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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,664
116,777
354
Sexy update 😍 but ye rela fela chodo yaar or seedha subham style me likho👍 usi me jachte ho tum,
:nana: Shubham laude ko bhool gaya hai apan, Wo incest nahi likh rela tha lauda is liye apan ne dusra avtaar dhaaran kiyela hai... specially for incest story writing and pure incest readers :D
Waise bechari saadhna ke dono hooth suja diya tumne :sigh: Kitna besabra ho be, bechari pyar se sab kuch kar to rahi thi, batao khaali uper se choos kar hi jhaad diya:lol1:
Awesome :applause::applause::applause::applause:
:thank_you: Is tareef ke liye, ju apan ke sachche mitra ho, :hug: kahi koi kami dikhe to bejhijhak batane ka :pray:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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:nana: Shubham laude ko bhool gaya hai apan, Wo incest nahi likh rela tha lauda is liye apan ne dusra avtaar dhaaran kiyela hai... specially for incest story writing and pure incest readers :D

:thank_you: Is tareef ke liye, ju apan ke sachche mitra ho, :hug: kahi koi kami dikhe to bejhijhak batane ka :pray:
Avasya batayega apun :approve: But ju ne subham ki hatya kar di uske liye kabhi maaf nahi karega ju ko:hammer:
 
Last edited:

Lustyboy123

Life Is a Game: Be a Player or Be Played
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Update ~ 05
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साधना दी─ मुझे तुम्हारे होठ बहुत अच्छे लगते हैं। बार बार इनको किस करने का मन करता है। प्लीज हर रोज यहां आया करो न।

अपुन─ लेट्स सी। ओके बाय।

अपुन ने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और फुर्र से निकल लिया। अपुन बार बार ये सोच के खुश हो रेला था कि आज पहली बार आखिर अपुन ने भी किसी लड़की के साथ मजा कर ही लिया। बोले तो पहली बार किसी लड़की के होठ चूमे। उसके बूब्स दबाए, बूब्स कै नंगा देखा और उन्हें चूसा भी। बेटीचोद, ऐसा लग रेला था जैसे अपुन हवाओं में उड़ रेला है।



अब आगे....


घर पहुंच कर बाइक को खड़ी ही किया था कि अपुन का फोन रिंग करने लगा। अपुन आज बहुत खुश था इस लिए फोन करने वाले को कोई गाली नहीं दी और जेब से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर देखा। दिव्या का नाम फ्लैश हो रेला था।

अपुन समझ गया कि कॉलेज की छुट्टी होने का टाईम हो गया है और दिव्या ने जब देखा होगा कि अपुन कॉलेज में नहीं है तो उसने अपुन को कॉल किया। खैर अपुन ने झट से उसका कॉल उठाया।

अपुन─ बस पाँच मिनिट में आ रेला है अपुन।

दिव्या─ ये क्या बात हुई भैया? कब से आपको कॉल कर रहीं हूं और आप फोन ही नहीं उठा रहे?

अपुन─ अरे अपुन बाइक चला रेला था इस लिए रिंग सुनाई नहीं दी। तू बस पांच मिनट रुक, अपुन जल्दी पहुंचता है कॉलेज।

दिव्या─ जल्दी के चक्कर में बाइक स्पीड से मत चलाना। पांच की जगह दस मिनट वेट कर लूंगी मैं।

अपुन ने फोन कट किया और वापस बाइक को दौड़ा दिया। आज पता नहीं क्यों अपुन का ध्यान मोबाइल पर नहीं जा रेला था। पता नहीं कितने लोगों के कॉल्स और मैसेजेस पड़े होंगे और अपुन ने अभी तक उन्हें देखा नहीं है। ख़ैर बाद में देखने का सोच कर अपुन बाइक चलाता रहा।

अपुन को बार बार साधना दी के साथ हुआ रोमांस याद आ रेला था और अपुन खुशी से झूम उठता था। अपुन सोचने लगा कि सच में वो अपुन को बहुत प्यार करती हैं तभी तो इतनी आसानी से खुद को अपुन के हवाले कर दिया था।

कॉलेज के गेट के पास ही अपुन को दिव्या दिख गई। वो अकेली नहीं थी बल्कि उसके साथ में अमित की सौतेली बहन अनुष्का भी थी। अपुन को देखते ही वो हल्के से मुस्कुराई मगर अपुन ने उसे इग्नोर कर दिया जिससे उसकी मुस्कान गायब हो गई।

दिव्या─ अनुष्का दी मुझे ड्रॉप कर देने को बोल रहीं थी लेकिन मैंने इन्हें बता दिया कि आप आ रहे हैं।

