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ThanksBahut hi badhiya update diya hai The_InnoCent bhai....
Nice and beautiful update....
ThanksNice update
ThanksNice and superb update....
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Next update posted
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प्यार का सबूत story ka review pending hai ju ka, bich me chhod ke chale gaye the juBas jeevan ki bhagdaud me sab kuchh pichhe chhutate nazar aa raha ab to .. kabhi kabhi to lagta hai ki lockdown ke din hi achhe the
Absolutely right....and apan aisa kiya bhi...only new experience ke liye. And end me yahi realise hua ki sab moh maya hi hai but apan ki reality sirf wo hai jiske liye apan pachana jata hai. Matlab ki kitna door bhagoge beWaise achha hi hai ye bhi Shubham bhai, ek baar to us raaste bhi jaane me koyi burayi nahi jahan aap kabhi nahi gaye .. baaki aapse behtar kaun jaanta hai forum par readers log ke baare me?
Jis kisse me daroga saahab ko daraya ja raha tha uske aage abhi tak nahi padh paaya hun.. Par jab bhi complete karunga apna reader waala farz ada kiye bina nahi jaunga, ye to aap bhi jaante hi hoप्यार का सबूत story ka review pending hai ju ka, bich me chhod ke chale gaye the ju
Asal kissa to uske baad me hua bro, wo to bas ek chhota sa hissa tha...Jis kisse me daroga saahab ko daraya ja raha tha uske aage abhi tak nahi padh paaya hun..
Intzar rahega mitraPar jab bhi complete karunga apna reader waala farz ada kiye bina nahi jaunga, ye to aap bhi jaante hi ho
Super update Bhai
Update ~ 10
बेटीचोद, अपुन जितना सोचता गया उतना ही अपुन की गांड़ फटती चली गई लौड़ा। सेक्स और हवस के जोश में अपुन का लौड़ा जो इसके पहले अपने फुल फॉर्म में आ गयला था वो इस सबके सोचते ही गायब हो गया और वो मुरझा गया।
मजा तो खूब मिला था अपुन को लेकिन अब इस मजे की सजा का खयाल आते ही अपुन के तोते उड़ गएले थे। एकदम से खयाल आया कि अपुन को ये सब नहीं करना चाहिए था बेटीचोद।
अब आगे....
हालत तो साधना की भी खराब थी लेकिन ये भी सच था कि इस सीरियस सिचुएशन को उसी ने नॉर्मल बनाया था। असल में अपुन की गांड़ फटी वाली हालत देख उसे लगा था कि अपुन उसकी हालत देख टेंशन में आ गयला है तो उसने खुद को मजबूत बनाने का सोच लिया था और जबरन मुस्कुराने लगी थी लौड़ी। फिर अपुन को समझाने भी लगी थी कि अपुन को उसके लिए इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है। बोले तो वो ठीक है और उसकी ये हालत सुबह तक ठीक हो जाएगी।
अपुन को राहत तो मिली थी लौड़ा लेकिन अपुन का मजा थोड़ा खराब हो गयला था। ऐसा इस लिए क्योंकि उसने कहा था कि उसकी हालत सुबह तक तभी ठीक हो सकती है जब अपन लोग दुबारा सेक्स....हट लौड़ा सेक्स क्या होता है? मतलब कि अपन लोग दुबारा चुदाई न करें।
बेटीचोद, इस बात से तो अपुन का भेजा ही खिसक गयला था पर क्या कर सकता था? अपुन ये भी नहीं चाहता था कि जोर जबरदस्ती के चलते भारी गड़बड़ हो जाए और दुबारा साधना की चूत मारने को न मिले। इस लिए अपुन ने मन मार लिया था।
