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Bilkul madam, aage aapko or bhi romanchak update padhne ko milegaइंटरस्टिंग अपडेट सुयश भरसक प्रयास कर रहा है मुसीबतें कम करने को,
लेकिन कामयाब होता है या नहीं पढ़ते है आगे
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Bilkul madam, aage aapko or bhi romanchak update padhne ko milegaइंटरस्टिंग अपडेट सुयश भरसक प्रयास कर रहा है मुसीबतें कम करने को,
लेकिन कामयाब होता है या नहीं पढ़ते है आगे
Thank you very much for your valuable review bhaiShandar jabardast update![]()
Thanks brother for your valuable review and supportShandar jabardast update![]()
Aapne bilkul sahi kaha bhai, wo jahah hi aisi hai, kabhi bhi kuch bhi ho sakta haiBadhiya update
Suyesh ne sahi dimag lagakar sabko waps ka per laga diya ab dekhte han ki wo in sabse nikal pate han ya nahi kyonki ufo dubara bhi aa sakta ha or in per attack bhi ho sakta ha ya fir kuchh or mysterious ho jaye inki ship ke sath kyonki barmuda triangle koi aisi waisi jagah to ha nahi yahan se bachkar nikalna hi chamatkar se kam nahi goga In sabke liye
Bhut shandaar update..... case उलझन में phas gya hai# 12.
“हाँ तो मिस्टर जॉनी !“ सुयश ने जॉनी के सीने पर, अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से, चोट करते हुए कहा-
“सबसे पहले आप ये बताइए कि आप स्टेज पर लाश के बगल में क्या कर रहे हैं। और देखिए अगर मुझे लगा कि आप झूठ बोल रहे हैं, तो समझ लीजिए अब आपकी खैर नहीं।“
जॉनी समझ गया, कि यदि उसने अब झूठ बोला, तो वह और भी फंस जाएगा। इसलिए उसने टेपरिकार्डर की तरह ऑन हो कर सब कुछ सही-सही बता दिया। कहानी वही थी, जिसके बारे में सुयश को पहले से ही पता था। बस नहीं पता था, तो यह कि जॉनी किसे ‘किस‘ करना चाहता था। लेकिन अब जेनिथ का नाम उसके सामने था।
“तो तुम्हारा यह कहना है, कि तुम एक छोटी सी शर्त पूरी करने के लिए, यहां आए थे।“ सुयश ने जॉनी के चेहरे पर अपनी नजरें, एक्स-रे मशीन की तरह, गड़ाते हुए कहा।
जॉनी ने अपना सिर किसी हैंडपंप की तरीके से ऊपर-नीचे किया। चूंकि जॉनी की तलाशी में उनके हाथ कुछ नहीं लगा। इसलिए सुयश ने फिलहाल जॉनी को छोड़ इधर-उधर नजरें दौड़ाना शुरू कर दिया। अब सुयश की निगाहें जेनिथ पर थीं।
“मिस जेनिथ!“ सुयश ने जेनिथ को देखते हुए कहा- “आपको तो इस समय स्टेज पर होना चाहिए था। आप वहां कैसे पहुंच गयीं। सुयश की आवाज सुन, जेनिथ धीरे-धीरे चलती हुई स्टेज तक आ गई। एक बार उसकी नजरें लॉरेन की लाश पर पड़ी। लाश का चेहरा अब बड़ा डरावना लग रहा था।
लॉरेन की लाश देखकर, जेनिथ की आंखें भर आयीं। जेनिथ ने भी सुयश को तौफीक के पास पहुंचने तक की स्टोरी बतादी। तभी ब्रैंडन की नजर कालीन पर पड़े एक रिवाल्वर पर पड़ी-
“सर वह देखिए, वहां एक रिवाल्वर पड़ी है।“ सुयश सहित सभी का ध्यान उस रिवाल्वर की ओर चला गया। सुयश धीरे-धीरे चलता हुआ, उस रिवाल्वर तक पहुंचा और फिर जेब से रूमाल निकालकर, उस रिवाल्वर को रुमाल से पकड़कर हाथ में उठा लिया।
“इस रिवाल्वर की नाल गरम है।“ सुयश ने ऊंची आवाज में बोलते हुए कहा-
“इसका मतलब मर्डर इसी से हुआ है। यानी कि हथियार तो मिल गया। अब हमें तलाशी लेने की कोई जरूरत नहीं है।“
“कैप्टेन!“ लारा ने आगे आते हुए कहा- “हमें इस रिवाल्वर से फिंगरप्रिंट उठा लेने चाहिए। उससे अपराधी का पता चल सकता है।“
“मुझे नहीं लगता कि फिंगरप्रिंट उठाने से कोई फायदा होगा।“ सुयश ने रिवाल्वर को ध्यान से देखते हुए कहा।
“क्या मतलब?“ लारा ने हैरानी से सुयश को देखकर बोला।
“मतलब यह, कि मर्डर प्रीप्लान है।“ सुयश ने लारा की ओर देखते हुए कहा-
“और वैसी स्थिति में जबकि ये रिवाल्वर यहां पड़ा हुआ मिला है, तो मेरा दावा है, कि इस पर किसी प्रकार का कोई फिंगरप्रिंट नहीं होगा। यह तो मैंने वैसे ही सावधानी वश इसे रुमाल से उठाया था।“ लारा ने समझने वाले भाव से सिर हिलाया।
