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intezaar rahega....Agla update kal aayega![]()
Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....Agla update kal aayega![]()
intezaar rahega....
Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....
Romanchak Update![]()
वाह क्या सुपर शक्ति मिली है एलेक्स को
Nice update.....
Shaandar Update![]()
nice update
#131
बिल्कुल -- शलाका जैसी शक्तिशाली ‘देवी’ के उत्साहपूर्ण शब्दों को सुन कर इस दल में उत्साह की नई ऊर्जा का संचार होना लाज़मी ही है।
शेफ़ाली का कहना सही है -- इस द्वीप पर आना इन सभी की नियति थी। जब संसार के दो कोनों में बैठे लोगों की जीवन डोर इस तरह से उलझी हुई हो, तो किसी न किसी बहाने वो मिल ही जाते हैं। मेरे एक अनन्य मित्र हैं; उत्तर प्रदेश के एक गाँव में पैदा हुए, एड़ी चोटी का ज़ोर लगा कर एक आईआईटी से पढ़े, फिर काम के सिलसिले में जापान चले गए। वहाँ उनको अपनी जीवन संगिनी मिली! सोचिए! अपनी होने वाली पत्नी से उनका न कोई लेना, और न कोई देना था - लेकिन उन दोनों को मिलना था, सो वो मिले!
सुयश और शलाका! और जैसा कि सभी पाठक सोच रहे हैं -- शेफ़ाली (मैग्ना) और कैस्पर। यही दिशा निकलने वाली है।
“मुझे तो ऐसा लगता है कैप्टेन, कि इस द्वीप का निर्माता हम पर लगातार नजर रखता है, इसलिये जैसे ही हम कोई उपाय सोचते हैं, वह हमारी सोच के विरुद्ध जाकर एक नयी मुसीबत खड़ी कर देता है।” --- जेनिथ का आँकलन पूरी तरह से सटीक है। यह सब बनावटी दुनिया है, इसलिए कोई उसको नियंत्रित कर रहा है। और उसका काट भी कोई आदमी ही निकाल सकता है, जैसा कि सुयश / आर्यन ने निकाला। सुयश, कप्तान-ए-सुप्रीम एक लल्लू आदमी था, लेकिन सुयश, भूतपूर्व आर्यन बुद्धिमान है।
यहाँ पर एक बात मन में आ रही है -- इस द्वीप / तिलिस्मा का काट निकालने के बाद (जाहिर सी बात है, काट तो निकलेगा ही… कहानी भी तो इसी लिए लिखी जा रही है) शायद ही कोई मानवलोक में जाना चाहेगा।
#132
“आसमान से गिरे...खजूर में अटके तो सुना था, पर कुंए से निकले और ज्वालामुखी में लटके नहीं सुना था।” क्रिस्टी के शब्दों में फिर निराशा झलकने लगी। --- हा हा हा हा
सोने के ड्रैगन का शेफ़ाली से क्या लेना देना है? पालतू होगा उसका - खलीसी टाइप!?
त्रिषाल और कलिका को मिला कर -- ध्वनि शक्ति और प्रकाश शक्ति दोनों आ गई है। हनुका जी भी साथ ही हैं। क्या खिचड़ी पक रही है इधर, पता नहीं। कालबाहु राक्षस कौन है? पहले अगर लिखा है, तो शायद मैं भूल गया।
“चलो राक्षसलोक पहुंचने से पहले अपनी शक्तियों के प्रदर्शन का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा।” त्रिशाल ने कहा- “तो दोनों में से कौन करेगा इस राक्षस का अंत?” --- Shoot first, ask questions later!
#133
विद्युम्ना के मुँह से ‘बेहोश’ या अन्य आधुनिक शब्द सुन कर सही नहीं लगता। ‘अचेत’ सही है। वैसे ही ‘थ्योरी’ नहीं, ‘सिद्धाँत’ सही है।
“... देवता तो हमेशा छल से ही काम लेते हैं…” -- अक्षरशः सही है।
रावण की मूर्ति में किस देवी की अस्थियाँ हैं/थीं?
