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Erotica सोलवां सावन

komaalrani

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komaalrani

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गजब की पढ़ाई है....देखते है अगले दिन क्या बंधता और क्या खुलता है...
वही होगा जो राखी में होता है,...
 

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राखी



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जब वह जाते समय सबसे मिल रहा था तो उससे पूछा गया कि कल रक्षाबंधन में क्या प्रोग्राम है?

उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं आ सकती हूँ?


ठसके से मैं बोली- “जिसको राखी बंधवाना हो वो आये…”

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लेकिन मुझे डांट पड़ गई और तय ये हुआ कि कल मैं उसके घर जाऊँगी। मैंने उससे पूछा- उसे कैसी राखी पसंद है?

तो वो मेरी ओर देखकर शैतानी से बोला- “बड़ी-बड़ी…”


उस दिन रातभर मेरी हलत खराब थी। मेरा बहुत मन कर रहा था उंगली करने के लिये, पर कामिनी भाभी के बताये तरीके से जिस दिन से आई, मैं पूरी तरह ‘उपवास’ पर थी। उन्होंने बताया था की उनकी बूटी, कोई दो दिन तक चूत में डालकर कस के भींचे तो, वह एकदम कच्ची कली जैसी बन जायेगी। और मैं वैसे ही कर रही थी कि जब मैं रवीन्द्र से करवाऊँ तब…


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अगले दिन हालांकी छुट्टी थी, पर मेरी एक्स्ट्रा क्लास थी। तय यह हुआ कि मैं क्लास के बाद आफ्टरनून में सीधे, भाभी के घर चली जाऊँगी। उसी प्रोग्राम के मुताबिक, मैं क्लास के बाद सीधे भाभी के घर पहुँच गई।

भाभी ने सब तैयारी करके रखी थी।

उनके पति, मेरे बड़े भैया को कहीं दो दिन के लिये टूर पर जाना था और वो मेरा इंतजार ही कर रहे थे। सबसे पहले उनको मैंने टीका लगाकर राखी बांधी और अपने हाथ से मिठाई खिलाई। उन्होंने मुझे 501 रूपये का लिफाफा दिया, और चले गये।

मैंने भाभी से मजाक में कहा- “आज तो आप रात में सास बहू देख लेंगी…”

भाभी-

“ननद रानी आज शुक्रवार है, आज सास बहू नहीं आता, और तुम्हारे भैय्या इतने सस्ते में छोड़ने वाले नहीं आज दिन भर वो… रवीन्द्र घर में था तब भी, कमरा बंद करके चढ़े रहे… तीन-तीन बार और एक बार पीछे से भी… चला नहीं जा रहा है, बस मेरा तो मन कर है, बस जाकर सो जाऊँ… अच्छा है तुम आ गई हो, आज रात का खाना भी तुम्ही बनाना…”

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“खाना तो मैं बना दूंगी भाभी, लेकीन… मेरे भैय्या को क्यों बदनाम करती हैं? आप हैं ही इतनी प्यारी, इस जोबन को देखकर कौन नहीं…”


मेरी बात काटकर भाभी बोली- “अच्छा, अब ज्यादा मक्खन मत लगा, रवीन्द्र को बुलाती हूँ वह भी इंतेजार कर रहा है तुम्हारा…”

तब तक रवीन्द्र सीढ़ियों से उतरता दिखाई दिया।


“शैतान का नाम लो शैतान हाजिर…” मैं बोली।

मेरी चोटी कस के खींचता वो बोला- “अभी शैतानी करूंगा ना तो पता चलेगा…”



मैंने इधर-उधर देखा, भाभी टीका की थाली लाने किचेन में गईं थीं। मैं मुश्कुरा के बदमाशी से सीना उभार करके बोली-

“करो ना… यहां डरता कौन है? तुम्हीं पीछे हट जाओगे…”
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मैं उसके लिये पूरा बाजार छानकर, सबसे बड़ी राखी ढूँढ़कर लाई थी।
भाभी अभी भी किचेन में थी। मैंने उसे राखी निकालकर, अपनी दोनों चूचियों के क्लीवेज के बीच रखकर दिखाते हुए, धीरे से मुश्कुराकर पूछा- “क्यों पसंद है, साइज?”