अपुन ने बिना कुछ कहे उसको बाइक में बैठने का इशारा किया जिस पर पहले तो उसने अपुन को हैरानी से देखा लेकिन फिर बिना कुछ कहे बैठ गई।

दिव्या (अनुष्का से)─ बाय दी।

अनुष्का─ बाय दिव्या, सी यू।

उसके सी यू कहते ही अपुन ने बाइक को आगे बढ़ा दिया। पता नहीं क्यों पर अनुष्का को देख के अपुन का मूड खराब हो गयला था। जबकि इसके पहले अपुन खुश था और यही सोचे बैठा था कि आज किसी को गाली नहीं देगा अपुन।

वैसे देखा जाए तो साधना दी के इतने करीब पहुंचने में कहीं न कहीं अनुष्का का भी हाथ था। मतलब कि अगर उसने अपुन को क्लास से गेट आउट न किया होता तो आज अपुन अमित के घर नहीं जाता और जब जाता ही नहीं तो साधना दी के साथ इतना कुछ कैसे हो पाता? इसका मतलब ये भी हुआ कि इसके लिए अपुन को अनुष्का का एहसान मानना चाहिए था पर नहीं माना, हट लौड़ा।

तभी अपुन को अपनी पीठ पर दिव्या के बूब्स महसूस हुए तो अपुन खयालों से बाहर आया। पता नहीं उसको ये एहसास होता था या नहीं कि उसके बूब्स अपुन की पीठ पर थोड़ा नहीं बल्कि ज्यादा ही चुभने लगते हैं मगर उसने कभी फासला बना के बैठने का नहीं सोचा था। वो हमेशा ऐसे ही बैठती थी। बोले तो एकदम चिपक के।

दिव्या─ आपने अनुष्का दी को इग्नोर क्यों किया था भैया? कुछ हुआ है क्या?

अपुन─ क्यों? उसने बताया नहीं तुझे?

दिव्या─ नहीं, पर हुआ क्या है? बताइए न।

अपुन ने उसे शॉर्ट में बता दिया जिसे सुन कर उसे शॉक लगा।

दिव्या─ यकीन नहीं होता भैया कि उन्होंने आपको क्लास से आउट किया था।

अपुन─ जाने दे, अपुन को घंटा फर्क नहीं पड़ता।

दिव्या─ कोई तो वजह रही होगी भैया, वरना वो आपको इस तरह क्लास से आउट नहीं करतीं। अभी उस टाइम वो आपसे बात करने की उम्मीद लिए खड़ीं थी पर आपने उन्हें पूरी तरह इग्नोर ही कर दिया था।

अपुन ने कुछ नहीं कहा। असल में अपुन इस बारे में कुछ कहना ही नहीं चाहता था क्योंकि इससे अपुन का मूड खराब होता और अपुन आज अपना मूड खराब नहीं करना चाहता था। साधना दी की वजह से जो खुशी अपुन को मिली थी उसी में डूबे रहना चाहता था लौड़ा।

दिव्या ने और तो कुछ न कहा लेकिन ये ज़रूर पूछा कि विधी दी भी क्यों कॉलेज से चली आईं थी? अपुन ने उसे बता दिया कि वो अपुन की वजह से आ गई थी।

अपन लोग थोड़ी ही देर में घर पहुंच गए। दिव्या बाइक से उतर कर अपना बैग लिए दरवाज़े की तरफ बढ़ गई और अपुन गैरेज में बाइक खड़ी करने लगा। अपुन जल्द से जल्द अपने रूम में पहुंचना चाहता था क्योंकि अपुन को ये देखना था कि किन किन लोगों ने अपुन को कॉल्स और मैसेजेस किए थे...खास कर साधना दी का मैसेज देखने को बेताब था अपुन। अपुन को पूरा यकीन था कि वो सब होने के बाद उन्होंने अपुन को मैसेज में कुछ न कुछ तो लिख के भेज ही होगा।

खैर दो मिनट के अंदर ही अपुन अपने रूम में पहुंच गया। शुक्र था कि विधी नहीं थी अपुन के रूम में। उस टाइम वो गुस्सा हो के चली गई थी और अब सोच रेली होगी कि अपुन उसे मनाने आए पर फिलहाल अपुन उसे मनाने के बारे में नहीं बल्कि किसी और के बारे में सोचना चाह रेला था।

रूम को बंद कर अपुन ने फटाफट अपने कपड़े चेंज किए और फिर मोबाइल ले कर बेड पर पसर गया। उसके बाद मोबाइल देखना शुरू किया।

बेटीचोद, सच में बहुत सारे कॉल्स और मैसेजेस पड़े थे उसमें। अपुन ने सबको इग्नोर किया और वॉट्सएप में सबसे पहले साधना दी के मैसेजेस देखना शुरू किया।

