इस वक़्त निशि की शक्ल उस बिल्ली की तरह लग रही थी जो अपने सामने लटक रहे लंड नुमा चूहे को कच्चा खा जाने के मूड में थी
थोड़ा अजीब ज़रूर लग रहा था सबको एक दूसरे के सामने नंगा खड़े होने में
पर एक अलग ही तरह का रोमांच भी महसूस हो रहा था उन्हे...
पहल निशि ने ही की,
वो आगे बड़ी और उसने बड़ी ही नज़ाकत से नंदू के फुफकारते हुए लंड को पकड़ लिया...
उसपर अभी भी उसकी माँ की चूत का रस लगा हुआ था, जिसे सॉफ करने का उसके पास बहुत अच्छा तरीका था..
वो झट्ट से नीचे बैठी और पलक झपकते ही अपने भाई के लंड को निगल कर जोरों से चूसने लगी..
ये शायद गोरी की ज़िदगी का सबसे बड़ा झटका था...
थोड़ी देर पहले जिस लंड को वो खुद चूस रही थी, अब उसकी बेटी चूस रही है
और वो भी उससे बाड़िया तरीके से..
मतलब सॉफ था,
ये उसकी लाइफ की पहली चुसाई नहीं थी...
यानी ये काम वो पहले भी कर चुकी है...
निशि ने लंड चूसते - 2 अपनी माँ की तरफ देखा और बोली : "माँ , ऐसे ही खड़ी रहोगी तो कुछ नही मिलने वाला...अब ये लाज शर्म छोड़ो और आओ यहाँ ...वरना सारी मलाई मैने ही खा जानी है...''
इतनी बेशर्मी से निशि अपनी माँ से बोल रही थी...
पर इस बार उसकी बात पर हैरान होने के बजाए गोरी मुस्कुरा दी,
उसे भी पता चल चुका था की अब उसके बस में कुछ भी नही है...
और वैसे भी उसकी बेटी सही ही तो कह रही थी,
ऐसे खड़े रहने से कुछ नही मिलने वाला...
निशि ने भी तो हिम्मत की है, तभी उसके हाथ में इस वक़्त नंदू का लंड था...
इसलिए उसकी बात मानकर वो आगे आई और घुटनो के बल उसके साथ वहीँ बैठ गयी,
दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे की तरफ देखा और एक साथ अपने मुँह को आगे करके नंदू के लंड पर जीभ रख दी..
नंदू की लाइफ का शायद सबसे उत्तेजना से भरा पल था ये...
जिस माँ को वो पूरी जिंदगी चोदने के सपने देखता रहा और जिस जवान बहन के जिस्म की उसने मन में कई बार तारीफ की थी, वो दोनो इस वक़्त नंगी होकर उसके सामने बैठी थी और उसका लंड चूस रही थी...
आज तो उसे मौत भी आ जाए तो उसे कोई गम नही होगा, उसे उसकी लाइफ की सबसे बड़ी खुशी आज मिल चुकी थी..
और जल्द ही लंड चूसते - 2 उन दोनो माँ बेटियों ने नंदू के लंड को पहले से भी ज़्यादा लंबा और सख्त कर दिया... डबल पावर का यही असर होता है
और अब उस डबल पावर वाले लंड को इस्तेमाल करने का वक़्त आ चुका था..
और इस बार निशि ने कोई दरियादिली नही दिखाई...
उसने नंदू को धक्का देकर ज़मीन पर लिटाया और उसके उपर खुद सवार हो गयी...
उसकी आँखो के सामने अभी तक पिंकी और लाला की चुदाई की पिक्चर चल रही थी...
और जैसे-2 पिंकी ने आज लाला से चुदवाया था, ठीक वैसे ही वो नंदू के लंड से मज़ा लेना चाहती थी...
और इन सबके बीच वो ये बिल्कुल भूल चुकी थी की उसकी माँ भी वहां मोजूद है,
जो शायद एक बार फिर से हैरानी की उसी अवस्था में पहुँच चुकी थी जैसे वो कुछ समय पहले थी, जब उसने देखा की कैसे निशि ने नंदू के उस मोटे लंड को अपनी नन्ही सी चूत में आसानी से ले लिया है....
यानी लंड चुसाई तो कुछ भी नही था, वो पहले चुदाई भी करवा चुकी थी...
अगर ये निशि का पहली बार होता तो इतने मोटे लंड को अंदर लेने में उसकी मा मर जानी थी, पर ऐसा कुछ नही हुआ, उसके मुँह से चीखों के बदले सिर्फ़ रसीली सिसकारियाँ ही निकल रही थी...
जैसे-2 वो मोटा लंड उसकी चूत में समाता जा रहा था, उसकी आँखे बंद और होंठ खुलते जा रहे थे...
और अंत में जब उसने पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया तो उसके चेहरे की मुस्कान देखने लायक थी...