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“एकदम… मेरे लिये परफेक्ट है, यही चाहिये मुझे…” शैतानी से मुश्कुराते हुये वो बोला।

तब तक भाभी आ गईं।

मैंने राखी को थाली में रखा। वह खूब बड़ी और चमकदार तो थी ही, आर्ची से मैंने एक बड़े साईज का लाल पेपर-हार्ट भी ले लिया था और उसे उसमें स्टिच करा लिया था।

पहले तो मैंने उसे टीका लगाया और शैतानी से थोड़ी सी लाल रोली उसके गोरे गाल पर भी लगा दी। और फिर उसकी कलाई में राखी बांध दी।

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वो बोला- “चलो अब मिठाई खिलाओ…”



मैं बोली- “नहीं पहले अपनी टेंट ढीली करो, गिफ्ट लाओ तब मिठाई मिलेगी…”

“नहीं पहले मिठाई…” उसने जिद की।
मैं एक खूब बड़ा सा रसीला गुलाब जामुन उठाकर उसके होंठ के पास ले गई


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और जब उसने मुँह खोला तो मैं उसे ललचाते हुए अपने मुँह में लेकर गड़प कर गई। अपने होंठों में लगे रस को मैंने अपनी दो उंगलियों से पोंछा और उसके होंठों पर लगा दिया, उसने भी जीभ निकालकर सारा रस चाट लिया।

तब तक भाभी कमरे से बाहर निकल के आईं, वह उनसे बोला- “भाभी मैं कोचिंग जा रहा हूं…”

“ठीक है, लेकीन तुम इससे इतना झगड़ा कर रहे हो, आज खाना यही बनायेगी…” भाभी बोलीं।


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“अरे, तब तो मैं खाना बाहर खाकर आऊँगा…”

“हाँ हाँ… ठीक है, हम लोगों के लिये भी पैक करा के ले आना…” मैं हँस के बोली।

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चलते समय उसके हाथ में बंधी राखी में लाल दिल चमका।
 

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“टेक माई चेरी…”





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तब तक भाभी कमरे से बाहर निकल के आईं, वह उनसे बोला- “भाभी मैं कोचिंग जा रहा हूं…”

“ठीक है, लेकीन तुम इससे इतना झगड़ा कर रहे हो, आज खाना यही बनायेगी…” भाभी बोलीं।

“अरे, तब तो मैं खाना बाहर खाकर आऊँगा…”

“हाँ हाँ… ठीक है, हम लोगों के लिये भी पैक करा के ले आना…” मैं हँस के बोली।
चलते समय उसके हाथ में बंधी राखी में लाल दिल चमका।


भाभी ने शैतानी से मुझसे मुश्कुराकर कहा- “बहना ने भाई की कलाई में प्यार बांधा है…”

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भाभी ने मेरे घर पे कह दिया था कि बड़े भैया रात को बाहर जायेंगे तो रात को मैं वहीं रुकूंगी और अगले दिन यहीं से स्कूल चली जाऊँगी।



मैंने भी कहा था कि मैं रवीन्द्र से कुछ पढ़ लूंगी।


इसलिये कुछ किताबें और चेंज ड्रेस मैं ले आई थी। मैं थोड़ी देर तक भाभी के साथ गप मारती रही और टीवी देखती रही, पर भाभी थक गईं थीं और जल्द सो गईं। अब किचेन पे पूरा मेरा राज था। और चम्पा और कामिनी भाभी के बताये फार्मूलों को ट्राई करने का पूरा मौका भी।


सबसे पहले तो मैंने फ्रूट सलाद की पूरी तैयारी की (मुझे मालूम था कि ये भाभी तो डाइटिंग के चक्कर में खायेंगी नहीं, पर रवीन्द्र को ये बहुत पसंद था।) आम, सेब, संतरे, सबके पीसेज काटकर,


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फिर मैंने पैंटी सरकाकर अपनी रसीली चूत के अंदर, एक साथ दो-दो… यहां तक की क्रीम भी मैंने ‘वहां’ पहले खूब लिथेड़ी और फिर उसे बाकी क्रीम में मिलाकर…

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एक-एक करके मैंने सारी डिशेज बना ली। खाना तैयार करने के बाद फ्रेश होकर मैं भी तैयार हो गई।


मैं अपने लिये एक लेमन येलो स्ट्रिंग टाप ले आई थी और एक स्कर्ट। स्ट्रिंग टाप में मेरी पीठ का ऊपरी भाग तो खुला ही था, सामने से भी वह काफी लो थी और मेरी टीन चूचियों का भी उपरी हिस्सा साफ दिखता था, और छोटी इतनी कि मेरी नाभी तक पहुँचती थी।

