Update 87
रश्मि ने आवेश में आकर उसके स्तनों पर अपना हाथ रख दिया और उन्हे भी दबाने लगी...अब तो काव्या से रहा नही गया और उसने अपने हाथ उपर करते हुए अपनी माँ के सिर को दबोचा और अपनी तरफ करते हुए उन्हे ज़ोर-2 से किस्स और स्मूच करने लगी..
और उसके हरकत में आते ही रश्मि की गांड फट कर हाथ में आ गयी... क्योंकि वो जिस हालत में थी उसे देखकर काव्या उसके बारे मे क्या सोचेगी यही उसके जहन में एकदम से आ गया..
पर काव्या भी बड़ी चालाक निकली, उसने सोते हुए होने का दिखावा करते हुए धीरे से कहा : "ओह विक्की ...... मुआआअह ...... आई लव यु ...... करो ना ....ऐसे ही ... क़िस्स्स मी ....''
और उसे ऐसे बोलता देखकर रश्मि की जान मे जान आई और वो बुदबुदाई : "शुक्र है....नींद मे है अभी तक....बेचारी सोच रही है की विक्की उसके साथ ये सब कर रहा है....ही ही .......''
और फिर उसने अपने होंठों को एक बार फिर से काव्या के हवाले कर दिया और वो अब दुगने जोश के साथ अपनी माँ को स्मूच करने लगी..
काव्या ने आज से पहले अपनी सहेली श्वेता के साथ कई बार स्मूच किया था पर आज जो मज़ा और नरमपन उसे महसूस हो रहा था वो अलग ही था....एक अलग ही रस निकल रहा था रश्मि के होंठों से...और रश्मि भी अपनी जवान बेटी के नर्म होंठ चूसते हुए यही सोच रही थी की इन जवान लड़कियों के होंठों में ये अलग ही तरह की मिठास आती कहाँ से है...
और उन दोनो को ऐसे एक दूसरे के होंठ चूसता देखकर समीर को अपना मिशन पूरा होता दिखाई दिया और उसके लंड का पारा उपर तक चढ़ गया और आख़िरी के 2-4 झटके ज़ोर से लगाता हुआ वो चिल्ला-चिल्लाकर झड़ने लगा..
''अहह ...... ओह रश्मि ........... ओह ...... मज़ा आ गया............ आआआआहह ......''
और अपनी चूत की सुरंग में गर्म पानी का बहाव महसूस करते हुए और रश्मि भी भरभराकर झड़ने लगी...और झड़ते हुए उसने इतनी ज़ोर-2 से काव्या के होंठ चूसे की उसे भी दर्द होने लगा...पर बेचारी काव्या कोई शिकायत भी नही कर सकती थी...वो तो गहरी नींद में सो रही थी ना...
पर एक करिश्मा हुआ काव्या के साथ भी...आज पहली बार वो भी बिना अपनी चूत पर हाथ लगे बिना झड़ चुकी थी...जिस वक़्त उसका सोतेला बाप चीख रहा था और अपना माल उसकी माँ की चूत में उडेल रहा था उसी वक़्त उसे ये एहसास हुआ की जैसे वो रश्मि की चूत में नही बल्कि उसकी चूत में झड़ रहा है... और यही एहसास बहुत था उसके रुके हुए बाँध को निकालने के लिए...ऐसा आज से पहले कभी नही हुआ था, वो हमेशा किसी के हाथों या मुँह से या फिर खुद मास्टरबेट करके झड़ी थी...आज तो बिना हाथ लगाए ही वो झड़ गयी थी...
शायद जो एरॉटिक सीन इतनी देर से उसकी बंद आँखो के सामने चल रहा था उसका ही असर था ये..
और धीरे-2 घोड़ी बनी रश्मि का शरीर उसके उपर से हट गया और वो उसकी बगल मे लेटकर गहरी साँसे लेने लगी...
समीर भी उसके दूसरी तरफ गहरी साँसे लेता हुआ आ गिरा और उसके चेहरे को अपनी तरफ करके उसके नंगे जिस्म से लिपट गया...
आज जो एहसास इन तीनो ने महसूस किया था वो आगे चलकर क्या रंग लेगा, ये उनमे से किसी ने भी नही सोचा था..
कुछ ही देर में काव्या को वहीं सोता छोड़कर रश्मि और समीर एक साथ नहाने के लिए बाथरूम में चले गये..एक बार और चुदाई की हिम्मत तो अब उन दोनो में ही नही थी...पर फिर भी एक दूसरे के नंगे जिस्मों पर साबुन लगाते हुए जो चूमा चाटी उन लोगो ने की थी,वो भी किसी चुदाई से कम नही थी..
