Dhakad boy
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Jabardast update BhaiUpdate ~ 03
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Apun (Real me):- Kaisi chahat?
Sadhna di:- Wo...wo mujhe ek baar tumhare hotho ko choomna hai. Please...itna to kar lene do mujhe.
Apun to ye sun ke gaand tak shock ho gaya lauda. Pahli baar apun ko realise hua ki ye laudi to sach me apun se love karti hai, tabhi to itni feelings ke sath aisi maang kar reli hai. Par apun ab confusion me aa gayla tha ki uski ye khwaish pure kare ki nahi?
Ab aage...
अपुन भारी असमंजस में था।
साधना दी उम्मीद भरी नजरों से अपुन को देखे जा रेली थीं। वैसे मन तो अपुन का भी कर रेला था कि उनके गुलाबी होठों को मुंह में भर के चूसे मगर अपुन ये सोच के डर रेला था कि कहीं वो लौड़ी अपुन को और चीज़ों के लिए मजबूर न करने लगें। मतलब कि─प्यार व्यार और शादी वादी लौड़ा।
साधना दी─ इतना क्या सोच रहे हो? एक बार चूम लेने दो न अपने होठों को। उसके बाद कभी तुमसे कुछ नहीं मांगूंगी। क्या तुम मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते?
अपुन─ ठीक है, लेकिन अपुन को कभी किसी प्यार व्यार वाले रिश्ते में नहीं फांसना।
साधना दी─ जब तुम मेरे बारे में ऐसा सोचते ही नहीं तो मैं भी तुम्हें इसके लिए कभी मजबूर नहीं करूंगी..लेकिन..।
अपुन─ लेकिन??
साधना दी─ मुझे कभी इग्नोर मत करना और ना ही मुझसे बात करना बंद करना।
अपुन─ ठीक है।
साधना दी─ अब चूम लूं न तुम्हारे होठों को?
अपुन तो खुद ही यही चाहता था लौड़ा। बस थोड़ा संतुष्ट हो जाना चाहता था कि बाद में कोई लफड़े वाली बात न हो। साधना दी अपुन को ही देख रेली थीं। अपुन ने पलकें झपका कर उन्हें होठ चूमने की इजाज़त दे दी।
इजाज़त मिलते ही उनके चेहरे पर खुशी के भाव उभर आए और फिर वो एकदम से जैसे अपुन पर झपट ही पड़ी लौड़ी। बोले तो अपुन को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वो इतनी बेसब्री दिखाएंगी। उन्होंने अपने दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ा और फिर पूरी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमने लगीं।
पहले तो अपुन को लगा था कि वो बस अपुन के होठ चूम के हट जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ लौड़ा। बोले तो पहले उन्होंने पुच्च पुच्च कर के दो तीन बार जल्दी जल्दी चूमा और फिर एकदम से अपुन के होठों को अपने मुंह में ही भर लिया।
अपुन को तो बड़े ज़ोर का झटका लगा लौड़ा। पूरे शरीर में करेंट दौड़ गया बेटीचोद। यहां तक कि अपुन का 12 इंच का लौड़ा एक झटके में सिर उठा लिया।
वो लौड़ी मजे से अपुन के होठ चूसे जा रेली थी। अपुन एकदम बुत बन गया था लेकिन जल्दी ही अपुन होश में आया। दिमाग़ में एक ही खयाल आया कि बेटीचोद जब वो खुद ही ऐसा कर रेली है तो अपुन क्यों गधा बन के चुप खड़ा रहे?
बस, फिर अपुन सब कुछ भूल गया और साधना दी को पकड़ कर अपुन भी उनके होठों को मुंह में भर के चूसना शुरू कर दिया। अपुन की इस हरकत से पहले तो वो चौंकीं लेकिन फिर दोगुने जोश के साथ अपुन को चूमने चाटने लगी।
बेटीचोद क्या होठ थे लौड़ी के। बोले तो एकदम सॉफ्ट और मीठे। अपुन कभी उसके निचले होठ को मुंह में भर लेता तो कभी ऊपर वाले को। लौड़ा, दो मिनट के अंदर ही अपुन की हालत खराब हो गई। अपुन का लौड़ा बहिनचोद पूरे आकार में खड़ा हो गएला था और साधना दी की नाभी के पास कुर्ते के ऊपर से चुभने लगा था। उधर वो तो लौड़ी मस्ती में चूसे ही जा रेली थी अपुन के होठों को।
कुछ ही देर में अपन दोनों की सांसें फूलने लगीं मगर वो लौड़ी अपुन से अलग ही नहीं हो रेली थी। अपुन समझ गया कि साधना दी जोश जोश में अब गरम भी हो गईली है। तभी तो लौड़ी का जोश बढ़ता ही जा रेला है। अपुन ने सोचा जब इतना हो ही रेला है तो थोड़ा और आगे बढ़ जाते हैं लौड़ा।
अपुन ने अपना एक हाथ उसके चेहरे से हटाया और नीचे खिसका कर कुर्ते के ऊपर से ही उनकी राइट चूची पर रख दिया और सिर्फ रखा ही नहीं बल्कि जोश में उसे दबा भी दिया लौड़ा। अपुन के ऐसा करते ही साधना दी को एकदम से झटका लगा और उनको होश आया। उन्होंने फ़ौरन ही अपना एक हाथ अपुन के उस हाथ के ऊपर रखा और फिर झट से अपुन के हाथ को हटा के अपुन से थोड़ा दूर हो खड़ी गई।
अपुन को भी एकदम से होश आया और अपुन उनकी तरफ देखने लगा। साधना दी का पूरा चेहरा गुलाबी गुलाबी हो गयला था। आंखों में मदहोशी का नशा साफ दिख रेला था। उन्होंने गहरी गहरी सांस लेते हुए अपुन को कुछ पलों तक देखा और फिर एकदम से शर्मा कर चेहरा झुका लिया।
साधना दी─ ये...ये तुम क्या करने लगे थे विराट?
अपुन─ सॉरी दी, अपुन को पताइच नहीं चला कब अपुन का हाथ आपके बू...अपुन का मतलब है कि आपके सीने पर चला गया...सॉरी।
साधना दी कुछ न बोली। उनके चेहरे पर अभी भी शर्म की लाली थी और वो अभी भी गहरी गहरी सांसें ले रेली थी। बार बार सिर उठा कर अपुन को देखती पर अपुन से नज़रें नहीं मिला पा रेली थीं।
अपुन ये देख कर थोड़ा खुश हुआ कि अपुन के द्वारा दूध दबाए जाने पर वो अपुन पर गुस्सा नहीं हुई है।
अपुन─ वैसे आपने अपुन के साथ नाइंसाफी की है दी।
साधना दी─ न..ना इंसाफी?? वो कैसे?
अपुन─ आपने बोला था कि आप सिर्फ एक बार अपुन के होठ चूमना चाहती हैं जबकि आपने तो बार बार चूमा और फिर मुंह में भर के चूसना ही शुरू कर दिया। अपुन तो एकदम से शॉक ही रह गयला था। फिर जब अंजाने में अपुन ने आपके बू...मतलब कि आपके ब्रेस्ट पर हाथ रख के थोड़ा दबा दिया तो आपने झट से अपुन का हाथ उसमें से हटा दिया और अपुन से दूर भी खड़ी हो गई। अब आप ही बताओ, आपने ऐसा कर के अपुन के साथ इंसाफ किया या नाइंसाफी की? मतलब कि आपने तो अपने मन का जो किया वो जी भर के किया और अपुन ने गलती से आपका वो दबा दिया तो अपुन का हाथ ही हटा दिया?
साधना दी अपुन की ये बात सुन के पहले तो शॉक हुईं फिर एकदम से शर्माने लगीं। अपुन समझ गया कि लौड़ी अपुन से नाराज़ नहीं है और कहीं न कहीं उसे भी अच्छा लगा होगा तभी तो ऐसे शर्मा रेली है।
अपुन─ समझ गया अपुन। दुनिया में सब लोग सिर्फ अपना ही फायदा देखते हैं। आपने भी ऐसा ही किया। कोई बात नहीं, जा रेला है अपुन।
साधना दी─ वि..विराट ऐसा मत कहो प्लीज। मैंने कोई फायदा नहीं देखा है अपना। वो तो....वो तो जब मैं तुम्हारे होठ चूमने लगी तो पता नहीं कैसे मैं अपने होश ही गंवाती चली गई थी। फिर मुझे पता ही नहीं चला कि मैं क्या करती चली गई। पता तो तब चला जब तुमने मेरे बू...मतलब मेरे उसको द..दबाया।
अपुन─ वो तो अंजाने में अपुन का हाथ आपके ब्रेस्ट पर चला गया था दी। अपुन ने जान बूझ के नहीं किया था पर अब अगर अपुन आपसे ये कहे कि अपुन की भी इच्छा आपके ब्रेस्ट दबाने की है तो क्या आप मना करेंगी?
साधना दी अपुन को आश्चर्य से देखने लगीं। अपुन भी लौड़ा घबराने लगा कि कहीं अपुन की इस बात से वो लौड़ी नाराज़ न हो जाए।
साधना दी─ य..ये तुम क्या कह रहे हो विराट? ये...ये तो ग़लत है न? क्या सच में तुम ये चाहते हो?
अपुन─ गलत तो आपका अपुन के होठ चूमना चाटना भी था दी लेकिन फिर भी आपने ऐसा किया कि नहीं? और अब जब अपुन अपनी इच्छा से एक बार आपके बू...मतलब कि ब्रेस्ट दबाने को बोल रेला है तो आपको ये गलत लग रेला है?
साधना दी भारी असमंजस में फंस गईली थी। इतना तो उनको भी समझ आ गया था कि जो उन्होंने किया वो भी तो गलत ही था। यानि उसको प्यार का नाम दे कर सही नहीं ठहराया जा सकता था। वहीं अब जब अपुन भी उनके जैसे कुछ करने की इच्छा जता रेला था तो वो उसे गलत बोल रेली थीं।
साधना दी─ स...समझने की कोशिश करो विराट। होठों पर किस करने की बात अलग होती है लेकिन वहां पर हाथ लगाना अलग होता है।
अपुन─ ठीक है। अगर आपको सच में ऐसा लगता है तो यही सही। अच्छा अब जा रेला है अपुन।
सच तो ये था कि अपुन को उनकी ये बात सुन के गुस्सा ही आ गयला था बेटीचोद। खुद तो लौड़ी ने अपुन के होठों को दबा दबा के चूस लिया था और अब जब अपुन उसके दूध दबाने की इच्छा कर रेला था तो लौड़ी सही गलत का ज्ञान चोद रेली थी।
अपुन ने एक झटके से कुंडी सरकाई और दरवाजा खोल के बाहर निकल गया। पीछे से साधना ने अपुन को रुक जाने के लिए आवाज़ भी दी लेकिन अपुन न रुका। बोले तो भेजा खिसक गयला था अपुन का।
थोड़ी ही देर में अपुन बाइक में बैठ के निकल लिया वहां से। मन में गुस्सा तो बहुत था लेकिन क्या कर सकता था अपुन। जल्दी ही अपुन घर पहुंच गया।
डोर बेल बजाने पर सीमा ने दरवाजा खोला। अपुन ने एक नज़र उसे देखा और सीधा अंदर चला गया। बेटीचोद, अभी भी मूड खराब था अपुन का। सीढ़ियों के पास पहुंचा ही था कि सीमा की आवाज कानों में पड़ी।
सीमा─ खाना लगा दूं बाबू?
