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Erotica हरामी साहूकार

Ashokafun30

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लाला की हालत इस वक़्त ऐसी थी की आँखे बंद करे तो गहरी नींद आ जाए....
जबरदस्त चुदाई के बाद उसे सोना सबसे ज़्यादा पसंद था..
पर वो भी जानता था की ये चुदाई की शोकीन लड़कियाँ उसे सोने नही देंगी...
जवान लौंडियों के बीच एक ठरकी बुड्ढा बुरी तरह से फँस चुका था
जो इस वक़्त अपने हाथ पैर पसारे अपने बिस्तर पर पड़ा था

और उसके सामने उन हसिनाओं के नंगे हुस्न बिखरे पड़े थे...



कही किसी का हाथ था तो कही किसी का पैर,
सीने पर उसके नंगे मुम्मे थे तो जाँघो पर किसी की चूत ...
उसका खुद का हाथ किसी के नर्म कुल्हो को सहला रहा था
और अपने लंड पर अभी तक वो किसी की गर्म साँसे महसूस कर रहा था...
पर ये सब देखने के लिए उसने आँखे नही खोली की कौन कहाँ पर है...
बस आँखे मूंदे वो इस पल का भरपूर मज़ा ले रहा था...

अचानक उसके लंड के करीब जो गर्म साँसे उसे महसूस हो रही थी वो कुछ और करीब आ गयी, उसे पता चल गया की उसके रामलाल पर फिर से हमला होने वाला है...पर इस वक़्त कौन क्या कर रहा है, ये लाला को पता नही था और इस बात का एहसास करके उसके अंदर एक अलग ही रोमांच आ रहा था...जिसे महसूस करके उसके लंड ने भी एक अंगड़ाई ली और उसके चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी..

उसे मुस्कुराते देख निशि की खनखनाती हुई आवाज़ लाला के कानो में पड़ी, जो उसके सीने पर अपने मुम्मे सटाकर लेटी हुई थी

''ओ लाला.....ऐसे आँखे बंद करके क्यो मुस्कुरा रहे हो....आँखे खोलो और देखो, तुम्हारे साथ अब हम क्या करने वाले है....''

लाला तब तक अपने अगले कदम के बारे में सोच चुका था...
वो मुस्कुराते हुए बोला : "आँखे तो अब मेरी बंद ही रहेंगी...और ऐसे में कौन कहाँ पर है, क्या कर रहा है, वो बिना देखे मैंने अब तुम्हे मज़े दूँगा...''

यानी लाला ने उनकी चुदाई के खेल में अपने आप को उत्तेजित रखने का फ़ॉर्मूला खोज निकाला था...
बिन देखे चुदाई करने का
जिसमें लाला को अभी से उत्तेजना महसूस होने लगी थी जबकि उसे झड़े हुए अभी सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे..
ऐसे ही आँखे बंद करके वो लेटा रहा तो ये लड़कियां शायद अगले 15 मिनट में उसे एक जबरदस्त चुदाई के लिए पूरी तरहा से तैयार कर देंगी...
यही सोचकर उसने पिंकी की स्कूल की चुन्नी को उठाकर आँखो पर बाँध लिया ताकि वो चाहकर भी आँखे खोल ना पाए और इस नये एहसास का मज़ा काफ़ी देर तक ले सके..

उन तीनो ने भी लाला को ऐसा करने से नही रोका...
क्योंकि उन्हे तो चुदाई से मतलब था...
लाला को अपनी तरफ से खुद ही अगली चुदाई के लिए तैयार होता देखकर वो तो खुश हो उठी..
क्योंकि उन्हे लग रहा था की लाला के रामलाल को उठाने में उन्हे काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी..
पर अब ऐसा नही था ...

पिंकी ने अपनी गांड की थिरकन से लाला के गर्म हाथ को इशारा किया और लाला भी उस इशारे को समझकर अपनी 3 उंगलियां लेकर उसकी गांड के छेद को कुरेदने लगा..

पिंकी समझ गयी की आज लाला उसकी गांड का उद्घाटन करने के मूड में है...

चाहती तो वो भी यही थी क्योंकि चुदाई के बाद अब वो अपने किसी भी छेद को बिना चुदे नहीं रखना चाहती थी...

नाज़िआ ने अपनी गर्म साँसे और करीब लाकर लाला के लंड को अपने मुँह में जकड़ लिया और उसे बुरी तरह से चूसने लगी..



लाला ने एक जोरदार हुंकार भरते हुए उसके सिर को पकड़कर अपनी जाँघो के बीच दबा दिया...
लाला भले ही बूड़ा था पर उसके हाथो में ताक़त कमाल की थी...
नाज़िया को ऐसा लगा जैसे कोई गन्ने की मशीन में उसका सिर डाल रहा है...
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की यहाँ गन्ना उसके मुँह में जा रहा था और उस गन्ने का रस उसके पेट में.


पिंकी भी कुतिया की तरह अपनी गांड उचका कर बेड पर ओंधी लेट गयी...
हवा में 1 फुट की उँचाई पर उसकी गांड लहरा रही थी बस...
जिसमें लाला की उंगलिया किसी कुशल कारीगर की तरह उसके पिछले छेद को रंवा कर रहा था अपनी मोटी उंगलियो से...
वो उसकी चूत से निकल रहा तेल अपनी उंगली पर इकट्ठा करता और उसे लेजाकर गांड पर मल देता ताकि उसके लंड को अंदर जाने में ज़्यादा तकलीफ़ ना हो...