अब क्योंकि अपुन ऐसे खाली तो बैठे नहीं रह सकता था। बोले तो रात के इस वक्त घर में बिना किसी की जानकारी के यहां आयला था तो साधना के साथ कुछ तो मजा करना ही था अपुन को। सोने को तो अपुन अपने घर में भी सो सकता था पर यहां जब साधना जैसी खूबसूरत माल हो तो सोने का सोचना भी जैसे पाप था लौड़ा।
पर मजा करने से पहले जरूरी था कि थोड़ा हालत को ठीक किया जाए। मतलब कि साधना की हालत खराब थी तो जरूरी था कि उसके लिए कुछ किया जाए। अपुन को तो घंटा कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या करे इस लिए साधना को ही उपाय सूझा था। यानि उसने अपनी चूत की सूजन को और साथ ही उसमें हो रहे दर्द को दूर करने के लिए गर्म पानी से सेंकाई करने को कहा था।
बस फिर अपन लोग ने ऐसा ही किया। बोले तो रात के अंधेरे और सन्नाटे में अपन लोग ने मोबाइल से रोशनी कर के किचेन में जा कर पहले पानी गर्म किया और फिर उस गर्म पानी को रूम के अटैच बाथरूम में ला कर साधना के चूत की सेंकाई की। इस सबमें साधना को थोड़ी बहुत तकलीफ तो हुई लेकिन उसी ने कहा था कि ये करना ज़रूरी है इस लिए किया। आखिर एक घंटे की मेहनत के बाद नतीजा ये निकला कि उसे अब पहले से आराम था। शुक्र था कि उसकी मां के पास पेन किलर भी रखी हुई थी जिसकी याद आते ही उसने अपुन के द्वारा अपनी मां के रूम से मंगवा लिया था। कुल मिला कर अब सिचुएशन पहले से काफी बेहतर थी।
इस वक्त अपन दोनों बेड पर एक दूसरे की तरफ करवट लिए पड़े हुए थे। साधना अपुन को बड़ी मोहब्बत से देखे जा रेली थी। असल में उसे अपुन का इतना ज्यादा केयर करना अच्छा लगा था। अब भला उस लौड़ी को क्या पता था कि अपुन ने तो अपुन की गांड़ न फटे इस लिए ऐसा किएला था।
खैर अपुन को लौड़ा तभी प्रॉब्लम होने लगती थी जब वो अपुन को मोहब्बत भरी नजरों से देखती थी। अपुन उसके इस तरह देखने से अंदर ही अंदर घबरा जाता था और कहीं न कहीं ये सोच के ग्लानि भी होने लगती थी कि एक वो है जो अपुन को प्यार करती है और अपुन की खुशी के लिए क्या कुछ कर रेली है और एक अपुन है जो उसकी मोहब्बत का ज़रा भी खयाल नहीं रख रहा और सिर्फ उसे चोदना चाहता है, हट लौड़ा।
तभी साधना की मधुर आवाज से अपुन चौंका।
साधना ─ काश! इस रात की कभी सुबह न हो और हम दोनों ऐसे ही इस बेड पर एक साथ लेटे रहें।
अपुन ─ अपन लोग जो चाहते हैं वैसा ज्यादातर होता नहीं है और ये होना तो इंपॉसिबल है।
साधना ─ हां जानती हूं बाबू लेकिन दिल तो यही चाहता है न।
अपुन ─ दिल को समझा के रखो।
साधना ─ तुम ही बताओ अपने दिल को कैसे समझाऊं?
अपुन क्या बताता? सच तो ये था कि उसके द्वारा प्यार मोहब्बत वाली बातें शुरू करते ही अपुन के अंदर बेचैनी होने लग गईली थी। बोले तो अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। अपुन की धड़कनें बढ़ जाती थी और अपुन को किसी अनिष्ट के होने की आशंका होने लगती थी।
इतना तो अपुन समझ चुका था कि साधना सच में ही अपुन को प्यार करती है। ये उसका प्यार ही था कि उसने अपुन को अपना सब कुछ सौंप दिएला था। उसकी जगह कोई और होती तो ये सब होना या तो इंपॉसिबल था या फिर ये सब करना इतना आसान न होता।
साधना ─ झूठ मूठ का ही बोल दो बाबू कि तुम भी मुझे प्यार करते हो। तुम्हारे मुख से अपने लिए आई लव यू सुनना चाहती हूं। प्लीज बोल दो न जान।
अपुन ─ क्या झूठ सुनने से तुम्हें खुशी मिलेगी?