अपुन का भेजा खिसका हुआ तो था लेकिन फिर सोचा कि इसमें इस लौड़ी का भला क्या दोष? वैसे भी लंच तो करना ही था क्योंकि अब भूख समझ में आ रेली थी। इस लिए अपुन ने सीमा को खाना लगाने के लिए हां कहा और ऊपर चला गया।
कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ तो देखा विधी बेड पर बैठी मोबाइल से सेल्फी ले रही थी थी।
उसे अपने रूम में देख अपुन तो चौंक ही गया लौड़ा। सोचा, ये लौड़ी तो रात में सोने को बोली थी फिर अभी से क्यों अपुन के कमरे में है? उधर अपुन को आया देख उसके होठों पर गहरी मुस्कान उभर आई। मोबाइल को झट से एक तरफ रख वो उठ के बैठ गई।
विधी (खुशी से)─ वो क्या है ना, मैंने सोचा रात होने का वेट क्यों करूं इस लिए अभी से तेरे रूम में आ जाती हूं...हां नहीं तो।
अपुन (उसे घूर कर)─ तूने लंच किया कि नहीं?
विधी─ कहां किया, तेरा इंतज़ार कर रही थी। तुझे मैसेज भी किया था पर तूने कोई रिप्लाई ही नहीं दिया। वैसे तो बड़ा कहता है कि मैं तेरी जान हूं लेकिन मेरे मैसेज का रिप्लाई तक नहीं दिया। भुलक्कड़ कहीं का...हां नहीं तो।
अपुन अब उसे कैसे बताता कि अपुन को मोबाइल देखने का समय ही कहां मिला था लौड़ा? अपुन तो आज अलग ही खेल खेल रेला था। ये अलग बात है कि लास्ट टाइम में अपुन का मूड फ्राई हो गयला था।
अपुन─ सॉरी यार, अपुन ने मोबाइल देखा ही नहीं वरना क्या अपुन अपनी जान को रिप्लाई न देता? (अब मस्का तो लगाना ही था अपुन को, मजबूरी थी लौड़ा)
विधी─ चल अब बातें न बना। मुझे बड़े जोर की भूख लगी है। जल्दी चल और अपने हाथ से खिला मुझे वरना नाराज़ हो जाऊंगी तुझसे, हां नहीं तो।
एक तो वैसे ही अपुन का भेजा थोड़ा खिसका हुआ था ऊपर से ये लौड़ी इस तरह का नाटक कर रेली थी। मन तो किया कि कान के नीचे एक कंटाप लगा दे अपुन लेकिन फिर सोचा अगर ऐसा किया तो लौड़ा एक नई मुसीबत हो जाएगी।
ये सोच के अपुन ने जबरदस्ती अपुन के होठों पर मुस्कान फैलाई और उसे देखा ताकि लौड़ी को यही लगे कि अपुन उसे खिलाने के लिए रेडी है।
अपुन की मुस्कान काम कर गई लौड़ा, क्योंकि वो खुश हो गई, होती भी कैसे नहीं? लौड़ी यहीच सोच रेली होगी कि कैसे वो अपुन से हर बात मनवा लेती है।
ख़ैर अपुन ने फटाफट कपड़े बदले और लोअर के ऊपर एक टी शर्ट डाल ली। शीशे के सामने खड़े हो कर थोड़ा बालों को ठीक किया।
विधी─ अरे! हैंडसम लग रहा है तू, और कितना बाल बनाएगा?
अपुन─ हां हैंडसम तो है अपुन, बोले तो एकदम झक्कास लगता है अपुन।
विधी (हंसते हुए)─ देखो तो, अपनी तारीफ खुद ही कर रहा है।
अपुन ने पलट कर उसे घूरा तो उसकी हंसी बंद हो गई।
अपुन─ अब भूख नहीं लगी तुझे?
विधी─ अरे! बहुत तेज लगी है भाई, चल ना जल्दी वरना चूहे मेरी अंतड़ियां ही खा जाएंगे, हां नहीं तो।
अपन दोनों नीचे डायनिंग हॉल में आए और अगल बगल से कुर्सी में बैठ गए। सीमा ने हम दोनों के सामने थाली सजा के रख दी। अपुन ने आव देखा न ताव झट खाना शुरू कर दिया जबकि विधी चुप बैठी रही। जब उसने देखा कि अपुन तो खाने पर टूट ही पड़ा है और उसे खिला नहीं रहा तो वो एकदम से चीख पड़ी।
उसकी चीख सुन अपुन उछल ही पड़ा लौड़ा। उसकी तरफ देखा तो वो गुस्से से अपुन को देखे जा रेली थी। पहले तो अपुन को समझ में ही न आया कि लौड़ी चीखी क्यों लेकिन फिर दिमाग की बत्ती जल उठी कि लौड़ा इसने तो अपुन को खुद खिलाने को बोला था। अपुन ने झट से अपने कान पकड़ लिए और उसे सॉरी का रिएक्शन दिया।
वो लौड़ी तब भी गुस्से से देखे जा रेली थी। अपुन ने झट से उसकी थाली से रोटी का एक टुकड़ा तोड़ा और दाल में डुबा कर उसके मुंह की तरफ बढ़ा दिया। उसने अपुन को घूरते हुए मुंह खोला तो अपुन ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया।
अपुन─ तुझे नहीं लगता कि तू कुछ ज़्यादा ही फायदा उठा रेली है?
विधी─ क..क्या मतलब??
अपुन─ मतलब ये कि अपुन की नरमी का तू कुछ ज़्यादा ही फायदा नहीं उठा रही? कुछ ज़्यादा ही नखरे नहीं कर रही तू?
विधी─ हां तो? अब गलती करेगा तो गुस्सा तो करूंगी न? और तेरी जान हूं तो नखरा भी दिखाऊंगी न, हां नहीं तो।
अपुन─ फिर तो बड़ी मतलबी है तू।
विधी─ कैसे?
अपुन─ खुद तो तू ये चाहती है कि अपुन तेरे नखरे सहे पर तू ये नहीं सोचती कि अपुन भी तो तुझसे कुछ उम्मीद करता होगा?
विधी निवाला चबाना बंद कर के अपुन को ध्यान से देखने लगी। शायद समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के ऐसा कहने का आखिर क्या मतलब है?
विधी─ तू क्या कह रहा है मुझे कुछ समझ नहीं आया।
अपुन─ आदमी को समझ में तब आता है जब वो अपने अलावा भी किसी और के बारे में सोचे। खैर जाने दे, चल अब जल्दी जल्दी खा।
विधी बड़ी उलझन में दिख रेली थी लेकिन बोली कुछ नहीं। ख़ैर थोड़ी देर में अपन लोग खा चुके तो दोनों हाथ धो कर रूम में आ गए। विधी अपने रूम में न गई बल्कि वो अपुन के पीछे पीछे अपुन के ही रूम में आ गई।
अपुन─ अरे! तू अपुन के पीछे यहां क्यों आ गईली है? अपने रूम में जा, अपुन को आराम करने का है अब।
विधी─ हां तो तू आराम कर न। मैंने कब आराम करने से रोका तुझे, हां नहीं तो।
अपुन─ अरे! अपुन अकेले बेड पर लेट कर आराम करेगा। तू साथ रहेगी तो अपुन के आराम में खलल पड़ेगा।
विधी─ अरे! ऐसे कैसे खलल पड़ेगा भला? मैं क्या तुझे आराम करने से रोकूंगी?
अपुन─ रोकेगी नहीं लेकिन जब अपुन अपने बेड पर किसी लड़की को लेटा देखेगा तो अपुन को ठीक से नींद ही नहीं आएगी। दूसरी बात, अपुन जब बेड में अकेला सोता है तो बहुत अजीब तरह से सोता है। मतलब कि अपुन पूरे बेड में इधर से उधर घूमता रहता है। ऐसे में अगर तू यहां लेटेगी तो तुझे बहुत प्रॉब्लम होगी, समझ बात को।
विधी हैरानी से देखने लगी अपुन को।
विधी─ इसका मतलब तू रात में भी मुझको अपने साथ यहां सोने नहीं देगा?
अपुन─ रात में सोने देगा क्योंकि ऐसा अपुन ने पहले ही तुझसे प्रॉमिस कर दिएला है।
विधी─ हां तो क्या रात में तू अजीब तरह से नहीं सोएगा? तब क्या तेरे ऐसे सोने से मुझे प्रॉब्लम नहीं होगी?
अपुन─ प्रॉब्लम तो होगी लेकिन तब अपुन को टेंशन नहीं रहेगा क्योंकि तब अपुन यही सोचेगा कि अपुन के साथ सोने के लिए तो तू ही ज़िद कर रेली थी। इस लिए अब जो भी प्रॉब्लम आएगी तुझे झेलना ही पड़ेगा।
विधी─ कितना गंदा है तू। वैसे तो कहता है कि मैं तेरी जान हूं और अब मेरी कोई फिक्र ही नहीं है तुझे। जा रही हूं मैं, नहीं सोना मुझे तेरे साथ। आज के बाद बात भी नहीं करूंगी तुझसे, हां नहीं तो।
अपुन ने ऊपर ऊपर से उसे रुकने को कहा लेकिन वो न रुकी और चली गई। शायद सच में गुस्सा हो गईली थी। अपुन भी ये सोच के उसे मनाने नहीं उठा कि बाद में तो मना ही लेगा उसे।
असल में अपुन सच में इस वक्त अकेला रहना चाहता था और साधना दी के साथ आज जो हुआ उसके बारे में ठीक से सोचना चाहता था। विधी के रहते अपुन कुछ सोच ही न पाता, उल्टा उसकी बक बक से ही परेशान हो जाता लौड़ा।
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बेड पर लेटा अपुन काफी देर से साधना दी के बारे में सोच रेला था। अपुन सोच रेला था कि साधना दी सच में शायद अपुन से सच्चा वाला प्यार कर रेली हैं। तभी तो इतना जल्दी अपनी मां को बता देने का बोल रेली थीं और तो और शादी करने की बात भी बोल रेली थीं लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि अच्छा हुआ अपुन समय रहते उनको साफ मना कर दिया था वरना आगे चल कर वो अपुन के गले भी पड़ सकती थी लौड़ी।
फिर उसके बाद जो उसने किया और जो अपुन से भी हुआ वो तो लौड़ा सोचा ही नहीं था अपुन ने। अपुन को याद आया कि कैसे वो अपुन के होठ चूसे जा रेली थी और अपुन भी उसके रसीले होठ चूस रेला था। फिर अपुन को याद आया कि अपुन ने उसका एक दूध दबाया था पर लौड़ी ने जल्दी ही अपुन के हाथ को अपने दूध से हटा दिया था और अपुन से दूर भी हो गईली थी।
ये बात सोचते ही अपुन का दिमाग फिर से खराब होने लगा लौड़ा। अपुन ने सोचा, खुद तो मजे से अपुन के होठ चूस रेली थी लौड़ी और जब अपुन ने उसके दूध को दबाया तो अपुन का हाथ ही हटा दिया। हट लौड़ी, अब तो बात ही नहीं करेगा अपुन इससे।
अपुन ने अपने दिमाग से ये सारी बातें झटक दी और अब सोने की कोशिश करने लगा। तभी अपुन ने महसूस किया कि लौड़ा कुछ भिनभिना रेला है। अपुन ने दिमाग पर ज़ोर दिया तो समझ आया कि लौड़ा ये तो अपुन का मोबाइल है जो भिनभिना रेला है।
अपुन झट से उठा और पेंट की जेब से मोबाइल निकाला। स्क्रीन पर नज़र पड़ी तो देखा साधना दी का कॉल आ रेला था। ये देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी क्यों अपुन को कॉल कर रेली है? ज़रूर सॉरी बोलने के लिए अपुन को कॉल कर रेली है पर अपुन लौड़ा माफ नहीं करेगा, हां नहीं तो। (अबे, ये तो विधी का तकिया कलाम है। अपुन के मन में कैसे आ गया लौड़ा? लगता है एक ही दिन के साथ में अपुन पर उसका असर हो गएला है लौड़ा।)
ख़ैर अपुन ने साधना दी का कॉल नहीं उठाया और मोबाइल ले कर बेड पर आ गया। अपुन सोचने लगा कि अगर वो अपुन से सॉरी बोलेगी तो अपुन को उससे क्या बोलना चाहिए? मतलब कि सॉरी के बदले कोई न कोई डिमांड तो अपुन को उससे करना ही चाहिए। क्या पता वो मान लें और अपुन की निकल पड़े?
अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी फिर से साधना दी का कॉल आने लगा और अपुन का मोबाइल भिनभिनाने लगा। कॉल दुबारा आया देख अपुन का दिल धक धक करने लगा था लौड़ा। कुछ इस लिए भी क्योंकि अपुन के मन में अलग ही लौड़ा लहसुन चल रेला था। पर इस बार अपुन ने कॉल उठा लेना ही ठीक समझा वरना क्या पता तीसरी बार वो कॉल ही न करे।
ये सोच कर अपुन ने कॉल रिसीव कर लिया और मोबाइल कान से लगा लिया। फिर एकदम से अपुन को खयाल आया कि अपुन को थोड़ा गुस्सा दिखाना होगा तभी तो वो लौड़ी मिन्नतें भी करेगी अपुन से बात करने के वास्ते।
अपुन─ अब क्या है? किस लिए फोन कर रही हो आप?
साधना दी─ ओह! शुक्र है कि तुमने फ़ोन उठा लिया। क्यों मेरी हालत खराब करने पर तुले हो? कब से कॉल कर रही थी तुम्हें पर तुम मेरा कॉल ही नहीं उठा रहे थे। क्या बहुत गुस्सा हो गए हो मुझसे?
अपुन समझ गया कि मामला अपुन के फेवर में ही है लौड़ा। मतलब कि अगर अपुन जवाब में ये बोले कि हां अपुन बहुत गुस्सा है तो शायद वो अपुन को मनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए लौड़ी।
अपुन─ आपको अपुन के गुस्से से क्या? आपको तो सिर्फ अपना देखना था और अपने फायदे से मतलब था।
साधना दी─ प्लीज ऐसा मत कहो। मुझे समझ आ गया है कि मेरी गलती थी। मैंने जो इच्छा की वो तुमने मुझे दी पर तुमने जो इच्छा की वो मैं नहीं कर सकी। हां विराट, तुम्हारे इस तरह जाने के बाद जब मैंने इस बारे में सोचा तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी तेरी इच्छा पूरी करनी चाहिए थी।
बेटीचोद, ये तो सच में कमाल हो गया लौड़ा। मतलब कि अपुन का गुस्सा होना काम कर गया। तभी तो वो अपुन को मनाने के लिए ऐसा बोल रेली है और मान भी चुकी है कि उसे अपुन की इच्छा पूरी करनी चाहिए थी।
अपुन─ अब एहसास होने का क्या फ़ायदा? आपको तो अब भी अपुन की इच्छा से कोई मतलब नहीं है।
साधना दी─ नहीं नहीं विराट, ऐसा नहीं है कसम से। अगर तुम्हारी इच्छा मेरे उनको दबाने की ही है तो मैं अब तुम्हें नहीं रोकूंगी। बस तुम गुस्सा मत होना मुझसे।
अपुन खुश तो हुआ पर इतना जल्दी मानना नहीं था अपुन को वरना वो यही समझती कि अपुन मान जाने के लिए तैयार ही बैठा था लौड़ा। इस लिए अपुन ने थोड़ा और सताने का सोचा।
अपुन─ अपुन की नाराजगी इतना जल्दी खत्म नहीं होगी। आपने तो सिर्फ एक बार अपुन के होठों पर किस करने को बोला था पर आपने एक बार नहीं बल्कि बार बार किस किया और फिर जी भर के अपुन के होठों को चूस भी लिया पर जब अपुन ने थोड़ा सा आपके ब्रेस्ट को दबा दिया तो आपने झट से अपुन का हाथ हटा दिया वहां से। मतलब आपने जो किया वो सही था और अपुन ने जो किया वो आपकी नजर में गलत हो गया?
साधना दी─ माफ़ कर दो न मुझे। मानती हूं कि मैंने तुम्हें रोक कर गलत किया था लेकिन अब नहीं रोकूंगी तुम्हें। प्लीज मान जाओ न। क्यों अपनी दी को इतना सता रहे हो? तुम्हें पता है, जब से तुम गुस्सा हो के गए हो तब से टेंशन में बैठी हूं। रोई भी हूं और खाना भी नहीं खाई।
ये क्या बोल रेली है लौड़ी। अपुन तो शॉक ही हो गया लौड़ा। लड़कियों का भी बेटीचोद अलग ही हिसाब किताब रहता है। इनका भेद शायद ही कोई जान पाए। ख़ैर अब क्योंकि वो अपुन की वजह से टेंशन में थी और अभी तक खाना भी नहीं खाई थी इस लिए अपुन को थोड़ा नर्म तो होना ही चाहिए वरना मामला बनने की जगह बिगड़ भी जाएगा।
अपुन─ अरे! ये क्या बोल रेली हो आप? खाना क्यों नहीं खाया आपने?
साधना दी─ तुम मेरी वजह से गुस्सा हो के चले गए तो मेरी हालत ही खराब हो गई थी। ऊपर से तुम मेरा फोन भी नहीं उठा रहे थे। मैं इतना हताश हो गई थी कि बस जोर जोर से रोने का मन कर रहा था। ऐसे में खाना खाने का कैसे होश रहता मुझे?
बात तो सही थी लौड़ा। अपुन को सच में एहसास हुआ कि अपुन नाहक ही गुस्सा हो के आया था वहां से। बेटीचोद, सोचना चाहिए था अपुन को कि अभी नहीं तो कल वो अपुन को कुछ करने से नहीं रोकेगी। खैर, अपुन ने सोचा कि अब गुस्सा थूक कर उसे रिलैक्स कर देना चाहिए।
अपुन─ ओके फाईन, अब आप रिलैक्स हो जाओ और खाना खा लो।
साधना दी─ कैसे रिलैक्स हो जाऊं? तुम जो गुस्से में चले गए हो।
अपुन─ कोई बात नहीं। अब अपुन गुस्सा नहीं है। चलो जाओ, खाना खा लो आप।
साधना दी─ मैं कैसे मान लूं कि तुम अब गुस्सा नहीं हो?
अपुन─ तो फिर कैसे मानोगी आप?
साधना दी─ अगर तुम मेरे कहने पर अभी मेरे घर आ जाओगे तो मान लूंगी। प्लीज, आ जाओ न।
अपुन तो लौड़ा फिर से शॉक हो गया। अपुन सोचने लगा कि आज इस लौड़ी को हो क्या गयला है? कहीं अपुन को इस टाइम दुबारा घर बुला कर कोई लफड़ा तो न कर देगी? अगर ऐसा हुआ तो लौड़ा अपुन के तो लौड़े ही लग जाएंगे।
साधना दी─ प्लीज मान जाओ न। मेरे खातिर एक बार घर आ जाओ। मुझे इस वक्त कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा।
अपुन ने सोचा एक बार जा के देख ही लेना चाहिए लौड़ा। क्या पता सच में उसकी हालत खराब ही हो और अपुन बेकार ही किसी लफड़े का सोच रेला है।
अपुन─ अच्छा ठीक है आ रेला है अपुन।
साधना दी (खुश हो कर)─ थैंक यू...थैंक यू सो मच माई डियर..माई लव। प्लीज जल्दी से आ जाओ।
जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।
मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।
To be continued....
Ab se har update hindi/devnagari me hi aayega. Hinglish/roman me apan ko maza nahi aa rela hai.
Well, aaj ke liye itna hi bhai....
ThanksRomanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
ThanksNice update....
ThanksMast update sir ji
ThanksNice update
ThanksBahut hi badhiya update diya hai The_InnoCent bhai....
Nice and beautiful update....
Hidden talent open talent ban gaya,
InnoCent bhi bahut kuch sikh gaya;
Suna tha dhoka hi shayari sikhata hey,
Woh kaunsa beiman hey jisne isko pel diya?
ThanksOne more interesting update.
Sadhana ki sadhana safal huyi finally kuch had tak.
Take a bow for your writing skill.!
ThanksNice update
ThanksBhai mast update
Ab aage dekte hai ki sadhana ke ghar par kya hota hai
ThanksJabardast update Bhai
Super hot n erotic updateUpdate ~ 04
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जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।
मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।
अब आगे....
उस वक्त दोपहर के दो बज रेले थे जब अपुन अमित के घर पहुंचा। वैसे तो अपुन के मन में थोड़ा डर था लेकिन सोच लिया था कि अब जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।
अपुन ने दरवाजे को खटखटाने के लिए हाथ रखा ही था कि तभी दरवाजा खुल गया। अपुन के सामने दरवाजे के बीचों बीच साधना दी खड़ी नजर आईं। अपुन पर नजर पड़ते ही उनका चेहरा खुशी से खिल उठा।
साधना दी─ ओह! विराट तुम सच में आ गए। मैं बता नहीं सकती कि तुम्हें फिर से देख कितना खुश हो गई हूं मैं। प्लीज अंदर आओ न।
अपुन चुपचाप अंदर दाखिल हुआ तो उन्होंने झट से दरवाजा बंद कर दिया। इधर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफ़िक तेज़ हो गईलीं थी। मन में यही चलने लगा था कि अब क्या होगा, क्या नहीं होगा?