निशि भी उछलकर लाला की छाती पर उल्टी होकर बैठ गयी, उसका चेहरा लाला के लंड की तरफ था और रसीली गांड उसके चेहरे के बहुत करीब...
वो झुकी और उसने भी अपनी चोंच बीच में घुसा कर नाज़िया के साथ मिलकर लाला का लंड चूसना शुरू कर दिया...



और फिर अपनी गांड को थोड़ा सा उचकाकर उसने बड़े ही शालीन तरीके से अपनी चूत को लाला के चेहरे पर रख दिया..
ऐसा लगा उसे जैसे नारियल के उपर अपनी चूत रख दी हो उसने...लाला का दाढ़ी मूँछ से भरा चेहरा उसकी गुलाबी चूत से रगड़ खाकर ऐसा ही एहसास दे रहा था..
 

Ashokafun30

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दोनो ने मिलकर लाला के लंड को सिर्फ़ 5 मिनट में ही पहले से भी ज़्यादा ख़तरनाक और कड़क बना दिया...
अब तो वो लोहे की दीवार को भी भेद डाले, ऐसा कड़कपन आ चूका था उसमें.

और इस कड़क लंड से तो सबसे पहले सिर्फ़ एक ही काम हो सकता था और वो था पिंकी की गांड मरवाई...

निशि और नाज़िया ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देखा और फिर इशारा करके वो दोनो उठ खड़ी हुई....
निशि ने अपनी प्यारी सहेली को उठाकर घोड़ी बना दिया...
पिंकी भी समझ गयी की उसकी गांड के हलाल होने का वक़्त आ चुका है...
लाला को उठाकर उन दोनो ने पिंकी की गांड के पीछे खड़ा कर दिया, मज़े की बात ये थी की ऐसा करते हुए उनमें से कोई भी कुछ बोल नही रहा था...
लाला को शायद अभी तक अंदाज़ा नही था की उसके स्टील जैसे लंड से क्या काम करवाने जा रही है वो घस्ती.

निशि ने लाला के लंड को एक बार फिर से मुँह में लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया...
नाज़िया ने भी अपनी जीभ से पिंकी की गांड के छेड़ को भिगोकर उसे चुदाई के लिए तैयार करना शुरू कर दिया...
फिर कुछ देर बाद निशि ने लाला के लंड को पकड़कर पिंकी के गर्म छेद पर लगा दिया...

छेद का मुँह इतना छोटा था की लाला का लंड आगे खिसक ही नही रहा था...
तब जाकर लाला को ये एहसास हुआ की उससे गांड मरवाई जा रही है..
आँखे तो उसकी बंद थी पर गांड पर हाथ फेरकर उसने ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश की की ये रसीली गांड है किसकी...
बरसों से इन तितलियों को अपनी दुकान के आगे से गांड मटकाकर आते-जाते देख चुका था वो,
ये नर्म रसीली गांड उसी के सामने भरी थी इसलिए वो ग़लत हो ही नही सकता था...
उसने मुस्कुराते हुए मन ही मन कहा 'ओह्ह्ह ..पिंकी की गांड है ये तो...अब मज़ा आएगा...इसकी गांड की सील तोड़ने में ...'

और फिर उसने मुस्कुराते हुए अपने लंड को उसके गुलाबी छेड़ पर फिक्स किया और फिर एक जोरदार झटका मारकर उसे पिंकी के रबड़ के छल्ले जैसे छेद में फँसा दिया..

पिंकी की आत्मा तक तड़प उठी इतने करारे प्रहार से...और वो जोरदार तरीके से चीखने लगी



''आआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी......................साआआआाअल्ल्ले लाला.............. भेंन छोद्द्द्द्द्द्दद्ड.......निकाल अपना लंड .......साले .....मुझे नही मरवानी अपनी गांड ....''

बेचारी शायद अपने इस निर्णय पर पछता रही थी की उसने लाला से गांड मरवाने की बात सोची ही क्यो....
पर अब तो कुछ नही हो सकता था....
लाला ने बड़ी ही बेरहमी से नीचे झुकते हुए एक हाथ से उसके बाल पकड़े और दूसरे से उसके कूल्हे को दबाकर अपना बचा खुचा लंड अंदर धकेलना शुरू कर दिया...

लाला का रामलाल 1-1 इंच करता हुआ अंदर जा रहा था और पिंकी की सिसकारी भी लगातार एक ही सुर में निकलती हुई पूरे घर की शांति भंग कर रही थी...
शायद बाहर भी जा रही थी वो आवाज़...
और कोई भी सुन लेता तो सॉफ पता चल जाता की ये चूत नही बल्कि गांड मारने की ही चीखे है.



लाला अपने लंड को उसकी गांड के अंदर पूरा धकेलकर ही शांत हुआ...
ऐसा लग रहा था उसे जैसे किसी माँस से बनी दीवार में उसका लंड फँस गया है...
और इस एहसास को महसूस करके उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था...

पिंकी की गांड के अंदर लंड ऐसे फफक रहा था जैसे कोई जिंदा चूहा अंदर घुस कर बैठ गया हो...
हर एक पल वो फूलकर और मोटा होता जा रहा था...

