Update 64
पर फिर भी विक्की अपनी तरफ से कोई पहल नही कर रहा था, वरना ऐसी हालत मे देखकर कोई भी इंसान अपने आप पर सब्र नही रख सकता..वो समझ गयी की ये आजकल के जवान लड़के-लड़कियों पर जो सच्चे प्यार का भूत सवार होता है, वही इस वक़्त विक्की के सर पर भी सवार है...और शायद इसलिए वो अपनी प्रेमिका की माँ के साथ कुछ भी करने से कतरा रहा है..उसने ऐसी सीचुएशन को दूसरी तरह से निपटने की सोची..
रश्मि धीरे से आगे आई और विक्की के गले से लिपट गयी...और उसके हाथों को पकड़ कर उसने अपनी कमर पर रख दिया..
रश्मि : "मैं जानती हूँ की तुम मेरी बेटी से प्यार करते हो...और जो कुछ भी मैं कर रही हू वो सही नही है..पर मेरा यकीन मानो, ये जो कुछ भी हम कर रहे हैं, इसका काव्या या किसी और को कुछ भी पता नही चलेगा...''
विक्की भी उसकी चालाकी भरी बात सुनकर दंग रह गया, वो सोच भी नही सकता था की ऐसी मासूम सी दिखने वाली औरत अपनी चुदाई के लिए इतनी गिर सकती है की अपनी ही बेटी के प्रेमी से चुदने के लिए तैयार हो गयी और उपर से वो बात छुपाने के लिए भी कह रही है...भले ही वो उसकी बेटी का असली प्रेमी नही है, पर अगर होता भी तो ऐसे लुभावने ऑफर से कोई भी बच कर नही निकल सकता था..
पर विक्की का शातिर दिमाग़ भी अपनी चाल चल रहा था.
विक्की : "मैं समझता हू आंटी...पर आप भी समझने की कोशिश करिए...मैने काव्या को वचन दिया है...वही मेरी जिंदगी की पहली लड़की होगी , जिसके साथ मैं फकिंग करूँगा...आप फकिंग के अलावा मेरे साथ कुछ भी कर सकती है, मुझे कोई प्राब्लम नही है...पर इस काम के लिए आपको तब तक वेट करना होगा , जब तक मैं उसकी सील नही तोड़ देता..और अपनी वर्जीनीटी भी मैं उसके साथ नही गँवा देता...''
उसकी सपाट सी बात सुनकर रश्मि दंग रह गयी, वो कितनी आसानी से उसकी ही बेटी को चोदने की बात कर रहा था उसके सामने...और वो किसी भी तरह का गुस्सा भी नही कर सकती थी...अभी तक की बातों से वो इतना तो जान ही गयी थी की दोनो के बीच शारीरिक संबंध ज़रूर है, पर उन्होने चुदाई अभी तक नही की है...ये सोचकर ही रश्मि को काफ़ी सकून सा मिला..
पर उसी पल मे रश्मि अपनी बेटी के ना चुदने से मायूस भी हो गयी, काश वो अब तक चुद चुकी होती विक्की से, तो आज वो भी विक्की के लंड को अपनी चूत मे पिलवा रही होती..
एक ही पल मे उसके मन मे हज़ारों तरह के विचार आ रहे थे..जिन्हे पड़ने की कोशिश विक्की कर रहा था, पर उसकी समझ मे कुछ भी नही आ रहा था..
रश्मि तो अपना पूरा मूड बना चुकी थी विक्की के लंड को अंदर लेने का, वो बोली : "तो...तुम दोनो....कब ...वो सब करने वाले हो.....''
यानी वो विक्की से पूछना चाह रही थी की कब वो उसकी बेटी की चुदाई करेगा, ताकि बाद मे वो उसकी भी मार सके...
विक्की : "अभी तक तो मैने उसको सही से प्रोपोस भी नही किया....इसलिए तो उससे मिलने के लिए मैने उसको लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को...''
ये बात उसने उसी बात को सुनकर कही थी जो रश्मि ने आते ही उससे पूछी थी, वरना उसको क्या पता था की काव्या ने ऐसा झूठ क्यो बोला है, उससे मिलने का, लवर पॉइंट पर,संडे को..
रश्मि : "लेकिन वहाँ तो कुछ भी नही हो पाएगा तुम दोनो के बीच...''
