parkas
Well-Known Member
- 27,073
- 60,320
- 303
Bahut hi shaandar update diya hai The_InnoCent bhai....Update ~ 04
~~~~~~~~~~~~~~
जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।
मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।
अब आगे....
उस वक्त दोपहर के दो बज रेले थे जब अपुन अमित के घर पहुंचा। वैसे तो अपुन के मन में थोड़ा डर था लेकिन सोच लिया था कि अब जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।
अपुन ने दरवाजे को खटखटाने के लिए हाथ रखा ही था कि तभी दरवाजा खुल गया। अपुन के सामने दरवाजे के बीचों बीच साधना दी खड़ी नजर आईं। अपुन पर नजर पड़ते ही उनका चेहरा खुशी से खिल उठा।
साधना दी─ ओह! विराट तुम सच में आ गए। मैं बता नहीं सकती कि तुम्हें फिर से देख कितना खुश हो गई हूं मैं। प्लीज अंदर आओ न।
अपुन चुपचाप अंदर दाखिल हुआ तो उन्होंने झट से दरवाजा बंद कर दिया। इधर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफ़िक तेज़ हो गईलीं थी। मन में यही चलने लगा था कि अब क्या होगा, क्या नहीं होगा?
अपुन ड्राइंग रूम में पहुंचा ही था साधना दी भाग के आईं और एकदम से अपुन के गले लग गईं। अपुन तो अचानक हुई इस हरकत से थर्रा ही गया लौड़ा पर बोला कुछ नहीं और न ही उन्हें खुद से अलग किया।
साधना दी─ प्लीज, अब कभी इस तरह गुस्सा मत होना। तुम जो कहोगे वो करूंगी मैं।
अपुन को तो लौड़ा समझ में ही न आया कि क्या बोले? मतलब कि सब कुछ इतना जल्दी जल्दी हो रेला था कि अपुन को कुछ सूझ ही नहीं रहा था लौड़ा। उधर साधना दी अपुन से अलग हुईं और फिर बढ़ी मोहब्बत से देखने लगीं।
साधना दी─ उफ्फ! मेरा मन कर रहा है कि मैं फिर से तुम्हारे होठों को चूमने चूसने लगूं लेकिन डरती हूं कि कहीं तुम फिर से न नाराज़ हो जाओ।
अपुन सच कह रेला है, इस टाइम वो अपुन को बहुत ही प्यारी और मासूम लग रेली थी। मन तो अपुन का भी करने लगा कि लपक के उसके होठों को मुंह में भर ले लेकिन अपुन अभी खुद को रोके रखना चाहता था।
अपुन─ हां अपने ही मन का तो करोगी आप।
साधना दी─ नहीं नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगी। तुम्हें जो करना है कर लो।
अपुन को उनकी बात सुन के थोड़ा शॉक लगा पर मन ही मन खुश भी हुआ कि अब मजा आएगा। अपुन ने देखा वो मासूमियत से अपुन को ही देखे जा रेलीं थी। फिर एकदम से शर्मा कर उसने अपनी नजरें फेर लीं।
उनकी सांसें एकाएक ही तेज चलने लगीं थी। शायद वो यही सोच रेली थीं कि उनके कहने के बाद अब अपुन उनकी चूची दबाना शुरू कर देगा। यही सोच के शायद उनकी सांसें तेज हो गईं थी।
अपुन थोड़ा झिझकते हुए आगे बढ़ा और दोनों हाथों से उनके चेहरे को थाम लिया। असल में अपुन को डायरेक्ट उनके बूब्स पर हाथ रखने में झिझक हो रेली थी इस लिए अपुन ने उनके चेहरे को थाम कर पहले उनके होठों का रस पीने का ही सोचा।
जैसे ही अपुन ने उनके चेहरे को थामा तो उनके जिस्म में हल्का सा कंपन हुआ। वो अब अपुन की आंखों में देखने लगीं। इधर चेहरा थाम कर जैसे ही अपुन ने अपना चेहरा उनके होठों की तरफ बढ़ाया तो उनकी आँखें बंद होती चली गईं।