लाला ने धीरे-2 अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से उसी धीमी स्पीड में अंदर किया....
ऐसा उसने करीब 10-15 बार किया तो पिंकी खुद ही अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी....
उसकी सिसक अब सिसकारियों में बदल चुकी थी....
जो झनझनाहट उसे अपनी चूत मरवाकर भी नही हुई थी आजतक वो उसे अब अपने पिछले छेद को मरवाने से मिल रही थी....
अब उसे पता चल रहा था की क्यों लड़कियों को गांड मरवाने में ज़्यादा मज़ा मिलता है....
रगड़ाई तो उसे पिछले छेद में मिल रही थी पर उसकी कसक उसे अगले छेद में महसूस हो रही थी..

और अंदर से मिल रहे इस मज़े को वो ज़्यादा देर तक छुपा नही पाई और उसके मुँह से शब्द फुट पड़े...

''आआआआहह लालाआआआआआ... कसम से.......जितना दर्द देता है उससे ज़्यादा मज़ा भी देता है ये तेरा लंड .....उम्म्म्मममममममम..........क्या मज़ा मिल रहा है.......अब तो रोज डालियो अपना लोढ़ा इस निगोडी गांड में .....अहह..........ऐसे ही मारता रह मेरी गांड लाला......''




लाला ने भी कोई कसर नही छोड़ी इस नये छेद को भेदने में ....
उसने उसके दोनो चूतड़ों को कस कर पकड़ा और अपना लंड पूरा अंदर बाहर करते हुए उसकी गांद के छेद को रामलाल नामक डंडे से बुरी तरहा पीटने लगा....
पूरे कमरे में ठप्प ठप्प की आवाज़ें आ रही थी बस...

और पिंकी का एक हाथ खुद ब खुद अपनी झंनझनाती चूत पर भी पहुँच गया...,
पीछे से मिल रहे घर्षण से उसकी चूत में चिंगारिया जल उठी थी जिसे उंगलियो से दबाकर बुझाना बहुत ज़रूरी था....
 

Ashokafun30

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इसी बीच नाज़िया और निशि एक दूसरे के उपर नंगी लेटकर पिंकी की गांड उद्घाटन का ऐतिहासिक प्रोग्राम देख रही थी...
बीच-2 में दोनो एक दूसरे को स्मूच करके अपनी उत्तेजना के तूफान को हवा भी दे रही थी क्योंकि उसके बाद उन दोनो का ही नंबर था...

पिंकी अपनी चूत को इतनी ज़ोर से रगड़ रही थी जैसे जादुई चिराग को घिसकर अंदर का जिन्न निकालना चाहती हो...औ
र वो जिन्न निकला भी.....
उसकी चूत का रस बनकर...

और जब वो रस निकला तो उसकी आनंदमयी सिसकारी ने पूरे माहौल में एक नशा सा बिखेर दिया...

''ओह लाला.........अहह......आज जैसा मज़ा तो मुझे कभी नही मिलाआआआआअ.... उम्म्म्ममममममममममममम ........ सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......मैं तो गयी रे......''

सच में जादू था....मरवाई गांड थी, पर रस निकला उसकी चूत से....
सच में मर्द का लंड जादुई होता है...कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना.

खैर, वो तो झड़ गयी पर लाला का लंड अभी तक वैसा ही था...
पिंकी के नीचे गिरते ही बाकी बचे दोनो सैनिक यानी नाज़िया और निशि मैदान में कूद पड़े...
उन्होने ताज़ा-2 गांड मारकर निकले रामलाल की ऐसी आवभगत की जैसे वो कोई जंग जीतकर आया हो...
दोनो उस मलाईदार लंड को मुँह में लेकर उसे और रसीला बनाने के काम में जुट गये...



और जब वो तैयार हुआ तो वो दोनो भी एक साथ घोड़ी बनकर उसके सामने बिछ सी गयी...
और इस बार उन्होने भी लाला के लंड के निशाने पर अपनी गांड को ही आगे किया ..
पिंकी की गांड का उद्घाटन होते देखकर उनके अंदर भी गांड मरवाई की कसक आ गयी थी ...
दोनो का छेद पहले ही खुल चुका था लाला के द्वारा इसलिए अब पहले जैसा दर्द तो उन्हे होना नही था

पर फिर भी वो छेद होता ही इतना छोटा है की हर बार अंदर जाने में दर्द का होना स्वाभाविक ही है..

निशि ने हाथ पीछे करके लाला के लंड को अपनी गांड के छेद पर लगाया और खुद थोड़ा पीछे होती हुई उसे अंदर लेने लगी...
लाला भी समझ गया की आज उसके रामलाल की परीक्षा की घड़ी आ गयी है, अब हर किसी को गांड मरवानी है...

लाला भी तैश में आ गया और उसने निशि की गांड के छेद में अपना लंड पेल दिया....

वो भी किसी बकरी की तरहा मिमिया उठी...

''आआआआआयययययययययीीईईईईईईईईईई.....मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे.............''



और फिर जब वो अंदर गया और उसने गांड के गूदे को छुआ तो वो मचल उठी....
4-5 घिस्से लगाने के बाद लाला ने उसे बाहर निकाल लिया और रसीली गांद की मालकिन यानी नाज़िया की तरफ मुड़ गया....
सिर्फ़ उन्हे छूकर ही वो ये अंदाज़ा लगा रहा था की वो किसकी गांड मार रहा है...

