट ने सुर्वया से पूछा।

“हां....आकृति के चेहरे पर इस समय शलाका का चेहरा है, जिसे वह स्वयं की मर्जी से हटा नहीं सकती, जबकि तुम्हारे पास एक कस्तूरी है, जिसे पीसकर उसका लेप लगाने पर आकृति अपने पुराने रुप में आ सकती है, इसी लिये उसने तुम्हारा अपहरण किया था।” सुर्वया ने कहा।

“पर मेलाइट के पास कस्तूरी कैसे हो सकती है?” लुफासा ने कहा- “कस्तूरी तो सिर्फ नर मृग में पायी जाती है।”

“वह कस्तूरी मेरी नहीं है, वह मेरे पास किसी की निशानी है, जिसे मैं उस आकृति को कभी भी नहीं दूंगी।” मेलाइट ने गुस्से से कहा- “और उसे इस कस्तूरी के बारे में पता कैसे चला? यह बात तो मेरे सिवा कोई भी नहीं जानता।”

“माफ करना मेलाइट, पर यह जानकारी मैंने ही उसे दी थी और मुझसे कुछ भी छिपा पाना असंभव है।” सुर्वया ने कहा।

तभी लुफासा के कमरे में लगी एक लाल रंग की बत्ती जलने लगी, जिसे देखकर लुफासा थोड़ा चिंतित हो गया।

“दोस्तों आप लोग अभी आराम करिये, मुझे अभी कुछ जरुरी काम से कहीं जाना है। मैं लौटकर आप लोगों से बात करता हूं।” यह कह लुफासा ने सनूरा की ओर देखा।

सनूरा जान गयी थी कि लुफासा को मकोटा ने याद किया था, उसने इशारे से लुफासा को निश्चिंत होकर जाने को कहा और फिर उठकर सबको कमरा दिखाने के लिये चल दी।

उड़ने वाली झोपड़ी:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 14:30, पोसाईडन पर्वत, अराका द्वीप)

सभी अब अपने सामने मौजूद सुनहरी झोपड़ी को निहार रहे थे। सबसे पहले उन सभी झोपड़ी को चारो ओर से ध्यान से देखा।

झोपड़ी के सामने की ओर उसका दरवाजा था, झोपड़ी के पीछे कुछ भी नहीं था, पर झोपड़ी के दाहिने और बांयी ओर 2 छोटी खिड़कियां बनीं थीं।

उन खिड़कियों के नीचे, दोनो तरफ एक-एक सुनहरा पंख लगा था। जो हवा के चलने से धीरे-धीरे लहरा रहा था। पंख देख सभी आश्चर्य से भर उठे।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी के पंख क्यों है? आपको क्या लगता है? क्या ये उड़ती होगी ?” ऐलेक्स ने सुयश से कहा।

“मुझे नहीं लगता कि ये उड़ती होगी। क्यों कि इतनी बड़ी झोपड़ी को इतने छोटे पंख, हवा में उड़ा ही नहीं सकते।“ सुयश ने अपने विचार को प्रकट करते हुए कहा- “यह अवश्य ही किसी और कार्य के लिये बनी
होगी?”

झोपड़ी के बाहर ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके बारे में और कुछ बात की जाती, इसलिये सभी ने अब अंदर जाने का फैसला कर लिया।

“दोस्तों, अंदर जाने से पहले मैं कुछ बातें करना चाहता हूं।” सुयश ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा- “हम शायद मायावन के आखिरी द्वार पर हैं, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होगा। हमें नहीं पता कि आगे आने
वाली मुसीबतें किस प्रकार की होंगी, इसलिये मैं चाहता हूं कि सभी लोग आगे पड़ने वाली किसी भी चीज को तब तक हाथ नहीं लगायेंगे, जब तक सभी की अनुमति ना ले लें।”

सभी ने अपना सिर हां में हिलाकर सुयश की बात का समर्थन किया।

अब सुयश के इशारे पर सभी झोपड़ी के अंदर की ओर चल दिये।

झोपड़ी अंदर से ज्यादा बड़ी नहीं थी और ना ही उसमें बहुत ज्यादा सामान ही रखा था।

झोपड़ी की सभी दीवारें और जमीन लकड़ी के ही बने थे, बस उसकी छत साधारण झोपड़ी की तरह घास-फूस से बनी थी।

झोपड़ी के बीचो बीच एक पत्थर के वर्गा कार टुकड़े पर, काँच का बना एक गोल बर्तन रखा था, जो आकार में कार के टायर के बराबर था, परंतु उसकी गहराई थोड़ी ज्यादा थी।

उस काँच के बर्तन में पानी के समान पारदर्शी परंतु गाढ़ा द्रव भरा था। उस द्रव में नीले रंग की बहुत छोटी -छोटी मछलियां घूम रहीं थीं।

अब इतने गाढ़े द्रव में मछली कैसे घूम रहीं थीं, ये समझ से बाहर था।

उस काँच के बर्तन के बीच में एक नीले रंग का कमल का फूल रखा था।

झोपड़ी के एक किनारे पर, एक छोटे से स्टैंड पर, एक पकी मिट्टी की बनी छोटी सी मटकी रखी थी, उस मटकी पर ‘जलपंख’ लिखा था और जलपंख के नीचे एक गोले जैसे आकार में 2 लहर की आकृतियां बनीं थीं।

मटकी से पतली डोरी के माध्यम से, एक पानी निकालने वाला सोने का डोंगा भी बंधा था।

झोपड़ी की दूसरी दीवार पर एक कील गड़ी थी, जिसमें एक मानव खोपड़ी से निर्मित माला टंगी थी।
उस माला का धागा साधारण ही दिख रहा था।

दोनों खिड़कियों में लकड़ी के पल्ले लगे थे, जो कि खुले हुए थे।

“किसी को कुछ समझ में आ रहा है?” सुयश ने झोपड़ी में मौजूद सभी चीजों को देखने के बाद सबसे पूछा।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी की दीवारें लकड़ी की हैं, यह समझ में आता है, पर इसकी जमीन क्यों लकड़ी की बनी है? यह समझ में नहीं आ रहा, क्यों कि कोई भी झोपड़ी बनाते समय उसकी जमीन नहीं बनवाता। और ऐसा सिर्फ वही लोग करते हैं जिन्हें अपने घर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना होता है।” तौफीक ने कहा। तौफीक का तर्क अच्छा था।

“और किसी को कुछ महसूस हुआ?” सुयश ने पूछा।

“उस नीलकमल, मानव खोपड़ी और इस मटकी में कुछ तो काम्बिनेशन है।” शैफाली ने कहा- “पर करना क्या है? ये समझ में नहीं आ रहा है।”

“तो फिर पहले किसी एक चीज को उठा कर देखते हैं, अगर कुछ बदलाव हुआ तो अपने आप पता चल जायेगा।“ सुयश ने कहा।

“कैप्टेन पहले इस नीलकमल को छूकर देखते हैं।” जेनिथ ने अपना सुझाव दिया।

सुयश ने जेनिथ को हां में इशारा किया। सुयश का इशारा पाकर जेनिथ ने धीरे से उस नीलकमल को उठा लिया। पर नीलकमल को उठाने के बाद कोई भी घटना नहीं घटी।

यह देख जेनिथ ने नीलकमल को वापस उसके स्थान पर रख दिया।

“अब मटकी को चेक करते हैं क्यों कि इस पर लिखा यह जलपंख और उसके नीचे बना गोला मुझे कुछ अजीब लग रहा है।” इस बार क्रिस्टी ने कहा।

सुयश के इशारा पाते ही क्रिस्टी ने जैसे ही मटकी को छुआ, उसे तेज करंट का झटका लगा।

“कैप्टेन, यह तो करंट मार रहा है।” क्रिस्टी ने घबरा कर अपना हाथ खींचतें हुए कहा।

“यानि की इसमें कुछ रहस्य अवश्य है।” शैफाली ने कहा- “कैप्टेन अंकल इस पर जलपंख क्यों लिखा है? कहीं इसका पानी बाहर बने झोपड़ी के पंख पर डालने के लिये तो नहीं है?”

“हो भी सकता है, पर यह तो छूने पर करंट मार रहा है, फिर इसका पानी पंख पर डाल कर ट्राई कैसे करें?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन...जलपंख तो समझ में आ गया, पर इस गोले वाले निशान का क्या मतलब है?” ऐलेक्स ने कहा- “यह पानी की लहरों के जैसा निशान है।”

“कहीं यह निशान एक जोडियाक चिन्ह तो नहीं है?” शैफाली ने निशान को देखते हुए कहा- “क्यों कि राशियों में कुम्भ राशि का निशान ऐसा ही होता है।”

“कुम्भ राशि!” सुयश ने सोचने वाले अंदाज में कहा।

“जो लोग 20 जनवरी से 19 फरवरी के बीच पैदा होते हैं, उनके राशि कुम्भ राशि होती है, और ऐसा निशान कुम्भ राशि का ही होता है।” शैफाली ने कहा।

“एक मिनट!” सुयश ने कुछ सोचते हुए कहा- “कुम्भ राशि का प्रतीक मटका ही तो होता है और यह निशान भी मटके पर ही है। इसका मतलब तुम सही सोच रही हो शैफाली।...क्या कोई यहां पर ऐसा है जिसकी राशि कुम्भ हो?”

“यस कैप्टेन!” जेनिथ ने अपना हाथ उठाते हुए कहा- “मेरा जन्म 11 फरवरी को हुआ है, उस हिसाब से मेरी राशि कुम्भ ही है।”

“जेनिथ तुम मटके को छूने की कोशिश करो, देखो यह तुम्हें भी करंट मारता है या नहीं?” सुयश ने जेनिथ को मटका छूने का निर्देश दिया।

जेनिथ ने डरते-डरते मटके को छुआ, पर उसे करंट नहीं लगा, यह देख शैफाली के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“जेनिथ अब तुम इस डोंगे को पानी से पूरा भरकर, बांयी तरफ वाली खिड़की से, बाहर लगे पंख पर डालो, फिर देखते हैं कि क्या होता है?” सुयश ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने सुयश के बताए अनुसार ही किया। पंख पर पानी पड़ते ही उसका आकार थोड़ा बड़ा हो गया।

“तो ये बात है....हमें पूरी मटकी का पानी बारी-बारी दोनों पंखों पर डालना होगा, तब पंख आकार में इस झोपड़ी के बराबर हो जायेंगे और फिर यह झोपड़ी हमें तिलिस्मा में पहुंचायेगी।” सुयश ने सबको समझाते हुए कहा- “पर जेनिथ इस बात का ध्यान रखना, कि पानी दोनों पंखों पर बराबर पड़े, नहीं तो एक पंख छोटा और एक पंख बड़ा हो जायेगा। जिससे बाद में उड़ते समय यह झोपड़ी अपना नियंत्रण खोकर गिर जायेगी।”

जेनिथ ने हामी भर दी। कुछ ही देर के प्रयास के बाद जेनिथ ने मटकी का पूरा पानी खत्म कर दिया।

झोपड़ी के दोनों ओर के पंख अब काफी विशालकाय हो गये थे।

जैसे ही मटकी का पानी खत्म हुआ, झोपड़ी के दोनों ओर की खिड़की अपने आप गायब हो गई।

अब झोपड़ी में उस स्थान पर भी लकड़ी की दीवार दिखने लगी थी।

“कैप्टेन, खिड़की का गायब होना, यह साफ बताता है कि पंख तैयार हो चुके हैं, अब बस इस झोपड़ी को उड़ाने की जरुरत है।” क्रिस्टी ने कहा।

“अब दीवार पर लगी वह खोपड़ी ही बची है, उसे भी छूकर देख लेते हैं। शायद वही झोपड़ी को उड़ाने वाली चीज हो।” शैफाली ने कहा।



जारी रहेगा______✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#143.

