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Lajawab Komal Ji, pichle kuchh bhaag is kahani ke purani wali story se new hai jo xossip pr thi. Maja aa gya
Ekdam sahi kaha aapne i am adding a lot of new episodes, so falavour vahi, lekin kahani nayiLajawab Komal Ji, pichle kuchh bhaag is kahani ke purani wali story se new hai jo xossip pr thi. Maja aa gya
Super update komal jiभाभी के किस्से -डबल चढ़ाई
बसंती खिलखिलाने लगी,
" अरे बहुत मजा आया, और मैं और गुलबिया हमी दोनों,... ननद की बिल पर सबसे पहले किसका हक़ है, ननद की भाभी के भाई क न तो बस उहै, त तोहरे चंपा भाभी के दोनों भाई, बेचारे दोनों बहुत सीधे, सगे तो कोई हैं नहीं उनके, एक ममेरा एक चचेरा,... अरे एक दिन के लिए आये थे तीज ले के अरे यही भादों वाली तीज, ... अगले दिन तिझरिया को चले जाते, और घर में और कोई था भी नहीं, न भैया, अरे चंपा भाभी के मरद अपनी माँ के साथ कहीं रिश्तेदारी में गए थे चार पांच दिन के लिए "
मैं ध्यान से पूरी बात सुन रही थी।
और बसंती खूब मजे से रस ले लेकर बता रही थी, मेरी भाभी के कुंवारेपन के किस्से।
" वो बहुत गरमाई रहती थीं एकदम जैसे बछिया सांड के लिए चोकरती हैं वैसे, और एक साथ दो दो जोरदार मरद, और ओह टाइम जब महतारी और भाई दोनों घर से बाहर, खाली भौजाई घर में,... तो तोहरे चंपा भाभी के दुनो भाई एकदम कड़ियल मरद, खूब कसरती देह,... "
मेरी आँखों में भी चमक आ गयी, मेरे मुंह से निकल गया,
" नंबरी चोदू " मेरे मुंह से निकल गया
और बसंती एकदम खिलखिला के हंस पड़ी, बोली " तोहूँ के अब मरद क समझ आय गयी है। " फिर बात आगे बढ़ाई,
लेकिन बहुत सीधे, और लजाते तो ऐसे की गौने की दुल्हन मात
उमर भी, बस अभी रेख आ रही थी, खूब गोरे, लेकिन देख के लगता था की जांगर बहुत होगा,... चम्पा भाभी तोहरे बाद में खुदै बतायीं, दुनो कब्बडी और पहलवानी दोनों में का कहते हैं उ हां चैंपियन,... "
लेकिन मैं उकता रही थी, बसंती से मैं बोल पड़ी, " अरे भौजी हमरे भाभी क का हाल हुआ उन दुनो को देख के,... "
वो जोर से मुस्करायीं फिर बोली,
"अरे भाभी के भाइयों को छेड़ने का हक तो ननदों को रहता है है , फिर तोहार भाभी अइसन गरमान, अरे तिलक में जब दुल्हिन क भाई आते हैं तिलक चढाने तो सबसे ज्यादा दूल्हे क बहिनी पीछे पड़ती हैं, जम के गारी सुनाती हैं, आते ही चालू, स्साले स्साले कह के, अरे हमरे भैया के साले हो तो हमारे भी तो स्साले ही हुए, क्यों स्साले, बहिन की बहुत याद आ रही थी, मौका अच्छा है, आज हो जाए पुरानी याद ताज़ी, भैया भी नहीं है,... "
मैं सोच रही थी ,
बात एकदम सही है , चंपा भाभी के साथ तो भाभी का एकदम खुल के मजाक चलता है ओह दिन रात में, जउने दिन अजय आया था , रात भर हमरे ऊपर चढ़ा रहा, ओह दिन भाभी खुदे हमके मुन्ना को दिए थीं माँ के पास सुलाने को , और वो खुद चंपा भाभी के पास, और जो हमको उनको चिढ़ाए की सुबह आ के जगा देंगे, तो हमको मुट्ठी दिखा के बोलीं,
"ये देख रही हो , तोहरी बुरिया में कोहनी तक पेल देंगे, अगर सुबह इधर आयी, ... '