अगले ही पल अपुन ने उनके सॉफ्ट और मीठे होठों को पहले हल्के से चूमा फिर उनके निचले होठ को मुंह में भर लिया। लौड़ा, ऐसा करते ही अपुन के जिस्म में अलग ही सनसनी होने लगी। उस सनसनी से अपुन के अंदर जोश चढ़ा तो अपुन अब थोड़ा बेसब्र सा हो कर उनके होठों को चूसने लगा।
पहले तो वो बुत सी ही बनी खड़ी रहीं लेकिन थोड़े ही पलों में वो भी अपुन का साथ देने लगीं। बोले तो अपन दोनों ही अब एक दूसरे के होठों को चूसने लगे थे।
देखते ही देखते अपन दोनों के अंदर हवस का तूफ़ान शुरू हो गया। अपुन तो जैसे अलग ही दुनिया में पहुंच गया था लौड़ा। साधना दी के होठ मीठे भी थे और नशीले भी, तभी तो अपुन के अंदर मदहोशी छाती चली जा रेली थी।
तभी अपुन ने अपना एक हाथ नीचे खिसकाया और साधना दी के उसी राइट बूब को थाम कर दबाया जिसे पहले दबाया था। चूची दबाए जाने से साधना दी को थोड़ा झटका लगा पर इस बार उन्होंने अपुन का हाथ नहीं हटाया। इधर अपुन को उनकी चूची दबाने में काफी मज़ा महसूस हुआ तो अपुन अब जोर जोर से उनकी उस चूची को दबाना शुरू कर दिया जिससे साधना दी की सिसकियां अपुन के मुंह में ही निकल कर दबने लगीं।
एक तरफ अपुन उनकी चूची दबाने में लग गयला था तो दूसरी तरफ उनके होठ चूसने में। साधना दी अब अपुन के होठ नहीं चूम रहीं थी बल्कि आहें भर रहीं थी। उनके मुंह से सिसकियां निकल रेलीं थी। जब जब अपुन उनकी चूची को जोर से मसलता तो वो ऐंठ सी जातीं और उनके मुख से सिसकी निकल जाती।
अपुन (मदहोशी में)─ ओह! दी कितने मीठे होंठ हैं आपके। मन करता है इसी तरह चूसता रहे अपुन।
साधना दी (सिसकी ले कर)─ शश्श्श्श थ...थो...थोड़ा ध..धीरे दबाओ वि..रा..ट। द..दर्द होता है।"
साधना दी की ये बात अपुन के कान में ऐसे पहुंची जैसे बहुत दूर से आई हो। अपुन को एकदम से थोड़ा होश आया तो अपुन को भी समझ आया कि लौड़ा अपुन जोश जोश में कुछ ज़्यादा ही जोर से उनकी चूची को दबाए जा रेला है।
अपुन─ सॉरी दी।
साधना दी─ क..कोई बा...त नहीं शश्श्श्श।
अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा अपुन तो उनकी एक ही चूची को इतनी देर से दबाए जा रेला है। ऐसा सोच अपुन ने दूसरी चूची को झट से पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया। साधना दी बड़े जोरो से छटपटा रहीं थी। उनकी सांसें उखड़ी हुईं थी। आँखें बंद किए बस सिसकियां ले रहीं थी।
खड़े खड़े ये सब हो रेला था और साधना दी की हालत ऐसी हो गई थी कि अब वो खुद से खड़े नहीं हो पा रेलीं थी। इस लिए अपुन को ही थामे रहना पड़ रेला था। अपुन को जब लगा कि उनको ज्यादा देर तक थामे रखना मुश्किल है तो अपुन ने उन्हें खींच कर वहीं सोफे पर बैठा लिया और खुद भी बैठ गया।
अब अपन दोनों सोफे पर अगल बगल बैठे थे लेकिन जल्दी ही अपुन उनकी तरफ घूम गया और फिर से उनके होठों को चूमते हुए उनकी चूची को दबाने लगा। साधना दी फिर से मचलने लगीं और सिसकियां लेने लगीं।
साधना दी─ आअ्ह्ह्ह शश्श्श्श वि..राट प्... प्लीज़ स...म्हालो मु..मुझे। शश्श्श्श प..पता नहीं क्या हो र...रहा है मुझे।
अपुन ने चेहरा अलग कर उनकी तरफ देखा। सच में उनकी हालत खराब दिख रेली थी। मदहोशी में डूबी थीं वो। अपुन ने पहली बार गौर किया कि इतनी देर से होठ चूसने की वजह से उनके होंठ सूझ से गए थे। चेहरा अजीब सा हो गया था। कुछ तो गरम माहौल से निकला पसीना और दूसरे अपुन दोनों का थूक।
अपुन─ दी आप ठीक तो हैं न?