अपुन ड्राइंग रूम में पहुंचा ही था साधना दी भाग के आईं और एकदम से अपुन के गले लग गईं। अपुन तो अचानक हुई इस हरकत से थर्रा ही गया लौड़ा पर बोला कुछ नहीं और न ही उन्हें खुद से अलग किया।
साधना दी─ प्लीज, अब कभी इस तरह गुस्सा मत होना। तुम जो कहोगे वो करूंगी मैं।
अपुन को तो लौड़ा समझ में ही न आया कि क्या बोले? मतलब कि सब कुछ इतना जल्दी जल्दी हो रेला था कि अपुन को कुछ सूझ ही नहीं रहा था लौड़ा। उधर साधना दी अपुन से अलग हुईं और फिर बढ़ी मोहब्बत से देखने लगीं।
साधना दी─ उफ्फ! मेरा मन कर रहा है कि मैं फिर से तुम्हारे होठों को चूमने चूसने लगूं लेकिन डरती हूं कि कहीं तुम फिर से न नाराज़ हो जाओ।
अपुन सच कह रेला है, इस टाइम वो अपुन को बहुत ही प्यारी और मासूम लग रेली थी। मन तो अपुन का भी करने लगा कि लपक के उसके होठों को मुंह में भर ले लेकिन अपुन अभी खुद को रोके रखना चाहता था।
अपुन─ हां अपने ही मन का तो करोगी आप।
साधना दी─ नहीं नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगी। तुम्हें जो करना है कर लो।
अपुन को उनकी बात सुन के थोड़ा शॉक लगा पर मन ही मन खुश भी हुआ कि अब मजा आएगा। अपुन ने देखा वो मासूमियत से अपुन को ही देखे जा रेलीं थी। फिर एकदम से शर्मा कर उसने अपनी नजरें फेर लीं।
उनकी सांसें एकाएक ही तेज चलने लगीं थी। शायद वो यही सोच रेली थीं कि उनके कहने के बाद अब अपुन उनकी चूची दबाना शुरू कर देगा। यही सोच के शायद उनकी सांसें तेज हो गईं थी।
अपुन थोड़ा झिझकते हुए आगे बढ़ा और दोनों हाथों से उनके चेहरे को थाम लिया। असल में अपुन को डायरेक्ट उनके बूब्स पर हाथ रखने में झिझक हो रेली थी इस लिए अपुन ने उनके चेहरे को थाम कर पहले उनके होठों का रस पीने का ही सोचा।
जैसे ही अपुन ने उनके चेहरे को थामा तो उनके जिस्म में हल्का सा कंपन हुआ। वो अब अपुन की आंखों में देखने लगीं। इधर चेहरा थाम कर जैसे ही अपुन ने अपना चेहरा उनके होठों की तरफ बढ़ाया तो उनकी आँखें बंद होती चली गईं।
अगले ही पल अपुन ने उनके सॉफ्ट और मीठे होठों को पहले हल्के से चूमा फिर उनके निचले होठ को मुंह में भर लिया। लौड़ा, ऐसा करते ही अपुन के जिस्म में अलग ही सनसनी होने लगी। उस सनसनी से अपुन के अंदर जोश चढ़ा तो अपुन अब थोड़ा बेसब्र सा हो कर उनके होठों को चूसने लगा।
पहले तो वो बुत सी ही बनी खड़ी रहीं लेकिन थोड़े ही पलों में वो भी अपुन का साथ देने लगीं। बोले तो अपन दोनों ही अब एक दूसरे के होठों को चूसने लगे थे।
देखते ही देखते अपन दोनों के अंदर हवस का तूफ़ान शुरू हो गया। अपुन तो जैसे अलग ही दुनिया में पहुंच गया था लौड़ा। साधना दी के होठ मीठे भी थे और नशीले भी, तभी तो अपुन के अंदर मदहोशी छाती चली जा रेली थी।
तभी अपुन ने अपना एक हाथ नीचे खिसकाया और साधना दी के उसी राइट बूब को थाम कर दबाया जिसे पहले दबाया था। चूची दबाए जाने से साधना दी को थोड़ा झटका लगा पर इस बार उन्होंने अपुन का हाथ नहीं हटाया। इधर अपुन को उनकी चूची दबाने में काफी मज़ा महसूस हुआ तो अपुन अब जोर जोर से उनकी उस चूची को दबाना शुरू कर दिया जिससे साधना दी की सिसकियां अपुन के मुंह में ही निकल कर दबने लगीं।
एक तरफ अपुन उनकी चूची दबाने में लग गयला था तो दूसरी तरफ उनके होठ चूसने में। साधना दी अब अपुन के होठ नहीं चूम रहीं थी बल्कि आहें भर रहीं थी। उनके मुंह से सिसकियां निकल रेलीं थी। जब जब अपुन उनकी चूची को जोर से मसलता तो वो ऐंठ सी जातीं और उनके मुख से सिसकी निकल जाती।
अपुन (मदहोशी में)─ ओह! दी कितने मीठे होंठ हैं आपके। मन करता है इसी तरह चूसता रहे अपुन।
साधना दी (सिसकी ले कर)─ शश्श्श्श थ...थो...थोड़ा ध..धीरे दबाओ वि..रा..ट। द..दर्द होता है।"
साधना दी की ये बात अपुन के कान में ऐसे पहुंची जैसे बहुत दूर से आई हो। अपुन को एकदम से थोड़ा होश आया तो अपुन को भी समझ आया कि लौड़ा अपुन जोश जोश में कुछ ज़्यादा ही जोर से उनकी चूची को दबाए जा रेला है।
अपुन─ सॉरी दी।
साधना दी─ क..कोई बा...त नहीं शश्श्श्श।
अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा अपुन तो उनकी एक ही चूची को इतनी देर से दबाए जा रेला है। ऐसा सोच अपुन ने दूसरी चूची को झट से पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया। साधना दी बड़े जोरो से छटपटा रहीं थी। उनकी सांसें उखड़ी हुईं थी। आँखें बंद किए बस सिसकियां ले रहीं थी।
खड़े खड़े ये सब हो रेला था और साधना दी की हालत ऐसी हो गई थी कि अब वो खुद से खड़े नहीं हो पा रेलीं थी। इस लिए अपुन को ही थामे रहना पड़ रेला था। अपुन को जब लगा कि उनको ज्यादा देर तक थामे रखना मुश्किल है तो अपुन ने उन्हें खींच कर वहीं सोफे पर बैठा लिया और खुद भी बैठ गया।
अब अपन दोनों सोफे पर अगल बगल बैठे थे लेकिन जल्दी ही अपुन उनकी तरफ घूम गया और फिर से उनके होठों को चूमते हुए उनकी चूची को दबाने लगा। साधना दी फिर से मचलने लगीं और सिसकियां लेने लगीं।
साधना दी─ आअ्ह्ह्ह शश्श्श्श वि..राट प्... प्लीज़ स...म्हालो मु..मुझे। शश्श्श्श प..पता नहीं क्या हो र...रहा है मुझे।
अपुन ने चेहरा अलग कर उनकी तरफ देखा। सच में उनकी हालत खराब दिख रेली थी। मदहोशी में डूबी थीं वो। अपुन ने पहली बार गौर किया कि इतनी देर से होठ चूसने की वजह से उनके होंठ सूझ से गए थे। चेहरा अजीब सा हो गया था। कुछ तो गरम माहौल से निकला पसीना और दूसरे अपुन दोनों का थूक।
अपुन─ दी आप ठीक तो हैं न?
अपुन की आवाज सुन साधना दी ने जैसे मुश्किल से आँखें खोली। उनकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी।
साधना दी─ रु..रुक क्यों गए? प्लीज करो न।
अपुन─ क्या करूं दी?
साधना दी─ व..वही जो कर रहे थे।
साधना दी बहुत अजीब बर्ताव करती दिख रेली थीं। अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा कहीं ये अपनी आखिरी स्टेज पर तो नहीं पहुंच गईली है? हां यही बात हो सकती है लौड़ा। मतलब कि अपुन को रुकना नहीं चाहिए।
बस, अपुन फिर से शुरू हो गया। उनको फिर से चूमने लगा लेकिन इस बार अपुन सिर्फ उनके होठ नहीं चूम रेला था बल्कि होठ के अलावा गाल, चेहरा, ठुड्ढी और गला भी चूमता जा रेला था। दूसरी तरफ अपुन बारी बारी से उनकी दोनों चूचियां भी दबाए जा रेला था।
साधना दी एक बार फिर से आहें भरने लगीं। उनका मचलना फिर से शुरू हो गया। तभी अपुन उनके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे आया। कुर्ते के डीप गले से अपुन को उनकी चूचियों के किनारे दिखे जो उभरे हुए थे और जब अपुन उन्हें दबाता तो वो और भी दिखने लगते। अपुन ने लपक कर अपने होठ उन उभारों पर रख दिए।
वाह! क्या गजब का एहसास था लौड़ा। मस्त चिकना और मुलायम लग रेला था। अपुन तो जैसे होश ही खो बैठा। उनको चूमते हुए अपुन कुर्ते के अंदर समा जाने की कोशिश करता लेकिन कुर्ते का गला एक लिमिट तक ही सरकता जिससे अपुन उनकी चूची को ठीक से चूम नहीं पा रेला था।
उधर साधना दी अपुन के सिर को अपनी चूची पर दबा रेलीं थी। शायद चूची पर चूमने चाटने से उन्हें और भी मजा मिल रेला था। अपुन ने कुछ पल सोचा और फिर एकदम से अपने दोनों हाथ नीचे ला कर उनके कुर्ते को ऊपर करता चला गया।
साधना दी को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था। अपुन ने कुर्ते को पूरा ऊपर उठा कर उनके सीने को बेपर्दा कर दिया था। अपुन ये देख के शॉक रह गया था कि कितना खूबसूरत बदन था उनका। एकदम गोरा और चिकना। कहीं कोई दाग नहीं। चिकना सपाट पेट और बीच में गहरी नाभी। उसके ऊपर ब्लैक ब्रा में कैद उनके बूब्स। अपुन तो ये देख के ही मस्त हो गया लौड़ा।
अपुन ने आव देखा न ताव साधना दी को पकड़ कर सोफे पर लिटा दिया। उसके बाद अपुन एकदम से उनके ऊपर छा गया। सबसे पहले अपुन ने उनके चिकने सपाट पेट को जी भर के चूमा, फिर उनकी नाभी को चूमते हुए अपनी जीभ नाभी में घुसा दिया। साधना दी बुरी तरह मचल रेलीं थी। उनके दोनों हाथ अपुन के सिर पर थे और वो अपुन के बाल खींच रेलीं थी।
ड्राइंग रूम में उनकी सिसकियां गूंज रहीं थी। अपुन का भी हाल कम बेहाल नहीं था लौड़ा। अपुन का लौड़ा जींस के अंदर इतना टाइट हो गयला था कि अब उसमें दर्द शुरू हो गया था।
साधना दी─ शश्श्श्श वि..विराट तु..तुम पागल कर दोगे मुझे। आह्हह्ह् शश्श्श्श इ... इसमें इतना मजा अ..आ...ता है इस...का अं..दाजा ही नहीं था..मुझे। आह्हह्ह् ये...ये क्या हो रहा है मुझे?
साधना दी पता नहीं क्या उल्टा सीधा बोले जा रेली थी। इधर अपुन उनकी नाभी से ऊपर आया और ब्रा के ऊपर से ही एक हाथ से उनके राइट बूब को पकड़ कर हौले हौले दबाना शुरू कर दिया जबकि अपना चेहरा अपुन ने उनके दोनों बूब्स के बीच जो हल्की लकीर थी उसमें रख दिया। साधना दी फिर से मचल उठीं और अपुन के सिर को थाम कर अपनी चूची पर दबाने लगीं। अपुन ने महसूस किया कि नीचे वो अपनी कमर को बार बार उठा रेलीं थी। आँखें बंद किए वो अपने चेहरे को इधर उधर कर रेलीं थी।
अपुन─ आपके बूब्स कितने सुंदर हैं दी। मन करता है इन्हें ब्रा से निकाल कर पीना शुरू कर दूं।
साधना दी─ शश्श्श्श तो...तो पी लो न। आह्हह्ह् उफ्फ मैं...मैंने कहां मना किया है।
अपुन─ थैंक्यू दी। आप बहुत अच्छी हैं। आपने वो दिया अपुन को जो कोई भी लड़की इतना आसानी से नहीं दे सकती।
साधना दी─ म...मैंने इस लिए दिया क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं...शश्श्श्श आह्हह्ह् तु..तुम्हें किसी चीज़ के लिए म...मना नहीं कर सकती मैं।
अपुन─ थैंक्यू दी।
ये कहते हुए अपुन ने एकदम से उनकी एक चूची ब्रा के अंदर से निकाल ली और बिना देर किए उनके भूरे निप्पल को मुंह में भर लिया।
साधना दी─ उफ्फ शश्श्श्श वि...रा..ट।
उन्होंने बड़े जोर से अपुन के बालों को खींचा जिससे अपुन को दर्द हुआ मगर अपुन ने दर्द की परवाह नहीं की। साधना दी के बूब्स उन्हीं की तरह खूबसूरत थे। एकदम गोरे, चिकने और जवानी के रस से भरे हुए। अपुन निप्पल को मुंह में भर के जोर जोर से चूसे जा रेला था। उधर साधना दी अब कुछ ज़्यादा ही मचल रेली थीं। बार बार अपनी कमर उठातीं और नीचे सोफे पर जैसे पटक देतीं।
अभी अपुन उनके निप्पल को चूस ही रेला था कि तभी साधना दी बड़े जोर से ऐंठ गईं। उनकी कमर ऊपर को उठ गई और फिर एकदम से उन्हें झटके लगने लगे। उनके मुख से बड़े जोर की आहें और सिसकियां निकल रेलीं थी। कुछ देर तक वो झटके खाती रहीं और फिर एकदम से मानो शांत पड़ गईं। उनकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी।
अपुन समझ गया कि उनका काम तमाम हो चुका है। अपुन की इतनी चुसाई ने उनकी हालत खराब कर दी थी जिसका ये नतीजा निकला था।
उन्हें इस हालत में देख अपुन रुक गया। अपुन को एकाएक सिचुएशन का भी एहसास हुआ। अपुन ने एक नज़र उनके खुले बूब को देखा और फिर उसे वापस ब्रा में कैद कर देने का सोचा।
साधना दी ने अपुन को इतना कुछ करने दिया था इस लिए अब इससे आगे अपनी मनमानी करने का अपुन का दिल न किया। हालांकि अपुन का लौड़ा पेंट में बुरी तरह अकड़ा हुआ था और उसका शांत होना भी जरूरी था लेकिन शायद उसके लिए ये सही वक्त नहीं था।
अपुन ने देखा, साधना दी आँखें बंद किए उसी हालत में गहरी गहरी सांसें ले रेलीं थी। चेहरे पर पसीना तो था ही लेकिन अजब सुर्खी भी छाई थी। होठों पर हल्की मुस्कान थी। शायद वो कुछ सोच रेलीं थी।
अपुन को वो बहुत मासूम और प्यारी लगीं। जाने क्यों ये सोच कर अपुन को खुद पर थोड़ा गुस्सा आया कि अपनी ज़िद में अपुन ने उनके साथ क्या क्या कर दिया है।
ख़ैर, अब जो होना था वो हो ही गया था इस लिए अपुन ने उनकी खुली छाती को पहले तो झुक के प्यार से चूमा और फिर सलीके से उसे ब्रा में वापस कैद कर दिया। उसके बाद अपुन ने उनके कुर्ते को नीचे खिसका दिया।
कुछ देर बाद जब उनकी सांसें दुरुस्त हुईं तो उन्होंने आंखें खोल कर अपुन को देखा। अपुन उन्हीं को देख रेला था। जैसे ही उनकी नजर अपुन की नजर से मिली तो वो बुरी तरह शर्मा गईं। झट से दोनों हाथों से उन्होंने अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।
अपुन─ क्या हुआ दी? इस तरह चेहरा क्यों छुपा लिया आपने?