नहाने के बाद रश्मि ने सिर्फ़ एक गाउन ही पहन लिया और किचन में जाकर वहाँ का काम देखने लगी..समीर भी अपनी सोफे पर व्हिस्की का ग्लास लेकर बैठ गया और क्रिकेट मैच देखते हुए दारू पीने लगा..
काव्या से भी ज़्यादा देर तक वहाँ लेटा नही गया...उसकी चूत बुरी तरह से भीगी पड़ी थी...वो भी उठकर बाथरूम में गयी और नहाकर ही बाहर निकली, और एक केप्री और टी शर्ट पहन कर वो समीर के पास जाकर बैठ गयी.
समीर ने उसे अपने से चिपका कर बिठा लिया और वो भी थोड़ा झुककर उसके कंधे पर सर रखकर टीवी देखने लगी.
समीर : "आज का दिन तो शायद तुम कभी नही भूलोगी...इतना एडवेंचर पहले कभी फील किया है क्या तुमने..?''
जवाब में काव्या मुस्कुरा दी और उसने अपना मुँह उपर करते हुए समीर के होंठों को चूम लिया और धीरे से बोली : "सच में पापा, ये दिन मुझे हमेशा याद रहेगा...आज जो मैने देखा है और फील किया है ऐसा कभी नही किया...बस एक ही चीज़ की कमी रह गयी वरना सब कुछ हो चुका है मेरे साथ...''
समीर समझ गया की वो एक चीज़ उसकी चुदाई है.. वो भी अपनी ''भोली'' सी बेटी की बात सुनकर मुस्कुरा दिया और उसने भी अपना मुँह नीचे करके उसके होंठों को होले से चूम लिया...
तभी उन्हे रश्मि के कदमों की आहट उनकी तरफ आती सुनाई दी... समीर ने झट से अपना सिर सीधा कर लिया और ग्लास उठाकर सीप करने लगा..पर उसकी आशा के विपरीत काव्या वैसे ही अधलेटी अवस्था में उसके सीने पर सिर रखकर लेटी रही..समीर कुछ नही कर पाया क्योंकि तब तक रश्मि वहाँ पहुँच चुकी थी... उसके हाथ मे स्नैक्स आइटम थे जो वो समीर के लिए लाई थी... काव्या को ऐसे समीर के पहलू में बैठा देखकर उसे थोड़ा अजीब ज़रूर लगा पर उसने टोकना सही नही समझा...वैसे भी पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से दोनो के रिश्तों में सुधार आया है वो कोई टोका टाकी करके उसे बिगाड़ना नही चाहती थी.
रश्मि भी समीर के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी और उससे बातें करने लगी...समीर का एक हाथ रश्मि की जाँघ पर रेंग रहा था और दूसरे से वो काव्या की लचीली कमर को सहला रहा था...उसकी टी शर्ट और केप्री के बीच वाला हिस्सा नंगा था जिसपर समीर के हाथ फिसल रहे थे...
थोड़ी देर बाद ही खाना लग गया और सबने मिलकर खाना खाया..फिर काव्या उठकर अपने रूम में चली गयी...आज उसने श्वेता को भी वो सब बताना था जो उसके साथ हुआ था दिन भर.
फोन लगाकर उसने जब एक-2 करके सारी बातें श्वेता को बतानी शुरू की तो दोनो तरफ की चूतों पर उंगलियाँ थिरकने लगी..वैसे भी काव्या कुछ ज़्यादा ही मसाला लगा-लगाकर हर बात उसे बता रही थी...श्वेता के साथ उस व्क़्त नितिन नही था, वरना वो वहीं के वहीं उसके लंड को अंदर लेकर चुदवा लेती.. पर फिर भी काव्या की रसीली बातों को सुनकर वो जल्द ही झड़ गयी ..... और शायद वो यही सोच रही थी की आज वो काव्या की जगह क्यों नही थी.
उन्हे ये बातें करते-2 एक घंटा हो चुका था, तभी काव्या के रूम का दरवाजा खुला...काव्या ने समझा की शायद समीर उसे गुड नाइट किस्स करने आया है, इसलिए उसने जल्दी से फोन को डिसकनेक्ट करके साइड में रख दिया..पर आने वाला उसके प्यारे पापा नही बल्कि उसकी माँ रश्मि थी..जो शायद ये देखने आई थी की काव्या सही से सो गयी है या नही..
काव्या ने उन्हे देखकर झट से आँख बंद कर ली...और एक बार फिर से सोने का नाटक करने लगी. रश्मि हमेशा से ही काव्या को जल्दी सोने की सलाह देती थी, इसलिए उनके सामने जागते रहकर वो इस समय उनका कोई भाषण नही सुनना चाहती थी.