साधना ─ हां जरूर मिलेगी बाबू। मैं अपने दिल को ये कह कर समझा लूंगी कि तुम सच में ही मुझसे प्यार करते हो।
अपुन ─ देखो साधना पागल मत बनो। अपुन ने सुना है कि प्यार मोहब्बत बहुत खतरनाक चीज होती है। ये जिससे होती है उसी को पाने के लिए पागल रहती है और जब वो नहीं मिलती तो बहुत दुख होता है। अपुन नहीं चाहता कि तुम्हें किसी तरह का दुख झेलना पड़े। इस लिए झूठ भी मत सुनो क्योंकि इस झूठ को जब तुम अपने दिल से सच कहोगी तो वो सच में इसे सच मान लेगा और फिर तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि कब वो तुम्हें इसके लिए मजबूर करना शुरू कर दे।
साधना ─ तुम्हें कैसे पता कि मेरा दिल इस सबके लिए मुझे मजबूर करने लगेगा?
अपुन फ़ौरन कोई जवाब न दे सका। लौड़ा अपुन को सूझा ही नहीं कि क्या जवाब दे? अपुन खुद भी थोड़ा हैरान हुआ कि ये अपुन के मुख से कौन से लेवल की फिलॉस्फी निकल गईली है? पर लौड़ा कोई तो जवाब देना ही था उसे, इस लिए बोला।
अपुन ─ वो अपुन ने दो चार लव स्टोरी पढ़ेली थी उसी में अपुन को ये सब पढ़ने को मिलेला था।
साधना ने अपुन को गहरी नजरों से देखा। अपुन ज्यादा देर तक उससे नज़रें न मिला सका। अपुन एकदम से ही बेचैन और परेशान सा हो उठा। बोले तो अब अपुन का दिमाग पूरी तरह खराब होने को आ गयला था। तभी साधना बोली।
साधना ─ मैं बहुत कोशिश करती थी तुम्हें अपने दिल से निकालने की और आज से पहले तक शायद कहीं न कहीं मैं कामयाब भी थी लेकिन अब ये सब होने के बाद शायद ही मैं तुम्हें अपने दिल से निकाल पाऊं।
साधना की ये बात सुन कर अपुन को जोर का झटका लगा। दिल की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक दौड़ने लगीं लौड़ा। पलक झपकते ही दिमाग में यही खयाल आया कि बेटीचोद कहीं ये अपुन को किसी मुसीबत में न फंसा दे। बोले तो अपुन के लिए अच्छा यही होगा कि फ़ौरन ही भाग ले यहां से।
अपुन के दिमाग में तूफान खड़ा हो गयला था लौड़ा। बार बार अंदर से कोई आवाज दे रेला था कि विराट लौड़े भाग ले बेटा वरना लौड़े लग जाएंगे तेरे। फिर एकदम से अपुन को खयाल आया कि जब तक कुछ किया नहीं था तब तक अपुन सेफ था, मतलब कि वो अपुन को फंसा नहीं सकती थी लेकिन अब तो अपुन ने उसे चोद दिया है इस लिए इस मामले को ले कर वो अपुन को फंसा भी सकती है। लौड़ा कानून भी उसी का साथ देगा, और न्याय के रूप में अपुन को उसके साथ शादी भी करनी पड़ेगी।
ये सब सोचते ही अपुन की गांड़ फट गई लौड़ा। बोले तो अपुन की मां ही चुद गई बेटीचोद। तभी साधना की आवाज से अपुन को होश आया। वो लौड़ी अपुन की एकाएक बिगड़ी हालत देख घबरा गईली थी।
साधना ─ क्या हुआ बाबू? तुम ठीक तो हो न?
अपुन उसे क्या बताता कि इस वक्त क्या सोच के अपुन की फटी पड़ी है और अपुन क्या क्या सोच रेला है? पर कुछ तो जवाब देना ही था इस लिए बोला।
अपुन ─ हां...हां अपुन ठीक है।
साधना को शायद कुछ ठीक नहीं लग रेला था इस लिए झट से अपुन का चेहरा थाम लिया और अपुन से बोली।
साधना ─ नहीं बाबू, कुछ तो बात है। तुम अचानक से बहुत ज्यादा बेचैन और घबराए हुए नजर आने लगे हो। बताओ न बाबू क्या हो गया है तुम्हें?