साधना दी─ मुझे बहुत शर्म आ रही है विराट। तुमसे नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही।
अपुन─ अगर ऐसा है तो फिर अपुन चला जाता है यहां से।
अपुन की ये बात सुन कर वो झट से उठ बैठीं। चेहरे पर टेंशन और घबराहट उभर आई थी उनके।
साधना दी─ क्या फिर से नाराज़ हो गए मुझसे?
अपुन─ अरे! नाराज़ नहीं हुआ है अपुन।
साधना दी─ फिर, जाने को क्यों कह रहे हो?
अपुन─ वो इस लिए क्योंकि आपको अपुन के सामने शर्म आ रेली है और जब तक अपुन यहां रहेगा तो आपको ऐसे ही शर्म आती रहेगी। तो अच्छा यही है न कि अपुन चला जाए यहां से?
साधना दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराने लगीं। अपुन को अचानक से समय का खयाल आया तो अपुन ने मोबाइल निकाल कर टाइम देखा। लौड़ा, चार बजने वाले थे। मतलब अपन लोग इतनी देर से मजा कर रेले थे?
अपुन ने सोचा इससे पहले कि साधना दी के पापा बैंक से आएं अपुन को निकल जाना चाहिए। फिर अपुन को याद आया कि साधना दी ने तो अब तक कुछ खाया भी नहीं है। इस लिए अपुन ने उनसे कहा कि वो खाना खा लें।
उनके जोर देने पर अपुन को थोड़ी देर और रुकना पड़ा। इस बीच अपुन ने दो तीन निवाला खुद ही उन्हें खिलाया जिससे वो बहुत खुश हो गईं। जब वो खा चुकीं तो अपुन जाने लगा।
साधना दी─ काश! ऐसा होता कि तुम हमेशा मेरे करीब रहते।
अपुन─ जो बात संभव नहीं उसके बारे में ज़्यादा सोचना नहीं चाहिए।
साधना दी (उदास हो कर)─ तुम ऐसा इस लिए कह रहे हो क्योंकि तुम्हारे दिल में मेरे प्रति लव वाली फीलिंग्स नहीं हैं। अगर होती तो क्या मेरी तरह तुम भी यही नहीं चाहते?
अपुन─ हां हो सकता है। वैसे आपके प्रति अपुन के दिल में प्यार वाली फीलिंग्स भले नहीं हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अपुन को आप अच्छी नहीं लगतीं। खैर अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां, थैंक यूं वंस अगेन फॉर ऑल दैट। दोज मोमेंट्स विल ऑलवेज बी ब्यूटीफुल फॉर मी एंड विल बी रिमेंबर्ड। लव यू दी, यू आर सो स्वीट।
साधना दी अपुन की ये बात सुन कर फीकी सी मुस्कान से मुस्कुराई। अपन दोनों जब दरवाजे के पास आ गए तो वो एकदम से अपुन से लिपट गईं। फिर कुछ पलों में वो अलग हुईं। फिर एकदम से अपनी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमा और फिर दूर हट गईं।
साधना दी─ मुझे तुम्हारे होठ बहुत अच्छे लगते हैं। बार बार इनको किस करने का मन करता है। प्लीज हर रोज यहां आया करो न।
अपुन─ लेट्स सी। ओके बाय।
अपुन ने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और फुर्र से निकल लिया। अपुन बार बार ये सोच के खुश हो रेला था कि आज पहली बार आखिर अपुन ने भी किसी लड़की के साथ मजा कर ही लिया। बोले तो पहली बार किसी लड़की के होठ चूमे। उसके बूब्स दबाए, बूब्स कै नंगा देखा और उन्हें चूसा भी। बेटीचोद, ऐसा लग रेला था जैसे अपुन हवाओं में उड़ रेला है।
To be continued...
Bhai log aaj ke liye itna hi.
Read & enjoy..
Nice update....Update ~ 04
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जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।
मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।
अब आगे....
उस वक्त दोपहर के दो बज रेले थे जब अपुन अमित के घर पहुंचा। वैसे तो अपुन के मन में थोड़ा डर था लेकिन सोच लिया था कि अब जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।
अपुन ने दरवाजे को खटखटाने के लिए हाथ रखा ही था कि तभी दरवाजा खुल गया। अपुन के सामने दरवाजे के बीचों बीच साधना दी खड़ी नजर आईं। अपुन पर नजर पड़ते ही उनका चेहरा खुशी से खिल उठा।
साधना दी─ ओह! विराट तुम सच में आ गए। मैं बता नहीं सकती कि तुम्हें फिर से देख कितना खुश हो गई हूं मैं। प्लीज अंदर आओ न।
अपुन चुपचाप अंदर दाखिल हुआ तो उन्होंने झट से दरवाजा बंद कर दिया। इधर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफ़िक तेज़ हो गईलीं थी। मन में यही चलने लगा था कि अब क्या होगा, क्या नहीं होगा?
अपुन ड्राइंग रूम में पहुंचा ही था साधना दी भाग के आईं और एकदम से अपुन के गले लग गईं। अपुन तो अचानक हुई इस हरकत से थर्रा ही गया लौड़ा पर बोला कुछ नहीं और न ही उन्हें खुद से अलग किया।
साधना दी─ प्लीज, अब कभी इस तरह गुस्सा मत होना। तुम जो कहोगे वो करूंगी मैं।
अपुन को तो लौड़ा समझ में ही न आया कि क्या बोले? मतलब कि सब कुछ इतना जल्दी जल्दी हो रेला था कि अपुन को कुछ सूझ ही नहीं रहा था लौड़ा। उधर साधना दी अपुन से अलग हुईं और फिर बढ़ी मोहब्बत से देखने लगीं।
साधना दी─ उफ्फ! मेरा मन कर रहा है कि मैं फिर से तुम्हारे होठों को चूमने चूसने लगूं लेकिन डरती हूं कि कहीं तुम फिर से न नाराज़ हो जाओ।
अपुन सच कह रेला है, इस टाइम वो अपुन को बहुत ही प्यारी और मासूम लग रेली थी। मन तो अपुन का भी करने लगा कि लपक के उसके होठों को मुंह में भर ले लेकिन अपुन अभी खुद को रोके रखना चाहता था।
अपुन─ हां अपने ही मन का तो करोगी आप।
साधना दी─ नहीं नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगी। तुम्हें जो करना है कर लो।
अपुन को उनकी बात सुन के थोड़ा शॉक लगा पर मन ही मन खुश भी हुआ कि अब मजा आएगा। अपुन ने देखा वो मासूमियत से अपुन को ही देखे जा रेलीं थी। फिर एकदम से शर्मा कर उसने अपनी नजरें फेर लीं।
उनकी सांसें एकाएक ही तेज चलने लगीं थी। शायद वो यही सोच रेली थीं कि उनके कहने के बाद अब अपुन उनकी चूची दबाना शुरू कर देगा। यही सोच के शायद उनकी सांसें तेज हो गईं थी।
अपुन थोड़ा झिझकते हुए आगे बढ़ा और दोनों हाथों से उनके चेहरे को थाम लिया। असल में अपुन को डायरेक्ट उनके बूब्स पर हाथ रखने में झिझक हो रेली थी इस लिए अपुन ने उनके चेहरे को थाम कर पहले उनके होठों का रस पीने का ही सोचा।
जैसे ही अपुन ने उनके चेहरे को थामा तो उनके जिस्म में हल्का सा कंपन हुआ। वो अब अपुन की आंखों में देखने लगीं। इधर चेहरा थाम कर जैसे ही अपुन ने अपना चेहरा उनके होठों की तरफ बढ़ाया तो उनकी आँखें बंद होती चली गईं।
अगले ही पल अपुन ने उनके सॉफ्ट और मीठे होठों को पहले हल्के से चूमा फिर उनके निचले होठ को मुंह में भर लिया। लौड़ा, ऐसा करते ही अपुन के जिस्म में अलग ही सनसनी होने लगी। उस सनसनी से अपुन के अंदर जोश चढ़ा तो अपुन अब थोड़ा बेसब्र सा हो कर उनके होठों को चूसने लगा।
पहले तो वो बुत सी ही बनी खड़ी रहीं लेकिन थोड़े ही पलों में वो भी अपुन का साथ देने लगीं। बोले तो अपन दोनों ही अब एक दूसरे के होठों को चूसने लगे थे।
देखते ही देखते अपन दोनों के अंदर हवस का तूफ़ान शुरू हो गया। अपुन तो जैसे अलग ही दुनिया में पहुंच गया था लौड़ा। साधना दी के होठ मीठे भी थे और नशीले भी, तभी तो अपुन के अंदर मदहोशी छाती चली जा रेली थी।
तभी अपुन ने अपना एक हाथ नीचे खिसकाया और साधना दी के उसी राइट बूब को थाम कर दबाया जिसे पहले दबाया था। चूची दबाए जाने से साधना दी को थोड़ा झटका लगा पर इस बार उन्होंने अपुन का हाथ नहीं हटाया। इधर अपुन को उनकी चूची दबाने में काफी मज़ा महसूस हुआ तो अपुन अब जोर जोर से उनकी उस चूची को दबाना शुरू कर दिया जिससे साधना दी की सिसकियां अपुन के मुंह में ही निकल कर दबने लगीं।
एक तरफ अपुन उनकी चूची दबाने में लग गयला था तो दूसरी तरफ उनके होठ चूसने में। साधना दी अब अपुन के होठ नहीं चूम रहीं थी बल्कि आहें भर रहीं थी। उनके मुंह से सिसकियां निकल रेलीं थी। जब जब अपुन उनकी चूची को जोर से मसलता तो वो ऐंठ सी जातीं और उनके मुख से सिसकी निकल जाती।
अपुन (मदहोशी में)─ ओह! दी कितने मीठे होंठ हैं आपके। मन करता है इसी तरह चूसता रहे अपुन।
साधना दी (सिसकी ले कर)─ शश्श्श्श थ...थो...थोड़ा ध..धीरे दबाओ वि..रा..ट। द..दर्द होता है।"
साधना दी की ये बात अपुन के कान में ऐसे पहुंची जैसे बहुत दूर से आई हो। अपुन को एकदम से थोड़ा होश आया तो अपुन को भी समझ आया कि लौड़ा अपुन जोश जोश में कुछ ज़्यादा ही जोर से उनकी चूची को दबाए जा रेला है।
अपुन─ सॉरी दी।
साधना दी─ क..कोई बा...त नहीं शश्श्श्श।
अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा अपुन तो उनकी एक ही चूची को इतनी देर से दबाए जा रेला है। ऐसा सोच अपुन ने दूसरी चूची को झट से पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया। साधना दी बड़े जोरो से छटपटा रहीं थी। उनकी सांसें उखड़ी हुईं थी। आँखें बंद किए बस सिसकियां ले रहीं थी।
खड़े खड़े ये सब हो रेला था और साधना दी की हालत ऐसी हो गई थी कि अब वो खुद से खड़े नहीं हो पा रेलीं थी। इस लिए अपुन को ही थामे रहना पड़ रेला था। अपुन को जब लगा कि उनको ज्यादा देर तक थामे रखना मुश्किल है तो अपुन ने उन्हें खींच कर वहीं सोफे पर बैठा लिया और खुद भी बैठ गया।
अब अपन दोनों सोफे पर अगल बगल बैठे थे लेकिन जल्दी ही अपुन उनकी तरफ घूम गया और फिर से उनके होठों को चूमते हुए उनकी चूची को दबाने लगा। साधना दी फिर से मचलने लगीं और सिसकियां लेने लगीं।
साधना दी─ आअ्ह्ह्ह शश्श्श्श वि..राट प्... प्लीज़ स...म्हालो मु..मुझे। शश्श्श्श प..पता नहीं क्या हो र...रहा है मुझे।
अपुन ने चेहरा अलग कर उनकी तरफ देखा। सच में उनकी हालत खराब दिख रेली थी। मदहोशी में डूबी थीं वो। अपुन ने पहली बार गौर किया कि इतनी देर से होठ चूसने की वजह से उनके होंठ सूझ से गए थे। चेहरा अजीब सा हो गया था। कुछ तो गरम माहौल से निकला पसीना और दूसरे अपुन दोनों का थूक।
अपुन─ दी आप ठीक तो हैं न?