“फिर भी हमें एक बार, इस रिवाल्वर से फिंगरप्रिंट उठाने की कोशिश करनी होगी। क्या पता कोई सुराग मिल ही जाए?“ सुयश ने धीरे से खड़े होते हुए कहा। सुयश ने अब रिवाल्वर को फिर एक बार ध्यान से देखा। रिवाल्वर पर अमेरिकन कंपनी ‘कोल्ट‘ का लोगो लगा था। सुयश ने एक झटके से उसे खोल दिया। वह एक सिक्स राऊन्डर, लेटेस्ट रिवाल्वर थी। जिसमें 0.22 एम.एम. की गोलियां लगती थीं। रिवाल्वर के चेम्बर में 5 गोलियां अभी भी भरी थीं। जब रिवाल्वर से और कोई भी क्लू नहीं मिला तो सुयश ने रुमाल सहित वह रिवाल्वर लारा की ओर बढ़ाते हुए कहा-
“फिलहाल इसे लैब में भेज कर टेस्ट करवाइये। शायद कुछ हाथ लग ही जाए।“
“सर एक तरीका और है।“ लारा ने पुनः जोश में आकर सुयश से मुखातिब होकर कहा-
“कातिल को पकड़ने का। क्यों ना हम सबका पैरा फिन टेस्ट कर लें।“ सुयश ने ना समझने वाले भाव से लारा की ओर देखा।
“सर! पैराफिन टेस्ट यह जानने के लिए किया जाता है, कि किसने फायर आर्म चलाया है। जब गोली चलती है, तो उससे छिटकने वाले बारूद के कण, गोली चलाने वाले के हाथ पर भी आ जाते हैं। जो कि खाल में इस कदर पैवस्त हो जाते हैं, कि एक बार तो हाथ धोने से भी साफ नहीं होते। ऐसे हाथ को लिक्विड पैराफिन में डुबाया जाता है। पैराफिन सूख जाने पर, हाथ पर एक झिल्ली जैसी पतली पर्त बना देता है। जिसे हाथ पर से उतार लिया जाता है। इस तरह से खाल में जमे बारूद के सूक्ष्म कण, खाल से निकलकर पैराफिन में आ जाते हैं। बाद में पैराफिन से बनी उस झिल्ली को लैबोरेटरी में चेक किया जाता है। अगर उसमें बारुद के कण मिलते हैं, तो इसका मतलब जिसके भी हाथ का एग्जामिन किया गया है। उसने कोई फायर आर्म चलाया था। और विशेष बात है कि पैराफिन हमारी लैब में आसानी से मिल जाएगा।“
इतना कहकर लारा, कुछ क्षणों के लिए रुक कर, सुयश का चेहरा देखने लगा। सुयश, जो इतनी देर से लारा की सारी बातें ध्यान से सुन रहा था, उसने एक लंबी सांस छोड़ी और फिर बोल उठा-
“तुम्हारी बतायी ये पैराफिन टेस्ट वाली थ्योरी तो बहुत अच्छी है। लेकिन अगर किसी का पैराफिन टेस्ट पॉजिटिव रहा, तो यह कैसे पता चलेगा कि उसने फायर आर्म अभी हैंडल किया है या फिर चार-पांच घंटे पहले। क्यों कि यहां तो अक्सर निशानेबाजी के लिए लोग फायर आर्म हैंडल करते रहते हैं। और तुम्हारा यह कहना है, कि एक बार साबुन से हाथ धोने पर भी यह बारूद के कण हाथ से नहीं जाते हैं। फिर इससे समय का ठीक-ठीक अंदाजा कैसे लगेगा कि यह l रिवाल्वर कब चलाई गई थी।“
लारा के पास सुयश के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। अतः वह निरुत्तर हो चुप हो गया।
“और हां ! एक चीज और है।“ सुयश ने थोड़ा रुक कर फिर बोलना शुरु किया-
“जिसने भी रिवाल्वर का इस्तेमाल किया है। उसने गोली चलाकर रिवाल्वर को फेंक दिया है। जिसका सीधा सा मतलब निकलता है, कि रिवॉल्वर पर फिंगरप्रिंट नहीं होंगे और अगर रिवाल्वर पर फिंगरप्रिंट नहीं होंगे तो एक बात तो साफ है, कि रिवाल्वर चलाने वाले ने या तो रबड़ के दस्ताने पहने होंगे, या फिर रिवॉल्वर को रुमाल से पकड़ रखा होगा। और दोनों ही स्थितियों में पैराफिन रिपोर्ट में कुछ नहीं आने वाला। क्यों कि अगर हमारा सोचना सही है, तो बारूद के कण, रबड़ के दस्ताने पर या रुमाल पर गिर होंगे।“
लारा सहित स्टेज पर खड़े सभी लोग मंत्रमुग्ध से सुयश के तथ्यों को सुन रहे थे।
“लारा !“ सुयश कुछ देर सोचते रहने के बाद, लारा से मुखातिब होकर धीरे से बोला-
“सभी की तलाशी लो और अगर किसी के पास रबड़ के दस्ताने हों, तो वह अपने कब्जे में कर लो। और हाल में खड़े सभी लोगों के रुमाल पर उनका नाम लिखकर, उसे जमा करवा लो और उसके बाद सभी को जाने दो।“