और छेद में मैं देख रही थी , क्या मरद औरत चिपकते होंगे, मिनट भर में दोनोंननद भौजाई की साड़ी ब्लाउज पेटीकोट कुल फर्श पर,
बसंती ने आगे बताया, भाभी कैसे चम्पा भाभी को छेड़ रही थीं, उनके दोनों भाइयों के सामने ही , वो दोनों बसंती और गुलबिया भी थीं,
" काहो भाभी , कल शाम को ही भैया गए और आज मायके से एक के बदले दो दो मंगा लिए, चलिए आपके मुंह का भी स्वाद बदल जाएगा, मायके की पुरानी याद ताजा हो जायेगी, मैं भैया से कुछ नहीं कहूँगी, ... लेकिन ये बताइये ये दोनों स्साले, बारी बारी से चढ़ेंगे, या एक साथ ही घोटियेगा दोनों का,... "
वैसे तो चम्पा भाभी पलट के जवाब दे देतीं, लेकिन अपने दोनों छोटे भाइयों के सामने वो भी थोड़ा सा हिचक रही थीं, तब भी तोहरी भाभी से वो धीमे से कुछ हिचकते बोलीं
"धत्त बिन्नो, तुम्हारे यहाँ का रिवाज है भाई के साथ, ... मेरे तो दोनों भाई हैं , हां तोहरे यार लगेंगे,... तू चाहा तो,..."
लेकिन मैं और गुलबिया चुकने वाले नहीं थी, तोहार भाभी हम लोगों की भी ननद थी, तो गुलबिया बोली,
" ऐसा करो बिन्नो अभी से ही अपनी बिलिया में आगे पीछे दोनों ओर कडुवा तेल लगाना शुरू कर दो और थोड़ बहुत ना, एक पाव आगे, एक पाव पीछे, राती तक दो तीन बार, ... हमार भाई है तोहरे गाँव क ना , एकदम से चीर के रख देंगे,... "
लेकिन तोहार भाभी तो अस गरमान रहीं , हंस के उन दोनों लड़कों की ओर देखते हुए चिढ़ाते जैसे चुनौती देते बोली,
" अरे भाभी तोहरे भाइयों की, इन स्सालों की हिम्मत नहीं है , मुंह तो खुल नहीं रहा है, जब से आये हैं अस लजा रहे हैं , चीर फाड़ क्या करेंगे। "
अब चंपा भाभी से नहीं रहा गया , दोनों से बोली,
" क्यों माल पसंद है , छोड़ना मत अब"
और उन दोनों की भी हिम्मत बढ़ी अब खुल के तोहरे भाभी को देखने लगे, और तोहार भाभी कउनो पुरान टॉप स्कर्ट पहने थीं , माल तो मस्त थीं ही , टॉप एकदम टाइट जोबन टॉप फाड़ रहे थे।
मुझसे नहीं रहा गया , मैं तोहरे भाभी से बोली,..
"जो स्साला स्साला बोल रही हो न आज रात पक्का ई हमार दोनों भाई तोहरे भाई को आपन साला बना देंगे, उनकी बहिनी पर चढ़ाई कर के,.. गुलबिया सही कह रही है अभी से तैयारी शुरू कर दो ,"
और रात को हम और गुलबिया मिल के गुड़ क खीर बनाये और ओहमें बहुत कुछ,
दोनों लड़कन क लिए और ताकत तो उन दोनों में बहुत थी, लेकिन सोझ बहुत थी और वो खीर खा के ऐसा जोश चढ़ता, की कुल शर्म लिहाज भुलाय के, अइसन चढ़ाई करते, और खाना खाते समय भी गुलबिया चिढ़ा तो तोहरी भाभी के रही थी लेकिन उकसा उन दोनों को रही थी, तोहरी भाभी परस रही थीं, गुलबिया बोली,
" हे अबहीं से तय कर लो , बारी बारी से की साथ साथ,... "
तो तोहार भाभी उन लड़कों के सामने आपन छोट छोट जोबन खूब उभार के ललचा रही थी.तनक कर बोली,
" हे भौजी तोहार ननद हूँ , चाहे बारी बारी आवें चाहे साथ साथ मैं पीछे नहीं हटने वाली, लेकिन हमको तो सक हो रहा है की ये दोनों भैया के साले हैं की साली , इतना लजा रहे हैं,... "
मैं क्यों पीछे रहती, बोली,