रश्मि बेड के करीब आई...और इधर-उधर बिखरे पिल्लो को उठाकर सही से लगा दिया...उसकी बुक्स को सही किया...और फिर वो उसकी बगल मे बैठकर उसे निहारने लगी.
काव्या की आँखे बंद थी पर फिर भी उसे महसूस हो रहा था की रश्मि की नज़रें उसके चेहरे पर ही है...वो चुपचाप सोने का नाटक करती रही..
रश्मि भी बैठकर अपनी जवान हो चुकी बेटी की सुंदरता को निहार रही थी..वो कितनी ''पक'' चुकी है उसका अंदाज़ा तो रश्मि ने शाम को ही लगा लिया था..उसके रसीले होंठों की मिठास को महसूस करके..ऐसी मिठास लड़की के अंदर तभी आती है जब वो चुदने के लिए तैयार हो चुकी होती है..रश्मि ये भी नोट कर रही थी की पिछले कुछ महीनो में उसकी बेटी के शरीर मे कितने बदलाव आए हैं,उसके कूल्हे भी भर गये थे और उसकी ब्रेस्ट भी अब पहले से काफ़ी बड़ी और दिलकश हो गयी थी..
शायद अपनी बेटी की उस सुंदरता को नंगा देखने का लालच ही उसे वहां ले आया था, जो उसने आधी अधूरी महसूस की थी शाम को.
वो धीरे-2 उसके सिर पर हाथ रखकर उसे सहलाने लगी..पर आज उसके सहलाने में एक माँ का स्नेह भरा अंदाज नही बल्कि एक कामुकता थी, एक ऐसी लिप्सा जो उसे ऐसा करने का आदेश दे रही थी. रश्मि की उंगलियाँ फिसलकर उसके पूरे चेहरे को महसूस करने लगी..
ऐसा आज से पहले कभी नही किया था रश्मि ने इसलिए काव्या को भी थोड़ा अजीब लग रहा था.शाम की बात और थी, उस वक़्त तो उसकी माँ चुदाई के मूड में थी और इसलिए उसने उसे सोता हुआ समझकर अपने होंठ उसपर रख दिए थे...पर अब क्या प्राब्लम है माँ को जो वो ऐसा बर्ताव कर रही है उसके साथ...
और अचानक रश्मि ने झुककर उसके माथे को चूम लिया...शायद कुछ ज़्यादा ही लाड आ रहा था उसे अपनी बेटी पर आज...और ऐसा करते हुए रश्मि के गाउन के अंदर लटक रही ब्रेस्ट उसके चेहरे पर आकर टिक गयी..एक पल के लिए तो काव्या को लगा की उसकी साँसे रुक सी गयी है, इतनी बड़ी और भारी जो थी उसकी माँ की ब्रेस्ट...और जब रश्मि ने धीरे-2 नीचे खिसकर उसके गालों को चूमा तब जाकर उसकी साँस में साँस आई..पर तभी काव्या को एक और शॉक मिला, उसकी माँ वहीं पर नही रुकी और उसने चूमते-2 अपने होंठ काव्या के होंठो पर रख दिए और उन्हे चूसने लगी.
अब काव्या की समझ में आया की वो वहाँ क्या करने आई थी...शायद उसकी माँ को उसके रसीले होंठो का चस्का लग गया था इसलिए उन्हे एक बार फिर से उन्हें टेस्ट करने के लिए वो उसके कमरे में आई थी.
एक बेटी के लिए ये सब फील करना किसी शॉक से कम नही था.. और दूसरी तरफ रश्मि को भी ये समझ नही आ रहा था की वो ऐसा क्यों कर रही है...समीर के सोने के बाद पता नही किस सम्मोहन में बँधकर वो वहाँ तक चली आई और अपनी बेटी को ऐसे चूमना शुरू कर दिया...और फिर ऐसा करते-2 वो अजीब-2 सी आवाज़ें भी निकालने लगी अपने मुँह से..
''अहह ..... पुच्चहssssssssssssss ....उम्म्म्मममम ...मेरी बेटी .....मेरी जान. ....... अहह ....ओह''
काव्या भी आज देखना चाहती थी की उसकी माँ किस हद तक जा सकती है...इसलिए वो भी ढीठ बनकर सोने का नाटक करती रही.
और जल्द ही काव्या को ये एहसास हो गया की ये जो उसकी माँ उसके साथ कर रही है वो कुछ ज़्यादा ही हो रहा है..क्योंकि रश्मि ने उसकी दोनो ब्रेस्ट को भी पकड़कर मसलना शुरू कर दिया था..