अपुन ─ क..कुछ नहीं हुआ है। अपुन ठीक है, ट्रस्ट मी।
साधना कुछ पलों तक ध्यान से देखती रही अपुन को फिर एकदम से अपुन की तरफ सरकी और अपुन के होठों पर अपने सुलगते होठ रख दिए।
लौड़ा, उसके ऐसा करते ही अपुन पलक झपकते ही जैसे सब कुछ भूल गया। पूरे बदन में अपुन के करेंट दौड़ने लगा। उधर वो लौड़ी ऐसे अंदाज में अपुन के होठ चूसे जा रेली थी कि अपुन आधे मिनट से पहले ही किसी दूसरी दुनिया में पहुंच गया। अपुन के अंदर मदहोशी का नशा छाता चला गया और जाने कब अपुन भी उसका साथ देने लगा।
अपन दोनों ही नंगे थे इस लिए दोनों ही एक दूसरे के जिस्म को सहलाते जा रेले थे। कुछ ही देर में आलम ये था कि अपुन के कारनामे से साधना एक बार फिर से आहें भरने लगी थी। रूम के अंदर उसकी आहें और मादक सिसकारियां गूंजने लगीं थी।
अपुन उसके गोरे मुलायम दूध को मसल रेला था और दूसरे वाले के निप्पल को चूस रेला था। साधना बुरी तरह मचल रेली थी। इधर अपुन का लन्ड पूरे आकार में खड़ा हो के उसकी जांघों के आस पास चक्कर लगा रेला था। सहसा तभी अपुन ने महसूस किया कि साधना ने अपुन का लन्ड थाम लिया है।
उसके कोमल कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही अपुन के लन्ड में सनसनी होने लगी। अपुन ने झट उसे छोड़ा और फिर सरक कर ऊपर ही आ गया। अब अपुन का लन्ड साधना के एकदम करीब था, पूरे रौद्र रूप में।
अपुन ─ अब तो ये तुम्हारी चूत में जा नहीं सकता इस लिए इसे ठंडा करने के लिए इसे मुंह में ले कर चूसो मेरी जान।
साधना अपुन की बात सुन कर झट से उठ बैठी। इस चक्कर में उसकी जांघों के बीच टीस उठी तो उसके मुख से दर्द भरी सिसकी निकल गई। उठ कर बैठने के बाद उसने हाथ बढ़ा कर अपुन के लन्ड को पकड़ लिया।
साधना ─ उफ्फ ये जब पूरी तरह खड़ा हो जाता है तो कितना बड़ा और भयानक लगने लगता है।
अपुन ─ क्या तुम्हें इससे डर लग रेला है?
साधना ─ हां थोड़ा थोड़ा लग रहा है बाबू। इसी ने तो मेरी मुनिया की हालत खराब की है।
अपुन ─ ये मुनिया क्या होता है? साफ साफ उसका नाम लो न।
साधना थोड़ा शरमाई फिर नजरें झुका कर बोली।
साधना ─ इसने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है। उफ्फ बाबू ये तुम मुझसे क्या क्या बुलवा रहे हो? कुछ तो शर्म करो।
अपुन ─ जिसने की शरम, उसके फूटे करम। ऐसा अपुन ने कहीं सुनेला है।
साधना ये सुन कर हंस पड़ी। एक हाथ से वो अपुन के लन्ड को भी धीरे धीरे सहला रेली थी। उसकी नज़रें अपुन के लन्ड पर ही जमी थीं।
अपुन ─ अब सहलाती ही रहेगी या इसे प्यार भी करोगी?