भ्रमन्तिका रुपी एक और मायाजाल! हे प्रभु।
#134
भाई, एक फ़ूफागिरि तो दिखानी पड़ेगी यहाँ।
“द्रव्य” एक umbrella term है, जो किसी भी पदार्थ को reference करता है जिसमें द्रव्यमान (mass) और आयतन (volume) होता है। द्रव्य ठोस (solid), द्रव (liquid), और गैस (gas) तीनों अवस्थाओं को शामिल करता है। “द्रव” पदार्थ की तरल (liquid) या गैस (gas) अवस्था के रूप में प्रवाहित हो सकता है। आप ‘द्रव’ कहना चाहते थे, द्रव्य नहीं।
अलेक्स और स्थेनो की मुलाक़ात --
आपने लिखा है कि आम तौर पर मनुष्य अपनी इंद्रियों की कुल क्षमता का बहुत कम ही इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में कर पाता है। यह बात वैज्ञानिक भी सही मानते हैं। हमारा मस्तिष्क इन्द्रिय-जन्य जानकारी को काफ़ी हद तक फ़िल्टर कर देता है, इसलिए क्षमता का उपयोग सीमित रह जाता है। लेकिन ट्रेनिंग, अभ्यास, या फिर ध्यान इत्यादि से इंद्रियों के उपयोग करने की सीमा बढ़ाई जा सकती है। या फिर “वशीन्द्रिय शक्ति” घोल पी कर!लेकिन फिर भी, “... त्वचा के माध्यम से कठोर से कठोर अस्त्र का प्रहार भी आसानी से झेल सकते हो…” जैसी शक्तियाँ पारलौकिक हैं।
ओहोहोहो... तो यह था उस सोने के सर वाले ड्रैगन का राज़! वो स्वयं ‘लैडन’ था - मैग्ना का पिता!
इस मायावन का निर्माण मैग्ना और कैस्पर ने मिल कर किया। मैग्ना स्वयं शेफ़ाली के रूप में यहाँ मौजूद है और कैस्पर भी कोई बहुत दूर नहीं। ऊपर वाला कृत्रिम नियंत्रक कैस्पर का रोबोट है। उसका काट शायद नक्षत्रा, जो स्वयं एक सुपरनेचुरल इंटेलिजेंस है, के पास हो?
रावण की मूर्ति में मैग्ना की ही अस्थियाँ थीं! क्योंकि त्रिषाल और कलिका द्वारा उनका पंचतत्व में विलीन करने वाला काम होते ही, शेफ़ाली का जन्म हुआ! बहुत अच्छे!
अलेक्स के पास एक हरक्यूलियन टास्क है अब! एक अलग ही किस्म का लेबर ऑफ़ हर्क्युलीस!
#135
Adamantine -- the metal of the gods!
यार हद कर दी है आपने! क्या गज़ब की रिसर्च है! वाह भाई! वाह!
अत्यंत गहरी रिसर्च + आशातीत कल्पनाशक्ति + परिष्कृत लेखन == अद्भुत कथा!
सच में, अभी तक जितनी भी फंतासी कहानियाँ मैंने पढ़ी हैं - उनमें से यह कहानी से श्रेष्ठतम है! थोड़ी सी एडिटिंग, और बस - एक बेस्टसेलर बनने के सारे गुण मौजूद हैं इसमें!
वाह!
Words fall short in the praise of this epic creation, Raj_sharma brother!
You are an amazing writer, BUT you are wasting your talent here...
Get this published! I can suggest you one very good (and may I say, an honest one - rarity in this business) publisher, who will work very hard with you. You deserve a lot! Think about it.