और फिर उसने एक ही झटके मे काव्या की टी शर्ट को उपर खिसका के उसे नंगा कर दिया और उसकी कसी हुई चुचियों को भी उतना ही प्यार करने लगी जितना उसने उसके होंठों पर किया था..उसकी बड़ी हो चुकी चूचियों की सुंदरता देखकर वो दंग रह गयी, वो ठीक वैसी ही थी जैसी उसकी खुद की थी उस उम्र में,रश्मि ने अपनी सो रही बेटी के उभरे हुए निप्पल को पकड़ कर जोर से दबा दिया, काव्य ने बड़ी मुश्किल से अपने मुंह से आह निकलने से बचाई
अपने गीले और नर्म होंठों से उसने काव्या की छातियों को तर कर दिया..ऐसा लग रहा था जैसे रश्मि अपनी जीभ के ब्रश से उसकी छातियों को पैंट कर रही है..कभी वो उन्हे चाटती और कभी उन्हे मुँह में लेकर चुभलाती.. उसके बड़े-2 निप्पलों को मुँह में लेकर वो ऐसे चूस रही थी जैसे अपनी ममता का कर्ज़ वसूल कर रही हो और उसे पिलाया हुआ दूध उसकी छातियों से वापिस निकलवा रही हो.
काव्या का मन तो बहुत कर रहा था की अपनी आँखे खोल दे और वो भी डूब जाए इस खेल में पर अभी वो कोई रिस्क नही लेना चाहती थी,क्योंकि अब तक वो भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी..और पूरे मज़े लेने के मूड में थी वो..उसे उठता देखकर कहीं ऐसा ना हो की उसकी माँ घबरा कर उसे छोड़कर बाहर निकल जाए... इसलिए वो सही वक़्त का इंतजार कर रही थी.
और रश्मि तो अपनी बेटी के गहरी नींद में सोने का पूरा फायदा उठा रही थी...उसके बूब्स चूसते-2 अचानक उसका एक हाथ काव्या की चूत पर चला गया..और वहाँ से निकल रही नमी को महसूस करते ही उसके हाथ जल से गये... किसी भट्टी की तरह सुलग रही थी वो जगह...एक पल के लिए वो रुक सी गयी और काव्या के चेहरे को गोर से देखने लगी, उसे शायद ये लग रहा था की कहीं वो उठ तो नही गयी क्योंकि इस तरह से चूत के गर्म होने का सॉफ मतलब था की वो भी पूरी तरह से गर्म थी इस वक़्त... पर शायद उसके शरीर के साथ जो हो रहा है उसकी वजह से वो फिर से अपने बाय्फ्रेंड विक्की के बारे में सोचकर ऐसे अपनी चूत का रस निकाल रही होगी..
पर उसकी चूत से निकल रहे खट्टे-मीठे रस की सुगंध उसे बड़ा ही ललचा रही थी...इसलिए वो उसे चूमते-2 नीचे तक आई और उसकी केप्री को खींचकर उसने घुटनों से नीचे खिसका दिया..
ये शायद पहला मौका था जब जवान होने के बाद काव्या इस तरह से नंगी सी होकर अपनी माँ की आँखो के सामने थी... और कोई मौका होता तो वो ऐसा कभी ना करती..पर अभी तो वो अपनी नींद मे होने के नाटक को ऐसे एकदम से ख़त्म नही करना चाहती थी..और वैसे भी अब उसने भी सोच लिया था की कुछ ही देर की बात है,बाद में तो वो खुद भी उसी खेल में उतरने वाली है..
रश्मि ने जब अपनी बेटी की कुँवारी और सफाचट चूत देखी तो वो उसे देखती ही रह गयी... शायद उसे अपनी जवानी के दिन याद आ रहे थे जब उसकी खुद की चूत भी बिल्कुल वैसी ही थी...बिल्कुल सफाचत... चिकनी सी.... गोरी-2 सी... सिर्फ़ एक लंबा सा चीरा ही दिख रहा था उसकी चूत के बीच जिसके अंदर से गाड़ा और मीठा रस रिस-रिसकर बाहर आ रहा था..
रश्मि से रहा नही गया और उसने झुक कर अपनी जीभ से उस बहते हुए रस को चाट लिया... कुछ देर रुकी और फिर जैसे ही उसके रस की मिठास को महसूस किया वो पागलों की तरह टूट पड़ी उसकी चूत पर... जो स्मूचें उसने उपर के होंठों पर की थी वही स्मूच अब उसके निचले होंठों को करके उसका रस पी रही थी... जो एहसास और मीठापन उसे उपर मिला था वही एहसास उसे नीचे मिल रहा था और वो भी दबा कर..