साधना ने सिर उठा कर एक बार अपुन को देखा और फिर शर्माते हुए आहिस्ता से झुकने लगी। जल्दी ही उसके कोमल होठों की तपिश अपुन के लन्ड के टोपे पर स्पर्श हुई।
अपुन के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई। मजे की तरंग में अपुन की आँखें बंद हो गईं और साथ ही अपुन ने अपना एक हाथ साधना के सिर पर रख दिया। साधना ने लन्ड के टोपे पर जीभ घुमाई और फिर मुंह खोल कर टोपे को अंदर ले लिया।
अगले ही पल उसके गर्म मुंह का एहसास हुआ तो अपुन एक बार फिर से रोमांचित हो उठा और उसके सिर पर रखे हाथ को थोड़ा जोर दे कर उसके सिर को लन्ड की तरफ झुकाया। अपुन से रहा न गया तो अपुन वहीं बेड से टेक लगा के अधलेटा सा हो गया। अब अपुन का लन्ड क्लियरली साधना के मुंह में जा सकता था।
साधना एक हाथ से अपुन का लन्ड पकड़े टोपे को धीरे धीरे चूस रेली थी। अंदर से जीभ को बार बार टोपे पर घुमाती तो अपुन के अंदर तेज सनसनी होती जिससे अपुन की सिसकी निकल जाती।
अपुन ─ आह्ह्ह्ह् साधना मेरी जान, ऐसे ही चूसो। थोड़ा और मुंह में लो न डियर।
साधना कुछ बोली नहीं, बस मुंह खोल के सिर को थोड़ा और नीचे की तरफ झुकाया जिससे अपुन का लन्ड उसके मुंह में थोड़ा और चला गया। उसके मुख के अंदर की गर्मी से अपुन का लन्ड पिघल सा रेला था और उसके होठों की गिरफ्त से अपुन को बड़ा ही अजीब लेकिन मजे का एहसास हो रेला था।
कुछ ही देर में अपुन ने देखा कि साधना एक हाथ से लन्ड को पकड़े करीब आधा लन्ड मुंह में भर लेती और फिर उसे बाहर निकालती। झुके होने की वजह से उसकी तेज चलती सांसें अपुन के जांघों के बीच पड़ रेली थी जिससे अपुन को अजीब सी झुनझुनी हो रेली थी।
अपुन ─ ओह! साधना, कितना अच्छा लग रेला है। बोले तो मस्त मजा आ रेला है अपुन को।
अपुन की ये बात सुनते ही साधना ने झट से अपुन का लन्ड मुंह से निकाल दिया और सिर उठा कर सीधा बैठ गई। उसकी सांसें उखड़ी हुईं थी। चेहरा अजीब सा दिख रेला था। मुंह भी अजीब सा बनाया हुआ था उसने। इधर जैसे ही उसने लन्ड मुंह से बाहर निकाला तो अपुन ने आँखें खोल कर उसे देखा। बोले तो अपुन के मजे में खलल पड़ गयला था जिससे अपुन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था।
साधना झट से पलटी और बेड के नीचे फर्श पर थूकने लगी। फिर वापस अपुन की तरफ घूमी तो अपुन ने देखा उसने अजीब सा मुंह बनाया हुआ था।
अपुन ─ क्या हुआ?
साधना ─ तुम्हें तो मजा आ रहा था लेकिन मुझे बहुत अजीब फील हो रहा था इस लिए तुम्हारे लं...लंड को बाहर निकाल दिया।
अपुन को उसकी ये बात सुन कर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। अपुन ने इस बार नाराजगी से देखा उसे।
अपुन ─ जब अपुन तुम्हारी चूत चाट रेला था तब अपुन ने नहीं कहा था कि अपुन को बड़ा अजीब फील हो रेला है। अपुन चाटता ही रहा था क्योंकि अपुन को अच्छा लग रेला था और तुम्हें भी बहुत मज़ा आ रेला था। लेकिन तुम्हें अपुन का लन्ड चूसने में न तो अच्छा लग रेला है और न ही मजा आ रेला है।
साधना अपुन की गुस्से में कही ये बातें सुन कर एकदम से हड़बड़ा गई और साथ ही घबरा भी गई।
साधना ─ सॉरी बाबू। मेरा वो मतलब नहीं था। प्लीज गुस्सा मत हो।
अपुन ─ तुमने जो किया है क्या उससे गुस्सा नहीं आएगा?