अपुन की आवाज सुन साधना दी ने जैसे मुश्किल से आँखें खोली। उनकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी।
साधना दी─ रु..रुक क्यों गए? प्लीज करो न।
अपुन─ क्या करूं दी?
साधना दी─ व..वही जो कर रहे थे।
साधना दी बहुत अजीब बर्ताव करती दिख रेली थीं। अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा कहीं ये अपनी आखिरी स्टेज पर तो नहीं पहुंच गईली है? हां यही बात हो सकती है लौड़ा। मतलब कि अपुन को रुकना नहीं चाहिए।
बस, अपुन फिर से शुरू हो गया। उनको फिर से चूमने लगा लेकिन इस बार अपुन सिर्फ उनके होठ नहीं चूम रेला था बल्कि होठ के अलावा गाल, चेहरा, ठुड्ढी और गला भी चूमता जा रेला था। दूसरी तरफ अपुन बारी बारी से उनकी दोनों चूचियां भी दबाए जा रेला था।
साधना दी एक बार फिर से आहें भरने लगीं। उनका मचलना फिर से शुरू हो गया। तभी अपुन उनके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे आया। कुर्ते के डीप गले से अपुन को उनकी चूचियों के किनारे दिखे जो उभरे हुए थे और जब अपुन उन्हें दबाता तो वो और भी दिखने लगते। अपुन ने लपक कर अपने होठ उन उभारों पर रख दिए।
वाह! क्या गजब का एहसास था लौड़ा। मस्त चिकना और मुलायम लग रेला था। अपुन तो जैसे होश ही खो बैठा। उनको चूमते हुए अपुन कुर्ते के अंदर समा जाने की कोशिश करता लेकिन कुर्ते का गला एक लिमिट तक ही सरकता जिससे अपुन उनकी चूची को ठीक से चूम नहीं पा रेला था।
उधर साधना दी अपुन के सिर को अपनी चूची पर दबा रेलीं थी। शायद चूची पर चूमने चाटने से उन्हें और भी मजा मिल रेला था। अपुन ने कुछ पल सोचा और फिर एकदम से अपने दोनों हाथ नीचे ला कर उनके कुर्ते को ऊपर करता चला गया।
साधना दी को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था। अपुन ने कुर्ते को पूरा ऊपर उठा कर उनके सीने को बेपर्दा कर दिया था। अपुन ये देख के शॉक रह गया था कि कितना खूबसूरत बदन था उनका। एकदम गोरा और चिकना। कहीं कोई दाग नहीं। चिकना सपाट पेट और बीच में गहरी नाभी। उसके ऊपर ब्लैक ब्रा में कैद उनके बूब्स। अपुन तो ये देख के ही मस्त हो गया लौड़ा।
अपुन ने आव देखा न ताव साधना दी को पकड़ कर सोफे पर लिटा दिया। उसके बाद अपुन एकदम से उनके ऊपर छा गया। सबसे पहले अपुन ने उनके चिकने सपाट पेट को जी भर के चूमा, फिर उनकी नाभी को चूमते हुए अपनी जीभ नाभी में घुसा दिया। साधना दी बुरी तरह मचल रेलीं थी। उनके दोनों हाथ अपुन के सिर पर थे और वो अपुन के बाल खींच रेलीं थी।
ड्राइंग रूम में उनकी सिसकियां गूंज रहीं थी। अपुन का भी हाल कम बेहाल नहीं था लौड़ा। अपुन का लौड़ा जींस के अंदर इतना टाइट हो गयला था कि अब उसमें दर्द शुरू हो गया था।
साधना दी─ शश्श्श्श वि..विराट तु..तुम पागल कर दोगे मुझे। आह्हह्ह् शश्श्श्श इ... इसमें इतना मजा अ..आ...ता है इस...का अं..दाजा ही नहीं था..मुझे। आह्हह्ह् ये...ये क्या हो रहा है मुझे?