काव्या की सुलग रही जवानी भी अब भड़ककर आग का शोला बन चुकी थी...उसने भी अपनी टांगे मोड़कर फेला ली और धीरे-2 बुदबुदाने लगी, ''उम्म्म्मममममममम ...... अहह .... ओहोह ..... यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
अब रश्मि को उसके बुदबुदाने से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, उसके हिसाब से तो वो गहरी नींद में थी और शायद कोई सपना देख कर ऐसा कर रही थी..
रश्मि कुछ देर के लिए रुकी और उसने अपना गाउन उतारकर नीचे फेंक दिया... और फिर थोड़ा उपर होकर काव्या की टी शर्ट भी उतार फेंकी... काव्या सोच ही रही थी की अब यही वक़्त है उठने का...नींद से जागने का... ताकि वो भी अपनी माँ की तरह मज़े ले सके...पर वो ये सोच ही रही थी की उसकी माँ ने घूमकर अपनी टांगे उसके सिर के दोनो तरफ कर ली और खुद उसकी चूत के उपर झुककर उसे निगल लिया... और साथ ही साथ अपनी गीली चूत को उसके चेहरे के उपर रखकर ज़ोर से दबा दिया..69 की पोज़िशन में.
और अपनी माँ की चूत को अपने मुँह पर लगते ही काव्या ने भी बिना झिझक के अपना मुँह खोला और उसे चाटने लगी... और यही काम उसकी माँ भी कर रही थी उसके साथ....रश्मि का वजन थोड़ा अधिक था इसलिए वो साइड में लूड़क गयी और उसने बिना अपनी पोज़िशन छोड़े काव्या को पलटाकर अपने उपर कर लिया.. और आराम से अपनी फूल जैसी बेटी के शरीर को अपने उपर रखकर चूसने लगी..
रश्मि ने उसकी चूत की परतें खोलकर उसकी उत्तेजित क्लिट को देखा तो उससे रहा नही गया और उसने अपने होंठों से उसे पकड़कर ज़ोर से उमेठ दिया..
और ऐसा होते ही काव्या ज़ोर से चिल्लाई, ''ऊऊऊऊओह माँ आआआआआआ ......धीरे करो ना ...........''
इतना सुनते ही रश्मि ने झटककर काव्या को अपने उपर से नीचे उतार दिया और घबराकर खड़ी हो गयी..
''तुमम्म्म ..... तुमम्म्मम जाग रही थी...... ''
काव्या ने अपनी माँ का हाथ पकड़ा और बड़े ही प्यार से बोली : "हाँ माँ ....मैं जाग रही थी... और जो भी आप मेरे साथ कर रही थी वो भी मुझे काफ़ी अच्छा लगा..''
रश्मि का चेहरा आश्चर्य से भर गया... उसे तो अपने पर ग्लानि सी हो रही थी की ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद उसकी बेटी उसके बारे में क्या सोचेगी... पर ऐसा कुछ भी नही था... वो तो खुद इसे एंजाय कर रही थी..पर फिर भी वो अपनी बेटी से नज़रें नही मिला पा रही थी..
रश्मि उसके मन की दुविधा समझ गयी, वो उठी और अपनी माँ का हाथ पकड़कर बड़े ही प्यार से उसे बेड पर बिठाया और फिर खुद जाकर अपनी नंगी माँ की गोद में बैठ गयी..और उसके गले में बाहें डालकर उससे लिपट गयी.
''माँ , मैं जानती हूँ की आप इस समय क्या सोच रही है... पर आपने जो भी किया उससे मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा...इन्फेक्ट मुझे काफ़ी मज़ा आया.... मैने पहले भी श्वेता के साथ ऐसे नंगे होकर मज़े लिए हैं पर जो मज़ा मुझे आज मिला वो पहले कभी नही मिला... आज शाम को भी जब आपने पापा के साथ सेक्स करते हुए मुझे स्मूच किया था, तब भी मैं जाग रही थी... पर उस वक़्त मैं आपको एम्बेरस नही करना चाहती थी इसलिए सोने का नाटक करती रही... और अभी भी मैने बहुत कंट्रोल किया पर ऐसी सिचुएशन में आकर आप तो समझ सकती है न की क्या-2 फील होता है...''
अपनी बेटी के मुँह से शाम वाली बात सुनकर रश्मि एक बार फिर से शरमा गयी... यानी काव्या ने वो सब देख लिया था... और ये ख़याल आते ही सबसे पहले उसे समीर के नंगे लंड का ध्यान आया... कहीं उसने समीर यानी अपने बाप को भी तो नंगा नही देख लिया...
