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Student padha rahi hai ya teacher, secondary sexual characters?Very madak, kamuk update sisसेकंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर…
उसने मुझे पकड़ने की कोशिश की, उसमें उसके हाथ मेरे उभारों से टकरा गये। वह हाथ हटाता, उसके पहले ही जैसे सहारा लेने के लिये, मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने उभारों पर हल्के से दबा दिया। कमरे से बाहर निकलते समय मैंने तिरछी निगाहों से देखा कि उसका तंबू तन गया था। जब मैं पानी लेकर लौटी तो वह अपने उभार को छिपाने के लिये टांगों पर टांगें क्रास करके बैठा था।
लो पियो, थोड़ी गरमी शांत हो जायेगी…” उसके हाथ में पानी पकड़ाते हुए मैं बोली।
“और पूरी… कब होगी?” आज चिड़िया चहकने लगी थी।
पर मैं क्यों चुप रहती- “होगी… जल्द ही जब जमकर बारिश होगी। बादल तो उमड़ घुमड़ रहे हैं… बिना बारिश के सावन का क्या मजा?”
फिर खिड़की के बाहर देखते हुए मैंने कहा- “और हां तुम्हें खाना खाकर जाना होगा…”
“नहीं नहीं… मुझे खाना नहीं…”
उसकी बात काटकर मैं बोली- “अब तुम्हें मेरी बात मानने की आदत डालनी चाहिये। तुम सीधे से नहीं खाओगे तो मैं जबर्दस्ती खिलाऊँगी…”
मैंने बायोलाजी की किताब खोल ली थी।
“ये एन्डोक्राइन ग्लैंड वाला… जरा एक बार समझा दो… तुम एक बार कोई चीज समझा देते हो ना तो फिर मैं कभी नहीं भूलती…” अब मैं उससे एकदम सटकर बैठी थी। हमारी जांघें टकरा रहीं थीं।
वो समझाने लगा पर मेरा ध्यान तो कहीं और था। उसके हाथ की मसल्स, पावर, रेशमी आवाज तो सीधे मेरी जांघों के बीच उतर रही थी, उसके बगल में बैठकर ही मैं गीली हो रही थी।
“अच्छा, तो तुमने समझ लिया ना अब तुम एक ओर से बोलो…”
उसकी आवाज ने मुझे वापस ला दिया और मैंने सारे हार्मोन के नाम गिना दिये।
“तुम तो बहुत तेज हो… तो फिर तुम्हें क्या समझाना है?” प्रशंसा से वो बोला।
“फीमेल हार्मोन… उसका असर… मेरा मतलब है सेकंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर…” मैं ध्यान से उसकी ओर देखते हुए बोली।
“वो तो बहुत सिम्पल है… मेरा मतलब जो बाडी में चेंज होता है… लड़कियों की…” अब वह कुछ घबड़ा रहा था।
पर मैं उसे ऐसे छोड़ने वाली नहीं थी। मुश्कुराहट दबाते हुए, मैं बोली- “वही तो? क्या चेंज होता है? साफ-साफ बताओ ना…”
“अरे वही जब लड़कियां बड़ी होती हैं तो उनके… तुम ये किताब में पढ़ लेना ना…” अब वह हार मान रहा था
मैं बोली- “अरे उतना तो मुझे भी मालूम है, सीने के उभार बड़े हो जाते हैं, नितंब और विकसित हो जाते हैं। बाल और जगहों पर भी…”
तब तक आवाज आई खाना लगाने के लिये और मैं उठ गई। झुक कर नीचे के ड्राअर से मैंने कुछ एल्बम निकाले। कनखियों से मैंने देखा कि वह कैसे मेरी टीन चूचियों को ललचायी निगाह से निहार रहा है। कुछ देर और उसे जोबन का नजारा कराने के बाद, मैं उठी और मैंने एल्बम उसके हाथ में पकड़ा दिये। उसमें मेरी स्कूल की, पिकनिक, स्पोर्ट्स, नाच की फोटुयें थीं।
“लो देखो, तब तक मैं खाना ले के आती हूं…”
Thanks STUDENT dikha rahi ...Student padha rahi hai ya teacher, secondary sexual characters?Very madak, kamuk update sis
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Bahut mast khel chal raha hai, चुन्नू - चुन्नी ki bhi rakhi sath mei मन जाये तो मज़ा आ जायेसेकंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर…
उसने मुझे पकड़ने की कोशिश की, उसमें उसके हाथ मेरे उभारों से टकरा गये। वह हाथ हटाता, उसके पहले ही जैसे सहारा लेने के लिये, मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने उभारों पर हल्के से दबा दिया। कमरे से बाहर निकलते समय मैंने तिरछी निगाहों से देखा कि उसका तंबू तन गया था। जब मैं पानी लेकर लौटी तो वह अपने उभार को छिपाने के लिये टांगों पर टांगें क्रास करके बैठा था।
लो पियो, थोड़ी गरमी शांत हो जायेगी…” उसके हाथ में पानी पकड़ाते हुए मैं बोली।
“और पूरी… कब होगी?” आज चिड़िया चहकने लगी थी।
पर मैं क्यों चुप रहती- “होगी… जल्द ही जब जमकर बारिश होगी। बादल तो उमड़ घुमड़ रहे हैं… बिना बारिश के सावन का क्या मजा?”