Kya gazab ki update post ki he Raj_sharma Bhai,
Greek mythology kaafi had tak apni pauranik kathao se mel khati he..........
Ab jute, Helmet aur Chhadi ka sahi istemal karna hoga suyash and party ko...........
Keepr rocking Bro
Bahut hi shandar update bhai
Greek mythology mei hindu gods ka reference adbhut tha, sabhi log milkar problem solve kr rhe h shayad aise hi ye sabhi challenges ko pura kr lenge
Bhut hi jabardast update bhai
Is update ki likhne me ju ne kitni mehnat Kari or kitni jankari gather kari hai dekhkar hi saaf pata chal raha hai
Ab dhekte hai ye log in 3 chijo ka istemal ye sabhi kis parkar karte hai yaha se niche Jane ke liye ye to agle update me hi pata chalega
बहुत ही सुंदर लाजवाब और फिर एक अद्भुत अप्रतिम रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
Awesome update![]()
![]()
Alex ko naya naya powers mila hai toh bawla ho gaya hai bechara, 2 darwaja usne paar kar liya par teesra darwaja shayad easily paas nahi kar payega kyunki wahan usko ek divine power se samna hona hai.
nice update
Superb update and nice story
Nice update bro
Bhut hi badhiya update Bhai
Pegasas jute aur helmet ki madad se ye sabhi is jagah se to aage bad gaye
Dhekte hai aage inka samna kis mushibat se hota hai
Vahi dusri or nayi nayi shaktiya Milne se alex un dvar ke gaurds ke full Maje ke raha hai
Ab dhekte hai alex tisra dvar kis parkar par karta hai
Wow comedy with action maja aa gya bhai....padh kar....
majedar update.. suyash aur shefali ki team bahar nikal aayi aur pegasus ko jinda bhi kar liya ..
alex triaayam me aake maje le raha hai pehle nagfani aur fir pramali rakshas ..apne shaktiyo ki badaulat 2 hisse paar kar liye alex ne .
Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,
Jadui cheezo ka prayog kar, Suyash & party aakhirkar Volcano se bahar nikal gaye...........
Ab neeche aane par ek nai musibat unka intezar kar rahi hogi..........
Alex ki to mauj ho gayi...............
Nayi Nyai Superpowers mili he...........aur inka bharpur maja le raha he Alex.....
Keep rocking Bro
Manav kankaal?kahi wo megna ka to nahi? Ye log pakadne to gaye the kaslbzhu ko, aur khud pakde gaye
Khair dekhte hain aage inka kya hoga?
Awesome update bhai![]()
Let's review start
Hamare sochne mein mistake hui ham soch kuch Aur Rahe thee par huwa kuch Aur , ye upkarn Toh pegas ko Jeevit kar uspar safari ke liye thee .
Yaha Jisne madusa ke history ko Nahi samjha Usee Pegusus ke Bare main Itna Jaldi samjh na aaya Hoga ..
Suyash and Company pahuch gaye apne manjil ki aur .
Alex bhaiya abhi Apni shaktiyo ko shayad Majee ke liye usee kar rahe , security guard se aise pange lerahe mano woh kuvh hai hi Nahi sirf alex hi sab kuch hai .
Wise kya alex sare gate ko par kara liya ya fir Alex ke liye ab asli Challenge aane wala ho .
intezaar rahega....
Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....

Superb update and nice story#137.