पर ये बात वो उससे डाइरेक्ट्ली पूछ भी तो नही सकती थी ना... वो चुपचाप मुँह नीचे किए बैठी रही... अपनी माँ को ऐसे चुपचाप बैठा देखकर काव्या समझ गयी की अब उसे ही कुछ करना होगा... और उसने धीरे से अपनी माँ की ठोडी के नीचे हाथ रखा और उसे उपर किया और बोली \: "माँ , प्लीज़ जो शुरू किया है उसे कंप्लीट भी करो ना.... मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा है..''
और फिर अपने होंठ नीचे करते हुए उनके होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी..
रश्मि भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी... उसने भी सोच लिया की जब उसकी पोल खुल ही चुकी है और काव्या को भी कोई एतराज नही है तो वो भला क्यों खुद को रोके... उसने भी काव्या का साथ देते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया और साथ ही साथ उसकी छातियों को भी ज़ोर-2 से दबाने लगी..
तभी दरवाजे के पास से आवाज़ आई: "बड़ा प्यार हो रहा है माँ बेटी के बीच...''
और अंधेरे से निकलकर समीर अंदर आ गया, जो शायद काफी देर से वहां खड़ा होकर उनकी रासलीला देख रहा था. समीर को देखते ही रश्मि को साँप सूंघ गया, उसने तो सोचा भी नही था की समीर वहाँ आ जाएगा, वो काफ़ी थका हुआ था और गहरी नींद में था जब वो काव्या के कमरे में आई थी... और अब समीर वहाँ आ गया, ऐसे मौके पर की वो रंगे हाथो पकड़ी गयी, उसने तो सोचा भी नही था..
सुबह से ना जाने उसने कितनी हदें पार की थी आज... पहले विक्की के साथ और फिर समीर के दोस्त लोकेश के साथ... और अब शायद अपनी बेटी के साथ मज़े लेते हुए भी वो यही सोच रही थी की वो पकड़ी नही जाएगी. वैसे भी ये तो इंसान की फ़ितरत है, सिर्फ़ पहला ग़लत काम करने में वो घबराता है, उसके बाद तो उस काम को इतने स्मूथली करता चला जाता है जैसे बरसों से करता आ रहा हो वो..
पर अपने साथ-2 उसने काव्या को भी फँसा दिया था ... समीर उसका बाप है अब, वो भला क्या सोचेगा उसके बारे मे... और रश्मि ने देखा की समीर की नज़रें उसकी बेटी के नंगे जिस्म को ही देख रही है..
उसने तुरंत एक चादर उठा कर काव्या के उपर डाल दी और दूसरी से खुद को ढक कर वो समीर की तरफ आई और बोली: "समीर .....मुझे माफ़ कर दो... प्लीज़ ....ये सब बस....मुझे नही पता की कैसे होता चला गया.... प्लीज़ अपने कमरे में चलो, मैं सब बताती हू आपको ....''
समीर ने उसका हाथ झटक दिया और बोला: "जो बोलना और समझना है, यहीं समझाओ...''
और इतना कहते-2 उसने रश्मि के शरीर पर लिपटी चादर को निकाल फेंका और उसे फिर से नंगा कर दिया..
अपने पति के सामने तो वो पहले भी कई बार नंगी हो चुकी थी..पर ऐसे नही जब उसकी खुद की बेटी भी सामने खड़ी हो.. उसे सच में काफ़ी शर्म आ रही थी.. पर उसकी फिर से हिम्मत नही हुई की वो चादर उठा कर अपने शरीर पर डाल सके.
समीर : "हाँ, अब बताओ मुझे... क्या चल रहा था तुम दोनो के बीच...''
रश्मि कुछ ना बोल पाई... अपने पैरों के नाख़ून से ज़मीन कुरेदने लगी बस..
समीर उसके करीब आ गया और धीरे से बोला: "बोलो ना...क्या चल रहा था ये सब... लंड से चुदाई करवाने में अब मज़ा नही आता क्या जो लेस्बियन रिलेशन की तरफ चल पड़ी हो तुम.... हम्म्म .. बोलो ''
उसने एकदम से नज़रें उठा कर समीर की तरफ देखा पर उसके गुस्से से भरे चेहरे को देखकर उसकी कुछ भी बोलने की हिम्मत ही नही हुई..
समीर धीरे-2 चलता हुआ काव्या के पास आया और उसकी भी चादर निकाल फेंकी ...वो भी अपनी माँ की तरह नंगी खड़ी थी उसके सामने..
रश्मि ने कुछ बोलना चाहा पर समीर ने उसे उंगली दिखा कर खामोश करवा दिया..