उनके कई सारे मैसेज थे जिसमें उन्होंने सबसे पहले यही कहा था कि उन्हें अपुन की बहुत याद आ रेली है और अकेले घर में उनका मन नहीं लग रेला है। एक मैसेज में लिखा था कि काश! अपुन जादू की तरह उनके पास पहुंच जाए और वो अपुन के साथ बेड पर फिर से प्यार करें।

सच तो ये था कि उनके मैसेज पढ़ के अपुन खुश भी हो रेला था और मस्त भी। एक मैसेज में लिखा था कि लाइफ में पहली बार किसी ने उनके बूब्स को नंगा देखा है और उन्हें प्रेस किया है। एक मैसेज में लिखा था कि उन्हें अभी भी ऐसा लग रेला है जैसे अपुन के हाथ उनके बूब्स दबा रेले हैं। आखिर के मैसेज में लिखा था कि क्या हुआ, कुछ तो बोलो, कुछ तो कहो बाबू।

अपुन ने झट से उन्हें रिप्लाई करने का सोच लिया।

अपुन─ सॉरी दी, अपुन को टाइम ही नहीं मिला आपके मैसेजेस देखने का क्योंकि अभी अभी कॉलेज से दिव्या को ले के घर पहुंचा है अपुन।

अपुन को लगा था कि अपुन के इस मैसेज का रिप्लाई कुछ देर में आएगा मगर आधे मिनिट से पहले ही उनका रिप्लाई आ गया।

साधना दी─ कोई बात नहीं।

अपुन─ और बताओ, क्या कर रही हो आप?

साधना दी─ बस तुम्हें याद कर रही हूं।

अपुन─ और?

साधना दी─ और...और वो भी जो हमने किया था।

अपुन को मैसेज में उनसे ऐसी बातें करने में एक अलग ही तरह का मजा महसूस हुआ। बोले तो अलग ही सुरूर आ रेला था अपुन के अंदर।

अपुन─ क्या किया था हमने?

साधना दी─ क्या तुम्हें नहीं पता?

अपुन─ पता है, पर आपसे जानना चाहता है अपुन।

साधना दी─ उफ्फ! नहीं न, मुझे शर्म आ रही है।

अपुन─ वाह! करने में शर्म नहीं आई और बताने में शर्म आ रेली है?

साधना दी─ प्लीज ऐसा मत कहो। मैं खुद हैरान हूं कि इतना कुछ कैसे हो गया?

अपुन─ जैसे भी हुआ, हो तो गया न? अब बताओ न कि क्या किया था हमने?

साधना दी का कुछ पलों बाद मैसेज आया। अपुन बड़ी बेसब्री से उनके रिप्लाई का वेट कर रेला था।

साधना दी─ प्लीज मत पूछो न। सच में बहुत शर्म आ रही है मुझे। अच्छा तुम्हीं बता दो न कि क्या किया था हमने?

अपुन─ अपुन सिर्फ आपसे जानना चाहता है। अगर नहीं बताना तो मत बताइए।

साधना दी─ प्लीज गुस्सा मत करो, बताती हूं।

थोड़ी देर वो टाइपिंग करती रहीं और अपुन इंतज़ार करता रहा। तभी उनका मैसेज आया।

साधना दी─ तुम्हें शायद यकीन न हो लेकिन बात ये है कि मुझे सिर्फ इतना याद है कि मैं एक बहुत ही गहरे आनंद में डूबी हुई थी। मन कर रहा था कि वो आनंद कभी खत्म ही न हो।

साधना दी का ये मैसेज पढ़ कर अपुन मुस्कुरा उठा। अपुन सोचने लगा कि लौड़ी ने कितनी सफाई से बात को घुमा दिया है और अपनी बात कह दी है।

अपुन─ ये तो गलत बात है दी। आपको एक एक कर के सब कुछ बताना था।

साधना दी─ बहुत बेशर्म हो तुम। अच्छा मुझे ये याद है कि तुम मेरे होठों को चूम रहे थे और फिर मेरे ब्रेस्ट को प्रेस करने लगे थे। उसके बाद तो जैसे मैं होश में ही नहीं रही थी।

अपुन─ और फिर लास्ट में आपको क्या हो गया था?

साधना दी─ लास्ट में?? मतलब?