फिर खिड़की के बाहर देखते हुए मैंने कहा- “और हां तुम्हें खाना खाकर जाना होगा…”
“नहीं नहीं… मुझे खाना नहीं…”
उसकी बात काटकर मैं बोली- “अब तुम्हें मेरी बात मानने की आदत डालनी चाहिये। तुम सीधे से नहीं खाओगे तो मैं जबर्दस्ती खिलाऊँगी…”
मैंने बायोलाजी की किताब खोल ली थी।
“ये एन्डोक्राइन ग्लैंड वाला… जरा एक बार समझा दो… तुम एक बार कोई चीज समझा देते हो ना तो फिर मैं कभी नहीं भूलती…” अब मैं उससे एकदम सटकर बैठी थी। हमारी जांघें टकरा रहीं थीं।
वो समझाने लगा पर मेरा ध्यान तो कहीं और था। उसके हाथ की मसल्स, पावर, रेशमी आवाज तो सीधे मेरी जांघों के बीच उतर रही थी, उसके बगल में बैठकर ही मैं गीली हो रही थी।
“अच्छा, तो तुमने समझ लिया ना अब तुम एक ओर से बोलो…”
उसकी आवाज ने मुझे वापस ला दिया और मैंने सारे हार्मोन के नाम गिना दिये।
“तुम तो बहुत तेज हो… तो फिर तुम्हें क्या समझाना है?” प्रशंसा से वो बोला।
“फीमेल हार्मोन… उसका असर… मेरा मतलब है सेकंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर…” मैं ध्यान से उसकी ओर देखते हुए बोली।
“वो तो बहुत सिम्पल है… मेरा मतलब जो बाडी में चेंज होता है… लड़कियों की…” अब वह कुछ घबड़ा रहा था।
पर मैं उसे ऐसे छोड़ने वाली नहीं थी। मुश्कुराहट दबाते हुए, मैं बोली- “वही तो? क्या चेंज होता है? साफ-साफ बताओ ना…”
“अरे वही जब लड़कियां बड़ी होती हैं तो उनके… तुम ये किताब में पढ़ लेना ना…” अब वह हार मान रहा था
मैं बोली- “अरे उतना तो मुझे भी मालूम है, सीने के उभार बड़े हो जाते हैं, नितंब और विकसित हो जाते हैं। बाल और जगहों पर भी…”
तब तक आवाज आई खाना लगाने के लिये और मैं उठ गई। झुक कर नीचे के ड्राअर से मैंने कुछ एल्बम निकाले। कनखियों से मैंने देखा कि वह कैसे मेरी टीन चूचियों को ललचायी निगाह से निहार रहा है। कुछ देर और उसे जोबन का नजारा कराने के बाद, मैं उठी और मैंने एल्बम उसके हाथ में पकड़ा दिये। उसमें मेरी स्कूल की, पिकनिक, स्पोर्ट्स, नाच की फोटुयें थीं।
“लो देखो, तब तक मैं खाना ले के आती हूं…”
ThanksBahut mast khel chal raha hai, चुन्नू - चुन्नी ki bhi rakhi sath mei मन जाये तो मज़ा आ जाये