सुयश ने बाद के सारे शब्द लारा से धीमे शब्दों में कहे, जिससे कि उसकी बातें सुनकर अपराधी पहले ही अपना रुमाल निकाल कर बाहर ना फेंक दे। लारा ने अपनी सिक्योरिटी के सारे लोगों को तलाशी में लगा दिया। बाहर निकलने वाले 2 दरवाजे खोल दिए गए। लेडीज और जेंट्स सिक्योरिटी वाले, अलग-अलग अपने काम को अंजाम देने लगे। कुछ देर बाद हॉल बिल्कुल खाली हो गया। जैसा कि सुयश ने सोचा था। वैसा ही हुआ, किसी के भी पास से रबड़ के दस्ताने नहीं मिले। अब पूरे हॉल में लारा, ब्रैंडन और सुयश के सिवा कोई नहीं था। क्यों कि सिक्योरिटी के आदमियों को भी सुयश ने जाने के लिए कह दिया था।
“सर!“ ब्रैंडेन ने सुयश की तरफ देखते हुए कहा-
“आपने रुमाल की भी तलाशी ली। यह भी तो हो सकता है, कि अपराधी ने तलाशी के पहले ही अपना रुमाल कहीं फेंक दिया हो।“
“होने को तो कुछ भी हो सकता है।“ सुयश ने ब्रैंडन की ओर देखते हुए कहा- “लेकिन अपराधी इतना बेवकूफ नहीं हो सकता कि इतनी भीड़ में अपना रुमाल निकाल कर फेंके। क्यों कि अगर ऐसा करते हुए किसी की भी नजर उस पर पड़ जाती तो वह समय से पहले ही फंस जाता।“ ब्रैंडन ने सुयश की बातें सुन, अपना सिर सहमति से हिलाया।
“सर, मुझे एक बात समझ में नहीं आई।“ लारा ने उलझन भरे स्वर में कहा।
“क्या ?“ सुयश ने लारा से पूछा।
“जिसने भी गोली चलाई है। उसने अंधेरे में गोली चलाई है। तो इसका मतलब कि वह बहुत बड़ा निशानेबाज है। क्यों कि अंधेरे में किसी पर गोली चलाकर, उसे मारना हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन समझ में मुझे यह नहीं आया, कि गोली तो लाइट ऑफ होने के लगभग 20 सेकंड के बाद चली है, तो फिर कातिल को इतना सटीक अंदाजा कैसे हो गया ? कि लॉरेन इस समय वहीं खड़ी है क्यों कि लाइट ऑफ होने से पहले और लाइट ऑफ होने के बाद, लगभग हर आदमी की स्थिति में परिवर्तन हुआ था।“
“क्या मतलब?“ सुयश ने प्रश्न भरी निगाहें लारा पर डाली- “मैं कुछ समझा नहीं ?“
“मतलब साफ है सर या तो गोली किसी और के लिए चलाई गई थी और वह गलती से लॉरेन को लग गई या फिर कोई ऐसी चीज जिससे कि उसको लॉरेन की सही स्थिति का पता चल रहा था।“ लारा ने सुयश को समझाते हुए कहा। इस बार सुयश की आंखों में चमक सी आ गई। वह धीरे-धीरे चलता हुआ पुनः लॉरेन की लाश के पास पहुंच गया और उसे गौर से देखने लगा। कुछ देर देखते रहने के बाद सुयश की निगाह, लॉरेन की लाश के गले में पड़े लॉकेट पर थी। कुछ देर तक वह ध्यान से लॉकेट को देखता रहा। फिर उसने धीरे से आगे बढ़कर लॉकेट को, लॉरेन के गले से निकाल लिया। अब वह लॉकेट को लेकर हॉल के एक कोने में पहुंचा और वहां पर लगे लाइट के बटनों को एक-एक करके ऑफ कर दिया।
एक क्षण के लिए पुनः पूरे हॉल में अंधेरा हो गया। लेकिन उस अंधेरी जगह में भी, वह लॉकेट तेजी से चमक रहा था और अब उसके साथ चमकने लगी थीं, सुयश की आंखें भी। सुयश ने पुनः पूरे हॉल की लाइट को ऑन कर दिया और पलट कर वापस ब्रैंडन और लारा के पास पहुंच गया।
जारी रहेगा.......![]()
Satya vachan mitra, ab to fas hi gaya samjho, bhai thanks brother for your valuable reviewBhut shandaar update..... case उलझन में phas gya hai
Wow#4
चैपटर-2
23 दि सम्बर 2001, रविवार, 22:30; “सुप्रीम”
कैप्टन सुयश को वायरलेस रूम में प्रवेश करते देख, ऑपरेटर ने ईयरपीस कान से हटाकर, अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया ।
“कैप्टन! आपके लिए न्यूयॉर्क बंदरगाह से कोई मैसेज है।“ ऑपरेटर ने कैप्टन सुयश को देखते हुए कहा । कैप्टेन सुयश तुरंत ऑपरेटिंग कुर्सी पर बैठते हुए, ऑपरेटर से ईयरपीस लेकर अपने कानों पर चढ़ा लिया ।
“हैलो -हैलो ! सुप्रीम कॉलिंग डेल्टास्टार।“ कैप्टेन सुयश ने कहा ।
“डेल्टास्टार कॉलिंग सुप्रीम।“ इयरपीस पर उधर से आती हुई एक महीन सी आवाज सुनाई दी-
“हम आपकी आवाज सुन रहे हैं। क्या आप कैप्टन सुयश बोल रहे हैं? ओवर!“
“यस! मैं सुप्रीम से कैप्टन सुयश बोल रहा हूं। ओवर!“
“कैप्टेन! मैं न्यूयॉर्क के बंदरगाह से बोल रहा हूं। अभी-अभी हमें इंटरपोल द्वारा विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है, कि आपके शिप पर कुछ खतरनाक अपराधी भी सफर कर रहे हैं। उनके पास खतरनाक हथियार भी हो सकते हैं। इसलिए इंटरपोल ने हमें तुरंत आपको यह मैसेज भेजने के लिए कहा है। ओवर!“