अपुन─ याद कीजिए लास्ट में आप झटके खा रेलीं थी और फिर एकदम से शांत पड़ गईं थी। अपुन उसी के बारे में पूछ रेला है आपसे।

साधना दी─ धत् बदमाश।

अपुन उनके इस मैसेज को देख कर एकदम से हंस पड़ा। वो अपुन की बात समझ गईं थी।

अपुन─ अरे! बताओ न दी...प्लीज।

साधना दी─ वो...वो तो...ऑर्गेस्म की वजह से ऐसा हुआ था। बस इससे आगे कुछ मत पूछना, प्लीज।

अपुन─ ठीक है नहीं पूछेगा अपुन लेकिन आपको पता है, एक बार फिर से अपुन के साथ ना इंसाफी हो गई।

साधना दी─ ये क्या कह रहे हो और...और किस तरह की ना इंसाफी हो गई?

अपुन─ उस टाइम आपने तो संतुष्टि पा ली थी पर अपुन तो बीच में ही लटका रह गया था।

साधना दी─ ओह! गॉड ये क्या बोल रहे हो तुम?

अपुन─ सच बोल रेला है अपुन। आपको पता है कितना दर्द में था अपुन।

साधना दी─ दर्द में थे? वो कैसे?

अपुन─ जो चीज़ पैंट के और अंडरवियर के अंदर कैद होगी उसकी तो यही हालत होगी न दी? ऊपर से उस टाइम जो अपन लोग कर रेले थे उससे अपुन की वो चीज अपने फुल में मूड आ गईली थी।

अपुन ने ये लिख के भेज तो दिया था लौड़ा लेकिन अब डर भी लग रेला था कि साधना दी कहीं नाराज़ न हो जाएं और कुछ बोले न। अपुन की धड़कनें बढ़ चलीं थी और अपुन सांसें रोके उनके रिप्लाई का वेट कर रेला था। करीब दो मिनट बाद उनका रिप्लाई आया।

साधना दी─ सॉरी मेरी वजह से तुम्हें ये तकलीफ उठानी पड़ी। क्या अभी भी दर्द में हो?

साधना दी को शायद अपुन की फिक्र होने लगी थी इस लिए पूछ रेलीं थी। ये देख अपुन को राहत भी मिली और अच्छा भी लगा।

अपुन─ दर्द होगा भी तो क्या कर सकता है अपुन?

साधना दी─ अरे! उसका दर्द दूर करने के लिए उसे शांत कर सकते हो न।

अपुन को ये सोच के थोड़ी हैरानी हुई कि वो ये क्या लिख के भेजी थीं। फिर अपुन ने सोचा कि शायद अपुन की फिक्र में उन्होंने अपनी शर्म को किनारे पर रख दिया होगा।

अपुन─ आप ही बताओ, कैसे शांत करे अपुन उसको?

साधना दी─ जैसे ब्वॉयज़ लोग करते हैं।

अपुन (शॉक)─ और ब्वॉयज़ लोग कैसे करते हैं?

साधना दी─ मास्टरबेट कर के। ओह गॉड ये तुम मुझसे क्या बुलवाए जा रहे हो?

अपुन (मन ही मन हंसा)─ तो आपको पता है कि ब्वॉयज़ लोग मास्टरबेट कर के उसे शांत करते हैं?

साधना दी─ हां, इतनी बुद्धू नहीं हूं। मत भूलो कि मेडिकल स्टूडेंट रही हूं मैं।

अपुन─ ओके फाईन। वैसे गर्ल्स भी तो मास्टरबेट करती हैं। आपने भी तो किया होगा कभी।

साधना दी─ प्लीज ये मत पूछो न।

अपुन─ अब इतना बताने में क्या हर्ज है? इतनी सारी बातें जब हमने कर ली तो ये भी सही।

साधना दी─ ओके, हां किया है पर कभी कभार। क्या तुम नहीं करते?

अपुन─ हां, दो तीन बार किया है लेकिन ये दो महीने पहले की बात है।

साधना दी─ ओह!

अपुन─ आपने लास्ट टाइम कब किया था?

साधना दी─ याद नहीं।

अपुन─ अच्छा, वैसे अब तो शायद आपको कुछ दिनों तक करने की जरूरत भी न पड़े।

साधना दी─ ऐसा क्यों?

अपुन─ क्योंकि आज आपका कोटा पूरा जो हो गया है।

साधना दी─ धत् बेशर्म।

अपुन─ हां, बस अपुन के साथ ही एक बार फिर से ना इंसाफी हो गई।

साधना दी─ प्लीज ऐसा मत कहो। मुझे अच्छा नहीं लग रहा। बताओ कैसे तुम्हारे साथ इंसाफ करूं?

अपुन सोचने लगा कि अब क्या जवाब दे उनको। मन तो किया कि बोल दे कि अपुन के पास आ जाओ और अपुन के लौड़े को हाथ में ले कर मुठ मार दो लेकिन ऐसा सच में लिख के भेज नहीं सकता था लौड़ा।

अपुन─ जाने दो, अब भला इसमें आप कर ही क्या सकती हैं?

