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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Update ~ 09



दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

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साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

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अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

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इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

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साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

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अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

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झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

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उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

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अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...

Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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TheBlackBlood

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Nice and superb update....
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Mast update bhai
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Bahut hi shaandar update diya hai TheBlackBlood bhai....
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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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कर्म और दायित्व पहले है , बाकी सब बाद मे ।
मै भी पहले की तरह यहां कहां समय दे पाता हूं ! जब भी समय मिलता है उसमे जितना संभव होता है , पढ़ने की कोशिश करता हूं और कुछ कमेन्ट वगैरह करता हूं ।
कल फिर सुबह पांच बजे ही काम से बाहर निकलना है और वापसी रात के नौ दस तक ही सम्भव है ।
परसों दिन मे ही यहां आना सम्भव है ।
Sab time time ki baat hai bhaiya ji...Har koi kahi na kahi byast hai apne kaam ke chalte, apni zarurato ko pura karne ke chalte. Jab time milta hai tabhi ye sab ho pata hai....khair next update post kar diya hai :declare:
 

only_me

I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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Update ~ 09



दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

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साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

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अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

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इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

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साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

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अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

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झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

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उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

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अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...

Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:
Super update Bhai 💯
 
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dhparikh

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दो नंगे जिस्म सुलग रेले थे और अब जैसे उन्हें ठंडा होने की ख्वाहिश थी मगर पता नहीं कब उस वक्त को आना था जब दो सुलगते जिस्म शांत भी पड़ जाते और रूह को सुकून भी मिल जाता।


अब आगे....


अपुन एक बार फिर उसके होठों को छोड़ कर उसके गले और सीने को चूमते हुए उसके गोरे चिकने पेट पर आ गया। साधना बुरी तरह मचल रेली थी और सिसकियां ले रेली थी। अपुन ने उसके पेट और नाभी को चीभ से चाटा और कुरेदा, उसके बाद नीचे सरक कर फिर से उसकी जांघों के बीच आ गया।

साधना की पेंटी क्योंकि अपुन पहले ही निकाल चुका था इस लिए जैसे ही अपुन उसकी जांघों के बीच आया तो अपुन की नज़र उसकी चूत पर उगे हल्के रेशमी बालों पर मौजूद उसके कामरस पर पड़ी। असल में उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही पानी छोड़ रेली थी जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी रेशमी झांटों में लग गयला था जोकि घांस में गिरी शबनम जैसे लग रेला था।

अपुन की नाक में तेज मादक गंध घुसी तो अपुन मदहोश सा हो गया और झट से उसकी कामरस छोड़ती चूत को चाटना शुरू कर दिया।

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साधना अपुन की इस क्रिया से बुरी तरह मचलते हुए सिर पटकने लगी। दोनों हाथों से अपुन का सिर थाम कर वो सिसकियां लेते हुए अपनी चूत पर दबाने लगी।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। ये...ये क्या कर रहे हो?

अपुन ने उसकी बात सुन कर सिर उठाया और फिर जैसे मदहोशी में बोला।

अपुन ─ तुम्हारी चूत से निकल रहा अमृत पी रेला हूं डियर। सच में बहुत मस्त टेस्ट है इसका।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ये क्या कह रहे हो?

अपुन ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और झुक कर फिर से उसकी चूत चाटने लगा। साधना का बुरा हाल था। वो बार बार अपनी जांघों को सिकोड़ लेती या फिर अपनी गांड़ को उठा लेती। अपुन समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है।

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साधना ─ बाबू शश्श्श्श मु...मुझे कुछ हो रहा है। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ माय गॉड कितना मजा आ रहा है।

साधना जैसे चरम के करीब थी। इधर अपुन का भी बुरा हाल था। अपुन का लन्ड बुरी तरह अकड़ा हुआ था। अपुन ने सिर उठा कर साधना की तरफ देखा। वो आँखें बंद किए सिर को इधर उधर झटक रेली थी। वो बेहद मजे में थी। उसकी ये हालत देख अपुन ने एकदम से एक बड़ा फैसला ले लिया लौड़ा।

अपुन एक झटके से उठा और घुटनों पर बैठ गया। साधना को जब महसूस हुआ कि अपुन ने उसकी चूत चाटना बंद कर दिया है तो उसने धीरे से आंखें खोल कर अपुन की तरफ देखा।

साधना ─ रुक क्यों बाबू? शश्श्श्श कितना मजा आ रहा था मुझे। प्लीज करो न।

अपुन ─ तुमको इससे भी ज़्यादा मजा देने का सोच रेला है अपुन। क्या तुम तैयार हो?