अपुन की आवाज सुन साधना दी ने जैसे मुश्किल से आँखें खोली। उनकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी।
साधना दी─ रु..रुक क्यों गए? प्लीज करो न।
अपुन─ क्या करूं दी?
साधना दी─ व..वही जो कर रहे थे।
साधना दी बहुत अजीब बर्ताव करती दिख रेली थीं। अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा कहीं ये अपनी आखिरी स्टेज पर तो नहीं पहुंच गईली है? हां यही बात हो सकती है लौड़ा। मतलब कि अपुन को रुकना नहीं चाहिए।
बस, अपुन फिर से शुरू हो गया। उनको फिर से चूमने लगा लेकिन इस बार अपुन सिर्फ उनके होठ नहीं चूम रेला था बल्कि होठ के अलावा गाल, चेहरा, ठुड्ढी और गला भी चूमता जा रेला था। दूसरी तरफ अपुन बारी बारी से उनकी दोनों चूचियां भी दबाए जा रेला था।
साधना दी एक बार फिर से आहें भरने लगीं। उनका मचलना फिर से शुरू हो गया। तभी अपुन उनके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे आया। कुर्ते के डीप गले से अपुन को उनकी चूचियों के किनारे दिखे जो उभरे हुए थे और जब अपुन उन्हें दबाता तो वो और भी दिखने लगते। अपुन ने लपक कर अपने होठ उन उभारों पर रख दिए।
वाह! क्या गजब का एहसास था लौड़ा। मस्त चिकना और मुलायम लग रेला था। अपुन तो जैसे होश ही खो बैठा। उनको चूमते हुए अपुन कुर्ते के अंदर समा जाने की कोशिश करता लेकिन कुर्ते का गला एक लिमिट तक ही सरकता जिससे अपुन उनकी चूची को ठीक से चूम नहीं पा रेला था।
उधर साधना दी अपुन के सिर को अपनी चूची पर दबा रेलीं थी। शायद चूची पर चूमने चाटने से उन्हें और भी मजा मिल रेला था। अपुन ने कुछ पल सोचा और फिर एकदम से अपने दोनों हाथ नीचे ला कर उनके कुर्ते को ऊपर करता चला गया।
साधना दी को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था। अपुन ने कुर्ते को पूरा ऊपर उठा कर उनके सीने को बेपर्दा कर दिया था। अपुन ये देख के शॉक रह गया था कि कितना खूबसूरत बदन था उनका। एकदम गोरा और चिकना। कहीं कोई दाग नहीं। चिकना सपाट पेट और बीच में गहरी नाभी। उसके ऊपर ब्लैक ब्रा में कैद उनके बूब्स। अपुन तो ये देख के ही मस्त हो गया लौड़ा।
अपुन ने आव देखा न ताव साधना दी को पकड़ कर सोफे पर लिटा दिया। उसके बाद अपुन एकदम से उनके ऊपर छा गया। सबसे पहले अपुन ने उनके चिकने सपाट पेट को जी भर के चूमा, फिर उनकी नाभी को चूमते हुए अपनी जीभ नाभी में घुसा दिया। साधना दी बुरी तरह मचल रेलीं थी। उनके दोनों हाथ अपुन के सिर पर थे और वो अपुन के बाल खींच रेलीं थी।
ड्राइंग रूम में उनकी सिसकियां गूंज रहीं थी। अपुन का भी हाल कम बेहाल नहीं था लौड़ा। अपुन का लौड़ा जींस के अंदर इतना टाइट हो गयला था कि अब उसमें दर्द शुरू हो गया था।
साधना दी─ शश्श्श्श वि..विराट तु..तुम पागल कर दोगे मुझे। आह्हह्ह् शश्श्श्श इ... इसमें इतना मजा अ..आ...ता है इस...का अं..दाजा ही नहीं था..मुझे। आह्हह्ह् ये...ये क्या हो रहा है मुझे?
साधना दी पता नहीं क्या उल्टा सीधा बोले जा रेली थी। इधर अपुन उनकी नाभी से ऊपर आया और ब्रा के ऊपर से ही एक हाथ से उनके राइट बूब को पकड़ कर हौले हौले दबाना शुरू कर दिया जबकि अपना चेहरा अपुन ने उनके दोनों बूब्स के बीच जो हल्की लकीर थी उसमें रख दिया। साधना दी फिर से मचल उठीं और अपुन के सिर को थाम कर अपनी चूची पर दबाने लगीं। अपुन ने महसूस किया कि नीचे वो अपनी कमर को बार बार उठा रेलीं थी। आँखें बंद किए वो अपने चेहरे को इधर उधर कर रेलीं थी।
अपुन─ आपके बूब्स कितने सुंदर हैं दी। मन करता है इन्हें ब्रा से निकाल कर पीना शुरू कर दूं।
साधना दी─ शश्श्श्श तो...तो पी लो न। आह्हह्ह् उफ्फ मैं...मैंने कहां मना किया है।
अपुन─ थैंक्यू दी। आप बहुत अच्छी हैं। आपने वो दिया अपुन को जो कोई भी लड़की इतना आसानी से नहीं दे सकती।
साधना दी─ म...मैंने इस लिए दिया क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं...शश्श्श्श आह्हह्ह् तु..तुम्हें किसी चीज़ के लिए म...मना नहीं कर सकती मैं।
अपुन─ थैंक्यू दी।
ये कहते हुए अपुन ने एकदम से उनकी एक चूची ब्रा के अंदर से निकाल ली और बिना देर किए उनके भूरे निप्पल को मुंह में भर लिया।
साधना दी─ उफ्फ शश्श्श्श वि...रा..ट।
उन्होंने बड़े जोर से अपुन के बालों को खींचा जिससे अपुन को दर्द हुआ मगर अपुन ने दर्द की परवाह नहीं की। साधना दी के बूब्स उन्हीं की तरह खूबसूरत थे। एकदम गोरे, चिकने और जवानी के रस से भरे हुए। अपुन निप्पल को मुंह में भर के जोर जोर से चूसे जा रेला था। उधर साधना दी अब कुछ ज़्यादा ही मचल रेली थीं। बार बार अपनी कमर उठातीं और नीचे सोफे पर जैसे पटक देतीं।
अभी अपुन उनके निप्पल को चूस ही रेला था कि तभी साधना दी बड़े जोर से ऐंठ गईं। उनकी कमर ऊपर को उठ गई और फिर एकदम से उन्हें झटके लगने लगे। उनके मुख से बड़े जोर की आहें और सिसकियां निकल रेलीं थी। कुछ देर तक वो झटके खाती रहीं और फिर एकदम से मानो शांत पड़ गईं। उनकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी।
अपुन समझ गया कि उनका काम तमाम हो चुका है। अपुन की इतनी चुसाई ने उनकी हालत खराब कर दी थी जिसका ये नतीजा निकला था।
उन्हें इस हालत में देख अपुन रुक गया। अपुन को एकाएक सिचुएशन का भी एहसास हुआ। अपुन ने एक नज़र उनके खुले बूब को देखा और फिर उसे वापस ब्रा में कैद कर देने का सोचा।
साधना दी ने अपुन को इतना कुछ करने दिया था इस लिए अब इससे आगे अपनी मनमानी करने का अपुन का दिल न किया। हालांकि अपुन का लौड़ा पेंट में बुरी तरह अकड़ा हुआ था और उसका शांत होना भी जरूरी था लेकिन शायद उसके लिए ये सही वक्त नहीं था।
अपुन ने देखा, साधना दी आँखें बंद किए उसी हालत में गहरी गहरी सांसें ले रेलीं थी। चेहरे पर पसीना तो था ही लेकिन अजब सुर्खी भी छाई थी। होठों पर हल्की मुस्कान थी। शायद वो कुछ सोच रेलीं थी।
अपुन को वो बहुत मासूम और प्यारी लगीं। जाने क्यों ये सोच कर अपुन को खुद पर थोड़ा गुस्सा आया कि अपनी ज़िद में अपुन ने उनके साथ क्या क्या कर दिया है।
ख़ैर, अब जो होना था वो हो ही गया था इस लिए अपुन ने उनकी खुली छाती को पहले तो झुक के प्यार से चूमा और फिर सलीके से उसे ब्रा में वापस कैद कर दिया। उसके बाद अपुन ने उनके कुर्ते को नीचे खिसका दिया।
कुछ देर बाद जब उनकी सांसें दुरुस्त हुईं तो उन्होंने आंखें खोल कर अपुन को देखा। अपुन उन्हीं को देख रेला था। जैसे ही उनकी नजर अपुन की नजर से मिली तो वो बुरी तरह शर्मा गईं। झट से दोनों हाथों से उन्होंने अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।
अपुन─ क्या हुआ दी? इस तरह चेहरा क्यों छुपा लिया आपने?
साधना दी─ मुझे बहुत शर्म आ रही है विराट। तुमसे नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही।
अपुन─ अगर ऐसा है तो फिर अपुन चला जाता है यहां से।
अपुन की ये बात सुन कर वो झट से उठ बैठीं। चेहरे पर टेंशन और घबराहट उभर आई थी उनके।
साधना दी─ क्या फिर से नाराज़ हो गए मुझसे?
अपुन─ अरे! नाराज़ नहीं हुआ है अपुन।
साधना दी─ फिर, जाने को क्यों कह रहे हो?
अपुन─ वो इस लिए क्योंकि आपको अपुन के सामने शर्म आ रेली है और जब तक अपुन यहां रहेगा तो आपको ऐसे ही शर्म आती रहेगी। तो अच्छा यही है न कि अपुन चला जाए यहां से?
साधना दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराने लगीं। अपुन को अचानक से समय का खयाल आया तो अपुन ने मोबाइल निकाल कर टाइम देखा। लौड़ा, चार बजने वाले थे। मतलब अपन लोग इतनी देर से मजा कर रेले थे?