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स्कर्ट छोटी तो थी पर घेरदार थी। ब्रा पहनने का तो सवाल ही नहीं था। मैंने हल्का सा मेकप भी कर लिया। जब तक मैं वापस किचेन में पहुँची तो भाभी जागकर वहां पहुँच चुकी थी और डिशेज टेस्ट कर रहीं थीं-



“वाऊ… वाकई तुमने क्या खाना बनाया है सब एक से एक स्वादिष्ट…”

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पर मेरी और देखकर उन्होंने मुझे पकड़ लिया और मेरी स्कर्ट उठाकर मेरे नितंबों को, मसलती हुई बोलीं- “और सबसे स्वादिष्ट… डिश तो तुम हो…”


जब उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघों के बीच किया, तो वह मेरी पैंटी से छू गई, और वो बोलीं- “हे यह क्या, ये क्या पहन रखा है तुमने?” ये कह के उन्होंने मेरी पैंटी खींच दी।

एक बाउल में फ्रेश क्रीम और चेरी रखी थी। उन्होंने ढेर सारी क्रीम अपनी उंगलियों में लगाकर, मेरी चूत पर लपेट दिया और फिर उनकी क्रीम से लिपटी उंगलियां, मेरे अंदर-बाहर होने लगीं।

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“हे भाभी ये क्या कर रही हैं? ओह्ह… ओह्ह… कैसा लगा रहा है, रुकिये ना…” उत्तेजना में मेरी क्लिट फूल गई और चूचुक भी खड़े हो गये।

भाभी ने मेरा टाप उठाया और मेरे खड़े चूचुकों को अपने दूसरे हाथ की उंगलियों से रोल करने लगीं। तभी उन्हें एक बाउल में चाकलेट सास दिख गई। उन्होंने उसे एक उंगली में लगाया और मेरे दोनों खड़े चूचुकों पर अच्छी तरह से कोट कर दिया।


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जो उंगली मेरे अंदर-बाहर हो रही थी, वह अब उनके होंठों के बीच थी-


“यमयम… यमयम… क्या स्वाद है?” वह चटखारे लेकर चाट रहीं थीं।

क्रीम बाउल से उन्होंने क्रीम में लिपटी एक चेरी उठायी और उसे थोड़ी देर तक मेरे फूले क्लिट पर रगड़ने के बाद उन्होंने मेरे अंदर घुसा दिया।

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तब तक रवीन्द्र की आवाज सुनायी पड़ी।



मैंने जल्दी से अपनी स्कर्ट और टाप नीचे किये और भाभी के साथ बाहर आ गई। हम दोनों ने जल्दी से टेबल लगाया। खाते समय रवीन्द्र की शामत थी। मैं और भाभी दोनों मिलकर उसको छेड़ रहे थे। एक तो मेरी कयामत ढाती ड्रेस, और ऊपर से छेड़छाड़, मैं कभी उसकी टांगों में चिकोटी काट लेती, कभी भाभी शुद्ध देहाती गारी सुना देतीं।

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मैंने उसे वो स्पेशल फ्रूट सलाद तो सारी की सारी खिला दी। मुझे अब याद आ रहा था की मेरी योनि के होंठ के अंदर एक चेरी है। मैंने उसे अपने एक हाथ से धीरे से निकाला, और जब भाभी पानी लेने अंदर गईं तो उसे मैंने अपने होंठों के बीच दबाकर रवीन्द्र को आफर किया।


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जब उसने हाथ बढ़ाया, तो मैंने उसे मुँह के अंदर करके सिर से मना करने का इशारा किया। और फिर अपनी जुबान पर रखकर उसके एकदम पास जाकर शुष्क आवाज में कहा- “टेक माई चेरी…”
 
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***** *****पूनो की रात

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और अबकी उसने मेरा सर पकड़कर अपने होंठों से मेरी जीभ को पकड़ लिया और चेरी अंदर कर ली।

भाभी ने रवीन्द्र से दूध के लिये पूछा।

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तो वो बोला- “नहीं भाभी अभी जगह नहीं है, मुझे आज रात भर पढ़ना है…”

बाद में मैं भाभी के साथ उनके कमरें में लेट गई। उनके इरादे तो कुछ और थे, पर दिन भर भैय्या ने जो उनके साथ कुश्ती लड़ी थी, उनकी देह टूट रही थी। उन्होंने मुझसे कहा-


“सुन बगल के ड्राअर में स्लीपिंग पिल्स रखी हैं, मुझे एक दूध में डालकर दे दे…”