साधना ─ मैं तो तुम्हारे लिए हर वक्त तैयार हूं बाबू। प्लीज जो भी करना है जल्दी करो न।

उसकी बात सुनते ही अपुन ने फौरन अपने लन्ड को एक हाथ से पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

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अपुन के ऐसा करते ही उसकी चूत पर लगा कामरस अपुन के सुपाड़े पर लगने लगा और साथ ही अपुन को ज़ोरदार झुरझुरी हुई। उधर साधना को भी थोड़ा झटका लगा था। पर उसने कुछ कहा नहीं। वो समझ गई थी कि अब अपुन क्या करने वाला है।

साधना ─ प्लीज आराम से अंदर डालना बाबू। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

अपुन उसकी चूत पर लन्ड रगड़ता रहा और फिर बोला।

अपुन ─ अपुन का क्या बड़ा है साधना?

साधना ─ तुम्हारा ल...लंड बाबू।

हवस का नशा उसके सिर पर तारी था, शायद इसी लिए इस बार उसने स्पष्ट रूप से अपुन के लन्ड का नाम लिया था। उसके मुख से लन्ड शब्द सुनते ही अपुन के अंदर अजीब सा जोश आ गया। उधर लन्ड रगड़ते रगड़ते अपुन का और भी जोश से बुरा हाल हुआ जा रेला था। अपुन ने गीले हो चुके लन्ड को उसकी चूत के मुहाने पर अंदाजे से सेट किया और फिर अपनी कमर को आगे की तरफ पुश कर दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू।

शायद अपुन ने थोड़ा तेजी से पुश किया था जिससे अपुन का लन्ड उसकी चूत के मुहाने को तो फैलाया लेकिन क्योंकि चूत जरूरत से ज्यादा गीली थी इस लिए फिसल गया लौड़ा।

अपुन ने एक बार फिर से अपुन के लन्ड को मुहाने पर सेट किया और इस बार थोड़ा सम्हल कर जोर लगाया तो लन्ड का टोपा थोड़े प्रयास में साधना की चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। दर्द हो रहा है शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ दर्द तो होगा ही साधना क्योंकि अपन दोनों का ही ये फर्स्ट टाइम है। तुम प्लीज इस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करो।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् म...मैं कोशिश कर शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् रही हूं।

अपुन के लन्ड का टोपा उसकी चूत में जैसे फंस सा गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और थोड़ा अपुन के अंदर घबराहट भी होने लग गईली थी क्योंकि अपुन को बार बार लग रेला था कि कहीं कुछ बुरा न हो जाए जिससे अपुन को लेने के देने पड़ जाएं बेटीचोद।

अपुन को सेक्स का कोई तजुर्बा नहीं था। अपुन ने इसके पहले कभी किसी के साथ किया ही नहीं था लौड़ा। ब्ल्यू फिल्मों में ही बस थोड़ा बहुत देखा था कि ये सब कैसे करते हैं। पर देखने में और करने में लौड़ा बहुत फर्क होता है, ये अब समझ आ रेला था अपुन को। खैर अपुन ने सोचा अब जब यहां तक पहुंच ही गयला है तो आगे का भी काम कर के ही रुकेगा अपुन।

पता नहीं बेटीचोद एकाएक अपुन के अंदर कौन सा भूत सवार हो गयला था या शायद कुछ ज़्यादा ही जोश आ गयला था जिसके चलते अपुन ने आव देखा न ताव एक जोरदार धक्का पेल दिया लौड़ा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मर...ग..ई... आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श। बाबू नि...कालो इस...को शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत दर्द हो रहा है।

साधना की दर्द भारी चीख सुन अपुन एकदम से घबरा गया लौड़ा। अपुन ने देखा वो बुरी तरह सिर को इधर उधर पटक रेली थी। उसकी आंखों से आसूं बह रेले थे। चेहरे पर बेपनाह दर्द दिख रेला था।

