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Thanks soooooooo muchMahol to poora bana diya komal Ji. Aag dono taraf lagi hai. Ab bus rakhi ka intejaar hai
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वही होगा जो राखी में होता है,...गजब की पढ़ाई है....देखते है अगले दिन क्या बंधता और क्या खुलता है...
Nahi...........The End
Intjaar hai bur ki haalat ka.....जमकर बारिश
बाहर बादल खूब गरज रहे थे, बिजली चमक रही थी। लग रहा था, जमकर बारिश होगी।
थोड़ी देर में मेरा टाप भी वहीं पड़ा था। अब वह कस-कस के मेरा जोबन मर्दन कर रहा था। उसका बांस ऐसा खूंटा, शार्ट को फाड़ते हुए मेरे अंदर गड़ रहा था।
“लो मिठाई खाओ…” कहकर मेरे निपल, जो भाभी ने चाकलेट कोटेड कर दिये थे, निकालकर उसके होंठों से सटा दिये।
किसी नदीदे बच्चे की तरह जिसे जिंदगीं में पहली बार चाकलेट मिली हो, वह टूट पड़ा। कस-कसकर वह मेरे निपल चूस रहा था, चाट रहा था। दोनों हाथों से पकड़कर कभी दबाते हुए, कभी मेरी चूचियां चाटते हुए।
तभी मेरी निगाह टेबल पर रखे दूध पर पड़ी, कहा- “अरे, दूध तो मैं भूल ही गई…”
और अपने हाथों से मैंने उसे दूध पिलाना शुरू कर दिया। इसमें मैंने कामिनी भाभी की दी एक खास हर्ब मिलाई थी, जो एक कमजोर से कमजोर मर्द को भी रात भर के लिये सांड़ की ताकत दे देती थी। आधा ग्लास दूध खतम होने के बाद मुझे एक आइडिया आया-
“रुको, तुम लेट जाओ, और मुँह खोलो…”
और मैं उसके ऊपर इस तरह लेट गई कि मेरे निपल ठीक उसके होंठों के ऊपर थे। और मैं दूध ग्लास से अपनी टीन चूचियां पर इस तरह धीरे से गिरा रही थी की वो मेरे चूचुकों से होकर उसकी धार उसके मुँह में जाय। दूध खतम होने पर ग्लास में बची मलाई को मैंने उंगली से निकालकर कड़े मस्त जोबन पर लपेट लिया और उसे पास में खींचकर बोली-
“लो चाटो…”
जब तक वह मेरी मलाई लगी चूची चाट रहा था, मैंने उसके शार्ट नीचे सरका दिये और अपनी स्कर्ट को भी उठा दिया।
अब उसका मूसल जैसा, मोटा सख्त लण्ड अब सीधे मेरी चूत पर रगड़ रहा था।
अपनी चूत कस के उसके भूखे लण्ड पर रगड़ते हुए मैंने कहा-
“मिठाई तो मैंने खिला दी। अब मेरी रक्षा बंधन की गिफ्ट…”
“क्या चाहिये तुम्हें? बोलो…”
“यही…” यह कहकर मैंने कसकर अपनी चूत उसके लण्ड पर रगड़ी।
“अभी लो…”
और तुरंत मुझे पीठ के बल पटक कर वह मेरे ऊपर आ गया, जैसे बरसने के लिये तड़पता, सावन का बादल, प्यासी धरती के ऊपर छा जाय। उसका लण्ड अपनी प्यारी चूत को चूम रहा था। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी मुलायम किशोर कलाईयां पकड़ रखीं थीं।
बिजली की चमक में उसके दायें हाथ में मेरी बंधी राखी दमक रही थी।
मैं जानती थी कि आज मेरी बुर की बुरी हालत होने वाली है। पर होनी है तो हो जाय।
Tooooo hotजमकर बारिश
बाहर बादल खूब गरज रहे थे, बिजली चमक रही थी। लग रहा था, जमकर बारिश होगी।
थोड़ी देर में मेरा टाप भी वहीं पड़ा था। अब वह कस-कस के मेरा जोबन मर्दन कर रहा था। उसका बांस ऐसा खूंटा, शार्ट को फाड़ते हुए मेरे अंदर गड़ रहा था।
“लो मिठाई खाओ…” कहकर मेरे निपल, जो भाभी ने चाकलेट कोटेड कर दिये थे, निकालकर उसके होंठों से सटा दिये।
किसी नदीदे बच्चे की तरह जिसे जिंदगीं में पहली बार चाकलेट मिली हो, वह टूट पड़ा। कस-कसकर वह मेरे निपल चूस रहा था, चाट रहा था। दोनों हाथों से पकड़कर कभी दबाते हुए, कभी मेरी चूचियां चाटते हुए।
तभी मेरी निगाह टेबल पर रखे दूध पर पड़ी, कहा- “अरे, दूध तो मैं भूल ही गई…”
और अपने हाथों से मैंने उसे दूध पिलाना शुरू कर दिया। इसमें मैंने कामिनी भाभी की दी एक खास हर्ब मिलाई थी, जो एक कमजोर से कमजोर मर्द को भी रात भर के लिये सांड़ की ताकत दे देती थी। आधा ग्लास दूध खतम होने के बाद मुझे एक आइडिया आया-
“रुको, तुम लेट जाओ, और मुँह खोलो…”
और मैं उसके ऊपर इस तरह लेट गई कि मेरे निपल ठीक उसके होंठों के ऊपर थे। और मैं दूध ग्लास से अपनी टीन चूचियां पर इस तरह धीरे से गिरा रही थी की वो मेरे चूचुकों से होकर उसकी धार उसके मुँह में जाय। दूध खतम होने पर ग्लास में बची मलाई को मैंने उंगली से निकालकर कड़े मस्त जोबन पर लपेट लिया और उसे पास में खींचकर बोली-
“लो चाटो…”
जब तक वह मेरी मलाई लगी चूची चाट रहा था, मैंने उसके शार्ट नीचे सरका दिये और अपनी स्कर्ट को भी उठा दिया।
अब उसका मूसल जैसा, मोटा सख्त लण्ड अब सीधे मेरी चूत पर रगड़ रहा था।
अपनी चूत कस के उसके भूखे लण्ड पर रगड़ते हुए मैंने कहा-
“मिठाई तो मैंने खिला दी। अब मेरी रक्षा बंधन की गिफ्ट…”
“क्या चाहिये तुम्हें? बोलो…”
“यही…” यह कहकर मैंने कसकर अपनी चूत उसके लण्ड पर रगड़ी।
“अभी लो…”
और तुरंत मुझे पीठ के बल पटक कर वह मेरे ऊपर आ गया, जैसे बरसने के लिये तड़पता, सावन का बादल, प्यासी धरती के ऊपर छा जाय। उसका लण्ड अपनी प्यारी चूत को चूम रहा था। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी मुलायम किशोर कलाईयां पकड़ रखीं थीं।
बिजली की चमक में उसके दायें हाथ में मेरी बंधी राखी दमक रही थी।
मैं जानती थी कि आज मेरी बुर की बुरी हालत होने वाली है। पर होनी है तो हो जाय।