तीसरे द्वार के अंदर एक योद्धा स्त्री और पुरुष, काले रंग का धातु का कवच पहने सावधान की मुद्रा में खड़े थे। दोनों के ही कवच पर सामने की ओर एक गोले में मुंह खोले नाग का फन बना था।
दूर से देखने पर ही दोनों कोई पौराणिक योद्धा लग रहे थे।
ऐलेक्स को अपनी ओर देखता हुआ पाकर पुरुष योद्धा बोल उठा- “मेरा नाम पिनाक और इसका नाम शारंगा है। हमारे पास देव शक्तियां हैं। तुम अभी तक तो दोनों द्वार पारकर यहां आ पहुंचे हो, पर मेरा वादा है कि हम तुम्हें इस द्वार को पार करने नहीं देंगे।”
“कुछ ऐसा ही पिछले द्वार मौजूद नागफनी और प्रमाली भी कह रहे थे।” ऐलेक्स ने हंसकर कहा।
“तो फिर बातों में समय नष्ट नहीं करते हैं, तुम द्वार के अंदर घुसने की कोशिश करो और हम देखते हैं कि हम तुम्हें रोक पायेंगे कि नहीं।” पिनाक ने कहा।
“ठीक है।” यह कहकर ऐलेक्स अगले द्वार की ओर बढ़ा।
तभी पिनाक के हाथ से कई जहरीले साँप निकलकर ऐलेक्स के पैरों में लिपट गये। आगे बढ़ता हुआ ऐलेक्स लड़खड़ा कर रुक गया।
उसने एक नजर पैर में लिपटे साँपों की ओर देखा और इसी के साथ ऐलेक्स के पैर में फिर से बड़े-बड़े काँटे उभर आये। जिससे उसके पैर को बांधे हुए सभी साँप जख्मी हो गये और उन्होंने ऐलेक्स के पाँव को छोड़ दिया।
यह देख शारंगा के हाथ में एक फरसा जैसा अस्त्र नजर आने लगा, शारंगा ने वह अस्त्र ऐलेक्स पर फेंक कर मार दिया।
ऐलेक्स ने शारंगा के अस्त्र फेंकते देख लिया था, पर फिर भी उसने हटने की कोशिश नहीं की।
शारंगा का फेंका हुआ फरसा ऐलेक्स की गर्दन से आकर टकराया।
एक तेज ध्वनि के साथ ऐलेक्स के शरीर से चिंगारी निकली पर ऐलेक्स के शरीर को कोई अहित नहीं हुआ।
“इसके पास तो महा देव की शक्ति है।” शारंगा ने हैरान होते हुए पिनाक से कहा।
“ये कैसे सम्भव है? ये तो साधारण मनुष्य लग रहा है और ऊपर से दूसरे देश का भी लग रहा है, इसके पास देव की शक्तियां कैसे आयेंगी?” पिनाक ने कहा।
चूंकि पिनाक और शारंगा मानसिक तरंगों के द्वारा बात कर रहे थे इसलिये उन्हें लग रहा था कि ऐलेक्स को ये बातें सुनाई नहीं दे रही होंगी।
पर ऐलेक्स के कान की इंद्रिय की क्षमता बढ़ जाने की वजह से, वह मानसिक तरंगें तो क्या मन की बात भी सुन सकता था।
पर ऐलेक्स ने पिनाक और शारंगा पर ये बात जाहिर नहीं होने दी कि उसे उन दोनों की बात सुनाई दे रही है। वह चुपचाप से सारी बातें सुन रहा था।
लेकिन उन दोनों की बातें सुन ऐलेक्स ये समझ गया था कि यह दोनों बुरे इंसान नहीं हैं, इसलिये ऐलेक्स उन दोनों का अहित नहीं करना चाहता था।
इस बार पिनाक ने हवा में हाथ किया। ऐसा करते ही उसके हाथ एक सुनहरे रंग की रस्सी आ गयी, जिसे उसने ऐलेक्स की ओर फेंक दिया।