सभी लगभग भागते हुए से चल रहे थे। रोजर ने अभी तक उस तलवार को नहीं फेंका था।

वह उस तलवार को हाथ में ही लेकर मेलाइट को घेरे हुए चल रहा था।ऐसा रोजर ने मेलाइट की सुरक्षा की वजह से किया था, पर मेलाइट भागते हुए भी रोजर को देख रही थी।

3-4 गुफा की सुरंगों को पार करते हुए, वह सभी एक मैदान में निकले। मैदान में आगे, कुछ दूरी पर एक छोटा सा, परंतु खूबसूरत महल बना दिखाई दे रहा था।

सनूरा सबको लेकर उसी महल की ओर बढ़ गयी।

महले में कई गलियारों और कमरों को पार करने के बाद वह एक विशाल शयनकक्ष में पहुंच गई।

उस कक्ष में एक बड़ी सी सेंटर टेबल के इर्द-गिर्द बहुत सी कुर्सियां लगीं थीं। बीच वाली कुर्सी पर एक बलिष्ठ इंसान बैठा था। रोजर उसे देखते ही पहचान गया, वह लुफासा था।

लुफासा ने सभी को कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया। लुफासा का इशारा पाकर सभी वहां रखी कुर्सियों पर बैठ गये।

“तुम तो एक इंसान को लाने गयी थी, फिर ये इतने लोग तुम्हें कहां से मिल गये?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

“आकृति ने एक नहीं अनेक लोगों को बंद कर रखा था, इसलिये सभी को छुड़ा लायी और वैसे भी दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है।” सनूरा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ठीक है, तो सबसे पहले, हम सभी एक दूसरे को अपना परिचय दे दें, इससे सभी खुलकर एक दूसरे से बात कर सकेंगे।”

लुफासा ने कहा- “पहले मैं स्वयं से ही शुरु करता हूं। मेरा नाम लुफासा है और मैं इस अराका द्वीप के एक हिस्से सीनोर राज्य का राजकुमार हूं। आकृति ने हमारी देवी शलाका का रुप धरकर हम सभी को बहुत लंबे समय से मूर्ख बना रही है। हमें नहीं पता कि वह कौन है? और उसके पास कितनी शक्तियां हैं? हम इसी बात को जानने के लिये काफी दिनों से उस पर नजर रखें हुए थे।

"इसी बीच हमने रोजर को आकृति के पास देखा, पहले हमें लगा कि यह भी आकृति के साथ मिला है, पर बाद में पता चला कि आकृति ने इसे भी कैद कर रखा है। इसीलिये मैंने सीनोर राज्य की सेनापति सनूरा को रोजर को छुड़ाने के लिये भेजा। अब आप लोग अपने बारे में बतांए।”

“मेरा नाम रोजर है, मैं सुप्रीम नामक जहाज का असिस्टेंट कैप्टेन था, अराका द्वीप के पास जब मेरा
हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, तो आकृति ने मुझे बंदी बना लिया था।”

“मेरा नाम मेलाइट है, मैं एक ‘फ्रेश वॉटर निम्फ’ हूं, जो कि एक ‘सीरीनियन हिंड’ में परिवर्तित हो जाती हूं। आप लोगों ने मेरी कहानी अवश्य सुन रखी होगी। देवता हरक्यूलिस को दिये गये 12 कार्यों में से एक कार्य मुझे पकड़कर लाना भी था। ग्रीक देवी आर्टेमिस की मैं सबसे प्रिय हूं। जब मैं सुनहरी हिरनी बनकर जंगल में घूम रही थी, तो इस मायावी आकृति ने मेरा अपहरण कर लिया। अब यह मुझे यहां क्यों लायी है? ये मुझे भी नहीं पता। पर अब देवी आर्टेमिस इस आकृति को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगी।“

(ग्रीक माइथालोजी में साफ पानी में रहने वाली अप्सराओं को फ्रेश वॉटर निम्फ कहा जाता है)
(दक्षिण ग्रीस का एक प्राचीन नगर ‘सिरीनिया’ के एक जंगल में पायी जाने वाली सुनहरी हिरनी को सिरीनियन हिंड के नाम से जाना जाता है)

“तुम वही सुनहरी हिरनी हो, जिसकी 4 बहनें देवी आर्टेमिस के रथ को खींचती हैं?” लुफासा ने आश्चर्य से भरते हुए कहा।

“हां, मैं वहीं हूं।” मेलाइट ने कहा।

“हे मेरे ईश्वर इस आकृति ने क्या-क्या गड़बड़ कर रखी है। अगर मेलाइट ने देवताओं को यहां के बारे में बता दिया, तो देवता इस पूरे द्वीप को समुद्र में डुबो देंगे।” लुफासा की आँखों में भय के निशान साफ-साफ
दिख रहे थे।

अब लुफासा की किसी से और कुछ पूछने की हिम्मत ही नहीं बची थी।

“देखो मेलाइट...तुम जब भी जहां भी जाना चाहो, हम तुम्हें इस द्वीप से वहां भिजवा देंगे, पर एक वादा करो कि देवी आर्टेमिस से तुम आकृति की शिकायत करोगी, हम सभी की नहीं। हम देवता ‘अपोलो’ और देवी 'आर्टेमिस' के कोप का भाजन नहीं बनना चाहते।” लुफासा ने विनम्र शब्दों में मेलाइट से कहा।

लुफासा के ऐसे शब्दों को सुनकर मेलाइट ने धीरे से सिर हिला दिया।

मेलाइट का परिचय जानकर, अब रोजर की मेलाइट की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

मेलाइट ने कनखियों से रोजर को देखा और उसे नीचे देखते पाकर धीरे से मुस्कुरा दी।

अब लुफासा की निगाह उस दूसरी लड़की पर पड़ी- “अब आप भी अपना परिचय दे दीजिये।”

“मेरा नाम सुर्वया है, मैं सिंहलोक की राजकुमारी हूं। एक समय मैं आकृति की बहुत अच्छी दोस्त थी, पर जब आकृति को मेरी दिव्यदृष्टि के बारे में पता चला, तो उसने मुझे उस शीशे में कैद करके हमेशा-हमेशा के लिये अपने पास रख लिया।” सुर्वया ने कहा।

“तुम्हारे पास किस प्रकार की दिव्यदृष्टि है?” सनूरा ने सुर्वया से पूछा।

“मैं इस पृथ्वी पर मौजूद हर एक जीव को अपनी आँखें बंद करके देख सकती हूं।” सुर्वया ने कहा।

“क्या ऽऽऽऽऽऽऽ?” सुर्वया के शब्द सुनकर सभी के मुंह से एकसाथ निकला।

“ये कैसी शक्ति है? यह शक्ति तो जिसके पास होगी, वह कुछ भी कर सकता है।” रोजर ने कहा।

“नहीं मेरी भी कुछ कमियां हैं, मैं सिर्फ उसी व्यक्ति या जीव को देख सकती हूं, जो उस समय जमीन पर हो। मैं पानी, बर्फ या हवा में रह रहे किसी जीव को नहीं ढूंढ सकती। मेरी इसी विद्या की वजह से, आकृति तुम सब लोगों के बारे में जान जाती थी। पर मेरे ना रहने के बाद अब वह कमजोर पड़ जायेगी।” सुर्वया ने कहा।

“तो क्या तुम बता सकती हो कि इस समय आकृति कहां है?” लुफासा ने कहा।

लुफासा की बात सुनकर सुर्वया मुस्कुरा दी- “यह बताने के लिये मुझे दिव्यदृष्टि की जरुरत नहीं है। मैंने ही उसे इस समय न्यूयार्क भेजा था।”

“न्यूयार्क?” लुफासा को सुर्वया की बात समझ में नहीं आयी।

“दरअसल किसी कार्य हेतु आकृति को एक सुनहरी ढाल की जरुरत है और वह ढाल इस समय एक पानी के जहाज के अंदर है, जो अंटार्कटिका से न्यूयार्क की ओर जा रहा है। वह उसे ही लाने गयी है।” सुर्वया ने कहा।

“क्या तुम ये बता सकती हो कि उसने मेरा अपहरण क्यों किया?” मेलाइट ने सुर्वया से पूछा।

“हां....आकृति के चेहरे पर इस समय शलाका का चेहरा है, जिसे वह स्वयं की मर्जी से हटा नहीं सकती, जबकि तुम्हारे पास एक कस्तूरी है, जिसे पीसकर उसका लेप लगाने पर आकृति अपने पुराने रुप में आ सकती है, इसी लिये उसने तुम्हारा अपहरण किया था।” सुर्वया ने कहा।

“पर मेलाइट के पास कस्तूरी कैसे हो सकती है?” लुफासा ने कहा- “कस्तूरी तो सिर्फ नर मृग में पायी जाती है।”

“वह कस्तूरी मेरी नहीं है, वह मेरे पास किसी की निशानी है, जिसे मैं उस आकृति को कभी भी नहीं दूंगी।” मेलाइट ने गुस्से से कहा- “और उसे इस कस्तूरी के बारे में पता कैसे चला? यह बात तो मेरे सिवा कोई भी नहीं जानता।”

“माफ करना मेलाइट, पर यह जानकारी मैंने ही उसे दी थी और मुझसे कुछ भी छिपा पाना असंभव है।” सुर्वया ने कहा।

तभी लुफासा के कमरे में लगी एक लाल रंग की बत्ती जलने लगी, जिसे देखकर लुफासा थोड़ा चिंतित हो गया।

“दोस्तों आप लोग अभी आराम करिये, मुझे अभी कुछ जरुरी काम से कहीं जाना है। मैं लौटकर आप लोगों से बात करता हूं।” यह कह लुफासा ने सनूरा की ओर देखा।

सनूरा जान गयी थी कि लुफासा को मकोटा ने याद किया था, उसने इशारे से लुफासा को निश्चिंत होकर जाने को कहा और फिर उठकर सबको कमरा दिखाने के लिये चल दी।

उड़ने वाली झोपड़ी:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 14:30, पोसाईडन पर्वत, अराका द्वीप)

सभी अब अपने सामने मौजूद सुनहरी झोपड़ी को निहार रहे थे। सबसे पहले उन सभी झोपड़ी को चारो ओर से ध्यान से देखा।

झोपड़ी के सामने की ओर उसका दरवाजा था, झोपड़ी के पीछे कुछ भी नहीं था, पर झोपड़ी के दाहिने और बांयी ओर 2 छोटी खिड़कियां बनीं थीं।

उन खिड़कियों के नीचे, दोनो तरफ एक-एक सुनहरा पंख लगा था। जो हवा के चलने से धीरे-धीरे लहरा रहा था। पंख देख सभी आश्चर्य से भर उठे।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी के पंख क्यों है? आपको क्या लगता है? क्या ये उड़ती होगी ?” ऐलेक्स ने सुयश से कहा।

“मुझे नहीं लगता कि ये उड़ती होगी। क्यों कि इतनी बड़ी झोपड़ी को इतने छोटे पंख, हवा में उड़ा ही नहीं सकते।“ सुयश ने अपने विचार को प्रकट करते हुए कहा- “यह अवश्य ही किसी और कार्य के लिये बनी
होगी?”

झोपड़ी के बाहर ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके बारे में और कुछ बात की जाती, इसलिये सभी ने अब अंदर जाने का फैसला कर लिया।

“दोस्तों, अंदर जाने से पहले मैं कुछ बातें करना चाहता हूं।” सुयश ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा- “हम शायद मायावन के आखिरी द्वार पर हैं, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होगा। हमें नहीं पता कि आगे आने
वाली मुसीबतें किस प्रकार की होंगी, इसलिये मैं चाहता हूं कि सभी लोग आगे पड़ने वाली किसी भी चीज को तब तक हाथ नहीं लगायेंगे, जब तक सभी की अनुमति ना ले लें।”

सभी ने अपना सिर हां में हिलाकर सुयश की बात का समर्थन किया।

अब सुयश के इशारे पर सभी झोपड़ी के अंदर की ओर चल दिये।

झोपड़ी अंदर से ज्यादा बड़ी नहीं थी और ना ही उसमें बहुत ज्यादा सामान ही रखा था।

झोपड़ी की सभी दीवारें और जमीन लकड़ी के ही बने थे, बस उसकी छत साधारण झोपड़ी की तरह घास-फूस से बनी थी।

झोपड़ी के बीचो बीच एक पत्थर के वर्गा कार टुकड़े पर, काँच का बना एक गोल बर्तन रखा था, जो आकार में कार के टायर के बराबर था, परंतु उसकी गहराई थोड़ी ज्यादा थी।

उस काँच के बर्तन में पानी के समान पारदर्शी परंतु गाढ़ा द्रव भरा था। उस द्रव में नीले रंग की बहुत छोटी -छोटी मछलियां घूम रहीं थीं।

अब इतने गाढ़े द्रव में मछली कैसे घूम रहीं थीं, ये समझ से बाहर था।

उस काँच के बर्तन के बीच में एक नीले रंग का कमल का फूल रखा था।

झोपड़ी के एक किनारे पर, एक छोटे से स्टैंड पर, एक पकी मिट्टी की बनी छोटी सी मटकी रखी थी, उस मटकी पर ‘जलपंख’ लिखा था और जलपंख के नीचे एक गोले जैसे आकार में 2 लहर की आकृतियां बनीं थीं।

मटकी से पतली डोरी के माध्यम से, एक पानी निकालने वाला सोने का डोंगा भी बंधा था।

झोपड़ी की दूसरी दीवार पर एक कील गड़ी थी, जिसमें एक मानव खोपड़ी से निर्मित माला टंगी थी।
उस माला का धागा साधारण ही दिख रहा था।

दोनों खिड़कियों में लकड़ी के पल्ले लगे थे, जो कि खुले हुए थे।

“किसी को कुछ समझ में आ रहा है?” सुयश ने झोपड़ी में मौजूद सभी चीजों को देखने के बाद सबसे पूछा।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी की दीवारें लकड़ी की हैं, यह समझ में आता है, पर इसकी जमीन क्यों लकड़ी की बनी है? यह समझ में नहीं आ रहा, क्यों कि कोई भी झोपड़ी बनाते समय उसकी जमीन नहीं बनवाता। और ऐसा सिर्फ वही लोग करते हैं जिन्हें अपने घर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना होता है।” तौफीक ने कहा। तौफीक का तर्क अच्छा था।

“और किसी को कुछ महसूस हुआ?” सुयश ने पूछा।

“उस नीलकमल, मानव खोपड़ी और इस मटकी में कुछ तो काम्बिनेशन है।” शैफाली ने कहा- “पर करना क्या है? ये समझ में नहीं आ रहा है।”

“तो फिर पहले किसी एक चीज को उठा कर देखते हैं, अगर कुछ बदलाव हुआ तो अपने आप पता चल जायेगा।“ सुयश ने कहा।

“कैप्टेन पहले इस नीलकमल को छूकर देखते हैं।” जेनिथ ने अपना सुझाव दिया।

सुयश ने जेनिथ को हां में इशारा किया। सुयश का इशारा पाकर जेनिथ ने धीरे से उस नीलकमल को उठा लिया। पर नीलकमल को उठाने के बाद कोई भी घटना नहीं घटी।

यह देख जेनिथ ने नीलकमल को वापस उसके स्थान पर रख दिया।

“अब मटकी को चेक करते हैं क्यों कि इस पर लिखा यह जलपंख और उसके नीचे बना गोला मुझे कुछ अजीब लग रहा है।” इस बार क्रिस्टी ने कहा।

सुयश के इशारा पाते ही क्रिस्टी ने जैसे ही मटकी को छुआ, उसे तेज करंट का झटका लगा।

“कैप्टेन, यह तो करंट मार रहा है।” क्रिस्टी ने घबरा कर अपना हाथ खींचतें हुए कहा।

“यानि की इसमें कुछ रहस्य अवश्य है।” शैफाली ने कहा- “कैप्टेन अंकल इस पर जलपंख क्यों लिखा है? कहीं इसका पानी बाहर बने झोपड़ी के पंख पर डालने के लिये तो नहीं है?”