नाज़िया की गांड तो उसकी फेवरेट थी,
जो उतनी ही पीछे की तरफ निकली हुई थी जितनी उसकी छाती आगे की तरफ...



उसने उसे पकड़ा और बड़ी ही बेदर्दी से उसके छेद में अपना लंड पेल दिया...

''ओह लालाआआआआअ..... उम्म्म्ममममममममम....मज़ाआअ आ गय्ाआआआआआअ.... इस पूरे गाँव के सारे मर्द तेरे सामने फैल है लाला.....आज ये तूने साबित कर दिया........एक साथ 3 गांद को पेला है लाला तूने आज .......उम्म्म्ममममममम ये हर किसी के बस की बात नही है....''

अपनी और अपने लंड की तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती....
लाला और रामलाल भी ये तारीफ सुनकर फूले नही समाए....
और बदले में लाला ने जी भरकर धक्के मारे उसके पिछवाड़े में ...
और तब तक मारता रहा जब तक उसने हाथ जोड़कर खुद ही माफी नही मान ली..



''आआआआहहोह.....ओफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.... बस कर लाला.....अहह बस कर...... अब तो चूत का रस भी टपक गया है लाला........अब कितना पेलेगा मुझे.....अहह...मर जाउंगी मैं लाला..............अहह...''

लाला ने उसपर रहम खाते हुए अपना लंड बाहर निकाला और फिर से एक बार निशि के छेद में डाल दिया....

और इस बार वो तब तक उसे पेलता रहा जब तक उसके खुद का लंड झड़ने के कगार पर नही पहुँच गया...

निशि की भी हालत पतली हो चुकी थी...

''आआआआआआआआआआअहह लाला........साले ....क्या खाकर आया है तू आआआआअजजज.....सूजा कर रख दिया मेरा पिछवाड़ा.....आआआआआआहह पर......पर....मज़ा बहुत आया आज लाला.............मज़ा बहुत आया....''

ये शब्द बोलते-2 वो बेहोशी की हालत मे पहुँच चुकी थी...



लाला ने आख़िरी वक़्त में अपना लंड बाहर निकाला और उन तीनो ने अपना चेहरा आगे करते हुए अपने मुँह खोल दिए...

लाला ने भी अपनी आँखो पर बंधी चुन्नी निकाल फेंकी और उन तीनों हसिनाओ के सैक्सी चेहरों को देखते हुए अपना लंड रगड़ने लगा...

और जल्द ही उसके लंड से निकलकर रंग बिरंगी पिचकारियाँ उन तीनो के चेहरों पर पड़ने लगी....
तीनो के पसीने से भीगे चेहरे पर बर्फ की परत बिछ गयी....
आज लाला ने लगातार दूसरी बार झड़कर जैसे अपने अंदर की सारी सफेदी उनके चेहरों पर पोत दी थी...
 

Ashokafun30

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आज जैसी चुदाई उसने अपनी पूरी लाइफ में नही की थी....
पर अपनी चुदाई की ताक़त पर आज लाला को बहुत फक्र हो रहा था....

उन तीनो के चेहरों पर भी संतुष्टि के भाव थे....
जैसा उन्होने सोचा था आज सब वैसा ही हुआ था...

बाद में सब मिलकर लाला के बाथरूम में नहाये...
लाला के लंड को भी उन्होने अच्छे से सॉफ किया और कपड़े पहन कर वो अपने-2 घर की तरफ चल दिए..

अगले दिन नंदू का जन्मदिन था...
ये निशि के लिए काफ़ी ख़ास दिन था...
वो अपने भाई को हर खुशी दे देना चाहती थी...

और ऐसा ही कुछ उसकी माँ ने भी सोच रखा था..

और पिंकी ने भी.

अगले दिन सुबह के समय नंदू के खेतो से एक बड़े से पेड़ के नीचे से जोरों की आवाज़ें आ रही थी...

वहां का माहौल ही इतना गर्म था की कपड़े पहने रखना उन माँ बेटे के लिए काफ़ी मुश्किल था..

हवस उन दोनों के ऊपर इतनी चढ़ चुकी थी की अब वो खुल कर चुदाई करने से भी नहीं चूक रहे थे, वैसे वो जहाँ चुदाई कर रहे थे वहां पीछे की तरफ पूरा जंगल था, जहाँ से किसी के भी आने की कोई उम्मीद नहीं थी, और सामने की तरफ से कोई आता हुआ दूर से ही दिख जाता, वैसे भी गोरी एक मोटे से पेड़ के तने को पकड़ कर उसकी आड़ में खड़ी थी, जो आसानी से दिखाई नहीं दे रही थी दूर से भी.

नंदू ने अपनी माँ को घोड़ी बना रखा था और अपना देसी लंड उसकी रसीली चूत में दना दन पेल रहा था..

''ओह माँमाआआआआआ...........कितनी रसीली है रे तेरी चूऊत......अहह.....एक ही बार में लंड बिना थूक लगाए अंदर चला जाता है....''



उसने अपनी माँ के भरे हुए कूल्हे ट्रेक्टर के स्तेयरिंग की तरह पकड़ रखे थे और फुल स्पीड से अपने हल नुमा लंड से वो अपनी माँ के खेत को जोत रहा था...

नंदू की माँ गोरी भी पेड़ पर अपने हाथ टिकाए पीछे से मिल रहे लंड को अंदर लेकर सिसकारियां मार रही थी...