अपुन ─ तुम ठीक तो हो न साधना?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत दर्द हो रहा है विराट। प्लीज उसे बाहर शश्श्श्श निकाल लो।

अपुन ─ फर्स्ट टाइम में तो दर्द होता ही है यार। प्लीज थोड़ा बर्दाश्त कर लो न।

साधना अपुन को कातर भाव से देखने लगी। अपुन को भी पता था कि अपुन का हलब्बी लन्ड अंदर लेना आसान नहीं हो सकता था लेकिन अब जब लिया था तो उसे बर्दाश्त करना ही था।

अपुन ने एक बार अपने लंड की तरफ देखा तो एकदम से चौंक गया। लौड़ा लन्ड तो अभी आधा ही घुसा था लेकिन उस पर लाल रंग का खून लगेला था। अपुन को समझते देर न लगी कि ये साधना की चूत से ही निकला है। मतलब कि अपुन ने उसकी सील तोड़ दी थी। ये देख एक तरफ तो अपुन घबराया लेकिन दूसरी तरफ ये सोच के खुश भी हुआ कि अपुन ने किला फतह कर लिया है लौड़ा। और इस खुशी ने जाने कैसा जोश चढ़ाया कि अपुन ने थोड़ा सा लन्ड बाहर निकाला और फिर से एक जोर का धक्का मार दिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श म...त करो। मर जा...ऊंगी। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् प्लीज बाहर निकाल लो।

जोश में अपुन को ध्यान ही नहीं रह गयला लौड़ा। साधना की चीख ने ही अपुन को होश में लाया। अपुन ने देखा साधना बुरी तरह छटपटा रेली थी। उसके आंसू कुछ ज़्यादा ही बह रेले थे। चेहरे पर भयंकर पीड़ा दिख रेली थी। अपुन एक बार फिर उसकी हालत देख घबरा गया।

उसकी चूत में लन्ड डाले डाले ही अपुन आगे को जा कर झुका और फिर उसके कांपते होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।

अपुन ─ बस मेरी जान। प्लीज शांत हो जाओ। जो दर्द होना था हो गया। अब से कोई दर्द नहीं होगा।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू, मेरी जान निकली जा रही है। शश्श्श्श ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत मोटा गर्म सरिया मेरी वजीना में शश्श्श्श समाया हुआ है।

अपुन ─ तुमने अपुन के लिए इतना कुछ सह लिया इसके लिए थैंक्यू मेरी जान। तुम सच में बहुत अच्छी हो।

इस वक्त अपुन को सच में उस पर बहुत प्यार आ रेला था और शायद इसी लिए ये सब बोले जा रेला था। एक तरफ उसके होठों को, उसके चेहरे को और उसके गले को चूमता चाटता तो दूसरी तरफ उसके गोरे मुलायम दूध के गुब्बारों को हल्के से मसलता।

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इसका नतीजा ये हुआ कि साधना के चेहरे पर दिखने वाली असहनीय पीड़ा में काफी कमी नजर आई। अपुन को भी थोड़ा राहत महसूस हुई। अपुन कुछ देर तक यही करता रहा।

अपुन का लन्ड अभी भी उसकी बुर में वैसे ही समाया हुआ था और अपुन को ऐसा लग रेला था जैसे किसी ने अपुन के लन्ड को चारो तरफ से बुरी तरह जकड़ा हुआ हो। अपुन को बड़ा ही अजीब फील हो रेला था। थोड़ी देर बाद अपुन ने उससे पूछा।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ हां पर उतना नहीं।

कुछ देर बाद जब अपुन ने देखा कि साधना वापस अपने पहले वाले रूप में आ गईली है तो अपुन ने धक्का लगाने का सोचा। जैसे ही अपुन ने कमर को पीछे की तरफ कर के लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला तो साधना के मुंह से दर्द भरी आह निकली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू। मत करो न प्लीज। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अपुन धीरे धीरे अंदर बाहर करेगा। धीरे धीरे दर्द दूर हो जाएगा, ट्रस्ट मी।

