Update 61
पर आज ये पहला मौका था जब वो समीर से कुछ करवाना चाहती थी..समीर भी हैरान था की आज रश्मि को ये क्या हो गया है..पर वो चुप रहा ,क्योंकि उत्तेजना का आवेग ही इतना अधिक था की उस समय तो कुछ भी करवा लो, वो मना नही करता..
उसके लेटते ही रश्मि उछल कर बेड पर चड गयी और उसके शरीर के दोनो तरफ पैर करके खड़ी हो गयी....समीर के लंड के उपर रश्मि की चूत थी..समीर ने सोचा की शायद वो उसके उपर बैठ जाएगी..पर ऐसा नही हुआ..और वो थोड़ा आगे की तरफ खिसक आई...पर आगे आने से पहले उसकी रस टपकाती चूत से एक और मीठे पानी की बूँद निकल कर नीचे गिरी और वो सीधा समीर के खड़े लंड से जा टकराई...समीर का पूरा शरीर झनझना सा गया, उसने वो पानी अपने लंड के उपर चोपड़ लिया..फिर धीरे-2 चलती हुई रश्मि उसके चेहरे के बिल्कुल उपर आकर खड़ी हो गयी...और उसके शरीर की थिरकन से हर बार एक बूँद निकल कर झटके से नीचे भी गिर जाती, इस तरह से समीर के शरीर पर लंड से लेकर गर्दन तक एक गाड़े और मीठे रस की लकीर सी बन गयी....
अब रश्मि की चूत की फांके बिल्कुल समीर के चेहरे के ऊपर थी...समीर को उसकी चूत ऐसे दिख रही थी मानो दो दरारों के बीच से पानी रिसकर गिर रहा हो..रश्मि का दिल ज़ोर से धड़कने लगा..इस पोज़ के लिए वो काफ़ी समय से तरस रही थी...और अब वो करने जा रही थी,ये सोचकर उसकी चूत मे लगी टूटी और तेज़ी से अपने अंदर का पानी बाहर फेंकने लगी..और टप -2 करते हुए समीर के चेहरे पर जैसे उसके रस की बारिश सी होने लगी..एक ही पल मे उसका चेहरा रश्मि के रस से भीगकर पूरा गीला हो गया..आज कुछ अलग ही स्वाद लग रहा था उसकी चूत का , इसलिए समीर भी चटकारे ले -लेकर उसका रस पीने लगा..
और फिर समीर की आँखों मे देखते हुए रश्मि ने धीरे-2 नीचे झुकना शुरू किया,और जैसे ही वो सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर रह गयी, समीर ने अपनी लंबी और गर्म जीभ बाहर निकाल ली और उसकी चूत के अंदर घुसेड डाली..
''अहहssssssssssssssssssssssss .......... उम्म्म्मममममममम ......येसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्सस्स्स्स्स्स्स ''
रश्मि धम्म से अपने शरीर के समेत उसकी खड़ी हुई जीभ के उपर बैठ गयी..जीभ तो पता नही कहाँ तक गयी,समीर के होंठ भी उसकी चूत के अंदर फंसकर गायब से हो गये..
बस फिर क्या था, रश्मि ने अपना मोर्चा संभाला और रोड आयरन से बने बेड के सरिऐ को पकड़ कर उसके चेहरे पर अपनी चिकनी चूत को रगड़ने लगी...
उसने भी आनंद से अपनी आँखे बंद कर ली और उसके मुँह से उत्तेजना वश निकल गया : "अहहssssssssssssssssssssssss ....विक्की......चूसो इसको....''
शुक्र था की उसकी आवाज़ इतनी धीमे थी की समीर सुन नही पाया, पर आज पहली बार चुदाई के समय उसको कुछ बुदबुदाते हुए देखकर वो काफ़ी खुश हुआ, क्योंकि वो चुपचाप चुदाई करवाकर सो जाने वाली औरत थी, और आज जिस तरह से वो अपनी चूत चुस्वा रही है, और कुछ बड़बड़ा भी रही है, ये समीर को बहुत अच्छा लगा..वो चाहता था की रश्मि खुल कर बोले, जो फील कर रही है या जो चाहती है वो अपने मुँह से बयान करे..इसलिए वो उसको उकसाने लगा..
"रश्मि...ज़ोर से बोलो....क्या बोल रही थी....बोलो ना...''
समीर ने अपनी जीभ से उसकी चूत और गांड एक ही बार मे चाटते हुए कहा.
रश्मि अपने आप को कोस रही थी की ये एकदम से उसके मुँह से विक्की का नाम कैसे निकल गया, वो इतनी बेवकूफ़ कैसे हो सकती है..अगर समीर ने सुन लिया होता तो पता नही क्या ..