हर झटके से उसके मुम्मे उछलकर उसके गले से आ टकराते और उसके पूरे बदन में एक सरसराहट सी दौड़ जाती...

अब तो उन्हे खेतो की फ़िक्र भी नही रह गयी थी...
आज से पहले वो सुबह आकर सबसे पहले क्यारियों में पानी देते थे ...
खाद डालते थे ...
पूरे खेत का मुआयना करते थे ...
पर इस निगोडी चुदाई के चक्कर में वो सब भूल ही चुके थे जैसे...
अब तो सुबह आते ही दोनो अपने टुबवेल्ल वाले कमरे में जाकर नंगे हो जाते और जी भरकर एक दूसरे की चुदाई करते...और आज तो बहार खुल्ले में ही शुरू हो गए थे , आगे पता नहीं और क्या -२ होने वाला था उनके बीच...

''ओह बेटाआआआ.... उम्म्म्ममममममममममम....शाबाश.....ऐसे ही चोद मुझेsssss....अहहsssssss ....कसम से......अपने बाप से भी ज़्यादा कड़क है तू तो......उम्म्म्मममममममम....''

बोलते हुए उसके मुँह से लार निकल कर नीचे गिर रही थी..
जो उसके गर्म बदन पर गिरकर उसे और सुलगा रही थी...

और जल्द ही नंदू की स्पीड तेज होने लगी....
गोरी समझ गयी की उसके खेतों में खाद पड़ने वाली है....
और वो पड़ भी गयी....
सफेद दूध वाली खाद...
पोष्टिक...
जिसे महसूस करके उसकी चूत ने भी ढेर सारा देसी घी निकाल दिया और दोनो का मिला जुला रस उस खेत की मिटटी को और उपजाऊ बनाने में लग गया...

नंदू हाफ्ते हुए अपनी माँ की पीठ पर गिर सा गया....
गोरी ने पलटकर उसे अपने गुदाज मुम्मो से लगा लिया और उसके चेहरे को चूमती हुई बोली : "जन्मदिन मुबारक हो बेटा.....ऐसे ही हमेशा अपनी माँ को खुश रखना....''

जवाब मे नंदू ने मुस्कुराते हुए अपनी माँ के रसीले होंठो को चूम लिया...
आज वो 20 साल का हो चुका था और पिछले सभी सालो के मुक़ाबले उसे अपना ये जन्मदिन हमेशा के लिए याद रहने वाला था...
अभी तो सिर्फ़ शुरूवात थी.
 

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लाला की हालत इस वक़्त ऐसी थी की आँखे बंद करे तो गहरी नींद आ जाए....
जबरदस्त चुदाई के बाद उसे सोना सबसे ज़्यादा पसंद था..
पर वो भी जानता था की ये चुदाई की शोकीन लड़कियाँ उसे सोने नही देंगी...
जवान लौंडियों के बीच एक ठरकी बुड्ढा बुरी तरह से फँस चुका था
जो इस वक़्त अपने हाथ पैर पसारे अपने बिस्तर पर पड़ा था

और उसके सामने उन हसिनाओं के नंगे हुस्न बिखरे पड़े थे...



कही किसी का हाथ था तो कही किसी का पैर,
सीने पर उसके नंगे मुम्मे थे तो जाँघो पर किसी की चूत ...
उसका खुद का हाथ किसी के नर्म कुल्हो को सहला रहा था
और अपने लंड पर अभी तक वो किसी की गर्म साँसे महसूस कर रहा था...
पर ये सब देखने के लिए उसने आँखे नही खोली की कौन कहाँ पर है...
बस आँखे मूंदे वो इस पल का भरपूर मज़ा ले रहा था...

अचानक उसके लंड के करीब जो गर्म साँसे उसे महसूस हो रही थी वो कुछ और करीब आ गयी, उसे पता चल गया की उसके रामलाल पर फिर से हमला होने वाला है...पर इस वक़्त कौन क्या कर रहा है, ये लाला को पता नही था और इस बात का एहसास करके उसके अंदर एक अलग ही रोमांच आ रहा था...जिसे महसूस करके उसके लंड ने भी एक अंगड़ाई ली और उसके चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी..

उसे मुस्कुराते देख निशि की खनखनाती हुई आवाज़ लाला के कानो में पड़ी, जो उसके सीने पर अपने मुम्मे सटाकर लेटी हुई थी

''ओ लाला.....ऐसे आँखे बंद करके क्यो मुस्कुरा रहे हो....आँखे खोलो और देखो, तुम्हारे साथ अब हम क्या करने वाले है....''

लाला तब तक अपने अगले कदम के बारे में सोच चुका था...
वो मुस्कुराते हुए बोला : "आँखे तो अब मेरी बंद ही रहेंगी...और ऐसे में कौन कहाँ पर है, क्या कर रहा है, वो बिना देखे मैंने अब तुम्हे मज़े दूँगा...''

यानी लाला ने उनकी चुदाई के खेल में अपने आप को उत्तेजित रखने का फ़ॉर्मूला खोज निकाला था...
बिन देखे चुदाई करने का
जिसमें लाला को अभी से उत्तेजना महसूस होने लगी थी जबकि उसे झड़े हुए अभी सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे..
ऐसे ही आँखे बंद करके वो लेटा रहा तो ये लड़कियां शायद अगले 15 मिनट में उसे एक जबरदस्त चुदाई के लिए पूरी तरहा से तैयार कर देंगी...
यही सोचकर उसने पिंकी की स्कूल की चुन्नी को उठाकर आँखो पर बाँध लिया ताकि वो चाहकर भी आँखे खोल ना पाए और इस नये एहसास का मज़ा काफ़ी देर तक ले सके..

