इतना तो स्पष्ट है कि आर्यन और शलाका आपस में प्रेम करते हैं, और ऐमू भी उन दोनों के बीच की कड़ी है।
लेकिन ऐसे में 'आकृति' कहाँ से दोनों में बीच में टपक पड़ी?
लगता है आर्यन को ब्रह्मकलश नहीं मिल पाया। इसीलिए अब इतने वर्षों के बाद वो सुयश बन कर सामने है।
शलाका को ब्रह्मकलश की आवश्यकता नहीं क्योंकि वो स्वयं ही देवकन्या है।
एक बात का खटका ज़रूर है मन में -- सुप्रीम पर हुए खून का अब इस कहानी से कोई लेना देना है भी या नहीं?
अद्भुत लेखन भाई! अद्भुत!
इस बात को कितनी बार भी लिखें / कहें, कम है। बहुत बढ़िया... अति उत्तम!
1.अब प्रेम तो वो आपस में करते ही है। इसका हिंट मैने पहले भी दिया था।

ऐमू को आर्यन ने बचाया ओर साथ ले गए।,
2.आकृति का संबंध भी वहीं से है मित्र,

आगे आने वाले अपडेट में स्पष्ट कर देंगे। आप तो साथ बने रहो बस।

3.ब्रह्म कलश का किस्सा फिर कभी

अभी इस से ज्यादा नहीं बता सकते सर
आपके शब्दों ओर रिव्यू के लिए बोहोत बोहोत आभार प्रकट करता हूं भाई साहब