फिर कुछ देर सोचने के बाद वो बोली : "तुम एक काम करो, सैटरडे को मेरे घर आ जाओ, मेरे पति तो ऑफीस जाते हैं, पर काव्या की छुट्टी होती है, तुम उससे वहीं मिल लेना...उसके बेडरूम मे...''
इतना कहकर वो नज़रें झुका कर बैठ गयी....शायद आगे की बात बोलने की हिम्मत नही थी उसमे...वो खुद अपनी बेटी की चुदाई का इंतज़ाम जो कर रही थी..
विक्की : "अरे वाव आंटी....ये तो बहुत बढ़िया तरीका है...ठीक है...मैं आ जाऊंगा ..''
पर अभी के लिए तो रश्मि कुछ ना कुछ करना ही चाहती थी...भागते भूत की लंगोटी ही सही...ये सोचकर वो फिर से विक्की से लिपट गयी और उसको ज़ोर-2 से चूमने लगी...जैसे उसकी ज़िदगी की सबसे बड़ी प्रॉब्लम दूर कर दी हो उसने.
विक्की ने बोलना चाहा : "पर आंटी...मैने बोला ना....ये सब...''
रश्मि ने बीच मे ही उसकी बात काट दी : "वो सब नही..पर कुछ और तो कर ही सकते है ना...''
रश्मि उसके सामने बैठ गयी और बोली : "प्लीज , मुझे ये सक करने दो ''
विक्की की समझ से परे थी ये औरत...वो अपनी चुदाई के लिए हर हद पार कर देना चाहती थी.. पर अभी के मज़े लेने मे उसको भी कोई प्राब्लम नही थी..वो अपने मोटे-2 मुम्मों को अपने ही हाथों से पिचकाती हुई उसके लंड को चूस रही थी...
अपनी थूक से उसने विक्की के लंड को पूरी तरह से नहला दिया..फिर उसे अपने मुम्मो के बीच लेकर उसको टिट मसाज देने लगी...विक्की ने उपर उठकर उसके होंठों को चूम लिया...और फिर उसके सेक्सी से चेहरे को देखते हुए उसने खुद ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया...वो उसकी टाँगो के बीच बैठी थी...प्यासी सी...सेक्स मे नहाई हुई सी...
और अचानक उसके लरजते हुए होंठों को देखते हुए विक्की के लंड से रसमलाई निकल कर उसके चेहरे पर गिरने लगी... और देखते ही देखते उसने रश्मि के पूरे चेहरे पर बर्फ़बारी करके उसको सफेद चादर से ढक दिया..बाकी की बची हुई मलाई उसने खुद ही चूस-चूस्कर खा ली.
रश्मि की प्यास अभी भी नही बुझी थी...और विक्की ने उसे बुझाने के लिए कोई और जतन भी नही किया...आख़िर थकी हुई सी रश्मि की समझ मे ये बात आ ही गयी की वो अपनी बात पर अडिग है, और फिर उसने बाथरूम मे जाकर अपने आप को साफ़ किया...उसके कपड़े हल्के से गीले थे, पर फिर भी उसने उन्हे पहना और तैयार हो गयी.
विक्की ने भी कपड़े पहन लिए थे...और फिर बाहर जाती हुई रश्मि एकदम से रुकी और बोली : "आज तो मैने तेरी बात का मान रख लिया है...पर तेरा काम पूरा हो जाने के बाद मैं तुझे नही छोड़ूँगी...तुझे मेरी प्यास बुझानी ही पड़ेगी...सैटरडे को 1 बजे तक आ जाना मेरे घर..''
इतना कहकर वो बाहर निकल गयी..
और विक्की अपनी किस्मत पर खुश होकर आने वेल सैटरडे के सपने देखने लगा.
घर पहुँचकर रश्मि काफ़ी खुश थी....आज पूरे दिन के बारे मे सोचकर वो मुस्कुराए ही जा रही थी..उसने तो सोचा भी नही था की वो ऐसी बन जाएगी...अभी कुछ समय पहले ही तो उसकी शादी हुई है..इतने सालो से दबी हुई वासना अब भयानक रूप लेकर बाहर निकल रही है, शायद इसलिए उसकी प्यास सिर्फ़ अपने नये पति से नही बुझ रही है..वो खुद नही जानती थी की वो ऐसा क्यो बिहेव कर रही है..उसका तन और मन अब उसके दिमाग़ की नही सुन रहे थे ,वो अपनी जिंदगी के हर मज़े लेना चाहती थी, वैसे मज़ा तो उसको विक्की के बाप के साथ भी आया था, पर वो बुड्ढा भी सही से और समय की कमी की वजह से कुछ नही कर पाया वरना आज उसके पास भी सुनहरा अवसर था उसकी चूत मारने का.