उन तीनो ने भी लाला को ऐसा करने से नही रोका...
क्योंकि उन्हे तो चुदाई से मतलब था...
लाला को अपनी तरफ से खुद ही अगली चुदाई के लिए तैयार होता देखकर वो तो खुश हो उठी..
क्योंकि उन्हे लग रहा था की लाला के रामलाल को उठाने में उन्हे काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी..
पर अब ऐसा नही था ...

पिंकी ने अपनी गांड की थिरकन से लाला के गर्म हाथ को इशारा किया और लाला भी उस इशारे को समझकर अपनी 3 उंगलियां लेकर उसकी गांड के छेद को कुरेदने लगा..

पिंकी समझ गयी की आज लाला उसकी गांड का उद्घाटन करने के मूड में है...

चाहती तो वो भी यही थी क्योंकि चुदाई के बाद अब वो अपने किसी भी छेद को बिना चुदे नहीं रखना चाहती थी...

नाज़िआ ने अपनी गर्म साँसे और करीब लाकर लाला के लंड को अपने मुँह में जकड़ लिया और उसे बुरी तरह से चूसने लगी..



लाला ने एक जोरदार हुंकार भरते हुए उसके सिर को पकड़कर अपनी जाँघो के बीच दबा दिया...
लाला भले ही बूड़ा था पर उसके हाथो में ताक़त कमाल की थी...
नाज़िया को ऐसा लगा जैसे कोई गन्ने की मशीन में उसका सिर डाल रहा है...
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की यहाँ गन्ना उसके मुँह में जा रहा था और उस गन्ने का रस उसके पेट में.


पिंकी भी कुतिया की तरह अपनी गांड उचका कर बेड पर ओंधी लेट गयी...
हवा में 1 फुट की उँचाई पर उसकी गांड लहरा रही थी बस...
जिसमें लाला की उंगलिया किसी कुशल कारीगर की तरह उसके पिछले छेद को रंवा कर रहा था अपनी मोटी उंगलियो से...
वो उसकी चूत से निकल रहा तेल अपनी उंगली पर इकट्ठा करता और उसे लेजाकर गांड पर मल देता ताकि उसके लंड को अंदर जाने में ज़्यादा तकलीफ़ ना हो...

निशि भी उछलकर लाला की छाती पर उल्टी होकर बैठ गयी, उसका चेहरा लाला के लंड की तरफ था और रसीली गांड उसके चेहरे के बहुत करीब...
वो झुकी और उसने भी अपनी चोंच बीच में घुसा कर नाज़िया के साथ मिलकर लाला का लंड चूसना शुरू कर दिया...



और फिर अपनी गांड को थोड़ा सा उचकाकर उसने बड़े ही शालीन तरीके से अपनी चूत को लाला के चेहरे पर रख दिया..
ऐसा लगा उसे जैसे नारियल के उपर अपनी चूत रख दी हो उसने...लाला का दाढ़ी मूँछ से भरा चेहरा उसकी गुलाबी चूत से रगड़ खाकर ऐसा ही एहसास दे रहा था..
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दोनो ने मिलकर लाला के लंड को सिर्फ़ 5 मिनट में ही पहले से भी ज़्यादा ख़तरनाक और कड़क बना दिया...
अब तो वो लोहे की दीवार को भी भेद डाले, ऐसा कड़कपन आ चूका था उसमें.

और इस कड़क लंड से तो सबसे पहले सिर्फ़ एक ही काम हो सकता था और वो था पिंकी की गांड मरवाई...

निशि और नाज़िया ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देखा और फिर इशारा करके वो दोनो उठ खड़ी हुई....
निशि ने अपनी प्यारी सहेली को उठाकर घोड़ी बना दिया...
पिंकी भी समझ गयी की उसकी गांड के हलाल होने का वक़्त आ चुका है...
लाला को उठाकर उन दोनो ने पिंकी की गांड के पीछे खड़ा कर दिया, मज़े की बात ये थी की ऐसा करते हुए उनमें से कोई भी कुछ बोल नही रहा था...
लाला को शायद अभी तक अंदाज़ा नही था की उसके स्टील जैसे लंड से क्या काम करवाने जा रही है वो घस्ती.

निशि ने लाला के लंड को एक बार फिर से मुँह में लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया...
नाज़िया ने भी अपनी जीभ से पिंकी की गांड के छेड़ को भिगोकर उसे चुदाई के लिए तैयार करना शुरू कर दिया...
फिर कुछ देर बाद निशि ने लाला के लंड को पकड़कर पिंकी के गर्म छेद पर लगा दिया...

छेद का मुँह इतना छोटा था की लाला का लंड आगे खिसक ही नही रहा था...
तब जाकर लाला को ये एहसास हुआ की उससे गांड मरवाई जा रही है..
आँखे तो उसकी बंद थी पर गांड पर हाथ फेरकर उसने ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश की की ये रसीली गांड है किसकी...
बरसों से इन तितलियों को अपनी दुकान के आगे से गांड मटकाकर आते-जाते देख चुका था वो,
ये नर्म रसीली गांड उसी के सामने भरी थी इसलिए वो ग़लत हो ही नही सकता था...
उसने मुस्कुराते हुए मन ही मन कहा 'ओह्ह्ह ..पिंकी की गांड है ये तो...अब मज़ा आएगा...इसकी गांड की सील तोड़ने में ...'

