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Erotica हरामी साहूकार

Ashokafun30

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भले ही आज पिंकी को काफ़ी दर्द का सामना करना पड़ा था,
उसका शरीर टूट सा चुका था पर जो मज़ा उसे चुदाई करवाकर मिला था, उसमे वो इस दर्द को भूल ही चुकी थी, और उसे पता भी था की ये दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है, अब तो सिर्फ मजा ही मजा मिलेगा , इसलिए वो उस दर्द को भुलाकर सिर्फ़ मज़े में डूबी हुई, नंगी ही लाला से लिपटी उस जंगल में पड़ी हुई थी...

लाला भी एक तरफ लुढ़क कर अपनी साँसे काबू में लाने लगा....
अभी तो पार्टी शुरू हुई थी...
अभी तो एक राउंड और लगाना था...
और इसके लिए निशि को मदद के लिए बुलाने की आवश्यकता थी...

जंगल में सही मायनो में मंगल हो रहा था आज..

*************
अब आगे
*************

गहरी साँसे लेते हुए लाला ने निशि की तरफ देखा, जो अपनी बुर को बुरी तरह से मसलती हुई लाला के ढीले लंड को देख रही थी जैसे उसे खा ही जाएगी....
लाला भी उसकी चूत का दर्द समझ रहा था पर वो ये भी जानता था की इस वक़्त अगर उसने पिंकी को ऐसे ही छोड़ दिया तो वो दुबारा उसके नीचे आने वाली नही है, लाला का यही सिद्धांत रहा था शुरू से की एक चूत को इतना संतुष्ट कर दो की अगली बार वो खुद ही उसके लंड को ढूँढते-2 उसकी दुकान तक पहुँच जाए और यही राज था लाला के लंड की महिमा का..

लाला उसे इस वक़्त पूरे मज़े तो नही पर थोड़े तो दे ही सकता था, यही सोचकर उसने इशारा करके निशि को अपने पास आने को कहा...
वो तो कब से इसी पल का इंतजार कर रही थी, लाला की उंगली का इशारा पाते ही वो हिरनी की तरह उछलती हुई उनके सामने आकर बैठ गयी...

लाला : "अरे , तेरी सहेली की सील टूटी है आज और तू एक कोने में बैठी है...चल जाकर वहां से थोड़ा पानी और कपड़ा लेआ और इसकी चूत सॉफ कर...''

एक पल के लिए तो उसका चेहरा ही लटक गया, कहाँ तो उसे लाला का लंड अपनी चूत में जाता हुआ दिख रहा था और कहाँ लाला उससे पिंकी की चूत सॉफ करवा रहा है..

पर मना वो कर नही सकती थी, इसलिए कोने में पड़े एक डिब्बे में पानी भरकर वो पिंकी के पास आई और कपड़े से उसकी चूत को अच्छी तरह सॉफ करने लगी...

निशि देख पा रही थी की लाला ने कितना कोहराम मचाया है उसकी सहेली की चूत में , पहले एक कली की तरह थी वो चूत , जिसकी दो पंखुड़िया एक दूसरे से चिपकी रहती थी, उन्हे अपनी उंगलियो से अलग करके अपनी जीभ को बीच में डालना पड़ता था निशि को, पर अब आलम ये था की लाला ने उन पंखुड़ियो को फैलाकर इतना चौड़ा कर दिया था की अंदर का लाल दरवाजा उसे ऐसे ही दिखाई दे रहा था...

निशि ने उस लाला की लेस से लिबड़ी चूत को पानी से अच्छी तरह से सॉफ किया और कपड़े से सॉफ करके उसे चमका डाला..



पिंकी को भी उसके हाथ का स्पर्श गुदगुदा सा रहा था, निशि ने लाला को देखा तो लाला ने उसे आँखो का इशारा करके आगे बढ़ने को कहा, बस फिर क्या था, वो अपनी लपलपाती जीभ लेकर किसी नागिन की तरह उसकी चूत पर कूद पड़ी...

उसके इस हमले से पिंकी भी चोंक गयी,
क्योंकि उसे तो लाला ने सिर्फ़ चूत सॉफ करने को कहा था, और वो भी पानी से ये तो अपनी जीभ से सॉफ करने लग गयी...

पर वो कुछ बोल ही नही पाई, क्योंकि निशि की अनुभवी जीभ और होंठो ने उसकी सॉफ सुथरी और ताज़ा चुदी चूत पर बुरी तरह से कब्जा जमा लिया था और वो उसे ऐसे चाट रही थी जैसे फ्रूट सलाद की कटोरी उसके सामने रख दी हो लाला ने...



और सच में निशि को फ़र्क सॉफ महसूस हो रहा था उसकी चूत का...
पहले वो उसकी चूत में जीभ डालती थी तो वो अंदर फँस सी जाती थी, अब ऐसा नही हो रहा था...
शायद ताज़ा-2 लंड अंदर गया था कुछ देर पहले, इसलिए वो गेप बन गया था..

निशि की जीभ उसकी रेशमी चूत में मखमल की भाँति तेरने लगी....
लाला ने जो चोट पिंकी की अंदरूनी दीवारों पर अपने लंड से पहुँचाई थी, निशि की जीभ इस वक़्त उसपर दवा जैसा काम कर रही थी...
इसलिए पिंकी को भी उसकी गर्म जीभ अंदर लेने में मज़ा आने लगा और वो उसके सिर को अपनी जाँघो के अंदर दबा कर हमेशा की तरह बोली

''आआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआआआअँन ...... एक तू ही है जो मुझे अंदर तक समझती है...''