“खतरनाक अपराधी !“ कैप्टेन सुयश आश्चर्य से भर उठा- “वो भी खतरनाक हथियार के साथ। कैप्टन सुयश ने 1 सेकेंड रुक कर फिर कहा-
“क्या आप हमें बता सकते हैं? कि वह संख्या में कितने हैं? या वह दिखने में कैसे हैं? या फिर कोई उनकी ऐसी पहचान, जो उन को पकड़वाने में मदद कर सके? ओवर!“
“हमें अभी तक इस तरह की कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है।“ उधर से आवाज आयी- “वो एक से लेकर दस तक की संख्या में भी हो सकते हैं। वह आदमी या औरत में भी हो सकते हैं। ओवर!“
“तो फिर हम इतनी भीड़ में उन्हें पहचानेंगे कैसे?“ कैप्टन सुयश ने व्यग्र स्वर में कहा- “ओवर!“
“हमें तो जितना पता था, उतना हमने बता दिया। आगे जैसे ही हमें इंटरपोल से कोई अन्य मैसेज मिलेगा, हम आपको जरूर बताएंगे। आगे हम इतना ही कह सकते हैं, कि यदि आप उन्हें पहचान कर पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं, तो फिर अगले स्टॉपेज पर उन्हें इंटरपोल के हवाले कर दीजिएगा ।“ कुछ क्षण रुककर उधर से पुनः आवाज आई-
“आपको और कोई सवाल पूछना है? ओवर!“
“नहीं ! ओवर एण्ड आउट।“ इतना कहकर कैप्टन सुयश ने संबंध विच्छेद कर दिया । तभी पास में खड़े असिस्टेंट कैप्टन रोजर, जोनाजा ने कब आकर पीछे खड़ा हो गया था, और इतनी देर से उनकी आधी अधूरी बातें सुन रहा था, उसने पूछ लिया -
“क्या बात है कैप्टन? आप कुछ परेशान से दिख रहें हैं। क्या बात हुई? सब ठीक तो है ना ?“ कैप्टन सुयश ने रोजर की बात अनसुनी कर, वायरलेस रूम से बाहर निकलते हुए कहा-
“सिक्योरिटी इंचार्ज लारा को लेकर तुरंत मेरे केबिन में आओ रोजर।“
23 दिसम्बर 2001, रविवार, 23:15; “सुप्रीम”
इस समय असिस्टेंट कैप्टन रोजर व सिक्योरिटी इंचार्ज लारा, दोनों ही कैप्टन सुयश के सामने बैठे थे।
“मैं आप लोगों से वायरलेस पर हुई सारी बातें बता चुका हूं।“ सुयश ने चिंतित स्वर में रोजर व लारा की तरफ देखते हुए कहा- “अब आप ही बताइए, कि इतने बड़े शिप पर अपराधियों को कैसे ढूंढा जा सकता है?“
कुछ क्षणों के लिए तीनों के बीच सन्नाटा छा गया। इस लंबे खिंच रहे सन्नाटे को तोड़ा , रोजर की आवाज ने-
“कैप्टन! सबसे पहले हमें अपराधी को पहचानने के लिए, कोई प्लान बनाना होगा । क्यों कि ऐसे तो शिप में कुल 2700 यात्री सफर कर रहे हैं। अब इसमें से किसी विशेष व्यक्ति की पहचान कर पाना बिल्कुल असंभव है। और वह भी तब जबकि हमें उसके बारे में कुछ ना पता हो।“
“यही तो मैं भी कहना चाहता हूं।“ सुयश ने चिंतित स्वर में उठकर चहल कदमी करते हुए कहा -
“पर, प्लान क्या बनाएं?“ पुनः कमरे में एक तीव्र सन्नाटा व्याप्त हो गया। घड़ी की सुईयों की तरह टक-टक करता हुआ, सभी का दिमाग तेजी से चल रहा था। पुनः रोजर की आवाज ने सन्नाटे को तोड़ा-
“कैप्टन! सबसे पहले हमें यह पता लगाना होगा कि अपराधियों की संख्या कितनी है?“
“मैं कहता हूं कि अपराधियों की संख्या 5 है।“ लारा ने रोजर को देखते हुए कहा- “लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। सबसे बड़ी प्रॉब्लम तो अपराधी का पता लगाने की है, ना कि उनकी संख्या जानने की।“
“फर्क पड़ता है।“ रोजर ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा- “क्यों कि, यदि अपराधी ज्यादा संख्या में है, तो वह सारे एक जगह पर कमरे नहीं लिए होंगे। और ना ही वह ग्रुप में बैठते होंगे।“
“क्या कहना चाहते हैं आप?“ सुयश ने रोजर की ओर देखते हुए कहा ।
“कहने का मतलब यह है कैप्टन कि सबसे पहले इतने बड़े शिप में हमें ग्रुप बनाने होंगे। कि कौन सा व्यक्ति अपराधी हो सकता है? और कौन नहीं । ग्रुप से मेरा मतलब यह है, कि यदि कोई आदमी अपने बच्चों के साथ सफर कर रहा है। तो हमारी समझ से वह अपराधी नहीं हो सकता। इसलिए उसे हम अपने ग्रुप से बाहर कर देंगे और हम उसे नहीं चेक करेंगे।“
“वेरी गुड!“ सुयश ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “अच्छा, अब हमने उन आदमियों को अपने ग्रुप से बाहर करना है, जो ग्रुप बना कर बैठते हैं, क्यों कि अपराधी कभी ग्रुप में नहीं बैठेगा।“