“हो भी सकता है, पर यह तो छूने पर करंट मार रहा है, फिर इसका पानी पंख पर डाल कर ट्राई कैसे करें?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन...जलपंख तो समझ में आ गया, पर इस गोले वाले निशान का क्या मतलब है?” ऐलेक्स ने कहा- “यह पानी की लहरों के जैसा निशान है।”

“कहीं यह निशान एक जोडियाक चिन्ह तो नहीं है?” शैफाली ने निशान को देखते हुए कहा- “क्यों कि राशियों में कुम्भ राशि का निशान ऐसा ही होता है।”

“कुम्भ राशि!” सुयश ने सोचने वाले अंदाज में कहा।

“जो लोग 20 जनवरी से 19 फरवरी के बीच पैदा होते हैं, उनके राशि कुम्भ राशि होती है, और ऐसा निशान कुम्भ राशि का ही होता है।” शैफाली ने कहा।

“एक मिनट!” सुयश ने कुछ सोचते हुए कहा- “कुम्भ राशि का प्रतीक मटका ही तो होता है और यह निशान भी मटके पर ही है। इसका मतलब तुम सही सोच रही हो शैफाली।...क्या कोई यहां पर ऐसा है जिसकी राशि कुम्भ हो?”

“यस कैप्टेन!” जेनिथ ने अपना हाथ उठाते हुए कहा- “मेरा जन्म 11 फरवरी को हुआ है, उस हिसाब से मेरी राशि कुम्भ ही है।”

“जेनिथ तुम मटके को छूने की कोशिश करो, देखो यह तुम्हें भी करंट मारता है या नहीं?” सुयश ने जेनिथ को मटका छूने का निर्देश दिया।

जेनिथ ने डरते-डरते मटके को छुआ, पर उसे करंट नहीं लगा, यह देख शैफाली के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“जेनिथ अब तुम इस डोंगे को पानी से पूरा भरकर, बांयी तरफ वाली खिड़की से, बाहर लगे पंख पर डालो, फिर देखते हैं कि क्या होता है?” सुयश ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने सुयश के बताए अनुसार ही किया। पंख पर पानी पड़ते ही उसका आकार थोड़ा बड़ा हो गया।

“तो ये बात है....हमें पूरी मटकी का पानी बारी-बारी दोनों पंखों पर डालना होगा, तब पंख आकार में इस झोपड़ी के बराबर हो जायेंगे और फिर यह झोपड़ी हमें तिलिस्मा में पहुंचायेगी।” सुयश ने सबको समझाते हुए कहा- “पर जेनिथ इस बात का ध्यान रखना, कि पानी दोनों पंखों पर बराबर पड़े, नहीं तो एक पंख छोटा और एक पंख बड़ा हो जायेगा। जिससे बाद में उड़ते समय यह झोपड़ी अपना नियंत्रण खोकर गिर जायेगी।”

जेनिथ ने हामी भर दी। कुछ ही देर के प्रयास के बाद जेनिथ ने मटकी का पूरा पानी खत्म कर दिया।

झोपड़ी के दोनों ओर के पंख अब काफी विशालकाय हो गये थे।

जैसे ही मटकी का पानी खत्म हुआ, झोपड़ी के दोनों ओर की खिड़की अपने आप गायब हो गई।

अब झोपड़ी में उस स्थान पर भी लकड़ी की दीवार दिखने लगी थी।

“कैप्टेन, खिड़की का गायब होना, यह साफ बताता है कि पंख तैयार हो चुके हैं, अब बस इस झोपड़ी को उड़ाने की जरुरत है।” क्रिस्टी ने कहा।

“अब दीवार पर लगी वह खोपड़ी ही बची है, उसे भी छूकर देख लेते हैं। शायद वही झोपड़ी को उड़ाने वाली चीज हो।” शैफाली ने कहा।



जारी रहेगा______✍️
Lovely update brother! Kya Lufasa ko Makota se sandesh mila tha Roger aur baki sab logo ko laane ke liye???
Bechara Vilmer ki kismat hi kharab hai lagta hai wo Aakriti ke hathon maara jayega!!!
Let's see Shefali and team ka next episode mein kya hone wala hai!!!
 

Sushil@10

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#143.

सभी लगभग भागते हुए से चल रहे थे। रोजर ने अभी तक उस तलवार को नहीं फेंका था।

वह उस तलवार को हाथ में ही लेकर मेलाइट को घेरे हुए चल रहा था।ऐसा रोजर ने मेलाइट की सुरक्षा की वजह से किया था, पर मेलाइट भागते हुए भी रोजर को देख रही थी।

3-4 गुफा की सुरंगों को पार करते हुए, वह सभी एक मैदान में निकले। मैदान में आगे, कुछ दूरी पर एक छोटा सा, परंतु खूबसूरत महल बना दिखाई दे रहा था।

सनूरा सबको लेकर उसी महल की ओर बढ़ गयी।

महले में कई गलियारों और कमरों को पार करने के बाद वह एक विशाल शयनकक्ष में पहुंच गई।

उस कक्ष में एक बड़ी सी सेंटर टेबल के इर्द-गिर्द बहुत सी कुर्सियां लगीं थीं। बीच वाली कुर्सी पर एक बलिष्ठ इंसान बैठा था। रोजर उसे देखते ही पहचान गया, वह लुफासा था।

लुफासा ने सभी को कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया। लुफासा का इशारा पाकर सभी वहां रखी कुर्सियों पर बैठ गये।

“तुम तो एक इंसान को लाने गयी थी, फिर ये इतने लोग तुम्हें कहां से मिल गये?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

“आकृति ने एक नहीं अनेक लोगों को बंद कर रखा था, इसलिये सभी को छुड़ा लायी और वैसे भी दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है।” सनूरा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ठीक है, तो सबसे पहले, हम सभी एक दूसरे को अपना परिचय दे दें, इससे सभी खुलकर एक दूसरे से बात कर सकेंगे।”

लुफासा ने कहा- “पहले मैं स्वयं से ही शुरु करता हूं। मेरा नाम लुफासा है और मैं इस अराका द्वीप के एक हिस्से सीनोर राज्य का राजकुमार हूं। आकृति ने हमारी देवी शलाका का रुप धरकर हम सभी को बहुत लंबे समय से मूर्ख बना रही है। हमें नहीं पता कि वह कौन है? और उसके पास कितनी शक्तियां हैं? हम इसी बात को जानने के लिये काफी दिनों से उस पर नजर रखें हुए थे।

"इसी बीच हमने रोजर को आकृति के पास देखा, पहले हमें लगा कि यह भी आकृति के साथ मिला है, पर बाद में पता चला कि आकृति ने इसे भी कैद कर रखा है। इसीलिये मैंने सीनोर राज्य की सेनापति सनूरा को रोजर को छुड़ाने के लिये भेजा। अब आप लोग अपने बारे में बतांए।”

“मेरा नाम रोजर है, मैं सुप्रीम नामक जहाज का असिस्टेंट कैप्टेन था, अराका द्वीप के पास जब मेरा
हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, तो आकृति ने मुझे बंदी बना लिया था।”

“मेरा नाम मेलाइट है, मैं एक ‘फ्रेश वॉटर निम्फ’ हूं, जो कि एक ‘सीरीनियन हिंड’ में परिवर्तित हो जाती हूं। आप लोगों ने मेरी कहानी अवश्य सुन रखी होगी। देवता हरक्यूलिस को दिये गये 12 कार्यों में से एक कार्य मुझे पकड़कर लाना भी था। ग्रीक देवी आर्टेमिस की मैं सबसे प्रिय हूं। जब मैं सुनहरी हिरनी बनकर जंगल में घूम रही थी, तो इस मायावी आकृति ने मेरा अपहरण कर लिया। अब यह मुझे यहां क्यों लायी है? ये मुझे भी नहीं पता। पर अब देवी आर्टेमिस इस आकृति को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगी।“

(ग्रीक माइथालोजी में साफ पानी में रहने वाली अप्सराओं को फ्रेश वॉटर निम्फ कहा जाता है)
(दक्षिण ग्रीस का एक प्राचीन नगर ‘सिरीनिया’ के एक जंगल में पायी जाने वाली सुनहरी हिरनी को सिरीनियन हिंड के नाम से जाना जाता है)

“तुम वही सुनहरी हिरनी हो, जिसकी 4 बहनें देवी आर्टेमिस के रथ को खींचती हैं?” लुफासा ने आश्चर्य से भरते हुए कहा।

“हां, मैं वहीं हूं।” मेलाइट ने कहा।

“हे मेरे ईश्वर इस आकृति ने क्या-क्या गड़बड़ कर रखी है। अगर मेलाइट ने देवताओं को यहां के बारे में बता दिया, तो देवता इस पूरे द्वीप को समुद्र में डुबो देंगे।” लुफासा की आँखों में भय के निशान साफ-साफ
दिख रहे थे।

अब लुफासा की किसी से और कुछ पूछने की हिम्मत ही नहीं बची थी।

“देखो मेलाइट...तुम जब भी जहां भी जाना चाहो, हम तुम्हें इस द्वीप से वहां भिजवा देंगे, पर एक वादा करो कि देवी आर्टेमिस से तुम आकृति की शिकायत करोगी, हम सभी की नहीं। हम देवता ‘अपोलो’ और देवी 'आर्टेमिस' के कोप का भाजन नहीं बनना चाहते।” लुफासा ने विनम्र शब्दों में मेलाइट से कहा।

लुफासा के ऐसे शब्दों को सुनकर मेलाइट ने धीरे से सिर हिला दिया।

मेलाइट का परिचय जानकर, अब रोजर की मेलाइट की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

मेलाइट ने कनखियों से रोजर को देखा और उसे नीचे देखते पाकर धीरे से मुस्कुरा दी।

अब लुफासा की निगाह उस दूसरी लड़की पर पड़ी- “अब आप भी अपना परिचय दे दीजिये।”

“मेरा नाम सुर्वया है, मैं सिंहलोक की राजकुमारी हूं। एक समय मैं आकृति की बहुत अच्छी दोस्त थी, पर जब आकृति को मेरी दिव्यदृष्टि के बारे में पता चला, तो उसने मुझे उस शीशे में कैद करके हमेशा-हमेशा के लिये अपने पास रख लिया।” सुर्वया ने कहा।

“तुम्हारे पास किस प्रकार की दिव्यदृष्टि है?” सनूरा ने सुर्वया से पूछा।

“मैं इस पृथ्वी पर मौजूद हर एक जीव को अपनी आँखें बंद करके देख सकती हूं।” सुर्वया ने कहा।

“क्या ऽऽऽऽऽऽऽ?” सुर्वया के शब्द सुनकर सभी के मुंह से एकसाथ निकला।

“ये कैसी शक्ति है? यह शक्ति तो जिसके पास होगी, वह कुछ भी कर सकता है।” रोजर ने कहा।

“नहीं मेरी भी कुछ कमियां हैं, मैं सिर्फ उसी व्यक्ति या जीव को देख सकती हूं, जो उस समय जमीन पर हो। मैं पानी, बर्फ या हवा में रह रहे किसी जीव को नहीं ढूंढ सकती। मेरी इसी विद्या की वजह से, आकृति तुम सब लोगों के बारे में जान जाती थी। पर मेरे ना रहने के बाद अब वह कमजोर पड़ जायेगी।” सुर्वया ने कहा।

“तो क्या तुम बता सकती हो कि इस समय आकृति कहां है?” लुफासा ने कहा।

लुफासा की बात सुनकर सुर्वया मुस्कुरा दी- “यह बताने के लिये मुझे दिव्यदृष्टि की जरुरत नहीं है। मैंने ही उसे इस समय न्यूयार्क भेजा था।”

“न्यूयार्क?” लुफासा को सुर्वया की बात समझ में नहीं आयी।

“दरअसल किसी कार्य हेतु आकृति को एक सुनहरी ढाल की जरुरत है और वह ढाल इस समय एक पानी के जहाज के अंदर है, जो अंटार्कटिका से न्यूयार्क की ओर जा रहा है। वह उसे ही लाने गयी है।” सुर्वया ने कहा।

“क्या तुम ये बता सकती हो कि उसने मेरा अपहरण क्यों किया?” मेलाइट ने सुर्वया से पूछा।

“हां....आकृति के चेहरे पर इस समय शलाका का चेहरा है, जिसे वह स्वयं की मर्जी से हटा नहीं सकती, जबकि तुम्हारे पास एक कस्तूरी है, जिसे पीसकर उसका लेप लगाने पर आकृति अपने पुराने रुप में आ सकती है, इसी लिये उसने तुम्हारा अपहरण किया था।” सुर्वया ने कहा।

“पर मेलाइट के पास कस्तूरी कैसे हो सकती है?” लुफासा ने कहा- “कस्तूरी तो सिर्फ नर मृग में पायी जाती है।”

“वह कस्तूरी मेरी नहीं है, वह मेरे पास किसी की निशानी है, जिसे मैं उस आकृति को कभी भी नहीं दूंगी।” मेलाइट ने गुस्से से कहा- “और उसे इस कस्तूरी के बारे में पता कैसे चला? यह बात तो मेरे सिवा कोई भी नहीं जानता।”

“माफ करना मेलाइट, पर यह जानकारी मैंने ही उसे दी थी और मुझसे कुछ भी छिपा पाना असंभव है।” सुर्वया ने कहा।

तभी लुफासा के कमरे में लगी एक लाल रंग की बत्ती जलने लगी, जिसे देखकर लुफासा थोड़ा चिंतित हो गया।

“दोस्तों आप लोग अभी आराम करिये, मुझे अभी कुछ जरुरी काम से कहीं जाना है। मैं लौटकर आप लोगों से बात करता हूं।” यह कह लुफासा ने सनूरा की ओर देखा।

सनूरा जान गयी थी कि लुफासा को मकोटा ने याद किया था, उसने इशारे से लुफासा को निश्चिंत होकर जाने को कहा और फिर उठकर सबको कमरा दिखाने के लिये चल दी।

उड़ने वाली झोपड़ी:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 14:30, पोसाईडन पर्वत, अराका द्वीप)

सभी अब अपने सामने मौजूद सुनहरी झोपड़ी को निहार रहे थे। सबसे पहले उन सभी झोपड़ी को चारो ओर से ध्यान से देखा।

झोपड़ी के सामने की ओर उसका दरवाजा था, झोपड़ी के पीछे कुछ भी नहीं था, पर झोपड़ी के दाहिने और बांयी ओर 2 छोटी खिड़कियां बनीं थीं।

उन खिड़कियों के नीचे, दोनो तरफ एक-एक सुनहरा पंख लगा था। जो हवा के चलने से धीरे-धीरे लहरा रहा था। पंख देख सभी आश्चर्य से भर उठे।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी के पंख क्यों है? आपको क्या लगता है? क्या ये उड़ती होगी ?” ऐलेक्स ने सुयश से कहा।

“मुझे नहीं लगता कि ये उड़ती होगी। क्यों कि इतनी बड़ी झोपड़ी को इतने छोटे पंख, हवा में उड़ा ही नहीं सकते।“ सुयश ने अपने विचार को प्रकट करते हुए कहा- “यह अवश्य ही किसी और कार्य के लिये बनी
होगी?”