साधना ने इस बार कुछ नहीं कहा, बस अपुन को मोहब्बत से देखती रही। जाने क्यों अपुन उसकी मोहब्बत भरी निगाह का सामना न कर सका लौड़ा। इस लिए झुक कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा और उधर धीरे धीरे लन्ड को अंदर बाहर करने लगा।

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साधना को दर्द तो हो रेला था लेकिन पहले जैसा नहीं। इस लिए अब अपुन बेफिक्र हो गयला था। अपुन उसको चूमते हुए कुछ देर तक ऐसे ही धीरे धीरे लगा रहा। जब अपुन को महसूस हुआ कि साधना अब दर्द वाली नहीं बल्कि मजे वाली सिसकी ले रेली है तो अपुन ने धक्का लगाने पर थोड़ा जोर लगाया।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू थोड़ा धीरे।

अपुन ─ क्या अब भी दर्द हो रेला है?

साधना ─ नहीं, पर जब तुम तेज करते हो तो दर्द होता है।

अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रहा?

साधना ─ थोड़ा थोड़ा आ रहा है बाबू।

अपुन ─ आगे और भी ज़्यादा आएगा।

साधना हल्के से मुस्कुराई। फिर अपुन का चेहरा पकड़ अपुन को नीचे झुकाया और अपुन के होठों को चूमने लगी। अपुन भी बराबर साथ दे रेला था। इधर अपुन के धक्के अब थोड़ा जोर पकड़ रेले थे। साधना की चूत जो पहले अपुन के लन्ड को बुरी तरह कसे हुए थी उसमें अब नरमी आ गईली थी। अपुन को ऐसा फील हो रेला था जैसे अपुन का लन्ड किसी गर्म भट्टी में है और उसकी तपिश में मोम के माफिक पिघल जाएगा।

कुछ ही देर में अपुन के धक्के थोड़ा असमान्य गति से चलने लगे। रूम के अंदर साधना की आहें और सिसकियां गूंज रेली थी। उसे अब मजा आ रेला था जिससे वो भी जोश में आ गईली थी।

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साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बहुत मजा आ रहा है बाबू। थोड़ा और जोर से करो न।

अपुन ─ क्या करूं डियर?

साधना ─ उफ्फ! धक्के मारो न बाबू।

अपुन ─ वो तो अपुन मार ही रेला है लेकिन ये बताओ कि अपन लोग कर क्या रेले हैं?

साधना अपुन की बात सुन कर एकदम से शर्मा गई लेकिन क्योंकि उस पर इस वक्त सेक्स की मदहोशी छाई थी इस लिए जल्दी ही सिसकी लेते हुए बोली।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हम लोग से...क्स कर रहे हैं बा...बू।

अपुन ─ हिंदी में बोलो ना। हिंदी में बताओ कि क्या कर रेले हैं अपन लोग?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् चु...चुदा..ई कर रहे हैं बाबू।

अपुन को उसके मुख से चुदाई शब्द सुन कर बड़ा ही मज़ा आया लौड़ा। ऐसा लगा अपुन की नशों में दौड़ता लहू अब बड़ी तेज़ी से अपुन के अंडकोशों की तरफ भागते हुए आ रेला है। उधर साधना भी मस्ती में डूबी थी। वो जितना आहें और सिसकियां ले रेली थी उतना ही अपुन का साथ देने के वास्ते खुद को अपुन के लन्ड की तरफ झोंक दे रेली थी।

अपुन के अंदर भयंकर जोश बढ़ गयला था। पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ रेली थी लौड़ा। बोले तो ऐसा मजा आ रेला था जैसे अपुन जन्नत की सैर कर रेला है। आज से पहले ऐसा मजा और ऐसा गजब का एहसास अपुन ने कभी महसूस नहीं किया था।

अपुन ने साधना की दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और तेज तेज धक्के लगाने लगा।

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अपुन के हर धक्के में साधना ऊपर की तरफ उछल जाती जिससे उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारे भी उछल पड़ते। अपुन का मजा हर गुजरते पल के साथ ही बढ़ता ही जा रेला था बेटीचोद।

अपुन ─ ओह माय डियर, तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करने से मस्त मज़ा आ रेला है। क्या तुम्हें भी ऐसा ही मजा आ रेला है?