पर अभी के लिए वो बेकार की बहस करके समीर को परेशान नही करना चाहती थी...वो उसी टोन मे ज़ोर से बुदबुदाई : ""अहहssssssssssssssssssssssss ....समीर......चूसो इसको....''
बड़ी चालाकी से उसने अपनी बेवकूफी को छुपा लिया..और उसने ये भी सोच लिया की अब वो ऐसी बेवकूफी दोबारा नही करेगी, इसलिए कुछ देर के लिए उसने विक्की का ख़याल अपने दिल से निकाल दिया और अपनी आँखे खोल कर समीर के बारे मे ही सोचकर मज़े लेने लगी..
अब वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके चेहरे पर बुरी तरह से घिस कर ज़ोर-2 से चिल्ला रही थी : "आआआआआआअहह समीर ........सकककककक करो......अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ज़ोर से ........ उम्म्म्मममममममम ......यस ..................ऐसे ही...... ओह.... तुम्हारी जीभ कितनी अच्छी लग रही है अंदर जाकर .......अआआआहह.... काटो मत प्लीस...... अहह....मेरी क्लिट ......येस .....इसको पकड़ो .....होंठों से ......जीभ से कुरेदो .....अहह ऐसे ही ..... ओह ....समीर......... माय लाइफ ........उम्म्म्मम......आई एम कमिंग...''
और एक जोरदार झटके के साथ उसकी हांड़ी मे से गरम-2 शहद निकल कर समीर के मुँह मे जाने लगा..रश्मि के शरीर के हर जर्क के साथ कुछ बूंदे निकल कर नीचे जाती, जिसे समीर बड़े चाव से निगल जाता..
अब बारी थी समीर की...उसने रश्मि को मोटी-2 जांघे पकड़ी और उसे बेड पर चित्त कर दिया और एक ही झटके मे उसके उपर सवार हो गया..रश्मि अपने झड़ने का स्वाद अभी तक ले रही थी और उसकी आँखे बंद थी, समीर ने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और अपने हाथ से लंड पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक आगे की तरफ झुकता चला गया..रश्मि की एक टाँग समीर के नीचे थी और दूसरी उसकी खुद की छाती से आ लगी...और साथ ही साथ समीर भी पूरा उसके अंदर दाखिल हो गया..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् समीर , चोदो मुझे आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से ''
इतने अंदर तक चुदने का ये पहला एहसास था उसका..आज तक इतनी गहराई मे कभी नही डूबा था समीर..वो भी उसके आनंद सागर मे गोते लगा-लगाकर अपनी इस उपलब्धि का मज़ा लेने लगा..
कभी वो झुकते हुए उसके होंठों को चूम लेता और कभी नीचे झुकते हुए उसके स्तनों को काट लेता..कभी उसके मांसल चूतड़ों पर चांटा मारता
हर झटके मे समीर अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहा था..और फिर जब वो समय निकट आया जब वो समझ गया की अब और नही रोक पाएगा तो उसने रश्मि की टाँग छोड़ दी और उसके दोनो हाथों पर हाथ रखकर ज़ोर-2 से झटके मारने लगा..
और उसके हिलते स्तनों और लरजते होंठों को देखते हुए उसने अपना लंड एकदम से बाहर निकाला और उसके चेहरे से लेकर उसकी नाभि तक हिस्से को बर्फीली चादर से ढक दिया
''आआआआआआआअहह ............. रश्मि .........मैं तो गया.......''
और वो उसके उपर गिरकर ज़ोर-2 से हाफने लगा.
दोनो के मन मे सिर्फ़ एक ही बात चल रही थी की आज किसी और के बारे मे सोचकर चुदाई करने मे कितना मज़ा मिला है.
जब उसके साथ असली की चुदाई होगी तो कैसा लगेगा.
दोनो अलग हुए और एक-2 करके दोनो बाथरूम मे गये और अपने अंगों को सॉफ किया..
फिर रश्मि नंगी ही आकर समीर के बदन से लिपटकर लेट गयी.
रश्मि : "कैसी रही शॉपिंग...क्या -2 लिया आज काव्या के लिए ..''
काव्या का नाम सुनते ही समीर के लंड ने एक हरकत सी की, जिसे रश्मि ने भी महसूस किया..पर वो कुछ समझ नही पाई, उसे लगा की शायद ऐसे नंगे लेटने की वजह से समीर फिर से उत्तेजित हो रहा है.
समीर : "सही थी...काफ़ी कुछ लिया काव्या ने आज....बाकी कल देख लेना की क्या-2 उसने , बहुत खुश भी थी आज ''
रश्मि : "हाँ , वो तो मैने भी देखा, और मुझे खुशी हुई की वो आपसे घुल मिल रही है..''
दोनों कुछ देर चुप रहे
समीर : "और तुम तो बताओ...तुम मिली थी क्या उस लड़के से आज...विक्की से...''