" अरी बिन्नो तोहरे सामने हैं खोल के देख लो, पकड़ के देख लो, घोंट के देख लो अगवाड़े लो, पिछवाड़े लो, तोहरे मायके वाले से ई हमरे मायके वाले २० नहीं चौबीस पचीस ही निकलेंगे , लम्बाई मोटाई कड़ाई जिसमें चाहो। ओकरे बाद उन दोनों लड़कों से बोली, और हमरी ननद को भी कम समझना, बारी बारी से क्यों साथ साथ घोंटेंगी तुम दोनों का , अरे एक कउनो और तोहार भाई दोस्त होता तो उसका भी ले लेती ये, गपागप, अरे मुंह में लेगी , अगवाड़े घोंटेंगी , पिछवाड़े घोंटेंगी, तो एक साथे , भले बाद में साइड बदल बदल कर आगे पीछे दोनों ओर का,... "
हम दोनों को बोलते देख चंपा भाभी को भी जोश आ गया, तुम्हारी भाभी परस रही थीं, दोनों को , तो वो बोलीं,
" अरे बिन्नो ज़रा हमारे भाइयों को ठीक से दो, ... कंजूसी मत करो ,... "
लेकिन सच में, तोहार भाभी एकदम गरमाई थीं उलटे उन दोनों लड़को को चिढ़ाते देखते बोलीं,
" अरे भाभी, मैंने तो मन भर के दे रही हूँ , यही आपके भाई लेने में पीछे हट रहे हैं, अरे आज रोज आप हमारे भैया को गपागप देती हैं , तो एक दिन आप के भाई को चलिए मैं भी ,... " और ढेर सारी सब्जी कटोरी में डालतेउ न दोनों को छेड़ते बोली,
" स्साले मैं डाल रही हूँ , चुपचाप डलवा लो , जैसे तेरी बहने डलवाती हैं "
तीन तीन बैठी हैं पूछ लो,
चंपा भाभी भी अब मूड में आ गयी थीं अपनी ननद , तुम्हारी भाभी से बोलीं, " बिन्नो अभी तुम डाल लो, रात भर ये दोनों डालेंगे न सूद ब्याज के साथ, मेरा कमरा बगल में ही है , वहीँ से चीख चिल्लाहट सुनूंगी ,... "
खाने के बाद मैंने और गुलबिया ने वो खीर का बड़ा सा कटोरा लेकर तोहरी भाभी को , चंपा भाभी के दोनों भाई के कमरे में भेजा, गुलबिया बोली,
" ननद रानी तू केका केका दूध पियावत हू हमके सब मालूम है तानी ये कटोरा भर खीर अपने हाथ से हमरे दोनों भाई को खिला देना "
हम दोनों, मैं और गुलबिया, उसे लेकर जिस कमरे में दोनों चंपा भाई के भाभी थे लेकर गए, और जैसे वो अंदर घुसी, मैंने बाहर से कमरा बंद कर दिया और तोहरी भाभी को सुनाय दिया, अब ये कोठरी १२ घंटे बाद ही खुलेगी और तब हम और गुलबिया तोहरे अगवाड़े पिछवाड़े का हाल देखेंगे ,... "
मुझसे नहीं रहा गया, मैं पूछ बैठी , तो अगले दिन सबेरे,... लेकिन मेरी बात काट के बंसती बोली,
" अरे सबेरे क्यों, गाँव में कुल कोठरी में दो चार छेद, बिल्लुका तो होता है , तो हम और गुलबिया रात भर और चंपा भाभी को आँखों देखा हाल सुनाते रहे, आधा घंटा तो तोहार भाभी , नखड़ा छिनारपन की लेकिन जब दोनों कस कस एक जोबन मसलने लगे , चुम्मा चाटी तो उहौ टांग फैला दिन , पहले तो एक राउंड दुनो बारी बारी से,
था भी दोनों भाई क जबरदस्त मूसर, और सबेरे से जउन एतना तोहार भाभी उन सबों को गरिया रहीं थी आपन छोट छोट जोबना दिखाय ललचा रही थीं, फिर तो अब उन दोनों के बहिनी क, तोहरे चंपा भाभी क भी का कहते हैं हाँ हरी झंडी मिल गयी बस, का, खूब रगड़ रगड़ के , अइसन तोहार भाभी चीखें चिल्लाये,... चम्पा भाभी अपनी ननद तोहरी भाभी के बोली थीं की रात को उनकी चीख सुनेंगी, लेकिन उनकी कोठरी तो छोड़ा, आधे गाँव में,... सबेरे महरीन आयी तो वो पूछने लगी तोहरी भाभी से बहुत चीख पुकार मची क्या हो गया था,
मुझे सुन सुन के मजा आरहा था , मैंने पूछ लिया ,
अरे भौजी तू तो बिल्लुका से देख रही थी न इ बतावा की खाली ऊपर चढ़ के,...