साधना ─ सॉरी बाबू। तुम्हारी बात बिल्कुल सही है। मैं मानती हूं कि ऐसे में गुस्सा आएगा लेकिन समझने की कोशिश करो जान कि हर कोई एक जैसा नहीं होता।
अपुन ─ क्या मतलब है तुम्हारा एक जैसा नहीं होता? क्या तुम ये कहना चाहती हो कि अपुन कुत्ता है जो किसी की भी चूत बड़े आराम से चाट सकता है और तुम एक इंसान हो इस लिए लन्ड चूसने में तुम्हें प्रॉब्लम होती है?
साधना अपुन की बात सुन कर और भी घबरा गई। पलक झपकते ही उसकी आंखें भर आईं। रुंधे गले से बोली।
साधना ─ ये ये तुम क्या बोले जा रहे हो बाबू। प्लीज ऐसा मत बोलो। मेरा वो मतलब नहीं था। मुझे माफ कर दो प्लीज।
अपुन का सच में भेजा घूम गयला था। बेटीचोद, ऐसा भी नहीं था कि अपुन का लन्ड इतना गंदा दिखता था या उसके आस पास बालों की गंदगी उगी हुई थी। बोले तो अपुन का लन्ड अपुन के रंग से बस थोड़ा ही अनफेयर था और झांटों का तो नामो निशान तक नहीं था। अपुन को झांटे पसंद ही नहीं थी लौड़ा। इसके बावजूद वो लौड़ी बोल रेली थी कि उसे अजीब फील हो रेला है, हट लौड़ी।
साधना अपुन को मनाने में लगी थी और अपुन का दिमाग लौड़ा शांत ही नहीं हो रेला था। फिर अचानक ही जब साधना सुबकने लगी तो अपुन को झटका लगा। पलक झपकते ही अपुन का गुस्सा झाग की तरह ठंडा पड़ गया लौड़ा।
साधना ─ प्लीज मुझे माफ कर दो बाबू। अब से कभी ऐसा नहीं बोलूंगी। बस एक बार मान जाओ।
अपुन ने उसे खींच कर गले से लगा लिया। बेटीचोद उसके यूं सुबकने पर अपुन को अब जा के बुरा लगने लग गयला था। खुद पर ये सोच के गुस्सा भी आया कि इतनी छोटी सी बात पर अपुन ने उसे रुला दिया।
अपुन ─ प्लीज चुप हो जाओ एंड आई एम सॉरी। पता नहीं कैसे गुस्सा आ गयला था अपुन को।
साधना ─ नहीं मेरी गलती थी। तुम्हारा गुस्सा करना जायज था।
अपुन ने इस बात को ज्यादा लंबा करना ठीक नहीं समझा इस लिए उसे प्यार से अलग किया और बेड पर लिटा दिया। वो मासूम सी शक्ल बनाए अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन भी उसके साथ लेट गया। जैसे ही अपुन लेटा तो वो उठ गई। ये देख अपुन बोला।
अपुन ─ क्या हुआ? उठ क्यों गई?
साधना ─ वो मैं तुम्हारा लं...लंड मुंह में ले कर तुम्हें शांत कर देती हूं। ऐसे तो तुम्हें भी शांति नहीं मिलेगी न बाबू। मैं नहीं चाहती कि मेरी जान रात भर बेचैन रहे।
अपुन ─ अरे! अब इसकी जरूरत नहीं है। अपुन का लन्ड अब खुद ही शांत हो के बैठ गयला है। इस लिए अब तुम आराम करो और सो जाओ। वैसे भी तुम्हारी हालत ठीक नहीं है।
साधना ─ नहीं बाबू, मैं ठीक हूं। तुम आराम से लेटे रहो, मैं इस बार अच्छे से करूंगी।
पर अपुन ने मना कर दिया। बोले तो इस बार बड़े प्यार और स्नेह से उसे मना किया। असल में अपुन को अब सच में लग रेला था कि उसे आराम करना चाहिए। इस तरह का मजा तो बाद में भी लिया जा सकता था।
खैर अपन दोनों ने एक दूसरे को गुड नाइट किस किया और फिर एक दूसरे को बाहों में ले कर सोने की कोशिश करने लगे। पता नहीं कब अपन लोग को नींद आई लौड़ा।
