Update 39
अंदर दोनों शांत हुए तो बाहर एक तूफ़ान आकर गुजर गया, काव्या ने भी अपनी चूत के रस की धार वहीँ सीढ़ियों पर निकालकर उन्हें पवित्र कर दिया
तभी काव्या को ऊपर का दरवाजा खुलने की और किसी के नीचे उतरने की आवाज आई और वो भागकर नीचे उतर गयी और सीढ़ियों के नीचे बनी हुई जगह पर छुप गयी.
उपर से उतरने वाला कोइ और नहीं, बल्कि उसका सौतेला बाप समीर था.
उसने लोकेश के रूम कि बेल बजाई, और लोकेश ने दरवाजा खोलकर समीर को अंदर बुला लिया
काव्या भी भागकर वापिस सीढ़ियों पर चढ़ गयी, और अंदर देखने लगी.
समीर बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई रितु को देखकर हैरानी से बोला : "ओहो , तो यहाँ ये सब चल रहा है … मै भी सोचु, इतनी देर से ये चीखने कि आवाजें कहां से आ रही थी ''…
रितु ने जब समीर को देख तो उठ खड़ी हुई और नंगी ही चलती हुई समीर के पास पहुंची और उसके गले से लिपट गयी.
समीर ने भी उसे अपनी ताकतवर बाजुओं मे पकडकर उसके हलवे जैसे शरीर को मसल दिया..
रितु (शिकायती लहजे मे ) : "मुझे आपसे तो बहुत शिकायत है, इतने टाइम बाद आये हो और वो भी अपनी बीबी के साथ , आपको पता है न जब तक आप दोनो एक साथ मुझे ना चोदे तो मेरी प्यास नहीं बुझती , देखिये न, अभी -२ सर ने मेरी चूत बुरी तरह से मारी है और मैं अभी -२ झड़ी हु, पर आपको यहॉँ देखकर फ़िर से अंदर कि चिंगारियां निकलने लगी है ''
शिकायत करते -२ उसका लहजा बदलकर कामुक हो ग़या और उसकी उन्गलियों ने अपनी चूत पर जमा हुआ घी खुरचकर अपनी क्लिट पर मला और उसे गरम करके पिघलाने लगी
लोकेश ने भी समीर कि शिकायत का जवाब देते हुए कहा : "यार, एक तो तुम भाभी के साथ खुल्ले मे चुसम चुसाई कर रहे थे , वो सीन देखकर मेरा क़्या हाल हो रहा था इतनी देर से तुम्हे क्या पता , इसलिए मैने रीतु को यहॉँ बुलाया ''
लोकेश कि बात सुनकर समीर हंस दिया और नीचे झुककर उसने रितु निप्पल को अपने दांतों से कचोट लिया और धीरे -२ अपनी जीभ से उसकी गर्दन को चाटते हुए उपर कि तरफ़ आया , वो भी उसकी गर्दन से झूलकर समीर का साथ देने लगी
सच मे, एक नम्बर कि रंडी थी वो रीतु।
तभी समीर ने कुछ ऐसा बोला कि सीडियो पर छुपकर उनकी बाते सुन रही काव्या को अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ ....
समीर : "अब तो देख लिया ना तूने अपनी भाभी का नंगा जिस्म, ……… बता , कैसा लगा ??"
लोकेश कुछ देर तक चुप रहा और फ़िर अपने मुरझाये हुए लँड को अपने हाथों से मसलता हुआ बोला : "यार, कसम से, ऐसी चीज तो मैने आज तक नहीं देखी, साली के मोंटे मुम्मे देखकर मेरा तो मन कर रहा था कि वहीँ के वहीँ अपना लँड उसके तरबूजों के बीच फंसा कर अपना रस निकाल दु, अब तो बस मन कर रह है कि साली को जल्द ही चोद डालु ''
अपने जिगरी दोस्त कि बीबी के बारे मे लोकेश अंकल ऎसी बातें कह रहे थे और उपर से उनका दोस्त, यानी काव्या का सौतेला बाप बडे मजे ले-लेकर उसकी बातें सुन रहा था और अपनी बाहों मे मचल रही रीतु के मोंटे मुम्मों को चूस रहा था.
काव्या कि समझ मे नहीं आ रहा था कि वो दोनो ऐसा क्यो कर रहे हैं, पर उसका जवाब भी जल्द ही मिल ग़या उसे..
समीर : "यार, आज तक हमने जो भी काम किया है, मिल बांटकर किया है ,जब तूने मुझे अपनी बीबी को चोदने से नहीं रोका, तो मै कौन होता हु तुझे रोकने वाला, कोइ प्लान बना और चोद डाल उसे, वैसे एक बात बोलू, तुझे उस वक़्त अपने सामने देखकर वो काफी नाराज हुई थी, उसे अपनी बोतल मे उतारना आसान नहीं होगा तेरे लिये ''
और इसी के साथ समीर की तीन उँगलियाँ एक साथ रितु कि चूत के अंदर घुस गयी, वो बेचारी अपनी आंखें फैला कर अपने पंजों पर खड़ी होकर सिसकारने लगी
समीर ने रितु को बेड पर लिटाया और अपनी तीनो उँगलियों से उसकी चूत को किसी पिस्टन कि तरह चौदने लगा
लोकेश का लँड भी अब पूरे शबाब पर था, शायद रश्मि के बारे मे सोचते हुए ऐसा हुआ होगा
लोकेश : "उसकी चिंता तू छोड़ दे, ऐसी औरतों को कैसे बोतल में उतरा जाता है वो मुझे अच्छी तरह से पता है ''
काव्या बेचारी अभी तक शॉक में थी, अपनी माँ के बारे मे ऎसी गन्दी बात उसने आज तक नहीं सुनी थी , पर ना जाने क्यो, उसे गुस्सा नहीं आ रहा था इस बात पर, क्योंकि अचानक उसने अपनी माँ कि जगह पर अपने आप को रख कर देखा, तब उसे महसूस हुआ कि एक तरफ तो उसे मज़ा देने के लिये समीर है, और दूसरी तरफ उसके हुस्न पर अपनी गिद्ध जैसी नजरें लगाये हुए उसके पति का जिगरी दोस्त लोकेश है, और जब समीर दूसरी लडकियों के साथ मौज मस्ती कर रहा है और उसे कोइ आपत्ति नहीं है कि उसकी बीबी उसके ही दोस्त के साथ चुदाई का खेल खेले, तो उसकी माँ रश्मि को क्या प्रोब्लेम हो सकती है