“बिल्कुल ठीक कैप्टन।“ रोजर खुशी से बोला- “यही तो मैं कहना चाह रहा था। अब हम बिल्कुल सही लाइन पर बढ़ रहे हैं।“
“जिनके साथ बूढ़ी महिलाएं हैं, गौरतलब है सिर्फ बूढ़ी महिलाएं।“ लारा ने महिला शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए कहा-
“क्यों कि बूढ़ा आदमी तो अपराधी हो सकता है, पर बूढ़ी महिला नहीं। ऐसे लोगों को भी हमें अपने ग्रुप से बाहर कर देंगे।“
“अब हमें कोई ऐसी निशानी ढूंढनी है, जो साधारण आदमी में तो आसानी से ना मिलती हो पर हर अपराधी में पाई जाती हो।“ सुयश ने दिमाग पर जोर डालते हुए, रोजर व लारा की तरफ देखते हुए कहा। एक बार फिर केबिन में सन्नाटा छा गया । सभी अपने-अपने दिमाग का पूरा इस्तेमाल कर रहे थे। पुनः रोजर ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया-
“सर! सारे अपराधी हथियार चलाना जानते हैं। पर सारे यात्री हथियार नहीं चला सकते।“
“मार्वलश!“ सुयश की आंखों में यकायक जैसे हजार वाट का बल्ब जल गया हो। लारा की आंखों में भी रोजर के लिए प्रशंसा के भाव थे।
“लेकिन सर!“ लारा के शब्दों में व्यग्रता झलक रही थी-
“यह कैसे पता करेंगे? कि कौन सा यात्री हथियार चला लेता है? और कौन नहीं ?“
“यह पता करना तो बहुत आसान है।“ सुयश ने लारा को देखते हुए कहा-
“हम शिप पर एक निशाने बाजी की प्रतियोगिता रखेंगे। सभी लोगों से यह कह दिया जाएगा, कि यह मात्र मनोरंजन के लिए है। जिसको-जिसको निशानेबाजी का शौक है। वह हमारी इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है। और मेरा यह दावा है कि जो भी अपराधी शिप में है, वह इस प्रतियोगिता में भाग अवश्य लेगा। लेकिन परेशानी यह है, कि अगर वह पूछेंगे कि यह प्रतियोगिता किस उपलक्ष में की जा रही है, तो उन्हें हम क्या जवाब देंगे।“
“तो इसमें सोचने वाली क्या बात है?“ लारा ने कहा- “आज 23 दिसंबर है। आज से ठीक 2 दिन बाद क्रिसमस का त्यौहार है। सभी लोग उसकी पार्टी तो मनाएंगे ही .... इसी में हम प्रतियोगिता भी करा देंगे।“
“तो बिल्कुल फाइनल रहा।“ सुयश ने ’थम्बस-अप’ की स्टाइल में अपनी मुट्ठी को बंद कर, अंगूठा ऊपर करते हुए, जोरदार झटके से हाथ हिलाया-
“कल मैं सभी लोगों को यह अनाउंस कर दूंगा। और हां लारा तुम अपनी सिक्योरिटी के सभी आदमियों को अलर्ट कर दो कि वह सभी यात्रियों पर कड़ी नजर रखें।“
इतना कहकर सुयश ने अपनी इस छोटी सी मीटिंग का समापन किया। रोजर व लारा भी चुपचाप कमरे से निकल गए।
जारी रहेगा……....![]()
Strang qualities she possesses jo maine pahle hi kaha tha ki yadi Shefali janm se hi blind hai to uske baki sense organs bahut strong honge!!#5
24 दिसम्बर 2001, सोमवार, 09:30; “सुप्रीम”
आज सुबह से ही शिप का डेक, पूरी तरह भर गया था । मौसम आज भी साफ था । सूर्य की स्निग्ध सी किरणें समुद्र की लहरों से टकरा कर, एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रहीं थीं । सुप्रीम पूरे जोश से
समुद्र का सीना चीरता हुआ, अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा था । प्रोफेसर अलबर्ट, अपनी पत्नि मारिया के साथ एक एकांत जगह ढूंढकर आराम से बैठे थे।
“कितना अच्छा लग रहा है ना मारिया।“ अलबर्ट ने सुनहली धूप पर एक नजर डालते हुए कहा -
“शहर की चीख-पुकार से भरी जिंदगी से दूर, अकेले तन्हाई में बैठना। ना कोई काम करने की टेंशन, न ही पैसे के पीछे भागने वाली जिंदगी। सभी कुछ सुकून से भरा हुआ।“
“सही कह रहे हैं आप।“ मारिया ने भी अलबर्ट की हां में हां मिलाई-
“आपका दिन-रात अपने शोध के पीछे इस तरह भागना । हमें तो बात करने का भी समय नहीं मिल पाता था । अब तो आज को देखकर बस दिल यही कहता है, कि यहीं कहीं आस-पास किसी सुनसान द्वीप पर चल कर रहा जाए। जहां पर हमारे और आपके सिवा और कोई इंसान ना हो।“
“सच! आज जिंदगी को देखकर यह लगता है कि मैंने अपने पूरे जीवन में