अलार्म क्लॉक के बजने से अपन दोनों की ही आंख खुल गई। अपुन ने जब अलार्म क्लॉक में टाइम देखा तो उसमें सुबह के पांच बजे थे। साधना ने सिर उठाया और मुस्कुराते हुए पहले अपुन के होठों को चूमा, फिर बोली।
साधना ─ गुड मॉर्निंग बाबू।
अपुन ─ मॉर्निंग डियर। वैसे ये अलार्म तुमने बिल्कुल ठीक लगा रेला था वरना अपुन को यहां से निकलने में देर हो जाती।
साधना को भी सिचुएशन का एहसास हुआ तो वो फ़ौरन उठ गई। अपुन भी उठा और भाग कर बाथरूम में जा कर पहले पेशाब किया और फिर आ कर फटाफट कपड़े पहनने लगा।
अपुन को अब ये सोच के टेंशन होने लगी थी कि अगर समय रहते घर नहीं पहुंचा तो कहीं गड़बड़ न हो जाए। खैर जल्दी ही अपुन कपड़े पहन कर रेडी हो गया। बाइक की चाभी जेब में ही थी। इस बीच साधना ने भी अपने कपड़े पहन लिए थे। वो थोड़ा उदास थी। ज़ाहिर है अपुन के जाने के चलते ही उसका चेहरा उतर गयला था।
साधना ─ अब कब मिलोगे बाबू? प्लीज टाइम निकाल कर आ जाया करो न।
अपुन ─ अब से हर रोज यहां आने की कोशिश करेगा अपुन लेकिन अगर न आ सका तो टेंशन नहीं लेने का।
साधना ─ पहुंच कर फोन करना मुझे या मैसेज कर देना।
अपुन ─ ठीक है। तुम भी अपना खयाल रखना। खास कर अपनी चूत का।
साधना बुरी तरह लजा गई। फिर मुस्कुराते हुए बोली।
साधना ─ धत, कितने बेशर्म हो तुम।
अपुन ─ अपुन तो ऐसा ही है, तुम्हें भी ऐसे बेशर्म लड़के से प्यार नहीं करना चाहिए।
साधना ─ ये तो अब मुश्किल है बाबू। अच्छा एक बार अपने होठों को तो चूम लेने दो।
सच कहे तो अपुन का भी उसके होठ चूमने का मन था इस लिए झट से अपन लोग के होठ मिल गए।
करीब दो मिनट तक अपन लोग ने एक दूसरे के होठों को चूमा। इस बीच अपुन ने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके दूध दबाए मगर लौड़ा अपुन को उन्हें नंगा कर के थोड़ा चूसने का भी मन कर रेला था इस लिए होठों को छोड़ते ही अपुन ने बिना उससे पूछे उसके टॉप को ऊपर किया और ब्रा से निकाल कर उसकी एक छाती को मुंह में भर लिया।
अपुन के ऐसा करते ही साधना मचल उठी और उसके मुख से मजे में डूबी सिसकी निकल गई। अपुन ने बारी बारी से उसके दोनों बूब्स को दबा दबा के चूसा और फिर उससे अलग हो गया। जैसे ही अपन दोनों की नज़र मिली तो साधना शर्मा गई।
अपुन ─ तुम्हारे ये बूब्स सच में बहुत प्यारे हैं। काश! ये चौबीसों घंटे अपुन के पास होते तो जब भी मन करता इनको मुंह में ले कर चूसने लगता।
साधना ─ ये तो तभी पॉसिबल है बाबू जब मैं हर वक्त तुम्हारे ही पास रहूं और ऐसा तभी हो सकता है जब हम दोनों की एक दूसरे से शादी हो जाए।
अपुन ─ फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं है। अच्छा अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां उसका भी....अगली बार उसको अच्छे से प्यार करेगा अपुन और फिर दबा के पेलेगा भी।
साधना अपुन की ये बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई। फिर अपन दोनों दरवाजे तक साथ साथ ही आए। उसने दरवाज़ा खोलने से पहले एक बार फिर से अपुन के होठों को चूमा और फिर जब उसने दरवाज़ा खोला तो अपुन उसे बाय बोल कर चुपके से निकल लिया।
To be continued...
Aaj ke liye itna hi bhai log...
Read and enjoy