जवाब में निशि मुस्कुरा दी..

पर अपनी जीभ नही निकाली उसने पिंकी की चूत से..


वो उसे अपनी जीभ से ऐसे कुरेद रही थी की शायद लाला के लंड से निकले पानी का कोई मोती अब भी उसे अंदर मिल जाए...

लाला भी उन दोनो की इस जुगलबंदी को देखकर अपने लंड को पानी से सॉफ करके चमकाने में लगा था..

निशि ने अपने कपड़े उतार दिए थे क्योंकि चूत चाटते हुए उसे अपनी चूत और चुचि भी तो मसलनी थी..



कुछ देर बाद जब लाला को लगा की पिंकी अच्छी तरह से उत्तेजित हो चुकी है तो उसने निशि को वहीं रोक दिया

''बस कर निशि ....अब तू साइड में हो जा...बाकी मुझपर छोड़ दे...''

बेचारी का मन तो नही कर रहा था पर लाला से वो बहस नही कर सकती थी...

पिंकी की चूत भी पुलकित हो उठी ये सोचकर की अब एक बार फिर से लाला उसकी चुदाई करेगा...

पर इस बार उसने चुदाई की कमान अपने हाथ में लेने का निश्चय कर लिया था क्योंकि वो जानती थी की एक मर्द को असली खुशी तभी मिलती है जब सामने से भरपूर मज़ा देने वाली पार्ट्नर मिले..

पिंकी : "लाला, अब आप यहाँ लेट जाओ, अब मैं आपको जन्नत की सैर करवाउंगी ...''

एक लड़की जब सामने से मर्द को ऐसे बोले तो उसे पता होता है की आज उसकी लाइफ में कितना रोमांच आने वाला है..

लाला तो ये सुनते ही खुश हो गया और अपनी टांगे चौड़ी करके ज़मीन पर लगाए बिस्तर पर लेट गया..

पिंकी सामने आकर खड़ी हो गयी और बड़े ही सैक्सी तरीके से चलती हुई उसके शरीर के दोनो तरफ टांगे करके वो धीरे-2 उसके चेहरे पर पहुँच गयी...
लाला को लगा था की वो उसके लंड को चूसेगी पर उसका इरादा कुछ और ही था...

वो अपनी चूत को लाला के चेहरे के ठीक उपर तक ले आई, निशि के चूसने से उसकी चूत पहले ही पनिया रही थी, उपर से लाला के साथ कुछ अलग करने की सोच ने उसकी चूत के रस को टपकने पर मजबूर कर दिया और एक खट्टी और करारी बूँद सीधा जाकर लाला के खुले मुँह में जा गिरी, जिसे वो एक चटोरे की तरह चाट गया...

पिंकी ने जब ये देखा तो वो खिलखिलाकर हंस दी, क्योंकि इस वक़्त वो लाला को अपनी चूत का पानी इस तरह से पीला कर अपने आपको किसी देश की राजकुमारी से कम नही समझ रही थी..

उसने लाला को खुश करने के लिए अपनी चूत को नींबू की तरह पकड़कर निचोड़ डाला और परिणामस्वरूप लाला के मुँह और चेहरे पर पिंकी की चूत से निकले पानी की बारिश हो गयी...

लाला उस पानी की मिठास का तो पहले से ही दीवाना था, वो उसे झट्ट से पी गया और अपने चेहरे पर भी उंगलिया फेरकर उसे सॉफ किया और अपनी उंगलिया भी चटखारे मारकर चाट गया...

पर असली मज़ा तो उसे तब मिला जब पिंकी की उड़नतश्तरी नुमा गांड ने उसके चेहरे पर आकर लेंड किया..
पिंकी ने लाला की घनी दाढ़ी मूँछो की भी परवाह नही की और उसके घने बालों पर अपनी गद्देदार चूत और गांड को रगड़कर उसे मसल डाला..

लाला को तो ऐसा लगा की उसकी साँसे ही घुट जाएगी, पर बीच-2 में उसे हवा लेने की जगह मिल ही जाती, अपनी जीभ को उसने कड़ा करके उपर की तरफ निकाल लिया जिसपर अपनी चूत के होंठो को घिसकर पिंकी ऐसे मचल रही थी जैसे उसकी चूत पर लाला की जीभ नही बल्कि कोई नाग बैठा हो...

और झटके देते हुए उसने अपने शरीर को आगे की तरफ गिराया और एक ही बार में लाला के नाग यानी रामलाल को मुँह में लेकर सड़प-2 करके चाटने लगी..



और साथ ही साथ अपनी चूत पर हो रही गुदगुदी को महसूस करके वो उत्तेजित भी हो रही थी..

''आआआआआआआआआहह लाला.......................उम्म्म्मममममममममममम........ मजाआा आआआआआअ गय्ाआआआआआआआआआअ.... चाआटो मेरी बुर को.... उम्म्म्ममममम.... डाााल दो अपनी जीईभ अंदर...... घुसेड दो अपने होंठ मेरी चूssssssत में लाला........पूरा घुस जा मेरी चूत में लाला.....''