अब बसंती को मुझे खींचने का मौका मिल गया , मुझे हड़काते बोली , ... बात पूरी करा पहले ,... ऊपर चढ़ के का,... का तय हुआ था की कुल चीज तू साफ़ साफ़ बोलोगी और,... कुट्टी हो जायेगी,...
" अरे नहीं हमार निक भौजी, बतावा हमार भाभी कैसे कैसे चोदी, लेटाय के चोदा की निहुराय के भी चोदा, गोदिया में बैठाय के चोदा,... " बसंती को तो न मैंने नाराज करने के सोच सकती थी न भाभी के इन मजेदार किस्सों पर ब्रेक लगाने के बारे में सोच सकती।
पहले लिटाय के , फिर निहुराय के कुतीया बना के ,
जांगरदार मरद ओकरे बिना छोड़ते हैं कहीं , बसंती बोली
और मुझे भी लगा बात उसकी एक एकदम सही है , सुनील अजय दिनेश सब तो मुझे निहुरा निहुरा के, दर्द भी बहुत होता है मजा भी बहुत होता है , लेकिन बसंती ने बात जारी रखी ,
पहले छुटका लिटाय लिटाय के निहुराय के और ओकरे झड़ने के बाद बड़का , एकदम दबोच के कुतिया बनाय के और हर धक्का,... और तोहार भाभी तो तोहरी उमरिया वाली , हमार और गुलबिया क जी काँप ज्जा रहा था जैसे हचक हचक के
एक एक राउंड दोनों ऐसे किये फिर और ओकरे बाद अपने असली रंग में आ गए , फिर तो बुर और गांड दोनों क उ कुटाई हुयी, ...
गाँड़ मारने में तो दोनों नम्बरी थे, कभी चित्त कभी पट्ट
तोहार भाभी जितना रोयें उतना जोर से दोनों धक्का मारते थे , साथ में कबौ गाल काटें कबो कचकचाय के चूँची काट लें , की अगले दिन भी निशान रही तो गाँव भर देखी,
तोहार भाभी थेथर हो गयीं लेकिन उ दोनों छोड़े नहीं, तीन बार लगातार का कहते हैं न सैंडविच, एक बुरिया में दूसरा गंडिया में,
खूब चीख चिल्लाहट भई लेकिन कमरा तो बारह घंटा बाद ही खुलना था , ..
और जब दोनों साथे चढ़े तो हम चंपा भाभी को भी बुलाय लिए।
फिर गांड मार के सीधे मुंहे में , उ बहुत मुंह बनायी लेकिन दोनों चटाई के ही माने, "
मैं अपनी हाल की याद कर रही थी , गाँड़ मारने के बाद कैसे दिनेश ने जबदरस्ती साफ़ सूफ करवाया , पूरा चटवाया।
फिर, मैंने आगे की बात पूछी,
" फिर क्या , चंपा भाभी के दोनों भाई एक दिन के लिए आये थे हफ्ते भर रहे , और दो दिन के बाद तो दिन दहाड़े मेरे और गुलबिया के सामने भी , डबल चुदाई। "
बहुत बहुत धन्यवाद आपको पसंद आया , भाभी के किस्से अभी जारी रहेंगे और नए पन्ने जुड़ेंगे बस बने रहिये साथ,बहुतै नीक अपडेट छै...
लागल रहू अइसही...