दूसरों से चुदाई करवाने का विचार आते ही उसके मन मे एकदम से हज़ारों ओप्शन्स आने लगे...की वो अगर खुलकर चुदाई करवाना चाहे तो बिना किसी डर के किस-किससे चुदवा सकती है..
अपनी बेटी के बाय्फ्रेंड से तो वो चुदवाने को तैयार हो ही चुकी थी ..अपने पति के दोस्त लोकेश से करे तो वो भी मना नही करेगा...उसकी भूखी नज़रों को वो अच्छी तरह से समझती थी..और उसने तो उसको और समीर को नंगा भी देखा था, हनिमून पर..और कौन हो सकता है...उसके घर के नौकर...ड्राइवर...
या फिर दोनों का एक साथ लेने में भी कितना मजा आएगा
और ये ख़याल आते ही उसके जहन में दृश्य उभर आया जिसमें वो दो लंडो से पिलवा है
और ये सब सोचते-2 उसकी चूत एकदम से गीली होकर रिसने लगी...वो अपनी सोच पर खुद ही मुस्कुरा दी..ऐसा अगर सच मे हो गया तो वो दुनिया की सबसे बड़ी रांड बन जाएगी..
''क्या बात है माँ , अकेले बैठी हुई मुस्कुरा रही हो...'' काव्या ने अंदर आते हुए कहा..शायद उसने रश्मि को अकेले मे हंसते हुए देख लिया था...पर उसको अगर पता चल जाता की वो क्यो हंस रही है तो वो बेचारी भी हैरान रह जाती..
रश्मि ने सकपकाते हुए कहा : "अरे...कुछ भी तो नही..बस ऐसे ही कुछ याद आ गया..''
काव्या : "क्या माँ ...क्या याद आ गया...'' वो भी आज काफ़ी लाड वाले मूड मे थी..वो पालती मारकर वहीं रश्मि के पास बैठ गयी.
रश्मि ने कुछ सोचा , फिर बोली : "अपने स्कूल टाइम की बात याद आ गयी...एक लड़के के बारे मे सोच रही थी...''
काव्या की आँखे चमक उठी ये बात सुनकर , वो चहकति हुई बोली : "वाव मॉम , आप भी...मतलब आपके जमाने मे भी ये सब होता था..गर्लफ्रेंड, बाय्फ्रेंड एंड ऑल देट ...''
रश्मि (शर्म से लाल होते हुए) : "और नही तो क्या, तू क्या समझती है, तेरा बाय्फ्रेंड हो सकता है तो मेरा नही हो सकता क्या...मैं तेरे और तेरे उस फ्रेंड विक्की के बारे मे ही सोच रही थी..जब तूने उसके बारे मे बताया था , तब तो मुझे काफ़ी गुस्सा आया था, पर जब मैने सोचा की उस उम्र मे मैने भी तो ये सब किया है, तो मुझे तेरी सब बातें सही लगी..''
रश्मि बोले जा रही थी और उसकी बातें सुनकर काव्या के चेहरे के रंग बदल रहे थे...उसने अपना माथा पीट लिया, उसकी मनघड़त बातों को उसकी माँ ने सच समझ लिया था, वो तो उस विक्की से कितनी नफ़रत करती है, और वैसे भी उसने उसके और अपने चक्कर की बात तो किसी और मकसद से कही थी, जो अब पूरा हो चुका था, फिर ये माँ क्यो उसकी बात कर रही है.
रश्मि कहती रही : "तू ऐसा मत समझना बेटी की मैं या तेरे पापा तुझे समझते नही हैं, वो क्या है ना की तू अब जवान हो गयी है, ये सब सोच समझकर करना चाहिए...कौन कैसा है ,ये आजकल किसी के चेहरे पर नही लिखा रहता..''
काव्या अपनी माँ का बोर सा भाषण सुनती जा रही थी.
रश्मि : "मुझे उस लड़के के बारे मे ज़्यादा पता तो नही था, इसलिए मैं उससे मिलने गयी थी...''
रश्मि की ये बात सुनकर काव्या के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी..वो समझ गयी की उसका झूट पकड़ा जा चुका है...