वह सुनहरी रस्सी किसी सर्प की तरह आकर ऐलेक्स के पूरे शरीर से लिपट गयी।
ऐलेक्स ने ध्यान से देखा, वह पाश बहुत सारे सुनहरे सर्पों से ही निर्मित था।
“यह नागपाश है। यह देवताओं का अस्त्र है। तुम अपने शरीर पर काँटे निकालकर भी इस अस्त्र से बच नहीं सकते। इस ‘पाश’ में हजारों सर्पों की शक्ति है, इस शक्ति को गरुण के अलावा कोई भी नहीं काट
सकता। तुम अपने शरीर को बड़ा छोटा भी करके इस शक्ति से नहीं बच सकते।” पिनाक के शब्द अब पूर्ण विश्वास से भरे नजर आ रहे थे।
“तुम्हें पूर्ण विश्वास है कि मैं इस शक्ति से नहीं छूट सकता?” ऐलेक्स ने पिनाक से कहा।
“हां, पूर्ण विश्वास है।” पिनाक ने अपने सिर को हिलाते हुए कहा।
“अगर मैं इस शक्ति से छूट गया तो क्या तुम मुझे वो चीज ले जाने दोगे? जो मैं लेने यहां पर आया हूं।” ऐलेक्स ने भी मुस्कुराते हुए कहा।
“ठीक है। दे दूंगा, पर अगर तुम इस शक्ति से नहीं छूट पाये तो तुम अपने आप को हमारे हवाले कर दोगे और हमसे युद्ध नहीं करोगे।” पिनाक ने कहा।
शारंगा सबकुछ शांति से बैठी सुन रही थी। वैसे उसे पिनाक की यह शर्त पसंद नहीं आयी थी, पर उसने बीच में टोकना सही नहीं समझा।
“मुझे मंजूर है।” ऐलेक्स ने शर्त को स्वीकार कर लिया।
“तो फिर तुम्हारे पास इस नागपाश से निकलने के लिये 1 घंटे का समय है। अब कोशिश करके देख सकते हो।” पिनाक ने गर्व भरी नजरों से अपने अस्त्र को निहारते हुए कहा।
शारंगा की नजरें पूरी तरह से ऐलेक्स पर थीं।
अभी 30 सेकेण्ड भी नहीं बीते थे कि उस नागपाश ने ऐलेक्स को छोड़ दिया, जबकि ऐलेक्स ने अपने शरीर से काँटे भी नहीं निकाले थे।
यह देख पिनाक के पैरों तले जमीन निकल गयी।
“यह....यह तुमने कैसे किया?” पिनाक ने अपने हथियार डालते हुए कहा।
“तुमने स्वयं मुझे इस नागपाश से बचने का तरीका बताया और स्वयं ही आश्चर्य व्यक्त कर रहे हो।” ऐलेक्स के होठों पर अब गहरी मुस्कान थी।
“मैंने!....मैंने कब बताया ?” पिनाक के चेहरे पर उलझन के भाव नजर आये।
“अरे....तुमने ही तो कहा था कि इस शक्ति को तो केवल गरुण ही काट सकता है, फिर क्या था, मैंने अपने शरीर की त्वचा को गरुण के समान बना लिया, जिससे स्वयं ही नागपाश के सभी सर्प भयभीत होकर भाग गये।”
ऐलेक्स ने कहा- “और अब शर्त के मुताबिक अब तुम मुझे आगे वाले कमरे से लाकर एक बोतल दोगे, जो विषाका यहां लाकर छिपा गया है।”
“बोतल...तुम्हें उस कमरे में रखे सैकड़ों दिव्यास्त्र के बजाय सिर्फ एक साधारण सी बोतल चाहिये?” इस बार पिनाक के साथ शारंगा भी आश्चर्य में पड़ गयी।
शर्त के अनुसार पिनाक दूसरे कमरे में रखी बोतल ले आया और उसे ऐलेक्स के हाथ में पकड़ा दिया।
“क्या मैं पूछ सकती हूं कि इस बोतल में ऐसा क्या है? जिसे लेने तुम इतनी खतरनाक जगह पर आ गये?” शारंगा ने ऐलेक्स से पूछा।