अपुन ने सोचा इससे पहले कि साधना दी के पापा बैंक से आएं अपुन को निकल जाना चाहिए। फिर अपुन को याद आया कि साधना दी ने तो अब तक कुछ खाया भी नहीं है। इस लिए अपुन ने उनसे कहा कि वो खाना खा लें।
उनके जोर देने पर अपुन को थोड़ी देर और रुकना पड़ा। इस बीच अपुन ने दो तीन निवाला खुद ही उन्हें खिलाया जिससे वो बहुत खुश हो गईं। जब वो खा चुकीं तो अपुन जाने लगा।
साधना दी─ काश! ऐसा होता कि तुम हमेशा मेरे करीब रहते।
अपुन─ जो बात संभव नहीं उसके बारे में ज़्यादा सोचना नहीं चाहिए।
साधना दी (उदास हो कर)─ तुम ऐसा इस लिए कह रहे हो क्योंकि तुम्हारे दिल में मेरे प्रति लव वाली फीलिंग्स नहीं हैं। अगर होती तो क्या मेरी तरह तुम भी यही नहीं चाहते?
अपुन─ हां हो सकता है। वैसे आपके प्रति अपुन के दिल में प्यार वाली फीलिंग्स भले नहीं हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अपुन को आप अच्छी नहीं लगतीं। खैर अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां, थैंक यूं वंस अगेन फॉर ऑल दैट। दोज मोमेंट्स विल ऑलवेज बी ब्यूटीफुल फॉर मी एंड विल बी रिमेंबर्ड। लव यू दी, यू आर सो स्वीट।
साधना दी अपुन की ये बात सुन कर फीकी सी मुस्कान से मुस्कुराई। अपन दोनों जब दरवाजे के पास आ गए तो वो एकदम से अपुन से लिपट गईं। फिर कुछ पलों में वो अलग हुईं। फिर एकदम से अपनी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमा और फिर दूर हट गईं।
साधना दी─ मुझे तुम्हारे होठ बहुत अच्छे लगते हैं। बार बार इनको किस करने का मन करता है। प्लीज हर रोज यहां आया करो न।
अपुन─ लेट्स सी। ओके बाय।
अपुन ने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और फुर्र से निकल लिया। अपुन बार बार ये सोच के खुश हो रेला था कि आज पहली बार आखिर अपुन ने भी किसी लड़की के साथ मजा कर ही लिया। बोले तो पहली बार किसी लड़की के होठ चूमे। उसके बूब्स दबाए, बूब्स कै नंगा देखा और उन्हें चूसा भी। बेटीचोद, ऐसा लग रेला था जैसे अपुन हवाओं में उड़ रेला है।
To be continued...
Bhai log aaj ke liye itna hi.
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Fantastic update BhaiUpdate ~ 04
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जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।
मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।
अब आगे....
उस वक्त दोपहर के दो बज रेले थे जब अपुन अमित के घर पहुंचा। वैसे तो अपुन के मन में थोड़ा डर था लेकिन सोच लिया था कि अब जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।
अपुन ने दरवाजे को खटखटाने के लिए हाथ रखा ही था कि तभी दरवाजा खुल गया। अपुन के सामने दरवाजे के बीचों बीच साधना दी खड़ी नजर आईं। अपुन पर नजर पड़ते ही उनका चेहरा खुशी से खिल उठा।
साधना दी─ ओह! विराट तुम सच में आ गए। मैं बता नहीं सकती कि तुम्हें फिर से देख कितना खुश हो गई हूं मैं। प्लीज अंदर आओ न।
अपुन चुपचाप अंदर दाखिल हुआ तो उन्होंने झट से दरवाजा बंद कर दिया। इधर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफ़िक तेज़ हो गईलीं थी। मन में यही चलने लगा था कि अब क्या होगा, क्या नहीं होगा?
अपुन ड्राइंग रूम में पहुंचा ही था साधना दी भाग के आईं और एकदम से अपुन के गले लग गईं। अपुन तो अचानक हुई इस हरकत से थर्रा ही गया लौड़ा पर बोला कुछ नहीं और न ही उन्हें खुद से अलग किया।
साधना दी─ प्लीज, अब कभी इस तरह गुस्सा मत होना। तुम जो कहोगे वो करूंगी मैं।
अपुन को तो लौड़ा समझ में ही न आया कि क्या बोले? मतलब कि सब कुछ इतना जल्दी जल्दी हो रेला था कि अपुन को कुछ सूझ ही नहीं रहा था लौड़ा। उधर साधना दी अपुन से अलग हुईं और फिर बढ़ी मोहब्बत से देखने लगीं।
साधना दी─ उफ्फ! मेरा मन कर रहा है कि मैं फिर से तुम्हारे होठों को चूमने चूसने लगूं लेकिन डरती हूं कि कहीं तुम फिर से न नाराज़ हो जाओ।
अपुन सच कह रेला है, इस टाइम वो अपुन को बहुत ही प्यारी और मासूम लग रेली थी। मन तो अपुन का भी करने लगा कि लपक के उसके होठों को मुंह में भर ले लेकिन अपुन अभी खुद को रोके रखना चाहता था।
अपुन─ हां अपने ही मन का तो करोगी आप।
साधना दी─ नहीं नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगी। तुम्हें जो करना है कर लो।
अपुन को उनकी बात सुन के थोड़ा शॉक लगा पर मन ही मन खुश भी हुआ कि अब मजा आएगा। अपुन ने देखा वो मासूमियत से अपुन को ही देखे जा रेलीं थी। फिर एकदम से शर्मा कर उसने अपनी नजरें फेर लीं।
उनकी सांसें एकाएक ही तेज चलने लगीं थी। शायद वो यही सोच रेली थीं कि उनके कहने के बाद अब अपुन उनकी चूची दबाना शुरू कर देगा। यही सोच के शायद उनकी सांसें तेज हो गईं थी।
अपुन थोड़ा झिझकते हुए आगे बढ़ा और दोनों हाथों से उनके चेहरे को थाम लिया। असल में अपुन को डायरेक्ट उनके बूब्स पर हाथ रखने में झिझक हो रेली थी इस लिए अपुन ने उनके चेहरे को थाम कर पहले उनके होठों का रस पीने का ही सोचा।
जैसे ही अपुन ने उनके चेहरे को थामा तो उनके जिस्म में हल्का सा कंपन हुआ। वो अब अपुन की आंखों में देखने लगीं। इधर चेहरा थाम कर जैसे ही अपुन ने अपना चेहरा उनके होठों की तरफ बढ़ाया तो उनकी आँखें बंद होती चली गईं।
अगले ही पल अपुन ने उनके सॉफ्ट और मीठे होठों को पहले हल्के से चूमा फिर उनके निचले होठ को मुंह में भर लिया। लौड़ा, ऐसा करते ही अपुन के जिस्म में अलग ही सनसनी होने लगी। उस सनसनी से अपुन के अंदर जोश चढ़ा तो अपुन अब थोड़ा बेसब्र सा हो कर उनके होठों को चूसने लगा।
पहले तो वो बुत सी ही बनी खड़ी रहीं लेकिन थोड़े ही पलों में वो भी अपुन का साथ देने लगीं। बोले तो अपन दोनों ही अब एक दूसरे के होठों को चूसने लगे थे।
देखते ही देखते अपन दोनों के अंदर हवस का तूफ़ान शुरू हो गया। अपुन तो जैसे अलग ही दुनिया में पहुंच गया था लौड़ा। साधना दी के होठ मीठे भी थे और नशीले भी, तभी तो अपुन के अंदर मदहोशी छाती चली जा रेली थी।
तभी अपुन ने अपना एक हाथ नीचे खिसकाया और साधना दी के उसी राइट बूब को थाम कर दबाया जिसे पहले दबाया था। चूची दबाए जाने से साधना दी को थोड़ा झटका लगा पर इस बार उन्होंने अपुन का हाथ नहीं हटाया। इधर अपुन को उनकी चूची दबाने में काफी मज़ा महसूस हुआ तो अपुन अब जोर जोर से उनकी उस चूची को दबाना शुरू कर दिया जिससे साधना दी की सिसकियां अपुन के मुंह में ही निकल कर दबने लगीं।
एक तरफ अपुन उनकी चूची दबाने में लग गयला था तो दूसरी तरफ उनके होठ चूसने में। साधना दी अब अपुन के होठ नहीं चूम रहीं थी बल्कि आहें भर रहीं थी। उनके मुंह से सिसकियां निकल रेलीं थी। जब जब अपुन उनकी चूची को जोर से मसलता तो वो ऐंठ सी जातीं और उनके मुख से सिसकी निकल जाती।
अपुन (मदहोशी में)─ ओह! दी कितने मीठे होंठ हैं आपके। मन करता है इसी तरह चूसता रहे अपुन।
साधना दी (सिसकी ले कर)─ शश्श्श्श थ...थो...थोड़ा ध..धीरे दबाओ वि..रा..ट। द..दर्द होता है।"
साधना दी की ये बात अपुन के कान में ऐसे पहुंची जैसे बहुत दूर से आई हो। अपुन को एकदम से थोड़ा होश आया तो अपुन को भी समझ आया कि लौड़ा अपुन जोश जोश में कुछ ज़्यादा ही जोर से उनकी चूची को दबाए जा रेला है।
अपुन─ सॉरी दी।
साधना दी─ क..कोई बा...त नहीं शश्श्श्श।
अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा अपुन तो उनकी एक ही चूची को इतनी देर से दबाए जा रेला है। ऐसा सोच अपुन ने दूसरी चूची को झट से पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया। साधना दी बड़े जोरो से छटपटा रहीं थी। उनकी सांसें उखड़ी हुईं थी। आँखें बंद किए बस सिसकियां ले रहीं थी।
खड़े खड़े ये सब हो रेला था और साधना दी की हालत ऐसी हो गई थी कि अब वो खुद से खड़े नहीं हो पा रेलीं थी। इस लिए अपुन को ही थामे रहना पड़ रेला था। अपुन को जब लगा कि उनको ज्यादा देर तक थामे रखना मुश्किल है तो अपुन ने उन्हें खींच कर वहीं सोफे पर बैठा लिया और खुद भी बैठ गया।
अब अपन दोनों सोफे पर अगल बगल बैठे थे लेकिन जल्दी ही अपुन उनकी तरफ घूम गया और फिर से उनके होठों को चूमते हुए उनकी चूची को दबाने लगा। साधना दी फिर से मचलने लगीं और सिसकियां लेने लगीं।
साधना दी─ आअ्ह्ह्ह शश्श्श्श वि..राट प्... प्लीज़ स...म्हालो मु..मुझे। शश्श्श्श प..पता नहीं क्या हो र...रहा है मुझे।
अपुन ने चेहरा अलग कर उनकी तरफ देखा। सच में उनकी हालत खराब दिख रेली थी। मदहोशी में डूबी थीं वो। अपुन ने पहली बार गौर किया कि इतनी देर से होठ चूसने की वजह से उनके होंठ सूझ से गए थे। चेहरा अजीब सा हो गया था। कुछ तो गरम माहौल से निकला पसीना और दूसरे अपुन दोनों का थूक।
अपुन─ दी आप ठीक तो हैं न?
अपुन की आवाज सुन साधना दी ने जैसे मुश्किल से आँखें खोली। उनकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी।
साधना दी─ रु..रुक क्यों गए? प्लीज करो न।
अपुन─ क्या करूं दी?