साधना मजे और मस्ती में डूबी जोर जोर से सिसकियां ले रेली थी। अपुन के पूछने पर उसने धीरे से आंखें खोली और बोली।

साधना ─ उफ्फ! मत पूछो बाबू आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श लगता है इस शश्श्श्श मजे से प...पागल हो जाऊंगी मैं शश्श्श्श आह्ह्ह्ह्।

अपुन ─ क्या अपन लोग अब से हर रोज ऐसा मजा कर सकते हैं?

साधना ─ हां बाबू शश्श्श्श अ..ब से हम रोज मजा करेंगे।

अपुन ─ लेकिन हर रोज तुम घर में अकेले कहां रहोगी यार? आज की तरह ऐसा मौका कैसे मिलेगा मेरी जान?

साधना ─ हां ये तो शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुमने सही कहा बाबू। फिर तुम ही बताओ हम कैसे मजा कर सकेंगे?

अपुन को तो खुद भी कुछ समझ नहीं आ रेला था लौड़ा तो उसे बताता कैसे? अचानक अपुन ने फील किया कि अपुन झड़ने के करीब आ गयला है। तभी साधना की आहें और सिसकियां और भी तेज हो गईं।

अपुन के देखते ही देखते उसकी कमर एकदम से ऊपर उठ गई और फिर वो झटके खाने लगी लौड़ी। उसके झटके की वजह से अपुन ने उसे और मजबूती से पकड़ा मगर तभी उसके गर्म पानी ने अपुन के लन्ड को ऐसा पिघलाया कि अपुन खुद को चाह कर भी रोक न सका बेटीचोद।

साधना के झटके रुके भी नहीं थे कि अपुन को भी झटके लगने लगे लौड़ा। बोले तो ऐसा लगा जैसे अपुन के अंदर से अपुन की जान ही निकली जा रेली हो बेटीचोद। अपुन का मजे की तरंग में इतना बुरा हाल हुआ कि अपुन को उसकी चूत से लन्ड निकालने का भी होश न रहा और अपुन उसकी चूत में ही झड़ता चला गया।

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झड़ते वक्त जो मजा फील किएला था उसे अपुन शब्दों में नहीं लिख सकता लौड़ा। बोले तो उसकी कोई डेफिनेशन ही नहीं कर सकता अपुन।

खैर जब अपुन के अंदर का लावा पूरी तरह साधना के अंदर निकल गया तो अपुन किसी बेजान पुतले की तरह उसके ऊपर ही ढेर हो गया लौड़ा। सिर्फ अपन दोनों की उखड़ी सांसें ही रूम में गूंजती रहीं।

अपुन आँखें बंद किए साधना के गोरे गोरे गोल गुब्बारों पर चेहरा रखे ढेर हुआ पड़ा था और अभी भी उस मजे के एहसास में खोया हुआ था कि तभी अपुन ने अपने सिर पर साधना के हाथ महसूस किए। वो बड़े प्यार से अपुन के सिर पर हाथ फेरने लग गईली थी।

अपुन कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा उसके बाद सिर को थोड़ा सा उठा कर उसको देखा। इतने करीब से पसीने में नहाया हुआ और थोड़ा सुर्ख पड़ा हुआ उसका चेहरा देखा तो अपुन को अलग ही फील आया लौड़ा। उधर जैसे ही उसने अपुन को खुद की तरफ देखते देखा तो जाने क्या सोच के शर्मा गई और आँखें बंड कर के अपना चेहरा फेर लिया।

अपुन ये देख मुस्कुरा उठा। इस वक्त अपुन को वो बड़ी खूबसूरत लग रेली थी, किसी खिल चुके गुलाब की मानिंद। अपुन को उस पर बड़ा प्यार आया तो अपुन थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर उसका चेहरा थाम कर उसके होठों को चूम लिया।

अपुन ─ थैंक्यू साधना...मेरी जान, तुमने आज अपुन को इतनी बड़ी खुशी दी और अपुन को पहली बार चुदाई का एक्सपीरियंस करवाया। थैंक्यू सो मच डियर।