“इस बोतल में मेरी बहन की स्मृतियां हैं, जिन्हें विषाका मुझे धोका देकर लेकर भाग आया था।” ऐलेक्स ने बोतल को देखते हुए कहा।
“तुम्हारे यहां आने का उद्देश्य गलत नहीं था, तुम इंसान भी सही लग रहे हो। क्या मैं पूछ सकता हूं कि तुम्हें ये देव शक्तियां कहां से प्राप्त हुईं?” पिनाक ने ऐलेक्स को जाता देख आखिरी सवाल पूछ लिया।
“मुझे भी इन देव शक्तियों के बारे में ज्यादा नहीं पता। मुझे भी ये देव शक्तियां सिर्फ इस कार्य को पूरा करने के लिये ही मिली हैं। अच्छा अब मैं चलता हूं...और हां...विषाका मिले तो उसे बता देना कि ऐलेक्स आया था और वह यह बोतल ले गया। इसलिये जब वो किसी को मेरी कहानी सुनाए तो इस कहानी का अंत जरुर बताये।”
ऐलेक्स के ये शब्द पिनाक और शारंगा को समझ नहीं आये, पर उन्होंने ऐलेक्स को फिर नहीं टोका।
ऐलेक्स ने अब अपनी जेब से निकालकर स्थेनों का दिया दूसरा फल खा लिया और कणों में बदलकर मायावन की ओर चल दिया, पर जाते समय वह खाली हाथ नहीं था। उसके पास थी मैग्ना की स्मृतियां।
ऐलेक्स अपनी गलती को सुधार लिया था और शायद नागलोक के इतिहास के पन्नों में अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवा दी थी।
तिलिस्मी अंगूठी: (14 जनवरी 2002, सोमवार, 17:20, मायावन, अराका द्वीप)
सुयश सहित सभी हेफेस्टस के द्वारा बनाई गयी उन अद्भुत चीजों से झरने वाले पर्वत से उतरकर नीचे आ गये थे।
नीचे आते ही वह सभी जादुई वस्तुएं अपने आप हवा में गायब हो गईं थीं, मगर अब इन लोगों को उन जादुई वस्तुओं की जरुरत भी नहीं थी, क्यों कि एक छोटे से पहाड़ के बाद आगे पोसाईडन पर्वत नजर आने लगा था।
शाम होने वाली थी, इसलिये सभी ने उस छोटे से पहाड़ के नीचे एक हरे-भरे बाग में रात बिताने का निर्णय लिया।
उस हरे-भरे बाग में छोटे-छोटे पेड़ों के बीच कुछ गिलहरियां और खरगोश कूद रहे थे।
सूरज अब अस्त ही होने वाला था, पर आसमान में सूरज के आगे कुछ सफेद बादलों की टुकड़ी सूरज के साथ लुका छिपी का खेल, खेल रहे थे।
आज बहुत दिन बाद सुयश को थोड़ा रिलैक्स महसूस हो रहा था, शायद ऐसा शलाका के मिलने के कारण हुआ था।
तौफीक, जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली भी हंस-हंस कर आपस में बातें कर रहे थे।
सुयश इस समय थोड़ी देर अकेले बैठना चाहता था, इसलिये उनसे कुछ दूर आकर, एक छोटी सी चट्टान पर बैठकर, सूरज और बादल की लुका छिपी देखने लगा।
बड़ा ही अद्भुत नजारा था, कभी सूरज की किरणें आकर सुयश के माथे और आँखों पर टकरातीं तो कभी गायब हो जातीं।
तभी आसमान से सूरज की एक पतली किरण जमीन पर आयी, और एक स्थान पर गिरने लगीं।
सुयश की नजरें अनायास ही उस स्थान पर पड़ीं, जहां सूरज की किरणें गिरकर एक चमक बिखेर रही थी।