ये आजकल की लड़किया भी ना....
लाला के लंड को अंदर ले ले ढंग से ,वही इनके लिए बहुत है...
लाला को अंदर लेकर तो चूत का पंचनामा ही हो जाना है...

पर बेचारी की उत्तेजना ही थी जो इस वक़्त उससे ये सब कहलवा रही थी और ये लाला की जीभ का ही कमाल था की वो इतनी जल्दी उत्तेजना में आकर ये भी भूल चुकी थी की उसकी फटी हुई चूत में कुछ देर पहले तक तो खून रिस रहा था, अब दोबारा वहीं लंड अंदर जाएगा तो क्या हाल होगा...
पर चुदाई की ललक ही ऐसी होती है, वो इन सब बातों के बारे में नही सोचती...
और पिंकी पर अभी उसी चुदाई की भूतनी सवार थी.

लाला ने उसकी चूत को आइस्क्रीम की तरह चाट डाला...
अब वो अंदर और बाहर से पूरी तर बतर हो चुकी थी...
अंदर अपने रस से और बाहर लाला की लार से..
 

Ashokafun30

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यही मौका था अब, एक बार फिर से उस करिश्माई लंड को अपनी चूत में लेने का...
और यही सोचकर वो मछली की तरह फिसल कर सीधी हो गयी और लाला के लंड पर अपनी चूत को टिका दिया..., लाला के हाथ उसके नन्हे उरोजों पर थे, पिंकी की आँखो में इस वक़्त डर के बदले हवस थी, और उसके होंठो पर ढेर सारा शहद ...



लाला ने उसके कुल्हो को पकड़ा और नीचे से जोरदार झटका मारकर अपना रॉकेट उसकी चूत के सोरमंडल में दाखिल कर दिया...

पिंकी के होंठ खुले रह गये इस एहसास से....
और वो उन खुले होंठो के साथ लाला के मुँह पर जा गिरी,
लाला ने भी देर ना की और उसके होंठो के शहद को जीभ से चाट लिया...

बेचारी खुल कर मज़े से चीख भी ना पाई और ना ही ये बता पाई की लाला के लंड ने इस बार उसे कितना मज़ा दिया है...

पर जल्द ही लाला के झटको ने उसकी पकड़ को ढीला कर दिया और वो चिल्लाती हुई, लाला के घोड़े पर बैठकर ज़ोर से बोली

''आआआआआआआअहह लाला .................. अब आया है असली मज़ा चुदाई कााआआअ.... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मजेदार एहसास है तेरे लंड का लाला ....... ओह.... इतना मोटा लंड ..... मेरी छोटी सी चूत में .....जाकर जो मज़े दे रहा है...... सच में लाला........ बता नही सकती........ जो फील हो रहा है....... ..... ज़ोर से चोद लाला...... अब ना रहम कर मुझपर...... बहुत तरसी हू रे तेरे इस निगोडे लंड को अंदर लेने के वास्ते...... उम्म्म्ममममममम..... अब चोद डाल मुझे...... अपनी रंडी बना ले लाला.... एक रंडी की तरह चोद मुझे...... पेल अपनी रंडी पिंकी को लाला..... जोर से पेल .....''

लाला तो उसके हर शब्द को उसका हुक्म मानकर उसकी दुर्गति बनाने में लगा हुआ था....
अब उसे उस जादुई पुड़िया की शक्ति का एहसास हो रहा था....
कोई और मौका होता तो वो हाँफने लगता या झड़ चुका होता ऐसे झटको को महसूस करके...
पर आज ये चुदाई लंबी चलने वाली थी, इतनी लंबी की पिंकी की चाहत ख़त्म हो जाती पर लाला के लंड की पिचकारी नही निकलने वाली थी जल्दी...

लाला ने उसके गुलाबी निप्पल्स को उमेठकर उसके अंदर की रंडी को और बाहर निकालने की कोशिश की,
और हुआ भी यही,
अपने आप को रंडी-2 कह रही पिंकी पर निप्पल खीचाई का इतना बुरा असर हुआ की उसका शरीर ऐसे काँपने लगा जैसे उसके अंदर की भूतनी शरीर त्याग कर बाहर आ रही है,
और ऐसा करते हुए वो बुरी तरह से झड़ने लगी.

लाला के लंड पर पिंकी की चूत के रस का अभिषेक हो गया,
लाला पूरा गीला हो गया, पर इसी गीलेपन ने उसके लंड को पिस्टन बनाकर और भी ज़्यादा ख़तरनाक कर दिया और अब लाला उसकी नन्ही सी गांड को पकड़ कर जोरों से धक्के मारकर उसकी बची खुशी जान निकालने में लगा हुआ था..



पिंकी तो बेहोशी की अवस्था में पहुँच चुकी थी,
लाला के शरीर पर उसका फूल सा बदन घिस्से खा रहा था,
उसके नुकीले निप्पल लाला की छाती पर शूल से चुभ भी रहे थे और उसके मुम्मो का मुलायमपन उसे गुदगुदा भी रहा था....

कुल मिलाकर आज लाला अपने जीवन की सबसे मस्त चुदाई का मज़ा खुल कर ले रहा था..