झोपड़ी के बाहर ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके बारे में और कुछ बात की जाती, इसलिये सभी ने अब अंदर जाने का फैसला कर लिया।

“दोस्तों, अंदर जाने से पहले मैं कुछ बातें करना चाहता हूं।” सुयश ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा- “हम शायद मायावन के आखिरी द्वार पर हैं, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होगा। हमें नहीं पता कि आगे आने
वाली मुसीबतें किस प्रकार की होंगी, इसलिये मैं चाहता हूं कि सभी लोग आगे पड़ने वाली किसी भी चीज को तब तक हाथ नहीं लगायेंगे, जब तक सभी की अनुमति ना ले लें।”

सभी ने अपना सिर हां में हिलाकर सुयश की बात का समर्थन किया।

अब सुयश के इशारे पर सभी झोपड़ी के अंदर की ओर चल दिये।

झोपड़ी अंदर से ज्यादा बड़ी नहीं थी और ना ही उसमें बहुत ज्यादा सामान ही रखा था।

झोपड़ी की सभी दीवारें और जमीन लकड़ी के ही बने थे, बस उसकी छत साधारण झोपड़ी की तरह घास-फूस से बनी थी।

झोपड़ी के बीचो बीच एक पत्थर के वर्गा कार टुकड़े पर, काँच का बना एक गोल बर्तन रखा था, जो आकार में कार के टायर के बराबर था, परंतु उसकी गहराई थोड़ी ज्यादा थी।

उस काँच के बर्तन में पानी के समान पारदर्शी परंतु गाढ़ा द्रव भरा था। उस द्रव में नीले रंग की बहुत छोटी -छोटी मछलियां घूम रहीं थीं।

अब इतने गाढ़े द्रव में मछली कैसे घूम रहीं थीं, ये समझ से बाहर था।

उस काँच के बर्तन के बीच में एक नीले रंग का कमल का फूल रखा था।

झोपड़ी के एक किनारे पर, एक छोटे से स्टैंड पर, एक पकी मिट्टी की बनी छोटी सी मटकी रखी थी, उस मटकी पर ‘जलपंख’ लिखा था और जलपंख के नीचे एक गोले जैसे आकार में 2 लहर की आकृतियां बनीं थीं।

मटकी से पतली डोरी के माध्यम से, एक पानी निकालने वाला सोने का डोंगा भी बंधा था।

झोपड़ी की दूसरी दीवार पर एक कील गड़ी थी, जिसमें एक मानव खोपड़ी से निर्मित माला टंगी थी।
उस माला का धागा साधारण ही दिख रहा था।

दोनों खिड़कियों में लकड़ी के पल्ले लगे थे, जो कि खुले हुए थे।

“किसी को कुछ समझ में आ रहा है?” सुयश ने झोपड़ी में मौजूद सभी चीजों को देखने के बाद सबसे पूछा।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी की दीवारें लकड़ी की हैं, यह समझ में आता है, पर इसकी जमीन क्यों लकड़ी की बनी है? यह समझ में नहीं आ रहा, क्यों कि कोई भी झोपड़ी बनाते समय उसकी जमीन नहीं बनवाता। और ऐसा सिर्फ वही लोग करते हैं जिन्हें अपने घर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना होता है।” तौफीक ने कहा। तौफीक का तर्क अच्छा था।

“और किसी को कुछ महसूस हुआ?” सुयश ने पूछा।

“उस नीलकमल, मानव खोपड़ी और इस मटकी में कुछ तो काम्बिनेशन है।” शैफाली ने कहा- “पर करना क्या है? ये समझ में नहीं आ रहा है।”

“तो फिर पहले किसी एक चीज को उठा कर देखते हैं, अगर कुछ बदलाव हुआ तो अपने आप पता चल जायेगा।“ सुयश ने कहा।

“कैप्टेन पहले इस नीलकमल को छूकर देखते हैं।” जेनिथ ने अपना सुझाव दिया।

सुयश ने जेनिथ को हां में इशारा किया। सुयश का इशारा पाकर जेनिथ ने धीरे से उस नीलकमल को उठा लिया। पर नीलकमल को उठाने के बाद कोई भी घटना नहीं घटी।

यह देख जेनिथ ने नीलकमल को वापस उसके स्थान पर रख दिया।

“अब मटकी को चेक करते हैं क्यों कि इस पर लिखा यह जलपंख और उसके नीचे बना गोला मुझे कुछ अजीब लग रहा है।” इस बार क्रिस्टी ने कहा।

सुयश के इशारा पाते ही क्रिस्टी ने जैसे ही मटकी को छुआ, उसे तेज करंट का झटका लगा।

“कैप्टेन, यह तो करंट मार रहा है।” क्रिस्टी ने घबरा कर अपना हाथ खींचतें हुए कहा।

“यानि की इसमें कुछ रहस्य अवश्य है।” शैफाली ने कहा- “कैप्टेन अंकल इस पर जलपंख क्यों लिखा है? कहीं इसका पानी बाहर बने झोपड़ी के पंख पर डालने के लिये तो नहीं है?”

“हो भी सकता है, पर यह तो छूने पर करंट मार रहा है, फिर इसका पानी पंख पर डाल कर ट्राई कैसे करें?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन...जलपंख तो समझ में आ गया, पर इस गोले वाले निशान का क्या मतलब है?” ऐलेक्स ने कहा- “यह पानी की लहरों के जैसा निशान है।”

“कहीं यह निशान एक जोडियाक चिन्ह तो नहीं है?” शैफाली ने निशान को देखते हुए कहा- “क्यों कि राशियों में कुम्भ राशि का निशान ऐसा ही होता है।”

“कुम्भ राशि!” सुयश ने सोचने वाले अंदाज में कहा।

“जो लोग 20 जनवरी से 19 फरवरी के बीच पैदा होते हैं, उनके राशि कुम्भ राशि होती है, और ऐसा निशान कुम्भ राशि का ही होता है।” शैफाली ने कहा।

“एक मिनट!” सुयश ने कुछ सोचते हुए कहा- “कुम्भ राशि का प्रतीक मटका ही तो होता है और यह निशान भी मटके पर ही है। इसका मतलब तुम सही सोच रही हो शैफाली।...क्या कोई यहां पर ऐसा है जिसकी राशि कुम्भ हो?”

“यस कैप्टेन!” जेनिथ ने अपना हाथ उठाते हुए कहा- “मेरा जन्म 11 फरवरी को हुआ है, उस हिसाब से मेरी राशि कुम्भ ही है।”

“जेनिथ तुम मटके को छूने की कोशिश करो, देखो यह तुम्हें भी करंट मारता है या नहीं?” सुयश ने जेनिथ को मटका छूने का निर्देश दिया।

जेनिथ ने डरते-डरते मटके को छुआ, पर उसे करंट नहीं लगा, यह देख शैफाली के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“जेनिथ अब तुम इस डोंगे को पानी से पूरा भरकर, बांयी तरफ वाली खिड़की से, बाहर लगे पंख पर डालो, फिर देखते हैं कि क्या होता है?” सुयश ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने सुयश के बताए अनुसार ही किया। पंख पर पानी पड़ते ही उसका आकार थोड़ा बड़ा हो गया।

“तो ये बात है....हमें पूरी मटकी का पानी बारी-बारी दोनों पंखों पर डालना होगा, तब पंख आकार में इस झोपड़ी के बराबर हो जायेंगे और फिर यह झोपड़ी हमें तिलिस्मा में पहुंचायेगी।” सुयश ने सबको समझाते हुए कहा- “पर जेनिथ इस बात का ध्यान रखना, कि पानी दोनों पंखों पर बराबर पड़े, नहीं तो एक पंख छोटा और एक पंख बड़ा हो जायेगा। जिससे बाद में उड़ते समय यह झोपड़ी अपना नियंत्रण खोकर गिर जायेगी।”

जेनिथ ने हामी भर दी। कुछ ही देर के प्रयास के बाद जेनिथ ने मटकी का पूरा पानी खत्म कर दिया।

झोपड़ी के दोनों ओर के पंख अब काफी विशालकाय हो गये थे।

जैसे ही मटकी का पानी खत्म हुआ, झोपड़ी के दोनों ओर की खिड़की अपने आप गायब हो गई।

अब झोपड़ी में उस स्थान पर भी लकड़ी की दीवार दिखने लगी थी।

“कैप्टेन, खिड़की का गायब होना, यह साफ बताता है कि पंख तैयार हो चुके हैं, अब बस इस झोपड़ी को उड़ाने की जरुरत है।” क्रिस्टी ने कहा।

“अब दीवार पर लगी वह खोपड़ी ही बची है, उसे भी छूकर देख लेते हैं। शायद वही झोपड़ी को उड़ाने वाली चीज हो।” शैफाली ने कहा।



जारी रहेगा______✍️
Shandaar update and awesome story
 

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#143.

सभी लगभग भागते हुए से चल रहे थे। रोजर ने अभी तक उस तलवार को नहीं फेंका था।

वह उस तलवार को हाथ में ही लेकर मेलाइट को घेरे हुए चल रहा था।ऐसा रोजर ने मेलाइट की सुरक्षा की वजह से किया था, पर मेलाइट भागते हुए भी रोजर को देख रही थी।

3-4 गुफा की सुरंगों को पार करते हुए, वह सभी एक मैदान में निकले। मैदान में आगे, कुछ दूरी पर एक छोटा सा, परंतु खूबसूरत महल बना दिखाई दे रहा था।

सनूरा सबको लेकर उसी महल की ओर बढ़ गयी।

महले में कई गलियारों और कमरों को पार करने के बाद वह एक विशाल शयनकक्ष में पहुंच गई।

उस कक्ष में एक बड़ी सी सेंटर टेबल के इर्द-गिर्द बहुत सी कुर्सियां लगीं थीं। बीच वाली कुर्सी पर एक बलिष्ठ इंसान बैठा था। रोजर उसे देखते ही पहचान गया, वह लुफासा था।

लुफासा ने सभी को कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया। लुफासा का इशारा पाकर सभी वहां रखी कुर्सियों पर बैठ गये।

“तुम तो एक इंसान को लाने गयी थी, फिर ये इतने लोग तुम्हें कहां से मिल गये?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

“आकृति ने एक नहीं अनेक लोगों को बंद कर रखा था, इसलिये सभी को छुड़ा लायी और वैसे भी दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है।” सनूरा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ठीक है, तो सबसे पहले, हम सभी एक दूसरे को अपना परिचय दे दें, इससे सभी खुलकर एक दूसरे से बात कर सकेंगे।”

लुफासा ने कहा- “पहले मैं स्वयं से ही शुरु करता हूं। मेरा नाम लुफासा है और मैं इस अराका द्वीप के एक हिस्से सीनोर राज्य का राजकुमार हूं। आकृति ने हमारी देवी शलाका का रुप धरकर हम सभी को बहुत लंबे समय से मूर्ख बना रही है। हमें नहीं पता कि वह कौन है? और उसके पास कितनी शक्तियां हैं? हम इसी बात को जानने के लिये काफी दिनों से उस पर नजर रखें हुए थे।

"इसी बीच हमने रोजर को आकृति के पास देखा, पहले हमें लगा कि यह भी आकृति के साथ मिला है, पर बाद में पता चला कि आकृति ने इसे भी कैद कर रखा है। इसीलिये मैंने सीनोर राज्य की सेनापति सनूरा को रोजर को छुड़ाने के लिये भेजा। अब आप लोग अपने बारे में बतांए।”

“मेरा नाम रोजर है, मैं सुप्रीम नामक जहाज का असिस्टेंट कैप्टेन था, अराका द्वीप के पास जब मेरा
हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, तो आकृति ने मुझे बंदी बना लिया था।”