पर रश्मि की अगली बात सुनकर वो हैरान रह गयी
रश्मि : "वो लड़का मुझे भी पसंद आया...ये उम्र अभी शादी की तो नही है तुम्हारी, पर प्यार भी एक हद तक करना चाहिए...तू समझ रही है ना मेरा मतलब...और मुझे उसके और तेरे मिलने से कोई ऐतराज नही है...वो भी तेरी काफ़ी तारीफ कर रहा था...और तुझसे प्यार भी काफ़ी करता है...''
काव्या की समझ मे नही आ रहा था की ये नया एंगल कहाँ से आ गया एकदम से ...उसने तो झूट बोला था अपने और विक्की के बारे में...फिर ये विक्की कैसे वही बात दोहरा रहा है उन दोनो के बारे मे...ओह्ह्ह्ह ....अब समझी...ये साला विक्की तो पहले से ही हरामी है, मेरी माँ के मुँह से सारी बातें सुनकर उसने भी बहते पानी मे हाथ धोने की सोची होगी...साला एक नंबर का हरामी है ये तो...उसने वो बात उसकी माँ को पता नही चलने दी, ताकि वो मुझसे सच मे मज़े ले सके...वो समझता क्या है अपने आप को, साला गली का कीड़ा...एक नंबर का हरामी, साला कुत्ता...
वो मन ही मन विक्की को कोस रही थी और उसको गालियाँ दे रही थी..
पर वो अपनी माँ को कैसे समझाती की ये सब झूट है, वो खुद अब ये बात बोलकर अपनी माँ और अपने प्यारे पापा समीर के सामने शर्मिंदा नही होना चाहती थी...
उसने सोच लिया की वो जल्द से जल्द विक्की से बात करेगी और सारी बातें साफ़ कर लेगी..
उसकी एक सहेली अभी भी वहीं रहती थी, और वो विक्की को अच्छी तरह से जानती थी, उससे विक्की का नंबर लेकर बात करनी पड़ेगी..
वो ये सोच ही रही थी की उसकी माँ ने एक और बोम्ब फेंक दिया उसके सिर पर.
रश्मि : "वैसे तो विक्की ने तुझे फोन करके बता ही दिया होगा, मैने उसको सेटरडे को यहाँ अपने घर बुलाया है...वो एक बजे तक आएगा...''
अब तो काव्या का सिर बुरी तरह से घूमने लगा..
काव्या : "वो ...वो ...क्यू मॉम ...''
रश्मि : "बेटी, तू मुझे अपनी दुश्मन मत समझ, दोस्त हू मैं तेरी...तू मेरी पीठ पीछे कुछ करेगी,वो तेरी नज़रों मे ग़लत होगा, और उसको छुपाने के लिए तू मुझसे झूट बोलेगी, जो मैं नही चाहती, इसलिए तू खुलकर उससे मिल, यहीं अपने घर पर,चाहे तो अपने रूम मे भी ले जा उसको...पर मैं ये चाहती हू की तू इन सबकी वजह से ये मत सोचे की मैं तुझे प्यार नही करती या मैं तेरे प्यार को समझती नही..''
काव्या समझ गयी की वो तो आदर्श माँ बन रही है उसके सामने...अगर सच मे उसका विक्की के साथ कोई चक्कर होता तो आज ये बात सुनकर वो फूली ना समाती, पर वो अच्छी तरह से जानती थी की उसकी माँ ने ये सब करके कितनी बड़ी ग़लती की है..
पर जो भी है, वो अपनी माँ को ये बात हरगिज़ नही बता सकती थी की असल मे बात क्या है...और कहती भी किस मुँह से...उस दिन तो बड़ी शेखी बघारते हुए उसने विक्की का नाम ले लिया था..और संडे को उसके साथ लवर पॉइंट पर मिलने का प्रोग्राम भी बना लिया था...पर उसकी माँ ऐसे सीधा विक्की के पास पहुँच जाएगी इस बात का अंदाज़ा बिल्कुल भी नही था उसको...वो मन ही मन उस पल को कोस रही थी जब उसने विक्की का नाम लिया था.
पर अब तो कुछ हो ही नही सकता था..उसको जल्द से जल्द विक्की को फोन करना होगा..
वो अपनी माँ को बिना कुछ कहे अपने कमरे मे भाग गयी..
रश्मि ने समझा की शायद ये बात सुनकर शर्मा गयी है और खुशी के मारे विक्की से बात करने भाग गयी है..
वो फिर से मुस्कुराते हुए अपने काम मे लग गयी.