आखिर क्या हासिल कर लिया ?“ अलबर्ट ने खड़े होते हुए, एक लंबी सांस लेते हुए कहा-
“जवानी से आज तक भागता रहा,..... भागता रहा...... सिर्फ भागता रहा। किस चीज के पीछे ......पता नहीं ?.....क्या पाया? ...........मालूम नहीं। क्या यही जिंदगी थी ?“
थोड़ी देर रुक कर अलबर्ट ने मारिया को सूनी आंखों में झांकते हुए, पुनः कहना शुरू किया-
“आज हमारी शादी को लगभग 40 साल होने वाले हैं। लेकिन आज तक मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया। यहां तक कि वक्त भी नहीं।“
बोलते-बोलते अलबर्ट इतना भावुक हो गया, कि उसकी आंखों की दोनों कोरों में पानी आ गया। फिर वह धीरे से चलकर मारिया के पास आया और उसकी तरफ अपना दाहिना हाथ बढ़ा दिया। मारिया ने भी अपना दांया हाथ उठाकर अलबर्ट के हाथ पर रख दिया अलबर्ट के थोड़ा सहारा देते ही, मारिया उठकर खड़ी हो गई। अलबर्ट ने उसका हाथ, इस तरह से थाम लिया, मानो अब वह पूरी जिंदगी इसे ना छोड़ने वाला हो। धीरे-धीरे चलते हुए दोनों डेक की रेलिंग तक पहुंच गये। दोनों ही शांत भाव से इस तरह से सागर को निहार रहे थे। मानो वह इनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव हो।
“अब तुम बिल्कुल फिक्र ना करना मारिया।“ अलबर्ट ने खामोशी तोड़ते हुए कहा-
“आज से मैं दिन-रात तुम्हारे साथ रहूंगा। तुम जो कहोगी, मैं वही करूंगा। अब तो मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी।“
“इन बातों और इन लहरों को देखकर तुम्हें कुछ याद नहीं आता अलबर्ट।“ मारिया ने अलबर्ट को बीते दिनों की याद दिला ते हुए कहा। अलबर्ट ने सोचनीय मुद्रा में दिमाग पर जोर डाला। पर उसे कुछ समझ नहीं आया कि मारिया किस बात को याद दिलाने की कोशिश कर रही है। अन्ततः उसने सिर हिलाकर पूछा-
“क्या ?“
“हम लोग लगभग 40 साल पहले एक ऐसे ही शिप पर पहली बार मिले थे और उसके कुछ दिनों बाद, तुमने मुझसे यही शब्द बोले थे कि’ अब मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी’ और उसके कुछ दिनों बाद हम लोगों ने शादी भी कर ली थी।“
“वह दिन तो कुछ और ही थे।“ अलबर्ट भी शायद अतीत के कोने में चला गया-
“तब तो मैं कॉलेज में दोस्तों के साथ शायरी भी लिखा करता था। और........और तुम्हें वो शायरी याद है, जो मैंने तुम्हें पहली बार लिखकर सुनाई थी।“
एकदम से अलबर्ट बीते दिनों को याद कर खुशी से झूम उठा। उसे एकदम से लगने लगा, कि वह फिर से जवान हो गया। लेकिन इससे पहले कि वह किसी कालेज ब्वाय की तरह शायरों के अंदाज में शायरी कर पाता, माइकल को उधर आते देखकर, सामान्य हो गया। अलबर्ट
की इस स्टाइल पर मारिया को इतनी तेज हंसी आई कि हंसते-हंसते उसका बुरा हाल हो गया।
“क्या बात है अलबर्ट सर! मैडम बहुत तेज हंस रहीं हैं? क्या हो गया ?“ माइकल ने आते ही पूछ लिया।
“कुछ नहीं बेटे ! कुछ पुरानी बातें याद आ गई थीं।“ अलबर्ट ने जवाब दिया-
“उन्हें छोड़ो, अपनी सुनाओ, आजकल क्या चल रहा है?“
“फिलहाल सिडनी वापस जा रहा हूं सर। .......“ बोलते-बोलते रुक कर
माइकल ने हवा में हाथ मिलाया जो कि एक इशारा था, दूर खड़े शैफाली व मारथा को उधर बुलाने का।
“अच्छा ! यही है तुम्हारा परिवार।“ अलबर्ट ने मारथा व शैफाली पर नजर डालते हुए कहा-
“और ये है तुम्हारी बच्ची शैफाली। जिसके बारे में अक्सर तुम मिलने पर मुझे बताया करते थे।“ तब तक दोनों नजदीक आ गए थे। मारथा ने सिर झुका कर बारी-बारी से अलबर्ट व मारिया को अभिवादन किया।
आते ही शैफाली ने अंदाजे से अलबर्ट की ओर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा-
“हैलो ग्रैंड अंकल!“
“ग्रैंड अंकल........।“ अलबर्ट यह शब्द सुन आश्चर्य से भर उठा- ये ग्रैंड अंकल क्या होता है बेटे ? ग्रैंड फादर तो सुना है, पर यह ग्रैंड अंकल.....।“
“मैं तो आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी। क्यों कि डैड के जितने दोस्त आते हैं वह मेरे अंकल हुए। तो आप तो मेरे डैड के भी सर हो और ग्रैंड भी। इसलिए मैं आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी।“ शैफाली नें तर्क देते हुए कहा।