मैंने एक की जगह दो डालकर दे दी।

थोड़ी देर में ही भाभी के खर्राटे गूंजने लगे।

जब कुछ देर में, मैं निश्चिंत हो गई कि भाभी गहरी नींद सो रही हैं तो मैंने नीचे के फ्लोर की सब बत्तियां बंद कर दीं और रवीन्द्र के लिये जो दूध भाभी ने रखा था, उसे लेकर ऊपर रवीन्द्र के कमरे के लिये चल दी। मैं दबे पांव उसके कमरे में घुसी।

दूध में कामिनी भाभी की दी हुई स्पेशल किसमिस पड़ी थी, जिसके असर से कमजोर से कमजोर भी सांड हो जाता था, रात भर। और पूनम के दिन तो,


आज पूनम ही तो थी। राखी की पूनम, जिसके लिए गाँव के मजे छोड़के भागी मैं आई थी।

वह सिर्फ बनयान और शार्ट में बैठा पढ़ रहा था। मैंने मुड़कर कमरे की सांकल लगा दी।

आहट सुनकर उसने गर्दन मोड़ी।

बगल के स्टूल पर दूध रखकर, मैं दोनों ओर टांगें फैलाकर उसकी गोद में बैठ गई। उसके होंठों के पास इंच से भी कम दूरी पर अपने होंठ रखकर मैं बोली-


“शाम को मिठाई बाकी रह गई थी ना। ले लो…”

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जब उसने अपने होंठ मेरी ओर बढ़ाये तो उसे चिढ़ाते हुए मैंने सर पीछे हटा लिया, और अपने उभार उसके चौड़े सीने पे रगड़ने लगी।

वह अभी भी थोड़ा हिचक रहा था।

मैंने उसका एक हाथ, स्ट्रिंग टाप से बाहर दिख रहे जोबन पे लेकर कस के दबा दिया। मेरे नितंब अब उसके टेंट पोल को रगड़ रहे थे-

“क्यों, कैसी लगी मिठाई?”



“ठीक से खाने तो दो, तुम तो सिर्फ ललचा रही हो…” वो बोला।

“लो ना…” और अब जब मैंने होंठ पास किये तो वह तैयार था।
और उसने कस के मेरा सर पकड़कर मुझे चूम लिया। उसके हाथ ने भी अब मेरा टाप हटाकर मेरे रसीले जोबन पकड़ लिये और दबाने लगे। मैं क्यों पीछे रहती, मैंने भी अपने दोनों हाथों से, उसकी बनियान को पकड़कर उतार दिया और दूर फेंक दिया।



बाहर बादल खूब गरज रहे थे, बिजली चमक रही थी। लग रहा था, जमकर बारिश होगी।


थोड़ी देर में मेरा टाप भी वहीं पड़ा था। अब वह कस-कस के मेरा जोबन मर्दन कर रहा था। उसका बांस ऐसा खूंटा, शार्ट को फाड़ते हुए मेरे अंदर गड़ रहा था।
 
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जमकर बारिश





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बाहर बादल खूब गरज रहे थे, बिजली चमक रही थी। लग रहा था, जमकर बारिश होगी।


थोड़ी देर में मेरा टाप भी वहीं पड़ा था। अब वह कस-कस के मेरा जोबन मर्दन कर रहा था। उसका बांस ऐसा खूंटा, शार्ट को फाड़ते हुए मेरे अंदर गड़ रहा था।



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“लो मिठाई खाओ…” कहकर मेरे निपल, जो भाभी ने चाकलेट कोटेड कर दिये थे, निकालकर उसके होंठों से सटा दिये।


किसी नदीदे बच्चे की तरह जिसे जिंदगीं में पहली बार चाकलेट मिली हो, वह टूट पड़ा। कस-कसकर वह मेरे निपल चूस रहा था, चाट रहा था। दोनों हाथों से पकड़कर कभी दबाते हुए, कभी मेरी चूचियां चाटते हुए।

तभी मेरी निगाह टेबल पर रखे दूध पर पड़ी, कहा- “अरे, दूध तो मैं भूल ही गई…”

और अपने हाथों से मैंने उसे दूध पिलाना शुरू कर दिया। इसमें मैंने कामिनी भाभी की दी एक खास हर्ब मिलाई थी, जो एक कमजोर से कमजोर मर्द को भी रात भर के लिये सांड़ की ताकत दे देती थी। आधा ग्लास दूध खतम होने के बाद मुझे एक आइडिया आया-