दूर बैठी नंगी निशि अपनी चूत को मसलते हुए अपने मुम्मे भी बारी-2 से दबा रही थी,



निशि की चूत भी लाला की चुदाई देखकर मस्त हुए जा रही थी...
2 दिन पहले ही नंदू के लंड ने उसका उद्घाटन किया था, इसलिए उसे भी पता था की चूत की खुजली कैसी होती है...

वो जानती थी की आज लाला उसे चुदाई का मज़ा नही दे पाएगा पर घर जाकर वो नंदू के लंड को अंदर लेकर अपनी इस प्यास को बुझा लेना चाहती थी...

इसलिए वो उनके कार्यकर्म के ख़त्म होने का इंतजार कर रही थी ताकि जल्दी से घर जाकर अपनी चूत मराई का प्रोग्राम शुरू कर सके..

पर लाला के करारे झटके देखकर उसे लग नही रहा था की आज ये बुड्ढा जल्दी झड़ने के मूढ़ में है....
वैसे भी आज उसे लाला किसी और ही रंग मे रंगा हुआ दिख रहा था...
इतनी देर तक तो नंदू भी नही टीका था उसके सामने, वो भी झड़ गया था..

पर वो ये नही जानती थी की आज लाला ने वो जादुई पूडिया खाई है, इसलिए वो पिंकी की चूत का बैंड बजाने में लगा है..

लाला अब नीचे से धक्के मारता हुआ थक चुका था,
उसने पिंकी के निढाल से शरीर को नीचे उतारा और उसे गद्दे पर लिटा कर उसकी टांगे फेला दी

बुरी तरह चुदाई करवाने के बाद भी उसके रूप रंग में कोई कमी नही आई थी, अब भी वो हरामन एक नंबर का माल लग रही थी..



लाला ने उसकी रेशमी टंगड़ी कबाब को उपर उठाया और उसकी चाशनी से भरी इमरती जैसी चूत पर अपना क्रीम रोल लगाकर अंदर धकेल दिया...
चूत तो पहले से ही गीली थी, एक कसक के साथ पिंकी ने उसे अपने अंदर ले लिया

लाला के झटके एक बार फिर से शुरू हो गये,
उसका पूरा शरीर उपर से नीचे तक हिल रहा था,
झटकों से उसके नन्हे बूब्स उपर नीचे होकर गुल्लक की तरह खनक रहे थे...



पिंकी ने लाला के निप्पल्स को पकड़कर उन्हे सहलाना शुरू कर दिया...
वो जानती थी की अब उसे ही लाला को जल्द से जल्द झाड़वाने पर मजबूर करना होगा वरना वो उसकी चूत की रेलगाड़ी बना कर पता नही किस स्टेशन तक ले जाएगा...

और उसके सहलाने का असर जल्द ही होने लगा...
लाला का लंड अपनी अकड़ खोने लगा और जल्द ही उसके लंड ने ढेर सारा रस उस कच्ची कमसिन की चूत में उडेल दिया, जिसे महसूस करके ना चाहते हुए भी वो एक और बार झड़ने पर मजबूर हो गयी...

''आआआआआआअहह लाला...................... उम्म्म्मममममम.... आज तो तूने मार डाला मुझे......... पूरा शरीर हिला डाला तूने तो........ ''

लाला ने मुस्कुराते हुए कहा : "यही तो असली चुदाई होती है मेरी जान....अब रोज लंड लेना सीख ले, तभी इस जवानी का असली मज़ा ले पाएगी...''

उसने भी मुस्कुराते हुए सिर हिला कर रोज चुदने की सहमति दे डाली....
क्योंकि अंदर से वो भी जानती थी की अब इस चुदाई के बिना एक दिन भी रह पाना उसके लिए भी मुश्किल होगा..

उसके बाद लाला उस नंगे फूल से बदन को उठाकर पास बने पानी के तालाब में ले गया,
निशि भी वहां आ गयी और तीनो ने साथ मिलकर अच्छे से एक दूसरे के शरीर को मसला और रगड़ -2 कर सॉफ किया...

ठंडे पानी ने पिंकी के शरीर मे सुफूर्ती सी भर दी थी...

उसका मन तो कर रहा था की एक बार और ट्राई किया जाए पर अब काफ़ी समय हो चुका था....
पिंकी और निशि ने स्कूल बंक किया था, टाइम देखा तो करीब 2 बजने को थे....
चुदाई करते हुए समय का पता ही नही चला...
उन सबने अपने-2 कपड़े पहने और वापिस गाँव की तरफ चल दिए ताकि पिंकी और निशि अपने स्कूल टाइम के हिसाब से ही घर पहुँच जाए...

लाला ने उन्हे गाँव के बाहर उतारा जहाँ से उन दोनो ने रिक्शा कर लिया और अपने-2 घर पहुँच गयी...
पिंकी की तो हालत बुरी थी, वो बुखार का बहाना करके, बदन दर्द की गोली लेकर सो गयी ताकि लाला के दिए दर्द से उसे शाम तक आराम मिल सके..

और निशि घर जाकर अपने कमरे को सजाने संवारने का काम करने लगी...
आज की रात वो अपने भाई नंदू को कच्चा चबा लेना चाहती थी...

पर बेचारी ये नही जानती थी की आज उसकी लाइफ में कितना बड़ा धमाका होने वाला है..
 