अब वो काव्या के नंगे बदन को घूर-2 कर देख रहा था. और अपनी माँ की तरह काव्या घबरा नही रही थी बल्कि मंद -2 मुस्कुरा रही थी.. उसके खड़े हो चुके निप्पल अपने पापा को देखकर कुलबुला रहे थे.. उनके मुँह में जाने के लिए छटपटा से रहे थे.. पर अभी उसका टाइम नही आया था..
रश्मि ने जब देखा की अब तो बात हदद से आगे निकल रही है क्योंकि समीर उसकी नंगी बेटी के शरीर को आँखे फाड़-2 कर देख रहा था..
रश्मि ने हिम्मत करते हुए कहा: "देखिए....ये ग़लत है...ये आपकी बेटी है...''
समीर उसकी तरफ पलटा, आज तो उसके पास उसकी हर बात का जवाब था, वो पूरी तरह से बहस करने के मूड में आ चुका था... वो बोला : "मुझसे ज़्यादा तो ये तुम्हारी बेटी है... तुम जब इसके साथ लेस्बियन सेक्स करने के लिए तैयार हो गयी तो मुझे ऐसा करने में क्या प्राब्लम है...''
इतना कहते हुए समीर ने अपने एक हाथ से काव्या के स्तन को पकड़कर ज़ोर से भींच दिया..
काव्या दर्द और मज़े के मिश्रण से कराह उठी ..''आआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममम''
अपनी ही आँखो के सामने अपनी बेटी के उपर ऐसा ''अत्याचार'' होते देखकर रश्मि बोखला सी गयी और समीर और काव्या के बीच आकर खड़ी हो गयी.
रश्मि : "आप अपनी हद में रहिए...मेरी बेटी को हाथ लगाने की कोई ज़रूरत नही है...''
वो कुछ और बोलना चाहती थी की उसके कंधे पर काव्या का हाथ आकर लगा और वो बोली: "माँ, आप ऐसा क्यो रिएक्ट कर रही हो... जब आप मेरे बाय्फ्रेंड के साथ मज़े ले रही थी तो मैने क्या आपको कुछ कहा... फिर आप क्यों बीच में आ रही है जब आपके पति मेरे साथ वही मज़े लेना चाहते हैं''
उसकी ये बात तो जैसे रश्मि के कानो में पिघले हुए शीशे जैसी गयी... उसकी खुद की बेटी उसे ऐसा कहेगी उसने तो ये सोचा भी नही था... पर उसे कैसे पता चला की उसकी माँ ने आज सुबह उसके बाय्फ्रेंड के साथ जमकर चुदाई की थी... वो तो वहाँ थी ही नही..
वो भड़कती हुई उसकी तरफ पलटी और चिल्लाई: "ये क्या बकवास कर रही हो काव्या... शरम नही आती तुम्हे अपनी माँ के सामने ऐसी घिनोनी बात करते हुए...''
काव्या अपनी नंगी गांड मटकाती हुई टेबल तक गयी और अपना फोन उठा कर लाई और वही वीडियो चला कर रश्मि की आँखो के सामने लहरा दिया जिसमे वो और विक्की रिसोर्ट के कमरे मे वासना के नंगे नाच में डूबे हुए थे..
काव्या : "क्या आपको शरम आ रही थी आज सुबह, जब आप विक्की के लंड को अपने अंदर लेकर ऐसे कूद रही थी...''
रश्मि की तो हालत खराब हो गयी उस वीडियो को देखकर... जिसमे वो बड़ी ही बेशर्मी से विक्की के लंड को अपनी चूत से रोंद कर उस पर उछल रही थी और ज़ोर-2 से चिल्ला भी रही थी..
यानी उस वक़्त काव्या ने छुप कर उसका ये वीडियो बना लिया था... और अब उसे दिखा भी रही थी. वो भी ऐसे मौके पर जब वो पहले से ही फंसी हुई थी अपनी बेटी के साथ लेस्बियन सेक्स करने के चक्कर में ..
रश्मि ने देखा की समीर भी बड़े गौर से उस वीडियो को देख रहा था... और उसके चेहरे पर आ रहा गुस्सा भी वो साफ़ महसूस कर रही थी.(जो की उसे पता नहीं था की नकली है)
रश्मि एकदम से समीर के कदमों में गिर पड़ी और रोने लगी
रश्मि: "समीर , मुझे माफ़ कर दो... ये जो भी हुआ आज सुबह उसमे मेरा कोई दोष नही था... विक्की के जाल में फँस चुकी थी मैं ... इन दोनो ने मिलकर ऐसा किया है... मुझे फँसाने के लिए.... तुम्हारी नज़रों में गिराने के लिए...''