साधना दी─ नहीं, तुम प्लीज बताओ। मुझे अच्छा नहीं लग रहा कि इतना कुछ होने के बाद भी तुम खुश न रहो।

अपुन─ कोई बात नहीं दी। आप टेंशन न लो, आई एम ओके।

साधना दी─ नो, यू आर नॉट ओके। तुम मेरा दिल रखने के लिए ऐसा बोल रहे हो। प्लीज बताओ न क्या करूं?

अपुन─ अच्छा अगर आप कुछ करना ही चाहती हैं तो सिर्फ इतना ही कीजिए कि अपने बूब्स की एक अच्छी सी पिक भेज दीजिए। जब से आपके खूबसूरत बूब्स को देखा है तब से अपुन की आंखों के सामने वो ही बार बार दिख रेले हैं।

साधना दी─ ओह! विराट, ये क्या कह रहे हो? कुछ तो शर्म करो।

अपुन─ हां दी, कितने सुंदर थे आपके बूब्स। प्लीज उनकी एक पिक भेजिए न। समझ लीजिए इसी से अपुन के साथ इंसाफ हो जाएगा।

साधना दी─ ओके वेट।

अपुन वेट करने लगा लौड़ा। सच में कमाल ही हो रेला था आज। बोले तो जो नहीं सोचा था वो हो रेला था और अब तो लौड़ा ऐसा लग रेला था कि अगर आज अपुन साधना दी से उनकी चूत भी मांग लेता तो वो खुशी से दे देतीं।

अपुन सोचने लगा कि एक दिन उनकी चूत भी मांग लेगा अपुन। अब इतना तो भरोसा हो ही गएला था कि वो अब किसी भी चीज़ के लिए अपुन को मना नहीं करेंगी।

तभी अपुन का मोबाइल बीप हुआ और साधना दी का मैसेज आया। अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईं कि क्या सच में उन्होंने अपने बूब्स की पिक भेजी होगी? अपुन से सबर न हुआ लौड़ा और झट से उनके मैसेज को ओपन किया। उसमें कोई पिक डली थी जो ब्लर थी और डाउनलोड मांग रेली थी। अपुन ने झट से डाउनलोड पर क्लिक किया तो वो एक ही पल में डाउनलोड हो के क्लियर दिखने लगी।

साधना दी ने सच में अपने बूब्स की पिक भेजी थी अपुन को। पिक में उन्होंने अपने कुर्ते को सीने के ऊपर तक उठा रखा था जिसकी वजह से सफेद ब्रा में कैद उनके खूबसूरत बूब्स अपुन को साफ दिख रेले थे।

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अभी अपुन पिक में उनके बूब्स को ही देख रेला था कि तभी उनका मैसेज आया।

साधना दी─ ये क्या क्या करवा रहे हो मुझसे? खैर तुम्हारे लिए कुछ भी। अब ठीक है न?

अपुन─ हां दी, थैंक्यू सो मच।

साधना दी─ थैंक्यू मत कहो। तुम भी अपनी एक पिक भेज दो मुझे।

अपुन─ अच्छा, आपको कैसी पिक चाहिए अपुन की?

साधना दी─ जिसमें तुम्हारे गुलाबी होठ अच्छे से दिखें। जब भी मन करेगा पिक में तुम्हारे होठों को चूम लिया करूंगी।

अपुन उनका ये मैसेज देख मुस्कुरा उठा। वैसे अपुन को उनसे यही उम्मीद थी। खैर उनकी खुशी के लिए अपुन ने झट से अपनी एक सेल्फी ली और उसे सेंड कर दिया उन्हें।

अभी अपुन मैसेज टाइप ही करने वाला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया जिससे अपुन को ऐसा लगा जैसे अपुन का मजा ही खराब हो गया है लौड़ा।

ख़ैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। अपुन को देखते ही बोली कि अपुन चाय पीने नीचे आएगा या वो यहीं पर अपुन के लिए चाय ले आए? अपुन ने उसे कहा कि अपुन नीचे ही आ रेला है।