साधना अपुन की बात सुन और खास कर चुदाई सुन पहले तो लजा गई फिर सम्हल कर बोली।

साधना ─ धत्...बहुत गंदे हो तुम। और हां थैंक्यू मत कहो। मैंने भी तो पहली बार ही सेक्स के इस अद्भुत आनंद का एहसास किया है। तुम्हें पता है, मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ये तुम्हारे साथ किया। उसके साथ जिसे मैं प्यार करती हूं।

अपुन को समझ न आया कि क्या बोले। असल में अपुन उससे प्यार वाली बात सुन के थोड़ा असहज होने लग जाता था लौड़ा। अपुन को प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने का बिलकुल भी शौक नहीं था और शायद यही वजह थी कि अपुन साधना के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करना चाहता था। अपुन तो बस मजा करना चाहता था जोकि मिल भी गयला था।

खैर अपुन को जब कुछ जवाब न सूझा तो अपुन थोड़ा नीचे सरका और उसके गोरे गोरे गोल गुब्बारों को थाम कर हौले हौले सहलाना शुरू कर दिया।

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उसके गुब्बारे सच में बहुत हसीन और आकर्षक थे। लौड़ा मन ही नहीं भरता था उनको मसल के। साधना ये देख हल्के से मुस्कुराई और फिर बोली।

साधना ─ क्या बात है बाबू, तुम सबसे ज्यादा इन्हें ही क्यों प्यार करते हो?

अपुन ─ क्योंकि ये तुमसे भी ज्यादा प्यारे हैं लगते हैं अपुन को। मन करता है इन्हें हाथों में ही लिए रहे अपुन और इन्हें चूसता रहे।

साधना थोड़ा शरमाई लेकिन फिर बोली।

साधना ─ अच्छा जी ऐसा क्या?

अपुन ─ हां।

साधना ─ और क्या क्या अच्छे लगते हैं मेरे?

अपुन ─ तुम्हारे रसीले होठ, तुम्हारे ये बूब्स, तुम्हारा गोरा चिकना पेट और उसके बीच आकर्षक नाभि।

साधना ये सुन शरमाई भी और खुशी से मुस्कुराई भी, फिर बोली।

साधना ─ और??

अपुन ─ और....हां और तुम्हारी चूत और उसका नमकीन पानी।

साधना ─ धत् बेशरम।

साधना बुरी तरह लजा गई थी। शर्म मिश्रित मुस्कान सजाए उसने हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुम न...बहुत गंदे हो। कैसे बेशर्मों की तरह ऐसे गन्दे गन्दे शब्द बोलते हो।

अपुन ─ गंदे गंदे शब्द बोलने से ही तो सबसे ज्यादा मजा आता है और जोश चढ़ता है। बोलो क्या गलत बोल रेला है अपुन?

साधना ─ मुझे नहीं पता।

अपुन ─ तुम्हें सब पता है, बस बताना नहीं चाहती अपुन को।

साधना ─ हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मुझे बहुत शर्म आती है ऐसे गन्दे शब्द सुन कर।

अपुन ─ शुरू शुरू में अजीब लगता है लेकिन फिर ईजी हो जाता है बोलना। बाद में तो मजा आता है बोलने में। एक बार बोल के दिखाओ तो।

साधना ─ न जी न। मैं नहीं बोल सकती।

अपुन ─ देखो तुमने अपुन से प्रॉमिस किया था कि अपुन जो बोलेगा करोगी।

साधना ने अपुन को गहरी नजर से देखा। जैसे समझना चाहती हो कि अपुन कहीं नाराज़ तो नहीं हो गयला है?

साधना ─ नाराज़ मत हो बाबू।

अपुन ─ तो फिर बोलो जो कह रेला हूं।

साधना ─ ठीक है, बताओ क्या बोलना है मुझे?

अपुन ─ अभी अपुन तुमसे जो जो पूछेगा उसका तुम क्लियर हिंदी में सच सच जवाब दोगी।

साधना ─ ठीक है।

उसकी रजामंदी देख अपुन के अंदर बड़ा अजीब सा फील होने लगा था लौड़ा। बोले तो मस्त गुदगुदी होने लग गईली थी। एक बार फिर से अपुन के अंदर हवस वाला नशा छाने लगा था।

अपुन ─ ओके, तो बताओ अभी अपन दोनों ने क्या किया था?