पर आज ये पहला मौका था जब वो समीर से कुछ करवाना चाहती थी..समीर भी हैरान था की आज रश्मि को ये क्या हो गया है..पर वो चुप रहा ,क्योंकि उत्तेजना का आवेग ही इतना अधिक था की उस समय तो कुछ भी करवा लो, वो मना नही करता..
उसके लेटते ही रश्मि उछल कर बेड पर चड गयी और उसके शरीर के दोनो तरफ पैर करके खड़ी हो गयी....समीर के लंड के उपर रश्मि की चूत थी..समीर ने सोचा की शायद वो उसके उपर बैठ जाएगी..पर ऐसा नही हुआ..और वो थोड़ा आगे की तरफ खिसक आई...पर आगे आने से पहले उसकी रस टपकाती चूत से एक और मीठे पानी की बूँद निकल कर नीचे गिरी और वो सीधा समीर के खड़े लंड से जा टकराई...समीर का पूरा शरीर झनझना सा गया, उसने वो पानी अपने लंड के उपर चोपड़ लिया..फिर धीरे-2 चलती हुई रश्मि उसके चेहरे के बिल्कुल उपर आकर खड़ी हो गयी...और उसके शरीर की थिरकन से हर बार एक बूँद निकल कर झटके से नीचे भी गिर जाती, इस तरह से समीर के शरीर पर लंड से लेकर गर्दन तक एक गाड़े और मीठे रस की लकीर सी बन गयी....
अब रश्मि की चूत की फांके बिल्कुल समीर के चेहरे के ऊपर थी...समीर को उसकी चूत ऐसे दिख रही थी मानो दो दरारों के बीच से पानी रिसकर गिर रहा हो..रश्मि का दिल ज़ोर से धड़कने लगा..इस पोज़ के लिए वो काफ़ी समय से तरस रही थी...और अब वो करने जा रही थी,ये सोचकर उसकी चूत मे लगी टूटी और तेज़ी से अपने अंदर का पानी बाहर फेंकने लगी..और टप -2 करते हुए समीर के चेहरे पर जैसे उसके रस की बारिश सी होने लगी..एक ही पल मे उसका चेहरा रश्मि के रस से भीगकर पूरा गीला हो गया..आज कुछ अलग ही स्वाद लग रहा था उसकी चूत का , इसलिए समीर भी चटकारे ले -लेकर उसका रस पीने लगा..
और फिर समीर की आँखों मे देखते हुए रश्मि ने धीरे-2 नीचे झुकना शुरू किया,और जैसे ही वो सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर रह गयी, समीर ने अपनी लंबी और गर्म जीभ बाहर निकाल ली और उसकी चूत के अंदर घुसेड डाली..
''अहहssssssssssssssssssssssss .......... उम्म्म्मममममममम ......येसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्सस्स्स्स्स्स्स ''
रश्मि धम्म से अपने शरीर के समेत उसकी खड़ी हुई जीभ के उपर बैठ गयी..जीभ तो पता नही कहाँ तक गयी,समीर के होंठ भी उसकी चूत के अंदर फंसकर गायब से हो गये..
बस फिर क्या था, रश्मि ने अपना मोर्चा संभाला और रोड आयरन से बने बेड के सरिऐ को पकड़ कर उसके चेहरे पर अपनी चिकनी चूत को रगड़ने लगी...
उसने भी आनंद से अपनी आँखे बंद कर ली और उसके मुँह से उत्तेजना वश निकल गया : "अहहssssssssssssssssssssssss ....विक्की......चूसो इसको....''
शुक्र था की उसकी आवाज़ इतनी धीमे थी की समीर सुन नही पाया, पर आज पहली बार चुदाई के समय उसको कुछ बुदबुदाते हुए देखकर वो काफ़ी खुश हुआ, क्योंकि वो चुपचाप चुदाई करवाकर सो जाने वाली औरत थी, और आज जिस तरह से वो अपनी चूत चुस्वा रही है, और कुछ बड़बड़ा भी रही है, ये समीर को बहुत अच्छा लगा..वो चाहता था की रश्मि खुल कर बोले, जो फील कर रही है या जो चाहती है वो अपने मुँह से बयान करे..इसलिए वो उसको उकसाने लगा..
"रश्मि...ज़ोर से बोलो....क्या बोल रही थी....बोलो ना...''
समीर ने अपनी जीभ से उसकी चूत और गांड एक ही बार मे चाटते हुए कहा.
रश्मि अपने आप को कोस रही थी की ये एकदम से उसके मुँह से विक्की का नाम कैसे निकल गया, वो इतनी बेवकूफ़ कैसे हो सकती है..अगर समीर ने सुन लिया होता तो पता नही क्या ..