Ek number

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भले ही आज पिंकी को काफ़ी दर्द का सामना करना पड़ा था,
उसका शरीर टूट सा चुका था पर जो मज़ा उसे चुदाई करवाकर मिला था, उसमे वो इस दर्द को भूल ही चुकी थी, और उसे पता भी था की ये दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है, अब तो सिर्फ मजा ही मजा मिलेगा , इसलिए वो उस दर्द को भुलाकर सिर्फ़ मज़े में डूबी हुई, नंगी ही लाला से लिपटी उस जंगल में पड़ी हुई थी...

लाला भी एक तरफ लुढ़क कर अपनी साँसे काबू में लाने लगा....
अभी तो पार्टी शुरू हुई थी...
अभी तो एक राउंड और लगाना था...
और इसके लिए निशि को मदद के लिए बुलाने की आवश्यकता थी...

जंगल में सही मायनो में मंगल हो रहा था आज..

*************
अब आगे
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गहरी साँसे लेते हुए लाला ने निशि की तरफ देखा, जो अपनी बुर को बुरी तरह से मसलती हुई लाला के ढीले लंड को देख रही थी जैसे उसे खा ही जाएगी....
लाला भी उसकी चूत का दर्द समझ रहा था पर वो ये भी जानता था की इस वक़्त अगर उसने पिंकी को ऐसे ही छोड़ दिया तो वो दुबारा उसके नीचे आने वाली नही है, लाला का यही सिद्धांत रहा था शुरू से की एक चूत को इतना संतुष्ट कर दो की अगली बार वो खुद ही उसके लंड को ढूँढते-2 उसकी दुकान तक पहुँच जाए और यही राज था लाला के लंड की महिमा का..

लाला उसे इस वक़्त पूरे मज़े तो नही पर थोड़े तो दे ही सकता था, यही सोचकर उसने इशारा करके निशि को अपने पास आने को कहा...
वो तो कब से इसी पल का इंतजार कर रही थी, लाला की उंगली का इशारा पाते ही वो हिरनी की तरह उछलती हुई उनके सामने आकर बैठ गयी...

लाला : "अरे , तेरी सहेली की सील टूटी है आज और तू एक कोने में बैठी है...चल जाकर वहां से थोड़ा पानी और कपड़ा लेआ और इसकी चूत सॉफ कर...''

एक पल के लिए तो उसका चेहरा ही लटक गया, कहाँ तो उसे लाला का लंड अपनी चूत में जाता हुआ दिख रहा था और कहाँ लाला उससे पिंकी की चूत सॉफ करवा रहा है..

पर मना वो कर नही सकती थी, इसलिए कोने में पड़े एक डिब्बे में पानी भरकर वो पिंकी के पास आई और कपड़े से उसकी चूत को अच्छी तरह सॉफ करने लगी...

निशि देख पा रही थी की लाला ने कितना कोहराम मचाया है उसकी सहेली की चूत में , पहले एक कली की तरह थी वो चूत , जिसकी दो पंखुड़िया एक दूसरे से चिपकी रहती थी, उन्हे अपनी उंगलियो से अलग करके अपनी जीभ को बीच में डालना पड़ता था निशि को, पर अब आलम ये था की लाला ने उन पंखुड़ियो को फैलाकर इतना चौड़ा कर दिया था की अंदर का लाल दरवाजा उसे ऐसे ही दिखाई दे रहा था...

निशि ने उस लाला की लेस से लिबड़ी चूत को पानी से अच्छी तरह से सॉफ किया और कपड़े से सॉफ करके उसे चमका डाला..



पिंकी को भी उसके हाथ का स्पर्श गुदगुदा सा रहा था, निशि ने लाला को देखा तो लाला ने उसे आँखो का इशारा करके आगे बढ़ने को कहा, बस फिर क्या था, वो अपनी लपलपाती जीभ लेकर किसी नागिन की तरह उसकी चूत पर कूद पड़ी...

उसके इस हमले से पिंकी भी चोंक गयी,
क्योंकि उसे तो लाला ने सिर्फ़ चूत सॉफ करने को कहा था, और वो भी पानी से ये तो अपनी जीभ से सॉफ करने लग गयी...

पर वो कुछ बोल ही नही पाई, क्योंकि निशि की अनुभवी जीभ और होंठो ने उसकी सॉफ सुथरी और ताज़ा चुदी चूत पर बुरी तरह से कब्जा जमा लिया था और वो उसे ऐसे चाट रही थी जैसे फ्रूट सलाद की कटोरी उसके सामने रख दी हो लाला ने...



और सच में निशि को फ़र्क सॉफ महसूस हो रहा था उसकी चूत का...
पहले वो उसकी चूत में जीभ डालती थी तो वो अंदर फँस सी जाती थी, अब ऐसा नही हो रहा था...
शायद ताज़ा-2 लंड अंदर गया था कुछ देर पहले, इसलिए वो गेप बन गया था..

निशि की जीभ उसकी रेशमी चूत में मखमल की भाँति तेरने लगी....
लाला ने जो चोट पिंकी की अंदरूनी दीवारों पर अपने लंड से पहुँचाई थी, निशि की जीभ इस वक़्त उसपर दवा जैसा काम कर रही थी...
इसलिए पिंकी को भी उसकी गर्म जीभ अंदर लेने में मज़ा आने लगा और वो उसके सिर को अपनी जाँघो के अंदर दबा कर हमेशा की तरह बोली

''आआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआआआअँन ...... एक तू ही है जो मुझे अंदर तक समझती है...''