साधना दी पता नहीं क्या उल्टा सीधा बोले जा रेली थी। इधर अपुन उनकी नाभी से ऊपर आया और ब्रा के ऊपर से ही एक हाथ से उनके राइट बूब को पकड़ कर हौले हौले दबाना शुरू कर दिया जबकि अपना चेहरा अपुन ने उनके दोनों बूब्स के बीच जो हल्की लकीर थी उसमें रख दिया। साधना दी फिर से मचल उठीं और अपुन के सिर को थाम कर अपनी चूची पर दबाने लगीं। अपुन ने महसूस किया कि नीचे वो अपनी कमर को बार बार उठा रेलीं थी। आँखें बंद किए वो अपने चेहरे को इधर उधर कर रेलीं थी।
अपुन─ आपके बूब्स कितने सुंदर हैं दी। मन करता है इन्हें ब्रा से निकाल कर पीना शुरू कर दूं।
साधना दी─ शश्श्श्श तो...तो पी लो न। आह्हह्ह् उफ्फ मैं...मैंने कहां मना किया है।
अपुन─ थैंक्यू दी। आप बहुत अच्छी हैं। आपने वो दिया अपुन को जो कोई भी लड़की इतना आसानी से नहीं दे सकती।
साधना दी─ म...मैंने इस लिए दिया क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं...शश्श्श्श आह्हह्ह् तु..तुम्हें किसी चीज़ के लिए म...मना नहीं कर सकती मैं।
अपुन─ थैंक्यू दी।
ये कहते हुए अपुन ने एकदम से उनकी एक चूची ब्रा के अंदर से निकाल ली और बिना देर किए उनके भूरे निप्पल को मुंह में भर लिया।
साधना दी─ उफ्फ शश्श्श्श वि...रा..ट।
उन्होंने बड़े जोर से अपुन के बालों को खींचा जिससे अपुन को दर्द हुआ मगर अपुन ने दर्द की परवाह नहीं की। साधना दी के बूब्स उन्हीं की तरह खूबसूरत थे। एकदम गोरे, चिकने और जवानी के रस से भरे हुए। अपुन निप्पल को मुंह में भर के जोर जोर से चूसे जा रेला था। उधर साधना दी अब कुछ ज़्यादा ही मचल रेली थीं। बार बार अपनी कमर उठातीं और नीचे सोफे पर जैसे पटक देतीं।
अभी अपुन उनके निप्पल को चूस ही रेला था कि तभी साधना दी बड़े जोर से ऐंठ गईं। उनकी कमर ऊपर को उठ गई और फिर एकदम से उन्हें झटके लगने लगे। उनके मुख से बड़े जोर की आहें और सिसकियां निकल रेलीं थी। कुछ देर तक वो झटके खाती रहीं और फिर एकदम से मानो शांत पड़ गईं। उनकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी।
अपुन समझ गया कि उनका काम तमाम हो चुका है। अपुन की इतनी चुसाई ने उनकी हालत खराब कर दी थी जिसका ये नतीजा निकला था।
उन्हें इस हालत में देख अपुन रुक गया। अपुन को एकाएक सिचुएशन का भी एहसास हुआ। अपुन ने एक नज़र उनके खुले बूब को देखा और फिर उसे वापस ब्रा में कैद कर देने का सोचा।
साधना दी ने अपुन को इतना कुछ करने दिया था इस लिए अब इससे आगे अपनी मनमानी करने का अपुन का दिल न किया। हालांकि अपुन का लौड़ा पेंट में बुरी तरह अकड़ा हुआ था और उसका शांत होना भी जरूरी था लेकिन शायद उसके लिए ये सही वक्त नहीं था।
अपुन ने देखा, साधना दी आँखें बंद किए उसी हालत में गहरी गहरी सांसें ले रेलीं थी। चेहरे पर पसीना तो था ही लेकिन अजब सुर्खी भी छाई थी। होठों पर हल्की मुस्कान थी। शायद वो कुछ सोच रेलीं थी।
अपुन को वो बहुत मासूम और प्यारी लगीं। जाने क्यों ये सोच कर अपुन को खुद पर थोड़ा गुस्सा आया कि अपनी ज़िद में अपुन ने उनके साथ क्या क्या कर दिया है।
ख़ैर, अब जो होना था वो हो ही गया था इस लिए अपुन ने उनकी खुली छाती को पहले तो झुक के प्यार से चूमा और फिर सलीके से उसे ब्रा में वापस कैद कर दिया। उसके बाद अपुन ने उनके कुर्ते को नीचे खिसका दिया।
कुछ देर बाद जब उनकी सांसें दुरुस्त हुईं तो उन्होंने आंखें खोल कर अपुन को देखा। अपुन उन्हीं को देख रेला था। जैसे ही उनकी नजर अपुन की नजर से मिली तो वो बुरी तरह शर्मा गईं। झट से दोनों हाथों से उन्होंने अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।
अपुन─ क्या हुआ दी? इस तरह चेहरा क्यों छुपा लिया आपने?