खुद की शादी बचाने के लिए अब रश्मि अपनी ही बेटी की उस साजिश में शामिल होने की बात कर रही थी.
अब समीर की बारी थी, उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और वो वीडियो चला कर उसके सामने कर दिया जिसमे वो और उसका दोस्त लोकेश दत्त ड्रॉयिंग रूम में खड़े हो कर जंगली जानवरों की तरह चुदाई कर रहे थे... और रश्मि तो ऐसे सेक्स कर रही थी उसके साथ जैसे आज से पहले लंड देखा ही नही था उसने किसी का... उसे अंदर लेते हुए वो उहह आह की ऐसी आवाज़ें निकाल रही थी जिसे फोन में दोबारा सुनकर वो शर्म से पानी-2 हो गयी.
अब तो उसके पास बोलने को कुछ बचा ही नही था... पहले उसकी बेटी ने उसका वीडियो बनाया और घर पर उसके पति ने भी...
अब वो यही सोचने मे लगी थी की इन दोनो ने ऐसा क्यो किया... कहीं दोनो ही मिलीभगत तो नही है ना ये की उसका एम एम एस बना कर बाद में उसे दबा कर रखा जाए... और वो दोनो आपस मे मस्ती करे.. पर ये बात खुलकर पूछने की उसकी हिम्मत ही नही हुई... अपने कांड सामने देखकर वो नज़रें नीचे किए बस समीर की बातें सुनती रही.
समीर: "अब बोलो, ज़ुबान पर ताले क्यो लग गये तुम्हारी..... ये वीडियो मैं तुम्हे सिर्फ़ इसलिए दिखा रहा हूँ ताकि तुम जो उंगली मुझ पर या काव्या पर उठा रही हो वो पहले खुद पर भी तो उठाओ. मुझे तुम्हारे ऐसे मज़े लेने में कोई प्राब्लम नही है... और ना ही कभी होगी. पर साथ ही साथ मैं ये भी चाहता हूँ की तुम मेरे उपर भी किसी भी तरह की रोक टोक ना करो. और ना ही काव्या पर..''
इतना कहते-२ समीर ने काव्या की कमर पर हाथ रखकर उसके नंगे जिस्म को अपनी तरफ खींच लिय। और काव्य भी बड़े प्यार से अपने प्यारे पापा के साथ मिलकर खड़ी हो गयी
और समीर की ये बात सुन कर रश्मि आश्चर्यचकित रह गयी... उसका खुद का पति उसे पूरी छूट दे रहा था... यानी देखा जाए तो उसका वीडियो बना कर उसने रश्मि को फँसा लिया था अपनी हर बात मनवाने के लिए... और वो बेचारी अब कोई विरोध भी नही कर सकती थी..
पर समीर की ये बात सुनकर अंदर ही अंदर उसकी चूत में खुशी की एक बूँद और छलक आई, ये सोच कर की अब वो विक्की और लोकेश के साथ खुल कर मज़े ले पाएगी..वो ये बात तो जानती थी की उसका पति खुले विचारों का है पर इतने खुले विचार है उसके की वो अपनी पत्नी को खुद के फ्रेंड के साथ और उसकी बेटी के बाय्फ्रेंड के साथ चुदने की इजाज़त दे रहा है, ये उसने नही सोचा था..
पर साथ ही साथ वो ये भी जान गयी थी की ये सब करके वो अपना रास्ता भी तो साफ़ कर रहा है. उसकी बेटी को भी तो वो उसके सामने ही चोदा करेगा हमेशा से अब... एक तरह से देखा जाए तो उसकी बेटी अब उसकी खुद की सौतन बनकर सामने आ चुकी थी क्योंकि जिस तरह से वो खुद समीर की तरह बातें करते हुए उसे वो वीडियो दिखा रही थी, ये बात साफ़ थी की वो भी समीर के साथ मज़े लेना चाहती है..
सारे तार उसे जुड़ते हुए दिख गये एक साथ... पर इन सबमें उसकी सबसे बड़ी ग़लती थी... अगर वो ना बहकति तो ऐसा कभी ना होता..पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था..अब तो उसे भी बहते हुए पानी के साथ ही बहना था..
उसने उन दोनों के आगे घुटने टेक दिए और धीरे से बोली: "आप सही कह रहे हैं... मैने अपनी हवस की आग में जल कर ये नही सोचा की मेरी जिंदगी पर इसका क्या असर होगा... मेरी बेटी ... मेरे पति की जिंदगी पर क्या इफ्फेकट आएँगे... ये मेरी ही ग़लती है... और मुझे इसकी सज़ा ऐसे ही मिलनी चाहिए...''