“मेरा नाम मेलाइट है, मैं एक ‘फ्रेश वॉटर निम्फ’ हूं, जो कि एक ‘सीरीनियन हिंड’ में परिवर्तित हो जाती हूं। आप लोगों ने मेरी कहानी अवश्य सुन रखी होगी। देवता हरक्यूलिस को दिये गये 12 कार्यों में से एक कार्य मुझे पकड़कर लाना भी था। ग्रीक देवी आर्टेमिस की मैं सबसे प्रिय हूं। जब मैं सुनहरी हिरनी बनकर जंगल में घूम रही थी, तो इस मायावी आकृति ने मेरा अपहरण कर लिया। अब यह मुझे यहां क्यों लायी है? ये मुझे भी नहीं पता। पर अब देवी आर्टेमिस इस आकृति को किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगी।“

(ग्रीक माइथालोजी में साफ पानी में रहने वाली अप्सराओं को फ्रेश वॉटर निम्फ कहा जाता है)
(दक्षिण ग्रीस का एक प्राचीन नगर ‘सिरीनिया’ के एक जंगल में पायी जाने वाली सुनहरी हिरनी को सिरीनियन हिंड के नाम से जाना जाता है)

“तुम वही सुनहरी हिरनी हो, जिसकी 4 बहनें देवी आर्टेमिस के रथ को खींचती हैं?” लुफासा ने आश्चर्य से भरते हुए कहा।

“हां, मैं वहीं हूं।” मेलाइट ने कहा।

“हे मेरे ईश्वर इस आकृति ने क्या-क्या गड़बड़ कर रखी है। अगर मेलाइट ने देवताओं को यहां के बारे में बता दिया, तो देवता इस पूरे द्वीप को समुद्र में डुबो देंगे।” लुफासा की आँखों में भय के निशान साफ-साफ
दिख रहे थे।

अब लुफासा की किसी से और कुछ पूछने की हिम्मत ही नहीं बची थी।

“देखो मेलाइट...तुम जब भी जहां भी जाना चाहो, हम तुम्हें इस द्वीप से वहां भिजवा देंगे, पर एक वादा करो कि देवी आर्टेमिस से तुम आकृति की शिकायत करोगी, हम सभी की नहीं। हम देवता ‘अपोलो’ और देवी 'आर्टेमिस' के कोप का भाजन नहीं बनना चाहते।” लुफासा ने विनम्र शब्दों में मेलाइट से कहा।

लुफासा के ऐसे शब्दों को सुनकर मेलाइट ने धीरे से सिर हिला दिया।

मेलाइट का परिचय जानकर, अब रोजर की मेलाइट की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

मेलाइट ने कनखियों से रोजर को देखा और उसे नीचे देखते पाकर धीरे से मुस्कुरा दी।

अब लुफासा की निगाह उस दूसरी लड़की पर पड़ी- “अब आप भी अपना परिचय दे दीजिये।”

“मेरा नाम सुर्वया है, मैं सिंहलोक की राजकुमारी हूं। एक समय मैं आकृति की बहुत अच्छी दोस्त थी, पर जब आकृति को मेरी दिव्यदृष्टि के बारे में पता चला, तो उसने मुझे उस शीशे में कैद करके हमेशा-हमेशा के लिये अपने पास रख लिया।” सुर्वया ने कहा।

“तुम्हारे पास किस प्रकार की दिव्यदृष्टि है?” सनूरा ने सुर्वया से पूछा।

“मैं इस पृथ्वी पर मौजूद हर एक जीव को अपनी आँखें बंद करके देख सकती हूं।” सुर्वया ने कहा।

“क्या ऽऽऽऽऽऽऽ?” सुर्वया के शब्द सुनकर सभी के मुंह से एकसाथ निकला।

“ये कैसी शक्ति है? यह शक्ति तो जिसके पास होगी, वह कुछ भी कर सकता है।” रोजर ने कहा।

“नहीं मेरी भी कुछ कमियां हैं, मैं सिर्फ उसी व्यक्ति या जीव को देख सकती हूं, जो उस समय जमीन पर हो। मैं पानी, बर्फ या हवा में रह रहे किसी जीव को नहीं ढूंढ सकती। मेरी इसी विद्या की वजह से, आकृति तुम सब लोगों के बारे में जान जाती थी। पर मेरे ना रहने के बाद अब वह कमजोर पड़ जायेगी।” सुर्वया ने कहा।

“तो क्या तुम बता सकती हो कि इस समय आकृति कहां है?” लुफासा ने कहा।

लुफासा की बात सुनकर सुर्वया मुस्कुरा दी- “यह बताने के लिये मुझे दिव्यदृष्टि की जरुरत नहीं है। मैंने ही उसे इस समय न्यूयार्क भेजा था।”

“न्यूयार्क?” लुफासा को सुर्वया की बात समझ में नहीं आयी।

“दरअसल किसी कार्य हेतु आकृति को एक सुनहरी ढाल की जरुरत है और वह ढाल इस समय एक पानी के जहाज के अंदर है, जो अंटार्कटिका से न्यूयार्क की ओर जा रहा है। वह उसे ही लाने गयी है।” सुर्वया ने कहा।

“क्या तुम ये बता सकती हो कि उसने मेरा अपहरण क्यों किया?” मेलाइट ने सुर्वया से पूछा।

“हां....आकृति के चेहरे पर इस समय शलाका का चेहरा है, जिसे वह स्वयं की मर्जी से हटा नहीं सकती, जबकि तुम्हारे पास एक कस्तूरी है, जिसे पीसकर उसका लेप लगाने पर आकृति अपने पुराने रुप में आ सकती है, इसी लिये उसने तुम्हारा अपहरण किया था।” सुर्वया ने कहा।

“पर मेलाइट के पास कस्तूरी कैसे हो सकती है?” लुफासा ने कहा- “कस्तूरी तो सिर्फ नर मृग में पायी जाती है।”

“वह कस्तूरी मेरी नहीं है, वह मेरे पास किसी की निशानी है, जिसे मैं उस आकृति को कभी भी नहीं दूंगी।” मेलाइट ने गुस्से से कहा- “और उसे इस कस्तूरी के बारे में पता कैसे चला? यह बात तो मेरे सिवा कोई भी नहीं जानता।”

“माफ करना मेलाइट, पर यह जानकारी मैंने ही उसे दी थी और मुझसे कुछ भी छिपा पाना असंभव है।” सुर्वया ने कहा।

तभी लुफासा के कमरे में लगी एक लाल रंग की बत्ती जलने लगी, जिसे देखकर लुफासा थोड़ा चिंतित हो गया।

“दोस्तों आप लोग अभी आराम करिये, मुझे अभी कुछ जरुरी काम से कहीं जाना है। मैं लौटकर आप लोगों से बात करता हूं।” यह कह लुफासा ने सनूरा की ओर देखा।

सनूरा जान गयी थी कि लुफासा को मकोटा ने याद किया था, उसने इशारे से लुफासा को निश्चिंत होकर जाने को कहा और फिर उठकर सबको कमरा दिखाने के लिये चल दी।

उड़ने वाली झोपड़ी:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 14:30, पोसाईडन पर्वत, अराका द्वीप)

सभी अब अपने सामने मौजूद सुनहरी झोपड़ी को निहार रहे थे। सबसे पहले उन सभी झोपड़ी को चारो ओर से ध्यान से देखा।

झोपड़ी के सामने की ओर उसका दरवाजा था, झोपड़ी के पीछे कुछ भी नहीं था, पर झोपड़ी के दाहिने और बांयी ओर 2 छोटी खिड़कियां बनीं थीं।

उन खिड़कियों के नीचे, दोनो तरफ एक-एक सुनहरा पंख लगा था। जो हवा के चलने से धीरे-धीरे लहरा रहा था। पंख देख सभी आश्चर्य से भर उठे।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी के पंख क्यों है? आपको क्या लगता है? क्या ये उड़ती होगी ?” ऐलेक्स ने सुयश से कहा।

“मुझे नहीं लगता कि ये उड़ती होगी। क्यों कि इतनी बड़ी झोपड़ी को इतने छोटे पंख, हवा में उड़ा ही नहीं सकते।“ सुयश ने अपने विचार को प्रकट करते हुए कहा- “यह अवश्य ही किसी और कार्य के लिये बनी
होगी?”

झोपड़ी के बाहर ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके बारे में और कुछ बात की जाती, इसलिये सभी ने अब अंदर जाने का फैसला कर लिया।

“दोस्तों, अंदर जाने से पहले मैं कुछ बातें करना चाहता हूं।” सुयश ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा- “हम शायद मायावन के आखिरी द्वार पर हैं, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होगा। हमें नहीं पता कि आगे आने
वाली मुसीबतें किस प्रकार की होंगी, इसलिये मैं चाहता हूं कि सभी लोग आगे पड़ने वाली किसी भी चीज को तब तक हाथ नहीं लगायेंगे, जब तक सभी की अनुमति ना ले लें।”

सभी ने अपना सिर हां में हिलाकर सुयश की बात का समर्थन किया।

अब सुयश के इशारे पर सभी झोपड़ी के अंदर की ओर चल दिये।

झोपड़ी अंदर से ज्यादा बड़ी नहीं थी और ना ही उसमें बहुत ज्यादा सामान ही रखा था।

झोपड़ी की सभी दीवारें और जमीन लकड़ी के ही बने थे, बस उसकी छत साधारण झोपड़ी की तरह घास-फूस से बनी थी।

झोपड़ी के बीचो बीच एक पत्थर के वर्गा कार टुकड़े पर, काँच का बना एक गोल बर्तन रखा था, जो आकार में कार के टायर के बराबर था, परंतु उसकी गहराई थोड़ी ज्यादा थी।

उस काँच के बर्तन में पानी के समान पारदर्शी परंतु गाढ़ा द्रव भरा था। उस द्रव में नीले रंग की बहुत छोटी -छोटी मछलियां घूम रहीं थीं।

अब इतने गाढ़े द्रव में मछली कैसे घूम रहीं थीं, ये समझ से बाहर था।

उस काँच के बर्तन के बीच में एक नीले रंग का कमल का फूल रखा था।

झोपड़ी के एक किनारे पर, एक छोटे से स्टैंड पर, एक पकी मिट्टी की बनी छोटी सी मटकी रखी थी, उस मटकी पर ‘जलपंख’ लिखा था और जलपंख के नीचे एक गोले जैसे आकार में 2 लहर की आकृतियां बनीं थीं।

मटकी से पतली डोरी के माध्यम से, एक पानी निकालने वाला सोने का डोंगा भी बंधा था।

झोपड़ी की दूसरी दीवार पर एक कील गड़ी थी, जिसमें एक मानव खोपड़ी से निर्मित माला टंगी थी।
उस माला का धागा साधारण ही दिख रहा था।

दोनों खिड़कियों में लकड़ी के पल्ले लगे थे, जो कि खुले हुए थे।

“किसी को कुछ समझ में आ रहा है?” सुयश ने झोपड़ी में मौजूद सभी चीजों को देखने के बाद सबसे पूछा।

“कैप्टेन, इस झोपड़ी की दीवारें लकड़ी की हैं, यह समझ में आता है, पर इसकी जमीन क्यों लकड़ी की बनी है? यह समझ में नहीं आ रहा, क्यों कि कोई भी झोपड़ी बनाते समय उसकी जमीन नहीं बनवाता। और ऐसा सिर्फ वही लोग करते हैं जिन्हें अपने घर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना होता है।” तौफीक ने कहा। तौफीक का तर्क अच्छा था।

“और किसी को कुछ महसूस हुआ?” सुयश ने पूछा।

“उस नीलकमल, मानव खोपड़ी और इस मटकी में कुछ तो काम्बिनेशन है।” शैफाली ने कहा- “पर करना क्या है? ये समझ में नहीं आ रहा है।”

“तो फिर पहले किसी एक चीज को उठा कर देखते हैं, अगर कुछ बदलाव हुआ तो अपने आप पता चल जायेगा।“ सुयश ने कहा।

“कैप्टेन पहले इस नीलकमल को छूकर देखते हैं।” जेनिथ ने अपना सुझाव दिया।

सुयश ने जेनिथ को हां में इशारा किया। सुयश का इशारा पाकर जेनिथ ने धीरे से उस नीलकमल को उठा लिया। पर नीलकमल को उठाने के बाद कोई भी घटना नहीं घटी।

यह देख जेनिथ ने नीलकमल को वापस उसके स्थान पर रख दिया।

“अब मटकी को चेक करते हैं क्यों कि इस पर लिखा यह जलपंख और उसके नीचे बना गोला मुझे कुछ अजीब लग रहा है।” इस बार क्रिस्टी ने कहा।

सुयश के इशारा पाते ही क्रिस्टी ने जैसे ही मटकी को छुआ, उसे तेज करंट का झटका लगा।

“कैप्टेन, यह तो करंट मार रहा है।” क्रिस्टी ने घबरा कर अपना हाथ खींचतें हुए कहा।

“यानि की इसमें कुछ रहस्य अवश्य है।” शैफाली ने कहा- “कैप्टेन अंकल इस पर जलपंख क्यों लिखा है? कहीं इसका पानी बाहर बने झोपड़ी के पंख पर डालने के लिये तो नहीं है?”

“हो भी सकता है, पर यह तो छूने पर करंट मार रहा है, फिर इसका पानी पंख पर डाल कर ट्राई कैसे करें?” सुयश ने कहा।

“कैप्टेन...जलपंख तो समझ में आ गया, पर इस गोले वाले निशान का क्या मतलब है?” ऐलेक्स ने कहा- “यह पानी की लहरों के जैसा निशान है।”

“कहीं यह निशान एक जोडियाक चिन्ह तो नहीं है?” शैफाली ने निशान को देखते हुए कहा- “क्यों कि राशियों में कुम्भ राशि का निशान ऐसा ही होता है।”

“कुम्भ राशि!” सुयश ने सोचने वाले अंदाज में कहा।

“जो लोग 20 जनवरी से 19 फरवरी के बीच पैदा होते हैं, उनके राशि कुम्भ राशि होती है, और ऐसा निशान कुम्भ राशि का ही होता है।” शैफाली ने कहा।

“एक मिनट!” सुयश ने कुछ सोचते हुए कहा- “कुम्भ राशि का प्रतीक मटका ही तो होता है और यह निशान भी मटके पर ही है। इसका मतलब तुम सही सोच रही हो शैफाली।...क्या कोई यहां पर ऐसा है जिसकी राशि कुम्भ हो?”