साधना दी─ मुझे बहुत शर्म आ रही है विराट। तुमसे नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही।
अपुन─ अगर ऐसा है तो फिर अपुन चला जाता है यहां से।
अपुन की ये बात सुन कर वो झट से उठ बैठीं। चेहरे पर टेंशन और घबराहट उभर आई थी उनके।
साधना दी─ क्या फिर से नाराज़ हो गए मुझसे?
अपुन─ अरे! नाराज़ नहीं हुआ है अपुन।
साधना दी─ फिर, जाने को क्यों कह रहे हो?
अपुन─ वो इस लिए क्योंकि आपको अपुन के सामने शर्म आ रेली है और जब तक अपुन यहां रहेगा तो आपको ऐसे ही शर्म आती रहेगी। तो अच्छा यही है न कि अपुन चला जाए यहां से?
साधना दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराने लगीं। अपुन को अचानक से समय का खयाल आया तो अपुन ने मोबाइल निकाल कर टाइम देखा। लौड़ा, चार बजने वाले थे। मतलब अपन लोग इतनी देर से मजा कर रेले थे?
अपुन ने सोचा इससे पहले कि साधना दी के पापा बैंक से आएं अपुन को निकल जाना चाहिए। फिर अपुन को याद आया कि साधना दी ने तो अब तक कुछ खाया भी नहीं है। इस लिए अपुन ने उनसे कहा कि वो खाना खा लें।
उनके जोर देने पर अपुन को थोड़ी देर और रुकना पड़ा। इस बीच अपुन ने दो तीन निवाला खुद ही उन्हें खिलाया जिससे वो बहुत खुश हो गईं। जब वो खा चुकीं तो अपुन जाने लगा।
साधना दी─ काश! ऐसा होता कि तुम हमेशा मेरे करीब रहते।
अपुन─ जो बात संभव नहीं उसके बारे में ज़्यादा सोचना नहीं चाहिए।
साधना दी (उदास हो कर)─ तुम ऐसा इस लिए कह रहे हो क्योंकि तुम्हारे दिल में मेरे प्रति लव वाली फीलिंग्स नहीं हैं। अगर होती तो क्या मेरी तरह तुम भी यही नहीं चाहते?
अपुन─ हां हो सकता है। वैसे आपके प्रति अपुन के दिल में प्यार वाली फीलिंग्स भले नहीं हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अपुन को आप अच्छी नहीं लगतीं। खैर अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां, थैंक यूं वंस अगेन फॉर ऑल दैट। दोज मोमेंट्स विल ऑलवेज बी ब्यूटीफुल फॉर मी एंड विल बी रिमेंबर्ड। लव यू दी, यू आर सो स्वीट।
साधना दी अपुन की ये बात सुन कर फीकी सी मुस्कान से मुस्कुराई। अपन दोनों जब दरवाजे के पास आ गए तो वो एकदम से अपुन से लिपट गईं। फिर कुछ पलों में वो अलग हुईं। फिर एकदम से अपनी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमा और फिर दूर हट गईं।
साधना दी─ मुझे तुम्हारे होठ बहुत अच्छे लगते हैं। बार बार इनको किस करने का मन करता है। प्लीज हर रोज यहां आया करो न।
अपुन─ लेट्स सी। ओके बाय।
अपुन ने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और फुर्र से निकल लिया। अपुन बार बार ये सोच के खुश हो रेला था कि आज पहली बार आखिर अपुन ने भी किसी लड़की के साथ मजा कर ही लिया। बोले तो पहली बार किसी लड़की के होठ चूमे। उसके बूब्स दबाए, बूब्स कै नंगा देखा और उन्हें चूसा भी। बेटीचोद, ऐसा लग रेला था जैसे अपुन हवाओं में उड़ रेला है।
To be continued...
Bhai log aaj ke liye itna hi.
Read & enjoy..
Nice and lovely update....