सुयश को उस स्थान पर कुछ सफेद रंग का पड़ी हुई चीज दिखाई दी।
सुयश उस चट्टान से उठा और उस चीज की ओर बढ़ चला।
पास पहुंचने पर पता चला कि वह एक सफेद प्यारा सा खरगोश था, जिसकी पीठ से खून निकल रहा था और वह जमीन पर मूर्छित पड़ा हुआ था।
“यहां इस खरगोश को किसने मार दिया?” सुयश ने यह सोच उस खरगोश को अपने हाथों में उठा लिया।
खरगोश की पीठ पर एक घाव था, जो शायद किसी हमला करने वाले पक्षी के काटने से हुआ था।
तभी सुयश को एक और नन्हा खरगोश एक छोटे से पेड़ के पास दिखाई दिया, जो अपने 2 पैरों पर खड़ा होकर सुयश की ओर ही देख रहा था।
“लगता है कि यह मादा खरगोश है और वह नन्हा खरगोश इसका बच्चा है।” कुछ सोचकर सुयश अपने दोस्तों की ओर बढ़ गया।
“अरे कैप्टेन, यह खरगोश कहां से मार लाये, आज मांसाहारी खाना खाने का मन है क्या?” तौफीक ने सुयश के हाथ में पकड़े खरगोश को देखते हुए पूछा।
“अरे नहीं-नहीं...मैंने इसे नहीं मारा, इसे शायद किसी पक्षी ने घायल कर दिया है, मैं तो इसकी ड्रेसिंग करने जा रहा हूं।” यह कहकर सुयश ने बैग खोलकर एक फर्स्ट एड का पैकेट निकाल लिया।
तभी शैफाली की नजर दूसरे छोटे से खरगोश पर पड़ी- “अरे यह छोटा खरगोश भी आपके पीछे-पीछे आ गया।”
“वह नन्हा खरगोश शायद इसका बच्चा है, जो इसे अकेले नहीं छोड़ना चाहता।” सुयश ने बड़े खरगोश की पीठ पर दवा लगाते हुए कहा- “माँ और बच्चे का रिश्ता इस दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता है। दोनों एक
दूसरे से कभी अलग नहीं होना चाहते।”
सुयश की बातें सुन शैफाली को भी मारथा की याद आ गयी- “आप सही कह रहे हैं कैप्टेन अंकल।”
सुयश उदास शैफाली को देख समझ गया कि शैफाली को अपने पैरेंट्स की याद आ रही है, इसलिये सुयश ने बात बदलने के लिये कहा-
“अरे शैफाली, देखो जरा वह नन्हा खरगोश तुम्हारे पास आता है कि नहीं?”
सुयश की बात सुन शैफाली उस नन्हें खरगोश की ओर बढ़ी, पर नन्हा खरगोश शैफाली से डरकर पीछे हटने लगा।
तब तक सुयश ने मादा खरगोश की पट्टी भी कर दी, अब वह मादा खरगोश थोड़ा चैतन्य हो गयी थी और सुयश को देख कर कुछ समझने की कोशिश कर रही थी।
“चलो, अब इसे इसके घर तक छोड़ आते हैं।”सुयश ने शैफाली को देखते हुए कहा।
“पर आप इसका घर कैसे ढूंढोगे?” शैफाली ने पूछा।
“अरे वह है ना नन्हा गाइड। देखो कैसे आगे-आगे कूद रहा है।” सुयश ने शैफाली को नन्हें खरगोश की ओर इशारा करते हुए कहा।
नन्हा खरगोश सच में इस तरह कूदते हुए आगे चल रहा था, जैसे कि वह सुयश को रास्ता दिखा रहा हो।
यह देख शैफाली मुस्कुरा दी और सुयश के पीछे-पीछे चलने लगी।
नन्हा खरगोश कुछ दूर जा कर एक पेड़ के पास बने बिल के पास रुक गया। उसने पलटकर एक बार सुयश को देखा और फिर कूदकर उस बिल के अंदर चला गया।