“यस कैप्टेन!” जेनिथ ने अपना हाथ उठाते हुए कहा- “मेरा जन्म 11 फरवरी को हुआ है, उस हिसाब से मेरी राशि कुम्भ ही है।”

“जेनिथ तुम मटके को छूने की कोशिश करो, देखो यह तुम्हें भी करंट मारता है या नहीं?” सुयश ने जेनिथ को मटका छूने का निर्देश दिया।

जेनिथ ने डरते-डरते मटके को छुआ, पर उसे करंट नहीं लगा, यह देख शैफाली के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“जेनिथ अब तुम इस डोंगे को पानी से पूरा भरकर, बांयी तरफ वाली खिड़की से, बाहर लगे पंख पर डालो, फिर देखते हैं कि क्या होता है?” सुयश ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने सुयश के बताए अनुसार ही किया। पंख पर पानी पड़ते ही उसका आकार थोड़ा बड़ा हो गया।

“तो ये बात है....हमें पूरी मटकी का पानी बारी-बारी दोनों पंखों पर डालना होगा, तब पंख आकार में इस झोपड़ी के बराबर हो जायेंगे और फिर यह झोपड़ी हमें तिलिस्मा में पहुंचायेगी।” सुयश ने सबको समझाते हुए कहा- “पर जेनिथ इस बात का ध्यान रखना, कि पानी दोनों पंखों पर बराबर पड़े, नहीं तो एक पंख छोटा और एक पंख बड़ा हो जायेगा। जिससे बाद में उड़ते समय यह झोपड़ी अपना नियंत्रण खोकर गिर जायेगी।”

जेनिथ ने हामी भर दी। कुछ ही देर के प्रयास के बाद जेनिथ ने मटकी का पूरा पानी खत्म कर दिया।

झोपड़ी के दोनों ओर के पंख अब काफी विशालकाय हो गये थे।

जैसे ही मटकी का पानी खत्म हुआ, झोपड़ी के दोनों ओर की खिड़की अपने आप गायब हो गई।

अब झोपड़ी में उस स्थान पर भी लकड़ी की दीवार दिखने लगी थी।

“कैप्टेन, खिड़की का गायब होना, यह साफ बताता है कि पंख तैयार हो चुके हैं, अब बस इस झोपड़ी को उड़ाने की जरुरत है।” क्रिस्टी ने कहा।

“अब दीवार पर लगी वह खोपड़ी ही बची है, उसे भी छूकर देख लेते हैं। शायद वही झोपड़ी को उड़ाने वाली चीज हो।” शैफाली ने कहा।



जारी रहेगा______✍️
Shandaar update👌👌
 
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#139.

चैपटर-13
पुनर्जन्म रहस्य:
(14 जनवरी 2002, सोमवार, 18:30, मायावन, अराका द्वीप)

तौफीक ने एक स्थान पर आग जला दी थी। सुयश सहित बाकी सभी उसी आग के चारो ओर गोला बना कर बैठे थे।

“पिछले कुछ दिनों से हमने इस जंगल की प्रत्येक मुसीबत को सफलता पूर्वक पार किया है।” सुयश ने कहा- “अब देखते हैं कि यह तिलिस्मा क्या बला है?”

“मैं तो यही सोचकर परेशान हूं कैप्टेन, कि स्पाइनोसोरस, टेरोसोर, ड्रैगन, रेत मानव, ज्वालामुखी, झरना सब तो देख लिया, फिर भला तिलिस्मा में इससे बढ़कर क्या परेशानियां हो सकती हैं?” क्रिस्टी ने कहा।

तभी एक अंजानी आवाज ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया- “यह बात मैं बताता हूं।”

सभी की दृष्टि आवाज की दिशा में घूम गई। उन्हें एक पेड़ की ओर से चलकर आता हुआ युगाका दिखाई दिया।

“पहले तो देर से आने के लिये क्षमा चाहता हूं दोस्तो.....दरअसल मेरी बहन की शादी फाइनल हो गयी थी, इसलिये मेरे ऊपर काम का बोझ कुछ ज्यादा ही पड़ गया था।” युगाका ने कहा।

“अरे वाह! तुमने तो पहले बताया नहीं था कि तुम्हारी कोई बहन भी है?” जेनिथ ने कहा।

“मेरी बहन से आप पहले ही मिल चुकी हो, याद करिये उस तालाब के पास की घटना, जब आप को रात में दूसरी क्रिस्टी दिखाई दी थी, अरे वही तो मेरी बहन थी।”

“अच्छा तो आप की बहन भी रुप बदल लेती है।” जेनिथ ने युगाका को घूरते हुए कहा।

“हां, हम दोनों भाई-बहनों को रुप बदलना आता है।” युगाका ने कहा - “मगर उस समय हमें आप लोगों के बारे में पता थोड़े ही था।”

जेनिथ का फिलहाल युगाका से अब दुश्मनी करने का कोई मन नहीं था, इसलिये वह चुप रही।

"वैसे आज तो हर तरफ से खुशियों की ही खबर आ रही है।” शैफाली ने टॉपिक को चेन्ज करने के उद्देश्य से कहा।

“और किसने दी खुशियों की खबर?” युगाका ने हैरानी से शैफाली को देखते हुए कहा।

“आपकी देवी शलाका ने।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा।

“देवी शलाका!” शलाका का नाम सुन युगाका आश्चर्य से भर उठा- “क्या तुम लोगों ने उन्हें देखा?”

“देखा भी...और रिश्ता भी जोड़ लिया।” क्रिस्टी ने हंसते हुए कहा।

“कैसा रिश्ता?” युगाका के लिये हर एक समाचार किसी भूकंप से कम नहीं था।

आखिरकार सुयश से आज्ञा लेकर शैफाली ने युगाका को आर्यन और वेदालय की पूरी कहानी सुना दी।

पूरी कहानी सुनकर युगाका खुशी से भर उठा।

“लगता है अब सब कुछ अच्छा होने वाला है। एक-एक कर रहस्य के सारे पर्दे खुल रहे हैं।” युगाका ने कहा।

“अरे दोस्त, सारे पर्दे खुल गये हों तो मेरा एक छोटा सा दोस्त जो तुम्हारी वजह से पता नहीं कहां गायब हो गया, अब उसे भी ढूंढ दो।” क्रिस्टी ने मुंह बिचकाते हुए कहा- “देवी शलाका भी उसे नहीं ढूंढ पायी, पता नहीं पृथ्वी के कौन से कोने में चला गया?”

जिस भी कोने में था, बस हर पल तुम्हें ही याद कर रहा था।”

यह आवाज शत-प्रतिशत ऐलेक्स की थी।

यह आवाज सुनते ही क्रिस्टी की आँखों से खुशी के मारे आँसू निकलने लगे।

“ऐलेक्स....क्या यह तुम ही हो?.. ..और तुम दिखाई क्यों नहीं दे रहे?” क्रिस्टी ने पागलों के समान चारो ओर देखते हुए कहा।

तभी सबके सामने ऐलेक्स प्रकट हो गया।

ऐलेक्स को सुरक्षित देख क्रिस्टी भागकर ऐलेक्स के गले लग गई।

वह अब जोर-जोर से ऐलेक्स का चेहरा चूमने लगी- “माफ कर दो ऐलेक्स...अब कभी भी नहीं लड़ूंगी तुमसे, पर अब तुम मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाना।”

क्रिस्टी अपने भावों को बिल्कुल कंट्रोल नहीं कर पा रही थी।...... इसलिये सभी अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे।

युगाका भी ऐलेक्स को देखकर खुश हो गया क्यों कि अब उसके सिर पर लगा एक दाग हट गया था।

कुछ देर तक इसी हालत में रहने के बाद क्रिस्टी थोड़ा नार्मल हुई और ऐलेक्स से अलग हो गई।

अब शैफाली जाकर ऐलेक्स के गले लग गयी- “अच्छा हुआ आप मिल गये।”

तभी ऐलेक्स की नजर सामने बैठे युगाका की ओर गई, वह युगाका को देख भड़क उठा- “यह इंसान यहां क्या कर रहा है? इसी की वजह से तो मैं मुसीबत में फंस गया था।”

इससे पहले कि ऐलेक्स युगाका पर कोई प्रहार कर पाता, सुयश ने बीच में ही उसे रोक लिया और ऐलेक्स को युगाका की सारी कहानी सुना दी। तब जाकर ऐलेक्स कहीं शांत हुआ।

ऐलेक्स ने भी अपनी पूरी कहानी शुरु से अंत तक सभी को सुना दी।

ऐलेक्स की पूरी कहानी सुन सभी हैरानी से एक-दूसरे का मुंह देख रहे थे। सबसे ज्यादा झटका शैफाली को लगा था।

“तो स्थेनो कहां है?” शैफाली ने ऐलेक्स से पूछा।

“वह अदृश्य रुप में यहीं पर हैं, पर वह प्रकट नहीं हो सकतीं, क्यों कि मेरे और शैफाली के सिवा अगर किसी ने उनकी आँखों में देख लिया, तो वह पत्थर का बन जायेगा।”

ऐलेक्स के बताने पर शैफाली चलकर स्थेनो के पास पहुंच गई और बोली- “मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं आपको क्या कहूं? पर मैं आपके गले लगना चाहती हूं।”

स्थेनो ने शैफाली को गले से लगाते हुए कहा- “अभी जिंदगी बहुत बड़ी है, हमारी बातें तो होतीं ही रहेंगी, पर पहले तुम्हारी स्मृतियों का वापस लाना बहुत जरुरी है।”

यह कहकर स्थेनो ने ऐलेक्स को बोतल खोलने का इशारा किया।

ऐलेक्स ने एक झटके से बोतल के मुंह पर लगा ढक्कन हटा दिया।

ढक्कन के हटाते ही आसमान में एक जोर की बिजली कड़की और बोतल का सारा धुंआ निकलकर शैफाली के सिर पर नाचने लगा।

अब वह धुंआ धीरे-धीरे शैफाली के दिमाग में प्रवेश करता जा रहा था और इसी के साथ शैफाली के चेहरे के भाव भी बदलते जा रहे थे।

शैफाली के चेहरे के भाव को देखकर साफ लग रहा था कि उसे इस समय एक पीड़ादायक अहसास से गुजरना पड़ रहा है।

कुछ देर में पूरा का पूरा धुंआ शैफाली के दिमाग में समा गया और शैफाली जमीन पर बेहोश होकर गिर पड़ी।

क्रिस्टी ने तुरंत शैफाली के मुंह पर पानी का छिड़काव किया तो शैफाली को होश आ गया।

उसने सबसे पहले एक बार पास में खड़े सभी लोगों को ध्यान से देखा और फिर मुस्कुरा दी। उसकी मुस्कुराहट इस बात का सबूत थी कि अब वह बिल्कुल ठीक है।

शैफाली की स्मृतियां आ जाने के बाद भी वह शैफाली के जैसे ही व्यवहार कर रही थी, और यही बात सभी को भा गयी थी।

कुछ देर तक बात करने के बाद स्थेनो वहां से चली गयी।

“शैफाली, आपका पंचशूल अब किसी और को प्राप्त हो गया है।” युगाका ने कहा।

“कोई बात नहीं, अब तो कुछ दिनों के बाद काला मोती मेरे पास होगा, फिर मुझे पंचशूल की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी और हां कैप्टेन अंकल उस खरगोश की मदद के लिये धन्यवाद, क्यों कि उसने आपको वही ‘अटलांटिस की रिंग’ दी है, जिसे पहनकर मेरी माँ ने अटलांटिस का निर्माण किया था।

"इस अंगूठी की तलाश में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी, पर किसी को इस अंगूठी के बारे में पता नहीं चला। चूंकि यह अंगूठी कोई देवकन्या ही पहन सकती थी, इसलिये यह आपकी उंगली में फिट नहीं हो पा रही थी और...और वह ज्वालामुखी में मिला ड्रैगन का सोने का सिर मेरे पिता का था, जिसे मैंने ही मैग्ना के रुप में वहां छिपाया था।” शैफाली ने कहा।

“एक बात पूंछू शैफाली।” क्रिस्टी ने कहा- “अब अगर तुम्हें सबकुछ याद आ ही गया है, तो तुम कैस्पर से कह के बिना तिलिस्मा को तोड़े ही काला मोती क्यों नहीं प्राप्त कर लेती? एक झटके से सारी समस्या ही
खत्म हो जायेगी।”

“ऐसा अब सम्भव नहीं है, कैस्पर ने पूरे तिलिस्मा का कंट्रोल एक स्वयं की बनाई हुई मशीन को दे दिया है। अब कैस्पर तिलिस्मा के कंट्रोल रुम में बैठकर सबकुछ देख तो सकता है, पर मेरी कोई मदद नहीं कर सकता और मुझे लग रहा है कि वह इस समय, मुझसे 5000 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर है, इसलिये उसे मेरे आने का पता भी नहीं चला है। अगर वह कहीं भी पास में होता, तो तिलिस्मा में प्रवेश करने से पहले मुझसे मिलने जरुर आता।” शैफाली ने कहा।

“अच्छा अब मुझे भी जाने की आज्ञा दीजिये, अब आप लोगों से तिलिस्मा के टूटने के बाद ही मुलाकात होगी।” युगाका ने कहा।

सुयश ने सिर हिलाकर युगाका को भी जाने का इशारा कर दिया।

सुयश का इशारा पाकर युगाका भी वहां से चला गया, पर अब युगाका को पूरा विश्वास हो गया था कि तिलिस्मा अब टूटने ही वाला है और यह सारी बातें वह जल्द से जल्द कलाट को बताना चाहता था।

युगाका के जाने के बाद सभी फिर से बातें करने लगे।

“अच्छा एक बात बताओ शैफाली।” सुयश ने शैफाली से कहा- “मायावन में घुसते समय उस नीले फल वाले वृक्ष ने तुम्हें वह सारे फल क्यों दे दि ये थे?”