साधना दी─ व..वही जो कर रहे थे।
साधना दी बहुत अजीब बर्ताव करती दिख रेली थीं। अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा कहीं ये अपनी आखिरी स्टेज पर तो नहीं पहुंच गईली है? हां यही बात हो सकती है लौड़ा। मतलब कि अपुन को रुकना नहीं चाहिए।
बस, अपुन फिर से शुरू हो गया। उनको फिर से चूमने लगा लेकिन इस बार अपुन सिर्फ उनके होठ नहीं चूम रेला था बल्कि होठ के अलावा गाल, चेहरा, ठुड्ढी और गला भी चूमता जा रेला था। दूसरी तरफ अपुन बारी बारी से उनकी दोनों चूचियां भी दबाए जा रेला था।
साधना दी एक बार फिर से आहें भरने लगीं। उनका मचलना फिर से शुरू हो गया। तभी अपुन उनके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे आया। कुर्ते के डीप गले से अपुन को उनकी चूचियों के किनारे दिखे जो उभरे हुए थे और जब अपुन उन्हें दबाता तो वो और भी दिखने लगते। अपुन ने लपक कर अपने होठ उन उभारों पर रख दिए।
वाह! क्या गजब का एहसास था लौड़ा। मस्त चिकना और मुलायम लग रेला था। अपुन तो जैसे होश ही खो बैठा। उनको चूमते हुए अपुन कुर्ते के अंदर समा जाने की कोशिश करता लेकिन कुर्ते का गला एक लिमिट तक ही सरकता जिससे अपुन उनकी चूची को ठीक से चूम नहीं पा रेला था।
उधर साधना दी अपुन के सिर को अपनी चूची पर दबा रेलीं थी। शायद चूची पर चूमने चाटने से उन्हें और भी मजा मिल रेला था। अपुन ने कुछ पल सोचा और फिर एकदम से अपने दोनों हाथ नीचे ला कर उनके कुर्ते को ऊपर करता चला गया।
साधना दी को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था। अपुन ने कुर्ते को पूरा ऊपर उठा कर उनके सीने को बेपर्दा कर दिया था। अपुन ये देख के शॉक रह गया था कि कितना खूबसूरत बदन था उनका। एकदम गोरा और चिकना। कहीं कोई दाग नहीं। चिकना सपाट पेट और बीच में गहरी नाभी। उसके ऊपर ब्लैक ब्रा में कैद उनके बूब्स। अपुन तो ये देख के ही मस्त हो गया लौड़ा।
अपुन ने आव देखा न ताव साधना दी को पकड़ कर सोफे पर लिटा दिया। उसके बाद अपुन एकदम से उनके ऊपर छा गया। सबसे पहले अपुन ने उनके चिकने सपाट पेट को जी भर के चूमा, फिर उनकी नाभी को चूमते हुए अपनी जीभ नाभी में घुसा दिया। साधना दी बुरी तरह मचल रेलीं थी। उनके दोनों हाथ अपुन के सिर पर थे और वो अपुन के बाल खींच रेलीं थी।
ड्राइंग रूम में उनकी सिसकियां गूंज रहीं थी। अपुन का भी हाल कम बेहाल नहीं था लौड़ा। अपुन का लौड़ा जींस के अंदर इतना टाइट हो गयला था कि अब उसमें दर्द शुरू हो गया था।
साधना दी─ शश्श्श्श वि..विराट तु..तुम पागल कर दोगे मुझे। आह्हह्ह् शश्श्श्श इ... इसमें इतना मजा अ..आ...ता है इस...का अं..दाजा ही नहीं था..मुझे। आह्हह्ह् ये...ये क्या हो रहा है मुझे?
साधना दी पता नहीं क्या उल्टा सीधा बोले जा रेली थी। इधर अपुन उनकी नाभी से ऊपर आया और ब्रा के ऊपर से ही एक हाथ से उनके राइट बूब को पकड़ कर हौले हौले दबाना शुरू कर दिया जबकि अपना चेहरा अपुन ने उनके दोनों बूब्स के बीच जो हल्की लकीर थी उसमें रख दिया। साधना दी फिर से मचल उठीं और अपुन के सिर को थाम कर अपनी चूची पर दबाने लगीं। अपुन ने महसूस किया कि नीचे वो अपनी कमर को बार बार उठा रेलीं थी। आँखें बंद किए वो अपने चेहरे को इधर उधर कर रेलीं थी।
अपुन─ आपके बूब्स कितने सुंदर हैं दी। मन करता है इन्हें ब्रा से निकाल कर पीना शुरू कर दूं।
साधना दी─ शश्श्श्श तो...तो पी लो न। आह्हह्ह् उफ्फ मैं...मैंने कहां मना किया है।
अपुन─ थैंक्यू दी। आप बहुत अच्छी हैं। आपने वो दिया अपुन को जो कोई भी लड़की इतना आसानी से नहीं दे सकती।
साधना दी─ म...मैंने इस लिए दिया क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं...शश्श्श्श आह्हह्ह् तु..तुम्हें किसी चीज़ के लिए म...मना नहीं कर सकती मैं।
अपुन─ थैंक्यू दी।
ये कहते हुए अपुन ने एकदम से उनकी एक चूची ब्रा के अंदर से निकाल ली और बिना देर किए उनके भूरे निप्पल को मुंह में भर लिया।
साधना दी─ उफ्फ शश्श्श्श वि...रा..ट।
उन्होंने बड़े जोर से अपुन के बालों को खींचा जिससे अपुन को दर्द हुआ मगर अपुन ने दर्द की परवाह नहीं की। साधना दी के बूब्स उन्हीं की तरह खूबसूरत थे। एकदम गोरे, चिकने और जवानी के रस से भरे हुए। अपुन निप्पल को मुंह में भर के जोर जोर से चूसे जा रेला था। उधर साधना दी अब कुछ ज़्यादा ही मचल रेली थीं। बार बार अपनी कमर उठातीं और नीचे सोफे पर जैसे पटक देतीं।
अभी अपुन उनके निप्पल को चूस ही रेला था कि तभी साधना दी बड़े जोर से ऐंठ गईं। उनकी कमर ऊपर को उठ गई और फिर एकदम से उन्हें झटके लगने लगे। उनके मुख से बड़े जोर की आहें और सिसकियां निकल रेलीं थी। कुछ देर तक वो झटके खाती रहीं और फिर एकदम से मानो शांत पड़ गईं। उनकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी।
अपुन समझ गया कि उनका काम तमाम हो चुका है। अपुन की इतनी चुसाई ने उनकी हालत खराब कर दी थी जिसका ये नतीजा निकला था।
उन्हें इस हालत में देख अपुन रुक गया। अपुन को एकाएक सिचुएशन का भी एहसास हुआ। अपुन ने एक नज़र उनके खुले बूब को देखा और फिर उसे वापस ब्रा में कैद कर देने का सोचा।
साधना दी ने अपुन को इतना कुछ करने दिया था इस लिए अब इससे आगे अपनी मनमानी करने का अपुन का दिल न किया। हालांकि अपुन का लौड़ा पेंट में बुरी तरह अकड़ा हुआ था और उसका शांत होना भी जरूरी था लेकिन शायद उसके लिए ये सही वक्त नहीं था।
अपुन ने देखा, साधना दी आँखें बंद किए उसी हालत में गहरी गहरी सांसें ले रेलीं थी। चेहरे पर पसीना तो था ही लेकिन अजब सुर्खी भी छाई थी। होठों पर हल्की मुस्कान थी। शायद वो कुछ सोच रेलीं थी।
अपुन को वो बहुत मासूम और प्यारी लगीं। जाने क्यों ये सोच कर अपुन को खुद पर थोड़ा गुस्सा आया कि अपनी ज़िद में अपुन ने उनके साथ क्या क्या कर दिया है।
ख़ैर, अब जो होना था वो हो ही गया था इस लिए अपुन ने उनकी खुली छाती को पहले तो झुक के प्यार से चूमा और फिर सलीके से उसे ब्रा में वापस कैद कर दिया। उसके बाद अपुन ने उनके कुर्ते को नीचे खिसका दिया।
कुछ देर बाद जब उनकी सांसें दुरुस्त हुईं तो उन्होंने आंखें खोल कर अपुन को देखा। अपुन उन्हीं को देख रेला था। जैसे ही उनकी नजर अपुन की नजर से मिली तो वो बुरी तरह शर्मा गईं। झट से दोनों हाथों से उन्होंने अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।
अपुन─ क्या हुआ दी? इस तरह चेहरा क्यों छुपा लिया आपने?
साधना दी─ मुझे बहुत शर्म आ रही है विराट। तुमसे नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही।
अपुन─ अगर ऐसा है तो फिर अपुन चला जाता है यहां से।
अपुन की ये बात सुन कर वो झट से उठ बैठीं। चेहरे पर टेंशन और घबराहट उभर आई थी उनके।
साधना दी─ क्या फिर से नाराज़ हो गए मुझसे?
अपुन─ अरे! नाराज़ नहीं हुआ है अपुन।
साधना दी─ फिर, जाने को क्यों कह रहे हो?
अपुन─ वो इस लिए क्योंकि आपको अपुन के सामने शर्म आ रेली है और जब तक अपुन यहां रहेगा तो आपको ऐसे ही शर्म आती रहेगी। तो अच्छा यही है न कि अपुन चला जाए यहां से?
साधना दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराने लगीं। अपुन को अचानक से समय का खयाल आया तो अपुन ने मोबाइल निकाल कर टाइम देखा। लौड़ा, चार बजने वाले थे। मतलब अपन लोग इतनी देर से मजा कर रेले थे?
अपुन ने सोचा इससे पहले कि साधना दी के पापा बैंक से आएं अपुन को निकल जाना चाहिए। फिर अपुन को याद आया कि साधना दी ने तो अब तक कुछ खाया भी नहीं है। इस लिए अपुन ने उनसे कहा कि वो खाना खा लें।
उनके जोर देने पर अपुन को थोड़ी देर और रुकना पड़ा। इस बीच अपुन ने दो तीन निवाला खुद ही उन्हें खिलाया जिससे वो बहुत खुश हो गईं। जब वो खा चुकीं तो अपुन जाने लगा।
साधना दी─ काश! ऐसा होता कि तुम हमेशा मेरे करीब रहते।
अपुन─ जो बात संभव नहीं उसके बारे में ज़्यादा सोचना नहीं चाहिए।
साधना दी (उदास हो कर)─ तुम ऐसा इस लिए कह रहे हो क्योंकि तुम्हारे दिल में मेरे प्रति लव वाली फीलिंग्स नहीं हैं। अगर होती तो क्या मेरी तरह तुम भी यही नहीं चाहते?
अपुन─ हां हो सकता है। वैसे आपके प्रति अपुन के दिल में प्यार वाली फीलिंग्स भले नहीं हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अपुन को आप अच्छी नहीं लगतीं। खैर अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां, थैंक यूं वंस अगेन फॉर ऑल दैट। दोज मोमेंट्स विल ऑलवेज बी ब्यूटीफुल फॉर मी एंड विल बी रिमेंबर्ड। लव यू दी, यू आर सो स्वीट।
साधना दी अपुन की ये बात सुन कर फीकी सी मुस्कान से मुस्कुराई। अपन दोनों जब दरवाजे के पास आ गए तो वो एकदम से अपुन से लिपट गईं। फिर कुछ पलों में वो अलग हुईं। फिर एकदम से अपनी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमा और फिर दूर हट गईं।
साधना दी─ मुझे तुम्हारे होठ बहुत अच्छे लगते हैं। बार बार इनको किस करने का मन करता है। प्लीज हर रोज यहां आया करो न।
अपुन─ लेट्स सी। ओके बाय।
अपुन ने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और फुर्र से निकल लिया। अपुन बार बार ये सोच के खुश हो रेला था कि आज पहली बार आखिर अपुन ने भी किसी लड़की के साथ मजा कर ही लिया। बोले तो पहली बार किसी लड़की के होठ चूमे। उसके बूब्स दबाए, बूब्स कै नंगा देखा और उन्हें चूसा भी। बेटीचोद, ऐसा लग रेला था जैसे अपुन हवाओं में उड़ रेला है।
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