साधना ये सुन के थोड़ा शरमाई। उसका चेहरा लाज से सुर्ख पड़ गया लेकिन अब वो मजबूर थी इस लिए उसने खुद को किसी तरह तैयार किया और फिर बोली

साधना ─ चु...चुदाई।

अपुन उसके मुख से चुदाई सुन कर मन ही मन खुश भी हुआ और अपनी सफलता पर हंसा भी।

अपुन ─ वेरी गुड। अब बताओ अपन लोग किस तरह चुदाई कर रेले थे? अपुन का मतलब है कि चुदाई कैसे हो रेली थी?

साधना ने कुछ पल सोचा फिर शर्माते हुए बोली।

साधना ─ वो...तुम्हारा लं...लंड मेरी चू...चूत में था और तुम अपने लं..लंड से मुझे चो...चोद रहे थे।

साधना का ये जवाब सुन अपुन का लन्ड पलक झपकते ही अकड़ गया लौड़ा। अपुन क्योंकि उसके ऊपर से नीचे आ कर उसके बगल से ही लेट गयला था इस लिए अपुन ने जोश में आ कर अपनी कमर को उसकी तरफ दबाया तो अपुन का अकड़ा हुआ लन्ड सीधा उसकी जांघों पर लगा। साधना के मुख से सिसकी निकल गई और वो अपुन की तरफ करवट ले ली।

साधना ─ तुम्हारा ये तो फिर से खड़ा हो गया बाबू।

अपुन ─ किसकी बात कर रेली हो? नाम ले कर बताओ न।

साधना फिर से थोड़ा शरमाई फिर सहसा अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपुन के लन्ड को पकड़ कर बोली।

साधना ─ तुम्हारे इस लं..लन्ड की बात कर रहीं हूं। उफ्फ कितना बड़ा है ये और कितना गर्म भी।

अपुन ─ तुम्हारी ही गर्मी से गर्म है ये और चाहता है कि तुम फिर से इसे प्यार करो।

साधना ─ अच्छा जी।

साधना ने अपुन के लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया था जिससे अपुन के अंदर मजे की तरंगें उठने लगीं थी। अपुन ने चेहरा आगे कर के उसके होठों को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े खुद भी अपुन के होठ चूमने चूसने लगी। मगर जल्द ही अपुन ने उसके होठ छोड़े।

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अपुन ─ अपुन का फिर से तुम्हें चोदने का मन कर रेला है।

साधना अपुन की बात सुन फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ मन तो मेरा भी कर रहा है बाबू लेकिन फिर से दर्द होगा तो कैसे सहन कर पाऊंगी?

अपुन ─ अरे! अब पहले जैसा दर्द नहीं होगा। अब तो अपुन के लन्ड ने तुम्हारी चूत के अंदर अपने लिए जगह बना ली है। इस लिए अब वो आराम से अंदर बाहर होगा और तुम्हें मजा देगा।

साधना ─ ठीक है, जैसा तुम चाहो करो।

अपुन तो लौड़ा चाहता ही यही था। अपुन भूल ही नहीं सकता था कि साधना को चोदने में थोड़ी देर पहले कितना मजा आयला था अपुन को। अपुन ने झट से उसे सीधा किया और उसके ऊपर आ गया।

पहले तो अपुन ने उसके होठों को जी भर के चूमा चूसा और फिर नीचे सरक कर उसकी गोरी गोरी चूचियों को मसला चूसा। उसके बाद सीधा नीचे ही पहुंच गया लौड़ा।

साधना फिर से मस्ती में आ गईली थी। इधर अपुन नीचे आया तो देखा दोनों जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी चूत की हालत थोड़ी खराब थी। बेड शीट पर नीचे अपन दोनों का माल भी था और उसका खून भी जिसके लाल धब्बे सफेद बेड शीट पर साफ दिख रेले थे। ये देख अपुन को थोड़ी घबराहट हुई।

अपुन ने थोड़ा झुक उसकी चूत को देखा। अपन दोनों का माल अभी भी उसमें लगा हुआ था और वो थोड़ा सूझी हुई थी। अपुन ने धड़कते दिल से हाथ बढ़ा कर उसके गुलाबी होठों को छुआ तो एकदम से साधना को झटका लगा और उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। अपुन ने फौरन ही हाथ हटा लिया। फिर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

अपुन ─ क्या हुआ?