“वह सभी पेड़ मुझे पहचान गये थे।” शैफाली ने उत्तर दिया- “पेड़ों में बहुत सी ऐसी शक्तियां भी होती हैं, जिसे साधारण इंसान कभी जान ही नहीं पाता।”

“और वह मगरमच्छ मानव भी तुम्हें पहचान गया था क्या? जिसने जेनिथ पर आक्रमण किया था।” क्रिस्टी ने पूछा।

“जब मैंने जलोथा पुकारा, तब वह मुझे पहचान गया। मैंने ही उसे शक्तियां प्रदान कर वन के सुरक्षा के लिये झील में रखा था।” शैफाली ने कहा।

“और वह जमीन पर मिलने वाले पत्थर भविष्य कैसे बता लेते थे?” जेनिथ ने पूछा।

“मेरी माँ माया भविष्य देख लेती हैं, उन्होने ही मुझे वो सारे पत्थर दिये थे और कहा था कि इसे वन के किसी कोने में लगा देना, यह भविष्य में तुम लोगों का मार्गदर्शन करेगे।”

शैफाली ने माया को याद करते हुए कहा- “और मुझे अच्छा लगा कि वो आज भी मुझे देख रहीं हैं, तभी तो उन्होंने ऐलेक्स भैया को शक्तियां देकर मेरी स्मृति लाने नागलोक भेजा था।”

यह कहकर शैफाली ने हवा में अपनी माँ के नाम पर ‘फ्लांइग किस’ उछाल दिया।

“शक्तियों से याद आया। ऐलेक्स भैया क्या वह शक्तियां अभी भी आपके पास हैं?” शैफाली ने ऐलेक्स की ओर देखते हुए कहा।

“अभी तक तो हैं, पर जितना मैंने सुना, यह सभी शक्तियां तिलिस्मा में काम नहीं आने वालीं। वहां पर सिर्फ अपना दिमाग चलेगा।”

ऐलेक्स ने स्टाइल मारते हुए कहा- “और हां, मैं सबके मन की बातें भी सुन सकता हूं, इसलिये जरा ध्यान से मेरे बारे में सोचना।”

ऐलेक्स ने आखिरी के शब्द क्रिस्टी की ओर देखते हुए कहा।

“अच्छा तो बताओ कि मेरे मन में अभी क्या चल रहा है ऐलेक्स?” क्रिस्टी ने इठलाते हुए पूछा।

“तुम्हारे मन में चल रहा है कि..... कि....।” पर ऐलेक्स उन बातों को बोल नहीं पाया, क्यों कि क्रिस्टी उसे सबके सामने किस करने के बारे में सोच रही थी।

“क्या हुआ ऐलेक्स कि...कि....के बाद तुम्हारी ट्रेन पटरी से क्यों उतर गई?” क्रिस्टी ने पूरा मजा लेते हुए कहा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी को घूरकर देखा, पर कुछ कहा नहीं।

“चलो अब सभी लोग सो जाओ, रात काफी हो गई है।” सुयश ने सोने का ऐलान कर दिया।

सभी छोटे-छोटे ग्रुप बना कर आस-पास सो गये।

जो भी हो, आज का दिन वास्तव में खुशियों का दिन था, पर अगला दिन उनकी जिंदगी में क्या बदलाव करने वाला था? यह किसी को नहीं पता था? वह सभी तो बस आज को जी रहे थे।


जारी रहेगा_______✍️
Alex in sab ke pas pahuch gaya, aur Cristy ke man ki baate bhi jaan raha hai, kuch bhi ho is tension bhare daur me masti majaak ka kuch maahool in sabko mil hi gaya, waise alex ki shaktiya aage in sabke kaam aayengi, ab 2-3 log hain jinke pas ab shaktiya hain. Overall hamesha ki tarah ye bhi ek dhasu Update hi tha👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🥰🥰🥰🎊🎊🎊
 
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#141.

जलकवच:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 10:30, मायावन, अराका द्वीप)

सुबह सभी थोड़ा देर से उठे थे। रात को सभी को नींद भी बहुत अच्छी आयी थी।

क्रिस्टी तो देर रात काफी देर तक ऐलेक्स से बात ही करती रही थी, शायद वह बीच के दिनों की पूरी कसर निकाल रही थी।

सभी खा-पीकर तैयार हो गये थे। सुयश का इशारा पाते ही सभी आगे की ओर बढ़ गये।

सामने एक छोटा सा पहाड़ था, जिसे पार करने में इन लोगों को ज्यादा समय नहीं लगा।

अब इन्हें पोसाईडन पर्वत बिल्कुल सामने दिख रहा था, पर पोसाईडन पर्वत और इन लोगों के बीच एक 30 फुट चौड़ी नहर का फासला था।

“कैप्टेन अंकल, इस नहर पर कहीं भी पुल बना नहीं दिख रहा, हम लोग उधर जायेंगे कैसे?” शैफाली ने सुयश से पूछा- “क्या पानी के अंदर उतरना सही रहेगा?”

“हमारा आज तक का इस जंगल का अनुभव बताता है, कि हर पानी में कोई ना कोई परेशानी मौजूद थी, तो पहले हम पानी में उतरने के बारे में नहीं सोचते। हम इस नहर के किनारे-किनारे आगे की ओर बढ़ेंगे।

"हो सकता है कि आगे कहीं इस नहर पर पुल बना हो? क्यों कि जो लोग पोसाईडन पर्वत के उस तरफ रह रहें होगे, वह भी किसी ना किसी प्रकार से उस पार तो जाते ही होंगे। और सबसे बड़ी बात कि जरा पोसाईडन की मूर्ति को ध्यान से देखो, वो हमारे ठीक सामने नहीं है, तो हो सकता है कि मूर्ति के ठीक सामने कोई ना कोई पुल हो?”

सुयश की बात सभी को सही लगी, इसलिये वह नहर के किनारे-किनारे आगे बढ़ने लगे।

लगभग आधा घंटा चलने के बाद उन्हें नहर के ऊपर रखे लकड़ी के 2 मोटे लट्ठे दिखाई दिये।

“लो मिल गया रास्ता।” क्रिस्टी ने उन लट्ठों की ओर देखते हुए कहा- “और कैप्टेन ने सही कहा था, यह रास्ता बिल्कुल पोसाईडन की मूर्ति के सामने है।”

तभी तौफीक की नजर नहर के दूसरी ओर बनी एक सुनहरी झोपड़ी पर पड़ी।

“कैप्टेन नहर के उस पार वह सुनहरी झोपड़ी कैसी है?” तौफीक ने सुयश को झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा।

सभी आश्चर्य से उस विचित्र झोपड़ी को देखने लगे।

“कुछ कह नहीं सकते? हो सकता है कि उसमें कैस्पर ही रहता हो और वहीं से तिलिस्मा का नियंत्रण करता हो?” सुयश ने कहा।

“हैलो...मेरा कैस्पर झोपड़ी में नहीं रहता।” शैफाली ने चिढ़ते हुए कहा।

“अरे वाह! मेरा कैस्पर....।” क्रिस्टी ने हंसकर शैफाली का मजाक उड़ाया- “लगता है अब शैफाली पूरी मैग्ना बनने वाली है?”

शैफाली ने नाक सिकोड़कर क्रिस्टी को चिढ़ाया और सुयश की ओर देखने लगी।

“हमें पहले उस पार चलना चाहिये। उस पार पहुंचने के बाद ही पता चलेगा, कि उस झोपड़ी का क्या रहस्य है?”

“अब तो हममें से कई लोगों के पास शक्तियां हैं, इस नहर को तो हम आसानी से पार कर लेंगे।” ऐलेक्स ने कहा।

“अच्छा जी! तो चलो पहले तुम ही पार करके दिखाओ, जरा हम भी तो देखें, तुम्हारी वशीन्द्रिय शक्तियां किस प्रकार काम करती हैं?” क्रिस्टी ने ऐलेक्स का मजाक उड़ाते हुए कहा।

वैसे क्रिस्टी को अपने अनुभव के आधार पर पता था, कि इस नहर में भी कोई मायाजाल छिपा होगा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के चैलेंज को स्वीकार कर लिया और एक लकड़ी के लट्ठे पर अपना बांया पैर रखा।

ऐलेक्स के लट्ठे पर पैर रखते ही, लट्ठे का दूसरा सिरा हवा में उठना शुरु हो गया।

यह देख ऐलेक्स ने अपना पैर लट्ठे से हटा लिया। ऐलेक्स के पैर हटाते लट्ठा अपने यथा स्थान आ गया।

यह देख क्रिस्टी ने मुस्कुराते हुए बच्चों की तरह तुतला कर ऐलेक्स का मजाक उड़ाया- “क्या हुआ छोते बच्चे...तुम्हारी छक्तियां काम नहीं कल लहीं क्या?”

ऐलेक्स ने घूरकर क्रिस्टी को देखा और फिर प्यार से क्रिस्टी की चोटी खींच ली।

इस बार ऐलेक्स ने दूसरे लट्ठे पर अपना पैर रखा। उस लट्ठे पर भी वही क्रिया हुई, जो कि पहले लट्ठे पर हुई थी।

“लगता है ये भी किसी प्रकार का मायाजाल है?” जेनिथ ने कहा।

“छोता बाबू औल कोछिछ कलेगा?” क्रिस्टी ने फिर ऐलेक्स को चिढ़ाया।

ऐलेक्स ने इस बार क्रिस्टी पर ध्यान नहीं दिया। इस बार ऐलेक्स ने अपनी त्वचा को लचीला आकार दिया और दौड़कर नहर के पास आकर दूसरी ओर कूदने की कोशिश की।

पर इस कोशिश में ऐलेक्स का शरीर किसी अदृश्य दीवार से टकराया और वह जमीन पर गिर पड़ा। उसे बहुत तेज चोट लगी थी।

अगर वशीन्द्रिय शक्ति ने समय पर ऐलेक्स का शरीर वज्र का नहीं बनाया होता, तो ऐलेक्स की कुछ हड्डियां तो जरुर टूट जानीं थीं।

“लगता है छोता बाबू...तूत-फूत गया।” क्रिस्टी अभी भी ऐलेक्स से मजा ले रही थी।

“ठीक है मैं हार गया...मेरी शक्ति भी काम नहीं कर रही। चलो अब तुम ही पार करके दिखा दो इसे। अगर तुमने इसे पार कर दिया तो तुम जो मांगोगी, मैं तुम्हें दूंगा।” ऐलेक्स ने क्रिस्टी को चैलेंज देते हुए कहा।

“ठीक है...पर अपना वादा भूलना नहीं ऐलेक्स।” क्रिस्टी यह कहकर उस लट्ठे के पास आ गयी।

उसने एक बार लट्ठे को हिलाकर उसकी मजबूती का जायजा लिया और फिर उछलकर क्रिस्टी ने अपना बांया पैर एक लट्ठे पर रखा।

क्रिस्टी के पैर रखते ही हर बार की तरह, उस लट्ठे का दूसरा सिरा तेजी से हवा में उठा। तभी क्रस्टी फिर हवा में उछली और इस बार उसने अपना दाहिना पैर दूसरे लट्ठे पर रखकर, अपना पहला पैर पहले लट्ठे से हटा लिया।


क्रिस्टी का पैर पहले लट्ठे से हटते ही पहला लट्ठा अपनी पुरानी स्थिति में आ गया। लेकिन तब तक दूसरा लट्ठा हवा में उठने लगा।

क्रिस्टी एक बार फिर उछली। अब उसने अपना बांया पैर फिर से पहले लट्ठे पर रख, दूसरे लट्ठे से पैर हटा लिया।

इस तरह से क्रिस्टी हर बार अपना एक पैर एक लट्ठे पर रखती और जैसे ही वह उठता उछलकर दूसरा पैर दूसरे लट्ठे पर रख देती। क्रिस्टी ऐसे ही उछल-उछल कर आगे बढ़ती जा रही थी।

ऐलेक्स आँखें फाड़े उस ‘जिमनास्टिक गर्ल’ को देख रहा था।
कुछ ही पलों में क्रिस्टी ने आसानी से उस नहर को पार कर लिया।

अब वह दूसरी ओर पहुंचकर ऐलेक्स को देखकर चिल्ला कर बोली- “अपना वादा याद रखना छोता बाबू।”

क्रिस्टी का यह अभूतपूर्व प्रदर्शन देख सभी ताली बजाने लगे। इन तालियों में एक ताली ऐलेक्स की भी थी।

अब ऐलेक्स के चेहरे पर मुस्कुराहट भी थी और क्रिस्टी के लिये प्यार भी था।

“आज क्रिस्टी ने यह साबित कर दिया कि शक्तियां होने से कुछ नहीं होता, दिमाग और शारीरिक शक्तियां ही बहुत हैं तिलिस्मा को तोड़ने के लिये।” सुयश ने क्रिस्टी की तारीफ करते हुए कहा।

“वो तो ठीक है कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने कहा- “पर अब हम लोग कैसे उस पार जायेंगे? अब ये सोचना है।”