एक विजयी मुस्कान लिए वो धीरे-2 नंदू के घोड़े पर बैठी हिचकोले खाने लगी...
नंदू के हाथ भी उपर आए और उसने निशि की नन्ही बूबीयों को मसलना शुरू कर दिया और नीचे से अपनी गांड उठा कर उसकी चूत में झटके मारने भी शुरू कर दिए..
पूरे घर में दोनो की आंनद में डूबी सिसकारियाँ तैर रही थी..
''आआआआआआआआआआआआआआअहह ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममममम...... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... भाईईईईईईईईई.... ऐसे ही चोदो मुझे...................... अहह ...चोदो अपनी बहन को.....मारो अपनी रंडी बहन की चूत .....''
जिस बुरी तरह से वो बके जा रही थी, नंदू को लग रहा था की ऐसा ना हो की ये उनकी आख़िरी चुदाई साबित हो...
कोई भी माँ अपनी बेटी की ऐसी हरकतें देखकर चुप नही बैठ सकती...
अपनी माँ की तरफ देखा उसने तो उन्हे एक अलग ही दुनिया में पाया...
शायद निशि को चुदते देखकर उन्हे अपनी जवानी के दिन याद आ गये थे,
ठीक ऐसे ही वो भी लंड लेते हुए एक रंडी बन जाया करती थी और अपनी चूत में आए लंड का कचुंबर निकाल कर ही दम लेती थी...
उन्हे ऐसा करते देखकर वो फर्श पर बैठी हुई अपनी चूत मसलने में लगी थी...
और धीरे-2 बुदबुदा भी रही थी...
''हाँ ...बेटा....चोद इस रंडी को....साली की चूत में बहुत आग लगी हुई है.... अपने ही भाई से चुदवा रही है छिनाल की जनी .....इसकी चूत का बेंड बजा दे रे नंदू....फाड़ दे इसकी चूत, जिसमें इतनी खुजली हो रही है....अहह''
इतना कहते-2 उसकी चूत ने ढेर सारा पानी वही ज़मीन पर निकाल दिया...
दूसरी तरफ नंदू भी झड़ने के काफ़ी करीब था,
ऐसी परिस्थिति में आकर तो अच्छे - अच्छों के लंडो का पानी जल्दी निकल जाता है,
फिर नंदू की क्या मिसाल थी..
निशि तो उस घोड़े पर कूदते-2 दो बार झड़ भी चुकी थी....
जिस जगह पर वो बैठी थी, उसके नीचे का फर्श भी उसके रज से भीग चुका था...
शायद एक बार उसका सुसु भी निकल गया था बीच में ...
और अब एक और बार वो झड़ने वाली थी जिसमें उसकी चूत में विस्फोट की स्थिति उत्पन कर दी थी....
और वो विस्फोट जल्द ही हो भी गया...
जिसे महसूस करते ही वो पागल कुतिया की तरह बिलबिलाती हुई, अपने भाई के लंड पर लोटनियां मारती हुई झड़ने लगी..
''आआआआआआआआआआआआहह.....भाई.................मेरी ज़ाआाआआअंन्न...... उम्म्म्ममममममम........ वाााआआअहह.... क्या मजाआाआआआअ दिया है तूने आआआआअजज...... उम्म्म्मममममममममम.......... आई लव यू भाई....''
नंदू की तोप ने भी कई गोले उसकी चूत में दाग दिए थे....
और आख़िरी में आकर जब निशि ने आई लव यू बोला तो उन दोनो के होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपके जैसे बरसों तक नही छूटने वाले ....
और फिर निशि का शरीर फिसलकर नीचे आ गया....
वो थोड़ा टेडी हुई और नंदू के लंड के आस पास पड़ी मलाई को चपर -2 करके चाट गयी....
और फिर बिना अपनी माँ को देखे, अपने कपड़े उठाकर , अपनी गांड मटकाते हुए उपर अपने कमरे की तरफ चल दी...
इस वक़्त उसे ऐसा फील हो रहा था जैसे एक चतुर बिल्ली ने अपनी चालाकी से दूसरी बिल्ली के हिस्से की मलाई खा ली हो...
उस मलाई के निशान अभी भी निशि के होंठों पर थे, जिनपर एक बार फिर से जीभ फेराकार वो उसे निगल गयी और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में घुस गयी...
और पीछे छोड़ गयी उत्तेजना से भरी, आधी चुदाई करवाकर, फुफकारती हुई अपनी माँ
जिसकी नज़र अभी भी अपने बेटे के सिकुड़े हुए लंड पर थी....
एक बात तो पक्की थी की आज की रात नंदू की शामत आने वाली थी....
बस देखना ये था की गोरी नंदू को कितनी जल्दी और कैसे अपनी चुदाई के लिए तैयार कर पाती है..