दिव्या के जाने के बाद अपुन वापस बेड पर आया और जल्दी से साधना दी को मैसेज कर बताया कि बाद में बात होगी। उसके बाद अपुन पहले बाथरूम में मूतने गया और फिर कमरे से निकल कर नीचे चाय पीने चला गया।

~~~~~~~

नीचे आया तो देखा ड्राइंग रूम में रखे एक सोफे पर विधी बैठी टीवी देख रेली थी और दूसरे सोफे पर दिव्या बैठी थी। अपुन जा के विधी के बगल से उससे एकदम चिपक कर बैठ गया। ये देख उसने अपुन को गुस्से से घूरा।

अपुन─ अरे! गुस्सा क्यों हो रेली है? क्या इतना जल्दी भूल गई कि तू अपुन की जान है?

अपुन की ये बात सुन जहां विधि और भी गुस्से से देखने लगी वहीं दिव्या अपुन की तरफ हैरानी से देखने लगी। उसे लगा होगा कि आज अपुन विधि को जान कैसे बोल रेला है जबकि अपन दोनों का तो आपस में जमता ही नहीं है।

विधी─ दूर हो जा मुझसे, झूठा कहीं का।

अपुन─ तू अपनी जान को झूठा बोल रेली है?

विधी─ झूठा है तो झूठा ही बोलूंगी न तुझे, हां नहीं तो।

अपुन─ अच्छा सॉरी, चल गुस्सा थूक दे अब।

विधी─ बोला न दूर हट जा। मुझे तुझसे कोई बात नहीं करना।

विधी सच में गुस्सा थी। होना ही था, क्योंकि अपुन ने उसे रूम से जो जाने को कह दिया था। इधर दिव्या अभी भी ये सोच के हैरानी में थी कि अपुन ने विधी को जान क्यों कहा?

अपुन─ अच्छा सुन न, कल संडे है और अपुन सोच रेला है कि क्यों न अपन लोग थिएटर में मूवी देखने चलें? मतलब कि तू और अपुन साथ में। क्या बोलती है?

इस बार विधी पर थोड़ा असर हुआ। मतलब कि इस बार उसके चेहरे पर मौजूद गुस्सा कम होता नजर आया। इधर मूवी देखने जाने की बात सुन दिव्या चुप न रह सकी।

दिव्या─ वॉव भैया, मैं भी आप दोनों के साथ मूवी देखने चलूंगी और हां, मैं न विधी दी के बगल में बैठूंगी।

विधी ने उसे घूर कर देखा जिससे वो थोड़ा सकपका गई। अपुन ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा तो वो चुपचाप टीवी की तरफ देखने लगी। तभी सीमा हम लोगों के लिए चाय ले कर आ गई। उसने एक एक कर के हम तीनों को चाय का कप दिया।

अपुन (विधी के कान में चुपके से)─ फ़िक्र मत कर। आज रात अपन दोनों एक साथ मोबाइल में डीडीएलजे मूवी देखेंगे और कल थिएटर में तो चलेंगे ही। (लौड़ी, हकले शाहरुख की जबर फैन थी)

विधी के चेहरे का गुस्सा झट से फुर्र हो गया और उसके होठों पर मुस्कान उभर आई। बस, मामला सुलझ गया और अपुन बेफिक्र हो गया। उसके बाद अपन लोगों ने चाय खत्म की। मामला सुलझ जाने के बाद से विधी खुद ही अपुन से चिपक के बैठ गईली थी। इधर दिव्या बार बार हम दोनों को देखती और मुस्कुरा कर टीवी की तरफ देखने लगती।

विधी (दिव्या को देख कर अपुन के कान में)─ इस छिपकली को कल हम अपने साथ मूवी देखने नहीं ले जाएंगे, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि वो दिव्या से बदला लेने के मूड में आ गईली थी। आखिर उससे उसका बहुत सारा हिसाब किताब जो बाकी था लेकिन अपुन ये नहीं चाहता था क्योंकि विधी को तो कोई फर्क नहीं पड़ता मगर अपुन को यही लगता कि इससे दिव्या के साथ अन्याय हो गयला है।

अपुन (धीमी आवाज में)─ अरे! ये क्या कह रही है तू? देख वो तेरी छोटी बहन है। माना कि तेरा उससे नहीं जमता लेकिन तुझसे छोटी तो है ही। वैसे भी बेचारी अपने मॉम डैड से इतना दूर हमारे साथ हमारे ही भरोसे रहती है। ऐसे में क्या उसका दिल दुखाना ठीक लगता है तुझे?

विधी─ हम्म्म ये सही कहा तूने। अच्छा ठीक है, हम उसे भी कल ले चलेंगे।

अपुन─ अपुन को अपनी जान से इसी समझदारी की उम्मीद थी।

विधी─ हां वो तो मैं हूं ही समझदार, हां नहीं तो।

~~~~~~

शाम के सवा सात बजे के करीब साक्षी दी कंपनी से वापस आईं। आते ही उन्होंने अपन लोगों का हाल चाल पूछा और फिर वो अपने रूम में फ्रेश होने चलीं गईं। सीमा डिनर बना कर चली गई थी।