“अच्छा-अच्छा ठीक है। तुम मुझे ग्रैंड अंकल ही कहना।“ अलबर्ट ने सिर हिलाते हुए कहा।
“तुमने जैसा इसके बारे में बताया था।“ अलबर्ट ने माइकल से मुखातिब होकर कहा- “यह ठीक वैसी ही है।“
तभी शैफाली ने दोनों को बीच में टोकते हुए कहा- “ग्रैंड अंकल आप के बाएं कंधे पर एक चींटी चल रही है, उसे हटा लीजिए।“
“व्हाट! अलबर्ट ने आश्चर्य से पहले शैफाली की तरफ देखा। फिर अपने बाएं कंधे पर, जिस पर वास्तव में एक चींटी चल रही थी। उसने चींटी को कंधे से झाड़ कर दोबारा शैफाली की ओर देखा -
“बेटे तुम्हें तो दिखा ई नहीं देता। फिर तुमने कैसे जाना कि मेरे बाएं कंधे पर चींटी चल रही है?“ अलबर्ट ने विस्मय से शैफाली की तरफ देखते हुए कहा।
“अरे ग्रैंड अंकल! आपने कभी चींटियों को एक कतार में चलते देखा है।“ शैफाली ने अलबर्ट से उल्टा सवाल कर दिया-
“अगर हां ! तो आप यह बताइए कि वह एक कतार में क्यों चलती हैं?“
“सभी चींटियां ‘फेरोमोंस‘ नामक एक विशेष प्रकार की गंध छोड़ती हैं।“ अलबर्ट में अपने ज्ञान का पूरा परिचय देते हुए कहा-
“जिससे उसके पीछे आने वाली
चींटियां उस गंध का अनुसरण करती हुई चलती हैं।“
“बिल्कुल ठीक कहा आपने ग्रैंड अंकल! शैफाली ने चुटकी बजाते हुए कहा-
“तो जो चींटी आपके कंधे पर चल रही थी। वह भी गंध छोड़ती हुई चल रही थी। जिसे सूंघकर मैंने जान लिया, कि एक चींटी आपके कंधे पर है।“
“यह कैसे संभव है?“ अलबर्ट बिल्कुल हैरान रह गया -
“तुम्हें चींटी की गंध कैसे मिल गई। वह तो इतनी हल्की होती है, कि चींटी के अलावा, अन्य बड़े जानवर भी उसे सूंघ नहीं पाते।“
“आपको कैसे पता कि अन्य जानवर उसे सूंघ नहीं पाते?“ शैफाली ने एक प्रश्न का गोला और दाग दिया -
“यह भी तो हो सकता है कि उसे जानवर सूंघ लेता हो पर वह सुगंध उसके मतलब की नहीं रहती, इसलिए वह उस पर ध्यान ना देता हो।“
“हो सकता है ।“ अलबर्ट ने गड़बड़ा कर जवाब दिया- “पर तुम्हें कैसे उसकी गंध मिल गयी ?“
“ग्रैंड अंकल! क्यों कि मैं जन्म से ही अंधी हूं। इसलिए मुझे हर चीज का अनुमान लगाना पड़ता है। जिसके कारण मेरी नाक व कान की इंद्रियां बहुत तीव्र हो गई हैं। मैं जो चीजें सुन व सूंघ सकती हूं, उसे सामान्य आदमी नहीं कर सकता।“
“बड़े आश्चर्य की बात है। मैंने सिर्फ इस बारे में सुना ही था।“ अलबर्ट लगातार विस्मय से बोल रहा था-
“देख पहली बार रहा हूं। अच्छा ये बताओ कि तुम्हें यह कैसे पता चला ? कि वह चींटी, मेरे बांए कंधे पर है।“
“सिंपल सी बात है ! शैफाली ने शांत स्वर में जवाब दिया - “आपने थोड़ी देर पहले मुझसे बात की। जिससे मैं आपकी आवाज सुनकर यह जान गई कि आपकी लंबाई 5 फुट 9 इंच है। आपके मुंह से निकलती आवाज और चींटी के बीच की खुशबू के बीच की दूरी लगभग 6 इंच थी। और आपके बांई तरफ से आ रही थी। जिससे यह पता चला कि वह चींटी आप के बांए कंधे पर है।“
“लेकिन बेटा ! यह भी तो हो सकता था कि मेरे बगल तुम्हारे डैड खड़े हैं। वह चींटी उनके कंधे पर भी तो हो सकती थी।“ अलबर्ट ने अब दिलचस्पी लेते हुए शैफाली का पूरा इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया।
“हो सकती थी ।......... जरूर हो सकती थी । परंतु आप इधर-उधर टहल कर बात कर रहे थे और जैसे-जैसे आप घूम रहे थे। वैसे-वैसे चींटी की गंध भी कम या ज्यादा हो रही थी । जबकि मेरे डैड एक ही स्थान पर खड़े हो कर बात कर रहे हैं।“
अब अलबर्ट का सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर, पूरा का पूरा शैफाली की बातों में लग गया, मानो उसे अपने शोध का एक हथियार मिल गया हो।
“अच्छा बेटे! यह बताओ कि मेरे पैंट की दाहिनी जेब में क्या है?“ अलबर्ट ने पूरा परीक्षण लेते हुए कहा।
“आपकी दाहिनी जेब में एक लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ रखी है।“ शैफाली ने निश्चिंत हो कर जवाब दिया । अलबर्ट शैफाली की बात को सुनकर भौचक्का सा खड़ा रह गया। क्यों कि उसकी पैंट की दाहिनी जेब में, वास्तव में लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ थी।