सुयश ने मादा खरगोश को भी धीरे से उस बिल के पास रख दिया।
मादा खरगोश उठी और धीरे-धीरे चलते हुए उस बिल के अंदर चली गयी।
“अरे वाह कैप्टेन अंकल, आपने तो आज के दिन का सबसे अच्छा काम किया है।” शैफाली ने खुश होते हुए कहा।
सुयश मुस्कुराया और उठकर वापस चलने लगा। तभी सुयश को अपने पीछे से एक ‘चूं-चूं’ की आवाज सुनाई दी।
आवाज को सुन सुयश ने पीछे पलटकर देखा, उसके पीछे वही नन्हा खरगोश था, जो अपने आगे के दोनों हाथों में कोई सुनहरी चीज पकड़े हुए था।
उसे देख सुयश ने मुस्कुरा कर कहा- “अरे वाह, हमारा नन्हा दोस्त हमारे लिये कोई गिफ्ट लाया है।” सुयश उस नन्हें खरगोश के सामने अपने घुटनों के बल बैठ गया।
नन्हा खरगोश धीरे-धीरे 2 पैरों पर चलता हुआ सुयश के हाथ के पास आया और उसने सुयश के हाथ पर कोई सुनहरी चीज रख दी।
सुयश ने उस चीज को देखा, वह एक सुनहरे रंग की धातु की बनी एक अंगूठी थी, जिसके आगे एक गोल काले रंग का रत्न लगा था।
पूरी अंगूठी तेज चमक बिखेर रही थी।
सुयश को खुश देख वह नन्हा खरगोश फुदकता हुआ, अपने बिल की ओर चल दिया। सुयश आश्चर्य से कभी उस नन्हें खरगोश को, तो कभी अपने हाथ में पकड़ी उस सुनहरी अंगूठी को देख रहा था।
“अरे वाह कैप्टेन अंकल, नन्हें दोस्त नें तो आपको बहुत ही कीमती उपहार दिया है।” शैफाली ने अंगूठी को देखते हुए कहा- “जरा पहनकर दिखाइये तो कि यह आपके हाथ में कैसी लगेगी?”
शैफाली की बात सुन सुयश ने उस अंगूठी को अपने सीधे हाथ की ‘रिंग फिंगर’ में पहनने की कोशिश की, पर वह अंगूठी उसकी उंगली में ढीली पड़ रही थी।
यह देख सुयश ने उसे ‘मिडिल फिंगर’ में पहनने की कोशिश की, पर वह उस उंगली में भी ढीली पड़ रही थी।
“यह मेरे हाथ में फिट नहीं हो रही, शायद यह किसी विशाल हाथ के लिये बनी है।” सुयश ने अंगूठी को देखते हुए कहा।
“जरा मुझे भी दिखाइये कैप्टेन अंकल।”शैफाली ने अंगूठी को देखने की रिक्वेस्ट की।
सुयश ने वह अंगूठी शैफाली को दे दी।
“वाह! कितनी सुंदर अंगूठी है, काश ये मेरी उंगली में फिट हो पाती!” यह कहकर शैफाली ने जैसे ही अपने बांये हाथ की ‘रिंग फिंगर’ में वह अंगूठी डाली, वह अंगूठी शैफाली के बिल्कुल फिट बैठ गयी।
ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अंगूठी शैफाली के लिये ही बनी थी।
यह देख सुयश और शैफाली दोनों ही आश्चर्य से भी उठे।
“शैफाली, यह अंगूठी अब तुम अपने ही पास रख लो, यह तुम्हें अच्छी भी लग रही थी और तुम्हारी उंगली में फिट भी हो रही है। मुझे तो ऐसा लगता है कि इस अंगूठी में भी कोई रहस्य छिपा होगा?” सुयश ने
कहा।
शैफाली ने खुशी-खुशी सिर हिलाया और किसी बच्चे की तरह उछलते-कूदते जेनिथ की ओर चल दी।
जारी रहेगा_________![]()