अपुन ने सोचा आज सारा दिन पढ़ाई नहीं की इस लिए थोड़ा पढ़ लिया जाए उसके बाद ही डिनर करेगा अपुन। ये सोच के अपुन अपने रूम में जा कर पढ़ाई में लग गया। पढ़ते पढ़ते समय का पता ही न चला लौड़ा। होश तब आया जब अपुन के कानों में साक्षी दी कि मधुर आवाज पड़ी।

अपुन ने सिर उठा कर उनकी तरफ देखा। कितनी प्यारी लग रेली थीं वो। आज के युग में भी वो ज्यादातर कुर्ता शलवार ही पहनती थीं। पहनती तो वो हर तरह के कपड़े थीं लेकिन मोस्टली कुर्ता शलवार ही उनका पसंदीदा लिबास था।

साक्षी दी─ अब ऐसे मत देख जैसे कभी कोई लड़की ही नहीं देखी। चल अब पढ़ाई बंद कर और डिनर कर ले।

अपुन (मस्का लगाते हुए)─ देखो दी ऐसा मत बोला करो आप। इस दुनिया में सिर्फ आप ही हो जिन्हें देखते रहने का अपुन का मन करता है। अपुन का बस चले तो आपको अपने सामने बैठा के रात दिन आपको ही देखता रहे।

साक्षी दी (हंसते हुए)─ अब बस कर मेरे भाई। कितनी बार तो बोल चुका है ये डायलॉग।

अपुन─ हां तो क्या हुआ? जब तक आप अपुन के सामने रहेंगी तब तक अपुन यही डायलॉग बोलता रहेगा।

साक्षी─ हां ठीक है लेकिन मुझे तेरी एक बात अच्छी नहीं लगती।

अपुन─ मालूम है अपुन को। आपको अपुन का टपोरी भाषा में बात करना अच्छा नहीं लगता। कसम से दी, अपुन बहुत कोशिश करता है कि ऐसी भाषा में किसी से बात न करे लेकिन लौ....मतलब कि जाने कैसे अपुन के मुख से ये सब निकल ही जाता है।

साक्षी─ आदत भी तो तूने खुद ही डाली है। बड़ा शौक था न तुझे टपोरी भाषा में बात करने का। क्या क्या नहीं किया इसके लिए तूने। टपोरी भाषा वाली फिल्में देखी और यूट्यूब में ढूंढ ढूंढ कर टपोरी लोगों की वीडियोज देखी। भाई प्लीज़ अब ये बंद कर दे न। मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि मेरा इतना स्मार्ट और हैंडसम भाई इतनी बेकार लैंग्वेज में बातें करे। लोग भी सुनते होंगे तो क्या सोचते होंगे कि इतने बड़े घर का लड़का हो कर ऐसी भाषा में बात करता है।

साक्षी दी कि ये बातें सुन के एक बार फिर अपुन का सिर झुक गया लौड़ा। बात तो सच थी, ये आदत अपुन ने ही जान बूझ के डाली थी। अपुन में दूसरी कोई खराबी नहीं थी लेकिन अपुन की सभी अच्छाइयों पर अपुन की ये भाषा अब भारी पड़ रेली थी। बोले तो अपुन के कैरेक्टर पर दाग ही लगा रेली थी बेटीचोद।

साक्षी दी ने जब अपुन को सिर झुकाए देखा तो वो आईं और अपुन के पास ही बेड पर बैठ गईं। उसके बाद अपुन का कंधा थाम कर उन्होंने अपुन को खुद से छुपका लिया।

उनके ऐसा करने से अपुन का लेफ्ट बाजू उनके राइट बूब से छू गया और सिर्फ छू नहीं गया बल्कि ऐसा लगा जैसे उनका बूब अपुन के बाजू में दब ही गया लौड़ा। पर जैसे उन्हें इसकी कोई परवाह ही नहीं थी।

साक्षी दी─ तुझे पता है न कि तेरी ये दी तुझसे कितना प्यार करती है और तुझे इस तरह उदास होते नहीं देख सकती। चल अब ये सब मन से निकाल दे और मुस्कुरा के दिखा मुझे।

अपुन उनसे अलग हुआ और उनकी तरफ घूम गया। इतने करीब से हर रोज ही उन्हें देखता था लेकिन आज कुछ अलग ही महसूस हुआ अपुन को।

कितना सुंदर था उनका चेहरा। बड़ी बड़ी कजरारी आँखें, सुंदर गोरा मुखड़ा, कमान सी भौंहें, सुतवा नाक और गुलाब की पंखुड़ियों पर शबनम गिरे जैसे होठ।

सच तो ये था कि अपुन को पता ही न चला कब अपुन उनकी खूबसूरती में खो गया। उनके जिस्म से आती परफ्यूम की खुशबू ने जैसे और भी अपुन के होश गुम कर दिए थे। अपुन को इस हालत में देख वो हल्के से हंसी और फिर अपुन के गाल पर हल्के से एक चपत लगा दी।

साक्षी─ अब अगर अपनी दीदी को जी भर के देख लिया हो तो चलें? डिनर करना है कि नहीं?