जवाब में निशि मुस्कुरा दी..

पर अपनी जीभ नही निकाली उसने पिंकी की चूत से..


वो उसे अपनी जीभ से ऐसे कुरेद रही थी की शायद लाला के लंड से निकले पानी का कोई मोती अब भी उसे अंदर मिल जाए...

लाला भी उन दोनो की इस जुगलबंदी को देखकर अपने लंड को पानी से सॉफ करके चमकाने में लगा था..

निशि ने अपने कपड़े उतार दिए थे क्योंकि चूत चाटते हुए उसे अपनी चूत और चुचि भी तो मसलनी थी..



कुछ देर बाद जब लाला को लगा की पिंकी अच्छी तरह से उत्तेजित हो चुकी है तो उसने निशि को वहीं रोक दिया

''बस कर निशि ....अब तू साइड में हो जा...बाकी मुझपर छोड़ दे...''

बेचारी का मन तो नही कर रहा था पर लाला से वो बहस नही कर सकती थी...

पिंकी की चूत भी पुलकित हो उठी ये सोचकर की अब एक बार फिर से लाला उसकी चुदाई करेगा...

पर इस बार उसने चुदाई की कमान अपने हाथ में लेने का निश्चय कर लिया था क्योंकि वो जानती थी की एक मर्द को असली खुशी तभी मिलती है जब सामने से भरपूर मज़ा देने वाली पार्ट्नर मिले..

पिंकी : "लाला, अब आप यहाँ लेट जाओ, अब मैं आपको जन्नत की सैर करवाउंगी ...''

एक लड़की जब सामने से मर्द को ऐसे बोले तो उसे पता होता है की आज उसकी लाइफ में कितना रोमांच आने वाला है..

लाला तो ये सुनते ही खुश हो गया और अपनी टांगे चौड़ी करके ज़मीन पर लगाए बिस्तर पर लेट गया..

पिंकी सामने आकर खड़ी हो गयी और बड़े ही सैक्सी तरीके से चलती हुई उसके शरीर के दोनो तरफ टांगे करके वो धीरे-2 उसके चेहरे पर पहुँच गयी...
लाला को लगा था की वो उसके लंड को चूसेगी पर उसका इरादा कुछ और ही था...

वो अपनी चूत को लाला के चेहरे के ठीक उपर तक ले आई, निशि के चूसने से उसकी चूत पहले ही पनिया रही थी, उपर से लाला के साथ कुछ अलग करने की सोच ने उसकी चूत के रस को टपकने पर मजबूर कर दिया और एक खट्टी और करारी बूँद सीधा जाकर लाला के खुले मुँह में जा गिरी, जिसे वो एक चटोरे की तरह चाट गया...

पिंकी ने जब ये देखा तो वो खिलखिलाकर हंस दी, क्योंकि इस वक़्त वो लाला को अपनी चूत का पानी इस तरह से पीला कर अपने आपको किसी देश की राजकुमारी से कम नही समझ रही थी..

उसने लाला को खुश करने के लिए अपनी चूत को नींबू की तरह पकड़कर निचोड़ डाला और परिणामस्वरूप लाला के मुँह और चेहरे पर पिंकी की चूत से निकले पानी की बारिश हो गयी...

लाला उस पानी की मिठास का तो पहले से ही दीवाना था, वो उसे झट्ट से पी गया और अपने चेहरे पर भी उंगलिया फेरकर उसे सॉफ किया और अपनी उंगलिया भी चटखारे मारकर चाट गया...

पर असली मज़ा तो उसे तब मिला जब पिंकी की उड़नतश्तरी नुमा गांड ने उसके चेहरे पर आकर लेंड किया..
पिंकी ने लाला की घनी दाढ़ी मूँछो की भी परवाह नही की और उसके घने बालों पर अपनी गद्देदार चूत और गांड को रगड़कर उसे मसल डाला..

लाला को तो ऐसा लगा की उसकी साँसे ही घुट जाएगी, पर बीच-2 में उसे हवा लेने की जगह मिल ही जाती, अपनी जीभ को उसने कड़ा करके उपर की तरफ निकाल लिया जिसपर अपनी चूत के होंठो को घिसकर पिंकी ऐसे मचल रही थी जैसे उसकी चूत पर लाला की जीभ नही बल्कि कोई नाग बैठा हो...

और झटके देते हुए उसने अपने शरीर को आगे की तरफ गिराया और एक ही बार में लाला के नाग यानी रामलाल को मुँह में लेकर सड़प-2 करके चाटने लगी..



और साथ ही साथ अपनी चूत पर हो रही गुदगुदी को महसूस करके वो उत्तेजित भी हो रही थी..

''आआआआआआआआआहह लाला.......................उम्म्म्मममममममममममम........ मजाआा आआआआआअ गय्ाआआआआआआआआआअ.... चाआटो मेरी बुर को.... उम्म्म्ममममम.... डाााल दो अपनी जीईभ अंदर...... घुसेड दो अपने होंठ मेरी चूssssssत में लाला........पूरा घुस जा मेरी चूत में लाला.....''

ये आजकल की लड़किया भी ना....
लाला के लंड को अंदर ले ले ढंग से ,वही इनके लिए बहुत है...
लाला को अंदर लेकर तो चूत का पंचनामा ही हो जाना है...