और फिर उसने मुस्कुराते हुए अपने लंड को उसके गुलाबी छेड़ पर फिक्स किया और फिर एक जोरदार झटका मारकर उसे पिंकी के रबड़ के छल्ले जैसे छेद में फँसा दिया..

पिंकी की आत्मा तक तड़प उठी इतने करारे प्रहार से...और वो जोरदार तरीके से चीखने लगी



''आआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी......................साआआआाअल्ल्ले लाला.............. भेंन छोद्द्द्द्द्द्दद्ड.......निकाल अपना लंड .......साले .....मुझे नही मरवानी अपनी गांड ....''

बेचारी शायद अपने इस निर्णय पर पछता रही थी की उसने लाला से गांड मरवाने की बात सोची ही क्यो....
पर अब तो कुछ नही हो सकता था....
लाला ने बड़ी ही बेरहमी से नीचे झुकते हुए एक हाथ से उसके बाल पकड़े और दूसरे से उसके कूल्हे को दबाकर अपना बचा खुचा लंड अंदर धकेलना शुरू कर दिया...

लाला का रामलाल 1-1 इंच करता हुआ अंदर जा रहा था और पिंकी की सिसकारी भी लगातार एक ही सुर में निकलती हुई पूरे घर की शांति भंग कर रही थी...
शायद बाहर भी जा रही थी वो आवाज़...
और कोई भी सुन लेता तो सॉफ पता चल जाता की ये चूत नही बल्कि गांड मारने की ही चीखे है.



लाला अपने लंड को उसकी गांड के अंदर पूरा धकेलकर ही शांत हुआ...
ऐसा लग रहा था उसे जैसे किसी माँस से बनी दीवार में उसका लंड फँस गया है...
और इस एहसास को महसूस करके उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था...

पिंकी की गांड के अंदर लंड ऐसे फफक रहा था जैसे कोई जिंदा चूहा अंदर घुस कर बैठ गया हो...
हर एक पल वो फूलकर और मोटा होता जा रहा था...

लाला ने धीरे-2 अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से उसी धीमी स्पीड में अंदर किया....
ऐसा उसने करीब 10-15 बार किया तो पिंकी खुद ही अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी....
उसकी सिसक अब सिसकारियों में बदल चुकी थी....
जो झनझनाहट उसे अपनी चूत मरवाकर भी नही हुई थी आजतक वो उसे अब अपने पिछले छेद को मरवाने से मिल रही थी....
अब उसे पता चल रहा था की क्यों लड़कियों को गांड मरवाने में ज़्यादा मज़ा मिलता है....
रगड़ाई तो उसे पिछले छेद में मिल रही थी पर उसकी कसक उसे अगले छेद में महसूस हो रही थी..

और अंदर से मिल रहे इस मज़े को वो ज़्यादा देर तक छुपा नही पाई और उसके मुँह से शब्द फुट पड़े...

''आआआआहह लालाआआआआआ... कसम से.......जितना दर्द देता है उससे ज़्यादा मज़ा भी देता है ये तेरा लंड .....उम्म्म्मममममममम..........क्या मज़ा मिल रहा है.......अब तो रोज डालियो अपना लोढ़ा इस निगोडी गांड में .....अहह..........ऐसे ही मारता रह मेरी गांड लाला......''




लाला ने भी कोई कसर नही छोड़ी इस नये छेद को भेदने में ....
उसने उसके दोनो चूतड़ों को कस कर पकड़ा और अपना लंड पूरा अंदर बाहर करते हुए उसकी गांद के छेद को रामलाल नामक डंडे से बुरी तरहा पीटने लगा....
पूरे कमरे में ठप्प ठप्प की आवाज़ें आ रही थी बस...

और पिंकी का एक हाथ खुद ब खुद अपनी झंनझनाती चूत पर भी पहुँच गया...,
पीछे से मिल रहे घर्षण से उसकी चूत में चिंगारिया जल उठी थी जिसे उंगलियो से दबाकर बुझाना बहुत ज़रूरी था....
Ho gaya gaand ka udghatan😜😜
 

Ek number

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इसी बीच नाज़िया और निशि एक दूसरे के उपर नंगी लेटकर पिंकी की गांड उद्घाटन का ऐतिहासिक प्रोग्राम देख रही थी...
बीच-2 में दोनो एक दूसरे को स्मूच करके अपनी उत्तेजना के तूफान को हवा भी दे रही थी क्योंकि उसके बाद उन दोनो का ही नंबर था...

पिंकी अपनी चूत को इतनी ज़ोर से रगड़ रही थी जैसे जादुई चिराग को घिसकर अंदर का जिन्न निकालना चाहती हो...औ
र वो जिन्न निकला भी.....
उसकी चूत का रस बनकर...

और जब वो रस निकला तो उसकी आनंदमयी सिसकारी ने पूरे माहौल में एक नशा सा बिखेर दिया...