अपुन बुरी तरह झेंप गया लौड़ा। बेशक उन्हें यही पता था कि अपुन कभी उनके बारे में गलत नहीं सोच सकता लेकिन आज का सच जैसे बदल ही गया था लौड़ा। दी को देखने का नजरिया बदल रेला था। उनके चेहरे पर दो बार साधना दी का चेहरा चमक उठा था और अपुन का मन किया था कि झट से आगे बढ़ कर उनके होठों को मुंह में भर चूसने लगे।

मगर हकीकत का एहसास होते ही अपुन को बड़ी शर्म महसूस हुई और अपुन चुपचाप उनसे दूर हो कर बेड से उतर कर खड़ा हो गया। बिजली की तरह मन में खयाल उभरा कि एक वो हैं जो अपुन को इतना प्यार करती हैं और एक अपुन है जो उनके बारे में गलत सोच बैठा।

साक्षी दी─ अब क्या हुआ तुझे? इस तरह सीरियस चेहरा क्यों बना रखा है तूने? ओह! हां याद आया, दिव्या ने बताया कि आज कॉलेज में अनुष्का ने तुझे क्लास से गेट आउट कर दिया था जिसकी वजह से तू गुस्सा हो के घर ही चला आया था।

साक्षी दी की इस बात से अपुन ने मन ही मन राहत की सांस ली। उधर वो बेड से उतर कर अपुन के सामने आ कर खड़ी हो गईं। वो बिना दुपट्टे के थीं जिससे उनके सीने के उभार कसे हुए साफ दिख रेले थे। न चाहते हुए भी अपुन की नजर एक बार उनके उभारों पर चली ही गई।

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पलक झपकते ही मन में गलत खयाल उभर उठे लेकिन जल्दी ही अपुन ने उन्हें झटक दिया।

साक्षी दी─ डोंट वरी, मैंने अनुष्का को फोन कर के खूब डांटा है। मुझसे सॉरी बोल रही थी और कह रही थी कि उसने गलती से अपने हसबैंड का गुस्सा तुझ पर निकाल दिया था। उसने तुझे मैसेज भी किया था पर शायद तूने देखा नहीं है।

अपुन─ अब से अपुन....सॉरी...आई मीन मैं कोशिश करूंगा कि किसी से भी टपोरी वाली लैंग्वेज में बात न करूं। अपुन...सॉरी..मैं नहीं चाहता कि अपु...मतलब कि मेरी इस लैंग्वेज की वजह से आपको या किसी को शर्मिंदा होना पड़े।

साक्षी दी─ वाह! क्या बात है। ये हुई न बात। मेरा सबसे अच्छा भाई, मेरा सबसे प्यारा भाई और मेरा सबसे स्मार्ट भाई। मुझे बहुत अच्छा लगा कि तू सबसे अच्छे से बात करने की कोशिश करेगा। खैर, अब चल जल्दी वरना फिर से मुझे खाने को गर्म करना पड़ेगा।

उसके बाद अपुन और साक्षी दी खुशी खुशी कमरे से निकल कर नीचे आ गए। डायनिंग टेबल में विधी और दिव्या पहले से ही बैठी हुईं थी। अपुन भी जा के एक कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर में साक्षी दी ने हम सबके सामने थाली रखी और फिर खुद के लिए भी रख कर एक कुर्सी में बैठ गईं। उसके बाद हम सबने खुशी खुशी डिनर किया और डिनर के बाद अपने अपने रूम में सोने चले गए।

आज का दिन सच में अलग था। अब देखना ये था कि आने वाले दिन कैसे होने वाले थे। अपने रूम में बेड पर लेटा अपुन यही सोच रेला था कि एक बार फिर से साधना दी का खयाल आ गया। अपुन को याद आया कि उन्होंने अपने बूब्स की पिक भेजी थी।

अपुन ने फौरन चार्जिंग से मोबाइल निकाला और फिर जैसे ही बेड पर लेट कर उसकी स्क्रीन जलाई तो भक्क से रूम का दरवाजा खुला और विधी दनदनाते हुए अंदर दाखिल हुई। उसे देख अपुन चौंक गया। मन ही मन सोचा कि इस लौड़ी को तो भूल ही गयला था अपुन। इसे तो अब सारी रात अपुन के साथ ही रूम में रहना है लौड़ा।



Aaj ke liye itna hi bhai log.. :cool:
Read & enjoy
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