“बेटे! यह तुमने कैसे जाना ?“ अलबर्ट ने शैफाली से सवाल किया।
“आपके चलने से बार-बार डिबिया के अंदर रखी सौंफ डिबिया की दीवार से टकरा कर एक ध्वनि उत्पन्न कर रही थी। अगर डिबिया, प्लास्टिक की होती तो वह ध्वनि थोड़ी दूसरे तरीके से आती। इस तरह से बार-बार सौंफ का डिबिया से टकराना, यह साबित करता है, कि उसमें जो भी चीज है, वह बहुत छोटे-छोटे कणों में है।“
“छोटे-छोटे कणों में तो कुछ भी हो सकता है?“ अलबर्ट ने शैफाली की बात को काटते हुए कहा - “फिर यह कैसे जाना कि उसमें सौंफ ही है।“
“आपके मुंह से आती सौंफ की खुशबू से, जो लगभग 1 घंटे पहले आपने खाई थी।“ शैफाली ने कहा। शैफाली का हर जवाब अलबर्ट को आश्चर्य से भर रहा था । अब लगा जैसे अलबर्ट को कोई नया खेल मिल गया हो। उसने पास से जा रहे वेटर को रोककर, उसकी फल वाली टोकरी से एक सेब व एक अमरुद निकाल लिया । फिर वेटर से चाकू लेकर सेब व अमरुद को शैफाली के सामने रखा । और फिर अमरूद के चार टुकड़े कर दिए।
“बेटे! यह बताओ कि तुम्हारे सामने अभी-अभी मैंने एक सेब को काटकर कुछ टुकड़ों में बांट दिया है। क्या तुम बता सकती हो ? कि मैंने सेब के कितने टुकड़े किए हैं?“ अलबर्ट ने झूठ बोलते हुए शैफाली से सवाल किया।
“आप झूठ बोल रहे हैं ग्रैंड अंकल!“ शैफाली ने मुस्कुरा कर कहा- “कि आपने सेब के टुकड़े किए हैं। आपने सेब के बगल में रखे अमरूद के चार टुकड़े किए हैं। सेब के नहीं । क्यों कि सेब के कटने से अलग तरह की ध्वनि होती है और अमरूद के कटने से अलग तरह की ध्वनि । और जो चीज ताजा कटती है, उसकी खुशबू ज्यादा तेज होती है।“
उसके जवाबों को सुनकर अब मारिया भी उत्सुकता से उसकी तरफ देखने लगी । इस बार अलबर्ट ने शैफाली के सामने जा कर, बिना हाथ उठाए पूछा-
“ये कितनी उंगली हैं?“
“पहले उंगली तो उठा लीजिए ग्रैंड अंकल! क्यों कि आपकी आवाज बिना किसी अवरोध के मुझ तक आ रही है।“ शैफाली ने चहक कर जवाब दिया ।
अलबर्ट ने वहीं पास में पड़ा एक पतला लोहे का पाइप उठा कर, अपने व शैफाली के चेहरे के बीच लाते हुए कहा-
“अच्छा ! अब ये बताओ। ये कितनी उंगलियां हैं?“
“ये उंगली नहीं, लोहे का पाइप है।“ शैफाली ने जवाब दिया - “क्यों कि आपकी आवाज इससे टकरा कर, मेरे पास पहुंच रही है। और जब आपकी आवाज इससे टकराती है, तो इसमें बहुत हल्के से कंपन हो रहे हैं। वह कंपन झनझनाहट के रूप में मुझे सुनाई दे रहे हैं।“
अलबर्ट के पास हाल-फिलहाल अब कोई सवाल नहीं था। अतः वह चुप रहा । अलबर्ट अब विस्मय से एकटक, चुपचाप शैफाली को इस तरह निहारने लगा मानो वह धरती का कोई प्राणी ना होकर, अंतरिक्ष से आया कोई जीव हो ।
“लगता है ग्रैंड अंकल के पास सवाल खत्म हो गए।“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पूछ लिया ।
“अब मैं आप से पूछती हूं।“ शैफाली ने इस बार अलबर्ट की आंखों के सामने, अपने दाहिने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछा- “ये कितनी उंगलियां हैं?“
अलबर्ट ने अजीब सी नजरों से पास खड़े माइकल, मारथा व मारिया को देखा । उसकी आंखों में प्रश्नवाचक निशान साफ झलक रहे थे।
“आपने बताया नहीं ग्रैंड अंकल! यह कितनी उंगलियां हैं?“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पुनः अपने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछ लिया ।
“पाँच! अलबर्ट ने अजीब से भाव से जवाब दिया ।
“बिल्कुल गलत!“ शैफाली ने तेज आवाज में हंस कर कहा-
“अरे ग्रैंड अंकल ! उंगलियां तो चार ही हैं। एक तो अंगूठा है। और अंगूठे की गिनती उंगलि यों में नहीं करते।“
अलबर्ट ने धीरे से जेब से रुमाल निकालकर अपने माथे पर आए पसीने की बूंद को पोंछा और फिर माइकल की तरफ घूमता हुआ बोला-
“बाप ... रे .... बाप ...... ये लड़की है या शैतान की नानी । मुझे ही फंसा दिया।“
अलबर्ट के इतना कहते ही शैफाली को छोड़ बाकी सभी के मुंह से हंसी का एक जबरदस्त ठहाका फूट निकला ।
जारी. रहेगा.........![]()