“देखो क्रिस्टी की तरह फूर्ति हममें से किसी के भी पास नहीं है, इसलिये हमें कोई दूसरा तरीका सोचना पड़ेगा।” सुयश ने कहा- “यहां ना तो आसपास कोई बाँस का पेड़ है और ना ही किसी प्रकार की रस्सी।
इसलिये हम कूदकर और हवा में झूलकर नहीं जा सकते। अब अगर क्रिस्टी दूसरी ओर से लकड़ी के लट्ठे को किसी चीज से दबाकर रखे और उसे उस ओर से उठने ना दे, तो शायद काम बन सकता है।”

सुयश की बात सुन क्रिस्टी ने अपने चारो ओर नजरें दौड़ाईं, पर उसे लट्ठे पर रखने के लिये कुछ ना मिला। यह देख क्रिस्टी ने उस लट्ठे को अपने हाथों से दबा कर देखा।

क्रिस्टी को लट्ठे को दबाते देख सुयश ने फिर एक बार अपना पैर लट्ठे पर रखकर देखा, पर क्रिस्टी की शक्ति, लट्ठे के आगे कुछ नहीं थी।

लट्ठा क्रिस्टी सहित हवा में ऊपर की ओर उठा। यह देख क्रिस्टी ने लट्ठे से अपना हाथ हटा लिया।

“कैप्टेन... इसे किसी भी चीज से दबाकर नहीं रखा जा सकता, यह बहुत ज्यादा शक्ति लगा कर ऊपर उठ रहा है।“ क्रिस्टी ने कहा।

“कैप्टेन... क्यों ना अब हम पानी के रास्ते ही उधर जाने के बारे में सोचें?” तौफीक ने सुयश को सुझाव देते हुए कहा।

तौफीक का आइडिया सुयश को सही लगा, उसने हां में सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति दे दी।

अब तौफीक एक कम ढलान वाली जगह से उतरकर पानी की ओर बढ़ गया।

तौफीक ने एक बार सबको देखा और फिर अपना बांया पैर पानी में डाल दिया।

तौफीक के पैर डालते ही पानी तौफीक के शरीर से 3 फुट दूर हो गया।

“अरे, यह पानी तो अपने आप मेरे शरीर से दूर जा रहा है। इस तरह तो आसानी से यह नहर पार हो जायेगी” यह कह तौफीक ने अपना दूसरा कदम भी आगे बढ़ा दिया।

पानी अभी भी तौफीक के शरीर से 3 फुट की दूरी पर था। तौफीक ने यह देख उत्साह से 2 और कदम आगे बढ़ दिये।

पर जैसे ही तौफीक की दूरी किनारे से 3 फुट से ज्यादा हुई, पानी ने किनारे की ओर को फिर कवर कर लिया। अब तौफीक से पानी एक 3 फुट के दायरे में दूर था।

तभी चलता हुआ तौफीक रुक गया। अब उसके इस 3 फुट के दायरे में, पानी ऊपर की ओर उठने लगा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, तौफीक एक 3 फुट के जलकवच में बंद हो गया।

वह जलकवच पारदर्शी था, उसके पार की आवाजें भी तौफीक को सुनाई दे रहीं थीं, पर तौफीक अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी उस जलकवच से बाहर नहीं आ पा रहा था।

“तौफीक!” क्रिस्टी ने चीखकर कहा- “क्या तुम उस जलकवच के अंदर साँस ले पा रहे हो?”

क्रिस्टी की बात सुन तौफीक ने अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को ऊपर उठाकर हां में इशारा किया।

“यह मायाजाल तो कुछ ज्यादा ही खतरनाक दिख रहा है।” सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “अब ये भी पता चल गया कि हम पानी और हवा के माध्यम से आगे नहीं जा सकते। हमें इस लकड़ी के लट्ठे से ही होकर आगे जाना पड़ेगा।

“कैप्टेन!” जेनिथ ने कहा- “अभी तक हम लोगों ने इस लट्ठे पर अपना एक पैर रखा था, अगर हम एक ही लट्ठे पर अपने दोनों पैर रखें, तो क्या होगा?”

“यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा और उछलकर एक लट्ठे
पर अपने दोनों पैर रख दिये।

इस बार लट्ठे के दोनों किनारे तेजी से हवा में उठे और इससे पहले कि सुयश कुछ समझता, वह आसमान में ऊपर की ओर जाने लगे।

यह देख सुयश उस लट्ठे से पानी में कूद गया। सुयश तौफीक से 5 फुट की दूरी पर पानी में गिरा।

चूंकि नहर ज्यादा गहरी नहीं थी, इसलिये सुयश का पूरा शरीर दर्द से लहरा उठा, ईश्वर की दया से उसे कोई फ्रैक्चर नहीं हुआ।

सुयश के 5 फुट दूर गिरते ही तौफीक और सुयश दोनों एक ही जलकवच में आ गये, पर यह जलकवच अब 11 फुट बड़ा हो गया था।

यह देख जैसे ही तौफीक, सुयश की ओर बढ़ा, जलकवच का आकार, उन दोनों के पास आते ही छोटा होने लगा।

यह देख सुयश सोच में पड़ गया और उसने तौफीक से दोबारा दूर जाने को कहा।

तौफीक के देर जाते ही फिर जलकवच का दायरा बड़ा हो गया।

उधर जेनिथ उस नहर को पार ना कर पाते देख क्रिस्टी से बोल उठी-
“क्रिस्टी हम इस नहर को पार नहीं कर पा रहे हैं, इसलिये तुम भी अब इसी ओर आ जाओ, हम सब एक साथ बैठकर कुछ सोचते हैं।”

क्रिस्टी को जेनिथ की बात सही लगी, इसलिये वह वापसी के लिये दोबारा से उस लट्ठे की ओर चल दी।

पर जैसे ही क्रिस्टी उन लट्ठों के पास पहुंची, दोनों लट्ठों के बीच एक सुराख हो गया और उसमें से एक गाढ़े भूरे रंग का चिकना द्रव निकलकर पूरे लट्ठे पर फैल गया।

यानि अब क्रिस्टी भी वापस नहीं आ सकती थी। अगर वह इन लट्ठों से होकर वापस आने की कोशिश करती, तो इस बार वह भी फिसलकर नहर में गिर जाती।

यह देख शैफाली ढलान से उतरकर नहर के पानी के पास आ गयी। उसने अपनी शक्ति से अपना बुलबुले वाला कवच बनाया और पानी में उतरकर सुयश की ओर बढ़ गयी।

शैफाली को पूरा विश्वास था कि उसके बुलबुले पर नहर के जलकवच का कोई प्रभाव नहीं होगा, पर उसका सोचना गलत था।

जैसे ही उसकी दूरी नहर के किनारे से 3 फुट हुई, उसके बुलबुले को भी जलकवच ने पूरा घेर लिया।

अब शैफाली भी आगे नहीं बढ़ पा रही थी। यह देख शैफाली ने अपना बुलबुला गायब कर दिया।

अब इस किनारे पर सिर्फ जेनिथ और ऐलेक्स बचे थे। यह देख जेनिथ ने नक्षत्रा को पुकारा- “नक्षत्रा, क्या तुम्हारे पास इस जलकवच से बचने का कोई उपाय है?”

“मैं सिर्फ समय रोक सकता हूं, जिससे नहर का पानी का बहाव तो रुक जायेगा, परंतु मैं विश्वास के साथ नहीं कह सकता कि मैं जलकवच को बनने से रोक पाऊंगा।” नक्षत्रा ने कहा।

यह सुन जेनिथ ने कुछ सोचा और फिर बोल उठी- “कोई बात नहीं ...हम एक कोशिश तो करके देख ही सकते हैं...हो सकता है नहर के जल का प्रवाह रुकने से वह कवच बने ही नहीं?”

जेनिथ ने यह सोचकर ऐलेक्स को वहीं रुकने को कहा और स्वयं नहर के पानी की ओर बढ़ चली।
जेनिथ ने पानी के पास पहुंचते ही नक्षत्रा से कहकर समय को रुकवा दिया और स्वयं पानी में उतर गई।

जेनिथ के ऐसा करते ही पानी का प्रवाह तो रुक गया, पर जैसे ही उसने पानी में कदम रखा, पानी उससे भी 3 फुट दूर हटा।

जेनिथ इसके बाद भी आगे बढ़ती गई और कुछ ही पलों में वह भी जलकवच में फंस गई थी।

जलकवच पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।

अब सिर्फ ऐलेक्स और क्रिस्टी ही पानी से बाहर थे। जेनिथ ने स्वयं को भी फंसते देख समय को रिलीज कर दिया।

शैफाली बहुत देर से सभी की गतिविधियां देख रही थी, उसका दिमाग बहुत तेजी से चल रहा था।
अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया और वह अपने मन में ही कोई कैलकुलेशन करने लगी।

कैलकुलेशन के सॉल्यूशन पर पहुंचते ही उसके चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।

“सब लोग मेरी बात ध्यान से सुनो, मैंने इस नहर से बचने का एक उपाय निकाल लिया है।” शैफाली ने तेज आवाज में कहा।

शैफाली की आवाज सुन सभी ध्यान से शैफाली की ओर देखने लगे।

“जिंदगी में कभी-कभी हम किसी पहेली को बहुत बड़ा मान लेते हैं, और उसका जवाब ढूंढने के लिये बहुत ज्यादा दिमाग का इस्तेमाल करते हैं, जबकि उस पहेली का जवाब बहुत ही साधारण होता है। अब सब लोग जरा इस नहर को देखिये, इसमें जो भी प्रवेश करता है, नहर का पानी उससे 3 फुट दूर चला जाता है, पर जैसे ही उसकी दूरी किनारे से 3 फुट से ज्यादा हो जाती है, तो पानी एक जलकवच बना कर उसे अपने घेरे में ले लेता है। यानि अगर हम पानी को किनारे से दूर होने ही ना दें, तो हम आसानी से इस नहर को पार कर सकते हैं और ऐसा तभी हो सकता है, जब सभी लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लें और आखिरी इंसान की दूरी किनारे से बस 2 फुट की ही हो, तो हम सभी को जलकवच नहीं घेर पायेगा।

"इस हिसाब से देखें तो हम कुल 6 लोग हैं, यानि की अगर हम अपने एक दूसरे के हाथ पकड़ें तो 2 लोगों के बीच 6 फुट की दूरी हो जायेगी। और किनारे की दूरियां मिला कर कुल दूरी 34 फुट की हो जायेगी।
इस तरह से हम यह नहर आसानी से पार कर लेंगे। “

शैफाली का प्लान बहुत अच्छा था। तुरंत सबने उसके हिसाब से काम करना शुरु कर दिया।

ऐलेक्स सबसे पहले नहर में उतरा और किनारे से 2 फुट की दूरी रखकर जेनिथ की ओर अपने पैर बढ़ाये। जैसे ही वह जेनिथ के पास पहुंचा, जेनिथ का जलकवच गायब हो गया।

अब जेनिथ ने हाथ आगे बढ़ाकर शैफाली का हाथ थाम लिया। अब शैफाली का भी जलकवच गायब हो गया। इसी प्रकार शैफाली ने सुयश का और सुयश ने तौफीक का हाथ थाम लिया।

अब तौफीक का हाथ नहर के दूसरी ओर से मात्र 4 फुट दूर ही बचा था, पर क्रिस्टी ने दूसरी ओर से पानी में उतरकर वह दूरी भी खत्म कर दी।

अब सभी ने एकता की शक्ति दिखाकर एक मानव पुल का निर्माण कर दिया था।

अब क्रिस्टी सबसे पहले नहर से निकली और फिर एक दूसरे का हाथ थामें सभी नहर के दूसरी ओर पहुंच गये।

नहर पार करने के बाद सभी ने राहत की साँस ली।

“इस जलकवच के तिलिस्म ने हमें यह समझा दिया कि महाशक्तियां भी जहां पर फेल हो जातीं हैं, उस समय मानव मस्तिष्क के द्वारा ही जीता जा सकता है।” सुयश ने कहा- “और यह अभ्यास ये भी बताता है कि बिना एक दूसरे का साथ दिये हम तिलिस्मा नहीं पार कर पायेंगे।”

यह कहकर सुयश ने अपना हाथ फैलाकर अपनी मुठ्ठी को आगे बढ़ाया, जिस पर एक-एक करके सभी अपना हाथ रखते चले गये।

एकता की शक्ति ने आज सभी को बचा लिया था।

अब सभी की नजर उस सुनहरी झोपड़ी की ओर थी, जो कि शायद इस मायावन का आखिरी द्वार था, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होना था।

सभी झोपड़ी की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा_______✍️
Lo bhai, jal kavach bhi paar ho gaya sab ki sammilit shakti se, jaisa ki suyash bhi bol raha hai, tilisma me yahi sangathit sakti kaam aayegi. Aur wo jhopdi kahi wahi to nahi, jo jise vyom ne udte hue dekha tha?🤔
Khair, dekhte hain aage kya hota hai?
Mind blowing update sir ji 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
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Supreme
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304
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
Thank you very much for your valuable review and superb support bhai, sath bane rahiye :thankyou:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Lovely update brother! Kya Lufasa ko Makota se sandesh mila tha Roger aur baki sab logo ko laane ke liye???
Bechara Vilmer ki kismat hi kharab hai lagta hai wo Aakriti ke hathon maara jayega!!!
Let's see Shefali and team ka next episode mein kya hone wala hai!!!
Lufasa ne apni marji se hi unko chhudwaya hsi bhai:shhhh: Vilmar mara jayega? Ye to latest news hai😁 aisa hona to nahi chahiye, per ho bhi sakta hai . next episode bhi dimaak ki pariksha wala hi hoga dost👍 sathbane rahiye, Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thankyou:
 
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