''ओह लाला.........अहह......आज जैसा मज़ा तो मुझे कभी नही मिलाआआआआअ.... उम्म्म्ममममममममममममम ........ सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......मैं तो गयी रे......''

सच में जादू था....मरवाई गांड थी, पर रस निकला उसकी चूत से....
सच में मर्द का लंड जादुई होता है...कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना.

खैर, वो तो झड़ गयी पर लाला का लंड अभी तक वैसा ही था...
पिंकी के नीचे गिरते ही बाकी बचे दोनो सैनिक यानी नाज़िया और निशि मैदान में कूद पड़े...
उन्होने ताज़ा-2 गांड मारकर निकले रामलाल की ऐसी आवभगत की जैसे वो कोई जंग जीतकर आया हो...
दोनो उस मलाईदार लंड को मुँह में लेकर उसे और रसीला बनाने के काम में जुट गये...



और जब वो तैयार हुआ तो वो दोनो भी एक साथ घोड़ी बनकर उसके सामने बिछ सी गयी...
और इस बार उन्होने भी लाला के लंड के निशाने पर अपनी गांड को ही आगे किया ..
पिंकी की गांड का उद्घाटन होते देखकर उनके अंदर भी गांड मरवाई की कसक आ गयी थी ...
दोनो का छेद पहले ही खुल चुका था लाला के द्वारा इसलिए अब पहले जैसा दर्द तो उन्हे होना नही था

पर फिर भी वो छेद होता ही इतना छोटा है की हर बार अंदर जाने में दर्द का होना स्वाभाविक ही है..

निशि ने हाथ पीछे करके लाला के लंड को अपनी गांड के छेद पर लगाया और खुद थोड़ा पीछे होती हुई उसे अंदर लेने लगी...
लाला भी समझ गया की आज उसके रामलाल की परीक्षा की घड़ी आ गयी है, अब हर किसी को गांड मरवानी है...

लाला भी तैश में आ गया और उसने निशि की गांड के छेद में अपना लंड पेल दिया....

वो भी किसी बकरी की तरहा मिमिया उठी...

''आआआआआयययययययययीीईईईईईईईईईई.....मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे.............''



और फिर जब वो अंदर गया और उसने गांड के गूदे को छुआ तो वो मचल उठी....
4-5 घिस्से लगाने के बाद लाला ने उसे बाहर निकाल लिया और रसीली गांद की मालकिन यानी नाज़िया की तरफ मुड़ गया....
सिर्फ़ उन्हे छूकर ही वो ये अंदाज़ा लगा रहा था की वो किसकी गांड मार रहा है...

नाज़िया की गांड तो उसकी फेवरेट थी,
जो उतनी ही पीछे की तरफ निकली हुई थी जितनी उसकी छाती आगे की तरफ...



उसने उसे पकड़ा और बड़ी ही बेदर्दी से उसके छेद में अपना लंड पेल दिया...

''ओह लालाआआआआअ..... उम्म्म्ममममममममम....मज़ाआअ आ गय्ाआआआआआअ.... इस पूरे गाँव के सारे मर्द तेरे सामने फैल है लाला.....आज ये तूने साबित कर दिया........एक साथ 3 गांद को पेला है लाला तूने आज .......उम्म्म्ममममममम ये हर किसी के बस की बात नही है....''

अपनी और अपने लंड की तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती....
लाला और रामलाल भी ये तारीफ सुनकर फूले नही समाए....
और बदले में लाला ने जी भरकर धक्के मारे उसके पिछवाड़े में ...
और तब तक मारता रहा जब तक उसने हाथ जोड़कर खुद ही माफी नही मान ली..



''आआआआहहोह.....ओफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.... बस कर लाला.....अहह बस कर...... अब तो चूत का रस भी टपक गया है लाला........अब कितना पेलेगा मुझे.....अहह...मर जाउंगी मैं लाला..............अहह...''

लाला ने उसपर रहम खाते हुए अपना लंड बाहर निकाला और फिर से एक बार निशि के छेद में डाल दिया....

और इस बार वो तब तक उसे पेलता रहा जब तक उसके खुद का लंड झड़ने के कगार पर नही पहुँच गया...

निशि की भी हालत पतली हो चुकी थी...

''आआआआआआआआआआअहह लाला........साले ....क्या खाकर आया है तू आआआआअजजज.....सूजा कर रख दिया मेरा पिछवाड़ा.....आआआआआआहह पर......पर....मज़ा बहुत आया आज लाला.............मज़ा बहुत आया....''

ये शब्द बोलते-2 वो बेहोशी की हालत मे पहुँच चुकी थी...



लाला ने आख़िरी वक़्त में अपना लंड बाहर निकाला और उन तीनो ने अपना चेहरा आगे करते हुए अपने मुँह खोल दिए...

लाला ने भी अपनी आँखो पर बंधी चुन्नी निकाल फेंकी और उन तीनों हसिनाओ के सैक्सी चेहरों को देखते हुए अपना लंड रगड़ने लगा...

और जल्द ही उसके लंड से निकलकर रंग बिरंगी पिचकारियाँ उन तीनो के चेहरों पर पड़ने लगी....
तीनो के पसीने से भीगे चेहरे पर बर्फ की परत बिछ गयी....
आज लाला ने लगातार दूसरी बार झड़कर जैसे अपने अंदर की सारी सफेदी उनके चेहरों पर पोत दी थी...
Baki do ki bhi gaand mar hi di wahh
 
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