पर बेचारी की उत्तेजना ही थी जो इस वक़्त उससे ये सब कहलवा रही थी और ये लाला की जीभ का ही कमाल था की वो इतनी जल्दी उत्तेजना में आकर ये भी भूल चुकी थी की उसकी फटी हुई चूत में कुछ देर पहले तक तो खून रिस रहा था, अब दोबारा वहीं लंड अंदर जाएगा तो क्या हाल होगा...
पर चुदाई की ललक ही ऐसी होती है, वो इन सब बातों के बारे में नही सोचती...
और पिंकी पर अभी उसी चुदाई की भूतनी सवार थी.

लाला ने उसकी चूत को आइस्क्रीम की तरह चाट डाला...
अब वो अंदर और बाहर से पूरी तर बतर हो चुकी थी...
अंदर अपने रस से और बाहर लाला की लार से..
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यही मौका था अब, एक बार फिर से उस करिश्माई लंड को अपनी चूत में लेने का...
और यही सोचकर वो मछली की तरह फिसल कर सीधी हो गयी और लाला के लंड पर अपनी चूत को टिका दिया..., लाला के हाथ उसके नन्हे उरोजों पर थे, पिंकी की आँखो में इस वक़्त डर के बदले हवस थी, और उसके होंठो पर ढेर सारा शहद ...



लाला ने उसके कुल्हो को पकड़ा और नीचे से जोरदार झटका मारकर अपना रॉकेट उसकी चूत के सोरमंडल में दाखिल कर दिया...

पिंकी के होंठ खुले रह गये इस एहसास से....
और वो उन खुले होंठो के साथ लाला के मुँह पर जा गिरी,
लाला ने भी देर ना की और उसके होंठो के शहद को जीभ से चाट लिया...

बेचारी खुल कर मज़े से चीख भी ना पाई और ना ही ये बता पाई की लाला के लंड ने इस बार उसे कितना मज़ा दिया है...

पर जल्द ही लाला के झटको ने उसकी पकड़ को ढीला कर दिया और वो चिल्लाती हुई, लाला के घोड़े पर बैठकर ज़ोर से बोली

''आआआआआआआअहह लाला .................. अब आया है असली मज़ा चुदाई कााआआअ.... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मजेदार एहसास है तेरे लंड का लाला ....... ओह.... इतना मोटा लंड ..... मेरी छोटी सी चूत में .....जाकर जो मज़े दे रहा है...... सच में लाला........ बता नही सकती........ जो फील हो रहा है....... ..... ज़ोर से चोद लाला...... अब ना रहम कर मुझपर...... बहुत तरसी हू रे तेरे इस निगोडे लंड को अंदर लेने के वास्ते...... उम्म्म्ममममममम..... अब चोद डाल मुझे...... अपनी रंडी बना ले लाला.... एक रंडी की तरह चोद मुझे...... पेल अपनी रंडी पिंकी को लाला..... जोर से पेल .....''

लाला तो उसके हर शब्द को उसका हुक्म मानकर उसकी दुर्गति बनाने में लगा हुआ था....
अब उसे उस जादुई पुड़िया की शक्ति का एहसास हो रहा था....
कोई और मौका होता तो वो हाँफने लगता या झड़ चुका होता ऐसे झटको को महसूस करके...
पर आज ये चुदाई लंबी चलने वाली थी, इतनी लंबी की पिंकी की चाहत ख़त्म हो जाती पर लाला के लंड की पिचकारी नही निकलने वाली थी जल्दी...

लाला ने उसके गुलाबी निप्पल्स को उमेठकर उसके अंदर की रंडी को और बाहर निकालने की कोशिश की,
और हुआ भी यही,
अपने आप को रंडी-2 कह रही पिंकी पर निप्पल खीचाई का इतना बुरा असर हुआ की उसका शरीर ऐसे काँपने लगा जैसे उसके अंदर की भूतनी शरीर त्याग कर बाहर आ रही है,
और ऐसा करते हुए वो बुरी तरह से झड़ने लगी.

लाला के लंड पर पिंकी की चूत के रस का अभिषेक हो गया,
लाला पूरा गीला हो गया, पर इसी गीलेपन ने उसके लंड को पिस्टन बनाकर और भी ज़्यादा ख़तरनाक कर दिया और अब लाला उसकी नन्ही सी गांड को पकड़ कर जोरों से धक्के मारकर उसकी बची खुशी जान निकालने में लगा हुआ था..



पिंकी तो बेहोशी की अवस्था में पहुँच चुकी थी,
लाला के शरीर पर उसका फूल सा बदन घिस्से खा रहा था,
उसके नुकीले निप्पल लाला की छाती पर शूल से चुभ भी रहे थे और उसके मुम्मो का मुलायमपन उसे गुदगुदा भी रहा था....

कुल मिलाकर आज लाला अपने जीवन की सबसे मस्त चुदाई का मज़ा खुल कर ले रहा था..

दूर बैठी नंगी निशि अपनी चूत को मसलते हुए अपने मुम्मे भी बारी-2 से दबा रही थी,



निशि की चूत भी लाला की चुदाई देखकर मस्त हुए जा रही थी...
2 दिन पहले ही नंदू के लंड ने उसका उद्घाटन किया था, इसलिए उसे भी पता था की चूत की खुजली कैसी होती है...