पर अभी के लिए वो बेकार की बहस करके समीर को परेशान नही करना चाहती थी...वो उसी टोन मे ज़ोर से बुदबुदाई : ""अहहssssssssssssssssssssssss ....समीर......चूसो इसको....''
बड़ी चालाकी से उसने अपनी बेवकूफी को छुपा लिया..और उसने ये भी सोच लिया की अब वो ऐसी बेवकूफी दोबारा नही करेगी, इसलिए कुछ देर के लिए उसने विक्की का ख़याल अपने दिल से निकाल दिया और अपनी आँखे खोल कर समीर के बारे मे ही सोचकर मज़े लेने लगी..
अब वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके चेहरे पर बुरी तरह से घिस कर ज़ोर-2 से चिल्ला रही थी : "आआआआआआअहह समीर ........सकककककक करो......अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ज़ोर से ........ उम्म्म्मममममममम ......यस ..................ऐसे ही...... ओह.... तुम्हारी जीभ कितनी अच्छी लग रही है अंदर जाकर .......अआआआहह.... काटो मत प्लीस...... अहह....मेरी क्लिट ......येस .....इसको पकड़ो .....होंठों से ......जीभ से कुरेदो .....अहह ऐसे ही ..... ओह ....समीर......... माय लाइफ ........उम्म्म्मम......आई एम कमिंग...''
और एक जोरदार झटके के साथ उसकी हांड़ी मे से गरम-2 शहद निकल कर समीर के मुँह मे जाने लगा..रश्मि के शरीर के हर जर्क के साथ कुछ बूंदे निकल कर नीचे जाती, जिसे समीर बड़े चाव से निगल जाता..
अब बारी थी समीर की...उसने रश्मि को मोटी-2 जांघे पकड़ी और उसे बेड पर चित्त कर दिया और एक ही झटके मे उसके उपर सवार हो गया..रश्मि अपने झड़ने का स्वाद अभी तक ले रही थी और उसकी आँखे बंद थी, समीर ने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और अपने हाथ से लंड पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक आगे की तरफ झुकता चला गया..रश्मि की एक टाँग समीर के नीचे थी और दूसरी उसकी खुद की छाती से आ लगी...और साथ ही साथ समीर भी पूरा उसके अंदर दाखिल हो गया..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् समीर , चोदो मुझे आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से ''
इतने अंदर तक चुदने का ये पहला एहसास था उसका..आज तक इतनी गहराई मे कभी नही डूबा था समीर..वो भी उसके आनंद सागर मे गोते लगा-लगाकर अपनी इस उपलब्धि का मज़ा लेने लगा..
कभी वो झुकते हुए उसके होंठों को चूम लेता और कभी नीचे झुकते हुए उसके स्तनों को काट लेता..कभी उसके मांसल चूतड़ों पर चांटा मारता
हर झटके मे समीर अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहा था..और फिर जब वो समय निकट आया जब वो समझ गया की अब और नही रोक पाएगा तो उसने रश्मि की टाँग छोड़ दी और उसके दोनो हाथों पर हाथ रखकर ज़ोर-2 से झटके मारने लगा..
और उसके हिलते स्तनों और लरजते होंठों को देखते हुए उसने अपना लंड एकदम से बाहर निकाला और उसके चेहरे से लेकर उसकी नाभि तक हिस्से को बर्फीली चादर से ढक दिया
''आआआआआआआअहह ............. रश्मि .........मैं तो गया.......''
और वो उसके उपर गिरकर ज़ोर-2 से हाफने लगा.
दोनो के मन मे सिर्फ़ एक ही बात चल रही थी की आज किसी और के बारे मे सोचकर चुदाई करने मे कितना मज़ा मिला है.
जब उसके साथ असली की चुदाई होगी तो कैसा लगेगा.
दोनो अलग हुए और एक-2 करके दोनो बाथरूम मे गये और अपने अंगों को सॉफ किया..
फिर रश्मि नंगी ही आकर समीर के बदन से लिपटकर लेट गयी.
रश्मि : "कैसी रही शॉपिंग...क्या -2 लिया आज काव्या के लिए ..''
काव्या का नाम सुनते ही समीर के लंड ने एक हरकत सी की, जिसे रश्मि ने भी महसूस किया..पर वो कुछ समझ नही पाई, उसे लगा की शायद ऐसे नंगे लेटने की वजह से समीर फिर से उत्तेजित हो रहा है.
समीर : "सही थी...काफ़ी कुछ लिया काव्या ने आज....बाकी कल देख लेना की क्या-2 उसने , बहुत खुश भी थी आज ''
रश्मि : "हाँ , वो तो मैने भी देखा, और मुझे खुशी हुई की वो आपसे घुल मिल रही है..''
दोनों कुछ देर चुप रहे
समीर : "और तुम तो बताओ...तुम मिली थी क्या उस लड़के से आज...विक्की से...''