साधना ─ तुमने वहां छुआ तो दर्द भरी टीस पूरे बदन में दौड़ गई मेरे।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? इतना तो अपुन देख ही चुका था कि उसकी चूत से खून निकला है और उसका हाल भी बुरा नजर आ रेला है। ऐसे में अगर छूने से ही उसे दर्द हो रेला है तो चुदाई होने पर तो लौड़ी का बुरा हाल ही हो जाएगा।

तभी साधना एकदम से उठ बैठी। जांघों पर जोर पड़ा तो उसके मुख से कराह निकल गई। उसकी दोनों टांगें अलग अलग फैली हुईं थी। अपुन थोड़ा पीछे हट कर बैठ गयला था। अपुन ने देखा उसके चेहरे पर दर्द के चिन्ह थे। उसने पहले अपुन की तरफ देखा और फिर वो अपनी चूत की तरफ देखने की कोशिश करने लगी। थोड़े ही प्रयास में उसकी नजर बेड शीट पर और अपनी चूत पर पड़ गई।

बेड शीट पर खून के धब्बे देख उसकी आँखें फैलीं और साथ ही जब उसने अपनी चूत की हालत देखी तो जैसे घबरा ही गई।

साधना ─ माय गॉड ये...ये कैसी हो गई है बाबू?

अपुन क्या बोले लौड़ा? अपुन को खुद समझ न आया कि क्या जवाब दे? हालांकि ये तो अपुन जानता था कि ऐसा कैसे हुआ था। अपुन को कुछ न बोलता देख साधना घबराई सी फिर से बोली।

साधना ─ ये तो सूझ गई है बाबू। तभी तो तुम्हारे छूने बस से ही मुझे दर्द हुआ था। अगर ये ऐसे ही सूझी रही तो क्या होगा? कल पापा आ जाएंगे और अगर उन्हें पता चल गया तो???

साधना एकाएक बुरी तरह घबरा उठी थी। उसका सारा सेक्स का नशा उड़न छू हो गयला था। अपुन भी ये सोच के घबरा गया कि अगर सच में उसके बाप को पता चल गया तो क्या होगा? बेटीचोद, कहीं उसके पूछने पर साधना ने सारा सच उगल दिया तो अपुन की तो बैंड ही बज जाएगी लौड़ा। अपुन के घर वाले तो अपुन की गांड़ ही फाड़ देंगे। अमित, हां अमित को जब पता चलेगा कि अपुन की वजह से ही उसकी बहन का ये हाल हुआ है तो लौड़ा वो तो अपुन का सिर ही फोड़ देगा।

बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।

मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy.. :declare:
Nice update....
 

Death Kiñg

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Ye kis line me aa gaye prabhu aap?:roflol:Sadiyon baad forum par aaya and Shareef Insaan writing an Incest story was not on my bingo list. :laughing:

Between, kya haal chaal?
 

dhalchandarun

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Sab time time ki baat hai bhaiya ji...Har koi kahi na kahi byast hai apne kaam ke chalte, apni zarurato ko pura karne ke chalte. Jab time milta hai tabhi ye sab ho pata hai....khair next update post kar diya hai :declare:
Lagta hai aap apun apun likhna bahut hi jayada enjoy kar rahe ho man!!!
 
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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Ye kis line me aa gaye prabhu aap?:roflol:Sadiyon baad forum par aaya and Shareef Insaan writing an Incest story was not on my bingo list. :laughing:

Between, kya haal chaal?
Death Kiñg bro...kafi time baad dikhe men, kidhar gayab rahte ho :dost:

Kya kare men, achha content padhne wale apan ke ju jaise readers gayab ho gaye hain is liye yahi sab bakwas likhne baith gaya time paas plus incest bhakto ke manoranjan ke liye :sigh:

Dekh lo achhi cheejo ki kadar nahi hoti aur bakwas cheezo par kaise log views badha rele hain. Ghor kaliyug lag gaya hai ab :D
 
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