वो जानती थी की आज लाला उसे चुदाई का मज़ा नही दे पाएगा पर घर जाकर वो नंदू के लंड को अंदर लेकर अपनी इस प्यास को बुझा लेना चाहती थी...

इसलिए वो उनके कार्यकर्म के ख़त्म होने का इंतजार कर रही थी ताकि जल्दी से घर जाकर अपनी चूत मराई का प्रोग्राम शुरू कर सके..

पर लाला के करारे झटके देखकर उसे लग नही रहा था की आज ये बुड्ढा जल्दी झड़ने के मूढ़ में है....
वैसे भी आज उसे लाला किसी और ही रंग मे रंगा हुआ दिख रहा था...
इतनी देर तक तो नंदू भी नही टीका था उसके सामने, वो भी झड़ गया था..

पर वो ये नही जानती थी की आज लाला ने वो जादुई पूडिया खाई है, इसलिए वो पिंकी की चूत का बैंड बजाने में लगा है..

लाला अब नीचे से धक्के मारता हुआ थक चुका था,
उसने पिंकी के निढाल से शरीर को नीचे उतारा और उसे गद्दे पर लिटा कर उसकी टांगे फेला दी

बुरी तरह चुदाई करवाने के बाद भी उसके रूप रंग में कोई कमी नही आई थी, अब भी वो हरामन एक नंबर का माल लग रही थी..



लाला ने उसकी रेशमी टंगड़ी कबाब को उपर उठाया और उसकी चाशनी से भरी इमरती जैसी चूत पर अपना क्रीम रोल लगाकर अंदर धकेल दिया...
चूत तो पहले से ही गीली थी, एक कसक के साथ पिंकी ने उसे अपने अंदर ले लिया

लाला के झटके एक बार फिर से शुरू हो गये,
उसका पूरा शरीर उपर से नीचे तक हिल रहा था,
झटकों से उसके नन्हे बूब्स उपर नीचे होकर गुल्लक की तरह खनक रहे थे...



पिंकी ने लाला के निप्पल्स को पकड़कर उन्हे सहलाना शुरू कर दिया...
वो जानती थी की अब उसे ही लाला को जल्द से जल्द झाड़वाने पर मजबूर करना होगा वरना वो उसकी चूत की रेलगाड़ी बना कर पता नही किस स्टेशन तक ले जाएगा...

और उसके सहलाने का असर जल्द ही होने लगा...
लाला का लंड अपनी अकड़ खोने लगा और जल्द ही उसके लंड ने ढेर सारा रस उस कच्ची कमसिन की चूत में उडेल दिया, जिसे महसूस करके ना चाहते हुए भी वो एक और बार झड़ने पर मजबूर हो गयी...

''आआआआआआअहह लाला...................... उम्म्म्मममममम.... आज तो तूने मार डाला मुझे......... पूरा शरीर हिला डाला तूने तो........ ''

लाला ने मुस्कुराते हुए कहा : "यही तो असली चुदाई होती है मेरी जान....अब रोज लंड लेना सीख ले, तभी इस जवानी का असली मज़ा ले पाएगी...''

उसने भी मुस्कुराते हुए सिर हिला कर रोज चुदने की सहमति दे डाली....
क्योंकि अंदर से वो भी जानती थी की अब इस चुदाई के बिना एक दिन भी रह पाना उसके लिए भी मुश्किल होगा..

उसके बाद लाला उस नंगे फूल से बदन को उठाकर पास बने पानी के तालाब में ले गया,
निशि भी वहां आ गयी और तीनो ने साथ मिलकर अच्छे से एक दूसरे के शरीर को मसला और रगड़ -2 कर सॉफ किया...

ठंडे पानी ने पिंकी के शरीर मे सुफूर्ती सी भर दी थी...

उसका मन तो कर रहा था की एक बार और ट्राई किया जाए पर अब काफ़ी समय हो चुका था....
पिंकी और निशि ने स्कूल बंक किया था, टाइम देखा तो करीब 2 बजने को थे....
चुदाई करते हुए समय का पता ही नही चला...
उन सबने अपने-2 कपड़े पहने और वापिस गाँव की तरफ चल दिए ताकि पिंकी और निशि अपने स्कूल टाइम के हिसाब से ही घर पहुँच जाए...

लाला ने उन्हे गाँव के बाहर उतारा जहाँ से उन दोनो ने रिक्शा कर लिया और अपने-2 घर पहुँच गयी...
पिंकी की तो हालत बुरी थी, वो बुखार का बहाना करके, बदन दर्द की गोली लेकर सो गयी ताकि लाला के दिए दर्द से उसे शाम तक आराम मिल सके..

और निशि घर जाकर अपने कमरे को सजाने संवारने का काम करने लगी...
आज की रात वो अपने भाई नंदू को कच्चा चबा लेना चाहती थी...

पर बेचारी ये नही जानती थी की आज उसकी लाइफ में कितना बड़ा धमाका होने वाला है..
Behtreen update
 

Gurisab

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Thanks
Adirshi
 
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Ashokafun30

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ye story to kayi sites par mil jayegi, maine to yaha ke readers ke liye is kahani ko post kiya hai, isliye please wo link hata do taaki dusre logo ka maja kharab na ho..
 
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