“रुको, तुम लेट जाओ, और मुँह खोलो…”


और मैं उसके ऊपर इस तरह लेट गई कि मेरे निपल ठीक उसके होंठों के ऊपर थे। और मैं दूध ग्लास से अपनी टीन चूचियां पर इस तरह धीरे से गिरा रही थी की वो मेरे चूचुकों से होकर उसकी धार उसके मुँह में जाय। दूध खतम होने पर ग्लास में बची मलाई को मैंने उंगली से निकालकर कड़े मस्त जोबन पर लपेट लिया और उसे पास में खींचकर बोली-

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“लो चाटो…”


जब तक वह मेरी मलाई लगी चूची चाट रहा था, मैंने उसके शार्ट नीचे सरका दिये और अपनी स्कर्ट को भी उठा दिया।

अब उसका मूसल जैसा, मोटा सख्त लण्ड अब सीधे मेरी चूत पर रगड़ रहा था।

अपनी चूत कस के उसके भूखे लण्ड पर रगड़ते हुए मैंने कहा-

“मिठाई तो मैंने खिला दी। अब मेरी रक्षा बंधन की गिफ्ट…”

“क्या चाहिये तुम्हें? बोलो…”

“यही…” यह कहकर मैंने कसकर अपनी चूत उसके लण्ड पर रगड़ी।


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“अभी लो…”

और तुरंत मुझे पीठ के बल पटक कर वह मेरे ऊपर आ गया, जैसे बरसने के लिये तड़पता, सावन का बादल, प्यासी धरती के ऊपर छा जाय। उसका लण्ड अपनी प्यारी चूत को चूम रहा था। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी मुलायम किशोर कलाईयां पकड़ रखीं थीं।


बिजली की चमक में उसके दायें हाथ में मेरी बंधी राखी दमक रही थी।


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मैं जानती थी कि आज मेरी बुर की बुरी हालत होने वाली है। पर होनी है तो हो जाय।
 
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The End
 

Luckyloda

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जमकर बारिश





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बाहर बादल खूब गरज रहे थे, बिजली चमक रही थी। लग रहा था, जमकर बारिश होगी।


थोड़ी देर में मेरा टाप भी वहीं पड़ा था। अब वह कस-कस के मेरा जोबन मर्दन कर रहा था। उसका बांस ऐसा खूंटा, शार्ट को फाड़ते हुए मेरे अंदर गड़ रहा था।



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“लो मिठाई खाओ…” कहकर मेरे निपल, जो भाभी ने चाकलेट कोटेड कर दिये थे, निकालकर उसके होंठों से सटा दिये।


किसी नदीदे बच्चे की तरह जिसे जिंदगीं में पहली बार चाकलेट मिली हो, वह टूट पड़ा। कस-कसकर वह मेरे निपल चूस रहा था, चाट रहा था। दोनों हाथों से पकड़कर कभी दबाते हुए, कभी मेरी चूचियां चाटते हुए।

तभी मेरी निगाह टेबल पर रखे दूध पर पड़ी, कहा- “अरे, दूध तो मैं भूल ही गई…”

और अपने हाथों से मैंने उसे दूध पिलाना शुरू कर दिया। इसमें मैंने कामिनी भाभी की दी एक खास हर्ब मिलाई थी, जो एक कमजोर से कमजोर मर्द को भी रात भर के लिये सांड़ की ताकत दे देती थी। आधा ग्लास दूध खतम होने के बाद मुझे एक आइडिया आया-



“रुको, तुम लेट जाओ, और मुँह खोलो…”


और मैं उसके ऊपर इस तरह लेट गई कि मेरे निपल ठीक उसके होंठों के ऊपर थे। और मैं दूध ग्लास से अपनी टीन चूचियां पर इस तरह धीरे से गिरा रही थी की वो मेरे चूचुकों से होकर उसकी धार उसके मुँह में जाय। दूध खतम होने पर ग्लास में बची मलाई को मैंने उंगली से निकालकर कड़े मस्त जोबन पर लपेट लिया और उसे पास में खींचकर बोली-

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“लो चाटो…”


जब तक वह मेरी मलाई लगी चूची चाट रहा था, मैंने उसके शार्ट नीचे सरका दिये और अपनी स्कर्ट को भी उठा दिया।

अब उसका मूसल जैसा, मोटा सख्त लण्ड अब सीधे मेरी चूत पर रगड़ रहा था।

अपनी चूत कस के उसके भूखे लण्ड पर रगड़ते हुए मैंने कहा-

“मिठाई तो मैंने खिला दी। अब मेरी रक्षा बंधन की गिफ्ट…”

“क्या चाहिये तुम्हें? बोलो…”

“यही…” यह कहकर मैंने कसकर अपनी चूत उसके लण्ड पर रगड़ी।


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“अभी लो…”

और तुरंत मुझे पीठ के बल पटक कर वह मेरे ऊपर आ गया, जैसे बरसने के लिये तड़पता, सावन का बादल, प्यासी धरती के ऊपर छा जाय। उसका लण्ड अपनी प्यारी चूत को चूम रहा था। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी मुलायम किशोर कलाईयां पकड़ रखीं थीं।


बिजली की चमक में उसके दायें हाथ में मेरी बंधी राखी दमक रही थी।


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मैं जानती थी कि आज मेरी बुर की बुरी हालत होने वाली है। पर होनी है तो हो जाय।
Intjaar hai bur ki haalat ka.....

Jaldi update dena bhabhi
 
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बाहर बादल खूब गरज रहे थे, बिजली चमक रही थी। लग रहा था, जमकर बारिश होगी।


थोड़ी देर में मेरा टाप भी वहीं पड़ा था। अब वह कस-कस के मेरा जोबन मर्दन कर रहा था। उसका बांस ऐसा खूंटा, शार्ट को फाड़ते हुए मेरे अंदर गड़ रहा था।



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“लो मिठाई खाओ…” कहकर मेरे निपल, जो भाभी ने चाकलेट कोटेड कर दिये थे, निकालकर उसके होंठों से सटा दिये।


किसी नदीदे बच्चे की तरह जिसे जिंदगीं में पहली बार चाकलेट मिली हो, वह टूट पड़ा। कस-कसकर वह मेरे निपल चूस रहा था, चाट रहा था। दोनों हाथों से पकड़कर कभी दबाते हुए, कभी मेरी चूचियां चाटते हुए।

तभी मेरी निगाह टेबल पर रखे दूध पर पड़ी, कहा- “अरे, दूध तो मैं भूल ही गई…”

और अपने हाथों से मैंने उसे दूध पिलाना शुरू कर दिया। इसमें मैंने कामिनी भाभी की दी एक खास हर्ब मिलाई थी, जो एक कमजोर से कमजोर मर्द को भी रात भर के लिये सांड़ की ताकत दे देती थी। आधा ग्लास दूध खतम होने के बाद मुझे एक आइडिया आया-



“रुको, तुम लेट जाओ, और मुँह खोलो…”


और मैं उसके ऊपर इस तरह लेट गई कि मेरे निपल ठीक उसके होंठों के ऊपर थे। और मैं दूध ग्लास से अपनी टीन चूचियां पर इस तरह धीरे से गिरा रही थी की वो मेरे चूचुकों से होकर उसकी धार उसके मुँह में जाय। दूध खतम होने पर ग्लास में बची मलाई को मैंने उंगली से निकालकर कड़े मस्त जोबन पर लपेट लिया और उसे पास में खींचकर बोली-

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“लो चाटो…”


जब तक वह मेरी मलाई लगी चूची चाट रहा था, मैंने उसके शार्ट नीचे सरका दिये और अपनी स्कर्ट को भी उठा दिया।

अब उसका मूसल जैसा, मोटा सख्त लण्ड अब सीधे मेरी चूत पर रगड़ रहा था।

अपनी चूत कस के उसके भूखे लण्ड पर रगड़ते हुए मैंने कहा-

“मिठाई तो मैंने खिला दी। अब मेरी रक्षा बंधन की गिफ्ट…”

“क्या चाहिये तुम्हें? बोलो…”

“यही…” यह कहकर मैंने कसकर अपनी चूत उसके लण्ड पर रगड़ी।


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“अभी लो…”

और तुरंत मुझे पीठ के बल पटक कर वह मेरे ऊपर आ गया, जैसे बरसने के लिये तड़पता, सावन का बादल, प्यासी धरती के ऊपर छा जाय। उसका लण्ड अपनी प्यारी चूत को चूम रहा था। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी मुलायम किशोर कलाईयां पकड़ रखीं थीं।


बिजली की चमक में उसके दायें हाथ में मेरी बंधी राखी दमक रही थी।


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मैं जानती थी कि आज मेरी बुर की बुरी हालत होने वाली है। पर होनी है तो हो जाय।
Tooooo hot 🔥 🔥 🔥 ,aati kamuk , hands down you are the best 🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️
 
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